Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 बूढ़ी काकी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 बूढ़ी काकी
GSEB Class 10 Hindi Solutions बूढ़ी काकी Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बूढ़ी काकी के भतीजे का क्या नाम था ?
(अ) धनीराम
(ब) पं. बुद्धिराम
(क) सुखराम
(ड) दु:खराम
उत्तर :
(ब) पं. बुद्धिराम
प्रश्न 2.
रूपा किसकी पत्नी थी ?
(अ) धनीराम
(ब) मनीराम
(क) हनीराम
(ड) पं. बुद्धिराम
उत्तर :
(ड) पं. बुद्धिराम
प्रश्न 3.
किसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थी ?
(अ) रूपा
(ब) बुद्धिराम
(क) लाडली
(ड) श्यामा
उत्तर :
(क) लाडली
प्रश्न 4.
बूढ़ी काकी को पत्तलों पर से जूठी पूड़ी के टुकड़े खाता देखकर कौन सन्न रह गया ?
(अ) रूपा
(ब) बुद्धिराम
(क) लाडली
(ड) श्यामा
उत्तर :
(अ) रूपा
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बूढी काकी कैसे रोती थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी गला फाड़-फाड़कर रोती थी।
प्रश्न 2.
बुद्धिराम के घर किस उत्सव में पूड़ियाँ बन रही थी ?
उत्तर :
बुद्धिराम के बड़े लड़के मुखराम के तिलक का उत्सव था, इसलिए बुद्धिराम के घर पूड़ियाँ बन रही थीं।
प्रश्न 3.
बूढ़ी काकी को कहाँ पर बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई ?
उत्तर :
बढ़ी काकी को कड़ाह के पास बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई।
प्रश्न 4.
किस खुशी में लाडली को नींद आ रही थी ?
उत्तर :
काकी को पूड़ियाँ देने की खुशी में लाड़ली को नींद नहीं आ रही थी।
प्रश्न 5.
उत्सव के दिन बूढ़ी काकी किसके डर से नहीं रो रही थी ?
उत्तर :
उत्सव के दिन अपशुकन के डर से काकी नहीं रो रही थी।
प्रश्न 6.
बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र कौन-सी इन्द्रिय थी ?
उत्तर :
बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र : स्वादेद्रिय थी।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बूढ़ी काकी कब रोती थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी में जीभ के स्वाद के सिवा कोई चेष्टा शेष नहीं थी। जब घरवाले उनकी इच्छा के विपरीत कोई काम करते, उनके भोजन का समय टल जाता या भोजन की मात्रा कम होती अथवा बाजार से कोई चीज आती और उन्हें न मिलती, तो वे रोती थी।
प्रश्न 2.
लड़के बूढ़ी काकी को कैसे सताते थे ?
उत्तर :
लड़के जब-तब बूढ़ी काकी को सताया करते थे। लड़कों में से कोई उन्हें चुटकी काटकर भागता था और कोई उन पर पानी की कुल्ली कर देता था। इस तरह लड़के बूढ़ी काकी को सताते थे।
प्रश्न 3.
बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की कैसी तसवीर नाचने लगी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी को पूड़ियों और मसालों की सुगंध बेचैन कर रही थी। उनकी कल्पना में लाल-लाल, फूली-फूली और नरम नरम पूड़ियों की तसवीर नाचने लगी।
प्रश्न 4.
थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी को खिलाते समय रूपा ने क्या कहा ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी को जूठे पत्तलों से पूड़ियों के टुकड़े खाते हुए देखकर रूपा को बहुत ग्लानि हुई। उसने थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी के सामने रखा और कहा, “काकी उठो, भोजन कर लो। मुझसे आज बड़ी भूल हुई, उसका बुरा न मानना। परमात्मा से प्रार्थना कर दो कि वे मेरा अपराध क्षमा कर दें।”
प्रश्न 5.
बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति कैसे हथिया ली थी ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी के परिवार में अपने भतीजे बुद्धिराम के सिवा कोई दसरा न था। बद्धिराम ने बूढ़ी काकी से खुब लंबे चौड़े वादे किए और उन्हें तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए। बूढ़ी काकी उसके झांसे में आ गई। इस तरह बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति हथिया ली।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
क्या देखकर रूपा को पश्चाताप हुआ ? क्यों ?
