Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 5 बोधात्मक प्रक्रियाएँ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 5 बोधात्मक प्रक्रियाएँ
GSEB Class 11 Psychology बोधात्मक प्रक्रियाएँ Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों में से योग्य विकल्प चुनकर सही उत्तर लिखिये ।
प्रश्न 1.
बोधन में निम्न बातों से कौन-सी बात दिखाई देती है ?
(अ) जानकारी का अर्थघटन
(ब) जानकारी का विश्लेषण
(क) जानकारी का उपयोग
(ड) अ, ब, और क तीनों
उत्तर :
(ड) अ, ब, और क तीनों
प्रश्न 2.
विचार, भावना एवं प्रेरक जिन्हें देख नहीं सकते उन्हें क्या कहते हैं ?
(अ) जानकारी
(ब) बोधात्मक प्रक्रिया
(क) व्यवहार
(ड) शिक्षा
उत्तर :
(ब) बोधात्मक प्रक्रिया
प्रश्न 3.
जानकारी प्रक्रियाकरण का मोडेल निम्न में से किस पर आधारित है ?
(अ) कम्प्यूटर सिस्टम
(ब) कम्प्यूटर सादृश्यता
(क) कम्प्यूटर सोफ्टवेर
(ड) कम्प्यूटर हार्डवेर
उत्तर :
(ब) कम्प्यूटर सादृश्यता
प्रश्न 4.
उद्दीपक तथा घटनाओं का प्रतीकात्मक निरूपण द्वारा किसी समस्या का समाधान करने में हमें मदद करनेवाली प्रक्रिया अर्थात् ?
(अ) प्रत्यक्षीकरण
(ब) शिक्षा
(क) स्मृति
(ड) विचार
उत्तर :
(ड) विचार
प्रश्न 5.
अमुक नियमों के आधार पर लक्षणों का आपस में मिलना अर्थात् ?
(अ) तर्कक्रिया
(ब) संकल्पना
(क) समस्या
(ड) व्यूहरचना
उत्तर :
(ब) संकल्पना
प्रश्न 6.
संकल्पना के लिए कौन-सी बातें महत्त्वपूर्ण है ?
(अ) तर्कवितर्क
(ब) समस्या एवं लक्ष्य
(क) पृथ्थकरण एवं विषमता
(ड) लचिलापन एवं मौलिकता
उत्तर :
(क) पृथ्थकरण एवं विषमता
प्रश्न 7.
विशिष्ट तथ्य, हकीकत एवं निरीक्षण पर आधारित तर्कक्रिया अर्थात् ?
(अ) निगमनलक्षी तर्कक्रिया
(ब) तार्किक तर्कक्रिया
(क) बिनतार्किक तर्कक्रिया
(ड) व्याप्तिलक्षी तर्कक्रिया
उत्तर :
(ड) व्याप्तिलक्षी तर्कक्रिया
प्रश्न 8.
गाणितिक और वैज्ञानिक नियमों तथा सूत्रों के अनुसार समस्या समाधान का प्रयत्न करना अर्थात् ? ।
(अ) समस्या अवकाश
(ब) ह्युरिस्टिक
(क) साधन – साध्य विश्लेषण
(ड) अलगोरिधम
उत्तर :
(ड) अलगोरिधम
प्रश्न 9.
सर्जनात्मकता संशोधन के अग्रण्य किसको माना जाता है ?
(अ) ओसबोर्न
(ब) गिल्फर्ड
(क) सेन्ट्रोक
(ड) बेरोन
उत्तर :
(ब) गिल्फर्ड
प्रश्न 10.
सर्जनात्मक विचार की प्रक्रिया में योग्य सोपान किसमें है ?
(अ) सेवन, तैयारी, विचार उद्भव, मूल्यांकन
(ब) तैयारी, विचार उद्भव, सेवन, मूल्यांकन
(क) तैयारी, सेवन, विचार उद्भव, मूल्यांकन
(ड) विचार उद्भव, तैयारी, सेवन, मूल्यांकन
उत्तर :
(क) तैयारी, सेवन, विचार उद्भव, मूल्यांकन
प्रश्न 11.
ज्यादातर वैज्ञानिकों के तर्क कैसे होते हैं ?
(अ) व्याप्तिलक्षी
(ब) अनुमानित
(क) कल्पनालक्षी
(ड) निगमनलक्षी
उत्तर :
(अ) व्याप्तिलक्षी
प्रश्न 12.
जानकारी का अर्थघटन, विश्लेषण, याद रखना और उपयोग करने की पद्धति कौन-सी है ?
(अ) कल्पना
(ब) सर्जकता
(क) बोधन
(ड) व्याप्ति
उत्तर :
(क) बोधन
प्रश्न 13.
मानव मन एवं कम्प्यूटर के बीच की तुलना किसने की ?
(अ) हर्बर्ट सिमोन
(ब) वॉर्न न्यूमेन
(क) डुई
(ड) सेन्ट्रोक
उत्तर :
(अ) हर्बर्ट सिमोन
प्रश्न 14.
