Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 10 Social Science Chapter 17 आर्थिक समस्याएँ और चुनौतियाँ: गरीबी और बेरोजगारी Textbook Exercise Important Questions and Answers.
आर्थिक समस्याएँ और चुनौतियाँ: गरीबी और बेरोजगारी Class 10 GSEB Solutions Social Science Chapter 17
GSEB Class 10 Social Science आर्थिक समस्याएँ और चुनौतियाँ: गरीबी और बेरोजगारी Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए:
प्रश्न 1.
गरीबी निवारण के विविध उपाय समझाइए ।
अथवा
गरीबी निवारण के विविध सरकारी उपायों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गरीबी निवारण देश में आयोजन का मुख्य उद्देश्य रहा है । गरीबी निवारण के लिए सरकार ने आयोजन में चार प्रकार की व्यूहरचना अपनाई थी ।
1. आयोजन में बड़े और भारी उद्योगों को प्रोत्साहन देने से और हरियाली क्रांति के कारण देश में रोजगारी और आय में वृद्धि होगी जिससे आर्थिक विकास गतिशील बनेगा ऐसा सरकार को विश्वास था । साथ ही समाज के अमीर वर्ग तक इन लोगों को पहुँचाने से देश के अन्य वर्गों को विशेषतः गरीबों तक धीमे-धीमे ये लाभ पहुँचेंगे और गरीबों की अवस्था में बदलाव होगा यह आशा थी । किन्तु देश के मन्द आर्थिक विकास और विकास के लाभों के असमान वितरण के कारण गरीबी में अपेक्षित कमी नहीं हो सकी है ।
2. जमीनदारी प्रथा खत्म करना, गणोतियों की जमीन उन्हीं के पास रहे इसलिए गणोतधारा कार्यक्रम अमल, गणोतियों के लिए जमीन मालिकी के अधिकार प्राप्ति से सम्बन्धित व्यवस्था, जमीन शिखर मर्यादा कानून, फाजिल जमीन का भूमिहीन किसानों को वितरण, गणोत का नियमन, जोतनेवाले के अधिकार की सुरक्षा, जमीन की हद का सीमांकन करना जैसे अनेक जमीन कानून सुधार के उपाय सरकार ने किये हैं । इन कार्यक्रमों के द्वारा ग्राम्य क्षेत्रों में आय की असमानता के स्तर को कम करने के प्रयत्न किये हैं ।
3. सरकार ने कृषि पर आधारित उद्योगों, डेरी उद्योगों, छोटी-बड़ी सिंचाई योजनाएँ, गृह उद्योगों और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है । इनमें यंत्रों का उपयोग कम होने से रोजगारी के मौके बढ़े तथा साथ ही सरकार ने कई चीजवस्तुओं का उत्पादन कार्य ऐसे उद्योगों तक कानून के द्वारा आरक्षित कर दिया है ।
4. सरकार ने आय के समान वितरण के लिए कई उपाय किये हैं जिससे अमीर और गरीब के बीच का अन्तर कम हो सके । साथ ही अमीर वर्ग और मध्यम वर्ग पर कर डाले गये ।
5. अमीर वर्ग के द्वारा उपयोग में ली जानेवाली मोज-शोख, भोग-विलास, सुख-सुविधा की वस्तुओं के उत्पादन को अधिक प्राधान्य न मिले इसलिए इसके उत्पादन पर अधिक कर या जकात लगाई गई । दूसरी ओर गरीब वर्ग की आवश्यक एवं रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन को सर्व प्राथमिकता देकर ये वस्तुएँ बाजार मूल्यों से भी कम मूल्य पर उन्हें प्राप्त हो सके ऐसी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था उपस्थित की ऐसा करने से गरीबों की उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन बढ़े, रोजगारी बढ़े और जीवन स्तर सुधर सकेगा ।
इनकी कार्यक्षमता बढ़ सके इसके लिए व्यावसायिक तालीम और शिक्षण की सुविधा सरकार करती है जिससे अंत में आय में वृद्धि होती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, परिवार नियोजन, संदेशा व्यवहार, रास्ता, सिंचाई, कुशलता क्षेत्र के विकास के लिए कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में अमली किये गए हैं । ग्राम्य युवकों के लिए स्वरोजगारी के मौंकों का सर्जन किया है । शिक्षा प्रथा में सुधार करके टेकनिकल और व्यवसायलक्षी अध्ययन कार्यक्रमों का व्याप बढ़ा है ।
प्रश्न 2.
