GSEB Solutions Class 11 Hindi Chapter 12 दु:ख

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 12 दु:ख Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 12 दु:ख

GSEB Std 11 Hindi Digest दु:ख Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. सही विकल्प चुनकर खाली जगह भरिए :

प्रश्न 1.
अपमान और तिरस्कार होने पर मन ………… से भर जाता है।
(क) त्याग
(ख) वैराग्य
(ग) वितृष्णा
(घ) ग्लानि
उत्तर :
अपमान और तिरस्कार होने पर मन वितृष्णा से भर जाता है।

प्रश्न 2.
दिलीप चुपचाप …………. की तरह अपने दुख को सहेगा।
(क) वीर
(ख) बहादुर
(ग) शहीद
(घ) योद्धा
उत्तर :
दिलीप चुपचाप शहीद की तरह अपने दुःख को सहेगा।

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प्रश्न 3.
वृक्षों के भीगे पत्ते बिजली के प्रकाश में …………. रहे थे।
(क) चमचमा
(ख) दमक
(ग) दिमदिमा
(घ) जगमगा
उत्तर :
वृक्षों के भीगे पत्ते बिजली के प्रकाश में चमचमा रहे थे।

प्रश्न 4.
स्त्री मैली-सी ………….. में शरीर लपेदे बैठी थी।
(क) साड़ी.
(ख) धोती.
(ग) चादर
(घ) कंबल
उत्तर :
स्त्री मैली-सी धोती में शरीर लपेटे बैठी थी।

प्रश्न 5.
दिलीप ने …………. फाड़कर फेंक दिया।
(क) पत्र
(ख) लिफाफा
(ग) पन्ना
(घ) अर्जी
उत्तर :
दिलीप ने पत्र फाड़कर फेंक दिया।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
हेमा अपनी माँ के घर क्यों चली गई ?
उत्तर :
दिलीप हेमा की सहेली के साथ सिनेमा देख आया, इसलिए : हेमा रूठ गई और अपनी माँ के घर चली गईं।

प्रश्न 2.
बिजली के लैम्प किस भाव से प्रकाश डाल रहे थे ?
उत्तर :
बिजली के लैम्प निष्काम और निर्विकार भाव से अपना : प्रकाश डाल रहे थे।

प्रश्न 3.
दिलीप को समीप खड़ा देख लड़के ने क्या कहा ?
उत्तर :
दिलीप को समीप खड़ा देख लड़के ने कहा – ‘एक-एक पैसे में एक-एक ढेरी।’

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प्रश्न 4.
लड़के की माँ बाबू के यहाँ क्या करती थी?
उत्तर :
लड़के की मां बाबू के घर चौका-बर्तन करती थी।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
मनुष्य का मन वितृष्णा से कब भर जाता है?
उत्तर :
जब कोई आदमी दूसरों की अपेक्षा किसी व्यक्ति को अपना समझकर उस पर भरोसा करता है, तो उससे वह कृतघ्नता की उम्मीद नहीं करता। मगर जब उसी से अपमान और तिरस्कार मिलता है, तो मन वितृष्णा से भर जाता है।

प्रश्न 2.
जगतू के अद्भुत नमूने क्या हैं. ?
उत्तर :
दिलीप रात को साढ़े नौ बजे मिटो पार्क से सुनसान मार्ग से घर लौट रहा था। मनुष्यों के अभाव की परवाह न करके सड़क के किनारे स्तब्ध खड़े बिजली के लैम्पों के प्रकाश में लाखों पतंगे गोल बाँध-बाँधकर नृत्य कर रहे थे। इन्हें देखकर उसे लगा, ये जगत के अद्भुत नमूने हैं।

प्रश्न 3.
लड़के की माँ को काम से क्यों हटा दिया गया था?
उत्तर :
लड़के की माँ एक बाबू के यहाँ ढाई सौ रुपए प्रति माह पर चौका-बर्तन का काम करती थी। जगतू की मां ने बाबू से कहा कि वह दो सौ रुपए में सब काम कर देगी। इसलिए बाबू की घरवाली ने उसे काम पर रख लिया और लड़के की माँ को हटा दिया।

