Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 4 वाणिज्यिक पत्र का स्वरूप Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence Chapter 4 वाणिज्यिक पत्र का स्वरूप
GSEB Class 11 Commercial Correspondence वाणिज्यिक पत्र का स्वरूप Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प पसंद करके दीजिए ।
प्रश्न 1.
वाणिज्यिक पत्र में पत्र प्राप्तकर्ता का पता अर्थात् ……………………………. ?
(A) शीर्षक
(B) संदर्भ
(C) संबोधन
(D) आन्तरिक पता
उत्तर :
(D) आन्तरिक पता
प्रश्न 2.
शुभेच्छादर्शक समापन द्वारा वाणिज्यिक पत्र को क्या मिलता है ?
(A) योग्यशैली मिलती है ।
(B) व्यक्तियों के सम्बन्ध की निकटता का ख्याल मिलता है ।
(C) अग्रिमता मिलती है ।
(D) आधारभूतता मिलती है ।
उत्तर :
(B) व्यक्तियों के सम्बन्ध की निकटता का ख्याल मिलता है ।
प्रश्न 3.
अमेरिकन पद्धति में पत्र की तारीख लिखने से पूर्व पहले किसका उल्लेख किया जाता है ?
(A) वर्ष का
(B) दिन का
(C) महिने का
(D) आगे के वर्ष का
उत्तर :
(C) महिने का
प्रश्न 4.
पत्र के कौन-सी तरफ पीढ़ी का नाम बड़े अक्षरों में लिखा जाता है ?
(A) दाहिनी तरफ
(B) बायीं तरफ
(C) उपर की ओर
(D) मध्य में
उत्तर :
(D) मध्य में
प्रश्न 5.
ब्रिटिश पद्धति में पहले किसका उल्लेख किया जाता है ?
(A) वार का
(B) वर्ष का
(C) महिने का
(D) तारीख का
उत्तर :
(D) तारीख का
प्रश्न 6.
पत्र के अन्दर आंतरिक पते के बाद पत्र के बायीं तरफ क्या लिखा जाता है ?
(A) शीर्षक
(B) मुख्य भाग
(C) तारीख
(D) सम्बोधन
उत्तर :
(D) सम्बोधन
प्रश्न 7.
पत्र के विषय में अथवा उनके उद्देश्य का उल्लेख करने के लिए लिखी जानेवाली पंक्ति को या सूचना को क्या कहा जाता है ?
(A) ध्यानाकर्षक रेखा
(B) विषयसूचक रेखा
(C) पहचान रेखा
(D) पुनश्च
उत्तर :
(B) विषयसूचक रेखा
प्रश्न 8.
विषयसूचक रेखा को आन्तरिक पता और शुभेच्छादर्शक सम्बोधन किस तरफ लिखा जाता है ?
(A) मध्य में
(B) बायीं तरफ
(C) दायीं तरफ
(D) नीचे
उत्तर :
(A) मध्य में
प्रश्न 9.
वाणिज्यिक पत्र के नीचे के भाग का समावेश स्थायी भाग में नहीं होता ।
(A) दिनांक
(B) मुख्य हिस्सा
(C) पहचान रेखा
(D) शीर्षक
उत्तर :
(C) पहचान रेखा
प्रश्न 10.
आन्तरिक पता पत्र के हाँसिया को स्पर्श करते हुए कहाँ लिखवाना चाहिए ?
(A) बायीं तरफ
(B) दाहिनी तरफ
(C) नीचे
(D) उपर
उत्तर :
(A) बायीं तरफ
प्रश्न 11.
पत्र का मुख्य भाग लिखने के बाद शुभेच्छादर्शक समापन पत्र के किस तरफ लिखा जाता है ? ।
(A) नीचे की
(B) उपर की
(C) बायीं ओर
(D) दाहिनी तरफ
उत्तर :
(D) दाहिनी तरफ
प्रश्न 12.
जिस प्रकार मनुष्य की पहचान उसके चेहरे द्वारा होती है उसी प्रकार पत्र लिखनेवाली कम्पनी की पहचान किसके द्वारा होती है ?
(A) मुख्य हिस्सा
(B) शीर्षक
(C) हस्ताक्षर
(D) दिनांक
उत्तर :
(B) शीर्षक
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
आन्तरिक पता लिखने के लिए कौन-सी पद्धति का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर :
आन्तरिक पता लिखने के लिए
- Block Form
- Indented Form दोनों में से किसी एक का उपयोग किया जाता है ।
प्रश्न 2.
अमेरिकन पद्धति से पत्र में तारीख किस तरह लिखी जाती है ?
उत्तर :
अमेरिकन पद्धति से पत्र में तारीख लिखते समय सर्वप्रथम मास का उल्लेख किया जाता है, उसके बाद दिनांक और वर्ष का उल्लेख किया जाता है । जैसे कि अक्टूबर 12, 2015
प्रश्न 3.
ब्रिटिश पद्धति में पत्र के तारीख किस तरह लिखी जाती है ?
उत्तर :
ब्रिटिश पद्धति से पत्र में तारीख लिखते समय सम्बन्धित दिन की तारीख का उल्लेख किया जाता है, उसके बाद महिना व वर्ष का उल्लेख किया जाता है । जैसे कि – 12 अक्टूबर, 2015
प्रश्न 4.
ध्यानाकर्षक रेखा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पत्र प्राप्तकर्ता पक्ष जिस व्यक्ति का ध्यान पत्र की ओर आकर्षित करना चाहे उसके लिए वह पंक्ति या वाक्य लिखा जाय उसे ध्यानाकर्षक रेखा कहते हैं ।
प्रश्न 5.
पुनश्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पत्र लिखने के बाद यदि अधिक सूचना को समावेश करना हो तो पत्र लेखक पुनश्च का उपयोग करके अधिक की सूचना दी जाती है जिसे पुनश्च कहते हैं ।
प्रश्न 6.
संलग्न से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
मुख्य पत्र के साथ भेजी जानेवाली अन्य जानकारियों को संलग्न के रूप में जाना जाता है ।
प्रश्न 7.
निम्न संक्षिप्त रूपों के विस्तृत रूप दीजिए ।
(i) S. P.