उत्तर :
रूपा के बड़े लड़के के तिलक में मेहमानों तथा अन्य लोगों को पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ तथा मसालेदार सब्जियों परोसी गई थीं। सब खा-पीकर सो गए, पर बूढ़ी काकी को खाने के लिए किसी ने नहीं पूछा। रात को रूपा की नींद खुली तो उसने जो दृश्य देखा उससे उसका हृदय सन्न रह गया। भूख से व्याकुल बूढ़ी काकी जूठे पत्तलों से चुन-चुनकर पूड़ियों के टुकड़े खा रही थीं। यह देखकर उसे अपनी भूल पर बहुत पश्चात्ताप हुआ। उसने सोचा कि जिसकी संपत्ति से उसे दो सौ रुपए वार्षिक आय होती है, उसके साथ उसने यह कैसा बर्ताव किया।
प्रश्न 2.
रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति कब अमानुषिक व्यवहार किया और क्यों ?
उत्तर :
रूपा और बुद्धिराम के बड़े बेटे के तिलक में पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ निकाली जा रही थीं और मसालेदार सब्जी बन रही थी। घौ और मसालों की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। बूढ़ी काकी को यह सुगंध बेचैन कर रही थी। वे रेंगते-रेंगते कड़ाह के पास पहुंच गई थीं। इस पर रूपा आग-बबूला हो उठी थी और उसने काकी को दोनों हाथों झटककर उनको बहुत जलील किया था।
इसके बाद एक बार फिर बूढ़ी काकी भोजन की आशा में सरकती हुई आंगन में आ गई थीं, पर मेहमान तब तक भोजन कर ही रहे थे। इस पर बुद्धिराम क्रोध से तिलमिला गया था। वह काकी के दोनों हाथ पकड़कर घसीटते हुए उन्हें उनकी कोठरी में पटक आया था। इस प्रकार रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति इन दो अवसरों पर अमानुषी व्यवहार किया था।
प्रश्न 3.
खाने के बारे में बूढ़ी काकी के मन में कैसे-कैसे मंसूबे बँधे ?
उत्तर :
बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की तस्वीर नाच रही थी। पूड़ियाँ लाल-लाल, फूली-फूली, नरम-नरम होंगी। कचौड़ियों में आजवाइन और इलायची की महक आ रही होगी। उन्होंने खाने के बारे में तरह-तरह के मंसूबे बांधे थे। वे कहती, पहले सब्जी से पूड़ियाँ खाऊँगी, फिर दही और शक्कर से। कचौड़ियों रायते के साथ मजेदार मालूम होंगी। वे कहती, चाहे कोई बुरा माने चाहे भला, वे मांग-मांगकर खाएंगी। लोग यही कहेंगे न कि इन्हें विचार नहीं है। कहा करें लोग। इतने दिन के बाद पूड़ियाँ मिल रही हैं, तो मुंह जूठा करके थोड़े ही उठ जाएंगी। इस प्रकार बूढ़ी काकी के मन में खाने के बारे में मंसूबे बंधे थे।
प्रश्न 4.
‘बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
अपने जीवन में मनुष्य की तरह-तरह की कामनाएं होती हैं। बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था तथा प्रौढ़ावस्था तक मनुष्य को जल्द-से-जल्द कामनाओं की पूर्ति की उतनी चिंता नहीं होती, जितनी वृद्धावस्था में। क्योंकि वृद्धावस्था में मनुष्य के जीवन के गिने-चुने वर्ष ही बचे रहते हैं। वह जीवन के बचे-खुचे वर्षों में अपनी कामनाओं को पूरा करने की हर हालत में कोशिश करता है। इसके लिए उसे बुरेभले, मान-अपमान की परवाह नहीं होती। इसलिए लेखक ने कहा है कि बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है।
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1.
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है ।
उत्तर :
कहते हैं बुढ़ापा बचपन का ही एक रूप है। वृद्धावस्था में मनुष्य की हरकतें बच्चों जैसी हो जाती हैं। वृद्धावस्था में मनुष्य के अंग-प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। दिमाग कमजोर हो जाता है और याददाश्त बच्चों की तरह हो जाती है। दांत गिर जाते हैं और मनुष्य का मुंह बच्चों की तरह पोपला हो जाता है। बच्चों की तरह वृद्धों को मान-अपमान की परवाह नहीं होती। जैसे बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता, उसी प्रकार वृद्धों की बातों पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। उनकी इच्छाअनिच्छा का भी कोई महत्त्व नहीं होता। वृद्धावस्था और बचपन की अधिकांश बातों में समानता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि, बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है।
प्रश्न 2.