गरीबी निवारण कार्यक्रम के अधीन ‘कृषिक्षेत्र’ तथा ‘ग्रामोदय से भारत उदय’ के तहत भारत सरकार द्वारा किये गये उपायों । का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
(1) कृषि क्षेत्र:
(अ) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना : राष्ट्रीय कृषि योजना के तहत कृषि वृद्धि दर बढ़े, कृषि से संलग्न विभाग बढ़े, सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि करना । जमीन को सिंचाई के अधीन ले लेना टपका सिंचाई करना, प्रत्येक खेत में पानी मिले, जल संकट दूर करने के लिए छोटे-बड़े, मध्यम कद के चेकडेम खड़े करना जैसे अनेक कदम उठाकर किसानों को जोखिम
और कर्ज से बचाना तथा रोजगार द्वारा आय प्रदान कर गरीबी से उभारने का प्रयत्न है ।
(ब) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : इसके तहत कृषि बीमा योजना को अधिक सुग्रथित करके प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होनेवाले नुकसान से आर्थिक सहायता करना, समर्थन मूल्य पर कपास की खरीदी, बोनस और फसल के नुकसान का भुगतान करना शुरू किया है । मूल्यों में स्थिरता के लिए ‘क्षतिमुक्त कृषिभाव आयोग’ की रचना की है ।
(क) राष्ट्रीय पेय जल कार्यक्रम : इसके तहत खेत को पानी, केनाल के ढाँचे को सुधारना, जमीन कटाव रोकना, अनुसूचित जनजाति के किसानों को नयी ट्युबवेल, क्षारप्रवेश नियंत्रण जैसे कार्यक्रम अमल में लागू रख्ने तथा तालाबों का निर्माण, वॉटर सेड विकास, टंकी निर्माण, बरसादी पानी संग्रह, वृक्षारोपण, नेहर की लाईनिंग बना, वृक्षारोपण करना, चैकडेम पुनरोद्धार के रोजगारी कार्यक्रम अमल में रखना ग्रामीण क्षेत्र में कृषि पर आधारित गरीब परिवारों को गरीबी से बाहर लाने के आर्थिक सहायता की है ।
(ड) ई-नाम योजना : इससे राष्ट्रीय कृषि बाजार उत्पन्न किया जिससे किसान ओनलाईन अपनी उत्पादनों को सूचिबद्ध करा सकते हैं । व्यापारी किसी भी स्थान पर उन उत्पादकों की बोली लगा सकते हैं । बिचोलियों, दलालों से होनेवाले नुकसान से किसानों
को बचाकर अधिक मूल्य प्राप्त हो और प्रतिस्पर्धा से अधिक आर्थिक लाभ मिले यह इस योजना का उद्देश्य है ।
(2) ग्रामोदय से भारत उदय:
इस कार्यक्रम द्वारा किसानलक्षी योजनाओं में वन्य प्राणियों से होनेवाले नुकसान की फसलों का सुरक्षा हेतु तार की बाड़ लगाने की आर्थिक सहायता, कमी या अकाल के समय पशुधन की सुरक्षा के लिए घास उत्पादन और पशु शेल्टर बनाने की सहायता, अत्याधुनिक सेटेलाइट और ड्रोन टेक्नोलॉजी से बरसाद की आगाही और खनिज क्षेत्र खोजने, जमीन का सर्वे करके रिकोर्ड बनाए रखना, खेती में यंत्रीकरण के लिए ट्रेक्टर तथा मिनी ट्रेक्टर की खरीदी में कम ब्याज दर पर लोन और सबसीडी की सहायता, बागायती फसलों की गुणवत्ता सुधारने, कृषि कर्ज मंडलियों में कम्प्यूटराईजेशन, कपास, दलहन, मसालों का उत्पादन के लिए नई टेस्टींग लेबोरेटरी की स्थापना, पोषणक्षम भाव मिले ऐसा प्रबंध, जल संग्रह हेतु जलाशयों से काँप दूर करके गहरे करना, बड़े करना, खेत तालाबों का निर्माण करना, जलाशयों की केनाल और काँस की सफाई और लंबाई में वृद्धि करना, जलमंदिरों का निर्माण, पुनः स्थापन और चेकडेम की मरम्मत और जल की संग्रह शक्ति में वृद्धि करना जैसे अनेक कार्य हाथ में लिये है, जिसमें कृषि के सिवाय के समय में रोजगारी मिले और उसके साथ ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी संपत्ति का निर्माण हो । इस प्रकार किसानों को कर्ज से उभारने के प्रयास रूप विविध प्रकार से सहायता प्रदान करने के प्रयत्न केन्द्र और राज्य सरकार ने इस योजना में किया ।
