Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions प्रयोजनमूलक हिन्दी उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत करना Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi प्रयोजनमूलक हिन्दी उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत करना
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
उपभोक्ता शिकायत निवारण की क्या व्यवस्था है?
उत्तर :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता शिकायत निवारण की तीन स्तरीय व्यवस्था है। जिला स्तर पर जिला फोरम, राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग तथा राष्ट्र स्तर पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एन.सी.डी.आर.सी.)।
प्रश्न 2.
शिकायत कौन दायर कर सकता है?
उत्तर :
किसी वस्तु अथवा सेवा के संदर्भ में कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत दायर कर सकता है। इसके अलावा कोई पंजीकृत स्वयंसेवी उपभोक्ता संगठन, केंद्र या राज्य सरकार, एक या अधिक उपभोक्ता तथा किसी उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने पर उसका वारिस या प्रतिनिधि शिकायत दायर कर सकता है।
प्रश्न 3.
शिकायत कहाँ दायर की जा सकती है?
उत्तर :
उपभोक्ताओं की विभिन्न प्रकार की शिकायतों के अनुसार देश में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालतों की व्यवस्था की गई है। अपनी शिकायत के अनुसार इन उपभोक्ता अदालतों में शिकायत की जा सकती है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
उपभोक्ता जागरूकता क्या है?
उत्तर :
खरीदे गए उत्पादन की गुणवत्ता तथा उसके अन्य पहलुओं के प्रति जागरूक रहना प्रत्येक ग्राहक का कर्तव्य है। जागरूक उपभोक्ता सचमुच सशक्त उपभोक्ता है। उसकी जागरूकता उसे तो शोषण से बचाती ही है, साथ ही समूचे निर्माण एवं सेवा क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है। शासन ने भी उपभोक्ता सशक्तीकरण के महत्त्व को पहचाना है। इसीलिए उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय उपभोक्ता शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण और उपभोक्ता जागरूकता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
प्रश्न 2.
उपभोक्ता शिकायत हेतु आवेदन कैसे करें?
उत्तर :
कोई भी उपभोक्ता किसी सादे कागज़ पर शिकायत लिखकर उपभोक्ता अदालत में मामला दायर कर सकता है। उसे अपनी शिकायत विस्तार से लिखनी चाहिए। शिकायतकर्ता अपना पक्ष स्वयं रख सकता है। मामले की सुनवाई के लिए उसे अपना कोई वकील रखना जरूरी नहीं होता। यदि कोई उपभोक्ता किसी कारण से सुनवाई में हाजिर होने में असमर्थ हो, तो उसका कोई परिचित व्यक्ति या रिश्तेदार भी उसका प्रतिनिधित्व कर सकता है। यदि मामले की पैरवी के लिए वकील रखना जरूरी हो, तो वकील रखा जा सकता है।
प्रश्न 3.
उपभोक्ता शिकायत करने के आवेदन के साथ कौन-से दस्तावेज जोड़ना जरूरी होता है?
उत्तर :
उपभोक्ता को आवेदनपत्र के साथ जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है। इनमें जिसके बारे में शिकायत की गई है, उसका बिल, वाउचर, गारंटीपत्र, सेलडीड आदि दस्तावेजों की जेरोक्स कॉपी संलग्न करनी होती है। इसके साथ एक शपथपत्र देना होता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि मुकदमा पूर्णतः सत्य साक्ष्यों पर आधारित है। यह किसी दुर्भावना से दायर नहीं किया गया है। इसके साथ ही उस पार्टी को भी एक नोटिस देना होता है, जिससे वह भी अपना पक्ष रख सके।
प्रश्न 4.
मानवों के उन्नयन का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
उपभोक्ताओं को सही वस्तु मिले, इसके लिए शासन ने मानकों की व्यवस्था की है। मानक उपभोक्ताओं को गुणवत्ता के विश्वसनीय बैंच मार्क प्रदान करते हैं। वह विभाग इस दिशा में अपना एक स्थान बनाने में सफल रहा है। भारतीय मानक ब्यूरो ने आई.एस.ओ. मानक के अनुसार विदेशी विनिर्माताओं के लिए प्रमाणन योजना तथा आयातित वस्तुओं व खाद्य सुरक्षा प्रमाणन को आरंभ किया है। स्वर्ण आभूषणों एवं रजत से बनी वस्तुओं की हॉलमार्किंग के लिए प्रमाणन की योजना उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा में बी.आई.एस. का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत करना Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर विभिन्न उपभोक्ता मंचों की स्थापना की गई है, जिनमें उपभोक्ताओं की शिकायतों के लिए सरल, शीघ्र तथा कम खर्चीला निवारण प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। यह सिविल न्यायालय की तरह कार्रवाइयों की साधारण प्रक्रिया का एक विकल्प है। प्रस्तुत पाठ में उपभोक्ता मंचों में शिकायतें दायर कराने संबंधी संपूर्ण जानकारी दी गई है।
पाठ का सार :
