Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Vyakaran शब्द निर्माण Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Vyakaran शब्द निर्माण
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
तत्सम शब्द किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी भाषा के मूल शब्द को ‘तत्सम’ कहते हैं।
प्रश्न 2.
तद्भव शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
ऐसे शब्द, जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिन्दी में आए हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
प्रश्न 3.
यौगिक शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
ऐसे शब्द, जो दो शब्दों के मेल से बनते हैं और जिनके खंड सार्थक होते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
शब्द भेद का अर्थ बताइए ?
उत्तर :
हिन्दी में संस्कृत के अतिरिक्त पालि, प्राकृत अपभ्रंश से होते हुए अनेक शब्द आए हैं। इसके अलावा देशज और विदेशज तथा अनुकरणवाचक शब्द भी समाहित किए गए हैं। इन शब्दों का विभिन्न प्रकार से वर्गीकरण किया गया है। इस वर्गीकरण को शब्द-भेद के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2.
संज्ञा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
संज्ञा का अर्थ है नाम। इस संसार में जितनी भी वस्तुएं, प्राणी, स्थान, भाव आदि हैं, उन्हें किसी-न-किसी नाम से पुकारा जाता है। नाम को ही व्याकरण में संज्ञा कहा जाता है। संज्ञाएं बहुरूपात्मक होती हैं जो वचन एवं कारक से बदल जाती हैं। ये प्रायः उद्देश्य एवं कर्म के रूप में वाक्य में प्रयुक्त होती हैं।
प्रश्न 3.
संकर शब्द किसे कहते हैं? ।
उत्तर :
हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जो किसी भी वर्ग में नहीं आते हैं। ये दो या दो से अधिक भाषा के शब्दों से निर्मित होते हैं। ये शब्द संकर शब्द कहलाते हैं। उदाहरण के लिए रेलगाड़ी शब्द। इसमें रेल शब्द अंग्रेजी भाषा का शब्द है और गाड़ी शब्द हिन्दी भाषा का। इसी तरह डाकखाना (हिन्दी + फारसी) तथा दलबंदी (संस्कृत + फारसी) आदि शब्द संकर शब्द हैं।
प्रश्न 4.
देशज शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
वे शब्द, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नहीं चलता वे देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द अपने ही देश में बोलचाल से बने होते हैं।
प्रश्न 5.
हिन्दी में किन-किन विदेशी भाषाओं के शब्द मिलते हैं?
उत्तर :
हिन्दी में मुख्य रूप से अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी, पुर्तगाली तथा फ्रांसीसी भाषाओं के शब्द मिलते हैं।
प्रश्न 6.
उद्गम की दृष्टि से शब्दों के भेद बताइए।
उत्तर :
उद्गम की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं :
- तत्सम
- तद्भव
- देशज तथा
- विदेशी।
शब्द निर्माण Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
हिन्दी में शब्दों की रचना भिन्न-भिन्न प्रकार से होती है तथा शब्दों के अलग-अलग प्रकार होते हैं। प्रस्तुत पाठ में शब्द निर्माण एवं शब्दों के विभिन्न स्रोतों के बारे में बताया गया है।
पाठ का सार :
शब्द रचना : ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्णसमुदाय को शब्द कहते हैं। शब्द दो रूपों में मिलते हैं। एक तो इनका शुद्ध – बिना मिलावट का रूप और दूसरा कारक, लिंग, वचन, पुरुष और काल बतानेवाले अंश को आगे-पीछे लगाकर बनाया गया रूप, जिसे पद कहते हैं।
शब्द के प्रकार : शब्द दो प्रकार के होते हैं – एक सार्थक और दूसरा निरर्थक। व्याकरण में सार्थक शब्दों का ही महत्त्व होता है, जिनका अर्थ स्पष्ट होता है।
हिन्दी में आगत शब्द : परिवर्तनशीलता भाषा की स्वाभाविक क्रिया है। संस्कृत के अनेक शब्द पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आए हैं। इनमें से कुछ ज्यों-के-त्यों लिए गए हैं और कुछ विकृत हो गए हैं।
उदगम की दृष्टि से शब्दों के भेद : उद्गम की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं – तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द।
तत्सम शब्द : किसी भाषा के मूल शब्द को तत्सम कहते हैं। संस्कृत के अनेक तत्सम शब्द अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आए हैं। जैसे- गोमल से गोबर, उष्ट्र से ऊंट, घोटक से घोड़ा, चुल्लि से चूल्हा तथा सपत्नी से सौत आदि।
