GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 2 अध्ययन (अभ्यास) पद्धतियाँ

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 2 अध्ययन (अभ्यास) पद्धतियाँ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 2 अध्ययन (अभ्यास) पद्धतियाँ

GSEB Class 11 Psychology अध्ययन (अभ्यास) पद्धतियाँ Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्न प्रश्नों को विस्तृत रूप से समझाईये ।

प्रश्न 1.
व्यवस्थित निरीक्षण तथा उसके लाभ तथा मर्यादाओं को समझाईये ।
उत्तर :
निरीक्षण पद्धति : ‘निरीक्षण पद्धति अर्थात् प्राकृतिक घटनाओं का कार्यकारण के सन्दर्भ में अध्ययन ।’
– Oxford Concise Dictionary.

निरीक्षण पद्धति के निम्नलिखित प्रकार हैं :
(अ) आंतर निरीक्षण
(ब) प्राकृतिक निरीक्षण
(क) व्यवस्थित निरीक्षण
(ड) क्षेत्र निरीक्षण
(इ) सहभागी निरीक्षण
(ई) तुलनात्मक निरीक्षण

व्यवस्थित निरीक्षण : प्राकृतिक निरीक्षण की सबसे बड़ी मर्यादा यह है कि निरीक्षक एक समय में एक ही घटना पर ध्यान केन्द्रित कर सकता है । उसे विश्वसनीय बनाने के लिए निरीक्षक कितने ही टेकनीकल साधन जिनसे एक तरफ से देखा जा सके ऐसा पर्दा (वन वे स्क्रीन) टेप रेकोर्डर, केमरा, विडियो आदि साधनों का उपयोग कर सकता है तथा कृतिमता का निवारण करके निरीक्षण को सामान्य बना सकता है । उपरोक्त साधनों की मदद से निरीक्षक की मर्यादा एवं व्यक्तिलक्षिता की मर्यादा पर नियंत्रण संभव हुआ है । जिसके द्वारा व्यवस्थित और वस्तुलक्षी अध्ययन संभव हुआ है ।

लाभ : व्यवस्थित निरीक्षण में प्रत्येक घटनाओं की छोटी से छोटी बातों का निश्चित अध्ययन संभव होने से यह पद्धति प्राकृतिक निरीक्षण से अधिक विश्वसनीय कही जा सकती है ।

मर्यादा : अचानक होनेवाली घटनाओं का अध्ययन इस पद्धति द्वारा संभव नहीं है ।

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प्रश्न 2.
क्षेत्र निरीक्षण किसे कहते हैं ? उसके मनोवैज्ञानिक महत्त्व को समझाईये ।
उत्तर :
निरीक्षण पद्धति एक ऐसी पद्धति है कि जिसमें किसी विशिष्ट प्रकार का नियंत्रण नहीं होता है । लेकिन कितने ऐसे निरीक्षण होते है जिसमें निरीक्षक को घटनास्थल जाकर ही अध्ययन करना पड़ता है । ऐसे अध्ययन को क्षेत्रिय निरीक्षण कहा जाता है ।

  1. उत्तरांचल में बाढ़ के प्रकोप निरीक्षण को उत्तरांचल में जाकर ही किया जा सकता है ।
  2. गुजरात के गाँवों में महिला सरपंच द्वारा स्त्री सशक्तिकरण एवं महिला विकास की प्रक्रिया समझने के लिए वहाँ की महिलाओं का पशुपालन, डेरी उद्योग, भरतकार्य एवं गूंथ क्रिया में हुई प्रगति का गाँव में जाकर ही निरीक्षण किया जा सकता है ।

लाभ : क्षेत्र निरीक्षण का स्थल पर जाकर निश्चित एवं बारीकी से अध्ययन करके अधिक विश्वसनीय पद्धति कही जा सकती है ।

मर्यादा : इस पद्धति का उपयोग केवल तत्कालीन घटनाओं का ही किया जा सकता है ।
इसकी मनोवैज्ञानिकता या महत्त्व इसलिए बढ़ जाता क्योंकि यह अन्य पद्धतियों से अधिक विश्वसनीय है तथा घटनास्थल जाकर निरीक्षण करने से कृतिमता पर नियंत्रण एवं वस्तुलक्षी कही जाती है ।

प्रश्न 3.
व्यक्ति इतिहास पद्धति को समझाईये ।
उत्तर :
व्यक्ति इतिहास पद्धति : इस पद्धति में व्यक्ति (प्रयोगपात्र) का इतिहास जानकर अध्ययन किया जाता है । अभी तक परिचित विविध पद्धतियों में समूह पर अध्ययन करनेवाली पद्धति थी, परन्तु व्यक्ति इतिहास पद्धति में एक समय में एक ही व्यक्ति’ का अध्ययन किया जाता है । आवश्यकता पड़ने पर कभी परिवार या एक समूह का एक एकम के रूप में अध्ययन हो सकता है । इस पद्धति में व्यक्ति के भूतकाल या वर्तमान समय की परिस्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है । इसमें पारिवारिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय और तत्कालीन बनी घटनाओं के संदर्भ में व्यक्ति के विषय में जानकारी एकत्रित की जाती है । इस पद्धति में संशोधक के द्वारा किसी भी प्रकार का हस्तोपयोजन नहीं किया जाता है ।

