Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 16 चोरी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 16 चोरी
GSEB Class 10 Hindi Solutions चोरी Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
मालती की आवाज सुनकर बिन्दू की चाल में ……… ।
(अ) रुकावट आ गई ।
(ब) तेजी आ गई ।
(क) बदल गई ।
(ड) सुधार आ गई ।
उत्तर :
(ब) तेजी आ गई ।
प्रश्न 2.
‘असली बात जानने का यह तरीका नहीं है ?’ यह कौन कहता है ?
(अ) मालती
(ब) बिन्दू
(क) नंदन
(ड) नयन
उत्तर :
(क) नंदन
प्रश्न 3.
‘देख लेना, एक दिन यही बिन्दू घर में से ………. उठाकर न ले जाए तो मेरा नाम मालती नहीं ।’
(अ) संदूक
(ब) अनाज
(क) ट्रंक
(ड) सामान
उत्तर :
(क) ट्रंक
प्रश्न 4.
‘अरे, वह तो नदीवाली कोठरी में पड़ा है ।’ यह वाक्य कौन कहता है ?
(अ) कुन्दन
(ब) नंदन
(क) मालती
(ड) बिन्दू
उत्तर :
(अ) कुन्दन
प्रश्न 5.
नंदन ने पत्नी की बात सुनी तो उसके चहेरे पर ………. आ गई ।
(अ) चिंता की रेखा
(ब) प्रसन्नता भरी मुस्कुराहट
(क) प्रसन्नता
(ड) मुस्कुराहट
उत्तर :
(ब) प्रसन्नता भरी मुस्कुराहट
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
मालती के मन में बिन्दू के प्रति क्या आशंका हुई ?
उत्तर :
मालती के मन में बिन्दू के प्रति यह आशंका हुई कि वह अपनी मुट्ठी में घर की कोई कीमती चीज दबाए जा रहा है।
प्रश्न 2.
मालती को शांत करते हुए नंदन ने क्या कहा ?
उत्तर :
मालती बिन्दू को उल्टी-सीधी बातें सुनाने लगी, तो नंदन ने उसे शांत करते हुए कहा कि असली बात जानने का यह तरीका नहीं है।
प्रश्न 3.
कूड़ा फेंकने की जगह पर नंदन और मालती को क्या दिखा ?
उत्तर :
कूड़ा फेंकने की जगह पर नंदन और मालती को थोड़े से काजू और थोड़ी किशमिशें पड़ी दिखीं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
नंदन ने बिन्दू से चोरी की बात किस प्रकार मालूम की ?
उत्तर :
नंदन ने बिन्दु को प्यार से समझाकर कहा कि वह सचसच बता दे कि अपनी मुट्ठी में क्या ले गया है, उसे कोई कुछ नहीं कहेगा। इस तरह नंदन ने बिन्दू को भरोसा दिलाकर उससे चोरी की बात मालूम की।
प्रश्न 2.
बिन्दू ने अपने दोष का किस प्रकार पश्चाताप किया ?
उत्तर :
बिन्द कमरे में नीचे पड़े थोड़े-से मेवे उठा लाया था, पर उसे लग रहा था जैसे उसने दुनिया का बहुत बड़ा पाप कर डाला हो। बिन्दू अपने दोष का पश्चात्ताप करने के लिए भूखा-प्यासा एकांत में एक कमरे में मुंह छिपाकर पड़ा रहा।
प्रश्न 3.
बिन्दू के न दिखने पर मालती को क्या चिंता हुई ?
उत्तर :
मालती ने घर-बाहर सभी जगह छान मारा, उसे बिन्दु का कहीं पता नहीं चला। दोपहर बीत गई और शाम होने को आई थी, पर बिन्दू नहीं लौटा। मालती को अच्छा नहीं लगा। वह चिंता करने लगी, बेचारे ने सुबह से कुछ नहीं खाया था। भूखा-प्यासा जाने कहाँ भटक रहा होगा।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
नौकर के संबंध में नंदन और मालती के विचारों में क्या अंतर था ?
