GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 12 धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 12 धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 12 धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण

GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए :

प्रश्न 1.
औद्योगिक विकास और नियमन कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया ?
(A) 1951
(B) 1955
(C) 1969
(D) 1986
उत्तर :
(A) 1951

प्रश्न 2.
आवश्यक चीजवस्तुओं का कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया ?
(A) 1951
(B) 1955
(C) 1969
(D) 1986
उत्तर :
(B) 1955

प्रश्न 3.
ट्रेडमार्क कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया ?
(A) 1951
(B) 1955
(C) 1969
(D) 1986
उत्तर :
(C) 1969

प्रश्न 4.
प्रमाणभूत वजन और माप कानून किस वर्ष अस्तित्व में आया ?
(A) 1951
(B) 1955
(C) 1969
(D) 1986
उत्तर :
(C) 1969

प्रश्न 5.
ग्राहक सुरक्षा कानून किस वर्ष से अस्तित्व में आया ?
(A) 1951
(B) 1955
(C) 1969
(D) 1986
उत्तर :
(D) 1986

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प्रश्न 6.
भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का आरम्भ कौन से वर्ष से हुआ ?
(A) 1951
(B) 1991
(C) 2001
(D) 2011
उत्तर :
(B) 1991

प्रश्न 7.
भारतीय चलन-रूपया को कौन-सी संज्ञा दी गई है ?
(A) Rupees
(B) Rs.
(C) रु.
(D) #
उत्तर :
(C) रु.

प्रश्न 8.
विदेशी पूँजी निवेश हेतु भारत में वर्तमान में कौन-सा कानून अस्तित्व में है ?
(A) FERA
(B) FECA
(C) FESA
(D) FEMA
उत्तर :
(D) FEMA

प्रश्न 9.
इनमें से कौन-सा विकल्प निजीकरण का लाभ नहीं है ?
(A) कार्यक्षमता में वृद्धि
(B) राजनैतिक दलगीरी का अभाव
(C) कर्मचारियों का शोषण
(D) आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग
उत्तर :
(C) कर्मचारियों का शोषण

प्रश्न 10.
इनमें से कौन-सा विकल्प निजीकरण का लाभ है ?
(A) उच्च संचालकों द्वारा सत्ता का दुरुपयोग
(B) आय और सम्पत्ति का असमान वितरण
(C) ग्राहकों का शोषण
(D) गुणवत्तायुक्त वस्तु या सेवा का उत्पादन
उत्तर :
(D) गुणवत्तायुक्त वस्तु या सेवा का उत्पादन

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प्रश्न 11.
धन्धे पर आसपास के अनेक तत्त्व असर करते है । इन तत्त्वों के समूह को क्या कहा जाता है ?
(A) धन्धाकीय लेनदार
(B) धन्धाकीय पर्यावरण
(C) धन्धाकीय देनदार
(D) ग्राहक
उत्तर :
(B) धन्धाकीय पर्यावरण

प्रश्न 12.
धन्धाकीय पर्यावरण के सन्दर्भ में कितने प्रकार की इकाइयाँ देखने को मिलती है ।
(A) 4
(B) 5
(C) 3
(D) 2
उत्तर :
(C) 3

प्रश्न 13.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के कितने तत्त्व होते है ?
(A) 2
(B) 6
(C) 5
(D) 3
उत्तर :
(A) 2

प्रश्न 14.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के बाह्य परिबल कितने हैं ?
(A) 5
(B) 7
(C) 6
(D) 8
उत्तर :
(C) 6

प्रश्न 15.
यदि पूँजीवादी आर्थिक पद्धति अमल में हो तो इसका सीधा अर्थ इनमें से क्या होता है ?
(A) मुक्त व्यापार
(B) मिश्र अर्थतंत्र
(C) समाजवादी अर्थतंत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) मुक्त व्यापार

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प्रश्न 16.
भारत सरकार ने कौन-सा अर्थतंत्र स्वीकारा है ?
(A) पूँजीवादी अर्थतंत्र
(B) मिश्र अर्थतंत्र
(C) समाजवादी अर्थतंत्र
(D) साम्यवादी. अर्थतंत्र
उत्तर :
(B) मिश्र अर्थतंत्र

प्रश्न 17.
………………….. मानव समुदाय, सामाजिक संस्थाएँ, सामाजिक परम्पराएँ आदि ।
(A) समाज
(B) ग्राहक
C) सरकार
(D) मिश्र अर्थतंत्र
उत्तर :
(A) समाज

प्रश्न 18.
…………………………. तत्त्व अर्थात् संसद या विधान सभा द्वारा पारित कानूनी, धन्धाकीय इकाई को संसद या विधानसभा द्वारा पारित कानून का पालन करना अनिवार्य है ।
(A) राजकीय तत्त्व
(B) कानूनी तत्त्व
(C) आर्थिक तत्त्व
(D) सामाजिक तत्त्व
उत्तर :
(B) कानूनी तत्त्व

प्रश्न 19.
एकाधिकार और प्रतिबन्धक व्यापार अधिनियम-1951 को अंग्रेजी में क्या कहते हैं ?
(A) GATT
(B) MRTP
(C) FEMA
(D) VOICE
उत्तर :
(B) MRTP

प्रश्न 20.
इनमें से कौन-सा समय काल भारत में व्यापार उद्योग के लिये नियंत्रित वातावरण का रहा है ?
(A) 1947 से 1991 तक का
(B) 1951 से 1991 तक का
(C) 1951 से 2001 तक का
(D) 1991 से 2011 तक का
उत्तर :
(A) 1947 से 1991 तक का

प्रश्न 21.
शेयर के भौतिक स्वरूप को इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में परिवर्तन अर्थात् ………………………..
(A) GST
(B) DMAT
(C) SEBI
(D) MRTP
उत्तर :
(B) DMAT

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प्रश्न 22.
FERA कानून का स्थान कौन-से कानून ने लिया है ?
(A) WTO
(B) Consumer Protection Act
(C) FEMA
(D) MRTP Act
उत्तर :
(C) FEMA

प्रश्न 23.
भारत की मध्यस्थ बैंक का नाम कौन-सा है ?
(A) SBI
(B) NIDC
(C) RBI
(D) IDBI
उत्तर :
(C) RBI

प्रश्न 24.
सार्वजनिक साहसों का संचालन और मालिकी निजी इकाई को सौंपना अर्थात् ……………………..
(A) निजीकरण
(B) उदारीकरण
(C) शहरीकरण
(D) वैश्वीकरण
उत्तर :
(A) निजीकरण

प्रश्न 25.
भारत सरकार ने वर्तमान में माल और सेवा कर लागू करने की प्रक्रिया किस नाम से पहचानी जाती है ?
(A) Service Tax
(B) GST
(C) Income Tax
(D) Toll Tax
उत्तर :
(B) GST

प्रश्न 26.
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ अपनी पूँजी का कुछ भाग आम जनता को बेचने हेतु आमंत्रण देती हो तो उन्हे क्या कहा जाता है ?
(A) प्रत्यक्ष पूँजी निवेश
(B) पूँजी विनिवेश
(C) सकल घरेलू उत्पाद
(D) अन्तर्राष्ट्रीय पूँजी
उत्तर :
(B) पूँजी विनिवेश

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प्रश्न 27.
इनमें से कौन-सा समयकाल सार्वजनिक क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण रहा है ?
(A) 1921 से 1951
(B) 1941 से 1951
(C) 1951 से 1991
(D) 1991 से 2001
उत्तर :
(C) 1951 से 1991

प्रश्न 28.
जब कोई भी देश विदेशी कम्पनियों को अपने देश में धन्धा करने हेतु अनुमति प्रदान करें और अपने देश की कम्पनियों का विदेश में धन्धा करने की अनुमति प्रदान करे तो क्या कहा जाता है ?
(A) उदारीकरण
(B) वैश्वीकरण
(C) निजीकरण
(D) औद्योगिकीकरण
उत्तर :
(B) वैश्वीकरण

प्रश्न 29.
व्यापार धन्धा हेतु नियंत्रित अर्थतंत्र को त्यागकर उन्हें मुक्त वातावरण द्वारा प्रगति करने का प्रयत्न अर्थात् ……………………..
(A) निजीकरण
(B) वैश्वीकरण
(C) उदारीकरण
(D) व्यापारीकरण
उत्तर :
(C) उदारीकरण

प्रश्न 30.
……………………… नीति में ब्याज की दर में परिवर्तन, मुद्रा स्फीति की दर, शान सर्जन, शान की प्राप्ति आदि का समावेश होता है ।
(A) औद्योगिक
(B) जनसंख्या
(C) कृषि
(D) मौद्रिक
उत्तर :
(B) जनसंख्या

प्रश्न 31.
……………………….. में परम्परायें, रीति-रिवाज, रहन-सहन की मान्यताएँ आदत आदि का समावेश होता है ?
(A) सामाजिक तत्त्व
(B) सांस्कृतिक तत्त्व
(C) राजकीय तत्त्व
(D) कानूनी तत्त्व
उत्तर :
(B) सांस्कृतिक तत्त्व

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प्रश्न 32.
……………………… नीति कर का ढाँचा और सरकारी खर्च के साथ संकलित है ।
(A) मत्स्य
(B) राजकोषीय
(C) खनन
(D) वन
उत्तर :
(B) राजकोषीय

प्रश्न 33.
विश्व के व्यापारी एक ही व्यापारिक मंच पर इकट्ठे हो सके व समझौतें कर सके इस हेतु किसकी रचना हुई ?
(A) WTO
(B) GATT
(C) FEMA
(D) MRTP
उत्तर :
(A) WTO

प्रश्न 34.
भारत WTO का सदस्य कब से है ?
(A) 1991
(B) स्थापना से ही
(C) 2001
(D) 1947
उत्तर :
(B) स्थापना से ही

प्रश्न 35.
वैश्वीकरण की नीति के भाग के रूप में व्यापार और टेरीफ के बारे में सामान्य करार किस नाम से पहचाना जाता है ?
(A) MRTP
(B) FERA
(C) GATT
(D) WHO
उत्तर :
(C) GATT