लड़कों का बूढ़ों से स्वाभाविक विद्वेष होता ही है ।
उत्तर :
लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का अंतर होता है। हर बात के संबंध में दोनों की सोच में अंतर होना स्वाभाविक है। अधिकांश बूढ़े किसी बात को अपने ढंग से सोचते हैं और उसके बारे में उनकी अपनी धारणा बनी होती है। हर बात को अपने इसी पैमाने पर कसने का वे प्रयास करते हैं। जबकि, नई पीढ़ी के लड़कों की सोच नए ढंग की होती है। इसलिए दोनों के विचारों में टकराव होना स्वाभाविक है। इस अर्थ में लड़कों और बूढों में स्वाभाविक विद्वेष होता ही है।
6. सूचनानुसार उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द दीजिए :
- दीनता – ……….
- वाटिका – ……….
उत्तर :
- दीनता – दरिद्रता
- वाटिका – उद्यान
प्रश्न 2.
विरुद्धार्थी शब्द दीजिए :
- प्रतिकूल – ……….
- सज्जन – ……….
- अनुराग – ……….
- सुलभ – ……….
- अपशकुन – ……….
- दीर्घाहार – ……….
- निर्लज्जता – ……….
- अपरिमित – ……….
उत्तर :
- प्रतिकूल × अनुकूल
- सज्जन × दुर्जन
- अनुराग × विराग
- सुलभ × दुर्लभ
- अपशकुन × शकुन
- दीर्घाहार × अल्पाहार
- निर्लज्जता × लग्जा
- अपरिमित × परिमित
प्रश्न 3.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द दीजिए :
- जहाँ घटना बनी है वह जगह
- जीभ का स्वाद
- भूख से आतुर
- धीरज की परीक्षा लेनेवाली
उत्तर :
- जहाँ घटना बनी है वह जगह – घटनास्थल
- जीभ का स्वाद – रसास्वाद
- भूख से आतुर – क्षुधातुर
- धीरज की परीक्षा लेनेवाली – धैय परीक्षक
प्रश्न 4.
मुहावरों के अर्थ बताकर वाक्य-प्रयोग कीजिए :
- सब्जबाग दिखाना – …………..
- आपे से बाहर होना – …………..
- उबल पड़ना – …………..
- छाती पर सवार होना – …………..
- नाक कटवाना – …………..
- बेसिर पैर की बात – …………..
- हदय सन्न रह जाना – …………..
- मुँह बाए फिरना – …………..
- कलेजे में हूक-सी उठना – …………..
- रोटियों के लाले पड़ना – …………..
- आग हो जाना – …………..
- जवाब दे चुकना – …………..
- कलेजा पसीजना – …………..
उत्तर :
- सब्जबाग दिखाना – बड़े-बड़े झूठे वादे करना वाक्य : लोगों को ठगनेवाले धूर्त पहले उन्हें तरह-तरह के सब्जबाग दिखाते हैं।
- आपे से बाहर होना – अत्यंत क्रोधित होना वाक्य : पुत्र की स्कूल में अनुपस्थिति देखकर पिताजी आपे से बाहर हो गए।
- उबल पड़ना – क्रोधित होना वाक्य : नौकर चोरी करते हुए पकड़ा गया, तो सेठ उस पर उबल पड़े।
- छाती पर सवार होना – सामने अड़े रहना वाक्य : उसका झगड़ालू बेटा घर से अलग होकर भी उसके घर के सामने ही रहता है। मानो, छाती पर सवार हो गया है।
- नाक कटवाना – इज्जत खोना वाक्य : अपने ही गाँव में चोरी करके उसने अपनी नाक कटवाई।
- बेसिर-पैर की बात – असंबद्ध बात बाक्य : महेश की बात में आदि होता है, न अंत। वह हमेशा बेसिर-पैर की बात ही करता है।
- हृदय सन्न रह जाना – घोर आश्चर्य में डूब जाना वाक्य : बूढ़ी काकी को जूठी पत्तलों से खाना खाते देखकर रूपा का हृदय सन्न रह गया।
- मुंह बाए फिरना – बेकार की हालत में घूमना वाक्य : स्नातक होने के बाद भी वह कुछ काम-धंधा नहीं करता है, मुंह बाए फिरता है।
- कलेजे में हूक-सी उठना – मन में दुःख होना वाक्य : पड़ोसी की पुत्री की कराह सुनकर रामूचाचा के कलेजे में हूक-सी उठी।
- रोटियों के लाले पड़ना – रोटियों के लिए बहुत तरसना वाक्य : अपनी जायदाद भतीजे के नाम करने के बाद बूढी काकी को रोटियों के लाले पड़ने लगे।
- आग हो जाना – अत्यंत क्रोधित होना वाक्य : मेहमानों से पहले खाने चली आई बूढ़ी काकी को देख रूपा आग हो गई।
- जवाब दे चुकना – निष्क्रिय होना, छोड़ देना वाक्य : बूढ़ी काकी की उम्र के हिसाब से उसके हाथ-पैर जवाब दे चुके थे।
- कलेजा पसीजना – दया आना वाक्य : बूढ़ी काकी को जूठी पत्तलों से पूड़ियों के टुकड़े खाती हुई देखकर रूपा का कलेजा पसीज गया।
प्रश्न 5.