लाभ : केवल व्यक्ति के विषय में जानकारी प्राप्त करके गहराई में अध्ययन हो सकता है तथा व्यक्ति के भूतकाल एवं वर्तमान काल के आधार पर भविष्य के व्यवहार के बारे में भविष्यवाणी की जाती है ।

मर्यादा : व्यक्ति इतिहास पद्धति में सबसे बड़ी मर्यादा व्यक्ति से प्राप्त जानकारी वर्णन स्वरुप में होने से उसके विश्लेषण करने में परेशानी होती है ।

प्रश्न 4.
प्रयोग पद्धति को संक्षिप्त में समझाईये ।
उत्तर :
प्रयोग पद्धति : प्रयोग पद्धति मनोविज्ञान का हार्द है । इसी के माध्यम से मनोविज्ञान को अन्य विज्ञानों की पंक्ति में खड़े रहने
का सौभाग्य प्राप्त हुआ है । विल्हेम बुन्ट ने प्रायोगिक अभिगम को स्वीकार करके 1879 में अपने आधुनिक दृष्टिबिन्दु के द्वारा मनोविज्ञान को विज्ञान में स्थान प्राप्त करने में सक्षम बनाया ।

परिभाषा : प्रयोग अर्थात् नियंत्रित परिस्थिति में किया गया निरीक्षण ।

  1. प्रयोग एक हेतुपूर्वक निश्चित की गई शर्तों के आधार पर, निश्चित परिस्थिति तैयार करके उसमें आवश्यक नियंत्रण रखकर किया जानेवाला निरीक्षण ।
    – टिशनर
  2. प्रायोगिक परिस्थिति में एक परिवर्त्य में हेतुपूर्वक परिवर्तन करके उस परिवर्तन की दूसरे परिवर्त्य पर क्या प्रभाव पड़ता है जानने के लिए दो परिवों के परस्पर सम्बन्ध का किया गया निरीक्षण ।
    – बी. एफ. एन्डरसन

प्रयोग के लक्षण :

(अ) नियंत्रण : प्रयोगशाला में किये गये प्रयोग एक परिवर्त्य का दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है यह जानना कठिन है इसलिए जिस परिवर्त्य पर प्रयोग करना हो अन्य परिवर्त्य पर नियंत्रण रखना पड़ता है ।

उदा. : निंद की गोलियों का व्यक्ति की कार्यक्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है इसको जानने के लिए नियमित निंद की गोलियाँ लेनेवाले व्यक्ति को प्रयोगपात्र नहीं बना सकते है ।

(ब) परिवर्तन : यह प्रयोग का महत्त्वपूर्ण लक्षण है । बिना परिवर्तन के प्रायोगिक परिस्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता है । इसलिए प्राकृतिक निरीक्षण की तुलना में अधिक वैज्ञानिक बननेवाला यह लक्षण है । इसके उपरांत प्रयोगकर्ता स्वतंत्र परिवर्त्य । में एक से अधिक समय परिवर्तन कर सकता है ।

(क) पुनरावर्तन : पुनरावर्तन के कारण ही प्रयोग को अधिक विश्वसनीयता प्राप्त हुई है । नैसर्गिक प्रयोग में पुनरावर्तन संभव नहीं होता है । इसलिए प्रयोगशाला में किया गया प्रयोग अधिक विश्वसनीय होता है । परिवर्तन का अध्ययन पुनरावर्तन का कारण ही संभव हो सका है ।

(इ) वस्तुलक्षिता : प्रयोग के दरमियान प्रयोगकर्ता (निरीक्षक) के स्वयं की मान्यता, मनोभाव, पूर्वग्रह के बिना किया गया निरीक्षण अर्थात् वस्तुलक्षिता ।
परिवर्त्य : ‘ऐसी परिस्थिति, परिबल या घटना जिसमें परिवर्तन हो सकता है ।’
परिवर्त्य के तीन प्रकार हैं : स्वतंत्र परिवर्त्य, आधारित परिवर्त्य एवं नियंत्रित परिवर्त्य ।

प्रयोग के लाभ : प्रयोग में नियंत्रण होने से प्रयोग का हेतु सिद्ध हो सकता है ।

  1. प्रयोग का पुनरावर्तन संभव होने से विश्वसनीयता स्थापित की जा सकती है ।
  2. प्रयोगकर्ता अपनी इच्छा से प्रयोग में हस्तोपयोग कर सकता है ।
  3. प्रयोग के परिणाम संख्यात्मक होने से उनका विश्लेषण या अर्थघटन करना सरल है ।

मर्यादा : प्रयोग का हेतु यदि प्रयोगपात्र को ख्याल आ जाय तो उसके कार्य में कृत्रिमता आ सकती है ।

