Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 19 तोता और इन्द्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 19 तोता और इन्द्र
GSEB Class 10 Hindi Solutions तोता और इन्द्र Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
इन्द्र कहाँ से गुजर रहे थे ?
उत्तर :
इन्द्र काशी के समीप एक निर्जन वन से होकर गुजर रहे थे।
प्रश्न 2.
इन्द्र ने खोखले वृक्ष में क्या देखा ?
उत्तर :
इन्द्र ने खोखले वक्ष में एक सुंदर तोते को देखा।
प्रश्न 3.
पेड़ क्यों सूख गया था ?
उत्तर :
एक शिकारी द्वारा विषबुझा बाण चलाने से पेड़ सूख गया।
प्रश्न 4.
पेड़ पर किसने आफ़त ढा दी थी ?
उत्तर :
शिकारी के विषबुझे बाण ने पेड़ पर आफत डा दी थी।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 5.
सूखे पेड़ पर तोते को देख इन्द्र को क्यों आश्चर्य हुआ ?
उत्तर :
हरे-भरे छायादार वृक्षवाले विशाल और सुंदर वन में एक पक्षी हरे-भरे वृक्ष पर बसना चाहेगा। फिर भी तोता उन हरे-भरे पेड़ों पर न रहकर एक सूखे पेड़ के खोखले में रहता था। यह देखकर इन्द्र को आश्चर्य हुआ।
प्रश्न 6.
तोते ने उस सूखे वृक्ष पर रहने का कारण क्या बतलाया ? क्या आप उसे ठीक समझते हो ?
उत्तर :
तोते के अनुसार जन्म से लेकर अब तक इस हरे-भरे पेड़ ने सुख-दुःख में उसका साथ दिया। आज उसके बुरे दिनों में उसे छोड़कर तोता कहीं नहीं जाना चाहता। मेरे मतानुसार तोते की बात सही है। साथी की पहचान बुरे दिनों में होती है। तोतेने सच्चे साथी का फर्ज निभाया।
प्रश्न 7.
तोते के उत्तर का इन्द्रदेव पर क्या प्रभाव पड़ा ? और उसका फल क्या हुआ ?
उत्तर :
तोते ने इन्द्रदेव से कहा कि इस सूखे पेड़ से उसका बचपन का रिश्ता रहा है और उसका अंत भी उसी के साथ होगा। यह सुनकर इन्द्रदेव द्रवित हो गए। उन्होंने उस पेड़ को नवजीवन प्रदान कर दिया और वह पहले की तरह हरा-भरा हो गया।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के सविस्तार उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
तोते ने उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के क्या-क्या कारण बतलाए हैं ?
उत्तर :
तोते का उस पेड़ से बहुत लगाव था। पहले वह पेड़ बहुत हरा-भरा और सुंदर था। तोते का जन्म उसी पेड़ पर हुआ था। उसकी डाली-डाली उसे प्राणों से भी प्यारी थी। उसने उस पेड़ की आनंददायक छाया में होश संभाला था। उसे बोलने, फुदकने और उड़ने की शिक्षा इसी पेड़ पर मिली थी। बचपन से लेकर अब तक उसने तोते को शीतल छाया दी थी। तोते ने पेड़ को अपने सुख-दुःख का सच्चा साथी पाया था। उसे इसी पेड़ पर सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती है। तोते ने उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के उपर्युक्त कारण बतलाए हैं।
प्रश्न 2.
तोता और इन्द्र का संवाद अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर :
इन्द्र : अरे भाई तोते! इस वन में एक-से-एक हरे-भरे पेड़ भरे पड़े हैं। आश्चर्य है, तुम इस सूखे पेड़ के इस खोखले में अपरिचित जैसे और अनाड़ियों की भांति पड़े हुए हो। यह मूर्खता नहीं तो और क्या है?
