GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 2 कम्पनी सेक्रेटरी (सचिव)

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 2 कम्पनी सेक्रेटरी (सचिव) Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 2 कम्पनी सेक्रेटरी (सचिव)

GSEB Class 11 Secretarial Practice कम्पनी सेक्रेटरी (सचिव) Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प पसंद करके दीजिए ।

प्रश्न 1.
कम्पनी अधिनियम में महत्त्वपूर्ण (चाबीरूप) संचालकीय व्यक्ति या कितने व्यक्तियों का समावेश किया गया है ?
(A) 2
(B) 5
(C) 3
(D) 4
उत्तर :
(B) 5

प्रश्न 2.
सेक्रेटरी के रूप में किसकी नियुक्ति हो सकती है ?
(A) साझेदारी संस्था
(B) जीवित व्यक्ति
(C) कम्पनी
(D) सहकारी मण्डली
उत्तर :
(B) जीवित व्यक्ति

प्रश्न 3.
कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति के लिए इनमें से कौन-सा फार्म कम्पनी रजिस्टार के पास पंजिकृत करवाना पड़ता है ?
(A) पानकार्ड
(B) आयकर चालान
(C) MGT 14 फॉर्म
(D) व्यवसाय आरम्भ करने का प्रमाणपत्र
उत्तर :
(C) MGT 14 फॉर्म

प्रश्न 4.
कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति कहाँ अनिवार्य है ?
(A) जिसकी भरपाई पूँजी 50 लाख रु. हो
(B) जिसकी भरपाई पूँजी 2 करोड रु. हो
(C) जिसकी भरपाई पूँजी 5 करोड रु. अथवा इससे अधिक
(D) जिसकी भरपाई पूँजी 1 करोड रु. हो
उत्तर :
(C) जिसकी भरपाई पूँजी 5 करोड रु. अथवा इससे अधिक

प्रश्न 5.
कम्पनी सेक्रेटरी की योग्यता कौन-सी होनी चाहिए ?
(A) M. Com.
(B) Company Secretary
(C) C.A.
(D) केवल अनुभव
उत्तर :
(B) Company Secretary

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प्रश्न 6.
सेक्रेटरी के सन्दर्भ में इनमें कौन-सी बात सही नहीं ?
(A) सेक्रेटरी कम्पनी की ओर से एजेण्ट के रूप में कार्य कर सकता
(B) संचालक मण्डल द्वारा सौंपा गया कार्य करने की सत्ता
(C) संचालक मण्डल’ को नियुक्त करने की सत्ता
(D) विभिन्न प्रकार के कानून का ज्ञान जरूरी
उत्तर :
(C) संचालक मण्डल’ को नियुक्त करने की सत्ता

प्रश्न 7.
कम्पनी कानून में सेक्रेटरी के अधिकार के बारे में स्पष्टता नहीं है, लेकिन इसके बारे में किसमें व्यवस्था की जाती है ?
(A) विज्ञापन पत्र के बदले का निवेदन
(B) नियमन पत्र
(C) टेबल ‘अ’
(D) विज्ञापन पत्र
उत्तर :
(B) नियमन पत्र

प्रश्न 8.
सेक्रेटरी की नियुक्ति का ठहराव किसकी सभा में पारित करना पड़ता है ?
(A) सामान्य सभा में
(B) शेयरधारकों की सभा में
(C) संचालकों की
(D) विशेष सभा में
उत्तर :
(C) संचालकों की

प्रश्न 9.
सेक्रेटरी किसकी सलाह अनुसार तथा जो आदेश मिलता है उनका पालन करना होता है ?
(A) अंकेक्षक (Auditor) की
(B) मुख्य वहीवटी अधिकारी की
(C) विभागीय अधिकारियों की
(D) संचालकों की
उत्तर :
(D) संचालकों की

प्रश्न 10.
सेक्रेटरी के बारे में आवश्यक माहिती इनमें से किसको देना जरूरी है ?
(A) न्यायालय को
(B) कम्पनी रजिस्ट्रार को
(C) सरकार को
(D) कं. के विभागीय अधिकारियों को
उत्तर :
(B) कम्पनी रजिस्ट्रार को

प्रश्न 11.
करार करने में कैसा व्यक्ति हो तो सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता ?
(A) सक्षम
(B) समर्थ
(C) असमर्थ
(D) असक्षम
उत्तर :
(C) असमर्थ

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिये ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी में कानूनी जटिलताओं को समझने की, कठिन संयोगों को सरल बनाने की तथा समय-संयोगों को परखने की उसमें क्या होनी चाहिए ?
उत्तर :
सेक्रेटरी में कानूनी जटिलताओं को समझने की, कठिन संयोगों को सरल बनाने की तथा समय-संयोगों को परखने की उसमें क्षमता होनी चाहिए ।

प्रश्न 2.
सेक्रेटरी के रूप में किसकी नियक्ति नहीं की जा सकती है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के रूप में साझेदारी संस्था या अन्य संस्था सेक्रेटरी के रूप में कार्य नहीं कर सकती है ।

