Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 2 संचालन के सिद्धान्त Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 2 संचालन के सिद्धान्त
GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management संचालन के सिद्धान्त Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसन्द करके लिखिए :
प्रश्न 1.
संचालन के सिद्धान्त अर्थात् क्या ?
(A) अनुभव का निचोड़ है ।
(B) संचालक निश्चित करते हैं ।
(C) प्रयोग से निश्चित होते है ।
(D) मैनेजर निश्चित करते है ।
उत्तर :
(A) अनुभव का निचोड़ है ।
प्रश्न 2.
इनमें से कौन-से परिबल में परिवर्तन के कारण संचालन के सिद्धान्तों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता उत्पन्न होती है ?
(A) सम्पत्तियों में परिवर्तन
(B) पूँजी में परिवर्तन
(C) टेक्नोलोजी में परिवर्तन
(D) संचालकों में परिवर्तन
उत्तर :
(C) टेक्नोलोजी में परिवर्तन
प्रश्न 3.
वैज्ञानिक संचालन की विचारधारा के प्रणेता कौन हैं ?
(A) ल्युथर ग्युलिक
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयोल
(D) पीटर एफ. ड्रकर
उत्तर :
(B) फ्रेडरिक टेलर
प्रश्न 4.
19वीं शताब्दी के अन्त तक में जो विचारधाराएँ प्रस्तुत हुई हैं उन्हें कौनसी विचारधाराएँ कहते हैं ?
(A) नवीन पारंपरिक
(B) पूर्व पारंपरिक
(C) पारंपरिक
(D) आधुनिक
उत्तर :
(C) पारंपरिक
प्रश्न 5.
नवीन पारंपरिक विचारधारा के प्रणेता कौन थे ?
(A) हर्जबर्ग
(B) हेनरी फेयोल
(C) फ्रेडरिक टेलर
(D) एल्टन मेयो
उत्तर :
(D) एल्टन मेयो
प्रश्न 6.
‘तुम अपने कर्मचारियों का ध्यान रखो, वे शेष बातों का ध्यान तुम्हारे लिए रखेंगे ।’ – यह कथन किसने दिया था ?
(A) एफ. डबल्यु. टेलर
(B) प्रो. डर्विक
(C) आर्गरिस
(D) पीटर एफ. ड्रकर
उत्तर :
(B) प्रो. डर्विक
प्रश्न 7.
इनमें से कौनसे संचालन शास्त्री का योगदान आधुनिक विचारधारा में रहा है ?
(A) सी. के. प्रहलाद
(B) एल्टन मेयो
(C) मेक्स वेबर
(D) हेनरी गेन्ट
उत्तर :
(A) सी. के. प्रहलाद
प्रश्न 8.
संचालन के सामान्य सिद्धान्त प्रस्तुतकर्ता कौन थे ?
(A) फ्रेडरिक टेलर
(B) पीटर एफ. ड्रकर
(C) हेनरी फेयोल
(D) चेस्टर बर्नाड
उत्तर :
(C) हेनरी फेयोल
प्रश्न 9.
किसी भी कार्य में से गलत दिशा में होनेवाले अनावश्यक हलनचलन में से उत्पन्न होनेवाले नुकसान को दूर करने की पद्धति अर्थात् क्या ?
(A) समय निरीक्षण
(B) गति निरीक्षण
(C) भिन्न वेतन दर
(D) कर्मचारी निरीक्षण
उत्तर :
(B) गति निरीक्षण
प्रश्न 10.
ध्येयलक्षी संचालन के सिद्धान्त के प्रणेता कौन थे ?
(A) पीटर एफ. ड्रकर
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयो
(D) मेक्स वेबर
उत्तर :
(A) पीटर एफ. ड्रकर
प्रश्न 11.
श्रम विभाजन के अमल द्वारा इनमें से कौन-सी प्रवृत्ति हो सकती है ?
(A) एकत्रीकरण
(B) विशिष्टीकरण
(C) सरलीकरण
(D) संकलन
उत्तर :
(B) विशिष्टीकरण
प्रश्न 12.
यदि कर्मचारी को उनकी कार्यक्षमता का योग्य प्रतिफल न मिले तो इनमें से किसमें वृद्धि होती है ?
(A) कर्मचारी परिवर्तन दर
(B) कर्मचारी पदोन्नति
(C) कर्मचारी अनुपस्थित
(D) कर्मचारी अपकर्ष
उत्तर :
(A) कर्मचारी परिवर्तन दर
प्रश्न 13.
फ्रेडरिक विन्सलो टेलर कौन थे ?
(A) अमेरिकन मिकेनिकल अभियन्ता
(B) सिविल अभियन्ता
(C) आस्ट्रेलियन कम्प्यूटर अभियन्ता
(D) ब्रिटेन के चिकित्सक
उत्तर :
(A) अमेरिकन मिकेनिकल अभियन्ता
प्रश्न 14.
वैज्ञानिक संचालन के बारे में मुख्यतः कितने बातें देखने को मिलती है ?
(A) पाँच
(B) आठ
(C) तीन
(D) चार
उत्तर :
(C) तीन
प्रश्न 15.
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत किसने प्रस्तुत किये थे ?
(A) हेनरी फेयोल
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) कून्टज ओडोनेल
(D) पीटर ड्रकर
उत्तर :
(B) फ्रेडरिक टेलर
प्रश्न 16.
फ्रेडरिक टेलर ने वैज्ञानिक संचालन के बारे में कितने सिद्धान्त दिये है ?
(A) 05
(B) 14
(C) 08
(D) 03
उत्तर :
(C) 08
प्रश्न 17.
मानसिक क्रान्ति का सिद्धान्त प्रस्तुत कर्ता कौन थे ?
(A) फ्रेडरिक टेलर
(B) हेनरी फेयोल
(C) मार्शल
(D) पीगू
उत्तर :
(A) फ्रेडरिक टेलर
प्रश्न 18.
किसी भी कार्य का भाग पूर्ण करने के लिए जितना समय लगेगा, इसके बारे में वैज्ञानिक रूप से किया जानेवाला अध्ययन अर्थात्
(A) थकान निरीक्षण
(B) समय निरीक्षण
(C) गति निरीक्षण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(B) समय निरीक्षण
प्रश्न 19.
कर्मचारियों की उनके काम के समय के आधार पर वेतन सम्बन्धी उत्तेजना देने की पद्धति अर्थात् ……………………….
(A) भिन्न वेतन दर की पद्धति
(B) समय वेतन की पद्धति
(C) गति निरीक्षण की पद्धति
(D) प्रमाणीकरण की पद्धति
उत्तर :
(A) भिन्न वेतन दर की पद्धति
प्रश्न 20.
एक फ्रेन्च इन्जीनीयर और उद्योगपति कौन थे ?
(A) फ्रेडरिक टेलर
(B) पीटर एफ. ड्रकर
(C) मेक्स वेबर
(D) हेनरी फेयोल
उत्तर :
(D) हेनरी फेयोल
प्रश्न 21.
हेनरी फेयोल ने अपनी पुस्तक ‘औद्योगिक व सामान्य संचालन’ कब प्रस्तुत की थी ?
(A) सन् 1916 में
(B) सन् 1926 में
(C) सन् 1947 में
(D) सन् 1950 में
उत्तर :
(A) सन् 1916 में
प्रश्न 22.
“Industrial and General Management’ की पुस्तक किसने लिखी थी ?
(A) हेरल्ड, कून्टज व ओडोनेल
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयोल
(D) डेविस मोरिस
उत्तर :
(C) हेनरी फेयोल
प्रश्न 23.
