Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 9 Social Science Chapter 6 1945 के बाद का विश्व Textbook Exercise Important Questions and Answers.
1945 के बाद का विश्व Class 9 GSEB Solutions Social Science Chapter 6
GSEB Class 9 Social Science 1945 के बाद का विश्वण Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य बताइए ।
उत्तर:
24 अक्टूबर, 1945 के दिन संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई, जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की स्थापना करना । इसके लिए शांति के अवरोधक तत्त्वों को दूर करना, आक्रमण या शांति भंग के कृत्यों को दबा देना का सामूहिक प्रभावशाली कदम उठाना ।
- प्रत्येक अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को शांतिपूर्ण साधन द्वारा हल निकालना ।
- आत्मनिर्भरता तथा समान अधिकार के आधार पर राष्ट्र-राष्ट्र के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करने तथा विश्व शांति बनाए रखने के लिए सभी उचित कदम उठाना ।
- अन्तर्राष्ट्रीय सामाजिक, सांस्कृतिक या मानवतावादी समस्याओं के निराकरण लाने में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना ।
- जाति, भाषा, लिंग या धार्मिक भेदभाव के बिना सभी व्यक्तियों के लिए मूलभूत स्वतंत्रताओं या मानव अधिकारों के प्रति आदरभाव उत्पन्न करना ।
- इन समान ध्येयों को सिद्ध करने के लिए कार्यरत अलग-अलग राष्ट्रों के बीच संवादित लानेवाले केन्द्रीय संस्था के रूप में कार्य करना ।
प्रश्न 2.
गुटनिर्पेक्ष की नीति का अर्थ समझाइए ।
उत्तर:
दोनों सत्ता गुटों में न जुड़कर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के संचालन को गुटनिर्पेक्ष नीति कहा जाता है ।
प्रश्न 3.
‘शीत युद्ध’ के परिणामों की संक्षेप में चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
शीतयुद्ध के नकारात्मक परिणाम:
- शीतयुद्ध ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भय और संदेह का वातावरण बनाए रखा ।
- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सैनिक वृत्ति को स्थायी बना दिया ।
- दोनों विरोधी गुटों में शामिल होनेवाले देशों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी ।
- लोगों, देशों के बीच मनोवैज्ञानिक दीवार खड़ी कर दी ।
- ये महासत्ताएँ UNO में आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगी, जिससे उसका कार्य बाधित होने लगे ।
- सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था शीत युद्ध के कारण विफल रही ।
- विश्व के राष्ट्रों के बीच शस्त्रीकरण की होड़ मची तथा सैन्य संगठनों की स्थापना हुई ।
शीतयुद्ध के सकारात्मक प्रभाव:
- गुटनिर्पेक्ष आन्दोलन अस्तित्व में आया ।
- तीसरी दुनिया के देशों को मुक्ति मिली ।
- शीतयुद्ध की भयावहता के कारण शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व को प्रोत्साहन मिला ।
- तकनीकि और प्राविधिक विकास को प्रोत्साहन मिला ।
- UNO की महासभा का महत्त्व बढ़ा ।
- अन्तर्राष्ट्रीय जगत में शांति संतुलन की स्थापना हुई ।
प्रश्न 4.
जर्मनी का विभाजन और एकीकरण के विषय में संक्षेप में जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य कारण जर्मनी था, वह फिर से महासत्ता बनकर विश्व शांति के लिए खतरा बना सकता था ।
- इसलिए जर्मनी को चार भागों में विभाजित किया गया तथा उसकी राजधानी बर्लिन को भी चार भागों में बाँटा गया ।
- रूस की ‘रेड आर्मी’ ने जो पूर्वी भाग जीता था वह उसे दिया गया ।
- जर्मनी का नैऋत्य भाग का संचालन अमेरिका, फ्रांस के नजदीक के भाग फ्रांस तथा बेल्जियम से सटे भागों का संचालन इंग्लैण्ड को दिया गया ।
- अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैण्ड के संचालन के जर्मन भागों का एकीकरण करके ‘फेडरल रिपब्लिक और ईस्ट जर्मनी’ रखा गया ।
- इसके विरुद्ध रूस ने अप्रैल, 1948 में बर्लिन की नाकाबंदी की ।
- पूर्वी बर्लिन और पश्चिम बर्लिन को अलग करनेवाली 42 km लंबी दीवार बनाई गई ।
- साढ़े चार दशकों में पश्चिमी जर्मनी ने आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में इतनी सिद्धि प्राप्त की, जो जर्मन चमत्कार के रूप में जाना जाता है ।
- 1990 तक शीतयुद्ध समाप्त हुआ, रूस का विभाजन हुआ । अब एक मात्र महासत्ता अमेरिका रह गया ।
- पश्चिमी-पूर्वी देशों के बीच समझौता हुआ और 3 अक्टूबर, 1990 के दिन बर्लिन की दीवार को तोड़ दिया गया और जर्मनी का एकीकरण हुआ ।
प्रश्न 5.
