Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 10 बाजार प्रक्रिया संचालन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 10 बाजार प्रक्रिया संचालन
GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management बाजार प्रक्रिया संचालन Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए :
प्रश्न 1.
बाजारीय संचालन में बाजार मिश्र अर्थात् क्या ?
(A) उत्पाद, उत्पादन, वितरण और मूल्य
(B) उत्पाद, वाहन व्यवहार, बाजार और ग्राहक
(C) उत्पाद, स्पर्धक, सरकार और अन्य
(D) उत्पाद, मूल्य, अभिवृद्धि और वितरण
उत्तर :
(D) उत्पाद, मूल्य, अभिवृद्धि और वितरण
प्रश्न 2.
बाजारीय विभावना/धारणा में केन्द्र स्थान में कौन होता है ?
(A) उत्पाद
(B) उत्पादन
(C) ग्राहक
(D) लाभ
उत्तर :
(C) ग्राहक
प्रश्न 3.
ब्रान्डिंग का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
(A) उत्पाद अधिक टिकाऊ बनाना
(B) उत्पाद कानून के अनुसार बनाना
(C) उत्पाद का विज्ञापन करना
(D) स्पर्धकों के उत्पाद से अपना उत्पाद अलग बनाना ।
उत्तर :
(D) स्पर्धकों के उत्पाद से अपना उत्पाद अलग बनाना ।
प्रश्न 4.
जब उत्पादक ग्राहक को प्रत्यक्ष विक्रय करता हो तब कितने स्तरवाली वितरण व्यवस्था उत्पन्न हुई है ऐसा कहा जाता है ? ।
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) शून्य
उत्तर :
(D) शून्य
प्रश्न 5.
अभिवृद्धि द्वारा क्या किया जाता है ?
(A) मूल्य बढ़ाया जाता है ।
(B) विक्रय बढ़ाया जाता है ।
(C) उत्पादन बढ़ाया जाता है ।
(D) रूपरंग में परिवर्तन किया जाता है ।
उत्तर :
(B) विक्रय बढ़ाया जाता है ।
प्रश्न 6.
व्यक्तिगत विक्रय में विक्रयकर्ता कौन-सा कार्य करता है ?
(A) सम्भावित ग्राहक को उत्पाद का निदर्शन करते है ।
(B) उत्पाद का पैकिंग करते है ।
(C) उत्पाद का स्वयं उपयोग करते है ।
(D) नये विक्रेता की नियुक्ति करते हैं ।
उत्तर :
(A) सम्भावित ग्राहक को उत्पाद का निदर्शन करते है ।
प्रश्न 7.
विक्रय वृद्धि की प्रयुक्तियों के कारण कौन-सी परिस्थिति का निर्माण होता है ?
(A) ग्राहक उत्पाद को क्रय करने के लिए तुरन्त प्रेरित होते हैं ।
(B) ग्राहक उत्पाद को समझने का प्रयत्न नहीं करते ।
(C) मध्यस्थी ग्राहकों को माल देना बन्द कर देते हैं ।
(D) फुटकर व्यापारी मध्यस्थियों के पास से माल लेना बन्द कर देते हैं ।
उत्तर :
(A) ग्राहक उत्पाद को क्रय करने के लिए तुरन्त प्रेरित होते हैं ।
प्रश्न 8.
इनमें से कौन-सा कार्य बाजारीय संचालक का है ?
(A) माल उपभोग योग्य बनाना
(B) माल का संग्रह करना
(C) बाजार विभाजन
(D) विक्रय
उत्तर :
(A) माल उपभोग योग्य बनाना
प्रश्न 9.
विज्ञापन पर अधिक से अधिक खर्च करने से क्या होता है ?
(A) उत्पाद के मूल्य में वृद्धि होती है ।
(B) उत्पाद अधिक आकर्षित बनता है ।
(C) उत्पाद अधिक गुणवत्तावाला बनता है ।
(D) उत्पाद समस्त स्थानों पर प्राप्त हो सकते है ।
उत्तर :
(A) उत्पाद के मूल्य में वृद्धि होती है ।
प्रश्न 10.
सार्वजनिक सम्पर्क में धन्धाकीय इकाई की उत्पाद के बारे में समस्त सहभागियों के समक्ष सकारात्मक भाव/व्यवहार उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता है ।
(A) यह कथन सत्य है ।
(B) यह कथन केवल मध्यस्थियों और फुटकर व्यापारियों के लिये ही सत्य है ।
(C) यह कथन केवल संभावित ग्राहकों के लिए सत्य है ।
(D) यह कथन गलत है ।
उत्तर :
(A) यह कथन सत्य है ।
प्रश्न 11.
‘मार्केटिंग अर्थात् कि ऐसी धन्धाकीय प्रवृत्ति कि जिसमें माल या सेवा का प्रकार उत्पादक की ओर से ग्राहक की ओर मोड़ा जाता है ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?
(A) श्री फिलिप कोटलर
(B) श्री स्टेन्ट
(C) अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन
(D) श्री जॉर्ज आर. टेरी
उत्तर :
(C) अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन
प्रश्न 12.
बाजार संशोधन का कार्य बाजार प्रक्रिया के कार्यों में कौन-से क्रम का कार्य है ?
(A) अन्तिम
(B) प्रथम
(C) द्वितीय
(D) तृतीय
उत्तर :
(B) प्रथम
प्रश्न 13.
बाजार प्रक्रिया के कार्यों में से अन्तिम कार्य कौन-सा है ?
(A) बाजारीय संशोधन
(B) माल का एकत्रीकरण
(C) विक्रय
(D) विक्रय पश्चात की सेवाएँ
उत्तर :
(D) विक्रय पश्चात की सेवाएँ
प्रश्न 14.
भारत में कृषि उत्पाद का वर्गीकरण कौन करता है ?
(A) राज्य सरकार का बाजार खाता
(B) केन्द्र सरकार का बाजार खाता
(C) ग्राम पंचायत
(D) जिला पंचायत
उत्तर :
(B) केन्द्र सरकार का बाजार खाता
प्रश्न 15.
औद्योगिक उत्पादनों का वर्गीकरण कौन करती है ?
(A) BIS
(B) ISI
(C) ISO
(D) ISRO
उत्तर :
(A) BIS
प्रश्न 16.
विक्रय यह बाजारीय संचालन में कौन-सी प्रक्रिया है ?
(A) क्रय
(B) विक्रय
(C) विनिमय
(D) विज्ञापन
उत्तर :
(C) विनिमय
प्रश्न 17.
वित्त के बदले में सेवा या उत्पाद का विनिमय अर्थात् ….
(A) क्रय
(B) विज्ञापन
(C) विक्रय
(D) ग्राहक
उत्तर :
(C) विक्रय
प्रश्न 18.
विक्रय विभावना को कौन-से लक्षी ख्याल के रूप में पहचाना जाता है ?
(A) क्रय
(B) विक्रय
(C) उत्पाद
(D) सरकार
उत्तर :
(B) विक्रय
प्रश्न 19.
बाजारीय विभावना (Marketing Concept) के ख्याल को किस नाम से भी पहचाना जाता है ?
(A) मार्केटिंग का ख्याल अथवा उपभोगलक्षी ख्याल
(B) क्रय का ख्याल अथवा विक्रयलक्षी का ख्याल
(C) क्रयलक्षी एवं विक्रयलक्षी ख्याल ।
(D) उपरोक्त सभी ख्याल
उत्तर :
(A) मार्केटिंग का ख्याल अथवा उपभोगलक्षी ख्याल
प्रश्न 20.
समाजलक्षी विभावना अर्थात् कौन-सी विभावना ?
(A) उत्पादन विभावना
(B) सामाजिक विभावना
(C) बाजारीय विभावना
(D) विक्रय विभावना
उत्तर :
(B) सामाजिक विभावना
प्रश्न 21.
Marketing Mix मार्केटिंग मिश्र में कितने ‘P’ का समावेश होता है ?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर :
(C) 4
प्रश्न 22.
उत्पाद, मूल्य, वितरण और ……………………… का समावेश मार्केटिंग मिश्र में होता है ?
(A) अभिवृद्धि
(B) विनिमय
(C) सेवा
(D) ग्राहक
उत्तर :
(A) अभिवृद्धि
प्रश्न 23.
लेबलिंग किसको पहचानने में मदद करते हैं ?
(A) मूल्य
(B) ग्राहक
(C) समाज
(D) उत्पाद
उत्तर :
(D) उत्पाद
प्रश्न 24.
वितरण के माध्यम अथवा प्रकार कितने है ?
(A) 3
(B) 4
(C) 2
(D) 5
उत्तर :
(C) 2
प्रश्न 25.
जो ग्राहकों की आवश्यकता को सन्तुष्ट कर सकें उन्हें क्या कहते हैं ?