उत्तर :
Speed Post
(ii) UPC
उत्तर :
Under Postal Certificate
(iii) RLAD
उत्तर :
Registered Letter with Acknowledgement Due
(iv) AD
उत्तर :
Acknowledgement Due
(v) P.P. अथवा Per Pro.
उत्तर :
Per Procurationem
(vi) Fax
उत्तर :
Facsimile Transmmission
(vii) Encl.
उत्तर :
Enclosure
प्रश्न 8.
वाणिज्यिक पत्र में तारीख कौन-सी पद्धति से लिखी जाती है ?
उत्तर :
वाणिज्यिक पत्र में तारीख दो पद्धतियों से लिखी जाती है ।
- अमेरिकन पद्धति
- ब्रिटिश पद्धति
प्रश्न 9.
वाणिज्यिक पत्र के शीर्षक में कौन-सी माहिती का समावेश होता है ?
उत्तर :
वाणिज्यिक पत्र के शीर्षक में पीढ़ी या संस्था का नाम, संस्था का व्यवसाय, संस्था का पता, टेलीफोन नं., फेक्स नं., टेलेक्ष नं., इ-मेडल आदि लिखा जाता है ।
प्रश्न 10.
कौन-सी कम्पनी में आन्तरिक पते का प्रारम्भ व्यक्ति के नाम से नहीं बल्कि पद के नाम से की जाती है ?
उत्तर :
लिमिटेड कम्पनी, निजी कं., पीढ़ियाँ, बैंक, सार्वजनिक साहस के अधिकारियों को सम्बोधन करना हो तब उसके आन्तरिक पते का प्रारम्भ व्यक्ति के नाम से नहीं बल्कि पद के नाम से किया जाता है ।
प्रश्न 11.
वाणिज्यिक पत्र में विषयसूचक रेखा किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
पत्र का विषय अथवा उसके उद्देश्य का उल्लेख करने के लिए लिखी गई पंक्ति को विषयसूचक रेखा कहा जाता है ।
प्रश्न 12.
पत्र को मुख्य कितने हिस्सों में बाँटा है और कौन-कौन-से ? उत्तर : पत्र को मुख्य तीन हिस्सों में बाँटा गया है :
- प्रारम्भिक विभाग
- मध्य विभाग
- अन्तिम विभाग
3. निम्नलिखित पत्रों का उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :
प्रश्न 1.
‘शुभेच्छादर्शक समापन द्वारा ही सम्बन्धों की पुष्टि होती है ।’ समझाइए ।
उत्तर :
किसी भी पत्र का मुख्य हिस्सा लिखने के बाद पत्र के दाहिनी तरफ शुभेच्छादर्शक समापन लिखा जाता है । दैनिक जीवन में जब हम किसी व्यक्ति से अलग होते है तब ‘आइगा’ ऐसा कहकर सम्बन्धों की मधुरता प्रदर्शित करते हैं । उसी प्रकार वाणिज्यिक पत्र को भी पूर्ण करने के लिए हम शुभेच्छादर्शक समापन द्वारा सम्बन्धों को मधुर बनाते हैं । सम्बोधन द्वारा पत्र-लेखक और पत्र प्राप्तकर्ता व्यक्तियों के बीच के सम्बन्ध की निकटता का परिचय मिलता है और समापन द्वारा ही इन सम्बन्धों की पुष्टि होती है ।
प्रश्न 2.
वाणिज्यिक पत्रों में पुनश्च पत्र लेखक की बेदरकारी का सूचन करता है ।
उत्तर :
उपरोक्त कथन सत्य है । सामान्य रूप से पत्र लिखने के बाद यदि अधिक सूचना को समाविष्ट करना हो तब पत्र-लेखक पुनश्च पत्र का उपयोग करके अधिक सूचना प्रदान करते है । पुनश्च पत्र लेखक की बेदरकारी का सूचन करता है । पत्र लिखते समय सम्पूर्ण ध्यान न दिया जाय और किसी प्रकार की जानकारी देनी रह गई हो तब बाद में पुनश्च पत्र के माध्यम से संकलित करते है जो लेखक की बेदरकारी का सूचन करता है ।
4. निम्न मुद्दों पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए ।
(1) पहचान – रेखा (Identification Line)
(2) डाक प्रेषण सम्बन्धी सूचना (3) पुनश्च
1. पहचान रेखा : बृहद इकाईयों में अथवा व्यापारिक समूह में प्रतिदिन अनेक पत्र लिख्खे जाते है । भविष्य में जब पत्र सम्बन्धी किसी
भी सूचना की आवश्यकता पड़े तब पत्र-लेखक या पत्रलेख करानेवाली की जानकारी पहचान रेखा द्वारा प्राप्त होती है । पहचानरेखा पत्र समाप्त हो उसके बाद दाहिनी ओर अंग्रेजी में संक्षिप्त अक्षरों में लिखा जाता है । जिसे Source Reference भी कहा जाता है । जैसे कि –
DSC / PC जिसका अर्थ होता है कि
पत्र D. S. Chavda नामक अधिकारी ने लिखवाया है और Pradip Chavda नामक व्यक्ति ने पत्र को टाइप किया है ।
2. डाक प्रेषण सम्बन्धी सूचना : पत्र में समाविष्ट सूचना की उपयोगिता अधिकारी जानता है । पत्र प्रेषण का कार्य प्रेषक-कर्मचारी करता है । यदि यह कर्मचारी पत्र सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी पढ़े वह भी योग्य नहीं है और समय का व्यय भी अधिक होता है । डाक प्रेषण की सूचना अधिकारी द्वारा पत्र के महत्त्व के अनुसार ‘सामान्य डाक’, ‘अन्डर सर्टिफिकेट ऑफ पोस्टिंग’, ‘रजिस्टर्ड ए. डी.’. ‘करियर’. ‘स्पीड पोस्ट’ आदि शब्दों द्वारा प्रेषक-कर्मचारी को दिया जाता है । इसकी टिप्पणी पत्र के सबसे उपर अथवा सबसे नीचे की जाती . है । जैसे कि-
रजिस्टर्ड डाक द्वारा – By Regi. Post
कुरियर द्वारा – By Courier
स्पीड पोस्ट द्वारा – By Speed Post
3. पुनश्च : पत्र लिखने के बाद यदि सूचना को समाविष्ट करना हो तो पत्र लेखक पुनश्च का उपयोग करके अधिक की सूचना दी जाती है । सामान्य रूप से पुनश्च टाइप नहीं किया जाता, लेकिन हाथ से लिखा जाता है । पत्र लिखते समय सम्पूर्ण ध्यान न दिया जाय और किसी प्रकार की जानकारी देनी रह गई हो तो बाद में पुनश्च द्वारा उसको संकलित करते हैं । ऐसी स्थिति में फिर से पत्र लिखना अधिक इच्छनीय है । जैसे कि
पुनश्च : (1) 31वी मार्च तक 30% रियायत/छूट मिलेगी ।
P.S. :- Avail 30% Discount on your order before 31st March.