प्रश्न 4.
स्कूल वालों ने जगतू की माँ को क्यों निकाला ?
उत्तर :
जगतू की माँ स्कूल में लड़कियों को घर से बुलाकर लाती थी। स्कूलवालों ने लड़कियों को घर से लाने के लिए मोटर रख ली। इसलिए स्कूलवालों ने जगतू की माँ को निकाल दिया।

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प्रश्न 5.
दिलीप ने पत्र फाड़कर क्यों फेंक दिया ?
उत्तर :
दिलीप ने खोमचेवाले बच्चे के जोंपड़े में अपनी आँखों से ‘दु:ख’ को प्रत्यक्ष रूप से देखा था। उसकी नजर में सच्चा दु:ख वही था। उसने सोचा कि काश! हेमा (उसकी पत्नी) यह समझ पाती कि दुःख किसे कहते हैं। उस दुःख के सामने हेमा का दुःख कोई माने नहीं रखता था। इसलिए दिलीप ने पत्र फाड़कर फेंक दिया।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के पाँच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
दिलीप के मन में क्षोभ का अंत न रहा, क्यों ?
उत्तर :
दिलीप ने हेमा को पूरी स्वतंत्रता दी थी। वह उसका बहुत आदर करता था। हेमा के प्रति उसके मन में अत्यन्त प्रेम था। इसके बावजूद वह हेमा को सन्तुष्ट न कर सका। वह हेमा की सहेली के साथ सिनेमा देख आया तो वह दिनभर रूठी रही और दूसरे दिन अपने मायके चली गई। हेमा के ऐसे व्यवहार से खिन्न होकर दिलीप के क्षोभ का अंत न रहा।

प्रश्न 2.
नृत्य करते पतंगे कैसे दिख रहे थे ?
उत्तर :
कई घंटे एकांत में रहने के बाद दिलीप घर लौट रहा था। सड़क लगभग सुनसान थी। मनुष्य के अभाव की कुछ भी परवाह न करके लाखों पतंगे बिजली के लैम्पों के चारों ओर नृत्य कर रहे थे। प्रत्येक पतंगा एक नक्षत्र की तरह अपने मार्ग पर चक्कर काट रहा था। कोई दाएं, कोई बाएँ तो कोई विपरीत गति में चक्कर काट रहा था, पर कोई किसी से टकराता नहीं था। वे उसी तरह दिख रहे थे जैसे तमाम ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र आदि बिना आपस में टकराए गति करते हैं।

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प्रश्न 3.
लड़के की कोठरी कैसी थी ?
उत्तर :
लड़के की कोठरी की ऊँचाई आदमी के कद जितनी थी। धुओं उगलती मिट्टी के तेल की ढिबरी कोठरी में धुंधला प्रकाश फैला रही थी। एक छोटी चारपाई काली दीवार के सहारे खड़ी थी। उसके पाये से दो-एक मैले कपड़े लटक रहे थे। इस तरह लड़के की कोठरी परिवार की दुर्दशा का करुण चित्र प्रस्तुत कर रही थी।

प्रश्न 4.
दिलीप के लिए क्या देखना असंभव था ?
उत्तर :
दिलीप ने लड़के की कोठरी में भीषण गरीबी का दृश्य देखा। माँ स्वयं भूखी रहकर लड़के को दो सूखी रोटियाँ खाने को दे रही थी। लड़का जानता था कि उसकी मां भी भूखी है। उसने एक रोटी माँ को दी, पर माँ ने भूख न होने का बहाना करके वह रोटी बेटे को दे दी। घोर अभावों में भी अपनेपन के इस दृश्य ने दिलीप के हृदय को पिघला दिया। इसलिए और कुछ देखना उसके लिए असंभव था।

5. आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
मनुष्य के बिना भी संसार कितना व्यस्त और रोचक है।
उत्तर :
दिलीप एकांत की खोज में मिंटो पार्क में गया था। वहाँ से लौटते समय उसे कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया, पर सड़क के किनारेवाले बिजली के लैम्पों के चारों ओर लाखों पतंगे गोल बांधकर नृत्य कर रहे थे। लैम्प के नीचे से आगे बढ़ने पर उसकी छोटी परछाई उसके आगे फैलती जा रही थी। पेड़ों की टहनियों की परछाई उसके ऊपर से निकल रही थी। भीगे पत्ते लैम्पों की किरणों से चमक रहे थे। यह सब देखकर दिलीप को लगा कि मनुष्य के बिना भी संसार कितना व्यस्त और रोचक है।

