Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 7 शेयर पूँजी और शेयर के प्रकार Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Secretarial Practice Chapter 7 शेयर पूँजी और शेयर के प्रकार
GSEB Class 11 Secretarial Practice शेयर पूँजी और शेयर के प्रकार Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प पसन्द करके दीजिए ।
प्रश्न 1.
कम्पनी अपनी एकत्रित हुए लाभ में से कोई भी अवेज बिना वर्तमान शेयर धारकों को प्रमाणसर दिये जानेवाले अतिरिक्त शेयर को । क्या कहा जाता है ?
(A) इक्विटी शेयर
(B) प्रेफरन्स शेयर
(C) बोनस शेयर
(D) हक के शेयर
उत्तर :
(C) बोनस शेयर
प्रश्न 2.
इक्विटी शेयर के संदर्भ में इनमें से कौन-सी बात सही नहीं है ?
(A) मताधिकार का अधिकार
(B) लाभांश का प्रथम अधिकार
(C) सामान्य सभा में उपस्थित रहने का अधिकार
(D) बोनस शेयर प्राप्त करने का अधिकार
उत्तर :
(B) लाभांश का प्रथम अधिकार
प्रश्न 3.
कम्पनी को अपनी पूंजी प्राप्त करने के लिए कानून अनुसार क्या करना पड़ता है ?
(A) आवेदन-पत्र निर्गमन करना पड़ता है ।
(B) विज्ञापन पत्र निर्गमन करना पड़ता है ।
(C) नियमन-पत्र निर्गमन करना पड़ता है ।
(D) शेयर प्रमाणपत्र निर्गमन करना पड़ता है ।
उत्तर :
(B) विज्ञापन पत्र निर्गमन करना पड़ता है ।
प्रश्न 4.
NRI का विस्तृत रूप दीजिए ।
(A) नोन रिक्रुट इण्डियन
(B) नोन रेसिडन्ट इण्डियन
(C) नेशनल रेसिडन्ट इण्डियन
(D) नोन रेसिडन्ट इन्टरनेशनल
उत्तर :
(B) नोन रेसिडन्ट इण्डियन
प्रश्न 5.
शेयर यह किस प्रकार की सम्पत्ति है ?
(A) स्थायी
(B) जंगम (अस्थायी)
(C) अदृश्य
(D) अवास्तविक
उत्तर :
(B) जंगम (अस्थायी)
प्रश्न 6.
NSDL (एनएसडीएल) का पूर्ण रूप बताइए ।
(A) नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड
(B) नोन-सिक्योरिटिज डिपोजिटरी लिमिटेड
(C) नेशनल सिक्योरिटिज डिजास्टर मेनेजमेन्ट लिमिटेड
(D) नेशनल सिक्योरिटिज डिपार्टमेन्ट लिमिटेड
उत्तर :
(A) नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड
प्रश्न 7.
कम्पनी के संचालक तथा कर्मचारिओं को बट्टे अथवा रोकड अवेज बिना दिये जानेवाले शेयर को क्या कहा जाता है ?
(A) इक्विटी शेयर
(B) बोनस शेयर
(C) स्वेट इक्विटी शेयर
(D) अधिकार के शेयर
उत्तर :
(C) स्वेट इक्विटी शेयर
प्रश्न 8.
सेबी SEBI का मुख्य कार्यालय कहाँ स्थित है ?
(A) अहमदाबाद
(B) बडौदा
(C) पूना
(D) मुम्बई
उत्तर :
(D) मुम्बई
प्रश्न 9.
सीडीएसएल (CDSL) का विस्तृत रूप कौन-सा है ?
(A) सेन्ट्रल डिफेन्स सर्विसिज इण्डिया लिमिटेड
(B) सेन्ट्रल डायरेक्ट सर्विसिज इण्डिया लिमिटेड
(C) सेन्ट्रल डिपोजिटरी सर्विसिज इण्डिया लिमिटेड
(D) सेन्ट्रल डिपार्टमेन्ट सर्विसिज इण्डिया लिमिटेड
उत्तर :
(C) सेन्ट्रल डिपोजिटरी सर्विसिज इण्डिया लिमिटेड
प्रश्न 10.
डीपी (DP) किसे कहा जाता है ?
(A) डायरेक्ट पेमेन्ट
(B) डिपोजिटरी पार्टली पेमेन्ट
(C) डिपोजिटरी पार्टिसिपेन्ट
(D) डिपोजिटरी पार्टनरशिप
उत्तर :
(C) डिपोजिटरी पार्टिसिपेन्ट
प्रश्न 11.
बोनस शेयर निर्गमित करने के कितने महिने में बोनस शेयर पत्रक कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवाया जाना चाहिए ?
(A) 1
(B) 3
(C) 2
(D) 4
उत्तर :
(A) 1
प्रश्न 12.
SEBI का मूल स्वरूप कौन-सा है ?
(A) सिक्योरिटिज एण्ड एक्सपोर्ट बोर्ड ऑफ इण्डिया
(B) सिक्योरिटिज एण्ड एक्सचेन्ज बोर्ड ऑफ इण्डिया
(C) सिक्योरिटिज एण्ड एक्सपर्ट बोर्ड ऑफ इण्डिया
(D) स्पेशियल एण्ड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इण्डिया
उत्तर :
(B) सिक्योरिटिज एण्ड एक्सचेन्ज बोर्ड ऑफ इण्डिया
प्रश्न 13.
निर्गमित पूँजी अधिकृत पूँजी से कितनी नहीं हो सकती है ?
(A) बराबर
(B) कम
(C) अधिक
(D) तीन गुना
उत्तर :
(C) अधिक
प्रश्न 14.
कम्पनी के नियमन-पत्र में अधिकार हो तो ही अंश निर्गमित किये जा सकते है ?
(A) अधिकार के अंश
(B) बोनस अंश
(C) प्रेफरन्स शेयर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) बोनस अंश
प्रश्न 15.
कम्पनी के अस्तित्व काल के दौरान कौन से अंश वापस नहीं किये जाते ?
(A) इक्विटी अंश
(B) 20 वर्ष पहले वापस कर सके ऐसे प्रेफरन्स शेयर
(C) 20 वर्ष के बाद वापस कर सके ऐसे प्रेफरन्स शेयर
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(A) इक्विटी अंश
प्रश्न 16.
इक्विटी अंशधारियों को प्रतिफल के रूप में क्या मिलता है ?
(A) कमीशन
(B) अधिकार के अंश
(C) ब्याज
(D) लाभांश
उत्तर :
(D) लाभांश
प्रश्न 17.
इक्विटी अंशधारियों को लाभांश कैसे मिलता है ?
(A) निश्चित दर से
(B) अनिश्चित दर से
(C) उपरोक्त दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) अनिश्चित दर से
प्रश्न 18.
कम्पनी कानून के अनुसार वर्तमान समय में सार्वजनिक कम्पनी कितने प्रकार के अंश निर्गमित कर सकती है ?
(A) 1
(B) 5
(C) 2
(D) 6
उत्तर :
(C) 2
प्रश्न 19.
