GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

Gujarat Board GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

GSEB Class 11 Hindi Solutions आत्मा का ताप Textbook Questions and Answers

अभ्यास

पाठ के साथ 

प्रश्न 1.
रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की ?
उत्तर :
लेखक को मध्य प्रांत की सरकार की तरफ से बंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला लेने के लिए छात्रवृत्ति मिली । जब वे अमरावती के गवर्नमेंट नार्मल स्कूल से त्यागपत्र देकर बंबई पहुँचे तो दाखिले बंद हो चुके थे । सरकार ने छात्रवृत्ति वापस ले ली तथा उन्हें अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की ।

लेखक ने यह पेशकश स्वीकार नहीं की, क्योंकि उन्होंने बंबई शहर में रहकर अध्ययन करने का निश्चय कर लिया था । उन्हें यहाँ का वातावरण, गैलरियाँ व मित्र पसंद आ गए । चित्रकारी की गहराई को जानने-समझने के लिए बंबई अच्छी जगह थी । चित्रकारी सीखने की प्रबल इच्छा के कारण उन्होंने यह पेशकश तुकरा दी ।

प्रश्न 2.
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए ?
उत्तर :
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने कड़ा संघर्ष किया । सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिली । वे सुबह दस बजे से सायं छह बजे तक वहाँ काम करते थे फिर मोहन आर्ट क्लब जाकर पढ़ते और अंत में जैकब सर्कल में एक परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात गुजारने के लिए जाते थे ।

कुछ दिन बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट में कमरा मिल गया । उन्हें फर्श पर सोना पड़ता था । वे रात के ग्यारह-बारह बजे तक चित्र व रेखाचित्र बनाते थे । उनकी मेहनत देखकर उन्हें मुख्य डिज़ाइनर बना दिया गया । कठिन परिश्रम के कारण उन्हें मुंबई आर्ट्स सोसायटी का स्वर्ण पदक मिला । 1943 ई. में उनके दो चित्र आर्ट्स सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में रख्खे गए, किंतु उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया ।

उनके चित्रों की प्रशंसा हुई । उनके चित्र 40-40 रुपये में बिक गए । वेनिस अकादमी के प्रोफेसर वाल्टर लैंगहमर ने उन्हें अपना स्टूडियो दिया । लेखक दिनभर मेहनत करके चित्र बनाता था तथा लैंगहैमर उन्हें देखते तथा खरीद भी लेते । इस प्रकार लेखक नौकरी छोड़कर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र बना ।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 3.
भले ही 1947 और 1948 में महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे – रज़ा ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर :
रज़ा ने इन्हें कठिन बरस इसलिए कहा, क्योंकि इस दौरान उनकी माँ का देहांत हो गया । पिता जी की मंडला लौटना पड़ा तथा अगले साल उनका देहांत हो गया । इस प्रकार उनके कंधों पर सारी जिम्मेदारियाँ आ पड़ी । 1947 में भारत आजाद हुआ, परंतु विभाजन की त्रासदी भी थी, गांधी की हत्या भी 1948 में हुई । इन सभी घटनाओं ने लेखक को हिला दिया । अतः वह इन्हें कठिन वर्ष कहता है ।

प्रश्न 4.
रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे ?
उत्तर :
रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकारों में सेज़ों वॉन गॉज गोगा, पिकासो, मातीस, शागाल और ब्रॉक थे । इनमें वे पिकासो से सर्वाधिक प्रभावित थे ।

प्रश्न 5.
तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है । तुम्हें मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया
जाता है, आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है – यह बात
क. किसने, किस संदर्भ में कही ?
उत्तर :
यह बात प्रख्यात फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-बेसाँ ने श्रीनगर की यात्रा के दौरान सैयद हैदर रजा के चित्रों को देखकर कही थी । उनका मानना था कि चित्र में भवन-निर्माण के समान सभी तत्त्व मौजूद होने चाहिए । चित्रकारी में रचनात्मकता की जरूरत होती है । उसने लेखक को सेजों के चित्र देखने की सलाह दी ।

ख. रज़ा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
ख. फ्रेंच फोटोग्राफर की सलाह का रज़ा पर गहरा प्रभाव पड़ा । मुंबई लौटकर उन्होंने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रांस में दाखिला लिया । उनकी रुचि फ्रेंच पेंटिंग में पहले ही थी । अब वे उसकी बारीकियों को समझने का प्रयास करने लगे । इस कारण उन्हें फ्रांस जाने का अवसर भी मिला | उनकी कला में और भी निखार आया । सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ा कि रज़ा की कलाकृतियों में सर्जनात्मकता का समावेश हो गया ।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1.
रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते ? तर्क सहित लिखिए ।
उत्तर :
रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते ! इसका कारण है – उनके अंदर चित्रकार बनने की अदम्य इच्छा थी । लेखक बचपन से ही प्रतिभाशाली था । उसे आजीविका का साधन मिल गया था, परंतु उसने सरकारी नौकरी छोड़कर चित्रकला सीखने के लिए कड़ी मेहनत की । मेहनत करनेवालों का साथ कोई-न-कोई दे देता है ।

जलील साहब ने भी उसकी प्रतिभा, लगन व मेहनत को देखकर सहायता की । लेखक के उत्साह, संघर्ष करने की क्षमता, काम करने की इच्छा ही उसे महान चित्रकार बनाती है । सच बात तो यह है कि सच्चे कलाकार जन्म लेते हैं, कहीं बनाये नहीं जाते ।