उत्तर :
मालती की नजर में बिन्दू उन अन्य नौकरों की तरह है, जो घरों में छोटी-मोटी चोरियां करते-करते बड़ी-बड़ी चोरियां करने लगते हैं। उसकी नजर में बिन्दू एक चोर नौकर है और वह झूठ बोलता है। उसके साथ नरमी से पेश न आकर कड़ाई से पेश आना चाहिए। नंदन की नजर में बिन्दू चोर नहीं है। वे अपने आप तथा मालती को ही चोर मानते हैं, जिनके कारण बिन्दू में चोरी की भावना का जन्म हुआ। उनके विचार से सबको सब चीजें मिलनी चाहिए। हमने उसे नहीं दिया इसलिए बिन्दू को यह चोरी करनी पड़ी।
प्रश्न 2.
चोरी का पता लग जाने पर नंदन ने बिन्दू के साथ कैसा व्यवहार किया ? क्यों ?
उत्तर :
नंदन के आत्मीय व्यवहार से बिन्दू ने स्वीकार कर लिया कि कमरे में नीचे गिरा थोड़ा-सा मेवा वह उठा लाया था। नंदन को यह सुनकर जरा भी गुस्सा नहीं आया, बल्कि वह बिन्दू को लेकर कमरे में गया और कनस्तर से एक मुट्ठी मेवा निकालकर उसने विन्दू को खाने के लिए दिया। नंदन इस विचारधारा के हैं कि सब चीजें सबको मिलनी चाहिए।
प्रश्न 3.
बिन्दू के प्रति सहानुभूति जगने पर मालती ने क्या किया ?
उत्तर :
दोपहर बीती और शाम होने को आई, पर बिन्दू अब तक नहीं लौटा। यह सोचकर मालती को चिंता होने लगी। बेचारा भूखा-प्यासा जाने कहाँ भटक रहा होगा।’ उसके मन में बिन्दू के प्रति सहानुभूति जग गई। उसने कमरे से बाहर आकर देखा, बगीचे में चक्कर लगाया कि कहीं पेड़ के नीचे पड़ा सो न रहा हो। फिर वह अपने आप को कोसने लगी कि उसने -छोटी-सी बात को इतना तूल क्यों दिया। तभी उसे कुंदन से पता चला कि बिन्दू नदीवाली कोठरी में पड़ा है। सुनते ही वह तुरंत जाकर वहाँ से बिन्दू को उठाकर ले आई। वह उसे चौके में ले गई और स्वयं परोसकर उसे भरपेट खाना खिलाया।
5. उचित जोड़ मिलाइए :
1. बिन्दू
नंदन ‘बिन्दू ! ओ बिन्दू ! ठहर, कहाँ जाता है ?’
मालती
2. नंदन
मालती ‘सच बाबूजी, मेरे हाथ में झाडू थी और कूड़ा था ।’
बिन्दू
3. मालती
बिन्दू असली बात जानने का यह तरीका नहीं है ।’
नंदन
4. नंदन
बिन्दू ‘अरे, बोलता क्यों नहीं ? मुँह में जबान नहीं है ?’
मालती
5. मालती
कुन्दन ‘अरे, वह तो नदीवाली कोठरी में पड़ा है ।’
नंदन
6. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- बेइमान × …………
- मालिक × …………
- असली × …………
- झूठ × …………
उत्तर :
- बेईमान × ईमानदार
- मालिक × नौकर
- असली × नकली
- झूठ × सच
7. निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाइए :
प्रश्न 1.
- बच्चा – ……….
- मुस्कुराना – ……….
- लड़का – ……….
- प्रसन्न – ……….
- बूढ़ा – ……….
- पागल – ……….
- चोर – ……….
