Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 1 मनोविज्ञान : ‘एक विज्ञान’ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 1 मनोविज्ञान : ‘एक विज्ञान’
GSEB Class 11 Psychology मनोविज्ञान : ‘एक विज्ञान’ Text Book Questions and Answers
1. निम्न प्रश्नों को विस्तृत रूप से समझाईये ।
प्रश्न 1.
मनोविज्ञान की व्याख्या करते हुए उसे स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
मनोविज्ञान की निम्नलिखित अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों की परिभाषाएँ हैं ।
(1) ‘मनोविज्ञान मनुष्य एवं प्राणियों के व्यवहार का विज्ञान है ।’
– सी. टी. मोर्गन
(2) ‘मनोविज्ञान मनुष्य की तमाम मानसिक और शारीरिक प्रवृत्तियों का वैज्ञानिक अध्ययन है ।’
– हिल्गार्ड ऐटकीनसन
(3) ‘मनोविज्ञान पर्यावरण के संदर्भ में मनुष्य एवं प्राणियों के द्वारा व्यक्त होनेवाले व्यवहार का अध्ययन करनेवाला विज्ञान है ।’
– एच. ई. गेरेट
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर सर्वसामान्य परिभाषा निम्नलिखित है ।
‘मनोविज्ञान अलग-अलग संदर्भ में मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और व्यवहार का अध्ययन करनेवाला विज्ञान है ।’
(Psychology is a Science which studies mental processes experiences and behaviour in defferent contexts.) सर्वसामान्य परिभाषा के द्वारा निम्न मुद्दे को समझने का प्रयास करते हैं ।
(A) मानसिक प्रक्रिया
(B) अनुभव
(C) व्यवहार (वर्तन)
(D) विज्ञान
(A) मानसिक प्रक्रिया : मानसिक प्रक्रिया अनुभव करनेवाले व्यक्ति की, अनुभव की आंतरिक क्रिया है । जिसे सभान एवं जाग्रत
अवस्था की मानसिक प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है । जब हम विचार करते है या समस्या का समाधान ढूँढ़ते है तब हमारे मस्तिष्क में अनेक प्रक्रियाएँ चलती हैं । हलन-चलन एवं मानसिक प्रक्रिया परस्परांलम्बी हैं ।
मन का शरीर में कोई निश्चित स्थान, स्वरूप या आकार नहीं है परन्तु हमारा पर्यावरण के साथ अनुभवों से आंतरक्रिया के द्वारा उत्पन्न मानसिक प्रक्रिया का परिणाम है । हमारे अनुभव एवं मानसिक प्रक्रियाओं की जागरूपता चेताकोषीय मस्तिष्क की क्रियाओं से अधिक है । यहाँ तक कि हम सोते हैं तो भी कई प्रवृत्तियाँ चलती रहती है । जब हम स्वप्न देखते है तब दूसरी अनेक जानकारी हमारे मन के द्वारा आती रहती है ।
(B) अनुभव : अनुभव व्यक्तिगत विषय है । हम जब तक किसी व्यक्ति के द्वारा अनुभव का वर्णन नहीं सुनते हैं तब तक उसके बारे में जानना असंभव है । शिक्षक जब विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हों तब प्रत्येक विद्यार्थी का अनुभव अलग-अलग होता है । जबतक विद्यार्थी अपना अनुभव नहीं कहेंगे तब तक अन्य विद्यार्थी उसे नहीं जान सकते हैं । अनुभव हमारी जागरूपता एवं सभानता के साथ प्रगाढ़ रूप से जुड़ा हुआ है ।
(C) व्यवहार (वर्तन) : हम अनेक प्रवृत्तियों में व्यस्त रहते है या प्रतिभाव अथवा प्रतिक्रिया करते हैं यह हमारा व्यवहार (वर्तन) है । मनोविज्ञान में व्यवहार को उद्दीपक और प्रतिक्रिया का जोड़ाण के रूप में पहचाना जाता है ।
उदा. कक्षा में शिक्षक आते है और विद्यार्थी खड़े हो जाते हैं । शिक्षक उद्दीपक है तथा विद्यार्थियों का खड़ा होना प्रतिक्रिया है । उद्दीपक एवं प्रतिक्रिया का स्वरूप देखा जा सके और ना भी देखा जा सके दोनों हो सकता है । शारीरिक हलन-चलन का व्यवहार देखा जा सकता है जबकि तर्क-विचार मानसिक वर्तन देख नहीं सकते हैं । व्यवहार के प्रकारों में शाब्दिक या चेष्टात्मक जिसमें शब्दों का प्रयोग होता हो अथवा शारीरिक हलन-चलन का ही प्रयोग होता हो ऐसे भी प्रकार किया ।
(D) विज्ञान : ‘विशिष्ट प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयोग में ली जानेवाली विशिष्ट पद्धति अर्थात् विज्ञान ।’ मनोविज्ञान भी एक विज्ञान है । पुनरावर्तन, परिवर्तन, नियंत्रण और वस्तुलक्षिता ये वैज्ञानिक लक्षण हैं । मनुष्य और प्राणियों के व्यवहार का प्रयोगशाला में और प्राकृतिक पर्यावरण में अध्ययन के दौरान मनोविज्ञान वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके ज्ञान प्राप्त करता है इसलिए मनोविज्ञान भी एक विज्ञान है ।
उपरोक्त चार बातों को समझने से मनोविज्ञान के विषय में प्राथमिक समझ प्राप्त की जा सकती है ।
प्रश्न 2.