(A) उत्पाद
(B) मूल्य
(C) वितरण
(D) अभिवृद्धि
उत्तर :
(A) उत्पाद
प्रश्न 26.
उत्पादक -> फुटकर व्यापारी -> ग्राहक यह वितरण का माध्यम कितने स्तरवाला कहलाया ?
(A) दो स्तर वाला
(B) एक स्तर वाला
(C) तीन स्तर वाला
(D) शून्य स्तर वाला
उत्तर :
(B) एक स्तर वाला
प्रश्न 27.
जब किसी ब्रान्ड को कानूनी मान्यता मिलने से जो रक्षण मिलता है, उसे क्या कहा जाता है ?
(A) Eco Mark
(B) Trade Mark
(C) ISO Mark
(D) BIS Mark
उत्तर :
(B) Trade Mark
प्रश्न 28.
विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय, विक्रयवृद्धि एवं प्रसिद्धि का समावेश इनमें से किसमें होता है ?
(A) उत्पाद
(B) मूल्य
(C) वितरण
(D) अभिवृद्धि
उत्तर :
(D) अभिवृद्धि
प्रश्न 29.
जब किन्हीं वितरण व्यवस्था में कोई भी स्तर न हो तो कौन-सा स्तर वितरण व्यवस्था कहलाती है ?
(A) शून्य स्तर
(B) एक स्तर
(C) दो स्तर
(D) तीन स्तर
उत्तर :
(A) शून्य स्तर
प्रश्न 30.
तीन स्तर वाले वितरण व्यवस्था में कितने मध्यस्थी होते है ?
(A) दो
(B) शून्य
(C) तीन
(D) असंख्य
उत्तर :
(C) तीन
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बाजार प्रक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
बाजार प्रक्रिया अर्थात् ऐसी धन्धाकीय प्रवृत्ति कि जिसमें माल या सेवा का प्रवाह उत्पादक की ओर से ग्राहकों की ओर ले जाया जाता है ।
प्रश्न 2.
बाजार संशोधन का अर्थ दीजिए ।
उत्तर :
बाजार संशोधन अर्थात् ऐसी प्रक्रिया जिसमें ग्राहकों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है । उनका चयन अभिरुचि आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है ।
प्रश्न 3.
व्यक्तिगत विक्रय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विक्रयकर्ता द्वारा संभावित ग्राहकों को उत्पाद का निदर्शन करके सम्भवित ग्राहकों को वास्तविक ग्राहक के रूप लाना और ग्राहकों की शंका दूर करना । अर्थात् व्यक्तिगत विक्रय ।
प्रश्न 4.
विक्रय वृद्धि किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विक्रय वृद्धि अर्थात् ऐसे अल्पकालीन लाभ कि जो ग्राहकों को माल या सेवा को क्रय करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ।
प्रश्न 5.
अभिवृद्धि मिश्र किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
अभिवृद्धि मिश्र यह ऐसे अभिवृद्धि के साधनों का समूह हैं जिसका उपयोग इकाई द्वारा ग्राहक को उत्पाद या सेवा की जानकारी प्रदान करना है और अभिवृद्धि में ग्राहकों को माल या सेवा खरीदने के लिए आग्रह करना है ।
प्रश्न 6.
ब्रान्डिंग किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ब्रान्डिंग अर्थात् उत्पादक अपने उत्पाद के उपर कोई भी नाम, संज्ञा, चित्र या नम्बर देते है जिससे स्पर्धकों के उत्पाद से अलग पड़े तथा निश्चित निशानीवाला ग्राहक आसानी से पहचान सके, इस तरह प्रत्येक उत्पाद को जो नाम दिया जाता है, जिसे ब्रान्ड या ब्रान्डिंग कहते हैं ।
व्याख्या : ‘जब उत्पादक अन्य उत्पादकों के माल से अपने माल को अलग रखना, उत्पाद को सरलता से पहचान सके और माल की अन्य व्यक्ति नकल न कर सके इसके लिए जो नाम, संज्ञा, चित्र, नम्बर या इनमें से समस्त दिया जाये जिसे ब्रान्डिंग कहते है ।’
प्रश्न 7.
प्रचार का अर्थ बताइये ।
उत्तर :
प्रसिद्धि यह ऐसा बिन व्यक्तिगत सूचना संचार है जो भुगतान किये बिना समूह माध्यमों द्वारा किया जाता है । जिसमें धन्धाकीय या इकाई के उत्पाद के बारे में बताया जाता है । जब कोई ग्राहक कोई उत्पाद या संस्था के बारे में अनुभव आम जनता को समूह माध्यमों द्वारा बताते है तब प्रचार कहा जाता है ।
प्रश्न 8.
मार्केटिंग की परिभाषा श्री कपुर औ आइकोबुकी के मतानुसार दीजिए ।
उत्तर :
श्री कपुर और आइकोबुकी के मतानुसार : ‘मार्केटिंग यह ग्राहकों और पीढ़ीयो के मध्य होने वाला पारस्परिक विनिमय है ।’
प्रश्न 9.
श्री फिलिप कोटलर के मतानुसार मार्केटिंग की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर :
श्री फिलिप कोटलर के मतानुसार, ‘मार्केटिंग यह ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है कि जिसमें व्यक्तिगत समूहो उनकी आवश्यकताओं के अनुसार मूल्यवान उत्पादों का सर्जन करके, प्रस्तुत करके स्वतंत्र रूप से वस्तुओं या सेवाओं का विनिमय करते हैं ।”
प्रश्न 10.
माल का एकत्रीकरण किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
कई बार माल अलग-अलग स्थानों पर उत्पादित होता है तब माल को किसी मध्य स्थान पर इकट्ठा किया जाता है । जिसे माल का एकत्रीकरण कहा जाता है ।
प्रश्न 11.
माल के परिवहन के दौरान और माल के संग्रह के मय कौन-कौन सी जोखिमें उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
वर्तमान समय में माल के परिवहन के दौरान और माल के संग्रह के समय चोरी, आग, लूटपाट दंगे से नुकसान, समुद्र में डूब जाना आदि जोख्रिमे उत्पन्न होती है ।
प्रश्न 12.
बाजारीय प्रक्रिया का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
ग्राहकों को सन्तुष्टि प्रदान करके लाभ कमाना यह बाजारीय प्रक्रिया का उद्देश्य होता है ।
प्रश्न 13.
विक्रय का उद्देश्य क्या होता है ?
उत्तर :
विक्रय का उद्देश्य माल या सेवा के विक्रय द्वारा लाभ कमाना होता है ।
प्रश्न 14.
विक्रय में कितने पक्षकार एवं कौन-कौन से पक्षकारों का समावेश होता है ।
उत्तर :
विक्रय में दो पक्षकार होते हैं, जिसमें क्रेता और विक्रेता का समावेश होता है ।
प्रश्न 15.
मार्केटिंग की विभावनाओं में कितने व कौन-कौन से अभिगम दिखाई देते है ?
उत्तर :
मार्केटिंग की विभावनाओं में पाँच अभिगम दिखाई देते हैं :- जिसमें
- उत्पादन विभावना
- उत्पाद विभावना
- विक्रय विभावना
- बाजारीय विभावना
- सामाजिक विभावना
प्रश्न 16.
पैकेजिंग का कार्य क्या होता है ?
उत्तर :
पैकेजिंग का कार्य वस्तुओं को सजाना होता हैं ।
प्रश्न 17.
पैकेजिंग के रूप में किन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर :
पैकेजिंग के रूप में प्लास्टिक की थैली, कपड़े की थैली, कागज का खोखा, प्लास्टिक का पीप आदि वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ।
प्रश्न 18.
बहुत-सी वस्तुओं के उत्पादों की सफलता का आधार किस पर होता है ?
उत्तर :
बहुत-सी वस्तुओं के उत्पादों की सफलता का आधार उनके पैकिंग पर रहता है । जो कि उत्पाद को रक्षण का कार्य करता है ।
प्रश्न 19.
कीमत (Price) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कीमत अर्थात् ग्राहक द्वारा माल या सेवा हेतु भौतिक, आर्थिक, सामाजिक और मानसिक सन्तुष्टि के लिये चुकाया जाने वाला मूल्य है । कीमत यह उत्पाद या सेवा का आर्थिक मूल्य है, जो सामान्यत: मुद्रा के रूप में दर्शाया जाता है ।
प्रश्न 20.
परोक्ष विक्रय (Indirect Sules) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब उत्पादक. एक या उससे अधिक मध्यस्थियों द्वारा माल या सेवा का वितरण करते है जिसे मध्यस्थियों द्वारा या परोक्ष विक्रय कहते हैं ।
प्रश्न 21.
परोक्ष वितरण व्यवस्था का उपयोग कब किया जाता है ?
