Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 11 ग्राहक सुरक्षा Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 11 ग्राहक सुरक्षा
GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management ग्राहक सुरक्षा Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प पसन्द करके लिखिए :
प्रश्न 1.
ग्राहक सुरक्षा का कानून किस वर्ष पारित किया गया था ?
(A) 1956
(B) 1932
(C) 1986
(D) 2015
उत्तर :
(C) 1986
प्रश्न 2.
ट्रस्टीशिप का सिद्धान्त किसने दिया है ?
(A) जवाहरलाल नेहरू
(B) सुभाषचन्द्र बोस
(C) इन्दिरा गांधी
(D) गाँधीजी
उत्तर :
(D) गाँधीजी
प्रश्न 3.
इनमें से कौन-सा अधिकार ग्राहक सुरक्षा कानून, 1986 के अनुसार नहीं ?
(A) सुरक्षा
(B) प्राथमिक आवश्यकताएँ
(C) जानकारी।
(D) चयन
उत्तर :
(B) प्राथमिक आवश्यकताएँ
प्रश्न 4.
इनमें से कौन-सा विकल्प ग्राहक सुरक्षा कानून अनुसार विवाद निवारण संस्थाओं में नहीं होता ?
(A) लोक न्यायालय
(B) जिला कक्षा का स्तर
(C) राज्य कक्षा का आयोग
(D) राष्ट्रीय कक्षा का आयोग
उत्तर :
(A) लोक न्यायालय
प्रश्न 5.
जिला कक्षा के स्तर/फोरम में कितने सदस्य होते है ?
(A) कुल तीन
(B) कम से कम तीन
(C) कम से कम चार
(D) कुल दो
उत्तर :
(A) कुल तीन
प्रश्न 6.
किस प्रकार के फोरम/आयोग में सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार करती है ?
(A) जिला स्तर
(B) राज्य स्तर
(C) राष्ट्रीय स्तर
(D) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर
उत्तर :
(C) राष्ट्रीय स्तर
प्रश्न 7.
सार्वजनिक हित का आवेदन कौन-सी अदालत (कोर्ट) में किया जाता है ?
(A) फौजदारी अदालत
(B) दिवानी अदालत
(C) जिला अदालत
(D) सुप्रीम अदालत
उत्तर :
(D) सुप्रीम अदालत
प्रश्न 8.
ग्राहक सुरक्षा की कौन-सी संस्था की स्थापना अहमदाबाद के साथ संकलित है ?
(A) Consumer Education and Research Centre
(B) Consumer Guidance Society of India
(C) Consumer Unity and Trust Society
(D) Consumer Co-ordination Council
उत्तर :
(A) Consumer Education and Research Centre
प्रश्न 9.
ग्राहक सुरक्षा के लिये कौन-सी संस्था भारत में कार्य करने वाली संस्थाओं के संकलन का काम करती है ?
(A) Consumer Protection Council
(B) Consumer Education and Research Centre
(C) Consumer Co-ordination Council
(D) Consumer Unity and Trust Society
उत्तर :
(C) Consumer Co-ordination Council
प्रश्न 10.
इनमें से कौन-सा कार्य ग्राहक संगठन नहीं करते ?
(A) ग्राहक अधिकारो के बारे में लोगों को शिक्षण देना
(B) ग्राहक हितवाली जानकारी का प्रकाशन करना
(C) ग्राहकों की सूची उद्योगों को प्रदान करना
(D) ग्राहकों के हितों का रक्षण करना
उत्तर :
(C) ग्राहकों की सूची उद्योगों को प्रदान करना
प्रश्न 11.
मुक्त अर्थतंत्र में किसे बाजार का राजा कहा जाता है ?
(A) मालिक
(B) ग्राहक
(C) विक्रेता
(D) सरकार
उत्तर :
(B) ग्राहक
प्रश्न 12.
ग्राहकों का होने वाला शोषण को मुख्य कितने भागों में बाँटा गया है ?
(A) दो
(B) चार
(C) आठ
(D) तीन
उत्तर :
(D) तीन
प्रश्न 13.
हल्की गुणवत्तावाली वस्तु अथवा बनावटी वस्तु के विक्रय से ग्राहकों में निराशा अथवा क्रोध का अनुभव होता है । यह ग्राहकों का किस प्रकार का शोषण कहलाया ?
(A) आर्थिक शोषण
(B) सार्वजनिक हितों को नुकसान
(C) शारीरिक और मानसिक शोषण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(C) शारीरिक और मानसिक शोषण
प्रश्न 14.
वस्तु पर मुद्रित मूल्य (MRP) से अधिक मूल्य पर माल का विक्रय करना, यह ग्राहकों का कौन-सा शोषण कहलाया ?
(A) आर्थिक शोषण
(B) शारीरिक और मानसिक शोषण
(C) सार्वजनिक हितों को नुकसान
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) आर्थिक शोषण
प्रश्न 15.
पर्यावरण के हानि पहुँचाकर आम जनता को नुकसान पहुँचाना यह किस तरह का ग्राहकों के प्रति शोषण कहलाता है ?
(A) आर्थिक शोषण
(B) सार्वजनिक हितों को नुकसान
(C) शारीरिक और मानसिक शोषण
(D) सरकार का शोषण
उत्तर :
(B) सार्वजनिक हितों को नुकसान
प्रश्न 16.
समाजने जिसे जो सम्पत्ति दी है, उनका उपयोग उनको समाज के व्यक्तियों के लिये करना चाहिये । ग्राहकों हेतु यह सिद्धान्त
किसने दिया है ?
(A) हेनरी फेयोल
(B) मार्शल
(C) राष्ट्रपति महात्मा गाँधीजी
(D) मदन मोहन मालवीय
उत्तर :
(C) राष्ट्रपति महात्मा गाँधीजी
प्रश्न 17.
ग्राहकों के अधिकार कितने हैं ?
(A) पाँच
(B) छ
(C) नौ
(D) दस
उत्तर :
(B) छ
प्रश्न 18.
ग्राहकों के दायित्व कितने है ?
(A) दस
(B) चार
(C) ग्यारह
(D) नौ
उत्तर :
(D) नौ
प्रश्न 19.
विवाद निवारण संस्थाओं की इनमें से कितने स्तरीय पद्धति है ?
(A) एक स्तरीय
(B) द्वि स्तरीय
(C) त्रि स्तरीय
(D) दस स्तरीय
उत्तर :
(C) त्रि स्तरीय
प्रश्न 20.
इनमें से प्राथमिक स्तर कौन-सा कहलाता है ?
(A) राज्यकक्षा का आयोग
(B) जिला कक्षा का फोरम
(C) राष्ट्रीय कक्षा का आयोग
(D) ग्राम पंचायत
उत्तर :
(B) जिला कक्षा का फोरम
प्रश्न 21.
जिला कक्षा के फोरम में कितने रु. तक के शिकायतों को हल किया जाता है ?
(A) 5 लाख रु.
(B) 20 लाख रु.
(C) 1 करोड रु.
(D) 1 करोड रु. से अधिक
उत्तर :
(B) 20 लाख रु.
प्रश्न 22.
राज्य कक्षा के आयोग में कितने रु. तक की शिकायतों को स्वीकार किया जाता है ?
(A) 20 लाख रु. से अधिक 1 करोड रु.
(B) 5 लाख रु. से 20 लाख रु.
(C) 2 लाख रु. से 5 लाख रु.
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(A) 20 लाख रु. से अधिक 1 करोड रु.
प्रश्न 23.
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग में कितने लाख रु. के दावे स्वीकार किये जाते है ?
(A) 20 लाख रु. से अधिक
(B) 1 करोड रु. से अधिक
(C) 5 लान से 20 लाख रु.
(D) 5 करोड रु.
उत्तर :
(B) 1 करोड रु. से अधिक
प्रश्न 24.
जो औद्योगिक इकाई कम से कम प्रदूषण फैलायें ऐसी इकाई को भारत सरकार कौन-सा मार्क लगाने की अनुमति देता है ।
(A) ISI Mark
(B) ISO Mark
(C) Trade Mark
(D) Eco Mark
उत्तर :
(D) Eco Mark
प्रश्न 25.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रस्तुत मार्गदर्शिका के अनुसार ग्राहकों को कितने अतिरिक्त अधिकार मिले इसकी सिफारिस की है ?
(A) 4
(B) 2
(C) 5
(D) 7
उत्तर :
(B) 2
प्रश्न 26.
यदि राष्ट्रीय कक्षा के आयोग के आदेश के सामने असंतोष हो तो कौन-सी कोर्ट में जा सकते है ?
(A) फौजदारी कोर्ट
(B) दीवानी कोर्ट
(C) हाईकोर्ट
(D) सुप्रिम कोर्ट
उत्तर :
(D) सुप्रिम कोर्ट
प्रश्न 27.
VOICE संस्था कौन-से शहर में स्थित है ?
(A) अहमदाबाद
(B) जयपुर
(C) दिल्ली
(D) मुम्बई
उत्तर :
(C) दिल्ली
प्रश्न 28.
‘जागो ग्राहक जागो’ विज्ञापन कौन-से मंत्रालय द्वारा दिया जाता है ?
(A) भारत सरकार का उपभोक्ता मंत्रालय
(B) राज्य सरकार का उपभोक्ता मंत्रालय
(C) भारत सरकार का कृषि मंत्रालय
(D) भारत सरकार का उद्योग मंत्रालय
उत्तर :
(A) भारत सरकार का उपभोक्ता मंत्रालय
प्रश्न 29.
