GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन

GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management मार्गदर्शन Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए ।

प्रश्न 1.
मार्गदर्शन में आदेश, सूचन और मार्गदर्शन के अलावा किसका समावेश होता है ?
(A) सलाह
(B) नियंत्रण
(C) देखरेख
(D) प्रशिक्षण
उत्तर :
(C) देखरेख

प्रश्न 2.
मार्गदर्शन की मात्रा कौन से स्तर पर अधिक होता है ? ।
(A) निम्न
(B) मध्य
(C) उच्च
(D) प्रत्येक स्तर
उत्तर :
(D) प्रत्येक स्तर

प्रश्न 3.
मार्गदर्शन के कौन से तत्त्व में देखरेख, नियमन और विश्लेषण का समावेश होता है ?
(A) निरीक्षण
(B) अभिप्रेरणा
(C) नेतृत्व
(D) प्रशिक्षण
उत्तर :
(A) निरीक्षण

प्रश्न 4.
प्रोत्साहन देकर के अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
(A) अभिप्रेरणा
(B) निरीक्षण
(C) प्रशिक्षण
(D) मार्गदर्शन
उत्तर :
(A) अभिप्रेरणा

प्रश्न 5.
मास्लो की आवश्यकताओं का अग्रताक्रम अनुसार प्रथम आवश्यकता कौन-सी है ?
(A) शारीरिक आवश्यकताएँ
(B) सुरक्षा की आवश्यकताएँ
(C) सामाजिक आवश्यकताएँ
(D) प्रतिष्ठा की आवश्यकताएँ
उत्तर :
(A) शारीरिक आवश्यकताएँ

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प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सा प्रोत्साहन मौद्रिक प्रोत्साहन है ?
(A) पदोन्नति
(B) प्रशंसा
(C) रोजगार की सुरक्षा
(D) काम का मान और सम्मान
उत्तर :
(A) पदोन्नति

प्रश्न 7.
नेतृत्व के अमल के लिए किसका अस्तित्व होना जरूरी है ?
(A) निरीक्षक
(B) नियोजक
(C) अधिनस्थ
(D) संचालक
उत्तर :
(C) अधिनस्थ

प्रश्न 8.
एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को स्पष्ट और यथावत स्वरूप में सूचना पहुँचाना अर्थात् क्या ?
(A) सूचना संचार
(B) संदेशा व्यवहार
(C) कुरियर सेवा
(D) सूचना प्रेषण
उत्तर :
(A) सूचना संचार

प्रश्न 9.
निम्न स्तर संचालन से अहेवाल स्वरूप में उच्च स्तर संचालन तक जानकारी पहुँचाना अर्थात् क्या ?
(A) सूचना संचार
(B) सूचना प्रेषण
(C) संदेशा व्यवहार
(D) डाक सेवा
उत्तर :
(B) सूचना प्रेषण

प्रश्न 10.
अनौपचारिक सूचना संचार अधिकांशत: किस स्वरूप में होता है ?
(A) मौखिक
(B) लिखित
(C) लिखित और मौखिक
(D) औपचारिक
उत्तर :
(A) मौखिक

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प्रश्न 11.
कर्मचारियों को ध्येयपूर्ति के लिए मार्गदर्शन देने का कार्य अर्थात् …………………………………
(A) निरीक्षण
(B) नियंत्रण
(C) नेतृत्व
(D) मार्गदर्शन
उत्तर :
(D) मार्गदर्शन

प्रश्न 12.
अधिनस्थों को मार्गदर्शन देना और उन पर देखरेख रखना इनका नाम मार्गदर्शन उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?
(A) हेनरी फेयोल
(B) कुन्ट्ज और ओडोनेल
(C) जार्ज आर. टेरी
(D) पीटर ड्रकर 1
उत्तर :
(B) कुन्ट्ज और ओडोनेल

प्रश्न 13.
मार्गदर्शन का कार्यक्षेत्र इनमें से कैसा होता है ?
(A) सीमित
(B) छोटा
(C) विशाल
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(C) विशाल

प्रश्न 14.
मार्गदर्शन के कितने तत्त्व है ?
(A) दो
(B) तीन
(C) पाँच
(D) चार
उत्तर :
(D) चार

प्रश्न 15.
‘निरीक्षण ऐसा कार्य है कि जिसके द्वारा योजना और सूचनाओं के अनुसार कार्य हो रहा है इनका विश्वास मिलता हैं ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?
(A) आर. सी. डेविस
(B) ल्युथर ग्युलिक
(C) पीटर ड्रकर
(D) हेनरी फेयोल
उत्तर :
(A) आर. सी. डेविस

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प्रश्न 16.
कर्मचारियों को अधिक कार्य करने की प्रेरणा जाग्रत करनी और कार्य से कार्य-संतोष की उपलब्धि कराना अर्थात् …………………..
(A) नेतृत्व
(B) अभिप्रेरण
(C) सूचनासंचार
(D) सूचना प्रेषण
उत्तर :
(B) अभिप्रेरण

प्रश्न 17.
‘इच्छित कार्य को पूर्ण करने के लिए स्वयं को या दूसरे को प्रेरणा देने की प्रक्रिया को अभिप्रेरणा कहते हैं ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?
(A) मोर्गन
(B) रोस मूरे
(C) जुसीअस
(D) डॉ. ज्यॉर्ज आर. टेरी
उत्तर :
(C) जुसीअस

प्रश्न 18.
‘अभिप्रेरण यह मन की ऐसी स्थिति है, जो कर्मचारियों को लक्ष्य की ओर ले जाती है ।’ यह परिभाषा किसने दी है ।
(A) जुसीअस
(B) मोर्गन
(C) आर. सी. डेविस
(D) पीगू
उत्तर :
(B) मोर्गन

प्रश्न 19.
मानवतावादी मनोवैज्ञानिक कौन थे, जिन्होंने आवश्यकताओं का अग्रताक्रम प्रस्तुत किया था ?
(A) हेनरी फेयोल
(B) फेडरिक टेलर
(C) पीटर एफ. ड्रकर
(D) अब्राहम मास्लो
उत्तर :
(D) अब्राहम मास्लो

प्रश्न 20.
अब्राहम मास्लो ने आवश्यकताओं के अग्रताक्रम का सिद्धांत कौन से वर्ष में मनुष्यों के अभिप्रेरण का सिद्धांत’ इश शीर्षक के लेख्न में प्रस्तुत किया था ?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1950 में
(C) सन् 1943 में
(D) सन् 1956 में
उत्तर :
(C) सन् 1943 में

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प्रश्न 21.
अब्राहम मास्लो द्वारा प्रस्तुत आवश्यकताओं के अग्रताक्रम के कितने क्रम बताये हैं ?
(A) पाँच
(B) चार
(C) आठ
(D) नौ
उत्तर :
(A) पाँच

प्रश्न 22.
मानसिक शांति की आवश्यकता अर्थात् कौन सी आवश्यकता ?
(A) प्राथमिक आवश्यकता
(B) सामाजिक आवश्यकता
(C) सम्मान की आवश्यकता
(D) सुरक्षा की आवश्यकता
उत्तर :
(D) सुरक्षा की आवश्यकता

प्रश्न 23.
प्रोत्साहन को मुख्यतः कितने भागों में बाँटा है ?
(A) चार
(B) दो
(C) तीन
(D) ग्यारह
उत्तर :
(B) दो

प्रश्न 24.
बोनस सामान्यत: कब चुकाया जाता है ?
(A) वर्ष के अन्त में
(B) वर्ष के प्रारम्भ में
(C) वर्ष के बीच में
(D) वर्ष में कभी भी
उत्तर :
(A) वर्ष के अन्त में

प्रश्न 25.
कर्मचारियों को उनके वर्तमान पद से उच्च पद पर नियुक्त करने को क्या कहा जाता है ?
(A) स्थानान्तरण
(B) पदोन्नति
(C) पदावनति
(D) सह साझेदार
उत्तर :
(B) पदोन्नति

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प्रश्न 26.
नेता में निर्णय शक्ति, मानसिक क्षमता, ग्रहण शक्ति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि कौन से गुण कहलाते है ?
(A) शारीरिक गुण
(B) बौद्धिक गुण
(C) मानसिक गुण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(B) बौद्धिक गुण

प्रश्न 27.
सूचना संचार कितने मार्गीय प्रवृत्ति होती है ?
(A) द्विमार्गीय
(B) एक मार्गीय
(C) त्रिमार्गीय
(D) चतुर्थ मार्गीय
उत्तर :
(A) द्विमार्गीय

प्रश्न 28.
सूचना प्रेषण कितने मार्गीय प्रवृत्ति होती है ?
(A) एक मार्गीय
(B) द्विमार्गीय
(C) दस मार्गीय
(D) आठ मार्गीय
उत्तर :
(A) एक मार्गीय

प्रश्न 29.
कमीशन सामान्य रूप से किसके साथ जुडा हुआ होता है ? ।
(A) क्रय लक्ष्य
(B) विक्रय लक्ष्य
(C) उत्पादन लक्ष्य
(D) उपरोक्त सभी लक्ष्य
उत्तर :
(B) विक्रय लक्ष्य

प्रश्न 30.
नेतृत्व प्रदान करनेवाला क्या कहलाता है ?
(A) नेता
(B) शिक्षक
(C) राजनेता
(D) मनोवैज्ञानिक
उत्तर :
(A) नेता

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प्रश्न 31.
अन्य व्यक्तियों में ध्येय प्राप्त करने की इच्छा जागृत करने की कला या कुशलता अर्थात् ……………………..
(A) अभिप्रेरण
(B) नेतृत्व
(C) सूचना संचार
(D) निरीक्षण
उत्तर :
(B) नेतृत्व

प्रश्न 32.
सूचना संचार की कितनी पद्धतियाँ है ?
(A) 4
(B) 5
(C) 6
(D) 8
उत्तर :
(C) 6

प्रश्न 33.
सूचना संचार का स्वरूप की दृष्टि से कितने प्रकार है ?
(A) 3
(B) 6
(C) 7
(D) 2
उत्तर :
(D) 2

प्रश्न 34.
औपचारिक सूचना संचार का उद्देश्य इनमें से क्या होता है ?
(A) अंकुश व संकलन
(B) अंकुश व मार्गदर्शन
(C) अंकुश व आदेश
(D) आयोजन व व्यवस्थातंत्र
उत्तर :
(A) अंकुश व संकलन

प्रश्न 35.
अनौपचारिक सूचना संचार में किसकी आवश्यकता नहीं होती है ?
(A) लक्ष्य निर्धारण व उद्देश्य
(B) अंकुश व आदेश
(C) संकलन व अन्दाज पत्र
(D) अंकुश व संकलन
उत्तर :
(B) अंकुश व आदेश

