Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 12 रानी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 12 रानी
Std 9 GSEB Hindi Solutions रानी Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
‘रानी’ कौन-सी साहित्यिक विद्या है?
उत्तर :
रानी ‘रेखाचित्र’ साहित्यिक विधा है।
प्रश्न 2.
लेखिका ने रानी के अलावा और कौन-कौन से चरित्र लिए है?
उत्तर :
महादेवी वर्मा ने रानी के अलावा रोजी (कुतिया) और निक्की (नेवला) के चरित्र लिए हैं।
प्रश्न 3.
लड़कों ने स्मृतिपत्र में किस अन्याय की बात लिखी थी?
उत्तर :
लड़कों ने स्मृतिपत्र में लिखा था कि जैसा अंग्रेज बच्चों के पास छोटा घोड़ा होता है वैसा अपने पास नहीं होना वह अन्याय की बात है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन-चार वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
रानी के साथ मित्रता स्थापित करने के लिए कैसे प्रयास किये गये?
उत्तर :
धीरे-धीरे रानी से बच्चों की नाराजगी दूर होने लगी। वे उसकी गर्दन में झूलने लगे। उसके कानों और अयाल में फूल खोंसने लगे। वे उसे बिस्कुट और मिठाइयां खिलाने लगे।
प्रश्न 2.
रानी की पीठ पर सवारी करने पर कौन-सी दुर्घटना घटित हुई? क्यों?
उत्तर :
एक बार महादेवी रानी की नंगी पीठ पर बैठीं। उसी समय उनके भाई ने अपने हाथ की पतली संटी रानी के पैरों पर मार दी। इससे रानी बहुत तेज भागने लगी। महादेवी देर तक खुद को न संभाल सकीं और नीचे गिर पड़ी। संटी लगने से रानी के स्वाभिमान पर चोट लगी और वह भागने लगी।
3. शब्दसमूह के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
ज्ञान में वृद्धि करनेवाला
उत्तर :
ज्ञानवर्धक
प्रश्न 2.
बच्चे सरलता से कर सकें ऐसी प्रवृत्तियाँ
उत्तर :
बालसुलभ प्रवृत्तियाँ
प्रश्न 3.
घोड़े पर बैठकर की जानेवाली सवारी
उत्तर :
घुडसवारी
4. विरुद्धार्थी शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- अपराधी
- प्रसन्नता
- दंड
उत्तर :
- निरपराधी
- अप्रसन्नता
- पुरस्कार
GSEB Solutions Class 9 Hindi रानी Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
महादेवी तथा उनके भाई-बहनों की क्या इच्छा थी? पिताजी ने उनकी इच्छा कैसे पूरी की?
उत्तर :
महादेवी तथा उनके भाई-बहनों की घुड़सवारी करने की बहुत इच्छा थी। कुछ दिनों आद बच्चों ने देखा कि उनके बरामदे में एक छोटा-सा लाकर बाँध दिया गया है। उसकी मालिश तथा खिलाने-पिलाने और घुमाने-फिराने के लिए ‘छुट्टन’ नामक एक साईस भी रख दिया है। यह टट्ट एक सुंदर तथा आकर्षक घोड़ी थी। बाद में उसे सब ‘ताजरानी’ या सिर्फ ‘रानी’ कहने लगे। इस प्रकार पिताजी ने घुड़सवारी करने की बच्चों की इच्छा पूरी की।
प्रश्न 2.
महादेवी ने रानी का कैसा शब्दचित्र खींचा है?
उत्तर :
रानी हल्के चाकलेटी रंग की घोड़ी थी। उसका रंग इतना चमकीला था कि उस पर नजर फिसल जाती थी। उसके खड़े कानों के बीच माथे पर अयाल का गुच्छा झूलता था। उसकी आँखें बड़ी, काली, साफ और पारदर्शी थीं। उसके नथुने और जीभ लाल, होंठ गुलाबी और दाँत उजले थे। उसके मजबूत दाँत लोहे की लगाम चबाते रहने पर भी घायल नहीं होते थे। उसकी पीठ ऊंचाई से अधिक थी। पैर सुडौल और मजबूत थे। उसकी सघन पूंछ मोरछल जैसी लगती थी। इस प्रकार महादेवीजी ने रानी का बड़ा ही आकर्षक चित्र खींचा है।
प्रश्न 3.
रानी बच्चों के मनोरंजन का साधन किस प्रकार बन गई?
उत्तर :
रानी जब आई थी तब कुछ दिन तक बच्चे उससे नाराज रहे थे। किंतु धीरे-धीरे उनकी वह नाराजगी दूर हो गई। वे उसकी गर्दन में झूला झूलने लगे। उसके कानों और अयाल में फूल खोसने लगे। वे उसे बिस्कुट और मिठाइयाँ खिलाने लगे। धीरे-धीरे वे घोड़ी पर सवारी भी करने लगे। घोड़ी भी बच्चों से बहुत स्नेह करने लगी। वह बच्चों को न देखती तो बेचैन होकर पैर पटकने और हिनहिनाने लगती। इस प्रकार रानी के साथ मित्रता स्थापित करने के लिए बच्चों द्वारा अनेक प्रयास किए गए।
प्रश्न 4.