मनोविज्ञान के स्वरूप को समझाईये ।
उत्तर :
मनोविज्ञान के स्वरूप को समझने के लिए उसके लक्षणों को समझना आवश्यक है ।
मनोविज्ञान के निम्नलिखित लक्षण है :
(1) मनोविज्ञान एक विज्ञान है ।
(2) मनोविज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान है ।
(3) मनोविज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है ।
(4) मनोविज्ञान एक व्यवहारिक (वार्तनिक) विज्ञान है ।
(1) मनोविज्ञान एक विज्ञान है : मनोविज्ञान एक विज्ञान के रूप में अभी तरुणावस्था में है । 1879 में जर्मनी के लिप्जिंग शहर में विल्हेम बुन्ट ने मनोविज्ञान की प्रयोगशाला की स्थापना की । वहीं से मनोविज्ञान को एक विज्ञान के रूप में मान्यता मिली । मनोविज्ञान की विषय वस्तु जीवंत मानवी का व्यवहार है । विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान एक ओर भौतिक विज्ञान और जीवविज्ञान की पद्धतियों का उपयोग कर रहा है तथा दूसरी तरफ सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों के अध्ययन के लिए उसकी पद्धतियों का उपयोग भी कर रहा है । मनोविज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान है : क्योंकि मनोविज्ञान की अध्ययन वस्तु प्रकृति का ही अंश है ।
(2) मनोविज्ञान मनुष्य तथा प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन करता है जो सजीवतंत्र का प्राकृतिक व्यवहार का ही अंश है । दूसरे प्राकृतिक विज्ञानों की तरह मनोविज्ञान भी व्यवहार का अध्ययन करता है जिसका प्रारंभ और अन्त भी है । मनोविज्ञान व्यवहार के अध्ययन के लिए प्राकृतिक विज्ञानों की अभ्यास पद्धतियों का ही उपयोग करता है । इसलिए उसे प्राकृतिक विज्ञान के रूप में पहचाना जाता है ।
(3) मनोविज्ञान सामाजिक विज्ञान है : मनोविज्ञान मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में करता है । इसलिए
वह सामाजिक विज्ञान है । मनुष्य में रहे हुए सामाजिक पहलु का स्पर्श होने से मनोविज्ञान सामाजिक विज्ञान है । मनुष्य के समाज में व्यक्त होनेवाले व्यवहार को उसके पहलुओं को समझने के लिए उसके आधार पर नियम या सिद्धांतों का उपयोग मनोविज्ञान के द्वारा किया जाता है । मनुष्य का व्यवहार उसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ के द्वारा गठित होता है । उदा. गुजरात के शहर अहमदाबाद या बड़ौदा में रहनेवाली युवती (लड़की) का व्यवहार तथा मध्य प्रदेश या बिहार के आदिवासी क्षेत्र में रहनेवाली युवती (लड़की) का व्यवहार, खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा में अन्तर दिखाई देगा । मनोविज्ञान इस तरह सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के आधार पर मनुष्य के व्यवहार को समझने का प्रयास करता है ।
(4) मनोविज्ञान एक वार्तनिक (व्यवहारिक) विज्ञान है : मनोविज्ञान मनुष्य एवं प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन करता है । इसलिए इसे वार्तनिक विज्ञान कहा जाता है । समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राज्यशास्त्र तथा नृवंशशास्त्र आदि विज्ञान भी मनुष्य के वर्तन का अभ्यास करते हैं । भौतिक विज्ञान के ज्ञान का उपयोग मनोविज्ञान में मनुष्य की शारीरिक रचना अंगों, आँख, कान, देखने, सुनने की क्षमता के संदर्भ में करते हैं । सी. टी. मोर्गन के अनुसार मनोविज्ञान में भौतिक शास्त्र, जैसे प्राकृतिक विज्ञान तथा समाजशास्त्र, नृवंशशास्त्र जैसे सामाजिक विज्ञानों का ज्ञान का समन्वय किया जाता है ।
प्रश्न 3.