पुनश्च लिखने के बाद पत्र लिखनेवाले के हस्ताक्षर होने आवश्यक है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए ।
प्रश्न 1.
वाणिज्यिक पत्र के स्थायी हिस्से का नाम बताइए ।
उत्तर :
वाणिज्यिक पत्र के स्थायी हिस्से का नाम निम्न है :
- शीर्षक – Heading/Letter head
- पत्र की तारीख – Date
- आन्तरिक पता – Inside Address
- सम्बोधन – Solutation
- पत्र का मुख्य भाग – Body of the Letter
(a) प्रारम्भिक भाग – Introductory Paragraph
(b) मध्य भाग – Middle Paragraph
(c) अन्तिम भाग – Concluding Paragraph - शुभेच्छादर्शक समापन – Complimentary Close
- सही/हस्ताक्षर – Signature
प्रश्न 2.
वाणिज्यिक पत्र की तारीख लिखने की पद्धतियाँ उदाहरण सहित दर्शाइए ।
उत्तर :
पत्र की तारीख/दिनांक Date : पत्र का शीर्षक लिखने के बाद दाहिनी ओर पत्र की तारीख लिखी जाती है । तारीख का उल्लेख स्पष्ट रूप से करना चाहिए क्योंकि तारीख एक आधारभूत सबूत गिना जाता है । सामान्यत: दिनांक, मास व वर्ष का उल्लेख सहित तारीख की पद्धति का उपयोग किया जाता है । तारीख निम्नशैली में लिखते है । जैसे कि : 22/12/15 और 22.12.15 परन्तु उपर्युक्त दोनों पद्धति का उपयोग अधिक होने के अलावा वाणिज्यिक पत्रव्यवहार के लिए योग्य नहीं है । वाणिज्यिक पत्रव्यवहार में निम्न दो पद्धतियाँ अधिक प्रचलित है ।
(A) अमेरिकन पद्धति : इस पद्धति में सर्वप्रथम महिना लिखा जाता है उसके बाद दिनांक और वर्ष का उल्लेख किया जाता है । जैसे कि : December 22, 2015 और दिसम्बर 22, 2015
(B) ब्रिटिश पद्धति : इस पद्धति में पहले सम्बन्धित दिन की तारीख का उल्लेख किया जाता है, उसके बाद महिना व वर्ष का उल्लेख किया जाता है । जैसे कि : 22nd December, 2015 और 22 दिसम्बर, 2015. उपरोक्त दोनों ही पद्धति में महिने का संक्षिप्त नाम नहीं लिखा जाता है । जनवरी, फर वरी, मार्च ऐसा स्पष्ट उल्लेख किया जाता है । ‘जन.’, ‘फर.’, ‘मा.’ ऐसा नहीं लिखना चाहिए । तथा वर्ष की जानकारी का उल्लेख भी पूर्ण अंकों में ही होना चाहिए, जैसे कि 2015 लिखना चाहिए न कि 15.
प्रश्न 3.
वाणिज्यिक पत्र में ध्यानाकर्षक रेखा का अर्थ और उनका स्थान उदाहरण सहित बताइए ।
उत्तर :
ध्यानाकर्षक रेखा : पत्र प्राप्तकर्ता पक्ष जिस व्यक्ति का ध्यान पत्र की ओर आकर्षित करना चाहे उसके लिए जो पंक्ति अथवा वाक्य लिखा जाय उसे ध्यानाकर्षक रेखा कहते हैं । सामान्य रूप से उसे आन्तरिक पते के नीचे लिखा जाता है । जिसे निम्न रूप से प्रस्तुत किया जाता है ।
प्रश्न 4.
वाणिज्यिक पत्र में दूसरों की ओर से हस्ताक्षर के उद्देश्य बताइए ।
उत्तर :
दूसरों की ओर से हस्ताक्षर करने का अधिकार Per Pro Signature/Per Procurationem : अर्थात् Per Procurationem Signature यानि कि मुखत्यारनामा (Power of attorney) द्वारा हस्ताक्षर करने का अधिकार । संस्था या पेढ़ी में उच्च पद अथवा स्थान प्राप्त व्यक्ति जब किसी निश्चित समय के लिए या संस्था में अनुपस्थित रहनेवाले हो तब ऐसे व्यक्ति पत्र में उनके बदले हस्ताक्षर करने का अधिकार अन्य व्यक्ति को, कानूनी प्रक्रिया करके देते है, जिससे संस्था अथवा पेढ़ी में दैनिक व्यवहार में रूकावट न पड़े । कई बार अलग-अलग विभाग के उच्च पदाधिकारी अपने अधिकारियों को पत्रव्यवहार के लिए उनकी ओर से हस्ताक्षर करने का अधिकार प्रदान करते है, इस प्रकार के हस्ताक्षर जिस व्यक्ति को कानूनी अधिकार मिला हो वो ही कर सकता है । इस प्रकार के हस्ताक्षर के उदाहरण निम्न है :
Yours Faithfully – आपका विश्वासु,
P. P. The M. R. Chemicals Ltd. – दी एम. आर. केमिकल लिमिटेड अ.प्रा.
K. C. Vaishnav – के. सी. वैष्णव
(Kiran C. Vaishnav) – किरण सी. वैष्णव
Manager (Sales) – प्रबन्धक (विक्रय)
उद्देश्य :
- सत्ता का विकेन्द्रीकरण किया जाता है ।
- जिसको ऐसा अधिकार मिलता है वह प्रोत्साहित होता है ।
- उच्च पदाधिकारी की अनुपस्थिति में भी कार्य विधिवत् रूप से संचालित रहता है ।
- समय की बचत होती है ।
प्रश्न 5.