रानी का पेट चीरने का प्रस्ताव क्यों विफल हो गया?
उत्तर :
रानी ने एक बच्चे को जन्म दिया था। नौकर रामा ने बताया कि अभी एक और बच्चा रानी के पेट में है। बच्चों को लगा कि अगर हम रानी का पेट चीरकर एक बच्चा और निकाल लें तो सवारी में सुविधा रहेगी। रानी महादेवी के पास रहेगी और भाई और बहन दोनों छोटे घोड़ों पर बैठेंगे। यह सोचकर महादेवी का भाई एक दिन दोपहर को चाक ले आया। चाकू देखकर महादेवी की हिम्मत ने जवाब दे दिया। पेट चीरने के बाद उसे सिलने का उपाय किसी के पास नहीं था। इसलिए रानी का पेट चीरने का प्रस्ताव विफल हो गया।
प्रश्न 5.
बच्चों को रानी के शिशु पर क्रोध क्यों आया?
उत्तर :
बच्चे रानी से बहुत प्रेम करते थे। एक दिन वे सबेरे उठे तो देखा कि एक घोड़े का बच्चा भी रानी के पास खड़ा है। बच्चों के पूछने पर नौकर रामा ने बताया कि वह बच्चा रानी के पेट में था। रानी जो दाना-चारा खाती थी, उसे यह बच्चा खा जाता था और उसके पेट में सोता रहता था। यह जानकर बच्चों को बड़ा क्रोध आया। उन्हें लगा कि यह बच्चा तो किसी काम का नहीं है। यह कितनी बुरी बात है कि वह रानी के पेट में रहकर सारा दाना-चारा खा जाता था। बेचारी रानी कितना काम करती है, उन्हें अपनी पीठ पर लादकर घुमाती है और यह बच्चा मुफ्त में उसका खाया हुआ खाना हजम कर जाता था। यह सोचकर बच्चों को रानी के शिशु पर बड़ा क्रोध आया।
प्रश्न 6.
रानी का चरित्र-चित्रण कीजिए। अथवा रानी की विशेषताओं पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
रानी एक छोटी सुंदर घोड़ी थी। उसका स्वभाव भी सरल और स्नेहपूर्ण था। परिवार के बच्चे उसके साथ दिल खोलकर खेलते थे। पालतू नेवला भी उसकी पूंछ से झूलता था। कुतिया (रोजी) भी उसकी पीठ पर चढ़ती-उतरती थी। कभी कोई बच्चा मार देता तो उसका स्वाभिमान जाग उठता था, फिर भी वह शांत रहती थी। कोई बच्चा उसकी पीठ पर से गिर जाता तो उसे बड़ा पश्चात्ताप होता था। उसकी सूझ-बूझ से सोने के खोए हुए कड़े मिल गए थे। अपने इन्हीं गुणों के कारण रानी ने पूरे परिवार का दिल जीत लिया था।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
गधे पर बैठे अंग्रेज बच्चों के बारे में रामा ने क्या बताया?
उत्तर :
गधे पर बैठे अंग्रेज बच्चों के बारे में रामा ने बताया कि इन्हें विलायत में गधे पर बैठने का दंड मिला है। परंतु विलायत में गधे नहीं है, इसलिए इन्हें भारत भेजा गया है।
प्रश्न 2.
रानी के प्रति बच्चों का ईष्या और रोष दयाभाव में क्यों बदल गया?
उत्तर :
बच्चों ने सोचा कि ताजमहल जैसे भवन की रानी होने पर भी उसे वहाँ से निकाल दिया गया। यह कल्पना करते ही उनकी सारौ ईर्ष्या और रोष दयाभाव में बदल गया।
प्रश्न 3.
रानी के बच्चे को देखकर बच्चों को क्रोध क्यों आया?
उत्तर :
रानी के बच्चे को देखकर बच्चों ने सोचा कि वह बिना कुछ काम-काज किए रानी के पेट में सो रहा था। वह कुछ भी कामकाज किए बिना दाना-चारा खाता रहता था।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
सफेद ट्डूओं के बारे में रामा ने बच्चों से क्या बताया?
उत्तर :
सफेद टओं के बारे में रामा ने बच्चों को बताया कि ये सफेद गधे हैं जिन पर अपराधियों को बिठाने की सजा दी जाती है।
प्रश्न 2.
रानी अपनी नंगी पीठ पर अयाल पकड़कर बैठनेवाले बच्चों को कैसे संतुष्ट कर देती थी?
उत्तर :
रानी अपनी नंगी पीठ पर अबाल पकड़कर बैठनेवाले बच्चों को दुल्की चाल से इधर-उधर घुमाकर संतुष्ट कर देती थी।
प्रश्न 3.