संधि-विच्छेद कीजिए :
- परमानंद – ………..
- परमात्मा – ………..
- अर्धागिनी – ………..
- स्वार्थानुकूलता – ………..
- सहानुभूति – ………..
- रसास्वादन – ………..
- व्याकुल – ………..
- हार – ………..
- प्रतीक्षा – ………..
- कण्ठावरुद्ध – ………..
- क्षुधातुर – ………..
- कालान्तर – ………..
- रक्षागार – ………..
- सज्जन – ………..
- सदिच्छाएँ – ………..
- पुनरागमन – ………..
- दुर्गति – ………..
- सम्मुख – ………..
उत्तर :
- परमानंद = परम + आनंद
- परमात्मा = परम + आत्मा
- अर्धागिनी = अर्ध + अंगिनी
- स्वार्थानुकूलता = स्वार्थ + अनुकूलता
- सहानुभूति = सह + अनुभूति
- रसास्वादन = रस + आस्वादन
- व्याकुल = वि + आकुल
- दीर्पाहार = दीर्घ + आहार
- प्रतीक्षा = प्रति + इक्षा
- कण्ठावरुद्ध = कंठ + अवरुद्ध
- क्षुधातुर = क्षुधा + आतुर
- कालान्तर = काल + अन्तर
- रक्षागार = रक्षा + अगार
- सज्जन = सत् + जन
- सदिच्छाएँ = सत् + इच्छाएं
- पुनरागमन = पुनः + आगमन
- दुर्गति = दुस् + गति
- सम्मुख = सम् + मुख
प्रश्न 6.
विग्रह करके समास का नाम लिखिए :
- क्षुधातरू
- सदिच्छाएँ
- क्षुधावर्धक
- रसास्वादन
उत्तर :
- कर्मधारय
- कर्मधारय
- उपपद
- संबंध तत्पुरुष
Hindi Digest Std 10 GSEB बूढ़ी काकी Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
रूपा की आँख खुलने पर उसने क्या देखा? :
उत्तर :
रूपा की आँख खुलने पर उसने देखा कि लाइली जूठे पत्तलों के पास चुपचाप खड़ी है और बूढ़ी काकी पत्तलों पर से पूड़ियों के टुकड़े उठा-उठाकर खा रही हैं।
प्रश्न 2.
कौन-सा दृश्य देखकर रूपा का हृदय सन्न हो गया?
उत्तर :
बूढ़ी काकी जूठे पत्तों पर से पूड़ियों के टुकड़े उठाउठाकर खा रही थी, यह दृश्य देखकर रूपा का हृदय सन्न हो गया।
प्रश्न 3.
बूढ़ी काकी कैसे खाना खा रही थी?
उत्तर :
भोले-भाले बच्चे, जो मिठाइयाँ पाकर मार और तिरस्कार इ सब भूल जाते हैं, वैसे बूढ़ी काकी सब भुलाकर खाना खा रही थी।
प्रश्न 4.
लाइली की पूडियों का काकी पर क्या असर हुआ?
उत्तर :
जैसे थोड़ी-सी वर्षां ठंडक के स्थान पर गरमी पैदा कर देती है, उसी तरह इन थोड़ी पूड़ियों ने काकी की क्षुधा और इच्छा को ३ और उत्तेजित कर दिया था।
प्रश्न 5.
बुद्धिराम के संपूर्ण परिवार में काकी से किसे अनुराग था?
उत्तर :
बुद्धिराम के संपूर्ण परिवार में काकी से केवल बुद्धिराम 3 की छोटी बेटी लाड़ली को ही अनुराग था।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 1.