कल्पना कौन-सी क्रिया है ?
(अ) तार्किक
(ब) सर्जनात्मक
(क) कल्पनावर्धक
(ड) प्रेरक
उत्तर :
(ब) सर्जनात्मक
प्रश्न 15.
कल्पना किस उम्र में अधिक स्फुरित होती है ?
(अ) कम उम्र
(ब) वृद्ध
(क) युवा अवस्था
(ड) वयस्क उम्र
उत्तर :
(अ) कम उम्र
प्रश्न 16.
सर्जनात्मक विचार को ‘प्रभावशाली आश्चर्य’ किसने कहा ?
(अ) गिल्फर्ड
(ब) ब्रुनर
(क) ओसवर्ग
(ड) बेरोन
उत्तर :
(ब) ब्रुनर
प्रश्न 17.
विचारों को केन्द्रगामी एवं विकेन्द्रगामी किसने कहा ?
(अ) गिल्फर्ड
(ब) वॉटसन
(क) सेन्ट्रोक
(ड) वुडवर्थ
उत्तर :
(अ) गिल्फर्ड
प्रश्न 18.
अनुभव के आधार पर समाधान की व्यूहरचना किसे कहते हैं ?
(अ) निर्णय क्रिया
(ब) विभावना
(क) संकल्पना
(ड) ह्युरिस्टिक
उत्तर :
(ड) ह्युरिस्टिक
2. एक वाक्य में उत्तर लिखिये ।
प्रश्न 1.
बोधन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जानकारी प्राप्त करना एवं समझने की क्रिया है ।
प्रश्न 2.
जानकारी का प्रक्रियाकरण अर्थात् क्या ?
उत्तर :
यह एक महत्त्वपूर्ण अभिगम है । इसका उद्भव कम्प्यूटर मशीन है ।
प्रश्न 3.
सिल्वरमेन के अनुसार विचार याने क्या ?
उत्तर :
यह एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जो उद्दीपक एवं घटनाओं का प्रतीकात्मक निरूपण के द्वारा किसी भी समस्या के समाधान करने में सहायक होती है ।
प्रश्न 4.
रेबर के अनुसार तर्क क्रिया क्या है ?
उत्तर :
रेबर के अनुसार तर्कक्रिया एक प्रकार की तार्किक एवं सुसंगत विचारणा है । विशिष्ट अर्थ में समस्या समाधान का व्यवहार है ।
प्रश्न 5.
अलगोरिधम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
इसमें थोड़े समय के बाद समस्या का समाधान प्राप्त होता हैं । इसमें गणित के सूत्रों का उपयोग होता है ।
प्रश्न 6.
ह्युरिस्टिक याने क्या ?
उत्तर :
इसमें समस्या के छोटे-छोटे गौण भागों में बाँटकर समस्या के समाधान तक पहुँचने का प्रयत्न है ।
प्रश्न 7.
कार्यिक चुस्तता अर्थात् क्या ?
उत्तर :
भूतकाल के अनुभव से वर्तमान की समस्या का समाधान हो सकेगा लेकिन ‘नई कोई रीति का ख्याल’ नहीं आता । इस कमी को कार्यिक चुस्तता कहते हैं ।
प्रश्न 8.
समस्या अवकाश क्या है ?
उत्तर :
समस्या आने पर उसके प्रत्यक्ष प्रतिनिधि रूप दृश्य रचना उसके द्वारा समस्या का समाधान करने की व्यूहरचना को समस्या अवकाश कहते हैं ।
प्रश्न 9.
सेवन की अवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर :
समस्या या कार्य को विशिष्ट परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयत्न करके थोड़े समय के लिए रुक जाना या निष्क्रिय हो जाने की क्रिया को सेवन कहते हैं ।
प्रश्न 10.
ओसवोर्न की विचारसर्जन प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर :
समस्या के विषय में मन को मुक्त रूप से विचार करने दो, चिन्तन करने दो ।
प्रश्न 11.
तर्कक्रिया के कितने प्रकार है ?
उत्तर :
तर्कक्रिया के दो प्रकार है :
- निगमनलक्षी एवं
- व्याप्तिलक्षी
प्रश्न 12.
कल्पना के कौन से प्रकार है ?
उत्तर :
कल्पना के दो प्रकार है :
- वास्तविक एवं
- इच्छापूरक
प्रश्न 13.
सर्जनात्मक विचार क्या है ?
उत्तर :
यह नवीन, मौलिक एवं योग्य कृति को निर्माण करने की बोधात्मक क्रिया है ।
प्रश्न 14.
वर्तन (व्यवहार) के कितने प्रकार है ?
उत्तर :
व्यवहार के दो प्रकार है :
- प्रकट व्यवहार एवं
- अप्रकट व्यवहार ।
प्रश्न 15.
प्रथम आधुनिक कम्प्यूटर की रचना किसने की ?
उत्तर :
जॉनवॉन न्यूमेन ने सर्वप्रथम आधुनिक कम्प्यूटर की रचना की है ।
प्रश्न 16.