प्रश्न 3.
सेक्रेटरी का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रतिभाशाली किसलिए होना चाहिए ?
उत्तर :
सेक्रेटरी को सामान्य जन, कर्मचारियों, अंशधारियों, ऋणपत्र धारकों, सरकारी अधिकारियों आदि के साथ इसको कार्य करना होता है इसलिए इसका व्यक्तित्व सामनेवाले पक्ष को प्रभावित कर सके ऐसा आकर्षक और प्रभावशाली होना चाहिए ।

प्रश्न 4.
सेक्रेटरी में दूरदृष्टि का गुण किसलिए होना आवश्यक है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी भविष्य का अन्दाज लगा सकता है । उसके निर्णयों का भविष्य में क्या प्रभाव होगा यह परखने के लिये उसमें दूरदृष्टि होनी आवश्यक है ।

प्रश्न 5.
यदि सेक्रेटरी कैसा हो तो वो एक सफल नेतृत्व प्रदान कर सकता है ? तथा कर्मचारियों के लिए प्रेरणा बन सकता है ?
उत्तर :
यदि सेक्रेटरी उत्साही और परिश्रमी हो तो वो एक सफल नेतृत्व प्रदान कर सकता है तथा कर्मचारियों के लिए प्रेरणा बन सकता है ।

प्रश्न 6.
निजी कम्पनी स्थापना का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद क्या व्यवसाय प्रारम्भ कर सकती है ?
उत्तर :
निजी कम्पनी स्थापना का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकती है ।

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प्रश्न 7.
सार्वजनिक कम्पनी स्थापना का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद क्या व्यवसाय प्रारम्भ कर सकती है ?
उत्तर :
नहीं । सार्वजनिक कम्पनी स्थापना का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद व्यवसाय प्रारम्भ नहीं कर सकती क्योंकि एक ओर प्रमाणपत्र व्यवसाय प्रारम्भ करने का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद ही सार्वजनिक कम्पनी व्यवसाय प्रारम्भ कर सकती है ।

प्रश्न 8.
सेक्रेटरी में तेजस्वी बुद्धि प्रतिभा किसलिए होना जरूरी है ?
उत्तर :
व्यवसाय के प्रश्नों को उचित रूप से समझ सके तथा दैनिक कार्य सरलता से हो इसलिए उसमें कुशाग्र बुद्धि/तेजस्वी प्रतिभा होना जरूरी है।

प्रश्न 9.
सेक्रेटरी के कार्य और कर्तव्य का आधार किस पर होता है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के कार्य और कर्तव्य का आधार कम्पनी का कद और व्यवसाय के प्रकार पर होता है ।

प्रश्न 10.
सेक्रेटरी को दण्ड या सजा अथवा दोनों प्रकार की सजा कब हो सकती है ?
उत्तर :
यदि सेक्रेटरी कम्पनीधारा की व्यवस्थाओं का पालन न करे और सत्ता का दुरुपयोग करे तो उन्हें दण्ड या सजा अथवा दोनों प्रकार की सजा हो सकती है ।

प्रश्न 11.
सेक्रेटरी के अधिकार की स्पष्टता किसमें की जाती है ?
उत्तर :
कम्पनी धारा में सेक्रेटरी के अधिकार की कोई स्पष्टता नहीं होती, लेकिन नियमन पत्र में इसके बारे में व्यवस्था की जाती है ।

प्रश्न 12.
सेक्रेटरी को हिसाबी पद्धति का प्राथमिक ज्ञान किसलिए होना चाहिए ?
उत्तर :
सेक्रेटरी को हिसाबी पद्धति का प्राथमिक ज्ञान इसलिए होना चाहिए कि जिससे हिसाब व्यवस्थित रूप से नियमानुसार तैयार हो । हिसाबों का समय पर ऑडिट हो यह देखने के लिए ऐसा ज्ञान होना आवश्यक है ।

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प्रश्न 13.
सेक्रेटरी के गुण बताइए ।
उत्तर :
प्रभावशाली व्यक्तित्व, चरित्रवान, तेजबुद्धि, स्वस्थ निरोगी, शीघ्र निर्णय शक्ति, आत्मविश्वास, निपुणता, उत्साह और दूरदृष्टि आदि सेक्रेटरी के गुण होते है ।

प्रश्न 14.
सेक्रेटरी की योग्यता बताइए ।
उत्तर :
उच्च शिक्षा, कार्यालय व्यवस्था का ज्ञान, हिसाबी व्यवस्था का ज्ञान, सभा संचालन का ज्ञान, कम्पनी अधिनियम सहित कानूनी ज्ञान एवं राजकीय और आर्थिक प्रवाहों का ज्ञान आदि योग्यताएँ होना जरूरी होता है ।

प्रश्न 15.
सेक्रेटरी किस प्रकार के कार्य करता है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी अनेक प्रकार के कार्य करता है जिसमें पत्रव्यवहार करना, दस्तावेज तैयार करके उसका पंजियन करवाना, सभा का आयोजन करना या संचालकों को मार्गदर्शन देना इत्यादि ।

प्रश्न 16.
K.M.P. के.एम.पी. किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
KMP अर्थात् चाबीरूप (महत्त्वपूर्ण) संचालकीय व्यक्ति KMP – Key Managerial Personnel कहा जाता है ।