उत्तर :
- बच्चा – बचपन
- मुस्कुराना – मुस्कुराहट
- लड़का – लड़कपन
- प्रसन्न – प्रसन्नता
- बूढ़ा – बुढ़ापा
- पागल – पागलपन
- चोर – चोरी
8. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
‘लातों के देव बातों से नहीं मानते हैं ।’
उत्तर :
समाज में दो तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग प्रेम – से कहने पर कोई काम करते हैं, तो कुछ लोग लाख समझाने पर भी वह काम नहीं करते। लेकिन मारने या डॉटने पर वे उस काम को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसे लोग प्रेम की भाषा नहीं समझते। उनके साथ नरमी का व्यवहार न कर कड़ाई से काम लेना पड़ता है। उनके साथ उसी भाषा में व्यवहार करना चाहिए जिस भाषा को वे समझते हैं।
प्रश्न 2.
हम क्यों ऐसी चीजें खायें जो सबको नहीं मिलती, इसीसे तो चोरी की भावना को जन्म मिलता है ।
उत्तर :
मनुष्य का स्वभाव है कि वह किसी व्यक्ति को किसी वस्तु का इस्तेमाल करते हुए देखता है, तो उसे पाने की उसकी भी इच्छा हो जाती है। यदि वह वस्तु उसे उपलब्ध नहीं होती, तो वह चोरी से उसे प्राप्त करने में भी नहीं हिचकता। इसलिए जब तक सब चीजें सबको नहीं मिलती, चोरी बंद नहीं हो सकती। चोरी की भावना पनपने न देने का एक उपाय यह है कि लोगों को ऐसी चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए, जो सबको उपलब्ध नहीं हो पाती।
Hindi Digest Std 10 GSEB चोरी Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
कुंदन ने काका के घर से क्या चुराया था?
उत्तर :
कुंदन ने काका के घर से गेहूं चुराया था।
प्रश्न 2.
चोरी के बारे में नंदन का क्या विचार था? अथवा चोरी के विषय में नंदन ने मालती से क्या कहा?
उत्तर :
चोरी के विषय में नंदन ने मालती से कहा कि जब तक सब चीजें सबको नहीं मिलतीं, तब तक चोरी बंद नहीं हो सकती। चोरी अच्छी नहीं है पर आज की स्थिति लाचारी की हो गई है।
प्रश्न 3.
मालती के संदेह की पुष्टि कब हो गई?
उत्तर :
मालती के संदेह की पुष्टि तब हो गई जब उसके पुकारने पर बिन्दू ठहरने के बदले दौड़ने लगा।
प्रश्न 4.
मालती ने बिन्दू को पुलिस में देने के लिए क्यों कहा?
उत्तर :
मालती ने बिन्दू को पुलिस में देने के लिए कहा, क्योंकि बार-बार पूछने पर भी वह सच नहीं बता रहा था।
प्रश्न 5.
नीयत के बारे में मालती ने क्या कहा?
उत्तर :
नीयत के बारे में मालती ने कहा कि एक बार नौकर की नीयत बिगड़ी, तो फिर हाथ रुकता नहीं है।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 1.
मालती ने देखा कि बिन्दू के एक हाथ में झाडू है; पर …
(अ) दूसरे हाथ में सूपड़ी नहीं है।
(ब) दूसरे हाथ में पोछा है।
(क) दूसरे हाथ की मुही बंधी है।
उत्तर :
मालती ने देखा कि बिन्दू के एक हाथ में झाडू है; पर दूसरे हाथ की मुट्ठी बंधी है।
प्रश्न 2.
मालती ने देखा कि उसकी पुकार पर बिन्दू की चाल में …
(अ) कुछ तेजी आ गई है।
(ब) रुकावट आ गई है।
(क) फरक आ गया है।
उत्तर :
मालती ने देखा कि उसकी पुकार पर बिन्दू की चाल में कुछ तेजी आ गई है।
प्रश्न 3.