हाँ, इतना जरूर है कि किसी का साथ-सहकार मिल जाने से कलाकार का जीवन-संघर्ष कम हो जाता है, उसके कला सर्जन का मार्ग सरल हो जाता है । मगर कलाकार न किसी की कृपा का गरजमंद होता है न उसकी कला किसी की मोहताज होती है । सच्ची प्रतिभा दैवीय प्रेरणा से स्वयंस्फूर्त होती है।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 2.
चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं – इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए ।
उत्तर :
लेखक का यह कथन बिलकुल सही है । जो व्यक्ति इस कला को सीखना चाहता हैं, उन्हें व्यावसायिकता छोड़नी होती है । व्यवसाय में व्यक्ति अपनी इच्छा से अभिव्यक्ति नहीं कर सकता । यह धन के लालच में कला के तमाम नियम तोड़ देता है तथा ग्राहक की इच्छानुसार कार्य करता है । उसकी रचनाओं में भी गहराई नहीं होती । ऐसे लोगों का भविष्य कुछ नहीं होता ।

जो कलाकार मन व कर्म से कलाकर्म करते हैं ये अमर हो जाते हैं । उनकी कृतियाँ कालजयी होती हैं, उन्हें पैसे की कमी भी नहीं रहती, क्योंकि उच्चस्तर की रचनाएँ बहुत महँगी मिलती है । आज भी कला को समर्पित कलाकारों की कमी नहीं है । उनकी कला साधना ने एक से एक उत्तम कलाकृतियाँ प्रस्तुत की है, क्योंकि कला उनके लिए व्यवसाय नहीं, आत्मा की पुकार है । अतः कला के वर्तमान को देखकर अनंत संभावनाएँ जगती है और चित्रकला का भविष्य उज्ज्वल है ।

प्रश्न 3.
‘हमें लगता था कि हम पहाड़ हिला सकते हैं। आप किन क्षणों में ऐसा सोचते हैं ?
उत्तर :
जब व्यक्ति में कुछ करने की क्षमता व उत्साह होता है, तब वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है । मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास तब आता है जब कोई समस्या आती है । मैं उस पर गंभीरता से विचार करता हूँ तथा उसका सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करता हूँ । ऐसे समय में मैं अपने मित्रों व सहयोगियों का साथ लेता हूँ ।

समस्या के शीघ्र हल होने पर हमें लगता है, कि हम कोई भी कार्य कर सकते हैं । जब हमारे छोटे-छोटे साहस सफलता में बदलने लगते हैं, तब हमारा आत्मविश्वास बढ़ने लगता है, हमारा हौसला बढ़ने लगता है । तब हम बड़ी चुनौतियों को भी सहज स्वीकार करने लगते हैं । हमारे काम की चारों ओर सराहना होने लगती है । ऐसे में हमें लगता है कि ‘हम पहाड़ भी हिला सकते हैं’ अर्थात् असंभव को संभव बनाने का हौंसला बनाते हैं ।

प्रश्न 4.
राजा रवि वर्मा, मकबूल फिदा हुसैन, अमृता शेरगिल के प्रसिद्ध चित्रों का एक अलबम बनाइए । सहायता के लिए इंटरनेट या किसी आर्ट गैलरी से संपर्क करें ।
उत्तर :
GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप 1

भाषा की बात

प्रश्न 1.
जब तक मैं बंबई पहुँचा, तब तक जे. जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था – इस वाक्य को हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं। मेरे बंबई पहुंचने से पहले जे. जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था। नीचे दिए गए वाक्यों को इस दूसरे तरीके से लिखिए :
(क) जब तक मैं प्लेटफॉर्म पहुँचती तब तक गाड़ी जा चुकी थी।
(ख) जब तक डॉक्टर हवेली पहुँचता तब तक सेठजी की मृत्यु हो चुकी थी।
(ग) जब तक रोहित दरवाजा बंद करता तब तक उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।
(घ) जब तक रूचि कैनवास हटाती तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी।
उत्तर :
(क) मेरे प्लेटफॉर्म पर पहुँचने से पहले गाड़ी जा चुकी थी।
(ख) डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले सेठजी की मृत्यु हो चुकी थी।
(ग) रोहित के दरवाजा बंद करने से पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।
(घ) रूचि के कैनवास हटाने से पहले बारिश शुरू हो चुकी थी।

प्रश्न 2.
‘आत्मा का ताप’ पाठ में कई शब्द ऐसे आए हैं जिनमें ओं का इस्तेमाल हुआ है; जैसे – ऑफ, ब्लॉक, नॉर्मल। नीचे दिए गए शब्दों में यदि ऑ का इस्तेमाल किया जाए तो शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आएगा ? दोनों शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट कीजिए।

1. हाल – दशा, स्थिति
दिनेश का हाल अब अच्छा है।
हॉल – बड़ा कमरा
तेजस्वी छात्रों का सम्मान समारोह तिलक हॉल में संपन्न होगा।

2. काफी – पर्याप्त
तुम्हारे लिये इतना कार्य पर्याप्त है।
कॉफी – एक पेय पदार्थ
आप चाय लेंगे या कॉफी ?

