Gujarat Board GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 4 कथनी और करनी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 7 Hindi Chapter 4 कथनी और करनी
GSEB Solutions Class 7 Hindi कथनी और करनी Textbook Questions and Answers
अभ्यास
1. सोचकर बताइए :
प्रश्न 1.
ईश्वर ने मनुष्य को अन्य प्राणियों से किस प्रकार श्रेष्ठ बनाया है?
उत्तर :
ईश्वर ने मनुष्य को सोचने-विचारने और कल्पना करने के लिए मस्तिष्क दिया है। उसने मनुष्य को अच्छे-बुरे का निर्णय करने के लिए विवेक-बुद्धि दी है। वाणी का वरदान भी
केवल मनुष्य को ही मिला है। मनुष्य जैसा सुंदर शरीर किसी दूसरे प्राणी का नहीं है। इस प्रकार ईश्वर ने मनुष्य को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ बनाया है।
प्रश्न 2.
“धूम्रपान वर्जित है।” कहाँ-कहाँ और क्यों लिखा होता है?
उत्तर :
“धूम्रपान वर्जित है।” ऐसा बसों और रेलगाड़ियों जैसे सार्वजनिक वाहनों में लिखा होता है। अस्पतालों, सिनेमागृहों और दवाखानों में भी धूम्रपान न करने की चेतावनी दी जाती है। बाग-बगीचे, पुस्तकालय, प्रतीक्षालय, धर्मशाला और सार्वजनिक शौचालय आदि स्थानों पर ऐसी पट्टियाँ लगी होती हैं। धूम्रपान से वायु प्रदूषित होती है। प्रदूषित वायु में साँस लेने से छाती और फेफड़े की कई बीमारियाँ होती हैं। इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान की मनाई की जाती है।
प्रश्न 3.
फूल सबको अच्छे क्यों लगते हैं?
उत्तर :
फूल रंग-बिरंगे होते हैं। उनमें से मनभावनी सुगंध निकलती है। फूल प्राकृतिक गहनों का काम करते हैं। फूलों के तोरणों से स्थान और फूलों की मालाओं से मूर्ति की शोभा बढ़ जाती है। फूलहार का उपयोग विशिष्ट व्यक्ति का सम्मान करने में होता हैं। अपने इन गुणों और उपयोगों के कारण फूल सबको अच्छे लगते हैं।
प्रश्न 4.
लोग कहाँ-कहाँ कतार में खड़े रहते हैं?
उत्तर :
लोग ट्रेन, सरकस, प्रदर्शनी और सिनेमा के टिकट के लिए कतार में खड़े रहते हैं। राशन की दुकानों से राशन लेने के लिए भी लोगों को कतार में खड़ा होना पड़ता है। लाइट या टेलीफोन के बिल भरने के लिए भी लोग कतार में खड़े होते हैं। बस में चढ़ने के लिए भी यात्री कतार में खड़े होते हैं। शहरों में मॉल में की गई खरीदी का बिल चुकाने के लिए कतार लगती है। बैंक में लोग कतार में खड़े होकर पैसे जमा करते या निकालते हैं। इस प्रकार लोग आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर कतार में खड़े रहते हैं।
विरामचिह्न
निम्नलिखित वाक्य पढ़िए :
(1) नीम गुणकारी पेड़ है।
(2) आप कहाँ जाएँगे?
(3) अरे, देखो, बस आ गई !
(4) अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, गुजरात के बड़े शहर हैं।
ऊपर दिए हुए वाक्यों में (।), (?), (!) और (,) ये चिह्न आए हैं। व्याकरण में इन चिह्नों को ‘विरामचिह्न’ कहते हैं।
विरामचिह्न : पढ़ते समय कहाँ रुकना और कितना रुकना तथा वाक्य का कैसा भाव सूचित करना इसके लिए जिन विभिन्न चिह्नों का प्रयोग किया जाता है,उन्हें विरामचिह्न कहते हैं।
मुख्य विरामचिह्न : –
(1) पूर्णविराम ( । ) : इस चिह्न का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है। उदा., साहिल मेरा भाई है।
(2) अल्पविराम ( , ) : वाक्य पढ़ते समय जहाँ थोड़ी देर के लिए रुकना हो, वहाँ इस चिहन का प्रयोग किया जाता है।
उदा., विज्ञान, गणित, भूगोल मेरे प्रिय विषय हैं।
(3) प्रश्नसूचक चिह्न ( ? ) : इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाक्य के अंत में किया जाता है।
उदा., तुम कहाँ जाओगे?