मालती ने चिढ़कर कहा …
(अ) ‘इसे घर से निकाल दो।’
(ब) ‘इसे नौकरी से निकाल दो।’
(क) ‘इसे पुलिस में दे दो।’
उत्तर :
मालती ने चिढ़कर कहा कि इसे पुलिस में दे दो।’
प्रश्न 4.
नंदन ने मालती के शान्त कर कहा …
(अ) ‘तुम शांति रखो।’
(ब) ‘असली बात जानने का यह तरीका नहीं है।’
(क) ‘मैं तुमसे कुछ कहूंगा नहीं।’
उत्तर :
नंदन ने मालती को शान्त कर कहा ‘असली बात जानने का यह तरीका नहीं है।’
प्रश्न 5.
हम क्यों ऐसी चीजें खाएँ ….
(अ) जो सबको मिलती है?
(ब) जो सबको नहीं मिलती?
(क) जो हमें नहीं मिलती?
उत्तर :
हम क्यों ऐसी चीजें खाएं जो सबको नहीं मिलती?
प्रश्न 6.
चोरी अच्छी नहीं है, पर …
(अ) आज की स्थिति बड़ी तपस्या की हो गई है।
(ब) आज की स्थिति बड़ी तेज हो गई है।
(क) आज की स्थिति बड़ी लाचारी की हो गई है।
उत्तर :
चोरी अच्छी नहीं है, पर आज की स्थिति बड़ी लाचारी की हो गई है।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- चोरी करना अच्छा नहीं है, परंतु आज की स्थिति बड़ी ……….. हो गई है। (विवश, लाचार)
- कुंदन ने काका के घर से ……….. चुराया था। (धन, अनाज)
- नंदन के अनुसार …………. का अंत नहीं था। (विवाद, बहस)
- मालती ………… को कोसने लगी। (खद, सखी)
- एक बार नीयत बिगड़ी तो फिर …………. नहीं रुकता। (दिमाग, हाथ)
- मालती ने बिन्दु को ………. में खाना खिलाया। (बरामदे, चौके)
- बिन्दू को अपने कमरे में ले जाकर नंदन ने …………. मेवा दिया। (मुट्ठीभर, ढेर सारा)
- मालती ने बिन्दू के साथ ……………. व्यवहार किया। (कटु, स्नेहपूर्ण)
- व्यक्ति को वस्तु उपलब्ध नहीं होती तो वह ………. से प्राप्त करने में नहीं हिचकता। (झड़प, चोरी) :
- बिन्दू की आँखें ………… आई। (भर, डबडबा)
उत्तर :
- लाचार
- अनाज
- बहस
- खुद
- हाथ
- चौके
- मुट्ठीभर
- स्नेहपूर्ण
- चोरी
- डबडबा
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कूड़ा फेंकने की जगह पर नंदन और मालती को क्या दिखा?
A. थोड़ा-सा काजू और किशमिशें
B. थोड़ा-सा काजू और बादाम
C. थोड़ा-सा काजू और खारिक
D. थोड़ा-सा काजू
उत्तर :
A. थोड़ा-सा काजू और किशमिशें
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- झाडू – ………
- खाली – ………
- होंठ – ………
- आशय – ………
- दुलारा – ………
- थोड़ा – ………
- पुत्र – ………
- कूड़ा – ………
- ठहरना – ………
- कलम – ………
- जबरदस्ती – ………
- रोष – ………
- दुनिया – ………
- अनायास – ………
उत्तर :
- झाडू – बुहारी
- खाली – रिक्त
- होठ – अधर
- आशय – इच्छा
- दुलारा – लाइला
- थोड़ा – जरा
- पुत्र – तनय
- कूड़ा – कचरा
- ठहरना – रुकना
- कलम – लेखनी
- जबरदस्ती – जुल्म
- रोष – क्रोध
- दुनिया – संसार
- अनायास – अचानक
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अनायास × ………..
