Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 9 वित्तीय बाजार Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 9 वित्तीय बाजार
GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management वित्तीय बाजार Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसन्द करके लिखिए :
प्रश्न 1.
एक वर्ष या इससे कम समय के लिए परिपक्व समय प्राप्त जामिनगीरी का बाजार अर्थात् …………………………
(A) पूँजी बाजार
(B) प्राथमिक बाजार
(C) द्रव्य बाजार
(D) गौण बाजार
उत्तर :
(C) द्रव्य बाजार
प्रश्न 2.
संगठित द्रव्य बाजार का नियंत्रण किसके द्वारा होता है ?
(A) सेबी
(B) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(C) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(D) वित्तीय संस्थाएँ
उत्तर :
(C) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
प्रश्न 3.
ट्रेजरी बिल भारत सरकार की ओर से कौन निर्गमित करती है ?
(A) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(B) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(C) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
(D) वित्तीय संस्थाएँ
उत्तर :
(B) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
प्रश्न 4.
कोमर्शियल बिल के सन्दर्भ में कौन-सा विधान गलत है ?
(A) सरकारी प्रतिभूति है ।
(B) धन्धे के व्यवहारों से उत्पन्न होते है ।
(C) व्यापारिक बैंक वटावी देती है ।
(D) हस्तांतरणीय साधन है ।
उत्तर :
(A) सरकारी प्रतिभूति है ।
प्रश्न 5.
1956 के जामिनगीरी (प्रतिभूति) करार (नियमन) कानून के रुप में शेयर बाजारो को किसकी अनुमति लेनी पड़ती है ?
(A) केन्द्र सरकार
(B) सेबी
(C) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(D) वित्त मंत्री
उत्तर :
(A) केन्द्र सरकार
प्रश्न 6.
डिपोजिटरी कानून किस वर्ष अमल में आया ?
(A) 1991
(B) 1992
(C) 1995
(D) 1996
उत्तर :
(D) 1996
प्रश्न 7.
नई निर्गमित की जानेवाली जामिनगिरीयों का विक्रय का बाजार अर्थात् …………………….
(A) शेयर बाजार
(B) प्राथमिक बाजार
(C) गौण बाजार
(D) सट्टा बाजार
उत्तर :
(A) शेयर बाजार
प्रश्न 8.
डिपोजिटरीयों को उनकी कामगीरी आरम्भ करने से पहले किसके पास से पंजियन का प्रमाणपत्र प्राप्त करना पड़ता है ?
(A) शेयर बाजार
(B) केन्द्र सरकार
(C) सेबी
(D) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
उत्तर :
(C) सेबी
प्रश्न 9.
प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय में कितने प्रकार के ऑर्डर होते है ।
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर :
(A) दो
प्रश्न 10.
सेबी (SEBI) कौन-से कानून से अस्तित्व में आया ?
(A) कम्पनी कानून
(B) जामिनगीरी करार (नियमन) कानून
(C) नेशनल कम्पनी कानून
(D) सिक्युरिटीज एण्ड एक्सेंज बोर्ड ऑफ इण्डिया कानून (SEBI Act)
उत्तर :
(D) सिक्युरिटीज एण्ड एक्सेंज बोर्ड ऑफ इण्डिया कानून (SEBI Act)
प्रश्न 11.
भारत में वर्तमान में कितनी डिपोजिटरी है ?
(A) 4
(B) 2
(C) 8
(D) 5
उत्तर :
(B) 2
प्रश्न 12.
NSDL कम्पनी कानून के अनुसार कौन-सी कम्पनी है ?
(A) निजी कम्पनी
(B) सरकारी कम्पनी
(C) सार्वजनिक कम्पनी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(B) सरकारी कम्पनी
प्रश्न 13.
NSDL (National Securities Depository Limited) का पंजियन सेबी में कौन-से वर्ष में हुआ था ?
(A) 1995
(B) 2001
(C) 1991
(D) 1996
उत्तर :
(D) 1996
प्रश्न 14.
…………………………. अर्थात् भौतिक स्वरूप की जामिनगिरीयों का कम्प्यूटर द्वारा इलेक्ट्रोनिक डेटा में रूपान्तर ।
(A) लिबरेलाईजेशन
(B) प्राइवेटीलाईजेशन
(C) डिमटिरियलाइजेशन
(D) रिमटिरियलाइजेशन
उत्तर :
(C) डिमटिरियलाइजेशन
प्रश्न 15.
वित्तीय बाजार को मुख्यत: कितने भागों में बाँटा गया है ?
(A) चार
(B) दो
(C) आठ
(D) असंख्य
उत्तर :
(B) दो
प्रश्न 16.
विश्व स्तर पर कन-से वर्ष के पश्चात् कोमर्शियल पेपर लोकप्रिय अधिक बने है ?
(A) 1956
(B) 1980
(C) 1991
(D) 2004
उत्तर :
(B) 1980
प्रश्न 17.
भारतीय रिजर्व बैंक ने सर्वप्रथम कौन-से वर्ष में कोमर्शियल पेपर निर्गमित किये थे ?
(A) मार्च, 1995
(B) जुलाई, 1991
(C) जनवरी, 1990
(D) मई, 1960
उत्तर :
(C) जनवरी, 1990
प्रश्न 18.
कोमर्शियल पेपर पर इनमें से किसका नियंत्रण होता है ?
(A) State Bank of India
(B) Union Bank of India
(C) Central Bank of India
(D) Reserve Bank of India
उत्तर :
(D) Reserve Bank of India
प्रश्न 19.
Commercial Paper कितने लाख रूपये और इनके गुणांक में बट्टे से निर्गमित किये जाते है ।
(A) 10 लाख रु.
(B) 5 लाख रु.
(C) 20 लाख रु.
(D) 2 लाख रु.
उत्तर :
(B) 5 लाख रु.
प्रश्न 20.
बचत का प्रमाणपत्र (Certificate of Deposits) का मूल्य कम से कम कितने लाख रु. होनी चाहिए ?
(A) 1 लाख रु.
(B) 2 लाख रु.
(C) 5 लाख रु.
(D) 10 लाख रु.
उत्तर :
(A) 1 लाख रु.
प्रश्न 21.
कोमर्शियल बिल कितने दिन की अवधि के होते है ?
(A) 40, 50 या 60
(B) 30, 60 या 90
(C) 50, 60 या 80
(D) 70, 80 या 90
उत्तर :
(B) 30, 60 या 90
प्रश्न 22.
एक दिन का ऋण (Loan) अर्थात् ………………………….
(A) Call Money
(B) Notice Money
(C) Foreign Loan
(D) Cash Credit
उत्तर :
(A) Call Money
प्रश्न 23.
नोटिस मनी अर्थात् कितने दिन की उधार पूँजी ?