आधुनिक मनोविज्ञान के उद्भव और विकास को समझाईये ।
उत्तर :
मानवी के मन और वर्तन (व्यवहार) को समझने का प्रयास मानव उत्पत्ति जितना ही पुराना है । ई. सन् 1600 से तात्त्विक प्रश्नों की चर्चा शुरू हुई । इस समय के दौरान अनेक तत्त्वज्ञानियों ने विश्व के अंतिम स्वरूप की चर्चा के साथ ‘मन’ और ‘बुद्धि’ की भी चर्चा की ।
आधुनिक मनोविज्ञान को व्यवस्थित एवं प्रयोगात्मक स्वरूप प्रदान करने में बुन्ट का योगदान है । बुन्ट और उसके साथियों ने जाग्रत अनुभव और मन के विश्लेषण में रुचि रखते थे । उन्होंने मन की रचना समझने के लिए अन्तर्निरीक्षण पद्धति का उपयोग किया इसी के आधार पर उन्हें रचनावादियों के रूप में जाना जाता है ।
बुन्ट की इस पद्धति को अन्य मनोवैज्ञानिकों ने स्वीकार नहीं किया । बुन्ट की लिजिंग में प्रयोगशाला स्थापित करने के कुछ समय बाद केम्ब्रिज मेसेच्यूटस में अमेरिकन मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने प्रयोगशाला स्थापित की । उन्होंने मानव मन को समझने का नया अभिगम अपनाया । जेम्स के इस अभिगम को कार्यवादी नाम दिया गया ।
20वी सदी के प्रारंभ में रचनावादियों के समष्टिवादी अभिगम (गेस्टाल्ट सायकोलोजी) का उद्भव हुआ । जिसमें वर्धीमर, कोहलर और कोफका का योगदान मुख्य था । मन की रचना में प्रत्यक्षीकृत अनुभव के संगठन पर भार दिया गया । . जॉहान बी. वॉटसन ने मनोविज्ञान के विषयवस्तु के रूप में मन और चेतना का विरोध किया । जिससे रचनावाद के समक्ष दूसरे .. वर्तनवाद नाम का अभिगम प्रारंभ हुआ । वॉटसन पर शास्त्रीय अभिसंधान के सिद्धांतों का गहरा प्रभाव देखा गया ।
वॉटसन के अनुसार मन को देखा नहीं जा सकता और आंतरनिरीक्षण व्यक्तिगत होने से निरीक्षण नहीं किया जा सकता । इस तरह उनके वर्तनवाद के वाद नये वर्तनवाद के रूप में पहचाने जानेवाले मनोवैज्ञानिकों में स्कीनर, टॉलमैन, गथरी आदि का समावेश हुआ ।
इसके बाद सिग्मण्ड फ्रॉइड ने मानव वर्तन को अजाग्रत इच्छा और संघर्ष के गतिशील प्रकटीकरण के रूप में प्रस्तुत किया । मनोविश्लेषणवाद के द्वारा मानसिक रोगों को पहचानने और उपचार करने की पद्धति को प्रस्तुत किया । मनुष्य की अजाग्रत इच्छाएँ तथा सुखप्राप्त करने की इच्छा, जातीय इच्छाओं से प्रेरित होती है । उन्होंने इसे विधायक संदर्भ में प्रस्तुत किया । इसके बाद कार्ल रोजर्स तथा अब्राहिम मेरलो जैसे मानवतावादी ने इच्छाशक्ति, स्वतंत्रता, आंतरिक संभावना का विकास आगे बढ़ने की प्राकृतिक इच्छा पर जोर दिया । इस तरह मनोविज्ञान के इतिहास और विकास में अनेक संभावनाओं को जन्म दिया । और . कितनी ही शाखाओं ने मनोविज्ञान के विकास में योगदान दिया ।
अन्त में 20वीं सदी के उत्तरार्ध में बांधात्मक अभिगम का विकास हआ । जिसमें विचार, समझ जैसे याद रखना और समस्या समाधान का समावेश होता है ।
प्रश्न 4.
बोधात्मक और सामाजिक-सांस्कृतिक अभिगम की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
बोधात्मक अभिगम : वार्तनिक अभिगम में मानवीय वर्तन में यांत्रिक स्पष्टता के आगे ज्ञानात्मक या बोधात्मक अभिगम का विकास हुआ । मानव वर्तन ऐसा नहीं है कि जो उद्दीपक के सामने प्रतिक्रिया दे, अथवा आदेशानुसार कार्य करे । बोधात्मक अभिगम में मनुष्य कम्प्यूटर जैसे यंत्र है । जिसके द्वारा उद्दीपक की जानकारी का अर्थघटन, पृथ्थकरण जैसी बोधात्मक प्रक्रियाएँ होती है । इस तरह म प्य स्वयंस्फुरित रीति से सक्रिय होता है । ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा कोई भी संवेदन का अनुभव होने से तुरन्त ही पहले अनुभवों के संदर्भ में पृथ्थकरण होता है । प्राप्त जानकारी को दूसरी जानकारी के साथ तुलना करके योग्य निर्णय के आधार पर व्यवहार होता है । उद्दीपक एवं प्रतिक्रिया के बीच मनुष्य की स्वतंत्र विचारशक्ति आती है । मानव वर्तन को समझने के लिए यह अभिगम विचारणा, स्मृति, समस्या समाधान, निर्णय क्रिया, जैसे जटिल परिबलों को समझने का प्रयास करता है तथा बोधात्मक अभिगम मानववर्तन से जुड़े शैक्षणिक, बोधात्मक और विकासात्मक परिबलों के संदर्भ में व्यक्ति के मनोव्यापारों को समझने का प्रयास करता है ।
सामाजिक – सांस्कृतिक अभिगम : अभी तक के अभिगमों में अचेतन मन की इच्छा या पर्यावरण मानव वर्तन के कारण समझे जाते थे । मानवी विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देनेवाले सामाजिक-सांस्कृतिक अभिगमों की अवहेलना की गई । लेकिन सामाजिकसांस्कृतिक अभिगम में आस-पास के सामाजिक सांस्कृतिक परिबलों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है । इस अभिगम में मनुष्य के खराब या अच्छे बर्ताव के लिए पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है । व्यक्ति के वर्तन के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य, सामाजिक स्तर, उसकी भूमिका को जिम्मेदार माना गया है ।
प्रश्न 5.