- संदेह × ………..
- देव × ………..
- पाप × ………..
- नीयत × ………..
- लाचार × ………..
- लाइला × ………..
- चोरी × ………..
- सीधा × ………..
- ध्यान × ………..
- सूनी × ………..
- चाहा × ………..
- रुकना × ………..
- बंद × ………..
- बनाना × ………..
- खुशामद × ………..
उत्तर :
- अनायास × सायास
- संदेह × निस्संदेह
- देव × दानव
- पाप × पुण्य
- नीयत × बदनीयत
- लाचार × समर्थं
- लाइला × अप्रिय
- चोरी × साहकारी
- सीधा × टेदा
- ध्यान × बेध्यान
- सूनी × अनसुनी
- चाहा × अनचाहा
- रूकना × चलना
- बंद × खुला।
- बनाना × बिगाड़ना
- खुशामद × निंदा
निम्नलिखित संधि को छोड़िए :
प्रश्न 1.
- अनायास – ………..
- अत्याचार – ………..
- महाशय – ………..
- उल्लास – ………..
- चरमोत्कर्स – ………..
- यथोचित – ………..
- महोत्सव – ………..
- सुरेश – ………..
उत्तर :
- अनायास = अन् + आयास
- अत्याचार = अति + आचार
- महाशय = महा + आशय
- उल्लास = उत् + लास
- चरमोत्कर्ष = चरम + उत्कर्ष
- यथोचित = यथा + उचित
- महोत्सव = महा + उत्सव
- सुरेश = सुर + ईश
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- बिना किसी प्रकार का प्रयास किए
- बंधी हुई हथेली
- बलपूर्वक कराया गया काम
- दिन का वह समय जब सूर्य सिर पर आ जाता है
- उसी समय
- मकान की दीवार से लगाकर बनाया गया सायबान
- जितना जरूरी उतना
- जिसमें ईमान नहीं है वह
- सुखाया हुआ फल
उत्तर :
- अनायास
- मुट्ठी
- जबरदस्ती
- दोपहर
- तत्काल
- बरामदा
- काफी
- बेईमान
- मेवा
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
- उबल पड़ना – गुस्सा होना वाक्य : बहू के नखरों से सास उबल पड़ी।
- गला फाड़ना – जोर से चिल्लाना वाक्य : माँ गला फाड़-फाड़कर बुलाती रही पर बच्चों ने शरारत कम न की।
- चेहरा फक होना – चेहरा कांतिहीन होना वाक्य : चोरी पकड़ी जाने पर बिन्दु का चेहरा फक हो गया।
- आग-बबूला हो जाना – बहुत गुस्सा आना वाक्य : इम्तहान में लगातार दो वर्ष से असफल हो रहे बेटे को देखकर पिता आग-बबूला हो गए।
- हाथ न रुकना – आदत न छूटना वाक्य : एक बार चोरी की आदत हो गई, फिर हाथ नहीं रुकता।
- आँख बचना – किसी की नजर न पड़ना वाक्य : कोने में छिपी छोटी मुन्नी पर किसी की आँख न पड़ी, सबकी आँख बच गई।
- बात आगे बढ़ाना – अधिक बहस करना वाक्य : मालती छोटी-सी बात को भी आगे बढ़ा देती है।
- मन आ जाना – इच्छा हो जाना वाक्य : सूरज को पाव-भाजी खाने का मन हो आया।
- बात को तूल देना – छोटी बात को बड़ा बना देना वाक्य : मीरां प्रत्येक बात को तूल दे देती है।
- मुंह में जबान न होना – चुप रहना वाक्य : बहू की खामोशी देखकर सास ने ताना दिया कि मुंह में जबान नहीं है?