(A) 2 से 5 दिन
(B) 2 से 10 दिन
(C) 2 से 14 दिन
(D) 5 से 20 दिन
उत्तर :
(C) 2 से 14 दिन
प्रश्न 24.
देश में सर्वप्रथम शेयर बाजार की स्थापना कहाँ हुई ?
(A) मुम्बई
(B) अहमदाबाद
(C) दिल्ली
(D) भोपाल
उत्तर :
(A) मुम्बई
प्रश्न 25.
The Native Share and Stock Brokers Association की स्थापना कब हुई थी ?
(A) 5 मार्च, 1875
(B) 9 जुलाई, 1857
(C) 9 जुलाई, 1875
(D) 15 जुलाई, 1965
उत्तर :
(C) 9 जुलाई, 1875
प्रश्न 26.
अहमदाबाद में शेयर बाजार कब आरम्भ हुआ ?
(A) 1994
(B) 1875
(C) 1894
(D) 1951
उत्तर :
(C) 1894
प्रश्न 27.
शेयर बाजार की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण कौन रखती है ?
(A) RBI
(B) SBI
(C) SEBI
(D) State Government
उत्तर :
(C) SEBI
प्रश्न 28.
सेबी कानूनी रूप से कबसे अस्तित्व में आया ?
(A) जनवरी 30, 1992
(B) जनवरी 1990
(C) मार्च 31, 1991
(D) जुलाई 24, 1991
उत्तर :
(A) जनवरी 30, 1992
प्रश्न 29.
SEBI का मुख्य ऑफिस इनमें से कौन-से शहर में है ?
(A) जयपुर
(B) लखनऊ
(C) मुम्बई
(D) कोलकाता
उत्तर :
(A) जयपुर
प्रश्न 30.
सेबी के प्रादेशिक कार्यालय कहाँ पर स्थित है ?
(A) अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर
(B) कोलकत्ता, दिल्ली और चेन्नई
(C) बेंग्लोर, चेन्नई, दिल्ली
(D) राजकोट, पूना, कानपुर
उत्तर :
(B) कोलकत्ता, दिल्ली और चेन्नई
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1.
वित्त (द्रव्य) बाजार के साधनों का परिपक्व समय कितने समय का होता है ?
उत्तर :
वित्त (द्रव्य) बाजार के साधनों का परिपक्व समय एक वर्ष या इससे कम होता है ।
प्रश्न 2.
ट्रेजरी बिल कौन-से मूल्य पर निर्गमित किया जाता है ?
उत्तर :
ट्रेजरी बिल शून्य कूपन बोन्ड है, इन पर ब्याज नहीं चुकाया जाता है । यह बट्टे (Discount) से निर्गमित किये जाते है । तथा मूल कीमत पर वापस किये जाते है ।
प्रश्न 3.
वित्त (द्रव्य) बाजार में कौन-से वित्तीय साधनों का व्यापार होता है ?
उत्तर :
वित्त (द्रव्य) बाजार में ऊँची तरलता का गुणवाली वित्तीय सम्पत्तियों का व्यापार होता है ।
प्रश्न 4.
मुम्बई शेयर बाजार की स्थापना कब हुई ?
उत्तर :
मुम्बई शेयर बाजार की स्थापना 9 जुलाई, 1875 में हुई ।
प्रश्न 5.
भारत में शेयर बाजार का नियमन किसके द्वारा होता है ?
उत्तर :
भारत में शेयर बाजार का नियमन ‘सेबी’ तथा प्रतिभूति अनुबन्ध (नियमन) कानून Securities Contract (Regulation) Act) द्वारा होता है।
प्रश्न 6.
डिपोजिटरी की सेवाएँ किसके द्वारा प्राप्त होती है ?
उत्तर :
डिपोजिटरी की सेवाएँ भारत में वर्तमान में NSDL – National Securities Depository Limited एवं CSDL – Central Depository Services (India) Limited इन दोनों डिपोजिटरीयो निवेशक/ग्राहकों के उनके प्रतिनिधि या एजेन्ट ऐसे मध्यस्थियों द्वारा सेवा देते हैं ।
प्रश्न 7.
डिपोजिटरी कानून कब अमल में आया ?
उत्तर :
डिपोजिटरी कानून अगस्त 1996 से अमल में आया ।
प्रश्न 8.
नेशनल सिक्योरिटिज डिपोजिटरी लिमिटेड की स्थापना और कामगीरी का आरम्भ कब हुआ ?
उत्तर :
NSDL की स्थापना व कामगीरी का आरम्भ 1996 में हुआ ।
प्रश्न 9.
भारत की प्रथम डिपोजिटरी कौन-सी है ?
उत्तर :
भारत की प्रथम डिपोजिटरी NSDL – National Securities Depository Limited है ।
प्रश्न 10.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और मुम्बई शेयर बाजार का रिक्रन आधारित व्यापार किस नाम से पहचाना जाता है ?
उत्तर :
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को NEAT और मुम्बई शेयर बाजार को स्क्रिन आधारित व्यापार BOLT – BSE Online Trading के नाम से जाना जाता है ।
प्रश्न 11.
प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय प्रक्रिया करार नौंध/अनुबन्ध टिप्पणी (Contract Note) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
ग्राहक के ऑर्डर के प्रमाण में प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सौदे होने के पश्चात् दलाल इसके बारे में प्रविष्टी करता है उन्हें । करार नौंध (Contract Note) कहते हैं ।
प्रश्न 12.
ट्रेजरी बिल की परिपक्वता तारीख्न कितने दिनों की होती है ?
उत्तर :
ट्रेजरी बिल की परिपक्वता तारीख 91 दिन या 182 दिन या 364 दिन की होती है ।
प्रश्न 13.
विश्व स्तर पर कौन-से वर्ष के पश्चात् कोमर्शियल पेपर अधिक लोकप्रिय बने है ?
उत्तर :
विश्व स्तर पर 1980 के पश्चात् कोमर्शियल पेपर अधिक लोकप्रिय बने है ।
प्रश्न 14.
कोमर्शियल पेपर किस तरह के दस्तावेज है ? तथा कौन-सी पूँजी प्राप्त करने का साधन है ?
उत्तर :
कोमर्शियल पेपर बिन-सुरक्षित तथा अल्पकालीन वचन-चिट्ठी जैसा दस्तावेज है । और यह अल्पकालीन पूँजी/फण्ड प्राप्त करने का साधन है ।
प्रश्न 15.
बचत के प्रमाण-पत्र का मूल्य कम से कम कितना होना चाहिए ।
उत्तर :
जमा के प्रमाणपत्र का मूल्य कम से कम 1 लाख रु. का होना चाहिए ।
प्रश्न 16.