वाणिज्यिक पत्र के स्थायी हिस्से और प्रसंगानुसार हिस्से की सूचि तैयार कीजिए । इस हिस्से (अंश) को आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
वाणिज्यिक पत्र के स्वरूप को ध्यान में रखकर पत्र को दो भागों में बाँटा गया है :
(A) पत्र का स्थायी हिस्सा (Regular Part of a Letter)
(B) पत्र का प्रसंगानुसार हिस्सा (Occassional Part of a Letter)
(A) वाणिज्यिक पत्र का स्थायी हिस्सा (Regular Part of a Letter) :
- शीर्षक (Heading)
- दिनांक (Date)
- आन्तरिक पता (Inside Address)
- शुभेच्छादर्शक सम्बोधन (Salutation)
- मुख्य हिस्सा (Body of the letter)
- शुभेच्छादर्शक समापन (Complimentary close)
- हस्ताक्षर (Signature)
(B) वाणिज्यिक पत्र का प्रसंगानुसार हिस्सा (Occassional Part of a Letter) :
- निजी अथवा अन्य संज्ञा (Personal & Other notations)
- ध्यानाकर्षक रेखा (Attention line)
- विषयसूचक रेखा (Subject line)
- संलग्न (Enclosure)
- कार्बन नकल का उल्लेख (Carbon Copy Notation)
- पहचान रेखा (Identification line)
- डाक प्रेषण सम्बन्धी सूचना (Mailing Instructions)
- पुनश्च (Postscript)
उपरोक्त दोनों ही भाग के नमूने निम्नलिखित है :
वाणिज्यिक पत्र में स्थायी रूप से समाविष्ट हिस्सा (Regular parts of Business letter)
वाणिज्यिक पत्र के प्रसंगानुसार अंग (Occasional Part of Business Letter)
वाणिज्यिक पत्र में समाविष्ट अंग व विभाग
वाणिज्यिक पत्र में समाविष्ट अंग व विभाग का विवरण निम्नानुसार है :
(1) निजी व निजी नोट्स (The Personal & Other Notes)
(2) ध्यानाकर्षक रेखा (The Attention Line)
(3) विषयसूचक रेखा (The Subject Line)
(4) संलग्न (The Enclosure)
(5) कार्बन कोपी की नोट्स (The Carbon Copy Notation)
(6) पहचान रेखा (The Identification Line)
(7) डाकप्रेषण सम्बन्धी सूचना (Mailing Instruction)
(8) पुनश्च (The Postscript)
(1) निजी व अन्य नोट्स : पत्रलेखक निजी या अन्य नोट्स का उपयोग करके पत्र के महत्त्व को दर्शाया जाता है जिससे पत्र-प्राप्तकर्ता पर विशेष ध्यान दे और यथायोग्य उसका प्रत्युत्तर दे । इस नोट्स में विशेषकर ‘निजी’, ‘गोपनीय’, ‘Personal’, ‘Private’ या ‘Confidential’ जैसे सूचक शब्दों का उपयोग किया जाता है । इस तरह के शब्दों को सामान्य रूप से आन्तरिक पता और सम्बोधन के बीच लिखा जाता है । पत्र सम्बन्धी तुरन्त कार्यवाही हो इस लिए Urgent, Most Urgent, Important, T.P. Priority तत्काल, अति-आवश्यक, महत्त्व का, विशेष महत्त्व का आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है । इस तरह के शब्दों को अलग रंग की स्याही से लिखा जाता है अथवा उसी प्रकार की स्याही से लिखा जाय तो इन शब्दों के नीचे ध्यानाकर्षक रेखा खींची जाती है । कई बार इन शब्दों का लेखन बड़े आकार के अक्षरों में किया जाता है । जिससे वाचक का ध्यान महत्त्व की बातों पर केन्द्रित किया जा सके ।
(2) ध्यानाकर्षक रेखा : पत्र प्राप्तकर्ता पक्ष जिस व्यक्ति का ध्यान पत्र की ओर आकर्षित करना चाहे उसके लिए वह पंक्ति या वाक्य लिखा जाय उसे ध्यानाकर्षक रेखा कहते हैं ।
(3) विषयसूचक रेखा : पत्र के विषय अथवा उसके उद्देश्य के लिए की गई रेखा को या सूचना को विषयसूचक रेखा कहते हैं । इस रेखा को आन्तरिक पते व शुभेच्छादर्शक सम्बोधन के बीच लिखा जाता है । उपरोक्त रेखा को कई बार शुभेच्छादर्शक सम्बोधन और पत्र के संदेश विभाग के बीच भी लिखा जाता है । इस रेखा से पत्र का हार्द स्पष्ट होता है इसी के अनुसार पत्र को योग्य विभाग में फाइलिंग के लिए भेजा जाता है । पत्र के विषय वस्तु को ध्यान में रखकर कभी-कभी विषयसूचक रेखा के स्थान पर सन्दर्भ रेखा अथवा रिमान्डर शब्द का उपयोग करके सूचना दी जाती है । जैसे कि विषय : मांग की गुणवत्ता के विषय में शिकायत…..