मनोविज्ञान के विकसित अध्ययन के क्षेत्रों की स्पष्टता करते हुए किन्हीं दो को समझाईये ।
उत्तर :
मनोविज्ञान के अध्ययन के क्षेत्र : मनोविज्ञान आधुनिक युग में अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है । मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उसके सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान का व्यापक मात्रा में उपयोग किया जा रहा है, जो निम्नलिखित है :
- प्रायोगिक एवं मनोमापन मनोविज्ञान : इस क्षेत्र में विषय विशेषज्ञों के द्वारा मानव एवं प्राणियों पर प्रयोग करके बुद्धिकसौटी, अभिरूचि, व्यक्तित्व, सिद्धि, पूर्वग्रह, मनोभाव आदि का मापन किया जाता है ।
- चिकित्सा मनोविज्ञान : मनोरोगियों का उपचार तथा पुनर्वसन कार्य । मनोविज्ञान विषय से एम. ए., एम. फिल. पदवी प्राप्त करके चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान कर मानसिक रोगों के हॉस्पिटल में कार्यरत हैं ।
प्रश्न 6.
शालाकीय एवं संगठनलक्षी मनोविज्ञान का परिचय दीजिए ।
उत्तर :
(1) शालाकीय एवं शैक्षणिक मनोविज्ञान : इसमें विद्यार्थियों के अध्ययन में परेशानी, अक्षमता के कारण निराकरण शारीरिक या मानसिक या अन्य प्रकार के विशिष्ट बालकों के लिए शैक्षणिक व्यवस्था करना । बालकों की वृद्धि-विकास के सन्दर्भ में शैक्षणिक आयोजन एवं प्रभावशाली बनाना । उनका सर्वांगी विकास करना ।
(2) संगठनलक्षी मनोविज्ञान : औद्योगिक क्षेत्र कर्मचारियों की नियुक्ति, पूर्वग्रह, मनोभाव, उनकी आदत, अभियोग्यता, रुचि, पसंद-नापसंद, कार्यक्षमता आदि के विषय में सलाह एवं मार्गदर्शन दिया जाता है ।
प्रश्न 7.
समाजलक्षी एवं व्यक्तित्व के मनोविज्ञान का परिचय दीजिए ।
उत्तर :
समाज में मानव वर्तन विविध परिस्थितियों में अलग-अलग होता है । उसको समझना एवं मानव की सामाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा उसके सामाजिक व्यक्तित्व का गठन होता है जिसके द्वारा उसमें सामाजिकता आती है तथा परिवार, समूह, भीड़, लोकमत, पूर्वग्रह, मनोभाव, फैशन, प्रचार में मानव वर्तन का अध्ययन करना मनोविज्ञान का कार्य है । इस क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्ति के व्यक्तित्व पर, समाज, संस्कृति, अनुवंश एवं पर्यावरण जैसे परिबलों का प्रभाव निरीक्षण करने का कार्य करते हैं । इन विशेषज्ञों के द्वारा पूर्वग्रह कम करना, लोकमत बदलना, प्रचार की पद्धतियाँ, प्रकार एवं राजनीति में उपयोग किया जाता है । व्यक्तित्व का मनोविज्ञान व्यक्तित्व विकास के अलग-अलग पहलुओं को समझने का प्रयास करते है । हमारे अनुभव एक जैसा पर्यावरण, अनुवंश – बाल परवरिश के बावजूद भी लोगों के व्यक्तित्व में काफी अन्तर देखा जाता है । उसके कारणों को जानना ।
व्यक्तित्व का योग्य विकास इस क्षेत्र के विशेषज्ञ अलग-अलग प्रकार से व्यक्तित्व विकास की तालीम देते है ।
2. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
(1) मनोविज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान है ।
उत्तर :
मनोविज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान है । (Psychology is Natural Science) उसका अध्ययन का क्षेत्र प्रकृति का ही अंश है । मनोविज्ञान मनुष्य एवं प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन करना है, जो सजीवतंत्रों का प्राकृतिक वर्तनों (व्यवहारों) का ही अंश है । प्राकृतिक घटनाओं की तरह ही वर्तन का प्रारंभ और अन्त होता है ।
