Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 20 अलबम Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 20 अलबम
GSEB Class 10 Hindi Solutions अलबम Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडित शादीराम अपना ऋण क्यों नहीं उतार पाते थे ?
(अ) वे अत्यंत गरीब थे ।
(ब) बचे हुए पैसे किसी न किसी तरह खर्च हो जाते थे ।
(क) रुपये देने की उनकी दानत ही नहीं थी ।
(ड) पैसे देने जितनी रकम इकट्ठी ही नहीं होती थी ।
उत्तर :
(ब) बचे हुए पैसे किसी न किसी तरह खर्च हो जाते थे ।
प्रश्न 2.
शादीराम पुरानी पत्रिकाएँ बेचते नहीं थे क्योंकि ……
(अ) उनकी कोई ज्यादा रकम नहीं मिल सकती थी ।
(ब) उनके भाई की अमानत थी ।
(क) उनके रोते हुए बच्चे उनमें के चित्रों को देखकर चुप हो जाते थे ।
(ड) पत्रिकाएँ उन्हें बहुत प्रिय थीं ।
उत्तर :
(क) उनके रोते हुए बच्चे उनमें के चित्रों को देखकर चुप हो जाते थे ।
प्रश्न 3.
सदानंद के कहने पर शादीराम ने पत्रिकाओं के चित्रों का क्या किया ?
(अ) बेच दिए
(ब) अलबम बनाया
(क) बच्चों को बाँट दिये
(ड) दीवारों पर सजा दिये
उत्तर :
(ब) अलबम बनाया
प्रश्न 4.
पंडित शादीराम को अलबम के कितने रुपये मिले ?
(अ) एक हजार
(ब) दो सौ
(क) दो हजार
(ड) एक सौ
उत्तर :
इस प्रश्न का उत्तर कहानी में नहीं है।
प्रश्न 5.
सदानंद का मन प्रसन्नता से नाच उठा क्योंकि …..
(अ) उन्हें अपने पैसे वापस मिल गए ।
(ब) पंडित शादीराम की उदारता और सज्जनता के कारण ।
(क) परमात्मा ने उनकी बात स्वीकार कर ली ।
(ड) मारवाड़ी सेठ ने अलबम खरीद लिया था ।
उत्तर :
(ड) मारवाड़ी सेठ ने अलबम खरीद लिया था ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडित शादीराम के बचाए हुए अस्सी रुपये किसमें खर्च हो गये ?
उत्तर :
पंडित शादीराम के बचाए हुए अस्सौ रुपये लड़के की बीमारी में खर्च हो गए।
प्रश्न 2.
पंडित शादीराम पुरानी पत्रिकाएँ क्यों नहीं बेच देते थे ?
उत्तर :
पंडित शादीराम के स्वर्गीय बड़े भाई के समय की पत्रिकाओं को देखकर रोते बच्चों के आंसू थम जाते थे। इसलिए पंडित शादीराम पुरानी पत्रिकाएँ नहीं बेचते थे।
प्रश्न 3.
सदानंद ने शादीराम को पुरानी पत्रिकाओं से क्या करने की सलाह दी ?
उत्तर :
लाला सदानंद ने शादीराम को पुरानी पत्रिकाओं से अच्छीअच्छौ तस्वीरें अलग छोट लेने की सलाह दी।
प्रश्न 4.
लाला सदानंद की बीमारी के समय पंडित शादीराम किस तरह सेवा करते थे ?
उत्तर :
पंडित शादीराम लाला सदानंद के लिए दिन-रात माला फेरते थे। यही उनकी औषधी थी जिसे वे अपनी आत्मा की पूरी शक्ति और मन से कर रहे थे।
प्रश्न 5.
‘अलबम सेठ से मैंने मँगवा लिया है ।’ – ऐसा सदानंद ने शादीराम से क्यों कहा ?
उत्तर :
शादीराम ने सदानंद के सिरहाने अलबम देख लिया था। इसलिए वह अलबम छीनकर सदानंद ने शादीराम से कहा कि अलबम सेठ से मैंने मंगवा लिया है’ ताकि उन्हें शंका न हो।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडित शादीराम कर्ज अदा करने के लिए क्यों बेचैन थे ?
