Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 11 भारतवर्ष हमारा है Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 11 भारतवर्ष हमारा है
GSEB Class 10 Hindi Solutions भारतवर्ष हमारा है Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
करोड़ों कंठों से क्या आवाज़ उठी ?
उत्तर :
करोड़ों कंठों से यह आवाज़ उठी कि ‘भारतवर्ष हमारा है, हिन्दुस्तान हमारा है।’
प्रश्न 2.
हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान कब से है ?
उत्तर :
हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान आदि-अनादि से हैं।
प्रश्न 3.
नवयुग के नयनों में क्या भरा है ?
उत्तर :
नवयुग के नयनों में अग्नि के जलते हुए पुंज भरे हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
‘भारतवर्ष हमारा है’ यह स्वरधारा किसकी है ?
उत्तर :
भारतवर्ष में करोड़ों लोग रहते हैं। भारतवर्ष के सभी लोग ‘भारतवर्ष हमारा है’ का स्वर बुलंद करते हैं। यह स्वरधारा भारतवर्ष के करोड़ों-करोड़ों लोगों की है।
प्रश्न 2.
नवसर्जन के स्वप्न कब से जागे ?
उत्तर :
जिस दिन सबसे पहले देश के नवनिर्माण की अनेक कल्पनाएं हमारे मन में उठीं, देश-काल के दो-दो विशाल और सुंदर वितानों की रचना हुई। जिस दिन आकाश में असंख्य तारे छिटके और सूरज-तारे अस्तित्व में आए, उसी समय से नवसर्जन के स्वर जागे थे।
प्रश्न 3.
भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान कब से है ?
उत्तर :
हमारा देश भारतवर्ष बहुत प्राचीन देश है। जब घटाओं ने सबसे पहले बहराना सीखा था, जब पहले-पहल हवाओं ने हहराना सीखा था और सभी समुद्र लहराना सीख रहे थे, उस समय से भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान है। अर्थात अनादि-आदि काल से भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान है।
प्रश्न 4.
करोड़ों लोगों के उत्साह भरे वचन क्या थे ?
उत्तर :
करोड़ों लोगों के उत्साहभरे वचन थे कि यह भारतवर्ष हमारा महान देश है। दुनिया का ऐसा कौन-सा देश है जो हमारे देश का सामना कर सके? यह एक अद्वितीय देश है।
प्रश्न 5.
कवि भारत का प्रतिपक्षी किसे मानते हैं ?
उत्तर :
भारत का स्वतंत्रता आंदोलन यहाँ अपनी सत्ता जमाए बैठे अंग्रेजों के खिलाफ था। कवि उन्हीं को भारत का प्रतिपक्षी मानते हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
हिन्दुस्तान हमारा है – स्वरधारा किसकी और कब से है ?
उत्तर :
‘हिन्दुस्तान हमारा है’ स्वरधारा हमारे देश में रहनेवाले कोटि-कोटि लोगों की है। जब से पृथ्वी और आकाश का उद्भव हुआ है और जब से आकाश में तारे छिटके और सूर्य-चांद बने हैं, तभी से हमारे देश का अस्तित्व है। इस तरह यह स्वरधारा अनादि-आदि काल से हैं।
प्रश्न 2.
कवि बालकृष्ण ‘नवीन’ – भारत के लिए क्या कहते हैं ?
उत्तर :
कवि बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ भारत के लिए कहते हैं कि हमारा देश भारतवर्ष बहुत प्राचीन देश है। यह अनादि-आदि काल से हमारा जन्म-स्थान है। इस बात का देश के बयालीस करोड निवासियों को गर्व है। उनकी गर्जना सुनकर दुश्मनों के हदय सिहर उठते हैं। उनका सामना कोई नहीं कर सकता। भारतवर्ष एक महान देश है।
4. निम्नलिखित का भावार्थ स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
गरज उठे ब्यालीस कोटिजन, सुन ये………….
……………….. हिन्दुस्तान हमारा है ।
उत्तर :
कवि कहते हैं कि भारतवर्ष की समूची बयालीस करोड़ जनता एक स्वर में ‘भारतवर्ष हमारा हैं, यह हिन्दुस्तान हमारा है’ का हुंकार भर रही है। वे कहते हैं कि देशवासियों के ये उत्साहभरे वचन सुनकर हमारे विरोधियों (दुश्मनों) के दिल दहल उठे हैं। आज के नए युग के हमारे देशवासियों की आँखों में दुश्मनों के लिए आग के शोले भड़क रहे हैं। उनका सामना करने की किसी में हिंमत नहीं है। हमारा देश महान है। यह भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।
Hindi Digest Std 10 GSEB भारतवर्ष हमारा है Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
भारत का अस्तित्व कबसे हैं?
उत्तर :
नव सिरजन के स्वप्न जागे थे, तब से भारत का अस्तित्व हैं।
प्रश्न 2.
नवसर्जन के स्वर कब जागे थे?
उत्तर :
तारें और सूरज अस्तित्व में आए तब से नवसर्जन के स्वर जागे थे।
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
कोटि-कोटि …… जिस दिन सूरज-चाँद बने।
उत्तर :
कवि भारतवर्ष के गौरव का बखान करते हैं। वे कहते हैं कि भारतवर्ष में रहनेवाले करोड़ों लोगों के कंठों से यह स्वर निकल रहा है कि भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है। वे कहते हैं कि हमारा भारतवर्ष अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली देश है। जब सबसे पहले विश्व के रचयिता के मन में विश्व का निर्माण करने का ख्याल आया था। जिस समय धरती और आकाश का निर्माण हुआ था और जबसे आकाश में सूर्य और चाँद अस्तित्व में आए थे तथा आकाश में सर्व तारे फैल गए थे, तबसे हमारा यह भारतदेश अस्तित्व में हैं। अपने देश पर हमें गर्व है।
व्याकरण
1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- कंठ – ………..
- विमल – ………..
- नभ – ………..
- चाँद – ………..
- जलधि – ………..
- अग्नि – ………..
- दिन – ………..
- वितान – ………..
- अभिमान – ………..
- हवा – ………..
- भारतवर्ष – ………..
- कोटि – ………..
उत्तर :
- कंठ – स्वर
- विमल – स्वच्छ
- नभ – वितान
- चाँद – शशी
- जलधि – सागर
- अग्नि – अनल
- दिन – दिवस
- वितान – चंदोबा
- अभिमान – घमंड
- हवा – पवन
- भारतवर्ष – हिन्दुस्तान
- कोटि – करोड़
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- सृजन × …………..
- विस्तृत × …………..
- अभिमान × …………..
- आदि × …………..
- अग्नि × …………..
- जागे × …………..
- भरा × …………..
- प्रतिपक्षी × …………..
उत्तर :
- सुजन × विसर्जन
- विस्तृत × संक्षिप्त
- अभिमान × निरभिमान
- आदि × अंत
- अग्नि × जल
- जागे × सोए
- भरा × खाली
- प्रतिपक्षी × स्वपक्षी
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- जिसमें तारे चमकते हैं
- दूर तक फैला हुआ
- जिसमें मैल न हो ।
- विरुद्ध पक्ष
- जिसमें अथाह जल भरा हो
- जो जलता हुआ हो
- फैलाव
- जल भरे बादलों का समूह
- जिसका आदि (आरंभ) न हो
- स्वच्छ और पारदर्शक
- हवा के तेज चलने से होनेवाली आवाज़
उत्तर :
- अंतरिक्ष
- विस्तृत
- विमल
- प्रतिपक्ष
- जलनिधि
- प्रचलित
- वितान
- घटा
- अनादि
- विमल
- हहराना
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- जागना – …………..
- घना – …………..
- विस्तृत – …………..
- छिटकना – …………..
- गरजना – …………..
- कॉपना – …………..
- सामने – …………..
- सिहरना – …………..
उत्तर :
- जागना – जागृति
- घना – घनत्व
- विस्तृत – विस्तृति
- छिटकना – छिटकाव
- गरजना – गर्जना
- कॉपना – कंपन
- सामने – सामना
- सिहरना – सिहरन
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- सिरजन – …………..
- स्वप्न – …………..
- हवा – …………..
- जन्म – …………..
उत्तर :
- सिरजन – सर्जक
- स्वज – स्वप्न दृष्टा
- हवा – हवाखोर
- जन्म – जनक
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- ज्वाला – …………..
- अभिमान – …………..
- क्षण – …………..
- महानता – …………..
- परिवार – …………..
उत्तर :
- ज्वाला – ज्वलित
- अभिमान – अभिमानी
- क्षण – क्षणिक
- महानता – महान
- परिवार – पारिवारिक
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- स्वरधारा
- देश-काल
- जलधि
- जन्मस्थान
- सूरज-चाँद
- जन-गण
- अनादि-आदि
उत्तर :
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- द्वन्द्व
- तत्पुरुष
- बहुव्रीहि
भारतवर्ष हमारा है Summary in Hindi
विषय-प्रवेश
‘भारतवर्ष हमारा है’ कविता में कवि ने भारतदेश को पृथ्वी और सूर्य-चंद्र के उदभव काल का बताते हए महान देश बताया है। राष्ट्रप्रेम से परिपूर्ण इस कविता में कवि ने जनता के मन के उत्साह का वर्णन करते हुए कहा है कि भारत का सामना करने की किसी में हिंमत नहीं है।
कविता का सार :
पृथ्वी के उद्भव काल से : भारतवर्ष जगत में उस काल से विद्यमान है, जबसे पृथ्वी का उद्भव हुआ था और आकाश में सूर्य, चंद्र और तारे चमकने आरंभ हुए थे।
भारतवर्ष हमारी जन्मभूमि : भारतवर्ष आदि-अनादि काल से हमारी जन्मभूमि है। इसका अस्तित्व तबसे है, जबसे घटाओं, हवाओं और समुद्रों में गति और हलचल होनी शुरू हुई थी।
अजेय भारतवर्ष : भारतदेश के लोगों में अदम्य उत्साह है और दुश्मनों के लिए उनकी आँखों में आग के शोले भड़क रहे हैं। उसका सामना करने की किसी में हिंमत नहीं है।
टिप्पणी :
‘भारतवर्ष हमारा है’ कविता बहुत पहले लिखी गई थी। इस कविता में भारतवर्ष की जनसंख्या बयालीस करोड़ लिखी गई है। देश की यह जनसंख्या तब थी, जब कवि ने यह कविता लिखी थी।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस समय हमारे देश की कुल जनसंख्या 1,21.01.31,808 (एक अरब, इक्कीस करोड़, एक लाख, इकतीस हजार, आठ सौ आठ) है।
कविता का सरल अर्थ :
कोटि-कोटि. ………….. हिन्दुस्तान हमारा है।
कवि भारतवर्ष के गौरव का बखान करते हैं। वे कहते हैं कि भारतवर्ष में रहनेवाले करोड़ों लोगों के कंठों से यह स्वर निकल रहा है कि भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।
वे कहते हैं कि हमारा भारतवर्ष अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली देश है। जब सबसे पहले विश्व के रचयिता के मन में विश्व का निर्माण करने का ख्याल आया था। जिस समय धरती और आकाश का निर्माण हुआ था और जबसे आकाश में सूर्य और चाँद अस्तित्व में आए थे तथा आकाश में सर्वत्र तारे फैल गए थे, तबसे हमारा यह भारतदेश अस्तित्व में है। अपने देश पर हमें गर्व है। यह भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।
जब कि घटाओं ……. हिन्दुस्तान हमारा है।
कवि कहते हैं कि हमारा भारतवर्ष उस समय से अस्तित्व में है. जब बादलों ने पहले-पहल आसमान में उमड़-घुमड़कर गरजना सीखा था, जब हवाओं ने पहले-पहल अपनी गति से लोगों को कुछ दहलाना सीखा था, जब सारे समुद्रों में पहले-पहल लहरें उठनी शुरू हुई थीं। (तब सृष्टि का यह आदि काल था) कवि कहते हैं कि उसी अनादि-आदि काल से हमारा देश भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान रहा है। यह भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।
गरज उठे ………. हिन्दुस्तान हमारा है।
कवि कहते हैं कि भारतवर्ष की समूची बयालीस करोड़ जनता एक स्वर में ‘भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है’ का हुंकार भर रही है। वे कहते हैं कि देशवासियों के ये उत्साहभरे वचन सुनकर हमारे विरोधियों (दुश्मनों) के दिल दहल उठे हैं। आज के नए युग के हमारे देशवासियों की आँखों में दुश्मनों के लिए आग के शोले भड़क रहे हैं। इन लोगों का सामना करने की किसी में हिंमत नहीं है। हमारा देश महान है। यह भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
કવિ ભારતવર્ષના ગૌરવની પ્રશંસા કરે છે. તેઓ કહે છે કે ભારતવર્ષમાં રહેનારા કરોડો લોકોના કંઠમાંથી આ સૂર નીકળી રહ્યો છે કે ભારતવર્ષ અમારો છે. આ હિંદુસ્તાન અમારો છે. વિ કહે છે કે અમારી ભારતવર્ષ અત્યંત પ્રાચીન અને ગૌરવશાળી દેશ છે, જ્યારે સૌથી પહેલાં વિશ્વના રચયિતાના મનમાં વિશ્વનું નિમલિ કરવાનો વિચાર આવ્યો હતો, જે વખતે ધરતી અને આકાશનું નિમણિ. થયું હતું અને જ્યારથી આકાશમાં સૂર્ય અને ચંદ્ર અસ્તિત્વમાં આવ્યા હતા અને આકાશમાં સર્વત્ર તારાઓ ફેલાઈ ગયા હતા, ત્યારથી અમારા આ ભારતદેશનું અસ્તિત્વ છે, પોતાના દેશ પર અમને ગર્વ છે. આ ભારતવર્ષ અમારો છે, આ હિંદુસ્તાન અમારો છે.
કવિ કહે છે કે અમારો ભારતવર્ષ તે સમયથી અસ્તિત્વ ધરાવે છે, જ્યારે વાદળાઓ પહેલવહેલાં ખાકાશમાં ગડગડાટ કરતાં ગર્જના કરવાનું શીખ્યાં હતાં, જ્યારે હવા પહેલવહેલા પોતાના સુસવાટથી લોકોને ડરાવવાનું શીખી હતી, જ્યારે બધા સમુદ્રોમાં પહેલવહેલી લહેરો ઉછળવાની શરૂ થઈ હતી, ત્યારે સૃષ્ટિનો આ આદિકાળ હતો. કવિ કહે છે કે તે અનાદિ કાળથી અમારો દેશ ભારતવર્ષ અમારું જન્મસ્થાન રહ્યો છે. આ ભારતવર્ષ અમારો છે. આ હિંદુસ્તાન અમારો છે.
કવિ કહે છે કે ભારતવર્ષની સંપૂર્ણ બેતાલીસ કરોડની જનતા એક સૂરમાં કહે છે કે ભારતવર્ષ અમારો છે, આ હિંદુસ્તાન અમારો છે એમ હુંકાર કરીને કહી રહી છે. તેઓ કહે છે કે દેશવાસીઓના આ ઉત્સાહભય વચનો સાંભળીને અમારા દુમનનો દિલ ધબકી ઊઠે છે, આજના આ નવયુગમાં અમારા દેશવાસીઓની આંખોમાં દુશ્મનો પ્રત્યે આગની જ્વાળાઓ ભડકી રહી છે. આ લોકોનો સામનો કરવાની કોઈનામાં હિંમત નથી, અમારો દેશ મહાન છે. આ ભારતવર્ષ અમારો છે, આ હિંદુસ્તાન અમારો છે.
भारतवर्ष हमारा है शब्दार्थ :
- कोटि-कोटि – करोड़ों-करोड़ों।
- कंठ – गला।
- स्वरधारा – आवाज का निरंतर चलनेवाला क्रम।
- जागे – जाग्रत हुए, सजग हुए।
- सिरजन – सर्जन।
- घने – बहुत से, अनेक।
- विमल – स्वच्छ, सुंदर।
- वितान – तम्बू।
- अभिमान – गई।
- घटा – उमड़े हुए बादल।
- घहराना – उमड़ना।
- हहराना – दहलना।
- जलधि – समुद्र ।
- लहराना – लहरें खाना।
- अनादि – जिसका आदि न हो, जो सदा से हो।
- आदि – आरंभ।
- जन्मस्थान – जहाँ जन्म हुआ हो, मातृभूमि।
- उछाह-भरे – उत्साह से भरे हुए।
- प्रतिपक्षी – विरुद्ध पक्षवाला, विपक्षी, विरोधी।
- अंतस्तल – हृदय या मन का (भीतरी भाग)।
- सिहरना – भय से कांपना।
- चलित – जलता हुआ।
- पुंज – राशि, ढेर, समूह।