(4) उद्गार चिह्न ( ! ) : इस चिह्न का प्रयोग हर्ष, प्रशंसा, दु:ख, आश्चर्य, घृणा आदि भावों को सूचित करनेवाले शब्द अथवा वाक्य के अंत में किया जाता है।
उदा.,
(1) वाह ! क्या स्वाद है ! (प्रशंसा)
(2) अरे ! आप यहीं है ! (आश्चर्य)
(3) छिः ! यह कितनी गंदी जगह है ! (घृणा)
(5) अवतरण चिह्न ( “……” ) : जब किसी के कहे गए शब्दों को ज्योंका-त्यों लिखना हो, तब इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
उदा., सुभाषचन्द्र बोस ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
(6) योजक चिह्न (-) : इस चिह्न का प्रयोग शब्दों को जोड़ने के लिए होता है।
उदा., सुख-दुःख, माता-पिता, पाप-पुण्य, देश-विदेश आदि।
प्रश्न 2. (अ ) विरामचिह्नों और उनके नाम की जोड़ बनाइए :
(1) ? — (1) उद्गार चिह्न / विस्मय चिह्न
(2) । — ( 2 ) अवतरण चिह्न
(3) ! — ( 3 ) योजक चिह्न
(4) , — ( 4 ) प्रश्नसूचक चिह्न
(5) ” ” (5) पूर्णविराम
(6) (-) — (6) अल्पविराम
उत्तर :
(1) ? – प्रश्नसूचक चिह्न
(2) । – पूर्णविराम
(3) ! – उद्गार चिह्न / विस्मय चिह्न
(4), – अल्पविराम
(5) ” ” – अवतरण चिह्न
(6) (-) – योजक चिह्न
(ब) वाक्यों को पढ़कर उचित विरामचिह्न का प्रयोग कीजिए :
(1) फूल तोड़ना मना है
(2) वाह कितना सुंदर दृश्य है
(3) बसों में लिखा होता है धूम्रपान वर्जित है
(4) धारा रात दिन पढ़ती रहती है ।
(5) पौधे बारिश में ही क्यों लगाए जाते हैं
उत्तर :
(1) फूल तोड़ना मना है।
(2) वाह ! कितना सुंदर दृश्य है !
(3) बसों में लिखा होता है, “धूम्रपान वर्जित है।”
(4) धारा रात-दिन पढ़ती रहती है।
(5) पौधे बारिश में ही क्यों लगाए जाते हैं?
3. निम्नलिखित वाक्यों में से जातिवाचक संज्ञा के आसपास ) चिह्न कीजिए :
(1) मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है।
(2) शिल्पा ने चार पौधे बोए (लगाए)।
(3) शहर के लोग सुबह-शाम टहलने जाते हैं।
(4) फूल सबको अच्छे लगते हैं।
उत्तर :
(1) (मनुष्य) अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है।
(2) शिल्पा ने चार (पौधे) बोए (लगाए)।
(3) (शहर) के लोग सुबह-शाम टहलने जाते हैं।
(4) (फूल) सबको अच्छे लगते हैं। प्रश्न
4. कथनी और करनी में समानता रखने में मुश्किलें आती हैं या नहीं? चर्चा कीजिए। .
[ राकेश, चंपक और गीता वार्तालाप करते हुए]
राकेश : कथनी और करनी में समानता रखना बड़ा कठिन है। इसमें काफी ___ मुश्किलें आती हैं।
चंपक : धन्य हैं वे लोग, जिनकी कथनी और करनी एक जैसी होती हैं। मुझसे तो यह कभी नहीं हो सकता।
गीता : अरे, किसी से नहीं हो सकता। मेरी माँ मुझसे सदा सच बोलने के लिए कहती है और वे खुद पड़ोसन आंटी से झूठ बोलती है।
राकेश : मेरे पिताजी, झूठ बोलने पर मुझे डाँटते हैं और जब मकान-मालिक किराया माँगने आता है तब मुझसे कहते हैं, “जा, सेठ से कह दे कि पिताजी घर में नहीं है।”
चंपक : अरे भाई, जिनकी कथनी और करनी एक होती है, वे ‘संत’ कहलाते हैं। यहाँ न किसीकी माँ संत है, न बाप।।
गीता : फिर भी हमें कथनी और करनी समान रखने के लिए प्रयत्न करने चाहिए। जिसकी कथनी और करनी एक होती है उसी मनुष्य का दुनिया में आदर होता है।
5. परिच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
आप शुद्ध हृदय से इस बात पर विचार करें कि माता, मातृभूमि और मातृभाषा का आप पर भी ऋण है। एक जननी आपको जन्म देती है, एक की गोद में खेल कूदकर और खा-पीकर आप पुष्ट होते हैं और एक आपको अपने भावों को प्रकट करने की शक्ति देकर आपके सांसारिक जीवन को सुखमय बनाती है, जिसका आप पर इतना उपकार है, उसके लिए कुछ करना क्या आपका परम कर्तव्य नहीं है?