महादेवी रानी पर कब बैठती थीं?
उत्तर :
महादेवी रानी पर तीसरे पहर यानी संध्या समय बैठती थीं।
प्रश्न 4.
जन्मदिन पर नानी ने क्या भेजा?
उत्तर :
जन्मदिन पर नानी ने शेर मुंहवाले सोने के कड़े भेजे।
प्रश्न 5.
रानी बच्चों को अपने पास कैसे बुलाती थी?
उत्तर :
रानी पैर पटककर या हिनहिनाकर बच्चों को अपने पास बुलाती थी।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- रानी के साईस का नाम ……….. था। (इन, युट्टन)
- रामा ने घोड़ी का नाम ……….. बताया। (मेहतरानी, ताजरानी)
- रानी के लिए बरामदा ……… बन गया था। (अस्तबल, महल)
- सोने के कड़े ………. के कानों में पहना दिए। (महादेवी, ताजरानी)
- अपराधियों को ………… पर चढ़ाकर देश-निकाला दिया जाता था। (सफेद गधे, काले गधे)
उत्तर :
- छुट्टन
- ताजरानी
- अस्तबल
- ताजरानी
- सफेद गधे
निम्नलिखित विधान ‘सही’ है या ‘गलत’ यह बताइए:
प्रश्न 1.
- टट्ट का नाम ‘ताजरानी’ था।
- रानी हल्के चाकलेटी रंग की घोड़ी थी।
- घोड़ी बच्चों से बड़ी नाखुश रहती थी।
- किसी ने खड्डा खोदकर कड़े वहाँ छिपा दिए थे।
उत्तर :
- सही
- सही
- गलत
- सही
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- बच्चों के लिए लाई गईं घोड़ी का नाम क्या था?
- रानी की नंगी पीठ पर कौन बैठ गया?
- सोने के कड़े किसके कानों में पहना दिए?
उत्तर :
- ताजरानी
- महादेवी
- ताजरानी के
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
बच्चे रानी के प्रति सदय हो गए, क्योंकि …
(अ) वह घास नहीं खाती थी।
(ब) वह हमेशा उदास रहती थी।
(क) उन्होंने कई कहानियों में रानी के सुख-दुःख के बारे में सुना था।
उत्तर :
बच्चे रानी के प्रति सदय हो गए, क्योंकि उन्होंने कई कहानियों में रानी के सुख-दुःख के बारे में सुना था।
प्रश्न 2.
पैरों पर संटी मारने से रानी भागने लगी, क्योंकि …
(अ) उसे बेहद पीडा हुई थी।
(ब) उसके स्वाभिमान को चोट पहुंची थी।
(क) पैरों पर संडी मारने से सभी भागने लगते हैं।
उत्तर :
पैरों पर संटी मारने से रानी भागने लगी, क्योंकि उसके स्वाभिमान को चोट पहुंची थी।
प्रश्न 3.
अपनी पीठ पर से महादेवी के गिरने पर रानी ऐसे निश्चल खड़ी हो गईं, जैसे ….
(अ) कुछ हुआ ही न हो।।
(ब) उसके पैर दौडना भूल गए हों।
(क) वह पश्चात्ताप की प्रतिमा हो।
उत्तर :
अपनी पीठ पर से महादेवी के गिरने पर रानी ऐसे निश्चल खड़ी हो गई, जैसे वह पश्चात्ताप की प्रतिमा हो।
प्रश्न 4.
महादेवी का भाई चाकू ले आया, क्योंकि ..
(अ) रानी का पेट चौरकर उसमें से शिश निकालना था।
(ब) रानी को चाकू दिखाकर डराना था।
(क) उसे चाकू कहीं छिपाकर रखना था।
उत्तर :
महादेवी का भाई चाकू ले आया, क्योंकि रानी का पेट चीरकर उसमें से शिशु निकालना था।
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
रानी के साईस का क्या नाम था?
A. कुट्टन
B. पुट्टन
C. अट्टन
D. छुट्टन
उत्तर :
D. छुट्टन
प्रश्न 2.
रामा ने घोड़ी का क्या नाम बताया?
A. महारानी
B. ताजरानी
C. मेहतरानी
D. अश्वरानी
उत्तर :
B. ताजरानी
प्रश्न 3.
रानी के लिए बरामदा क्या बन गया था?
A. अस्तबल
B. गोठ
C. दरवा
D. घर
उत्तर :
A. अस्तबल
प्रश्न 4.