उत्तर :
पंडित शादीराम ने कई साल पहले लाला सदानंद से कर्ज लिया था। पर भले मानस लाला सदानंद कभी उनसे पैसों का तकादा नहीं करते थे। पंडित शादीराम पेट काट-काटकर पैसे बचाते, फिर भी कोई-न-कोई काम निकल आता कि सारा पैसा उड़ जाता। इस कारण शादीराम कर्ज अदा करने के लिए बेचैन थे।
प्रश्न 2.
लाला सदानंद ने शादीराम की समस्या का क्या हल निकाला ?
उत्तर :
कर्ज को लेकर परेशान शादीराम की समस्या का हल निकालने के लिए लाला सदानंद ने शादीराम के घर पर पड़ी सुंदर तस्वीरोंवाली पत्रिकाओं से अच्छी-अच्छी तस्वीरें छांटने के लिए उनसे कहा। इन तस्वीरों का अलबम बनाकर विज्ञापन देने पर कलकत्ते के मारवाड़ी सेठ ने पत्र लिखकर यह अलबम खरीद लिया। इस तरह लाला सदानंद ने शादीराम की समस्या का हल निकाला।
प्रश्न 3.
शादीराम ने अपना कर्ज कैसे चुकाया ?
उत्तर :
कर्ज को लेकर परेशान शादीराम को कर्ज से मुक्त करने के लिए लाला सदानंद ने शादीराम के घर पर पड़ी सुंदर तस्वीरोवाली पत्रिकाओं से अच्छी-अच्छी तस्वीरें छाँटने के लिए उनसे कहा। इन तस्वीरों का अलबम बनाकर विज्ञापन देने पर कलकते के मारवाड़ी सेठ ने पत्र लिखकर यह अलबम खरीद लिया। उन पैसों से शादीराम ने अपना कर्ज चुका दिया।
प्रश्न 4.
पंडित शादीराम लाला सदानंद से यह क्यों न कह सके कि वे झूठ बोल रहे हैं ?
उत्तर :
रोगी लाला सदानंद के सिरहाने अलबम देखकर पंडित शादीराम समझ गए कि किसी सेठ ने नहीं बल्कि लाला सदानंद ने खरीदा था। होश आने पर लाला सदानंद ने कहा कि सेठ से उन्होंने अलबम मंगवा लिया। इस पर पंडित शादीराम समझ गए कि लाला सदानंद झूठ बोल रहे हैं लेकिन पहले से भी अधिक सज्जन, अधिक उपकारी और उच्च मनुष्य से वे यह कह न पाए।
प्रश्न 5.
शादीराम का ऋण उतरने की बजाय दुगुना क्यों हो गया ?
उत्तर :
पंडित शादीराम की कर्ज मुक्ति के लिए अलबम बनवाकर लाला सदानंद ने मारवाडी सेठ को बिकवा दिया। इन पैसों से पंडित शादीराम ने लाला सदानंद का कर्ज उतार दिया। जब पंडित शादीराम ने जाना कि अलबम मारवाडी सेठ के बजाय लाला सदानंद ने खरीदा है, तब वे समझ गए कि पहले का कर्ज तो अदा नहीं हुआ और इस अलबम के लिए दिए गए पैसों के रूप में कर्ज बड़कर दुगुना हो गया।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडित शादीराम के दिल में क्यों शांति नहीं थी ?
उत्तर :
पंडित शादीराम गरीब थे, पर दिल के बुरे न थे। उन्हें अपने यजमान लाला सदानंद से लिया गया कर्ज बोझ के समान लगता था। वे चाहते थे कि जिस तरह भी हो, उनका रुपया अदा कर दें। वैसे लाला सदानंद को इस रकम की ज्यादा परवाह न थी। वे चाहते थे कि शादीराम रुपए देने की कोशिश न करें। उन्होंने इसके लिए कभी तकादा तक नहीं किया था, पर शादीराम सोचते थे कि वे कुछ नहीं कहते, तो क्या हुआ, इसका मतलब यह थोड़े ही है कि मैं भी निश्चिंत हो जाऊँ! इसलिए शादीराम के दिल में शांति न थी।
प्रश्न 2.