इस तरह मनोविज्ञान व्यवहार के अध्ययन के लिए प्राकृतिक विज्ञानों की ही अध्ययन पद्धतियों का उपयोग किया जाता है । इसीलिए मनोविज्ञान को प्राकृतिक विज्ञान कहा जाता है ।
(2) वार्तनिक (व्यवहारिक) अभिगम :
उत्तर :
20वी सदी में औद्योगिक क्रान्ति एवं यंत्रविद्या से प्रभावित वॉटसन ने मनोविज्ञान को केवल वर्तन के विज्ञान के रूप में प्रस्तुत कर वार्तनिक अभिगम प्रदान किया । व्यक्ति को उसके वर्तन द्वारा ही समझना चाहिए जो वस्तुलक्षी रीति से निरीक्षण किया जा सके । जिसमें से चेतना अनुभव आंतरनिरीक्षण पद्धति आदि को अलग रखने के लिए कहा । उन्होंने वर्तनवादी अभिगम को ‘उद्दीपक प्रतिक्रिया अभिगम’ के रूप में पहचान करायी । जिसमें उनके साथ स्कीनर, ग्रन्धि तथा टॉलमैन का मुख्य योगदान था ।
(3) मनोविज्ञान के ध्येय :
उत्तर :
मनोविज्ञान के चार मुख्य ध्येय हैं :
(1) वर्णन
(2) स्पष्टीकरण
(3) भविष्यवाणी
(4) नियंत्रण
(1) वर्णन : मनोविज्ञान की विषयवस्तु मानव वर्तन है और मनोविज्ञान का प्रथम ध्येय या लक्ष्य मानव वर्तन का वर्णन करना है । मनुष्य का वर्तन किस तरह का है ? शारीरिक, मानसिक, बाह्य या आंतरिक देखा जा सकता है या नहीं ? उसका परिणाम एवं उसमें होनेवाले परिवर्तन का वर्णन करना मनोविज्ञान का मुख्य लक्ष्य है ।
(2) स्पष्टीकरण : दूसरा लक्ष्य कोई घटना या परिस्थिति का उद्भव और उसके कारणों का स्पष्टीकरण करना । उदा. कोई व्यक्ति अमुक परिस्थिति में डरता है तो उसके कारणों का पता लगाकर उनका स्पष्टीकरण करना है ।
(3) भविष्यवाणी : विज्ञान के द्वारा स्थापित नियम के आधार पर की गई उस क्षेत्र से सम्बन्धित पूर्व कल्पना । उदा. मौसम
का वर्णन करना गर्मी का प्रमाण, वर्षा होती या नहीं तथा इसी तरह मनुष्य का वर्तन अपने सिद्धांतों के आधार पर करना होता है । इसी तरह बालक की परवरिश कैसे हो रही है, उसका व्यक्तित्व कैसे होगा उसके स्वयं के सिद्धांत हैं । उदा. कोई माता-पिता बालक को कठोर अनुशासन में रखते है तो वह डरपोक होगा ऐसी भविष्यवाणी की जा सकती है । शिक्षण, प्रेरणा, आवेग के सिद्धांतों के आधार पर तथा मनोविज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर मनुष्य के वर्तन की भविष्यवाणी की जा सकती है ।
(4) नियंत्रण : नियंत्रण अर्थात् स्थापित नियमों के आधार पर मनुष्य की परेशानी, चिन्ता, प्रतिकूलता आदि हल करने के लिए किये गये प्रयत्नों से प्राप्त सफलता ।
दूसरे शब्दों में नुकसानकारक परिस्थिति को दूर करने के लिए या हल करने के लिए किये गये प्रयास । मनोविज्ञान मानव वर्तन का अध्ययन करके उसके नियमन के लिए सिद्धांतों का उपयोग करता है । उदा. अपराध, बाल अपराध के कारण खोजना तथा उनको रोकने या दूर करने का प्रयास किया जा सकता है । इसी तरह पूर्वग्रह तथा मनोभाव परिवर्तन करके लोगों के बीच लड़ाई-झगड़े के प्रमाण को कम किया जा सकता है । इसी प्रकार मनोविज्ञान के द्वारा मानव जीवन को सुख-समृद्धि एवं आनंददायक बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
(4) मनोगत्यात्मक अभिगम :
उत्तर :
मनोगत्यात्मक अभिगम मन के अज्ञात पहलु पर जोर देता है तथा मानव वर्तन को मन में गतिशील परिबल (प्रेरणा-आवेग) के संदर्भ में समझने का प्रयास करता है । मनोविश्लेषणवादी डॉ. सिग्मण्ड फ्रॉइड के द्वारा दिये गये अचेतन मन के सिद्धांतों के आधार पर वर्तन के लिए उसमें रही हुई वार्तनिक शक्ति को जिम्मेदार मानते हैं । इस अभिगम में व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व के लिए अनुवंश और बाल्यकाल के अनुभव अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ।
