GSEB Solutions Class 12 Hindi Chapter 20 मनोहरपुरी की सीमा पर

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Chapter 20 मनोहरपुरी की सीमा पर Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 20 मनोहरपुरी की सीमा पर

GSEB Std 12 Hindi Digest मनोहरपुरी की सीमा पर Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर दीजिए :

प्रश्न 1.
मनोहरपुरी को किसने जीत लिया?
(क) हूणों ने
(ख) द्रविड़ों ने
(ग) म्लेच्छों ने
(घ) आयों ने
उत्तर :
(ग) म्लेच्छों ने

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प्रश्न 2.
बैलगाड़ी दो वनों के बीच से कैसे चल रही थी?
(क) धीरे-धीरे
(ख) लड़खड़ाती
(ग) तेजगति से
(घ) चरमराती
उत्तर :
(घ) चरमराती

प्रश्न 3.
सरस्वतीचन्द्र के पीछे सवारों को किसने भेजा था?
(क) कुमुदसुन्दरी
(ख) गुणसुन्दरी
(ग) विद्याचतुर
(घ) बुद्धिधन
उत्तर :
(क) कुमुदसुन्दरी

प्रश्न 4.
“तिराहे में तिगुना भय है” यह वाक्य कौन बोलता है?
(क) संन्यासी
(ख) सुरसंग
(ग) सरस्वतीचंद्र
(घ) बैलगाड़ीवाला
उत्तर :
(घ) बैलगाड़ीवाला

प्रश्न 5.
अंधकार में बिगुल बजने पर सुरसंग ने कैसा विचित्र स्वर निकाला?
(क) सियार
(ख) भालू
(ग) शेर
(घ) कुत्ते
उत्तर :
(क) सियार

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
मनोहरपुरी सुवर्णपुर से कितनी दूर है?
उत्तर :
मनोहरपुरी सुवर्णपुर से लगभग दस कोस दूर है।

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प्रश्न 2.
मनोहरपुरी का सीवान किन तीन राज्यों के सिवान से मिलता था?
उत्तर :
मनोहरपुरी का सिवान सुवर्णपुर, रत्ननगरी और अंग्रेजी राज्य के राज्यों के सिवान से मिलता है।

प्रश्न 3.
बैलगाड़ी के पीछे भेजे गए तीन सवारों के क्या नाम थे?
उत्तर :
बैलगाड़ी के पीछे भेजे गए तीन सवारों के नाम थे – अब्दुल्ला, फतेहसंग और हरभमजी।

प्रश्न 4.
बैलगाड़ीवाले ने बैलों को कहाँ खोला?
उत्तर :
बैलगाडीवाले ने तिराहे के बीच में बरगद के पेड़ के नीचे बैलों को खोला।

प्रश्न 5.
भूपसिंह की गद्दी कौन हचमचा रहा था?
उत्तर :
भूपसिंह की गद्दी सुरसंग हचमचा रहा था।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
किन कारणों से मनोहरपुरी लोगों को प्रिय थी?
उत्तर :
यद्यपि मनोहरपुरी का सारा कृत्रिम वैभव नष्ट हो चुका था, फिर भी ईश्वर-प्रदत्त सुंदरता इस गांव में अब भी थी। इसके अलावा कुछ लोगों का इस गाँव से भावनात्मक लगाव था। इन कारणों से मनोहरपुरी लोगों को प्रिय थी।

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प्रश्न 2.
मनोहरपुरी गाँव की दृष्टिसीमा कैसे कँध गई थी?
उत्तर :
मनोहरपुरी गाँव के उत्तर में सुंदरगिरि नाम का छोटा पर्वत था। दोनों ओर बड़े-बड़े वन थे। पूर्व में आम के वन थे। इसके अलावा बड़े हिस्से में असंख्य बरगदों को घटाएं तथा गन्ने के खेत थे। इन सब से इस गाँव की दृष्टि सीमा रुंध गई थी।