बुद्धिराम के घर पूड़ियाँ बन रही थी, क्योंकि …
(अ) लड़के मुखराम के तिलक का उत्सव था।
(ब) लड़के मुखराम की शादी हो रही थी।
(क) लाडली का जन्मदिन था।
उत्तर :
बुद्धिराम के घर पूड़ियाँ बन रही थी, क्योंकि लड़के मुखराम के तिलक का उत्सव था।
प्रश्न 2.
घी और मसालों की सुगंध ने ….
(अ) बूढ़ी काकी को संतुष्ट किया।
(ब) बूढ़ी काकी को बेचैन कर दिया था।
(क) बूढ़ी काकी को रुला रही थी।
उत्तर :
घी और मसालों की सुगंध ने बूढ़ी काकी को बेचैन कर दिया था।
प्रश्न 3.
बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है, …
(अ) जब संपूर्ण इच्छाएं एक ही केंद्र पर आ लगती है।
(ब) जब शरीर दुर्बल होने लगता है।
(क) जब अपने भी मुंह मोड़ने लगते हैं।
उत्तर :
बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है, जब संपूर्ण इच्छाएँ एक ही केंद्र पर आ लगती है।
प्रश्न 4.
थोड़ी पूड़ियों ने काकी की क्षुधा और इच्छा को और …
(अ) प्रताड़ित कर दिया था।
(ब) उत्तेजित कर दिया था।
(क) शांत कर दिया था।
उत्तर :
थोड़ी पूड़ियों ने काकी की क्षुधा और इच्छा को और उत्तेजित कर दिया था।
प्रश्न 5.
काकी के लिए बात प्रसिद्ध थी कि वह खाने के लिए रोती है, अतएव …
(अ) उसकी भूख पर कोई ध्यान नहीं देता था।
(ब) उसके बुलावे पर कोई नहीं जाता था।
(क) उनके संताप और आर्तनाद पर कोई ध्यान नहीं देता था।
उत्तर :
काकी के लिए बात प्रसिद्ध थी कि वह खाने के लिए रोती है, अतएव उनके संताप और आर्तनाद पर कोई ध्यान नहीं देता था।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- बूढ़ी काकी में …………. की चेष्टा शेष बची थी। (स्पर्श, स्वाद)
- बुद्धिराम बूढ़ी काकी का …………. था। (भांजा, भतीजा)
- बूढ़ी काकी को …………. बैचेन करती थी। (भूख, निंद्रा)
- बुढ़ापा …………. रोग का अंतिम समय है। (तृष्णा, निद्रा)
- …………. ने अपने हिस्से की पूड़ियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थी। (रूपा, लाइली)
- रूपा …………. की पत्नी थी। (पं. जीवराम, पं. बुद्धिराम)
- बूढ़ी काकी को …………. की सुगंध बैचेन कर रही थी। (घी और मसालों, हलवे)
- बुढ़ापा बहुधा …………. का पुनरागमन है। (जवानी, बचपन)
उत्तर :
- स्वाद
- भतीजा
- भूख
- तृष्णा
- लाडली
- पं. बुद्धिराम
- घी और मसालों
- बचपन
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
लाड़ली बड़ी काकी पूड़ियाँ देना चाहती थी, परंतु उसे किसका डर सता रहा था।
A. माँ का
B. चाची का
C. भैया का
D. भाभी का
उत्तर :
A. माँ का
प्रश्न 2.
बूढ़ी काकी की कल्पना में लाल-लाल फूली पूड़ियाँ क्या कर रही थी?
A. नाच रही थी
B. सिरदर्द
C. इनकार
D. दंड दे रही थी
उत्तर :
A. नाच रही थी
प्रश्न 3.
बुद्धिराम की बेटी लाड़ली काकी के लिए कौन-सा कवच थी?
A. भावना का
B. सुरक्षा का
C. भक्ति का
D. दिए गए में से एक भी नहीं
उत्तर :
B. सुरक्षा का
प्रश्न 4.
क्रोधित बुद्धिराम ने काकी को कहाँ पटक दिया?
A. मैदान में
B. कमरे में
C. रसोई घर में
D. अंधेरी कोठरी में
उत्तर :
D. अंधेरी कोठरी में
प्रश्न 5.
लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का स्वाभाविक रूप से क्या होता है?
A. भाव
B. स्वार्थ
C. विद्रोह
D. विद्वेष
उत्तर :
D. विद्वेष
प्रश्न 6.