बोधात्मक क्रिया में किस-किस का समावेश होता है ?
उत्तर :
प्रत्यक्षीकरण, स्मृति, विचार, संकल्पना, समस्या समाधान, तर्कक्रिया बोधात्मक प्रक्रियाएँ हैं ।
प्रश्न 17.
विचार को आंतरिक वाणी किसने कहा ?
उत्तर :
वॉटसन के अनुसार विचार एक आंतरिक (वाचा) या वाणी है ।
प्रश्न 18.
वैज्ञानिक तर्क अर्थात् क्या ?
उत्तर :
वैज्ञानिक तर्क अधिकतर व्याप्तिलक्षी होते हैं ।
प्रश्न 19.
जीवन में कितनी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर :
जीवन में दो प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
- गाणितिक (क्रमबद्ध) एवं
- व्यवहारिक ।
प्रश्न 20.
निगमन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
निगमन अर्थात् निष्कर्ष, सारांश, परिणाम अथवा फलश्रुति है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिये ।
प्रश्न 1.
बोधात्मक प्रक्रिया की परिभाषा देकर उसमें समावेश होनेवाली प्रक्रियाओं को बताईये ।
उत्तर :
यह एक मानसिक क्रिया जिसमें हमारी सब चेतन-अचेतन अवस्थाएँ हैं जिन्हें देखा नहीं जा सकता परन्तु व्यक्ति निरीक्षण कर सकता है ऐसा प्रकट व्यवहार (वर्तन) जिसके बारे में अनुमान कर सकते हैं ।
– कसिन (1995)
इस प्रक्रिया में, प्रत्यक्षीकरण, स्मृति, विचार क्रिया, संकल्पना की रचना, समस्या समाधान, तर्क क्रिया आदि का समावेश होता है ।
प्रश्न 2.
संकल्पना किसे कहते हैं ? सउदाहरण समझाईये ।
उत्तर :
‘संकल्पना एक मानसिक श्रेणी है, जिसके द्वारा घटनाओं और विशेषताओं का किसी नियम के अन्तर्गत सामुहिकरण (Grouping) किया जाता है ।’
– सेन्ट्रोक (2005)
इस व्याख्या या परिभाषा से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति, वस्तु या प्राणी में अमुक लक्षण हो, उसमें दो बातें हो जिसके द्वारा उसे अलग किया जा सकता है ।
- पृथ्थकरण
- विषमता ।
उदा. घास हरा है । प्रथम लक्षण घास का हरा होना, दूसरा घास का हरा रंग दूसरों से अलग विषम है ।
प्रश्न 3.
समस्या का अर्थ स्पष्ट करके समस्या समाधान की परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
समस्या : एक ऐसी परिस्थिति जिसमें लक्ष्य प्राप्त करने में अमुक बाबत (बातें) अवरोध उत्पन्न करती हैं ।
‘समस्या समाधान’ परिभाषा – ‘समस्या समाधान के लिए विभिन्न प्रतिक्रियाएँ करना और उनमें से सही प्रतिक्रिया पसंद करके प्रयत्न किये जाते है जिसके द्वारा इच्छित लक्ष्य प्राप्त किया जाता है ।’
– बेरोन (1992)
प्रश्न 4.
निर्धारण (निर्णय) का अर्थ समझाईये ।
उत्तर :
निर्धारण अर्थात् प्राप्त जानकारी के आधार पर वस्तुएँ, लोग, परिस्थितियाँ या घटनाओं के विषय में अभिप्राय देने, निष्कर्ष तक जाने की या समीक्षात्मक मूल्यांकन करने की क्रिया ।
प्रश्न 5.
सर्जनात्मक विचारणा की ड्रेवडोल की परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
‘सर्जनात्मक विचारणा अथवा सर्जनात्मकता व्यक्ति की एक ऐसी क्षमता कही जा सकती है, जिसमें वह व्यक्ति अस्तित्त्व में न हो ऐसी नयी वस्तुएँ, रचनाओं का विचारों को जन्म देता है । यह एक काल्पनिक क्रिया या विचारों का संश्लेषण हो सकता है । जिसमें पूर्व अनुभवों से प्राप्त हुई जानकारी की एक नई रीति और समिश्रण सामिल हो सकती है । वह एक निराधार स्वप्न चित्र (Idle fantesy) न होकर उद्देश्यपूर्ण होता है । वह वैज्ञानिक कलात्मक या साहित्यिक रचना के रूप में हो सकता है ।’
– ड्रेवडोल (1956)
प्रश्न 6.
कल्पनावर्धक घटक कौन से है ?