प्यारे भाइयो, उठो ! आलस्य छोड़ो, काम करो और अपनी मातृभाषा की सेवा में तत्पर हो जाओ, इस व्रत का पालन करना तलवार की धार पर चलने के समान है। अत्यंत खेद का विषय है कि आज अधिकांश भारतवासी अपनी मातृभाषा की उपेक्षा करते हैं। वे अंग्रेजी बोलकर अपने अहंकार तथा दूषित मनोवृत्ति का परिचय देते हैं। जो अपनी मातृभाषा का तिरस्कार करता है, उसे कभी देशभक्त नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न 1.
हम पर किस-किसका ऋण हैं?
उत्तर :
हम पर माता, मातृभूमि और मातृभाषा का ऋण है।
प्रश्न 2.
माता का ऋण हमें क्यों अदा करना चाहिए?
उत्तर :
हमें माता का ऋण अदा करना चाहिए, क्योंकि उसीने हमें जन्म दिया है।
प्रश्न 3.
किस व्रत का पालन करना अत्यंत कठिन है?
उत्तर :
मातृभाषा पर गर्व करना और उसकी सेवा में तत्पर रहना हमारा कर्तव्य है। परंतु इस व्रत का पालन करना अत्यंत कठिन है।
प्रश्न 4.
किसे देशभक्त नहीं कहा जा सकता?
उत्तर :
जो मातृभाषा का तिरस्कार कर अंग्रेजी बोलने में गर्व अनुभव करता है, उसे देशभक्त नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न 5.
गद्यांश को उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
सच्चा देशभक्त अथवा माता, मातृभूमि और मातृभाषा
स्वाध्याय
प्रश्न 1.
अंदाज अपना-अपना : “कथनी और करनी में अंतर” विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
मैं मानता हूँ कि कथनी और करनी में एकता रखना वीरों और सज्जनों का काम है। कथनी और करनी उसी की एक हो सकती हैं जो सत्यवादी, निर्भय और साहसी हैं। चरित्रहीन डरपोक लोग अपनी कथनी और करनी में एकता कभी नहीं रख सकते।
प्रश्न 2.
“कथनी और करनी में अंतर” विषय पर अपने दोस्त ने जो विचार लिखे हैं, उन्हें पढ़िए।
उत्तर :
‘कथनी और करनी में अंतर’ इस विषय पर मेरे दोस्त ने लिखा है, “मैंने बहुत कोशिश की कि मैं जैसा कहूँ, वैसा ही करूँ, परंतु मुझे सफलता नहीं मिली। मैंने एक दिन माँ से कहा कि कल मैं सुबह जल्दी उठकर टहलने जाऊँगा। दूसरे दिन माँ मुझे जगाते-जगाते थक गई, पर मैं नहीं उठा। मेरी कथनी और करनी में हमेशा जमीन-आसमान का अंतर रहा। मेरे विचार से कहना बहुत आसान है, पर अपने कहे हुए को व्यवहार में लाना बहुत मुश्किल है। फिर भी मैं कोशिश करूँगा कि मेरी कथनी और करनी में अंतर न हो। यदि मुझे कुछ बनकर दिखाना है, तो अपनी कथनी को करनी में बदलना ही होगा।”
प्रश्न 3.
करके दिखाइए :
कोष्ठक में दिए गए शब्दों को उचित क्रम में रखकर उदाहरण के अनुसार वाक्य लिखिए :
उदाहरण : फूल तोड़ना मना है।
उत्तर :
(1) मैं हररोज खेलने जाता हूँ।
(2) सबको कथनी-करनी में समानता रखनी चाहिए।
(3) वे कहीं से अच्छे पौधे लाए।
भाषा-सज्जता
कहावतें
भाषा में मुहावरों की तरह कहावतों का भी प्रयोग किया जाता है।
उदा., (1) जब कोई व्यक्ति बिना कोई काम किए पड़ा रहता है, तब उसके लिए कहा जाता है :
“काम का न काज का, ढाई सेर अनाज का”
( 2 ) जब अधिक मेहनत करने पर भी फल कम मिलता है, तो उसके लिए कहा जाता है :
“खोदा पहाड़ निकली चुहिया”
कहावत : लोगों के अनुभवों के आधार पर कही गई और बाद में समाज में रुढ़ होनेवाली बात या उक्ति को ‘कहावत’ कहते हैं।
निम्नलिखित कहावतों को पढ़िए और समझिए :
कहावत — अर्थ
(1) आम के आम गुठलियों के — दोहरा लाभ लेना। भी दाम
(2) जैसी करनी वैसी भरनी — कर्मों के अनुसार फल मिलना।
(3) साँच को आँच नहीं — सच्चे व्यक्ति को कोई भय नहीं होता।
(4) काला अक्षर भैंस बराबर — बिलकुल अनपढ़।
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए। रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए :
(1) हमें अहिंसा के पथ पर चलना चाहिए।