प्रश्न 36.
……………………… अर्थात् ऐसा देश कि जिसमें राष्ट्र की कुल आय और प्रति व्यक्ति आय का प्रमाण ऊँचा हो, प्राप्त साधनों का महत्तम विकास हुआ हो ।
(A) विकसित देश
(B) विकासशील देश
(C) अल्पविकसित देश
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(A) विकसित देश

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प्रश्न 37.
……………………. अर्थात् ऐसा देश कि जिसमें राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय निरन्तर बढ़ रही हो, प्राप्त साधन सम्पत्ति का उपयोग बढ़ रहा हो, लोगो के जीवन स्तर में सुधार हो रहा हो ।
(A) विकसित देश
(B) विकासशील देश
(C) अल्पविकसित देश
(D) पूँजीवादी देश
उत्तर :
(B) विकासशील देश

प्रश्न 38.
………………….. जिसमें आय का पहलू बहुत ही निर्बल हो और उनकी वृद्धि दर भी निर्बल हो जो धन्धाकीय विकास के अवसर को कमजोर बनाती है ।
(A) विकासशील देश
(B) विकसित देश
(C) साम्यवादी देश
(D) अल्प विकसित देश इनमें
उत्तर :
(D) अल्प विकसित देश इनमें

प्रश्न 39.
से कौन-सी आर्थिक पद्धति में उत्पादकों को आर्थिक प्रवृत्ति के सन्दर्भ में सम्पूर्ण निर्णय लेने का अधिकार होता है ?
(A) समाजवादी
(B) पूँजीवादी
(C) मिश्र अर्थतंत्र
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(B) पूँजीवादी

प्रश्न 40.
इनमें से कौन-सी आर्थिक पद्धति में अधिकांशत: सरकार के अधीन होने से व्यक्तिगत प्रोत्साहन नाम मात्र का होता है ?
(A) पूँजीवादी
(B) समाजवादी
(C) मिश्र अर्थतंत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) समाजवादी

प्रश्न 41.
पूँजीवादी आर्थिक पद्धति अमल में हो तो इसका सीधा अर्थ क्या होता है ?
(A) प्रत्यक्ष व्यापार
(B) परोक्ष व्यापार
(C) मुक्त व्यापार
(D) फुटकर व्यापार
उत्तर :
(C) मुक्त व्यापार

प्रश्न 42.
……………….. अर्थात् ऐसे धन्धाकीय परिबल/तत्त्व कि जिन पर अधिकांशतः संचालकों का नियंत्रण होता है, जिनमें संचालक आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकता है । जैसे धन्धा के उद्देश्य, कर्मचारी, संचालकीय ढाँचा आदि ।
(A) आन्तरिक तत्त्व
(B) बाह्य तत्त्व
(C) कानूनी तत्त्व
(D) राजकीय तत्त्व
उत्तर :
(A) आन्तरिक तत्त्व

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प्रश्न 43.
वैश्वीकरण कितने मार्गीय प्रवृत्ति है ?
(A) एक मार्गीय
(B) द्विमार्गीय
(C) त्रिमार्गीय
(D) दसमार्गीय
उत्तर :
(B) द्विमार्गीय

प्रश्न 44.
सन 1991 के पहले किस पर प्रतिबन्ध था ?
(A) विदेशी
(B) शहरीकरण
(C) विदेशी पूँजी निवेश
(D) औद्योगीकरण
उत्तर :
(C) विदेशी पूँजी निवेश

प्रश्न 45.
भारत में आर्थिक सुधार की नीति कब अमल में आई ?
(A) 1951
(B) 1991
(C) 1975
(D) 2001
उत्तर :
(B) 1991

प्रश्न 46.
भारत में कौन-सा अर्थतंत्र कार्यरत है ?
(A) मिश्र
(B) पूँजीवादी
(C) समाजवादी
(D) साम्यवादी
उत्तर :
(A) मिश्र

प्रश्न 47.
………………………. ऐसे तत्त्वों का समूह जो धन्धे में नवीन अवसरों और नवीन आहवानों का सर्जन करते है ।
(A) आन्तरिक तत्त्व
(B) बाह्य तत्त्व
(C) समाज
(D) धन्धाकीय पर्यावरण
उत्तर :
(D) धन्धाकीय पर्यावरण

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ संकलित तत्त्वो के नाम बताइए ?
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, टेक्नोलोजिकल, राजनैतिक, कानूनी तत्त्व आदि संकलित होते है।

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प्रश्न 2.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ संकलित समूहों के नाम दीजिए ।
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के साथ संकलित समूह जैसे कि ग्राहक, कर्मचारी, स्पर्धी, माल, प्रदान करने वाले होते हैं । .

प्रश्न 3.
धन्धाकीय/व्यवसायिक तत्त्वों को मुख्यत: कितने एवं कौन-कौन से भागों में विभाजित किया गया है ?
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक तत्त्वों को मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है :

  1. आन्तरिक तत्त्व (Internal Factor)
  2. बाह्य तत्त्व (External Factor)

प्रश्न 4.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के आन्तरिक तत्त्वों का नाम बताइये ।
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के आन्तरिक तत्त्व निम्न है ।

  1. धन्धा के. उद्देश्य
  2. कर्मचारी
  3. संचालकीय ढाँचा

प्रश्न 5.
प्रति व्यक्ति में वृद्धि कब होती है ?
उत्तर :
जिस प्रमाण में आय बढ़े उतने प्रमाण में यदि जनसंख्या में वृद्धि न हो अर्थात् आय वृद्धि की दर जनसंख्या वृद्धि की दर की तुलना में अधिक हो तो प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है ।

प्रश्न 6.
मौद्रिक नीति में कौन-सी बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
मौद्रिक नीति में ब्याज दर में परिवर्तन, मुद्रा स्फीति की दर, शान सर्जन, शान की प्राप्ति आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 7.
राजकोषीय नीति कौन-सी बातों के साथ संकलित है ?
उत्तर :
राजकोषीय नीति कर का ढाँचा और सरकारी खर्च के साथ संकलित है ।

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प्रश्न 8.
सांस्कृतिक तत्त्वों में कौन-सी बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
सांस्कृतिक तत्त्वों में परम्परायें, रीति-रिवाज, रहन-सहन की मान्यताएँ आदत आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 9.
ग्राहक समझ सकें और सरलतापूर्वक उपयोग कर सके इसके लिए बैंको ने किसकी शुरूआत की है ?
उत्तर :
ग्राहक समझ सके और इनका सरलतापूर्वक उपयोग कर सके इसके लिए E-Banking और M-Banking की सेवा बैंको न आरम्भ की है।

प्रश्न 10.
E-Banking और M-Banking की सेवा का लाभ लेने के लिए क्या जरूरी है ?
उत्तर :
E-Banking की सेवा का लाभ के लिये इन्टरनेट कनेक्शन वाला कम्प्यूटर और M- Banking के लिये इन्टरनेट कनेक्शन वाला
मोबाईल फोन सेवा का लाभ लेने के लिये जरूरी है ।

प्रश्न 11.
भारतीय अर्थतंत्र में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का चरण कब आरम्भ हुआ ?
उत्तर :
भारतीय अर्थतंत्र में July, 1991 मास के पश्चात उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का चरण आरम्भ हुआ ।

प्रश्न 12.
विदेशी मुद्रा के लिये भारत में कौन-सा कानून अस्तित्व में है ?
उत्तर :
विदेशी मुद्रा के लिये भारत में FEMA – Foreign Exchange Management Act विदेशी विनिमय संचालन अधिनियम अस्तित्व
में है ।

प्रश्न 13.
भारतीय चलन-रूपया को कौन-सी संज्ञा दी गई है ?
उत्तर :
भारतीय चलन-रुपया को रु. की संज्ञा दी गई है ।

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प्रश्न 14.
FERA के स्थान पर कौन-सा कानून लाया गया ?
उत्तर :
FERA के स्थान पर FEMA कानून लाया गया ।

प्रश्न 15.
वर्तमान में भारत सरकार ने माल और सेवा कर के रूप में कौन-से Tax की प्रक्रिया अपनाई है ?
उत्तर :
भारत सरकार में वर्तमान में माल और सेवा के रूप में GST – Goods and Service Act की प्रक्रिया अपनाई है ।

प्रश्न 16.
विपूँजीकरण अथवा पूँजी विनिवेश (Disinvestment) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ अपनी पूँजी का कुछ भाग सार्वजनिक जनता को खरीदने हेतु आमंत्रण देती है जिन्हें विपूँजीकरण या पूँजी विनिवेश कहते हैं ।

प्रश्न 17.
सार्वजनिक क्षेत्र की बिन कार्यक्षमता के कौन-कौन से कारण थे ?
उत्तर :
सार्वजनिक क्षेत्र की बिन कार्यक्षमता के निम्न कारण थे ।

  1. अमलदार शाही
  2. पुरानी टेक्नोलोजी
  3. घूसखोरी का बढ़ता प्रमाण
  4. दायित्व का अभाव
  5. कर्मचारी संगठनों अथवा संघो का बढ़ता हुआ प्रभाव
  6. राजनैतिक दखल आदि ।

प्रश्न 18.
धन्धाकीय पर्यावरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
धन्धे के आसपास के अनेक तत्त्व प्रभावित करते हैं । इन तत्त्वों के समूह को धन्धाकीय पर्यावरण (Business Environment) कहते हैं ।

प्रश्न 19.
भारत में कौन-से देश की अपेक्षाकृत कम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है ?
उत्तर :
भारत में चीन की अपेक्षाकृत कम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है ।

प्रश्न 20.
धन्धे के कौन-से परिबल पर संचालकों का अधिकांशत: नियंत्रण नहीं होता ?
उत्तर :
धन्धे के बाह्य परिबल पर संचालकों का अधिकांशत: नियंत्रण नहीं होता है ।

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प्रश्न 21.
भारत सरकार ने कौन-सा अर्थतंत्र स्वीकार किया है ?
उत्तर :
भारत सरकार ने मिश्र अर्थतंत्र स्वीकार किया है ।

प्रश्न 22.
विकसित देश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विकसित देश अर्थात् ऐसा देश जिसमें देश की कुल राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय का प्रमाण ऊँचा हो, प्राप्त साधनों का महत्तम विकास हुआ हो ।