प्रश्न 17.
नया कम्पनी अधिनियम कब आया ?
उत्तर :
नया कम्पनी अधिनियम 2013 आया ।

प्रश्न 18.
सेक्रेटरी के पास प्रमाणिकता की अपेक्षा क्यों रखी जाती है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी कम्पनी की निजी बातों को जानता है तथा कम्पनी का प्रमुख चाबीरूप संचालकीय व्यक्ति होता है, इसलिए इनकी प्रमाणिकता जरूरी है ।

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प्रश्न 19.
सेक्रेटरी के पास शीघ्र निर्णय शक्ति किस तरह उपयोगी है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के पास शीघ्र निर्णय शक्ति समय, साधन और शक्ति का बचाव करता है ।

प्रश्न 20.
सेक्रेटरी की नियुक्ति के लिए संचालक मण्डल में पारित किये गए ठहराव में कौन-सी बातें होती है ?
उत्तर :
ठहराव में निम्न बातों का समावेश होता है :

  1. नियुक्ति की शर्ते
  2. वेतन – प्रतिफल
  3. सदस्यता (Membership) नम्बर होना चाहिए ।

प्रश्न 21.
फॉर्म MGT 14 कहाँ उपयोगी है ?
उत्तर :
फॉर्म MGT 14 कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति के लिए कम्पनी रजिस्ट्रार के पास पंजिकृत करवाना पड़ता है ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी को किस प्रकार कानूनी कर्तव्य निभाने पड़ते है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी को कम्पनी नियम की व्यवस्थाओं सम्बन्धी सावधानी रखनी पड़ती है । आवश्यक दस्तावेजों, पत्रकों का पंजियन करवाना, भारतीय अनुबन्ध नियम, माल विक्रय का नियम, आयकर सम्बन्धी कानून, स्टेम्प ड्युटी एक्ट, प्रोविडन्ट फण्ड सम्बन्धी कानून इत्यादि समस्त कानून/नियम का पालन हो, यह उसको देखना अनिवार्य होता है ।

प्रश्न 2.
सभा संचालन का ज्ञान सेक्रेटरी के पास न हो तो क्या होता ?
उत्तर :
सभा संचालन का ज्ञान सेक्रेटरी के पास न हो तो निम्न कार्य करने होते है । इसलिए उनमें सभा संचालन का ज्ञान न होने से समस्याएँ
आती है । सेक्रेटरी के कार्य करने होते है :

  1. संचालक मण्डल की सभा
  2. शेयरधारकों की सभा
  3. ऋण-पत्र धारियों की सभा इत्यादि सभाएँ बुलानी पड़ती है, तथा सभा के पहले, सभा के दौरान व पश्चात् कानूनी व्यवस्थाओं का पालन करना होता है ।

प्रश्न 3.
कम्पनी सेक्रेटरी के कार्य का आधार किस पर आधारित है ?
उत्तर :
कम्पनी सेक्रेटरी के कार्य का आधार निम्न पर आधारित है :

  1. कम्पनी का कद
  2. धन्धे का प्रकार
  3. नियुक्ति की शर्ते
  4. संचालकों के द्वारा सौंपे गए कार्यों पर आधार रखता है ।
    नियुक्ति के बारे में जब करार किया जाए तब उन्हें कौन से कार्य करने है इनकी स्पष्टता की जाती है ।

प्रश्न 4.
सेक्रेटरी का सुन्दर स्वास्थ्य किसलिए जरूरी है ?
उत्तर :
कम्पनी सेक्रेटरी मुख्य प्रबन्धकीय उच्च अधिकारी होने से उनको विविध स्तर पर अथक परिश्रम करना पड़ता है । अनियमितताओं का सामना करना पड़ता है । ऐसे कठिन कार्य कर सके इसलिए उनका सुन्दर स्वास्थ्य होना जरूरी है । जिससे उन्हें थकान न लगें, शारीरिक रूप से स्वस्थ स्वास्थ्य हो तो मानसिक रूप से वह स्वस्थ रहेगा ।

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प्रश्न 5.
कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करने के लिए क्या करना पड़ता है ?
उत्तर :
कम्पनी रजिस्ट्रार के पास

  1. फॉर्म MGT 14 जिनके साथ संचालक मण्डल का ठहराव और सेक्रेटरी के पास से KMP के रूप में लिया हुआ संमति पत्रक
  2. फॉर्म MR1 के साथ जिस व्यक्ति की नियुक्ति KMP के रूप में की हो उनका संमति और संचालक मण्डल का ठहराव 60 दिन में पंजिकृत करना पड़ता है ।

प्रश्न 6.
सेक्रेटरी के पास में कौन से कानून का ज्ञान अपेक्षित है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के पास निम्न कानूनी ज्ञान आवश्यक है :

  1. भारतीय अनुबन्ध का कानून
  2. सेबी SEBI का कानून
  3. माल विक्रय का कानून
  4. स्टेम्प ड्यूटी एक्ट
  5. प्रोविडन्ट फण्ड का कानून
  6. जामिनगीरी करार के बारे में कानून
  7. वेट कानून
  8. सर्विस टेक्स के बारे में कानून

इस तरह विभिन्न प्रकार के कानूनी ज्ञान आदि सेक्रेटरी के पास हो तो उनकी कामगीरी कार्यक्षम व सरल बनती है और कम्पनी को सम्भावित कानूनी समस्याओं से दूर रखा जा सकता है ।