(4) संलग्न : मुख्य पत्र के साथ भेजी जानेवाली अन्य जानकारियों को संलग्न को संलग्न के रूप में जाना जाता है । पत्र के साथ सूचिपत्र
(Catalogue), मूल्य-सूचि (Price List), चेक, ड्राफ्ट, वीजक (Invoice), केशमेमो आदि भेजना हो तब उसका उल्लेख संलग्न शीर्षक के अन्तर्गत किया जाता है । इससे पत्र प्राप्तकर्ता को पत्र के साथ भेजे गये कुछ प्रलेखों (Documents) का ध्यान आ जाता है । तथा पत्र भेजनेवाला एवं पत्र प्राप्तकर्ता द्वारा संलग्न में उल्लेखित प्रलेखों का समाविष्ट है या नहीं उसकी जाँच की जा सकती है । . संलग्न की सूचिपत्र लेखक के हस्ताक्षर के बाद पत्र के बाँयी ओर हाँसिये को स्पर्श करते हुए निम्न रूप से लिखा जाता है ।
संलग्न – Encls :
(1) चेक नं. 22845 – (1) Cheque No. 22845
(2) बीजक नं. 121 – (2) Invoice No. 121
(3) रसीद नं. 206 – (3) Receipt No. 206
(5) कार्बन कॉपी की नोट्स : पत्र में लिखी गई जानकारी की कुछ नकलें अन्य संलग्न संस्थाओं या व्यक्तियों को भी भेजने की प्रथा है इसलिए सम्बन्धित समग्र व्यक्ति या संस्था सूचना से वाकिफ/जानकार हो सकते हैं । जिन्हें पत्र की प्रति/नकलें भेजनी हो उनका उल्लेख्न मुख्य पत्र में ‘नकल-प्रेषित प्रति’ के शीर्षक के आधीन किया जाता है, जिसका उल्लेख्न पत्र में बायीं तरफ और गनग्न के बाद किया जाता है । जैसे कि – नकल-प्रेषित / रवाना प्रति,
- जिला शिक्षणाधिकारी, अहमदाबाद ।
- कमिश्नर ऑफ स्कूल्स, गाँधीनगर ।
- शिक्षण मंत्री, गांधीनगर ।
- मुख्यमंत्रीश्री, गुजरात ।
(6) पहचान रेखा : बृहद इकाईयों में अथवा व्यापारिक समूह में प्रतिदिन अनेक पत्र लिख्खे जाते है । भविष्य में जब पत्र सम्बन्धी किसी
भी सूचना की आवश्यकता पड़े तब पत्र-लेखक या पत्रलेख करानेवाली की जानकारी पहचान रेखा द्वारा प्राप्त होती है । पहचानरेखा पत्र समाप्त हो उसके बाद दाहिनी ओर अंग्रेजी में संक्षिप्त अक्षरों में लिखा जाता है । जिसे Source Reference भी कहा जाता है । जैसे कि –
DSC / PC जिसका अर्थ होता है कि
पत्र D. S. Chavda नामक अधिकारी ने लिखवाया है और Pradip Chavda नामक व्यक्ति ने पत्र को टाइप किया है ।
(7) डाक प्रेषण सम्बन्धी सूचना : पत्र में समाविष्ट सूचना की उपयोगिता अधिकारी जानता है । पत्र प्रेषण का कार्य प्रेषक-कर्मचारी करता है । यदि यह कर्मचारी पत्र सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी पढ़े वह भी योग्य नहीं है और समय का व्यय भी अधिक होता है । डाक प्रेषण की सूचना अधिकारी द्वारा पत्र के महत्त्व के अनुसार ‘सामान्य डाक’, ‘अन्डर सर्टिफिकेट ऑफ पोस्टिंग’, ‘रजिस्टर्ड ए. डी.’. ‘करियर’. ‘स्पीड पोस्ट’ आदि शब्दों द्वारा प्रेषक-कर्मचारी को दिया जाता है । इसकी टिप्पणी पत्र के सबसे उपर अथवा सबसे नीचे की जाती . है । जैसे कि-
रजिस्टर्ड डाक द्वारा – By Regi. Post
कुरियर द्वारा – By Courier
स्पीड पोस्ट द्वारा – By Speed Post
(8) पुनश्च (The Postscript) : पत्र लिखने के बाद यदि सूचना को समाविष्ट करना हो तो पत्र लेखक पुनश्च का उपयोग करके अधिक की सूचना दी जाती है । सामान्य रूप से पुनश्च टाइप नहीं किया जाता, लेकिन हाथ से लिखा जाता है । पत्र लिखते समय सम्पूर्ण ध्यान न दिया जाय और किसी प्रकार की जानकारी देनी रह गई हो तो बाद में पुनश्च द्वारा उसको संकलित करते हैं । ऐसी स्थिति में फिर से पत्र लिखना अधिक इच्छनीय है । जैसे कि
पुनश्च : (1) 31वी मार्च तक 30% रियायत/छूट मिलेगी ।
P.S. :- Avail 30% Discount on your order before 31st March.