प्रश्न 23.
विकासशील देश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विकासशील देश अर्थात् ऐसा देश जिसमें राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय की निरन्तर वृद्धि का लक्षण हो, प्राप्य साधन सम्पत्ति के उपयोग में वृद्धि होती जाती हो, अधिक उत्तम जीवन स्तर के लिए लोगों की भूख सतत बढ़ती जाती हो ।

प्रश्न 24.
WTO संज्ञा समझाइये ।
उत्तर :
WTO अर्थात् World Trade Organisation का संक्षिप्त रूप है । जिसका अर्थ होता है ‘विश्व व्यापार संगठन’ समग्र विश्व को एक ही व्यापार मंच पर इकट्ठा किया जा सके इस उद्देश्य की रचना की गई है । भारत प्रारम्भ से ही इसका सदस्य बना है ।

प्रश्न 25.
GATT संज्ञा समझाइये ।
उत्तर :
GATT अर्थात General Agreement on Trade and Tariff का संक्षिप्त रूप है । अर्थात् व्यापार तथा जकात के बारे में सामान्य करार । भारत सरकार ने अपने देश के उद्योग धन्धों को विदेशी प्रवाहों के साथ जोडने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सन्धि अनुबन्ध जिन्हें GATT कहा जाता है ।

प्रश्न 26.
पूँजीवादी आर्थिक पद्धति अमल में हो तो इसका सीधा अर्थ क्या होता है ?
उत्तर :
पूँजीवादी आर्थिक पद्धति अमल में हो तो इसका सीधा अर्थ होता है ‘मुक्त व्यापार’ की नीति होता है ।

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प्रश्न 27.
पूँजीवादी आर्थिक नीति में उत्पादकों को क्या अधिकार है ?
उत्तर :
पूँजीवादी आर्थिक नीति में उत्पादकों को आर्थिक प्रवृत्ति के सन्दर्भ में समस्त निर्णय लेने का अधिकार होता है ।

प्रश्न 28.
विश्व व्यापार संगठन की रचना किस लिये हई ?
उत्तर :
विश्व व्यापार संगठन की रचना समग्र विश्व में व्यापार उद्योग सम्बन्धी समग्र विश्व को एक ही व्यापार मंच पर इकट्ठा किया जा सके इस उद्देश्य से विश्व व्यापार संगठन की रचना हुई।

प्रश्न 29.
वैश्वीकरण किसे कहते हैं ? इनके कारण किन क्षेत्रों का विकास तीव्र हुआ है ?
उत्तर :
कोई भी देश अपनी सीमा को विदेश व्यापार हेतु मुक्त करे तथा देश के व्यापार-उद्योग को विदेशी प्रवाहों के साथ जोड़ने का प्रयत्न किया जाये तब वैश्वीकरण कहा जाता है । इनके कारण बैंकिंग, बीमा, परिवहन आदि सेवा क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ है ।

प्रश्न 30.
उदारीकरण अर्थात् क्या ?
उत्तर :
उदारीकरण अर्थात् अंकुशित अर्थकारण को छोड़कर व्यापार एवं उद्योग को स्वतंत्रता का वातावरण प्रदान करना ।

प्रश्न 31.
निजीकरण अर्थात् क्या ?
उत्तर :
सार्वजनिक इकाई का संचालन एवं मालिकी निजी इकाईयों को सौंपने की प्रक्रिया निजीकरण कहलाती है ।

प्रश्न 32.
धंधाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण को कौन-से परिबल असर करते है ?
उत्तर :
धंधाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण को आंतरिक एवं बाहरीय परिबल असर करते है । आंतरिक परिबलो में साधन, सुविधा, कंपनी की पूँजी, धन्धा का उद्देश्य, संचालकीय ढाँचा, कर्मचारियों इत्यादि का समावेश होता है । तथा बाहरीय परिबलों में सामाजिक, सांस्कृतिक, टेक्नोलोजिकल, आर्थिक, राजकीय एवं कानूनी परिबलों इत्यादि का समावेश होता है ।

प्रश्न 33.
निर्यात प्रेरित विकास समझाइये ।
उत्तर :
निर्यात प्रेरित विकास अर्थात् व्यापार उद्योगों के द्वारा की जानेवाली आयात-निर्यात के नियंत्रणों को सरल बनाना इससे सभी देशों को एकदूसरे के साथ व्यापार करने के लिए प्रोत्साहन मिले तथा निर्यात को प्रोत्साहन प्राप्त हो ।

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प्रश्न 34.
मिश्र अर्थतंत्र अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जिस अर्थतंत्र में धंधाकीय स्वतंत्रता हो परन्तु सरकार की सम्पूर्ण मालिकी अथवा प्रभुत्व हो उसे मिश्र अर्थतंत्र कहते हैं ।

प्रश्न 35.
विकास प्रेरित निर्यात अर्थात् क्या ?
उत्तर :
विकास प्रेरित निर्यात अर्थात् इस प्रकार की वस्तु निर्यात करना कि जिसके द्वारा विशाल मात्रा में विदेशी चलन या टेक्नोलोजी प्राप्त हो और देश का विकास हो ।

प्रश्न 36.
कौन से सामाजिक परिबल धंधे को असर करते है ।
उत्तर :
समाज के लोगों की रीति रिवाज, जीवनशैली लोगो की मान्यताएँ, धर्म, जाति, संप्रदाय इत्यादि परिबल धंधे पर असर करते है ।

प्रश्न 37.
मुक्त व्यापार अर्थात्त क्या ?
उत्तर :
मुक्त व्यापार अर्थात् इस प्रकार का व्यापार की जिसमें राज्य का हस्तक्षेप कम हो और आर्थिक प्रवृत्तियों के संदर्भ में सभी प्रकार के निर्णय लेने में उत्पादकों को अधिकार प्राप्त हो उसके मुक्त व्यापार कहते हैं ।

प्रश्न 38.
देश के कुल विकास में किन उद्योगो का मुख्य योगदान है ?
उत्तर :
देश के कुल विकास में कृषि क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र और सेवा क्षेत्र के उद्योगो का मुख्य योगदान है ।

प्रश्न 39.
किस देश की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है ।
उत्तर :
किसी भी देश में आवक वृद्धि के समान बस्ती में वृद्धि न हो अर्थात् आय में होने वाली वृद्धि की दर जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक हो तब प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है ।

प्रश्न 40.
अल्पविकसित देश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस देश में धंधाकीय विकास के अवसर मर्यादित हों तथा देश के आवक के पहलू की वृद्धि दर कम हो उसे अल्पविकसित देश कहते हैं।

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प्रश्न 41.
संज्ञाएँ समझाइये ।
(1) F.E.R.A. = Foreign Exchange Regulation Act
को संक्षिप्त में FE.R.A. द्वारा जाना जाता है । विदेश चलन नियंत्रण धारा के नाम से भी जाना जाता है । विदेशी व्यापार पर नियंत्रण रखनेवाली धारा FE.R.A. द्वारा जानी जाती थी लेकिन इसे ई.सन 1999 में FERA को बदलकर FEMA का नाम दिया ।

(2) FEMA = Foreign Exchange Management Act
को संक्षिप्त में FEMA द्वारा जाना जाता है । देश में व्यापार धंधे का विकास हो इस हेतु से विदेशी चलन का प्रवाह ‘भारत की ओर प्रोत्साहित हो इसके लिए तैयार की गई विदेश चलन के संचालन की प्रक्रिया को FEMA कहते हैं ।

(3) M.R.T.P. = Monopoly & Restrictive Trade Practices Act
को संक्षिप्त में M.R.T.P. द्वारा जाना जाता है । भारत में आर्थिक सत्ता के केन्द्रीकरण को दर करने के लिए एवं नियंत्रित व्यापारी नीति-नियमो को रोकने के लिए सरकार ने जो कानून बनाया उसे M.R.T.P. कहते हैं ।

(4) M.R.P. = Maximum Retail Price
को संक्षिप्त में M.R.P. द्वारा जाना जाता है । अधिक से अधिक वस्तु की छपी कीमत ।

प्रश्न 42.
राजकीय तत्त्व किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सरकार के साथ संकलित तत्त्व और जिस पक्ष की सरकार हो उनकी आर्थिक विचारधारा से जुड़े हुए तत्त्वों को राजकीय तत्त्व कहते हैं ।

प्रश्न 43.
विस्तृत रूप लिखिए :

  1. WTO – World Trade Organisation
  2. FERA – Foreign Exchange Regulation Act
  3. FEMA – Foreign Exchange Management Act
  4. EOU – Export Oriented Units
  5. ITC – Indian Tourism Corporation
  6. MNC – Multinational Companies
  7. GATT – General Agreement on Trade and Tariff
  8. MRTP – Monopolies and Restrictive Trade Practices Act
  9. PSU – Public Sector Units
  10. GST – Goods and Services Act
  11. DMAT – Dematerlisation
  12. M-Banking – Mobile Banking
  13. E-Banking – Electronic Banking
  14. MJ – Music Jockey
  15. RJ – Radio Jockey
  16. FM – Frequency Modulation
  17. FDI – Foreign Direct Investment
  18. RBI – Reserve Bank of India

प्रश्न 44.
राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य/हेतु बताइये ।
उत्तर :
राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य निम्न है :

  1. साधन-सम्पत्ति का महत्तम उपयोग करना
  2. तीव्र विकास के लिये साधन-सम्पत्ति का श्रेष्ठतम उपयोग करना
  3. आय के वितरण जहाँ तक सम्भव हो वहाँ तक समानता लाना
  4. चीज वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में स्थिरता लाना ।

प्रश्न 45.
राजकोषीय नीति के महत्त्वपूर्ण पहलू कितने व कौन-कौन से है ?
उत्तर :
राजकोषीय नीति के दो महत्त्वपूर्ण पहलू है ।

  1. कर का ढाँचा व्यक्ति को, इकाई को और समग्र उद्योग को किस तरह प्रभावशाली होता है ।
  2. सरकारी खर्च के कारण आर्थिक प्रवृत्तियों पर कितना प्रभाव होता है ।

3. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :

प्रश्न 1.
धन्धाकीय पर्यावरण का अर्थ बताकर उनको प्रभावित करने वाले तत्त्वों को नाम बताइये ।
उत्तर :
धन्धाकीय पर्यावरण में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, टेक्नोलोजिकल, राजकीय, कानूनी आदि तत्त्वों का समावेश होता है । इसके अलावा कई समूह जैसे कि ग्राहक, कर्मचारी, स्पर्धी, माल प्रदान करने वालों का समावेश भी धन्धाकीय पर्यावरण में होता है ।
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GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 12 धन्धाकीय (व्यवसायिक) पर्यावरण