ग्राहक के स्वास्थ्य और जीवन को नुकसान करने वाले उत्पादो, उत्पाद प्रक्रिया और सेवाओं के सामने रक्षण का अधिकार अधिकार …………………..
(A) जानकारी
(B) सुरक्षा
(C) चयन
(D) प्रस्तुतीकरण
उत्तर :
(B) सुरक्षा
प्रश्न 30.
कई औद्योगिक इकाइयाँ अपने ग्राहकों के योग्य प्रश्नों के निराकरण हेतु लोक अदालत का आयोजन करती है ?
(A) निजी इकाइयाँ
(B) उत्पादन इकाइयाँ
(C) सार्वजनिक इकाइयाँ
(D) वितरण इकाइयाँ
उत्तर :
(C) सार्वजनिक इकाइयाँ
प्रश्न 31.
ग्राहकों के साथ धोखा-धड़ी होती है, क्योंकि …………………….
(A) लालची होते हैं ।
(B) विज्ञापन का उनके उपर गलत प्रभाव पड़ता है ।
(C) अधिकांशत: ग्राहक अशिक्षित होते है ।
(D) अधिकांश ग्राहक श्रीमंत वर्ग के होते है ।
उत्तर :
(C) अधिकांशत: ग्राहक अशिक्षित होते है ।
प्रश्न 32.
ग्राहकों को उत्पादन की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मूल्य इत्यादि की सूचना प्राप्त होनी चाहिए । यह ग्राहकों का कौन-सा अधिकार कहलाता है ?
(A) सुरक्षा
(B) जानकारी
(C) प्रस्तुतीकरण
(D) चयन
उत्तर :
(B) जानकारी
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1.
मुक्त अर्थतंत्र में किसे बाजार का राजा कहा जाता है ?
उत्तर :
मुक्त अर्थतंत्र में ग्राहक को बाजार का राजा कहा जाता है ।
प्रश्न 2.
ग्राहकों के होनेवाले शोषण को मुख्यत: कौन-से तीन विभागों में बाँटा गया है ?
उत्तर :
ग्राहकों के होनेवाले शोषण को मुख्यतः निम्न तीन भागों में बाँटा गया है ।
- शारीरिक और मानसिक शोषण
- आर्थिक शोषण
- सार्वजनिक हितों को नुकसान
प्रश्न 3.
ट्रस्टीशिप के सिद्धान्त के अनुसार कौन-सा व्यक्ति, धन्धे के स्थान पर आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होता है ?
उत्तर :
ट्रस्टीशिप के सिद्धान्त के अनुसार ग्राहक धन्धे के स्थान पर आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होता है ।
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रस्तुत मार्गदर्शिका में कौन-से दो अधिकार ग्राहकों को प्राप्त हों, इसकी सिफारिश की है ?
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रस्तुत मार्गदर्शिका के निम्न दो अधिकार ग्राहकों को प्राप्त हो, इसकी सिफारिश की है ।
- प्राथमिक आवश्यकताएँ (Basic Needs)
- आरोग्यप्रद वातावरण (Hygenic Environment)
प्रश्न 5.
ग्राहक ने खरीदी की है, इनके प्रमाण के रूप में क्या प्रस्तुत करना अनिवार्य है ?
उत्तर :
ग्राहक ने खरीदी की है, इनके प्रमाण के रूप में बिल (Bill) या बीजक (Invoice) प्रस्तुत करना अनिवार्य है ।
प्रश्न 6.
जिला कक्षा के फोरम के निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो पक्षकार को कितने दिनों में, कहाँ पर पुनः विचार के लिये भेजना पड़ता है ?
उत्तर :
जिला कक्षा के फोरम के निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो पक्षकार को 30 दिनों में पुनः विचार के लिये राज्य कक्षा के स्तर में ले जा सकते हैं ।
प्रश्न 7.
राज्य कक्षा के आयोग के निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो पक्षकार को कितने दिनों में, कहाँ पर पुन: विचार के लिये भेजना पड़ता है ?
उत्तर :
राज्य कक्षा के आयोग के निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो पक्षकार को 30 दिनों में पुनः विचार हेतु राष्ट्रीय कक्षा के आयोग के समक्ष कर सकते हैं।
प्रश्न 8.
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग में किये गये आवेदन से प्राप्त निर्णय से सन्तुष्ट न हो तो कहाँ पर पुन: विचारणा हेतु आवेदन कर सकते हैं ?
उत्तर :
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग में किये गये आवेदन से प्राप्त निर्णय से सन्तुष्ट न होने पर पुनः विचारणा हेतु सुप्रिम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) में आवेदन कर सकते हैं ।
प्रश्न 9.
सार्वजनिक हित का आवेदन कौन-से न्यायालय में कर सकते हैं ?
उत्तर :
सार्वजनिक हित का आवेदन राज्य का उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) में अथवा देश का सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रिम कोर्ट) में कर सकते
प्रश्न 10.
निम्नलिखित संज्ञाओं के विस्तृत रूप लिखिए :
- CERC – Consumer Education and Research Centre (Ahmedabad)
- CPC – Consumer Protection Council (Ahmedabad)
- VOICE – Voluntary Organisation in interest of Consumer Education (Delhi)
- CGSI – Consumer Guidance Society of India (Mumbai)
- CUTS – Consumer Unity and Trust Society (Jaipur)
- CCC – Consumer Co-ordination Council (Delhi)
- NCH – National Consumer Helpline
- PIL – Public Interest Litigation
- EFP – Eco Friendly Products
- NGOs – Non Government Organisations
- CPA – Consumer Protection Act
- BSNL – Bharat Sanchar Nigam Lirnited
- MTNL – Mahanagar Telephon: Nigain Limited
- DLF – District Level Forum
- SLC – State Level Commission
- NLC – National Level Commission
- CWF – Consumer Welfare Fund
प्रश्न 11.
ग्राहक सुरक्षा का अधिकार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ग्राहक सुरक्षा का अधिकार अर्थात् ग्राहक के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो ऐसी चीजवस्तु या सेवा के सामने रक्षण ।
प्रश्न 12.
चयन का अधिकार अर्थात् क्या ?
उत्तर :
चयन अर्थात् विविध वस्तुओं या सेवाओं में से चयन करके स्पर्धायुक्त मूल्य पर क्रय करने की स्वतंत्रता है ।
प्रश्न 13.
ग्राहक सुरक्षा कानून कौन-सा है ?
उत्तर :
ग्राहक सुरक्षा कानून 1986 है ।
प्रश्न 14.
आरोग्यप्रद वातावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
आरोग्यप्रद वातावरण अर्थात् प्रदूषण के सामने रक्षण कि जिससे मनुष्य गुणवत्तायुक्त जीवन निर्वाह कर सके । प्रत्येक मनुष्य को प्रदूषण मुक्त हवा, पानी, खुराक और भूमि प्राप्त करने का अधिकार है ।
प्रश्न 15.
प्राथमिक आवश्यकतायें अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्राथमिक आवश्यकतायें अर्थात् लोगों को योग्य रूप से जीवन निर्वाह के लिये जो वस्तुयें तथा सेवाओं की आवश्यकता पडे वह प्राप्त करने का अधिकार है ।
प्रश्न 16.
ग्राहक की सामान्य परिभाषा दीजिए ।
उत्तर :
ग्राहक अर्थात् सामान्य परिभाषा में ऐसा व्यक्ति कि जो वस्तु का उपयोग या उपभोग करे अथवा सेवा प्राप्त करे ।
प्रश्न 17.
ग्राहकों की शिकायत निवारण हेतु ग्राहक सुरक्षा कानून के अनुसार कितने तंत्र की एवं किस-किस की रचना की गई है ?
उत्तर :
ग्राहकों की शिकायत निवारण हेतु ग्राहक सुरक्षा कानून के अनुसार त्रि-स्तरीय तंत्र की रचना की गई है । जिसमें
- जिला कक्षा का स्तर
- राज्य कक्षा का स्तर
- राष्ट्रीय कक्षा का स्तर
प्रश्न 18.
जिला कक्षा का स्तर क्या कहलाता है ?
उत्तर :
जिला कक्षा का स्तर प्राथमिक स्तर कहलाता है ।
प्रश्न 19.
जिला कक्षा के फोरम की स्थापना कौन करती है ?
उत्तर :
जिला फोरम की स्थापना सम्बन्धित राज्य सरकार करती है ।
प्रश्न 20.
जिला फोरम में कुल कितने व्यक्ति होते हैं तथा इनकी नियुक्ति कौन करती हैं ?
उत्तर :
जिला फोरम में प्रमुख के साथ अन्य दो व्यक्ति अर्थात् कम से कम कुल तीन व्यक्ति की नियुक्ति राज्य सरकार करती है । प्रमुख के रूप में न्यायतंत्र के अनुभवी व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है । इनमें कम से कम एक महिला व्यक्ति भी होती है ।
प्रश्न 21.
राज्यकक्षा के आयोग में कुल कितने व्यक्ति होते तथा इनकी नियुक्ति कौन करती है ?
उत्तर :
राज्य कक्षा के आयोग में प्रमुख के साथ अन्य दो व्यक्ति अर्थात् कम से कम तीन व्यक्ति, जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार करती है । प्रमुख के रूप में न्यायतंत्र के अनुभवी व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है । इनमें कम से कम एक महिला व्यक्ति भी होती हैं ।
प्रश्न 22.