प्रश्न 7.
सेक्रेटरी के लिए अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व क्यों जरूरी है ?
उत्तर :
कम्पनी के समस्त कामकाज अंग्रेजी भाषा में चलते है । सेक्रेटरी को अलग अलग पक्षकारों के साथ कम्पनी की ओर से पत्रव्यवहार करना होता है । इसलिए अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व होना चाहिए । कम्पनी का विस्तार होने से विदेशी कम्पनी के साथ भी कार्य करना होता है । ऐसी स्थिति में विदेशी भाषा का ज्ञान कम्पनी सेक्रेटरी को करार करने में सहायक होते है ।

प्रश्न 8.
कम्पनी कानून के अनुसार सेक्रेटरी के पास कौन-सी शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के पास Institute of Company Secretary of India इन्स्टीट्युट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ इण्डिया का प्रमाणपत्र होना
चाहिए । अन्य रूप से कहें तो वह कानून की व्यवस्था के अनुसार सेक्रेटरी होना चाहिए । इसके उपरांत कानूनी पदवी (Law) उन्हें दस्तावेज बनाने में और करार करने में मददरुप बनती है ।

प्रश्न 9.
सेक्रेटरी सम्पर्क अधिकारी के रूप में किस तरह कार्य करता है ? ।
उत्तर :
सेक्रेटरी कम्पनी के साथ जुड़े हुये पक्षकारों या सार्वजनिक जनता के साथ सम्बन्ध मधुर हो और कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि हो, कम्पनी के प्रति अभिगम सकारात्मक बने इस हेतु सेक्रेटरी कदम उठाता है । समाज के विविध वर्ग जैसे कि ग्राहक, लेनदार, अंशधारी, कर्मचारी, बैंक, प्रेस व अन्य माध्यमों, सरकार आदि के सेक्रेटरी सम्पर्क स्थापित करके कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि हो ऐसे प्रयत्न करता है ।

प्रश्न 10.
सेक्रेटरी यह संचालकों और कर्मचारियों के मध्य कड़ी स्वरुप होता है । उपरोक्त कथन समझाइए ।
उत्तर :
संचालक मण्डल द्वारा दिये गये आदेशों का पालन सेक्रेटरी द्वारा किया जाता है । सेक्रेटरी इनके द्वारा दिए गए अधिकार के अनुसार कार्य करता है । संचालक मण्डल की सभा में जो निर्णय लिये जाते हैं उनका अमल सेक्रेटरी द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के पास से करवाना होता है । सेक्रेटरी द्वारा कार्यालय व्यवस्था का आयोजन, कर्मचारियों के प्रश्नों का निराकरण व कर्मचारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में योगदान देता है । इस तरह कहा जा सकता है कि सेक्रेटरी यह संचालकों और कर्मचारियों के मध्य कडी स्वरूप होता है ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी के पद का अन्त कब आता है ? कोई चार कारण दीजिए ।
उत्तर :
निम्न स्थिति में सेक्रेटरी के पद का अन्त होता है :

  1. अनुबन्ध की व्यवस्था के अनुसार निश्चित समय का नोटिस देकर स्वैच्छिक रूप से निवृत्त हो तब ।
  2. कम्पनी सेक्रेटरी को नोटिस देकर निवृत्त करे तब ।
  3. सेक्रेटरी अनुबन्ध करने के लिए समर्थ न हो साथ ही स्वयं के कर्तव्यों को पूर्ण करने के लिए स्थायी रूप से असमर्थ हो तब ।
  4. सेक्रेटरी द्वारा कम्पनी के साथ की गई ठगाई, धोखा या विश्वासघात के लिए कम्पनी सेक्रेटरी को निलंबित कर दे तब ।
  5. सेक्रेटरी का अवसान हो जाने पर ।
  6. स्वयं के कार्य प्रति सेक्रेटरी द्वारा गम्भीर लापरवाही बरतने पर कम्पनी निलंबित कर दे तब ।
  7. कम्पनी नियम की व्यवस्थाओं का पालन करने में गम्भीर त्रुटि करे तब ।।
  8. सेक्रेटरी व्यक्तिगत रूप से कम्पनी के आधार पर गुप्त लाभ या कमिशन प्राप्त करे तब कम्पनी द्वारा उन्हें निलंबित करे ।
  9. कम्पनी का कानूनी रूप से विसर्जन हो तब ।

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प्रश्न 2.
K.M.P. में किनका समावेश किया जाता है ?
उत्तर :
KMP अर्थात् Key Managerial Personnel में 5 व्यक्तियों का समावेश होता है ।

  1. मैनेजिंग डायरेक्टर अथवा मुख्य प्रबन्धकीय अधिकारी
  2. कम्पनी सेक्रेटरी
  3. मुख्य वित्तीय अधिकारी

प्रश्न 3.
सेक्रेटरी की सत्ता की मर्यादाएँ कौन-सी है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के अधिकारों (सत्ता) की मर्यादा/सीमाएँ निम्नलिखित है :