प्रश्न 3.
सुवर्णपुर का रास्ता मनोहरपुरी की ओर कैसे मुड़ता था?
उत्तर :
सुवर्णपुर से निकलनेवाला रास्ता नदी की तरह आम और – ताड़ के बनों को अलगकर दोनों के बीच से गुजरता था। यह रास्ता मनोहरपुरी की ओर मुड़ता था।

प्रश्न 4.
सुरसंग ने राजा खाचर के प्रति श्रद्धा किन शब्दों में प्रगट की?
उत्तर :
सुरसंग के मन में राजा खाचर के प्रति बहुत श्रद्धा है। वह कहता है कि राजा खाचर की हम पर बड़ी कृपा है। सरकार से वह चाहे जो बोलेगा, कागज में चाहे जो लिखेगा, किंतु वह उसका (सुरसंग का) बाल बांका नहीं होने देगा।

प्रश्न 5.
चिलम की आग का प्रकाश कैसा स्पष्ट होता था?
उत्तर :
चिलम में आग जली, तो ऐसा लगा, मानो ऊपर की डालों में उस तेज का प्रतिबिंब पड़ा हो। तब जुगनू के पंखों की तरह प्रकाश पार टोना शा।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
विद्याचतुर ने मनोहरपुरी का जीर्णोद्धार क्यों किया?
उत्तर :
मनोहरपुरी से विद्याचतुर का जन्म का रिश्ता था। विद्याचतुर का जन्म मनोहरपुरी में ही हुआ था। इसके अतिरिक्त विद्याचतुर का मौसियान भी यहीं था। विद्याचतुर की बाल्यावस्था और युवावस्था का प्रारंभिक काल इसी गांव में बीता था। इसलिए विद्याचतुर को मनोहरपुरी मनोहर लगती थी। इसलिए विद्याचतुर ने मनोहरपुरी का जीर्णोद्धार किया।

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प्रश्न 2.
भद्रानदी की सुभद्रा शाखा समुद्र में कैसे मिलती है ?
उत्तर :
भद्रा नदी की सुभद्रा शाखा पूर्व से चलती थी और दक्षिण में आती थी। यह टेढ़ी-मेढ़ी गति से चलती थी। यह सारे बनों के पत्तों तथा फल-फूलों को अपने साथ बहाकर लाती थी। यह मंद किंतु स्थिर मंद-मधुर स्वर करती-करती मूल के पास आकर समुद्र में मिलती थी।

प्रश्न 3.
बैलगाड़ी कहाँ से गुजरी और तिराहे पर क्यों रुकी?
उत्तर :
बैलगाड़ी आम्रवन और ताड़वन दोनों के बीचवाले रास्ते से गुजरी। फिर उस सिवान में पूर्व-पश्चिम की ओर जानेवाले रास्ते से चली। वहां दक्षिण ओर के बंद रास्ते पर पहंची, जहाँ तीन दिशाओं के मार्ग मिलते थे। वहाँ तिराहा बनता था। उस समय अंधकार हो गया था और रात्रि हो चली थी। इसलिए गाड़ी तिराहे के पास आकर रुक गई।

5. आशय स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1.
तुम तो मुक्त हो, पर मेरा तो घर-बार जाएगा।
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य बैलगाड़ीवाला एक दंडी संन्यासी से कहता है। उसकी बैलगाड़ी में संदिग्ध अवस्था में संन्यासी सफर कर रहा है और उसके मन में इस बात को लेकर भय है। इसलिए वह उससे कहता है कि उसे तो दीन-दुनिया से कुछ लेना-देना है नहीं, पर उसका तो परिवार है, घर है। उसके साथ कुछ हो गया, तो उसका सब कुछ चला जागा। वह बरबाट हो जागा।