एक ऐसा दस्तावेज जो बेरर चेक की तरह हस्तांतरण की कोई भी विधि किये बिना मात्र एक हाथ से दूसरे के हाथ में देकर हस्तांतरण
कर सकते है ?
(A) अंश प्रमाणपत्र
(B) अंश वारन्ट
(C) बोनस अंश
(D) लाभांश
उत्तर :
(B) अंश वारन्ट
प्रश्न 20.
प्रेफरन्स शेयर में इक्विटी शेयर की अपेक्षाकृत जोखिम कैसी होती है ?
(A) कम
(B) अधिक
(C) मध्यम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) कम
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।
प्रश्न 1.
कम्पनी को कितने प्रकार की पूँजी की आवश्यकता उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
कम्पनी को दो प्रकार की पूँजी की आवश्यकता उत्पन्न होती है । जो कि
- स्थायी पूँजी
- कार्यशील पूँजी ।
प्रश्न 2.
सत्तावार/अधिकृत पूँजी आवेदन-पत्र की कौन-सी कलम में दर्शाई जाती है ?
उत्तर :
अधिकृत पूँजी आवेदन-पत्र की पूँजी की कलम में दर्शाई जाती है ।
प्रश्न 3.
सामान्यतः स्वेट इक्विटी अंश की कितने वर्ष तक परिवर्तन नहीं हो सकता ?
उत्तर :
सामान्यतः स्वेट इक्विटी अंश की 3 वर्ष तक परिवर्तन नहीं हो सकता ।
प्रश्न 4.
शेयरधारकों के लिए प्राथमिक प्रमाण के रूप में क्या होता है ?
उत्तर :
शेयरधारकों के प्राथमिक प्रमाण के रूप में शेयर प्रमाण पत्र होता है ।
प्रश्न 5.
शेयर प्रीमियम यह कम्पनी के लिए क्या है ?
उत्तर :
शेयर प्रीमियम यह कम्पनी के लिए पूँजी लाभ है ।
प्रश्न 6.
प्रेफरन्स शेयर किस प्रकार के निवेशक खरीदना पसन्द करते हैं ?
उत्तर :
निश्चित आय के साथ पूँजी की सुरक्षा की इच्छुक निवेशक प्रेफरन्स शेयर में निवेश करना पसन्द करते है ।
प्रश्न 7.
बट्टे (Discount) से निर्गमित शेयर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब शेयर की मूल या दार्शनिक कीमत की अपेक्षाकृत कम कीमत पर शेयर निर्गमित किये जाये तब शेयर बट्टे से निर्गमित (Share Issued at Discount) किया कहा जाता है ।
प्रश्न 8.
स्थिर सम्पत्तियों की खरीदी के लिए किस प्रकार की पूँजी की आवश्यकता होती है ?
उत्तर :
स्थिर सम्पत्तियों की खरीदी के लिए स्थिर पूँजी की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 9.
प्रेफरन्स शेयर के प्रकार बताइए ।
उत्तर :
प्रेफरन्स शेयर के दो प्रकार निम्न है :
- 20 वर्ष से पहले वापस कर सके ऐसे प्रेफरन्स शेयर
- 20 वर्ष के बाद वापस कर सकें ऐसे प्रेफरन्स शेयर
प्रश्न 10.
डिमटी रियालाइजेशन (डिमेट) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
डिमेट खाता शेयर प्रमाणपत्र को इलेक्ट्रोनिक बंधारण के रूप में रुपान्तरित करने की प्रक्रिया । इस हेतु निवेशक को डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट के साथ डिमेट खाता खुलवाना पड़ता है ।
प्रश्न 11.
कम्पनी द्वारा निर्गमित किए गए शेयर में से जितने शेयर के लिए आवेदन मिले उस रकम को क्या कहा जाता है ?
उत्तर :
कम्पनी द्वारा निर्गमित किए गए शेयर में से जितने शेयर के लिए आवेदन मिले तो उन्हें प्रार्थित या भरपाई अंश पूँजी (Subscribed Capital) कहा जाता है ।
प्रश्न 12.
कम्पनी को चालू/दैनिक पूँजी की आवश्यकता किस कारण से उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
दैनिक प्रशासकीय व उत्पादन से सम्बन्धित खर्चों को पूरा करने के लिए कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 13.
अंश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी अपनी पूँजी को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करती है, इस छोटे-छोटे भाग को अंश कहते हैं ।
प्रश्न 14.
कौन-सी कम्पनी प्रारम्भ से ही स्कन्ध निर्गमित नहीं कर सकती है ?
उत्तर :
नई कम्पनी प्रारम्भ से ही स्कन्ध निर्गमित नहीं कर सकती है ।
प्रश्न 15.
कम्पनी डुप्लिकेट अंश प्रमाणपत्र कब देती है ?
उत्तर :
अंशधारी का स्वयं अपना प्रमाणपत्र खो गया हो, यदि प्रमाणपत्र फट गया हो या बिगड़ गया हो तो यह बात सिद्ध करने पर अंशधारी को डुप्लीकेट अंश प्रमाणपत्र देती है ।
प्रश्न 16.
निर्गमित पूँजी (Issued Capital) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी अपनी अधिकृत पूँजी में से सार्वजनिक जनता के लिये जितनी अंश पूँजी निर्गमित की जाती हो उन्हें निर्गमित पूँजी कहलाती है । निर्गमित पूँजी अधिकृत पूँजी जितनी अथवा उससे कम हो सकती है, लेकिन वह अधिकृत पूँजी से अधिक नहीं हो सकती है ।
प्रश्न 17.
निवेश की सुरक्षा चाहनेवाले लोगों के लिये कम्पनी को कौन-से अंश निर्गमित करने चाहिए ?
उत्तर :
निवेश की सुरक्षा चाहनेवाले लोगों के लिये कम्पनी को प्रेफरन्स अंश निर्गमित करने चाहिए ।
प्रश्न 18.
यदि किसी व्यवसाय में अधिक जोखिम हो तब कम्पनी को कौन-से अंश निर्गमित किये जाने चाहिये ?
उत्तर :
यदि किसी व्यवसाय में अधिक जोखिम हो तब कम्पनी को इक्विटी अंश निर्गमित करने चाहिए ।
प्रश्न 19.
अंश प्रमाणपत्र यानि क्या ?
उत्तर :
कम्पनी द्वारा अपनी सार्वमुद्रा (मुहर) द्वारा अपने सदस्यों को दिया जानेवाला दस्तावेज जो कि सदस्यों की मालिकी दर्शाता है, अर्थात् अंश प्रमाणपत्र ।
प्रश्न 20.
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गयी पूँजी को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गयी पूँजी को अधिकार पूँजी/अधिकृत पूँजी/ पंजीकृत पूँजी/निश्चित की गई अंश पूँजी कहते है ।
प्रश्न 21.
भरपाई हुई पूँजी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कम्पनी द्वारा निर्गमित किये गये अंशों में जितने अंश के लिए आवेदन मिले हो उतनी रकम की पूँजी भरपाई हुई पूँजी कहलाती है ।
प्रश्न 22.