  1. प्रयोग जीवित मानवी या प्राणी पर करने से उसका सहकार प्रयोग के लिए अनिवार्य बन जाता है ।
  2. प्रयोग करने में कभी नैतिक, कानूनी या सामाजिक बातें बाधारूप बन जाती है ।

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प्रश्न 5.
प्रश्नावली पद्धति को समझाईये ।
उत्तर :
प्रश्नावली पद्धति : प्रश्नावली पद्धति किसी भी संशोधन के लिए जानकारी एकत्रित करने में सबसे सरल, सस्ता एवं प्रिय साधन है । समस्या हेतु प्रश्नावली तैयार की जाती है जिसमें उत्तरदाता को प्रश्न पढ़कर, समझकर विचार कर उत्तर देने होते हैं ।

परिभाषा : ‘प्रश्नावली अर्थात् निश्चित समस्या के लिए निश्चित जानकारी एकत्रित करने के हेतु से तैयार किये गये प्रश्नों का समूह ।’ प्रश्नावली में प्रश्नों के स्वरूप के आधार पर प्रश्नावली के दो प्रकार किये जा सकते है ।

  1. बन्ध / सांकेतिक / सीमित प्रश्नावली
  2. मुक्त अभिप्रायलक्षी विस्तृत प्रश्नावली ।

लाभ :

  1. प्रश्नावली बड़े समूह को दी जा सकती है ।
  2. प्रश्नावली गतिशील पूर्वग्रह रहित वस्तुलक्षी मापन पद्धति है ।
  3. प्रश्नावली संचालन, जानकारी एकत्रीकरण और विश्लेषण की दृष्टि से अन्य से सरल है ।
  4. प्रश्नावली में ज्यादातर प्रश्नों के संदर्भ में जानकारी प्राप्त होने से बिनजरुरी जानकारी दूर की जा सकती है ।

मर्यादा :

  1. प्रश्नावली में संशोधक को कई बार पसंदगीयुक्त निदर्श पसंद करने में परेशानी होती है ।
  2. प्रत्येक प्रश्नावली भरवाने के पास वापस नहीं आती और आती है तो अधूरी एवं अस्पष्ट जानकारी भी होती है ।

प्रश्न 6.
मनोवैज्ञानिक कसौटी के लक्षणों को समझाईये ।
उत्तर :
‘मनोवैज्ञानिक कसौटी अर्थात् दो से अधिक व्यक्तियों के व्यवहार का तुलनात्मक मापन करने की नीति ।’
मनोवैज्ञानिक कसौटी के लक्षण निम्नलिखित है :

  1. व्यवहार के नमूना का मापन
  2. प्रमाणिकता
  3. मानांक
  4. वस्तुलक्षिता
  5. यथार्थता
  6. विश्वसनीयता ।

व्यवहार के नमूना का मापन : व्यक्ति के समग्र व्यवहार का मापन कठिन है इसलिए व्यवहार के निश्चित पहलु का मापन किया जा सके और उसकी भविष्यवाणी की जा सके ।

प्रमाणिकता : मनोवैज्ञानिक कसौटी का संचालन और उससे प्राप्तांक प्राप्त करना निश्चित कसौटी के द्वारा मूल्यांकन करने को प्रमाणिकता कहते हैं । कसौटी के संचालक के लिए तथा कसौटी लेनेवाले के लिए निश्चित नियम स्थल एवं एकसूत्रता बनाये रखना आवश्यक है ।

मानांक : मानांक अर्थात् कसौटी के प्रमाणीकरण के समय स्थापित किये गये मापदण्ड । कसौटी के एक समूह के लिए बनाई गयी निश्चित प्रतिनिधि रूप का नमूना लेकर उनके औसत कार्य की मदद से व्यक्ति का स्थान निश्चित किया जाता है । समूह के इस औसत कार्य को ही मानांक कहा जाता है ।

वस्तुलक्षिता : कसौटी लेनेवाला व्यक्ति या उत्तरों का मूल्यांकन करनेवाला व्यक्ति व्यक्तिगत मान्यता, मनोभाव, पूर्वग्रह के बिना मूल्यांकन करे तो उसे वस्तुलक्षिता कहा जाता है, जो इच्छा या पक्षपात बिना होना चाहिए ।

यथार्थता : कसौटी में व्यक्तियों के व्यवहार (वर्तन) के नमूना का मापन करने के लिए रचना की गई हो और केवल वही व्यवहार (वर्तन) के पहलु को मापन करे तो उसे यथार्थता कहते हैं ।

विश्वसनीयता : अर्थात् कसौटी के परिणामों में सातत्य या सुसंगतता । अनास्टसी के मतानुसार कोई एक कसौटी अथवा उसके समकक्ष अन्य कसौटी जिस किसी व्यक्ति या समूह की अलग-अलग समय में एक ही परिणाम आये तो उसे विश्वसनीयता कहते हैं ।

प्रश्न 7.
मुलाकात पद्धति को समझाईये ।
उत्तर :
‘मुलाकात अर्थात् साक्षात् एक-दूसरे के समक्ष बातचीत करना ।’