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग में कुल कितने व्यक्ति होते हैं तथा इनकी नियुक्ति कौन करती है ?
उत्तर :
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग में प्रमुख के साथ अन्य चार व्यक्ति अर्थात् कुल पाँच व्यक्ति, जिनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार करती है । प्रमुख के रूप में सुप्रिम कोर्ट के प्रवर्तमान अथवा निवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति होती है । इनमें कम से कम महिला व्यक्ति भी होती है ।
प्रश्न 23.
ग्राहक सुरक्षा का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
व्यापारियों द्वारा अपनाई जानेवाली विविध अनैतिक नीतियों के सामने ग्राहकों का रक्षण अर्थात् ग्राहक सुरक्षा । व्यापारियों और उत्पादकों द्वारा महत्तम लाभ कमाने के लालच में विविध तरीके अपनाकर जो शोषण किया जाता है। जिसके विरुद्ध में विविध कदमों द्वारा ग्राहकों के हितों की देखभाल व सुरक्षा के कार्य को ग्राहक सुरक्षा कहते हैं ।
प्रश्न 24.
ग्राहक जागृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के नाम दीजिए ।
उत्तर :
ग्राहक जागृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थायें निम्नलिखित है :
- CERC
- CPC
- VOICE
- CCSI
- CUTS
CCC – Consumer Co-ordination Council Delhi देश में कार्यरत ग्राहक सुरक्षा हेतु कार्यरत सभी संस्थाओं का संकलन करती है ।
प्रश्न 25.
ग्राहक का जानकारी का अधिकार अर्थात् क्या ?
अथवा
ग्राहक को उत्पाद सम्बन्धी कौन-सी जानकारी मिलनी चाहिए ?
उत्तर :
ग्राहक जो वस्तु या सेवा क्रय करना चाहता हो, उनकी समस्त सूचना अथवा जानकारी ग्राहकों को मिलनी चाहिए जैसे कि उनके घटक, उत्पादन की तारीख, उपयोग की पद्धति, मूल्य, जत्था, शुद्धता, गुणवत्ता आदि ।
प्रश्न 26.
लोक न्यायालय का आयोजन कौन-सी इकाई करती है ? तथा किसलिए करती है ?
उत्तर :
लोक न्यायालय का आयोजन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई करती है । ऐसी इकाइयाँ स्वयं अपने ग्राहकों से सम्बन्धित प्रश्नों के निवारण हेतु आयोजन करती हैं ।
प्रश्न 27.
देश भर में स्थित ग्राहक सुरक्षा की संस्थाओं का संकलन कौन-सी समिति करती है ?
उत्तर :
देशभर में स्थित ग्राहक सुरक्षा की संस्थाओं का संकलन CCC – Consumer Co-ordination Council अर्थात् ग्राहक संकलन समिति करती है । जो कि दिल्ली में है ।
प्रश्न 28.
ग्राहक सुरक्षा कानून का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
ग्राहक सुरक्षा कानून का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों के शोषण को रोकना तथा उनके अधिकारों का रक्षण करना है ।
प्रश्न 29.
लोक अदालत (न्यायालय) से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
ग्राहक वस्तु या सेवा की खरीदी के संदर्भ में आनेवाली समस्या, परेशानी, शिकायत एवं उलझन इत्यादि का निराकरण लोक अदालत से प्राप्त होता है ।
प्रश्न 30.
सार्वजनिक हेतु का आवेदन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
समाज में रहनेवाले किसी व्यक्ति को नुकसान न हो रहा हो परन्तु समाज में रहनेवाले अनेक लोगो के लाभ एवं कल्याण हेतु सामान्य कागज पर एक आवेदन लिखकर सुप्रीम कोर्ट एवं राज्य की मुख्य कोर्ट को रवाना करे उसे सार्वजनिक हेतु का आवेदन कहते हैं ।
प्रश्न 31.
पर्यावरण के अनुलक्षी उत्पादन अर्थात क्या ?
उत्तर :
उद्योगपतियों के द्वारा पर्यावरण को कम से कम प्रदूषित करने वाली वस्तु का उत्पादन करते हो तब सरकार ऐसी वस्तु सरलता ख्खिा, उपयोग की पद्धति, मूल्य, जत्था, शुद्धता, गुणवत्ता आदि । से ग्राहक द्वारा पहचानी जा सके इस हेतु से ‘इकोमार्क’ की निशानी करते हैं । इससे ग्राहक वर्ग भी पर्यावरण की सुरक्षा हेतु जागृत रहते हैं । जिसे पर्यावरण के अनुलक्षी उत्पादन कहते हैं ।
प्रश्न 32.
ग्राहकों कल्याण कोष अर्थात् क्या ?
उत्तर :
ग्राहकों की समृद्धि, कल्याण और विकास हेतु ग्राहक कल्याण कोष की स्थापना की जाती है । इसके द्वारा ग्राहकों के कल्याण, समृद्धि एवं विकास के कार्यों में आवश्यक आर्थिक खर्च किया जाता है ।
प्रश्न 33.
ग्राहक सूरक्षा समिति किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ग्राहकों का व्यापारी एवं उत्पादक वर्गों के द्वारा शोषण न हो तथा ग्राहकों के अधिकारों को योग्य रक्षण प्राप्त हो सके इसलिए सरकार द्वारा ग्राहक सुरक्षा समिति की रचना की जाती है । जिसे ग्राहक सुरक्षा समिति कहते हैं ।
प्रश्न 34.
जिला फोरम अर्थात क्या ?
उत्तर :
समस्त जिले में निवास करने वाले ग्राहक के द्वारा रु. 20 लाख तक के नुकसानी दावे की शिकायत सुनकर योग्य निर्णय एवं निराकरण करने वाले जिला स्तर के फोरम को जिला फोरम कहते हैं ।
प्रश्न 35.
राज्य कमीशन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
संबंधित राज्य की सीमा से मर्यादित किसी भी ग्राहक के रु. 20 लाख से अधिक परन्तु रु. 1 करोड तक के दावे की शिकायत सुनकर योग्य निर्णय एवं निराकरण करने वाले राज्य स्तर कमीशन को राज्य कमीशन कहते हैं ।
प्रश्न 36.
राष्ट्रीय कमीशन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
देश के सम्पूर्ण ग्राहकों में से किसी भी ग्राहक की रु. 1 करोड़ से अधिक दावे की शिकायत को सुनकर योग्य निराकरण किया जाता है तथा राज्य स्तर के निर्णय से ग्राहक को संतोष न हो तब राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेकर निराकरण किया जाए इसे राष्ट्रीय स्तर के पंच को राष्ट्रीय कमीशन कहते हैं ।
प्रश्न 37.
ग्राहकों के शोषण को कितने भागों में विभाजित किया जाता है ?
उत्तर :
ग्राहकों के शोषण को तीन भागों में विभाजित किया जाता है ।
- शारीरिक एवं मानसिक शोषण
- आर्थिक शोषण
- सार्वजनिक हित का नुकसान
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।
प्रश्न 1.
निरन्तर बढ़ती स्पर्धा और कुल विक्रय में अपना भाग/हिस्सा बढ़ाने हेतु वस्तु या सेवा के उत्पादक ग्राहकों की किस तरह करते है ?
उत्तर :
निरन्तर बढ़ती स्पर्धा और कुल विक्रय में अपना हिस्सा बढ़ाने हेतु वस्तु या सेवा के उत्पादक अनैतिक, शोषणयुक्त और अयोग्य प्रथा का उपयोग करते है । ऐसी प्रथा से ग्राहक छलकपट का अनुभव करते है । वस्तु या सेवा दोषयुक्त होने से असुरक्षा, मिश्रण (भेलसेल) होने से स्वास्थ्य के साथ धोखा, असत्य एवं गलत मार्ग दर्शाता विज्ञापन एवं बनावटी वस्तुओं की बिक्री, संग्रहखारी द्वारा काला बाजारी करना व अधिक मूल्य ग्राहकों से लेना आदि धोखा-धड़ी ग्राहकों के साथ करते है ।
प्रश्न 2.
ग्राहक शोषण के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
ग्राहक शोषण की मुख्यतः तीन भागों में बाँटा गया है :
- शारीरिक और मानसिक शोषण : कम गुणवत्तावाली वस्तु या बनावटी वस्तु के विक्रय के कारण ग्राहकों में हताशा एवं क्रोध की भावना उत्पन्न होती है । वस्तु के उत्पादन में काम में लाये जानेवाले अयोग्य पदार्थों से शारीरिक हानि भी हो सकती है ।
- आर्थिक शोषण : संग्रहखोरी अथवा कालाबाजारी द्वारा अथवा वस्तु या सेवा की मुद्रित मूल्य से अधिक मूल्य लेकर विक्रय करना जिससे ग्राहकों को आर्थिक नुकसान होता है ।
- सार्वजनिक हितो को नुकसान : उत्पादकों द्वारा उत्पाद के दौरान उपयोग में लाये जानेवाले पदार्थों के कारण पर्यावरण को हानि
पहुँचती है । इस तरह पर्यावरण को नुकसान होने से सार्वजनिक हितों को नुकसान होता है ।
प्रश्न 3.