रूस और भारत के बीच प्रगाढ संबंध रहें है ।
उत्तर:
रूस ने भारत के उद्योग स्थापना स्थापित करने तथा आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में मदद की है ।
- कश्मीर की समस्या पर भारत का पक्ष लिया है ।
- UNO की सुरक्षा समिति में कश्मीर के मामले में भारत विरुद्ध प्रस्ताव न हो इसके लिए अनेक बार ‘वीटो’ सत्ता का उपयोग किया है ।
- कश्मीर समस्या पर वैश्विक स्तर पर भारत का समर्थन किया है ।
- इस तरह से भारत और रूस के बीच प्रगाढ़ संबंध रहें है ।
प्रश्न 6.
‘सैनिक गुटों’, नाटो, सियाटो और वार्सा संधि के बारे में जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दोनों महासत्ताओं के बीच अविश्वास का वातावरण निर्मित हुआ । जिससे के सैन्य गुट निर्मित हुए ।
- नाटो (NATO) : अमेरिका की प्रेरणा और नेतृत्व में ‘उत्तर एटलांटिक महासागर के किनारे स्थित पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों का एक सैन्य संगठन है, जिसकी रचना सन 1949 में हुई ।
- सीआटो (SEATO) : दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों की साम्यवादी विचारधारा के विरुद्ध रक्षा करने के लिए इंग्लैण्ड और अमेरिका ने 1954 में एक सैन्य संगठन की रचना की थी जो सीआटो के नाम से जाना जाता है ।
- वार्सा संधि : अमेरिका की प्रेरणा और नेतृत्व में रचे गये सैन्य संगठनों के विरुद्ध सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादी देशों ने जिस सैन्य संगठन की रचना की थी उसे वार्सा संधि के नाम से जाना जाता है । इसकी रचना 1955 में की गई ।
- सेन्टो (CENTO) : मध्यपूर्व के देशों ने इंग्लैण्ड की प्रेरणा और अमेरिका के नेतृत्व में सैन्य संगठन स्थापित किया था जिसे सेन्टो कहा गया ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद महासत्ताओं के बीच संबंध तनावपूर्ण क्यों बने ?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद महासत्ताओं अमेरिका और रूस में समग्र विश्व में प्रभुत्व जमाने की तीव्र स्पर्धा शुरू हुई ।
- दोनों ही महासत्ताओं के पास अथाह संहारक क्षमता थी ।
- अपनी शक्ति के आधार पर दोनों महासत्ताएँ कहीं भी हस्तक्षेप करने की शक्ति रखती थी ।
- दोनों महासत्ताओं ने विश्व राजनीति अपने ऊपर आश्रित कर ली थी ।
- दोनों ही महासत्ताओं ने अन्य देशों में अपने सैनिक अड्डे स्थापित किये ।
- पारस्परिक इरादों के लिए भारी शंका, कुशंका का अविश्वास के कारण महासत्ताओं के बीच शस्त्र स्पर्धा पराकाष्ठा पर पहुँच गई ।
प्रश्न 2.
पंडित जवाहरलाल नेहरु गुटनिर्पेक्ष की नीति के विषय में क्या विचार रखते थे ?
उत्तर:
नेहरुजी की मान्यता थी कि किसी भी गुट या सत्ता गुट में शामिल होने की बजाय तटस्थ रहने से ही राष्ट्रीय हितों की अच्छी तरह से सुरक्षा कर सकेंगे । विश्व का दो सत्ता गुटों में विभाजन विश्व शान्ति और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए हानिकारक है । यदि किसी गुट में शामिल हो तो उस देश को अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ेगी और शीतयुद्ध का शिकार होना पड़ेगा ।
प्रश्न 3.
परमाणु अप्रसार संधि किसे कहते हैं ? भारत ने उस पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया ?