उत्तर :
छोटी उम्र में कल्पना अधिक स्फुरित होती है । उम्र बढ़ने में कल्पना घटती है । भूतकाल के अनुभवों की स्मृति की मदद से कल्पना में विविधता एवं प्रभावशालीनता आती है । तालीम एवं शिक्षा से भी कल्पना का विकास होता है । स्पष्ट ध्येय एवं तीव्र प्रेरणा कल्पना को उद्भव करने में प्रेरित करते हैं । प्रातःकाल या रात्रि का समय बिना विक्षेप का पर्यावरण, मन में कार्य या चिंता का बोझ न हो, राहत के समय में कल्पनाओं की संख्या एवं गुणवत्ता में बढ़ौतरी होती है ।
प्रश्न 7.
निगमनलक्षी तर्कक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
निगमनलक्षी तर्कक्रिया सामान्य नियम से विशिष्ट निष्कर्ष प्राप्त करने की क्रिया है । जिसके द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है । वह आधार विधान जो निष्कर्ष प्राप्त किया गया है उसे फलित विधान कहते हैं ।
प्रश्न 8.
व्याप्तिलक्षी तर्कक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो तर्कक्रिया विशिष्ट तथ्यों या हकीकत और निरीक्षण पर आधार रखती है उसे व्याप्तिलक्षी तर्कक्रिया कहते हैं । अर्थात् विशिष्ट हकीकतों के आधार विधानों के आधार पर सामान्य निष्कर्ष प्राप्त करना । यही व्याप्तिलक्षी तर्कक्रिया है ।
प्रश्न 9.
सर्जनात्मक विचारणा के सोपान लिजिये ।
- तैयारी (Preparation)
- सेवन (Incubation)
- विचारों की उत्पत्ति (उद्भव) (Illumination)
- मूल्यांकन (Verification)
प्रश्न 10.
सर्जनात्मकता बढ़ाने के तीन सलाह या सूचन ।
उत्तर :
- अपने शौक एवं रूचि अनुसार अपने ऐसे कार्यों में उपयोग करें जिसमें कल्पना, मौलिकता विचारणा की आवश्यकता हो ।
- कोई भी समस्या के अनेक समाधान के विषय में विचार करके श्रेष्ठ को पसंद करें ।
- आत्मविश्वास रखकर विधायक सोच रखें । अपनी सर्जकता को कमजोर न समझे, अपने सर्जन का आनन्द का अनुभव करे ।
प्रश्न 11.
निर्णय प्रक्रिया की परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
‘निर्णय प्रक्रिया में विकल्पों का मूल्यांकन किया जाता है और उनमें से अमुक विकल्प पसंद किया जाता है ।’
– सेन्ट्रोक (2005)
प्रश्न 12.
विचारणा के लक्षणों को लिखिये ।
उत्तर :
- विचारणा का प्रारंभ समस्या से होता है ।
- विचारणा प्रतीकात्मक स्वरूप की विचारात्मक क्रिया है ।
- विचारणा में प्रयत्न एवं भूल की क्रिया दिखाई देती है ।
- विचारणा अधिकतर संगठित एवं लक्ष्य निर्देशित होती है ।
- विचारणा शोध या अन्वेषण की मानसिक क्रिया है ।
4. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
1. संकल्पनाओं की उपयोगिता : समस्या समाधान में संकल्पना मददरुप बनती है :
- संकल्पना के बिना प्रत्येक वस्यु या घटना एकदूसरे से अलग या अनोख्री बन जायेगी जिसके विषय में विचारणा या सामान्यीकरण करना संभव नहीं होगा । विचारणा के द्वारा व्यक्ति विभिन्न वस्तुओं या घटनाओं के बीच समानता को पहचानना होता है । समानता के कारण ही उन वस्तुओं को एकदूसरे से जोड़ते हैं ।
- संकल्पना के कारण हमें काफी कुछ याद करने की जरूरत नहीं होती । जैसे पक्षी एक जैसे होते हैं, परन्तु उनका कोई एक गुण एकदूसरे से अलग होता है । विशिष्ट गुण से उन्हें पहचानते हैं ।
- एक बार किसी वस्तु की संकल्पना याद रहने से बार-बार सीखने की जरूरत नहीं होती है ।
- संकल्पना किसी घटना के प्रति प्रतिक्रिया करने के विषय में निर्णय लेने में मदद करती है ।
- संकल्पना ज्ञान के संगठन में मदद करती है । आवश्यकता पड़ने पर कम समय में निर्णय कर सकते है ।
- मूर्त एवं सजीव संकल्पनाओं की तरह अमूर्त संकल्पनाएँ भी विकसित होती है । प्रेम, सौंदर्य, न्याय, प्रमाणिकता, नैतिकता आदि अमूर्त संकल्पनाएँ हैं ।
2. निर्णय प्रक्रिया का स्वरूप :
- निर्णय प्रक्रिया में व्यक्ति के समक्ष एक से अधिक विकल्प होते हैं ।
- निर्णय प्रक्रिया में एक समस्या होती है जिसमें लाभ-हानि का मूल्यांकन करके योग्य विकल्प पसंद करते हैं ।
- निर्णय प्रक्रिया अन्य समस्या समाधान से अलग होती है । उसमें पहले से ही विकल्प उपलब्ध होते है मात्र पसंद या श्रेष्ठ चुनना होता है ।