ट्रस्टीशिप का सिद्धान्त और ग्राहक सुरक्षा पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
गाँधीजी के ट्रस्टीशिप के सिद्धान्त के अनुसार समाज ने जिसको सम्पत्ति दी है, जिसका उपयोग उनको समाज के व्यक्तियों के लिये करना चाहिए । ग्राहकों के लिये गाँधीजी कहते हैं कि ‘ग्राहक यह धन्धा के स्थल पर आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मानव है । वह हम (धन्धार्थियों) पर आधारित नहीं, परन्तु हम उस पर आधारित हैं । वह हमारे कार्य में बाधारूप नहीं परन्तु वह हमारे कार्य का हेतु है । वह हमारे धन्धे का बाह्य व्यक्ति नहीं अपितु यह धन्धे का ही भाग है । हम उसको आवश्यक वस्तु देकर उसकी तरफदारी नहीं करते, अपितु वह हमको ऐसा करने का अवसर देकर हमारी तरफदारी करता है ।’
प्रश्न 4.
ग्राहकों के दृष्टिकोण से ग्राहक सुरक्षा के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
ग्राहकों के दृष्टिकोण से ग्राहक सुरक्षा का महत्त्व (Importance of Consumer Protection from the view point of Consumer) निम्न है :
(1) ग्राहकों का व्यापक शोषण : धन्धाकीय इकाइयाँ असुरक्षित उत्पाद मिश्रण, असत्य तथा गलत मार्गवाला विज्ञापन, काला बाजार, संग्रहखोरी जैसी अनैतिक व शोषणयुक्त नीतियों द्वारा ग्राहकों का शोषण करके अधिक लाभ कमाने के प्रयत्न करते हुए दिखाई देते है । धन्धाकीय इकाई की ऐसी असत्य एवं अनुचित नीति के सामने ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करना बहुत ही अनिवार्य हो जाता है ।
(2) ग्राहकों को जानकारी का अभाव : ग्राहकों को अपने अधिकारों और कानून द्वारा मिलनेवाली छूट के बारे में विशेष जानकारी नहीं होती अथवा जानते भी हैं अपितु ऐसे कदम उठाने में हिचकिचाते है क्योंकि वो इसके बारे में कानूनी प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती अथवा गलत जानकारी रखते है । ग्राहकों को अपने अधिकारों के बारे में जागृत करना बहुत जरूरी है और इसके साथ ही कानून द्वारा मिलनेवाली रियायत/टूट और वह उसके लिये कानूनी प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी उन तक पहुँचाना अत्यन्त आवश्यक है ।
(3) बिन-संगठित ग्राहक : कोई भी एक व्यक्ति ग्राहक के रूप में कमजोर सिद्ध हो सकता है परन्तु असंख्य ग्राहक संगठित होकर अपने ग्राहक सुरक्षा इकाई द्वारा अपने हितों का रक्षण बहुत ही अच्छी तरह से कर सकते हैं । भारत में भी ऐसी ग्राहक सुरक्षा हेतु संस्थायें कार्यरत हुई हैं फिर भी वह ग्राहक सुरक्षा संस्थाये काफी मजबूत बने वहाँ तक ग्राहकों को कानून द्वारा सुरक्षा प्रदान करना अत्यन्त जरूरी होता है ।
प्रश्न 5.
ग्राहक जागृति के कार्य में लोक न्यायालय किस तरह मददरूप होता है ?
उत्तर :
बहुत सी औद्योगिक इकाइयाँ अपने ग्राहकों के योग्य शिकायतों के निराकरण के लिये लोक न्यायालय का आयोजन करते है । इस न्यायालय में ग्राहक अपने प्रश्नों की प्रस्तुति करते हैं और अधिकांशतः शिकायतों का हल ढूँढा जाता है । लोक न्यायालय द्वारा ग्राहकों की शिकायतों का निराकरण शीघ्र, कम खर्च पर और असरकारक होते है । जैसे भारत संचार निगम लिमिटेड, भारतीय रेल विभाग जैसी सार्वजनिक साहस की इकाइयाँ प्रतिवर्ष लोक न्यायालय का आयोजन करती है ।
प्रश्न 6.
सार्वजनिक हित के आवेदन पर संक्षिप्त में समझाइए ।
उत्तर :
सार्वजनिक हित का आवेदन Public Interest Litigation : समाज के कितने ही वर्ग ऐसे है कि जो सामान्य रूप से स्वयं न्यायालय तक नहीं पहुंच सकते हैं । तदुपरान्त कितनी ही बातें समस्त समाज पर लागू होती है न कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह पर । इन सभी बातों के निराकरण के लिये सार्वजनिक हित में आवेदन किया जा सकता है और यह कोई भी व्यक्ति कर सकता है । यहाँ कोई भी व्यक्ति अर्थात् जिस व्यक्ति को हानि होती हो, उसके अतिरिक्त समाज का कोई भी सदस्य/समस्त समाज के लाभार्थी कोई भी व्यक्ति जहाँ आवश्यक हो वहाँ सामान्य कागज पर लिखकर हाईकोर्ट अर्थात् राज्य का उच्च न्यायालय अथवा सुप्रिम कोर्ट अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय में भेज सकता है । न्यायालय आवेदन को पढ़कर योग्य लगे तो केस (मुकदमा) दाखिल कर उनके पक्षकारों को उपस्थित करवाकर सुनवाई करते है और उस आवेदन पर अपना निर्णय सुनाते हैं ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए :
1. धन्धा के दृष्टिकोण से ग्राहक सुरक्षा का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
धन्धा के दृष्टिकोण से ग्राहक सुरक्षा का महत्त्व (Importance of Consumer Protection from the view point of Business)
(1) समाज के साधन-सम्पत्ति का उपयोग : किसी भी धन्धे, का प्रारम्भ और विकास हेतु समाज के साधन-सम्पत्ति का उपयोग करते है तब धन्धा का दायित्व बनता है कि उसने समाज को ऐसे उत्पाद या सेवायें प्रदान करनी चाहिये कि जो समाज को उपयोगी बने और समाज की साधन- सम्पत्ति में वृद्धि करने वाले बने ।
(2) सामाजिक दायित्व : धन्धे में हित रखनेवाले विविध समूहों के प्रति धन्धा का सामाजिक दायित्व होता है यह सिद्ध हो चुका है । किसी भी धन्धे में आय/लाभ विक्रय द्वारा होता है, और यह विक्रय का कार्य ग्राहकों को होता है । इस तरह ग्राहक भी धन्धे के हितवाले समूह में से एक महत्त्वपूर्ण समूह कहलाता है । अन्य रूप से हित रखनेवाले समूहों की तरह ग्राहकों के प्रति का दायित्व भी प्रत्येक धन्धाकीय इकाई को निष्ठापूर्वक निभानी चाहिए ।
(3) समाज का एक भाग : कोई भी धन्धा यह समाज का एक भाग है । प्रत्येक व्यापारी किसी अन्य व्यापारी के पास तो ग्राहक ही है । यदि ग्राहक शोषण अनिवार्य हो तो प्रत्येक व्यक्ति का शोषण होना तय है । अतः इसे लिये प्रत्येक धन्धे को अपने धन्धे के उपर ग्राहकों के विश्वास में वृद्धि हो ऐसी नीति अपनानी चाहिए और ग्राहक शोषण से दूर रहना चाहिए ।
(4) समाज पर प्रभाव : धन्धा का समाज पर प्रभाव होता है । विज्ञापन द्वारा समाज के लोगों की आदत, रहनसहन, विचारधारा, खानपान की बातें, वेशभूषा आदि पर प्रभाव डालता है । इन कारणों से ही समाज के हितों के लिये धन्धे की नीति योग्य रखना यह नैतिक दायित्व सिद्ध होता है ।
(5) ग्राहक का रक्षण धन्धा का हित : आज के स्पर्धात्मक युग में ग्राहक के पास जाना और उसकी इच्छा और आवश्यकता के अनुसार वस्तुयें देना, यह धन्धे का आधारभूत सिद्धांत है । यदि कोई उत्पादक यह नहीं समझता तो उसे ग्राहक पसन्द नहीं करेगा और उसके स्पर्धकों के पास से ग्राहक वस्तु खरीदेगा । इसलिए ग्राहकों की सुरक्षा और उनकी इच्छा प्रत्येक उत्पादक को समड़ा कर आगे बढ़ना चाहिये । यह उनके व्यवसाय के हित में ही है ।
(6) ट्रस्टीशिप का सिद्धांत और ग्राहक सुरक्षा : गाँधीजी के ट्रस्टीशिप के सिद्धान्त के अनुसार समाज ने जिसको सम्पत्ति दी है, जिसका उपयोग उनको समाज के व्यक्तियों के लिये करना चाहिये । ग्राहकों के लिये गाँधीजी कहते हैं कि ‘ग्राहक यह धन्धा के स्थल पर आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मानव है । वह हम (धन्धार्थियों) पर आधारित नहीं, परन्तु हम उस पर आधारित है । वह हमारे कार्य में बाधारूप नहीं परन्तु वह हमारे कार्य का हेतु है । वह हमारे धन्धे का बाह्य व्यक्ति नहीं अपितु यह धन्धे का ही भाग है । हम उसको आवश्यक वस्तु देकर उसकी तरफदारी नहीं करते, अपितु वह हमको ऐसा करने का अवसर देकर हमारी तरफदारी करता है ।’
प्रश्न 2.
ग्राहक अधिकारों के विषय में विस्तृत चर्चा कीजिए । अथवा ग्राहक सुरक्षा के अनुसार ग्राहकों को कौन-से अधिकार मिले .