प्रश्न 2.
“काश! तुम जानती, दु:ख किसे कहते हैं…. तुम्हारा यह रसीला दुःख तुम्हें न मिले तो जिन्दगी दूभर हो जाए।”
उत्तर :
दिलीप ने झोंपड़ी में बच्चे और उसकी माँ की गरीबी में है उसकी कंगाली का दुःख देखा था। दिलीप को उस दुःख के सामने है अपनी पत्नी हेमा का दुःख नगण्य लगता है। वह सोचता है कि काश!

हेमा ने सच्चा दुःख देखा होता। तब उसे पता चलता कि दुःख क्या होता है। जिसे दुःख मानकर वह तुनककर मायके चली गई है वह दुःख दुःख नहीं कहा जा सकता। ऐसी बातें जीवन में होती रहनेवाली आम बातें हैं।

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GSEB Solutions Class 11 Hindi दु:ख Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
दिलीप घर से बाहर क्यों चला गया?
उत्तर :
दूसरों के साथ अप्रिय चर्चा टालने के इरादे से दिलीप : घर से बाहर चला गया।

प्रश्न 2.
लड़का क्या बेच रहा था?
उत्तर :
लड़का थाली में कागज के आठ टुकड़ों पर आठ, ढेरियाँ : लगाकर पकौड़े बेच रहा था।

प्रश्न 3.
लड़का सभी ढेरियां कम पैसे में देने को क्यों तैयार ४ नहीं हुआ?
उत्तर :
लड़का सी ढेरियाँ कम पैसे में देने को तैयार नहीं हुआ, है क्योंकि उसे माँ के बिगड़ने का डर था।

व्याकरण

समानार्थी शब्द लिखिए :

  • तिरस्कार = अपमान
  • अनुरक्त = आसक्त
  • क्षोभ = दुःख
  • यातना = कष्ट, पीड़ा
  • सान्त्वना = दिलासा
  • कोलाहल = शोर
  • स्तब्ध = शांत
  • सुनसान = वीरान
  • प्रफुल्लता = प्रसन्नता
  • कुतूहल = जिज्ञासा
  • प्रतिकार = प्रतिशोध
  • पुलकित = प्रसन्न
  • इजाजत = अनुमति
  • व्याकुलता = बेचैनी
  • अभिप्राय = आशय

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विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :

  • अपमान × सम्मान
  • स्वतंत्रता × परतंत्रता
  • आदर × निरादर
  • मुश्किल × आसान
  • छुटकारा × बंधन
  • निष्काम × सकाम
  • बचपन × बुढ़ापा
  • कृतज्ञता × कृतघ्नता
  • सुविधा × असुविधा
  • इच्छा × अनिच्छा
  • रसीला × शुष्क
  • शीघ्रता × देरी
  • हल्का × भारी
  • नुकसान × फायदा

शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :

  • अपमान – अप
  • वितृष्णा – वि
  • अनुरक्त – अनु
  • अप्रिय – अ
  • प्रतिकार – प्रति
  • अनिच्छा – अन्
  • विद्रूपता – वि
  • अनादर – अन
  • विरक्ति – वि
  • निर्विकार – निः
  • निष्काय – निः
  • बावजूद – बा
  • प्रत्यक्ष – प्रति
  • अभाव – अ

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शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए:

  • बादशाही – ई
  • खोमचेवाला – वाला
  • आकर्षित – इत
  • सौदागर – गर
  • चतुरता – ता
  • व्यस्तता – ता
  • खनखनाहट – आहट
  • रसीला – ईला
  • अलसाई – ई
  • शैथिल्य – य
  • शिथिलता – ता
  • पीड़ित – इत
  • मनुष्यत्व – त्व
  • प्रफुल्लता – ता
  • विस्मित – इत
  • चकित – इत
  • आवश्यकता – ता
  • परिचित – इत

दु:ख Summary in Gujarati

ભાવાત્મક અનુવાદ :

દિલીપ અને હેમા : દિલીપ અને હેમા પતિ-પત્ની છે. તેમા દિલીપને ખૂબ પ્રિય છે. તે હેમાનો આવશ્યક્તા કરતાં વધારે આદર કરે છે. દિલીપે તેને પૂરી સ્વતંત્રતા આપી રાખી છે. તે તેને જરા પણ કષ્ટ પહોંચાડતો ન હતો.