अधिकार पूँजी अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कम्पनी अपने आवेदन-पत्र में जो पूँजी दर्शायी है वह रकम अधिकार पूँजी/अधिकृत पूँजी/सत्तावार पूँजी कहलाती है । कम्पनी इस अंश पूँजी से पंजीकृत होती है ।
प्रश्न 23.
प्रेफरन्स अंश (Preference Share) अर्थात् क्या ? ।
उत्तर :
प्रेफरन्स अंश अर्थात् ऐसे अंश जिनको लाभांश प्राप्ति में तथा पूँजी वापस प्राप्त करने में अग्र पसन्दगी दी जाती हो ।
प्रश्न 24.
कम्पनी बट्टे पर अंश कब निर्गमित कर सकती है ?
उत्तर :
जब कम्पनी व्यवसाय प्रारम्भ करने का प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेती है, उनके एक वर्ष के बाद बट्टे से कम्पनी अंश निर्गमित कर सकती है ।
प्रश्न 25.
बोनस अंश (Bonus Share) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कम्पनी जो लाभ एकत्रित करती है उनमें से अंशधारियों को नकद के स्थान पर अंश के रूप में लाभांश दे उन्हें बोनस अंश कहते हैं ।
प्रश्न 26.
बोनस अंश किस-किस में से दिये जा सकते हैं ?
उत्तर :
बोनस अंश लाभ के वितरण द्वारा खड़े किये गये अनामत कोष अथवा लाभ-हानि खाते की जमाशेष में से, ऋणपत्र वापस करने के बाद ऋणपत्र प्रत्यावर्तन कोष की शेष अतिरिक्त राशि सामान्य संचय में ले जाने के बाद तथा पूँजी लाभ में से बोनस अंश दिये जा सकते है ।
प्रश्न 27.
अंश का स्टॉक में रूपान्तर कब हो सकता है ?
उत्तर :
पूर्ण भरपाई हुये अंश का स्टॉक में रूपान्तर हो सकता है । इसके लिए कम्पनी को सामान्य सभा में प्रस्ताव पारित करना पड़ता है ।
प्रश्न 28.
अंश का स्टॉक में रूपान्तर कौन-कौन-सी कम्पनियाँ कर सकती है ?
उत्तर :
अंशपूँजी द्वारा सीमित दायित्ववाली सार्वजनिक कम्पनी और निजी कम्पनी अंश का स्टॉक/स्कन्ध में रूपान्तर कर सकती है ।
प्रश्न 29.
शेयर का महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या होता है ?
उत्तर :
शेयर का आसानी से परिवर्तन हो सकता है जो कि शेयर का महत्त्वपूर्ण लक्षण है ।
प्रश्न 30.
निम्न पद समझाइए ।
(1) अधिकृत पूँजी (Authorised Capital)
उत्तर :
कम्पनी के आवेदन-पत्र में दर्शायी गयी पूँजी को अधिकृत पूँजी कहते है ।
(2) कन्वर्टीबल प्रेफरन्स अंश (Convertible Preference Share)
उत्तर :
ऐसे प्रेफरन्स अंश जिनकी सम्पूर्ण राशि अथवा अमुक भाग को इक्विटी अंश (Equity Share) में परिवर्तन किया जाये उन्हें कन्वर्टिबल प्रेफरन्स अंश कहते है ।
(3) अंश वारन्ट (Share Warrant)
उत्तर :
अंश प्रमाणपत्र के स्थान पर कम्पनी की मुहर अंकित करके बेरर दस्तावेज दिया जाता है । उसे अंश वारन्ट कहते हैं ।
अंश प्रमाणपत्र के बदले में जो बेरर दस्तावेज दिया जाता है उसे अंश वारन्ट कहते है ।
(4) अंश सर्टिफिकेट (Share Certificate)
उत्तर :
अंश सर्टिफिकेट या प्रमाणपत्र अर्थात् कम्पनी की सामान्य मुद्रा के अन्तर्गत उसके सदस्यों को दिया गया दस्तावेज, जो सदस्यों का स्वामित्व/मालिकी दर्शाता है ।
(5) अंश स्टॉक (Share Stock)
उत्तर :
अंश स्टॉक अर्थात् पूर्ण भरपाई अंश की कुल राशि को स्टॉक के रूप में रूपान्तरित की जानेवाली पूँजी ।
‘स्टॉक अर्थात् सरलता के लिये पूर्ण भरपाई हुये अंशों का एकत्रित संचय (कुल राशि या पूँजी) ऐसा स्टॉक उसकी रकम संचय के रूप में जानी जाती है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।
1. अंश (Share) का अर्थ एवं व्याख्या दीजिए ।
उत्तर :
* अंश अर्थात् कम्पनी की पूँजी को छोटे छोटे भागों में विभाजित किया जाए । यह प्रत्येक भाग अंश कहलाता है ।
* अंश अर्थात् शेयरधारकों का कम्पनी में स्थित पूँजी में व्यक्त हो सकता है ऐसा हित ।
* पूँजी में व्यक्त कर सके ऐसा हित अथवा दायित्व अर्थात् शेयर । कम्पनी का शेयर क्रय करनेवाला शेयरधारक कहलाता है ।
व्याख्या : कम्पनी अधिनियम 2013 के अनुसार :- ‘शेयर अर्थात् कम्पनी की शेयर पूँजी का एक भाग जिसमें स्टॉक का समावेश होता है । कम्पनी उनकी शेयर पूँजी को छोटे छोटे भागों में विभाजित करती है । यह प्रत्येक भाग शेयर कहलाता है ।’
प्रश्न 2.
‘शेयर यह शेयरधारक का कम्पनी के प्रति अधिकार और जिम्मेदारी सूचित करता है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
उपरोक्त विधान सत्य है, क्योंकि कम्पनी शेयर धारकों को सभा की नोटिस प्राप्त करने का, सभा में उपस्थित रहने का तथा मतदान करने का अधिकार देती है । इसके साथ ही शेयरधारकों द्वारा धारण किये गये शेयर की दार्शनिक कीमत (Face/per value) भरपाई करने की जिम्मेदारी भी सूचित करता है ।
प्रश्न 3.
‘इक्विटी शेयर धारक को मिलनेवाला लाभांश यह कम्पनी के लाभ के साथ सम्बन्ध रखता है ।’ विधान समझाइये ।
उत्तर :
इक्विटी शेयरधारक को मिलनेवाला लाभांश यह कम्पनी के लाभ के साथ सम्बन्ध रखता है । यह विधान सत्य है । क्योंकि इक्विटी शेयरधारकों को मिलनेवाला लाभांश यह कम्पनी के लाभ के सम्बन्ध रखता है । लाभ में कमी व वृद्धि होने के साथ साथ लाभांश दर में कमी व वृद्धि होती है । अर्थात् अधिक लाभ होगा तो शेयरधारकों को अधिक लाभांश मिलेगा । कम लाभ होगा तो इक्विटी शेयरधारकों को कम लाभांश मिलेगा ।
प्रश्न 4.