  1. कम्पनी की तरफ से अनुबन्ध/करार नहीं कर सकता है ।
  2. वह कम्पनी के लिए उधार नहीं ले सकता ।
  3. नीति विषयक निर्णय नहीं ले सकता है ।
  4. संचालकों द्वारा दिये गये अधिकार के अलावा अनुबन्ध करे तो वे कम्पनी के बन्धनकारक नहीं है ।
  5. स्वयं की इच्छानुसार सभा का आयोजन नहीं कर सकता है ।
  6. कम्पनी के अंश क्रय करने हेतु आमजनता को आमंत्रण नहीं दे सकता है ।

5. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर विस्तार से दीजिए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी के पास कौन-सी सत्ताएँ/अधिकार है ?
अथवा
Feber it is safercare (Rights of Secretary)
उत्तर :
सेक्रेटरी के अधिकार निम्नलिखित होते हैं :

  1. कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष निश्चित किये गये दस्तावेजों का पंजियन करवाने का अधिकार ।
  2. अलग-अलग विभागों की देखरेख रखने का और नियंत्रण रखने का अधिकार ।
  3. अंश वितरण पत्र, अंश हफ्ता, अंशजप्ती, अंशों का परिवर्तन इत्यादि में कम्पनी की तरफ से हस्ताक्षर करने का अधिकार ।
  4. कम्पनी की सामान्य मुद्रा-मुहर (सार्वमुद्रा Common Seal) का उपयोग करने का अधिकार ।
  5. पत्रव्यवहार करने का अधिकार ।
  6. कम्पनी की तरफ से प्रतिनिधि के रूप में अधिकार ।
  7. स्वयं जो कार्य करता है उसके बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार ।
  8. संचालक मण्डल द्वारा जो कार्य सौंपा हो उसको लागू करवाने का अधिकार ।

प्रश्न 2.
सेक्रेटरी की योग्यताओं की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी की योग्यता : सेक्रेटरी की योग्यता निम्नलिखित है :

(1) उच्च शिक्षा : सेक्रेटरी पद के लिए कम से कम स्नातक होना चाहिए । वाणिज्य व कानून की स्नातक डिग्री उसके कार्य को अधिक सफल बना सकती है । विशिष्ट प्रकार के दस्तावेज तैयार करने में तथा अनुबन्धों की रचना करने के लिए कानून (Law) की उपाधि उपयोगी सिद्ध होती है । यदि विदेशी भाषा का ज्ञान हो तो वह भी उपयोगी हो सकता है ।

(2) कार्यालय व्यवस्था सम्बन्धी ज्ञान : सेक्रेटरी को कार्यालय के विभिन्न विभागों की जानकारी तथा इनके कार्यों के सम्बन्ध में पर्याप्त ज्ञान हो तो समग्र इकाई सम्बन्धी सूचना योग्य स्थान पर पहुँचाकर वह संचालकों और इकाई के मध्य योग्य संकलन कर सकता है । कार्यालय में प्राप्त होनेवाली सूचना का योग्य अर्थघटन करता है और उसकी प्रस्तुति करके प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए सेक्रेटरी में कार्यालय व्यवस्था का ज्ञान होना जरूरी है ।

(3) हिसाबी व्यवस्था का ज्ञान : हिसाबी पद्धति का प्राथमिक ज्ञान सेक्रेटरी का होना चाहिए, जिससे हिसाब व्यवस्थित रूप से नियमानुसार तैयार कर सके । हिसाबों का समय पर ऑडिट हो यह देखने के लिए पर्याप्त ज्ञान होना जरूरी होता है ।

(4) सभा संचालन का ज्ञान : सेक्रेटरी को विविध प्रकार की सभा का आयोजन करना पड़ता है । संचालकों, अंशधारकों, लेनदारों आदि की सभा आयोजित करवानी पड़ती है । इस प्रकार की सभा के आयोजन के पूर्व और सभा पूर्ण होने के बाद भी कार्य करना पड़ता है । सभा आयोजित करवाने की नोटिस देना, ऐजेण्डा तैयार करना, मिनिट्स लिखना और प्रोक्सी सम्बन्धी व्यवस्था का अमल हो इसके लिये इसको कम्पनी अधिनियम का ज्ञान होना जरूरी है ।

(5) कम्पनी अधिनियम सहित कानून का ज्ञान : भारतीय अनुबन्ध अधिनियम (Indian Contract Act), माल विक्रय अधिनियम (Sale
of Goods Act), कारखाना अधिनियम (Factory Act), प्रतिभूति अनुबन्ध नियमन नियम (Securities Contract Regulation Act), प्रोविडन्ट फंड सम्बन्धी कानून, कॉपीराइट, स्टैम्पड्यूटी सम्बन्धी नियम आदि इस तरह विभिन्न प्रकार के नियम, अधिनियम सम्बन्धी ज्ञान सेक्रेटरी को हो तो उसका कार्य अधिक कुशलता से हो सकता है । उपरोक्त ज्ञान कम्पनी को संभवित कानूनी कठिनाई से मुक्त रख सकता है ।

(6) राजकीय और आर्थिक प्रवाहों का ज्ञान : वर्तमान प्रवाहों की जानकारी, सार्वजनिक सम्पर्कों की रक्षा करके, संचालक मण्डल को उसकी जानकारी देकर, मार्गदर्शन प्रदान करके कम्पनी के लिए लाभप्रद परिस्थितियों का यह सर्जन कर सकता है ।

