Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions प्रयोजनमूलक हिन्दी Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi प्रयोजनमूलक हिन्दी
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए :
प्रश्न 1.
संप्रेषण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
संप्रेषण का सामान्य अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना। भाषा में संप्रेषण का तात्पर्य वक्ता के कथन अथवा विचारों को श्रोता तक उसी अर्थ में पहुंचाना है, जिस अर्थ में वक्ता ने अपनी बात का प्रयोग किया है।
प्रश्न 2.
प्रयोजनमूलक हिन्दी किसे कहते हैं?
उत्तर :
प्रयोजनमूलक का शाब्दिक अर्थ है – उद्देश्य पर आधारित। प्रयोजनमूलक हिन्दी का अर्थ है, वह हिन्दी, जो किसी निश्चित उद्देश्य पर आधारित हो। अर्थात् जो हिन्दी किसी निश्चित उद्देश्य को ध्यान में रखकर उपयोग में लाई गई हो, उसे प्रयोजनमूलक हिन्दी कहते हैं।
प्रश्न 3.
वाणिज्यिक हिन्दी अर्थात् क्या?
उत्तर :
बैंकों, मंडियों तथा व्यापार-व्यवसाय के काम-काज में प्रयुक्त होनेवाली हिन्दी का रूप है वाणिज्यिक हिन्दी। वाणिज्यिक हिन्दी की अपनी शब्दावली होती है और बाज़ार की भाषा में इन्हीं शब्दों का प्रयोग होता है। जैसे – ‘दाल में आग लगी है’, ‘चाँदी लुढ़की’, ‘तेल । नरम’ आदि।
प्रश्न 4.
विज्ञापन-लेखन प्रयोजनमूलक हिन्दी की किस प्रयुक्ति में किया जाता है?
उत्तर :
विज्ञापन लिखना एक कला है। विज्ञापन-लेखन, प्रयोजनमूलक हिन्दी की जनसंचारी हिन्दी प्रयुक्ति में किया जाता है।
2. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :
प्रश्न 1.
तकनीकी हिन्दी
उत्तर :
विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी, मेडिकल शिक्षा में प्रयुक्त होनेवाली हिन्दी को तकनीकी हिन्दी कहते हैं। इसमें संकेतों और प्रतीकों का विशेष प्रयोग होता है। ये संकेत प्रायः रोमन या ग्रीक अक्षरों में होते हैं।
प्रश्न 2.
प्रयोजनमूलक हिन्दी के आयाम उत्तर : प्रयोजनमूलक हिन्दी के तीन आयाम हैं:
- विषयवस्तु का आयाम : इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि जिस विषय में हिन्दी का प्रयोग करना है वह तकनीकी, अर्धतकनीकी या गैरतकनीकी है।
- मौखिक-लिखित आयाम : कार्यालयी, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिक आदि क्षेत्रों की भाषा लिखित होती है जबकि दूरदर्शन, आकाशवाणी आदि में मौखिक का प्रयोग होता है।
- शैली का आयाम : विज्ञान, विधि, इंजीनियरी जैसे तकनीकी विषयों में भाषा रूढ़िगत और शैली औपचारिक होती है। पत्रकारिता जैसे अर्धतकनीकी विषय की शैली औपचारिक, अनौपचारिक या अंतरंग होती है। आकाशवाणी और दूरदर्शन के विज्ञापनों की भाषा की शैली औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों होती है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सविस्तार उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
प्रयोजनमूलक हिन्दी की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर :
प्रयोजनमूलक हिन्दी का ठोस विस्तार और नए रूप में परिवर्धन है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी में प्रत्येक विषय के लिए अनुकूल पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी की भाषा सटीक, सुस्पष्ट, गंभीर, सरल, अभिधाप्रधान और एकार्थक होती है। इसमें कहावतों, मुहावरों, अलंकारों, उक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।
प्रश्न 2.
साहित्यिक भाषा तथा प्रयोजनमूलक हिन्दी में क्या अंतर है?