मनोगत्यात्मक अभिगम में मनुष्य सुख प्राप्त करने की इच्छा व्यक्ति के ईड, ईगो और सुपर ईगो, मनमें जाग्रत, अर्धजाग्रत, अजाग्रत पहलुओं और मनोजातीय विकास के सिद्धांत के आधार पर समझने का प्रयास किया जाता है । व्यक्ति के असाधारण वर्तन के उपचार के अनुभवों से इस अभिगम का विकास हुआ है । इस अभिगम के अनुसार मनुष्य मूलभूत रीति से अनिच्छनीय और अज्ञात प्रेरणा से वर्तन करता है । प्रमुख इच्छाओं को किसी भी तरह से पूर्ण करने का प्रयास करना है ।
(5) जैविक अभिगम :
उत्तर :
मनोविज्ञान के विकास में शरीर रचना शास्त्रियों का योगदान विशेष हैं । बेबर, फेंकनर, हेल्महोस्ज आदि की अध्ययन पद्धतियों और मान्यताएं मानववर्तन समझने में मुख्य आधार रहे । जैविक अभिगम में व्यक्ति के वर्तन को समझने के लिए व्यक्ति के मुख्य रंगसूत्र, जनीनतत्त्व, ग्रन्थियों के रसस्राव, चेताप्रवाह, शरीर रचना, ज्ञानेन्द्रियाँ, स्नायुतंत्र कर्मेन्द्रियों का आधार लिया गया । इनके अध्ययन के लिए जीवविज्ञान में उपयोग में ली जानेवाली पद्धतियाँ जैसे कि शस्त्रक्रिया, विद्युत उद्दीपन, जैविक रसायनिक पद्धति तथा उसके साधनों का उपयोग किया जाता है । यह अभिगम प्रारंभ में खूब स्वीकार्य रहा परन्तु बाद में आंतरिक अनुभवों को समझने में तथा वर्तन की स्पष्टता में उतना सफल नहीं रहा । इसके द्वारा मानव शरीर की जटिलता के कारण शरीर एवं मस्तिष्क की सम्पूर्ण समझ एवं वर्तन के प्रत्येक पहलु तथा मनोव्यापार की स्पष्टता नहीं हो पायी । मानव वर्तन सामुहिक क्रिया, सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण पर आधारित है । जहाँ जैविक क्रियाओं को स्थान नहीं है । जिससे जैविक अभिगम की स्वयं की मर्यादाएँ है ।
3. निम्न प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिजिये ।
प्रश्न 1.
मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ लिखिये ।
उत्तर :
मनोविज्ञान (Psychology) शब्द ग्रीक भाषा में Psyche – सायकी शब्द का अर्थ आत्मा तथा Logos का अर्थ विज्ञान दोनों से बना है ।
प्रश्न 2.
मनोविज्ञान की सर्वसामान्य परिभाषा में कौन-से चार मुद्दों का समावेश है ?
उत्तर :
मनोविज्ञान की सर्वसामान्य परिभाषा में निम्न चार मुद्दों का समावेश है :
(A) मानसिक प्रक्रिया
(B) अनुभव
(C) वर्तन
(D) विज्ञान ।
प्रश्न 3.
वॉटसन ने अन्तर्रनिरीक्षण पद्धति का विरोध क्यों किया ?
उत्तर :
वॉटसन ने मनोविज्ञान को मात्र वर्तन के विज्ञान के रूप में सूचित किया जो वस्तुलक्षी रीति से निरीक्षण किया जा सके । उन्होंने चेतना तथा व्यक्तिगत अनुभव आंतरनिरीक्षण की पद्धति स्वीकार नहीं किया ।
प्रश्न 4.
जैविक अभिगम मानववर्तन को समझने के लिए किसका आधार लेता है ?
उत्तर :
जैविक अभिगम मानववर्तन को समझने के लिए व्यक्ति के रंगसूत्र, जनीनतत्त्व, ग्रन्थियों के रसस्राव, चेताप्रवाह, शरीररचना, ज्ञानेन्द्रियाँ, स्नायुतंत्र तथा कर्मेन्द्रियों का आधार लेता है ।
प्रश्न 5.
वर्तनवादी अभिगम किसका विरोध करता है ?
उत्तर :
वर्तनवादी अभिगम में चेतना तथा व्यक्तिगत अनुभव तथा आंतरनिरीक्षण पद्धति का विरोध किया गया है ।
प्रश्न 6.
मनोगत्यात्मक अभिगम में किन सिद्धांतों के आधार पर वर्तन को समझने का प्रयास किया गया है ?
उत्तर :
इस अभिगम में अनुवंश तथा बाल्यकाल के अनुभवों को महत्त्वपूर्ण माना गया है तथा व्यक्ति के अचेतन मन को उसके वर्तन के लिए जिम्मेदार मानकर उसके अध्ययन को आवश्यक मानते हैं ।
प्रश्न 7.
मनोमापनलक्षी मनोविज्ञान में किसका मापन किया जाता है ?