  1. मुलाकात सामाजिक आंतरक्रिया की प्रक्रिया है ।
  2. मुलाकात आंतर वैयक्तिक परिस्थिति है । – गुड-हट
  3. मुलाकात में सम्बोधन से सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देना होता है । – करलिंगर

मुलाकात पद्धति में संशोधक स्वयं तालीम प्राप्त, मुलाकात लेनेवाला अधिकारी मुलाकाती को रचित / निश्चित/ पूर्व सांकेतिक प्रश्न पूछता है । मुलाकात करनेवाले संशोधन के प्रयोजन हेतु जानकारी देकर प्रश्नों के उत्तर देने की प्रेरणा देकर अध्ययन से सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करता है । इससे मुलाकाती के हाव-भाव चेष्टा के आधार पर प्रश्नों के उत्तर सही है या नहीं इस विषय में निर्णय ले सकता है । प्रश्नों के प्रकार के आधार पर मुलाकात पद्धति भी संरचित मुलाकात या असंरचित अथवा औपचारिक या अनौपचारिक मुलाकात जैसे प्रकारों की मुलाकात लेकर उसका उपयोग कर सकता है ।

लाभ :

  1. बालकों या अशिक्षित समूह की मुलाकात इस मुलाकात पद्धति से संभव है ।
  2. मुलाकात पद्धति में उत्तर देनेवाले को विश्वास में लेकर उसके व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर देने में झिझक या हिचकिचाहट दूर करके उत्तर प्राप्त किये जा सकते है ।

मर्यादा :

  1. मुलाकाती की साक्षात् मुलाकात लेने से यह पद्धति काफी खर्चिली, समय एवं शक्ति खर्च करती है ।
  2. कई बार अनजाने में मुलाकात लेनेवाला अधिकारी के पूर्वग्रह का प्रभाव उत्तरों में दिखाई देता है ।

2. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।

प्रश्न 1.
सहभागी या तुलनात्मक निरीक्षण ।
उत्तर :
सहभागी निरीक्षण (Participatory Observation) :
कहीं ऐसे समूह का अध्ययन करना हो जिसकी जानकारी अन्यत्र उपलब्ध न हो या उस समूह के अलावा कहीं से प्राप्त होने की संभावना न हो ऐसे समय में निरीक्षक उस समूह का सदस्य बनकर तथा उनकी गति-विधियों पर बारीकी से नजर रखकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है । इस पद्धति का लाभ यह है कि निरीक्षक स्वयं उस समूह का सदस्य होने से विश्वास प्राप्त करके प्राकृतिक पर्यावरण में इच्छित अध्ययन कर सकता है ।
उदा. : किसी चण्डाल या ढौंगी साधु की पोल खोलनी हो तो उसके परम शिष्य बनकर आंतरिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।

यदि किसी मानव व्यापार (Human Trafficking) से जुड़ी टोली के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए टोली के सदस्य बनकर ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।

लाभ : अन्य क्षेत्र की प्राप्त न होनेवाली जानकारी का निरीक्षण सहजता से किया जा सकता है ।
मर्यादा : यदि इस निरीक्षण में निरीक्षक के लक्ष्य का ख्याल समूह को आ जाय तो कार्य करना कठिन हो जाता है ।

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प्रश्न 2.
दीर्घकालीन या समकालीन पद्धति :
उत्तर :
समकालीन पद्धति : समकालीन अध्ययन पद्धति अनुप्रस्थ छेदीय अध्ययन पद्धति के रूप में प्रख्यात है । दीर्घकालीन अध्ययन पद्धति का उपयोग विकासात्मक मनोविज्ञान में किया जाता है । परन्तु समय के बन्धन के कारण अध्ययन जल्दी करना हो तो समकालीन अध्ययन पद्धति का उपयोग सरल होता है । विकास के क्रम के एकमों का जल्दी एक ही समय में अध्ययन करना हो तो अध्ययन के अंतर्गत आनेवाले प्रत्येक उम्र के व्यक्तियों का अध्ययन एकसाथ करने के कारण इस पद्धति को समकालीन पद्धति कहते हैं । दीर्घकालीन अध्ययन पद्धति के अध्ययन में समावेश किये गये तमाम उम्र क्रमिक एकमों से बालक आगे बढ़े या पसार हो तब तक इन्तजार करना पड़ता है तथा अध्ययन का समय पूरा न हो तब तक निष्कर्ष तक नहीं पहुँच सकते हैं । जबकि समकालीन अध्ययन पद्धति में एक ही समय विकास के विविध एकमों का क्रमिक तुलनात्मक अध्ययन करके निष्कर्ष तक पहुँच सकते हैं ।

लाभ : दीर्घकालीन अध्ययन पद्धति से इस पद्धति में समय, शक्ति एवं खर्च का काफी बचाव कर सकते है ।
मर्यादा : इस पद्धति में एक ही बालक या व्यक्ति की अलग-अलग उम्र होने पर विविध परिवर्तनों का अध्ययन नहीं हो सकता है ।