अन्य इक्विटी शेयर के प्रकार बताइए ।
उत्तर :
अन्य इक्विटी शेयर के दो प्रकार होते है :
- मताधिकार के साथवाले इक्विटी शेयर
- लाभांश के संदर्भ में अलग अलग अधिकारों के साथ मताधिकार प्राप्त इक्विटी शेयर ।
प्रश्न 5.
स्वेट इक्विटी अंश द्वारा संचालकों तथा कर्मचारियों को मिलनेवाले लाभ बताइए ।
उत्तर :
निम्न लाभ होते है :
- कम्पनी के संचालकों को प्रतिफल के स्वरूप में दिया जा सकता है ।
- कम्पनी के कर्मचारियों को इस प्रकार के शेयर मिलने से वेतन के अलावा कम्पनी के शेयर पर लाभांश के रूप में आय होती है ।
इसके उपरांत, कर्मचारियों को कम्पनी के अंशधारियों को अधिकार मिलने से मालिकी भाव उत्पन्न होता है ।
प्रश्न 6.
शेयर प्रमाणपत्र शेयरधारकों के लिए प्राथमिक प्रमाण है – कारण दीजिए ।
उत्तर :
शेयर प्रमाणपत्र अर्थात् कम्पनी द्वारा उनकी सामान्य मुहर (सार्वमुद्रा) Common Seal के अन्तर्गत उनके सदस्यों को दिया जानेवाला दस्तावेज है जो सदस्यों की मालिकी दर्शाता है ।
कम्पनी की शेयर पूँजी में प्रत्येक सदस्य का हित है । इसके लिए यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने का अधिकार है । शेयर प्रमाणपत्र शेयरधारकों के लिए मालिकी हक/अधिकार का प्राथमिक प्रमाण है । कारण कि कम्पनी स्वीकार करती है कि प्रमाणपत्र में जिसका नाम दर्शाया गया है, वह शेयरधारक प्रमाणपत्र में दर्शाया हुआ शेयर का प्रकार और उस कीमत के शेयर प्राप्त करते है ।
प्रश्न 7.
शेयर प्रमाणपत्र के बारे में कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाएँ बताइए ।
उत्तर :
शेयर प्रमाणपत्र के बारे में कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाएँ निम्न है :
- सार्व मुद्रा : शेयर प्रमाणपत्र पर कम्पनी की सार्व मुद्रा होनी चाहिए ।
- हस्ताक्षर : शेयर प्रमाणपत्र पर 2 संचालकों के हस्ताक्षर तथा सचिव की अथवा नियुक्त अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर होने चाहिए ।
- संयुक्त शेयरधारक : एक से अधिक व्यक्ति जो संयुक्त रूप से शेयरधारक हो तो प्रत्येक को अलग-अलग प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता, परंतु संयुक्त शेयर प्रमाणपत्र पर प्रथम शेयरधारक के नाम के साथ संयुक्त शेयरधारकों के नाम दर्शाए जाने चाहिए ।
प्रश्न 8.
डिमेट खाता कहाँ खुलवाया जा सकता है ?
उत्तर :
डिमेट ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशक अपने भौतिक शेयर इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में अपने डी.पी. (डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट) खाते में रखते है । भारत में दो प्रकार की ऐसी संस्थाएँ है । NSDL एवं CDSL । यह संस्था निवेशकों के शेयर, बोन्ड या सिक्योरिटीज को सम्भालने की जिम्मेदारी सम्भालती है । जिससे इस संस्था को बचत सुरक्षित रखनेवाले एजन्ट के रूप में पहचाना जाता है । इस संस्था की ओर से सरकारी तथा निजी बैंक और अन्य मौद्रिक संस्थाएँ भी डिमेट खाता खोलती है ।
प्रश्न 9.
डिमेट खाताओं के खर्चे (Expenditure of Demat Account) बताइए ।
उत्तर :
डिमेट खाते में होनेवाले खर्च को चार भागों में बाँटा गया है :
- खाता खुलवाने का खर्च : कई बैंक ऐसा खाता खोलने का खर्च लेती है जबकि कई बैंक यह खर्च नहीं लेती है ।
- वार्षिक सुरक्षा फीस : डिमेट खाते को संचालित रखने के लिए रख-रखाव (मेइनटेनन्स) खर्च (Charge) लिया जाता है ।
- करटोडीयन फीस : डिमेट धारक के खाते में कितने शेयर रहे है उनके आधार पर प्रति मास फीस भरनी होती है ।
- सौदों की फीस : शेयर की जो खरीद व बिक्री के सौदे होते है, उसके आधार पर फीस ली जाती है ।
प्रश्न 10.
बोनस शेयर निर्गमित (Issue) करने के संजोग/परिस्थितियाँ बताइए ।
उत्तर :
बोनस शेयर निम्न संजोगों में निर्गमित किया जाता है :
- नहीं मंगाई हुई रकम : अंशत: भरपाई हुए शेयर पर नहीं मंगाई गई रकम भरपाई करने के लिए लाभ के रुप में बोनस शेयर दिये जा सकते है ।
- अनामत कोष : कम्पनी के पास बृहद पैमाने में अनामत कोष या लाभ-हानि खाते की जमा बाकी/शेष हो तथा शेयरधारकों को लाभ देने के लिए बोनस शेयर दिये जा सकते है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए ।
प्रश्न 1.
शेयर (Share) के लक्षण बताइए ।
उत्तर :
शेयर के लक्षण (Characteristics of Share) निम्न है :
- शेयर पूँजी का हिस्सा : शेयर यह कम्पनी की शेयरपूँजी का एक भाग है, जो कि छोटे छोटे एकसमान भागों में विभाजित होती है ।
- कम्पनी में स्थित हित : शेयर यह शेयरधारकों का कम्पनी में मौद्रिक हित व्यक्त करता है ।
- जंगम (विशाल) सम्पत्ति : शेयर यह जंगम संपत्ति है । जिसका क्रय व विक्रय हो सकता है तथा भेट या दान में दिया जा सकता है ।
- परिवर्तन में सरलता : शेयर का आसानी से परिवर्तन हो सकता है । जो कि शेयर का महत्त्वपूर्ण लक्षण कहलाता है ।
- अधिकार व दायित्व : कम्पनी के शेयरधारकों सभा में नोटिस प्राप्त करने का, सभा में उपस्थित रहने का तथा मत देने का अधिकार देती है । इसके साथ ही शेयरधारकों द्वारा धारण किए गए शेयर की दार्शनिक कीमत (Face/Per Value) भरने का दायित्व भी सूचित करता है।
प्रश्न 2.