उपभोक्ता शिकायत निवारण की व्यवस्था : उपभोक्ताओं की शिकायतों को सरल ढंग से कम खर्च में और जल्दी निपटाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था जिला फोरम, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के रूप में है। यह एक सिविल न्यायालय की तरह कार्रवाइयों की साधारण प्रक्रिया का विकल्प है।
शिकायत दायर करने का अधिकार : किसी वस्तु या सेवा के बारे में किसी ग्राहक, पंजीकृत स्वयंसेवी संगठन, केंद्र या राज्य सरकार, समान शिकायत के लिए एक या एक से अधिक उपभोक्ता अथवा उपभोक्ता के कानूनी वारिसदार को शिकायत दायर करने का अधिकार है। पर कोई पावर ऑफ एटार्नी धारक व्यक्ति शिकायत दायर नहीं कर सकता।
आधुनिक सुविधाएँ : उपभोक्ताओं को अपनी शिकायतें दायर करने और अपने मामले पर नजर रखने के लिए आनलाइन उपभोक्ता शिकायत भेजने, फोन तथा एस.एम.एस, आधारित अनेक प्रणालियों की सुविधा उपलब्ध है। उपभोक्ता इंटरनेट पर मामले के पंजीकरण से लेकर निर्णय की घोषणा तक की स्थितियों की जानकारी कर सकता है।
कैसे करें आवेदन : कोई भी उपभोक्ता किसी सादे कागज पर शिकायत लिखकर उपभोक्ता अदालत में मामला दायर कर सकता है। उसे अपनी शिकायत विस्तार से लिखनी चाहिए। शिकायतकर्ता अपना पक्ष स्वयं रख सकता है। मामले की सुनवाई के लिए उसे अपना कोई वकील रखना जरूरी नहीं होता। यदि कोई उपभोक्ता किसी कारण से सुनवाई में हाजिर होने में असमर्थ हो, तो उसका कोई परिचित व्यक्ति अथवा रिश्तेदार भी उसका प्रतिनिधित्व कर सकता है। यदि मामले की पैरवी के लिए वकील रखना जरूरी हो, तो वकील रखा जा सकता है।
दस्तावेज : उपभोक्ता को आवेदनपत्र के साथ ज़रूरी दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है। इनमें जिसके बारे में शिकायत की गई है, उसका बिल, वाउचर, गारंटीपत्र, सेलडीड आदि दस्तावेजों की जेरोक्स प्रति संलग्न करनी होती है। इसके साथ एक शपथपत्र देना होता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि मुकदमा पूर्णतः सत्य साक्ष्यों पर आधारित है। यह किसी दुर्भावना से दायर नहीं किया गया है। इसके साथ ही उस पार्टी को भी एक नोटिस देना होता है, जिससे वह भी अपना पक्ष रख सके।
उपभोक्ता अदालतों के अधिकार : उपभोक्ता अदालतों के विभिन्न अधिकार इस प्रकार हैं। जिला स्तर पर उपभोक्ता अदालत में 20 लाख रुपए तक के मामलों की सुनवाई होती है। राज्य उपभोक्ता फोरम में एक करोड़ रुपए तक के मामले आते हैं। इससे अधिक राशि के मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में होती है। उपभोक्ता मामलों में धोखाधड़ी या उत्पाद की गारंटी अवधि से पहले खराब होने के दो साल के भीतर शिकायत दर्ज करवाना जरूरी है।
उपभोक्ता जागरूकता : जागरूक उपभोक्ता सशक्त उपभोक्ता है। वह स्वयं को शोषण से बचाता है और समूचे निर्माण एवं सेवा क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा उपभोक्ता को जाग्रत करने और उसके संरक्षण के लिए उपभोक्ता जागृति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। सरकार ने उपभोक्ताओं में जागरूकता लाने के लिए प्रिंट मीडिया विज्ञापन, आडियो अभियान व वीडियो अभियान चलाया है।
मानकों का उन्नयन : मानक उपभोक्ताओं को गुणवत्ता के विश्वसनीय बैंच मार्क प्रदान करते हैं। वह विभाग इस दिशा में अपना एक स्थान बनाने में सफल रहा है। भारतीय मानक ब्यरो ने आई.एस.ओ. मानक के अनुसार विदेशी विनिर्माताओं के लिए प्रमाणन योजना तथा आयातित वस्तुओं व खाद्य सुरक्षा प्रमाणन को आरंभ किया है। स्वर्ण आभूषणों एवं रजत से बनी वस्तुओं की हॉलमार्किंग के लिए प्रमाणन की योजना उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा में बी.आई.एस. का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत करना शब्दार्थ :
- उपभोक्ता – उपभोग करनेवाला।
- निवारण – छुटकारा दिलाना, दूर करना।
- राष्ट्रीय – राष्ट्र का।
- स्तर – मानक आदि की दृष्टि से कोई स्थिति।
- संकल्पना – संकल्प करना, प्रतिज्ञा करना।
- वारिस – उत्तराधिकारी।
- प्रतिनिधि – किसी की ओर से किसी काम के लिए नियुक्त व्यक्ति।
- धारक – धारण करनेवाला, नामजद।
- प्रयोक्ता – उपयोग या काम में लानेवाला।
- प्रभार – जिम्मेदारी।
- जागरूकता – सावधानी।
- दक्षता – कुशलता, योग्यता।
- पारदर्शिता – दूरदर्शिता।
- जवाबदेही – जिम्मेदारी, उत्तरदायित्व।
- सशक्तीकरण – शक्तिशाली बनाने की क्रिया।
- प्रचार अभियान – प्रचार के लिए निकलना।
- अधिकार – हक।
- दूरदराज – दूरवर्ती।
- सर्वोच्च – सबसे ऊंचा।
- प्राथमिकता – किसी को दूसरों से पहले अवसर मिलना।
- आडियो – श्रव्य।
- वीडियो – दृश्य।
- मानक – निश्चित किया हुआ मान।
- उन्नयन – उन्नति की ओर ले जाना, उठाना।
- गुणवत्ता – गुण संबंधी विशेषता।
- विश्वसनीयता – जिस पर विश्वास किया जा सके।
- उत्पादन – पैदावार।
- व्यस्तता – किसी काम में लीन होने का भाव।
- प्रतिनिधित्व – प्रतिनिधि का काम।
- दस्तावेज – वह महत्त्वपूर्ण कागज जिस पर कुछ लोगों के लेन-देन की शर्ते लिखी होती है।
- साक्ष्य – किसी घटना के संबंध में साक्षी का कथन, गवाही।