तोता : महाराज! यह पेड़ आज सूख गया है, पर पहले वह बहुत हरा-भरा और सुंदर था। पूरे वन में यह अपने ढंग का अकेला और सबसे अच्छा पेड़ था। यह इस वन की शोभा था। विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ, कोयल, तोते, मैना आदि सबको यह पेड़ बहुत प्यारा था। मेरा जन्म इसी हरे-भरे पेड़ पर हुआ था। इसलिए मुझे इसकी डाली-डाली बहुत प्यारी है। इसी की छाया में मैंने अपना जीवन आरंभ किया था। इसी पर मैंने बोलना, चहकना और उड़ना सीखा था। इसने मुझे बचपन से लेकर अब तक शीतल छाया दी है। यह मेरे सुख-दुःख का सच्चा साथी रहा है।
लेकिन आज यह पेड़ सूख रहा है। इसका एक कारण है। एक बार वन में एक शिकारी आया था। उसने अपने विष से बुझा बाण इस पेड़ पर चला दिया था। तब से यह पेड़ विष के प्रभाव से दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा है। यह पेड़ मेरा बचपन का साथी है। इसी पेड़ पर रहकर मुझे सुख, संतोष और शांति मिलती है। इसे छोड़कर मैं कहाँ जा सकता हूँ? लगता है इसके साथ-साथ मेरा भी अंतिम क्षण होगा।
इन्द्र : ओह! तो यह बात है! तोते, मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। अब तेरा जीवन सफल हो जाएगा। तुम मुझसे जो भी चाहो, मांग लो, मैं इसी क्षण उसे पूरा कर दूंगा।
तोता : हे देवपति! यह पेड़ सारे वन की शोभा है। आप इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए।
इन्द्र : एवमस्तु!
4. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
प्रश्न 1.
विस्तृत, गौरवशाली, मोदमयी, एवमस्तु
5. शब्दसमूह के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- जहाँ मनुष्य न हो
- जिसमें बल न हो
- देवों के अधिपति
- भू के पति
उत्तर :
- निर्जन
- निर्बल
- देवपति
- भूपति
Hindi Digest Std 10 GSEB तोता और इन्द्र Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पेड़ पर विषबुझा बाण किसने चलाया?
उत्तर :
पेड़ पर विषबुझा बाण एक शिकारी ने चलाया था।
प्रश्न 2.
तोता कहाँ रहता था?
उत्तर :
तोता पेड़ पर रहता था।
प्रश्न 3.
तोते ने क्या वरदान मांगा?
उत्तर :
तोते ने सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा करने का वरदान मांगा।
प्रश्न 4.
तोते के जन्म के समय पेड़ कैसा था?
उत्तर :
तोते के जन्म के समय पेड़ हरा-भरा, अपनी किस्म का अलग, सबसे अच्छा, सबसे सुंदर और मन को मोह लेनेवाला थ
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- देवताओं के साथ ………….. वन से गुजर रहा था। (देवसेना, देवपति)
- इन्द्र के अनुसार सूखे तरु पर रहना तोते की ………. थी। (अक्लमंदी, मूर्खता)
- पेड़ की ……… छाया में तोते ने होश संभाला था। (मोदमयी, मोहमयी)
- तोता उस पेड़ को अपना सच्चा ………. मानता था। (शत्रु, साथी)
- इन्द्र ने खोखले वृक्ष में …… को देखा। (सपि, तोते)
- पेड़ पर ………… ने आफत ढा दी थी। (साँप, शिकारी)
- शिकारी का बाण ………. था। (विषबुझा, आगबुझा)
- इन्द्र ………. को देखकर दंग रह गए। (हरे पेड़, सूखे पेड)
- सूखे तरुवर पर तोता ……. बनकर बैठा था। (सयाना, अनजान और अनाड़ी)
उत्तर :
- देवपति
- मूर्खता
- मोदमयी
- साथी
- तोते
- शिकारी
- विषबुझा
- सूखे पेड़
- अनजान और अनाड़ी
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
देवता और देवपति कहाँ से गुजर रहे थे?