“परमात्मा से प्रार्थना कर दो कि वे मेरा अपराध क्षमा कर दें।” यह वाक्य कौन कहता है?
A. बूढ़ी काकी
B. लाइली
C. रूपा
D. पं. बुद्धिराम
उत्तर :
C. रूपा
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- इच्छा – ……………
- नेत्र – ……………
- वर्षा – ……………
- भूल – ……………
- स्वादिष्ट – ……………
- मेहमान – ……………
- निर्लज्ज – ……………
- क्षुधा – ……………
- उद्धिग्न – ……………
- सेतु – ……………
- ग्रास – ……………
- करुणा – ……………
- अधीर – ……………
- तृष्णा – ……………
- लोलुपता – ……………
- पश्चात्ताप – ……………
उत्तर :
- इच्छा – अभिलाषा
- नेत्र – आँख
- वर्षा – बारिश
- भूल – गलती
- स्वादिष्ट – जायकेदार
- मेहमान – अतिथि
- निर्लज्ज – बेशर्म
- क्षुधा – भूख
- उद्विग्न – चिंतित
- सेतु – पुल
- ग्रास – कौर
- करुणा – दया
- अधीर – बेचैन
- तृष्णा – प्यास, लोभ
- लोलुपता – लोभ
- पश्चात्ताप – पछतावा
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- मजेदार × ………..
- न्याय × ………..
- नींद × ………..
- मेहमान × ………..
- विरोध × ………..
उत्तर :
- मजेदार × बेमजा
- न्याय × अन्याय
- नींद × अनिद्रा
- मेहमान × यजमान
- विरोध × समर्थन
निम्नलिखित संधि को जोडिए :
प्रश्न 1.
- वि + आकुल
- सत् + जन
उत्तर :
- वि + आकुल = व्याकुल
- सत् + जन = सज्जन
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- जिसे खूब लाइप्यार मिलता है
- दया के योग्य
- देवताओं का निवासस्थान
- दुबारा आना
- जिसमें धीरज नहीं है वह
- निराशा से भरा हुआ
उत्तर :
- लाडला
- दयनीय
- स्वर्ग
- पुनरागमन
- अधीर
- निराशामय
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- गलत – ………
- बेचैन – ………
- बूढा – ………
- कठिन – ………
- सिसकना – ………
- प्रसिद्ध – ………
- झुझलाना – ………
- उत्तेजित – ………
- जूठा – ………
- गुदगुदाना – ………
उत्तर :
- गलत – गलती
- बेचैन – बेचैनी
- बूढा – बुढ़ापा
- कठिन – कठिनाई
- सिसकना – सिसकी
- प्रसिद्ध – प्रसिद्धि
- झझलाना – झुंझलाहट
- उत्तेजित – उत्तेजना
- जूठा – जूठन
- गुदगुदाना – गुदगुदी
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- शहनाई – ………
- धुलाई – ………
- लेखन – ………
- रक्षा – ………
- बजाना – ………
- निर्णय – ………
उत्तर :
- शहनाई – शहनाईवादक
- धुलाई – धोबी
- लेखन – लेखक
- रक्षा – रक्षक
- बजाना – बजैया
- निर्णय – निर्णायक
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- रोना – ………
- सज्जन – ………
- लुभाना – ………
- उड़ाना – ………
- स्वार्थ – ………
उत्तर :
- रोना – रुआंसा
- सज्जन – सज्जनता
- लुभाना – लुभावना
- उड़ाना – उड़ाऊ
- स्वार्थ – स्वार्थी
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- सब्जबाग
- स्वादेंद्रिय
- रक्षागार
- कंठावरुद्ध
- लंबे-चौड़े
- प्रतिकूल
उत्तर :
- कर्मधारय
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- अव्ययीभाव
बूढ़ी काकी Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
‘बूढ़ी काकी’ उन असहाय और दयनीय व्यक्तियों की व्यथा है, जिन्हें परिस्थितिवश मजबूरी में अपनी संपत्ति किसी अन्य को सौंपनी पड़ती है और खुद उसकी कृपा पर जीना पड़ता है। बूढ़ी काकी पति और नौजवान बेटों की मृत्यु के पश्चात् अपने एकमात्र भतीजे के वादों पर विश्वास करके अपनी संपत्ति उसके नाम कर देती है, पर थोड़े दिनों के बाद ही यह स्थिति हो जाती है कि उसे पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