(7) वर्तमान समस्याओं का ज्ञान : सेक्रेटरी को वर्तमान प्रवाहों और वर्तमान समस्याओं से अवगत होना आवश्यक होता है । यह समस्याएँ कम्पनी विकास को प्रभावित करती है । जैसे आसाम में खनिज तेल के निर्यात पर प्रतिबन्ध वहाँ के विभिन्न स्थानिक संगठनों ने किया था ।

(8) अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व और अन्य भाषाओं का ज्ञान : कम्पनी के विभिन्न कामकाज अंग्रेजी भाषा में चलते है । सेक्रेटरी को अलग अलग पक्षकारों के साथ कम्पनी की ओर से पत्रव्यवहार करना होता है । इसलिए अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व होना चाहिए । कम्पनी का विस्तार होने से विदेशी कम्पनी के साथ भी कार्य करना होता है । ऐसी स्थिति में विदेशी भाषा का ज्ञान कम्पनी सेक्रेटरी के करारों को करने में मददरुप होता है ।

(9) जनसम्पर्क का ज्ञान : सेक्रेटरी को कम्पनी के अलग अलग पक्षकारों के साथ कार्य करना होता है । जिससे उनके साथ सम्पर्क जरूरी होता है । जिससे उनका विश्वास हासिल किया जा सके । कम्पनी सेक्रेटरी का जनसम्पर्क का ज्ञान दीर्घसमय में कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है ।

(10) कम्प्यूटर तथा अन्य इलेक्ट्रोनिक साधनों का ज्ञान : आधुनिक कम्पनियों में कम्प्यूटर वर्तमान समय की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है क्योंकि कम्प्यूटर द्वारा शेयरधारकों, ऋणपत्रधारियों, संचालक मण्डल और कम्पनी सम्बन्धी अन्य बातें, पक्षकारों के बारे में बड़े पैमाने जानकारी/माहिती संग्रह कर सकते हैं । जिसके कारण समय-साधन व मानव श्रम की बचत होती है । इसलिए कम्पनी में कार्यरत सेक्रेटरी के पास कम्प्यूटर सम्बन्धी ज्ञान जरूरी है । इसके अलावा कार्यालय संचालन में उपयोगी विविध प्रकार के इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का ज्ञान होना जरूरी होता है । जिससे कर्मचारियों के अनुशासन भंग को नियंत्रण में रखा जा सकता है ।

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प्रश्न 3.
सेक्रेटरी की नियुक्ति से सम्बन्धित व्यवस्थाओं की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
नये कम्पनी अधिनियम, 2013 के अनुसार कम्पनी सेक्रेटरी चाबीरुप संचालकीय व्यक्ति Key Managerial Personnel कहलाता है ।
इनकी नियुक्ति करते समय निम्न व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए ।

  1. जिस कम्पनी की भरपाई हुई पूँजी 5 करोड़ रुपया या उससे अधिक हो वहाँ कम्पनी सेक्रेटरी की नियुक्ति अनिवार्य है ।
  2. सेक्रेटरी के रूप में जीवित व्यक्ति की ही नियुक्ति हो सकती है । साझेदारी संस्था या अन्य संस्था को सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता ।
  3. जिस व्यक्ति की नियुक्ति करनी हो वह व्यक्ति Institute of Company Secretary of India का प्रमाणपत्र प्राप्त व्यक्ति होना चाहिए ।
  4. कम्पनी सेक्रेटरी के रूप में दिवालिया, अस्थिर मस्तिष्क अथवा नाबालिक व्यक्ति की नियुक्ति नहीं हो सकती ।
  5. कम्पनी सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त करने के लिए संचालक मण्डल की सभा में ठहराव पारित करना पड़ता है । इस ठहराव में
    (1) नियुक्ति के बारे में शर्ते
    (2) वेतन – प्रतिफल
    (3) सदस्यता नम्बर (Membership) होना चाहिए ।
  6. सेक्रेटरी के पास से KMP (Key Managerial Personnel) के रूप में नियुक्ति के लिए संमति लेनी पड़ती है ।
  7. कम्पनी रजिस्ट्रार के पास
    (i) Form MGT 14 जिसके साथ संचालक मण्डल का ठहराव और सेक्रेटरी के पास से KMP के रूप में संमतिपत्रक पंजिकृत कराना पड़े ।
    (ii) Form MRI के साथ ही जिस व्यक्ति की नियुक्ति KMP के रुप में की हो उनकी सहमति और संचालक मण्डल का ठहराव 60 दिन में पंजिकृत करवाना पड़ता है ।

प्रश्न 4.
सेक्रेटरी के पद का अन्त किस तरह आता है ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के पद का अन्त निम्न रूप से होता है :

  1. सेक्रेटरी की मृत्यु होने पर
  2. स्वैच्छिक निवृत्ति लेने पर
  3. मस्तिष्क अस्थिर होने पर
  4. छलकपट अथवा विश्वासघात करने पर
  5. व्यवस्थाओं का पालन न करे तब सेक्रेटरी के पद का अन्त हो जाता है ।
    वैसे तो सेक्रेटरी के पद का अन्त करार की शर्तों के अनुसार होता है ।