बच्चे रानी की पीठ पर ऐसे बैठते थे मानो …
A. हाथी पर सवार हो
B. राजसिंहासन पर बैठे हों
C. मयूर सिंहासन पर आसीन हों
D. किसी गदे पर बैठे हों
उत्तर :
C. मयूर सिंहासन पर आसीन हों
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- जिज्ञासा
- आतंकित
- रोष
- अराजकता
- आरूढ़
- बोध
- दुल्की
- आहत
- वलय
- विस्मित
- ईर्ष्या
- समाधान
- आधिक्य
- सदय
- पश्चात्ताप
उत्तर :
- उत्सुकता
- भयभीत
- क्रोध
- अव्यवस्था
- सवार
- ज्ञान
- धीमी
- घायल
- छल्ला
- चकित
- जलन
- हल
- अधिकता
- दयालु
- पछतावा
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- नंगीपीठ
- सदय
- प्रत्यक्ष
- स्मृति
- आरंभ
- अधिक
उत्तर :
- जीनयुक्त पीठ
- निर्दय
- परोक्ष
- विस्मृति
- अंत
- कम
निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिए :
प्रश्न 1.
- भूजंग
- वीष
- उतेजीत
- रणभुमी
- सीरमोर
- पूण्यभुमी
- प्रितिकर
- राजगदी
- कोशीश
- वीकसीत
- वीदीत
- महिना
- चीठी
- प्रतीकुल
- शारिरीक
- आवीस्कार
उत्तर :
- भुजंग
- विष
- उत्तेजित
- रणभूमि
- सिरमौर
- पुण्यभूमि
- प्रीतिकर
- राजगद्दी
- कोशिश
- विकसित
- विदित
- महीना
- चिट्ठी
- प्रतिकूल
- शारीरिक
- आविष्कार
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- इन्हें गधों पर बैठकर प्रसन्नता से घूमते देखकर विश्वास करना कठिन था।
- हम उस छोटे दृट्ट से बहुत प्रभावित होकर आतंक का शिकार हुए।
- अंत में उसने हमारी मित्रता प्राप्त ही कर ली।
- हम उसे और अधिक आराम देने के उपाय सोचने लगे।
- ऐसी सवारी से हमारी विद्रोही प्रकृति कैसे संतुष्ट हो सकती थी।
उत्तर :
- प्रसन्नता
- आतंक
- मित्रता
- आराम
- प्रकृति
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- वे उस छोटे घोड़े से आतंकित हए।
- ताजरानी हमारी अराजक प्रवृत्तियों के प्रभाव में आ गई।
- अपनी विचित्रता के कारण एक घटना स्मरणीय बन गई।
- एक विकट समस्या हमारे सामने आ गई।
उत्तर :
- आतंकित
- अराजक
- स्मरणीय
- विकट
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।
प्रश्न 1.
- घोड़ों का आवास
- स्थान से छुटा हुआ
- घोड़े की मालिश और खाने-पीने की देखभाल करनेवाला
- जो दिखाई न दे
- आँखों के सामने
- सिंह की आकृतिबाला आसन
- घोड़े की गर्दन पर के बाल
उत्तर :
- अस्तबल
- विस्थापित
- साईस
- अदृश्य
- प्रत्यक्ष
- सिंहासन
- अवाल
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
देश-निकाला देना – देश से निकाल देना
वाक्य : देश-द्रोहियों को देश-निकाला देना चाहिए।
कान खींचना – सजा देना, चेतावनी देना
वाक्य : जल्दी काम पूरा करो नहीं तो तुम्हारे कान खींचूंगा।
दृष्टि फिसलना – किसी चीज़ का बहुत चिकना और चमकदार होना
वाक्य : उसके रेशमी वस्त्रों पर दृष्टि पड़ते ही फिसल जाती थी।
विछौने पर पड़ा रहना – बीमार रहना
वाक्य : दादाजी कई दिनों से बिछौने पर पड़े हुए हैं।
आँसू आना – रो देना
वाक्य : माँ की याद आते ही उसकी आँखों में आंसू आ गए।
हृदय में स्थान पाना – प्रिय होना
वाक्य : अपनी वफ़ादारों के कारण टोनी ने हमारे हृदय में स्थान पा लिया है।
सिर हिलाना – स्वीकृति देना
वाक्य : मैने बगीचे में चलने की बात की तो मित्र ने स्वीकृति में सिर हिलाया।
जवाब दे देना – अंत हो जाना
वाक्य : चढ़ाई बहुत ऊंची देखकर मेरो हिम्मत ने जवाब दिया।
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- संस्मरण
- महादेवी
- बावजूद
- निरुत्तर
- विस्थापित
- सदय
- प्रस्तर