हेनरी फेयोल ने औद्योगिक साहस की प्रबन्धकीय प्रवृत्तियों को कितने भागों में विभाजित किया है ?
(A) 14
(B) 08
(C) 03
(D) 06
उत्तर :
(D) 06
प्रश्न 24.
हेनरी फेयोल ने संचालन के कितने सिद्धान्त प्रस्तुत किये है ?
(A) 08
(B) 14
(C) 05
(D) 03
उत्तर :
(B) 14
प्रश्न 25.
कर्मचारियों की शक्ति का श्रेष्ठ उपयोग होता रहे इसके लिए कौन-सा सिद्धान्त अपनाना जरूरी है ?
(A) केन्द्रीकरण
(B) व्यवस्था
(C) समानता
(D) समूह भावना
उत्तर :
(A) केन्द्रीकरण
प्रश्न 26.
‘संचालन के सिद्धान्तों की सूची अन्तिम सूची नहीं है ।’ यह कथन संचालन के सिद्धान्त दर्शाते समय किसने दिया था ?
(A) जॉर्ज टेरी
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयोल
(D) ओडोनेल
उत्तर :
(C) हेनरी फेयोल
प्रश्न 27.
ध्येयलक्षी संचालन और स्वनियमन का सिद्धान्त मुख्य है । यह कथन किसने दिया है ?
(A) पीटर ड्रकर
(B) फ्रेडरिक टेलर
(C) हेनरी फेयोल
(D) रोबिन्सन
उत्तर :
(A) पीटर ड्रकर
प्रश्न 28.
व्यवस्था के सिद्धान्त में कितनी बातों पर बल दिया गया है ?
(A) पाँच
(B) दो
(C) पन्द्रह
(D) तीन
उत्तर :
(B) दो
प्रश्न 29.
फ्रेडरिक टेलर कौन-सी कम्पनी में मैनेजर बने थे ?
(A) हुन्डई कम्पनी
(B) टाटा कम्पनी
(C) डनलप कम्पनी
(D) बेथलहेम स्टील कम्पनी
उत्तर :
(D) बेथलहेम स्टील कम्पनी
30. श्रमिकों की कोई स्वतंत्र आवाज नहीं थी ? यह विधान कौन-से संचालन के बारे में दिया गया था ?
(A) वैज्ञानिक संचालन
(B) आधुनिक संचालन
(C) वित्तीय संचालन
(D) आपत्ति व्यवस्थापन
उत्तर :
(A) वैज्ञानिक संचालन
प्रश्न 31.
तीव्रता से व कार्यदक्ष रूप से कार्य करनेवाले प्रत्येक कर्मचारी को उनके स्तर पर कार्य करनेवाले कर्मचारी से कितने प्रतिशत अधिक वेतन दिया जाना चाहिए ।
(A) 50 से 60 प्रतिशत
(B) 30 से 100 प्रतिशत
(C) 20 से 25 प्रतिशत
(D) 90 से 100 प्रतिशत
उत्तर :
(B) 30 से 100 प्रतिशत
प्रश्न 32.
पीटर एफ. ड्रकर प्रख्यात संचालन शास्त्री किस समय में रहे थे ?
(A) 1909-2005
(B) 1951-2001
(C) 1991-2001
(D) 2011-2015
उत्तर :
(A) 1909-2005
प्रश्न 33.
पीटर एफ. ड्रकरने कौन-सी सम्पत्ति को धन्धाकीय इकाई में विशेष महत्त्व देने के लिए विशेष सिफारिश की थी ?
(A) कोयला सम्पत्ति
(B) खनिज सम्पत्ति
(C) प्राकृतिक सम्पत्ति
(D) मानव सम्पत्ति
उत्तर :
(D) मानव सम्पत्ति
प्रश्न 34.
धन्धाकीय इकाई में मानवीय व्यवहार को अनुकूल बनाने के लिए अमुक नियम, सिद्धान्त बनाने पड़ते हैं, जिससे लक्ष्य प्राप्ति सरल हो जाती है । अर्थात् ………………………..
(A) सिद्धान्त
(B) मानवीय सिद्धान्त
(C) संचालन के सिद्धान्त
(D) ट्रस्टीशिप का सिद्धान्त
उत्तर :
(C) संचालन के सिद्धान्त
प्रश्न 35.
संचालन के साथ में मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, आंकड़ाशास्त्र, गणितशास्त्र तथा कम्प्यूटर- इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग की सिफारिश कौन सी विचारधारा के बारे में दर्शाया है ?
(A) नवीन पारंपरिक विचारधाराएँ
(B) पारंपरिक विचारधाराएँ
(C) आधुनिक विचारधाराएँ
(D) व्यवहार सम्बन्धित विचारधारा
उत्तर :
(C) आधुनिक विचारधाराएँ
36. धन्धाकीय इकाइयो में एवं उद्योगो में कौन से वर्ष के पश्चात् परिवर्तन आया ?
(A) सन् 1960
(B) सन् 1991
(C) सन् 1947
(D) सन् 1948
उत्तर :
(A) सन् 1960
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।
प्रश्न 1.
संचालन के सिद्धान्त किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सामान्य अर्थ में धन्धाकीय इकाई में मानवीय व्यवहार को अनुकूल बनाने के लिए अमुक नियम, सिद्धान्त बनाने पड़ते है, जिससे लक्ष्य प्राप्ति सरल बनती है । जिसे संचालन के सिद्धान्त कहते हैं ।
प्रश्न 2.
समय निरीक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी भी कार्य का भाग पूर्ण करने के लिए जितना समय लगे उनके बारे में वैज्ञानिक रूप से किया जानेवाला अध्ययन अर्थ समय-निरीक्षण।
प्रश्न 3.
आदेश की एकरूपता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी एक कार्य हेतु अथवा विभाग के लिए कर्मचारियों एक ही अधिकारी के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए । अर्थात् किसी भी कामगीरी या प्रवृत्ति के बारे में कर्मचारी को एक ही उपरी अधिकारी की तरफ से आदेश मिलना चाहिए ।
प्रश्न 4.
संचालन विचारधाराएँ से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
संचालन की विचारधाराओं में अनेक संचालनशास्त्रीओं ने अलग मंतव्य देकर पृथक-पृथक सिद्धान्त प्रस्तुत किए है, जिसे संचालन की विचारधाराएँ कहा जाता है ।
प्रश्न 5.
वर्तन व्यवहार सम्बन्धित विचाराधाराओं में कौन-कौन से ख्यालों का समावेश होता है ?
उत्तर :
वर्तन व्यवहार सम्बन्धित विचारधारा में आन्तरमानवीय सम्बन्धों, अभिप्रेरण, नेतृत्व, औद्योगिक, झगड़ो का निराकरण, सूचना संचार की प्रक्रिया इत्यादि बातों का समावेश होता है ।
प्रश्न 6.
आधुनिक विचारधारा का संचालन के अन्य कौन से विषयों के साथ अनुबन्ध है ?
उत्तर :
आधुनिक विचारधारा का संचालन के साथ मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, आँकडाशास्त्र, गणितशास्त्र तथा कम्प्युटर-इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग की सिफारीश की गई है अर्थात् इन सभी विषयों के साथ अनुबन्ध है ।
प्रश्न 7.
‘Rule of Thumb’ किसे कहते हैं ?
उत्तर : श्रमिक अब तक आज्ञा के अनुसार कार्य करने के आदि थे । जिसे Rule of Thumb कहते हैं । क्योंकि मालिकों का वर्चस्व व जबरदस्ती. थी ।
प्रश्न 8.