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प्रश्न 36.
अनौपचारिक सूचना संचार यह औपचारिक सूचना संचार का विकल्प नहीं, बल्कि
(A) प्रतिस्पर्धी
(B) पूरक
(C) अलग-अलग
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(B) पूरक

प्रश्न 37.
संवाद, गोष्ठी, भाषण, वार्तालाप इत्यादि सूचना संचार की कौन सी पद्धति है ?
(A) लिखित
(B) मौखिक
(C) दृश्य
(D) श्राव्य
उत्तर :
(B) मौखिक

प्रश्न 38.
वर्तमानपत्र, सामयिक, पत्रलेखन, ई-मेल आदि सूचना संचार की कौन सी पद्धति है ?
(A) मौन
(B) दृश्य-श्राव्य
(C) मौखिक
(D) लिखित
उत्तर :
(D) लिखित

प्रश्न 39.
नक्शा, चित्र, आलेख, आकृति, रंग, चिन्ह इत्यादि यह सभी कौन सी पद्धतियाँ है ?
(A) दृश्य
(B) श्राव्य
(C) दृश्य-श्राव्य
(D) मौन
उत्तर :
(A) दृश्य

प्रश्न 40.
टेपरिकार्डर, रेडियो, टेलीफोन, टेली कोन्फरन्स उपरोक्त सभी सूचना संचार की कौन सी पद्धतियाँ है ?
(A) मौन
(B) दृश्य
(C) श्राव्य
(D) लिखित
उत्तर :
(C) श्राव्य

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प्रश्न 41.
चलचित्र, टेलीविजन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर्स, विडियो केसेट्स इत्यादि सभी सूचना संचार की इनमें से कौन सी पद्धति है ?
(A) मौखिक
(B) लिखित
(C) दृश्य
(D) दृश्य-श्राव्य
उत्तर :
(D) दृश्य-श्राव्य

प्रश्न 42.
हाव-भाव, मूक सहमति, मूक असहमति आदि सूचना संचार की इनमें से कौन सी पद्धति है ? ।
(A) दृश्य-श्राव्य
(B) मौन
(C) श्राव्य
(D) लिखित
उत्तर :
(B) मौन

प्रश्न 43.
इनमें से कौन-सा गुण उत्तम नेता में नहीं होता है ?
(A) सामाजिक गुण
(B) शारीरिक गुण
(C) बौद्धिक गुण
(D) मानसिक गुण
उत्तर :
(A) सामाजिक गुण

प्रश्न 44.
“सूचना संचार अर्थात् तथ्यों, विचारों, अभिप्रायो और मन्तव्यों की दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य होनेवाला आदान व प्रदान” उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ? ।
(A) रोस मूरे
(B) हेरल्ड, कुन्ट्ज व ओडोनेल
(C) पीटर ड्रकर
(D) न्यूमेन एण्ड समर
उत्तर :
(D) न्यूमेन एण्ड समर

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
मार्गदर्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
मार्गदर्शन अर्थात् कर्मचारियों को मार्गदर्शन देना, उनको कामगीरी से अवगत करना, उन पर देखरेन रखना और कार्य उत्साह को बनाये रखना ।

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प्रश्न 2.
शारीरिक आवश्यकताओं में कौन सी आवश्यकताओं का समावेश होता है ?
उत्तर :
शारीरिक आवश्यकताओं मानव की मूलभूत आवश्यकताएँ है । मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी, पानी, कपड़ा, मकान इत्यादि का समावेश होता है ।

प्रश्न 3.
आयोजन और व्यवस्थातंत्र द्वारा लिये गये निर्णयों को अमल में कौन रखता है ?
उत्तर :
आयोजन और व्यवस्थातंत्र द्वारा लिये गये निर्णयों को अमल में मार्गदर्शन द्वारा लाया जाता है ।

प्रश्न 4.
निरीक्षण के कार्य को किसके साथ तुलना की गई है ?
उत्तर :
निरीक्षण के कार्य की मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक (Friend, Philosopher and Guide) के साथ तुलना की गई है ।

प्रश्न 5.
मानव की कौन सी आवश्यकताएँ सबसे अधिक अग्रताक्रम वाली है ?
उत्तर :
मानव की शरीर को बनाये रखने के लिए अनाज की आवश्यकता यह सबसे अधिक अग्रतावाली प्रथम आवश्यकता है । .

प्रश्न 6.
लाभ में हिस्सा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
इकाई/संस्था को मिलनेवाला असामान्य लाभ (Surplus profit) यह नियोजक और कर्मचारियों का संयुक्त प्रयास का परिणाम है । लाभ में से निश्चित भाग, कर्मचारियों को वित्त के स्वरूप में वेतन के अलावा चुकाया जाता है, जिसे लाभ में हिस्सा कहते है ।

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प्रश्न 7.
अविश्वास और भय से सूचना संचार के उपर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
जब व्यवस्थातंत्र में अविश्वास और भय का वातावरण निर्माण हो तब संदेश व सूचना को शंकास्पद की दृष्टि से देखा जाता है ।

प्रश्न 8.
आधुनिक सूचना संचार के साधन बताइए ।
उत्तर :
आधुनिक सूचना संचार के मौखिक और लिखित संदेश, टेलीफोन, फेक्स, इन्टरनेट, मोबाइल फोन, एस.एम.एस., टेलेक्स आदि । साधन होते है ।

प्रश्न 9.
मार्गदर्शन का कार्य संचालन के कौन से स्तर पर होता है ? ।
उत्तर :
मार्गदर्शन का कार्य संचालन के प्रत्येक स्तर अर्थात् तीनों स्तर पर होता है ।

प्रश्न 10.
धंधाकीय इकाई में मार्गदर्शन देने का कार्य कौन से कार्य जैसा है ?
उत्तर :
धंधाकीय इकाई में मार्गदर्शन देने का कार्य युद्ध में व्यूहरचना बनाने के कार्य जैसा है ।

प्रश्न 11.
मार्गदर्शन यह संचालन का कौन-सा अंग है ?
उत्तर :
मार्गदर्शन यह संचालन का एक अनिवार्य अंग है ।

प्रश्न 12.
निरीक्षण का कार्य करनेवाला व्यक्ति क्या कहलाता है ?
उत्तर :
निरीक्षण का कार्य करनेवाला व्यक्ति निरीक्षक कहलाता है ।

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प्रश्न 13.
निरीक्षक का कार्य क्या होता है ?
उत्तर :
निरीक्षक का कार्य निरीक्षण करना होता है ।

प्रश्न 14.
मार्गदर्शन का कार्य किसके साथ संकलित होता है ?
उत्तर :
मार्गदर्शन का कार्य संचालन के विविध कार्य जैसे कि आयोजन, व्यवस्थातंत्र, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, सूचना प्रेषण और नियंत्रण के साथ संकलित होता है ।

प्रश्न 15.
मार्गदर्शन के कितने तत्त्व होते है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
मार्गदर्शन के 4 चार तत्त्व होते है :

  1. निरीक्षण (Supervision)
  2. अभिप्रेरणा (Motivation)
  3. नेतृत्व (Leadership)
  4. सूचना संचार (Communication)

प्रश्न 16.
निरीक्षण का कार्य अधिकांशत: संस्था के कौन-से कार्यभार के साथ संकलित होता है ?
उत्तर :
निरीक्षण का कार्य अधिकांशतः संस्था के आंतरिक कार्यभार के साथ संकलित होता है ।

प्रश्न 17.
अभिप्रेरणा का ख्याल कौन-सा है ?
उत्तर :
अभिप्रेरणा का ख्याल मनोवैज्ञानिक है ।

प्रश्न 18.
अब्राहम मास्लो कौन थे ?
उत्तर :
अब्राहम मारलो मानवतावादी मनोवैज्ञानिक थे ।

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प्रश्न 19.
आवश्यकताओं का अग्रता क्रम किसने प्रस्तुत किया है ?
उत्तर :
आवश्यकताओं का अग्रताक्रम अब्राहम मारलो ने प्रस्तुत किया ।

प्रश्न 20.
अब्राहम मारलो ने किसका क्रम प्रस्तुत किया है ?
उत्तर :
अब्राहम मास्लो ने आवश्यकताओं का अग्रताक्रम प्रस्तुत किया ।

प्रश्न 21.
मानसिक शांति की आवश्यकता अर्थात् कौन सी आवश्यकता ?
उत्तर :
मानसिक शांति की आवश्यकता अर्थात् सुरक्षा की आवश्यकता ।

प्रश्न 22.
निम्न कक्षा की आवश्यकतायें कौन-कौन सी होती है ?
उत्तर :

  1. शारीरिक अथवा प्राथमिक आवश्यकताएँ ।
  2. सुरक्षा की आवश्यकताएँ ।
  3. सामाजिक आवश्यकताएँ ।

प्रश्न 23.
उच्च स्तर की आवश्यकता के रूप में किन्हें पहचाना जाता है ?
उत्तर :
उच्च स्तर की आवश्यकता के रूप में सम्मान और प्रतिष्ठा की आवश्यकता के रूप में पहचाना जाता है ।

प्रश्न 24.
उच्च स्तर की आवश्यकतायें कौन-कौन सी होती है ?
उत्तर :
उच्च स्तर की आवश्यकताये निम्नलिखित होती है :

  1. सम्मान व प्रतिष्ठा की आवश्यकताएं
  2. आत्म सम्मान और आत्म उपलब्धि की आवश्यकताएँ ।

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प्रश्न 25.
आत्मउपलब्धि की आवश्यकता अर्थात् क्या ? उदाहरण सहित बताइए ।
उत्तर :
अपने कार्यक्षेत्र में अपना नाम गर्व से और सर्वोच्च स्थान पर लिया जाय और अपने कार्यक्षेत्र में अपने गुण प्रवीणता की महिमा । गाई जाय, ऐसी इच्छा अर्थात् आत्म उपलब्धि की आवश्यकता । जैसे तबला वादन में जाकीर हुसैन, संतुर वादन में शीवकुमार शर्मा, क्रिकेट के क्षेत्र में सचिन तेन्दुलकर, अभिनय के क्षेत्र में अमिताभ बच्चन, संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर इत्यादि ।

प्रश्न 26.
प्रोत्साहन के प्रकार कितने है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
प्रोत्साहन के दो प्रकार है :

  1. मौद्रिक प्रोत्साहन
  2. अमौद्रिक प्रोत्साहन

प्रश्न 27.
बोनस प्राय: कब चुकाया जाता है ?
उत्तर :
बोनस प्राय वर्ष के अन्त में चुकाया जाता है ।

प्रश्न 28.
पदोन्नति (Permotion) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पदोन्नति अर्थात् कर्मचारी को उनके वर्तमान पद से उपरी लाभदायी पद पर नियुक्ति करने की प्रक्रिया को पदोन्नति कहते हैं । जैसे कि शिक्षक को सुपरवाईजर बनाना, सुपरवाईजर को आचार्य बनाना आदि ।