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GSEB Solutions Class 12 Hindi मनोहरपुरी की सीमा पर Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
आम्रवन और ताइवन किन राज्यों में थे?
उत्तर :
आमवन अंग्रेजी राज्य में था और ताड़वन सुवर्णपुर के राज्य में था।

प्रश्न 2.
मनोहरपुरी किसकी राजधानी है?
उत्तर :
मनोहरपुरी प्रतापी राजाओं की राजधानी है।

व्याकरण

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :

  • प्राचीन = पुरातन
  • अवनति = अधोगति
  • जीर्णोद्धार = मरम्मत
  • सीमा = मर्यादा
  • ज्वार = भरती, उबाल
  • बिगुल = रणभेरी
  • संन्यासी = साधू
  • मायका = पीहर
  • विश्राम = आराम

निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :

  • प्राचीन × अर्वाचीन
  • चतुर × मूर्ख
  • प्रारंभ × पूर्णाहुति
  • अधिकार × अनाधिकार
  • प्राकृतिक × अप्राकृतिक
  • संन्यासी × गृहस्थ
  • सावधान × असावधान
  • स्वीकृति × अस्वीकृति
  • भय × निर्भयता
  • संशय × विश्वास
  • आकाश × धरती
  • मुखर × चुप
  • निश्चित × अनिश्चित
  • आदमी × औरत

निम्नलिखित तदभव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए :

  • मूर्ख – मूढ़
  • तीन – त्रिजी
  • भाई – भ्राता
  • चुल्हा – चुल्लि:
  • खपरा – खर्पर
  • भात – भक्त
  • सौत – सपत्नी
  • फूल- पुष्प

निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :

  1. सीमित = सीमा + इत (प्रत्यय)
  2. प्रारंभिक = प्रारंभ + इक (प्रत्यय)
  3. गुजराती = गुजरात + ई (प्रत्यय)
  4. विभाजित = विभाजन + इत (प्रत्यय)
  5. ऐतिहासिक = इतिहास + इक (प्रत्यय)
  6. प्रकाशित = प्रकाश + इत (प्रत्यय)
  7. प्रतापी = प्रताप + ई (प्रत्यय)
  8. प्राकृतिक = प्रकृति + इक (प्रत्यय)
  9. आलंकारिक = अलंकार + इक (प्रत्यय)
  10. मनोहारी = मनोहर + ई (प्रत्यय)
  11. वाचाक = वाचा + क (प्रत्यय)
  12. आकर्षित = आकर्षण + इत (प्रत्यय)
  13. गोलाकार = गोला + कार (प्रत्यय)

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निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :

  1. स्वतंत्र = स्व (उपसर्ग) + तंत्र
  2. अवनति = अव (उपसर्ग) + नति
  3. सविशेष = स (उपसर्ग) + विशेष
  4. व्यतीत = वि (उपसर्ग) + अतीत
  5. प्रारंभ = प्र (उपसर्ग) + आरंभ
  6. प्रदत्त = प्र (उपसर्ग) + दत्त
  7. दुःसहता = दुः (उपसर्ग) + सहता
  8. अतिविस्तृत = अति (उपसर्ग) + विस्तृत
  9. असंख्य = अ (उपसर्ग) + संख्य
  10. सुभद्रा = सु (उपसर्ग) + भद्रा
  11. सुरंगित = सु (उपसर्ग) + रंगित
  12. सुवर्ण = सु (उपसर्ग) + वर्ण
  13. विमुक्त = वि (उपसर्ग) + मुक्त
  14. प्रतिबिंब = प्रति (उपसर्ग) + बिंब
  15. अधोगति = अधः (उपसर्ग) + गति
  16. विद्रोही = वि (उपसर्ग) + द्रोही

निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :

प्रश्न 1.