- निर्णय प्रक्रिया में व्यक्तिगत भिन्नता भी दिखाई देती है । जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की पसंद, रूचि, प्राथमिकता अलग-अलग होने से एक ही समस्या के व्यक्तियों के अलग-अलग निर्णय हो सकते हैं ।
- वास्तविक जीवन में परिस्थिति ऐसी होती है कि जिसमें कई बार गहराई में मूल्यांकन न करके तुरन्त निर्णय लेना होता है ।
- निर्णय प्रक्रिया में कोई स्पष्ट नियम नहीं होता जिससे मार्गदर्शन प्राप्त हो, कौन-सा निर्णय श्रेष्ठ होगा, कारण, समस्या, परिस्थिति तथा व्यक्ति की विशिष्टता के आधार पर व्यक्ति निर्णय लेता है ।
3. सर्जनात्मकता का स्वरूप :
सर्जनात्मक विचारणा में समस्या समाधान के लिए नवीन एवं मौलिक विचारों का सर्जन होने से अन्य विचारों से अलग है ।
- नवीनता एवं मौलिकता सर्जनात्मक विचारणा का महत्त्वपूर्ण लक्षण है । गृहउपयोगी अनेक साधनों में पहले से विशेषता न हो तो उन्हें मौलिक नहीं कह सकते हैं ।
- ‘ब्रुनर’ सर्जनात्मक विचारणा को ‘प्रभावशाली आश्चर्य’ (Effective Surprise) के रूप में पहचानते हैं ।
- सर्जनात्मक विचारणा का एक मापदण्ड ये भी है कि किसी विशेष सन्दर्भ में उसकी उपयोगिता या योग्यता ।
- संशोधन क्षेत्र के श्री जे. पी. गिल्फर्ड विचारणा के दो प्रकार दर्शाते है :
- केन्द्रगामी विचारणा (Convergent Thinking)
- विकेन्द्री विचारणा (Divergent Thinking)
केन्द्रगामी विचारणा ऐसी है जिसमें समस्या का एक ही सही उपाय होता है ।
प्रश्न – 3, 6, 9 की आगे की संख्या क्या है ?
उत्तर :
12
जिसमें व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर मुक्त रूप से समस्या के अनेक उत्तर नवीन एवं मौलिक विचारों का उद्भव मददरूप
बनता है जिसमें विकेन्द्रगामी विचारणा की आवश्यकता पड़ती है ।
4. कल्पना व्यापार का स्वरूप : ‘कल्पना अर्थात् संवेदन की जानकारी की प्रत्यक्ष मदद लिये बिना वस्तुओं या घटनाओं को मन
ही मन में सर्जन करने की बोधात्मक क्रिया ।’
स्वरूप : दो स्वरूप हैं ।
(i) वास्तविक
(ii) इच्छापूरक
- यह बोधात्मक क्रिया है ।
- कल्पना में ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा प्राप्त संवेदनों की जानकारी का प्रत्यक्ष उपयोग नहीं होता है ।
- कल्पना के समय भूतकाल के अनुभवों का पृथ्थकरण करके बाद में आवश्यकता अनुसार जोड़ते है ।
- कल्पना के समय मन में दृश्य, आवाज एवं प्रतिमाओं की रचना होती है ।
- कल्पना एक सर्जनात्मक क्रिया है । जिसमें मन में कुछ नया करके जाते है । जैसे संगीतकार, लेखक, डिजाईनर, इन्जिनीयर आदि।
- कितनी ही कल्पनाएँ वस्तु, व्यक्ति, स्थल एवं परिस्थिति या घटना सम्बन्धित होती है । इनमें कल्पना करते समय स्थल, काल, परिस्थिति के बन्धन भी कम-ज्यादा ध्यान में रखने पड़ते हैं ।
5. सर्जनात्मकता के सोपान : सर्जनात्मकता के निम्न सोपान हैं :
- तैयारी : इसमें व्यक्ति समस्या को समझना, उसका विश्लेषण करने की आवश्यकता अनुभव करता है । विचारणा करने की उत्सुकता एवं उत्तेजना उत्पन्न करता है ।
- सेवन : इस सोपान में व्यक्ति के मन में वैकल्पिक विचार, योजनाएँ उत्पन्न होती हैं । समस्या को विशिष्ट परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयत्न करना । थोड़े समय के लिए रुककर निष्क्रियता या अनिच्छा की भावना भी उत्पन्न होती है । कुछ समय के लिए कार्य छोड़ देता है।
- विचारों का उद्भव : सेवन की अवस्था में जब व्यक्ति चेतनावस्था में न होकर अन्य कार्य में लग जाता है स्नान, सो जाना तब अचानक उसके मन में विचारों का उद्भव होता है । उसके मुँह में उद्गार निकल पड़ता है, आह ! संतोष की प्राप्ति होती है । इसे विचारों का अचानक उद्भव कहते हैं ।
- मूल्यांकन : यहाँ सर्जनात्मक विचार या योजना का महत्त्व और योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है । योग्य तथा प्रभावशाली योजना या उपाय की पसंदगी में केन्द्रगामी विचारणा की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो सकती है ।
6. विचारणा के लक्षण : इसके निम्न लक्षण है :
(1) विचारणा का प्रारंभ समस्या से होता है ।
(2) विचारणा प्रतीकात्मक स्वरूप की विचारात्मक क्रिया है ।
(3) विचारणा में प्रयत्न एवं भूल की क्रिया दिखाई देती है ।
(4) विचारणा काफी मात्रा में संगठित एवं लक्ष्य निर्देशक होती है ।