धन्धाकीय संचालन में सामान्यत: कितने वर्ग महत्त्वपूर्ण है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
सामान्यतः दो वर्ग महत्त्वपूर्ण है :
- मालिक वर्ग
- कर्मचारी वर्ग
प्रश्न 9.
मालिक वर्ग तथा कर्मचारी वर्ग को किसमें अधिक रूचि होती है ?
उत्तर :
मालिक अथवा संचालक का मुख्य हेतु लाभ एवं सम्पत्ति का महत्तमीकरण का होता है ।
कर्मचारी वर्ग को अधिक वेतन व कार्य संतोष में अधिक रूचि होती है ।
प्रश्न 10.
फ्रेडरिक टेलर का पूरा नाम बताइए ।
उत्तर :
फ्रेडरिक टेलर का पूरा नाम फ्रेडरिक विन्सलो टेलर है ।
प्रश्न 11.
वैज्ञानिक संचालन के पिता कौन कहलाए है ?
उत्तर :
वैज्ञानिक संचालन के पिता फ्रेडरिक टेलर कहलाए हैं ।
प्रश्न 12.
फ्रेडरिक विन्सलो टेलर कौन थे ?
उत्तर :
फ्रेडरिक विन्सलो टेलर अमेरिकन मिकेनिकल इन्जीनियर थे ।
प्रश्न 13.
नवीन पारंपरिक संचालन विचारधारा की मुख्य प्रशाखाएँ कौन-कौन सी है ?
उत्तर :
नवीन पारंपरिक संचालन विचारधारा की मुख्य प्रशाखाओ में मानव सम्बन्धों या मानववर्तनवादी विचारधारा, सामाजिक तंत्र विचारधारा और सामाजिक व्यवस्था विचारधारा मुख्य है ।
प्रश्न 14.
आधुनिक विचारधारा में कौन-कौन से संचालनशास्त्रीयों ने योगदान दिया है ?
उत्तर :
आधुनिक विचारधारा में कुन्ट्ज, ओडोनेल, जॉर्ज आर. टेरी, पीटर एफ. ड्रकर, विलियम ओची तथा सी. के. प्रहलाद जैसे संचालनशास्त्रीयों ने योगदान दिया है ।
प्रश्न 15.
कार्य विश्लेषण में कौन-कौन सी बातों का अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर :
कार्य विश्लेषण में समय निरीक्षण, गतिनिरीक्षण तथा थकान निरीक्षण का अध्ययन किया जाता है ।
प्रश्न 16.
प्रमाणीकरण कौन-से विषयों में आवश्यक है ?
अथवा
प्रमाणीकरण किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
औजारों, साधनों, समय, कार्य की परिस्थिति आदि विषयों में प्रमाणीकरण आवश्यक होता है । इस व्यवस्था को प्रमाणीकरण भी कहा जाता है ।
प्रश्न 17.
कर्मचारियों का चयन करते समय कौन-से वैज्ञानिक मापदण्ड को ध्यान में लिया जाना चाहिए ।
उत्तर :
कर्मचारियों का चयन करते समय शिक्षण, कौशल्य, अनुभव, शारीरिक शक्ति, प्रशिक्षण इत्यादि वैज्ञानिक मापदण्डों को ध्यान में लिया जाता है ।
प्रश्न 18.
टेलर के अनुसार मानसिक क्रान्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर :
मानसिक क्रान्ति अर्थात् मालिकों तथा श्रमिकों के मध्य लक्ष्य प्राप्ति हेतु मानसिक क्रान्ति होनी चाहिए । मानसिक संवादिता से मालिकों और कर्मचारियों के मध्य तनाव में कमी आती है तथा लक्ष्य प्राप्ति का सरल होता है ।
प्रश्न 19.
अधिकार व दायित्व एकदूसरे के कैसे होते हैं ?
उत्तर :
अधिकार व दायित्व एक-दूसरे के पूरक होते है अर्थात् एक सिक्के के दो पहलू हैं ।
प्रश्न 20.
अधिकार सौंपते समय किन तत्त्वों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर :
अधिकार सौंपते समय कर्मचारी का पद, ज्ञान, योग्यता, अनुभव, नेतृत्वकी कला, परिपक्वता इत्यादि तत्त्वों को ध्यान में रखना चाहिए ।
प्रश्न 21.
पीटर एफ. ड्रकर कौन थे ?
उत्तर :
पीटर एफ. ड्रकर बहुत ही ख्याति प्राप्त संचालनशास्त्री के रूप में ख्यातिप्राप्त लेखक, चिंतक तथा शिक्षणविद थे ।
प्रश्न 22.
पीटर एफ. ड्रकर का मुख्य योगदान किसमें था ?
उत्तर :
पीटर एफ. ड्रकर का मुख्य योगदान ‘ध्येयलक्षी संचालन तथा स्वनियमन का सिद्धान्त में था ।’
प्रश्न 23.
ध्येयलक्षी संचालन के बारे में पीटर ड्रकर ने कौन-सी बात बताई है ?
उत्तर :
ध्येयलक्षी संचालन के बारे में पीटर ड्रकर ने बताया हैं कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए कर्मचारियों और संचालकों के उद्देश्य में एकसूत्रता होनी चाहिए ।
प्रश्न 24.
आधुनिक संचालन के पिता कौन कहलाए जाते है ?
उत्तर :
आधुनिक संचालन के पिता पीटर एफ. ड्रकर कहलाए है ।
प्रश्न 25.
पीटर एफ. ड्रकर को आधुनिक संचालन के पिता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
पीटर एफ. ड्रकर को मानव संसाधन संचालन, बाजार संचालन तथा तनाव संचालन हेतु समाविष्ट है । जिससे पीटर एफ. ड्रकर को आधुनिक संचालन के पिता कहे जाते है ।
प्रश्न 26.
गति निरीक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अनावश्यक, गलत दिशा में होनेवाले, अकार्यक्षम स्थानान्तरण से उत्पन्न नुकसान को दूर करने की पद्धति अर्थात् गति निरीक्षण ।
प्रश्न 27.
संचालन के सिद्धान्त किसके मार्गदर्शक है ?
उत्तर :
संचालन के सिद्धान्त यह निर्माण तथा उनके अमल के लिए विस्तृत तथा निर्धारित मार्गदर्शक है ।
प्रश्न 28.
संचालन के सिद्धान्त अनुसार किसके द्वारा कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि कर सकते है ?
उत्तर :
संचालन के सिद्धान्त अनुसार विविध प्रोत्साहनों द्वारा कर्मचारी की कार्यक्षमता में वृद्धि कर सकते है ।
प्रश्न 29.
नवीन पारंपरिक विचारधारा किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
संचालन की पारंपरिक विचारधारा की कई कमियों को दूर करने के लिए कई संचालनशास्त्रीयो ने उसमें सुधार करके नये अभिगम/ विचार प्रस्थापित किये, जिसे नवीन पारंपरिक विचारधारा के रूप में कहा जाता है ।
प्रश्न 30.
नवीन पारंपरिक विचारधारा के जनक (प्रणेता) किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
नवीन पारंपरिक विचारधारा के जनक ऐल्टन मेयो को कहा जाता है ।
प्रश्न 31.
पारंपरिक विचारधारा की मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
पारंपरिक विचारधारा की मर्यादाएँ मुख्यतः
- वित्तीय उत्तेजन को महत्त्वपूर्ण स्थान
- मानवीय अभिगम को महत्त्व
- अनौपचारिक सम्बन्धों की अवहेलना आदि मुख्य है ।
प्रश्न 32.
केन्द्रीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
व्यवस्थातंत्र में जितने अंश तक अधिकार को सौंपा न जाए तो उन्हें केन्द्रीकरण कहा जाता है ।
प्रश्न 33.