प्रश्न 3.
प्रयोग के लक्षणों को समझाईये ।
उत्तर :
प्रयोग के निम्न लक्षण हैं :
(अ) नियंत्रण
(ब) परिवर्तन
(क) पुनरावर्तन
(ड) वस्तुलक्षिता

(अ) नियंत्रण : प्रयोगशाला में किसी भी प्रयोग को करते समय अगर उस पर नियंत्रण न हो तो एक परिवर्त्य का दूसरे परिवर्त्य पर क्या प्रभाव पड़ता है उसे जानना कठिन है । इसलिए प्रयोगकर्ता को प्रयोग के दौरान जिस परिवर्त्य पर अध्ययन करना हो उसके सिवाय अन्य परिवर्त्य पर नियंत्रण रखना पड़ता है ।

(ब) परिवर्तन : यह प्रयोग का महत्त्वपूर्ण लक्षण है । यदि प्रयोग में परिवर्तन न हो तो परिस्थिति वही रहती है । इसलिए परिवर्तन प्राकृतिक निरीक्षण की तुलना में प्रयोगपद्धति को अधिक वैज्ञानिकता प्रदान कराता है । प्रयोगकर्ता स्वतंत्र परिवर्त्य में एक से अधिक समय परिवर्तन कर सकता है ।

(क) पुनरावर्तन : प्रयोग पद्धति में पुनरावर्तन के कारण ही विश्वसनीयता प्राप्त होती है । प्राकृतिक निरीक्षण में पुनरावर्तन संभव न होने से प्रयोगशाला में प्रयोग में अधिक विश्वसनीयता का कारण ही पुनरावर्तन है ।

(ड) वस्तुलक्षिता : प्रयोग करते समय प्रयोगकर्ता या निरीक्षक की कोई भी व्यक्तिगत मान्यता, मनोभाव या पूर्वग्रह बिना का निरीक्षण अर्थात् वस्तुलक्षिता । प्रयोग दरम्यान प्रयोगकर्ता की मान्यता, पूर्वग्रह या मनोभाव के कारण प्रयोग दुषित होने की पूरी संभावना रहती है और परिणाम वस्तुलक्षी नहीं आते हैं ।

प्रश्न 4.
मुलाकात पद्धति के लाभ एवं मर्यादाएँ समझाइए ।
उत्तर :
‘मुलाकात पद्धति अर्थात् साक्षात् एकदूसरे के समक्ष बातचीत ।
लाभ :

  1. बालकों तथा अशिक्षित समूह का अध्ययन मुलाकात पद्धति में संभव है ।
  2. मुलाकात पद्धति में उत्तर देनेवाला का विश्वास प्राप्त करके उनके व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर बिना हिचकचाट के बिना प्राप्त कर सकते हैं ।

मर्यादा :

  1. प्रत्येक मुलाकाती की साक्षात् मुलाकात लेने के कारण प्रश्नावली पद्धति से अधिक खर्च, समय एवं शक्ति का व्यय होता है ।
  2. कई बार अनजाने में मुलाकात लेनेवाले अधिकारी के पूर्वग्रह का प्रभाव दिखाई देता है ।

प्रश्न 5.
मनोवैज्ञानिक कसौटी के लक्षण समझाईये ।
उत्तर :
मनोवैज्ञानिक कसौटी के निम्नलिखित लक्षण हैं :
(अ) वर्तन (व्यवहार) के नमूनों का मापन
(ब) प्रमाणिकता
(क) मानांक
(ड) वस्तुलक्षिता
(इ) यथार्थता
(ई) विश्वसनीयता ।

(अ) वर्तन (व्यवहार) के नमूनों का मापन : अनास्टसी के मतानुसार मनोवैज्ञानिक कसौटी वर्तन (व्यवहार) के नमूनों का मापन करता है । व्यक्ति के समग्र व्यवहार का मापन संभव नहीं है इसलिए किसी निश्चित पहलु का मापन करके अध्ययन के द्वारा भविष्यवाणी की जा सकती है ।

(ब) प्रमाणिकता : मनोवैज्ञानिक कसौटी का संचालन करके उसके द्वारा प्राप्तांक प्राप्त कराने के निश्चित पद्धति या रीति को ही मनोवैज्ञानिक कसौटी की प्रमाणिकता कहते हैं । मनोवैज्ञानिक कसोटी के परिणाम की विश्वसनीयता के लिए सूचनाएँ, कसौटी का समय, कसौटी संचालन की एकसूत्रता बनाये रखना आवश्यक है ।

(क) मानांक : मानांकों अर्थात् कसौटी के प्रमाणीकरण के समय स्थापित किये गये मापदण्ड । अर्थात् जिस समूह के लिए बनाये गये हो उस समूह से निश्चित प्रतिनिधि रूप नमूने लेकर पसंद किये गये समूह के औसत कार्य की मदद से व्यक्ति का स्थान निश्चित होता है । समूह के इस औसत कार्य को उस समूह के मानांक कहे जाते हैं ।

(ड) वस्तुलक्षिता : यदि कसौटी लेनेवाला व्यक्ति किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत मान्यता, मनोभाव या पूर्वग्रह के बिना मूल्यांकन करता है वह वस्तुलक्षी है ।