उत्तर :
साहित्यिक भाषा में कहावतों, मुहावरों, उक्तियों और अलंकारों का प्रयोग होता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी में इनका प्रयोग नहीं होता।
साहित्यिक भाषा हमेशा अभिधाप्रधान और एकार्थी नहीं होती। रसनिष्पत्ति के लिए उसमें साहित्यिक पुट दिया जाता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी इससे भिन्न होती है।
साहित्यिक भाषा में कल्पना का प्रयोग किया होता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी में कल्पना का प्रयोग नहीं होता।
प्रयोजनमूलक हिन्दी Summary in Hindi
प्रयोजनमूलक हिन्दी का अर्थ है किसी निश्चित उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रयुक्त की गई हिन्दी। इस गद्यांश में प्रयोजनमूलक हिन्दी के आयामों, उसकी विशेषताओं तथा उसकी प्रयुक्तियों की जानकारी दी गई है।
गमंश का सार :
भाषा का कार्य : भाषा का मुख्य कार्य वक्ता का कथन श्रोता तक पहुंचाना है। इसे संप्रेषण कहते हैं। संप्रेषण का अर्थ यह है कि बोलनेवाला व्यक्ति जिस अर्थ में अपनी बात कहता है, सुननेवाले तक वह उसी अर्थ में पहुंचे।
भाषा के प्रकार : भाषा दो प्रकार की होती है। एक सामान्य व्यवहार की भाषा, दूसरी साहित्यिक भाषा। सामान्य भाषा के लिए किसी तालीम की जरूरत नहीं होती, पर साहित्यिक भाषा के लिए औपचारिक शिक्षण की जरूरत होती है।
राजभाषा : राजभाषा का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में विशेष प्रयोजन के लिए होता है। इसलिए इसे प्रयोजनमूलक कहा जाता है। भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी है।
प्रयोजनमूलक भाषा की विशेषता : प्रयोजनमूलक भाषा की विशेषता यह है कि वह एकार्थी और अभिधाप्रधान होती है। इसमें अलंकारों को स्थान नहीं दिया जाता। प्रयोजनपरकता इसकी मुख्य विशेषता है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी के आयाम : प्रयोजनमूलक हिन्दी के तीन आयाम माने गए हैं : (1) विषयवस्तु का आयाम, (2) मौखिक-लिखित आयाम तथा (3) शैली का आयाम। विषयवस्तु के आयाम में यह ध्यान रखा जाता है कि जिस विषय के लिए उस हिन्दी का प्रयोग किया जा रहा है, वह तकनीकी, अर्धतकनीकी और गैरतकनीकी में से कौन-सा है। इसी तरह भाषा के लिखित या मौखिक प्रकार तथा शैली के आयाम के विषय का भी निर्धारण आवश्यक है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी की प्रयुक्तियाँ : भाषा का प्रयोगगत रूप ही प्रयोजनमूलक रूप है। भाषा के विभिन्न रूप भाषा की प्रयुक्तियाँ कहलाती हैं, अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयुक्त भाषा को उनके नाम से अलगअलग प्रयुक्ति कहा जाता है। जैसे – कार्यालयी प्रयुक्ति, बैंकिंग प्रयुक्ति, इंजीनियरिंग प्रयुक्ति आदि। प्रत्येक प्रयुक्ति की अपनी शब्दावली होती है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी की प्रयुक्तियों के प्रकार : इसे चार प्रकारों में बांटा जा सकता है:
- कार्यालयी हिन्दी – यह सरकारी प्रशासन आदि में प्रयोग की जाती है। जैसे – ‘गोपनीय’, ‘अवलोकनार्थ’।
- तकनीकी हिन्दी – यह विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी तथा मेडिकल में प्रयुक्त होती है। जैसे अल्फा (a), गामा (b), घनत्व, सी.एन.जी.।
- वाणिज्यिक हिन्दी – बैंक, मंडियों, व्यापार-व्यवसाय में इसका प्रयोग होता है। जैसे – ‘दाल में आग लगी’, ‘तेल नरम’।
- जनसंचारी हिन्दी – पत्रकारिता, आकाशवाणी, दूरदर्शन तथा विज्ञापन में इसका उपयोग होता है। जैसे – ‘मुक्केबाजी’, ‘चौका’, ‘पारी’ आदि।
प्रयोजनमूलक हिन्दी शब्दार्थ :
- संप्रेषण – भेजना, पहुँचाना।
- कथन – उक्ति, कही हुई बात।
- औपचारिक – दिखाऊ, गौण।
- तालीम – शिक्षा।
- अपेक्षाकृत – तुलना या मुकाबले में।
- जटिल – दुरूह, पेचीदा।
- स्व-अध्ययन – खुद पढ़ना।
- प्रयोजन – उद्देश्य, अभिप्राय।
- प्रयोजनपरक – प्रयोजन से संबंधित।
- प्रयोजनमूलक – उद्देश्य से संबंधित।
- कार्यक्षेत्र – विभाग।
- व्यंजना – व्यक्त या प्रकट करने की क्रिया या भाव।
- एकार्थी – जिससे एक ही अर्थ निकलता हो।
- अभिधाप्रधान – जिसमें शब्द का वाच्यार्थ या अच्छरार्थ प्रधान हो।
- मानक – प्रामाणित।
- संरचना – बनावट ।
- सायास – प्रयत्नपूर्वक।
- आश्रित – किसी के आधार पर टिका हुआ।
- आयाम – पक्ष, विस्तार।
- विषयवस्तु – किसी कृति का मूल विषय।
- पारिभाषिक – विशिष्ट अर्थ में प्रयोग होनेवाला।
- प्रशासन – राज्य के शासन या परिचालन या प्रबंध।
- विधि – कानून।
- राजभाषा – देश में प्रचलित भाषा जिसका उपयोग राजकीय कार्यों तथा न्यायालयों में होता है।
- अख्तियार – अधिकार, वश।
- परिवर्द्धन – विशेष वृद्धि की क्रिया।
- विद्यमान – उपस्थित, मौजूद।
- सुस्पष्ट – भलीभाँति व्यक्त, सीधा।
- एकार्थक – जिसका एक ही अर्थ हो।
- प्रयुक्तियाँ – प्रयोग।
- अपूर्ण – अधूरा।
- गोपनीय – छिपाने लायक।
- अवलोकनार्थ – देखने के लिए।
- वाणिज्यिक – व्यापार संबंधी।
- अभिव्यक्ति – प्रकाशन, प्रकट होना।
- अपार – अत्याधिक।