- होंठ खुलना – कुछ कहना वाक्य : माया के होंठ खुले ही थे कि पूजा ने उसे रोक दिया।
निम्नलिखित कहावत का अर्थ स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
लातों के देव बातों से नहीं मानते
उत्तर :
बुरे लोगों के साथ बुरा व्यवहार करने से सही नतीजा निकलता है।
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- साफ – ………
- बंधना – ………
- चलना – ………
- ठहरना – ………
- चिल्लाना – ………
- रूकना – ………
- घबराना – ………
- असली – ………
- हैरान – ………
- चुप – ………
- जरूर – ………
- मालिक – ………
- लाचार – ………
उत्तर :
- साफ – सफाई
- बंधना – बंधन
- चलना – चलन
- ठहरना – ठहराव
- चिल्लाना – चिल्लाहट
- रूकना – रुकावट
- घबराना – घबराहट
- असली – असलियत
- हैरान – हैरानी
- चुप – चुप्पी
- जरूर – जरूरत
- मालिक – मालिकी
- लाचार – लाचारी
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- चोरी – ………
- देखना – ………
- सुनना – ………
- पाप – ………
- झूठ – ………
- लेख – ………
- विचार – ………
- चाह – ………
- खुशामद – ………
- नौकरी – ………
उत्तर :
- चोरी – चोर
- देखना – दर्शक
- सुनना – श्रोता
- पाप – पापी
- झूठ – झूठा
- लेख – लेखक
- विचार – विचारक
- चाह – चाहक
- खुशामद – खुशामदखोर
- नौकरी – नौकर
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- दोपहर
- सर्वश्रेष्ठ
- दोषपूर्ण
- प्रसन्नताभरी
उत्तर :
- द्विगु
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
चोरी Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
घरेलू नौकरों के प्रति लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। अकसर लोग घरेलू नौकरों को उन्हीं भ्रांतियों की कसौटी पर कसना चाहते हैं। पर सभी नौकर एक जैसे नहीं होते। यदि हम घरेलू नौकरों को अपने घर का अंग मानकर उनके साथ आत्मीय व्यवहार करें और हम जो खाते हैं, वह नौकरों को भी खाने को दें, तो नौकरों को लेकर उठनेवाली समस्याएं ही उत्पन्न न हों और घर में सुखशांति का माहौल हो। इस कहानी के द्वारा यही संदेश दिया गया है।
चोरी पाठ का सार :
मालती का संदेह : बिन्दू- मालती और नंदन का घरेलू नौकर है। एक दिन घर के एक कमरे में झाडू लगाकर कूड़ा झाडू पर रखकर दूसरे हाथ की मुट्ठी बांधे हुए वह बाहर आता है। बिन्दु की वैधी मही देखकर मालती को संदेह होता है। उसे लगता है कि वह शायद घर की कोई कीमती चीज मुट्ठी में दबाए लिये जा रहा है।
शक और गहरा : मालती बिन्दू को रुकने के लिए कहती है। लेकिन बिन्दू उसकी आवाज अनसुनी करके और तेजी से बढ़ने लगता है। जब वह चिल्लाती है, तो वह भागने लगता है।
नंदन से गुहार : मालती तेजी से नंदन के कमरे में पहुंचती है और बिन्दू की इस हरकत के बारे में उसे बताती है। जब तक नंदन . मालती के साथ कमरे से बाहर आता है, तब तक बिन्दु कूड़ा फेंक कर लौट रहा था। मालती बिन्दू को फटकारती है। पर वह कुछ नहीं बोलता। मालती उसे पुलिस में दे देने की बात कहती है, फिर भी बिन्दू कुछ नहीं बोलता।