पंडित शादीराम खुशी से क्यों झूमने लगा ?
उत्तर :
लाला सदानंद ने पंडित शादीराम से अलबम बनाने के लिए पत्रिकाओं से अच्छी तसवीरे छाँटने के लिए कहा, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि उनका यह प्रयत्न सफल होगा। लेकिन जब सौ-दो सौ बढ़िया चित्र जमा हो गए, तो उन्हें देखकर वे उछल पड़े। वे चित्रों की ओर इस तरह देखते जैसे हर चित्र दस-दस का नोट हो। यद्यपि आशा अभी दूर थी, पर लाला सदानंद की दी हुई आशा पर अब उन्हें पूरा विश्वास हो गया। इसलिए पंडित शादीराम भविष्य की कल्पना करते हुए खुशी से झूमने लगे।
प्रश्न 3.
लाला सदानंद ने शादीराम से रुपये लेने से मना क्यों दिया ?
उत्तर :
टिप्पणी : इस प्रश्न का उत्तर कहानी में नहीं है।
प्रश्न 4.
लाला सदानंद के चरित्र पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
लाला सदानंद एक सज्जन, भले मानस, संवेदनशील और दूसरों की मदद करनेवाले व्यक्ति हैं। उन्होंने कई वर्ष पहले अपने पुरोहित पंडित शादीराम को कर्ज दिया था, लेकिन इतने दिनों बाद भी उन्होंने शादीराम से पैसों का कभी तकादा नहीं किया, बल्कि उनकी विवशता को देखते हुए वे चाहते थे कि वे रुपए न लौटाएं तो अच्छा हो। दूसरों की मदद करने में भी वे पीछे नहीं रहते।
पंडित शादीराम की सहायता करने के उद्देश्य से ही उन्होंने उनसे पत्रिकाओं से अच्छे चित्र छांटकर जमा करने के लिए कहा था। उन्होंने चित्रों से स्वयं अलबम बनाया, विज्ञापन दिया और किसी सेठ के नाम से पत्र भेजकर अलबम स्वयं अपने पास रखकर शादीराम को रुपए दिलाए। यह सब उन्होंने इसलिए किया, ताकि शादीराम के आत्मसम्मान पर आंच न आए और उन्हें यह लगे कि रुपए उन्हें अपनी चीज के मूल्य के रूप में मिले हैं, दान में नहीं। इतना ही नहीं, अपने घर में पंडित शादीराम के हाथ में अलबम देखकर वे उनका विश्वास बनाए रखने के लिए झूठ बोलते हैं कि ‘अलबम अब उन्होंने सेठ साहब से मंगवा लिया है।’
5. सूचनानुसार लिखिए :
प्रश्न 1.
पर्यायवाची शब्द दीजिए :
- हाथ – ……….
- आँख – ……….
- ऋण – ……….
- अंधकार – ……….
- परमात्मा – ……….
उत्तर :
- हाथ – कर
- आँख – नेत्र
- ऋण – कर्ज
- अंधकार – अंधियारा
- परमात्मा – ईश्वर
प्रश्न 2.
विलोम (विरोधी) शब्द दीजिए :
- ठंडी × ………..
- परवाह × ………..
- सज्जन × ………..
- जीवित × ………..
- निराशा × ………..
- सफल × ………..
- दया × ………..
उत्तर :
- ठंडी × गरमी
- परवाह × लापरवाही
- सज्जन × दुर्जन
- जीवित × मृत
- निराशा × आशा
- सफल × असफल
- दया × निर्दयता
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से भाववाचक संज्ञा खोजकर बताइए :
- लाला सदानंद पंडितजी की विवशता को जानते थे, परंतु भलमनसी के सामने आँखें नहीं उठती थीं ।
- पंडित शादीराम को अब कोई आशा नहीं थी ।
- आपने जो दया और सज्जनता दिखाई है, उसमें मरते दम तक न भलँगा ।
- आप झूठ बोल रहे हैं ।
प्रश्न 4.
मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य-प्रयोग कीजिए :
- ठंडी आह भरना
- पेट काट कर बचाना
- भार उतारना
उत्तर :
- ठंडी आह भरना – दुःखी होना वाक्य : लंबी बीमारी से परेशान मां ठंडी आह भरने लगी।
- पेट काटकर बचाना – थोडे खर्च में काम चलाना वाक्य : मां ने पेट काटकर हमें पढ़ाया।
- भार उतरना – जिम्मेदारी से छुटकारा पाना वाक्य : कर्ज उतरते ही सेठ के सिर से भार उतर गया।
Hindi Digest Std 10 GSEB अलबम Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पांच वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
लाला सदानंद शादीराम से रुपए क्यों नहीं लेना चाहते थे?
उत्तर :
पंडित शादीराम गरीब थे, पर दिल के बुरे नहीं थे। वे लाला सदानंद के कर्ज के रुपए अदा करने का पूरा प्रयास करते थे, पर किसी-न-किसी कारण से इकट्ठा किया गया रुपया उन्हें खर्च कर देना पड़ता था। इसलिए उन्हें मन मारकर रह जाना पड़ता था। लाला सदानंद अपने पुरोहित शादीराम की विवशता को जानते थे। उन्हें इस रकम की परवाह न थी और चाहते थे कि शादीराम कर्ज के रुपए देने का प्रयास न करें। इसीलिए उन्होंने शादीराम को कभी तकादा भी नहीं किया था।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
लाला सदानंद ने शादीराम से अपने रुपयों का कभी तगादा क्यों नहीं किया?
उत्तर :
लाला सदानंद ने शादीराम से उसने रुपयों का कभी तगादा नहीं किया, क्योंकि वे उनकी विवशना जानते थे।
प्रश्न 2.
लाला सदानंद के सिरहाने रखी सख्ख चीज क्या थी?
उत्तर :
लाला सदानंद के सिरहाने रखी सख्त चीज वही अलबम था जो किसी सेठ ने नहीं, बल्कि स्वयं लाला सदानंद ने खरीदा था।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- शादीराम के दिल में …… न थी। (बेचैनी, शांति)
- ……….. को पढ़ने का शौक था। (शादीराम के बड़े भाई, शादीराम)
- पंडित शादीराम के घर में पड़ी पत्रिकाएँ …………. थीं। (सचित्र, मानचित्र)
- पत्रिकाओं के चित्र देखकर बच्चों के ……… थम जाते थे। (खेल, आंसू)
- पंडित शादीराम को यह आशा न थी कि कोयले की खान में ……….. मिल जाएगा। (सोना, होरा)
- पंडित शादीराम छाँटे गए चित्र को इस तरह देखते हैं मानो उनमें से हर एक ……..का नोट हो। (पचास-पचास, दस-दस) ।
- यह किसी आदमी की करवट न थी, यह …… की करवट थी। (भाग्य, समय)
- सदानंद के कहने पर शादीराम ने पत्रिकाओं के चित्रों का ………… बनाया। (पुस्तक, अलबम)
- शादीराम को सदानंद के अंतिम समय पर उनके सिरहाने से ……… मिला। (खजाना, अलबम)
उत्तर :
- शांति
- शादीराम के बड़े भाई
- सचित्र
- आँसू
- हीरा
- दस-दस
- भाग्य
- अलबम
- अलबम
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडित शादीराम की अलमारी में क्या था?
A. पुस्तकें
B. पत्रिकाएँ
C. अलबम
D. चित्र
उत्तर :
B. पत्रिकाएँ
प्रश्न 2.
अलबम भेजने के लिए किसने पत्र लिखा था?
A. कलकत्ते के मारवाडी शेठ ने
B. बिहार के मारवाडी शेठ ने
C. दिल्ली के सेठ ने
D. अहमदाबाद के मारवाडी सेठ ने
उत्तर :
A. कलकत्ते के मारवाडी शेठ ने
प्रश्न 3.
शादीराम पुरानी पत्रिकाएँ …
A. मित्रों को बांटते थे।
B. बेचते थे।
C. बेचते नहीं थे।
D. बेचकर बड़ी कमाई करते थे।
उत्तर :
C. बेचते नहीं थे।
प्रश्न 4.