3. बाल – केश
राधा के बाल काले और लम्बे हैं।
चॉल – गेंद
युवराजसिंह ने छः बॉल में छः छक्के लगाकर रिकार्ड बना दिया।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

Hindi Digest Std 11 GSEB आत्मा का ताप Important Questions and Answers

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
लेखक ने नौकरी से त्यागपत्र क्यों दिया ?
उत्तर :
लेखक के पिता जी रिटायर हो जाने के बाद उन्हें नौकरी की तलाश थी। तब उन्हें गोंदिया में ड्राइंग का अध्यापक बना दिया गया। महीने-भर में ही उन्हें बंबई में ‘जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट’ में अध्ययन के लिए मध्य प्रांत की सरकारी छात्रवृत्ति मिली इसलिए उन्होंने सितंबर, 1943 में अमरावती के गवर्नमेंट नॉर्मल स्कूल से त्यागपत्र दे दिया।

प्रश्न 2.
लेखक की छात्रवृत्ति वापस लेने का कारण बताइए।
उत्तर :
लेखक को जे. जे. स्कूल में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिली परंतु त्यागपत्र देने व अन्य कारणों से वह मुंबई देर से पहुँचा। तब तक इस स्कूल में दाखिले बंद हो गए थे। यदि दाखिला हो भी जाता तो उपस्थिति का प्रतिशत पूरा नहीं हो पाता। अतः दाखिला न लेने के कारण छात्रवृत्ति वापस ले ली गई।

प्रश्न 3.
सरकार ने उन्हें क्या पेशकश की ?
उत्तर :
लेखक ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और उसे जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला भी नहीं मिला। अब वह बेरोजगार था।
अतः सरकार ने उसे अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की।

प्रश्न 5.
विश्व प्रसिद्ध चित्रकारों के फोटोग्राफ इकट्ठा कीजिए।

अतिरिक्त प्रश्न

प्रश्न 1.
कश्मीर के प्रधानमंत्री ने लेखक को कैसा पत्र दिया था ? उसका उसे क्या फायदा हुआ ?
उत्तर :
कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला ने उन्हें एक पत्र दिया, जिसमें लिखा था कि यह एक भारतीय कलाकार है, इन्हें जहाँ चाहे वहाँ जाने दिया जाए और इनकी हर संभव सहायता की जाए। एक बार लेखक बस से बारामूला से लौट रहा था। वहाँ पुलिसवाले ने शहरी आदमी को देखकर उन्हें बस से उतार लिया। पुलिसवाले ने पूछताछ की तो लेखक ने उसे शेन साहब की चिट्ठी उसे दिखाई। पुलिसवाले ने वह चिट्ठी देखते ही अपने गलती तथा उनकी परेशानी के लिए माफी मांगता हुआ सलाम ठोकता है।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 2.
लेखक को आर्ट्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में आमंत्रित क्यों नहीं किया गया ?
उत्तर :
1943 में आर्ट्स सोसायटी ऑफ इन्डिया की तरफ से मुंबई में एक चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई। इसमें सभी बड़े-बड़े नामी चित्रकारों को आमंत्रित किया गया। लेखक उन दिनों सामान्य कलाकार था। वह प्रसिद्ध नहीं था। इसलिए उसे आमंत्रित नहीं किया गया | हालाँकि उनके दो चित्र उस प्रदर्शनी में रखे गए थे।

प्रश्न 3.
प्रोफेसर लैंगहैमर कौन थे ? उन्होंने रज़ा की कैसे सहायता की ?
उत्तर :
प्रोफेसर लैंगहैमर वेनिस अकादमी में प्रोफेसर थे। रज़ा के चित्र देखकर उन्होंने प्रशंसा की तथा काम करने के लिए उसे अपना स्टूडियो दे दिया। वे द टाइम्स ऑफ इंडिया में आर्ट डायरेक्टर थे। लेखक दिन में उनके स्टूडियो में चित्र बनाता तथा शाम को उन्हें चित्र दिखाता। प्रोफेसर उन चित्रों का बारीकी से विश्लेषण करते। धीरे-धीरे ये उसके चित्र खरीदने भी लगे। इरा प्रकार उन्होंने रज़ा को आगे बढ़ने में सहयोग दिया।

प्रश्न 4.
कला के विषय में रज़ा के विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रज़ा का मत है कि चित्रकला व्यवसाय नहीं बल्कि अंतरात्मा की पुकार है। इसे अपना सर्वस्व देकर ही कुछ ठोस परिणाम मिल पाते हैं। ये कठिन परिश्रम को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। उन्हें हैरानी है कि अच्छे संपन्न परिवारों के बच्चे काम नहीं कर रहे, जबकि उनमें तमाम संभावनाएँ हैं। युवाओं को कुछ घटने का इंतजार नहीं करना चाहिए तथा खुद नया करना चाहिए।

प्रश्न 5.
धन के बारे में हैदर रज़ा की क्या राय है ?
उत्तर :
रज़ा का कहना है कि पैसा कमाना महत्त्वपूर्ण होता है। वैसे वह अंतत: महत्त्वपूर्ण नहीं ही होता। उनका मानना है कि उत्तरदायित्व होते हैं, किराया देना होता है, फीस देनी होती है, अध्ययन करना होता है। वे धन को प्रमुख मानते हैं। उनका मानना है कि पैसा कमाना महत्त्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6.
‘आत्मा का ताप’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर :
यह पाठ रज़ा की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘आत्मा का ताप’ का एक अध्याय है। इसका अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद मधु बी, जोशी ने किया है। इसमें रजा ने चित्रकला के क्षेत्र में अपने आरंभिक संघर्षों और सफलताओं के बारे में बताया है। एक कलाकार का जीवन-संघर्ष और कला-संघर्ष उसकी सर्जनात्मक बेचैनी अपनी रचना में सर्वस्व झोंक देने का उसका जुनून ये सारी चीजें रोचक शैली में बताई गई है।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 7.
सैयद हैदर रज़ा की कला के समय का उल्लेख अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
सैयद हैदर रज़ा की कला की जड़े बीसवीं सदी से जुड़ी हुई है, यह वो समय है जब हिन्दुस्तान को उपनिवेश बना दिया गया था, यह पूरी तरह से गरीब था तथा लोग स्वतंत्रता के लिए मचल रहे थे। कलाकारों को बार-बार यह कहा जा रहा था कि उनके लिए विक्टोरिया के तरीके और स्लेड स्कूल ही सीखने का सही रास्ता थे।