प्रश्न 29.
अमौद्रिक प्रोत्साहन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस प्रोत्साहन का आधार मुद्रा आधारित न हो ऐसे प्रोत्साहन को अमौद्रिक प्रोत्साहन कहते हैं ।

प्रश्न 30.
नेतृत्व/नेता का स्वीकार किसके द्वारा होना चाहिए ?
उत्तर :
नेतत्व/नेता का स्वीकार अधीनस्थों द्वारा होना चाहिए ।

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प्रश्न 31.
सूचनासंचार कितनी मार्गीय प्रवृत्ति होती है ? व इसका मार्ग बताइए ।
उत्तर :
सूचना संचार द्विमार्गीय प्रवृत्ति होती है । तथा इनका मार्ग उच्च से निम्न की तरफ एवं निम्न से उच्च की तरफ ।

प्रश्न 32.
सूचना प्रेषण कितेन मार्गीय प्रवृत्ति हैं तथा इनका मार्ग बताइए ।
उत्तर :
सूचना प्रेषण एक मार्गीय प्रवृत्ति है, तथा जिनका मार्ग निम्न से उच्च की तरफ होता है ।

प्रश्न 33.
मौखिक (oral) सूचनासंचार की पद्धतियों में किन का समावेश होता है ?
उत्तर :
मौखिक सूचनासंचार में बातचीत, वार्तालाप, संवाद, गोष्ठी, भाषण, सामुहिक चर्चा आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 34.
लिखित (written) सूचनासंचार में किनका समावेश होता है ?
उत्तर :
लिखित सूचनासंचार में वर्तमानपत्र, सामयिक, चोपानिया, सार्वजनिक सूचना, पत्रलेखन, हस्तलिखित प्रति, ई-मेल आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 35.
दृश्य (visual) सूचनासंचार में किनका समावेश होता है ?
उत्तर :
दृश्य में नक्शा, चित्र, आकृतियाँ, आलेख, रंग, प्रतिक, चिन्ह इत्यादि का समावेश होता है ।

प्रश्न 36.
श्राव्य (Audio) सूचनासंचार में किन-का समावेश होता है ?
उत्तर :
श्राव्य में टेपरिकोर्डर, रेडियो, टेलीफोन, टेलीकोन्फरन्स इत्यादि का समावेश होता है ।

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प्रश्न 37.
दृश्य-श्राव्य (Audio-visual) सूचना संचार में किनका समावेश होता है ?
उत्तर :
दृश्य-श्राव्य में चल-चित्र, टेलीविजन, इन्टरनेट, कम्प्यूटर्स, विडियो केसेट्स आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 38.
मौन (silence) सूचना संचार की पद्धति में किसका समावेश होता है ?
उत्तर :
मौन सूचना संचार की पद्धति में मूक सहमति, मूक असहमति, हावभाव (Body Language) आदि का समावेश होता है ।

प्रश्न 39.
अनौपचारिक सूचना संचार का आधार किस पर होता है ? ।
उत्तर :
अनौपचारिक सूचना संचार को आधार मानवीय सम्बन्धों और मित्रता पर होता है ।

प्रश्न 40.
औपचारिक सूचनासंचार (Formal Communication) का उद्देश्य क्या होता है ?
उत्तर :
औपचारिक सूचना संचार का उद्देश्य अंकुश और संकलन का होता है ।

प्रश्न 41.
अनौपचारिक सूचना संचार में किसकी आवश्यकता नहीं होती है ?
उत्तर :
अनौपचारिक सूचना संचार में अंकुश और आदेश की आवश्यकता नहीं होती है ।

प्रश्न 42.
अनौपचारिक सूचनासंचार किस तरह समझाया जा सकता है ?
उत्तर :
अनौपचारिक सूचना संचार मौखिक बातचीत और सांकेतिक भाषा में समझाया जा सकता है ।

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प्रश्न 43.
सूचना संचार की कार्यक्षमता का आधार किस पर रहता है ?
उत्तर :
सूचनासंचार की कार्यक्षमता का आधार उनके साथ जुड़े हुये अधिकारियों और कर्मचारियों की बुद्धि शक्ति और निष्ठा पर रहता है ।

प्रश्न 44.
सूचनासंचार के अवरोध का मुख्य कारण क्या होता है ?
उत्तर :
सूचना संचार के अवरोध का मुख्य कारण मानवीय मर्यादाएँ होती हैं, जैसे कि लगाव, भूल, अनुमान, असमड़ा, अविश्वास और भय इत्यादि सूचना संचार के समय अवरोधक बनते है ।

प्रश्न 45.
निरीक्षण का कार्य संचालन के कौन से स्तर पर अधिक देखने को मिलता है ?
उत्तर :
निरीक्षण का कार्य संचालन के निम्न (तल) स्तर पर अधिक देखने को मिलता है ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :

प्रश्न 1.
मार्गदर्शन के तत्त्वों की सूची बताइए ।
उत्तर :
GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन 1

प्रश्न 2.
निरीक्षण का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
निरीक्षण अर्थात कर्मचारियों के कार्यों की देखरेख रखना

प्रश्न 3.
अभिप्रेरणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कर्मचारी में अधिक से अधिक कार्य करने की प्रेरणा जाग्रत करनी और कार्य से कार्य संतोष की उपलब्धि अर्थात् अभिप्रेरणा ।

प्रश्न 4.
प्रोत्साहन (Incentive) का अर्थ समझाइए ।
उत्तर :
कर्मचारियों की स्वयं के कार्य के प्रति अभिरूचि बनी रहे और उनकी कार्यक्षमता में सतत वृद्धि हो इस उद्देश्य से इकाइयाँ अपने कर्मचारियों को अधिक कार्य करने की प्रेरणा देती हैं । इस प्रेरणा को प्रोत्साहन कहा जाता है ।

* प्रोत्साहन कामगीरी को प्रोत्साहित करने की प्रवृत्ति पैदा करती है ।’ (Incentive means which incites or has a tendency to incite action). प्रोत्साहन के माध्यम से कर्मचारियों के उत्साह में वृद्धि होती है । कर्मचारियों को उनके लक्ष्य तक पहुँचाने में सहायक होता है ।

प्रश्न 5.
नेतृत्व (Leadership) का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
किसी भी ध्येय की प्राप्ति के लिये, लोगों का स्वैच्छापूर्वक प्रयत्न करना, लोगों पर प्रभाव उत्पन्न करने की प्रवृत्ति और गुणों को नेतृत्व कहा जाता है ।

नेतृत्व का अर्थ किसी ऐसे व्यक्ति से है, जो अपने व्यक्तिगत गुणों द्वारा अन्य व्यक्तियों का संचालन करता है ।

प्रश्न 6.
औपचारिक सूचना संचार को संक्षिप्त में समझाइए ।
उत्तर :
औपचारिक सूचना संचार (Formal Communication) – ज़िस सूचनासंचार में धंधे के उद्देश्य प्राप्ति हेतु व्यवस्थातंत्र के नीति नियमों पर आधारित हो तो उन्हें औपचारिक सूचना संचार कहते हैं । ऐसा सूचना संचार अधिकांशतः लिखित स्वरूप में होता है । ऐसा सूचना संचार समझने में स्पष्ट व सरल होता है । इसमें कौन सी सूचना कौन किसे भेजेगा यह पूर्व से ही निश्चित होता है ।

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प्रश्न 7.
निरीक्षक का कार्य शिक्षक जैसा है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
निरीक्षक का कार्य शिक्षक जैसा है । उपरोक्त विधान सत्य क्योंकि यह कर्मचारियों को योग्य मार्गदर्शन प्रदान करके उनका विकास किया जाता है । जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जाती है ।

प्रश्न 8.
अभिप्रेरणा से कर्मचारी स्थानान्तरण दर में कमी होती है । किस तरह ?
उत्तर :
अभिप्रेरणा के कारण कर्मचारी के आंतरिक सन्तुष्टि में वृद्धि होती है । अभिप्रेरणा के माध्यम से कर्मचारियों की कार्य करने की प्रेरणा में वृद्धि होती है । कर्मचारियों को कार्य अनुसार प्रतिफल, आत्मसंतोष और सम्मान मिलने से नौकरी में स्थायी रहने की प्रेरणा मिलती है, जिससे श्रमिक अथवा कर्मचारी स्थानान्तरण दर में कमी आती है ।

प्रश्न 9.
सह साझेदारी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कर्मचारियों अथवा श्रमिकों को इकाई की मालिकी, संचालन और लाभ के वितरण में साझेदार बनाया जाये तो उन्हें सह साझेदार कहते हैं।

प्रश्न 10.
अवैधिक अथवा अनौपचारिक सूचना संचार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो सूचना संचार व्यवस्थातंत्र में कार्यरत कर्मचारियों के मध्य के मानवीय सम्बन्धों और मित्रता पर आधारित हो तो उन्हें अनौपचारिक सूचना संचार कहते हैं ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर लिखिए :

प्रश्न 1.
मार्गदर्शन का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
मार्गदर्शन का महत्त्व (Importance of Directing) निम्न है :

  • कार्यक्षमता में वृद्धि : कर्मचारियों को विभागीय कार्यों के बारे में योग्य मार्गदर्शन दिया जाता है तभी व्यवस्थातंत्र कार्यक्षम बनता है । मार्गदर्शन के कारण कर्मचारी को अपने कार्य, अधिकार और दायित्व की स्पष्टता होती है जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।
  • कार्यक्षमता का विश्लेषण : मार्गदर्शन द्वारा कर्मचारियों के कार्य का विश्लेषण किया जाता है । जिससे उनके कार्य का मूल्यांकन होता है । मार्गदर्शन द्वारा ही कर्मचारियों की कार्यक्षमता का विश्लेषण और मूल्यांकन हो सकता है ।
  • कर्मचारियो को प्रोत्साहन : मार्गदर्शन के कारण ही कर्मचारियो को योग्य कार्यपद्धति तथा नीति-नियमों से अवगत किया जा सकता है । कार्य सम्बन्धी समस्याओं को दूर किया जा सकता है जिससे कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है ।
  • प्रभावशाली आयोजन : मार्गदर्शन के माध्यम से आयोजन द्वारा निर्धारित उद्देश्य को सफल बनाया जाता है ।
  • असरकारक व्यवस्थातंत्र : मार्गदर्शन के कारण प्रत्येक कर्मचारी को उनके अधिकार और दायित्व का ख्याल आता है । इसके अलावा अधिकारियों के आदेश एवं सूचनाओं का योग्य रूप से पालन होता है । जिसके कारण समग्र व्यवस्थातंत्र असरकारक होता है ।
  • संकलन और सहकार : कर्मचारियों के कार्यों का संकलन मार्गदर्शन द्वारा हो सकता है । कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को इकाई के मुख्य उद्देश्य के साथ जोडा जाता है । मार्गदर्शन देनेवाला नेता अपने अधिनस्थो के कार्यों का संकलन करता है ।
  • नियंत्रण का कार्य : योग्य मार्गदर्शन से कर्मचारियों की कार्य के बारे में भूल और कमियों/त्रुटियों की सम्भावना घटती है । जियरा निर्धारित लक्ष्यों के प्रमाण में कर्मचारियों के पास से काम लेने का कार्य सरल हो जाता है । इस तरह नियंत्रण का कार्य प्रभावशाली हो जाता है ।
  • कर्मचारियों के कार्य उत्साह में वृद्धि : मार्गदर्शन देने से कर्मचारियों के कार्य के प्रति का अभिगम बदलता है । रूचि बढ़ती है । जब कोई अवरोध आता है तो कर्मचारी उनको हल कर सकता है । जिसके परिणाम स्वरूप कार्य का सातत्य बढ़ता है, जिससे कर्मचारियों का उत्साह बढ़ता है ।
  • विचलन को खोजना : निर्धारित उद्देश्य के रूप में ही कार्य हो रहे है या नहीं इनका मार्गदर्शन द्वारा ही निरीक्षण किया जाता है जिससे अनिश्चनीय विचलनों को प्राथमिक अवस्था द्वारा ही खोज सकते है । प्राथमिक अवस्था के विचलनों को योग्य कदम उठाकर नियंत्रित किया जा सकता है ।