प्रश्न 2.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण का निरन्तर अध्ययन क्यों जरूरी है ? ।
उत्तर :
धन्धाकीय पर्यावरण का निरन्तर अध्ययन इसलिये जरूरी है कि धन्धाकीय पर्यावरण संचालकों को निरन्तर सीखने के लिए एक आधार प्रदान करते है । धन्धाकीय पर्यावरण के निरन्तर अध्ययन के कारण धन्धा का कद और लाभ में वृद्धि होती रहती है, पूँजी बाजार की स्थिति, धन्धा के उत्पाद की भविष्य में माँग आदि जान सकते है । जिसके कारण धन्धाकीय इकाई अपना आयोजन बना सकती है । उदाहरण के तौर पर कम्प्यूटर के क्षेत्र में निरन्तर नये-नये सोफ्टवेर तथा हार्डवेर की खोज होती रहती है. जिससे इस क्षेत्र में स्थित लोगों को निरन्तर अध्ययन करना पड़ता है तथा कम्प्यूटर क्षेत्र के धन्धे का विकास क्रमश: बढ़ रहा है ।

3. धंधाकीय पर्यावरण को प्रभावित करने वाले आर्थिक परिबल/तत्त्व का अर्थ बताकर इसमें समाविष्ट बातों की मात्र सूची बताइये ।
उत्तर :
आर्थिक तत्त्व (Economic factor): किसी भी समाज या देश में धन्धाकीय निर्णयो पर सम्बन्धित समाज की या देश की आर्थिक
विशेषताओं या मर्यादाओं का प्रत्यक्ष प्रभाव होता है । धन्धे के विकास का स्वरूप अधिकांशतः आर्थिक मामलों पर विशेष आधार रखता है । आर्थिक तत्त्वों में निम्न बातों का समावेश होता है :

  1. आर्थिक पद्धति
  2. आर्थिक विकास की मात्रा
  3. क्षेत्रीय विकास और अन्तरक्षेत्रीय संमिश्रण
  4. राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय
  5. राष्ट्रीय आय का वितरण
  6. मौद्रिक नीति
  7. राजकोषीय नीति
  8. अन्य तत्त्व ।

प्रश्न 4.
धन्धाकीय पर्यावरण का सामाजिक तत्त्व के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
धन्धाकीय पर्यावरण का सामाजिक तत्त्व (Social Factor) – किसी भी धन्धाकीय प्रवृत्ति का सृजन, वृद्धि और अन्त समाज में ही आता है । धन्धाकीय प्रवृत्ति को समाज से अलग करके देखा नहीं जा सकता । समाज अर्थात मानव समुदाय, सामाजिक संस्थाएँ, सामाजिक परम्पराएँ आदि । समाज निरन्तर गतिशील होता है इसके लिए समाज का रहन-सहन, जीवनशैली हमेशा एक समान नहीं रहती जिससे उसमें आनेवाले परिवर्तन धन्धाकीय तत्त्व को भी प्रभावित करते है ।

प्रश्न 5.
धन्धाकीय पर्यावरण का राजकीय तत्त्व अर्थात क्या ?
उत्तर :
धन्धाकीय पर्यावरण का राजकीय/राजनीतिक तत्त्व (Political Factor) – सरकार के साथ में संकलित तत्त्व तथा जिस राजनीतिक पक्ष की सरकार होती हो उनकी आर्थिक विचारधारा के साथ में संकलित तत्त्वों को राजनीतिक तत्त्व कहते हैं । देश अथवा राज्य में जिस पक्ष की सरकार है, सरकार का उद्योगों के प्रति रूझान अथवा व्यवहार, हित रखनेवाले समूहों द्वारा होने वाला प्रचार, नियम बनाने में तथा उनका अमल करने में सरकार की सक्रियता, राजनीतिक पक्षों अपनी विचारधाराओं आदि का समावेश राजनैतिक तत्त्वों में होता है ।

प्रश्न 6.
उदारीकरण का अर्थ बताइये ।
उत्तर :
उदारीकरण (Liberalisation) अर्थात् व्यापार धन्धा के लिये नियंत्रित अर्थतंत्र के मार्ग छोड़कर उन्हें स्वतंत्रता के मार्ग पर प्रगति करने का एक प्रयत्न है । उदारीकरण के भाग के रूप में नियंत्रण क्रमशः कम किये गये तथा कितने ही क्षेत्रों में दूर कर दिये गये ।

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प्रश्न 7.
निजीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सार्वजनिक साहसों का संचालन और मालिकी निजी व्यक्ति अथवा निजी पीढ़ी को सौंपने की प्रक्रिया अर्थात् निजीकरण ।

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण का महत्त्व क्यों है ?
उत्तर :
वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र का तीव्र विकास के लिये वैश्वीकरण जिम्मेदार बना है । बैकिंग, बीमा, परिवहन, संदेश व्यवहार क्षेत्र में देश की राजकीय सीमा की मर्यादाएँ दूर होती है और कम्पनियाँ ऐसी सेवाओं को विश्व के अधिकांश देशों तक पहुँचा सकते है । अर्थात् कि समग्र विश्व एक गाँव (Global Village) बना है । विश्व का ग्राहक बाजार विकसित होता जा रहा है और अब भारत भी इस व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण भाग बन रहा है ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के मुद्दासर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
धन्धाकीय पर्यावरण का अर्थ समझाकर इनका महत्त्व स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
पर्यावरण का अर्थ : धन्धाकीय इकाई को असर करने वाले आस-पास के समूहों को धन्धाकीय पर्यावरण (Business Environment) कहते हैं ।

पर्यावरण यह सामाजिक, राजकीय, आर्थिक और कानूनों का समूह है जो धंधे के विकास एवं पतन का सर्जन करता है ।। आर्थर एम विमर के मतानुसार ‘धन्धाकीय पर्यावरण अर्थात् आर्थिक, सामाजिक, राजकीय, कानूनी और तकनीकि परिबलों का समूह है । जिससे धंधाकीय प्रवृत्ति की जाती है ।’

धंधाकीय इकाई के संचालकों के द्वारा धंधाकीय पर्यावरणों का ध्यान में रखते हुए संचालन करना होता है । जैसे सन 1986 में ग्राहक सुरक्षा एक्ट अमल में आया तब से मालिकों, उत्पादकों एवं व्यापारियों के द्वारा ग्राहकों को योग्य सेवा प्रदान करने का निर्णय लिया गया । इससे ग्राहकों का शोषण से मुक्ति एवं योग्य लाभ प्राप्त हुआ है । कई इकाईयों में कम्प्यूटर द्वारा कार्य किया जाता है । तथा इकाईयों ने प्रदुषण अंकुश के हेतु का पालन करने के लिए प्रदूषण निराकरण के कई पहलूओं को अपनाया गया है ।

धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण का महत्त्व (उपयोगिता) :
(1) लाभ के अवसर का सृजन : धंधाकीय पर्यावरण अनेक लाभ के अवसरों का सर्जन करता है । जो संचालक इन अवसरों को ध्यान में लेकर प्रवृत्ति करते हैं । वे अपनी स्पर्धात्मक इकाई की स्पर्धा में आगे रहते हैं । और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं । जैसे लोहे के अधिक उपयोग के स्थान पर फाइबर की सामग्री का उपयोग वाहनो में करने से वाहन बनानेवाली कंपनी बाजार में अधिक लाभ प्राप्त करती है ।

(2) महत्त्वपूर्ण निर्णय लेना अथवा संचालकों की संवेदनशीलता : धंधाकीय पर्यावरण द्वारा धंधे की सफलता के लिए योग्य निर्णय लेने में सहायक (मददरूप) बनते हैं । योग्य निर्णय लेने से धंधे का विकास एवं प्रगति निश्चित होती है । जैसे वस्तु बाजार में ग्राहकों की व्हील साबुन की मांग कम होने पर उत्पादक व्हील पावडर का अधिक उत्पादन करते हैं । जिससे उत्पादक ग्राहकों की मांग के अनुसार वस्तु की पूर्ति करने में सफल बनता है ।

(3) नीति विषय निर्णय लेने में आधार रूप पर्यावरण की पहचान : धंधाकीय नीतियों की रचना, नीतियों का पालन तथा नीतियों की सफलता एवं निष्फलता के संजोगो का मूल्यांकन किया जा सकता है । और इकाई भविष्य के लिए आयोजन कर सकता है । जैसे वर्तमान समय में भारत का प्रवासन उद्योग यह विशाल उद्योग है । इसके बावजूद भी समग्र विश्व की तुलना में भारत का स्थान काफी पीछे है । अत: इस समय पर कोई कंपनी अलग-अलग स्थानों पर होटलों की स्थापना करने का नीतिविषयक निर्णय लेकर अन्य स्पर्धात्मक कंपनी का सामना कर सकती है । वर्तमान में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भी स्वीकारा गया है ।

(4) सतत अध्ययन हेतु पर्यावरण : धंधाकीय संचालकों को सतत नए-नए पहलूओं के अध्ययन हेतु आधार प्रदान करता है । इन नवीनतम पहलूओं का विशेष अध्ययन करके इकाई में संचालन की प्रवृत्ति की जाए तो इकाई का विकास एवं लाभ के अवसर प्राप्त कर सकते हैं । जैसे कम्प्यूटर के क्षेत्र में नई-नई टेक्नोलोजी का उपयोग होता है । इसका लगातार अध्ययन किया जाए और नए परिवर्तनों के साथ प्रवृत्ति की जाए तो कम्प्यूटर के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।

(5) हानिकारक जोखिमों से बचने के लिए : धंधाकीय पर्यावरण में इकाई को असर करने वाले आंतरिक एवं बाहरीय परिबलों पर विचार किया जाता है । पर्यावरण से इकाई को भविष्य में कोई नुकसान हो सकता है । इसका अध्ययन किया जाता है । जिसके संचालक इकाई और पर्यावरण के बीच संकलन रखते हैं ।