आदिवासी प्रतीकों, पेरिस के सपनों, स्वतंत्रता और रंगों के दर्शन शास्त्रों के साथ, प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप में शामिल रज़ा तथा कई अन्य लोगों ने औपनिवेशिक बंधनों को तोड़ दिया तथा आधुनिक भारतीय कला को जन्म दिया। अंग्रेजों द्वारा अपमानित प्राचीन तकनीकें और प्रतीक, एक बार पुन: भारत के कलाकारों को धरातल तथा आकार दे रहे थे। फ्रांस को तकनीक के एक शिक्षक के रूप में महत्त्व दिया गया था।

योग्य विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

प्रश्न 1.
हैदर रजा ……………….. स्कूल की परीक्षा में प्रथम आये।
(A) सिंगापुर
(B) नागपुर
(C) उदयपुर
(D) जोधपुर
उत्तर :
(B) नागपुर

प्रश्न 2.
लेखक ने ……………. नामक गवर्नमेंट नॉर्मल स्कूल से त्यागपत्र दे दिया।
(A) अमरावती
(B) सरस्वती
(C) कमलावती
(D) बारदा मंदिर
उत्तर :
(A) अमरावती

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 3.
लेखक के दोनों चित्र ……………… रुपये में बिक गए।
(A) 100-100
(B) 50-50
(C) 500-500
(D) 40-40
उत्तर :
(D)40-40

प्रश्न 4.
हैदर रज़ा के पिताजी की मौत सन् .. …………… में हुई।
(A) 1920
(B) 1940
(C) 1948
(D) 1950
उत्तर :
(C) 1948

प्रश्न 5.
लेखक ने पुलिसवाले को ……….. की चिट्ठी दिखाई।
(A) शेख अब्दुल्ला
(B) अब्दुल शेख
(C) परवेज खान
(D) अफजल
उत्तर :
(A) शेख साहब

प्रश्न 6.
शेख लेखक ……………… को मार्सेई पहुँचा।
(A) 5 सितम्बर, 1935
(B) 14 जनवरी, 1948
(C) 15 जून, 1920
(D) 2 अक्टूबर, 1950
उत्तर :
(D) 2 अक्टूबर, 1950

प्रश्न 7.
लेखक का जन्म सन् …………. में हुआ था।
(A) 1922
(B) 1948
(C) 1935
(D) 1940
उत्तर :
(A) 1922

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 8.
लेखक की मृत्यु सन् ………………. में हुई थी।
(A) 1998
(B) 2016
(C) 2001
(D) 1948
उत्तर :
(B) 2016

प्रश्न 9.
सैयद हैदर रज़ा का विवाह सन् .. ……………… में हुआ था।
(A) 1959
(B) 1947
(C) 1948
(D) 1950
उत्तर :
(A) 1959

प्रश्न 10.
सैयद हैदर रज़ा की माता का नाम ……………… था।
(A) ताहिरा बेगम
(B) मुस्कान बानु
(C) नाजीरा बानु
(D) रजिया बेगम
उत्तर :
(A) ताहिरा बेगम

एक-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
सैयद हैदर रज़ा की पहली एकल प्रदर्शनी कब और कहाँ प्रदर्शित हुई थी ?
उत्तर :
सैयद हैदर रज़ा की पहली एकल प्रदर्शनी 1946 में बॉम्बे आर्ट सोसाइटी सैलून में प्रदर्शित हुई थी।

प्रश्न 2.
सैयद हैदर रज़ा का विवाह कब और किसके साथ हुआ था ?
उत्तर :
सैयद हैदर रज़ा का विवाह 1959 में, फ्रांसिसी कलाकार जेनाइन मोंगिल्लेट के साथ हुआ था।

प्रश्न 3.
रज़ा के ‘सिटी स्केप’ और ‘बारामुला इन रूइन्स’ चित्र हिन्दुस्तान के किन दृश्यों को दशति हैं ?
उत्तर :
रज़ा के ‘सिटी स्केप’ और ‘बारामुला इन रूइन्स’ चित्र हिन्दुस्तान के विभाजन तथा मुंबई के दंगों में मुसलमानों के उत्पीड़न के दौरान प्रकट होनेवाले उनके दुःख तथा पीड़ा को दर्शाते हैं।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 4.
सैयद हैदर रज़ा ने भारतीय युवाओं को कला में प्रोत्साहन देने के लिए क्या किया ?
उत्तर :
सैयद हैदर रज़ा ने भारतीय युवाओं को कला के क्षेत्र में प्रोत्साहन देने के लिए भारत में रज़ा फाउन्डेशन की स्थापना की, जो युवा कलाकारों को वार्षिक ‘रज़ा फाउन्डेशन पुरस्कार’ प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
सैयद हैदर रज़ा की पत्नी की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर :
सैयद हैदर रज़ा की पत्नी की मृत्यु 5 अप्रैल, 2002 को पेरिस में उनकी मृत्यु हुई।

प्रश्न 6.
हैदर रजा भारत के सबसे महँगे और आधुनिक कलाकार कब और कैसे बने ?
उत्तर :
हैदर रजा 10 जून, 2010 को भारत के सबसे महँगे आधुनिक कलाकार बन गए, तथा जब क्रिस्टी की नीलामी में 88 वर्षीय रज़ा का ‘सौराष्ट्र’ नामक एक सृजनात्मक चित्र 16.42 करोड़ रुपयों में बिका तब वह भारत के सबसे महँगे और आधुनिक कलाकार बन गये।