अलबम के पाँचसौ रुपये किसे मिले ?
A. पंडित वंशीधर को
B. पंडित शादीराम को
C. पंडित अलोपीदिन को
D. पंडित मनमोहनजी को
उत्तर :
B. पंडित शादीराम को
प्रश्न 5.
कलकत्ते के मारवाडी सेठ ने पत्र क्यों लिखा?
A. पैसे मंगवाने
B. साड़ियाँ मंगवाने के लिए
C. अलबम भेजने के लिए
D. कपड़ों के लिए
उत्तर :
C. अलबम भेजने के लिए
प्रश्न 6.
वह करवट आदमी की नहीं थी तो किसकी थी?
A. भाग्य
B. संभावना
C. आशा
D. धीरज
उत्तर :
A. भाग्य
प्रश्न 7.
शादीराम के विल में क्या नहीं था?
A. श्रद्धा
B. शांति
C. चिंता
D. आशा
उत्तर :
B. शांति
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- सिर – ……..
- भाग्य – ……..
- दुःख – ……..
- शक्ति – ……..
- परंतु – ……..
- खर्च – ……..
- प्रयत्न – ……..
- साहस – ……..
- सहसा – ……..
- तसवीर – ……..
- विवशता – ……..
उत्तर :
- सिर – माथा
- भाग्य – किस्मत
- दुःख – कष्ट
- शक्ति – बल
- परंतु – लेकिन
- खर्च – व्यय
- प्रयत्न – कोशिश
- साहस – हिम्मत
- सहसा – अचानक
- तसवीर – चित्र
- विवशता – मजबूरी
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- यजमान × …………
- खर्च × …………
- लगातार × …………
- प्रकाश × …………
- पुरोहित × …………
- हलकी × …………
- निश्चिंत × …………
- टूटना × …………
- अत्याचार × …………
- आँसू × …………
- बढ़िया × …………
- भाग्य × …………
- आशा × …………
- खुशी × …………
- दूर × …………
- सिरहाना × …………
- उपकारी × …………
- होश × …………
- पसंद × …………
- जीवनदायिनी × …………
- सज्जनता × …………
उत्तर :
- यजमान × मेहमान
- खर्च × आमदनी
- लगातार × कभी-कभी
- प्रकाश × अंधकार
- पुरोहित × यजमान
- हलकी × भारी
- निश्चिंत × चिंतित
- टूटना × जुड़ना
- अत्याचार × सदाचार
- आँसू × मुस्कान
- बढ़िया × घटिया
- भाग्य × दुर्भाग्य
- आशा × निराशा
- खुशी × गम
- दूर × निकट
- सिरहाना × पैताना
- उपकारी × अपकारी
- होश × बेहोश
- पसंद × नापसंद
- जीवनदायिनी × जानलेवा
- सज्जनता × दुर्जनता
निम्नलिखित संधि को छोड़िए:
प्रश्न 1.
- आशीर्वाद – ……..
- दुर्बल – ……..
- अपेक्षा – ……..
- समाचार – ……..
- निश्चित – ……..
- मनोहर – ……..
उत्तर :
- आशीर्वाद = आशी: + वाद
- दुर्बल = दु: + बल
- अपेक्षा = अप + ईक्षा
- समाचार = सम् + आचार
- निश्चिंत = निः + चिंत
- मनोहर = मनः + हर
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- जप करने का साधन
- उत्पादन का प्रचार
- दाएँ या बाएं लेटना
- जहाँ से पत्र आदि वितरण होता है
- वह जगह जहाँ से कोयला, धातु आदि निकाले जाते हैं
- प्रामाणिकता के लिए खुदे हुए नाम की छाप
- छोटा भाला
- धार्मिक कृत्य करनेवाला
- पुस्तकें आदि रखने के लिए लकड़ी आदि का बना ढाँचा
- चित्रों या फोटों का संग्रह
उत्तर :
- माला
- विज्ञापन
- करवट
- डाकखाना
- खान
- मोहर
- बरछी
- पुरोहित
- अलमारी
- अलबम
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
- हृदय पर बरछिया चलना – हृदय में चुभन सी अनुभव करना वाक्य : सास के ताने सुनने पर बहू के हृदय पर बरछियाँ चलने लगी।
- सिर पीट लेना – बहुत निराश होना वाक्य : परीक्षा में असफल होने पर रमेश ने सिर पीट लिया।
- धक्के खाना – बुरी हालत में होना वाक्य : अकाल के कारण किसान धक्के खाने लगे।
- भाग्य जगना – अनपेक्षित लाभ होना वाक्य : लॉटरी लगने से विजय के भाग्य जग गए।
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- सोचना – ……..