(5) विचारणा अन्वेषण की मानसिक क्रिया है ।
(1) विचारणा का प्रारंभ समस्या से होता है : जब हमारे सामने कोई भी समस्या उत्पन्न होती है तब हम उसके समाधान हेतु विचार करने लगते हैं कि क्या करेंगे ? कैसे करेंगे ? तमाम विकल्प ढूँढ़ने लगते है । अर्थात् समस्या आने पर ही विचार का प्रारंभ होता है ।
(2) विचारणा प्रतीकात्मक स्वरूप की विचारात्मक क्रिया है : जब हम विचार करते हैं तब विचारों की शृंखला शुरू होती है । विचार अधिकतर प्रतीक (Symbol) के रूप में होते है । हमारे सामने विचारी गई वस्तु न होने पर उसकी संकल्पना प्रतीक के रूप में करते है ।
(3) विचारणा में प्रयत्न एवं भूल की क्रिया दिखाई देती है : विचार करने में समस्या समाधान के कई विकल्प ढूँढ़ते हैं । कई प्रयत्न करते हैं भूल होने पर अन्य विकल्प को तलासते है । प्रयत्न एवं भूल की क्रिया शारीरिक एवं मानसिक होती है । कई बार अंगुली में गिनना, नाक खुजलाना, कपाल पर हाथ रखना आदि ।
(4) विचारणा संगठित एवं लक्ष्य निर्देशक होती है : विचार क्रिया में व्यक्ति काफी मात्रा में पुराने अनुभव के अधार पर ध्येय केन्द्रित एवं ध्येयहीन भी हो सकती है । अधिकतर ध्येयपूर्ण विचार क्रिया होती है ।
(5) विचारणा में अन्वेषण की मानसिक क्रिया होती है : जब हम विचार करते हैं उसमें कार्य के बदले शब्द, प्रतीमा, प्रतीकों के द्वारा समस्या का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं । कार्य के हल के लिए उत्तम प्रकार की रचना प्रतीकों के माध्यम से करते हैं ।
5. निम्न प्रश्नों के उत्तर विस्तृत रूप से समझाईये ।
प्रश्न 1.
‘जानकारी प्रक्रियाकरण’ अभिगम के विषय में जानकारी देकर उसके प्रतिमान (Model) को समझाईये ।
उत्तर :
बोधात्मक प्रक्रियाकरण को समझने के लिए ‘जानकारी प्रक्रियाकरण अभिगम’ (Information Processing) एक महत्त्वपूर्ण अभिगम
है । इसका उद्भव कम्प्यूटर मशीन है । इस अभिगम को ‘कम्प्यूटर रूपक’ (Computer Metaphor) कहते हैं । बोधात्मक मनोवैज्ञानिकों की तुलना एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर के साथ की जाती है । इस तरह कम्प्यूटर प्रोग्राम कम्प्यूटर से अलग स्वतंत्र विषय है ।
जानकारी प्रक्रियाकरण अभिगम को माननेवाले मवोवैज्ञानिकों की स्थिति ज्यादातर इन प्रोग्रामर की तरह है । वे विचारते है कि ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा अमुक जानकारी प्राप्त होने से बोधात्मक क्रिया का संचालन किस तरह से होता है ।
जानकारी प्रक्रियाकरण का प्रतिमान (Model) : कम्प्यूटर के उपयोग का बढ़ने से बोधात्मक क्रिया का अध्ययन जानकारी प्रक्रियाकरण मोडेल विकसित हुआ है । कम्प्यूटर वैज्ञानिकों को मनोविज्ञान से तथा मनोवैज्ञानिकों को कम्प्यूटर से काफी नया सीखने को मिला है । क्योंकि मनुष्य का मन एवं कम्प्यूटर दी जानकारी पर विविध सोपानों में प्रक्रिया करनेवाले तंत्र है ।
प्रथम आधुनिक कम्प्यूटर की रचना ‘जॉन-वोन न्यूमेन’ ने 1950 के दसक के अंत में की थी ।
बोधात्मक मनोवैज्ञानिकों द्वारा विकसित जानकारी प्रक्रियाकरण का मोडेल कम्प्यूटर सादृश्यता या समानता (Computer analogy) पर आधारित है । इसके अनुसार मानव मस्तिष्क कम्प्यूटर की तरह ही कार्य करता है । मनुष्य के मस्तिष्क की कम्प्यूटर सोफ्टवेर के साथ तुलना की जाती है । मानव मन एवं कम्प्यूटर प्रोसेसिंग सिस्टम के बीच तुलना करने में (1969) हर्बर्ट सिमोन इसके प्रणेता रहे हैं । इसके अनुसार कम्प्यूटर में जानकारी प्रवेश करने की तरह हमारा सांवेदनिक तंत्र मस्तिष्क तक जानकारी देने में (इनपुट चेनल) के रूप में कार्य करता है । इसी तरह कम्प्यूटर में सोफ्टवेर इन्टर करने में आनेवाले डेटा पर प्रोसेसिंग होता है । इसी तरह ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा इनपुट हुई जानकारी पर मस्तिष्क, मन या मानसिक क्रियाओं से प्रोसेसिंग होता है । जानकारी प्रक्रियाकरण होने से हमारे स्मृति तंत्र में सुरक्षित रहता है । जिस तरह कम्प्यूटर प्रोसेस डेटा का संग्रह करता है । हमारे मस्तिष्क में भी जब जरूरत हो पुनः प्राप्त कर सकते हैं । जिसे कम्प्यूटर में ‘आऊटपुट’ कहते हैं ।
प्रश्न 2.