कम्पनी और वित्तीय संस्थाएँ कम से कम और अधिक से अधिक कितने समय के लिए कोमर्शियल निर्गमित कर सकते है ? .
उत्तर :
कम्पनियाँ व वित्तीय संस्थाएँ कम से कम 7 दिन और अधिक से अधिक 1 वर्ष के लिए कोमर्शियल पेपर निर्गमित कर सकती है ।
प्रश्न 17.
नकद अनामत किसे कहते हैं ?
उत्तर :
व्यापारिक बैंक रिजर्व बैंक के नियमानुसार कम से कम नकद शेष बनाये रखती है, जिसे नकद अनामत कहते हैं ।
प्रश्न 18.
कॉलमनी (Call Money) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब एक ही दिन के लिए पूँजी उधार ली जाये अथवा दी जाये तो उन्हे कॉल मनी कहते हैं ।
प्रश्न 19.
नोटिस मनी (Notice Money) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब 2 से 14 दिन के लिए पूँजी उधार ली जाये अथवा दी जाये तो उन्हें नोटिस मनी कहते हैं ।
प्रश्न 20
वित्तीय बाजार (Financial Market) को मुख्यत: कितने भागों में व कौन-कौन से भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर :
वित्तीय बाजार को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है :
- पूँजी बाजार
- वित्त (द्रव्य) बाजार
प्रश्न 21.
पूँजी बाजार में कितने व कौन-से बाजारों का समावेश होता है ? उत्तर : पूँजी बाजार में दो बाजार का समावेश होता है ।\
- प्राथमिक बाजार (Primary Capital Market)
- गौण/सहायक बाजार (Secondary Market)
प्रश्न 22.
पूँजी बाजार कितने भागों में बँटा हुआ है व कौन-कौन से ? उत्तर : पूँजी बाजार दो भाग में बँटा हुआ है :
- प्राथमिक बाजार
- गौण बाजार
प्रश्न 23.
कोमर्शियल बिल के प्रकार बताइए ।
उत्तर :
कोमर्शियल बिल के प्रकार निम्न है :
विनिमय पत्र, हुण्डी, आंतरदेशीय बिल (Inland Bill), माँग बिल (Demand Bill), विदेशी बिल (Foreign Bill) आदि ।
प्रश्न 24.
भारत में पूँजी बाजार पर किसका नियंत्रण होता है ?
उत्तर :
भारत में पूँजी बाजार पर सेबी का नियंत्रण होता है ।
प्रश्न 25.
शेयर बाजार का महत्त्व का कार्य कौन-सा है ?
उत्तर :
शेयर बाजार का महत्त्व का कार्य तरलता है ।
प्रश्न 26.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सौदों का निपटारा कौन करती है ?
उत्तर :
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सौदों का निपटारा NSCCL अर्थात् National Securities Clearing Corporation Limited करती है।
प्रश्न 27.
NSCCL का विस्तृत रूप दीजिए ।
उत्तर :
NSCCL अर्थात् – National Securities Clearing Corporation Limited.
प्रश्न 28.
NEAT का विस्तृत रूप दीजिए ।
उत्तर :
NEAT – National Exchange for Automated Trading.
प्रश्न 29.
BOLT का Full Form लिखिए ।
उत्तर :
BOLT – BSE Online Trading
प्रश्न 30.
SBTS का विस्तृत रूप दीजिए ।
उत्तर :
SBTS – Screen Based Trading System अर्थात् स्क्रीन आधारित व्यापार प्रथा ।
प्रश्न 31.
विस्तृत रूप दीजिए ।
- BSE – Bombay Stock Exchange
- NSE – National Stock Exchange
- OTCEI – Over The Counter Exchange of India
प्रश्न 32.
करारनौंध (Contract Note) किस प्रकार का दस्तावेज है ?
उत्तर :
करारनौंध यह ‘सौदा हुआ है’ इसका दस्तावेज है ।
प्रश्न 33.
डिपोजिटरी का प्राथमिक कार्य कौन-सा है ?
उत्तर :
डिपोजिटरी का प्राथमिक कार्य भौतिक स्वरूप की प्रतिभूतियों का इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में परिवर्तन करना और उनको इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में सुरक्षा अथवा देखभाल करना है ।
प्रश्न 34.
भारत में वर्तमान में कितनी डिपोजिटरी है ? व कौन-कौन सी ?
उत्तर :
भारत में वर्तमान में दो डिपोजिटरी है ।
- NSDL
- CDSL.
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :
प्रश्न 1.
असंगठित वित्त (द्रव्य) बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
असंगठित वित्त बाजार (Unorganised Money Market) अनौपचारिक होने से इनके उपर किसी केन्द्रीय संस्था का नियंत्रण नहीं होता । इनकी प्रवृत्तियाँ किसी भी नीति-नियम के बिना चलती है । इस वित्त बाजार में वित्त देनेवाले, जमीनदार, वस्तुएँ: गिरवी रखकर वित्त देनेवाले, देशी बैंकर, श्रॉफ आदि का बना हुआ होता है । इन सभी के बीच संकलन का अभाव होता है । असंगठित वित्त बाजार की प्रवृत्तियाँ भारत के ग्राम्य विस्तारों में अधिक विकसित हुई है । ऐसी प्रवृत्तियाँ शहरी विस्तारों में भी देखने को मिलती है ।
प्रश्न 2.
वित्त (द्रव्य) बाजार के साधन कौन-से है ?
उत्तर :
वित्त (द्रव्य) बाजार के साधन निम्न है :
- ट्रेजरी बिल (Treasury Bills)
- कोमर्शियल पेपर (Commercial Paper)
- जमा का प्रमाण-पत्र (Certificate of Deposits)
- कोमर्शियल बिल (Commercial Bills)
- कॉल/नोटिस मनी (Call and Notice Money)
प्रश्न 3.
वित्त (द्रव्य) बाजार के कौन-से साधन हस्तांतरणीय है ?
उत्तर :
वित्त (द्रव्य) बाजार के निम्न साधन हस्तांतरणीय है ।
- कोमर्शियल पेपर (Commercial Papers)
- कोमर्शियल बिल (Commercial Bills)
- जमा का प्रमाण-पत्र (Certificate of Deposits)
प्रश्न 4.
कॉल मनी और नोटिस मनी के बीच मुख्य अन्तर क्या है ?
उत्तर :
कॉल मनी (Call Money) एक ही दिन के लिए वित्त उधार दिया जाता है अथवा लिया जाता है ।
जबकि नोटिस मनी (Notice Money) दो दिन से चौदह दिन के लिए वित्त (रकम) उधार लिया जाता है अथवा दिया जाता है । उपरोक्त इन दोनों के बीच मुख्य होता है ।
प्रश्न 5.