(2) पहाड़ की चढ़ाई बहुत कठिन होती है।
(3) हमारे व्यवहार में विनम्रता होनी चाहिए।
(4) महात्मा बुद्ध ने शांति, दया और प्रेम का संदेश दिया।
(5) क्षमा वीरों का आभूषण है।
इन वाक्यों में अहिंसा, चढ़ाई, विनम्रता, शांति, दया, प्रेम, क्षमा – ये रेखांकित शब्द हैं। ये शब्द गुण, दोष, भाव, दशा आदि का बोध कराते हैं।
भाववाचक संज्ञा – जो शब्द, गुण, दोष, दशा, भाव आदि का बोध कराते हैं, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं।
निम्नलिखित शब्दों में से भाववाचक संज्ञा बताइए :
उत्तर :
भाववाचक संज्ञाएँ : सच्चाई, ऊँचाई, बचपन, लंबाई, अमीरी, बुढ़ापा।
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए। रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए :
(1) रेलवे स्टेशन पर लोगों की भीड़ रहती है।
(2) बच्चों की टोली होली खेलने निकली है।
(3) सभा में कई लोग इकट्ठे हुए।
इन वाक्यों में भीड़, टोली, सभा – ये शब्द-समूह सूचक हैं। ये शब्द समूहवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
समूहवाचक संज्ञा : जो शब्द-समूह का बोध कराते हैं, वे समूहवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
अन्य समूहवाचक संज्ञाएँ : गुच्छा, दल, परिवार, जुलूस, मेला, झुंड, मंडली, ढेर, गट्ठर आदि।
Hindi Digest Std 7 GSEB कथनी और करनी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
(1) मनुष्य स्वयं को क्या समझता है?
A. दयानिधान
B. प्रेम का सागर
C. बुद्धि का भंडार
D. गुणों की खान
उत्तर :
D. गुणों की खान
प्रश्न 2.
बस में ड्राइवर के बैठने की जगह को क्या कहते हैं?
A. पार्लर
B. सेलून
C. कैबिन
D. बोगी
उत्तर :
C. कैबिन
प्रश्न 3.
मकान-मालिक कितने महीने का किराया लेने आया था?
A. तीन
B. चार
C. पाँच
D. छः
उत्तर :
B. चार
प्रश्न 4.
बिजली का बिल जमा कराने गए सज्जन का पोता कितने वर्ष का था?
A. पाँच
B. छ:
C. सात
D. आठ
उत्तर :
D. आठ
प्रश्न 5.
जो लोग आदर्शों को अपनाते नहीं, उनका ………….. अच्छा नहीं होता।
A. आचरण
B. जीवन
C. समाज.
D. परिवार
उत्तर :
A. आचरण
2. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(धूम्रपान, बारी, बरसात, आदर्श, गुणों, तख्ती)
उत्तर :
(1) ईश्वर ने मनुष्य को कई गुणों से संवारा है।
(2) बरसात के मौसम में मुहल्ले के एक सज्जन को उसमें फूलों के पौधे लगाने की सूझी।
(3) लोगों ने तख्ती लगानेवाले सज्जन को फूल तोड़ते देखा।
(4) बसों में धूम्रपान का निषेध है।
(5) सदा अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
(6) कई लोग आदर्श की बातें करते हैं, उन्हें अपनाते नहीं।
3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
पार्क में लोगों के आने-जाने से उन सज्जन को लगा कि …
(अ) वे लोग इस पर कब्जा कर लेंगे।
(ब) लोग इसकी हरियाली नष्ट कर देंगे।
(क) लोग फूलों को तोड़कर ले जाएँगे।
उत्तर :
पार्क में लोगों के आने-जाने से उन सज्जन को लगा कि लोग फूलों को तोड़कर ले जाएंगे।
प्रश्न 2.
एक सज्जन ने अपने पोते को सिखाया था कि …
(अ) हमें कोई काम गलत ढंग से नहीं करना चाहिए।
(ब) अपना काम किसी भी तरीके से करना चाहिए।
(क) अपने काम से पहले दूसरों का काम करना चाहिए।
उत्तर :
एक सज्जन ने अपने पोते को सिखाया था कि हमें कोई काम गलत ढंग से नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 3.
बसों में लिखा होता है, …
(अ) “चढ़ते-उतरते समय सावधान रहें।”
(ब) “धूम्रपान का निषेध है।”
(क) “शांति बनाए रखें।”
उत्तर :
बसों में लिखा होता है, “धूम्रपान का निषेध है।”
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
मनुष्य स्वयं को क्या समझता है?
