GSEB Class 12 Hindi प्रयोजनमूलक हिन्दी आधुनिक मुद्रण तकनीक

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions प्रयोजनमूलक हिन्दी आधुनिक मुद्रण तकनीक Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 12 Hindi प्रयोजनमूलक हिन्दी आधुनिक मुद्रण तकनीक

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :

प्रश्न 1.
मुद्रण का आविष्कार कहाँ हुआ?
उत्तर :
मुद्रण का आविष्कार चीन में 650 ईस्वी में हुआ।

प्रश्न 2.
टाइप का आविष्कार किसने किया?
उत्तर :
प्रत्येक वर्ण के अलग-अलग टाइप का आविष्कार जर्मनी के जॉन गुटनवर्ग ने किया था।

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प्रश्न 3.
भारत में मुद्रणकला का आरंभ कब हुआ?
उत्तर :
भारत में मुद्रणकला का आरंभ सोलहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों द्वारा हुआ।

प्रश्न 4.
संसार की सर्वप्रथम मुद्रित पुस्तक किसे माना जाता है?
उत्तर :
संसार की सर्वप्रथम मुद्रित पुस्तक चीन में सहस्र बुद्ध गुफाओं में प्राप्त ‘हीरकसूत्र’ नामक पुस्तक है।

प्रश्न 5.
संपूर्ण यूरोप में मुद्रित रूप में पहली पुस्तक कौन-सी थी?
उत्तर :
सन् 1456 में छपी 42 लाइनोंवाली ‘बाइबल’ संपूर्ण यूरोप में मुद्रित रूप में पहली पुस्तक थी।

प्रश्न 6.
देवनागरी लिपि के टाइप सबसे पहले कहाँ बने?
उत्तर :
देवनागरी लिपि के टाइप सबसे पहले यूरोप में बने थे।

प्रश्न 7.
देवनागरी के इस्पात के टाइप किसने और कब बनाए थे?
उत्तर :
देवनागरी के इस्पात के टाइप चार्ल्स विल्किस ने सन् 1795 में बनाए थे।

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प्रश्न 8.
टाइप के दस अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर :
टाइप के दस अंग इस प्रकार हैं- काउंटर, बाडी, सोरिफ, केस बिअर्ड शोल्डर, पिन, निक, ग्रूव और फूट।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में दीजिए :

प्रश्न 1.
भारतीय भाषाओं में मुद्रण हेतु सर्वप्रथम टाइप किस भाषा में बनाए गए?
उत्तर :
भारतीय भाषाओं में मुद्रण हेतु टाइप सर्वप्रथम तमिल भाषा में बनाए गए। त्रिचुर के पास जोन्नेस गोन्साल्वेज नामक स्पेनवासी ने 1577 ई. में मलावरी टाइप तैयार किए। आरंभ में तमिल पुस्तकें इसी टाइप में छपती थीं।

प्रश्न 2.
देवनागरी लिपि में मुद्रण की शुरुआत कब हुई?
उत्तर :
नागरी के टाइप सबसे पहले यूरोप में बने। ‘चाइना इलैस्ट्रैटा’ 1767 ई. में प्रकाशित पहली पुस्तक है, जो नागरी लिपि में छपी। नागरी टाइपों में प्रकाशित व्याकरणिक या वर्णमाला पुस्तक 1771 में रोम में छपी। चार्ल्स विल्किंस ने संस्कृत व्याकरण छापने के लिए 1800 में देवनागरी लिपि के टाइपों का प्रयोग किया। बाद में उन्होंने इस्पात के देवनागरी टाइप बनाएँ।

आधुनिक मुद्रण तकनीक Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

प्रकाशन के क्षेत्र में मुद्रण तकनीक का बहुत महत्त्व है। मुद्रित होने की वजह से अखबार एवं पत्रिकाएं सजे-धजे रूप में मनमोहक लगती है और उनका प्रसार होता है। मुद्रणकला एक प्रक्रिया है और इसके विभिन्न अंग होते हैं। प्रस्तुत निबंध में मुद्रणकला के आविष्कार से लेकर मुद्रण की आधुनिक तकनीक पर ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई है।

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पाठ का सार :

मुद्रणकला : प्रकाशन तकनीक में मुद्रणकला का बहुत महत्त्व है। मुद्रणकला का इतिहास अत्यंत प्राचीन और रोचक है।