उत्तर :
परोक्ष वितरण व्यवस्था का उपयोग जब उत्पाद की कीमत कम हो और उसकी आवश्यकता दैनिक जीवन में अधिक हो तब किया जाता है । जैसे खाना बनाने के लिए गैस सिलिण्डर की वितरण व्यवस्था ।
प्रश्न 22.
एक स्तर वाली वितरण व्यवस्था में कितने मध्यस्थी होते है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
एक स्तर वाली वितरण व्यवस्था में एक ही मध्यस्थी होते है । जो कि प्राय: फुटकर व्यापारी होते है ।
प्रश्न 23.
अभिवृद्धि मिश्र में किन-किन का समावेश होता है ?
उत्तर :
अभिवृद्धि मिश्र में विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय, विक्रय वृद्धि और प्रसिद्धि का समावेश होता है ।
प्रश्न 24.
उत्पाद मिश्र की सेवाओं में किन-किन का समावेश होता है ?
उत्तर :
उत्पाद मिश्र में उत्पाद से सम्बन्धित विविध निर्णयों का समावेश होता है । जैसे गुणधर्म, पैकेजिंग, ब्रान्डिंग, लेबलिंग और विक्रय पश्चात् की सेवाओं का समावेश होता है । इसके अलावा ब्रान्डिंग, पैकेजिंग, ट्रेडमार्क आदि प्रक्रियाओं का समावेश होता है ।
प्रश्न 25.
वितरण व्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर :
तैयार माल ग्राहकों को जब चाहिए, जितना चाहिए और जहाँ पर चाहिए तब वहाँ पहुँचाने की व्यवस्था को वितरण व्यवस्था कहते हैं । यदि यह व्यवस्था सुदृढ होगी तो ही माल शीघ्रता से ग्राहक तक पहुँचा सकते है ।
प्रश्न 26.
बट्टा (Discount) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
मूल्यसूची (Price List) के मूल्य में से अमुक प्रतिशत रकम कम ली जाये तो उसे बट्टा कहते हैं ।
प्रश्न 27.
सार्वजनिक हित के कार्यों में कौन-कौन से कार्य किये जाते है ? ।
उत्तर :
सार्वजनिक हित के कार्य जैसे कि बगीचों की देखभाल, मरम्मत कार्य, फूटपाथ का कार्य, रोग निदान शिबिर, वृक्षारोपण का कार्य, जल आपूर्ति का कार्य आदि कार्य किये जाते है ।
प्रश्न 28.
उत्पाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :
उत्पाद (Product) अर्थात् जो ग्राहकों की आवश्यकता को सन्तुष्ट कर सकें ।
प्रश्न 29.
प्रतक्ष विक्रय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
रिक्ष विक्रय अर्थात् उत्पादक या विक्रय कर्ता स्वयं ही ग्राहकों को माल प्रदान करें ।
प्रश्न 30.
दो स्तर वाली वितरण व्यवस्था अर्थात् क्या ?
उत्तर :
ऐसी वितरण व्यवस्था जिसमें उत्पादक तथा ग्राहक के मध्य दो मध्यस्थी होते है ।
प्रश्न 31.
तीन स्तर वाली वितरण व्यवस्था अर्थात् क्या ?
उत्तर :
ऐसी वितरण व्यवस्था जिसमें उत्पादक और ग्राहक के मध्य तीन मध्यस्थी होते है ।
प्रश्न 32.
उत्पादन विभावना (धारणा) अर्थात क्या ?
उत्तर :
उत्पादन विभावना (धारणा) अर्थात् ग्राहक को सबसे सस्ता उत्पाद उपलब्ध कराना ।
प्रश्न 33.
उत्पाद विभावना (धारणा) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
उत्पाद विभावना (धारणा) अर्थात् ग्राहक गुणवत्ता का आग्रही है, ऐसा मानकर उत्पादक अपना सर्वश्रेष्ठ उत्पाद बहुत ही ऊँची कीमत पर उपलब्ध करना ।
प्रश्न 34.
विक्रय विभावना (धारणा) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
विक्रय विभावना (धारणा) अर्थात् उत्पाद को आकर्षक विक्रय पद्धति का उपयोग करके ग्राहकों को बेच देना और स्टॉक को रोकड़ में परिवर्तन करने के लिए प्रयत्न करना ।
प्रश्न 35.
बाजारीय विभावना (धारणा) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
बाजारीय विभावना (धारणा) अर्थात् ग्राहक की सन्तुष्टी को केन्द्र स्थान में रखकर कौन-सा उत्पाद चाहते है, यह जानकर ही उत्पाद का निर्माण करना । अर्थात् धन्धाकीय इकाई की प्रत्येक पद्धति में ग्राहक को केन्द्र स्थान में रखना ।
प्रश्न 36.
सामाजिक विभावना (धारणा) संज्ञा समझाइए ।
उत्तर :
सामाजिक विभावना (धारणा) अर्थात् मार्केटिंग प्रवृत्ति में कितने अंश तक सामाजिक हितों का रक्षण करते है, उनको ध्यान में रखकर ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा करना जिससे पर्यावरण को सबसे कम नुकसान हो ।
प्रश्न 37.
बाजारीय संचालन की कितने मुख्य घटक है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
बाजारीय संचालन के चार मुख्य घटक है :
- उत्पाद (Product)
- मूल्य (Price)
- वितरण (Place)
- अभिवृद्धि (Promotion)
इस तरह इन्हे 4P के रूप में पहचाना जाता है ।
प्रश्न 38.
विज्ञापन अर्थात क्या ?
उत्तर :
विज्ञापन अर्थात सार्वजनिक जनता को अपना उत्पाद या सेवा की जानकारी देने के लिए अलग-अलग माध्यमों का उपयोग किया जाता है, जिसके लिये भुगतान किया जाता है ।
प्रश्न 39.
सार्वजनिक सम्पर्क संज्ञा समझाइये ।
उत्तर :
सार्वजनिक सम्पर्क अर्थात् धन्धाकीय इकाई के समस्त सहभागियों के साथ सानुकूल सम्बन्ध बनाये रखने और धन्धाकीय इकाई की अच्छी प्रतिष्ठा बनाना ।
प्रश्न 40.
औद्योगिक उत्पादनों का वर्गीकरण कौन-सी संस्था करती है ?
उत्तर :
औद्योगिक उत्पादनो का वर्गीकरण भारतीय प्रमाण संस्था (BIS) करती है ।
प्रश्न 41.
भारत में कृषि-उत्पाद का वर्गीकरण कौन करता है ?
उत्तर :
भारत में कृषि-उत्पाद का वर्गीकरण केन्द्र सरकार का बाजार खाता करता है ।
प्रश्न 42.
BIS का विस्तृत रूप दीजिए ।
उत्तर :
BIS – Bureau of Indian Standards ब्यूरो ऑफ इण्डिया स्टान्डर्ड – भारतीय प्रमाण संस्था
प्रश्न 43.
ग्राहकों को तैयार खुराक मिले, लेकिन वह शरीर के लिए हानिकारक न हो और वह शुद्ध व पौष्टिक हो । इसको नियंत्रण करने के लिए कई राज्यो ने कौन-सा टेक्स भी प्रवेश किया है ?
उत्तर :
इस तरह के नियंत्रण हेतु कई राज्यों ने ‘फेट टेक्स’ प्रवेश किया है ।
प्रश्न 44.
प्रत्यक्ष वितरण व्यवस्था की मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
प्रत्यक्ष वितरण व्यवस्था (Direct Sale) की मर्यादा यह है कि उत्पादक अधिक ग्राहकों तक पहुँच नहीं सकते । इसके अलावा प्रत्यक्ष वितरण व्यवस्था सभी प्रकार के उत्पादों के लिए अनुकूल नहीं होता ।
प्रश्न 45.
सादी भाषा में सेल किसे कहते हैं ? अथवा प्रतिफल प्रदान किया किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
जब कोई उत्पाद वास्तविक विक्रय मूल्य में कम मूल्य पर सीमित समय के लिये दिया जाये तो उन्हे प्रतिफल दिया कहा जाता है. जिसे सादी भाषा में सेल के रूप में पहचाना जाता है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :
प्रश्न 1.
लेबलिंग के उपयोग बताइए ।
उत्तर :
लेबलिंग उत्पाद के अनुरुप विस्तारपूर्वक जानकारी दर्शाने वाला कागज का टुकड़ा है जो प्राथमिक पैकिंग पर लगाया जाता है । जिसमें उत्पाद का वजन या माप, मूल्य, उत्पादन की तारीख्न, उसमें उपयोग में लाये गये तत्त्व, उपयोग की अन्तिम तारीख आदि दर्शायी जाती है । उपयोगकर्ता को लेबल उपयोगी होता है । उत्पाद का उपयोग किस प्रकार करना होता है वह भी लेबल में दर्शाया जाता है । इसमें पैकिंग खोलने सम्बन्धी तथा शिकायत निवारण हेतु मुफ्त फोन सुविधा के लिये नम्बर भी दिये जाते है ।
प्रश्न 2.