प्रश्न 5.
सेक्रेटरी का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी का महत्त्व (Importance of Secretary) :
कम्पनी स्वरूप में मालिकी और संचालन अलग-अलग होता है । शेयरधारक मालिक कहलाते है, लेकिन वे कम्पनी का प्रत्यक्ष संचालन नहीं करते है । कम्पनी का संचालन शेयरधारकों द्वारा चयनित प्रतिनिधियों द्वारा रचित संचालक मण्डल द्वारा होता है । इस स्थिति में सेक्रेटरी के कार्य व उनका स्थान महत्त्वपूर्ण बन जाता है । मालिकों और संचालकों के मध्य कड़ी रूप बनकर दोनों पक्षों के मध्य शान्ति तथा सौजन्यपूर्ण सम्बन्धों की स्थापना करना, कुशल प्रबन्ध द्वारा कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि करना उसके हाथ में होता है । व प्रतिनिधि की भूमिका अदा करता है । कर्मचारियों में कर्मठता और उत्साहवर्धन करके अनुशासन का पालन कराता है । कर्मचारियों के कार्यों की देखरेख/निगरानी रखता है ।

कम्पनी अधिनियम के अनुसार कानूनी रूप से कम्पनी का संचालन हो इसलिए संचालकों का सहायक बनता है । सभा का संचालन व्यवस्थित रुप से हो उसके लिए व्यवस्थित लेखन लिखकर, योग्य रूप से मिनिट्स बुक में नोंध (सभा का संक्षिप्त विवरण) तैयार करता है । सदस्यों को नोटिस भेजना, ऐजेण्डा (कार्यसूचि) के अनुसार कार्य हो उपरोक्त समस्त कार्य सेक्रेटरी करता है । प्रबन्धकीय समस्याओं को हल करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है । विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों का निर्माण करके, कम्पनी की स्थापना का प्रमाणपत्र, व्यवसाय प्रारम्भ का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के कार्य में भी उपयोगी बनता है । कम्पनी की ओर से विभिन्न पक्षकारों के साथ पत्रव्यवहार करना, अंशवितरण का कार्य करता है । इसी तरह आमजनता का सम्पर्क स्थापित करके कम्पनी की प्रतिष्ठा बढ़ाने का कार्य सेक्रेटरी करता है ।
इस तरह कम्पनी/संस्था में सेक्रेटरी का स्थान महत्त्वपूर्ण होता है ।

प्रश्न 6.
सेक्रेटरी में किस प्रकार के गुण होने चाहिए ?
उत्तर :
सेक्रेटरी के गुण : सेक्रेटरी के गुण निम्नलिखित है :
(1) प्रभावशाली व्यक्तित्व : सेक्रेटरी को अनेक व्यक्तियों व पक्षकारों के साथ कार्य करना पड़ता है । जिसमें सामान्य व्यक्तिओं, कर्मचारियों, अंशधारियों, ऋणपत्र धारियों, सरकारी अधिकारियों आदि के साथ इनको कार्य करना होता है । इसलिए इसका व्यक्तित्व सामनेवाले पक्षकार को प्रभावित कर सके ऐसा आकर्षक और प्रभावशाली होना चाहिए ।

(2) चारित्रवान : सेक्रेटरी के पास कम्पनी के संचालन सम्बन्धी अनेक गुप्त बातों की जानकारी होती है । रहस्यों की गुप्तता बनी रहे व प्रतिस्पर्धी इकाईयाँ उसका अनुचित लाभ न उठाए इसके लिए सेक्रेटरी को प्रामाणिक व चरित्रवान होना चाहिए ।

(3) तेजस्वी बुद्धिमान : व्यवसाय के प्रश्नों को उचित रूप से समझ सके और दैनिक कार्य सरलता से हो सके इसके लिए उसमें कुशाग्र/ तेजस्वी बुद्धि होना आवश्यक है ।

(4) स्वस्थ-निरोगी : सेक्रेटरी का शरीर स्वस्थ व निरोगी होना चाहिए । यदि शरीर निरोगी हो तो सेक्रेटरी अथक परिश्रम कर सकता है । कठिन कार्यों को सरल बना सकता है । शरीर स्वस्थ होगा तो उनको थकान नहीं लगेगी । वह शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ होगा और प्रभावशाली रूप से कार्य कर सकेगा ।

(5) तीव्र निर्णय शक्ति : कुशल प्रबन्ध व संचालन के लिए सुदृढ़ निर्णय लेने आवश्यक है । ऐसे निर्णय शीघ्रता से उचित रूप से लिये जाये तो प्राप्त अवसर का लाभ कमाया जा सकता है । जिससे कम्पनी का समय, साधन और शक्ति की बचत की जा सकती है ।

(6) आत्मविश्वास : सेक्रेटरी द्वारा जो भी निर्णय लिया जाता है उसमें दृढ़ आत्मविश्वास होना जरूरी होता है । वो जो भी कार्य करेगा उसमें उसे सफलता मिलेगी ही, ऐसा आत्मविश्वास एवं आशावाद उनमें होना आवश्यक है ।

(7) निपुणता : कानूनी जटिलताओं को समझने की, कठिन संयोगों को सरल बनाने की तथा समय-संयोगों को परखने की उसमें क्षमता होनी चाहिए ।