शेयर बाजार जामिनगिरीयों (प्रतिभूतियों) को तरलता का गुण किस तरह प्रदान करता है ।
उत्तर :
निवेशको की इच्छा हो तब जामिनगिरीयों का क्रय व विक्रय कर सकते है । शेयर बाजार एक तरह से तैयार बाजार की व्यवस्था प्रदान करते है जिससे यह सम्भव बनता है । अत: इस प्रकार शेयर बाजार जामिनगिरीयों को तरलता का गुण प्रदान करते है ।
प्रश्न 6.
शेयर बाजार देश की आर्थिक परिस्थिति दर्शाने वाला दर्पण है – किस तरह ?
उत्तर :
शेयर बाजार देश की आर्थिक परिस्थिति दर्शाने वाला दर्पण है – उपरोक्त कथन सत्य है । क्योंकि शेयर बाजार विविध पक्षकारों को उपयोगी हो सके इस प्रकार की जानकारी प्रदान करता है । जैसे – प्रतिभूतियों के मूल्य में होने वाला परिवर्तन, प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय का प्रवाह इत्यादि की जानकारी निवेशको, कम्पनियों, सरकार, सेबी को उपयोगी होती है । उपरोक्त समस्त जानकारी सरकार को आर्थिक नीति, वित्तीय नीति के बनाने में उपयोगी सिद्धि होती है । इसके अलावा कम्पनी और राष्ट्र की आर्थिक स्थिति व विकास दर्शाता है।
प्रश्न 7.
डिमटिरियलाइजेशन अर्थात क्या ?
उत्तर :
डिमटिरियलाइजेशन अर्थात् भौतिक स्वरूप की जामिनगिरीयों का कम्प्युटर द्वारा इलेक्ट्रोनिक डेटा में परिवर्तन । इस डिमटिरियलाइजेशन को संक्षिप्त में डिमेट (Demat) के रूप में पहचाना जाता है ।
प्रश्न 8.
रिमटिरियलाइजेशन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
रिमटिरियलाइजेशन अर्थात् पुनः भौतिकवाद । प्रतिभूतियों को बदलने के लिये डिमेट खाते में उसके इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में हम जिसे छू सकते है अथवा महसूस/स्पर्श कर सकते है । जैसे Physicals Certificate । अर्थात् Demate Account की सभी वस्तुयें जिन्हें हम छू सकते हैं ।
प्रश्न 9.
जामिनगिरीयों (प्रतिभूतियों) के क्रय-विक्रय प्रक्रिया में करार नौंध (Contract Note) के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
ग्राहक के ऑर्डर के प्रमाण में जामिनगिरीयों के क्रय-विक्रय के सौदे होने के बाद दलाल इसके बारे में प्रविष्टी करता है, जिन्हें करारनौंध/करार टिप्पणी कहा जाता है । करार नौंध जिस दिन सौदा किया गया हो उस दिन की पुष्टि करता है । सामान्य रूप से सौदा होने के 24 घण्टे में दलाल करार नोंध अर्थात् करार प्रविष्टी ग्राहक को भेज देता है । इस करारनौंध में प्रतिभूति का नाम, उनकी संख्या, सौदा का भाव, ऑर्डर नम्बर, दलाली, लागू पड़ने वाला कर (Tax) आदि दर्शाया जाता है । इस तरह करार नौंध यह सौदा हुआ है इसका एक दस्तावेज है।
प्रश्न 10.
सेबी का मुख्य कार्यालय कहाँ पर स्थित है, और इनके प्रादेशिक कार्यालय कहाँ पर है ?
उत्तर :
सेबी का मुख्य कार्यालय मुम्बई में स्थित है और इनके प्रादेशिक कार्यालय निम्न प्रदेशो में है :
- कोलकत्ता
- दिल्ली
- चेन्नई
प्रश्न 11.
करारनौंध में कौन सी बातें दर्शायी जाती है ?
उत्तर :
करारनौंध (Contract Note) में निम्न बातें दर्शायी जाती है :
- प्रतिभूति का नाम
- उनकी संख्या
- सौदो का भाव
- ऑर्डर नम्बर
- दलाली
- लागू पड़ने वाला कर (Tax)
प्रश्न 12.
प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सौदों का निपटारा कहाँ पर होता है ?
उत्तर :
प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सौदा का निपटारा मुम्बई शेयर बाजार के निपटारा गृह (Settlement House) द्वारा होता है ।
प्रश्न 13.
National Stock Exchange के सौदों का निपटारा कौन करता है ?
उत्तर :
NSE के सौदों का निपटारा NSCCL-National Securities Clearing Corporation Limited निभाता है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए ।
प्रश्न 1.
ट्रेजरी बिल किसे कहते हैं ? अथवा ट्रेजरी बिल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
ट्रेजरी बिल (Treasury Bill) यह अल्पकालीन वित्त प्राप्ति का वित्तीय साधन है जो कि भारत सरकार की और से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) निर्गमित करती है । समग्र विश्व में ट्रेजरी बिल वित्त बाजार के लिए महत्त्व का घटक है । ट्रेजरी बिल द्वारा सरकार अल्प समय के लिए उधार पूँजी प्राप्त करती है । ट्रेजरी बिल की परिपक्वता की तारीख 91 दिन या 182 दिन अथवा 364 दिन की होने से रोकड़ तरलता का गुण होता है । ट्रेजरी बिल शून्य कूपन बोन्ड है, क्योंकि ट्रेजरी बिल पर ब्याज का भुगतान नहीं होता । बट्टे (Discount) से निर्गमित किये जाते है और मूल कीमत पर वापस किये जाते है । जैसे 20,000 रु. के ट्रेजरी बिल 14000 रु. में निर्गमित किये जाये तथा परिपक्व समय पर निवेशकर्ता को मूल कीमत पर 20,000 रु. चुकाये जाये तो इन दोनों के बीच का अन्तर निवेशकर्ता के लिए प्रतिफल कहलाता है ।
प्रश्न 2.
पूँजी बाजार का अर्थ बताकर इनके लक्षण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
पूँजी बाजार (Capital Market) : औद्योगिक साहसों के लिए दीर्घकालीन पूँजी कोष का प्राप्ति स्थान है । पूँजी बाजार समाज की बचत को गतिशील रखकर आर्थिक विकास में सहायक बनता है ।
लक्षण/विशेषताएँ (Characteristics) :
पूँजी बाजार के लक्षण निम्न है :
- दीर्घकालीन पूँजी प्राप्ति का एक बाजार है ।
- पूँजी बाजार के साधनों में सरकारी प्रतिभूतियाँ, ऋण के साधन, औद्योगिक साहसों की प्रतिभूतियाँ जैसे कि शेयर, डिबेन्चर आदि का समावेश होता है ।
- पूँजी बाजार को दो भागों में विभाजित किया गया है ।
(A) प्राथमिक बाजार
(B) गौण/सहायक बाजार - कोष का दीर्घकालीन जामिनगिरीयों में निवेश होता है ।
- पूँजी बाजार पर अपने देश में सेबी का नियंत्रण होता है ।
- वित्तीय सम्पत्तियों को (प्रतिभूतियों) तरलता प्रदान करती है ।
- जामिनगिरीयाँ/प्रतिभूतियाँ जैसे कि शेयर, ऋण-पत्र की मालिकी में परिवर्तन (Transfer) होता है ।
प्रश्न 3.