- अव्यवस्था
- स्वेच्छा
- आहत
- विशेष
- अभिमान
- दुर्घटना
- संतुष्ट
- नाखुश
- निचल
- निरपराधी
- अप्रसन्न
- प्रत्यक्ष
- निर्दय
- परोक्ष
- अदृश्य
- आवास
- सुलभ
- पर्यावरण
उत्तर :
- संस्मरण – सम् + स्मरण
- महादेवी – महा + देवी
- बावजूद – बा + वजूद
- निरुत्तर – नि: (निर) + उत्तर
- विस्थापित – वि + स्थापित
- सदय – स + दय(या)
- प्रस्तर – प्र + स्तर
- अव्यवस्था – अ+वि + अवस्था
- स्वेच्छा – स्व + इच्छा
- आहत – आ + हत
- विशेष – वि + शेष
- अभिमान – अभि + मान
- दुर्घटना – दुः (दुस) + घटना
- संतुष्ट – सम् + तुष्ट
- नाखुश – ना + खुश
- निचल – नि: (निस) + चल
- निरपराधी – नि: (निर) + अपराधी
- अप्रसन्न – अ + प्रसन्न
- प्रत्यक्ष – प्रति + अक्ष
- निर्दय – नि: (निर) + दय
- परोक्ष – पर + अक्ष
- अदृश्य – अ + दृश्य
- आवास – आ + वास
- सुलभ – सु + लभ
- पर्यावरण – परि + आवरण
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- लगाव
- संबंधित
- घोड़ी
- लेखिका
- कुतिया
- सहृदयता
- बचपन
- चोकलेटी
- खरीददार
- सवारी
- तेज़ी
- आधिक्य
- आतंकित
- मौखिक
- स्थापित
- नाराजगी
- साहित्यिक
- शानदार
- मित्रता
उत्तर :
- लगाव – लगना + आव
- संबंधित – सम्बन्ध + इत
- घोडी – घोड़ा + ई
- लेखिका – लेखक + इक(का)
- कुतिया – कुत्ता + इया
- सहृदयता – सहृदय + ता
- बचपन – बच्चा + पन
- चोकलेटी – चोकलेट + ई
- खरीददार – खरीद + दार
- सवारी – सवार + ई
- तेज़ी – तेज + ई
- आधिक्य – अधिक + य
- आतंकित – आतंक + इत
- मौखिक – मुख + इक
- स्थापित – स्थापना + इत
- नाराज़गी – नाराज + गी
- साहित्यिक – साहित्य + इक
- शानदार – शान + दार
- मित्रता – मित्र + ता
रानी Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
ગધેડા પર સવાર અંગ્રેજ બાળકોને જોવાં લેખિકા મહાદેવી બાળપણમાં ઇન્દોરમાં રહેતાં હતાં. ત્યાં અંગ્રેજ બાળકોને ગધેડાં પર સવારી કરતાં જોઈને તેમને ખૂબ આશ્ચર્ય થતું. તેમણે સાંભળ્યું હતું કે ગધેડા પર અપરાધીઓને બેસાડવામાં આવે છે. ત્યારે તેમના નોકરી રામાએ તેમની શંકાનું સમાધાન કર્યું. તેણે કહ્યું કે તેમને વિલાયતમાં ગધેડા પર બેસાડવાની સજા કરીને ભારત મૌલવામાં આવ્યા છે,
ઘોડા પર બેસવાની ઇચ્છા મહાદેવી અને ઘરનાં બીજાં બાળકોએ કક્ષાં, “ઘોડા પર બેસવાનો અધિકાર અમને પણ છે. અમે પણ ઘોડા પર બેસીશું.” પિતાજીએ પૂછ્યું, “શું સફેદ ટુ પર બેસશો?” મહાદેવીએ કહ્યું, “સફેદ હું તો ગધેડો હોય છે. તેના પર તો સજા પામનારા લોકો જ બેસે છે.”
રાની ઘોડી આવી બાળકોની માગણી અનુસાર રાની નામની ધોને લાવવામાં આવી, તેને માટે દ્દન નામનો સાઇસ (ધોડાની દેખરેખ કરનાર) રાખ્યો, ઘોડીને રાખવાની વ્યવસ્થા કરી. રાની ઘોડીનું પૂરું નામ તાજરાની હતું. પહેલાં તાજરાનીને જોઈને બાળકોને બહુ ગમી નહિ; પરંતુ પછી રાની પ્રત્યે તેમને પ્રેમ થયો.
રાનીની સુંદરતા: રાની બહુ સુંદર ઘોડી હતી. તેના ચમકતા રંગ પર દૃષ્ટિ પડતાં જ સરકી જતી હતી. તેના ચૉકલેટી રંગની ઝૂલતી કેશવાળી, પારદર્શક આંખો, ઊજળા દાંત, લાલ જીભ, ગુલાબી હોઠ, મોરપીંછ જેવી પૂંછ અને સુગઠિત શરીર બધું જ આકર્ષક હતું.
રાની મિત્ર બની : બાળકો રાની સાથે હળીમળી ગયાં. તેઓ તેના શરીર પર રમતાં, બાઝતાં, ઝૂલતાં, એની કેશવાળીમાં ફૂલ ખોસતાં. રાની એમની મિત્ર બની ગઈ, તે પગ પછાડીને અને હaહણીને બાળકોને પોતાની પાસે બોલાવવા લાગી.
જિન વગેરે ખરીદીને ઘોડી પર સવારી કરવાની વ્યવસ્થા કરવામાં આવી. પરંતુ બાળકો તો મનનું ધાર્યું કરવા ઇચ્છતાં હતાં. તે સિવાય તેમને ચેન પડતું નહોતું.