(8) उत्साह : यदि सेक्रेटरी उत्साही तथा परिश्रमी हो तो वह एक सफल नेतृत्व प्रदान कर सकता है तथा कर्मचारियों के लिए प्रेरणा व आशीर्वाद बन सकता है ।

(9) दीर्घदृष्टि : भविष्य का अन्दाज लगा सकता है । उसके निर्णयों का भविष्य में क्या प्रभाव होगा यह परखने के लिए उसमें दीर्घदष्टि होनी आवश्यक है, जिससे भविष्य में होनेवाले परिवर्तन सम्बन्धी अन्दाज करके निर्णय लिया जा सके ।

(10) नेतागिरी (Leadership) : सेक्रेटरी कम्पनी में उच्च पद प्राप्त जिम्मेदार अधिकारी है । उनके अधिन बहुत से अधिकारी कार्य करते
हैं । उनके पास से समय पर इच्छित कार्य करवाने की क्षमता उनमें होनी चाहिए । इसके लिए कार्य की सोच, पहल करने की क्षमता, सहकार की भावना, साहसिकता आदि नेतागिरी के गुण होना जरूरी है ।

प्रश्न 7.
सेक्रेटरी के दायित्व अथवा उत्तरदायित्व बताइए ।
उत्तर :
सेक्रेटरी का उत्तरदायित्व : सेक्रेटरी के उत्तरदायित्व निम्नलिखित होते हैं :

  1. यदि सेक्रेटरी कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं का पालन न करे और अधिकार का दुरुपयोग करे तो उसको जुर्माना व सजा अथवा दोनों प्रकार की सजा हो सकती है ।
  2. यदि वह अधिकार क्षेत्र के बाहर (सत्ता बाहर का कार्य Ultra-vires) का कार्य करे, विश्वासघात या धोखा दे उसके लिए भी वह उत्तरदायी है ।
  3. स्वयं को प्राप्त सत्ता/अधिकार का दुरुपयोग करे और गुप्त रूप से कमीशन प्राप्त करे तब भी उत्तरदायी माना जाता है ।
  4. स्वयं के कर्तव्य के प्रति असायधानी बरते तब भी उत्तरदायी है ।
  5. दस्तावेजों में अनधिकृत रूप से परिवर्तन करे तब भी उत्तरदायी कहलाता है ।
  6. सभा पूरी होने के बाद आवश्यक लेखन न रखे, मिनिट्स बुक में न लिख्ने तब वह उत्तरदायी माना जाता है ।
  7. निश्चित समय अवधि में वार्षिक हिसाब कम्पनी की सामान्य सभा में प्रस्तुत न किया जाये तब उसका दायित्व पैदा होता है ।

प्रश्न 8.
सेक्रेटरी के कार्य पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
निम्न कार्य होते है :

  1. कानून की व्यवस्था, उनके अन्तर्गत नियम तथा कम्पनी को लागू पड़नेवाले अन्य कानूनों के बारे में संचालक मण्डल को रिपोर्ट सौंपना ।
  2. सचिव स्तर के नियमों का पालन कम्पनी करे यह देखना ।
  3. निर्धारित कर्तव्यों को पूर्ण करना इत्यादि सेक्रेटरी के कार्य होते है ।

GSEB Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 2 कम्पनी सेक्रेटरी (सचिव)

6. विधान समझाइए ।

प्रश्न 1.
सेक्रेटरी जन्म नहीं लेता, लेकिन निर्मित किया जाता है ।
उत्तर :
कम्पनी/संस्था के संचालन में सेक्रेटरी का स्थान महत्त्वपूर्ण बन रहा है और उनकी आवश्यकता सेक्रेटरी के लिए प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है । योग्य व सफल सेक्रेटरी बनने के लिए विविध गुणों के अलावा अमुक योग्यता होनी आवश्यक है । जो अध्ययन, अनुभव और प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । इस तरह कहा जा सकता है कि सेक्रेटरी जन्म नहीं लेता बल्कि निर्मित किया जाता है ।

प्रश्न 2.
संचालक ये कम्पनी का मस्तिष्क हैं तो सेक्रेटरी यह कम्पनी के हाथ, कान और आँख समान है ।
उत्तर :
कम्पनी के लिये प्रबन्धकीय/प्रशासकीय नीति निर्माण का कार्य संचालकों द्वारा किया जाता है । उपरोक्त नीति को अमल में लाने का कार्य सेक्रेटरी करता है । इस प्रकार संचालक यह कम्पनी रूपी शरीर के मस्तिष्क समान है, जबकि सेक्रेटरी यह हाथ व पैर समान है । मनुष्य के शरीर का कार्य करने का निर्णय मस्तिष्क द्वारा लिया जाता है । जबकि इन निर्णयों का अमल हाथ व पैर द्वारा होता है । इसी तरह सेक्रेटरी भी ऐसा अधिकारी है जो संचालकों द्वारा निर्मित नीति का, लिये गये निर्णयों को अमल में लाने का कार्य करता है । इसलिए कहा गया है कि संचालक यह कम्पनी का मस्तिष्क है तो सेक्रेटरी यह कम्पनी के हाथ, कान और आँख समान है ।

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