દિલીપના મનનો ક્ષોભઃ આટલું બધું હોવા છતાં સામાન્ય ઘટના બને છે અને પરિણામે હેમારિસાઈને પોતાને પિયર ચાલી જાય છે. એવું બને છે કે એક વખત દિલીપ હેમાની સહેલી સાથે સિનેમા જોવા જાય છે. એનાથી દુઃખી થઈને હેમા આખો દિવસ તેનાથી રિસાયેલી રહે છે. બીજે દિવસે રિસાઈને તે પોતાના પિયર જતી રહે છે. આને લીધે દિલીપનું મન ક્ષુબ્ધ થઈ જાય છે. મિટો પાર્કમાં દિલીપ કેટલોક સમય હૉલમાં ચિંતામગ્ન બેસી રહે છે. પછી એકલપણાથી મુક્ત થવા તે શહેરના મિંટો પાર્કમાં જાય છે.

સૂમસાન સડક પર ખુમચાવાળોઃ દિલીપ મિટો પાર્કમાંથી રવાના થયો. લગભગ સાડા નવ વાગી ચૂક્યા હતા. અંધારામાં એક નાનકડો ખુમચાવાળો છોકરો ભજિયાંની ઢગલી કરીને બેઠેલો દેખાયો. દિલીપ છોકરા પર દયા ખાઈને આઠ પૈસામાં ભજિયાંની બધી ઢગલીઓ ખરીદી લે છે. દિલીપ ખુમચાવાળાને ઘેર: દિલીપ આઠ પૈસામાં છોકરાના બધા ભજિયાં ખરીદીને તેની થાળીમાં એક રૂપિયો મૂકી દે છે.

બાળક પાસે બાકીના છૂટા પૈસા નથી. દિલીપ તેની સાથે તેની ઝૂંપડી પર જાય છે. બાળકના ઘરમાં પણ પાછા આપવાના પૈસા નહોતા. દિલીપ બાળકને પૂરો રૂપિયો રાખી લેવા કહે છે. ખૂબ મુશ્કેલી પછી છોકરાની મા રૂપિયાના બાકી પૈસા પોતાની પાસે રાખવા તૈયાર થાય છે.

ઝૂંપડીમાં દિલીપ જુએ છે કે બાળકની ઝૂંપડીમાં મા બાળકને મીઠા સાથે સૂકી રોટલી ખાવા માટે આપે છે. બાળક સૂકી રોટલી ખાવાની ના પાડે છે. “રોજ રોજ સૂકી રોટલી!” મા તેને સમજાવીને કહે છે કે તે સવારે તેને દાળ જરૂર ખાવા આપશે. દિલીપ તેને રૂપિયો આપી ગયો છે. પછી બાળક રોટલી ખાઈ લે છે.

“રોટલી અને મા-દીકરો બાળકને પોતાની માના ખાવાની ચિંતા થાય છે. તે માને પૂછે છે “મા! તેં રોટલી ખાધી?” માના હાથમાં ફક્ત ટુવાલ હોય છે અને રોટલીઓ ખલાસ થઈ ગઈ છે. મા કહે છે મેં ખાઈ લીધું છે, મને ભૂખ નથી. તું ખાઈ લે. બાળકને ઘરની હાલત ખબર છે. તે પોતાની રોટલીઓમાંથી એક રોટલી માને આપીને કહે છે, “એક રોટલી તું ખાઈ લે.” મા દીકરાને સમજાવે છે કે, એને સવારમાં મોડેથી ખાધું હતું, એટલે તેને ભૂખ નથી તું ખાઈ લે. દિલીપ ગરીબીનું આ દશ્ય જોઈ શકતો નથી અને ચાલી નીકળે છે.