स्वेट इक्विटी शेयर का अर्थ तथा व्यवस्थाएँ बताइये ।
उत्तर :
स्वेट इक्विटी शेयर (Sweat Equity Share) का अर्थ : कम्पनी अपने संचालकों, कर्मचारियों और विशिष्ट ज्ञान प्राप्त कर्मचारियों को बट्टे से अथवा नकद सिवाय के अवेज से जो शेयर दिये जाये तो उन्हें ‘स्वेट इक्विटी शेयर’ कहते हैं । सामान्यतः इस प्रकार के शेयर मान्य शेयर बाजार में जो मूल्य हो उनकी अपेक्षाकृत कम मूल्य पर प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है ।
व्यवस्थाएँ :
- कम्पनी की सामान्य सभा में विशेष प्रस्ताव पारित करना पड़ता है ।
- इस प्रस्ताव में कितने शेयर निर्गमित किए है इसका विवरण, वर्तमान बाजार मूल्य तथा कौन से संचालक अथवा कर्मचारियों को देना है इसकी जानकारी देनी पड़ती है ।
- कम्पनी अधिनियम की व्यवस्थाओं का पालन तथा शेयर बाजार के नीति-नियमों के अनुसार पंजियन करवाया जाना चाहिए ।
- सार्वजनिक कम्पनी धन्धा आरम्भ करने का प्रमाण प्राप्त करे वहाँ से लेकर एक वर्ष के बाद ही इस प्रकार के शेयर निर्गमित किये जा सकते है ।
- इस प्रकार के शेयर का सामान्यतः 3 वर्ष तक मालिकी में परिवर्तन नहीं हो सकता ।
- कम्पनी भरपाई हुई कुल शेयर पूँजी का 15% या 5 करोड़ से अधिक एक वर्ष में नहीं दे सकते तथा कल पूँजी के 25% से अधिक इस प्रकार के शेयर वितरित नहीं कर सकते ।
प्रश्न 3.
डिमेट खाता खुलवाने के बारे में आवश्यकताएँ बताइये ।
उत्तर :
डिमेट खाते की आवश्यकता (Requirement of Demat Account) : शेयर मालिकी हक का प्राथमिक प्रमाण शेयर प्रमाणपत्र है । मूल शेयर प्रमाणपत्र खो जाए, चोरी हो जाए, नष्ट हो जाए, खराब हो जाए अथवा फट जाए, तब डुप्लीकेट प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए शेयरधारक को लम्बी व खर्चीली विधि करनी पड़ती है । इसमें, परिवर्तन फार्म में जो हस्ताक्षर मिलते न हो या गलत हस्ताक्षर करके परिवर्तन किया जाये तथा डाक के माध्यम से समय पर न मिले तब शेयर के क्रय व विक्रय में समस्या खड़ी होती है । ऐसी समस्याओं के निवारण हेतु शेयरों की डिमटी रियलाइजेशन (डिमेट) प्रथा अमल में आई है ।
प्रश्न 4.
डिमेट खाता खुलवाने की विधि (Pre Procedure of Opening Demant Account) बताइए ।
उत्तर :
डिमेट खाता खुलवाने के लिए सर्वप्रथम बैंक या मौद्रिक संस्थाओं का सम्पर्क करना होता है । इन संस्थाओं द्वारा मिले हुए आवेदन फार्म में आवश्यक विवरण भरना होता है । आवेदन फॉर्म के साथ निम्न दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ते है :
- पान कार्ड (Pan Card)
- निवास का प्रमाण
- पहचान पत्र
- आयकर भरते हो तो उनका चालान
- पासपोर्ट साइज का फोटा
- आवेदन-पत्र के साथ ही नोन-ज्युडिशियल स्टेम्प पेपर ग्राहक अनुबन्ध (क्लायन्ट एग्रीमेन्ट) करना होता है ।
प्रश्न 5.
बोनस शेयर किसमें से दिये जा सकते है ?
उत्तर :
बोनस शेयर निम्न में से दिया जा सकता है :
- लाभ के वितरण द्वारा किये गये किसी भी अनामत में से और लाभ-हानि वितरण खाते की जमा शेष में से ।
- शेयर प्रीमियम खाते की जमा शेष में से केवल पूर्ण भरपाई हुए शेयर पर ही बोनस शेयर दिया जा सकता है ।
- ऋणपत्र वापस करने पश्चात् ऋणपत्र प्रत्यावर्तन कोष की शेष अतिरिक्त राशी सामान्य अनामत में ले जाने के पश्चात् ।
प्रश्न 6.
अधिकार के शेयर के बारे में सेक्रेटरी के कर्तव्य बताइये ।
उत्तर :
अधिकार अंश सम्बन्धी सेक्रेटरी के कार्यों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।
(1) वर्तमान अंशधारियों को अधिकार अंश निवेदन सम्बन्धी कार्य
(2) अधिकार अंश को सार्वजनिक जनता को निवेदित किये जाये तो सम्बन्धित कार्य
(1) वर्तमान अंशधारियों को निवेदन :
- सबसे पहले सचिव समय अवधि के संदर्भ में अधिकार अंश देने की व्यवस्था कानूनी है या नहीं यह निश्चित करना चाहिये ।
- संचालक मण्डल की सभा में ऐसे निवेदन सम्बन्धी प्रस्ताव पारित करवाना चाहिये ।
- अंशधारियों को इस सम्बन्धी आवश्यक नोटिस देकर ऐसे अधिकार के अंश क्रय करने का आवेदन करने तथा जरूरी राशि जमा कराने के लिये कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना चाहिये ।
- सदस्य पत्रक तथा स्थानान्तरण पत्रक बन्द करने की तिथि तथा अवधि भी तय की जानी चाहिये, जिससे अधिकार के अंश
प्राप्त करने योग्य अंशधारी निश्चित हो सके ।
(2) सार्वजनिक जनता को निवेदन : उपरोक्त व्यवस्थाओं के अमलीकरण के अधिकार अंश के लिये अंशधारियों ने आवेदन न किया हो या सहमति न दर्शायी हो ऐसे शेष अंशों के लिये सार्वजनिक जनता को भी आमंत्रण दिया जा सकता है ।
इसके लिये वर्तमान अंशधारियों द्वारा अंश निर्गमन के लिए विज्ञापन पत्र निर्गमित किया जाता है । इस सम्बन्धी सम्पूर्ण विधि, अंश निर्गमन की विधि जैसी ही है । और यह विधि पूरी होने के बाद सचिव की सामान्य विधि भी उपर दर्शायी गयी है, उसी प्रकार करनी होती है । जिसमें स्वीकृति के लिये कम्पनी की सभा आयोजित करवाना, स्वीकृति पत्र भेजना, अंश प्रमाणपत्र भेजना, सदस्य पत्रक में दर्ज करना, वितरण का पत्रक तैयार करना इत्यादि ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए ।
प्रश्न 1.