प्रश्न 7.
हैदर रज़ा को 1956 के दौरान किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कहाँ ?
उत्तर :
हैदर रजा को 1956 के दौरान पेरिस में प्रिक्स डे ला क्रिटिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 8.
हैदर रजा के लिए 1947 और 1948 का वर्ष क्यों बहुत महत्त्वपूर्ण वर्ष सावित हुआ ?
उत्तर :
हैदर रज़ा के लिए 1947 और 1948 का वर्ष इसलिए महत्त्वपूर्ण रहा क्योंकि 1947 में उनकी माँ की मृत्यु हो गई तथा 1948 में मंडला में उनके पिता की मृत्यु हो गई, इस तरह से अपने माता-पिता को खोने के कारण 1947 और 1948 का वर्ष उनके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 9.
हैदर रज़ा के परिवार में उनके अलावा और कौन-कौन थे?
उत्तर :
हैदर रज़ा के परिवार में उनके अलावा चार भाई और एक बहन थी।

प्रश्न 10.
1962 में हैदर रज़ा किस विश्वविद्यालय के अंशकालिक व्याख्याता बन गए ?
उत्तर :
1962 में हैदर रज़ा अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अंशकालिक व्याख्याता बन गए। ससंदर्भ व्याख्या कीजिए। ‘तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। तुम्हें मालुम होना चाहिए, कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है – आधार, नींव, दीवारें, चीम, छत और तब जाकर वह टिकता है।

संदर्भ : प्रस्तुत गद्यांश सैयद हैदर रज़ा द्वारा लिखित आत्मकथा – ‘आत्मा का ताप’ से लिया गया है। यह बात प्रसिद्ध फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसॉ ने श्रीनगर में रज़ा के चित्रों को देखने के बाद कही।

व्याख्या :- उपरोक्त बात विश्व विख्यात फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसों ने श्रीनगर की यात्रा के दौरान सैयद हैदर रज़ा के चित्रों को देखकर कही थी। उन्होंने रज़ा को अच्छी चित्रकारी का मर्म समझाते हुए यह बात कहीं थी।

रज़ा के चित्रों को देखकर उन्हें ऐसा लगा कि रज़ा के चित्रों में रंगों और भावनाओं का सामंजस्य है, मगर रचना तत्त्व का अभाव है। इसकी पूर्ति के लिए फ्रेंच फोटोग्राफर ने रज़ा को यह सलाह दी कि कलात्मक चित्रों में रंगों – भावनाओं के साथ-साथ रचनात्मक का होना भी जरूरी है।

विशेष :

  • यहाँ कलासाधना का महत्त्व उजागर हुआ है।
  • कला में सर्जनात्मकता – रचनात्मकता का होना आवश्यक है।

सही गलत के निशान लगाइए।

प्रश्न 1.

  1. दिन भर काम करने के बाद लेखक पढ़ने के लिए मोहन आर्ट क्लब जाता था।
  2. लेखक जेकब सर्कल में टैक्सी ड्राइवर के घर सोता था।
  3. जलील साहब ने कई दिनों तक लेखक को देर रात तक स्केच बनाते हुए देखा था।
  4. नवंबर, 1943 में आर्ट्स सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में लेखक के दो चित्र प्रदर्शित हुए।
  5. मुंबई आकर रज़ा ने अलयांस फ्रांसे में मराठी भाषा सीखी।
  6. 1943 में आर्ट्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी के उद्घाटन में लेखक को आमंत्रित किया गया।
  7. मुंबई में लेखक की मुलाकात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए ब्रेसाँ से हुई।
  8. ‘तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है।’ यह वाक्य सैयद हैदर रज़ा का है।
  9. सरकार ने लेखक को अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की।
  10. आर्ट्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में लेखक के चित्र 20-20 रुपये में बिक गए।

उत्तर :

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. गलत
  6. गलत
  7. गलत
  8. गलत
  9. सही
  10. गलत

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

अपठित गद्यांश

नीचे दिए गए गद्यखंड को पढ़कर उस पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

यदि सभी लोग अपने-अपने धर्म का पालन करें तो सभी सुखी और समृद्ध रह सकें। परन्तु आज ऐसा नहीं हो रहा है। धर्म का स्थान गौणातिगौण हो गया है, इसलिए सुख और समृद्धि भी गूलर का फूल हो गई है। यदि एक सुखी और सम्पन्न है तो पचास – दुःखी और दरिद्र है। साधनों की कमी नहीं है परन्तु धर्मबुद्धि के विकसित न होने से उनका उपयोग नहीं हो रहा है।

कुछ स्यार्थी और युयुत्स प्रकृति के प्राणी तो स्यात् समाज में सभी कालों में रहे हैं और रहेंगे, परन्तु आजकल ऐसी व्यवस्था है कि ऐसे लोगों को अपनी प्रवृत्ति के अनुसार काम करने का खुला अवसर मिल जाता है और उनकी सफलता दूसरों को इनका अनुगामी बना देती है। दूसरी ओर जो लोग सचमुच सदाचारी है, उनके मार्ग में पदे-पदे अड़चने पड़ती है। मनुष्य का सबसे बड़ा पुरुषार्थ मोक्ष है।

परन्तु समाज किसी में हठात् आत्मसाक्षात्कार की इच्छा उत्पन्न नहीं कर सकता। न कोई योगी बनने के लिए विवश किया जा सकता है, न ब्रह्मविवित्सुओं के लिये सार्वजनिक पाठशालाएँ खोली जा सकती है। बलात् कोई धर्मात्मा भी नहीं बनाया जा सकता।