विचारणा की परिभाषा देकर उसके लक्षणों को समझाईये ।
उत्तर :
विचारणा : ‘एक ऐसी मानसिक क्रिया है जो उद्दीपक तथा घटनाओं के प्रतीकात्मक निरूपण के द्वारा किसी भी समस्या का समाधान हल करने में मदद करती है ।’
– सिल्वरमेन (1978)
लक्षण :
(1) विचारणा का प्रारंभ किसी समस्या से होता है : हमारे समक्ष जब कोई समस्या आती है तो हम उसको हल करने के लिए विचार करना शुरू कर देते हैं । क्या करेंगे ? कैसे करेंगे ? अलग-विकल्पों के विषय में विचार करना शुरू करते है ।
(2) विचारणा एक प्रतीकात्मक स्वरूप की विचारात्मक क्रिया है : विचारणा की एक शृंखला विचारों को आगे बढ़ाती जाती है । विचार प्रतीक स्वरूप में होते हैं । जो वस्तु हमारे समक्ष हाजिर नहीं होती हम प्रतीक स्वरूप में उसके विषय में विचार करते है ।
(3) विचारणा में प्रयत्न एवं भूल की क्रिया दिखाई देती है : जब कोई समस्या का समाधान ढूँढ़ते हैं तो हम अनेक प्रयत्न करते-करते उसका समाधान खोजते हैं । यदि भूल नजर आती है तो अगले विकल्प के लिए प्रयत्न करते हैं । यह दो प्रकार से करते हैं । (i) शारीरिक एवं (ii) मानसिक । कभी-कभी अंगुली में गिनना, नाक खुजलाना, कभी कपाल पर हाथ रखना ये शारीरिक प्रयत्न है । कभी मन में प्रतीकात्मक रूप में विचारणा करते है ।
(4) विचारणा अधिकतर संगठित एवं लक्ष्य निर्देशक होती है : विचारणा ध्येययुक्त एवं ध्येयहीन दोनों हो सकती हैं । कभी-कभी पुराने अनुभवों के आधार पर ध्येय केन्द्रित करके हल निकालने का प्रयत्न करता है । मानसिक प्रतीमाओं के द्वारा उत्तम रचना करने का प्रयत्न करता है ।
(5) विचारणा अन्वेषण की मानसिक क्रिया है : विचारणा में कार्य के बदले शब्द, प्रतीमा, प्रतीकों के द्वारा समस्या का समाधान करते हैं । मन में विचार करते-करते नई पद्धति के द्वारा अनेक विकल्पों को प्रतीकात्मक रूप में विचार करते हैं ।
प्रश्न 3.
समस्या समाधान की परिभाषा देकर उसके सोपानों को समझाईये ।
उत्तर :
‘समस्या समाधान अर्थात् अवरोधों को दूर करना तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए विचार प्रक्रिया का उपयोग करना ।’
– विटिंग एवं विलियम्स 1984
समस्या समाधान के सोपान :
- समस्या को पहचानना : शिक्षक दिवस का एक सप्ताह बाकी है । आपको एक नाटक का आयोजन करने को कहा गया है ।
- समस्या निरूपण (वर्णन) : योग्य कथावस्तु, कलाकार एवं खर्च की व्यवस्था करना ।
- उपाय-योजना-गौण लक्ष्य निर्धारण : विभिन्न कथावस्तुओं का निरीक्षण, शिक्षकों का मार्गदर्शन, खर्च, समय, प्रसंगानुसार कथावस्तु चयन करना ।
- हरेक उपायों का मूल्यांकन : नाटक की जानकारी एकत्रित करके अभ्यास शुरू करना ।
- योग्य उपाय पसंद करके योग्य दिशा का उपयोग : सर्वोत्तम नाटक को प्रस्तुत करने के लिए विविध विकल्पों की तुलना करके योग्य निरीक्षण करना ।
- परिणाम मूल्यांकन : यदि नाटक की सराहना हो, लोग पसंद करते है तो भविष्य में ऐसी समस्या के हेतु व्यक्ति इसी प्रकार की योजना का अनुसरण करेगा ।
- समस्या समाधान के विषय में पुनःविचार, अर्थघटन एवं स्पष्टता : नाटक की पूर्णाहुति के बाद भविष्य में इससे भी अच्छा
आयोजन के लिए विचार करना ।
प्रश्न 4.