(6) पूँजी विनिमय के निर्णय हेतु : धंधाकीय पर्यावरण के परिबलों का अध्ययन करने से पूँजी विनियोग करना योग्य है या नहीं इसका निर्णय लिया जा सकता है । जैसे स्थिर पूँजी, कार्यशीलपूँजी, सार्वजनिक बचत, ऋणपत्र, प्रेफेरेन्स शेयर इन समग्र पूँजी प्राप्त करने के प्राप्ति स्थान तथा विनियोग को की रूचि की जानकारी धंधाकीय पर्यावरण के अध्ययन से प्राप्त होती है ।

(7) भय स्थानों की पहचान : निरन्तर बदलने रहता धन्धाकीय पर्यावरण में कई भयस्थान रखता है । कई उत्पादों अथवा सेवाओं को ग्राहक अमुक समय के पश्चात स्वीकार नहीं करते । ऐसे भय स्थानों की पहचान होने से धन्धा में आवश्यक परिवर्तन अनिवार्य हो जाता है । जैसे भारत में रेडियो की प्रचलितता आरम्भ के वर्षों में बहुत अधिक थी, लेकिन रंगीन टेलीविजन के आने से रेडियो का महत्त्व घटने लगा था । रेडियो की सेवा में परिवर्तन लाया गया । वर्तमान में रेडियो की सेवा FM द्वारा प्राप्त बनी है । FM रेडियो की विविध चेनलों द्वारा उद्घोषक अपने को RJ (Radio- Jockey) या MJ (Music Jockey) के रूप में पहचाना जाता है और FM बेन्ड रेडियो उनकी विविध चेनलो द्वारा प्रचलित बना है ।

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2. धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले आर्थिक तत्त्व के बारे में समझाइये ।
उत्तर :
आर्थिक तत्त्व (Economic Factors) : किसी भी देश के समाज में धंधाकीय निर्णय लेते समय उसी समाज के देश की आर्थिक
समस्याओं को प्रत्यक्ष असर होती है । धंधे के विकास की कक्षा एवं धंधे के विकास का स्वरूप लगभग आर्थिक समस्याओं पर . आधारित होता है । इस सम्बन्ध में निम्न मुद्दो पर चर्चा करना आवश्यक है ।

(i) आर्थिक पद्धति (Economic System) : किसी भी देश की आर्थिक प्रवृत्ति की रचना एवं दिशा निश्चित करने में आर्थिक पद्धति विशेष महत्त्वपूर्ण भाग अदा करती है । जिस देश में पूँजी वादी आर्थिक हित को विशेष महत्त्व दिया जाता है । इससे विपरीत सम्पूर्ण समाजवादी, आर्थिक पद्धति हो तब उसमें उत्पादन, उपयोग, इत्यादि निर्णय सरकार के हस्तगत होने से व्यक्तिगत प्रोत्साहनो का अभाव देखने को मिलता है । जब मिश्र अर्थतंत्र हो तब अनेक क्षेत्रों में धंधाकीय स्वतंत्रता देखने का मिलती है । अर्थात कई क्षेत्र निजीक्षेत्र के हस्तगत तो कई क्षेत्र सम्पूर्णतः सरकार के हस्तगत देखने को मिलते हैं । संक्षिप्त में आर्थिक पद्धति धंधाकीय ढांचा निश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भाग अदा करती है ।

(ii) आर्थिक विकास की मात्रा (Degree of Economic Development) : देश विकसित है । अल्पविकसित है या विकासशील है । इस प्रकार की तीन विकास की कक्षा है । इन विकास की कक्षा का आधार धंधाकीय इकाई की अनुकूलता एवं प्रतिकूलता पर निर्भर करती है । जिस देश में कुल आवक एवं प्रति व्यक्ति आवक का प्रमाण अधिक होता है । तथा उपलब्ध साधनों का महत्तम उपयोग किया जाता है । यह सब पहेलु देश में अधिक से अधिक औद्योगिकरण के विकास कोप्रभावित करता है । जो देश विकासशील है । उसमें राष्ट्रीय आवक एवं व्यक्तिगत आवक में सतत वृद्धि की ओर है । तथा उपलब्ध साधन सम्पत्तियों का उपयोग तीव्र गति से बढ़ता जाता है । तथा लोगों का जीवन का स्तर भी बढ़ता है । यह सब व्यापार धंधे एवं धंधाकीय इकाईयों के लिए अनुकूलता दर्शाते है । अल्पविकसित देशों में आवक का प्रमाण बहुत ही कम होता है । जो धंधे के विकास के अवसर को मर्यादित बनाते हैं । अर्थात् आर्थिक विकास की परिस्थितियाँ धंधाकीय विकास को प्रेरक या अवरोधक बनाने में सहकार प्रदान करती है ।

(iii) क्षेत्रीय विकास और आंतर क्षेत्रीय संविलियन (Sectoral Growth and Interesectoral Combination) : देश के विकास में कृषि क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र एवं सेवा के क्षेत्र का विशेष महत्त्व है । जिस देश की अधिकांश जनसंख्या कृषिक्षेत्र में से अपना जीवन वाहन करती है । उस देश में कृषिक्षेत्र के कारण अधिक विकास होगा तथा हम कह सकते हैं कि उस देश में कृषिक्षेत्र के कारण देश का विकास हो रहा है । तथा देश की अधिकांश राष्ट्रीय सम्पत्ति का उपयोग भी कृषि देश के विकास के लिए होता है । ऐसा होने से देश में औद्योगिक विकास कम होगा औद्योगिक क्षेत्र में सम्पत्ति का अधिक उत्पादन होता है । भौतिक चीजवस्तुओं के उत्पादन के साथ-साथ मानव शक्ति का भी विशेष उपयोग होता है । इससे नई खोजें, इकाई के नवीनीकरण की प्रक्रिया को अधिक प्रलोभन मिलता है । इनके कारण धंधाकीय इकाईयों के अवसरों में वृद्धि होती है । तथा सेवा के क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक सेवा का समावेश होता है ।

इससे वाहन व्यवहार, बेकिंग, प्रवासन, शिक्षण, आरोग्य इत्यादि सेवाओं का प्रमाण बढ़ने से विनियोग इन सभी में अपनी पूँजी का विनियोग करते है । उतने प्रमाण में ही विकास की संभावनाएँ बढ़ती जाती है । इस प्रकार जैसे-जैसे लोगों का मंतव्य कृषिक्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं सेवा के क्षेत्र में बढ़ता जाता है । वैसे-वैसे धंधाकीय इकाई के अवसरों में भी वृद्धि होती रहती है । सम्पूर्ण क्षेत्रों का विकास होने पर ही देश का विकास आधार रखता है । जैसे कृषिक्षेत्र का विकास करना हो तो नए-नए बीजों, खाद, यांत्रिकरण की मांग में वृद्धि होगी इनकी प्राप्ति सरल हो इसलिए वाहन व्यवहार की सेवा का महत्त्व बढ़ेगा अत: कृषिक्षेत्र का विकास करने के लिए उद्योग एवं सेवा के विकास की सम्भावनाएँ भी बढ़ती है ।

(iv) राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय (National and Pre-Capital Income) : राष्ट्रीय आवक में वृद्धि यह धंधे के विकास के लिए अनुकूल परिबल है । जिस प्रमाण में राष्ट्रीय आवक बढ़ती है । उतने प्रमाण में जनसंख्या में वृद्धि न हो तो स्वाभाविक है । कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से जीवन जरूरी एवं अन्य वस्तुओं की मांग बढ़ती है । यह धंधे के लिए अनुकूल परिबल है । जब किसी व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकताओं की संतुष्टि हो जाने पर व्यक्ति के पास में शेष अतिरिक्त बचत का उपयोग व्यक्ति माजशान । की वस्तु खरीदने में करता है । जिससे वस्तु का उत्पादन बढ़ेगा यह धंधे के लिए अनुकूल परिबल है ।

(v) राष्ट्रीय आवक का वितरण (Distribution of National Income) : देश की राष्ट्रीय आवक का वितरण एक समान नहीं होता । राष्ट्रीय आवक में से अधिकांश भाग के लोग अधिक हिस्सा रखते हैं । तो अधिकांश लोग कम हिस्सा रखते हैं । अर्थात् राष्ट्रीय आवक के वितरण में असमानता रहती है । जिससे धनिक वर्ग एवं गरीब वर्ग बनते है । दूसरी तरह से कहे तो राष्ट्रीय आवक का असमान वितरण मोजशोख एवं प्रतिष्ठायुक्त वस्तु की मांग में वृद्धि करता है ।

(vi) मौद्रिक नीति (Monetary Policy) : मौद्रिक नीति में ब्याज के दर में परिवर्तन, मुद्रा स्फीति की दर, शान सृजन, शान की प्राप्ति आदि का समावेश होता है । जैसे मकान हेतु लोन के ब्याज दर में कमी होने के कारण मकानों की माँग बढ़ती है और इससे सम्बन्धित अन्य उद्योग जैसे कि स्टील, फर्नीचर, रेती, कपची, ईंटे आदि की माँग भी वृद्धि होती है ।

(vii) राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) : राजकोषीय नीति कर का ढाँचा और सरकारी खर्च के साथ जुड़ा हुआ है । राजकोपीय नीति के मुख्य उद्देश्य निम्न होते है ।

  1. साधन-सम्पत्ति का महत्तम उपयोग करना
  2. शीघ्र विकास हेतु साधन-सम्पत्ति का श्रेष्ठतम वितरण करना
  3. आय के वितरण में समानता लाना ।
  4. चीज वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य में स्थिरता लाना । राजकोषीय नीति के दो महत्त्वपूर्ण पहलू दृष्टिगत होते है ।
    1. कर का ढाँचा व्यक्ति को, इकाई को और समग्र उद्योग को किस तरह असरकारक होता है ।
    2. सरकारी खर्च के कारण आर्थिक प्रवृत्तियों में कितना असर होता है ।

(vii) अन्य तत्त्व (Other Factors) : अन्य तत्त्वों में जैसे कि कच्चा माल और उनकी पूर्ति, यंत्र सामग्री, मौद्रिक सुविधाएँ, मानव शक्ति और उत्पादकता आदि भी धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण आर्थिक तत्त्व है जो धन्धे पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालते है ।