‘निर्गमित की गई प्रतिभूतियों का बाजार अर्थात् प्राथमिक बाजार’ – समझाइये और प्राथमिक बाजार के लक्षण बताइए ।
उत्तर :
निर्गमित की गई प्रतिभूतियों का बाजार अर्थात् प्राथमिक बाजार’ अर्थात् प्राथमिक पूँजी बाजार को नई प्रतिभूतियों का बाजार
(New Issue Market) कहते हैं । पहली बार निर्गमित की जानेवाली नई प्रतिभूतियों के विक्रय का बाजार होने से निवेशक केवल नई प्रतिभूतियों को खरीद सकते है । पूँजी कोष या फण्ड प्राप्त करने के लिए नई प्रतिभूतियों के विक्रय का बाजार अर्थात् प्रार्थामक पूँजी बाजार ।
लक्षण/विशेषताएँ (Characterstic) :
प्राथमिक पूँजी बाजार के लक्षण निम्न होते है :
- नई प्रतिभूतियों के विक्रय हेतु का एक बाजार है ।
- नई प्रतिभूतियों का विक्रय होता हैं और निवेशक क्रय कर सकते है ।
- प्राथमिक बाजार में अनेक मध्यस्थी होते है । जैसे कि बुक रनींग लीड मैनेजर (Book Running Lead Manager), भरपाई के रजिस्ट्रार (Registrar of Issue) शेयर दलाल आदि ।
- नई पूँजी की भरपाई विज्ञापन पत्र द्वारा प्राथमिक पूँजी बाजार में रखी जाती है ।
प्रश्न 4.
पे-ईन (Pay-In) दिन और पे-आउट (Pay-Out) से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
पे-ईन (Pay-In) दिन अर्थात् वह दिन कि जिस दिन बेचे गये शेयर को सौंपना शेयर का विक्रेता शेयर बाजार को मध्यस्थी के माध्यम से करते है ।
पे-आउट (Pay-Out) दिन अर्थात् जिस दिन शेयर खरीदनेवाले को शेयर को सौंपना शेयर बाजार करता है और शेयर बेचनेवाले को उनकी रकम चुकाई जाती है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
वित्त (द्रव्य) बाजार किसे कहते हैं ? इनके लक्षण समझाइये ।
उत्तर :
वित्त (द्रव्य) बाजार (Money Market) अर्थात् अल्प समय के लिए वित्त उधार प्राप्त करने और वित्त उधार देने का बाजार है । एक वर्ष या उससे कम समय के लिए परिपक्व समयवाली प्रतिभूतियों का बाजार है ।
वित्त बाजार की व्याख्या : ‘अल्पकालीन वित्तीय सम्पत्तियों कि जो ऊँची तरलता के साथ में वित्त की नजदिक की अवेजी (स्थानापन्न) रखते हैं उनके व्यवहारों का बाजार अर्थात् वित्त (द्रव्य) बाजार ।
लक्षण (Characterstics) वित्त बाजार का लक्षण है :
- वित्त (द्रव्य) बाजार को दो भाग में विभक्त किया जाता हैं ।
- संगठित वित्त (द्रव्य) बाजार
- असंगठित वित्त (द्रव्य) बाजार ।
- यह अल्पकालीन सम्पत्तियों या साधनों का बाजार है जिसका परिपक्व समय एक वर्ष या उससे कम होता है ।
- वित्त (द्रव्य) बाजार में भाग लेने वालों की ख्याति अधिक होती है ।
- वित्त (द्रव्य) बाजार यह कोई निश्चित भौतिक स्थल नहीं, परन्तु विविध संस्थाओं का सामुहिक ढाँचा है । जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया, व्यापारी बैंक, म्युच्युअल फण्ड की संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ आदि ।
- वित्त (द्रव्य) बाजार शीघ्रता से रोकड में परिवर्तित हो ऐसे वित्तीय साधनों का बाजार है । जैसे कि ट्रेजरी बिल, कॉल मनी ।
- आर्थिक और टेक्नोलोजी के विकास के साथ वित्त बाजार की उप शाखाएँ भी विकसित हुई है । जैसे कि, कॉल मनी मार्केट, बोन्ड मार्केट, ट्रेजरी बिल मार्केट ।
- अधिकांशतः वित्तीय साधन ऋण के साधन है । अन्य वित्तीय साधनों की तुलना में अधिक सुरक्षित होने से जोखिम का तत्त्व कम होता है ।
- वित्त (द्रव्य) बाजार की सफलता और कामगीरी का आधार बैंकिंग पद्धति और वित्तीय संस्थाओं की कामगीरी पर रहता है ।
प्रश्न 2.
शेयर बाजार के लक्षण कौन-कौन-से है ?
उत्तर :
शेयर बाजार के लक्षण निम्नलिखित होते है :
- पंजिकृत कोर्पोरेट संस्था : प्रतिभूतियों के व्यवहारों में नियमन या नियंत्रण लाने हेतु स्थापित पंजिकृत कोर्पोरेट संस्था है ।
- सरकार की अनुमति : 1956 के प्रतिभूति करार (नियमन) धारा के अनुसार शेयर बाजारों को केन्द्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है ।
- संगठित बाजार : जीवंत (कार्यरत) अथवा वर्तमान पंजिकृत प्रतिभूतियों के सौदो के लिए संगठित बाजार है ।
- सदस्य पद : शेयर बाजार में सौदा करने हेतु शेयर बाजार का सदस्य पद प्राप्त करना पड़ता है । शेयर बाजार के साथ पंजिकृत सदस्यों (शेयर दलाल) ही शेयर बाजार में सौदा करते है ।
- प्रतिभूतियों का बाजार : शेयर बाजार यह प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के लिए मान्य संगठित बाजार है ।
- प्रतिभूतियों का पंजियन : जिन प्रतिभूतियों का पंजियन शेयर बाजार में हुआ हो ऐसी प्रतिभूतियों के ही सौदे शेयर बाजार में होते है।
- संचालन : शेयर बाजार का प्रशासन (प्रबन्ध) और संचालन संचालक मण्डल द्वारा होता है ।
- सदस्यों पर कठोर नियंत्रण : संचालक मण्डल को प्राप्त अनुशासन पालन की सत्ता द्वारा सदस्यों के पास से कठोर नियंत्रण का पालन कराया जाता है ।
- व्यवस्थाकीय ढाँचा : शेयर बाजार का व्यवस्थाकीय ढाँचा सार्वजनिक कम्पनी स्वरूप का होता है ।
- शेयर बाजार का नियमन (नियंत्रण) : भारत के समस्त शेयर बाजारों का नियमन ‘सेबी’ और प्रतिभूति करार (नियमन) धारा (Securities Contract (Regulation) Act) द्वारा होता है ।
प्रश्न 3.