(इ) यथार्थता : कसौटी में व्यक्तियों के वर्तन (व्यवहार) के नमूनों को मापने के लिए रचना की गई हो वह केवल वर्तन के उसी पहलु का मापन करती है तो वह कसौटी की यथार्थता है । विश्वसनीयता : अर्थात् कसौटी के परिणामों की सातत्यता या सुसंगतता अनास्टसी के विचारानुसार कोई भी एक कसौटी या उसके समकक्ष अन्य कसौटी किसी व्यक्ति या समूह को अलग-अलग समय पर देने से उसका प्रत्येक समय परिणाम समान आने पर उसकी विश्वसनीयता मानी जाती है ।

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प्रश्न 6.
तुलनात्मक निरीक्षण पद्धति को समझाईये ।
उत्तर :
जब दो समूह या दो व्यक्तियों की तुलना करनी हो तो तब इस पद्धति का उपयोग किया जाता है । दोनों का निरीक्षण करके निश्चित निष्कर्ष निकाला जाता है ।
लाभ : तुलनात्मक अध्ययन के लिए यह पद्धति अधिक लाभदायक है ।
मर्यादा : यह पद्धति तुलनात्मक अभिगम का ध्येय होने से अन्य जानकारी प्राप्त नहीं होती है ।

प्रश्न 7.
व्यक्ति इतिहास पद्धति :
उत्तर :
इस पद्धति में जैसा नाम वैसा गुण होने से व्यक्ति या प्रयोगपात्र के इतिहास की जानकारी प्राप्त करके अध्ययन किया जाता है । इसमें एक समय में एक ही व्यक्ति का अध्ययन किया जाता है । इसमें कभी-कभी आवश्यकता अनुसार इसमें परिवार या समूह का एकम के रूप में अध्ययन किया जाता है तथा व्यक्ति के भूतकाल तथा वर्तमान काल की जानकारी प्राप्त की जाती है । इस पद्धति में संशोधक के द्वारा किसी प्रकार का हस्तोपयोजन नहीं किया जा सकता है ।

लाभ : इसमें व्यक्ति की जानकारी प्राप्त करके गहराई में अध्ययन हो सकता है तथा उसके भूतकाल. या वर्तमान काल के आधार पर भविष्य के व्यवहार के विषय में भविष्यवाणी की जाती है ।
मर्यादा : इसमें प्राप्त जानकारी वर्णनात्मक स्वरूप में होने से विश्लेषण करने में परेशानी होती है ।

3. निम्न प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिये ।

प्रश्न 1.
निरीक्षण अर्थात क्या ?
उत्तर :
समाज की जीवित परिस्थिति का आँखों द्वारा क्रमिक हेतुपूर्वक वैज्ञानिक रीति से निरीक्षणकर्ता द्वारा स्वयं की पद्धति से कियागया विश्लेषण अर्थात निरीक्षण ।
– डी. एन. श्रीवास्तव

प्रश्न 2.
निरीक्षण पद्धति के प्रकार लिजिये ।
उत्तर :
निरीक्षण पद्धति के निम्न प्रकार है :
(अ) आंतर निरीक्षण
(ब) प्राकृतिक निरीक्षण
(क) व्यवस्थित निरीक्षण
(ड) क्षेत्र निरीक्षण
(इ) सहभागी निरीक्षण
(ई) तुलनात्मक निरीक्षण

प्रश्न 3.
सहभागी निरीक्षण की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर :
किसी समूह के निरीक्षण के लिए उसकी जानकारी प्राप्त करना कठिन हो तब प्रयोगकर्ता स्वयं समूह का सदस्य बनकर समूह की जानकारी प्राप्त कर सकता है । इसलिए सहभागी निरीक्षण की आवश्यकता होती है ।

प्रश्न 4.
प्रयोग की परिभाषा देकर अर्थ स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
प्रयोग हेतुपूर्वक निश्चित किया गया शर्तों के आधार पर निश्चित परिस्थिति उत्पन्न करके उस पर आवश्यक नियंत्रण करके किया गया निरीक्षण है ।

प्रश्न 5.
प्रयोग में पुनरावर्तन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्रयोगशाला में किये गये प्रयोग में समय एवं परिस्थिति में बदलाव होने के कारण परिवर्तन के अध्ययन पुनरावर्तन के कारण ही संभव हैं और विश्वसनीय माने जाते हैं ।

प्रश्न 6.
परिवर्त्य के प्रकार लिखिये ।
उत्तर :
परिवर्त्य के प्रकार निम्न है :
(अ) स्वतंत्र परिवर्त्य,
(ब) आधारित परिवर्त्य,
(क) नियंत्रित परिवर्त्य

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प्रश्न 7.
मुलाकात पद्धति की परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
मुलाकात पद्धति अर्थात् साक्षात् आमने-सामने की बातचीत ।

प्रश्न 8.
विश्वसनीयता अर्थात् क्या ?
उत्तर :
विश्वसनीयता अर्थात् कसौटी के परिणामों में सातत्य एवं सुसंगतता ।