शेयर पूँजी के प्रकार समझाइये ।
अथवा
अंशपूँजी का वर्गीकरण समझाइए ।
उत्तर :
कम्पनी की कुल पूँजी का एक हिस्सा अर्थात् अंश पूँजी । अंश पूँजी मालिकी स्वरुप की पूँजी कहलाती है । जो कि निम्न भागों में बाँटा गया है ।
(1) अधिकार/अधिकृत/पंजीकृत/निश्चित की गई अंश पूँजी (Authorised or Registered or Nominal Capital)
(2) निर्गमित अंश पूँजी (Issued Capital)
(3) स्वीकृत/भरपाई अंश पूँजी (Subscribed Capital)
(4) प्रार्थित पूँजी (Called up Capital)
(5) भरपाई हुई या वसूल हुई अंश पूँजी (Paid up Capital)
(1) अधिकृत पूँजी (Authorised Capital) : कम्पनी के आवेदन-पत्र में पूँजी की कलम में दर्शायी गई रकम को अधिकृत पूँजी कहते हैं ।
इनको पंजीकृत पूँजी या निश्चित की गई पूँजी के रूप में जाना जाता है । क्योंकि इस रकम से अंशपूँजी से पंजीकृत होती है । कम्पनी इस प्रकार दर्शायी गई रकम से अधिक अंश निर्गमित नहीं करती, सिवाय आवेदन-पत्र की पूँजी की कलम में परिवर्तन किया जाये ।
(2) निर्गमित अंश पूँजी (Issued Capital) : कम्पनी को जब जब आवश्यकता होती है वैसे वैसे पूँजी प्राप्त करने के लिये अंश निर्गमित करती है । इस तरह निर्गमित किये गये अंशों की रकम को निर्गमित पूँजी कहते है । निर्गमित पूँजी अधिकृत पूँजी जितनी अथवा उससे कम हो सकती है, लेकिन वह अधिकृत पूँजी से अधिक नहीं हो सकती है ।
(3) स्वीकृत/भरपाई अंश पूँजी/ कबूल की गई अंश पूँजी (Subscribed Capital) : कम्पनी द्वारा निर्गमित अंशों में से जितने अंशों के लिये आवेदन प्राप्त हो यह रकम भरपाई या स्वीकृत पूँजी मानी जाती है । निर्गमित अंशों की तुलना में अधिक अंशों के लिये आवेदन प्राप्त हो तो भी कम्पनी निर्गमित अंशों जितनी ही रकम स्वीकृत कर सकती है । इस तरह स्वीकृत किये गये अंशों की पूँजी स्वीकृत पूँजी या कबूल की गयी या भरपाई की गयी अंश पूँजी मानी जाती है ।
(4) प्रार्थित पूँजी (Called up Capital) : कम्पनी के अंश का पूरे मूल्य जितनी रकम आवेदन के समय मंगाई जाये ऐसा जरूरी नहीं है । अंश के कुल मूल्य की सीमा में रहकर आवश्यकता के अनुसार किस्त में रकम मंगाते है । इस प्रकार अंश पर मंगाई गयी रकम को प्रार्थित पूँजी कहा जाता है ।
(5) भरपाई हुई या वसूल की गई अंशपूँजी (Paid up Capital) : कम्पनी की ओर से जो रकम मंगवाई जाती है वह सम्पूर्ण रकम तुरन्त प्राप्त नहीं होती है । इसमें से कई शेयरधारक इस प्रकार मंगाई गई राशि निश्चित समय में भुगतान नहीं करते । जिसके परिणामस्वरूप इस प्रकार मंगायी गई राशि में से जितनी राशि वसूल हुयी हो, उसे वसूल हुयी अथवा भरपाई हुयी अंश पूँजी कहते हैं ।
प्रश्न 2.
इक्विटी शेयर/सामान्य अंश का अर्थ एवं लक्षण बताइये ।
उत्तर :
सामान्य अंश (Equity Share) : ऐसे शेयर जिस पर लाभांश प्राप्त करने में तथा पूँजी वापस करने में अधिकार प्रेफरन्स शेयर धारकों के बाद में मिलता हो तो उन्हें सामान्य इक्विटी शेयर कहते हैं ।
इक्विटी अंश के लक्षण : इक्विटी अंश के निम्नलिखित लक्षण होते हैं :
- यह अंश पूँजी कम्पनी के अस्तित्व के दौरान वापस नहीं किये जाते है ।
- ऐसे अंशधारक कम्पनी के सच्चे मालिक होते है ।
- इक्विटी अंशधारियों को कम्पनी की सभा में मतदान का अधिकार है । इसमें प्रतिअंश मताधिकार होता है ।
- संचालक बनने की शर्त में इक्विटी अंश को योग्यता के अंश माना जाता है ।
- पूर्वाधिकार अंशधारियों का लाभांश चुकाने के बाद ही शेषलाभ में से इक्विटी अंशधारियों को लाभांश चुकाया जाता है ।
- अंश द्वारा सीमित दायित्ववाली कम्पनी को इस तरह के अंश निर्गमित करना जरूरी होता है ।
- इक्विटी अंश के लाभांश का आधार लाभ के साथ सीधा सम्बन्ध रखता है । अतः लाभ अधिक हो तो अधिक और कम लाभ हो तो कम लाभांश प्राप्त होता है । और यदि कम्पनी चाहे तो ऐसे अंशों पर लाभांश प्राप्त हो तो भी घोषित न भी करे ऐसा हो सकता है ।
- ऐसे अंशधारियों को कम्पनी की सामान्य सभा में उपस्थित रहने तथा मतदान करने तथा संचालकों का चयन करने का अधिकार होता है ।
- कम्पनी विसर्जन के समय पूर्वाधिकार/प्रेफरन्स अंशधारियों को पूँजी लौटाने के बाद ही यदि पूँजी शेष रहे तो ही इक्विटी अंशधारियों को पूँजी लौटाई जाती है ।
- ऐसे अंशधारियों को विभिन्न प्रकार के लाभ व प्रतिफल प्राप्त होते है । जैसे – अधिकार अंश, पूँजी वृद्धि, अंश का बाजार मूल्य बढ़ने से प्राप्त लाभ आदि ।
प्रश्न 3.
प्रेफरन्स अंश अर्थात् क्या ? उसके लक्षण समझाइए ।
उत्तर :
प्रेफरन्स/अनुक्रमित/पसन्दगी के अंश (Preference Share) का अर्थ : ऐसे अंश जिनको कम्पनी के लाभ में से लाभांश प्राप्त करने
प्रथम अधिकार होता है, इसी तरह कम्पनी के विसर्जन के समय भी पूँजी वापस प्राप्त करने का भी प्रथम अधिकार होता है, इसलिए उन्हें पूर्वाधिकार अंश, पसन्दगी के अंश कहते हैं ।
पसन्दगी अंशधारियों को लाभांश व कम्पनी का विसर्जन हो तब पूँजी वापस प्राप्त करने का सर्वप्रथम अधिकार होता है । प्रेफरन्स अंश के लक्षण इसके निम्न लक्षण होते हैं :
- लाभांश प्राप्ति में ऐसे अंशधारियों को अग्र पसन्दगी दी जाती है ।
- कम्पनी विसर्जन के दौरान पूँजी वापसी में अग्र पसन्दगी दी जाती है ।
- ऐसे अंशधारियों को जो लाभांश चुकाया जाता है वह दर निश्चित होती है ।
- कानून का पालन करके रीडिमेबल प्रेफरन्स धारकों को पूँजी वापस की जा सकती है ।
- यदि नियमन-पत्र में व्यवस्था हो तो अथवा व्यवस्था करके पूर्वाधिकार अंशधारियों को इक्विटी अंश में परिवर्तन किया जा सकता है।
- ऐसे अंशधारियों को इन सम्बन्धी विषयों के अलावा विषयों के लिये आमसभा में मताधिकार प्राप्त नहीं होता है ।
- इसमें निश्चित लाभ या आय कमाने के इच्छुक व्यक्ति आकर्षित होते है ।
प्रश्न 4.