मुद्रणकला का जन्म : मुद्रणकला का आविष्कार सबसे पहले 650 ईस्वी में चीन में हुआ था। इस कला का उपयोग करके भगवान बुद्ध की मूर्ति छापी गई थी। चीन में मिली ‘हीरकसूत्र’ नामक पुस्तक विश्व की सबसे पहली छपी हुई पुस्तक मानी जाती है।

टाइप का निर्माण : सबसे पहला टाइप चीन में पी. शेंग ने सन् 1041 में चीनी मिट्टी को पकाकर बनाया था। इसके बाद टीन के टाइप बनाए गए। 1314 ईस्वी में बांग चांग ने लकड़ी के टाइप बनाए। ये टाइप वर्गों के न होकर शब्दों के होते थे। वर्गों के टाइप सबसे पहले जर्मनी में बनाए गए थे। इसी टाइप से सन् 1456 में ‘बाइबल’ का प्रकाशन हुआ था। समूचे यूरोप में मुद्रित रूप में यह पहली पुस्तक थी। इस टाइप का आविष्कार जर्मनी के जॉन गुटनवर्ग ने किया था।

मुद्रणकला का प्रसार : यूरोप में मुद्रणकला का प्रसार पंद्रहवीं शताब्दी में हुआ था।

भारत में मुद्रणकला : भारत में मुद्रणकला की शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों द्वारा की गई। सन् 1557 में गोवा में ‘दोकत्रीना किरस्टाओ’ नामक पुस्तक का प्रकाशन हुआ था। दूसरा प्रेस बंबई (मुंबई) में स्थापित किया गया। भारत में तीसरा प्रेस सन् 1712 में ट्राकूवर (चेन्नई) में स्थापित हुआ था। अंग्रेजों ने भारतीय भाषाएँ सीखने के लिए सन् 1778 में हुगली (कोलकाता) से बंगला भाषा का व्याकरण छपवाया था।

भारत में सबसे पहला टाइप : भारत में सबसे पहला टाइप तमिल भाषा में सन् 1577 में बनाया गया था।

देवनागरी लिपि में छपाई : देवनागरी के टाइप सबसे पहले यूरोप में बने थे। नागरी लिपि में सन् 1767 में प्रकाशित ‘चाइना इलैस्ट्रैटा’ नामक पुस्तक पहली है। संस्कृत में देवनागरी लिपि के टाइपों का प्रयोग सन् 1800 ईस्वी में हुआ था।

कम्प्यूटर प्रक्रिया : मुद्रण प्रक्रिया आज के जमाने में कम्प्यूटर प्रक्रिया के रूप में विकसित होकर अत्यंत सरल, सहज हो गई है। अब सारा काम कम्प्यूटर से होने लगा है और आजकल हिंदी में कई तरह के टाइप प्रचलित है।

गूगल मेघमुद्रण : यह मुद्रण प्रणाली की नई तकनीक है। यह कम्प्यूटर को वेव से जोड़ती है। इसका उपयोग करके कोई भी अपने प्रिंट को एप्लिकेशन द्वारा उपलब्ध करा सकता है। गूगल मेघमुद्रण टेबलेट, क्रोम बुक, पीसी और वेब से कनेक्ट किसी डिवाइस पर कार्य करता है, जिससे प्रिंट करना हो।

समाचारपत्रों के मुद्रण का कार्य : आजकल मीडिया में अखबारों आदि के मुद्रण का कार्य स्वचालित मशीनों से बहुत तेज गति से होता है। एक स्थान से मुद्रण की कमांड देने पर छपाई, फोल्डिंग तथा पैकिंग तक का कार्य मशीन खुद करती है।

मुद्रण का विस्तार : आजकल मुद्रण केवल कागज छपाई तक ही सीमित नहीं है। आज प्रत्येक वस्तु, पैकेट, दवा की शीशी, पोस्टर आदि हर क्षेत्र में इसका विस्तार हो चुका है।

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आधुनिक मुद्रण तकनीक शब्दार्थ :

  • मुद्रणकला – छपाई की कला।
  • मनमोहक – मन को मोह लेनेवाली।
  • श्रेय – किसी काम के लिए मिलनेवाला यश।
  • सर्वप्रथम – सबसे पहले।
  • प्रसार – फैलाव।
  • गति – चाल।
  • अनेकानेक – कई या बहुत।
  • प्रचलित – जिसका चलन हो।
  • परिवर्तित – बदल जाना।
  • त्वरित – तुरंत।
  • गंतव्य – जहाँ किसी को जाना हो।

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