संचालन के सिद्धान्तों की सफलता का आधार किस पर होता है ?
उत्तर :
संचालन के सिद्धान्तों की सफलता का आधार संचालक के मानवीय सम्बन्ध पर आधारित है । अर्थात् संचालक की कुशाग्र बुद्धि पर रहता है ।
प्रश्न 34.
अधिकार व दायित्व का विभाजन किस तरह होना चाहिए ?
उत्तर :
अधिकार व दायित्व का विभाजन रैख्रीय स्वरूप में होना चाहिए । अर्थात् उच्च से निम्न की तरफ होना चाहिए ।
प्रश्न 35.
टेक्नीकल प्रवृत्तियों में किस बात का समावेश होता है ?
उत्तर :
टेक्नीकल प्रवृत्तियों में कारखाना-यंत्र तथा उत्पादन से सम्बन्धित प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 36.
वाणिज्य प्रवृत्तियों में किन बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
वाणिज्य प्रवृत्तियों में इकाई के क्रय, विक्रय, विनिमय जैसी प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 37.
वित्तीय प्रवृत्तियों में किन बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
वित्तीय प्रवृत्तियों में वित्त की प्राप्ति, वित्त का उपयोग, निवेश या कोष की सुरक्षा, पुनः निवेश जैसी प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 38.
संरक्षण प्रवृत्तियों में कौन-कौन सी बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
संरक्षण प्रवृत्तियों में कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्पत्तियों की सुरक्षा, माल-सामान की सुरक्षा इत्यादि प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 39.
हिसाबी प्रवृत्तियों में कौन-कौन सी बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
हिसाबी प्रवृत्तियों में वित्तीय हिसाब के पत्रक तथा आवश्यक आंकड़ाकीय जानकारी प्राप्त करने की प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 40.
संचालकीय प्रवृत्तियों में कौन-सी प्रवृत्तियों का समावेश होता है ?
उत्तर :
संचालकीय प्रवृत्तियों में आयोजन, व्यवस्थातंत्र, मार्गदर्शन, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, नियंत्रण जैसी प्रवृत्तियों का समावेश होता है ।
प्रश्न 41.
श्री हेनरी फेयोल ने सफल नेतृत्व की कुंजी किसे माना है ?
उत्तर :
श्री हेनरी फेयोल ने सफल नेतृत्व की कुँजी अनुशासन को माना है ।
प्रश्न 42.
पारंपरिक विचारधारा किस रूप में पहचानी जाती है ?
उत्तर :
संचालन की विचारधाराओं में 19वी शताब्दी के अंत तक में जो विचारधाराओं को प्रस्तुत किया गया इन विचारधाराओं को पारंपरिक विचारधारा के रूप में पहचाना जाता है ।
प्रश्न 43.
संचालन की विचारधाराओं का विकासकिसके आधार पर हुआ है ?
उत्तर :
संचालन की विचारधाराओं का विकास संचालन के क्षेत्र में किये गये विभिन्न संशोधनों, अध्ययनों और परिणामों के आधार पर संचालन की विचारधाराओं का विकास हुआ है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।
प्रश्न 1.
वैज्ञानिक संचालन से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
वैज्ञानिक संचालन किसी भी विशेष इकाई में या कारखाने में, कर्मचारियों के पक्ष में सम्पूर्ण मानसिक क्रान्ति है । उन्हें उनके कार्य, जिम्मेदारी, सहकर्मियों और मालिकों के प्रति सम्पूर्ण मानसिक क्रान्ति है ।
प्रश्न 2.
समानता का सिद्धान्त क्या सूचित करता है ?
उत्तर :
कर्मचारी उत्पादन का एक भाग है । कर्मचारी यह एक जीवित व्यक्ति है, अत: इनके पास से कार्य लेने के लिए हमेशा व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ता है । इसके लिए प्रत्येक कर्मचारी के प्रति समानता रखनी पड़ती है । इसके लिए औपचारिक मनोवृत्ति बहुत प्रभावशाली नहीं होती है । बदलती परिस्थिति में अनौपचारिक भी होना पड़ता है जिससे मालिक और कर्मचारियों के मध्य सुमेल पैदा होता है । क्योंकि र्मचारियों की संचालकों के कार्य के प्रति व्यवहार, निष्ठा और मनोवृत्ति, समानता और न्याय पर आधारित है ।
प्रश्न 3.
संचालन के सिद्धान्त परिवर्तनशील है ।’ समझाइए ।
उत्तर :
उपरोक्त कथन सत्य है, क्योंकि संचालन के सिद्धान्त जड़ नहीं, परन्तु परिवर्तनशील है । संचालक को जब व जिस परिस्थिति में आवश्यक लगे तो परिवर्तन कर सकता है, क्योंकि अमुक सिद्धान्त लागू न हो सकें तो संचालक को उनमें परिवर्तन करने की छूट रहती है । अत: कहा जा सकता है की संचालन के सिद्धान्त परिवर्तनशील है ।
प्रश्न 4.
हेनरी फेयोल ने औद्योगिक साहस की प्रवृत्तियों को कौन-से छ भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर :
- टेक्नीकल प्रवृत्तियाँ (कारखाना-यंत्र तथा उत्पादन
- वाणिज्य प्रवृत्तियाँ (क्रय, विक्रय, विनिमय)
- वित्तीय प्रवृत्तियाँ (वित्त की प्राप्ति, वित्त का उपयोग, वित्त-निवेश की सुरक्षा)
- संरक्षण प्रवृत्तियाँ (कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्पत्ति एवं माल-सामान की सुरक्षा)
- हिसाबी प्रवृत्तियाँ (हिसाब के पत्रक, जरूरी आंकड़ाकीय माहिती)
- संचालकीय प्रवृत्तियाँ (आयोजन, व्यवस्थातंत्र, मार्गदर्शन, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, नियंत्रण)
प्रश्न 5.
Rule of Thumb किसे कहते हैं ?
उत्तर :
श्रमिक अब तक आज्ञा के अनुसार कार्य करने के आदि थे । जिसे Rule of Thumb कहते हैं । क्योंकि मालिकों का वर्चस्व व जबरदस्ती थी ।
प्रश्न 6.
आदेश की एकरूपता का सिद्धान्त समझाइए ।
उत्तर :
इस सिद्धान्त के अनुसार कर्मचारियों को केवल एक ही व्यक्ति के पास से आदेश लेना होता है और कर्मचारी उसी व्यक्ति के प्रति जिम्मेदार होता है । आदेश की एकरुपता के सिद्धान्त के कारण कर्मचारियों में आदेश को लेकर कोई भी समस्या पैदा नहीं होती है । यदि कई लोग एक साथ आदेश दें तो कर्मचारियों में समस्या पैदा होती है कि किसके आदेश का पालन करें । जो प्रश्न यहाँ हल कर सकते हैं ।
प्रश्न 7.
टेलर की भिन्न वेतन दर की पद्धति के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
कर्मचारियों को उनके काम के समय के आधार पर वेतन सम्बन्धी उत्तेजना देने की पद्धति अर्थात् भिन्न वेतनदर की पद्धति । उत्पादन बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को उत्तेजन देने के लिए टेलर ने उत्तेजक वेतन प्रथा की सिफारिश की थी । कारखाने में काम करनेवाले प्रत्येक कर्मचारी की कार्य करने की क्षमता अलग-अलग होती है । उपरोक्त वास्तविकता को ध्यान में रखकर कार्यक्षम कर्मचारियों को अधिक उत्पादन के सन्दर्भ में अधिक वेतन मिलना चाहिए तथा कम कार्यक्षमतावाले कर्मचारियों को कम वेतन मिलना चाहिए । इस बात को ध्यान में रखकर टेलर ने भिन्न वेतन दर की पद्धति दी है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1.