प्रश्न 2.
निरीक्षक के कार्य बताइए ।
उत्तर :
निरीक्षक के कार्य (Functions of Supervisor) निम्न हैं :

  1. इकाई के कार्यों का आयोजन करना और कार्य में आनेवाली समस्याओं को दूर करना ।
  2. विविध कार्य समयसर पूर्ण कर सके, इसके लिये जरुरी मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश देना ।
  3. विभिन्न कर्मचारियों के कार्यों पर सतत देखरेख रखने से उनके समय व श्रम की बचत हो सकती है ।
  4. निरीक्षक के माध्यम से कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों को समग्र इकाई की उत्पादकता के साथ जोड़ा जाता है ।
  5. कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि हो इसके लिये अभिप्रेरणा और प्रोत्साहन देते है ।
  6. कर्मचारियों में समूह भावना को बनाये रख सकते है ।
  7. सूचना संचार के कार्यों में तीव्रता लाई जाती है ।
  8. इकाई में उपयोग में आनेवाली नई टेक्नोलोजी के उपयोग के बारे में मार्गदर्शन देते है ।
  9. कर्मचारियों में अनुशासन की भावना बनाये रख सकते है ।
  10. निरीक्षक यह नियंत्रण नहीं रखते बल्कि शिक्षण-ज्ञान प्रदान करते है ।
  11. निरीक्षक कर्मचारियों के मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक है । (Friend, Philosopher and Guide)

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प्रश्न 3.
उत्तम नेता के गुण समझाइये ।
उत्तर :
उत्तम नेता के तीन गुण होते है :

  1. शारीरिक गुण
  2. बौद्धिक गुण
  3. मानसिक गुण ।

शारीरिक गुण :

  1. स्वस्थ शरीर : नेता को सतत नेतृत्व करना होता है । विभिन्न समूहों से अलग-अलग परिस्थितियों में काम लेना होता है । अतः अस्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति नेतृत्व पूर्ण नहीं कर सकते ।
  2. शारीरिक आकर्षण : नेता का शरीर योग्य व्यक्तित्व वाला होना चाहिए कारण कि नेता का अनुयायियों पर विशेष प्रभाव होता है । इसके लिये योग्य ऊँचाई, वजन, दृष्टि, तीव्रता, श्रवणशक्ति इत्यादि आवश्यक है ।
  3. सुन्दरता : शारीरिक अंगों की सुन्दरता रखनेवाला व्यक्ति आदर्श नेता एवं प्रभावपूर्ण होता है । सुन्दरता का आकर्षण अनुयायियों पर विशेष असर डालता है । अतः नेता के लिए शारीरिक सुन्दरता आवश्यक है ।
  4. शांत स्वभाव : नेता का स्वभाव क्रोधी एवं उग्र नहीं होना चाहिए । नेता शांत स्वभाव का होना चाहिए जिससे कि नेता द्वारा योग्य निर्णय लिए जा सकें ।
  5. खुसमय स्वभाव : खुसमय स्वभाव धारण करनेवाले व्यक्ति को अनुयायी नेता द्वारा अधिक पसंद करते है । अनुयायियों के द्वारा
    अच्छा कार्य करने पर नेता को खुश होना चाहिए । नेता का खुशमय स्वभाव अनुयायियों को प्रोत्साहन प्रदान करता है ।

बौद्धिक गुण :

  1. निर्णय शक्ति : नेता में परिस्थितियों के अनुरुप निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए । जिससे कि वह परिस्थितियों के अनुरुप नेतृत्व कर सके अत: निर्णय शक्ति का गुण होना चाहिए ।
  2. तर्कशक्ति : नेता के द्वारा अलग-अलग परिस्थितियों में निर्णय लेना होता है । अतः योग्य निर्णय ले सके इसलिए तर्कशक्ति आवश्यक है ।
  3. ग्रहण शक्ति : नेता के पास भूतकाल तथा वर्तमान घटनाओं की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए इसके लिए नेता के पास स्मरणशक्ति आवश्यक है ।
  4. दीर्घदृष्टि : नेता की विचार श्रेणी दीर्घदृष्टि युक्त होनी चाहिए भविष्य में इकाई के विकास सम्बन्धि नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए ।
  5. विभिन्न कौशल्य : नेता के पास गणनात्मक ज्ञान, बोलने की कला, मधुर शब्दों का संग्रह, आंतरिक संबंधी का ज्ञान इत्यादि कौशल्य आवश्यकता अनुसार होना चाहिए ।

मनोवैज्ञानिक गुण :

  1. उत्साह : नेता उत्साही होना चाहिए नेता में नया कार्य, नई योजना, नवी विचारधारा तथा लोगों के प्रश्न सुनने तथा समझाने में उत्साह होना चाहिए ।
  2. प्रभावशाली व्यक्तित्व : नेता आंतरिक व्यक्तित्व वाला होना चाहिए । जिससे वह अपने अनुयायियों पर प्रभावपूर्ण व्यक्ति दर्शाता ।
  3. साहसी : नेता साहसी होना चाहिए परिस्थितियों के अनुरूप अतिशीघ्र निर्णय लेकर समूह में व्यक्तियों से कार्य करवाने का उत्साह होना चाहिए । जिससे अनुयायियों द्वारा नेता का अनुकरण अतिशीघ्र होता है ।
  4. सहकार की भावना : नेता के द्वारा व्यक्तियों के समूह से काम लेना होता है । अतः समूह के लोगो का सहकार प्राप्त करने
    के लिए सहकार भी भावना होनी चाहिए ।
  5. सहानुभूति : नेता के द्वारा जीवित व्यक्तियों से काम करवाने वाला नेता होना चाहिए जैसे अनुयायियों की आर्थिक एवं सामाजिक समस्या इत्यादि के लिए सहानुभूति होनी चाहिए ।
  6. कार्य के प्रति लगाव : नेता को प्रत्येक कार्य के प्रति रुची होनी चाहिए यदि किसी कार्य के प्रति अरूचि हो तो अनुयायियों द्वारा कार्य में उत्साह नहीं होता जिससे कार्य निष्फल होता है ।

प्रश्न 4.
अनौपचारिक सूचनासंचार के लक्षण बताइये ।
उत्तर :
अनौपचारिक सूचनासंचार के लक्षण निम्नलिखित है :

  1. मानव सम्बन्धों पर आधारित होता है ।
  2. नियंत्रण या आदेश की आवश्यकता नहीं होती है ।
  3. मौखिक या सांकेतिक भाषा में समझाया जा सकता है ।
  4. मानवीय सम्बन्धों या मित्रता पर आधारित होता है ।
  5. ऐसा सूचनासंचार परिवर्तनशील और सरल होता है ।
  6. ऐसा सूचनासंचार में विधि का कोई महत्त्व नहीं होता ।
  7. व्यवस्थातंत्र को अधिक संकलित और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करते है ।
  8. अनौपचारिक सूचना संचार यह औपचारिक सूचनासंचार का विकल्प नहीं, बल्कि पूरक है ।

प्रश्न 5.
औपचारिक (Formal) और अनौपचारिक (Informal) सूचनासंचार के बीच अन्तर बताइए ।

अन्तर के मुद्दे औपचारिक माहिती संचार अनौपचारिक माहिती संचार
1. अर्थ व्यवस्थातंत्र के स्वरूप पर आधारित माहिती संचार को औपचारिक माहिती संचार कहते हैं । मानवीय संबंध एवं मित्रता पर आधारित माहिती को संचार अनौपचारिक माहिती संचार कहते हैं ।
2. आधारित औपचारिक माहिती संचार व्यवस्थातंत्र के नीति नियमों पर आधारित होता है । अनौपचारिक माहिती संचार व्यवस्थातंत्र के नीति नियमों पर आधारित नहीं होता ।
3. हेतु (उद्देश्य) इकाई के निर्धारित उद्देश्य को सफल बनाने के लिए औपचारिक माहिती संचार किया जाता है । आपसी सहकार मैत्रीभाव आत्मीयता के हेतु से अनौपचारिक माहिती संचार किया जाता है ।
4. स्वरूप औपचारिक माहिती संचार में भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण होता है । अनौपचारिक माहिती संचार मौखिक होने से भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण नहीं होता ।
5. प्रमाण औपचारिक माहिती संचार में भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण होता है । अनौपचारिक माहिती संचार मौखिक होने से भविष्य के लिए आवश्यक प्रमाण नहीं होता ।
6. उदाहरण अनियमित कर्मचारी को निश्चित अधिकारी के द्वारा लिखित में दिया जानेवाला मेमो या नोटिस यह औपचारिक माहिती संचार का उदा है । जनरल मेनेजर के द्वारा इकाई का निरीक्षण करते समय बैठे हुए कर्मचारी को कार्य करने की सूचना दी जाय यह अनौपचारिक माहिती संचार का

उदाहरण है ।

7. अंकुश व देखरेख अंकुश व देखरेख की आवश्यकता रहती है । अंकुश व देखरेख की आवश्यकता नहीं रहती है ।
8. समय कार्यस्थल पर व समय पर औपचारिक सूचना संचार होता है । किसी भी स्थल पर, कार्य समय के अलावा भी अनौपचारिक सूचना संचार होता है ।
9. पूर्ववत जानकारी इसमें कौन, किसे जानकारी देगा यह पूर्व से विदित रहता है । जानकारी का स्वरूप तथा विधि पूर्व से विदित नहीं रहती हैं । समय पर उत्पन्न होती है ।