परन्तु समाज का संव्यूहन ऐसा हो सकता है कि सबके सामने आत्मज्ञान का आदर्श रहे, वैयक्तिक और सामूहिक जीवन का मूलमंत्र प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग हो और सबको अपनी सहज योग्यताओं के विकास का अवसर मिले। यदि ऐसी अवस्था हो तो धर्म का स्वतः प्रोत्साहन और मुमुक्षा को अनुकूल वातावरण मिल जायेगा। इसके साथ ही यह बात भी आपही सिद्ध हो जायगी कि जिन लोगों की धर्मबुद्धि उबुद्ध नहीं है, वे समाज की बहुत क्षति न कर सकें।

प्रश्न 1.
लेखक के मतानुसार लोगों के दुःख तथा दरिद्रता का क्या कारण है ?
उत्तर :
लेख्नक के मतानुसार लोगों के दुःख तथा दरिद्रता का कारण यह है कि लोग अपने-अपने धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। साधनों की कमी नहीं है किन्तु धर्मबुद्धि के विकसित न होने से उनका उपयोग नहीं हो रहा है।

प्रश्न 2.
‘सुख और समृद्धि गूलर का फूल हो गई है’ – का क्या आशय है ?
उत्तर :
‘सुख और समृद्धि गूलर का फूल हो गई है’ – लेखक के इस कथन का यह आशय है कि धर्म का स्थान अत्यंत गौण हो जाने से समाज में यदि एक व्यक्ति सुखी है तो पचास दुःखी तथा दरिद्र हैं। सुख-समृद्धि अदृश्य हो गए हैं।

प्रश्न 3.
लेखक वर्तमान व्यवस्था की किस बड़ी कमी की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कर रहा है ?
उत्तर :
लेखक कह रहा है कि स्वार्थी प्रकृति के लोग तो सभी युगों में समाज में रहे, रहेंगे किन्तु वर्तमान युग में ऐसे लोगों को अपनी – प्रवृत्ति के अनुसार काम करने का खुला अवसर मिल जाता है और उनकी सफलता दूसरों को उनका अनुगामी बना देती है।

प्रश्न 4.
समाज का संव्यूहन कैसा हो कि उसमें धर्म को स्वत: प्रोत्साहन मिले तथा मुमुक्षा को अनुकूल वातावरण प्राप्त हो ?
उत्तर :
समाज में सबके सम्मुख आत्मज्ञान का आदर्श हो, व्यक्तिगत तथा सामूहिक जीवन का मूल आदर्श प्रतिस्पर्धा न होकर सहयोग हो और सभी को अपनी योग्यताओं के विकास का अवसर मिले। यदि एसी अवस्था होगी तो धर्म को स्वतः प्रोत्साहन तथा मुमुक्षा को अनुकूल वातावरण मिल जाएगा।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

प्रश्न 5.
‘युयुत्स’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
‘युयुत्स’ का अर्थ है, युद्ध की इच्छा रखनेवाला।

प्रश्न 6.
सार्वजनिक में उपसर्ग, प्रत्यय अलग करके मूल शब्द लिखिए।
उत्तर :
सार्वजनिक में ‘सर्व’-उपसर्ग, ‘इक’ प्रत्यय तथा ‘जन’ मूल शब्द है।

आत्मा का ताप Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन परिचय : – सैयद हैदर रज़ा का जन्म 22 फ़रवरी, 1922 में मध्यप्रदेश के नरसिंगपुर जिले के बाबरिया में, जिले के उपवन अधिकारी सैयद मोहम्मद रज़ी और ताहिरा बेगम के घर हुआ था । यहीं पर उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष गुज़ारे । 12 वर्ष की आयु में चित्रकला सीखी, जिसके बाद 13 वर्ष की आयु में मध्यप्रदेश के ही दमोह चले गए, जहाँ उन्होंने राजकीय उच्च विद्यालय, दमोह से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की ।

हाईस्कूल के बाद, उन्होंने नागपुर में नागपुर कला विद्यालय (1939-43), तथा उसके बाद सर जे. जे. कला विद्यालय, मुंबई (1943-47) से अपनी आगे की शिक्षा प्राप्त की तथा भारत में अपनी कला की अनेक प्रदर्शनियाँ आयोजित की । इसके बाद 19501953 के बीच फ्रांस सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद अक्टूबर, 1950 में पेरिस के इकोल नेशनल सुपेरियर डे यू आर्ट्स से शिक्षा ग्रहण करने के लिए फ्रांस चले गए।

इन्होंने आधुनिक भारतीय कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया । पढ़ाई के बाद उन्होंने यूरोपभर में यात्रा की और पेरिस में रहना तथा अपने काम का प्रदर्शन जारी रखा । बाद में 1956 के दौरान उन्हें पेरिस में प्रिक्स डेला क्रिटिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा इन्हें ग्रेड ऑफिसर ऑव द आर्डर ऑव आर्ट्स एंड लेटर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया ।

पुरस्कार और सम्मान :

  • 1946 : रजत पदक, बॉम्बे आर्ट सोसायटी, मुंबई
  • 1948 : स्वर्ण पदक, बॉम्बे आर्ट सोसायटी, मुंबई
  • 1956 : प्रिक्स डे ला क्रिटिक, पेरिस
  • 1981 : पद्म श्री, भारत सरकार
  • 1981 : ललित कला अकादमी की मानव सदस्यता, नई दिल्ली
  • 1981 : कालिदास सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार
  • 2007 : पद्मभूषण, भारत सरकार

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

चित्रों की प्रदर्शनियाँ :