उत्तर:
सन् 1968 में UNO की महासभा से परमाणु अस्त्रों के प्रसार और निर्माण पर नियन्त्रण सन्धि को स्वीकृति प्रदान की थी । यह परमाणु अप्रसार संधि के नाम से जानी जाती हैं ।
- इस संधि में परमाणु शस्त्रों और प्रक्षेपास्त्रोंवाले देशों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था । वे अपने शस्त्रों में वृद्धि करते रहे परन्तु अन्य देशों पर कठोर दबाव डालते हैं ।
- इस प्रकार भारत इस संधि को पक्षपातपूर्ण संधि मानता है, इस कारण भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये ।
3. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:
प्रश्न 1.
शस्त्रीकरण और निःशस्त्रीकरण:
उत्तर:
शस्त्रीकरण:
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रूस में शस्त्रों की होड़ मच गयी थी । सन् 1949 में रशिया ने परमाणु परीक्षण किया था ।
- प्रत्येक राष्ट्र अपने को अन्य राष्ट्रों से असुरक्षित समझता था । इसलिए राष्ट्रों ने अपनी सुरक्षा के लिए हथियारों के निर्माण को बल दिया ।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद NATO, SEATO, CENTO तथा वार्सा संधि जैसे सैन्य संगठनों की स्थापना हुई थी ।
- राष्ट्रों की स्पर्धा ने परमाणु, रासायनिक और जैविक अस्त्रों तथा मिसाइलों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
निःशस्त्रीकरण:
- सन् 1962 में क्यूबा संकट के दरम्यान पहलीबार रूस और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हॉटलाईन वार्ता हुई ।
- दोनों महासत्ताओं ने परमाणु शस्त्रों का उपयोग न करके मानव कल्याण का कार्य किया ।
- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस परमाणु शस्त्रों का निःशस्त्रीकरण और परमाणु शक्ति का परीक्षण तथा उत्पादन और उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए सहमत हुए ।
प्रश्न 2.
क्यूबा संकट:
उत्तर:
सन् 1960 के दशक में अमेरिका ने साम्यवादी शासन प्रणालीवाले क्यूबा की नाकाबंदी घोषित की ।
- इसके विरुद्ध सोवियत संघ ने परमाणु शस्त्रों से सुसज्जित मिशाईलोंवाला जहाज केरेबियन सागर में भेजा ।
- दोनों देशों ने एक-दूसरे को परमाणु शस्त्रों के उपयोग की धमकी दी, इससे विश्व परमाणु युद्ध के कगार पर आ गया ।
- दोनों महासत्ताएँ इस युद्ध के विनाश को जानती थी, इसलिए पहलीबार दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हॉटलाईन वार्ता हुई ।
- सोवियत संघ ने अपने परमाणु शस्त्रों से सुसज्जित जहाज वापस बुलाने का निश्चय किया ।
- अमेरिका ने भी अपने परमाणु शस्त्रों की मिसाईलों को म्यान में रख लिया ।
- इस घटना को क्यूबा के रूप में जाना जाता है । विद्वान क्यूबा संकट को शीत युद्ध के अन्त को आरंभ मानते हैं ।
प्रश्न 3.
सोवियत युनियन का विघटन:
उत्तर:
सन् 1989 में सोवियत युनियन के राष्ट्राध्यक्ष गोर्बाचोव की उदारवादी नीति के कारण सोवियत युनियन का विघटन हुआ ।
- गोर्बाचोव की ग्लासनेस्त (खुलापन) पेरोस्टोइका (आर्थिक और सामाजिक सुधार) नीतियों के कारण सोवियत समाजवादी प्रजातंत्रात्मक संघ की स्वतंत्रता प्राप्ति की उत्कंठा जाग्रत होने से सोवियत संघ के घटक राज्यों द्वारा एक-एक करके स्वतंत्रता की घोषणा करने की प्रक्रिया शुरू हुई ।
- धीरे-धीरे सोवियत युनियन के प्रशासनिक तंत्र पर साम्यवादी दल अमलदारशाही और लालसेना की पकड़ ढीली पड़ने लगी ।
- 1990 में सोवियत युनियन के विभाजन की प्रक्रिया शुरू हुई । अंत में कुल 15 राज्यों में से 14 राज्य स्वतंत्र होने की प्रक्रिया दिसम्बर, 1991 में पूरी हुई।
प्रश्न 4.