उत्तर :
मनुष्य स्वयं को गुणों की खान समझता है।
प्रश्न 2.
लोग पार्क से फूल तोड़कर न ले जाएँ, इसके लिए सज्जन ने क्या किया?
उत्तर :
लोग पार्क से फूल तोड़कर न ले जाएँ, इसके लिए सज्जन ने वहाँ, यह लिखकर तख्ती टाँग दी : “फूल तोड़ना मना है।”
प्रश्न 3.
फूल तोड़नेवाले सज्जन ने अपनी शर्म मिटाने के लिए क्या कहा?
उत्तर :
फूल तोड़नेवाले सज्जन ने अपनी शर्म मिटाने के लिए कहा – “मैं ये फूल पूजा के लिए तोड़ रहा हूँ।”
प्रश्न 4.
बस कंडक्टर ने यात्री को क्या करने से मना किया?
उत्तर :
बस कंडक्टर ने यात्री को बस में बीड़ी पीने से मना किया।
प्रश्न 5.
कंडक्टर के अनुसार बस में धूम्रपान का निषेध किसके लिए हैं, किसके लिए नहीं?
उत्तर :
कंडक्टर के अनुसार बस में धूम्रपान का निषेध यात्रियों के लिए है, ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए नहीं।
प्रश्न 6.
दुकानदार ने ग्राहक और अपने बेटे के प्रति क्या पक्षपात किया?
उत्तर :
दुकानदार ने ग्राहक को दुकान के सामने स्कूटर खड़ा करने से रोका, पर अपने बेटे को नहीं।
प्रश्न 7.
मकान-मालिक ने किरायेदार का दरवाजा क्यों खटखटाया?
उत्तर :
दरवाजा खटखटानेवाला मकान-मालिक किरायेदार से मकान का किराया माँगने के लिए आया था।
प्रश्न 8.
मकान-मालिक क्यों हँसने लगा?
उत्तर :
मकान-मालिक किरायेदार के बेटे से यह सुनकर हँसने लगा कि ‘पिताजी कहते हैं कि वे घर पर नहीं हैं।
प्रश्न 9.
बिल भरने के लिए कतार में खड़े न रहनेवाले सज्जन ने अपने पोते को क्या सिखाया था?
उत्तर :
बिल भरने के लिए कतार में खड़े न रहनेवाले सज्जन ने अपने पोते को सिखाया था कि कोई भी काम कभी गलत ढंग से नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 10.
जग में सम्मान कब मिलता है?
उत्तर :
जब कथनी और करनी समान होती हैं, तब जग में सम्मान मिलता है।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
फूल लगानेवाले सज्जन की कथनी और करनी में क्या अंतर था?
उत्तर :
फूल लगानेवाले सज्जन ने पार्क में एक तख्ती टाँग दी थी। उस पर लिखा था, ‘फूल तोड़ना मना है’। वहाँ से आने-जानेवाले लोग तख्ती को पढ़ते । तख्ती पर लिखी गई सूचना के कारण वे फूल नहीं तोड़ते थे। एक दिन सुबह लोगों ने तख्ती लगानेवाले सज्जन को ही पार्क में फूल तोड़ते हुए देखा। जिस काम को करने से उन्होंने दूसरों को मना किया था, उसे वे स्वयं ही कर रहे थे। इस प्रकार उन सज्जन की कथनी और करनी में बड़ा अंतर था।
प्रश्न 2.
बस कंडक्टर के व्यवहार में उसकी कथनी और करनी का भेद किस प्रकार प्रकट हुआ?
उत्तर :
बस में यात्रा करते समय एक यात्री बीड़ी जलाकर पीने लगा। उसे देखकर कंडक्टर ने उससे कहा कि बस में बीड़ी-सिगरेट पीना मना है। उसने यात्री की जलती हुई बीड़ी खिड़की से बहार फिंकवा दी। थोड़ी देर बाद कंडक्टर ड्राइवर के कैबिन में जाकर बैठा और दोनों सिगरेट जलाकर पीने लगे। एक यात्री द्वारा टोकने पर कंडक्टर ने कहा कि बस में धूम्रपान करने की मनाई केवल यात्रियों के लिए है, ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए नहीं। इस प्रकार बस कंडक्टर के व्यवहार में उसकी कथनी और करनी का भेद प्रकट हुआ।
प्रश्न 3.
दुकानदार की कथनी और करनी की पोल कैसे खुल गई?