संचालन के सिद्धांतों का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
संचालन के सिद्धांतों का महत्त्व निम्न है :
(1) कार्यक्षमता में वृद्धि : संचालन के सिद्धांत संचालकों को विविध प्रकार की परिस्थितियों में किस तरह कार्य करना इस हेतु मार्गदर्शन प्रदान करता है । जिसके द्वारा धन्धाकीय इकाई की कार्य पद्धति में सुधार आता है तथा इससे संचालकीय कार्यक्षमता में वृद्धि दिखाई देती है ।
(2) संसाधनों का महत्तम उपयोग तथा प्रभावशाली प्रशासन : संचालन के सिद्धान्तो के माध्यम से संसाधनों का महत्तम उपयोग करना अनिवार्य है । संसाधनों का संचालन के सिद्धान्तों द्वारा इस तरह उपयोग करना कि जिससे कम से कम खर्च पर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं । संचालन के सिद्धान्त संचालकों को उनके द्वारा लिये जानेवाले निर्णय, कार्यों का कारण और असर देखने के लिए अवसर देते है, जिससे प्रयत्न तथा भूल से होनेवाले नुकसान को रोका जा सकता है ।
(3) वैज्ञानिक तथा तार्किक निर्णयों के लिए उपयोगी : संचालन के सिद्धान्त संचालकों को योग्य निर्णय लेने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका.
अदा करते है । संचालन के सिद्धान्तों का उपयोग करके पक्षपात अथवा भेदभाव एवं पूर्वग्रन्थि बिना योग्य निर्णय समयानुसार लिए जा सकते है ।
(4) बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरूप धन्धाकीय पर्यावरण का सामना करने में उपयोगी : संचालन के सिद्धान्त सामान्यत: मार्गदर्शिका ही है, परन्तु बदलती हुई परिस्थिति में बदलता हुआ धन्धाकीय पर्यावरण का सामना करने के लिए संचालन के सिद्धांतों की आवश्यकता रहती है ।
(5) सामाजिक जिम्मेदारी निभाना : धंधा यह समाज का अभिन्न अंग है । लाभ को धंधे का एक उद्देश्य माना जाता है, परन्तु एक मात्र उद्देश्य नहीं, समाज का विकास तथा उन्नती यह भी धन्धाकीय इकाई का उद्देश्य है । संचालन के सिद्धांतो के प्रभावशाली अमल से धन्धाकीय इकाई सरलता से सामाजिक दायित्व का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं ।
(6) संशोधन, प्रशिक्षण तथा विकास में सहायक : संचालन के सिद्धांतो के उपयोग द्वारा ही प्रशिक्षण, शिक्षण तथा विकास का कार्य सफल होता है । जैसे कि, अब विभिन्न धन्धाकीय इकाइयों में भर्ती के लिए अभिरूचि कसौटी ली जाती है । इन अभिचि कसौटी को संशोधन से तैयार किया जाता है तथा संचालन के सिद्धांतो के अमल द्वारा इनका उपयोग करके योग्य कर्मचारी की नियुक्ति की जाती है ।
प्रश्न 2.
आधुनिक विचारधारा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
आधुनिक विचारधारा (Thoughts of Modern Management) : सन् 1960 के पश्चात् उद्योगो तथा धन्धाकीय इकाईयों के स्वरूप में परिवर्तन आया । जिससे संचालन के विशेष अभिगम की आवश्यकता उत्पन्न हुई । संचालन के साथ में ही मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, आंकड़ाशास्त्र, गणितशास्त्र और कम्प्यूटर – I.T. के उपयोग की भी इस विचारधारा में सिफारिश की गई है । इस विचारधारा में कुन्टज, ओडोनेल, जॉर्ज आर. टेरी जैसे संचालन शास्त्रीयों ने अपना योगदान दिया है । इसके अलावा पीटर एफ. ड्रकर, विलियम ओची और सी. के. प्रहलाद आदि संचालन शास्त्रीयों ने भी इस विचारधारा में योगदान दिया है ।
प्रश्न 3.
‘संचालन के सिद्धान्त यह मानव व्यवहार पर आधारित है’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
संचालन के सिद्धांत यह मानव व्यवहार पर आधारित है, यह विधान सत्य है । क्योंकि संचालन में मानव केन्द्रस्थान पर होने से संचालन के सिद्धान्त यह मानव व्यवहार पर अधिक प्रभावित करती है । संचालन के सिद्धांतो का मानवीय व्यवहार के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध जुड़ा हुआ है तथा मानवीय व्यवहार मनोवैज्ञानिक बात है, जो कि संचालन के सिद्धांतो के अमल के समय ध्यान में लिया जाना अनिवार्य कहलाता है ।
प्रश्न 4.
वर्तन/व्यवहार सम्बन्धित, विचारधाराओं के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
वर्तन सम्बन्धित विचारधारा (Thought of Behaviour Related) : अन्य व्यक्तियों के पास से काम लेने की कला । प्रो. उविक लिखते हैं, ‘तुम अपने कर्मचारियों का ध्यान रखो, वे शेष बातों का ध्यान तुम्हारे लिए रखेंगे ।’ Mind your men, men will mind everything for you.’ इस तरह कर्मचारी या व्यक्ति इकाई में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । संचालन व्यक्ति के माध्यम से होने से संचालन का अध्ययन आन्तर व्यक्ति सम्बन्धों का अध्ययन बन जाता है । संचालकीय कार्य का महत्त्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु मानव व्यवहार एवं मानवीय सम्बन्धों का है जिससे वर्तन सम्बन्धित विचारधारा, मनोवैज्ञानिक तारणो के उपयोग द्वारा कर्मचारी के कार्यसंतोष तथा कार्यक्षमता बढ़ाने पर बल देते हैं । वर्तन सम्बन्धित विचारधारा में आन्तर मानवीय सम्बन्ध, अभिप्रेरण, नेतृत्व, सूचनासंचार की प्रक्रिया, औद्योगिक झगड़ों का निराकरण आदि विचारों का समावेश होता है ।
प्रश्न 5.
पीटर एफ. ड्रकर का संचालन के क्षेत्र में योगदान समझाइए ।
उत्तर :
पीटर एफ. ड्रकर सन् 1909-2005 बहुत ही प्रसिद्ध संचालन शास्त्री के रूप में ख्यातिप्राप्त लेखक, चिंतक तथा शिक्षणविद वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व की धन्धाकीय व्यवस्थाओं में परिवर्तन आया था । जिसके कारण से संचालन की नवीन पद्धतियों को विकसित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई । पीटर एफ. ड्रकर ने मानव सम्पत्ति को धन्धाकीय इकाई में विशेष महत्त्व प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण सिफारिश की । पीटर एफ. ड्रकर के मुख्य योगदान में ‘ध्येयलक्षी संचालन’ तथा स्वनियमन का सिद्धान्त मुख्य है । ध्येयलक्षी संचालन के बारे में दर्शाते हैं कि उद्देश्य प्राप्ति के लिए कर्मचारियों और संचालकों के ध्येय में एकसूत्रता होनी चाहिए । अलग-अलग धन्धाकीय स्वरूप ही इकाईयों के लिए ध्येयलक्षी संचालन बहुत ही प्रभावशाली है । उनका योगदान मानव संसाधन संचालन, बाजार संचालन, तनाव संचालन के लिए महत्त्वपूर्ण है । जिससे पीटर एफ. ड्रकर को आधुनिक संचालन के पिता, कहा जाता है ।
प्रश्न 6.