उत्तर :
ग्राहकों के द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तु की खरीदी वस्तु बाजार में से करनी होती है । व्यापारी, उत्पादक वर्ग एवं अन्य विक्रय करने वाले मध्यस्थियों के द्वारा वस्तु की कीमत दूसरे व्यापारी एवं उत्पादकवर्ग तथा मध्यस्थियों के कर्ता अधिक . कीमत लेकर बेचते हैं । ग्राहक वर्गों को इसकी जानकारी नहीं होती तथा उत्पादक वर्गों के द्वारा वस्तु में मिश्रण की जानेवाली सामग्री का प्रमाण कम या तो होता ही नहीं है । इस प्रकार का हमेशा बनता रहता है ।
ग्राहकों को मिलावट वाली वस्तु खरीदनी होती है । जिससे ग्राहकों के साथ छेतरपिंडी होती है । एवं मिलावट वाली वस्तु ग्राहक द्वारा खरीदने से ग्राहकों को शारीरिक एवं मानसिक रोग का शिकार होना पड़ता है । अर्थात् ग्राहकों का जीवन स्तर नीचा होता है । परिणाम स्वरुप ग्राहक जाने अनजाने में इस प्रकार की मिलावट वाली सभी शोषणों से रक्षण प्राप्त हो सके इसके लिए ग्राहकों को योग्य अधिकार प्राप्त हो यह आवश्यक है ।
ग्राहकों के अधिकार : ग्राहकों के अधिकार निम्नलिखित हैं :
(1) सुरक्षा (Safety) : मनुष्य के आरोग्य एवं जीवन को नुकसान करने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं से रक्षण प्राप्त करने का अधिकार अर्थात् शारीरिक सुरक्षा का अधिकार मनुष्य के द्वारा इस प्रकार की वस्तु या सेवा नहीं लेनी चाहिए जिससे स्वास्थ्य खराब हो जैसे बीडी, सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि इस प्रकार की वस्तु के उपयोग से शारीरिक नुकसान हो सकता है । इस प्रकार की सूचना प्रदान करनी चाहिए ।
(2) जानकारी (Information) : ग्राहकों को वस्तु की गुणवत्ता, कीमत, शुद्धता, पेकिंग इत्यादि की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए । जिससे ग्राहक अपनी आवश्यकता के अनुसार वस्तु खरीद सके । जैसे अनाज की खरीदी का निर्णय ले सकता है ।
(3) पसंदगी (Choice) : प्रत्येक ग्राहक अपनी पसंदगी की वस्तु खरीदने का अधिकार है । अर्थात् आवश्यकता अनुसार वस्तु योग्य समय, योग्य प्रमाण, योग्य स्थल पर प्राप्त होनी चाहिए । इसके साथ-साथ वस्तु योग्य कीमत में भी प्राप्त होनी चाहिए । व्यापारी एवं उत्पादक वर्ग ग्राहक को अपनी वस्तु खरीदने के लिये दबाव नही दे सकता है । जैसे स्कूटर खरीदना हो या साइकिल यह ग्राहक की पसंदगी पर निर्भर करता है ।
(4) प्रस्तुतीकरण (Representation) : ग्राहकों को अपना मन्तव्य देने का अवसर प्राप्त होना चाहिए यह मन्तव्य ग्राहक द्वारा क्रय की गई वस्तु के विषय में भी हो सकता है । इसके अलावा ग्राहक जो वस्तु खरीदना चाहते है । उस वस्तु के उत्पादक के लिए भी हो सकता है 1 ग्राहक अपना मन्तव्य लिखित में सरकार को भी दे सकता है । इससे ग्राहक को योग्य संतोष प्राप्त होता है ।
(5) निवारण (Redressel) : भारत जैसे विशाल एवं विविधता युक्त राष्ट्र में ग्राहकों को योग्य वस्तु प्राप्त होनी चाहिए वह प्राप्त भी न हो इस प्रकार के शोषण से रक्षण प्राप्त करने के लिए ग्राहकों को इसके निराकरण हेतु योग्य व्यवस्था होनी चाहिए जैसे किसी ग्राहक को वस्तु की पेकिंग में दर्शाए गए वजन के कर्ता कम वजन में वस्तु प्राप्त हो ।
(6) ग्राहकलक्षी शिक्षण (Consumer Education) : उत्पादित वस्तु के संदर्भ में ग्राहकों को योग्य सूचना प्राप्त हो सके इसके लिए योग्य शिक्षण प्राप्त करने का अधिकार है । वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, प्रमाण और वजन इत्यादि के संदर्भ में योग्य शिक्षण प्राप्त करने का अधिकार ग्राहकों को प्राप्त होना चाहिए ।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रस्तुत मार्गदर्शिका के अनुसार दो और अधिक मिले इसकी सिफारिश की है ।
(1) प्राथमिक आवश्यकताएँ
(2) आरोग्य प्रद वातावरण
(1) प्राथमिक आवश्यकताओं का प्राप्त करने का अधिकार (Right to Basic Needs) : मनुष्यों को आदर्श जीवन जीने के लिए तथा अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए तथा अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कई प्राथमिक आवश्यकताएँ अनिवार्य है । जैसे अनाज, कपड़ा, मकान, पानी, शिक्षण, आरोग्य इत्यादि इस प्रकार की प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति करना ग्राहक वर्ग का अधिकार बनता है ।
(2) आरोग्यप्रद वातावरण (Hygenic Environment) : आरोग्यप्रद वातावरण अर्थात् प्रदूषण मुक्त वातावरण की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि ग्राहक अपना जीवन सरलता से जी सके, प्रत्येक ग्राहक को प्रदुषण मुक्त हवा, पानी, भोजन और जमीन प्राप्त करने का अधिकार है ।
प्रश्न 3.
ग्राहक सुरक्षा कानून के अनुसार ग्राहकों के दायित्व समझाइए ।
अथवा
ग्राहक की जिम्मेदारियों के ख्याल की विस्तृत चर्चा कीजिए । (Responsibility of a Consumer)
उत्तर :
प्रस्तावना : ग्राहकों को जितने अधिकार दिए हैं । उतनी ही प्रत्येक ग्राहक की जिम्मेदारी बनती है । अधिकार एवं जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक हैं । यदि ग्राहकों को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हो लेकिन ग्राहक अपनी जिम्मेदारी न समझे तो प्राप्त अधिकारों से ग्राहकों को रक्षण प्राप्त नहीं हो सकता अर्थात् अधिकारों की सुरक्षा हेतु जिम्मेदारी निभाना प्रत्येक ग्राहक का कर्तव्य बनता है ।
ग्राहकों की जिम्मेदारीयाँ : ग्राहकों की जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं :
(1) अधिकारों का उपयोग करना : ग्राहक के द्वारा वस्तु या सेवा की खरीदी करना महत्त्वपूर्ण पहलू है । परन्तु खरीदी करते समय अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए यह भी महत्त्वपूर्ण घटक है । इन अधिकारों का योग्य उपयोग भी करना चाहिए । अनेकों ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती अधिकारो का उपयोग करने से ग्राहक वर्ग अधिकारो से परिचित होते हैं । और ग्राहकों का शोषण होने से बचता है । जैसे पसंदगी का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार इत्यादि ।
(2) खरीदी से पहले जानकारी प्राप्त करना : ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पहले योग्य जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए वस्तु का उत्पादक, उत्पादक का पता, वजन, उपयोग की अंतिम तारीख, गेरंटी समय इत्यादि खरीदी करते समय व्यापारी के द्वारा ठगा न जाए इसका भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ।
(3) नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत करना : ग्राहक को नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत योग्य अधिकारी को करनी चाहिए यदि ग्राहकों के द्वारा शिकायत का आग्रह न किया जाए तो व्यापारी वर्गो को शोषण करने की आदत पडती है । कभी कभी ग्राहकों के द्वारा कम नुकसान के सामने अधिक रियायत प्राप्त करने की शिकायत की जाती है । यह योग्य नहीं है ।
(4) वस्तु की योग्य गुणवत्ता का आग्रह रखना : ग्राहक के द्वारा हमेशा योग्य गुणवत्ता वाली वस्तु ही खरीदनी चाहिए ग्राहक को मिलावट वाली वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए । वस्तु खरीदते समय ग्राहकों वस्तु के गुणवत्ता का प्रमाणपत्र एवं योग्य मार्क या निशानी की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए वस्तुओं योग्य गुणवत्ता की जानकारी हो सके इसलिए ISI एवं एगमार्क का उपयोग किया जाता है ।
(5) गलत विज्ञापनों से प्रभावित न हो : वस्तु बाजार में अनेकों उत्पादकों के द्वारा विविध वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है । प्रत्येक उत्पादक अन्य उत्पादकों के कर्ता अधिक वस्तु का विक्रय हो इसलिए ग्राहकों को प्रेरित करने हेतु द्विअर्थी भ्रम युक्त, गलत विज्ञापनों का सहारा लेते हैं । जैसे यह पानी पीने से शरीर में शक्ति एवं ताजगी आती है । कुछी ही क्षणों में मस्तिष्क का दर्द दूर, हमारा साबुन उपयोग करने से शरीर सुन्दर इत्यादि इन सभी विज्ञापनों से ग्राहक को प्रभावित नहीं होना चाहिए ग्राहक के द्वारा वस्तु का निरीक्षण एवं अन्य उत्पादक की वस्तु से तुलना करने के बाद ही खरीदी का निर्णय लेना चाहिए ।
(6) बीजक (बिल) लेने का आग्रह : प्रत्येक ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पश्चात् बिल लेने का आग्रह रखना चाहिए । नियम एवं कानून के अनुसार प्रत्येक व्यापारी को खरीदी के पश्चात ग्राहक वर्ग को बिल देना आवश्यक है । ग्राहक को खरीद की गई वस्तु नुकसानवाली है । इसकी शिकायत करनी है तो बिल आवश्यक है । यदि ग्राहक बिल लेने का आग्रह नहीं करता और वस्तु खराब या नुकसान वाली है तो वह अधिकारी को व्यापारी के विरोध में शिकायत भी नही कर सकता अत: ग्राहक के द्वारा खरीदी के पश्चात् बिल का आग्रह अवश्य रखना चाहिए ।
(7) ग्राहकवाद को फैलाना : ग्राहकों की संगठित चहल-पहल अर्थात् ग्राहकवाद । प्रत्येक ग्राहक को सुरक्षा समिति की स्थापना और संचालन में सक्रिय भाग लेना चाहिए और ग्राहकों में अधिकारों की जागृति लाने, हितों की सुरक्षा करने और आवश्यक ज्ञान मिले ऐसी व्यवस्था में सहभागी बनना चाहिए ।
(8) पर्यावरण का रक्षण : प्रत्येक ग्राहक को पर्यावरण सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण कार्य करना चाहिए । वस्तु के उपयोग के पश्चात् उनके कचरे का योग्य निकाल करना चाहिए तथा गन्दगी न फैलाना वह उनका प्राथमिक दायित्व है ।
(9) नीतिमत्ता के विरूद्ध की प्रवृत्ति में जुड़ना : जब ग्राहक वस्तु या सेवा की खरीदी करे तब उन्हें कानूनी मामलों का आग्रह रखना । चाहिए । काला बाजार, संग्रहकोरी आदि को उत्तेजन दे ऐसी किसी भी प्रवृत्ति में जुडना नहीं चाहिए ।
इस तरह उपरोक्त सभी जिम्मेदारियाँ/दायित्व ग्राहक निभायें वह ग्राहक के अधिकार भोगने के लिए प्रथम शर्त है ।
प्रश्न 4.