प्रश्न 9.
कसौटी के मानांक क्या है ?
उत्तर :
मानांक अर्थात कसौटी के प्रमाणीकरण के समय स्थापित किये गये मापदण्ड तथा कसौटी के समधारण के औसत कार्य ।

प्रश्न 10.
मनोवैज्ञानिक कसौटी का अर्थ लिखिये ।
उत्तर :
मनोवैज्ञानिक कसौटी व्यक्ति के व्यवहार के नमूना का वस्तुलक्षी मापन करता है ।
– अनास्टसी

प्रश्न 11.
वस्तुलक्षिता अर्थात् क्या ?
उत्तर :
वस्तुलक्षिता मनोवैज्ञानिक कसौटी का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण जिसका अर्थ है कि कसौटी लेनेवाला व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत मान्यता, मनोभाव एवं पूर्वग्रह के बिना मूल्यांकन करता है ।

प्रश्न 12.
प्रमाणिकता अर्थात् क्या ?
उत्तर :
यह मनोवैज्ञानिक कसौटी का एक लक्षण है जिसका अर्थ है कि मनोवैज्ञानिक कसौटी का करने की रीति उससे प्राप्तांक प्राप्त करने के लिए निश्चित पद्धति एवं रीति की प्रमाणिकता है ।

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प्रश्न 13.
प्रश्नावली पद्धति याने क्या ?
उत्तर :
प्रश्नावली पद्धति अर्थात् निश्चित समस्या के लिए निश्चित जानकारी एकत्रित करने के हेतु से तैयार किया गया प्रश्नों का समूह ।

4. निम्न प्रश्नों के एक-दो वाक्यों में उत्तर लिखिये ।

प्रश्न 1.
निरीक्षण अर्थात् क्या ?
उत्तर :
निरीक्षण अर्थात् प्राकृतिक घटनाओं का कार्यकारण के संदर्भ में अध्ययन ।
– Oxford Concise Dictionary

प्रश्न 2.
आंतर निरीक्षण क्या है ?
उत्तर :
आंतर निरीक्षण पद्धति अर्थात् ‘स्वयं के भीतर अंतर्मुख होकर स्वयं में चलते हुए मनोव्यापारों का निरीक्षण ।’

प्रश्न 3.
व्यवस्थित निरीक्षण में उपयोगी साधनों के नाम बताईए ।
उत्तर :
वन वे स्क्रीन, टेपरेकोर्डर, केमरा, विडियो केमरा, आदि ।

प्रश्न 4.
दो व्यक्तियों का तुलनात्मक अध्ययन करनेवाली पद्धति का नाम बताईए ।
उत्तर :
दो समूह या दो व्यक्तियों के व्यवहार को मापने के लिए ‘तुलनात्मक अध्ययन पद्धति’ का उपयोग होता है ।

प्रश्न 5.
एक ही समूह का लम्बे समय तक के अध्ययन को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
एक ही समूह या व्यक्ति पर लम्बे समय तक अध्ययन करनेवाली पद्धति को ‘व्यक्ति इतिहास पद्धति’ (Case History Method) कहते हैं।

प्रश्न 6.
स्वतंत्र परिवर्त्य याने क्या ?
उत्तर :
प्रयोग में जिसके प्रभाव का अध्ययन करना हो तथा प्रयोगकर्ता जिसमें परिवर्तन कर सके उसे स्वतंत्र परिवर्त्य कहते हैं ।

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प्रश्न 7.
प्रयोग में योग्य रूप से नियंत्रण न हुआ हो तो क्या होता है ? ।
उत्तर :
प्रयोग दरम्यान यदि प्रयोग में नियंत्रण परिवर्त्य का नियंत्रण न हुआ हो तो प्रयोग में भूलों का सर्जन होता है ।

प्रश्न 8.
प्रश्नावली पद्धति में प्रश्नावली के प्रकार किस आधार पर होते है ?
उत्तर :
प्रश्नावली पद्धति में प्रश्नों के स्वरूप के आधार पर उसके दो प्रकार हैं :

  1. बन्ध । सांकेतिक / सीमित प्रश्नावली ।
  2. मुक्त । खुल्ले । अभिप्रायलक्षी विस्तृत प्रश्नों की प्रश्नावली ।

प्रश्न 9.
मुलाकात के प्रकार बताईए ।
उत्तर :
मुलाकात के प्रकार निम्न है :

  1. संरचित मुलाकात या असंरचित मुलाकात,
  2. औपचारिक या अनौपचारिक मुलाकात ।

प्रश्न 10.
मनोवैज्ञानिक कसौटी में ‘अनास्टसी’ की परिभाषा दीजिए । उ
त्तर :
‘मनोवैज्ञानिक कसौटी में व्यक्ति के (वर्तन) व्यवहार के नमूनों का वस्तुलक्षी मापन करता है ।’
– अनास्टसी