  1. ईश्वर-प्रदत्त सुंदरता से गांव सुशोभित है।
  2. पश्चिमी पवन की लहरें चलती हैं।
  3. सूरसंग ने सियार जैसा विचित्र स्वर निकाला।
  4. तीन लड़के वहाँ खेल रहे थे।

उत्तर :

  1. ईश्वर-प्रदत्त
  2. पश्चिमी
  3. विचित्र
  4. तीन

निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :

  1. मौसी का घर – मौसियान
  2. पत्नी के पिता का घर – पीहर, मायका
  3. ईश्वर द्वारा विशेष रूप से दिया गया – ईश्वर-प्रदत्त
  4. जो खून से लथपथ हो – रक्तरंजित
  5. स्वीकृति के रूप में हकारात्मक स्वर – हुंकारी
  6. जहाँ तीन रास्ते मिलते हो – त्रिराहा
  7. पैरों के चलने की आवाज़ – आहट

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निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. यह मेरा अपना निजी मकान है।
  2. वह यही शहर का निवासी है।
  3. ऐसा कोई शास्त्र में नहीं लिखा है।

उत्तर :

  1. यह मेरा अपना मकान है।
  2. वह इसी शहर का निवासी है।
  3. ऐसा किसी शास्त्र में नहीं लिखा है।

निम्नलिखित कहावत का अर्थ लिखकर समझाइए

कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – जिनसे कोई तुलना न हो सकती हो उसकी तुलना करने पर कहा जाता है।
स्पष्टीकरण : तुलना बराबरी के स्तर पर होती है। भिखारी की तुलना किसी संपन्न व्यक्ति से नहीं हो सकती। जब कोई छोटा आदमी अपनी बड़ाई करते-करते अपने आपको किसी महान व्यक्ति आदि की तरह पेश करने लगता है तब कहा जाता है ‘कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।’

मनोहरपुरी की सीमा पर Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

मनोहरपुरी प्राचीनकाल में एक महान नगरी थी। उस नगरी को म्लेच्छों द्वारा जीत लिए जाने पर उसकी अवनति शुरू हो गई और वह नगर से गांव में परिवर्तित हो गई। फिर विद्याचतुर व्यक्ति द्वारा मनोहरपुरी का जीर्णोद्धार किया गया। प्रस्तुत पाठ में मनोहरपुरी की सीमाओं का प्राकृतिक, आलंकारिक एवं मनोहारी वर्णन किया गया है।

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पाठ का सार :

ऐतिहासिक नगरी : मनोहरपुरी प्राचीनकाल की ऐतिहासिक नगरी थी। यह सुवर्णपुर से दस कोस दूर थी। यह प्रतापी राजाओं की राजधानी थी। इसे म्लेच्छों ने जीत लिया, तो इसकी अवनति शुरू हो गई। इतना ही नहीं, इसे मनोहरियु तथा मनोरियु जैसे क्षुद्र नामों से सम्बोधित किया जाने लगा। आज यह गाँव रत्ननगरी राज्य के प्रदेश में है।

जीर्णोद्धार : विद्याचतुर का जन्म इसी गांव में हुआ था। उनका मौसियान तथा गुणसुंदरी का मायका इसी गाँव में ही था। इसलिए उनका इससे भावनात्मक लगाव रहा है। इसलिए विद्याचतुर ने इसका जीर्णोद्धार किया था।

मनोहरपुरी की सुंदरता बरकरार : मनोहरपुरी का वैभव नष्ट हो गया, पर इसकी प्राकृतिक सुंदरता कायम रही।

प्राकृतिक रचना : मनोहरपुरी, सुवर्णपुर, रत्ननगरी और अंग्रेजी राज्य के अधिकार क्षेत्र का केंद्र रहा। तीनों राज्यों के सिवान मनोहरपुरी के सिवान से मिलते थे। आधे कोस की दूरी पर समुद्रतट था। उत्तर में संदरगिरि पर्वत तथा दोनों ओर बड़े वन थे। भद्रा नदी की सुभद्रा नामक शाखा समुद्र में मिलती थी।