पाठ का सार :
बूढ़ी काकी : बूढ़ी काकी का कभी अपना भरा-पूरा परिवार था। पर पति और नौजवान बेटों की मृत्यु हो जाने के कारण अब वह बिलकुल बेसहारा हो गई थी। विवश होकर वह अपने परिवार में बचे रहे एकमात्र भतीजे बुद्धिराम को अपनी पूरी संपत्ति लिख देती हैं। इसके बाद तो वह बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा की दया पर आश्रित हो जाती हैं।
बूढी काकी का दुःख : बूढ़ी काकी को पेट भर भोजन न मिलने का दुःख था। खाना समय पर न मिलता था या खाने की मात्रा कम होती थी। इस बात पर वे गला फाड़-फाड़कर रोती थी। रोती थे तब भी थीं, जब अकसर बच्चे उन्हें चिढ़ाने के लिए उने चुटकी काटकर भाग जाते थे या उन पर पानी की कुल्ली कर देते थे। पर उनके इस रोने पर उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता था।
काकी से अनुराग : बुद्धिराम के परिवार में काकी से थोड़ा लगाव यदि किसी को था, तो वह बुद्धिराम की बेटी ‘लाडली’ थी। लाड़ली के लिए बूढ़ी काकी सुरक्षा का काम करती थी। लाड़ली अपने दोनों भाइयों के डर से अपने हिस्से की खाने की चीजें बूढ़ी काकी की सुरक्षा में आराम से खा पाती थी। इसलिए लाइली काकी का थोड़ाबहुत ध्यान भी रखती थी।
सुखराम का तिलक : बुद्धिराम के बेटे सुखराम के तिलक का उत्सव था। इस अवसर पर पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ तली जा रही थी और मसालेदार सब्जी बन रही थी। इन सबकी सुगंध बूढ़ी काकी को अपनी कोठरी में बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि मेहमानों ने भोजन कर लिया होगा और उनके लिए कोई भोजन लेकर नहीं आया। यह सोचकर उन्हें रोना आ गया, पर वे मन मसोस कर रह गई। शुभ अवसर पर रोना बुरा जो होता है।
बूढी काकी कड़ाह के पास : बूढ़ी काकी की कल्पना में लाललाल फूली हुई पूड़ियाँ नाचने लगती हैं। वे धीरे-धीरे रेंगते हुए उस कड़ाह के पास पहुंच जाती हैं, जिसमें पूड़ियां निकाली जा रही थीं। मगर तभी रूपा की नजर उन पर पड़ती है और वह जल-भुन उठती है। वह तुरंत काकी पर झपट पड़ती है और उन्हें बुरी तरह फटकारती है।
बूढ़ी काकी का पश्चात्ताप : बूढ़ी काकी सन्न हो जाती है और कुछ नहीं बोलतीं। वे रेंगती-रेंगती अपनी कोठरी में चली जाती हैं। अब वे अपनी जल्दबाजी पर दुःखी होती हैं। वे रूपा की झिड़की को उचित मानती हैं और अपने किए पर पछताती हैं। वे निश्चित करती है कि जब तक कोई उन्हें बुलाने नहीं आएगा, वे बाहर नहीं जाएंगी। लेकिन कुछ समय और बीता तो उनसे रहा नहीं गया। वे फिर सरकती हुई आंगन में जा पहुंचती है। वे देखती हैं कि, मेहमान मंडली अभी भी भोजन की पौत जमी हुई है।
बुद्धिराम का क्रोध : बुद्धिराम बूढ़ी काकी को आया हुआ देखकर आग-बबूला हो उठता है। वह लपककर आता है और बूढ़ी काकी के दोनों हाथ पकड़कर उन्हें घसीटते हुए अंधेरी कोठरी में पटक आता है। अब बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा बूढ़ी काकी को दंड देने का निश्चय करते हैं।