  • 1980 : गैलिरियेट, ओस्लो
  • 1982 : गैलरी लोएब, बर्न, स्विट्जरलैंड, गैलरी जेवाइ नोब्लेट, ग्रेनोबल
  • 1984 : शेमौल्ड गैलरी, बॉम्बे
  • 1985 : गैलेरी पियरे परत, पैरिस
  • 1987 : द हेड ऑफ द आर्टिस्ट, ग्रेनोबल

रचना :

सैयद हैदर रज़ा कलाकार तो हैं ही साथ ही अच्छे लेखक भी हैं । इनके द्वारा लिखी हुई पुस्तक का नाम है – ‘आत्मा का ताप’ (आत्मकथा)।

विशेषताएँ :

आधुनिक भारतीय चित्रकला को जिन कलाकारों ने नया और आधुनिक मुहावरा दिया, उनमें सैयद हैदर रज़ा का नाम महत्त्वपूर्ण है । रजा सिर्फ इसी वजह से कला की दुनिया में आदरणीय नहीं है बल्कि वे हुसैन व सूज़ा के समान महान कलाकार हैं जिन्होंने भारतीय चित्रकला को प्रसिद्धि दिलाई । इन्होंने भारतीय युवाओं के कला में प्रोत्साहन देने के लिए भारत में ‘रज़ा फाउन्डेशन’ की स्थापना भी की, जो युवा कलाकारों को वार्षिक रज़ा फाउन्डेशन पुरस्कार प्रदान करता है ।

हुसैन घुमक्कड़ी स्वभाव के कारण भारत में ही रहे । सूजा न्यूयॉर्क चले गए और रज़ा पेरिस में जाकर बस गए । इस तरह रज़ा की कला में भारतीय व पश्चिमी कला दृष्टियों का मेल हुआ । वे लंबे समय तक पश्चिम में रहे तथा वहाँ की कला की बारीकियों का अध्ययन किया । वे ठेठ रूप से भारतीय कलाकार हैं । बिंदु उनकी कला रचना के केंद्र में है । उनकी कई कलाकृतियाँ बिंदु का रूपकार है । यह बिंदु केवल रूपकार नहीं है बल्कि पारंपरिक भारतीय चिंतन का केंद्र – बिन्दु भी है । केंद्र – बिन्दु की तरफ इनका झुकाव इनके स्कूली शिक्षक नंदलाल झरिया ने कराया था ।

रज़ा की कला और व्यक्तित्व में उदारता है । इनकी कला में रंगों की व्यापकता और अध्यात्म की गहराई है । इनकी कला को भारत सहित दूसरे देशों में सराहा गया है । इन पर रुडॉल्फ वॉन लेडेन, पियरे गोदिबेयर, गीति सेन, जाक लासें, मिशेन एंवेयर आदि ने मोनोग्राफ लिखे हैं ।

प्रस्तुत पाठ रज़ा की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘आत्मा का ताप’ का एक अध्याय है । इसका अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद मधु बी. जोशी ने किया है । इसमें रज़ा ने चित्रकला के क्षेत्र में अपने अपने आरंभिक संघर्षों और सफलताओं के बारे में बताया है । एक कलाकार का जीवन-संघर्ष और कला-संघर्ष उसकी सर्जनात्मक बेचैनी, अपनी रचना में सर्वस्व झोक देने का उसका जुनून ये सारी चीजें रोचक शैली में बताई गई हैं ।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

पाठ का सारांश :

लेखक को स्कूल की परीक्षा के दस में नौ विषयों में विशेष योग्यता मिली तथा कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया । पिता जी के रिटायर होने के कारण उन्होंने गोंदिया में ड्राइंग टीचर की नौकरी की । शीघ्र ही उन्हें बंबई (मुंबई) के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में अध्ययन के लिए मध्य प्रांत की सरकारी छात्रवृत्ति सितंबर, 1943 में मिली ।

पद से त्यागपत्र देने के बाद वे बंबई पहुंचे तो दाखिला बंद हो चुका था । छात्रवृत्ति वापस ले ली गई । सरकार ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की, परंतु वे वापस नहीं लौटे और मुंबई में ही रहने लगे । यहाँ एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी की तथा सालभर की मेहनत के बाद स्टूडियो के मालिक जलील व मैनेजर हुसैन ने उन्हें मुख्य डिजाइनर बना दिया ।

दिनभर काम करने के बाद वे पढ़ने के लिए मोहन आर्ट क्लब जाते । वह जेकब सर्कल में टैक्सी ड्राइवर के घर सोते थे । वह ड्राइवर रात में टैक्सी चलाता था तथा दिन में सोता था । इस तरह इनका काम चलता था । एक रात नौ बजे वे कमरे पर पहुँचे तो वहाँ पुलिसवाला खड़ा था । पता चला कि यहाँ हत्या हुई है ।

वह घबरा गया तथा तुरंत पुलिस स्टेशन जाकर उसने कमिशनर से मिलकर सारी बात बताई । कमिशनर ने बताया कि टैक्सी में किसी ने सवारी की हत्या कर दी थी । अगले दिन जलील साहब ने सारी कहानी सुनने के बाद उसे आर्ट डिपार्टमेंट में कमरा दे दिया । – जलील साहब ने कई दिनों तक लेखक को देर रात तक स्केच बनाते हुए देखा था । जिससे प्रभावित होकर उन्होंने अपने फ्लैट का एक कमरा लेखक को दे दिया ।

लेखक पूरी तरह काम में डूब गये और 1948 ई. में उसे बॉम्बे सोसायटी का स्वर्ण पदक मिला । इस पुरस्कार को पानेवाला – यह सबसे कम आयु का कलाकार था । दो वर्ष के बाद इन्हें फ्रांस सरकार की छात्रवृत्ति मिली । नवंबर, 1943 में आर्ट्स सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में लेखक के दो चित्र प्रदर्शित हुए । अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया में कला समीक्षक रुडॉल्फ चॉन लेडेन ने लेखक के चित्रों की तारीफ की । दोनों चित्र 40-40 रुपये में बिक गए । ये पैसे उसकी महीने भर की कमाई से अधिक थे ।