माल का संग्रह किस लिए किया जाता है ?
उत्तर :
कई बार उत्पाद की माँग और पूर्ति के मध्य संतुलन बनाये रखना जरूरी होता है । उत्पादन हमेशा भविष्य की माँग के । आधार पर किया जाता है । जिससे माल का संग्रह करना आवश्यक होता है । माल संग्रह के कार्य में माल की गुणवत्ता बनी रहे यह भी जरूरी है । माल संग्रह के कार्य के कारण ही माल का हेरफेर सरल बनता है और माल की उपलब्धता बाजार में बनी रहती है ।
प्रश्न 3.
बाजारीय मिश्र किसे कहते हैं ? इसमें किसका समावेश होता है ?
उत्तर :
उत्पादकों द्वारा अपने उत्पादों को बाजार में सफलता पूर्वक प्रवेश दिलाने हेतु और उनको बाजार में बनाये रखने के लिय जो विविध नीतियों का समूह अपनाते है जिसे बाजारीय मिश्र (Marketing Mix) कहते हैं । यह विभिन्न घटकों का समूह है, जो कि इकाई के नियंत्रण में होता है तथा इनका उपयोग ग्राहक संतोष के लिये किया जाता है । इनमें निम्न चार बातों का समावेश होता है ।
- उत्पाद (Product)
- मूल्य (Price)
- वितरण (Place)
- अभिवृद्धि (Promotion)
प्रश्न 4.
ब्रान्डिंग के दो लक्षण बताइए । अथवा ब्रान्डिंग के लक्षण बताइए ।
उत्तर :
ब्रान्डिंग के लक्षण निम्न होते है :
- ब्रान्डिंग द्वारा विविध ग्राहकों को उत्पाद में गुणवत्ता के सातत्य का अनुभव होता है ।
- निशानी करने में बहुत से रंगो का उपयोग होता है । विशेष डिजाईन और इन रंगो को निश्चित की गई संज्ञा के उपयोग में । लिया जाता है।
- इकाई द्वारा निर्धारित संज्ञा उत्पाद के पैकिंग उपर लिखा जाता है ।
- इकाई की ब्रान्ड सामान्य रूप से उत्पाद के गुणधर्म, लाभ, उपयोग व्यक्तिगत और संस्कृति को प्रस्तुत को प्रस्तुत करते है ।
- निशानी यह उत्पाद की एक अलग पहचान दर्शाता है ।
- कोई भी निशानी उत्पाद की मौखिक और दिखाई देनेवाली एक पहचान होती है ।
- निशानीवाला माल उत्पादक उच्च मूल्य पर बाजार में विक्रय कर सकते है ।
- विक्रयकर्ता निशानी किये हुए माल को शीघ्रता से बेच सकते है, क्योंकि ग्राहकों को निशानीवाले माल पर अधिक विश्वास रखते
प्रश्न 5.
विक्रयकर्ता के दो लक्षण बताइए । अथवा उत्तम विक्रय कर्ता के लक्षण बताइए ।
उत्तर :
विक्रयकर्ता के लक्षण निम्न होते है :
- विक्रयकर्ता दिखने में सुन्दर, सुशील, चालाक एवं तन्दुरस्त होना चाहिए ।
- विक्रयकर्ता बातचीत में कुशल, बुद्धि-चातुर्य से भरपूर और कुशलतावाला होना चाहिए ।
- विक्रयकर्ता में सबसे महत्त्वपूर्ण बात उनकी सम्भवित ग्राहकों के साथ बातचीत करने की कुशलता, नया उत्पाद प्रस्तुत करने की कला और ग्राहकों को समझाने की कुशलता है ।
- विक्रयकर्ता जिन उत्पाद की प्रस्तुति सम्भवित ग्राहकों को करे, इन उत्पाद सम्बन्धी समस्त तकनिकी जानकारी इनके पास होनी चाहिए ।
- विक्रयकर्ता में प्रमाणिकता होनी चाहिए । विक्रयकर्ता प्रमाणिक और उत्तम चरित्रवाला होना चाहिए ।
- यह धन्धाकीय इकाई के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत होता है । इससे वह विनम्र व व्यवहारिक होना चाहिए ।
- आदर्श विक्रेता सतत् उत्साही, अनुशासनबद्ध एवं महत्त्वकांक्षी होना चाहिए ।
6. ग्राहकों को प्रत्यक्ष विक्रय और मध्यस्थियों द्वारा विक्रय के बीच अन्तर बताइए ।
अन्तर के मुद्दे | ग्राहकों को को प्रत्यक्ष विक्रय | मध्यस्थियों द्वारा विक्रय (परोक्ष विक्रय) |
1. अर्थ | ऐसा विक्रय जिसमें उत्पादनकर्ता सीधे ही ग्राहकों को माल प्रदान करें उन्हें प्रत्यक्ष विक्रय कहते हैं । | ऐसा विक्रय जिसमें उत्पादनकर्ता अपना उत्पाद मध्यस्थितियों के माध्यम से उपलब्ध करायें । उन्हे परोक्ष विक्रय कहते हैं । |
2. श्रृंखला | इस वितरण में विक्रय की श्रृंखला छोटी होती है । | इस विक्रय प्रणाली में श्रृंखला लम्बी हो जाती है । |
3. मूल्य | ऐसे विक्रय में ग्राहकों को कम मूल्य पर वस्तुये उपलब्ध होती है । | इस विक्रय प्रणाली में ग्राहकों को वस्तुयें महंगी मिलती है । |
4. मध्यस्थी | इसमें बीच में कोई मध्यस्थी नहीं होते है । | इसमें उत्पादक व ग्राहकों के बीच मध्यस्थी होते है । |
5. समय | इसमें ग्राहकों को कम समय में वस्तुएँ मिल जाती है । | इसमें ग्राहकों को वस्तुएँ मिलने में समय अधिक लगता है । |
4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बाजार प्रक्रिया और विक्रय के बीच अन्तर बताइए ।
अन्तर के मुद्दे | बाजार प्रक्रिया (Marketing) | विक्रय (Sales) |
1. अर्थ | ग्राहक की आवश्यकता को जानकर वस्तु या सेवा का सर्जन करके ग्राहक सन्तुष्टि व लाभ का सर्जन करने की प्रक्रिया को बाजार प्रक्रिया कहते हैं । | वित्त के बदले में सेवा या उत्पाद का विनिमय अर्थात् विक्रय । |
2. कार्यक्षेत्र | इनका कार्यक्षेत्र व्यापक होता है । जिसमें ग्राहकों की आवश्यकता को जानना, नया उत्पाद विकसित करना, कीमत निर्धारण करना और विक्रय के पश्चात् की सेवाओं का समावेश होता है । | विक्रय का कार्य सीमित होता है । जिसमें माल की मालिकी विक्रय कर्ता के पास से ग्राहक को सौंपने की क्रिया का समावेश होता है । |
3. उद्देश्य | ग्राहकों को सन्तुष्टि प्रदान करके लाभ प्राप्त करना है । | माल या सेवा के विक्रय द्वारा लाभ प्राप्त करना है । |
4. पक्षकार | बाजारीय प्रक्रिया में माल पूरा करने वाले विक्रय वितरण में शामिल मध्यस्थी, ग्राहक जैसे अनेक पक्षकारों का समावेश होता है । | विक्रय में क्रेता और विक्रेता इस तरह दो पक्षकारों का समावेश होता है । |
5. प्रारम्भ और अन्त | बाजारीय प्रक्रिया का कार्य, बाजार संशोधन से आरम्भ करके वो उत्पाद के विक्रय पश्चात् की सेवा तक चालू रहता है । | उत्पादन के कार्य के पश्चात् विक्रय का कार्य आरम्भ होता है और माल या सेवा के विक्रय के साथ ही पूर्ण हो जाता है । |
6. पूँजी की आवश्यकता | माल का संग्रह, माल का वर्गीकरण, पैकिंग, माल पर निशानी करना और माल का हेरफेर आदि कार्यों में अधिक प्रमाण में कार्यशील पूँजी की आवश्यकता रहती है । | इनका कार्यक्षेत्र सीमित होने के कारण पूँजी की आवश्यकता कम रहती है । |
7. प्रयासों की दिशा | ग्राहक की आवश्यकता अनुसार उत्पाद निर्माण करके ग्राहक तक पहुँचाने का प्रयास किया जाता है । | ग्राहकों को सम्बन्धित उत्पाद अपनाने हेतु प्रयास किया जाता है । |
प्रश्न 2.