उत्तर :
मनोमापनलक्षी मनोविज्ञान में मानव वर्तन के अलग-अलग पहलु बुद्धि, अभियोग्यता, अभिरूचि, व्यक्तित्व, सिद्धि, पूर्वग्रह, मनोभाव आदि का मापन किया जाता है ।
प्रश्न 8.
बोधात्मक मनोविज्ञान मनुष्य की कौन-सी बातों का अध्ययन करता है ?
उत्तर :
बोधात्मक मनोविज्ञान में मनुष्य की संवेदन शक्ति, प्रत्यक्षीकरण, ध्यान, स्मृति, तर्क, विचार, सर्जनात्मकता, निर्णय क्रिया, समस्या समाधान आदि बातों का अध्ययन किया जाता है ।
प्रश्न 9.
स्वास्थ्य मनोविज्ञान कौन-से कार्य करता है ?
उत्तर :
स्वास्थ्य मनोविज्ञान में व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है । व्यक्ति की योग्य जीवनशैली का मार्गदर्शन, अध्ययन एवं संशोधन का कार्य होता है ।
प्रश्न 10.
मनोविज्ञान के विकासशील क्षेत्र कौन-से है ?
उत्तर :
मनोविज्ञान के विकासशील क्षेत्र निम्नलिखित है :
– बोधात्मक मनोविज्ञान, स्वास्थ्य मनोविज्ञान, खेल-कूद मनोविज्ञान, पर्यावरणलक्षी मनोविज्ञान, अपराध-शोधन मनोविज्ञान आदि ।
4. निम्न प्रश्नों के एक या दो वाक्यों में उत्तर लिजिये ।
प्रश्न 1.
मनोविज्ञान किसका विज्ञान है ?
उत्तर :
मनोविज्ञान मनुष्य एवं प्राणियों के वर्तन का विज्ञान है ।
प्रश्न 2.
विज्ञान के लक्षण बताईये ।
उत्तर :
पुनरावर्तन, परिवर्तन और नियंत्रण तथा वस्तुलक्षिता विज्ञान के लक्षण है ।
प्रश्न 3.
मनोविज्ञान के ध्येय क्या हैं ?
उत्तर :
वर्णन, स्पष्टीकरण, भविष्यवाणी तथा नियंत्रण मनोविज्ञान के ध्येय हैं ।
प्रश्न 4.
मनोविज्ञान की प्रयोगशाला किसने और कहाँ स्थापित की है ?
उत्तर :
सन् 1879 में जर्मनी के लिप्जिग शहर में विल्हेम बन्ट ने मनोविज्ञान की प्रयोगशाला स्थापित की थी ।
प्रश्न 5.
वैज्ञानिक मनोविज्ञान के पिता के रूप में किसे पहचाना जाता है ?
उत्तर :
विल्हेम बुन्ट को मनोविज्ञान के पिता के रूप में जाना जाता है ।
प्रश्न 6.
समष्टिवाद में किस पर जोर दिया जाता है ?
उत्तर :
समष्टिवाद में मन की रचना के स्थान पर प्रत्यक्षीकृत अनुभवों के संगटन पर जोर दिया जाता है ।
प्रश्न 7.
वार्तनिक अभिगम के विकास में कौन-से मनोवैज्ञानिकों का योगदान है ?
उत्तर :
वार्तनिक अभिगम में वॉटसन के उपरांत स्कीनर ग्रन्थि एवं टॉलमैन का योगदान प्रमुख है ।
प्रश्न 8.
विकासात्मक मनोविज्ञान में विकास को कहाँ तक लिया जाता है ?
उत्तर :
विकासात्मक मनोविज्ञान में जन्म के पहले गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक ध्यान में रखा जाता है ।
प्रश्न 9.
चिकित्सा मनोविज्ञान में विशेषज्ञ के रूप में कार्य कौन कर सकता है ?
उत्तर :
चिकित्सा मनोविज्ञान में मनोविज्ञान विषय से एम.ए. करने के बाद एम.फिल. करने के बाद विशेषज्ञ के रुप में कार्य कर सकता है ।
प्रश्न 10.
देश की सर्वप्रथम फोरेन्सिक सायन्स युनिवर्सिटी कहाँ है ?
उत्तर :
गुजरात के गाँधीनगर में देश की सर्वप्रथम फोरेन्सिक सायन्स युनिवर्सिटी की स्थापना की गई ।
प्रश्न 11.
विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान की कौन-सी अवस्था है ?
उत्तर :
विज्ञान के रूप में अभी मनोविज्ञान की तरुणावस्था है ।
प्रश्न 12.
मनोविज्ञान के कौन-कौन-से ध्येय हैं ?
उत्तर :
मनोविज्ञान के मुख्य निम्न ध्येय है :
- वर्णन
- स्पष्टीकरण
- भविष्यवाणी
- नियंत्रण
प्रश्न 13.
बोधात्मक अभिगम का विकास किस सदी में हुआ ?
उत्तर :
20वी सदी के उत्तरार्ध में बोधात्मक अभिगम का विकास हुआ ।
प्रश्न 14.
वर्तनवादी अभिगम को किस नाम से पहचानते हैं ?