नवीन पारंपरिक विचारधाराओं (Thoughts of Neo-classical Theory) के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
संचालन की पारंपरिक विचारधारा की कई कमियों को दूर करने के लिए कई संचालन शास्त्रीयों ने उसमें सुधार करके नये अभिगम/विचार प्रस्थापित किये, जिन्हें नवीन पारंपरिक विचारधारा के रूप में कहा जाता है । 19वीं शताब्दी के अन्त में औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् इकाइयों में उद्योगों का स्वरूप बदला व नई संचालन शक्ति की आवश्यकता उत्पन्न हुई । 20वीं शताब्दी के आरम्भ में आष्टोलियन औद्योगिक मनोवैज्ञानिक ऐल्टन मेयोना होर्थोन, प्रयोगोने इस वर्तनवादी विचारधारा को जन्म दिया । जिससे ऐल्टन मेयोने नवीन पारंपरिक विचारधारा के प्रणेता/जनक कहते हैं । नवीन पारंपरिक विचारधारा संचालन के बारे में वर्तनलक्षी अभिगम तथा समूह वर्तन पर बल दिया जाता है ।
प्रश्न 7.
रूढ़िगत संचालन के सामने एक क्रान्तिकारी विचार के रूप में वैज्ञानिक संचालन को प्रस्तुत किया, जिसमें मुख्य कितनी व कौन-कौन सी बातें देखने को मिलती है ?
उत्तर :
इनमें तीन मुख्य बातें देखने को मिलती है ।
- प्रत्येक कर्मचारी को उनकी बुद्धि और शक्ति के अनुसार कार्य को सौंपा जाना चाहिए ।
- उसके वर्ग का महत्तम काम करने के लिए प्रत्येक कर्मचारी को सूचना देना चाहिए ।
- शीघ्रता से कार्यदक्षता से कार्य करनेवाले प्रत्येक कर्मचारी को उसकी कक्षा का एक वेतन की तुलना में 30 प्रतिशत से 100 प्रतिशत की दर से अधिक वेतन दिया जाना चाहिए ।
प्रश्न 8.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
(1) आदेश की एकवाक्यता (एकरूपता का सिद्धांत) संचालन अर्थात् मानवीय समूह से काम लेने की कला । इसके लिए कर्मचारीयों को आदेश देना पड़ता है । आदेश वैधिक या अवैधिक भी हो सकता है । आदेश देकर संचालक अपना कार्य शांतिपूर्वक करता है कारण कि विश्वास होता है । कि कर्मचारी द्वारा आदेश का पालन होगा ही आदेश की एकरूपता अर्थात् आदेश या सत्ता एक ही व्यक्ति या अधिकारी के पास रहनी चाहिए । अनेकों व्यक्तियों के आदेश का पालन करने में कर्मचारीगण उलझन में आ जाते हैं । अत: आदेश का एकाधिकार अनिवार्य है। आदेश के पालन के विचलन आने से दिशा-निर्देश एवं अंकुश अनिवार्य बनता है । आदेश की एकरूपता से शिष्य बना रहता है । एक व्यक्ति के आदेश देने से जिम्मेदार व्यक्ति निश्चित होता है । अतः आदेश की एकरूपता से परस्पर सहकार एवं कार्य करने में विलंब नहीं होता ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धान्त समझाइए ।
उत्तर :
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत निम्न है :
(1) वैज्ञानिक पद्धति का सिद्धांत : इकाई में कार्य करने के लिए रुढ़िगत पद्धतियों को त्याग करके नई वैज्ञानिक पद्धति अपनानी चाहिए और कार्य का वैज्ञानिक विश्लेषण करके श्रेष्ठ कार्य किस तरह हो सकेगा इसके बारे में विचार करना चाहिए ।
(2) आयोजन तथा अमलीकरण का सिद्धांत : कर्मचारी रूढ़िगत पद्धति की तरह ही आयोजन तथा अमलीकरण का कार्य करे उसके बदले में आयोजन का काम निष्णांत करे तथा कर्मचारियों द्वारा उनका अमल हो ऐसा होना चाहिए ।
(3) कार्य-विश्लेषण का सिद्धांत : कम खर्च और शीघ्र काम लेने के लिए कार्य विश्लेषण उत्तम माना जाता है । जिसमें समय निरीक्षण, गति निरीक्षण और थकान निरीक्षण का अध्ययन करके कम खर्च अथवा कम लागत से उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है ।
(4) प्रमाणीकरण का सिद्धांत : प्रमाणीकरण तथा सरलीकरण वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो कि पहले से ही होना चाहिए । औजारों,
साधनों, समय, कार्य की परिस्थिति आदि विषयों में प्रमाणीकरण आवश्यक होता है ।
(5) वैज्ञानिक चयन और प्रशिक्षण का सिद्धांत : कर्मचारियों का चयन वैज्ञानिक मापदण्ड के अनुसार होना चाहिए । वैज्ञानिक मापदण्ड हेतु कर्मचारियों में शिक्षण, कौशल्य, योग्यता, प्रशिक्षण शारीरिक शक्ति इत्यादि मापदण्डों को ध्यान में रखा जा सकता है । इसके उपरांत कर्मचारी को इस प्रकार का कार्य सौंपना चाहिए कि जो उसके शिक्षण, अध्ययन और कौशल्य के अनुरुप हो । इसके अलावा कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण का उपयोग भी किया जाना चाहिए । जिससे, उनका कार्यसंतोष बढ़ सके इसके लिए विविध प्रकार की वैज्ञानिक कसौटी का उपयोग किया जाना चाहिए ।
(6) वित्तीय प्रोत्साहन का सिद्धांत : कुशल कर्मचारी को वित्तीय और अन्य उत्तेजना देनी चाहिए । इसके लिये विविध प्रकार की उत्तेजक वेतन योजना का सुझाव दिया गया है । प्रत्येक श्रमिक के व्यक्तिगत उत्पादन के आधार पर यह पद्धति अपनानी चाहिए और इसका वेतन दर धारणा के आधार पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक अध्ययन से पूर्व ही निर्धारित होना चाहिए ।
(7) मितव्ययिता का सिद्धांत : वैज्ञानिक संचालन के अमल के दौरान मात्र वैज्ञानिक और तकनिकी आधारों को ध्यान में नहीं लिया जाता बल्कि लाभ और मितव्ययिता के तत्व पर बल दिया जाना चाहिए । इस हेतु अनुमान तथा लागत नियंत्रण की पद्धतियों पर विचार करना पड़ता है और विचलनों को खोज कर उनका अध्ययन और समाधान करना पड़ता है ।
(8) मानसिक क्रान्ति का सिद्धांत : मालिकों और श्रमिकों के मध्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मानसिक क्रान्ति होनी चाहिए । मानसिक सुमेल से मालिकों तथा श्रमिकों के मध्य तनाव को घटाता है और लक्ष्य प्राप्ति सरल बन जाती है ।
प्रश्न 2.