A. वन
B. मंदिर
C. शहर
D. देवलोक
उत्तर :
A. वन
प्रश्न 2.
इन्द्र के अनुसार कहाँ रहना तोते की मूर्खता थी?
A. जंगल में
B. डाली पर
C. नदी के किनारे
D. सूखे तरु पर
उत्तर :
D. सूखे तरु पर
प्रश्न 3.
सूखे पेड़ पर तोते को देखकर किसे आश्चर्य हुआ?
A. देवों को
B. इन्द्र को
C. मनु को
D. बच्चों को
उत्तर :
B. इन्द्र को
प्रश्न 4.
हे देवपति! यह पेड़ सारे वन की शोभा है। आप इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए।- यह वाक्य किसने कहा?
A. मनुष्यों ने
B. दानवों ने
C. देवों ने
D. तोते ने
उत्तर :
D. तोते ने
प्रश्न 5.
विषबुझा बाण किसने मारा?
A. शिकारी ने
B. इन्द्र ने
C. देवों ने
D. दानवों ने
उत्तर :
A. शिकारी ने
प्रश्न 6.
पेड़ की छाया कैसी थी?
A. मोदमयी
B. निराली
C. घनी
D. खुशबूदार
उत्तर :
A. मोदमयी
प्रश्न 7.
पेड़ को सच्चा साथी कौन मानता था?
A. तोता
B. देव
C. दानव
D. शिकारी
उत्तर :
A. तोता
प्रश्न 8.
यह सूखा पेड़ फिर से लहलहा उठे – यह वरदान किसने मांगा?
A. शिकारी ने
B. मनुष्यों ने
C. देवों ने
D. तोते ने
उत्तर :
D. तोते ने
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- महिमा – …………..
- अति – …………..
- निकट – …………..
- तरु – …………..
- मनहर – …………..
- डालौ – …………..
- आफत – …………..
- कहानी – …………..
- देवपति – …………..
- हर्षित – …………..
- तन – …………..
- शोभा – …………..
- हरदम – …………..
- विष – …………..
- तुरंत – …………..
- बाण – …………..
- तोता – …………..
- अभिलाषा – …………..
- कुरूप – …………..
- निज – …………..
उत्तर :
- महिमा – प्रताप
- अति – काफी
- निकट – समीप
- तरु – पेड़
- मनहर – मनोहर
- डाली – शाखा
- आफत – कठिनाई
- कहानी – कथा
- देवपति – इन्द्र
- हर्षित – प्रसन्न
- तन – शरीर
- शोभा – सुंदरता
- हरदम – हमेशा
- विष – जहर
- तुरंत – फौरन
- बाण – शार
- तोता – शुक
- अभिलाषा – इच्छा
- कुरूप – बदसूरत
- निज – अपना
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- प्राचीन × ………….
- पुण्य × ………….
- मुर्खता × ………….
- देव × ………….
- निकट × ………….
- विस्तृत × ………….
- भाग्यवान × ………….
- बलशाली × ………….
- कुरूप × ………….
- होश × ………….
- छाया × ………….
- विष × ………….
- बचपन × ………….
- अंत × ………….
- भारी × ………….
- हर्ष × ………….
उत्तर :
- प्राचीन × अर्वाचीन
- पुण्य × पाप
- मुर्खता × बुद्धिमता
- देव × दानव
- निकट × दूर
- विस्तृत × संकुचित
- भाग्यवान × अभागा
- बलशाली × दुर्बल
- कुरूप × रूपवान
- होश × बेहोश
- छाया × धूप
- विष × अमृत
- बचपन × बुढ़ापा
- अंत × आरंभ
- भारी × हलका
- हर्ष × विषाद
निम्नलिखित संधि को छोड़िए :
प्रश्न 1.
- निर्जन – …………..
- स्वागत – …………..
- अभ्यागत – …………..
- निर्जीवित – …………..