उत्तर :
वर्तनवादी अभिगम को ‘उद्दीपक प्रतिक्रिया’ के अभिगम के रूप में पहचाना जाता है ।
प्रश्न 15.
गुजरात सरकार द्वारा कौन-सी हेल्पलाईन शुरू की गई है ?
उत्तर :
गुजरात सरकार द्वारा ‘अभयम हेल्पलाईन’ प्रारंभ की गई है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से योग्य विकल्प पसंद करके सही उत्तर लिखिये ।
प्रश्न 1.
मनोविज्ञान (सायकोलोजी) शब्द कौन-सी भाषा से प्राप्त किया गया है ?
(अ) अंग्रेजी
(ब) ग्रीक
(क) स्पेनिश
(ड) लेटिन
उत्तर :
(ब) ग्रीक
प्रश्न 2.
मनोविज्ञान मानवी के वर्तन का अध्ययन किस संदर्भ में करता है ?
(अ) रस
(ब) रूचि
(क) मनोभाव
(ड) पर्यावरण
उत्तर :
(ड) पर्यावरण
प्रश्न 3.
मनोविज्ञान की विषयवस्तु क्या है ?
(अ) मानवी
(ब) प्राणी
(क) पर्यावरण
(ड) वर्तन
उत्तर :
(ड) वर्तन
प्रश्न 4.
मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कबसे माना गया ?
(अ) 1897
(ब) 1798
(क) 1879
(ड) 1869
उत्तर :
(क) 1879
प्रश्न 5.
मनोविज्ञान को प्रयोगात्मक स्वरुप देने का यश किसे जाता है ?
(अ) विलियम जेम्स
(ब) कोहलर
(क) बुन्ट
(ड) युग
उत्तर :
(अ) विलियम जेम्स
प्रश्न 6.
रचनावादियों ने किस पद्धति का उपयोग किया ?
(अ) बाह्य निरीक्षण
(ब) प्रयोगपद्धति
(क) आंतर निरीक्षण
(ड) समुहवादी
उत्तर :
(ड) समुहवादी
प्रश्न 7.
वर्तनवाद के प्रणेता कौन हैं ?
(अ) बुन्ट
(ब) जेम्स
(क) वॉटसन
(ड) वर्धीमर
उत्तर :
(क) वॉटसन
प्रश्न 8.
अचेतन मन का सिद्धांत किसने दिया ?
(अ) कोहलर
(ब) वॉटसन
(क) फ्रॉइड
(ड) जेम्स
उत्तर :
(क) फ्रॉइड
प्रश्न 9.
मनोमापनलक्षी मनोविज्ञान प्रारंभ किसकी बुद्धि कसौटी से हुआ ?
(अ) बीने सायमन
(ब) डॉ. देसाई
(क) डॉ. भाटिय
(ड) वॉटसन
उत्तर :
(अ) बीने सायमन
प्रश्न 10.
तन एवं मन तंदुरस्त जीवन जीने का मार्गदर्शन से कौन-सी मनोवैज्ञानिक शाखा जुड़ी है ?
(अ) खेलकूद मनोविज्ञान
(ब) पर्यावरणलक्षी मनोविज्ञान
(क) स्वास्थ्य मनोविज्ञान
(ड) सलाह मनोविज्ञान
उत्तर :
(क) स्वास्थ्य मनोविज्ञान
प्रश्न 11.
मनोविज्ञान के स्वरूप को समझने के लिए क्या आवश्यक है ?
(अ) लक्षण
(ब) प्रकृति
(क) विषयवस्तु
(ड) विज्ञान
उत्तर :
(अ) लक्षण
प्रश्न 12.
किस मनोवैज्ञानिक को मनोविज्ञान का पिता माना जाता है ?
(अ) वॉटसन
(ब) वुन्ट
(क) फ्राईड
(ड) हिंगिस
उत्तर :
(ब) वुन्ट
प्रश्न 13.
मन एवं चेतना का विरोध किस मनोवैज्ञानिक ने किया ?
(अ) वुन्ट
(ब) मेश्लो
(क) वॉटसन
(ड) फ्राईड
उत्तर :
(क) वॉटसन
प्रश्न 14.
मनोगत्यात्मक अभिगम के लिए कौन-से अनुभव आवश्यक है ?
(अ) युवा अवस्था
(ब) शिशु अवस्था
(क) बाल्य अवस्था
(ड) पुख्त अवस्था
उत्तर :
(क) बाल्य अवस्था
प्रश्न 15.
मनोमापनलक्षी मनोविज्ञान का प्रारंभ किसने किया ?
(अ) बीने एन्ड सायमन
(ब) वुडवर्थ
(क) वॉटसन
(ड) मेश्लो
उत्तर :
(अ) बीने एन्ड सायमन
प्रश्न 16.
चिकित्सा एवं असाधारण मनोविज्ञान में किसका उपचार होता है ?
(अ) हार्ट
(ब) किडनी
(क) मनोरोगियों
(ड) शारीरिक रोगी
उत्तर :
(क) मनोरोगियों