बाजारीय संचालन में विज्ञापन की भूमिका समझाइये ।
उत्तर :
किसी भी इकाई में मांग के अन्दाज के आधार पर और वित्त की प्राप्यता के स्तर पर विज्ञापन की व्यूहरचना बनाई जाती है । विज्ञापन के कार्य का आधार उत्पाद का प्रकार, स्पर्धकों की विज्ञापन की व्यूहरचना और सम्बन्धित माध्यम की असरकारकता पर रहता है । माँग बढ़ाने में उत्पाद के विज्ञापन का विशेष योगदान होता है । इन्ही कारण से विज्ञापन देने के बाद ग्राहकों का उत्पाद सेवा या जिसका विज्ञापन दिया हो तो उनका आकर्षण और माँग दोनो बढ़ जाता है । कई बार स्थानिक विज्ञापन की पद्धति असरकारक सिद्ध होती है ।
प्रश्न 3.
सार्वजनिक सम्पर्क की भूमिका समझाइये ।
उत्तर :
सार्वजनिक सम्पर्क की भूमिका (Functions of Public Relation) निम्नानुसार है :
- वर्तमानपत्रों के साथ में अच्छे सम्बन्ध धन्धाकीय इकाई की उत्तम प्रतिष्ठा हेतु जरूरी है । वर्तमान पत्रों के अच्छे सम्बन्ध संस्थाकीय और संस्था की उत्पादों की जानकारी समाज तक पहुँचाने में उपयोगी हो सकती है ।
- जब धन्धाकीय इकाई नये उत्पाद का उत्पाद करे अथवा बाजार में रखते हैं तब घोषित किया जाये और इसके लिये जन जागृति के हेतु कार्यक्रम रखे जाते हैं । जिसके कारण उत्पाद की जानकारी अधिकृत रूप से प्रस्तुत कर सकते है ।
- संस्था के समाचार, कर्मचारियों की उपलब्धि और संस्था को मिले हुए पुरस्कार आदि मामलों की जानकारी कम्पनी का समाचार पत्र या सामयिक पेश करके संस्था की उत्तम प्रतिष्ठा खडी की जा सकती है ।
- इकाई के प्रमुख (Chairman) का भाषण विविध माध्यमों द्वारा पेश किया जाता है । जिसके द्वारा इकाई की भावी नीतियां के बारे में अन्य सहभागियो को अवगत कराया जा सकता है । जिससे धन्धाकीय इकाई के सामाजिक सम्बन्धों में सुधार आता है ।
- सामाजिक कार्यों में और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहभागी होने से धन्धाकीय इकाई की समाज के प्रति दायित्व के बारे में आम जनता को अवगत कराया जा सकता है तथा संस्था की अच्छी प्रतिष्ठा बनाई जा सकती है ।
- आम जनता हेतु सार्वजनिक हित के कार्य जैसे कि बगीचों की देखभाल, मरम्मत कार्य, फूटपाथ का काम, रोग निदान कम्प, वृक्षारोपण का कार्य, जल-आपूर्ति का कार्य, सम्बन्धित प्रश्नों के निराकरण में सहभागी होकर के एक विशिष्ट प्रतिष्ठा बनाने में सहायक बनता है ।
प्रश्न 4.
बाजार प्रक्रिया में विक्रय विभावना (धारणा) समजाइये ।
उत्तर :
विक्रय विभावना (Selling Concept) इस विभावना को विक्रयलक्षी ख्याल के रूप में पहचाना जाता है । जिसमें विक्रय की प्रक्रिया पर बल दिया जाता है । जिसमें ग्राहकों को आकर्षित करने व उत्पाद खरीदने हेतु प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अनुरोध किया जाता है । इकाइयों द्वारा विक्रय हेतु आकर्षक पद्धतियों का अपनाया जाता है । जिसमें आकर्षक विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय और विक्रय वृद्धि के साधनों का उपयोग किया जाता है । इसमें विक्रयकर्ताओं द्वारा माल की माँग बढ़ाने के प्रयत्न किये जाते है । विक्रय वृद्धि के प्रयत्नो बिना ग्राहकों का पर्याप्त प्रतिभाव नहीं मिलता ।
प्रश्न 5.
उत्तम विक्रयकर्ता के लक्षण बताइये ।
उत्तर :
उपरोक्त प्रश्न उत्तम विक्रयकर्ता के लक्षण पिछला प्रश्न अर्थात् स्वाध्याय के तीसरे प्रश्न के पाँचवे प्रश्न के उत्तर में देखिये ।।
प्रश्न 6.
विज्ञापन के सामने विरोध पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर :
विज्ञापन के सामने विरोध (Objection Against Advertisement) के रूप में निम्न बातों का समावेश होता है :
- विज्ञापन के रूप में बिन-जरूरी खर्चे सामाजिक दूषण है तथा बिनजरूरी खरीदी भी सामाजिक दृषण के समान है ।
- श्रीमंत वर्ग द्वारा अधिक खरीदी करने से समाज का निम्न वर्ग लघुता ग्रंथि से पीडित होता है ।
- विज्ञापन यह खर्चीली प्रवृत्ति है । कम्पनियों द्वारा विज्ञापन पर किया गया खर्च उत्पाद के विक्रय मूल्य में जोड देते है, जिससे ग्राहकों को उत्पादित वस्तुएँ ज्यादा मूल्य पर विक्रय की जाती है ।
- विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को आकर्षित करके स्पर्धकों को नीचा दिखाने का प्रयास किया जाता है ।
- हल्की गुणवत्तावाले उत्पाद का विज्ञापन करके आकर्षण पैदा करके ग्राहकों को वस्तुयें बेच दी जाती है ।
- कई बार कम्पनियों के विज्ञापन में अनावश्यक बिन रुचिवाली विषय-वस्तु दर्शायी जाती है ।
- विज्ञापन द्वारा कई बार ग्राहकों को नशीले एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुएँ जैसे बीड़ी, सिगरेट, शराब, गुटखा, पान मसाला आदि के बारे में जानकारी मिलती है, जो कि दीर्घ अवधि में व्यसन में बदल जाता है ।
- समान वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कम्पनियाँ बड़े पैमाने पर विज्ञापन करती है । जिससे दूसरी कम्पनियों को भी विज्ञापन
करना पड़ता है जिससे अनावश्यक स्पर्धा को उत्तेजना मिलती है । - कई बार विज्ञापन में अतिशयोक्ति भरे कथन द्वारा ग्राहकों के साथ धोखा-घडी की जाती है ।
प्रश्न 7.
प्रसिद्धि (प्रचार) की भूमिका (Functions of Publicity) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर :
- अभिवृद्धि के समस्त मिश्रण में ग्राहकों द्वारा सबसे अधिक विश्वासपात्र माना जाता है ।
- प्रसिद्धि के कार्य में इकाई को किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाता है, जिससे यह अभिवृद्धि का सबसे सस्ता मिश्र कहा जाता है ।
- प्रसिद्धि के कार्य में कई बार सार्वजनिक सम्पर्क का कार्य भी शामिल होता है । जिससे संचालक कम प्रयत्नों द्वारा बाजार की जानकारी दे सकते है ।
- विश्वसनीयता के साथ सामूहिक संदेश प्रसार करने हेतु प्रसिद्धि एक असरकारक माध्यम कहलाता है ।
- धन्धाकीय इकाई के विक्रय मध्यस्थी तथा विक्रयकर्ताओ को प्रसिद्धि मददरूप होती है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1.