सड़क पर बैलगाड़ी : संध्या के समय सड़क पर एक बैलगाड़ी चली आ रही थी। यह वही बैलगाड़ी थी जिसमें बैठकर सरस्वतीचंद्र निकला था। बैलगाड़ीवाला वही था, पर भीतर सरस्वतीचंद्र नहीं, बैलगाड़ी के साथ चल रहा एक दंडी संन्यासी था। बैलगाड़ीवाला स्वस्थ था, पर संन्यासी के मन में जैसे कोई शंका हो, इस तरह उसकी आँखें सावधान रहने का प्रयत्न करती-सी लग रही थीं।

बैलगाड़ी तिराहे पर : बैलगाड़ी विभिन्न रास्तों से होती हुई तिराहे पर पहुंची, तो बैलगाडीवाले ने संन्यासी की इच्छा से बैलों को खोल दिया और संन्यासी और बैलगाड़ीवाला दोनों गुपचुप बातें करने लगे।

बैलगाड़ीवाले का भय : बैलगाडीवाले ने संन्यासी से कहा कि अब वह उसे जाने दे। क्योंकि तिराहे पर बहुत भय है। वे तो ठहरे संन्यासी, उन्हें दीनदुनिया से कुछ लेना-देना है नहीं, पर वह ठहरा परिवारवाला। उसको कुछ हो गया तो उसका तो घर-बार चला जाएगा। संन्यासी का विरोध : संन्यासी बैलगाड़ीवाले का विरोध करता है और कहता है, उसे वीरपुर जाना है और उसका बैलगाड़ी में ही जाना आवश्यक हैं, क्योंकि हरभम की मार से उसके पैर की हड्डी में दर्द हो रहा है। पर बैलगाड़ीवाला जवाब देता है कि वीरपुर में संन्यासी और उसे दोनों को बंदी बना लिया जाएगा।

सुरसंग का आश्वासन : संन्यासी बैलगाड़ीवाले को सुरसंग के बारे में बताता है। सुरसंग कहता है कि वीरपुर में राजा खाचर की उस पर कृपा है। इसलिए वह निश्चिंत रहे। वह सुरसंग का बाल भी बांका नहीं होने देगा।

बिगुल का स्वर, सियार की बोली : अंधकार में बिगुल बजता है। उत्तर में सुरसंग सियार की बोली बोलता है। फिर कुछ पदचाप सुनाई देते हैं। सुरसंग चिलम फूंककर उसमें से लपट निकालता है। बागी अंत:करण की बात कहने लगते हैं।

बागियों की कहानी का रस : चारों ओर के अंधकार की तरह निष्कंटक, पर हवा के हिलते, ऊपर के पत्तों की आवाज की तरह धीमे स्वर से बागियों की कहानी का रस चुपचाप कर्णोपकर्ण जमने लगता है।

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मनोहरपुरी की सीमा पर शब्दार्थ :

  • प्राचीन – पुराना।
  • काल – समय।
  • म्लेच्छों – वह जो संस्कृत न बोलनेवाले हों, अनार्य, विदेशी।
  • अवनति – हीन दशा।
  • विद्याचतुर – ज्ञानी।
  • मौसियान – मौसी का घर।
  • मायका – पत्नी के पिता का घर, पीहर।
  • बाल्यावस्था – बचपन।
  • दंपती – पति-पत्नी।
  • ईश्वरप्रदत्त – ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया।
  • सिवान – सीमा।
  • रुधना – रुक जाना।
  • गुथना – मोटे तागों से सिलना।
  • ज्वारीय – भरती, उबाल (समुद्र में)।
  • पांजर – पसली, पार्श्व।
  • रक्तरंजित – खून से लथपथ।
  • हुंकारी – स्वीकृति की सूचक हूँहूँ।
  • तिराहा – जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं।
  • बिगुल – रणभेरी।
  • पदचाप – पैरों के स्वर।
  • निष्कंटक – बिना बाधा।

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