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प्रश्न 6.
मौखिक सूचनासंचार और लिखित सूचनासंचार के बीच अन्तर बताइए ।
उत्तर :
मौखिक माहिती संचार एवं लिखित माहिती संचार (Oral & Written Communication) :

अन्तर के मुद्दे मौखिक माहिती संचार लिखित माहिती संचार
1. अर्थ सूचनाओं का आदान-प्रदान लिखित स्वरूप में न हो उसे मैखिक माहिती संचार कहते हैं । सूचनाओं एवं संदेशो का आदान-प्रदान लिखित स्वरूप में हो उसे लिखित माहिती संचार कहते हैं ।
2. प्रमाण मौखिक माहिती संचार में सूचना देने के बाद भविष्य के लिए कोई प्रमाण नहीं होता । लिखित माहिती संचार में सूचना देने के बाद भविष्य हेतु प्रमाण रहता है ।
3. समय और श्रम मौखिक माहिती संचार में समय और श्रम की बचत होती है । लिखित माहिती संचार में समय और श्रम की बचत नहीं होती है ।
4. साधन मौखिक माहिती संचार के साधनों में सभा-सेमिनार समूहमिलन, टेलिफोन, रेडियो. इत्यादि का समावेश होता है । लिखित माहिती संचार में समाचारपत्र, नोटिस, बुलेटिन टेलिविजन, टेलिप्रिन्टर इत्यादि साधनों का समावेश होता है ।
5. प्रतिभाव मौखिक माहिती संचार में सूचनाओं का निर्गमन करने के बाद कर्मचारी के प्रतिभाव की जानकारी अतिशीघ्र प्राप्त होती है । लिखित माहिती संचार में सूचनाओं का निर्गमन करने के बाद कर्मचारियों के प्रतिभाव की जाँच का कार्य कठिन बनता है ।
6. सावधानी मौखिक माहिती संचार में सूचनाओं का आदान-प्रदान करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं रहती । लिखित माहिती संचार के समय अतिशय (विशेष) सावधानी की आवश्यकता होती है ।

प्रश्न 7.
सूचना संचार के अवरोध दूर करने के उपाय बताइए ।
उत्तर :
सूचना संचार के अवरोधों को दूर करने के उपाय (Way to overcome the Barriers) निम्न है :

  1. सूचना अवरोधक न हो इस तरह व्यवस्थातंत्र के ढाँचे के अनुरुप सूचना संचार के तंत्र की व्यवस्था तंत्र की रचना की जानी चाहिए।
  2. सूचना देनेवाला जो सूचना दे वह स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे सूचना प्राप्तकर्ता अच्छी तरह से समझ सके ।
  3. सूचना संचार के विविध माध्यमों की असरकारकता अलग-अलग होने से सूचना प्रसारण के सन्दर्भ में योग्य माध्यम की पसंदगी की जानी चाहिए ।
  4. सूचनासंचार द्विमार्गी प्रक्रिया होने से सूचना का प्रवाह दोनों दिशा में आसानी से आगे बढ़े ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए ।
  5. सूचना संचार में दोनों पक्षों के मध्य परस्पर श्रद्धा व सहकार की भावना आवश्यक है ।
  6. सूचना का माध्यम लघु होना चाहिये जिससे सूचना का प्रवाह शीघ्र हो सकें व सूचना प्रसारण में देरी न हो ।
  7. सूचना संचार की व्यवस्था में शीघ्रता होनी चाहिए ।
  8. सूचना संचार की प्रवृत्ति उद्देश्यलक्षी होनी चाहिए ।
  9. अनावश्यक सूचना संचार के प्रसारण के स्थान आवश्यक सूचना का ही प्रसारण किया जाना चाहिए ।
  10. समय परिस्थितियों के अनुरूप सूचनासंचार की व्यवस्था में परिवर्तन लाया जाना चाहिए ।
  11. सूचना संचार अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ के बिना तथा अमुक सूचना को जान-बूझकर छुपाये बिना अथवा अपूर्ण सूचना या गलत ढंग से प्रस्तुत न करना ।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिये :

प्रश्न 1.
मार्गदर्शन का अर्थ एवं लक्षण समझाइये ।
उत्तर :
मार्गदर्शन का अर्थ : निर्देशन प्रबंध का एक कार्य है । जिसके अंतर्गत संगठन के कार्य महत्त्वपूर्ण करनेवाले कर्मचारियों को । उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हिदायत, मार्गदर्शन एवं प्रेरणा दी जाती है । यह प्रक्रिया का वह भाग है जिसके अंतर्गत संगठन में कार्यरत कर्मचारी पूरी तत्परता और क्षमता से कार्य करते हैं । इसके अंतर्गत कर्मचारियों के कार्यों का नियंत्रण किया जाता है । अपने सहायक कर्मचारियों की प्रवृत्ति में देखरेख रखना एवं मार्गदर्शन प्रदान करने की संचालकीय प्रवृत्ति अर्थात् निर्देशन । कर्मचारियों को निश्चित उद्देश्य पूर्ण करने के लिए दिया जानेवाला मार्गदर्शन निर्देशन कहलाता है । श्री हाईमेन के मतानुसार ‘निर्देशन में सूचना प्रदान करने के लिए उपयोग में ली जानेवाली पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं का समावेश होता है तथा आयोजन के अनुसार प्रवृत्ति हो रही हो या नही इसका विश्वास दिलाता है ।’

मार्गदर्शन के लक्षण :
(1) संचालन के प्रत्येक स्तर पर : संचालन के प्रत्येक स्तर पर निर्देशन का कार्य किया जाता है । उच्च अधिकारी विभागीय अधिकारियों को निश्चित उद्देश्य कार्य पद्धतियाँ नीति नियमों के विषय में मार्गदर्शन देता है । विभागीय अधिकारी सुपरवाइजरों, निरीक्षकों एवं फोरमेन को मार्गदर्शन देते है तथा फोरमेन, सुपरवाइजर कारीगरों का कार्य में उत्साह इत्यादि अन्य विषयों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं ।

(2) कार्यक्षेत्र विस्तृत : निर्देशन का कार्यक्षेत्र विशाल होता है । निर्देशन का कार्य मात्र अधिकारियों के द्वारा सूचना या आदेश देने का नहीं, परन्तु लिये गए निर्णयों की जानकारी देना, तथा इसका परिपालन कराने हेतु योग्य सूचना भी दी जाती है ।

(3) संकलन जैसा पूरक कार्य : निर्देशन द्वारा अधिकारीगण की सफलता हेतु सूचना देते हैं । जिससे सभी विभागो की प्रवृत्तियों में संकलन बना रहता है । जिससे निर्देशन यह संकलन की पूरक प्रवृत्ति है ।

(4) प्रोत्साहन : अधिकारियों के द्वारा कर्मचारियों को कार्य के प्रति सूचना, सुझाव, जानकारी दी जाती है । जिससे कर्मचारियों का कार्य करते समय आनेवाली परेशानियाँ दूर होती हैं । कार्य के प्रति उत्साह बढ़ता है । कार्य के प्रति प्रोत्साइन प्राप्त होता है ।

(5) सतत प्रक्रिया : निर्देशन सतत प्रक्रिया है । संचालन के कार्यों में माहिती संचार जैसे सतत प्रक्रिया है कि जो प्रत्येक इकाई के लिए हमेशा आवश्यक कार्य है इसी प्रकार बदलती हुई परिस्थितियों के कारण मार्गदर्शन सतत अनिवार्य है । सतत मार्गदर्शन होने से ही निश्चित उद्देश्य सिद्ध हो सकता है ।

(6) व्यक्तिगत निरीक्षण : अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर आदेश देना, सूचना देनी इनसे कार्य में सातत्य बना रहता है । मात्र सूचना या आदेश देने के बाद देखरेख का कार्य किया जाता है । यह महत्त्वपूर्ण कार्य है कारण कि ध्येय की सम्पूर्ण सफलता का आधार ही देखरेख है । परन्तु देखरेख (निरीक्षण) अधिकारियों द्वारा स्वयम् की जानेवाली प्रवृत्ति है ।

(7) उद्देश्यलक्षी प्रवृत्ति : निर्देशन यह संचालकीय कार्य है । निर्देशन के पीछे निर्धारित हेतु का आधार है । निर्धारित हेतु निश्चित . समय में सफल हो सके इसलिए समय-समय पर कर्मचारियों को तैयार किए आयोजन के अनुसार कार्यपद्धतियाँ, नीति-नियम में अवगत कराया जाता है ।

(8) निम्नगामी प्रवृत्ति : मार्गदर्शन निम्नगामी प्रवृत्ति है । जिसका प्रवाह सदैव उच्च स्तर से निम्न स्तर की तरफ जाता है । संचालक उच्च स्तर से मध्य स्तर के अधिकारियों को मार्गदर्शन देते हैं तथा मध्य स्तर के अधिकारी निम्न स्तर के कर्मचारी को मार्गदर्शन देते है ।

(9) संचालन का कार्य : संचालन के विविध कार्य जैसे कि आयोजन, व्यवस्थातंत्र, कर्मचारी व्यवस्था, संकलन, सूचना प्रेषण एवं नियंत्रण जैसे कार्य मार्गदर्शन के साथ जुड़े होते है ।

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प्रश्न 2.
अभिप्रेरणा (Motivation) का अर्थ एवं लक्षण समझाइए ।
उत्तर :
अभिप्रेरणा का अर्थ : ‘कर्मचारियों में अधिक कार्य करने की प्रेरणा जाग्रत करना और उनको महत्तम कार्यसंतोष की उपलब्धि अर्थात् अभिप्रेरणा ।’

अभिप्रेरणा के लक्षण (Characteristics of Motivation) :
अभिप्रेरणा के लक्षण निम्नलिखित होते हैं :
1. कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि : अभिप्रेरणा से कर्मचारियों को अपने कार्य के प्रति अधिक प्रोत्साहन दिया जाता है । जिससे अधिक कार्यक्षम एवं ढंग से कार्य सम्भव बनता है । अधिक उत्पादन होता है ।

(2) उद्देश्य की प्राप्ति : अभिप्रेरणा से कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है । जिससे निर्धारित आयोजन के अनुसार उत्पादन होता है । कार्य सरल बनता है । जिससे कार्य के प्रति अधिक संतोष होता है ।

3. कार्य के प्रति अधिक संतोष : अभिप्रेरणा से कर्मचारियों को कार्य के प्रति लगाव होता है । कार्य एक बोझरूप नहीं बनता है । कार्य सरल बनता है । जिससे कार्य के प्रति अधिक संतोष होता है ।