- व्याकुल – …………..
- प्रत्येक – …………..
- अत्यधिक – …………..
- एवमस्तु – …………..
उत्तर :
- निर्जन = निः + जन
- स्वागत = सु + आगत
- अभ्यागत = अभि + आगत
- निर्जीवित = निः + जीवित
- व्याकुल = वि + आकुल
- प्रत्येक = प्रति + एक
- अत्यधिक = अति + अधिक
- एवमस्तु = एवम् + अस्तु
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- राजा की पत्नी
- जिसे कोई जानता ना हो
- दूर दूर तक फैला हुआ
- आनंद से भरी हुई
- नया जीवन
- जिसमें जीवन न हो
- एक तीर्थ नगरी
- जो अपने काम में कुशल नहीं है
- देवताओं का राजा
उत्तर :
- रानी
- अनजान
- विस्तृत
- मोदमयी
- नवजीवन
- निर्जीव
- काशी
- अनाड़ी
- इन्द्र
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
- दंग रह जाना-अत्यधिक चकित होना वाक्य : अजय की तरक्की देखकर पड़ोसी दंग रह गए।
- हाथ बंटाना – सहायता करना वाक्य : माता-पिता के कार्य में हाथ बंटाना चाहिए।
- होश संभालना – वयस्कता आरंभ होना वाक्य : विजय होश संभालते ही पिता के साथ व्यवसाय में लग गया।
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- सुनाना – …………..
- खोखला – …………..
- पूछना – …………..
- मूर्ख – …………..
- विस्तृत – …………..
- कुरूप – …………..
- मुसकाना – …………..
- सच्चा – …………..
- साथी – …………..
- शिकारी – …………..
- मरना – …………..
- पूर्ण – …………..
उत्तर :
- सुनाना – सुनवाई
- खोखला – खोखलापन
- पूछना – पूछ
- मूर्ख – मूर्खता
- विस्तृत – विस्तार
- कुरूप – कुरूपता
- मुसकाना – मुसकान
- सच्चा – सच्चाई
- साथी – साथ
- शिकारी – शिकार
- मरना – मृत्यु
- पूर्ण – पूर्णता
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- कहानी – …………..
- जन्म – …………..
- शिकार – …………..
- बोलना – …………..
- वर – …………..
- छाया – …………..
- मन – …………..
- गाना – …………..
- सुख – …………..
- विष – …………..
उत्तर :
- कहानी – कहानीकार
- जन्म – जन्मदाता
- शिकार – शिकारी
- बोलना – वक्ता
- वर – वरदाता
- छाया – छायादार
- मन – मनहर
- गाना – गायक
- सुख – सुखद
- विष – विषधर
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- हर्ष – …………..
- बल – …………..
- गौरव – …………..
- अंत – …………..
- जंगल – …………..
उत्तर :
- हर्ष – हर्षित
- बल – बलशाली
- गौरव – गौरवशाली
- अंत – अंतिम
- जंगल – जंगली
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- पुण्यभूमि
- देवपति
- रात-दिन
- आजीवन
- मनहर
- अनजान
- नवजीवन
- प्रतिदिन
उत्तर :
- कर्मधारय
- तत्पुरुष
- द्वन्द्व
- अव्ययीभाव
- तत्पुरुष
- बहुव्रीहि
- कर्मधारय
- द्वन्द्व
तोता और इन्द्र Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
‘तोता और इन्द्र’ एक संवाद काव्य है। यह कहानी के रूप में लिखी गई पद्य-रचना है। इसमें एक वन में इन्द्र एक सूखे पेड़ से एक तोते का अटूट लगाव देखकर सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा कर देते हैं।
कविता का सरल अर्थ :
सुनो भाइयो ……….. होते थे अति हर्षित।
भाइयो सुनिए! आपको हम आज एक पुरानी कहानी सुनाते हैं। यह बहुत सुंदर और अद्भुत तथा सबसे अच्छी कहानी है। काशी पुण्यभूमि मानी जाती थी और उसकी महिमा चारों दिशाओं में गुंजायमान थी। देवता और स्वयं इन्द्र भी काशी को देखकर बहुत प्रसन्न होते थे।
गुजर रहे थे इन्द्र ……………. लखकर।
एक दिन देवराज इन्द्र काशी के समीप के एक निर्जन वन से होकर जा रहे थे। उन्हें एक विशाल सूखा पेड़ दिखाई दिया। उसके खोखले में एक सुंदर तोता था। उस सूखे पेड़ को देखकर इन्द्र को बहुत आश्चर्य हुआ।
पूछा तुरंत उन्होंने ……………. क्या हित निज मन में?