बाजारीय प्रक्रिया के कार्य समझाइये ।
उत्तर :
बाजार प्रक्रिया के कार्य (Function of Marketing Process) निम्न है :
(1) बाजार संशोधन : यह बाजार प्रक्रिया का प्रथम कार्य है । इस प्रक्रिया में ग्राहकों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है ।
उनकी रूचि एवं अभिरूचि तथा पसन्दगी इत्यादि की जानकारी प्राप्त की जाती है । वर्तमान समय में भविष्य की मांग की अपेक्षा से बड़े पैमाने पर उत्पादन होता रहता है, जिसमें कई तरह की जोखिमें भी रहती है – जैसे माल की बिक्री होगी या नहीं, ग्राहकों को माल पसन्द आयेगा या नहीं आदि जोखिमों को कम अथवा दूर करने हेतु ग्राहकों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी पड़ती है । जिसके आधार पर भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है । उनकी माँग, मूल्य, स्पर्धा के बारे में जानकारी मिलती है।
इस हेतु प्रश्नावली पद्धति, नमूना पद्धति आदि विविध पद्धतियों का उपयोग किया जाता है ।
(2) माल का एकत्रीकरण : उत्पादकों द्वारा उत्पादित माल कई बार अलग अलग स्थानों पर उत्पादित होता हैं तब माल को किसी मध्य स्थान पर इकट्ठा किया जाता है । कई बार उत्पादक अलग-अलग स्थानों पर होते है, वस्तु का उत्पादन मौसम आधारित हो, छोटे पैमाने पर माल का उत्पादन होता हो अथवा उत्पादित हुये माल पर प्रक्रिया करनी होती है तब माल का एकत्रीकरण करना पड़ता है ।
(3) माल को उपयोग योग्य बनाना : माल को उपयोग योग्य बनाने हेतु आवश्यक प्रक्रिया करनी पड़ती है । यह प्रक्रिया सामान्यतः कच्चे माल के संग्रह के स्थान पर ही किया जाता है । माल उपयोग योग्य बनाने से बाजार मूल्य बढ़ जाता है । ग्राहक की आवश्यकता अनुसार ही प्रक्रिया करना जरूरी होता है । जैसे अनाज की साफ-सफाई करना, फलों को पकाना आदि ।
(4) माल का प्रमाणीकरण और वर्गीकरण : माल का प्रमाणीकरण यह ऐसी प्रक्रिया है कि जिसमें माल कैसा होना चाहिए इनका मापदण्ड निश्चित किया जाता है । माल हेतु मापदण्डों में इनका कद, रंग, रूप, सुगन्ध, स्वाद, पोषक तत्त्वों आदि के लिए हो सकता है । बहुत से उत्पादो में सरकारी प्रमाणीकरण भी आवश्यक बनता है ।
वर्गीकरण का कार्य प्रमाणीकरण के साथ ही किया जाता है । वर्गीकरण में अलग-अलग गुणवत्तावाला माल अलग वर्गीकृत किया जाता है । जिससे माल के वर्ग का मूल्य निश्चित किया जाता है । तथा ग्राहकों के पास से उचित मूल्य वसूल किया जा सकता है । माल के वर्गीकरण और प्रमाणीकरण के कार्य के कारण ग्राहकों का उत्पाद के गुणवत्ता पर विश्वास बढ़ता है ।
(5) माल पर निशानी करना : उत्पादकों द्वारा अपने माल पर निशानी करने से स्पर्धियों के माल से अलग हो जाता है । मात्न पर निशानी यह माल पर लगाया गया विशिष्ट निशान है । ग्राहक इस निशानी के आधार पर माल पहचाना जाता है । माल पर निशानी के होने से ग्राहक मिलते-झुलते नाम से धोखा नहीं खाते । निशानी किये हुए माल के विज्ञापन आसानी से कर सकते है । निशानी किया हुआ माल ग्राहकों के उत्पाद की गुणवत्ता का विश्वास देते है । उत्पादक अपने माल को नाम भी देते है, जिसे ब्रान्ड के नाम से जानते है । ब्रान्ड के रूप में कोई भी नाम, निशानी, नम्बर, उत्पादक का नाम या चित्र लगाया जा सकता है ।
(6) मूल्य निर्धारण : उत्पादनकर्ता अपने उत्पादन के बारे में विभिन्न प्रकार के खर्च का अन्दाज लगा देते है । जिसमें माल का उत्पादन खर्च, माल का पैकिंग, बीमा, वितरण, विज्ञापन आदि खर्च का समावेश किया जाता है । इस लागत में अपना लाभ जोड़कर विक्रय मूल्य तय किया जाता है । मूल्य निर्धारण करते समय वस्तु की माँग और स्पर्धियों के मूल्य को भी ध्यान में लिया जाता है । पैकिंग करने से पूर्व मूल्य निर्धारण जरूरी होता है क्योंकि कानून के अनुसार वस्तु के पैकिंग पर मूल्य मुद्रित करना अनिवार्य है ।
(7) माल का पैकिंग करना : तैयार किये हुये माल का रक्षण करने और ग्राहकों में आकर्षण पैदा करने का कार्य करते है | योग्य पैकिंग की गई हो तो माल को वाहन व्यवहार द्वारा परिवर्तन करने में भी सरलता रहती है । पैकिंग के कारण माल की गुणवत्ता बनी रहती है । पैकिंग के लिये कागज, प्लास्टिक का उपयोग, टीन के डिब्बे, काँच की बरनी आदि का उपयोग किया जाता है ।
(8) माल का संग्रह करना : किसी भी उत्पाद को बाजार में ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार रखना जरूरी होता है । कई बार उत्पाद की माँग और पूर्ति के बीच सन्तुलन बनाये रखना जरूरी हो जाता है । उत्पादन हमेशा भविष्य की माँग के आधार पर किया जाता है । इसलिए माल का संग्रह करना आवश्यक होता है । माल संग्रह के कार्य में माल की गुणवत्ता बनी रहे वह भी जरूरी है । मात्न संग्रह के कार्य के कारण माल का हेर-फेर सरल हो जाता है । और माल की उपलब्धता बाजार में बनी रहती है ।
(9) वाहनव्यवहार : कच्चे माल की पूर्ति नियमित रूप से मिलती रहे, तैयार माल को ग्राहकों तक पहुँचाने और वितरण करने के लिये वाहन-व्यवहार के विविध साधनों का उपयोग किया जाता है । माल का हेरफेर जमीन मार्ग, रेलवे मार्ग, जल मार्ग और हवाई मार्ग द्वारा हो सकता है । जैसे उत्पादक कम्पनी बडे-बडे कन्टेईनर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर हेरफेर करते है ।
(10) माल का बीमा लेना : वर्तमान समय में माल के परिवहन के दौरान तथा माल के संग्रह के दौरान चोरी, आग, लूट-पाट, दंग से नुकसान, डूब जाना आदि अनेक प्रकार की जोखिमें रहती है । अत: उत्पादक एवं वितरक इन जोखिमों के सामने रक्षण प्राप्त करने हेतु माल का बीमा लेते है ।
(11) मौद्रिक व्यवस्था : बाजारीय संचालन में समस्त कार्यों के लिये आवश्यक कार्यशील पूँजी की व्यवस्था करनी पड़ती है । इन आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिये पूर्व से ही वित्तीय आयोजन अनिवार्य होता है । बाजारीय संचालक कौन-से बाजारीय कार्य में कितनी पूँजी चाहिये ? कब चाहिये ? आदि मामलों में आयोजन करना अनिवार्य है । मौसमी उत्पादों हेतु निश्चित मौसम में विज्ञापन दिया जाता है । इस हेतु वित्त की आवश्यकता के लिये पहले से ही व्यवस्था करनी पड़ती है ।
(12) विज्ञापन : माँग के अन्दाज के अनुसार वित्त की प्राप्ति के मापदण्डों के विज्ञापन की व्यूहरचना बनाई जाती है । उत्पाद की माँग को बढ़ाने में विज्ञापन का विशेष योगदान होता है ।
(13) विक्रय वितरण की व्यवस्था : उत्पादकों द्वारा उत्पादित माल ग्राहकों तक शीघ्र व उचित मूल्य पर मिले यह जरूरी है । इसके लिये वितरको की नियुक्ति जरूरी बनती है । इसके लिए उत्पादक सम्पूर्ण राज्य या जिला स्तर एक मध्यस्थी को वितरण का कार्य सौंपकर अपने कार्यबोझ को हल्का कर देते है । मध्यस्थियों द्वारा वितरण में थोकबंद व्यापारी, फुटकर व्यापारी का माल गमय । पर प्राप्त हो यह भी जरूरी होता है । अनेक उत्पादक अपना माल अपने उत्पादक स्थल पर ही विक्रय कर देते है ।
(14) विक्रय : बाजार संचालन में विक्रय एक विनिमय प्रक्रिया है । जिसमें माल ग्राहकों को सौंपा जाये व विक्रय करके माल की रकम मिल जाता है । विक्रय कार्य में मध्यस्थियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है । विक्रयकर्ता के कुशल होने से बिक्री बढ़ती है । कई बार उत्पादक ग्राहकों को सीधा ही विक्रय करते है ।
(15) विक्रय पश्चात् की सेवायें : केवल माल का विक्रय करने से ही बाजार (Marketing) कार्य पूर्ण नहीं होता, परन्तु सन्तुष्ट और स्थायी ग्राहक मिलते रहे इस हेतु ग्राहकों की शिकायतों को सुनना, कमीवाले माल को वापस लेना अथवा बदलना पड़ता है. इसके अलावा मरम्मत की सेवा देना । कई उत्पादों में ग्राहकों के घर पर उनका निदर्शन करना पड़ता है । ऐअरकन्डिशनर, टेलीविजन,
घरघंटी, रेफ्रीजरेटर जैसी वस्तुओं हेतु विक्रय के पश्चात् की सेवा देनी पडती है ।
प्रश्न 2.