મનનું ધાર્યું ભારે પડ્યું. એક દિવસ રાનીની ખુલ્લી પીઠ પર મહાદેવી બેઠાં. તેમસે રાનીની કેશવાળી પકડી હતી. રાની આવી રીતે બેસનારને ધીમી ચાલે આમતેમ ફેરવીને સંતુષ્ટ કરી દેતી, કારણ કે ઉપાડી પીઠ પર બેસનારાં બાળકોની કમજોરી તે જાણતી હતી. મહાદેવી, રાનીની પીઠ પર બેઠાં હતાં કે તેમના ભાઈએ પાતળી સોટી તેના પગ પર મારી, રાની ભડકી ગઈ અને વેગથી દોડવા લાગી. થોડીક વાર મહાદેવીએ પોતાની જાતને સાચવી; પરંતુ થોડીક વારમાં જ જમીન પર પડી ગયાં. પછી તો કેટલાક દિવસ સુધી તેમને પથારીમાં રહેવું પડ્યું. આમ છતાં, રાની પ્રત્યે મહાદેવજીની આત્મીયતામાં કશો ફરક પડ્યો નહિ.
સોનાનાં કડાં અને રાની : નાનીએ મહાદેવીને ભાઈના જન્મદિવસે સોનાનાં વાધના મોઢિયાવાળાં કડાં મોહ્યાં હતાં, બાળકોને રાની પ્રત્યે પ્રેમ હતો. તેમણે એ કડાં રાનીના કાનમાં પહેરાવી દીધાં. પછી બાળકો એમને ભૂલી ગયાં. કડાં ન દેખાતાં સાંજે પૂછપરછ થઈ; પરંતુ કડાં. ક્યાંય મળ્યાં નહિ,
એકાએક બાબુજીનું ધ્યાન રાની તરફ ગયું. તે પોતાના કાન પગની ખરીથી ખણતી હતી અને હણહણાટ કરતી હતી. બાબુજીએ ત્યાંની માટી હટાવવાનો આદેશ આપ્યો. ત્યાંથી કડાં મળી ગયાં. કોઈએ ખાડો ખોદીને કડાં ત્યાં છુપાવી દીધાં હતાં.
આ નાનકડો જીવ ક્યાં હતો? : રાનીએ એક શિશુને જન્મ આપ્યો. બાળકોએ પૂછયું, “આ ક્યાં હતો” રામાએ કહ્યું કે આ જીવ રાનીના પેટમાં હતો. દાણા અને ચારો ખાઈને સૂઈ રહ્યો હતો. ભાઈએ પૂછયું, “બીજો પણ છે?” રામાએ હા પાડી. હવે તો અબોધ – મહાદેવીને ચીડ ચડવા લાગી. આ નાનકડો જીવ કશું કામ-ધામ કરતો નથી અને ચારો ખાઈને પડ્યો રહે છે.
એક વિચિત્ર પ્રસ્તાવ : બાલિકા મહાદેવીના ભાઈએ સૂચન કર્યું કે ચાકૂથી રાનીનું પેટ ચીરીને અંદર રહેલા જીવને બહાર કાઢી લઈએ. શાક કાપવાનું ચા લાવવામાં આવ્યું, પરંતુ મહાદેવીની હિંમત ન ચાલી.
એક બીજી સમસ્યા પર તેમનું ધ્યાન ગયું. પેટ ચીરી નાખ્યા પછી ફરીથી તે કેવી રીતે સીવીશું? સોય-દોરાથી કામ ચાલશે નહિ. રામા પાસેથી મોઢે સોયો મળશે નહિ. એટલે એ સૂચનનો અમલ ન થયો. રાનીનું શિશુ મોટું થતાં સૌ તેની સાથે રમવા લાગ્યાં અને પેટમાં રહેલા બીજા જીવની વાત તેઓ ભૂલી ગયાં.
रानी Summary in English
To see British children riding a donkey: The writer was living in Indor in her childhood. She was surprised to see British children riding a donkey. She had heard that the criminals were sat on a donkey. Her servant Rama compromised her suspicion. He said that they were sent to India after they were sentenced to ride a donkey in Britan.
Desire to ride a horse : Mahadevi and other children in the house said, “We have also a right to ride a horse. We will ride a horse.” Father asked, “Will you ride a white horse?” Mahadevi said, “The white horse is a donkey. Only the criminals ride the white horse.”
The Rani mare came : According to the demand of the children the mare named Rani was brought. For taking care of her the keeper named Chhuttan was kept. Arrangement to keep the mare was done. The full name of the mare Rani was Tajrani. In the beginning the children did not like Tajrani. but afterward love for Rani was developed.
Beauty of Rani : Rani was a very beautiful mare. Her shining colour attracted much. Her swinging chocolate colour mane, transparent eyes, white teeth, red tongue, pink lips, tail like peacock’s feather and well-shaped body – everything was attractive.