सामान्य अंश (Equity Share) और पूर्वाधिकार अंश (Preference Share) के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
इक्विटी अंश और प्रेफरन्स अंश :
अन्तर का मुद्दा | Equity Share इक्विटी अंश | Preference Share प्रेफरन्स अंश |
(1) अर्थ | (1) ऐसे अंश जिनमें लाभांश प्राप्त करने व पूँजी प्राप्त करने का अधिकार प्रेफरन्स अंशधारियों के बाद में हो, उन्हें इक्विटी अंश कहते है । | (1) ऐसे अंश जिसमें लाभांश प्राप्ति एवं पूँजी वापस प्राप्त करने का अधिकार इक्विटी अंश से पहले हो तो उन्हें प्रेफरन्स अंश कहते है । |
(2) पूँजी प्राप्ति हेतु | (2) अंश पूँजी एकत्रित करने के लिये इस प्रकार के अंश निर्गमित किये जाते हैं । | (2) प्रत्येक कम्पनी ऐसे अंश निर्गमित न भी करे ऐसा हो सकता है । |
(3) लाभांश का दर | (3) इसमें लाभांश की दर अनिश्चित होता है । | (3) प्रेफरन्स अंश पर लाभांश की दर निश्चित होती है। |
(4) मताधिकार | (4) इक्विटी अंशधारियों को कम्पनी की सभा में उपस्थित रहने, मतदान करने तथा संचालक चयन करने का अधिकार है । | (4) प्रेफरन्स अंशधारियों को मात्र अपने हित के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुये विषय के बारे में ही मतदान का अधिकार है । |
(5) जोखिम का प्रमाण | (5) ऐसे अंशों में जोखिम का प्रमाण अधिक होता है । | (5) इस प्रकार के अंशों में इक्विटी अंशधारियों की अपेक्षाकृत पूँजी प्राप्त करने में अग्रिमता होने से जोखिम का प्रमाण कम है । |
(6) निवेशकों की पसन्द | (6) जोखिम उठाने की तैयारी तथा अधिक प्रतिफल प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले निवेशक इक्विटी अंश में पूँजी लगाते है । | (6) इसमें स्थिर व निश्चित आय और पूँजी की सुरक्षा को चाहनेवाले निवेशक प्रेफरन्स अंश के रूप में पूँजी लगाते है । |
(7) प्रकार | (7) इक्विटी अंश के तीन प्रकार होते है :
(A) सामान्य इक्विटी अंश (B) अन्य इक्विटी अंश (C) स्वेट इक्विटी अंश |
(7) प्रेफरन्स अंश के दो प्रकार होते है :
(A) 20 वर्ष से पहले वापस कर सके ऐसे (B) 20 वर्ष के बाद वापस कर सके ऐसे । |
(8) संचालन पर नियंत्रण | (8) इक्विटी अंशधारक अपने मताधिकार से कम्पनी के संचालन पर नियंत्रण रखते है । | (8) ऐसे अंशधारियों का कम्पनी के संचालन पर नहीवत् नियंत्रण होता है । |
(9) योग्यता के अंश | (9) कम्पनी का संचालन बनने हेतु इक्विटी अंश की गणना योग्यता अंश के रूप में होती है । | (9) संचालक बनने हेतु योग्यता अंश की गणना में नहीं लिये जाते हैं । |
(10) बाजारमूल्य में कमी व वृद्धि | (10) ऐसे अंशों का बाजार-मूल्य कम्पनी की आय और बाजार में उसकी प्रतिष्ठा के आधार पर कमी व वृद्धि होती रहती है । | (10) ऐसे अंशों का मूल्य स्थिर रहता है । ब्याज की दर के ढाँचे में परिवर्तन हो तो उस प्रमाण में उसके बाजार मूल्य में परिवर्तन होता है इसलिए बाजार मूल्य में तीव्र वृद्धि अथवा कमी नहीं होती है । |
प्रश्न 5.
शेयर प्रमाणपत्र अर्थात् क्या ? इसमें दर्शायी जानेवाली बातें दर्शाइये ।
उत्तर :
शेयर प्रमाणपत्र का अर्थ (Meaning of Share Certificate) : शेयर प्रमाणपत्र अर्थात् कम्पनी द्वारा उनकी सार्वमुद्रा (Common
Sealके अन्तर्गत उनके सदस्यों को दिया जानेवाला दस्तावेज जो सदस्यों की मालिकी दर्शाता है ।
शेयर प्रमाणपत्र में दर्शाया जानेवाला विवरण :
- कम्पनी का नाम और अधिकृत बचत
- शेयर का अनुक्रम नम्बर ।
- शेयर प्रमाणपत्र का अनुक्रम नम्बर
- शेयरधारक का नाम और पता
- धारण किये हुए शेयर का प्रकार और संख्या
- शेयर की मूलकीमत और प्रति शेयर चुकाई गई रकम
- शेयर देने की तारीख व दिन
- हस्ताक्षर करने का अधिकार प्राप्त संचालकों के हस्ताक्षर और सचिव के हस्ताक्षर
- कम्पनी की सार्वमुद्रा
प्रश्न 6.
डिमेट खाते के लाभ व मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
डिमेट खाते के लाभ (Advantages of Demant Account) :
- शेयर के क्रय व विक्रय की प्रक्रिया सरल, निश्चित व शीघ्र होती है ।
- शेयर पर दलाली कम चुकानी पड़ती है अर्थात् कि शेयर पर के व्यापार का खर्च कम होता है ।
- डिमेट खाते में जमा किए हुए शेयर पर लोन प्राप्त करने के लिए गिरवी रख सकते है ।
- शेयर खरीदते ही तुरन्त डिमेट खाते में शेयर जमा हो जाते है । जिससे पूँजी की प्रवाहिता उनके पास ही रहती है ।
- शेयर खरीदते ही मालिकी हक भी तुरन्त ही मिल जाता है । इनके बारे में कोई प्रश्न या चिन्ता नहीं रहेती ।
- कम्पनी बोनस शेयर निर्गमित करती है तब तुरन्त ही डिमेट खाते में जमा हो जाते है ।
- डिमेट धारकों को बैंक अपना खाता देखने अथवा जाँचने के लिए ‘ओनलाईन’ सुविधाएँ देती है जिससे शेयर की विवरण सम्बन्धी जानकारी और शेयर स्टॉक की अन्तिम स्थिति जान सकते है ।
- म्युच्युअल फण्ड के लिए भी इस खाते का उपयोग किया जा सकता है ।
- शेयर परिवर्तन में, गलत हस्ताक्षर से परिवर्तन, शेयर की चोरी, शेयर खो जाने का, आग से नष्ट होने का, शेयर फट जाने का इत्यादि जोखिमों से बचा जा सकता है ।
- ऐसे खाते द्वारा शेयर का क्रय व विक्रय के बारे में व्यापार ‘On Line’ होने के कारण बिन निवासी भारतीयों को (NRI) अपनी
बचत से भारत की कम्पनियों में शेयर के रूप में निवेश करने में मददरूप बनते है ।
डिमेट खाते की मर्यादाएँ (Limitation of Demat Account) : डिमेट खाते की मर्यादाएँ निम्न है :
- शेयर बाजार में कई शेयरों पर सट्टाबाजी प्रवृत्ति को गति मिलती है जिससे निवेशकर्ताओं को नुकसान होता है ।
- शेयर बाजार में बहुत ही कम शेयरों में निवेश करनेवाले व्यक्ति को डिमेट खाता खुलवाने की फीस, वार्षिक देखभाल फीस, कस्टोडीयन फीस, शेयर का क्रय-विक्रय (सौदे) की फीस आदि के कारण यह खाता महँगा पड़ता है ।
प्रश्न 7.