દિલીપ પોતાના ઘેરઃ દિલીપ ભારે હૃદયથી પોતાને ઘેર આવી પહોંચે છે. નોકર પાસેથી તેમને ખબર પડે છે કે બે સજ્જન આવ્યા હતા અને થોડી વાર બેસી જતા રહ્યા. તેણે તેમનાં નામ પણ કહ્યાં. તે વખતે દિલીપનો નાનો ભાઈ તેને એક કવર આપે છે અને કહે છે કે ભાભીએ આ પત્ર મોકલ્યો છે. દિલીપ પત્ર ખોલીને વાંચે છે, પત્રની પહેલી પંક્તિમાં “હું આ જીવનમાં દુઃખ ભોગવવા માટે જ ઉત્પન્ન થઈ છું.” દિલીપ પત્ર ફાડીને ફેંકી દે છે. તેના મગજમાં ઝૂંપડીમાં જોયેલું મા-દીકરાના દુ:ખનું દશ્ય ઘૂમી રહ્યું છે – “કાશ! તને ખબર હોત કે દુઃખ કોને કહે છે?”

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दु:ख Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

‘दुःख’ कहानी दो ऐसे अलग-अलग परिवारों की है, जिनके लिए दुःख की परिभाषा अलग-अलग है। एक परिवार अभावों और अत्यंत गरीबी में जी रहा है, जिसका दुःख पेट भर रोटी न मिल पाने का है और दूसरा परिवार संपन्नता में पल रहा है और उस परिवार की औरत का दुःख मानसिक असंतोष है।

मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग :

आँखें झुकाना – शर्मिंदा होना
वाक्य : गलती पकड़े जाने पर मुनीमजी ने आँखें झुका लीं।

माथे पर बल पड़ना-आघात लगना
वाक्य : कठिन सवाल हल करने में विद्यार्थी के माथे पर बल पड़ गए।

दांतों से होंठ दबाना – चुप रहना
वाक्य : डाँट खाकर लड़का दाँतों से होंठ दबाकर रह जाता था।

मन हलका होना- शांति मिलना
वाक्य : माफी मांग लेने पर बहू का मन हलका हो गया।

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पाठ का सार :

दिलीप और हेमा : दिलीप और हेमा पति-पत्नी हैं। हेमा दिलीप की चहेती है। वह हेमा का आवश्यकता से अधिक आदर करता है। उसने उसे पूरी स्वतंत्रता दे रखी है। उसे कहीं कोई कष्ट नहीं होने देता।

दिलीप के मन का क्षोभ : इतना होने के बावजूद एक मामूली-सी घटना घटती है, जिसका परिणाम यह होता है कि हेमा रूठकर अपने मायके चली जाती है। होता यह है कि एक दिन दिलीप उसकी सहेली के साथ सिनेमा देखने चला जाता है। इससे दुःखी होकर हेमा दिनभर उससे रूठी रहती है। अगले दिन रूठकर वह अपने मायके चली जाती है। इससे दिलीप का मन क्षोभ से भर जाता है।

मिंटो पार्क में : दिलीप कुछ देर बैठक में चिंतामग्न बैठा रहता है। फिर अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए वह शहर के मिंटो पार्क चला जाता हैं।

सुनसान सड़क पर खोमचेवाला : दिलीप इस पार्क के लिए रवाना हुआ था छः बजे और अब साढ़े नौ बज चुके हैं। वह घर लौट पड़ता है। रास्ते में इतनी रात गए अंधेरे में एक भोलाभोला खोमचेवाला लड़का पकौड़ों की ढेरियाँ लगाए बैठा दिखाई देता है। दिलीप बच्चे पर रहम करके आठ पैसे में उसकी सारी ढेरियाँ खरीद लेता है।