पारंपरिक विचारधाराओं के बारे में विस्तार से समझाइए ।
उत्तर :
पारंपरिक विचारधाराएँ Thought of Classical Theory : संचालन की विचारधाराओं में 19वी शताब्दी के अन्त तक में जो विचारधाराएँ प्रस्तुत हुई वह विचारधाराएँ पारंपरिक विचारधारा के रूप में पहचानी जाती है । इस विचारधारा के मुख्य प्रणेता संचालनशास्त्री फ्रेडरिक टेलर, मेक्स वेबर, गील बर्थ, हेनरी गेन्ट और हेनरी फेयोल है । पारंपरिक विचारधारा में टेलर का बहुत बड़ा योगदान है । फेडरिक टेलर द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत संचालन विचारधारा में आज भी प्रस्तुत है । वैज्ञानिक संचालन का अभिगम रूढ़िगत पद्धतियों के बदले में समय निरीक्षण और गति निरीक्षण द्वारा वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत हुए सिद्धांतो को अपनाने की सिफारिश करते है ।
वैज्ञानिक संचालन के सिद्धांत का मुख्य योगदान व्यवस्थातंत्र में विशिष्टीकरण, उत्तेजित वेतन प्रथा, जिम्मेदारी तथा कार्य की वैज्ञानिक ढंग से वितरण होता है । पारंपरिक विचारधारा में हेनरी फेयोल का योगदान भी महत्त्वपूर्ण रहा है । उन्होंने संचालन के सामान्य सिद्धांत देकर संचालन विचारधारा में महत्त्व का योगदान दिया । उसने धन्धाकीय इकाई में विविध कार्यों के स्तर निश्चित करके, कार्यों की मर्यादा निश्चित करने का प्रयत्न किया । विभिन्न स्तर पर संचालकीय जिम्मेदारी निभाने के लिए संचालन के सार्वत्रिक सिद्धांत मार्गदर्शक के रूप में दिये है । इसके अलावा पारंपरिक विचारधारा में मेक्स वेबर के अमलदारशाही के विचार का भी योगदान रहा है । 19वीं शताब्दी के अन्त तक औद्योगिक क्रान्ति के परिणाम स्वरूप धन्धाकीय इकाईयों का स्वरूप और कद बदलने लगे ।
जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक विचारधारा की अनेक मर्यादाओं के कारण उसमें परिवर्तन करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई । इनकी मर्यादाओं में मुख्यरूप से वित्तीय उत्तेजन को अधिक स्थान, मानवीय अभिगम को कम महत्त्व तथा अनौपचारिक सम्बन्धों की अवगणना मुख्य हैं ।
प्रश्न 3.
हेनरी फेयोल के संचालन के सिद्धांत समझाइए ।
उत्तर :
हेनरी फेयोल के संचालन सिद्धांत : हेनरी फेयोल ने अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर संचालन के सिद्धांतो को निम्नानुसार दर्शाया है । इनके सिद्धांत इतने आवश्यक एवं सहायक रूप बने कि इकाई के हेतु सिद्ध किया जा सकें ।
(1) कार्य – विभाजन का सिद्धांत : इकाईयों में कार्य विशाल मानवीय समूह द्वारा किया जाता है । विशाल मानवीय समूह के बीच कार्य का विभाजन आवश्यक है । बड़ी इकाईयों में सफलता का मुख्य आधार ही कार्य विभाजन है । कार्य विभाजन से कार्य में सरलता, संतोष एवं उत्साह होता है । कार्य विभाजन से विशिष्टीकरण का लाभ प्राप्त हो सकता है । आपसी सहकार एवं संकलन सरल बनता है ।
(2) सत्ता एवं जिम्मेदारी का सिद्धांत : संचालन के घटकों में सत्ता एवं जिम्मेदारी महत्त्वपूर्ण घटक है । सत्ता एवं जिम्मेदारी एक सिक्के के दो पहेलू के समान है । सत्ता अर्थात् कार्य करवाने का अधिकार परन्तु कार्य समयानुसार हो इसकी जिम्मेदारी के लिए सत्ता आवश्यक है । सत्ता एवं जिम्मेदारी सौंपते समय अधिकारी के व्यवहार, योग्यता कार्य का अनुभव, नेतृत्व की कला उम्र इत्यादि को ध्यान में रखना चाहिए इससे कर्मचारियों में उत्साह एवं निर्धारित उद्देश्य की सफलता अनिवार्य बनती है ।
(3) शिस्त के संदर्भ का सिद्धांत : शिस्त इकाई में एक अलग वातावरण तैयार करती है । बड़ी इकाईयों में शिस्त का पालन हो इसके लिए आधार संहिता बनाई जाती है । शिस्त के पालन से नियमितता आती है । अनुशासन स्थापित होता है । शिस्त में कर्मचारीगणों में शक्ति आती है । संकलन सरल बनता है । कर्मचारियों को कार्य के प्रति आनंद एवं उत्साह बढ़ेगा शिस्त की सफलता का आधार नेतृत्व पर है । अत: शिस्त सफल नेतृत्व की चाबी है ।
(4) आदेश की एकरूपता का सिद्धांत : संचालन अर्थात् मानवीय समूह से काम लेने की कला । इसके लिए कर्मचारियों को आदेश देना पड़ता है । आदेश वैधिक या अवैधिक भी हो सकता है । आदेश देकर संचालक अपना कार्य शांतिपूर्वक करता है कारण कि विश्वास होता है । कि कर्मचारी द्वारा आदेश का पालन होगा ही आदेश की एकरूपता अर्थात् आदेश या सत्ता एक ही व्यक्ति या अधिकारी के पास होनी चाहिए । अनेको व्यक्तियों के आदेश का पालन करने में कर्मचारी गण उलझन में आ जाते है । अत: आदेश का एकाधिकार अनिवार्य है । आदेश के पालन के विचलन आने से दिशा-निर्देश एवं अंकुश अनिवार्य बनता है । आदेश की एकरुपता से शिष्य बना रहता है । एक व्यक्ति के आदेश देने से जिम्मेदार व्यक्ति निश्चित होता है । अत: आदेश की एकरूपता से परस्पर सहकार एवं कार्य करने में विलंब नहीं होता ।
(5) सामान्य हित को मुख्य एवं व्यक्तिगत हित को गौण स्थान : संचालन यह समूह प्रवृत्ति है । जिससे व्यक्तियों-व्यक्तियों के बीच, विभागो-विभागो के बीच आपसी सहकार से इकाई का निर्धारित उद्देश्य सरलता से सफल हो सकता है । इकाई के उद्देश्य की सफलता यह सामान्य हित की बात है । इकाई में सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रवृत्ति की जानी चाहिए न कि किसी व्यक्ति के हित को ध्यान में रखकर प्रवृत्ति या निर्णय लेना चाहिए ।
(6) कर्मचारी वेतन का सिद्धांत : कर्मचारी एवं कारीगर मानसिक एवं शारीरिक श्रम करते हैं । इसके बदले प्रतिफल के तौर पर वेतन प्राप्त होता है । मात्र वेतन ही देना आवश्यक नहीं परंतु वेतन नियमानुसार करके देना चाहिए वेतन में विसमता कर्मचारी एवं कारीगरों में निरसता का भाव पैदा कर सकती है । जो कर्मचारी एवं कारीगर कार्यक्षम ढंग से कार्य करता है । उसे अधिक बोनस एवं अतिरिक्त वेतन प्राप्त होनी चाहिए इस प्रकार का न हो तो कारीगर परिवर्तन का प्रश्न देखने को मिलता है । इसके साथ-साथ इकाई को अधिक लाभ में भी हिस्सा प्राप्त होना चाहिए । यह इकाई के विकास का आभारी है ।