पुनश्च लिखने के बाद पत्र लिखनेवाले के हस्ताक्षर होने आवश्यक है ।
6. वाणिज्यिक पत्र के स्थायी अंगों को बताकर किसी भी तीन अंश में विस्तृत चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
वाणिज्यिक पत्र के स्थायी अंग निम्नलिखित है :
(1) शीर्षक
(2) दिनांक
(3) आन्तरिक पता
(4) शुभेच्छादर्शक सम्बोधन
(5) मुख्य हिस्सा
(6) शुभेच्छादर्शक समापन
(7) हस्ताक्षर
(1) शीर्षक (The Heading/The Letter Head) : जिस तरह मनुष्य की पहचान उनके चेहरे द्वारा होती है, उसी प्रकार पत्र लिखनेवाली
कम्पनी की पहचान उसके शीर्षक द्वारा होती है । पत्र लिखनेवाली पीढ़ी की सूचना निम्न शीर्षक द्वारा मिलती है ।
- पीढ़ी या संस्था का नाम
- पीढ़ी या संस्थान के व्यवसाय का उल्लेख
- पीढ़ी या संस्थान का पता
- पीढ़ी या संस्थान के व्यवसाय का उल्लेख करनेवाली संज्ञा या चिन्ह
- टेलीफोन, फेक्स, टेलेक्ष नम्बर, इ-मेइल आदि ।
- संदर्भ ।
सामान्यत: व्यापारिक पत्रों के शीर्षक में उपर्युक्त विवरणों को उसके निश्चित स्थान पर लिखा जाता है । पत्र के ऊपर की ओर मध्य में पीढ़ी का नाम बड़े व गाढ़ अक्षरों में लिखा जाता है । यदि पीढ़ी के नाम में व्यवसाय का उल्लेख न हो तो उसके पश्चात् की रेखा में कोष्ठक के अन्दर पीढ़ी के व्यवसाय का उल्लेख किया जाता है । कुछ पीढ़ियाँ अपने नाम व पते के पहले व्यावसायिक सूचना से सम्बन्धित संज्ञा या चिन्ह बताना पसन्द करती हैं । इसके बाद पीढ़ी का सम्पूर्ण पता पिनकोड नम्बर के साथ लिखा जाता है । जिस शहर में पीढ़ी स्थित हो उस शहर का नाम थोड़े बड़े अक्षरों में लिखा जाता है । पत्र का शीर्षक पत्र के मध्य में लिखने से उसके दोनों ओर रिक्त स्थान में टेलीफोन, फेक्स, टेलेक्स नम्बर व इ-मेइल पता लिखकर पत्र को योग्य समतुलित बनाया जाता है । कभी-कभी ग्राम शब्द का भी उल्लेख किया जाता है जो पत्र लिखनेवाली संस्था का टेलिग्राफिक पते का उल्लेख करता है ।
पत्र का शीर्षक इस प्रकार भी लिखा जा सकता है ।
नोट : पत्र के शीर्षक के अन्दर तारीख का समावेश नहीं किया जाता । तारीख एक अलग हिस्सा है ।
(2) दिनांक/तारीख्न : इस बिन्दु का विस्तृत वर्णन देखिए स्वाध्याय का प्रश्न 3 विस्तारपूर्वक का प्रश्न नं. 2 में ।
(3) आन्तरिक पता (Inside Address) : पत्र के अन्दर लिखा जानेवाला पत्र प्राप्तकर्ता का नाम और पता अर्थात् आन्तरिक पता । जिस संस्था को पत्र लिखना हो उसका नाम और उसके बाद उसका पता दूसरी दो-तीन पंक्तियों में लिखा जाता है । आन्तरिक पता पत्र की बायीं ओर हाँसिये से स्पर्श करते हुए लिखना चाहिए । जिस पंक्ति में तारीख्न लिखी गई हो उसके बाद की पंक्ति को छोड़कर आन्तरिक पता लिखना चाहिए ।
आन्तरिक पता लिखने के लिए (A) Block Form और (B) Indented Form दोनों में से किसी एक का उपयोग करना चाहिए । यह पता किसी एक स्वरूप में लिखा जा सकता है । कई बार आन्तरिक पता विरामचिन्हों सहित (Closed Punctuations) या विरामचिन्ह रहित (Open Punctuations) लिखा जाता है । जैसे कि :
Block Form (With closed punctuations)
अक्षर इलेक्ट्रोनिक्स,
25, फाइननगर सोसायटी, खोडियार नगर
अहमदाबाद-382350
Indented Form (With closed punctuations)
अक्षर इलेक्ट्रोनिक्स,
25, फाइननगर सोसायटी,
खोडियार नगर,
अहमदाबाद-382350
आन्तरिक पते का प्रारम्भ करते समय निम्न बातों का उल्लेख करना जरूरी है :
1. जब पत्र किसी एक व्यक्ति को लिखा जाय तब उसके साथ किस मानवाचक शब्द का उपयोग करना है उसका स्पष्ट ध्यान रखा जाना चाहिए ।
पुरुषों के नाम के आगे अंग्रेजी में ‘Mister’ शब्द का संक्षिप्त रूप Mr. शब्द का उपयोग लिखा जाता है । जब हिन्दी अथवा गुजराती में पत्र लिखा जाता है तब श्री/श्रीमान/श्रीयुत का उपयोग किया जाता है । जैसे कि
Mr. K. C. Vaishnav श्री के. सी. वैष्णव नोट : Mr. शब्द का बहुवचन Messrs
2. विवाहित स्त्रियों के नाम के पहले अंग्रेजी में Mistress का संक्षिप्त स्वरूप Mrs. का उपयोग होता है जबकि अविवाहित स्त्री के लिए
Miss का उपयोग होता है ।
गुजराती/हिन्दी में क्रमश: श्रीमती और कुमारी शब्द का प्रयोग किया जाता है । परन्तु आधुनिक समय में Mrs. या Miss जैसे शब्दों के पहले विवाहित या अविवाहित स्त्रियों के लिए एकसमान सम्बोधन Ms. किया जाता है ।
जैसे कि – श्रीमती मिनाक्षी सक्सेना
कुमारी/कु. मनिषा वैष्णव
Mrs. Minakshi Saxena
Miss Manisha Vaishnav
परन्तु आधुनिक समय में Ms. Minakshi Saxena
Ms. Manisha Vaishnav लिखा जाता है ।
Mrs. का बहुवचन Memes (Mesdames) होता है ।
पुरुष के नाम के साथ पास में Mr. शब्द के सिवाय इग्लैण्ड में Esquire (संक्षिप्त रूप Esq.) का उपयोग भी किया जाता है जैसे कि … H. S. Chauhan, Esq.
कछ व्यक्ति अपने नाम के साथ अपनी प्राप्त पदवी (Degree) का उल्लेख करना पसन्द करते हैं । जैसे H. S. Chauhan M.Com. सामान्य रूप से Esq. और डिग्री का उल्लेख साथ में नहीं करना चाहिए, परन्तु लिखना हो तो पहले नाम के बाद Esq: और बाद में डिग्री का उल्लेख किया जाना चाहिए । जैसे कि – C. H. Vaishnav, Esq: M. Com., B. Ed.