इन्द्र ने तोते से पूछा, “क्या यह मूर्खता नहीं है कि तू इस सूखे पेड़ पर किसी अपरिचित और गवार की तरह रहता है? क्या इतने बड़े सुंदर वन में तुम्हें कोई हरा-भरा पेड़ ही नहीं मिला? इस सूखे पेड़ पर रहने में तुम्हें अपने मन में कौन-सा लाभ दिखाई देता है?”
तोता बोला …….. भाग्यवान अति गौरवशाली।
तोते ने इन्द्र से कहा, महाराज, यह पेड़ सारे वन में अपनी किस्म का अलग, सबसे अच्छा, सबसे सुंदर और मन को मोह लेनेवाला था। सुंदरता के साथ-साथ यह बहुत ताकतवर भी था। तब इस वन की शोभा इसी पेड़ से थी। यह अत्यंत भाग्यशाली था और पूरे वन में इसका बहुत गौरव किया जाता था।
चिड़िया, तोते, कोयल ……… इसकी डाली डाली।
यह पेड़ तरह-तरह की चिड़ियाँ, कोयल और मैना सबको बहुत प्रिय था। इन सबका इसी पेड़ पर बसेरा था। महाराज, आज यह पेड़ बदसूरत दिखाई दे रहा है, पर पहले इसकी शोभा निराली थी। मेरा जन्म उसी समय हुआ था, जब इसकी शोभा निराली थी। बचपन से मेरा इस पेड़ से लगाव रहा है। इसलिए इसकी डाली-डाली मुझे अपनी जान से भी प्यारी है।
इसकी मोदमयी ………. सच्चा साथी पाया।
इस पेड़ की आनंददायी छाया में मैं बड़ा हुआ और एक जिम्मेदार तोता बना। यही पेड़ है, जिसके संपर्क में रहकर मैंने बोलना, मुस्कराना और उड़ना सीखा था। यही पेड़ बचपन से लेकर अब तक मुझे शीतल छाया देता आया है। मेरे सुख-दुःख में यह सदा मेरे काम आया है।
किंतु आह कुछ दिन ……. होना अंतिम क्षण।
किंतु कुछ दिनों पहले वन में एक शिकारी क्या आया, उसने अपने विष से बुझे बाण से इस पेड़ पर ऐसा प्रहार किया कि इस पेड़ पर आफत आ गईं। विष के कारण तब से यह पेड़ दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा है। अब तो ऐसा लगता है कि इसके साथ-साथ मेरा भी अंतिम समय आ जाएगा।
बचपन के साथी …… मैं भी मर जाऊँ।
इस पेड़ से मेरा बचपन से नाता रहा है। अब (इसके बुरे दिनों में) इसे छोड़कर मैं कहाँ जा सकता हूँ? यदि कहीं चला भी जाऊ, तो मुझे यहाँ जैसा सुख, संतोष और शांति नहीं मिल सकती। इससे तो अच्छा यह होगा कि “मैं इसके दुःख में इसका सहभागी बनूं और अंत में इसके साथ मेरा भी अवसान हो जाए।”
दंग रह गए इन्द्रदेव ……….. मैं इस ही क्षण।