(7) मार्गदर्शन की एकरूपता का सिद्धांत : आयोजन भविष्य की रूपरेखा है जो कार्य विभाजन और विशिष्टीकरण के द्वारा पूरी की जाती है । आयोजन के अमल के द्वारा यदि विचलन दिखाई दें तो मार्गदर्शन द्वारा दिये जाते है । यह मार्गदर्शन किसी निश्चित उच्च अधिकारी द्वारा ही दिया जाना चाहिए । ऐसा करने से एक समान कार्य तथा प्रयत्नों का संकलन सरलता से हो सकता है । इस सिद्धांत के अनुसार कर्मचारी समूह के उपर एक ही अधिकारी होना चाहिए तथा यह समूह एक ही उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सामुहिक कार्य करनेवाला होना चाहिए ।
(8) केन्द्रीयकरण का सिद्धांत : केन्द्रीयकरण के सिद्धांत से कर्मचारियों की शक्ति का श्रेष्ठ उपयोग होता है । कारण कि एक ही व्यक्ति पर सम्पूर्ण सत्ता होती है । परन्तु इकाई का कद विशाल हो तब केन्द्रीयकरण का सिद्धांत अपना कठिन बनता है । तब विकेन्द्रीयकरण को अपनाया जाता है । जिससे आदेश अनेक व्यक्तियों द्वारा दिए जाते है ।
(9) समान रेखीय श्रृंखला का सिद्धांत : आदेश की एकरुपता में आदेशकर्ता अनेक व्यक्ति नहीं परंतु निश्चित कर्मचारीगण होते हैं । आदेश उच्च स्तर से निम्न स्तर के लोगों को दिया जाता है । निम्न स्तर से उच्च स्तर की और कार्य में विलंब के विषय में माहिती प्रेषण होता है । परन्तु कौन आदेश देनेवाला व्यक्ति है । आदेश का पालन करनेवाला कौन है । यह निश्चित होना चाहिए इसके आधार पर एक श्रृंखला बनती है । जो उच्च स्तर से निम्नस्तर की तरफ जाती है ।
(10) व्यवस्था का सिद्धांत : व्यवस्था का सिद्धांत दो वस्तुओं पर आधारित है । मालसामान की व्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था मालसामान की प्रत्येक सामग्री यथा योग्य स्थान पर होनी चाहिए तथा प्रत्येक स्थान के लिए योग्य वस्तु होनी चाहिए इसी प्रकार प्रत्येक कर्मचारी को योग्य स्थान पर नियुक्ति करना चाहिए तथा योग्य स्थान पर योग्य कर्मचारी को नियुक्ति होनी चाहिए ।
(11) समानता का सिद्धांत : कर्मचारी उत्पादन का एक हिस्सा है । कर्मचारियों से काम लेते समय व्यवहारात्मक अभिगम अपनाया जाता है । अत: प्रत्येक कर्मचारी के प्रति एक समान व्यवहार रखा जाता है । इसके लिए वैधिक नहीं परंतु अवैधिक माहिती प्रेषण अनिवार्य बनता है । जिससे मालिक एवं कर्मचारियों के प्रति आत्मियता एवं परस्पर सहकार की भावना बढ़ती है ।
(12) नौकरी की स्थिरता का सिद्धांत : स्थायी कर्मचारी गण इकाई के लिए पूँजी के समान है । स्थायी कर्मचारी इकाई के लिए मददरुप बनता है । एवं मजूर परिवर्तन का प्रमाण घटता है । स्थायी कर्मचारी हेतु इकाई में प्रशिक्षण, इत्यादि की सुविधा देना अनिवार्य है ।
(13) नवीन कार्य की सूत्रपात्र या सिद्धांत : कर्मचारियों को हमेशा नवीन-नवीन करने की इच्छा होती है । कर्मचारी को जो कार्य सौंपा गया है । इसी कार्य को नवीन-नवीन पद्धतियों से करने का प्रयास करता है । अत: ऐसे कर्मचारी को इकाई की तरफ से समय-समय प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कर्मचारी की इकाई के प्रति समर्पण की भावना बढ़े ।
(14) समूह भावना (संकलन) का सिद्धांत : धंधाकीय इकाई की सफलता का आधार मालिक एवं कर्मचारियों के परस्पर संबंधो पर आधारित है । अत: दोनो वर्गों के बीच मधुर संबंध होना चाहिए । इससे अधिक उत्पादन एवं लाभ में वृद्धि दोनों में ही वृन्द्रि होती है । इस पर इकाई में समूह की भावना बनी रहे । तथा इसमें विकास हो इसलिए संचालकों को समूह भावना बनाए रखने में अपना व्यक्तिगत सहयोग देना चाहिए ।
प्रश्न 4.
संचालन के सिद्धांतों का स्वरूप विस्तार से समझाइए ।
उत्तर :
संचालन के सिद्धांतों के आधार पर इनके स्वरूप निम्नलिखित होते हैं :
(1) सर्वव्यापकता : संचालन के सिद्धांतों को अधिकांशतः धन्धाकीय इकाइयों में लागू किया जा सकता है । जहाँ जहाँ पर सामुहिक मानवीय प्रयत्नों की आवश्यकता पड़ती है । विशेष रूप से वृहद इकाईयों में संचालन के सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है । जिससे कहा जा सकता है कि संचालन के सिद्धांत सर्वव्यापक या सार्वत्रिक है ।
(2) परिवर्तनशील : संचालन के सिद्धांत कठोर नहीं, परंतु परिवर्तनशील है । संचालक को जब व जिस परिस्थिति में आवश्यक लगे तब उनमें परिवर्तन किया जाता है । यदि कई परिस्थिति में यह सिद्धांत लागू न पड़ सके ऐसा हो तो संचालक को इनमें परिवर्तन करने की छूट होती है । जैसे कार्य विभाजन का सिद्धांत वृहद इकाइयों में एक समान लागू किया जा सकता है, लेकिन छोटी इकाइयों में उतनी ही मात्रा में कार्य विभाजन का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता ।
(3) मार्गदर्शिका के रूप में : संचालन के सिद्धांत सामान्यत: मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं । जो कि अलग-अलग परिस्थिति में से अलग-अलग निष्णांतो के अनुभव पर निर्भर है । इकाई के संचालन के दौरान अनेक कठिन से कठिन समस्याएँ आती है । इन प्रत्येक समस्या का स्वरूप इकाई के अनुसार अलग-अलग होता है, जो प्रत्येक परिस्थिति में प्रत्येक इकाई के लिए एकसमान न्याय नहीं दिया जा सकता । अत: संचालन के सिद्धांत कठोरता से लागू नहीं किये जा सकते हैं व यह सिद्धांत केवल मार्गदर्शन के रूप में उपयोग में लाते हुए इच्छित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
(4) मानवीय स्वभाव पर आधारित : संचालन के सिद्धांतों का आधार मानवीय स्वभाव तथा व्यवहार से जुड़ा हुआ होता है । प्रत्येक की मानसिक परिस्थिति भी अलग-अलग होने से सिद्धांतों की सफलता का प्रमाण भिन्न होता है । मनोवैज्ञानिक परिस्थिति को भी संचालन के सिद्धांतो को अमल में लाते समय ध्यान में लेना चाहिए ।
(5) आकस्मिकता का तत्त्व : संचालन के सिद्धांतो को लागू करने के लिए आकस्मिकता का तत्त्व भी प्रभावित करता है । किसी
एक निश्चित अनिवार्य परिस्थिति में सिद्धांतों के उपयोग द्वारा संस्था में निर्णय लेकर, लक्ष्य प्राप्ति सरल बना सकते है । जैसे कि, कर्मचारियों को योग्य तथा उचित प्रतिफल चुकाया जाना चाहिए । यह योग्य व उचित प्रतिफल क्या है ? यह आकरिमकता अथवा आवश्यकता के आधार पर असर करनेवाले परिबलों या तत्त्वों को ध्यान में लेकर तय किये जा सकते हैं ।