Rani became a friend : The children got adjusted with Rant. They would play, embrass. swing on her body, thrust flowers in her mane. Rani became their friend. She would call the children to her by striking down her legs and by neighing Arrangement was made to ride the mare by purchasing Jin etc. But the children wanted to do as they wished.
It became terrible to do as their wish: One day Mahadevi sat on the open back of Rani. She held the mane. Rant would satisfy to the rider by walking slowly, because she knew the weakness of the children sitting on the open back.
While Mahadevi was sitting on the open back of Rant, her brother whipped on the leg of Rani Rani feared and began to run fast. Mahadevi controlled herself for sometime, but then she fell down on the ground. Then she had to take bed-rest for some days. Even though Mahadevi’s Intimacy for Rani did not lessen.
Gold rings and Rani: The grandmother sent gold rings, shaped tiger’s mouth to Mahadevi on her brother’s birthday. The children had love for Rani. They worn the rings in Rani’s ears. Then they forgot the gold rings. When they did not see the gold rings, they asked everyone, but they did not find gold rings anywhere.
Suddenly Babuji’s attention was drawn to Rani. She was scratching her ear with the hoof of her leg and neighing Babuji ordered to remore the soil. They found rings from there. Somebody had hidden the rings there digging the ground.
Where was the small animal?: Rani gave birth to a baby. The children asked, “where was this?” Rama said that the animal was in Rani’s stomach. It was sleeping there eating grain and grass. Brother asked, “Is there another animal too? Rama said ‘Yes’. Now the unknown Mahadevi was teased that the small animal does not do any work and lies down eating grass.
A strange proposal : Balika Mahadevi’s brother suggested to tear the stomach of Rani and take out the animal which is there in the stomach. The knife cutting vegetables was brought, but Mahadevi could not do so.
They thought about the other problem. How to sew again after tearing the stomach ? It cannot be sewed by a needle and a string. They would not get a big needle from Rama. So they could not put the proposal in practice.
As the Rani’s child grew older, they began to play with it and forgot the another animal which was in the stomach.
रानी Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
महादेवी वर्मा को पशु-पक्षियों से गहरा लगाव था। उन्होंने उनसे संबंधित बड़े दिलचस्प और मार्मिक संस्मरण लिखे है। प्रस्तुत संस्मरण एक घोड़ी का है। उसका नाम रानी था। लेखिका को बचपन में उससे बहुत प्यार था। लेखिका रानी के साथ निक्की (नेवला) और रोजी (कतिया) को भी नहीं भूली हैं। महादेवीजी की सहदयता पाठक का दिल छू लेती है।
पाठ का सार :
गधे पर सवार अंग्रेज बच्चों को देखना : लेखिका महादेवी बचपन में इन्दौर में रहती थीं। वहाँ अंग्रेज बच्चों को गधे की सवारी करते देखकर उनको बहुत अचरज हुआ। उन्होंने सुना था कि गधे पर अपराधियों को बैठाए जाते हैं। तब उनके नौकर रामा ने उनकी शंका का समाधान किया। उसने कहा कि इन्हें विलायत में गधे पर बैठाने का दंड देकर भारत भेजा गया है।
घोड़े पर बैठने की इच्छा : महादेवी और घर के दूसरे बच्चों ने कहा, घोड़े पर बैठने का अधिकार हमें भी है। हम भी घोड़े पर बैठेंगे। पिताजी ने पूछा, क्या सफेद टट्ट पर बैठोगे? महादेवी ने कहा, सफेद टट्ट तो गधा होता है। उस पर तो दंड पानेवाले ही बैठते हैं।