ग्राहक का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा विवाद निवारण संस्था में कौन शिकायत कर सकता है ? वह बताइये ।
उत्तर :
ग्राहक का अर्थ (Meaning of Consumer) : ग्राहक सुरक्षा के कानून के अनुसार ग्राहक अर्थात् ‘ऐसा व्यक्ति कि जो अवेज के बदले में वस्तु या सेवा प्राप्त करता है और जिसके लिये अवेज चुकाया हो या वचन दिया हो अथवा अवेज पूर्णत: या अंशत: चुकाया हो और अंशत: भविष्य में चुकाना हो अथवा देरी से चुकाना हो सकता है । क्रेती की अनुमति से वह वस्तु या सेवा का उपयोग करने वाले व्यक्ति का समावेश ग्राहक में होता है, परन्तु पुनः विक्रय के लिये या व्यापारिक उद्देश्यों को खरीदनेवाले व्यक्ति का समावेश ग्राहक में नहीं होता ।’
सामान्य परिभाषा में ग्राहक अर्थात् ऐसा व्यक्ति कि जो वस्तु का उपयोग या उपभोग करते है अथवा सेवा प्राप्त करता है । ग्राहक को उत्पादक हेतु शिकायत हो तो योग्य विवाद निवारण संस्था की मदद ली जा सकती है । ऐसी शिकायत ग्राहक स्वयं पंजिकृत ग्राहक मण्डल, राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार, बहुत से ग्राहकों की ओर से कोई एक अथवा अधिक ग्राहक कि जो एक समान हित रखते हैं । मृतक ग्राहक के कानूनी वारिशदार अथवा प्रतिनिधि कर सकता है । विवाद निवारण संस्थाये त्रिस्तरीय पद्धति है जो कि ग्राहकों के विवादों को शीघ्र व कम खर्च पर हल कराती है । ये तीन पद्धति निम्न है :-
प्रश्न 4.
ग्राहक जागृति किस तरह आ सकती है ?
उत्तर :
ग्राहक जागृति निम्न तरह से आ सकती है ।
1. लोक न्यायालय : बहुत सी औद्योगिक इकाइयाँ अपने ग्राहकों के योग्य शिकायतों के निराकरण के लिये लोक न्यायालय का आयोजन करते है । इस न्यायालय में ग्राहक अपने प्रश्नों की प्रस्तुती करते है और अधिकांशत: शिकायतों का हल ढूँढा जाता है । लोक न्यायालय द्वारा ग्राहकों की शिकायतों का निराकरण शीघ्र, कम खर्च पर और असरकारक होते है । जैसे BSNL, MTNL, भारतीय डाक व तार विभाग, रेल विभाग जैसी सार्वजनिक साहस की इकाइयाँ प्रतिवर्ष लोक न्यायालय का आयोजन करती है ।
2. सार्वजनिक हित का आवेदन (PIL – Public Interest Litigation) : प्रत्येक व्यक्ति स्वयं न्यायालय के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं होता है अथवा आर्थिक या समय को अभाव जैसे कारण भी जिम्मेदार होते है । कई मामले ऐसे होते है कि किसी एक व्यक्ति या व्यक्ति के समूह की अपेक्षाकृत समग्र समाज को प्रभावित करता है । जिस व्यक्ति या समूह को नुकसान हुआ हो वह अथवा कोई भी व्यक्ति सामान्य कागज पर एक अर्जी सीधी ही राज्य का उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) अथवा सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रिम कोर्ट) में कर सकता है । न्यायालय अर्जी (आवेदन) को पढकर योग्य लगे तो मुकदमा (केस) दाखिल करके उनके पक्षकारों को उपस्थित करवाकर सुनवाई करके उस अर्जी पर अपना निर्णय देती है ।
3. पर्यावरण संरक्षक उत्पाद (Eco-Friendly Products) : यदि औद्योगिक इकाई कम से कम प्रदूषण फैलाएँ और उत्पादन करे
तो उनको भारत सरकार का पर्यावरण विभाग ‘इको मार्क’ लगाने की अनुमति देता है । ग्राहक ‘इको मार्क’ के उत्पादों का उपयोग करेंगे जिससे जो उद्योग पर्यावरण की सुरक्षा करते है उनको मददरूप बनते हैं । जैसे नहाने का पाउडर (detergent), कुछ खाद्य
पदार्थ, फर्नीचर, रंग आदि ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए :
प्रश्न 1.