शेयर बाजार के कार्य कौन-से है ? समझाइए ।
उत्तर :
शेयर बाजार के कार्य (Functions of Share Market) :
(1) तरलता : शेयर बाजार प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय हेतु सतत बाजार प्रदान करते है । निवेशको की इच्छा हो तब प्रतिभूतियों का क्रय व विक्रय कर सकते है । शेयर बाजार तैयार बाजार की सुविधा प्रदान करते है जिससे यह सम्भव बनता है । इस तरह प्रतिभूतियों को तरलता का गुण प्रदान करना यह शेयर बाजार का महत्त्वपूर्ण कार्य है ।
(2) प्रतिभूतियों का मूल्यांकन : प्रतिभूतियों की माँग और पूर्ति के आधार पर प्रतिभूतियों का मूल्यांकन किया जा सकता है । निवेशक अपनी प्रतिभूतियों का मूल्य जान सकते है । सरकार और लेनदारों को भी प्रतिभूति का मूल्यांकन उपयोगी हो सकता है ।
3. बचत का पूँजी में परिवर्तन : समाज के जिन व्यक्तियों के पास में बचत है और प्रतिभूतियों में निवेश करना चाहते हैं वो प्रतिभूतियों को आसानी से क्रय कर सकते है । उनकी बचत को पूँजी में परिवर्तन होता है ।
4. पूँजी सर्जन में मध्यस्थी : शेयर बाजार स्वयं किसी पूँजी का सर्जन नहीं करते, लेकिन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय हेतु मंच प्रदान करते है । इस तरह शेयर बाजार पूँजी सर्जन में मध्यस्थी के रूप में भूमिका निभाते हैं ।
5. सौदो की सुरक्षा : शेयर बाजार में विभिन्न सौदे नियम के अनुसार होते है । शेयर बाजार में कार्यरत दलाल सेबी द्वारा निर्मित नियम एवं नियंत्रण में अपनी भूमिका निभाते हैं । जिससे सौदो में सुरक्षा रहती है । जिससे ऐसा बाजार निवेशकर्ताओं के सौद में सुरक्षा प्रदान करता है ।
(6) पूँजी बाजार का विकास : शेयर बाजार के कारण ही जनता की बचत को औद्योगिक प्रवाह की ओर मोडा जा सकता है । कम्पनी स्वरूप के उद्योगों को दीर्घकालीन पूँजी प्राप्त हो जाती है । जनता की बचत को कम्पनी की प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते है । अतः पूँजी बाजार के विकास के साथ में देश का आर्थिक विकास सम्भव बनता है ।
(7) प्रवृत्तियों को करने हेतु विधाएँ : शेयर बाजार अपने सदस्यों को उनकी प्रवृत्तियों को करने हेतु सुविधाएँ प्रदान करता है । जिससे शेयर बाजार के सदस्य निवेशकर्ताओं के हितों का रक्षण कर सकते है ।
8. सट्टे के लिए आवश्यक सुविधाएँ : शेयर बाजार को स्वस्थ सट्टा जीवंत रखता है । सट्टे के सौदो हेतु कानूनी ढाँचे में रहकर आवश्यक सुविधाएँ शेयर बाजार प्रदान करता है ।
(9) जानकारी प्रदान करने में उपयोगी : समाज के विविध पक्षकारों को उपयोगी हो सके इस प्रकार की जानकारी शेयर बाजार प्रदान करता है । जैसे प्रतिभूतियों के मूल्य में होने वाला परिवर्तन, प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय का प्रवाह इत्यादि की जानकारी निवेशको, कम्पनियों, सरकार, सेबी को उपयोगी हो सकती है । यह समस्त जानकारी सरकार की आर्थिक नीति, वित्तीय नीति के निर्माण में उपयोगी होती है । इसके अलावा कम्पनी और राष्ट्र की आर्थिक परिस्थिति और विकास सूचित करता है । अतः शेयर बाजार को देश की आर्थिक स्थिति दर्शाने वाला दर्पण कहा जाता है ।
(10) प्रतिभूतियों का पंजियन : कम्पनी अपनी प्रतिभूतियों के सौदे शेयर बाजार में हो, ऐसी इच्छा रखती हो तो कम्पनी अपनी प्रतिभूतियों ।
का पंजियन शेयर बाजार में कराती है । विभिन्न निवेशकर्ताओं को पंजिकृत प्रतिभूतियों में अधिक विश्वास होता है ।
(11) निवेशकर्ताओं को आवश्यक मार्गदर्शन : शेयर बाजार पंजिकृत कम्पनियों की जानकारी घोषित करता है । इस जानकारी/माहिती के आधार पर निवेशक निर्णय ले सकते है कि कौन-सी कम्पनी की प्रतिभूतियों में निवेश करने योग्य है तथा कौन-सी कम्पनी
से प्रतिभूती की रकम वापस लेने योग्य है ।
प्रश्न 4.