रानी घोड़ी आई : बच्चों की मांग पर रानी नाम की घोड़ी आ गई। उसके लिए छुट्टन नामक साईस रखा गया। घोड़ी के रखरखाव का प्रबंध किया गया। रानी घोड़ी का पूरा नाम ताजरानी था। पहले तो ताजरानी को देखकर बच्चों को कुछ अधिक अच्छा न लगा, किंतु फिर रानी के प्रति उनकी सहानुभूति हो गई।
रानी का सौंदर्य : रानी बहुत सुंदर घोड़ी थी। उसके चमकदार रंग पर दृष्टि पड़ते ही फिसल जाती थी। उसका चाकलेटी रंग, झूलता अयाल, पारदर्शी जैसी आँखें, उजले दाँत, लाल जीभ, गुलाबी होंठ, मोरछल-सी पूछ और गठा हुआ शरीर सबकुछ आकर्षक था।
रानी मित्र बनी : बच्चे रानी से हिलमिल गए। वे उसके शरीर पर खेलते, लिपटते, झूलते, उसके अयाल में फूल खाँसते। रानी उनकी मित्र बन गई। वह पैर पटककर या हिनहिनाकर बच्चों को अपने पास बुलाने लगी।
जीन आदि खरीदकर घोड़ी पर सवारी करने का इंतजाम किया गया। किंतु बच्चे तो मनमानी करना चाहते थे। मनमानी किए बिना उन्हें संतोष नहीं होता था।
मनमानी भारी पड़ी : एक दिन रानी की नंगी पीठ पर महादेवी बैठी। वे रानी का अयाल पकड़े थी। रानी इस तरह सवारी करनेवालों को दुल्की चाल से इधर-उधर घुमाकर संतुष्ट कर देती थी, क्योंकि वह नंगी पीठ पर बैठनेवाले बच्चों की कमजोरी जानती थी। नन्हीं महादेवी रानी की पीठ पर ही थीं कि उनके भाई ने अपने हाथ की पतली संटी (उड़ी) रानी के पैरों पर मार दी। बस फिर क्या था, रानी भड़क गई और तेजी से भागने लगी। कुछ देर तक महादेवी ने खुद को संभाला, किंतु जल्दी ही जमीन पर गिर पड़ीं। फिर तो कई दिनों तक उन्हें बिछौने पर रहना पड़ा। किंतु इसके बावजूद रानी के प्रति महादेवी की आत्मीयता में कमी नहीं आई।
सोने के कड़े और रानी : नानी ने महादेवी के भाई के जन्मदिन पर शेर के मुंहवाले सोने के कड़े भेजे थे। बच्चों को रानी से प्रेम था। वे गए और वे कड़े रानी के कानों में पहना दिए। फिर बच्चे सबकुछ भूल गए। कड़े न देखकर शाम को पूछताछ हुई। किंतु कड़ों का कहीं पता न चला।
एकाएक बाबूजी (महादेवी के पिताजी) का ध्यान रानी की ओर गया। वह अपने कान को खुरों से खोदती और हिनहिना रही थी। बाबूजी ने वहाँ की मिट्टी हटाने का आदेश दिया। वहीं से कड़े मिल गए। किसी ने खड्डा खोदकर कड़े वहाँ छिपा दिए थे।
यह छोटा जीव कहाँ था? : रानी ने एक शिशु को जन्म दिया था। बच्चों ने पूछा, “यह कहाँ था?” रामा ने बताया कि यह जीव रानी के पेट में दाना-चारा खाकर सो रहा था। भाई ने पूछा, “और भी है?” रामा ने स्वीकृति में सिर हिलाया। अब तो अबोध महादेवी को खीझ होने लगी – यह छोटे जीव कुछ काम-धाम करते नहीं और चारा खाकर पेट में लेटे रहते हैं।
वह विचित्र प्रस्ताव : बालिका महादेवी के भाई ने सुझाव दिया कि चाकू से रानी का पेट चीरकर अंदर रहे जीव को बाहर निकाल लिया जाए। परंतु शाक काटने का चाकू लाया, तो महादेवी का साहस नहीं हुआ।
एक समस्या की ओर उनका ध्यान गया। पेट चौर डालने पर वह कैसे सिला जाएगा? सुई-डोरा से काम चलेगा नहीं। रामा के पास से बड़ा सूजा मिलना असंभव है। इसलिए वह सुझाव व्यवहार में न लाया जा सका। शिशु बड़ा होने पर सब उसके साथ खेलने लगे और पेट में रहे जीव के प्रति उनका क्रोध शांत हो गया।
रानी शब्दार्थ :
- आधिक्य – अधिकता।
- ज्ञानवर्धन करना – ज्ञान बढ़ाना, जानकारी देना।
- जिज्ञासा – जानने की इच्छा।
- समाधान – हल निकालना, उत्तर।
- विलायत – इंग्लैंड।
- मौखिक – जबानी।
- स्मृतिपत्र – याद दिलाना।
- ठेलमठेल – भीड़भाड़, धक्का-मुक्की।
- अजसस्रोत – सदा बहनेवाला प्रवाह।
- साईस – घोड़े की देखभाल करनेवाला।
- आतंकित – भयभीत।
- गाथा – कहानी।
- सदय – दयालु।
- ईर्ष्या – जलन।
- रोष – क्रोध।
- करुणा – दया।
- अयाल – घोडे के गर्दन पर के बाल।
- पारदर्शी – जिसके आर-पार देखा जा सके।
- क्षत-विक्षत – घायल।
- मोरछल – मोर की पूंछ से बना झाडू।
- अराजकता – अव्यवस्था।
- स्वेच्छया – अपनी इच्छा से।
- विस्थापित – अपने स्थान से हटाया हुया।
- आरूढ़ – सवार।
- बोध – ज्ञान।
- मयूर सिंहासन – मोर के आकार का सिंहासन।
- दुल्की – धीमी।
- आहत – घायल।
- स्मति – याद।
- संकल्प – दृढ़ निश्चय।
- प्रस्तर-प्रतिमा – पत्थर की मूर्ति।
- पश्चात्ताप – पछतावा।
- वलय – कंकण, छल्ला।
- विस्मित – चकित।