प्रश्न 3.
गरीबी निवारण के मुख्य सरकारी उपायों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गरीबी निवारण देश में आयोजन का मुख्य उद्देश्य रहा है । गरीबी निवारण के लिए सरकार ने आयोजन में चार प्रकार की व्यूहरचना अपनाई थी ।
1. आयोजन में बड़े और भारी उद्योगों को प्रोत्साहन देने से और हरियाली क्रांति के कारण देश में रोजगारी और आय में वृद्धि होगी जिससे आर्थिक विकास गतिशील बनेगा ऐसा सरकार को विश्वास था । साथ ही समाज के अमीर वर्ग तक इन लोगों को पहुँचाने से देश के अन्य वर्गों को विशेषतः गरीबों तक धीमे-धीमे ये लाभ पहुँचेंगे और गरीबों की अवस्था में बदलाव होगा यह आशा थी । किन्तु देश के मन्द आर्थिक विकास और विकास के लाभों के असमान वितरण के कारण गरीबी में अपेक्षित कमी नहीं हो सकी है ।
2. जमीनदारी प्रथा खत्म करना, गणोतियों की जमीन उन्हीं के पास रहे इसलिए गणोतधारा कार्यक्रम अमल, गणोतियों के लिए जमीन मालिकी के अधिकार प्राप्ति से सम्बन्धित व्यवस्था, जमीन शिखर मर्यादा कानून, फाजिल जमीन का भूमिहीन किसानों को वितरण, गणोत का नियमन, जोतनेवाले के अधिकार की सुरक्षा, जमीन की हद का सीमांकन करना जैसे अनेक जमीन कानून सुधार के उपाय सरकार ने किये हैं । इन कार्यक्रमों के द्वारा ग्राम्य क्षेत्रों में आय की असमानता के स्तर को कम करने के प्रयत्न किये हैं ।
3. सरकार ने कृषि पर आधारित उद्योगों, डेरी उद्योगों, छोटी-बड़ी सिंचाई योजनाएँ, गृह उद्योगों और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया है । इनमें यंत्रों का उपयोग कम होने से रोजगारी के मौके बढ़े तथा साथ ही सरकार ने कई चीजवस्तुओं का उत्पादन कार्य ऐसे उद्योगों तक कानून के द्वारा आरक्षित कर दिया है ।
4. सरकार ने आय के समान वितरण के लिए कई उपाय किये हैं जिससे अमीर और गरीब के बीच का अन्तर कम हो सके । साथ ही अमीर वर्ग और मध्यम वर्ग पर कर डाले गये ।
5. अमीर वर्ग के द्वारा उपयोग में ली जानेवाली मोज-शोख, भोग-विलास, सुख-सुविधा की वस्तुओं के उत्पादन को अधिक प्राधान्य न मिले इसलिए इसके उत्पादन पर अधिक कर या जकात लगाई गई । दूसरी ओर गरीब वर्ग की आवश्यक एवं रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन को सर्व प्राथमिकता देकर ये वस्तुएँ बाजार मूल्यों से भी कम मूल्य पर उन्हें प्राप्त हो सके ऐसी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था उपस्थित की ऐसा करने से गरीबों की उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन बढ़े, रोजगारी बढ़े और जीवन स्तर सुधर सकेगा ।