लेखक को प्रोत्साहन देनेवालों में वेनिस अकादमी के प्रोफेसर वाल्टर लैंग हैमर भी थे । उन्होंने उसे काम करने के लिए अपना स्टूडियो दे दिया । वे द टाइम्स ऑफ इंडिया में आर्ट डायरेक्टर थे । लेखक दिन में बनाए हुए चित्र उन्हें दिखाते । उसका काम निखरता गया । लैंग हैमर उसके चित्र खरीदने लगे । 1947 ई. में ये जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र बन गये ।

1947-1948 के वर्ष बहुत कठिन थे । पहले लेखक की माता व फिर पिता का देहांत हो गया । देश में आजादी का उत्साह था परंतु विभाजन की त्रासदी थी । लेखक युवा कलाकारों के साथ रहता था । उन्हें लगता था कि वे पहाड़ हिला सकते हैं । सभी अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार बढ़िया काम करने में जुट गए । – लेखक ने 1948 ई. में श्रीनगर जाकर चित्र बनाए ।

तभी कश्मीर पर कबायली हमला हुआ । हालांकि लेखक ने भारत में रहने का फैसला किया । वह बारामूला तक गये जिसे घुसपैठियों ने ध्वस्त कर दिया था । लेखक के पास कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला का सिफारिश पत्र था जिसके आधार पर वह यात्रा कर सके । इस यात्रा में उनकी भेंट प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए – ब्रेसॉ से हुई ।

उसने लेखक के चित्रों की प्रशंसा की परंतु उनमें रचना का अभाव बताया । उसने सेजों का काम देखने की सलाह दी । लेखक पर इसका गहरा प्रभाव हुआ । मुंबई आकर उसने अलयांस फ्रांसे में फ्रेंच भाषा सीखी । 1950 ई. में फ्रेंच दूतावास में सांस्कृतिक सचिव से हुई वार्तालाप के बाद उन्हें दो वर्ष की छात्रवृत्ति मिली ।

लेखक 2 अक्टूबर, 1950 को फ्रांस के मार्सेई पहुँचा । मुंबई में उसमें काम करने की इच्छा थी । आत्मा का चढ़ा ताप लोगों को दिखाई देता था । लोग सहायता करते थे । वे युवा कलाकारों से कहते हैं कि चित्रकला व्यवसाय नहीं, आत्मा की पुकार है । इसे अपना सर्वस्व देकर ही कुछ ठोस परिणाम मिल जाते हैं ।

केवल जफरी को काम करने की ऐसी लगन मिली । वह दमोह शहर के आसपास के ग्रामीणों के साथ काम करती हैं । लेखक यह संदेश देना चाहता है कि कुछ घटने के इंतजार में हाथ पर हाथ धरे न बैठे रहो – खुद कुछ करो । अच्छे संपन्न परिवारों के बच्चे काम नहीं करते, जबकि उनमें तमाम संभावनाएँ हैं ।

– लेखक बुखार से छटपटाता-सा अपनी आत्मा को संतप्त किए रहता है । उसकी बात कोई बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, परंतु उसमें काम करने का संकल्प है । गीता भी कहती है कि जीवन में जो कुछ है, तनाव के कारण है । जीवन का पहला चरण बचपन एक जागृति है, लेकिन लेखक के लिए मुंबई का दौर भी जागृति का चरण था । वे कहते हैं पैसा कमाना महत्वपूर्ण है, पर अंततः वह महत्त्वपूर्ण नहीं होता । उत्तरदायित्व पूरे करने के लिए पैसे जरूरी हैं । उस दौर में लेखक को अपने माता-पिता और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को खोने का दुःख था ।

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 10 आत्मा का ताप

शब्दार्थ :

  • रिटायर – कार्य से मुक्त, सेवा निवृत्त
  • गैलरियाँ – चित्र प्रदर्शनी की जगह
  • दौर – सिलसिला
  • संदिग्ध – संदेह से युक्त
  • रामकहानी – घटना संबंधी सभी बातें, अपनी कहानी
  • उद्घाटन – शुरुआत करना
  • संयोजन – मेल
  • संग्राहक – इकट्ठा करनेवाला
  • त्रासदी – दुखद घटना
  • क्रूर – कठोर
  • उबरकर – मुक्त होकर
  • स्थानीय – वहीं का रहनेवाला
  • वार्तालाप – बातचीत
  • ऊर्जा – शक्ति
  • सर्वस्व – सब कुछ
  • धृष्टता – बिना किसी लिहाज के
  • संपन्न – धनी
  • आजीविका – रोजी-रोटी
  • संतप्त – दुखी, उदास
  • पेशकश – प्रस्ताव करना
  • डिजाइनर – नए रूप बनानेवाला
  • वारदात – घटना
  • अक्ल गुम होना – बुद्धि नष्ट होना
  • स्केच – रेखाओं से बने चित्र.
  • गलीज – गंदा
  • प्रतिभा – सृजन-शक्ति
  • दक्ष – कुशल
  • विश्लेषण – जाँचना – परखना
  • सामर्थ्य – शक्ति
  • आत्मसात् – मन में ग्रहण करना
  • ध्वस्त – नष्ट
  • शहराती – शहर में रहनेवाला
  • जीनियस – प्रतिभाशाली
  • ठोस – वास्तविक
  • हाथ पर हाथ धरना – कुछ न करना
  • चित्त – मन
  • उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *