Gujarat Board GSEB Solutions Class 6 Hindi Chapter 2 अनूठे इन्सान Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 6 Hindi Chapter 2 अनूठे इन्सान
GSEB Solutions Class 6 Hindi अनूठे इन्सान Textbook Questions and Answers
अनूठे इन्सान अभ्यास
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
प्रश्न 1.
नेपोलियन और उसकी बहन के स्वभाव में क्या अंतर था?
उत्तर :
नेपोलियन सच बोलने से डरता नहीं था। उसमें सच्चाई का सामना करने का साहस था। अपने कारण हुई दूसरे की हानि वह सहन नहीं कर सकता था। उसकी बहन का चरित्र इसके विपरीत था। वह डरपोक थी और सच्चाई का सामना नहीं कर सकती थी।
वह झूठ बोलकर सच्चाई से बच निकलने में ही अपनी भलाई मानती थी। उसे केवल अपने बचाव की चिंता थी, दूसरों के नुकसान की नहीं। इस प्रकार, नेपोलियन और उसकी बहन के स्वभाव में बहुत अंतर था।
प्रश्न 2.
आप नेपोलियन की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर :
नेपोलियन का धक्का लगने से अमरूद बेचने जानेवाली लड़की के अमरूद कीचड़ में गिरकर खराब हो गए थे। अब वह उन्हें बेच नहीं सकती थी उसे डर था कि अब वह अपनी माँ को क्या जवाब देगी? नेपोलियन को लगा कि उसके कारण उस गरीब लड़की की हानि हुई है।
उसकी हानि को पूरा करना उसने अपना फर्ज समझा। उसने अपनी माँ को सच-सच हकीकत बता दी और उस लड़की को माँ से पूरे पैसे दिलवाए।
अगर नेपोलियन की जगह मैं होता तो मैं भी उसीकी तरह उस गरीब लड़की का नुकसान न होने देता।
प्रश्न 3.
आप अपने जेब खर्च का उपयोग किस प्रकार करते हैं?
उत्तर :
मुझे जेबखर्च के लिए प्रतिदिन 10 रुपये मिलते हैं। मैं सभी पैसे खर्च नहीं करता। हमारे स्कूल के उपहारगृह में चीजें किफायती दरों पर मिलती हैं। इसलिए स्कूल में नाश्ता करने के बाद भी मेरे पास कुछ रुपये बच जाते हैं। इन्हें मैं अपने पास बचाकर रखता हूँ।
कभी किसी सहपाठी को सहायता की आवश्यकता हो तो मैं इस बचत में से उसकी मदद करता हूँ। छोटी बहन की वर्षगाँठ का उपहार भी मैं इसी बचत की रकम से खरीदता हूँ। माताजी और पिताजी के जन्मदिनों पर इसी बचत से मैं उनके लिए फूलों के हार जरूर लाता हूँ।
इस प्रकार, अपने जेबखर्च का मैं आवश्यकता के अनुसार उपयोग करता है।
प्रश्न 4.
बापू के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। लोग उन्हें ‘महात्मा गाँधी’ के नाम से जानते हैं। महात्मा गाँधीजी ने देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लंबी लड़ाई लड़ी। वे अनेक बार जेल गए। उन्होंने कई सत्याग्रह किए। आज़ादी की लड़ाई में देश की जनता ने उनका पूरा साथ दिया।
लोगों ने उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ का सम्मान दिया। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में बापू की हत्या हो गई। बापू ने हमें शांति, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया। उनकी समाधि ‘राजघाट’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 5.
बापू धन क्यों इकट्ठा कर रहे थे?
उत्तर :
उस समय देश में आज़ादी के लिए आंदोलन चल रहा था। बापू उसके नेता थे। आंदोलन के लिए धन की जरूरत पड़ती थी। बापू यह धन कहाँ से लाते? इसलिए वे सारे देश में घूम-घूमकर सभाएँ करते और धन इकट्ठा करते थे।
प्रश्न 6.
आपको कौमुदी का पात्र कैसा लगा? क्यों?
उत्तर :
मुझे कौमुदी का पात्र बहुत प्रेरक लगा।
महिलाओं को गहनों के प्रति स्वाभाविक मोह होता है। फिर कौमुदी तो। अभी सोलह साल की बालिका थी। उसके गहने बहुत कीमती थे। ऐसे गहने दुबारा नहीं बन सकते थे। फिर भी देश की आज़ादी के लिए उसने अपने गहनों का त्याग कर दिया।
गाँधीजी को अपने सभी गहने भेंट कर उसने साबित कर दिया कि देशप्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसीलिए कौमुदी का पात्र हम सब के लिए बड़ा प्रेरणादायक है।
प्रश्न 7.
क्या आपने भी कभी अपने माता-पिता के सामने गलती स्वीकार की है? उस घटना को अपने शब्दों में बताइए।
उत्तर :
एक बार छुट्टी के दिन मैं अपनी सोसायटी के मैदान में साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहा था। बल्लेबाजी करते समय मैंने गेंद को इतनी जोर से मारा कि एक मकान की खिड़की का काँच टूट गया। मकान के मालिक क्रोधित होकर बाहर आए और पूछा, “मेरा काँच किसने तोड़ा?”
साथियों ने मेरा ही नाम लिया। उस सज्जन ने जाकर मेरे मातापिता से इसकी शिकायत की। मैंने अपनी गलती मान ली। वे सज्जन भी खुश हुए और बोले, “कोई बात नहीं बेटा, खेलो जरूर, पर इतना ध्यान रखो कि किसी का नुकसान न हो।”
2. उदाहरण के अनुसार संयुक्त वर्ण से बने दो-दो शब्द लिखिए :
(1) द् + ध = द्ध = शुद्ध – ………………………
(2) त् + त = त्त = वित्त – ………………………
(3) द् + म = द्म = पद्म – ………………………
(5) ह + म = ह्म – ब्रह्म – ………………………
उत्तर :
(1) द् + ध = द्ध = शुद्ध – बुद्ध, क्रुद्ध
(2) त् + त = त्त = वित्त – कुत्ता, छत्ता
(3) द् + म = य = पद्म – छद्म, सद्म
(4) द् + व = द्व = विद्वान – द्वार, द्वेष
(5) ह + म = हा = ब्रह्म – ब्रह्मांड, ब्राह्मण
3. निम्नलिखित विषय पर चर्चा कीजिए:
प्रश्न 1.
महात्मा गाँधी और देशप्रेम
उत्तर :
शिक्षक – शौनक, हम गाँधीजी को क्या कहकर उन्हें मान देते हैं?
शौनक – गुरुजी, हम गाँधीजी को ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहकर उन्हें मान देते हैं।
शिक्षक – शाबाश, परंतु उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहते हैं?
सुनील – गुरुजी, गाँधीजी ने अपना सारा जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया। उन्होंने अपने घर-परिवार की चिंता नहीं की, केवल देश की चिंता की।
रमण – उन्होंने कई सत्याग्रह किए और वे कई बार जेल गए। उन्होंने कई बार उपवास किए। देश को अंग्रेजों के शासन से आज़ाद कराने के लिए उन्होंने कोई भी प्रयत्न बाकी नहीं रखा। उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से देश की सेवा की। सचमुच, बापू महान देशप्रेमी थे।
प्रश्न 2.
इन्सान अनूठा कब कहलाता है?
उत्तर :
शिक्षक – महेश, क्या तुम बता सकते हो कि इन्सान अनूठा कब कहलाता है?
महेश – गुरुजी, जब व्यक्ति कोई असाधारण काम करता है, तब वह ‘अनूठा इन्सान’ कहलाता है। जैसे – सरदार वल्लभभाई पटेल।
शिक्षक – उन्होंने कौन-सा अनूठा काम किया था?
महेश – गुरुजी, जब हमारा देश आज़ाद हुआ तब यहाँ लगभग 600 रियासतें थीं। इनमें से कुछ राजा बड़े हठी थे। वे अपनी रियासत छोड़ने को तैयार नहीं थे। सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से सभी राजाओं से उनकी रियासतें लीं और एक स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण किया। सभी लोग सरदार का लोहा मान गए।
रौनक – गुरुजी, इसीलिए तो सरदार पटेल को ‘लौहपुरुष’ कहते हैं।
शिक्षक – हाँ, सरदार पटेल लोखंडी इरादों के आदमी थे। सचमुच, वे ‘अनूठे इन्सान’ थे।
प्रश्न 3.
तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे?
उत्तर :
शिक्षक – (विद्यार्थियों से) तुम लोग महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री आदि नेताओं की देशसेवा के बारे में जानते हो। लेकिन तुम खुद अपने देश की सेवा कैसे करोगे?
अंशुमान – गुरुजी, मैं कृषि वैज्ञानिक बनूँगा। मैं खेती के नए-नए तरीकों का आविष्कार कर तरह-तरह के अनाजों, दालों और शाक-सब्जियों की पैदावार बढ़ाऊँगा।
प्रदीप – गुरुजी, मैं इंजीनियर बनकर ऐसी तकनीक विकसित करूँगा कि जिससे सस्ते, सुंदर और मजबूत मकान बने। मैं ऐसा प्रयत्न करूँगा कि देश में कोई बेघर न रहे।
कौशल – गुरुजी, मैं देश में फैले हुए भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने का इरादा रखता हूँ। इसके लिए जो भी हो सकेगा, मैं ईमानदारी से करूँगा।
शिक्षक – मुझे खुशी है कि तुम लोग किसी-न-किसी तरह देश की सेवा करना चाहते हो। भविष्य में तुम्हारे हाथों में ही देश की बागडोर होगी। मुझे विश्वास है कि तुम लोग सच्चे देशसेवक बनोगे।
4. नीचे संज्ञा से बननेवाले विशेषण शब्द दिए गए हैं, उनका वाक्य में प्रयोग करके लिखिए :
(1) धर्म – धार्मिक
(2) रंग – रंगीन
(3) लोभ – लोभी
(4) भारत – भारतीय
(5) चमक – चमकीला
(6) शक्ति – शक्तिमान
(7) गुण – गुणवती
(8) बल – बलवान
(9) दया – दयावान
(10) दर्शन – दर्शनीय
उत्तर :
(1) धर्म-धार्मिक – मेरे दादाजी कोई-न-कोई धार्मिक कार्य करते रहते हैं।
(2) रंग-रंगीन – शीला रंगीन कपड़े पसंद करती है।
(3) लोभ-लोभी – लोभी आदमी से कुछ पाने की आशा मत करो।
(4) भारत-भारतीय – भारतीय लोग अतिथिप्रिय होते हैं।
(5) चमक-चमकीला – सोना चमकीला होता है।
(6) शक्ति-शक्तिमान – वह सभी काम करने में शक्तिमान है।
(7) गुण-गुणवती – सुरेखा गुणवती बालिका है।
(8) बल-बलवान – भीम बहुत बलवान थे।
(9) दया-दयावान – आप बड़े दयावान पुरुष हैं।
(10) दर्शन-दर्शनीय – दक्षिण भारत में कई दर्शनीय स्थान हैं।
5. उदाहरण के अनुसार लिंग परिवर्तन कीजिए:
उदाहरण : पुत्र – पुत्री
(1) मेढ़क – …………………………
(2) तरुण – …………………………
(3) कुमार – …………………………
(4) देव – …………………………
(5) हिरन – …………………………
उत्तर :
(1) मेढक – मेढकी
(2) तरुण – तरुणी
(3) कुमार – कुमारी
(4) देव – देवी
(5) हिरन – हिरनी
उदाहरण : साँप – साँपिन
(1) कुम्हार – …………………………
(2) नाग – …………………………
(3) बाघ – …………………………
(4) धोबी – …………………………
(5) ग्वाला – …………………………
उत्तर :
(1) कुम्हार – कुम्हारिन
(2) नाग – नागिन
(3) बाघ – बाघिन
(4) धोबी – धोबिन
(5) ग्वाला – ग्वालिन
उदाहरण : मोर – मोरनी
(1) शेर – …………………………
(2) जादूगर – …………………………
(3) मास्टर – …………………………
(4) डॉक्टर – …………………………
(5) ऊँट – …………………………
उत्तर :
(1) शेर – शेरनी
(2) जादूगर – जादूगरनी
(3) मास्टर – मास्टरनी
(4) डॉक्टर – डॉक्टरनी
(5) ऊँट – ऊँटनी
6. प्रश्न 5 में जिन शब्दों के लिंग परिवर्तन किये हैं, उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
जैसे –
हिरन – हिरनी : – हिरन दौड़ रहा है।, हिरनी दौड़ रही है।
पुत्र – पुत्री : – राहुल राजीव गाँधी के पुत्र हैं।, इन्दिरा जी जवाहरलाल जी की पुत्री थीं।
उत्तर :
- मेढक – मेढक टरटरा रहा है।
मेढकी – मेढकी टरटरा रही है। - तरुण – तरुण कॉलेज जा रहा है।
तरुणी – तरुणी कॉलेज जा रही है। - कुमार – कुमार खेल रहा है।
कुमारी – कुमारी खेल रही है। - देव – देव मुस्करा रहा है।
देवी – देवी मुस्करा रही है। - कुम्हार – कुम्हार घड़े बना रहा है।
कुम्हारिन – कुम्हारिन घड़े बना रही है। - नाग – नाग फुफकार रहा है।
नागिन – नागिन फुफकार रही है। - बाघ – बाघ गरज रहा है।
बाघिन – बाघिन गरज रही है। - धोबी – धोबी कपड़े धो रहा है।
धोबिन – धोबिन कपड़े धो रही है। - ग्वाला – ग्वाला दूध ला रहा है।
ग्वालिन – ग्वालिन दूध ला रही है। - शेर – शेर गरज रहा है।
शेरनी – शेरनी गरज रही है। - जादूगर – जादूगर खेल दिखा रहा है।
जादूगरनी – जादूगरनी खेल दिखा रही है। - मास्टर – मास्टर पढ़ा रहा है।
मास्टरनी – मास्टरनी पढ़ा रही है। - डॉक्टर – डॉक्टर मरीज को देख रहा है।
डॉक्टरनी – डॉक्टरनी मरीज को देख रही है। - ऊँट – ऊँट बलबला रहा है।
ऊँटनी – ऊँटनी बलबला रही है।
7. चित्र के आधार पर चर्चा करके कहानी लिखिए :
उत्तर :
सच्चे मित्र
एक जंगल था। उसमें एक तालाब के किनारे कौआ, हिरन, चूहा और कछुआ ये चार मित्र रहते थे।
एक दिन हिरन घूमते – घूमते शिकारी के जाल में फँस गया। कौआ, चूहा और कछुआ कहीं दूर चले गए थे। उसने मित्रों को आवाज दी, पर वहाँ कोई नहीं था।
कुछ समय के बाद कौआ आया। उसने हिरन को जाल में फँसा हुआ देखा तो बहुत दुःखी हुआ। उसने हिरन से कहा, “मित्र, चिंता न करो। मैं अभी तुम्हें जाल से मुक्त कराता हूँ।”
वह उड़ता हुआ चूहे के पास पहुँचा और बोला, “चूहा भाई, जल्दी चलो। अपना मित्र हिरन शिकारी के जाल में फँस गया है। जाल काटकर उसे तुम्हीं मुक्त करा सकते हो। ऐसा करो कि तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ तो हम जल्दी पहुँच जाएँगे।” कछुए ने कहा, “कौआ ठीक कहता है। तुम दोनों जल्दी जाओ। मैं भी बाद में आता हूँ।”
कौआ चूहे को अपनी पीठ पर बिठाकर ले आया। चूहे ने धीरे – धीरे जाल काट डाला। कौए ने दूर से शिकारी को आते हुए देखा। उसने हिरन को सावधान किया। हिरन जाल से निकलकर भागा। चूहा पास की झाड़ी में छिप गया।
तब तक कछुआ वहाँ पहुँच चुका था। शिकारी के पास थैली थी। हिरन को न पाकर गुस्से में उसने कछुए को पकड़कर थैली में ले जाना चाहा, लेकिन तब तक कछुआ तालाब में सरक गया। शिकारी हाथ मलता रह गया।
इस तरह कौआ, हिरन, चूहा और कछुआ चारों ने मित्रता निभाई।
अनूठे इन्सान स्वाध्याय
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
नेपोलियन की बहन का नाम क्या था?
उत्तर :
नेपोलियन की बहन का नाम इलाइजा था।
प्रश्न 2.
नेपोलियन लड़की को अपने घर क्यों ले गया?
उत्तर :
लड़की के अमरूद खराब हो जाने से उसे नुकसान हुआ था। नेपोलियन माँ से पैसे दिलाकर उसका नुकसान पूरा करवाना चाहता था। इसलिए वह लड़की को अपने घर ले गया।
प्रश्न 3.
गाँधी जी को सोने की चूड़ी देनेवाली लड़की का नाम क्या था?
उत्तर :
गाँधीजी को सोने की चूड़ा देनेवाली लड़की का नाम ‘कौमुदी’ था।
प्रश्न 4.
गाँधी जी ने कौमुदी से क्या कहा?
उत्तर :
गाँधीजी ने कौमुदी से कहा, “तुम्हें दोनों चूड़ियाँ देने की जरूरत नहीं है। एक ही चूड़ी लेकर मैं तुम्हें अपने हस्ताक्षर दे दूंगा।”
प्रश्न 5.
हस्ताक्षर करने के बाद गाँधी जी ने क्या लिखा?
उत्तर :
हस्ताक्षर करने के बाद गाँधीजी ने लिखा, तुम्हारे इन आभूषणों की अपेक्षा “तुम्हारा त्याग ही सच्चा आभूषण है।”
प्रश्न 2.
(क) अपने गाँव में घटी कोई आँखों देखी घटना के बारे में लिखिए।
उत्तर :
मेरा गाँव जंगल के पास है। कभी – कभी जंगली जानवर गाँव में आ जाते हैं।
एक दिन मैं अपने मित्र के साथ उसके घर के पीछे खेल रहा था। अचानक तेंदुआ दबे पाँव आया और उसने मेरे मित्र पर हमला कर दिया। मैं जोर से चिल्लाया, “तेंदुआ, तेंदुआ, बचाओ – बचाओ।” आवाज़ सुनकर मित्र की माँ एक डंडा लेकर दौड़ी और तेंदुए पर टूट पड़ी।
उसका उग्र रूप देखकर तेंदुआ भाग गया। मेरी जान में जान आई। मित्र की गरदन पर तेंदए के पंजे के खरोंच पडे थे। कोई गहरा घाव नहीं पड़ा था। कई लोग वहाँ जमा हो गए। सबने मित्र की माँ के साहस की प्रशंसा की।
इस घटना को कई साल हो गए, पर मैं इसे आज तक नहीं भूल सका। वह बहादूर माँ आज हमारे गाँव की सरपंच है।
(ख) इस इकाई के आधार पर अपने मित्रों से पूछने के लिए पाँच प्रश्न बनाइए।
उत्तर :
- तुमसे किसी का नुकसान हो जाए तो क्या तुम उसकी भरपाई करोगे?
- क्या तुम नेपोलियन की तरह अपने मातापिता के आगे सच बोलते हो?
- तुम्हारे सच बोलने से तुम्हें नुकसान हो रहा हो, तो क्या तुम उसे सहन कर लोगे?
- तुम देश के लिए क्या दे सकते हो?
- तुम देश की सेवा किस प्रकार करना चाहते हो?
3. विरामचिह्नों का उपयोग करके परिच्छेद फिर से लिखिए और अनुवाद कीजिए।
दुर्गावती बचपन से ही बहादुर थीं उन्हें युद्ध करने में अपूर्व धैर्य दूरदर्शिता अटूट साहस और स्वाभिमान जैसे गुण विरासत में मिले थे जहाँ वे सुशील कोमल अति सुंदर और भावुक थीं वहीं दूसरी ओर से वीर साहसी और अस्त्र-शस्त्र चलाने में भी निपुण थीं शिकार खेलने में उन्हें विशेष रुचि थी वे तीर और बंदूक का अचूक निशाना लगाने में भी कुशल थीं।
उत्तर :
दुर्गावती बचपन से ही बदाहुर थीं। उन्हें युद्ध करने में अपूर्व धैर्य, दूरदर्शिता, अटूट साहस और स्वाभिमान जैसे गुण विरासत में मिले थे। जहाँ वे सुशील, कोमल, अति सुंदर और भावुक थीं, वहीं दूसरी ओर वे वीर, साहसी और अस्त्र – शस्त्र चलाने में भी निपुण थीं। शिकार खेलने में उन्हें विशेष रुचि थी। वे तीर और बंदूक का अचूक निशाना लगाने में भी कुशल थीं।
અનુવાદ :
દુર્ગાવતી બાળપણથી જ બહાદુર હતાં. તેમને યુદ્ધ કરવામાં અપૂર્વ ધેર્ય, દૂરદેશીપણું, અખંડ સાહસ અને સ્વાભિમાન જેવા ગુણ વારસામાં મળ્યા હતા. જ્યાં તેઓ સુશીલ, કોમળ, અત્યંત સુંદર અને ભાવુક હતાં, ત્યાં બીજી બાજુ તેઓ વીર, સાહસી અને અસ્ત્ર – શસ્ત્ર વાપરવામાં પણ કુશળ હતાં. શિકાર કરવામાં તેમને વિશેષ રુચિ હતી. તેઓ તીરથી અને બંદૂકથી નિશાન તાકવામાં પણ કુશળ હતાં.
Translation :
Durgavati was brave from her childhood. She had inherited the virtues such as great patience, cautiousness, endless adventure, and self-respect. She was virtuous, soft, very beautiful, and sensitive. On the other side, she was brave, adventurous, and clever in using weapons. She had a great interest in hunting. She was clever in shooting with an arrow and a gun.
अनूठे इन्सान योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
गाँधी जी और नेपोलियन के बारे में परिचय प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
गाँधीजी
महात्मा गाँधी का नाम केवल भारत में ही नहीं, सारे संसार में प्रसिद्ध है। उनका नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई। फिर वे इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बने।
गाँधीजी ने भारत में अंग्रेज सरकार के अत्याचारों के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन चलाया। गाँधीजी के प्रयत्नों से सदियों से गुलाम भारत को स्वतंत्रता मिली। गाँधीजी ने हिन्दुओं और मुसलमानों की एकता के लिए काम किया। उन्होंने हरिजनों की दुर्दशा सुधारने के लिए भरसक प्रयत्न किए।
उन्होंने खादी – प्रचार, ग्रामसुधार, स्त्री शिक्षा जैसे कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने जीवनभर हमारे देश की सेवा की, इसलिए वे हमारे देश के ‘राष्ट्रपिता’ कहलाए।
गाँधीजी सत्य, प्रेम और अहिंसा के पुजारी थे। वे सरलता और सादगी की मूर्ति थे। वे बच्चों को बहुत प्यार करते थे।
30 जनवरी, 1948 के दिन गाँधीजी की हत्या हो गई। मरते समय गाँधीजी के मुख से ‘हे राम’ शब्द निकला था।
आज गाँधीजी हमारे बीच नहीं है, फिर भी उनके महान कार्य हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।
नेपोलियन बोनापार्ट
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का शासक था। उसका जन्म 15 अगस्त, 1769 में हुआ था। पहले वह सेनापति था, परंतु क्रांति के बाद वह सम्राट बन गया। उसने फ्रांस के आसपास के कई देश जीत लिए।
1812 में उसने रूस पर आक्रमण किया, किंतु भयंकर ठंड में उसके बहुत से सैनिक मारे गए और आखिर उसे वापस लौटना पड़ा। 1815 में वाटर लू के युद्ध में उसकी बुरी तरह पराजय हुई। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
उसे बन्दी बनाकर सेन्टहेलना टापू में रखा गया। वहीं 6 वर्ष के बन्दी जीवन में उसकी मृत्यु हुई। नेपोलियन की गिनती विश्व के महान सेनापतियों में की जाती है।
प्रश्न 2.
महापुरुषों के जीवन की घटनाओं का संकलन कीजिए।
उत्तर :
भाषा – सज्जता
किसी घटना, प्रसंग आदि का वर्णन करते समय प्रयोग किए गए रूढ़ और मार्मिक कथन को ‘कहावत’ कहते हैं। कहावत की पृष्ठभूमि में कोई कहानी या घटना होती है। धीरे – धीरे जब यह रूढ़ हो जाती है तो कहावत बन जाती है।
कहावत सीधे हृदय में प्रवेश कर विशेष प्रभाव उत्पन्न करती है। कभी उसमें व्यंग्य की पैनी धार होती है तो कभी उसमें हृदय को छू लेनेवाला मर्म होता है। कहावतें कभी – कभी नीति या बोधपूर्ण उक्तियों का काम भी करती हैं।
कहावतें प्रायः पूर्ण वाक्य के रूप में होती हैं और किसी प्रसंग के अंत में आकर उसका स्पष्टीकरण करती है। जैसे – यदि कोई व्यक्ति किसी काम के बारे में जानकारी नहीं रखता और दूसरों को दोष देता है, तो उसकी इस बहानेबाजी को सूचित करने के लिए कहा जाता है – ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा।’ अर्थात् नाचना आता नहीं, इसलिए आँगन को टेढ़ा (अनुपयुक्त या दोषपूर्ण) बताकर वह नाचने से बचना चाहता है।
मातापिता अपने कमाऊ बेटे का बुरा व्यवहार भी सहन कर लेते हैं। उनकी इस स्थिति को स्पष्ट करने के लिए कहा जाता है ‘दुधार गाय की लात भी भली।’
कभी – कभी कवियों की मार्मिक सूक्तियाँ भी कहावत का रूप ले लेती हैं। जैसे
- (1) ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय।
- (2) रहिमन याचकता गहे बड़े छोटे हो जात।
- (3) हरि को भजे सो हरि का होय।
सार:
- कहावतें प्रायः पूर्ण वाक्य के रूप में होती हैं।
- कहावतें ज्ञान और अनुभव का निचोड़ होती हैं।
- कहावतों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जा सकता है। जैसे –
दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय। (दुर्बल को मत सताओ, क्योंकि उसकी हाय में बड़ी शक्ति होती है।)
इस प्रकार, कहावत अपने आप में एक पूर्ण विचार और स्वतंत्र वाक्य है। - कहावत का प्रयोग करने के लिए उसके सूचितार्थ को समझना आवश्यक है।
(सूचना : पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 11 से 13 पर दी गई कहावतों को भली भाँति समझिए।)
अनूठे इन्सान भाषा-सजता
आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास –
तुम्हें छात्रावास में इसलिए भेजा था कि तुम परीक्षा में प्रथम आ सको पर तुमने तो यहाँ रहकर भी बेकार की बातों में समय बरबाद करना शुरू कर दिया।
इसे कहते हैं – ‘आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास’ अर्थात् अच्छा काम छोड़कर महत्त्वहीन काम में लग जाना।
उलटा चोर कोतवाल को डांटे –
एक तो तुमने चोरी की और ऊपर से मुझे ही डाँट रहे हो?
इसे कहते हैं – ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’ अर्थात् अपराधी द्वारा निर्दोष को धमकाना।
ऊँची दुकान फीका पकवान –
हमने तो तुम्हारी दुकान की प्रसिद्धि सुनकर सामान खरीदा था मगर आपका सामान तो बहुत ही घटिया निकला।
इसे कहते हैं – ‘ऊँची दुकान फीका पकवान’ अर्थात् प्रसिद्धि के अनुरूप न होना।
एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा –
वह शराबी तो था ही, जुआ भी खेलने लगा। यह तो वही बात हुई – एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा। अर्थात् एक दोष के साथ-साथ दूसरा दोष भी लग जाना।
एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा करती है –
जब से धनराज हमारी कक्षा में आया है उसने कई बार चोरी की है। उसकी देखा-देखी कई और लड़के भी इस लत में पड़ गए हैं। ठीक ही कहा है – एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
अर्थात् एक की बुराई के कारण सबकी बदनामी होना।
कंगाली में आटा गीला –
गंगू पहले ही बहुत निर्धन था, छोटी-सी नौकरी में बड़ी मुश्किल से गुज़ारा कर रहा था, अब तो वह भी छूट गई।
इसे कहते हैं – ‘कंगाली में आटा गीला’ अर्थात् मुसीबत में और मुसीबत आना।
कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली –
उस साधारण गायिका की तुलना लता मंगेशकर से करना उचित नहीं – कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली।
अर्थात दो व्यक्तियों की स्थिति में बहुत अंतर होना।
कोयले की दलाली में हाथ काला –
उसका साथ छोड़ दो, पूरा गुंडा है, कभी तुम्हें भी ले बैठेगा। जानते नहीं, कोयले की दलाली में हाथ काला। अर्थात् बुरे के साथ रहने पर बुराई मिलती है।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए –
सेठ मोहनदास कई दिनों से बीमार हैं, फिर भी अस्पताल नहीं जाना चाहते हैं । उनके लिए तो चमडी जाए पर दमड़ी न जाए।
अर्थात् कंजूस व्यक्ति कष्ट सहन कर लेता है, लेकिन पैसे खर्च नहीं करता।
जो गरजते हैं सो बरसते नहीं –
कमल ने इस बार 100 मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त करने का दावा किया था। वह प्रथम तो क्या, तृतीय भी न आ सका।
इसे कहते हैं – ‘जो गरजते हैं सो बरसते नहीं’ अर्थात् जो डींग मारते हैं, वे काम नहीं करते।
नाम बड़े और दर्शन छोटे –
तुम्हारे विद्यालय की बहुत प्रशंसा सुन रखी थी, पर आकर देखा तो पढ़ाई का स्तर कुछ भी नहीं। इसे कहते हैं – ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ अर्थात् प्रसिद्धि अधिक किन्तु तत्त्व कुछ भी नहीं।
बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से पाय –
सारे साल तो तुमने पढ़ाई नहीं की अब उत्तीर्ण होने के सपने देख रहे हो? यह संभव नहीं है, क्योंकि किसी ने कहा है – ‘बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से पाय’ अर्थात् बुरे कामों का अच्छा फल नहीं मिलता।
इन कहावतों को पढ़ने से पता चलता है कि उनमें से शाब्दिक अर्थ नहीं, बल्कि कुछ विशेष अर्थ प्रकट होता है। कहावत का पूर्ण वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जाता है। कहावत का प्रयोग किसी बात के समर्थन या खंडन के लिए किया जाता है। |
Hindi Digest Std 6 GSEB अनूठे इन्सान Important Questions and Answers
अनूठे इन्सान विशेष प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
नेपोलियन अपनी बहन के साथ कौन – सा खेल खेल रहा था?
A. पकड़ा – पकड़ी
B. आँख – मिचौनी
C. टेनिस
D. खो – खो
उत्तर :
B. आँख – मिचौनी
प्रश्न 2.
नेपोलियन ने लड़की को क्या दिया?
A. दो सिक्के
B. तीन सिक्के
C. चार सिक्के
D. पाँच सिक्के
उत्तर :
B. तीन सिक्के
प्रश्न 3.
नेपोलियन कैसा इन्सान था?
A. निडर
B. दिलदार
C. बहादुर
D. अनूठा
उत्तर :
D. अनूठा
प्रश्न 4.
कौमुदी के पिता किसकी नीलामी करा रहे थे?
A. हस्ताक्षरों की
B. आवेदनपत्रों की
C. मानपत्रों की
D. आभूषणों की
उत्तर :
C. मानपत्रों की
2. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (जेवरों, अमरूद, बड़गरा, कौमुदी, सत्यवादी, दृढ़, देशप्रेम, टोकरी)
(1) नेपोलियन जब छोटा था तभी से वह …………………………………. था।
(2) लड़की …………………………………. बेचने के लिए जा रही थी।
(3) नेपोलियन के टकराने से उसकी …………………………………. नीचे गिर पड़ी।
(4) बचपन से ही उसे खुद पर …………………………………. विश्वास था।
(5) वहाँ …………………………………. नाम के गाँव में सभा का आयोजन किया गया।
(6) गाँधीजी ने उपस्थित बहनों से …………………………………. की भीख माँगी।
(7) गाँधीजी ने …………………………………. से कहा।
(8) …………………………………. से बढ़कर कुछ नहीं।
उत्तर :
(1) नेपोलियन जब छोटा था तभी से वह सत्यवादी था।
(2) लड़की अमरूद बेचने के लिए जा रही थी।
(3) नेपोलियन के टकराने से उसकी टोकरी नीचे गिर पड़ी।
(4) बचपन से ही उसे खुद पर दृढ़ विश्वास था।
(5) वहाँ बड़गरा नाम के गाँव में सभा का आयोजन किया गया।
(6) गाँधीजी ने उपस्थित बहनों से जेवरों की भीख माँगी।
(7) गाँधीजी ने कौमुदी से कहा।
(8) देशप्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं।
3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
लड़की को डर था, कि …
(अ) अब वह केले कहाँ से खरीदेगी?
(ब) कीचड़ में गिरकर अमरूद खराब न हो गए हों।
(क) वह माँ को क्या जवाब देगी?
उत्तर :
लड़की को डर था, कि वह माँ को क्या जवाब देगी?
प्रश्न 2.
नेपोलियन भागा नहीं, क्योंकि …
(अ) वह लड़की को जो हानि हुई थी उसे भरपाई करना चाहता था।
(ब) वह निडर था।
(क) वहाँ से भागना संभव नहीं था।
उत्तर :
नेपोलियन भागा नहीं, क्योंकि वह लड़की को जो हानि हुई थी उसे भरपाई करना चाहता था।
प्रश्न 3.
माँ नेपोलियन से खुश हुई, क्योंकि …
(अ) वह लड़की को धक्का देकर भागा नहीं था।
(ब) उसने माँ को सच – सच बता दिया था।
(क) उसने अपने जेबखर्च का पैसा दिलाया था।
उत्तर :
माँ नेपोलियन से खुश हुई, क्योंकि उसने माँ को सच – सच बता दिया था।
प्रश्न 4.
भाषण समाप्त कर गाँधीजी …
(अ) महिलाओं से उनके जेवर माँगने लगे।
(ब) सबको अपने हस्ताक्षर देने लगे।
(क) भेंट में मिली वस्तुएँ नीलाम करने लगे।
उत्तर :
भाषण समाप्त कर गाँधीजी भेंट में मिली वस्तुएं नीलाम करने लगे।
प्रश्न 5.
गाँधीजी ने कौमुदी के …
(अ) हार को सच्चा आभूषण बताया।
(ब) त्याग को सच्चा आभूषण बताया।
(क) साहस को सच्चा आभूषण बताया।
उत्तर :
गाँधीजी ने कौमुदी के त्याग को सच्चा आभूषण बताया।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक – एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
नेपोलियन किससे टकराया?
उत्तर :
नेपोलियन एक अमरूद बेचने जा रही लड़की से टकराया।
प्रश्न 2.
अमरूदों के खराब हो जाने का क्या कारण था?
उत्तर :
अमरूद कीचड़ में गिर जाने के कारण खराब हो गए थे।
प्रश्न 3.
इलाइजा अमरूदवाली लड़की को घर ले जाने का विरोध क्यों कर रही थी?
उत्तर :
इलाइजा अमरूदवाली लड़की को घर ले जाने का विरोध कर रही थी, क्योंकि उसे माँ के नाराज होने का डर था।
प्रश्न 4.
नेपोलियन कैसा इन्सान था?
उत्तर :
नेपोलियन सच्चाई के पथ पर चलनेवाला इन्सान था।
प्रश्न 5.
बड़गरा गाँव किस राज्य में है?
उत्तर :
बड़गरा गाँव केरल राज्य में है।
प्रश्न 6.
कौमुदी ने गाँधीजी को भेंट में क्या – क्या दिया?
उत्तर :
कौमुदी ने गाँधीजी को भेंट में अपने हाथों की सोने की चूड़ियाँ, गले का स्वर्णहार और कानों के रत्नजड़ित बुंदे दिए।
प्रश्न 7.
कौमुदी ने अपने कीमती गहने गाँधीजी को क्यों दे दिए?
उत्तर :
कौमुदी ने अपने कीमती गहने गाँधीजी को दे दिए, क्योंकि उसकी दृष्टि में देश का महत्त्व गहनों से अधिक था।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
नेपोलियन को सच बोलने का क्या परिणाम भुगतना पड़ा?
उत्तर :
नेपोलियन ने अपनी माँ को बता दिया कि उसके कारण अमरूद बेचनेवाली लड़की को हानि उठानी पड़ी है। उस लड़की को डर है कि उसकी माँ उसे बुरी तरह डाँटेगी। अपनी जेबखर्च की रकम में से उस लड़की को अमरूदों के पूरे पैसे देने के लिए नेपोलियन ने माँ से कहा।
माँ नेपोलियन की सच्चाई से बहुत खुश हुई। उसने नेपोलियन से कहा कि अब एक महीने तक उसे जेबखर्च के लिए कुछ भी नहीं मिलेगा। नेपोलियन ने माँ की बात मान ली। उसने अपने सच बोलने के परिणाम को खुशी – खुशी भुगत लिया।
प्रश्न 2.
कौमुदी कौन थी? उसने अपने देशप्रेम का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर :
कौमुदी केरल के बड़गरा गाँव की बालिका थी। बड़गरा गाँव में धन इकट्ठा करने के लिए गाँधीजी की सभा का आयोजन हुआ था। सभा में भाषण के बाद गाँधीजी ने उपस्थित महिलाओं से उनके गहने माँगे। बहुत – सी महिलाओं ने अपने गहने गाँधीजी को भेंट कर दिए।
उस समय 16 वर्ष की कौमुदी गाँधीजी के पास आई।
उसने गाँधीजी से उनके हस्ताक्षर माँगे। हस्ताक्षर के बदले में उसने अपने दोनों हाथों की सोने की चूड़ियाँ, गले का स्वर्णहार और कानों के रत्नजडित बुंदे गाँधीजी को दे दिए। यह निश्चित था कि उतने कीमती गहने अब वह नहीं बनवा सकती थी, परंतु देश के लिए उसने अपने गहनों की परवाह नहीं की। इस प्रकार, मूल्यवान गहने देकर कौमुदी ने अपने देशप्रेम का परिचय दिया।
अनूठे इन्सान प्रवृत्तियाँ
- गाँधीजी का चित्र चिपकाइए और उनके बारे में पाँच वाक्य लिखिए :
गाँधीजी महान देशभक्त थे। उन्होंने अनेक कष्ट सहकर हमें आज़ादी दिलाई। वे सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। हम उन्हें प्रेम से ‘राष्ट्रपिता’ कहते हैं। गाँधीजी ने अपनी आत्मकथा लिखी है। उसका नाम ‘सत्य के प्रयोग’ है। - आपने अपने दादा – दादी में कौन – सी अनूठी बातें देखी हैं? बताइए।
- मेरे दादाजी नाटकों में अभिनय करते हैं। वे अच्छे अभिनेता हैं।
- मेरे दादाजी अंग्रेजी भी बहुत अच्छी बोलते हैं।
- मेरी दादीजी सुरीले कंठ से भजन गाती हैं।
- मेरी दादीजी देशी दवाओं से ही हमारी बीमारियाँ अच्छी कर देती हैं।
- नेपोलियन की तरह अब्राहम लिंकन भी अनूठे इन्सान थे। अपने पुस्तकालय से महापुरुषों के चरित्र संबंधी पुस्तकें लाकर पढ़िए।
- नेपोलियन फ्रांस का सम्राट था। यूरोप के नक्शे में फ्रांस देश को ढूंढिए।
अनूठे इन्सान Summary in English
Peculiar Persons
Such Was Napolean!
Napolean was truthful since his childhood. One day he was playing hide and seek with his sister Ilija. Ilija had hidden and Napolean was running here and there trying to seek her. Suddenly he dashed the girl who was going to sell guavas.
Her basket of guavas fell down. Her guavas became dirty because of mud. She began to cry and said, “Now, what will I say (reply) to my mother ?”
Naija began to say, “Brother, let us run away from here.”
“No sister, she has got loss because of us,” Napolean said this. He gave three small coins from his pocket to the girl and said, “Sister, I have only three coins. Please take them.”
“What can I do with these three coins ? My mother will beat me,” said the girl. “Then come with us to our home. We will pay you the rest of the money from our mother,” said Napolean.
Listening this llaija said to Nepolean, “Brother, if we take this girl to our home, mother will be displeased.”
But Napolean did not listen. He took the girl to his home with him. He informed everything to his mother and said, “Mother, please pay the girl from my pocketmoney which you give me.”
“Allright. I am happy for your truthfulness, but remember that you will not get anything for your pocketmoney for a month,” said mother.
“Allright, mother,” said Napolean laughing.
Kaumudi accepted the condition firmly. Gandhiji gave his autograph and wrote this sentence : “Your sacrifice is a real ornament than your all these ornaments.”
Really, nothing is superior to patriotism.
अनूठे इन्सान Summary in Gujarati
અનોખા માનવી
આવો હતો નેપોલિયન
નેપોલિયન જ્યારે નાનો હતો ત્યારથી જ સત્યવાદી હતો. એક દિવસ તે પોતાની બહેન ઈલાઈજા સાથે સંતાકૂકડી રમી રહ્યો હતો. ઈલાઇજા છુપાઈ ગઈ હતી અને નેપોલિયન તેને શોધવા માટે આમતેમ દોડી રહ્યો હતો. અચાનક એ એક છોકરાં સાથે ભટકાયો.
છોકરી જામફળ વેચવા માટે જતી હતી. નેપોલિયનના ધક્કાથી એની ટોપલી નીચે પડી ગઈ. ત્યાં કીચડ હોવાથી એના બધાં જામફળ ખરાબ થઈ ગયાં. તે રડતા – રડતી કહેવા લાગી, “હવે, માને હું શો જવાબ આપીશ?”
ઈલાઈજા કહેવા લાગી, “ચાલ ભાઈ, આપણે અહીંથી ભાગી જઈએ.”
“ના બહેન, આપણા લીધે તો તેને નુકસાન થયું છે.” આમ કહીને નેપોલિયને ખીસામાંથી ત્રણ નાના સિક્કા કાઢીને તે છોકરીને આપતાં કહ્યું, “બહેન, મારી પાસે આ ત્રણ જ સિક્કા છે. તું આ લઈ લે.”
આ ત્રણ સિક્કાથી શું થશે? મારી મા મને ખૂબ મારશે,” છોકરીએ કહ્યું. સારું, તો તું અમારી સાથે અમારા ઘેર ચાલ, અમે તને મારી મા પાસેથી બીજા પૈસા અપાવી દઈશું.”
આ સાંભળીને ઈલાઇજાએ નેપોલિયનને કહ્યું, “ભાઈ, આને ઘેર લઈ જઈશું તે મા નારાજ થશે.”
નેપોલિયન માન્યો નહીં, તે પેલી છોકરીને પોતાની સાથે ઘેર લઈ ગયો. માને * હકીકત જણાવીને તે બોલ્યો, “મા, તમે મને જે ખીસા – ખર્ચા આપો છો તેમાંથી આ છોકરીને પૈસા આપી દો.”
“ઠીક છે. હું તારી સચ્ચાઈથી ખુશ છું, પરંતુ યાદ રાખજે, હવે તેને એક મહીના સુધી ખીસા – ખર્ચ માટે કંઈ પણ નહીં મળે,” માએ કહ્યું.
ઠીક છે મા,” નેપોલિયને હસતાં – હસતાં કહ્યું,
માએ તે છોકરીને બે મોટા સિક્કા આપ્યા. તે ખુશખુશાલ થતી ઘેર ચાલી ગઈ. નેપોલિયનને છોકરીને ધક્કો મારવાની સજા તો મળી, પરંતુ સત્યના માર્ગે ચાલવાને લીધે તેને આ સજા ભોગવવામાં અનેરો આનંદ આવ્યો.
હકીકતમાં નેપોલિયન સચ્ચાઈને માર્ગે ચાલનારો મનુષ્ય હતો. બાળપણથી જ તેને પોતાના પર દઢ વિશ્વાસ હતો અને તેમાં દઢ ઇચ્છાશક્તિ પણ હતી.
સાચું દાન માલબાર(કેરલ)ની વાત છે. ત્યાં બડગરા નામના એક ગામમાં સભાનું આયોજન કરવામાં આવ્યું. ગાંધીજીએ પોતાના ભાષણમાં ઉપસ્થિત સૌ બહેનો પાસે ઘરેણાંની ભિક્ષા માગી. ઘણી વસ્તુઓ ભેટમાં મળી.
પોતાનું ભાષણ પૂરું કરીને ગાંધીજી આ વસ્તુઓની બોલી બોલીને વેચવા લાગ્યા. તે વખતે કૌમુદી નામની સોળ વર્ષની એક બાલિકા મંચ પર આવી, તેણે એક હાથની સોનાની બંગડી ઉતારી અને ગાંધીજીને. તે આપતાં બોલી, “શું, આપ મને તમારા હસ્તાક્ષર આપશો?”
ગાંધીજી હસ્તાક્ષર કરી જ રહ્યા હતા કે તેણે બીજા હાથની બંગડી પણ ઉતારી દીધી. આ જોઈને ગાંધીજીએ કહ્યું, “અરે ગાંડી છોકરી, બંને બંગડીઓ આપવાની જરૂર નથી. એક જ બંગડી લઈને હું તને મારા હસ્તાક્ષર આપી દઈશ.”
એના ઉત્તરમાં કૌમુદીએ પોતાના ગળાનો સોનાનો હાર ઉતાર્યો. ગાંધીજીએ પૂછ્યું, “તેં તારા માતાપિતાની આજ્ઞા તો લીધી છે ને?
કંઈ પણ ઉત્તર આપ્યા વિના તેણે કાનમાંથી રત્નજડિત બુટ્ટીઓ પણ કાઢી લીધી. ગાંધીજીએ પૂછ્યું” તેં આ ઘરેણાં આપવા માટે તારા માતાપિતાની આજ્ઞા લીધી છે ને?
કૌમુદી કંઈક ઉત્તર આપે, એ પહેલાં જ કોઈકે કહ્યું, “આના પિતા તો અહીં જ છે ને, માનપત્રોની બોલી બોલવામાં તેઓ જ બોલી બોલાવીને તમને મદદ કરી રહ્યા છે.’
હવે ગાંધીજીએ કૌમુદીને કહ્યું “તને એ તો ખબર હશે કે આ ઘરેણાં આપી દીધા પછી તું ફરીથી નવાં ઘરેણાં નહીં બનાવી શકે !”
કૌમુદીએ આ શરત મક્કમતાપૂર્વક સ્વીકારી લીધી. ગાંધીજીએ હસ્તાક્ષર કર્યા પછી આ વાક્ય લખ્યું – તારાં આ ઘરેણાં કરતાં તારો ત્યાગ જ ખરું ઘરેણું છે.
સાચે જ, દેશપ્રેમથી ચડિયાતું કશું નથી.
अनूठे इन्सान ऐसा था नेपोलियन विषय – प्रवेश
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस देश का सम्राट था। यहाँ उसके बचपन की एक घटना दी गई है। इस घटना से पता चलता है कि सच्चाई का डटकर सामना करने का गुण उसमें बचपन से ही था। वह झूठ बोलकर अपनी गलती नहीं छिपाता था।
अनूठे इन्सान शब्दार्थ
- सत्यवादी – हमेशा सच बोलनेवाला; truthful
- आँख – मिचौनी – लुका – छिपी का खेल; hide and seek
- अचानक – एकाएक, अकस्मात; suddenly
- टकराना – धक्का लगना; to dash
- अमरूद – पेरू; guava
- हानि – नुकसान; loss
- नाराज – अप्रसन्न, नाखुश; unhappy, sad, displeased
- पथ – मार्ग, रास्ता; way अद्भुत – अनोखा; peculiar, extraordinary
- दृढ़ – मजबूत; strong
- खुद पर – अपने आप पर; one’s self
- इच्छा शक्ति – मनचाही वस्तु प्राप्त करने की शक्ति; determination
सच्चा दान विषय – प्रवेश
अपने देश से सबको प्रेम होता है। अपने देश की आज़ादी और उसके सम्मान के लिए देशभक्त लोग अपना सर्वस्व भी देने के लिए तैयार हो जाते हैं। यहाँ महात्मा गाँधी की उपस्थिति में देश के लिए सर्वस्व त्याग करनेवाली एक लड़की के बारे में बताया गया है।
अनूठे इन्सान शब्दार्थ
- आयोजन – इंतजाम; arrangement
- जेवर – गहने, आभूषण; ornaments
- नीलाम करना – बोली लगाकर बेचना; to bid
- मंच – स्टेज; stage
- हस्ताक्षर – दस्तखत; autograph
- स्वर्णहार – सोने की माला; golden chain
- आज्ञा – अनुमति; permission
- बुंदे – कान के आभूषण; the ornaments of ears
- मानपत्र – आदर सूचित करनेवाला पत्र; a letter of respect
- त्याग – छोड़ने की भावना; a sense of deserting
- भाषण – सभा के सामने बोलना; speech, lecture