उत्तर :
एक व्यक्ति एक दुकान से कुछ सामान खरीदना चाहता था। वह अपना स्कूटर दुकान के सामने खड़ा कर रहा था। दुकानदार ने उसे वहाँ स्कूटर खड़ा करने से रोकते हुए कहा कि दुकान के सामने सड़क पर स्कूटर खड़ा करना ठीक नहीं है। दुकानदार की बात मानकर उसने अपना स्कूटर दूसरी जगह खड़ा कर दिया। इतने में दुकानदार का बेटा आया। उसने अपना स्कूटर दुकान के सामने सड़क पर ही खड़ा किया। परंतु दुकानदार ने उसे मना नहीं किया। इस तरह दुकानदार की कथनी और करनी की पोल खुल गई।
प्रश्न 4.
किरायेदार को शर्मिंदा क्यों होना पड़ा?
उत्तर :
किरायेदार अपने घर में एक मित्र से बातें कर रहा था। उसी समय मकान-मालिक उससे चार महीने से बाकी किराया लेने आया। उसने दरवाजा खटखटाया। किरायेदार ने खिड़की से झाँककर उसे देखा। उसने अपने बेटे को समझाकर बाहर भेजा। बेटे ने कहा, “पिताजी कहते हैं कि वे घर पर नहीं हैं।” बेटे की बात सुनकर मकान-मालिक हँसने लगा। घर में बैठा मित्र मुस्कराया। इस तरह किरायेदार मित्र को अपनी कथनी और करनी में अंतर के लिए शर्मिंदा होना पड़ा।
कथनी और करनी Summary in English
Saying and Behaving God has created man better than other animals. He has gifted him many qualities. But the man who believes himself the treasure of qualities sometimes behavesdifferently. There are many such illustrations in which we can see the difference between saying and behaving.
The government had reserved a plot to construct a garden in the midst of a town. A gentleman living in the town thought to grow flower-plants in the plot in monsoon. It was a good idea. He brought saplings and planted them in the plot in rows. He also took care of them. Gradually the plants grew and flowers began to blossom. Now, it was a beautiful garden. People of the town began to come in the garden for walking in the morning and in the evening. All like flowers. The gentleman feared that people would pluck flowers from the garden. So he put a notice on the gate : Plucking Flowers is Prohibited.
The persons who were passing by would never pluck flowers. But people -were astonished when they saw the gentleman plucking flowers swiftly from the garden early morning. The gentleman was ashamed and to save himself from accusation said, “I am plucking flowers just to offer them to God.”
We see notice in the bus: No smoking. Once while travelling by bus I saw a passenger smoking in the bus. The conductor in the bus said to him, “Sir, smoking is prohibited in the bus.” He made him throw the cigarette outside the window. After sometime the conductor went to the driver’s cabin. He lighted a cigarette and began to smoke. The passenger noticed him. The conductor said, “The notice is for you, not for us.”
A man went to a shop. While he was parking his scooter near the shop on the road, the shopkeeper said, “Please, park your scooter in that parking zone.” The man said to him, “I am just going after buying some things.” The shopkeeper said, “It is not good to park a scooter on the road in front of the shop.”
The man parked his scooter in the parking zone and returned to the shop to buy some things. Meanwhile a boy arrived and parked his scooter on the road in front of the shop. The man brought it to the notice of the shopkeeper. But the shopkeeper said, “He is my son.”
Some people always have ideal talks. But when they have to put the ideals into practice they forget them.
Once a man went to his friend’s house. Both were close friends. While they were busy talking with each other, someone knocked at the door. He was the owner of the house and had come to get his house-rent for the last four months. The man through the window saw this and he sent his son outside.
The owner of the house said to the child, “Please, tell your father that I have come here to get house-rent.” The child said to him, “My father told me to say you that he was not there in the house.” On hearing the child the owner of the house began to laugh. There was a smile on the friend’s face. The man of course was ashamed of himself.
A gentleman taught his grandson that they should have good manner and discipline in life. No work should be done in an improper manner. They should always wait for their turn.
Once the gentleman went to pay electricity bill. His grandson was with him. At the counter for the electricity bill, there was a long queue. The gentleman became impatient. When he saw his familiar person standing in a queue, an idea struck him. He went to him and said, “Dear son, you have forgotten this bill at home. Please take it and pay it too.” Without waiting for any response, he gave the bill with amount to him and stood aside in a corner. His grandson repeatedly reminded him his ideal to stand in a queue and wait, but he didn’t listen to him.
Only to talk and not to follow ideals is not fair. Such persons are never honoured. They become an object of ridicule. Therefore, we should always observe compatibility between what we say and do.
कथनी और करनी Summary in Gujarati
કથની અને કરણી ઈશ્વરે મનુષ્યને બીજાં પ્રાણીઓ કરતાં શ્રેષ્ઠ બનાવ્યો છે. અનેક ગુણોથી તેને શણગાર્યો છે. આનો તેને ગર્વ પણ છે. પરંતુ પોતાને ગુણોની ખાણ સમજનાર મનુષ્ય અનેક વખત એવાં કામો કરે છે, જેમને તે ખોટાં ગણે છે. કથની અને કરણીમાં રહેલા તફાવતનાં એવાં અનેક ઉદાહરણો દરરોજ નજરે પડે છે.
વસતીની વચ્ચે સરકારે બગીચો બનાવવાની જગ્યા રાખી હતી. વર્ષાઋતુમાં તે વિસ્તારના એક સજ્જનને તેમાં ફૂલોના છોડ વાવવાનું સૂછ્યું. સારી વાત હતી. તેઓ ક્યાંકથી છોડ લઈ આવ્યા. તેમને હારબંધ વાવ્યા. તેમની સંભાળ રાખી. છોડ મોટા થયા. થોડા દિવસો પછી ફૂલ ખીલવા લાગ્યાં. બગીચો સુંદર દેખાવા લાગ્યો. મહોલ્લાના લોકો સવાર-સાંજ બગીચામાં ટહેલવા લાગ્યા.
ફૂલ સૌને ગમે છે. બગીચામાં લોકોની અવરજવરથી પેલા સજ્જનને લાગ્યું કે લોકો આ ફૂલોને તોડીને લઈ જશે. તેમણે એક પાટિયા ઉપર “ફૂલો તોડવાની મનાઈ છે.” એમ લખીને ટાંગી દીધું.
આવતા-જતા સૌ તે વાંચતા, કોઈ પણ ફૂલ તોડતું નહિ. પરંતુ નવાઈની વાત તો ત્યારે ખબર પડી કે લોકોએ પાટિયું લટકાવનાર સજ્જનને જ વહેલી સવારે જલદી-જલદી ફૂલો તોડતાં જોયા. તેઓ પોતાની શરમ છુપાવવા માટે બોલ્યા, “પૂજા માટે (ફૂલો) તોડી રહ્યો છું.”
બસોમાં લખ્યું હોય છે, “ધૂમ્રપાન કરવાની મનાઈ છે.” એક વખત મુસાફરી કરતાં જોયું કે એક મુસાફર બીડી સળગાવીને પીવા લાગ્યો. તેને જોઈને કંડક્ટરે કહ્યું, “ભાઈસાહેબ, બસમાં બીડી-સિગારેટ પીવાની મનાઈ છે.” તેણે સળગતી બીડી બારીમાંથી બહાર ફેંકાવી દીધી.
થોડી વાર પછી કંડક્ટર ડ્રાઇવરની કેબિનમાં જઈને બેઠો. તેણે સિગારેટ સળગાવી અને બંને પીવા લાગ્યા. એક બીજા મુસાફરે આ જોયું અને લખેલા વાક્ય તરફ સંકેત કરતાં કંડક્ટરને કહ્યું, “બસમાં સિગારેટ પીવાની મનાઈ છે.” તે સાંભળીને કંડક્ટર એકદમ બોલી ઊઠ્યો, “આ વાક્ય તમારા માટે છે, અમારા માટે નહિ.”
એક માણસ એક દુકાન પર ગયો. સ્કૂટર દુકાન પાસે ઊભું કરી રહ્યો હતો. ત્યારે દુકાનદાર બોલ્યો, “તમે તમારું સ્કૂટર ત્યાં સામે વાહન ઊભાં રાખવાની જગ્યાએ ઊભું કરી આવો.” સજ્જને કહ્યું, “મારે થોડા સમય માટે રોકાવાનું છે, હું તો સામાન લઈને હમણાં ચાલ્યો જઈશ.” દુકાનદાર બોલ્યો, “પરંતુ દુકાનની સામે સડક વચ્ચે સ્કૂટર ઊભું રાખવું એ ઠીક નથી”.
સજ્જને પોતાનું સ્કૂટર વાહન ઊભાં રાખવાની જગ્યાએ લઈ જઈને ઊભું રાખ્યું અને પાછા આવીને તે સામાન ખરીદવા લાગ્યા. એટલામાં સ્કૂટર લઈને એક છોકરો દુકાન પર આવ્યો. સ્કૂટર દુકાનની સામે ઊભું કરીને તે દુકાનમાં ચાલ્યો ગયો. આ જોઈને પેલા સજ્જને દુકાનદારને કહ્યું, “તમે આને (સ્કૂટર ઊભું રાખવાની) ના ન પાડી !” તે બોલ્યા, “આ તો મારો દીકરો છે.”
કેટલાક લોકો એવા પણ હોય છે જેઓ આદર્શની વાતો કરે છે, પણ જ્યારે એને અપનાવવાનો હોય ત્યારે આદર્શને ભૂલી જાય છે.