3. कुछ व्यक्ति अपने नाम के पूर्व डाक्टर, प्रोफेसर, पद्मश्री, कर्नल, रेवरन्ड जैसे मानसूचक शब्दों का उपयोग करना पसन्द करते है । जैसे कि – Dr. Kanishak Suman – डॉ. कनिष्क सुमन
Sir Vivian Richard – सर विवियन रिचार्ड
Prof. J. P. Langaliya – प्रो. जे. पी. लंगालिया
जब नाम के साथ उपर्युक्त अनुसार मानसूचक शब्दों का उपयोग किया जाय तब Mr. या श्रीमान जैसे शब्द लिखे नहीं जाते । जैसे कि … डॉ. कनिष्क सुमन | Dr. Mr. Kanishak Suman यह प्रयोग गलत है ।
परन्तु यदि उपर्युक्त मानसूचक शब्द स्त्रियों के नाम के साथ लिखना ही हो तो Mrs., Miss अर्थात् श्रीमती, कुमारी शब्दों का उल्लेख कोष्ठक में किया जाना चाहिए । जैसे कि – (श्रीमती) पायल सुमन या
Dr. (Mrs.) Payal Suman
प्रो. (कु.) मीनल पंचाल
Prof. (Miss) Minal Panchal
4. व्यक्ति के नामोवाली पीढ़ी के नाम के पूर्व ‘मेसर्स’ शब्द लिखा जाता है ।
Messrs Ajay Brothers
मेसर्स अजय ब्रदर्स
बिन व्यक्तिगत नामवाली संस्थाओं के नाम के पूर्व ‘The’ शब्द का उपयोग किया जाता है । जैसे कि The Hindustan Book Stores दी हिन्दुस्तान बुक स्टोर्स।
5. लिमिटेड कम्पनी, निजी कम्पनी, पीढ़िया, बैंक, सार्वजनिक साहस के अधिकारियों को सम्बोधित करना हो तब उसके आन्तरिक पते का प्रारम्भ व्यक्ति के नाम से न करके पद से किया जाता है । जैसे कि –
(1) The Secretary,
Alankar Group of Industries,
Ahmedabad
The Manager,
State Bank of Maharastra,
Surat
4. शुभेच्छादर्शक सम्बोधन (Solutation) : सम्बोधन पत्र के अन्दर आन्तरिक पते के बाद पत्र के बायीं तरफ लिखा जाता है । सम्बोधन यह शुभेच्छा के साथ पत्र को प्रारम्भ करने की प्रथा का अंग है । सम्बोधन लिखने के बाद अल्पविराम करना जरूरी है । जब हम किसी को मिलते है तब ‘कैसे हो’ ? ‘Hello’ ! Good Morning कहते हैं उसके बाद बात प्रारम्भ करते है । उसी प्रकार पत्र का प्रारम्भ, योग्य सम्बोधन द्वारा हो, पत्र के मुख्य विषय का लेखन प्रारम्भ किया जाता है । सम्बोधन का चुनाव व्यक्ति-व्यक्ति के बीच के सम्बन्धों, व्यक्ति के पद को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए ।
अलग-अलग सम्बोधनों का उपयोग वाणिज्यिक पत्रों में निम्न रूप से किया जाता है :
Sir/Madam | सरकारी संस्थाओं के साथ पत्रव्यवहार किया जाता है तब इस सम्बोधनों का उपयोग किया जाता है । |
Dear Sir
Dear Madam |
वाणिज्यिक विषयक सम्बन्धी पत्रव्यवहार हो तब यह सम्बोधन का उपयोग अधिक किया जाता है। |
Dear Sir/Dear Mems | वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए पत्रव्यवहार हो लेकिन वह किसी बड़ी प्रतिष्ठित एवं नामांकित पीढ़ी के साथ होता हो तब इस सम्बोधन का उपयोग किया जाता है । |
My Dear Sir
My Dear Mr. Patel My Dear Ms. Patel |
पत्रव्यवहार करनेवाले व्यक्तियों के बीच प्रगाढ़ सम्बोधन हो तब इस सम्बोधन का उपयोग किया जाता है । |
Gentleman/Your Excellency | अमेरिका में पत्रव्यवहार के समय सबसे अधिक उपयोग में आनेवाला सम्बोधन विदेशी
राजदूत या राज्यपाल जैसे उच्च पद पर विराजमान व्यक्ति के लिए सम्बोधन के रूप में उपयोग किया जाता है । |
नोट : Dear Sir और Dear Madam सबसे अधिक प्रचलित सम्बोधन है ।
हिन्दी में एवं गुजराती में पत्रव्यवहार करते समय श्रीमान, श्रीमती, साहेबश्री, महोदय, महाशय आदि सम्बोधनों का उपयोग किया जाता है ।
5. पत्र का मुख्य हिस्सा (Body of the Letter) : पत्र के सम्बोधन के बाद पत्र के मुख्य हिस्से का प्रारम्भ होता है । पत्र का सबसे भाग यह पत्र का मुख्य भाग है जिसे पत्र की आत्मा (The soul of a Business letter) या हृदय के रूप में माना जाता है । अपने विषय में, व्यवसाय के विषय में, उत्पादित माल के सम्बन्ध में आवश्यक विवरण का समावेश किया जाता है । इस विभाग को तीन भागों में बाँटा गया है ।
(1) प्रारम्भिक विभाग
(2) मध्य विभाग
(3) अन्तिम विभाग
(1) प्रारम्भिक विभाग (Opening Part) : पत्र का प्रारम्भिक पैराग्राफ पत्र लिखनेवाले के विषय में थोड़ा-थोड़ा उल्लेख करता है । कई बार यदि वाणिज्यिक विवरण के लिए किसी व्यक्ति या पीढ़ी ने सूचना दी हो तो उसका उल्लेख किया जाता है । पत्र का प्रारम्भिक विभाग सरल, स्पष्ट व पानी जैसे पारदर्शक भाषा में होना चाहिए क्योंकि प्रारम्भिक हिस्से का कार्य पत्र प्राप्तकर्ता को पत्र पढ़ने के लिए आकर्षित करता है ।
(2) मध्य विभाग (Central Part) : पत्र के प्रारम्भिक पैराग्राफ द्वारा हम ग्राहक को अपने विषय व उत्पादित माल के बारे में जानकारी, प्रदान करने के लिए प्रेरणा देते है । इसमें माल की गुणवत्ता, प्रकार, शर्त इत्यादि के विषय में जानकारी उपलब्ध . करवाई जाती है । यह भाग सरल व स्पष्ट होना चाहिए ।