डिमेट खाता खुलवाने की विधि समझाइए ।
उत्तर :
डिमटिरियलाइजेशन अर्थात् भौतिक स्वरूप की प्रतिभूतियों का कम्प्युटर द्वारा इलेक्ट्रोनिक डेटा में रूपांतर । जिन्हें संक्षिप्त में डिमेट (Demat) कहा जाता है । डिपोजिटरी कानून 1996 (Depository Act, 1996) के अन्तर्गत निवेशको को भौतिक स्वरूप में अथवा डिमटिरियलाइजड स्वरूप में प्रतिभूतियों को धारण करने का विकल्प मिलता है । निवेशक को डिपोजिटरी की सेवा प्राप्त करनी हो तो उन्हे डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट (Depository Participant) के पास में डिमेट खाता खुलवाना पड़ता है । डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट यह डिपोजिटरी के प्रतिनिधि या एजेन्ट है । डिपोजिटरी या अपने प्रतिनिधि या एजेन्ट के माध्यम से डिमेट की सेवा देते है । निवेशक का डिमेट खाता खुलवाने हेतु निवेदन करता हुआ फॉर्म भरकर डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट को देना पड़ता है ।
प्रश्न 5.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :
1. नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिट लिमिटेड
उत्तर :
NSDL अर्थात् National Securities Depository Limited का संक्षिप्त रूप है । यह कम्पनी कानून अन्तर्गत स्थापित सार्वजनिक
कम्पनी है । इनका पंजियन सेबी में 1996 में हुआ था । NSDL की स्थापना नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और कई वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से की गई है । यह कम्पनी कानून द्वारा निर्मित सार्वजनिक कम्पनी होने से इनका संचालन संचालक मण्डल (Board of Directors) द्वारा होता है | NSDL अपने कार्य अपने द्वारा नियुक्त डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट द्वारा कराती है । फीस की वसूली डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट के पास से करते है, न कि निवेशक ग्राहकों के पास से । निवेशक फीस के रूप में NSDL को प्रत्यक्ष रूप से कोई खर्च चकाया नहीं जाता । डिपोजिटरी पार्टिसिपन्ट ग्राहक/निवेशक के पास से फीस के रूप में रकम वसूल करती है । यह संस्था डिमटिरियालाइजेशन, रिमटिरियलाइजेशन, इलेक्ट्रोनिक रूप से सौदों का निपटारा, अधिकार के शेयर और बोनस शेयर ग्राहक के खाते में जमा करना, ग्राहक का खाता स्थगित करना इत्यादि सेवाएँ ऑन लाईन प्रदान करती है ।
2. सेन्ट्रल डिपोजिटरी सर्विसिस लिमिटेड
उत्तर :
CDSL – Central Depository Services (India) Limited का संक्षिप्त रूप है । CDSL की स्थापना मुम्बई शेयर बाजार
और बैंको के सहयोग से 1999 में की गई । CDSL का उद्देश्य निवेशकों को सुविधायुक्त सेवाओं को सुरक्षित रूप से प्रदान करती है । उनके साथ में पंजिकृत पार्टीसिपन्ट की सूची समय-समय पर अपनी वेबसाईट पर दर्शाते है । CDSL समग्र भारत में ओन लाईन डिपोजिटरी सेवा प्रदान करते है । पूरे देश में CDSL एवं NSDL के डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट उनके साथ इलेक्ट्रोनिकली जुडी हई होने से निवेशकों को घर पर
ही डिपोजिटरी की समस्त सेवाएँ उपलब्ध होती है । NSDL एवं CDSL केन्द्रित प्रथा प्रत्येक व्यवहार पर नजर रखती है ।
3. सेबी (SEBI)
उत्तर :
सेबी SEBI – Securities and Exchange Board of India अर्थात् भारतीय प्रतिभूति नियमन बोर्ड । Securities and
Exchange Board of India कानून, 1992 के अन्तर्गत जनवरी 30, 1992 के दिन सेबी कानून रूप से अस्तित्व में आई । इनका मुख्य कार्यालय मुम्बई में स्थित है । जबकि इनके प्रादेशिक कार्यालय कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में स्थित है । भारत में स्थित शेयर बाजारों का नियंत्रण करने वाली सेबी एक विधिवत रूप से निर्मित कानूनी संस्था है ।
सेबी के उद्देश्य
- प्रतिभूतियों में निवेशकर्ताओं के हितों का रक्षण करना ।
- प्रतिभूतियों के बाजार के विकास को प्रोत्साहन देना ।
- प्रतिभूतियों के बाजार का नियंत्रण करना ।
सेबी के कार्य (Functions of SEBI)
- शेयर बाजार में होनेवाले धन्धे पर नियंत्रण : सेबी शेयर में होने वाला धन्धा और शेयर बाजार की कामगीरी पर नियंत्रण रखती है । निर्धारित नियमों और मार्गदर्शिकाओं का पालन शेयर दलाल, उपदलाल, मर्चन्ट और बैंकर द्वारा हो रहा है या नहीं इसके बारे में निरीक्षण रखता है । सेबी शेयर बाजार की समस्त कामगीरी पर असरकारक नियंत्रण रखता है ।
- निवेशको के हितों का रक्षण : सेबी का मूलभूत कार्य प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशको के हितों का रक्षण करना है ।
इससे निर्धारित किये गये मापदण्डो और नियमों का पालन मध्यस्थियों द्वारा कराया जाता है । - मध्यस्थियों का पंजियन और नियंत्रण : शेयर बाजार में कार्य करने वाले मध्यस्थी जैसे कि मर्चन्ट बैंकर, शेयर दलाल, उपदलाल प्रशिक्षण का आयोजन भी करते है ।
- परस्पर जमा कोष (Mutual Fund) का पंजियन और नियमन : म्युच्युअल फण्ड का पंजियन और उनकी कामगीरी का नियमन/नियंत्रण करते है । इसके लिए सेबी ने मापदण्ड व नीति-नियम बनाये है जिनका पालन म्युच्युअल फण्ड करते है ।
- धोखा-घडी वाले व्यापार को बन्द करना : शेयर बाजारो में प्रतिभूतियों में होने वाला धोखा-घडी पूर्वक होनेवाले व्यापार को बन्द कराने हेतु आवश्यक कदम उठाये जाते है ।
- दलालों का पंजियन रद्द करना : यदि कोई शेयर दलाल सेबी द्वारा प्रस्तुत किये गये नियमों और मार्गदर्शिका का पालन न करे और सेबी को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने में असफल हो तो उनका पंजियन रद्द करता है ।
- कम्पनियो का संविलयन (Merger) और हस्तगत (Take-Over) का नियमन करना : निवेशको का हित बना रहे इसके लिए कम्पनियों का संविलयन और हस्तगत पर नियमन/नियंत्रण रखता है । छोटे निवेशकों की जोखिम पर कम्पनियों का संविलयन और हस्तगत न हो इस हेत सेबी मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है ।
- सार्वजनिक भरपाई के सन्दर्भ में मार्गदर्शक : नई कम्पनी प्रथम बार पूँजी भरपाई के लिए अथवा वर्तमान कम्पनी पूंजी भरपाई के लिए बाजार में प्रवेश करती हो तो दोनों के लिए पृथक- पृथक मार्गदर्शिकाये प्रस्तुत करता है ।
- स्वनियंत्रण : शेयर बाजार के मध्यस्थियों द्वारा स्वनियमन/नियंत्रण हो इसके लिए सेबी प्रयत्नशील रहता है । मध्यस्थी अपने धन्धादारी मण्डल स्थापित करे इस हेतु प्रोत्साहन देता है ।
- शेयर बाजार की महत्त्वपूर्ण बाजार के रूप में सुरक्षा : नियमन, नियंत्रण तथा विविध मार्गदर्शिकाओं द्वारा शेयर बाजार की स्थिरता और कार्यक्षमता को बनाये रखता है ।
- रजिस्टर की जाँच : प्रतिभूतियो को निर्गमित करने वाली कम्पनी, डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट और लाभार्थी मालिक के रजिस्टर अर्थात् खतौनी की आवश्यकता लगे तो जाँच करता है ।
- शेयर बाजार का निरीक्षण और जाँच : शेयर बाजार के लिये बनाये गये नियमों का पालन हो रहा है नहीं, शेयर बाजार की व्यवस्था पद्धति और कामगीरी सेबी के नियमानुसार चलता है या नहीं उनके सन्दर्भ में सेबी निरीक्षण और जाँच कर सकती है । आवश्यकता लगे तो शेयर बाजार के मध्यस्थियों की पूछ-ताछ जाँच और हिसाबों का ओडिट (Audit) करता है ।
- मार्गदर्शिकायें : शेयर दलाल व उपशेयर दलाल, मर्चेन्ट बैंकर, डिबेन्चर के ट्रस्टी, कम्पनी द्वारा प्रतिभूतियों को वापस लेना (Buy Back Securities) इत्यादि के बारे में समय-समय पर सेबी द्वारा मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है ।
- वार्षिक और सामायिक अहेवाल प्राप्त करना : शेयर बाजारों की कार्यवाही और प्रवृत्तियों की जानकारी प्राप्त करने के लिये शेयर बाजारों के पास से विभिन्न पत्रकों के स्वरूप में अहेवाल प्राप्त करते है ।
- संशोधन कार्य : सेबी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त सभी कार्यों को प्रभावपूर्ण रूप से किया जा सके इस उद्देश्य से सेबी संशोधन कार्य करती है । जिससे विभिन्न कार्यों को योग्य रूप से किये जा सके ।
प्रश्न 6.