- उतरना – ……..
- गरीब – ……..
- बुरा – ……..
- उड़ना – ……..
- बीमार – ……..
- रोना – ……..
- अलग – ……..
- पैदा होना – ……..
- झूठा – ……..
- सच्चा – ……..
- बदलना – ……..
- दुर्बल – ……..
- घबराना – ……..
- सख्त – ……..
- पंडित – ……..
उत्तर :
- सोचना – सोच
- उतरना – उतार
- गरीब – गरीबी
- बुरा – बुराई
- उड़ना – उड़ान
- बीमार – बीमारी
- रोना – रुलाई
- अलग – अलगाव
- पैदा होना – पेदाईश
- झूठा – झूठ
- सच्चा – सच्चाई
- बदलना – बदलाव
- दुर्बल – दुर्बलता
- घबराना – घबराहट
- सख्त – सख्ती
- पंडित – पांडित्य
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- ऋण – ……..
- चित्र – ……..
- विचार – ……..
- चिंता – ……..
- खरीदना – ……..
- डाक – ……..
- देना – ……..
- अत्याचार – ……..
- कमाना – ……..
- वैद्यक – ……..
- पत्र – ……..
- भाग्य – ……..
उत्तर :
- ऋण – अणी
- चित्र – चित्रकार
- विचार – विचारक
- चिंता – चिंतक
- खरीदना – खरीदार
- डाक – डाकिया
- देना – दाता
- अत्याचार – अत्याचारी
- कमाना – कमाऊ
- वैद्यक – वैद्य
- पत्र – पत्रकार
- भाग्य – भाग्यवान
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- शांतिप्रिय
- दुगुना
- चित्रकला
- नवोढ़ा
- कर्मनिष्ठ
- दवा-दारु
- चारपाई
- भलेमानस
- दो-चार
उत्तर :
- बहुवीहि
- तत्पुरुष
- द्विगु
- द्वन्द्र
- तत्पुरुष
- बहुवौहि
- कर्मधारय
- कर्मधारय
- द्वन्द्व
अलबम Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
आर्थिक लेन-देन में बहुधा ऋण देनेवाले और ऋण लेनेवाले लोगों के बीच किसी-न-किसी मुद्दे पर कटुता आ जाती है। प्रस्तुत कहानी भी आर्थिक व्यवहार से संबंधित है, पर इसमें ऋणदाता और ऋण लेनेवाले व्यक्ति के आपसी संबंधों को बनाए रखने का मार्मिक वर्णन किया गया है। इतना ही नहीं, कहानी में ऋणदाता स्वयं ऋण लेनेवाले व्यक्ति को ऋण अदा करने में सहायता करता है।
अलबम पाठ का सार :
- शादीराम और सदानंद : पंडित शादीराम लाला सदानंद के पुरोहित हैं।
- सदानंद से कर्ज : पंडित शादीराम ने लाला सदानंद से वर्षों पहले पांच सौ रुपए कर्ज के रूप में लिए थे। शादीराम गरीब हैं, पर दिल के बुरे नहीं हैं। वे लाला सदानंद का कर्ज उतारने की जी तोड़ कोशिश करते हैं।
- शादीराम की विवशता : शादीराम अपना पेट काट-काटकर सदानंद का कर्ज अदा करने के लिए रुपए जमा करते हैं, पर कभी घर में किसी की बीमारी, तो कभी किसी अन्य कारण से रुपए उठ जाया करते हैं। बेचारे शादीराम मन मसोसकर रह जाते हैं।
- नेक दिल सदानंद : लाला सदानंद एक नेक दिल इन्सान हैं। वे शादीराम की विवशता अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने कभी शादीराम से रुपयों के लिए तकादा नहीं किया, बल्कि अंदर-अंदर वे यह चाहते हैं कि शादीराम रुपए न लौटाएं तो ज्यादा अच्छा हो।