नंदन की समझदारी की बातें : नंदन को मालती का यह तरीका अच्छा नहीं लगता। नंदन बिन्दू से प्यार से घुमा-फिराकर घटना की असलियत जानने का प्रयास करता है। बिन्दू खुलता है। वह बताता है कि अपनी मुट्ठी में उसने कमरे में गिरा हुआ कुछ मेवा ले रखा था, जिसे उसने कूड़े के साथ फेंक दिया है। नंदन और मालती कूड़े के पास जाते हैं। उन्हें वहाँ सचमुच थोड़े से काजू और थोड़ी किशमिशें पड़ी हुई दिखाई देती हैं। इस घटना से बिन्दू को ऐसा लगा था, मानों उसने कोई पाप कर दिया हो।
नंदन की सहदयता : नंदन बिन्दू के कंधे पर हाथ रखकर उसे कमरे में ले जाता है। वह कनस्तर से एक मुद्री मेवा निकालकर बिन्दू को खाने के लिए देता है। वह मालती को समझाता है कि हम लोग रोज मेवा खाते हैं, एक दिन इस बेचारे (बिन्दू) का मन चल गया, तो क्या हो गया। चोरी तब तक नहीं रुकेगी, जब तक सबको सब चीजें नहीं मिलेंगी। लेकिन मालती को बिन्दू के साथ नंदन का इस प्रकार का नरमी का व्यवहार पसंद नहीं आता।
बिन्दू घर में नहीं : नंदन और मालती अपने-अपने काम में लग जाते हैं। कुछ समय के बाद नंदन को पता चलता है कि बिन्दू घर में नहीं है। मालती उसे बताती है कि वह तभी चला गया था, जब यह घटना हुई थी।
मालती की बेचैनी : दोपहर बीती, शाम होने को आई, पर बिन्दू लौटकर नहीं आया। सोच-सोचकर मालती बेचैन है। चौके में बिन्दू का खाना पड़ा है। मालती को बिन्दू पर दया आती है- “बेचारे ने झूठ बोला, तो क्या हुआ! आखिर बालक है। बेचारा भूखा-प्यासा कहीं भटक रहा होगा।” वह उसे आसपास ढूंढती है। अपने आपको कोसती है- “मैंने जरा-सी बात को इतना तूल क्यों दिया। थोड़ा-सा मेवा ही तो ले गया था …”
माँ जैसा व्यवहार : मालती सहन में सोचते-सोचते टहल रही है, तभी कुंदन से उसे पता चलता है कि बिन्दू नदीवाली कोठरी में पड़ा है। वह तुरंत वहाँ पहुंचती है और बिन्दू को अपने साथ लेकर नंदन के कमरे में ले जाती है। वे पूछते रह जाते हैं कि वह वहाँ क्या कर रहा था, पर बिन्दू के मुंह से शब्द नहीं फूटते। उसकी आँखों में आंसू आ जाते हैं। मालती उसे खाना परोसकर खिलाने लगती है। वह कहती है, “भरपेट खा लेना। भूखा मत रहना।”
अब मालती की बात सुनकर नंदन के होंठों पर प्रसन्नताभरी मुस्कराहट दौड़ जाती है।
चोरी शब्दार्थ :
- अनायास – अचानक, बिना प्रयत्न के।
- आड – ओट।
- पुकार – चिल्लाहट।
- पुष्टि – समर्थन।
- सपाटा – चलने का वेग, तीव्र गति।
- रीता – खाली।
- उबलना – गुस्सा होना।
- फक होना – रंग बिगड़ जाना।
- रोषपूर्ण – क्रोधपूर्ण।
- चिढ़ना – नाराज होना।
- खोया-सा – चिंतित।
- खीझना – झुंझलाना।
- अनंतर – बाद, उपरांत।
- हॉठ खुलना – कुछ बोलना।
- नीयत – ईमान।
- कनस्तर – टीन का डिब्बा।
- खुशामद – चापलूसी, झूठी प्रशंसा।
- निकालना – (यहाँ) नौकरी से निकालना।
- कोसना – शाप के रूप में गालियां देना, बुरा-भला कहना।
- गजब – विलक्षण बात।
- सहन – घर के बीच का खुला भाग, आंगन।
- उत्सुकता – प्रबल इच्छा।