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प्रश्न 3.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्त्व और सांस्कृतिक तत्त्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण का सामाजिक तत्त्व (Social Factor) : प्रत्येक धंधाकीय इकाई की स्थापना में समाज का ही मुख्य आधार है । मानव सामाजिक प्राणी है । समाज में ही रहता है । मानव के द्वारा ही इकाईयों की स्थापना समाज के लिए ही की जाती है । अत: आज के वर्तमान समय में इकाई की समाज के प्रति अनेक जिम्मेदारियाँ है ।

समाज प्रत्येक व्यवसायिक इकाई का उदभव स्थान है । समाज के रीति रिवाज, परम्पराएँ, जीवनशैली, समाज की रूचि, पसंदगी हमेशा एक समान नहीं रहती प्रत्येक समाज अपने का एक आदर्श समाज बनाना चाहता है । इसलिए इनमें परिवर्तन देखने को मिलता है । जिससे व्यवसायिक इकाई की प्रवृत्तियों में उद्देश्य में परिवर्तन करना आवश्यक बनता है । कारण कि धंधा उद्योग, व्यवसाय, रोजगार इत्यादि भी समाज का ही एक भाग है । जिससे समाज को असर करने वाले सभी परिबल व्यवसायिक इकाई को भी असर करते हैं ।

धंधाकीय पर्यावरण को समाज में रहनेवाले व्यक्ति की रुचि, पसंदगी, फेशन, आदत, रीतरिवाज, धर्म, जाति, संप्रदाय, मान्यताएँ इत्यादि प्रभावित करती हैं । जिसके व्यवसायिक इकाई में सम्पूर्ण प्रभावों को दूर नहीं किया जा सकता परंतु अधिकांशतः प्रभावी को दूर करके इकाई की प्रवृत्तियाँ की जाती हैं । जैसे बालविवाह, कर्मकांड, पर्व दिवाली, होली, उत्तरायण इन त्यौहार पर विशेष वस्तु की विशेष मांग होती है ।

सांस्कृतिक तत्त्व (Cultural Factor) : सांस्कृतिक तत्त्व भी धन्धाकीय प्रवृत्तियों को प्रभावित करते है । इन परिबलों/तत्त्वों में परम्पराएँ, रीति-रिवाज, रहन-सहन की मान्यताएँ, आदत आदि का समावेश होता है जो कि इकाई की निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करता है ।

धन्धे के संचालकों द्वारा कई बार सांस्कृतिक तत्त्वों की अवगणना करते है जिससे व्यहरचना असफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है । सुदृढ़ संचालकों द्वारा उत्पादित उत्पाद सांस्कृतिक तत्त्वों की उपेक्षा के कारण बाजार में असफलता मिलती है । सामनेवाले पक्ष को बहुत से उत्पाद आर्थिक रूप से स्वीकार्य न होने से भी सांस्कृतिक तत्त्वों के स्वीकारने से सफलता मिलती है ।
सांस्कृतिक तत्त्वों में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है और यह परिवर्तन क्रमश: और स्थिर रूप से चलते रहते है ।

4. उदारीकरण (Liberalisation) का अर्थ एवं उदारीकरण के भाग के रूप में कौन-से कदम उठाये गये है ?
उत्तर :
उदारीकरण अर्थात् व्यापार धन्धे के लिये अंकुशित अर्थतंत्र के मार्ग को छोड़कर उन्हें मुक्ति के मार्ग पर प्रगति कराने का प्रयत्न । उदारीकरण के भाग के रूप में नियंत्रण क्रमश-कम किये गये और कितने ही क्षेत्रों में दूर कर दिये गये । उदारीकरण के भाग के रूप में उठाये गये कदम निम्नलिखित हैं :

(1) भारतीय उद्योगों में विदेशी पूँजी निवेशो पर प्रतिबन्ध था जो कि हटाया गया है तथा विदेशी धन्धार्थियों या निवेशकर्ताओं को उद्योगों में निवेश करना हो तो उनके लिए महत्तम मर्यादा बढ़ाई गई है । तथा इनको आकर्षित करने के लिए आर्थिक व अनार्थिक प्रोत्साहन और विविध प्रार की आर्थिक छूटछाट भी दी जा रही है ।

(2) एकाधिकारी प्रतिबन्धक व्यापार अधिनियम (MRTP) में से एकाधिकार सम्बन्धि प्रतिबन्ध अब क्रमशः समाप्त हो गये हैं । अवांछित
व्यापार प्रवृत्ति पर नियंत्रण सकारात्मक रूप से जारी हैं ।

(3) लायसेन्स लगभग समाप्त हो गये है । 1991 में सुधार के प्रारम्भ में बहुत कम उद्योग लायसेन्स के अन्तर्गत थे । जो उदारीकरण से पूर्व अधिक संख्या में थे । वर्तमान में नहिंवत है ।

(4) सरकार ने करढाँचे को पारदर्शी व सरल बनाये रखने के लिये कदम उठाये है । आबकारी कर, विक्रय कर, लाभ का कर आदि कर ढाँचे को सरल बना दिया गया । वर्तमान में भारत सरकार ने माल व सेवा कर (GST – Goods and Service Act) लागू करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है । जो कि कर डाँचे को पारदर्शक बनाने की दिशा में महत्त्व का कदम है ।

(5) विदेशी विनिमय संचालन अधिनियम FEMA – Foreign Exchange Management Act अस्तित्व में है, जो कि विदेशी विनिमय
नियमन (नियंत्रण) अधिनियम FERA – Foreign Exchange Regulation Act के स्थान पर आया है । देश के व्यापार उद्योग
धन्धों के विकास के अनुरूप विदेशी मुद्रा का प्रवाह भारत की ओर खींचे, उस तरह से विदेशी मुद्रा का संचालन करना चाहिए ।

(6) भारत में चलन रूपया को नई संज्ञा ‘रु.’ दी गई । भारतीय चलन को कई शर्तों के अधीन मुक्त कर दिया गया है ।

(7) भारत में अधिक से अधिक से शेयर बाजार के क्षेत्र में आ सके इसके लिये शेयर बाजार की शेयर खरीदी की प्रक्रिया को सम्पूर्ण पारदर्शी बनाने के लिये विविध प्रकार के कदम उठाये गये । शेयर के भौतिक स्वरूप को इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में अर्थात DMAT – Dematerilisation स्वरूप में बदल सकते है । शेयर बाजारों में शेयर का क्रय-विक्रय, उनकी सुपुर्दगी तथा शेयर की खरीदी के समय रकम का भुगतान अथवा विक्रय की रकम प्राप्त करने की विधि अधिक पारदर्शी तथा अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्ड के अनुसार निर्मित की गई ।

(8) भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में बैंको ने बचत पर तथा ऋण पर के ब्याज की दर तय करने के लिये कई शर्तों के अधीन वर्तमान में स्वतंत्रता दी है जो कि पहले नहीं मिलती थी ।

(9) वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात अब अधिक सरल बनी है तथा उनका भुगतान विदेशी मुद्रा में करना भी सरल बना है । भारतीय लोग विदेश में घूमने जाये, अपने बालकों को विदेश में पढ़ने हेतु अथवा विदेशों में सम्पत्ति का क्रय या निवेश हेतु विदेशी मुद्रा की उपलब्धता कई शर्तों के अधीन सरल बनी है ।

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5. निजीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव बताइए ।
अथवा
निजीकरण (Privatisation) का अर्थ और इसके लाभ व दोष बताइए ।
उत्तर :
सार्वजनिक साहसों की मालिकी और संचालन पर का नियंत्रण निजी क्षेत्र की इकाईयों अथवा कम्पनी को सौंपना अर्थात् कि । सार्वजनिक साहसों का संचालन और मालिकी निजी इकाईयों को सौंपने की प्रक्रिया अर्थात् निजीकरण ।

लाभ : निजीकरण के लाभ अर्थात् निजीकरण के सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं :

  1. कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।
  2. राजनैतिक दखलगीरी का अभाव देखने को मिलता है ।
  3. गुणवत्तायुक्त वस्तु अथवा सेवा का लाभ प्राप्त करना ।
  4. व्यवस्थित बाजार संचालन (Marketing)
  5. अत्याधुनिक नई टेक्नोलोजी का उपयोग किया जाता है ।
  6. दायित्व के मापदण्डों की स्थापना और उनका अमल होता है ।
  7. स्पर्धा के वातावरण का निर्माण होता है ।
  8. ढाँचागत सुविधाओं का सृजन होता है ।
  9. उत्पादन के विविध साधनों का महत्तम उपयोग होता है ।
  10. नये-नये संशोधन का लाभ प्राप्त करना ।
  11. सृजनात्मक तथा नवीनता का लाभ कमाना ।

दोष अथवा निजीकरण के नकारात्मक प्रभाव :
निजीकरण के दोष/नकारात्मक प्रभाव निम्न होते है :

  1. निजीकरण की व्यवस्था अपनाने से कर्मचारियों का शोषण होता है ।
  2. इस प्रकार की व्यवस्था में ग्राहकों का शोषण होता है ।
  3. इनमें उच्च संचालकों द्वारा अधिकार का दुरुपयोग दृष्टिगत होता है ।
  4. निजीकरण से आय औस सम्पत्ति का असमान वितरण का दोष देखने को मिलता है ।
  5. इनमें लाभ को अधिक प्राथमिकता दी जाती है ।
  6. इनमें कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा का अभाव दिखाई देता है ।
  7. निजीकरण अपनाने से इकाइयाँ भेदभाव पूर्ण नीति भी अपनाती है ।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए ।

प्रश्न 1.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण का अर्थ बताते हुए इनका अध्ययन क्यों जरूरी है वह बताइये ।
उत्तर :
किसी भी धन्धे को आसपास के अनेत तत्त्व प्रभावित करते हैं । इन तत्त्वों के समूह को धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण (Business
Environment) कहते हैं ।

धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण ऐसे तत्त्वों का समूह है जो व्यवसाय में नवीन अवसरों और नवीन आहवानों का सृजन करत है । जिनमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, कानूनी, टेक्नोलोजिकल एवं सांस्कृतिक तत्त्वों का समावेश होता है ।