- शादीराम का दुःख : शादीराम को इस बात का दुःख है कि लाला सदानंद अपने रुपयों के बारे में भला तकादा क्यों नहीं करते।
- लाला सदानंद शादीराम के घर : एक दिन लाला सदानंद किसी काम से पंडित शादीराम के घर जाते हैं। वे उनकी अलमारी में सुंदर चित्रोंवाली कुछ पत्रिकाएं देखते हैं।
- अलबम की योजना : सदानंद के दिमाग में उन चित्रों से अलबम बनाने का ख्याल आता है। वे शादीराम से अच्छे चित्र छोटकर जमा करने के लिए कहते हैं। वे शादीराम को विश्वास दिलाते हैं कि इससे उन्हें कुछ कमाई हो सकती है।
- सदानंद का प्रयास : सदानंद अलबम तैयार कर उसका विज्ञापन देते हैं।
- शादीराम के भाग्य जागे : काफी समय तक कहीं से उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता। एक दिन कलकत्ते के एक मारवाड़ी सेठ का पत्र मिलता है कि अलबम भेज दें, पसंद आया तो खरीद लिया जाएगा।
- लाला सदानंद की बीमारी : इस घटना के छः महीने के बाद लाला सदानंद बीमार पड़ गए। पंडित शादीराम उनके लिए रात-दिन माला फेरते और उन्हें ‘भगवद्गीता’ सुनाते थे।
- सदानंद की बेहोशी : एकाएक सदानंद बेसुध हो जाते हैं। शादीराम सदानंद के सिरहाने बैठ जाते हैं। उन्हें लगता है कि सदानंद के सिरहाने कोई चुभती हुई चीज है। वे उठाकर देखते हैं, तो वह चीज वही अलबम था। उन्हें समझते देर नहीं लगती कि इस अलबम को किसी सेठ ने नहीं, खुद सदानंद ने ही खरीदा था।
- अलबम छीनना : लाला सदानंद को होश आता है, तो वे शादीराम से अलबम छीनकर बहाना बनाते हुए कहते हैं, ‘यह अलबम अब मैंने सेठ साहब से मंगवा लिया है।’ शादीराम को लगता है कि वे झूठ बोल रहे हैं, लेकिन अब उनकी नजर में लाला सदानंद और ज्यादा सज्जन और उपकारी लगने लगते हैं।
अलबम शब्दार्थ :
- यजमान – जो पुरोहित से धार्मिक कृत्य करवाता है, वह।
- मोहर – सोने का पुराना सिक्का।
- उड़ जाना – (यहाँ) खर्च हो जाना।
- जोड़ लेना – इकट्ठा कर लेना।
- प्रतीत होना – लगना, जान पड़ना।
- दवा-दारू – चिकित्सा, उपचार।
- पुरोहित – धार्मिक कृत्य करानेवाला व्यक्ति।
- विवशता – लाचारी, असहायावस्था।
- भलेमानस – भला आदमी।
- तात्पर्य – मतलब।
- निश्चिंत – बेफिक्र, चिंतारहित।
- सज्जनता – भलमनसी।
- अत्याचार – अनुचित आचरण, जुल्म।
- बढ़िया – अच्छा।
- हतभागे – भाग्यहीन, बदकिस्मत।
- चाव – इच्छा, उमंग।
- उमंग – जोश, उल्लास।
- निश्चय – विश्वास।
- प्रतीक्षा – इंतजार।
- आशा – उम्मीद।
- जीवनदायिनी – जीवन देनेवाली।
- हृदयहारिणी – मन को मुग्ध करनेवाली।
- हकीम – वैद्य।
- प्रार्थना – विनती।
- दुर्बल – कमजोर।
- नवोढ़ा – नव विवाहिता।
- होश – चेतना, सुध-बुध।
- उपकारी – उपकार करनेवाला।