‘प्रीमियम पर निर्गमित अंश’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
अथवा
सिक्यूरिटी प्रीमियम की रकम का उपयोग किन अवसरों में हो सकता है ?
उत्तर :
जब कम्पनी अंश के मूल या दार्शनिक मूल्य की तुलना में अधिक मूल्य पर अंश निर्गमित करे तब अंश प्रीमियम पर निर्गमित है ऐसा कहा जाता है ।
उदाहरण के रूप में 10/- रु. की दार्शनिक कीमत का अंश यदि 15/- रु. में निर्गमित हो तो 5/- रु. प्रीमियम कहा जाता है । सामान्यतः प्रतिष्ठित अथवा प्रगतिशील कम्पनी प्रीमियम पर अंश निर्गमित करती ।
अंश सिक्यूरिटी/अंश प्रीमियम यह कम्पनी के लिए पूँजी लाभ है । ऐसा लाभ कम्पनी को सिक्यूरिटिज प्रीमियम के रूप में हिसाब में शामिल करना होता है ।
सिक्यूरिटी प्रीमियम की रकम का उपयोग निम्न अवसरों में हो सकता है :
- पूर्ण भरपाई बोनस अंश निर्गमन करने के लिये ।
- प्रारम्भिक व्ययों की राशि अपलिखित करने के लिये ।
- अंश या ऋणपत्र प्रीमियम पर वापस करने हों तो इस देय प्रीमियम की राशि अदा/भुगतान करने के लिये यह लेखन करना चाहिये की अंश प्रीमियम का उपयोग लाभांश देने के लिये नहीं हो सकता है ।
- अंश या प्रमाणपत्र निर्गमित करते समय हुये व्यय, बट्टा अथवा अन्डर्राईटिंग कमीशन अथवा दलाली आदि को पूर्ण करने के लिये ।
- शेयर प्रीमियम की रकम का उपयोग लाभांश (Dividend) देने के लिए नहीं हो सकता ।
प्रश्न 8.
बोनस अंश (Bonus Share) का अर्थ एवं बोनस शेयर निर्गमित करने की विधि समझाइये ।
उत्तर :
बोनस शेयर का अर्थ (Meaning of Bonus Share) : कम्पनी उसके एकत्र हुये लाभ में से अंशधारियों को नकद के स्थान पर अंश के रूप में लाभांश देती है, उनको बोनस अंश कहते हैं ।
बोनस अंश निर्गमित करने की विधि (Procedure to Issue Bonus Share) :
- नियमन-पत्र : बोनस अंश निर्गमित करने का अधिकार
- प्रस्ताव : कम्पनी की सामान्य सभा में बोनस शेयर के बारे में प्रस्ताव पारित किया हुआ होना चाहिए ।
- सदस्य पत्रक : संचालकों को शेयरधारकों की सामान्य सभा बुलाने से पहले कम्पनी का सदस्य पत्रक बन्द करना चाहिए ।
- सदस्यों की सूचि : कम्पनी का सदस्यपत्रक बन्द करने के बाद सेक्रेटरी सदस्यों की सूचि तैयार करता है ।
- अधिकार दर्शाता करार : यह शेयर नकद लिये बिना निर्गमित होने से ही जिन शेयरधारकों को देना हो, उनका अधिकार दर्शाता करार तैयार करना जरूरी है ।
- स्वीकृति पत्र : करार तैयार करने के बाद स्वीकृति पत्र तैयार करके शेयरधारकों को इनके बारे में परिपत्र भेज दिया जाता है ।
- कम्पनी रजिस्ट्रार : बोनस अंश निर्गमित के बाद 1 महिने में बोनस शेयर पत्रक कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष पंजिकृत करवाना चाहिए ।
- सेबी (SEBI) : बोनस शेयर निर्गमित करने और बोनस शेयर की रकम तय करने के लिए सेबी के मार्गदर्शक सूचना अनुसार की विधि की जानी चाहिए ।
प्रश्न 9.
अधिकार के शेयर का अर्थ और अधिकार के शेयर के बारे में व्यवस्थाएँ बताइये ।
उत्तर :
अधिकार के शेयर (Right Share) : कम्पनी अधिनियम की व्यवस्था के अनुसार जो कोई कम्पनी अस्तित्व में हो और नये इक्विटी शेयर निर्गमित करे तब स्वयं के वर्तमान शेयरधारकों को अपने नवीन शेयर खरीदने का प्रस्ताव करते है । जिन्हें अधिकार के शेयर कहा जाता है।
अधिकार के शेयर के बारे में व्यवस्थायें (Provision of Right Share) :
- समय मर्यादा : कम्पनी की पंजियन की तारीख से 2 वर्ष तक अथवा शेयर वितरण करने के 1 वर्ष तक इन दो में से जो तारीख पहले आती हो उस तारीख के पहले कम्पनी पूँजी में वृद्धि नहीं कर सकती ।
- शेयरधारकों को नोटिस : अधिकार के शेयर प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त प्रत्येक शेयरधारकों को उनके हिस्से में कितने शेयर आते है यह दर्शाता नोटिस भेजनी चाहिए तथा कम से कम 15 दिन एवं 30 दिन से अधिक समय नहीं दिया जाना चाहिए ।
- अधिकार का त्याग : जिन शेयरधारकों को शेयर का ऑफर (मौका) दिया गया हो वह अन्य व्यक्ति के लिए अपने अधिकार को त्याग कर सकते है ।
- अधिकार के शेयर का हल अथवा निकाल : शेयरधारक अधिकार के शेयर के ऑफर को इन्कार करता हुआ पत्र लिख्खे अथवा निश्चित किये गये समय में अपना निर्णय न बताये तो संचालक मण्डल कम्पनी के हित को ध्यान में रखकर अधिकार के शेयर का निकाल कर सकते है ।
- आवेदन की रकम : अधिकार के शेयर जो शेयरधारकों को मिलने योग्य हो उनके लिए दिए गये फॉर्म में आवेदन के साथ ही रकम भरनी होती है ।