तदभव शब्द : ऐसे शब्द, जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिन्दी में आए हैं, वे ‘तद्भव’ कहलाते हैं। ये शब्द संस्कृत से सीधे न आकर पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आए हैं। कुछ शब्द देशकाल के प्रभाव से विकृत हो गए हैं, जिनके मूल रूप का पता नहीं चलता। हिन्दी में अधिकांश शब्द संस्कृत-प्राकृत से होते हुए हिन्दी में आए हैं। जैसे संस्कृत का मया शब्द प्राकृत में मई हुआ और मई से हिन्दी में ‘मैं’ होकर आया। इसी तरह चतुर्दश से चउदह और चउदह से चौदह आदि।
देशज : देशज शब्द अपने ही देश में बोलचाल से बने शब्द हैं। जैसे- ठेठ, जूता, फुनगी, खिचड़ी, पगड़ी आदि।
विदेशी शब्द : विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आए शब्दों को ‘विदेशी शब्द’ कहते हैं। इनमें फारसी, अरबी, तुर्की, अंग्रेजी, पुर्तगाली तथा फ्रांसीसी भाषाएँ मुख्य हैं। हिन्दी में इन शब्दों को अपने उच्चारण के अनुरूप या अपभ्रंश रूप में ढाल लिया गया है।
व्युत्पत्ति के विचार से शब्दों के प्रकार : व्युत्पत्ति के विचार से शब्द के तीन प्रकार हैं
- रूढ़
- यौगिक तथा
- योगरूढ़।
रूढ़ शब्द : जिन शब्दों के खंड करने पर कोई भी खंड सार्थक न हो, किंतु उसका यौगिक रूप अर्थयुक्त हो, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे- आम, केला, दाना आदि।
यौगिक शब्द : जो शब्द दूसरे शब्दों के योग से बनकर अपना अलग अर्थ प्रतिपादित करते हैं और उन्हें विभाजित करके अर्थ करने पर भी वे वही अर्थ देते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहा जाता है। जैसे- गौशाला, विद्यालय, धर्मशाला, बालहठ। व्याकरण में यौगिक शब्दों की रचना संधि, समास, उपसर्ग तथा प्रत्यय आदि से होती है।
योगरूढ़ शब्द : जो शब्द यौगिक शब्दों के समान रहते हुए भी अपने निश्चित अर्थ को ही ग्रहण करते हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे – पंकज का अर्थ पंक + ज = कमल। यानी पंक में जन्म लेनेवाला पंकज। इसी प्रकार नीरज, पीताम्बर, गोपाल आदि शब्द।
व्याकरण में प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद : रूप के आधार पर शब्द के दो भेद हैं – विकारी, अविकारी।
विकारी शब्द : इस वर्ग में संज्ञा, सर्वनाम क्रिया तथा विशेषण आदि शब्द आते हैं। कोई भी नाम संज्ञा होता है। संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होनेवाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। विशेषण शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं। क्रिया शब्द करने अथवा होने को प्रकट करता हैं।
अर्थों के अनुसार शब्दों का मूल रूप से अन्य खंडों में विभाजन : इन भागों के अतिरिक्त अर्थों के अनुसार शब्दों को मूल रूप से अन्य खंडों में निम्नलिखित ढंग से विभाजित किया जा सकता है – एकार्थी, बहुअर्थी, समानार्थी, विलोमार्थी, ध्वनिप्रधान, युग्म तथा अन्य। एकार्थी में शहर, वस्तु, मनुष्य के निश्चित नाम जैसे राम, घनश्याम आदि आते हैं। बहुअर्थी में अनेक अर्थवाले शब्दों का समावेश होता है। जैसे- कनक, हरि, हल, वयोधर आदि। समानार्थी, विलोमार्थी शब्दों में पर्यायवाची तथा विरुद्ध अर्थवाले शब्द आते हैं। ध्वन्यार्थी शब्दों का ध्वन्यार्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे – मिनमिनाना, फड़फड़ाना। शब्दयुग्म शब्द दो शब्दों के योग से बनते हैं। जैसे – गुम-सुम, बार-बार, घर-घर, बाल-बच्चा।
संकर शब्द : हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जो ऊपर वर्णित किसी भी वर्ग में नहीं आते तथा दो या दो से अधिक शब्दों या भाषाओं से निर्मित होते हैं। ये शब्द संकर / द्विज कहलाते हैं। जैसे रेलगाड़ी (रेल – अंग्रेजी, गाड़ी – हिन्दी), डाकखाना (डाक – हिन्दी, खाना – फारसी) आदि।
रचना के आधार पर : शब्दों का गठन व्युत्पत्ति के आधार पर रूढ़, यौगिक तथा योगरूढ़ आधार पर किया जाता है। यहाँ यौगिक रूप पर विचार करना अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है।
यौगिक शब्दों की रचना संधि, समास, उपसर्ग तथा प्रत्यय द्वारा होती है।
शब्द निर्माण शब्दार्थ :
- सार्थक – जिसका अर्थ हो।
- वर्णसमुदाय – वर्णों के समूह।
- ध्वन्यात्मक – ध्वनि करनेवाला।
- वर्णात्मक – वर्णयुक्त, वर्ण संबंधी।
- मूलतः – मूल रूप से।
- निरर्थक – जिसका कोई अर्थ न हो।
- विकृत – जिसका रूप बिगड़ गया हो।
- वर्गीकरण – अलग-अलग वर्ग के अनुसार छोटकर अलग-अलग करना।
- प्रक्रिया – विधि, किसी चीज के तैयार होने की क्रिया।
- समृद्ध – सम्पन्न।
- व्युत्पत्ति – मूल, शब्द का मूल रूप।
- शब्दांश – शब्द का अंश।
- बोध – जानकारी, ज्ञान।
- सांकेतिक – संकेत संबंधी, संकेतवाली।
- आभास – झलक, संकेत।
- पथक – अलग।
- प्रतीकार्थ – जिसका प्रयोग प्रतीक के रूप में हुआ हो।