बर्लिन की नाकाबंदी:
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की राजधानी बर्लिन के भी चार भाग किये गये थे । कुछ समय बाद फ्रांस, इंग्लैण्ड और अमेरिका ने अपने नियंत्रण के तीन प्रशासनिक भागों का एकीकरण किया ।
- इसके विरुद्ध अप्रैल, 1948 में सोवियत संघ ने बर्लिन की नाकाबंदी घोषित की । इसके परिणामस्वरूप पश्चिमी देशों और सोवियत संघ के बीच भारी तनाव खड़ा हुआ ।
- बर्लिन की नाकाबंदी को विद्वान शीतयुद्ध का आरम्भ मानते हैं । बाद में पूर्वी जर्मनी और पश्चिम जर्मनी की राजधानी बर्लिन को विभाजित करनेवाली लम्बी दीवार खींची गई ।
- बर्लिन की यह दीवार सत्तासमूहों के बीच चलनेवाले शीतयुद्ध और तनाव का प्रतीक बनी ।
4. निम्नलिखित विधानों के कारण दीजिए:
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना ने नये विश्व की नींव रखी ।
उत्तर:
विश्व दो महायुद्धों के भीषण विनाश को देख चुका था और दूसरे विश्वयुद्ध में संहारक अणुशस्त्रों का उपयोग हुआ था ।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी विश्वशांति को खतरा मंडरा रहा था । ऐसे में विश्व के महान नेताओं ने एक ऐसी संस्था की आवश्यकता अनुभव की जो विश्व शांति एवं सहयोग के प्रतीक स्वरूप बन सकें ।
- 24 अक्टूबर, 1945 के दिन UNO की स्थापना ऐसी परिस्थिति में जब विश्व शान्ति की तलाश में था । एक ऐसी स्थिति बनाने को आतुर था जिसमें युद्ध न हों ।
- राष्ट्र अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत और परस्पर सहयोग द्वारा हल करने का प्रयास करें । यह UNO की स्थापना से ही संभव हुआ ।
- इस प्रकार UNO ने नये विश्व की नींव रखीं ।
प्रश्न 2.
क्यूबा संकट को ‘शीत युद्ध’ के अंत के आरंभ के रूप में माना जाता है ?
उत्तर:
सन् 1962 के क्यूबा संकट के समय अमेरिका और सोवियत संघ दोनों महाशक्तियों ने सीमान्तवादिता के खतरे को अनुभव किया ।
- अमेरिका और सोवियत संघ के प्रधानों के बीच पहलीबार हॉटलाईन वार्ता हुई ।
- सोवियत युनियन ने परमाणु शस्त्रों से सुसज्जित मिसाइलोंवाला जहाज अरबियन सागर से वापस लौटा लेने का निर्णय लिया ।
- अमेरिका ने क्यूबा की ओर रूख किये हुए अपने परमाणु शस्त्रोंवाले मिसाइलों को म्यान में रख लिया ।
- 1962 के क्यूबा प्रक्षेपास्त्र संकट के भयावह अनुभव के बाद दोनों महासत्ताओं के तनाव की कमी आई जिसे तनाव शैथिल्य कहा ग !
- इसके बाद 1963 से 1978 की अवधि में तनाव कम करने के अनेक समझौते हुए । दोनों सत्ताओं के बीच संदेशों का आदान-प्रदाः शुरू हुआ ।
- इसलिए क्यूबा संकट को शीतयुद्ध के अंत के आरंभ के रूप में माना जाता है ।
5. नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज का आरंभ किससे होता है ?
(A) घोषणापत्र से
(B) प्रस्तावना से
(C) मानवाधिकार से
(D) संविधान से
उत्तर:
(B) प्रस्तावना से
प्रश्न 2.
अनेक विद्वान किस घटना को शीत युद्ध की शुरूआत मानते हैं ?
(A) बर्लिन की नाकाबंदी
(B) जर्मनी का विभाजन
(C) जर्मनी का चमत्कार
(D) जर्मनी का एकीकरण
उत्तर:
(A) बर्लिन की नाकाबंदी
प्रश्न 3.
सोवियत यूनियन के नेतृत्ववाले देशों ने कौन-सी विचारधारा को माना ?
(A) लोकतंत्र
(B) साम्राज्यवादी
(C) साम्यवादी
(D) उदारमतवादी
उत्तर:
(C) साम्यवादी
प्रश्न 4.
भारत में गुट निर्पेक्ष की विदेश नीति का प्रवर्तक कौन था ?
(A) लालबहादुर शास्त्री
(B) डॉ. राधाकृष्णन
(C) पं. जवाहरलाल नेहरु
(D) श्रीमति इंदिरा गाँधी
उत्तर:
(C) पं. जवाहरलाल नेहरु
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में किस नीति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ?
(A) गुटनिर्पेक्ष नीति
(B) शीतयुद्ध की नीति
(C) निःशस्त्रीकरण की नीति
(D) उपनिवेशवाद की नीति
उत्तर:
(A) गुटनिर्पेक्ष नीति