समस्या समाधान की प्रविधियों को समझाईये ।
(1) अलगोरिधम : यह एक ऐसी व्यूहरचना है कि जिसमें समय के बाद समस्या का हल अवश्य प्राप्त होता है । गुणाकार, भागाकार, जोड़ घटाना, अलगोरिधम में गणित के सूत्रों का उपयोग होता है । किसी मित्र के घर जाने के लिए मकान नम्बर न होने पर गली, लाईन, क्रमानुसार पूछते-पूछते पता मिल जाता है ।
(2) ह्युरिस्टिक : इस प्रविधि में समस्या समाधान के लिए कोई सूत्र, नियम न होने पर भी व्यक्ति अपने पूर्वानुभव के आधार पर समस्या को छोटे-मोटे विभागों में बाँटकर समस्या के आस-पास अवश्य पहुँच जाता है । लेकिन समस्या समाधान में निश्चितता नहीं होती समाधान हो या न भी हो ।
(3) समस्या अवकाश : समस्या आने पर व्यक्ति इस प्रविधि में एक प्रत्यक्ष प्रतिनिधि रूप दृश्य रचकर उसके द्वारा समस्या समाधान की रीति के विषय में विचार करता है । इसे समस्या अवकाश कहते हैं । एक श्रेष्ठ रास्ता अपनाकर लक्ष्यप्राप्ति कम समय में प्राप्त करता है ।
(4) प्रयत्न और भूल : इस प्रविधि में व्यक्ति समस्या समाधान की दिशा में अन्धेरे में रहता है । लम्बे समय तक यदृच्छ, अव्यवस्थित एक के बाद एक प्रयत्न करते रहता है, भूलों का पुनरावर्तन करता है । समाधान काफी समय बाद प्राप्त होता है ।
(5) स्मृति एवं मानसिक तत्परता : व्यक्ति स्वयं भूतकाल में उपयोग में ली गई रीति याद करके वर्तमान समस्या का समाधान करने का प्रयत्न करता है । नई कोई अधिक अच्छी रीति का ध्यान न होकर प्रयत्न करता है इसलिए इस कमी को कार्यात्मक चुस्तता कहते हैं ।
प्रश्न 5.
सर्जकता बढ़ाने के लिए अपने विचार प्रस्तुत कीजिये ।
उत्तर :
सर्जनात्मक लोगों पर किये गये अध्ययन के आधार पर स्पष्ट होता है कि मनोभाव प्रवृत्तियाँ एवं कौशल्य सर्जकता को बढ़ाते हैं ।
- अपने आस-पास के दृश्य, आवाजें, रचनाएँ एवं भावनाओं के प्रति ध्यान देना प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनने के लिए सजग एवं संवेदनशील बनें ।
- समस्याएँ प्राप्त जानकारी, कमियाँ, अपूर्णता पर ध्यान दें । परिस्थिति में विरोधाभास, अपूर्णता को देखें । विस्तृत अध्ययन की आदतें, प्रश्न पूछना, वस्तुओं के रहस्यों पर मनन करने की कला विकसित करें ।
- अपने विचारों के प्रवाह बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास करे, योजनाएँ, सूचनाएँ तैयार करें । चिंतन में लचीलापन कार्य एवं परिस्थिति के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप से खोजें ।
- मुक्त परिस्थिति में विचारप्रवाह बढ़ाने के लिए ओसवोर्न की विचार सर्जन टेकनिक का उपयोग कर सकते हैं । विचार करना, उनका मूल्यांकन करना, कल्पना को महत्त्व देना ।
- वर्तमान विचारों को आपस में जोड़कर नया संयोजन पैदा करें ।
- अपने शौक, रूचि कार्यों में लगाये जिसमें कल्पना एवं मौलिक विचार की आवश्यकता होती है ।
- समस्या के विकल्पों को विचार कर श्रेष्ठ पसंद करें ।
- कोई अन्य व्यक्ति समस्या के लिए कौन-सा विचार कर सकता है ।
- अपने विचारों को सेवन की अवस्था तक ले जाओ ।
- निष्फलता का मुकाबला करो, स्व मूल्यांकन को प्रोत्साहन दो ।
- कारण एवं प्रभाव के बारे में विचारें । बचावप्रयुक्तियों से सावधान रहो ।
- आत्मविश्वास रखो, विधायक विचार करें । सर्जन के आनन्द का अनुभव करें ।