उत्पाद के मूल्य को प्रभावित करने वाले परिबल समझाइये ।
उत्तर :
उत्पाद के मूल्य को प्रभावित करने वाले परिबल (Factors Affecting Pricing) निम्न होते है :
(1) उत्पाद की लागत : मूल्य निर्धारण में सम्बन्धित उत्पाद की लागत है । उत्पाद की लागत में कच्चे माल की लागत, उत्पादन , खर्च, प्रबन्धकीय खर्च और विक्रय वितरण के खर्च आदि का समावेश होता है । उत्पाद का मूल्य तय करते समय उत्पाद के कुल लागत को ध्यान में लिया जाता है । नये उत्पाद को बाजार में रखते समय विविध प्रकार के खर्च किये जाते है । इन खर्च को उत्पाद के विक्रय मूल्य में से वसूल किया जाता है । उत्पाद का मूल्य किसी भी स्थिति में लागत से कम नहीं रखा जा सकता ।
(2) उत्पाद की माँग : उत्पाद की माँग व उत्पाद का मूल्य प्रत्यक्ष रूप से जटा हुआ है । उत्पाद की माँग पर ग्राहकों की चि, क्रेताओं की संख्या, उनकी क्रय शक्ति, स्पर्धकों की संत्र्या आदि बातें असर करती है । जब उत्पाद की माँग अधिक हो तब मूल्य थोडा ऊँचा रखा जा सकता है, परन्तु यदि माल की माँग कम हो तो उत्पाद का मूल्य नीचा रखना पड़ता है । जब ग्पर्धकां की संख्या अधिक हो अथवा स्पर्धकों के उत्पाद की माँग अधिक हो तब उत्पाद का मूल्य स्पर्धकों के मूल्य जितना ही रखना आवश्यक है । यदि स्पर्धकों की संख्या कम हो तो मूल्य अधिक रख्न सकते है और अधिक प्रमाण में लाभ कमाया जा सकता है ।
(3) बाजार में स्पर्धा : बाजार में स्पर्धा का प्रमाण उत्पाद के मूल्य पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है । स्पर्धा जितनी अधिक और स्पर्धियों की संख्या भी अधिक उस तरह उत्पादक स्पर्धायुक्त मूल्य रखते है । बाजार में स्पर्धकों का सामना करना, उनको हराना अथवा उनके प्रवेश को कठिन बनाना इत्यादि व्यूहरचनाओं के आधार पर मूल्य का निर्धारण किया जाता है । यदि बाजार में पीढ़ी की प्रतिष्ठा उत्तम हो तो स्पर्धी की अपेक्षाकृत अधिक मूल्य ग्राहकों के पास से लिया जा सकता है ।
(4) सरकारी और कानूनी नियंत्रण : बाजार में जो इकाई एकाधिकार रखती हो तो सामान्य रूप से अधिक मूल्य वसूल करते है । ऐसी धन्धाकीय इकाइयों पर सरकार आम जनता के हित के लिए नियंत्रण रखते है । इसके अलावा कई चीज-वस्तुओं के मूल्य में अधिक से अधिक कमी व वृद्धि हो तब कानूनी नियंत्रण रख्ने जाते है जिनको ध्यान में लिये बिना मूल्य का निर्धारण नहीं किया जा सकता । सरकार उन पर नियंत्रण के रूप में कदम उठाते है । जिनमें जीवन जरूरी दवाएँ, पेट्रोल, डीजल, वर्तमान पत्र के लिए कागज आदि का समावेश होता है ।
(5) उद्देश्य आधारित मूल्य निश्चित करना :
(a) महत्तम लाभ : जब एकाधिकार की स्थिति हो तब धन्धाकीय इकाई संशोधन के पीछे काफी अधिक खर्च करती है, जिससे उपरोक्त खर्च वसूल करने के लिए महत्तम लाभ का उद्देश्य रखा जाता है ।
(b) बाजार में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त करना : कईबार बाजार में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने के लिए उत्पादक का मूल्य बहुत ही कम रखा जाता है । जिससे कम मूल्य रखने से ग्राहकों को आकर्षित किया जा सकता है ।
(6) आर्थिक स्थिति : देश की प्रवर्तमान आर्थिक स्थिति उत्पाद के मूल्य निर्धारण के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । यदि देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो मूल्य ऊँचा रखा जाता है और यदि बाजार में धीमी गति से आर्थिक विकास हो रहा हो तब मन्दी की स्थिति में उत्पाद के मूल्य को कम रखा जाता है ।
(7) क्रय करने का रूझान : ग्राहकों का रूझान उत्पाद के मूल्य के निर्णय हेतु महत्त्वपूर्ण माना जाता है । ग्राहकों के रुझान में ग्राहकों की आदत, सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत और आर्थिक परिबलो की भूमिका होती है । इन परिबलों में परिवर्तन के कारण ग्राहकों का उत्पाद के प्रति का अभिगम बदल जाने की सम्भावना होती है, जिसके परिणाम स्वरूप उत्पाद को जरूरी प्रतिभाव नहीं मिलता | इस तरह उपरोक्त समस्त बातें मूल्य का निर्धारण के समय ध्यान में लेकर उत्पाद का मूल्य तय करना लाभदायी होता है ।
प्रश्न 3.
विक्रय-वृद्धि की प्रयुक्तियाँ (तकनीक) (Techniques of Sales Promotion) समझाइए ।
उत्तर :
विक्रय-वृद्धि की प्रयुक्तियाँ (तकनीक) निम्न है :
(1) प्रतिफल : जब उत्पाद वास्तविक विक्रय मूल्य से कम मूल्य पर सीमित समय के लिये रखा जाये तो उन्हें प्रतिफल प्रदान किया गया जिसे सामान्य भाषा में ‘सेल’ के रूप में पहचाना जाता है । ऐसी प्रयुक्ति सामान्यत: धन्धाकीय इकाईयाँ अपना अन्तिम स्टॉक कम करने हेतु अपनाते है ।
(2) बट्टा (Dicsount) : सूचीपत्रक के मूल्य का अमुक प्रतिशत रकम कम ली जाये तो उन्हें बट्टा कहते हैं । कई बार उत्पादक अपना कमीवाला माल बट्टे से विक्रय करते है । इस कारण से ग्राहक शीघ्र आकर्षित हो जाते है ।
(3) विज्ञापन का कुपन : इस प्रयुक्ति में बाजारकर्ता विज्ञापन के प्रभाव की प्रभावशीलता की जाँच करते है और ग्राहकों को लाभ भी दिया जाता है । इस प्रयुक्ति में ग्राहक को विज्ञापन का कटिंग अथवा खाली पैकिंग वितरण को दिया जाता है । जिसके बदले में ग्राहक को अमुक खरीदी पर अमुक निश्चित रकम घटायी जाती है ।
(4) भेंट : उत्पाद के ऊपर कई बार छोटे जत्थे की उन्हीं उत्पाद को मुफ्त में दिया जाता है । जैसे साबुन की खरीदी पर एक साबुन मुफ्त देने की धन्धाकीय इकाईयाँ विज्ञापन करती है । लेकिन कई बार उत्पाद का मूल्य तो इतना ही रखते हैं, परन्तु उत्पाद के जत्थे को बढ़ा देती है । जैसे शेविंग की क्रीम, व टूथपेस्ट पर 25% अधिक जत्था उत्पादक को उन्हीं मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है ।
(5) अन्य उत्पाद की भेंट : ग्राहकों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर कई बार उत्पाद के साथ गौण उत्पाद मुफ्त दिया जाता है । जैसे टूथपेस्ट के साथ टूथब्रश मुफ्त में दिया जाता है । इसके अलावा कई उत्पाद के साथ कोई भी सम्बन्ध न हो फिर भी उत्पाद की भेट दी जाती है । जैसे पाँच साबुन पर एक बोलपेन मुफ्त में देने का विज्ञापन किया जाता है ।
(6) इनामी ड्रो : इसमें ग्राहक को एक कूपन या कोड, उत्पाद के साथ दिया जाता है । निश्चित समय के बाद समस्त कूपनो का ड्रो किया जाता है और विजेताओं को इनाम में वस्तुयें दी जाती है । जैसे भारत पेट्रोलियम स्वयं पेट्रोल की 200 रु. से अधिक रकम का पेट्रोल लेनेवाले ग्राहकों को इनामी ड्रो की कूपन दी जाती है ।
(7) ऋण की सुविधा बिना ब्याज के : जब उत्पाद का मूल्य अधिक हो और ग्राहक एक साथ रकम न चुका सके तब इस प्रयुक्ति का उपयोग किया जाता है । उदाहरण के रूप में टेलिविजन, रेफ्रीजेरेटर व घरघण्टी जैसी वस्तुओं की खरीदी पर ऋण (Loan) की सुविधा दी जाती है । ग्राहक कुछ रकम भुगतान करके उत्पाद का उपयोग कर सकता है ।
(8) नमूने का वितरण : कई बार खाद्य पदार्थो की नजदिक मूल्य की वस्तुओ के लिये नमूने का वितरण किया जाता है । सामान्य रूप से इस तरह का वितरण ग्राहकों को उत्पाद के अनुभव दिलाने के लिये ही किया जाता है । शेम्पु, साबुन, तेल आदि उत्पादो के छोटे पैकिंग के नमूने मुफ्त में वितरण किया जाता है ।
(9) स्पर्धाओं का आयोजन : उत्पादक अपने सम्भवित ग्राहकों को एक साथ नये उत्पादों का अनुभव कराने अथवा एक साथ सभी ग्राहकों को मिलने के लिये स्पर्धा का आयोजन करते है । जैसे चित्रकाम के रंग बनानेवाली धन्धाकीय इकाई नये रंग बाजार में रखने से पहले उनके ग्राहकों के बारे में समस्त जानकारी प्राप्त करने हेतु वह बालकों की रंगपूर्ति स्पर्धा आयोजित करती है । स्पर्धा के विजेता को नये उत्पाद की भेंट दी जाती है ।
प्रश्न 4.