(4) कर्मचारियों के स्थानांतरण में कमी : अभिप्रेरणा से कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है । कार्यक्षमता में वृद्धि होने से अधिक वेतन प्राप्त होता है । अधिक वेतन के साथ-साथ मान सम्मान, प्रमोशन एवं सामाजिक महत्त्व बढ़ता है । जिससे कर्मचारी कार्य छोडकर दूसरी इकाई में नहीं जाता ।

(5) कर्मचारियों में नियमितता : कर्मचारियों की अभिप्रेरणा से कार्य के प्रति संतोष, कार्य में रूचि, कार्य सरल, प्रतिदिन कार्य करने की इच्छा जागृत होती है । जिससे कार्य के प्रति आकर्षण बढ़ता है । अत: कर्मचारी नियमित रहता है ।

(6) कर्मचारियों की नैतिकता में सुधार : कर्मचारियों का कार्य के प्रति उत्साह बना रहे अभिप्रेरणा की प्रक्रिया इस सम्बन्ध के प्रश्नों का अध्ययन करती है । तथा प्रश्नों का निराकरण खोजती है । इसके लिए प्रेरणारूप कदम उठाए जाते हैं । जिससे कर्मचारियों को कार्य के प्रति संतोष एवं कार्य के प्रति उत्साह बढ़ता है । अतः कर्मचारी अपने नैतिक धर्म को अपनाता है ।

(7) परिवर्तनशील व्यवस्थातंत्र का स्वीकार : इकाई को आंतरिक एवं बाहरीय परिस्थितियों में परिवर्तन होने से इकाई के उत्पादन एवं व्यवस्थातंत्र में परिवर्तन करना आवश्यक बनता है । जिससे उत्पादन, तकनीकि, कच्चा माल, साधनों इत्यादि अन्य कार्यों में परिवर्तन करना पड़ता है । जो कर्मचारी वर्ग इन परिवर्तनो का स्वीकार सरलता से नही करते अतः अभिप्रेरण द्वारा सरलता से परिवर्तन कराया जा सकता है ।

(8) सकारात्मक अभिगम : अभिप्रेरण सकारात्मक अभिगम को प्रोत्साहन प्रदान करता है । कर्मचारियों को समस्याओं का जब निराकरण किया जाता है । तब व्यवस्थातंत्र और इकाई के प्रति सम्मान की भावना का अनुभव करता है । स्वयं इकाई का एक हिस्सा हूँ । इस दृष्टि से कर्मचारी कार्य करता है । इस प्रकार का विचार इकाई एवं कर्मचारी दोनों के लिए लाभकारक सिद्ध होता है ।

(9) उत्पादन में वृद्धि : अभिप्रेरण से कर्मचारियों को अपने कार्य के प्रति उत्साह एवं वफादारी बनी रहती है । जिससे इकाई के साधनों का योग्य उपयोग होता है । अतः उत्पादन के प्रमाण में वृद्धि होती है ।

(10) आन्तरिक प्रेरणा : अभिप्रेरणा एक ऐसी शक्ति है, जो कि मनुष्य के अन्दर से उत्पन्न होती है । अर्थात अभिप्रेरण आन्तरिक प्रेरणा है ।

(11) मनोवैज्ञानिक ख्याल : अभिप्रेरणा का ख्याल मनोवैज्ञानिक है । प्रत्येक व्यक्ति के ख्याल अलग-अलग होते है । जिससे प्रत्येक व्यक्ति की आन्तरिक प्रेरणा की आवश्यकता भी अलग होती है ।

(12) विस्तृत क्षेत्र : अभिप्रेरण का ख्याल विस्तृत और समृद्ध है । आवश्यकता हेतु, इच्छा, लगाव, ध्येय, चयन, मनोबल, प्रलोभन आदि शब्दों का समावेश प्रेरण या अभिप्रेरण में होता है ।

(13) सहयोग प्राप्त करने का साधन : कर्मचारी को अभिप्रेरण देने से उन्हे कार्य सन्तुष्टी मिलती है । जिससे वह उच्च अधिकारियों को सम्पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है ।

(14) संचालन का एक कार्य : संचालन का महत्त्वपूर्ण कार्य अथवा अंग अभिप्रेरणा कहलाता है । संचालकों को भौतिक साधनों के पास से नहीं, बल्कि जीवित कर्मचारियों के पास से काम लेना होता है, जिससे उनको अभिप्रेरणा प्रदान करना एक महत्त्वपूर्ण कार्य बन जाता है ।

प्रश्न 3.
सूचना संचार (Communication) का अर्थ एवं लक्षण समझाइए ।
उत्तर :
सूचनासंचार का अर्थ : एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को स्पष्ट व आधारभूत स्वरूप में सूचना भेजना, जिससे दूसरा व्यक्ति सूचना
देनेवाले व्यक्ति के उद्देश्य को समझ सके तथा उनका अमल कर सके ।

व्याख्या (Defination) :- (सूचनासंचार अथवा माहिती संचार)
माहिती संचार की मुख्य व्याख्या (परिभाषाएँ) निम्नलिखित हैं :

  1. माहिती संचार अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचार, मंतव्य, सुझाव एवं भावनाओं को निश्चित माध्यमों के द्वारा होने वाली आदान-प्रदान की प्रक्रिया ।
  2. माहिती संचार शब्दों, पत्रों, सूचनाओं, विचारों एवं मंतव्यो के आदान-प्रदान की प्रक्रिया ।
  3. माहिती संचार अर्थात् अपने विचारों को दूसरे के मस्तिष्क में पहुँचाने की प्रक्रिया ।

माहिती संचार के लक्षण :
(1) उद्देश्यलक्षी प्रक्रिया : माहिती संचार का मुख्य हेतु इसके द्वारा इकाई के निर्धारित हेतु को लक्ष्य में रखकर ही आवश्यक माहिती संचार की प्रक्रिया की जाती है ।

(2) सतत एवं दैनिक प्रक्रिया : धंधाकीय इकाई में किसी न किसी स्वरूप में सतत आदेश, सूचन एवं जानकारियों का आदान प्रदान होता है । इकाई की स्थापना से लेकर विसर्जन तक माहिती संचार की दैनिक प्रक्रिया की जाती है ।

(3) द्धिमार्गी प्रक्रिया : माहिती संचार यह एकमार्गीय नहीं परंतु द्विमार्गीय प्रक्रिया है । इसमें सूचनों को देना एवं प्राप्त करने का समावेश होता है । उच्च स्तर के अधिकारी गण मात्र आदेश देते ही नहीं परन्तु आवश्यकता पड़ने पर जानकारियाँ प्राप्त भी करते.

(4) प्रबंधकीय प्रक्रिया : माहिती संचार यह प्रत्येक क्षेत्र में की जानेवाली प्रक्रिया है जैसे देश में, समाज में, संस्थाओ में. इकाईयों में परंतु संचालन में माहिती संचार को प्रबंधकीय कार्यों में सहायक या मददरूप समझा गया है । माहिती संचार का प्रबंधकीय कार्य के साथ संबंध है जैसे संचालन, दिशा-निर्देश, अंकुश के लिए आवश्यक माहिती संचार किया जाता है । यह प्रबंध के साथ संकलित है ।

(5) आंतरिक प्रक्रिया : माहिती संचार यह धंधाकीय इकाई को अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच आदेश देना, आदेश के अनुसार कार्य की जानकारी प्राप्त करना यह माहिती संचार का ही कार्य है । यह मुख्य तौर से कर्मचारियों के ही लिए है ।

(6) विविध रोतियाँ : माहिती संचार के अनेक माध्यम हैं जैसे लिखित, मौखिक, संकेत द्वारा, परस्पर विनिमय द्वारा भी हो सकता है ।

(7) विविध स्तर : माहिती संचार विविध स्तर पर होता है । एक ही स्तर पर या अलग-अलग स्तरों पर यह प्रक्रिया होती है । जैसे निम्न स्तर में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच तथा मध्य एवं उच्च स्तर तथा निम्न स्तर के बीच माहिती संचार की प्रक्रिया हो सकती है ।

(8) मानवीय प्रवृत्ति : माहिती संचार यह मानवीय प्रक्रिया है । अर्थात् माहितीयों का आदान-प्रदान एक व्यक्ति द्वारा संभव नहीं परन्तु इसके आदान-प्रदान के लिए दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है इसके लिए रेडियो, टेलिफोन, फेक्स, इन्टरकोम, सभी समाचारपत्र इत्यादि साधनों का उपयोग होता है । परंतु माहिती देनेवाला एवं माहिती लेनेवाला जीवित व्यक्ति होता है ।

(9) शब्द एवं भाषा का स्पष्ट होना : सूचना-संचार में उपयोग में ली जानेवाली भाषा व शब्द स्पष्ट होना चाहिए तथा द्विअर्थी नहीं होनी चाहिए।

(10) कार्य प्रेरक प्रवृत्ति : सूचनासंचार के माध्यम से अधिकारियों व कर्मचारियों के मन में कार्य की समझ बढ़ती है, जिससे उनको कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ।

GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन

प्रश्न 4.
अब्राहम मारलो की आवश्यकताओं का अग्रताक्रम आकृति सहित समझाइये ।
उत्तर :
GSEB Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 6 मार्गदर्शन 2
प्रस्तावना : मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु कार्य करता है । मनुष्य की सर्वप्रथम आवश्यकता प्राथमिक आवश्यकता होती है । जैसे भोजन, मकान, कपड़ा यदि मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं की संतुष्टि न हो और उच्च स्तर की आवश्यकताओं की संतुष्टि की जाए तो मनुष्य के द्वारा प्रवृत्ति करने में उत्साह नहीं होगा । अतः मनुष्य को कार्य के प्रति उत्साह बना सके इस हेतु से सर्वप्रथम आवश्यकताओं का अग्रिमता क्रम संचालकों के द्वारा निश्चित करना चाहिए श्री अब्राहम एच. मास्लने बतलाया कि मनुष्य की आवश्यकता कार्य करने के लिए प्रेरित करती है । अतः मस्लो ने आवश्यकताओं का वर्गीकरण क्रमानुसार निम्नलिखित आकृति द्वारा दर्शाया है ।

(1) प्राथमिक एवं शारीरिक आवश्यकता (Basic Needs) : यह मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है । शरीर को टिकाएँ रखने के लिए आवश्यकताएँ रोटी की आवश्यकता सबसे महत्त्वपूर्ण प्रथम आवश्यकताओं में रोटी, शारीरिक – प्राथमिक आवश्यकता कपड़ा, पानी, आवास आदि का समावेश होता है ।

भूखा व्यक्ति खाने को महत्त्व देता है । अर्थात् जब तक मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं होती है तब तक दूसरी आवश्यकता को महत्त्व नहीं देता ।