तोते की भावभरी बातें सुनकर इन्द्रदेव दंग रह गए। इसके बाद वे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने तोते से कहा, “हे पंछी, मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। अब तुम्हारा जीवन सफल हो गया है। तू मुझसे तुरंत कोई भी वर मांग ले। में तुरंत इसी क्षण उसे पूरा कर दूंगा।”
तोता बोला, “देव, ………… वह फिर लहराया।
तोते ने कहा, “हे देवता, मेरे जीवन की केवल एक ही अभिलाषा है। यह पेड़ सारे वन की शोभा रहा है। (पर अब यह सूख रहा है।) कृपा करके आप इसे हरा-भरा कर दीजिए।” इन्द्र ने कहा, ‘तथास्तु’ और पेड़ में फिर से नया जीवन आ गया। उसमें नई-निराली सुंदरता आ गई और वह फिर लहराने लगा।
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
ભાઈઓ, સાંભળો. અમે આજે આપને એક પ્રાચીન વાતાં સંભળાવીએ છીએ. આ ખુબ સુંદર અને અદ્દભુત તથા સૌથી સારી વાર્તા છે. કાશી પુણ્યભૂમિ મનાતી હતી અને તેનો મહિમા ચારે દિશાઓમાં ફેલાયેલો હતો. દેવો અને સ્વયં ઇન્દ્ર પણ કાશીને જોઈને ખૂબ પ્રસન્ન થતા હતા.
એક દિવસ દેવરાજ ઇન્દ્ર કાશી નજીકના એક નિર્જન વનમાંથી પસાર થઈ રહ્યા હતા. તેમણે એક વિશાળ સુકાયેલું વૃક્ષ જોયું. તેની બખોલમાં એક સુંદર પોપટ બેઠો હતો, એ સુકાયેલા વૃક્ષને જોઈને ઇન્દ્રને ખૂબ આશ્વર્ય થયું.
ઇન્દ્ર પૌપટને પૂછ્યું, “શું એ મુખાંઈ નથી કે તું આ સુકાયેલા વૃક્ષ ઉપર કોઈ અપરિચિત અને મૂર્ખની જેમ રહે છે! શું આટલા વિશાળ સુંદર વનમાં તને કોઈ લીલુંછમ વૃક્ષ જ ન દેખાયું? આ સુકાયેલા વૃક્ષ પર રહેવામાં તને તારા મનમાં ક્યો લાભ દેખાઈ રહ્યો છે?”
પોપટે ઇન્દ્રને કહ્યું, “મહારાજ, આ વૃક્ષ આખા વનમાં પોતાના પ્રકારનું સૌથી અલગ, સૌથી સારું, સૌથી સુંદર અને મનને મોહી લેનારું હતું. સુંદર હોવા ઉપરાંત એ ખૂબ મજબૂત પણ હતું. ત્યારે આ વનની શોભા આ વૃક્ષને લીધે હતી. આ ખૂબ ભાગ્યશાળી હતું અને સમગ્ર વનમાં તેનું બહુ સન્માન હતું.
આ વૃક્ષ ભાતભાતની ચકલીઓ, પોપટ, કોયલ, મેના સૌનું ખૂબ પ્રિય હતું. આ સૌનો આ વૃક્ષ ઉપર નિવાસ હતો. મહારાજ, આજે આ વૃક્ષ કદરૂપું દેખાઈ રહ્યું છે, પરંતુ પહેલાં આની શોભા અનોખી હતી. મારો જન્મ પણ તે સમયે થયો હતો જ્યારે આની શોભા અનોખી હતી. બાળપવૃધી જ આ વૃક્ષ પ્રત્યે મારો પ્રેમ રહ્યો છે, એટલે આની બધી જ ડાળો મને પોતાના જીવ કરતાંય વહાલી છે.