प्रश्न 11.
यथार्थता अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कसौटी में व्यक्तियों के वर्तन के नमूने का मापन करने के लिए जो बनाई गयी हो वह केवल वर्तन के उसी पहलु का मापन करे तो यही कसौटी की यथार्थता है ।

5. निम्न प्रश्नों के योग्य विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए ।

प्रश्न 1.
स्वयं के भीतर अभिमुख होकर स्वयं के चलते मनोव्यापारों का निरीक्षण किस पद्धति में होता है ?
(अ) सहभागी निरीक्षण
(ब) आंतरनिरीक्षण
(क) क्षेत्र निरीक्षण
(ड) व्यवस्थित निरीक्षण
उत्तर :
(ब) आंतरनिरीक्षण

प्रश्न 2.
प्राकृतिक निरीक्षण की पद्धति की मर्यादा दूर करके टेक्निकल साधनों का उपयोग किस पद्धति में होता है ?
(अ) आंतर निरीक्षण
(ब) क्षेत्र निरीक्षण
(क) सहभागी निरीक्षण
(ड) व्यवस्थित निरीक्षण
उत्तर :
(ड) व्यवस्थित निरीक्षण

प्रश्न 3.
किसी समूह की जानकारी प्राप्त न होने पर स्वयं उस समूह का सभ्य बनकर जानकारी किस पद्धति से प्राप्त होती है ?
(अ) सहभागी
(ब) व्यवस्थित निरीक्षण
(क) आंतर निरीक्षण
(ड) क्षेत्र निरीक्षण
उत्तर :
(अ) सहभागी

प्रश्न 4.
समय बचाने के लिए समान गुण-लक्षणवाले प्रयोगपात्र एकसाथ अध्ययन करने के लिए किस प्रकार का अध्ययन कहलायेगा ?
(अ) दीर्घकालीन
(ब) समकालीन
(क) व्यवस्थित
(ड) तुलनात्मक
उत्तर :
(क) व्यवस्थित

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प्रश्न 5.
लम्बे समय तक एक ही प्रयोगपात्र पर कौन-सा अध्ययन होता है ?
(अ) समकालीन
(ब) दीर्घकालीन
(क) सहभागी
(ड) तुलनात्मक
उत्तर :
(ब) दीर्घकालीन

प्रश्न 6.
कौन-सी पद्धति में व्यक्ति के वर्तमान एवं भूतकाल के अध्ययन से भविष्य कथन किया जाता है ?
(अ) दीर्घकालीन
(ब) व्यक्ति इतिहास
(क) समकालीन
(ड) निरीक्षण
उत्तर :
(ब) व्यक्ति इतिहास

प्रश्न 7.
साक्षात् मुलाकात कौन-सी पद्धति में होती है ?
(अ) निरीक्षण
(ब) सहभागी
(क) प्रश्नावली
(ड) मुलाकात
उत्तर :
(ड) मुलाकात

प्रश्न 8.
कसौटी, संचालन की एकविधता (सातत्यता) किसे कहते हैं ?
(अ) मानांक
(ब) विश्वसनीयता
(क) वस्तुलक्षी
(ड) प्रमाणिकता
उत्तर :
(ड) प्रमाणिकता

प्रश्न 9.
मनोवैज्ञानिक कसौटी के परिणामों की सुसंगतता क्या है ?
(अ) यथार्थता
(ब) विश्वसनीयता
(क) मानांक
(ड) वस्तुलक्षिता
उत्तर :
(अ) यथार्थता

प्रश्न 10.
संशोधन में मनोभाव, पूर्वग्रहरहित मूल्यांकन को क्या कहते हैं ?
(अ) विश्वसनीयता
(ब) वस्तुलक्षिता
(क) यथार्थता
(ड) मानांक
उत्तर :
(ब) वस्तुलक्षिता

प्रश्न 11.
चेतनावादियों ने अध्ययन के लिए रचनावाद में जिस पद्धति का उपयोग किया –
(अ) आंतर निरीक्षण
(ब) प्रयोग पद्धति
(क) मुलाकात
(ड) व्यक्ति इतिहास
उत्तर :
(अ) आंतर निरीक्षण

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प्रश्न 12.
सहभागी निरीक्षण के लिए आवश्यक है ।
(अ) समूह का सदस्य बनना
(ब) पढ़ाई
(क) विदेश जाना
(ड) अशिक्षित होना
उत्तर :
(अ) समूह का सदस्य बनना

प्रश्न 13.
परिवर्त्य के कितने प्रकार हैं ?
(अ) दो
(ब) चार
(क) तीन
(ड) पाँच
उत्तर :
(क) तीन

प्रश्न 14.
कसौटी के परिणाम बार-बार लेने पर भी एक जैसे आते है तो क्या कहेंगे ?
(अ) यथार्थता
(ब) विश्वसनीयता
(क) मुलाकात
(ड) नमूना
उत्तर :
(ब) विश्वसनीयता

प्रश्न 15.
प्रयोग का महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या है ?
(अ) प्रयोगपात्र
(ब) परिवर्तन
(क) परिवर्त्य
(ड) मान्यता
उत्तर :
(ब) परिवर्तन

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