विज्ञापन की भूमिका विस्तार से समझाइये । अथवा विज्ञापन के कार्य समझाइए ।
उत्तर :
विज्ञापन की भूमिका अथवा विज्ञापन के कार्य (Function of Advertisement) निम्नलिखित है :
(1) माँग उत्पन्न करना : विज्ञापन द्वारा उत्पाद या सेवा की उपलब्धता की जानकारी आम जनता को दी जाती है । विज्ञापन के द्वारा उत्पाद के बारे में जानकारी बढ़ने से उत्पाद की माँग बढ़ती है । विज्ञापन के द्वारा ही उत्पाद के अलग-अलग उपयोगों की जानकारी ग्राहकों को दी जाती है । जैसे कॉफी एवं कोल्ड कॉफी । जब कोई भी इकाई नया उत्पाद बाजार में रखती है तब विज्ञापन देना अनिवार्य हो जाता है । इस तरह विज्ञापन द्वारा उत्पाद की माँग में वृद्धि होती है ।
(2) वृहद पैमाने में उत्पादन का लाभ : विज्ञापन द्वारा विशाल प्रमाण में ग्राहकों तक पहुँच सकते है । उत्पाद की माँग में वृद्धि विज्ञापन द्वारा की जा सकती है । इससे उत्पादक या धन्धाकीय इकाई वृहद पैमाने पर उत्पादन का लाभ कमाकर लागत को नीचे लाया जा सकता है । इस तरह लाभदायकता बढ़ती है ।
(3) उत्पाद की जानकारी : विज्ञापन द्वारा सम्भावित ग्राहकों को उत्पाद के बारे में जानकारी दी जाती है तथा सम्भावित ग्राहकों को उत्पाद का लाभ भी बताया जाता है । कई बार नये उत्पाद का उपयोग किस तरह किया जायेगा यह ग्राहकों को ख्याल नहीं होता, जिसको विज्ञापन द्वारा समझाया जाता है । जब उत्पाद के एक या अधिक उपयोग हो तब ग्राहकों को विज्ञापन द्वारा अनगत कराया जाता है । विज्ञापन द्वारा उत्पादक ग्राहक को गुणवत्ता के बारे में भरोसा दिलाते है ।
(4) रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक : विज्ञापन के कारण उत्पाद या सेवा की माँग में वृद्धि होती है । इस तरह उत्पाद का उत्पादन बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ते है । इसके अलावा विज्ञापन उद्योग में कार्यरत कोपीराइटर्स, विज्ञापन वितरक, फिल्म बनानेवाले । व्यक्ति आदि व्यक्तियों को रोजगार मिल जाता है ।
(5) जीवन स्तर में सुधार : उत्पादन कर्ता विज्ञापन के द्वारा अपने उत्पाद के बारे में ग्राहकों को जानकारी देते है । जिसके कारण ग्राहक उत्तम वस्तुयें और सेवाओं का उपयोग करते है । नये एवं आधुनिक उत्पाद का उपयोग करने से ग्राहकों के जीवन स्तर में काफी अधिक सुधार दिखाई देता है । दैनिक कार्य आसानी से हो सकते है ।
(6) विक्रय योग्य जत्थे की देखभाल एवं सुरक्षा : निरन्तर विज्ञापन करने से ग्राहक के मन में उत्पाद छाया रहता है । जिससे ग्राहक जब क्रय करने जाये तब विज्ञापन वाले उत्पाद पर शीघ्र पसन्दगी उतारता है जिससे उत्पादक के माल का विक्रय बना रहता है । अन्य शब्दों में कहे तो स्पर्धकों के उत्पाद के सामने बने रहने के लिये विज्ञापन बहुत ही असरकारक होता है । विज्ञापन विक्रय हिस्सा बनाये रखने में मददरूप होता है ।
प्रश्न 5.
बाजार प्रक्रिया का अर्थ, व्याख्याएँ एवं बाजार प्रक्रिया की आकृति बताइये ।
उत्तर :
बाजार प्रक्रिया अर्थात् ऐसी धन्धाकीय प्रवृत्ति कि जिसमें माल या सेवा का प्रवाह उत्पादक की ओर से ग्राहकों की ओर ले जाया जाता है ।
- अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार : ‘मार्केटिंग अर्थात् कि ऐसी धन्धाकीय प्रवृत्ति कि जिसमें माल या सेवा का प्रकार उत्पादक की ओर से ग्राहकों की ओर मोडा जाता है ।’
- श्री कपुर और आईकोबुकी के मतानुसार : ‘मार्केटिंग यह ग्राहकों और पीढ़ीयों के बीच होने वाला पारस्परिक विनिमय है ।
- श्री फिलिप कोटलर के मतानुसार : ‘मार्केटिंग यह ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्तिगत समूह उनकी आवश्यकता के अनुसार मूल्यवान उत्पादों का सृजन करके, प्रस्तुत करके स्वतंत्र रूप से वस्तुओं या सेवाओं का विनिमय करते है ।
प्रश्न 6.
मार्केटिंग मिश्र (Marketing Mix) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
अथवा
मार्केटिंग मिश्र से आप क्या समझते है ? इनमें किन-किन बातों का समावेश होता है ? समझाइये ।
उत्तर :
उत्पादक अपने उत्पादो को बाजार में सफलतापूर्वक प्रवेश दिलाने के लिये और उनको बाजार में बनाये रखने के लिये जो विविध
नीतियों का समूह अपनाते हैं, जिन्हें मार्केटिंग मिश्र कहते हैं । इसमें निम्न चार बातों का समावेश होता है, जिन्हे मार्केटिंग मिश्र के 4P के रूप में पहचाना जाता है ।
(1) उत्पाद (Product)
(2) कीमत (Price)
(3) वितरण (Place)
(4) अभिवृद्धि (Promotion)
(1) उत्पाद (Product) : यदि उत्पाद माल या सेवा के स्वरूप में हो तो ग्राहकों की आवश्यकता को संतुष्ट कर सके । उत्पाद को मार्केटिंग कार्य का उद्भव बिन्दु माना जाता है । जिसके द्वारा ग्राहक अपनी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट कर सकते है । जिससे उत्पाद यह बाजारीय संचालन प्रक्रिया का हृदय है । उत्पाद मिश्रण में उत्पाद से सम्बन्धित अलग अलग निर्णयों का समावेश होता है । जिसमें गुणधर्म, पैकेजिंग, ब्रान्डिंग, लेबलिंग, ट्रेडमार्क तथा विक्रय पश्चात की सेवाओं का समावेश होता है ।
(2) कीमत (Price) : ग्राहक द्वारा माल या सेवा हेतु भौतिक, आर्थिक, सामाजिक, मानसिक सन्तुष्टी के लिये चुकाया जाने वाला मूल्य है ।
बाजार में क्रेता व विक्रेता दोनों के लिये मूल्य का निर्धारण महत्त्वपूर्ण बात मानी जाती है । इकाई की आय एवं लाभ का आधार उत्पाद के मूल्य पर रहता है । अत: प्रत्येक इकाई को अपने उत्पाद का उचित मूल्य निर्धारित करना चाहिए ।
(3) वितरण (Place/Distribution) : वितरण अर्थात् ग्राहकों को जब चाहिए, जहाँ चाहिए वहाँ, जिस समय पर चाहिए उस समय पर, पहुँचाने की व्यवस्था करना । वितरण दो माध्यम से हो सकता हैं ।
- ग्राहकों को प्रत्यक्ष विक्रय
- मध्यस्थितियों द्वारा विक्रय
(4) अभिवृद्धि (Promotion) : बाजारीय मिश्र का एक ऐसा अविभाज्य अंग है कि जो ग्राहक को उत्पाद के बारे में विशेष आकर्षक बनाते है और सम्भावित ग्राहकों को वास्तविक ग्राहकों में बदल देते है । अभिवृद्धि मिश्र में विज्ञापन, विक्रय वृद्धि, प्रसिद्धि और व्यक्तिगत विक्रय का समावेश होता है ।
प्रश्न 7.
वितरण के माध्यम/प्रकार (Channels for Distribution) ।
उत्तर :
वितरण के माध्यम अथवा प्रकार निम्नलिखित है :
प्रश्न 8.
अभिवृद्धि मिश्र की आकृति बताइए ।
उत्तर :