धन्धाकीय पर्यावरण का अध्ययन इसलिए जरूरी होता है कि धन्धाकीय पर्यावरण के लाभ अथवा महत्त्व होते है । महत्त्व का वर्णन देखिये स्वाध्याय का प्रश्न संख्या 4 मुद्दासर प्रश्न का 1 प्रश्न के उत्तर में ।

प्रश्न 2.
‘धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के अवसर भी सृजित होते है और अवरोध भी सर्जित होते हैं ।’ समझाओ ।
उत्तर :
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण के अवसर भी सृजित होते है और अवरोध भी सर्जित होते है । उपरोक्त कथन सत्य है क्योंकि
धन्धाकीय पर्यावरण ऐसे तत्त्वों का समूह है जो धन्धे में नवीन अवसरों और नवीन आह्वानों का सर्जन करते हैं । धन्धाकीय प्रवृत्ति में विविध निर्णय लेते समय उनको ध्यान में लेना पड़ता है । धन्धाकीय पर्यावरण में ऐसे तत्त्वों तथा नियंत्रणों का समावेश होता है कि जिनके उपर सामान्य परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति, पीढ़ी, संचालक या उद्योग का नियंत्रण नहीं होता । पीढ़ी और उनके संचालकों को उस पर्यावरण में ही कार्य करना पड़ता है ये तत्त्व समयांतर पर देश की परिवर्तित हो रही स्थिति में परिवर्तित होते हैं । और उनके अनुसार नीति का निर्माण होता है ।

इस प्रकार धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण एक ऐसे तत्त्वों का समूह है कि जिनका प्रभाव धन्धे पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से होता है । इन तत्त्वो पर निरन्तर दृष्टि रखना और उनके अनुसार धन्धे का संचालन करना किसी भी संचालक के लिये आवश्यक है । धन्धाकीय पर्यावरण के कारण अवरोध भी सर्जित होते है तथा अवसर भी सर्जित होते है । आर्थिक परिस्थिति, रीति-रिवाज, सरकारी नियंत्रण, प्राकृतिक साधनों की उपलब्धता, कर्मचारियों/श्रमिकों की प्राप्ति आदि अवरोध पैदा होते है । जैसे राजकीय और अमलदारशाही के कारण भारत में चीन की अपेक्षाकृत कम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है । दूसरी तरफ ग्राहकों की आर्थिक स्थिति और चयन के कारण भारत में ऐयरकन्डीशनर्स की मांग निरन्तर बढ़ रही है जिसके कारण बहुत-सी स्थानिक तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियोंने अपने विविध मोडल्स द्वारा भारतीय बाजार में महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया है । उत्तम टेक्नोलोजी, सतत संशोधन तथा विकास और जीवन स्तर में निरन्तर सुधार के कारण उत्पादों और सेवाओं का विस्तार और वृद्धि होने से नये धन्धाकीय अवसरों का निर्माण होता है ।

प्रश्न 3.
धन्धाकीय/व्यवसायिक पर्यावरण को प्रभावित करने वाले टेक्नोलोजिकल तत्त्व, राजनैतिक तत्त्व और काननी तत्त्व के बारे में समझाइये ।
उत्तर :
(1) टेक्नोलोजिकल तत्त्व (Technological Factor) : ऐसे तत्त्वों में किस प्रकार की टेक्नोलोजी का उपयोग करना इनका समावेश होता है । कौन-से प्रकार की टेक्नोलोजी का उपयोग करके वस्तु या सेवा का उत्पादन करना तथा वस्तु या सेवा में किस प्रकार की टेक्नोलोजी अपनाई जा सके जिससे वस्तु या सेवा का उपयोग लोगों को करने में सरल हो सके । टेक्नालाजिकल परिवर्तन बड़े पैमाने में तेजी से हो रहे है जिसके लिये देश के अन्दर होनेवाले संशोधन या विकास अथवा विदेशो से होने वाला आयात प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होता है । भारत में एक स्तर पर यंत्रों का कम उपयोग करके अधिक रोजगारी देने की बात . को स्वीकारा था परन्तु उदार औद्योगिक नीति के भाग के रूप में ऐसा स्वीकारा गया कि यंत्रों का महत्तम उपयोग करना चाहिये । अभी कई उद्योगों में यंत्र मानव (Robot) का उपयोग भी गुणवत्तायुक्त, थोकबंद और निरन्तर उत्पादन हेतु करते है । बैंको ने भी सामान्य लोगों को बैंकिंग स्विधा मिल सके इस हेतु E-Banking एवं M-Banking की सुविधा प्रदान की है ।

(2) राजनीतिक तत्त्व (Political Factor) : सरकार के साथ में संकलित तत्त्व तथा जिस पक्ष की सरकार होती हो तो उनकी आर्थिक
विचारधारा के साथ में संकलित तत्त्वों को राजनीतिक तत्त्व कहते हैं । देश अथवा राज्य में जिस राजनीतिक पक्ष की सरकार है, सरकार का उद्योगो के प्रति रूझान अथवा व्यवहार, हित रखनेवाले समूहों द्वारा होने वाला प्रचार, नियम बनाने में तथा अमल करने में सरकार की सक्रियता, राजनीतिक पक्षों अपनी विचारधारायें आदि का समावेश राजनीतिक तत्त्वों में होता है । उदाहरण पश्चिम बंगाल में टाटा ग्रुप की टाटा मोटर्स कम्पनी की ‘नेनो’ मोटर कार के प्रोजेक्ट के लिये प्रचण्ड विरोध होने से टाटा ग्रुप ने अपना प्लान्ट हटाने का निर्णय लिया तब गुजरात सरकार ने टाटा मोटर्स को इस प्रोजेक्ट के लिये अनेक प्रोत्साहन देने की शतं पर साणंद के समीप प्लान्ट की स्थापना करने हेतु आमंत्रण दिया था । जिनको टाटा कम्पनी ने स्वीकार किया, गुजरात सरकार उद्योग साहसिकों को उदारतापूर्वक स्वीकार करती है ऐसा वातावरण उत्पन्न हुआ था जिसके कारण गुजरात का औद्योगिक विकास दर तेजी से बढ़ा था ।

(3) कानूनी तत्त्व (Legal Factor) : कानूनी तत्त्व अर्थात् संसद या विधानसभा द्वारा पारित किये गये नियम, धन्धाकीय इकाई संसद अथवा विधानसभा द्वारा पारित किये गये कानून का पालन करना अनिवार्य होता है ।

कोई भी धन्धाकीय प्रवृत्ति वास्तव में समग्र समाज के विकास के लिए होता है । समाज का विकास हो, कल्याणकारी प्रवृत्तियों में वृद्धि हो ऐसे उद्देश्यों से धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ आकार धारण करती हैं । धन्धा का विकास और समाज कल्याण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है । जिससे ही धन्धा के विकास को गति मिले और उनके उत्तम परिणामों का समाज में महत्तम वितरण हो । उनके दुष्परिणाम समाज को भोगने न पड़े इसके लिये सरकार जागृत रहती हैं । धन्धाकीय नियमन (नियंत्रण) के लिये विविध कानून बनाये गये । हैं जैसे कि, औद्योगिक विकास और नियंत्रण कानून-1951 (Industrial Development and Regulation Act, 1951), ‘ आवश्यक चीजवस्तुओं का कानून – 1955 (Essential Commodities Act-1955), ट्रेड मार्क कानून-1969 (Trade Mark Act1969), प्रमाणभूत वजन और माप कानून-1969 (Standard of Weights and Measures Act-1969) आदि ।

समय की आवश्यकता के अनुसार पुराने कानून (अधिनियम) में सुधार किया जाता है अथवा कई बार तो वह समाप्त भी किया जाता है । एकाधिकार और प्रतिबन्धक व्यापार कानून-1951 (Monopolies and Restrective Trade Practices Act-1951)
में परिवर्तन के कारण से बहुत सी भारतीय कम्पनियों ने अपना कद वैश्विक मापदण्डों के अनुसार बढ़ा सकी है ।

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प्रश्न 4.
निजीकरण का अर्थ बताइए एवं भारत में निजीकरण के उद्भव के बारे में बताकर उनका भारतीय अर्थतंत्र में मिले हुए लाभ
के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
निजीकरण अर्थात् सार्वजनिक साहस के रूप में संचालित इकाई को निजी व्यक्ति अथवा पीढ़ी को सौंपने की प्रक्रिया । स्वतंत्रता के पश्चात् अर्थतंत्र के अनेक उद्देश्यों को सिद्ध करने हेतु सार्वजनिक क्षेत्रो की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी ऐसा अपेक्षित था । सार्वजनिक क्षेत्र अर्थतंत्र के विकास हेतु ढाँचागत सुविधाओं का सर्जन व आधारभूत उद्योगों का विकास करेंगे । स्वतंत्रता के पश्चात् आरम्भ के समय में निजी क्षेत्र जहाँ योग्य प्रतिफल न मिले तब तक पूँजी निवेश करने हेतु तैयार नहीं होते । सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के विकास द्वारा ढाँचागत सुविधाओं का निर्माण करना आरम्भ किया तथा अर्थतंत्र में आवश्यक माल सामान एवं सेवाओं का उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा आरम्भ किया गया । पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा भी सार्वजनिक क्षेत्र को काफी महत्त्व दिया गया था ।

आर्थिक सुधार के भाग के रूप में 1991 के पश्चात् निजीकरण को स्वीकारा जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका में परिवर्तन हुए । लगातार नुकसान वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में ढाँचागत परिवर्तन आरम्भ किये तथा कुछ सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों को बन्द किया गया । बहुत सी सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों के इक्विटी शेयर जनता को बेचने लगे हैं । निजी उद्योगों को भी बेचा गया जिन्हे निजीकरण कहा जाता है । सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ पूँजी का कुछ भाग आम जनता को खरीदने हेतु आमंत्रण देती है जिसे पूँजी विनिवेश Disinvestment कहते हैं । भारत सरकार ने इस हेतु अलग विशेष मंत्रालय आरम्भ किया है ।

भारतीय अर्थतंत्र में निजीकरण के लाभ :
निजीकरण के निम्नलिखित लाभ अथवा सकारात्मक प्रभाव निम्न है :