शेयर बाजार में प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय प्रक्रिया समझाइये ।
उत्तर :
शेयर बाजार में प्रतिभूतियों क्रय-विक्रय की प्रक्रिया (Trading Procedure of Securities) निम्नानुसार है :
(1) डिमेट खाता खुलवाना : सर्व प्रथम डिपोजिटरी पार्टीसिपन्ट के पास डिमेट खाता खुलवाना पड़ता है क्योंकि डिमेट प्रतिभूतियों
के ही क्रय-विक्रय के सौदे इन्टरनेट द्वारा हो सकते है ।
(2) क्रय-विक्रय के ऑर्डर : निवेशक/ग्राहक को जिस प्रतिभूति का विक्रय करना हो उनका ऑर्डर दलाल को देना पड़ता है । ऑर्डर देते समय क्रय-विक्रय के प्रत्येक स्क्रीप्ट अनुसार मूल्य आदि स्पष्ट रूप से बताना पड़ता है । प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय में दो प्रकार से ऑर्डर दिये जाते है ।
- सीमित ऑर्डर (Limit Order) : ऐसा ऑर्डर जिसमें ग्राहक द्वारा निर्देश किये गये मूल्य पर ऑर्डर का अमल होता है । क्रय अथवा विक्रय का मूल्य निश्चित किया जाता है । फुटकर निवेशक Retail Investor और फण्ड गृह (Fund houses) इस तरह के ऑर्डर देते है।
- बाजार ऑर्डर (Market Order) : ऐसा ऑर्डर जिसमें प्रतिभूति के ट्रेडिंग स्क्रीन के उपर जो अन्तिम मूल्य/भाव दर्शाया
हो अथवा बाजार में प्रतिभूतियों की जिस कीमत पर माँग हुई हो उस कीमत पर ऑर्डर का अमल होता है ।
(3) ऑर्डर का अमल : दलाल को जब ग्राहक के पास से जब ऑर्डर मिलता है तब दलाल ऑर्डर का अमल करता है । दलाल शेयर बाजार में ऑर्डर रखता है । दलाली अपनी कार्यालय (Office) से ग्राहक की ओर से Online Trading द्वारा सौदा कर सकता है ।
(4) करार-टिप्पण/नौंध (Contract Note) : ग्राहक के ऑर्डर के अनुसार प्रतिभूतियों के क्रय- विक्रय का सौदा होने के बाद दलाल इसके बारे में जो टिप्पण-प्रविष्टी अथवा नौंध जिसमें करते है जिसे करारनौंध (Contract Note) कहते हैं । करारनौंध जिस दिन सौदा किया गया हो उस दिन की पुष्टी करता है । सामान्य रूप से सौदा होने के 24 घण्टे में दलाल करारनौंध ग्राहक को भेज देता है । इस करार नौंध में प्रतिभूति का नाम, उनकी संख्या, सौदे का भाव, ऑर्डर नम्बर, दलाली, लागू पड़नेवाले कर आदि दर्शाया जाता है । करारनौंध यह सौदा हुआ है, इसका दस्तावेज है ।
(5) सौदो का निपटारा : प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सौदों का निपटारा मुम्बई शेयर बाजार के निपटारा गृह (Settlement House)
द्वारा होता है । जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेन्ज (National Stock Exchange) में सौदा का निपटारा नेशनल सिक्योरिटीज । क्लियरिंग कॉर्पोरेशन (NSCCL – National Securities Clearing Corporation Limited) निभाता है । सौदा या व्यापार हो
उनके बाद के दिनों सौदे का निपटारा होता है ।
(6) रकम का भुगतान और प्रतिभूतियों को सौंपना : जिस ग्राहक ने शेयर की खरीदी की हो तो इस सन्दर्भ की रकम का भुगतान पे-ईन (Pay-In) के दिन से पहले करना पड़ता है । शेयर की बिक्री की हो तो पे-ईन के दिन से पहले शेयर की सपर्दगी करनी पड़ती है । ग्राहक ने शेयर की खरीदी की होगी तो पे-आउट (Pay-Out) के दिन ही शेयर को सौंपा जाता है । शेयर की बिक्री की गई हो तो ग्राहक को पे-आउट (Pay-out) के दिन ही रकम मिल जाती है । पे-ईन (Pay-In) दिन अर्थात् वह दिन कि जिस दिन बेचे गये शेयर को सौंपना शेयर का विक्रेता शेयर बाजार को मध्यस्थी के माध्यम से करते है ।
पे-आउट (Pay-out) दिन अर्थात् जिस दिन शेयर खरीदने वाले को शेयर को सौंपना शेयर बाजार करता है और शेयर बेचने वाले को उनकी रकम चकाई जाती है ।
(7) सौदो के निपटारे की ग्राहकों को जानकारी : प्रतिभूतियों के विक्रय की परिस्थिति में दलाल ग्राहक को बैंक द्वारा रकम का भुगतान करेंगे और प्रतिभूतियों की खरीदी के सन्दर्भ में दलाल ग्राहक के बैंक खाते में से रकम का सीधा भुगतान करेगा । डिमेट खाते द्वारा ग्राहक को सौदो के निपटारे की जानकारी दी जाती है ।