इनकी कार्यक्षमता बढ़ सके इसके लिए व्यावसायिक तालीम और शिक्षण की सुविधा सरकार करती है जिससे अंत में आय में वृद्धि होती है । शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, परिवार नियोजन, संदेशा व्यवहार, रास्ता, सिंचाई, कुशलता क्षेत्र के विकास के लिए कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में अमली किये गए हैं । ग्राम्य युवकों के लिए स्वरोजगारी के मौंकों का सर्जन किया है । शिक्षा प्रथा में सुधार करके टेकनिकल और व्यवसायलक्षी अध्ययन कार्यक्रमों का व्याप बढ़ा है ।
प्रश्न 4.
बेरोजगारी घटाने के प्रयास स्वरूप सरकारी योजना और कार्यक्रमों (मुख्य चार) सविस्तार समझाइए ।
उत्तर:
बेरोजगारी कम करने के सरकारी प्रयास निम्नानुसार है :
1. भारत में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर वार्षिक 10% जितना ऊँचा लक्ष्य रखकर सिद्ध करने के सर्वग्राही कदम उठाना । सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में पूंजीनिवेश की मात्रा बढ़ाना और रोजगार के अवसर बढ़ाना । अर्थतंत्र में कृषि सहित छोटे और गृह उद्योग, कुटिर उद्योग सहित सभी विभागों में और प्रदेशों में तीव्र और संतुलित विकास साधने रोजगारी के नये क्षेत्रों को खोलना । सरकार रोजगारी बढ़ाने के लिए अनेक योजनाओं द्वारा आर्थिक सहायता, शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र शुरू किये ।
2. श्रमप्रधान उत्पादन पद्धति पर आधारित खर्च से वस्तुओं का उत्पादन करती इकाइयों, छोटे और लघु उद्योगों, ग्रामोद्योगों, हाथशाला और हस्तकला कारीगरों से जुड़े हुन्नर उद्योगों का विकास हाथ में लिये । इसके लिये योजनाओं में प्रोत्साहक नीतियाँ लाग की ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के अलावा समय की बेरोजगारी घटाने हेतु खेतों में एक से अधिक बार फसल ले सकें ऐसी पद्धति विकसित करनी, नयी जमीन जुताई में लानी, प्रत्येक खेत को पानी और बीजली की सुविधाएँ उपलब्ध करवाना, छोटी-बड़ी सिंचाई योजना, डेम, चेकडेम, जलाशयों, नेहरों, ट्यूबवेल, बाँध, सड़के बनानी, कृषि संलग्न प्रवृत्तियाँ, मुर्गा-बतन – मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी उद्योग, वनीकरण कार्यक्रमों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कमपूँजी निवेश द्वारा लोगों को रोजगार प्रदान करवाता है ।
इसके अनुसार रोजगारलक्षी आयोजन होना चाहिए । ग्रामीण रोजगारी के अवसरों का विकास करना चाहिए, जिससे वे वहीं रोजगार प्राप्त कर – सकें और रोजगार के लिए शहरों में स्थलांतर घट सके और रोजगारी की माँग घटे । कृषि क्षेत्र में बागायती खेती, सेन्द्रिय खाद . आधारित खेती, शुष्क खेती और बहुलक्षी फसल पद्धति सब्जी-फलों की खेती की तरफ अधिक प्रोत्साहन दिया ।
3. ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षण की गुणवत्ता और मात्रा बढ़े इस पर अधिक ध्यान देना ।
4. ग्रामीण क्षेत्र में मानव विकास को टिकाए रखने के लिए उसके स्वास्थ्य, शिक्षण, पीने का शुद्ध पानी, पौष्टिक आहार, बीजली, मार्ग, बैंकिंग, बीमा, इन्टरनेट, संचार, मनोरंजन की सुविधाएँ बढ़ाकर जल संचयन की प्रवृत्तियाँ, सार्वजनिक, स्थायी संपत्ति का निर्माण करके स्थानिय उद्योगों के विकास और प्रोत्साहन देकर, रोजगारमूलक कार्यक्रम अपनाकर, ग्रामीण लोगों के जीवन के गुणात्मक और परिमाणात्मक सुधार लाने का मुख्य उद्देश्य था ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए:
प्रश्न 1.