‘लाड़ली’ की चिंता : आमंत्रित मेहमानों, घरवालों, आजेवालों, धोबी, नाई सबने भोजन कर लिया, लेकिन बूढ़ी काकी को भोजन करने के लिए किसी ने नहीं पूछा। लाइली इससे बहुत दुःखी होती है। उसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ बूढ़ी काकी को खिलाने के लिए अपने पास सुरक्षित रख ली हैं। वह इन्हें बूढ़ी काकी को देंगी, पर वह अपनी मां के डर से उनके पास नहीं जा रही है।
लाइली और बूढी काकी: बूढ़ी काकी इंतजार करते-करते निराश हो गई थीं। ग्लानि से उनका गला भर आया था, पर डर के मारे वे रो भी नहीं पा रही थीं। जब सब सो गए, तो लाड़ली बूढ़ी काकी के पास पहुंची। उसने बूढ़ी काकी से कहा कि वह अपने हिस्से की पूड़ियाँ ले आई है, वे खा लें। इतना सुनते ही बूढ़ी काकी पूड़ियों पर टूट पड़ती हैं और पांच मिनट में सारी पूड़ियाँ खा लेती हैं। वे लाइली से कहती हैं कि वह अपनी माँ से और पूड़ियाँ माँगकर लाए। पर मा के मारने के डर से लाड़ली इनकार कर देती है।
पूड़ियों के जूठे टुकड़े : बूढ़ी काकी से रहा नहीं जाता। वे लाइली का हाथ पकड़कर वहाँ पहुंचती हैं, जहाँ जूठे पत्तल पड़े थे। वे बैठ जाती हैं और उन पत्तलों से पूड़ियों के जूठे टुकड़े तथा पत्तलों पर छूटे हुए अन्य व्यंजन उठा-उठाकर बखानते हुए खाने लगती हैं।
हृदय कंपा देनेवाला दृश्य : तभी सो रही रूपा की नींद खुलती है। वह लाइली को अपने पास नहीं पाती। वह उठकर जाती है, तो देखती है कि लाड़ली जूठे पत्तलों के पास खड़ी है और बूढ़ी काकी पत्तलों से पूड़ियों के जूठे टुकड़े चुन-चुनकर खा रही हैं। यह हृदय-विदारक दृश्य देखकर रूपा सन्न रह जाती है। करुणा और भय से उसकी आंखें भर आती हैं। उसे लगता है कि वह कितनी निर्दय है। वह मन-ही-मन में अपनी इस भयंकर गलती के लिए क्षमा मांगती है।
बूढ़ी काकी के लिए भोजन : रूपा दिया जलाती है। वह भंडार का दरवाजा खोलती है। एक थाली में सभी प्रकार के व्यंजन सजाती है। वह बूढ़ी काकी को वहाँ से उठाती है और भोजन की थाली उनके पास रखकर उनसे भोजन करने के लिए कहती है। वह बूढ़ी काकी से अपनी भूल के लिए बुरा न मानने और परमात्मा से इस अपराध के लिए क्षमा करने की प्रार्थना करने के लिए कहती है।
बूढ़ी काकी की सदिच्छाएं : बूढ़ी काकी भोले बच्चों की तरह सारा तिरस्कार भूलकर भोजन करने लगती हैं। उसके रोए-रोएं से रूपा के लिए सच्ची सदिच्छाएं निकल रही थीं।
शब्दार्थ :
- पुनरागमन – वापस आना।
- प्रतिकूल – विरुद्ध।
- सब्जबाग – झूठे सपने।
- विद्वेष – विरोध, वैर।
- संताप – मानसिक कष्ट, दुःख।
- आर्तनाद – दुःखभरी चीख।
- रक्षागार – सुरक्षित स्थान।
- लोलुपता – लोभ।
- स्वार्थानुकूलता – स्वार्थ अनुकूल होना।
- आरोपण – स्थापित करना।
- विस्मयपूर्ण – आश्चर्यभरे।
- रसास्वाद – आनंद।
- अपशकुन – बुरा शकुन।
- उकडू – घुटने मोड़कर तलवों के बल बैठने की मुद्रा।
- कुड़ना – मन-ही-मन दुःख करना।
- पश्चात्ताप – पछतावा।
- तिलमिलाना – विकल होना।
- निर्लज्जता – बेशर्मी।
- दीनता – कष्टपूर्ण दशा, बुरी हालत।
- करुणा – दया।
- अधीर – बेचैन, व्याकुल।
- ग्लानि – मन में होनेवाला खेद।
- क्षुधा – भूख।
- खुर्चन – बची-खुची चीज (खुरचकर निकाली गई वस्तु)।
- अभिप्राय – मतलब।
- तृष्णा – प्यास, लोभ।
- स्वादेंद्रियाँ – स्वाद का आनंद लेनेवाली इंद्रियाँ।
- सत्यानाश – संपूर्ण विनाश।
- स्वार्थपरता- खुदगर्जी।
- कंठावरुद्ध – गला भर आना।
- सदिच्छाएँ – आशीर्वाद।