(2) सुरक्षा की आवश्यकता (Safety Needs) : शारीरिक एवं प्राथमिक आवश्यकता की संतुष्टि होने के बाद तीसरी आवश्यकता सुरक्षा की है । मनुष्य शारीरिक, दुर्घटना, नौकरी एवं वेतन में नियमितता की सुरक्षा का आग्रह रखता है ।

(3) सामाजिक आवश्यकता (Social Needs) : मनुष्य की प्राथमिक एवं शारीरिक आवश्यकता की संतुष्टि के बाद सुरक्षा की आवश्यकता संतुष्ट होने के बाद स्नेह एवं प्रेम की आवश्यकता का क्रम आता है । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होने से अपने परिवार के सदस्यो एवं सगे सम्बन्धियों में प्रेम एवं स्नेह की इच्छा रखता है ।

(4) प्रतिष्ठा एवं सम्मान (आदर) की आवश्यकता (Esteem Needs) : उपरोक्त तीन आवश्यकता की संतुष्टि के बाद व्यक्ति प्रतिष्ठा एवं सम्मान की इच्छा रखता है । सभी व्यक्ति समाज में प्रशंसा की इच्छा रखता है । अत: विशेष पद की प्राप्ति, समूह में सम्मान, समाज में आत्मसम्मान, प्रतिष्ठा जैसी इच्छाओं की संतुष्टि चाहता है ।

(5) आत्म सम्मान व आत्म सिद्धि की आवश्यकता : यह उच्च स्तर एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है । मनुष्य किसी क्षेत्र में विशिष्ट सिद्धि प्राप्त करना चाहता है और जो व्यक्ति इस प्रकार की विशिष्ट सिद्धि प्राप्त करता है । उसे आत्मसंतोष होता है । जैसे चित्रकार के द्वारा चित्र बनाने की प्रवृत्ति स्थानिक क्षेत्रों तक ही नहीं परंतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चित्र बनाने का विशेष अधिकार प्राप्त हो जिससे उसे स्वयं आत्म संतोष मिलता है । जैसे बोकसिंग में मौहम्मद अली, शहनाई में बिसमिल्ला खान, क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर, तबलावादन में जाकिर हुसेन, संतुरवादन में शीवकुमार शर्मा, अभिनय के क्षेत्र में अमिताभ बच्चन, संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर इत्यादि ।

प्रश्न 5.
मौद्रिक प्रोत्साहन को समझाइये ।
उत्तर :
मौद्रिक प्रोत्साहन (Financial Incentives) : प्रोत्साहन का ऐसा माध्यम जिसमें मुद्राकीय स्वरूप में लाभ मिलता है । जिन्हें मौद्रिक प्रोत्साहन कहा जाता है । मौद्रिक प्रोत्साहन कर्मचारियों के उत्साह और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है । मौद्रिक प्रोत्साहन निम्न रूप से दिया जा सकता है ।

(1) लाभ में हिस्सा (Profit Share) : कर्मचारियों की अधिक कार्यक्षमता एवं कार्य के प्रति उत्साह होने से इकाई में उत्पादन बढ़ता है । जिससे लाभ में वृद्धि होती है । अत: लाभ में होने वाली वृद्धि के लिए मात्र मालिक ही जिम्मेदार नहीं परंतु कर्मचारी गण भी है । अतः कर्मचारियों को लाभ में हिस्सा प्राप्त होना चाहिए जिससे कर्मचारियों को प्रोत्साहन प्राप्त होता है ।

(2) सहभागीदारी (Co-Partnership) : संचालकों के द्वारा की जानेवाली संचालन की प्रवृत्ति में कुशल कर्मचारियों से संचालन सम्बन्धि सलाह सूचन लेना चाहिए जिसे सह भागीदारी कहते हैं । इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है ।

(3) बोनस (Bonus) : कर्मचारियों को वेतन के अलावा वार्षिक प्रतिफल को बोनस कहते हैं । बोनस का आधार वार्षिक लाभ पर होता है । अधिक लाभ होने पर संचालकों के द्वारा बोनस की दर निर्धारित की जाती है । अपने देश में सामान्यत: दीपावली के पर्व पर बोनस देने की प्रथा अधिक प्रचलित है ।

(4) सुझाव एवं सलाह (Suggestion & Advices) : कर्मचारी गण उत्पादन के साथ जुडा हुआ पक्ष है । अत: कर्मचारी के द्वारा संचालकों को समय-समय पर अधिक उत्पादन सम्बन्धि सलाह-सूचन प्रदान किया जाता है । जिससे अधिक उत्पादन सम्भव बनता है । ऐसे कर्मचारियों को वित्तीय सुविधा प्रदान की जानी चाहिए जिससे कर्मचारीगण सतत सलाह सूचन देने में अग्रसर रहते हैं ।

(5) कमीशन (Commission) : तैयार माल की बिक्री पर योग्य कमिशन की दर निश्चित की जाती है । अत: जो कर्मचारी .. गण माल की बिक्री के साथ जुड़े हैं । ऐसे कर्मचारियों के द्वारा अधिक बिक्री पर अधिक कमीशन देने की प्रथा संचालकों के द्वारा निर्धारित की जाती है । जिससे कर्मचारियों के द्वारा अधिक बिक्री की जाती है । जिससे इकाई को अधिकतम लाभ प्राप्त होता है ।

(6) पुरस्कार (Prizes) : कर्मचारी अपने अधिक कार्यक्षम कार्य के प्रति सम्मान की इच्छा रखता है । अत: जिन कर्मचारियों के द्वारा अधिक कार्यक्षम ढंग से कार्य किया जाता है । ऐसे कर्मचारियों को सभा-सेमिनार, विशेष पर्व, सम्मेलनों एवं सामूहिक मिलन जैसे स्थलों पर सबके सामने योग्य पुरस्कार प्रदान किया जाना चाहिए । जैसे प्रमाणपत्र भेंट इत्यादि इससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि देखने को मिलती है ।

(7) पदोन्नति (Permotion) : कर्मचारियों को उनके वर्तमान पद से उच्च लाभदायी पद पर रखने की प्रक्रिया को पदोन्नति कहते हैं । जिससे कर्मचारियों के अधिकार, दायित्व, कर्तव्य एवं वेतन में वृद्धि होती हैं । पदोन्नति के कारण कर्मचारी की शक्ति एवं उत्साह में वृद्धि होती है ।

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प्रश्न 6.
बिन मौद्रिक प्रोत्साहन के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
बिन वित्तीय (बिन आर्थिक) प्रोत्साहन (Non-Monetary Incentives) : कर्मचारियों को बिन आर्थिक स्वरूप में भी प्रोत्साहक संचालकों के द्वारा दिए जाते है । इसमें प्रशंसा, सम्मान, नौकरी की सुरक्षा, अधिक जिम्मेदारियाँ, प्रमोशन इत्यादि का बिन आर्थिक प्रोत्साहनों में समावेश होता है ।

बिन आर्थिक प्रोत्साहन में निम्न का समावेश होता है :

(1) नौकरी की सलामती : नौकरी की सुरक्षा होना यह प्रत्येक कर्मचारियों की इच्छा होती है । बिन कर्मचारियों की नौकरी में सुरक्षा नहीं होती है ऐसे कर्मचारी के द्वारा कार्य में उत्साह कम होता है । अत: कर्मचारियों की नौकरी में सलामती प्रोत्साहन का एक आदर्श स्वरूप है।

(2) आदर्श गुणों का सम्मान : कर्मचारियों के इकाई के विकास सम्बन्धि गुणों का समूह में सम्मान करना चाहिए जिससे उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है । जैसे नियमितता, नेतृत्व, वफादारी, कार्य के प्रति ईमानदारी इत्यादि इससे अन्य कर्मचारियों के उत्साह में भी वृद्धि होती है।

(3) प्रशंसा : सामान्यत: अधिकांश कर्मचारी अपने अच्छे कार्य की प्रशंसा का आदी होता है । अत: जिन कर्मचारियों के द्वारा आदेश के अनुसार व्यवस्थित कार्य, कार्य से अधिक उत्पादन, इत्यादि अन्य कार्यों की समूह में प्रशंसा करनी चाहिए जिससे अन्य कर्मचारी भी इस प्रकार से कार्य करने की तैयारी करता है कि जिससे उसकी भी प्रशंसा समूह में की जाय ।

(4) परामर्शन सलाहकार : यदि कोई कर्मचारी अपने कार्य में श्रेष्ठ कार्य पद्धति द्वारा उत्पादन काफी लम्बे समय से कर रहा हो इससे इकाई के उत्पादन में विशेष सिद्धि प्राप्त होती है । तब संचालक वर्ग ऐसे कर्मचारी के द्वारा कार्य पद्धति निश्चित करवाने में सहकार, सलाह लेते हैं । जिससे कर्मचारी का मनोबल बढ़ता है ।

(5) जिम्मेदारी का वितरण : विभागीय अधिकारी के द्वारा अपने विभाग के कर्मचारियों में से कोई कर्मचारी के द्वारा कार्य एवं जिम्मेदारी विशेष ढंग से निभाता हो तब अधिकारी के द्वारा अन्य कर्मचारियों पर नेतृत्व का अधिकार प्रदान किया जाता है । जिससे वह अपने विभाग का कार्य श्रेष्ठ ढंग से करने का प्रयास करेगा ।

(6) कल्याणकारी प्रवृत्ति एवं सुविधाएँ : कर्मचारी के द्वारा अधिक कार्यक्षम ढंग से कार्य करने के बदले संचालकों द्वारा अनेक कल्याणकारी सुविधाएँ प्रदान की जाती है । जैसे – केन्टीन की सुविधा, मुफ्त शिक्षण, वाहन की सुविधा, पेन्शन, राहतदर से खाद्य सामग्री, प्रवासी फीस, बीमा इत्यादि अन्य सुविधाएँ दी जाती है । जिससे कर्मचारी को प्रोत्साहन प्राप्त होता है ।

प्रश्न 7.
सूचना संचार के अवरोध समझाइये ।
उत्तर :
सूचना संचार के अवरोधक परिबल (Barriers to Communication) : माहिती संचार की कार्यक्षमता का आधार कार्य करनेवाले कर्मचारी पर है । माहिती संचार यह मानवीय प्रवृत्ति है । मानवीय मर्यादाओं के कारण भी माहिती संचार अवरोध रुप बनता है ।

(1) संदेश में कमी एवं अस्पष्टता : माहिती संचार का आकर्षण संदेश की स्पष्टता पर आधारित है । यदि संदेश में कमी, अस्पष्टता, उलझनपूर्ण, आलसमय, द्विअर्थों एवं मुख्य हेतु के आधार बिना गलत शब्दों का उपयोग तथा समझने योग्य न हो तब माहिती संचार की प्रक्रिया अवरोधक बनती है ।