दिलीप खोमचेवाले के घर : दिलीप आठ पैसे में बच्चे का पूरा सौदा खरीदकर उसकी थाली में एक रुपया डाल देता है। बच्चे के पास बाकी पैसे लौटाने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए दिलीप को उसकी झोपड़ी तक जाना पड़ता हैं। पर बच्चे के घर में लौटाने के लिए पैसे न होने के कारण दिलीप उसे पूरा रुपया रख लेने के लिए कहता है। बड़ी मुश्किल से बच्चे की माँ इसके लिए राजी होती है।

झोंपड़े के अंदर : दिलीप देखता है कि बच्चे के झोंपड़े के अंदर माँ बच्चे को नमक के साथ सूखी रोटी खाने के लिए देती है। बेटा सूखी रोटी खाने से ना-नुकर करता है – “रोज, रोज रूखी रोटी!” माँ उसे पुचकारकर उससे वादा करती है कि वह सुबह उसे दाल जरूर खिलाएगी। ‘बाबू’ (दिलीप) उसे एक रुपया दे गए हैं। फिर बच्चा रोटी खा लेता है।

रोटी और माँ-बेटा : अब बेटे को अपनी माँ के खाने की चिंता होती है। वह उससे पूछता है, “माँ तूने रोटी खा ली?” माँ के हाथ में खाली अंगोछा है और रोटियाँ खत्म हो चुकी हैं। वह कहती है कि उसे भूख नहीं, वह खा ले। बच्चा घर की हालत से परिचित है। वह अपनी रोटी में से एक रोटी अपनी माँ को देकर कहता है, “एक रोटी तू खा ले।” माँ बेटे को पुचकारकर कहती है, उसने सुबह देर से खाया था। उसे भूख नहीं है। वह खा ले। दिलीप गरीबी का यह दृश्य देख नहीं पाता और वहाँ से चल देता है।

दिलीप अपने मकान पर : दिलीप भरे दिल से अपने मकान पर आ जाता है। नौकर से उसे पता चलता है कि दो भद्र पुरुष आए थे और कुछ देर बैठकर चले गए। उसने उनके नाम भी बताए। तभी दिलीप का छोटा भाई एक लिफाफा उसे देता है और कहता है कि भाभी ने यह पत्र भेजा है। दिलीप पत्र खोलकर पढ़ता है जिसकी पहली पंक्ति है – “मैं इस जीवन में दुःख ही देखने के लिए पैदा हुई हूँ…” दिलीप पत्र फाड़कर फेंक देता है। उसके दिमाग में झोंपड़ी में देखे हुए माँ-बेटे के दुःख के चित्र घूमने लगते हैं। उसके मुंह से निकलता है – “काश! तुम जानती, दुःख किसे कहते हैं?”

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दु:ख शब्दार्थ :

  • तिरस्कार – अनादर, अपमान।
  • वितृष्णा – विरक्ति, वैराग्य।
  • अनुरक्त – लगाव, झुकाव।
  • ग्लानि – मन में होनेवाला खेद, पश्चात्ताप।
  • अलसाई – शिथिल, आलस में पड़ी हुई।
  • फसील – कोट।
  • व्यथा – घोर दुःख, तीव्र मानसिक पीड़ा।
  • सांत्वना – तसल्ली, ढाढ़स।
  • निःस्वास – नाक से साँस बाहर निकालना।
  • प्रतिकार – बदला चुकाना।
  • शैथिल्य – शिथिलता।
  • निष्काम – जिसके मन में कोई, इच्छा न हो।
  • निर्विकार – जिसमें कोई विकार या परिवर्तन न होता हो।
  • ढिबरी – मिट्टी का दीपक।
  • ढेरी – कुछ चीजों का लगाया गया समूह।
  • मनुष्यत्व – मानवता।
  • प्रफुल्लता – खिलने का भाव।
  • खनखनाहट – खन-खन की आवाज।
  • क्षीणकाय – दुबला-पतला।
  • अभिप्राय – मतलब।
  • कुम्हलाना – मुरझाना।
  • तहाना – मोड़कर तह करके रखना।
  • भद्रपुरुष – सज्जन व्यक्ति।
  • विद्रुपता – उपहास, मजाक उड़ाना।
  • विस्मित – चकित।
  • रसीला – सुंदर, रसदार।
  • दूभर – कष्टदायक।

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