(3) अन्तिम विभाग (Concluding Part) : अन्तिम हिस्से के पैराग्राफ का उद्देश्य जागृत मनोवृत्ति को वास्तविक स्वरूप में परिवर्तित करके अपने उत्पादन के विषय में विचार करते कर देने का है और अब अन्तिम पैराग्राफ का लेखन इस तरह का होना चाहिए कि जिससे ग्राहक अपने द्वारा किये गये उत्पादन को खरीदने का मन बना ले । पत्र का प्रत्युत्तर अनुकूल मिलेगा ऐसी आशा से पत्र पूरा किया जाता है ।
6. शुभेच्छादर्शक समापन (Complimentary Close) : पत्र का मुख्य विभाग को लिखने के बाद शुभेच्छादर्शक समापन पत्र के दाहिनी ओर लिखा जाता है । वाणिज्यिक पत्र को पूर्ण करने के लिए हम शुभेच्छादर्शक समापन द्वारा सम्बन्धों को गाढ़ बनाते है । सम्बोधन द्वारा पत्र-लेखक और पत्र प्राप्त-कर्ता व्यक्तियों के बीच के सम्बन्ध की निकटता का परिचय मिलता है और समापन द्वारा ही इन सम्बन्धों की पुष्टि होती है ।
विभिन्न सम्बोधनों के साथ निम्न मानसूचक समापन उपयोग में लिये जाते हैं :
शुभेच्छादर्शक सम्बोधन | शुभेच्छादर्शक समापन | टिप्पणी |
Dear Sir
Dear Madam Sir |
Yours Faithfully, | Formal (औपचारिक)
वाणिज्यिक-पत्र के लिए अधिक प्रचलित एवं उपयुक्त है । |
Dear Mr. Madan
Dear Ms. Sudha Dear Kinjal |
Your Sincerely, | Informal (अनौपचारिक)
किसी भी तरह के पत्रव्यवहार के लिए उपयोग में लिया जाता है । |
My Dear Pramod
My Dear Friend |
Your Truly, | अत्यन्त अनौपचारिक
घनिष्ठ मैत्रीवाले पत्रों में उपयोग करते हैं । |
नोट : हिन्दी में पत्र-व्यवहार करते समय ‘आपका विश्वसनीय’, “भवदीय’ जैसे समापनों को उपयोग में लेते हैं ।
(7) हस्ताक्षर (Signature) : शुभेच्छादर्शक समापन लिखने के बाद पत्र-लेखक के हस्ताक्षर किये जाते हैं उसके बाद कोष्ठक के अन्दर
हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्ति का नाम लिखना चाहिए और उसके बाद की पंक्ति में उसके पद को लिखना चाहिए । पत्र के अन्त में किया जानेवाला हस्ताक्षर पत्र को अधिकृत बनाता है । समग्र पत्र टाइप किया गया हो सकता है लेकिन हस्ताक्षर हमेशा स्वहस्तक द्वारा ही करना चाहिए ।
हस्ताक्षर के नमूने (Specimen) निम्नलिखित हैं ।
साझेदार Note : नमूने के रूप में नाम, हस्ताक्षर, संस्था का नाम काल्पनिक तौर पर दिये गए है जिसका किसी से सम्बन्ध नहीं है केवल प्रैक्टिस के रूप में दिये गए हैं ।
‘Per Procurationem’ या अधि प्राप्तक के हस्ताक्षर बृहद व्यापारिक इकाईयाँ, संस्थाएँ, उद्योग गृह आदि में मालिक अपने अलग-अलग विभागों के उच्चाधिकारियों को पत्रव्यवहार हेतु स्वतंत्र दायित्व का अधिभार सौंपते है और उन पत्रों को अधिकृत बनाने के कम्पनी की ओर से हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाता है जिसे Power of Attorney मुखत्यारनामा/कानूनी अधिकार कहा जाता है । जिसके द्वारा अधिकारी के हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाता है । Per procurationem को संक्षिप्त में per pro. या p.p. और हिन्दी में ‘अ.प्रा.’ से जाना जाता है । जैसे कि –
Yours faithfully, – आपका विश्वसनीय,
Per pro. The Sunil Sports Goods Co. Ltd. – अ. प्रा. दी सुनिल स्पोर्ट्स गुड्ज कं. लि.
H. B. Parekh – ए. बी. पारेख
Manager (Sales) – मैनेजर (सेल्स)
7. निम्नलिखित वाक्य सही है या गलत वह बताइए :
1. पत्र का शीर्षक पत्र प्राप्तकर्ता का परिचय देता है ।
उत्तर :
गलत
2. दिनांक लिखने की अमेरिकन पद्धति में दैनिक तारीख का उल्लेख सर्वप्रथम किया जाता है ।
उत्तर :
गलत
3. ‘मैसर्स’ का उपयोग स्त्रियों के नाम से प्रारम्भ होनेवाली पीढ़ी के नाम के पहले किया जाता है ।
उत्तर :
गलत
4. मानसूचक समापन का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सम्बोधन के साथ है ।
उत्तर :
सही
5. सम्बोधन सूचक शब्द ‘सर’ अमेरिका में अधिक प्रचलित है ।
उत्तर :
गलत
8. मांगे गये अनुसार उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
अपनी जन्मतारीख ब्रिटिश पद्धति से लिखिए ।
उत्तर :
28 मई, 1971
प्रश्न 2.
‘पर प्रो.’ अर्थात् क्या ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर :
बृहद व्यापारिक पीढ़ियाँ, संस्थाएँ, उद्योगगृह आदि में मालिक अपने, अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को पत्रव्यवहार करने के लिए स्वतंत्र दायित्व सौंपते है और उन पत्रों को अधिकृत बनाने के लिए कं. की ओर से हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाता है । जिसे Per Pro. या P.P. और हिन्दी में ‘अ.प्रा.’ से जाना जाता है । Per Pro. शब्द Per Procurationem का संक्षिप्त रूप है ।
उदाहरण :
The Sunil Sports Co. Ltd.,
H. B. Parekh
Manager (Sales)
प्रश्न 3.
‘पहचान रेखा’ का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
माना कि पत्र K. K. Rangi ने लिखवाया है और Kishor Rangi नामक व्यक्ति ने टाइप किया है, इनको निम्न पहचान रेखा द्वारा
दर्शा सकते है ।
KKR / KR