  1. कार्यक्षमता में वृद्धि
  2. राजनैतिक दखलगीरी का अभाव
  3. ढाँचागत सुविधाओं का सृजन
  4. उत्पादन के साधनों का महत्तम उपयोग
  5. सृजनात्मकता और नवीनता का लाभ
  6. नये संशोधन का लाभ
  7. स्पर्धा के वातावरण का निर्माण
  8. नई टेक्नोलोजी का उपयोग
  9. व्यवस्थित मार्केटिंग
  10. गुणवत्तायुक्त वस्तु या सेवा
  11. नये संशोधन का लाभ

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण (Globalisation) का अर्थ बताकर इनके बारे में विस्तारपूर्वक बताइए ।
उत्तर :
कोई भी देश अपनी सीमा को विदेश के व्यापार धन्धे के लिए मुक्त करे और देश के व्यापार उद्योगों को विदेशी प्रवाहों के साथ जोडने का प्रयत्न करे, तब वैश्वीकरण कहा जाता है । वैश्वीकरण वास्तव में द्विमार्गीय प्रक्रिया है । यह मात्र एक देश के ही व्यापार उद्योगों का अन्तर्राष्ट्रीयकरण नहीं है । समग्र विश्व में व्यापार उद्योग सम्बन्धी विश्व का एक ही व्यापार मंच का उद्भव हो, इस उद्देश्य से विश्व व्यापार संगठन (Wories Trade Organisation – WTO) की रचना हुई ।

भारत इस विश्व व्यापार संगठन का प्रारम्भ से ही सदस्य बना है । इसलिए विश्व व्यापार संगठन के भाग के रूप होने से ही भारत में वैश्वीकरण का मार्ग मुक्त हुआ है ।। वैश्वीकरण के कदम से सेवा का शीघ्र विस्तार हुआ है । बैंकिंग, बीमा, परिवहन क्षेत्रों में देशों की भेदरेखा मिटती जा रही है । विश्व एक गांव (Global Village) बन गया है । विश्व का ग्राहक बाजार विकसित होता गया है । इसमें भारत भी अपवाद नहीं है । भारत में वैश्वीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सन्धि अनुबन्ध (GATT – General Agreement on Trade Trifl)
भी अमल में लाया गया है । भारत में वैश्वीकरण के अनुरूप मुक्त व्यापार नीति है । शासन व्यवस्था भी अनुकूल है ।

प्रश्न 6.
वैश्वीकरण का भारतीय अर्थतंत्र पर उत्पन्न सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव बताइये ।
उत्तर :
वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव :

  1. वृहद पैमाने पर उत्पादन सम्भव होता है ।
  2. स्पर्धा के बढ़ने से ग्राहकों के अधिकारो का रक्षण होता है ।
  3. सरकारी अमलदारशाही से स्वतंत्रता मिलती है ।
  4. समग्र विश्व एक गाँव बन रहा है ।
  5. नये उद्योगों की स्थापना सरल हो जाती है ।
  6. देश में शिक्षण का महत्त्व बढ़ता है ।
  7. देश में ढाँचांगत सुविधाओं का निर्माण तेजी से होता है ।
  8. रोजगार के अवसरों का निर्माण होता है ।
  9. गुणवत्तावाली वस्तु या सेवा के मूल्य में कमी होने से अधिक से अधिक ग्राहक इनका उपयोग कर सकते है ।
  10. नई टेक्नोलोजी का उपयोग सम्भव होता है ।

नकारात्मक प्रभाव :

  1. वैश्वीकरण के कारण बाजार व्यवस्थापन का कार्य मुश्किल हो जाता है और खर्च में वृद्धि होती है ।
  2. मौज-शोख की वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री बढ़ जाती है ।
  3. लोगों की मानसिकता में धीमी गति से सुधार नये प्रश्नों का निर्माण करते हैं ।
  4. एक देश या उपखण्ड अथवा खण्ड की आर्थिक स्थिति का प्रभाव अन्य देशों पर शीघ्रता से होता है ।
  5. आय तथा सम्पत्ति की असमानता में वृद्धि देखने को मिलती है ।
  6. निरन्तर स्पर्धा के बढ़ने से कई बार आचार नीति का उल्लंघन देखने को मिलता है ।
  7. वृहद इकाइयों के लाभ में वृद्धि होती है लेकिन छोटे कद की इकाइयों को बने रहने के लिये काफी संघर्ष करना पड़ता है ।
  8. शिक्षण का फैलना विकास के फैलने के प्रमाण में मन्द रहे तो कर्मचारी स्पर्धात्मक रूप से कमजोर सिद्ध होते है ।
  9. बहुराष्ट्रीय कम्पनी की स्थापना जिस देश में हुई हो उस देश के प्रति सामान्य रूप से वफादार होती है, ऐसा देखने को मिलता है ।
  10. अन्तर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाली कम्पनियाँ सम्बन्धित देश की आर्थिक नीति अपनी कम्पनी को अधिक अनुकूल हो इस रूप में राजनीतिक पक्षो के साथ सौदेबाजी करती है ।
  11. बाजार व्यवस्था के व्यय में वृद्धि होती जा रही है ।

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प्रश्न 7.
उदारीकरण और वैश्वीकरण के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
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प्रश्न 8.
धन्धाकीय पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को आकृति के रूप में दर्शाइए ।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित विधानो को समझाइये ।

1. विश्व एक गाँव बना है ।
वर्तमान समय में आधुनिक एवं टेक्नोलोजी युक्त साधनों का विकास विशेष प्रमाण में हुआ है । इन साधन-सामग्री का उपयोग करने से उद्योग एवं धंधो की कार्यक्षमता में वृद्धि हुई है । मनुष्य को असम्भव कार्य लगने लगा है । जिससे आज का आधुनिक मानव अपनी सुख सुविधा, समृद्धि एवं संपन्नता इत्यादि के लिए क्रियाशील हुआ है । यह स्पष्ट है कि मानवजाति के द्वारा साधनों एवं सेवाओं का महत्तम उपयोग करके आंशिक माहिती संचार द्वारा विश्व में तैयार की जानेवाली वस्तु भी अपने ही शहर में होती है ।

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2. धन्धाकीय/व्यवसायिक विकास निरंतर गतिशील प्रक्रिया है ।
धंधाकीय/व्यवसायिक इकाई सतत चलनेवाली प्रक्रिया है । समय के परिवर्तन के साथ साथ धन्धाकीय इकाई में भी परिवर्तन . किया जाता है । धन्धाकीय इकाई के प्रतिकूल परिवर्तनो के कारक समयानुसार योग्य परिवर्तन न किया गया तो व्यवसायिक इकाई को नुकसान भी सहन करना पड़ता है । वर्तमान समय में सरकारी की नीति, ग्राहकों की पसंदगी, प्रदूषण नियंत्रण समस्या, इत्यादि परिवर्तनों के साथ व्यवसायिक इकाई की प्रवृत्तियों में भी योग्य परिवर्तन करना धंधाकीय इकाई के विकास के लिए अनिवार्य है । प्रत्येक स्थापक अपनी इकाई का विकास चाहता है । अतः धंधाकीय इकाई के आंतरिक एवं बाहरीय परिबलो के साथसाथ योग्य परिवर्तन करके धंधे के विकासलक्षी प्रवृत्ति की जा सकती है । अतः धंधाकीय विकास निरंतर गतिशील प्रक्रिया है ।

3. उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है ।
उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है यह विधान सत्य है । ई.सन् 1991 से पहले भारतीय अर्थतंत्र अनेक समस्याओं का शिकार था जैसे लायसन्स राज, करवेरा की दर अधिक पुराने यंत्रो द्वारा वस्तु का उत्पादन, विदेशचलन का प्रभाव कम इत्यादि समस्याओं से भारत का विकास सम्भव ही नहीं था परन्तु ई.सन् 1991 के पश्चात् सरकार ने उदारीकरण एवं विदेशीकरण के ख्याल को महत्त्व दिया जब से लायसन्स राज से नाबूदी, कानूनों में सरलता, करवेरा की दर कम, विदेशों के द्वारा वस्तु का उत्पादन, निर्यात में वृद्धि नए संशोधनो को प्रोत्साहन उपरोक्त परिबलों के प्रभाव से भारत में औद्योगिकरण का प्रभाव बढ़ा, तथा विदेशी मुद्रा से देश की तिजोरीया छलकने लगी और भारत एक विकसीत राष्ट्र द्वारा उभरने लगा अत: हम कह सकते हैं कि सरकार को उदारीकरण एवं वैश्वीकरण भारत के विकास की नई दिशा के समान है ।

4. सामाजिक परिवर्तन धंधे की कायापलट के समान है ।
यह विधान सत्य है । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । मनुष्यों के द्वारा समाज के लिए धन्धाकीय इकाई या धंधे की स्थापना की जाती है । मनुष्य सामाजिक रीति रिवाजों, सामाजिक बंधनो, सामाजिक पर्वो के अनुसार लोगो की मान्यता, रीतिरिवाजों, पसंदगी इत्यादि ने परिवर्तन देखने को मिलता है । सामाजिक परिवर्तनो के अनुसार धंधे की प्रवृत्तियों में परिवर्तन न होने से धंधे पर विपरीत असर पडती है । अत: धंधे में योग्य परिवर्तन करना ही धंधे के विकास का आभारी है ।

5. मात्र आंतरिक परिबलों पर ही ध्यान केन्द्रित करना यह धंधे के पतन का कारण है ।
यह विधान सत्य है । धन्धाकीय इकाईयों में सफल संचालक वही माना जाता है । जो आंतरिक एवं बाहरीय परिबलों पर अपना ध्यान केन्द्रित करके संचालन की प्रवृत्ति चलाता है । आंतरिक परिबलों पर संचालन का अंकुश होता है । परन्तु बाहरीय परिबल जैसे राजकीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं कानूनी परिबल इत्यादि पर संचालकों का अंकुश नहीं होता अत: इनपरिबलों – से होनेवाले परिवर्तनो के अनुसार धन्धाकीय इकाई में संचालन की प्रवृत्तिं करने से ही संचालन की प्रवृत्ति इकाई के विकासलक्षी होगी अत: मात्र जो संचालक आंतरिक परिबल जैसे वस्तु का उत्पादन, वस्तु की कीमत, उत्पादन का स्थल इत्यादि अन्य आंतरिक परिबलो पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करता हो तो वह इकाई के भविष्य के लिए एक पतन का कारण ही बनता है ।

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