ग्राहक सुरक्षा के कानून के अनुसार ग्राहकों के दायित्व समझाइए ।
उत्तर :
प्रस्तावना : ग्राहकों को जितने अधिकार दिए हैं । उतनी ही प्रत्येक ग्राहक की जिम्मेदारी बनती है । अधिकार एवं जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक हैं । यदि ग्राहकों को पर्याप्त अधिकार प्राप्त हो लेकिन ग्राहक अपनी जिम्मेदारी न समझे तो प्राप्त अधिकारों से ग्राहकों को रक्षण प्राप्त नहीं हो सकता अर्थात् अधिकारों की सुरक्षा हेतु जिम्मेदारी निभाना प्रत्येक ग्राहक का कर्तव्य बनता है ।
ग्राहकों की जिम्मेदारीयाँ : ग्राहकों की जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं :
(1) अधिकारों का उपयोग करना : ग्राहक के द्वारा वस्तु या सेवा की खरीदी करना महत्त्वपूर्ण पहलू है । परन्तु खरीदी करते समय अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए यह भी महत्त्वपूर्ण घटक है । इन अधिकारों का योग्य उपयोग भी करना चाहिए । अनेकों ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती अधिकारो का उपयोग करने से ग्राहक वर्ग अधिकारो से परिचित होते हैं । और ग्राहकों का शोषण होने से बचता है । जैसे पसंदगी का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार इत्यादि ।
(2) खरीदी से पहले जानकारी प्राप्त करना : ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पहले योग्य जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए वस्तु का उत्पादक, उत्पादक का पता, वजन, उपयोग की अंतिम तारीख, गेरंटी समय इत्यादि खरीदी करते समय व्यापारी के द्वारा ठगा न जाए इसका भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ।
(3) नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत करना : ग्राहक को नुकसानी वस्तु के रियायत की शिकायत योग्य अधिकारी को करनी चाहिए यदि ग्राहकों के द्वारा शिकायत का आग्रह न किया जाए तो व्यापारी वर्गो को शोषण करने की आदत पडती है । कभी कभी ग्राहकों के द्वारा कम नुकसान के सामने अधिक रियायत प्राप्त करने की शिकायत की जाती है । यह योग्य नहीं है ।
(4) वस्तु की योग्य गुणवत्ता का आग्रह रखना : ग्राहक के द्वारा हमेशा योग्य गुणवत्ता वाली वस्तु ही खरीदनी चाहिए ग्राहक को मिलावट वाली वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए । वस्तु खरीदते समय ग्राहकों वस्तु के गुणवत्ता का प्रमाणपत्र एवं योग्य मार्क या निशानी की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए वस्तुओं योग्य गुणवत्ता की जानकारी हो सके इसलिए ISI एवं एगमार्क का उपयोग किया जाता है ।
(5) गलत विज्ञापनों से प्रभावित न हो : वस्तु बाजार में अनेकों उत्पादकों के द्वारा विविध वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है । प्रत्येक उत्पादक अन्य उत्पादकों के कर्ता अधिक वस्तु का विक्रय हो इसलिए ग्राहकों को प्रेरित करने हेतु द्विअर्थी भ्रम युक्त, गलत विज्ञापनों का सहारा लेते हैं । जैसे यह पानी पीने से शरीर में शक्ति एवं ताजगी आती है । कुछी ही क्षणों में मस्तिष्क का दर्द दूर, हमारा साबुन उपयोग करने से शरीर सुन्दर इत्यादि इन सभी विज्ञापनों से ग्राहक को प्रभावित नहीं होना चाहिए ग्राहक के द्वारा वस्तु का निरीक्षण एवं अन्य उत्पादक की वस्तु से तुलना करने के बाद ही खरीदी का निर्णय लेना चाहिए ।
(6) बीजक (बिल) लेने का आग्रह : प्रत्येक ग्राहक को वस्तु की खरीदी के पश्चात् बिल लेने का आग्रह रखना चाहिए । नियम एवं कानून के अनुसार प्रत्येक व्यापारी को खरीदी के पश्चात ग्राहक वर्ग को बिल देना आवश्यक है । ग्राहक को खरीद की गई वस्तु नुकसानवाली है । इसकी शिकायत करनी है तो बिल आवश्यक है । यदि ग्राहक बिल लेने का आग्रह नहीं करता और वस्तु खराब या नुकसान वाली है तो वह अधिकारी को व्यापारी के विरोध में शिकायत भी नही कर सकता अत: ग्राहक के द्वारा खरीदी के पश्चात् बिल का आग्रह अवश्य रखना चाहिए ।
(7) ग्राहकवाद को फैलाना : ग्राहकों की संगठित चहल-पहल अर्थात् ग्राहकवाद । प्रत्येक ग्राहक को सुरक्षा समिति की स्थापना और संचालन में सक्रिय भाग लेना चाहिए और ग्राहकों में अधिकारों की जागृति लाने, हितों की सुरक्षा करने और आवश्यक ज्ञान मिले ऐसी व्यवस्था में सहभागी बनना चाहिए ।
(8) पर्यावरण का रक्षण : प्रत्येक ग्राहक को पर्यावरण सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण कार्य करना चाहिए । वस्तु के उपयोग के पश्चात् उनके कचरे का योग्य निकाल करना चाहिए तथा गन्दगी न फैलाना वह उनका प्राथमिक दायित्व है ।
(9) नीतिमत्ता के विरूद्ध की प्रवृत्ति में जुड़ना : जब ग्राहक वस्तु या सेवा की खरीदी करे तब उन्हें कानूनी मामलों का आग्रह रखना । चाहिए । काला बाजार, संग्रहकोरी आदि को उत्तेजन दे ऐसी किसी भी प्रवृत्ति में जुडना नहीं चाहिए ।
इस तरह उपरोक्त सभी जिम्मेदारियाँ/दायित्व ग्राहक निभायें वह ग्राहक के अधिकार भोगने के लिए प्रथम शर्त है ।
प्रश्न 2.
ग्राहक सुरक्षा के कानून के अनुसार त्रिस्तरीय विवाद निवारण की व्यवस्था समझाइए ।
उत्तर :
ग्राहक विवाद निवारण संस्थाओ हेतु निम्न त्रिस्तरीय पद्धति है :
(i) जिला कक्षा का फोरम District L.:ve! For m जिला कक्षा का स्तर (District Forum) : जिला कक्षा का स्तर जि ने तक मर्यादित ग्राहकों की सुरक्षा हेतु सीमित है । यह … स्तर तीन प्रतिनिधियों से बना हुआ है । इसमें एक प्रतिनिधि न्यायतंत्र में से द्वितीय प्रतिनिधि विद्वान शिक्षणशास्त्री अथवा उद्योग धंधा में पारंगत व्यक्ति और तृतीय प्रतिनिधि के स्थान पर महिला कार्यकर की निक्ति की जाती है । इस जिला कक्षा के स्तर में ग्राहकों के 20 लाख रु. तक के दावा का शिकायतों को सुनकर योग्य निराकरण कर सकता है । यदि ग्राहक जिला कक्षा के स्तर के न्याय से संतुष्ट न हो तो वह राज्यकक्षा के स्तर में. 30 दिन में पुनः विचारणा हेतु राज्य कक्षा के स्तर में ले जाया जा सकता है ।
जिला कक्षा के फोरम को प्राथमिक स्तर भी कहा जाता है । देश के प्रत्येक जिले में इसकी रचना राज्य सरकार करती है ।
(ii) राज्य कक्षा का स्तर (State Commission) : प्रत्येक राज्य में एक राज्यकक्षा का स्तर होता है । जिसे राज्य कमीशन कहते हैं । इस कमीशन में तीन व्यक्ति होते हैं । जिसमें से एक व्यक्ति न्यायतंत्र में से और दो व्यक्ति ज्ञान एवं कौशल्य धारण करने वाले होते है । लेकिन इनमें से एक महिला होती है । राज्य कमीशन 20 लाख ले अधिक परन्तु 1 करोड़ तक की शिकायतों को सुनकर योग्य निर्णय देकर शिकायतों का निराकरण करती है । जिला फोरम के द्वारा दिए गए निर्णय से ग्राहक वर्ग संतुष्ट न हो तो ग्राहकों की शिकायतों को सुनकर योग्य निराकरण लाती है । यदि ग्राहक राज्य कमीशन के निराकरण से संतुष्ट न हो तो वह राष्ट्रीय कक्षा के स्तर में अपनी शिकायत 30 दिन के अन्दर पुनः विचारणा हेतु भेज सकते है । राज्य कक्षा के स्तर की नियुक्ति राज्य सरकार करती है ।
(iii) राष्ट्रीय कक्षा का स्तर (National Commission) : इस स्तर को राष्ट्रीय कमीशन कहते हैं । इस कमीशन में पाँच व्यक्ति
होते हैं । जिसमें एक न्यायतंत्र में से और चार ज्ञान (योग्यता) कौशल्य और अनुभव रखनेवाले व्यक्ति होते हैं । लेकिन इनमें एक महिला होती है । राष्ट्रीय कमीशन में 1 करोड़ से अधिक दावे की फरियाद (शिकायत) सुनकर योग्य निर्णय देकर निराकरण करने की सत्ता है । राज्य कमीशन के द्वारा दिए गए निर्णय से ग्राहक वर्ग संतुष्ट न हो तो राष्ट्रीय कक्षा के स्तर पर शिकायत सुनकर योग्य निर्णय एवं निराकरण किया जाता है ।
राष्ट्रीय कक्षा के आयोग द्वारा दिये गये निर्णय से किसी भी पक्षकार को सन्तोष न हो तो सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में पुनः विचारणा हेतु याचिका दाखिल कर सकता है ।
इस तरह इसका सीधा अर्थ होता है जिला फोरम के निर्णय से असन्तुष्ट हो तो राज्य कक्षा के आयोग में, यदि राज्यकक्षा के आयोग के निर्णय से असन्तुष्ट हो तो राष्ट्रीय कक्षा के आयोग के समक्ष ले जाया जा सकता है । यदि राष्ट्रीय कक्षा के आयोग के निर्णय से सन्तुष्ट न होने पर सुप्रिम कोर्ट में ले जाया जा सकता हैं ।
3. ग्राहकों को किस प्रकार की रियायतें ग्राहक सुरक्षा कानून के अन्तर्गत मिल सकती है ?
उत्तर :
ग्राहकों को मिलने योग्य रियायतें (Available Remedies) : जिन ग्राहकों की न्यायालय शिकायत स्वीकारे तो शिकायतकर्ता के
पक्ष में निम्न प्रकार की रियायतों में से कोई एक या एक से अधिक लाभ दे सकते हैं ।
- न्यायालय द्वारा वस्तु या सेवा में जो कमी रह गई हो उनको दूर करने का आदेश दे सकती है ।
- न्यायालय द्वारा वस्तु या सेवा के लिये चुकाई गई रकम लौटाने का आदेश दे सकती है ।
- जिस वस्तु में कमी हो अर्थात् दोषयुक्त वस्तु के स्थान बिन दोषवाली वस्तु अर्थात् दोषरहित वस्तु बदलवा सकती है ।
- ग्राहक को नुकसान सामनेवाले पक्षकार की लापरवाही से हुआ हो तो उचित मुआवजा दिला सकती है ।
- योग्य संयोगों में दण्डात्मक नुकसान की भरपाई करने के लिये आदेश दे सकती है ।
- व्यापार नीति अयोग्य और प्रतिबन्धक हो रही हो तो वह बन्द करा सकती है और भविष्य में इनका पुनरावर्तन न हो इसका आदेश दे सकती है ।
- हानिकारक वस्तुओं का उत्पादन अथवा विक्रय बन्द करवा सकती है ।
- हानिकारक वस्तुयें विक्रय हेतु प्रस्तुत करते हुये रुकवा सकती है ।
- दोषयुक्त वस्तु या घट/कमी वाली सेवा प्रदान की गई हो तो कम से कम 5% रकम ग्राहक सुरक्षा कोष (CWF) में अथवा अन्य संस्था या व्यक्ति को किसी निश्चित हेतु के उपयोग के लिये खर्च करने की शर्त पर आदेश दे सकती है ।
- असत्य एवं गलत मार्ग दर्शाते विज्ञापनों के प्रभाव को समाप्त करने हेतु सुधारात्मक विज्ञापन का आदेश दे सकती है ।
- अर्जी कर्ता को अर्थात् पक्षकार को उचित खर्च चुकाने का आदेश दे सकती है ।
प्रश्न 4.