આ વૃક્ષની આનંદદાયી છાયામાં હું મો થયો અને એક જવાબદાર પોપટ બન્યો. આ એ જ વૃક્ષ છે જેના સંપર્કમાં રહીને હું બોલતાં, હસતાં અને ઊંડતાં શીખ્યો હતો. આ વૃક્ષ બાળપણથી માંડીને આજ દિન સુધી મને શીતળ છાયા આપતું રહ્યું છે. મારા સુખ-દુ:ખમાં એ સદાય કામ આવ્યું છે,
પરંતુ કેટલાક દિવસો પહેલાં આ વનમાં એક શિકારી આવ્યો હતો, તેણે પોતાના ઝેરીલા બાણથી આ વૃક્ષ પર એવો પ્રહાર ક્ય કે એના ઉપર આફત આવી પડી. ઝેરને કારણે ત્યારથી આ વૃક્ષ દિન-પ્રતિદિન સુકાઈ થઈ રહ્યું છે. હવે તો એમ લાગે છે કે તેની સાથે સાથે મારો પલ અંતિમ સમય આવી જશે.
આ વૃક્ષ સાથે મારો બાળપણથી જ સંબંધ રહ્યો છે. હવે આના કપરા દિવસોમાં એને છોડીને હું ક્યાં જઈ શકું? જો ક્યાંય જતો રહું તોપણ મને અહીં જેવાં સુખ, સંતોષ અને શાંતિ નહીં મળી શકે. એના કરતાં તો “હું તેના દુ:ખમાં સહભાગી બનું એ જ ઠીક કહેવાય અને છેવટે મારું પણ અવસાન થઈ જાય.”
પોપટની ભાવભરી વાતો સાંભળીને ઇન્દ્રદેવ ચક્તિ થઈ ગયા. તે પછી તેઓ ખૂબ પ્રસન્ન થયા અને તેમણે પોપટને કહ્યું, “હૈ પક્ષી, હું તારા પર ખૂબ પ્રસન્ન છું. હવે તારું જીવન સરળ થઈ ગયું છે, તું મારી પાસેથી જલદી કોઈ પણ વરદાન માંગી લે, હું તરત આ ક્ષણે એ વરદાન પૂરું કરીશ.”
પોપટે કહ્યું, “હે દેવ, મારા જીવનની ફક્ત એક જ અભિલાષા છે. આ વૃક્ષ સમગ્ર વનની શોભા રહ્યું છે, પરંતુ અત્યારે તે સુકાઈ રહ્યું છે ! કૃપા કરીને આપ તેને લીલુંછમ બનાવીૉ.” ઇન્દ્ર કહ્યું, ‘તથાસ્તુ’, અને વૃક્ષમાં ફરીથી નવું જીવન આવી ગયું ! તેમાં નવી અનોખી સુંદરતા આવી ગઈ અને તે ફરીથી લહેરાવા લાગ્યું.
तोता और इन्द्र शब्दार्थ :
- प्राचीन – पुरानी।
- अति – बहुत, अधिक।
- अदभुत – अनोखा।
- महिमा – महत्ता, बड़ाई।
- देव – देवता।
- देवपति – इन्द्र।
- लखकर – देखकर।
- निर्जन – वीरान।
- निर्जीवित – बेजान, जिसमें जान न हो।
- बेहद – असौम, बहुत अधिक।
- अनजान – अपरिचित।
- अनारी – नादान।
- विस्तृत – विशाल।
- हित – कल्याण, मंगल।
- निज – अपने।
- एकमात्र – अपने ढंग का अकेला।
- बलशाली – ताकतवर।
- शोभा – सुंदरता।
- गौरवशाली – सम्मानयुक्त।
- कुरूप – बदसूरत, भद्दी शक्लवाला।
- न्यारा – निराला।
- मोदमबी – आनंददायक।
- आफत – विपत्ति, दु:ख।
- तजकर – छोड़कर।
- हर्षित – प्रसन्न।
- तरुवर – श्रेष्ठ पेड़।
- अभिलाषा – कामना, आकांक्षा।
- नवजीवन – नया जीवन।