એક દિવસ એક સજ્જનને ઘેર તેમના મિત્ર મળવા આવ્યા. બંને મિત્રો વાતચીતમાં મગ્ન હતા, ત્યારે કોઈએ દરવાજો ખખડાવ્યો. તેમણે બારીમાંથી નજર કરીને જોયું બહાર મકાન-માલિક ઊભો હતો. તે છેલ્લા ચાર માસનું ભાડું માગવા વારંવાર આવતો હતો. તે સજ્જને પોતાના બાળકને સમજાવીને બહાર મોકલ્યો. – જ્યારે બાળક બહાર ગયો ત્યારે મકાન-માલિકે તેને કહ્યું, “તારા પિતાજીને કહે કે હું મકાનનું ભાડું લેવા આવ્યો છું.” બાળકે તરત જ જવાબ આપ્યો, પિતાજીએ કહ્યું છે કે તે ઘરમાં નથી.” બાળકની વાત સાંભળીને મકાન-માલિક હસવા લાગ્યો. ઘરમાં બેઠેલા મિત્રનું મુખ પણ મલક્યું. તે જોઈને પેલા સજ્જન શરમાઈ ગયા.
એક સજ્જને પોતાના પૌત્રને શિખવાડ્યું હતું કે આપણે કદી કોઈ કામ ખોટી રીતે ન કરવું જોઈએ. હંમેશાં પોતાના વારાની રાહ જોવી જોઈએ.
એક દિવસની વાત છે. તેઓ નળ-વીજળીનું બિલ ભરવા ગયા. સાથે તેમનો આઠ વર્ષનો પૌત્ર પણ હતો.
બિલ ભરનારાઓની લાંબી લાઇન જોઈને તે કોઈ ઉપાય વિચારવા લાગ્યા. તેમણે ઊભેલા લોકોને ધ્યાનથી જોયા. આગળ જ એક પરિચિત વ્યક્તિને ઊભેલા જોયા. તે તરત તેની પાસે ગયા અને બોલ્યા, “બેટા, આ બિલ તું ઘેર જ ભૂલી આવ્યો છે. લે, આ પણ ભરી દે.” એ વ્યક્તિ કંઈ બોલે તે પહેલાં જ બિલ અને રકમ તેના હાથમાં મૂકી તે એક બાજુ ઊભા રહી ગયા. તેમનો પૌત્ર વારંવાર કહેતો રહ્યો, “દાદાજી, લાઇનમાં ઊભા રહો ને.” તેની વાત સાંભળીને લોકો હસવા લાગ્યા.
કેટલાય લોકો એવા હોય છે, જેઓ આદર્શની વાતો તો કરે છે, પણ તેને અપનાવતા નથી. આવું આચરણ સારું ન કહેવાય. આવું આચરણ કરનારાઓને ક્યારેય પણ આદર-માન મળતું નથી. તેઓ હાંસીપાત્ર બને છે. એટલા માટે આપણે કથની અને કરણીમાં હંમેશાં એકતા રાખવી જોઈએ.
હોય કથની-કરણી એકસમાન, જગતમાં ત્યારે મળે છે સન્માન.
विषय-प्रवेश
दूसरों को अच्छी बातें सिखाना बहुत आसान है, परंतु खुद उन बातों को अपनाना बहुत मुश्किल है। दूसरों को धूम्रपान करने की सीख देनेवाले प्रायः स्वयं धूम्रपान करते हैं! दूसरों को कतार में खड़ा रहने की शिक्षा देनेवाले स्वयं कतार में नहीं खड़े रहते! अपने बच्चों को सच बोलने का उपदेश देनेवाले स्वयं झूठ बोलते हैं! इस पाठ में कथनी और करनी का अंतर बतानेवाले कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
शब्दार्थ (Meanings)
श्रेष्ठ- उत्तम; the best सँवारना – सजाना; to decorate, to arrange कथनी – जो कहा जाता है; saying, speech करनी – जो किया जाता है; behaving, doing अंतर – भेद, फर्क; difference बस्ती – नगर; a town सज्जन – भला आदमी; a gentleman सूझना – ध्यान में आना; to occur to one’s mind रोपना – लगाना; to grow, to plant तख्ती – लकड़ी या धातु की पट्टी, पटियु; a plate शीघ्र – जल्दी, फौरन; immediately, soon किराया – भाड़ा; rent तपाक से- जोश के साथ, जल्दी से; forcely प्रतीक्षा – इंतजार; a waiting for कतार – पंक्ति; a queue राशि – रकम; amount पोता – पुत्र का पुत्र; a grandson आचरण – व्यवहार; behaving, observing सदैव – हमेशा; always
मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग
प्रश्न 1.
गुणों की खान – बहुत गुणी
वाक्य : आप तो सचमुच गुणों की खान हैं।
प्रश्न 2.
पानी-पानी होना – बहुत लज्जित होना
वाक्य : अपना झूठ पकड़ा गया तब लड़का पानी-पानी हो गया।