(2) स्पष्ट आयोजन का अभाव : आयोजन के बिना माहिती संचार कार्यक्षम नहीं बन सकता । कई बार कर्मचारियों के द्वारा आयोजन
के बिना, बिना विचारे, अयोग्य समय, अपूर्ण एवं अस्पष्ट सूचना भेजते हैं । जिसके कारण वाद-विवाद की सम्भावना रहती है ।

(3) अनुवाद की भूल : अधिकारियों के द्वारा दी जानेवाली सूचनाएँ या आदेश किसी मध्यस्थी द्वारा भेजी जाती हो तब भेजी जाने वाली सूचना में अनुवाद की भूल होने पर अधिकारी जिम्मेदार होता है और माहिती संचार कम आकर्षण बनती है ।

(4) अविश्वास और भय : जिस व्यवस्थातंत्र में कर्मचारी व्यवस्था के बीच अविश्वास एवं भय की भावना हो तब भेजे जानेवाले सभी संदेशो में शंका की भावना बनी रहती है । जैसे सही जानकारी अधिकारी को दी तो दंड होगा, इससे जानकारी में परिवर्तन किया जाता है । अत: माहिती संचार से अव्यवस्था बनी रहती है ।

(5) परिवर्तनों के परिपालन को समझने में समय का अभाव : इकाई को व्यवस्था में कोई संदेश परिवर्तन की सचना देते हैं । इन परिवर्तनो के परिपालन में एवं समझने में समय का अभाव होता है । जिससे इन परिवर्तनों का परिपालन सम्भव नही बनता जैसे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की एका-एक सूचना देना, कर्मचारियों की पाली पद्धति में एका-एक परिवर्तन होने से अव्यवस्था रहती है ।

(6) माहिती संचार की अतिव्यस्तता : बड़ी इकाईयों में माहितीयों या सूचनाओं का आदान-प्रदान निरन्तर एवं विशाल प्रमाण में होता है । अतः एक कर्मचारी द्वारा सूचनों को सुनना उसका परिपालन करना हो तब माहिती संचार के परिपालन में आलस देखने को मिलता है ।

(7) अस्पष्ट अनुमान : कई बार भेजी जानेवाली सूचना में स्पष्टता का अभाव हो तब सूचना देनेवाला पक्ष एवं सूचना प्राप्त करनेवाला
पक्ष अमुक अनुमान लगाकर माहिती संचार का उपयोग करते हैं । जिससे इसका प्रभाव कम होता है ।

(8) अयोग्य माध्यम की पसंदगी : माहिती संचार के लिए योग्य माध्यम की पसंदगी न हो तब माहिती संचार का प्रभाव कम होता है । दोषयुक्त माध्यम की पसंदगी माहिती संचार को अवरोध पहुँचाती है । जैसे लिखित के बदले मौखिक सूचना दी जाए तब कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।

(9) कर्मचारी संबंध : माहिती संचार का प्रभाव मजदूर वर्ग एवं मालिक वर्ग के बीच के संबंध पर आधारित होता है । यदि मजदुर एवं मालिक के बीच संबंध में परोपकार, मैत्रीभाव, आपसी सहकार की भावना हो तो माहिती संचार प्रभावपूर्ण बनता है । यदि संबंध खराब हो तो माहिती संचार अवरोधरुप बनता है ।

(10) क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र : क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र माहिती संचार को प्रभावपूर्ण बनाने में अवरोधक बनती है । यदि क्षतियुक्त व्यवस्थातंत्र हो तब सूचना अमुक कक्षा तक पहुँचने के बाद रूक जाती है । उसका आगे प्रसारण नहीं होता जिससे माहितीसंचार प्रभावपूर्ण नहीं बनता।

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प्रश्न 8.
सूचना संचार की विभिन्न पद्धतियों की आकृति बनाइये ।
उत्तर :
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित विधानों को समझाइये ।

1. मार्गदर्शन यह सतत प्रक्रिया है ।
उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा निश्चित उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार कार्य हो इसलिए कर्मचारियों की कार्यपद्धति, नीति नियम अनुमान के विषय में सूचना एवं मार्गदर्शन देता है । तथा बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार योग्य परिवर्तन कराने की सूचना भी प्रदान की जाती है । तथा दी गई सूचना के अनुसार कार्य का निरीक्षण भी किया जाता है । अत: निर्देशन यह सतत प्रक्रिया है ।

2. निरीक्षण अंकुश नहीं हैं ।
यह विधान सत्य है । अधिकारियों द्वारा सहायक कर्मचारियों को निर्देश देने के बाद कार्य के प्रति देखरेन रखना निरीक्षण कहलाता । है । निरीक्षण से कार्य स्थगित नहीं बनता, कर्मचारियों को मानसिक तनाव नहीं होता मात्र निरीक्षम से कार्य करने में आनेवाली कठिनाईयों को दूर किया जाता है । निरीक्षण से कार्य सरल बनता है । कार्य के प्रति कर्मचारियों का उत्साह बढ़ता है । निरीक्षण से कार्य उद्देश्य लक्षी बनता है ।

3. अभिप्रेरित कार्य के प्रति संतोष बढ़ाता है ।
अभिप्रेरित से कर्मचारियों के कार्य की दिशा आगे बढ़ती है । कार्य के प्रति लगाव, उत्साह एवं अधिक कार्यक्षम ढंग से कार्य होता है । अभिप्रेरित से कर्मचारी गण अपना कार्य बोझरूप नहीं परंतु प्रभावपूर्ण ढंग से करते हैं । कर्मचारियों को अपने कार्य के प्रति संतोष होता है।

4. नेतृत्व यह प्रेरणा प्रदान करता है ।
यह विधान सत्य है । नेता द्वारा नेतृत्व का कार्य किया जाता है । नेतृत्व द्वारा कर्मचारियों कार्य करते समय आनेवाली रूकावटों, कार्य के प्रति कम लगाव, नीरसता जैसे दूषणोको नेता द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है । जिससे कर्मचारियो को कार्य के प्रति प्रेरणा प्राप्त होती है । कार्य करने में उत्साह बढ़ता है । तथा कार्य आयोजन एवं परिस्थितियों के अनुकूल होता है ।

5. माहिती संचार द्धिमार्गी प्रक्रिया है ।
माहिती संचार में सूचनाओ एवं आदेश देना ही नहीं परंतु यह तो द्विमार्गी प्रक्रिया है माहिती संचार में उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा सूचनाएँ सुझाव, जानकारियां – आदेश निम्नस्तर के कर्मचारियों को भेजे जाते हैं । निम्नस्तर के कर्मचारियों के द्वारा प्राप्त सुझाव सूचनाओ एवं आदेश के अनुसार कितना कार्य किया क्या परेशानियाँ हुई । इसकी जानकारी उच्चस्तर के अधिकारियों को लिखित या मौखिक स्वरूप में दी जाती है । अतः सूचनाओं का आदान-प्रदान दोनो पक्षों से होने पर ही माहिती संचार का हेतु सिद्ध होता है ।

6. माहिती संचार सतत एवं नियमित प्रक्रिया है ।
इकाई का कद बड़ा हो या छोटा प्रत्येक में उद्देश्य निश्चित किया जाता है । निर्धारित उद्देश्य समयानुसार सिद्ध हो सके इसके लिए आयोजन करना व्यवस्थातंत्र की रचना कर्मचारी व्यवस्था दिशा निर्देश एवं अंकुश जैसे संचालकीय कार्य किये जाते है । संचालन के प्रत्येक कार्य में सूचनाओं का आदान-प्रदान अति आवश्यक है । संचालन के सभी कार्य व्यवस्थित एवं कार्यक्षम ढंग से हो इसलिए आकर्षक माहिती संचार अनिवार्य है । इकाई का प्रारंभ होने से लेकर इकाई के विसर्जन तक माहिती संचार नियमित एवं सतत की जानेवाली प्रक्रिया है ।

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7. माहिती संचार यह संचालन के प्रथम नंबर का प्रश्न है ।
माहिती संचार के कार्यक्षम एवं आदर्श व्यवस्था पर इकाई की सफलता आधार रखती है । इसके विपरीत की स्थिति इकाई को असफलता के मार्ग पर ले जाती है । माहिती संचार वर्तमान समय में संचालन का प्रथम नंबर का प्रश्न है । संचालन का श्रेष्ट आयोजन करता है । आदर्श व्यवस्थातंत्र की रचना करता है । कार्यक्षम कर्मचारी व्यवस्था करता है । परन्तु इनके लिए सूचनाओं एवं सुझावों एवं जानकारियों का आदान-प्रदान माहिती संचार के अलग-अलग माध्यमों से न हो तो श्रेष्ठ आयोजन आदर्श व्यवस्थातंत्र एवं कार्यक्षम कर्मचारी व्यवस्था नहीं हो सकती जिससे इकाई में निश्चित हेतु समयानुसार सिद्ध नहीं होगा । अतः इकाई का विकास नहीं हो सकता । इसलिए संचालन के प्रथम नंबर का प्रश्न माहिती संचार है ।

8. माहिती संचार का कार्य रूधिराभिसरणतंत्र के समान है ।
मानव शरीर में रूधिराभिसरणतंत्र शरीर के अलग-अलग भागों में आवश्यकता अनुसार रक्त पहुँचाने का कार्य करता है । उसी प्रकार माहिती संचार के अपने अलग-अलग माध्यमों के द्वारा इकाई के अलग-अलग विभागो को आवश्यकता अनुसार समयानुसार माहिती पहुँचाने का कार्य करता है । जिससे इकाई के सभी विभागो के बीच प्रवृत्ति में सातत्य बना रहता है तथा सभी प्रवृत्तियाँ में कार्यक्षमता बनी रहती है । उसी प्रकार रक्त शरीर के सभी अंगो को प्राप्त होने से शरीर के सभी अंग कार्यक्षम रहते है ।

9. अनौपचारिक माहिती संचार यह औपचारिक माहिती संचार का विकल्प नहीं परंतु पूर्ती है ।
अनौपचारिक माहिती संचार सामान्यत: मौखिक प्रक्रिया है । यह व्यवस्थातंत्र के नीतिनियमो पर आधारित नहीं है लेकिन मैत्रीभाव एवं आपसी सहकार की भावना पर आधारित है । इससे इकाई के संचालन कार्य में संतुलन एवं अंकुश बनाए रखने में सहायक होती है । उसी प्रकार औपचारिक माहिती संचार यह व्यवस्थातंत्र के नीतिनियमों पर आधारित लिखित माहिती संचार का माध्यम है । इसके द्वारा भी संकलन एवं अंकुश बनाये रखने में सहायक है । इसलिए औपचारिक माहिती संचार यह अनौपचारिक माहिती संचार का विकल्प नहीं परंतु पूर्ती है ।

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