ग्राहक हितों की देख-भाल और रक्षण के लिये कार्यरत ग्राहक संगठन और बिनसरकारी संस्थाओं की कामगीरी के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
ग्राहकों के हितों की देखभाल और रक्षण के लिये भारत में बहुत से ग्राहक संगठन और बिन सरकारी संस्थायें (Non Government Organisation : NGOs) कार्यरत हैं । ऐसी संस्थाओं का उद्देश्य बिना लाभ कमाना होता है तथा ऐसी संस्थायें सार्वजनिक सुख के लिये काम करती है । वह इनमें सरकारी दखलबाजी नहीं होती है । ग्राहकों के हितो की देखभाल-सुरक्षा व रक्षण का कार्य करती है । इन संगठनों अथवा संस्थाओं के कार्य निम्न होते है ।
- सेमिनार, वार्तालाप और प्रशिक्षण शिविरों द्वारा आम जनता को ग्राहक अधिकारों हेतु शिक्षित किया जाता है ।
- ग्राहकों की कठिनाईयों, कानूनी जानकारी, मिलने योग्य छूट तथा अन्य ग्राहकों के हित सम्बन्धी सूचना की जानकारी के लिये सामयिक, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि का प्रकाशन किया जाता है ।
- बाजार में उपलब्ध और एक दूसरे के साथ में स्पर्धा करने वाली ब्रान्ड से सम्बन्धित गुणों की तुलना अधिकृत प्रयोगशाला में परीक्षण और उनके परिणाम की जानकारी ग्राहकों को दी जाती है ।
- ग्राहकों को कानूनी कार्यवाही करने हेतु सहायता प्रदान करना, कानूनी जानकारी देना आदि ।
- विक्रयकर्ताओं की अनैतिक शोषणयुक्त और अनुचित विक्रय नीति के सामने ग्राहकों को सख्त विरोध करने के लिये जरूरी सहायता प्रदान की जाती है ।
- सामान्य ग्राहकों के हितों का रक्षण करने के लिये ग्राहक अदालत में शिकायत दर्ज की जाती है ।
- स्कूल-कॉलेज में ग्राहक शिक्षण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । विद्यार्थियों को ग्राहक सुरक्षा की शिक्षा प्रदान की जाती है ।
- ग्राहक शिक्षण हेतु फिल्में या जानकारी अथवा कैसेट निकालना ।
- ग्राहक संतोष और उससे सम्बन्धित आँकड़ों का एकत्रीकरण व उनको प्रकाशित करना ।
- यदि ग्राहक अपनी शिकायत अदालत में करना चाहता हो तो उन्हें आवश्यक सभी प्रकार से सहायता की जाती है ।
- आहार में मिलावट सम्बन्धी जागृति लाना ।
- सरकारी संस्थाओं को ग्राहक जागृति के सम्बन्ध में सहयोग देना ।
6. निम्नलिखित विधानो को समझाइये ।
(1) प्रत्येक व्यक्ति ग्राहक है ।
यह विधान सत्य है । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । मनुष्य समाज में रहकर अपनी इच्छा, पसंदगी, रूची, लगाव एवं व्यापारियों से वस्तु तथा सेवा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खरीदी अनिवार्य बनती है । इस प्रकार मनुष्य अपनी अमर्यादित आवश्यकताएँ वस्तु और सेवा के संदर्भ में ग्राहक बनकर खरीदी द्वारा संतुष्ट करता हैं । इसलिए कह सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति ग्राहक है ।
(2) प्रत्येक ग्राहक का अधिकार एवं जिम्मेदारी होती है ।
अधिकार एवं जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक हैं । जहाँ अधिकार होगा वहाँ जिम्मेदारी अवश्य होगी ग्राहक वर्गों को कानून के अनुसार सुरक्षा, सूचना प्राप्त करना, पसंदगी, प्रस्तुतिकरण, रियायत प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है । ग्राहकों को जितने अधिकार प्राप्त हैं । जैसे कि ग्राहक अपने अधिकारों का उपयोग करें, खरीदी के समय बिजक लेने का आग्रह करें, वस्तु की गुणवत्ता का निरीक्षण करे इत्यादि अन्य जिम्मेदारी भी है । इसलिए अधिकार एवं जिम्मेदारी एक सिक्के के दो पहलू के समान है ।
(3) ग्राहक सुरक्षा मंडल ग्राहक की सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील रहते है ।
ग्राहकों की विविध आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए उत्पादक वर्गों के द्वारा अनेक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता हैं । वस्तु बाजार में स्पर्धा का विशेष प्रभाव होने के कारण उत्पादक वर्ग ग्राहक का शोषण करने की नई-नई तरकीब सोचत है । ग्राहक के द्वारा मुद्रा का योग्य उपयोग हो सके आज की अर्थव्यवस्था की मुख्य आवश्यकता है । उत्पादकों एवं व्यापारियों के द्वारा ग्राहकों का होने वाला शोषण रोकने के लिए ग्राहकों में जागृती आए इस हेतु से ग्राहक सुरक्षा मंडलो की रचना की गई है । इन मंडली के द्वारा रेडियो, टेलिविजन, वर्तमानपत्र, विज्ञापन के माध्यम से ग्राहकों में समझदारी लाने का प्रयास किया जाता है । इसके लिए सेमिनार, जाहेर सभा का आयोजन भी किया जाता है । इसके साथ ग्राहक सुरक्षा मंडल ग्राहकों को उनके अधिकारो के लिए जागृत करता है । अतः ग्राहक सुरक्षा मंडल ग्राहक की सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील है ।
(4) ग्राहकों के शोषण के लिए ग्राहक स्वयम जिम्मेदार होता है ।
ग्राहक वर्ग को उत्पादक एवं व्यापारियों के द्वारा होनेवाले शोषण से रक्षण प्राप्त हो सके इसके लिए अधिकार एवं जिम्मेदारी के प्रति हमेशा सतर्क एवं जागृत रहना चाहिए परन्तु अनेक ग्राहक प्राप्त अधिकारों का सद्उपयोग ही नहीं करते तथा जिम्मेदारी के प्रति अज्ञात रहते हैं । जिससे ग्राहक का शोषण होता है । जैसे वस्तु खरीदते समय वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त न करना वस्तु की गुणवत्ता का निरीक्षण न करना, गलत विज्ञापनो से प्रभावित होकर मिलावटवाली एवं नुकसानकारक वस्तु को खरीदना इसके साथ व्यापारियों के द्वारा होनेवाले नुकसान के लिए ग्राहक सुरक्षा अधिकारी तक शिकायत न करना ग्राहकों की इस प्रकार की आदते व्यापारियों को शोषण करने में प्रोत्साहन प्रदान करती है । अतः ग्राहकों के शोषण में ग्राहक स्वयं ही जिम्मेदार होता है ।
7. संज्ञा समझाइये ।
(1) C.G.S.I. = Consumer Guidance Society of India का संक्षिप्त रूप C.G.S.I. के नाम से जाना जाता है । ग्राहक सुरक्षा .
के क्षेत्र में कार्य करने वाली इस संस्था के कार्यालय द्वारा योग्य मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है । यह बोम्बे में कार्यरत है । अर्थात् भारतीय ग्राहक मार्गदर्शन सोसायटी ।
(2) C.E.R.C. = Consumer Education Research Centre (A’bad) का संक्षिप्त रूप C.E.R.C. के नाम से जाना जाता है । ग्राहक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था का कार्यालय अहमदाबाद में स्थापित है । यह ग्राहक उपयोगी शिक्षण एवं संशोधन प्रदान करती है । अर्थात् ग्राहक शिक्षण एवं संशोधन केन्द्र ।
(3) C.U.T.S. = Consumer Utility & Trust Society (Jaipur) का संक्षिप्त रूप C.U.T.S. के नाम से जाना जाता है । ग्राहक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाली इस संस्था के द्वारा ग्राहकों को संतोष एवं विश्वास में वृद्धि हो इस प्रकार के कार्यों को करने के लिए यह जयपुर में कार्यरत है । अर्थात् ग्राहक उपयोगिता एवं ट्रस्ट (विश्वास) सोसायटी
(4) C.C.C. = Consumer Co-ordination Council का संक्षिप्त रूप C.C.C. के नाम से जाना जाता है । यह संस्था ग्राहकों की सुरक्षा हेतु स्थापित संस्थाओं का संकलन करने वाली समिति है । समग्र देश में कार्यरत ग्राहक सुरक्षा की संस्थाएँ इस काउन्सिल का सभ्यप्रद प्राप्त करती है । यह दिल्ली में स्थित है । अर्थात् ग्राहक संकलन समिति ।
(5) VOICE अर्थात् Voluntary Organisation in Interest of Consumer Education का संक्षिप्त नाम हैं, जिसका अर्थ होता है ‘ग्राहक शिक्षण के उपयोगी स्वैच्छिक संगठन’ जो कि दिल्ली में स्थित है ।