गरीबी अर्थात् क्या ? गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीनेवाले लोगों के लक्षण बताइए ।
उत्तर:
गरीबी – समाज का बड़ा वर्ग अपने जीवन की मूलभूत और आधारभूत आवश्यकताओं जैसे अन्न, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की न्यूनतम मात्रा में भी भोगने से वंचित रहकर जीवन गुजारता हो तब समाज की ऐसी स्थिति को व्यापक या दारूण गरीबी कहते हैं और ऐसी स्थिति में समाज में रहनेवाले लोग गरीब कहलाते हैं । गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीनेवाले लोगों के लक्षण :
- जिस व्यक्ति को दो समय का पर्याप्त भोजन नहीं मिलता ।
- रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में खुली जगह नहीं प्राप्त कर सके ।
- छोटी या गंदी बस्तियों, झोंपड़पट्टी में वसवाट करनी पड़ती है ।
- उसकी आय निर्धारित अपेक्षित आय से कम हो ।
- उसकी आयु सीमा राष्ट्रीय औसत आयु से भी कम होती है ।
- जो अधिकांशत: निरक्षर हो ।
- जिनको लगातार पौष्टिक भोजन प्राप्त न होने से छोटी-बड़ी बीमारियों से झूझना पड़ता है ।
- जिनके बालकों को परिवार की आय बढ़ाने के लिए बालमजदूरी करनी पड़ती है ।
- जिनके बालकों में कुपोषण के कारण बाल मृत्युदर की मात्रा अधिक होती है ।
प्रश्न 2.
भारत में गरीबी का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
योजना आयोग के 2011-12 के मापदण्ड के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च रु. 816 और शहरों में रु. 1000 से कमवाले व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माने जाते है ।
- इसके आधार पर भारत में 2011-12 में 27 करोड़ लोग गरीब थे जो कुल जनसंख्या का 21.9% था ।
- UNDP – 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2011-12 में गरीबी की मात्रा कुल जनसंख्या के 21.92% थी जिसमें से ग्रामीण क्षेत्र में 25.7% और शहरी क्षेत्र में 13.7% जनसंख्या गरीब थी । अर्थात् भारत की कुल जनसंख्या के 26.93 करोड़ ।
- ग्रामीण क्षेत्र में 21.65 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 5.28 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीते थे ।
- भारत में सबसे अधिक गरीबी की मात्रा छत्तीसगढ़ (36.93%) है, जबकि सबसे कम गरीबी गोवा (5.09%) में है ।
- गुजरात में गरीबी की मात्रा 16.63% थी । भारत में औसतन 30% से अधिक गरीबी की मात्रा छत्तीसगढ़, आसाम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, झारखण्ड, उड़ीसा आदि में है ।
प्रश्न 3.
गरीबी उद्भव होने के कारणों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर:
गरीबी के उदभव होने के मुख्य कारण निम्नानुसार है :
- कृषि क्षेत्र में अपर्याप्त विकास और अपर्याप्त सिंचाई की सुविधाओं के कारण कृषि क्षेत्र में मिलती आय कम होती है ।
- कृषि सिवाय के समय में वैकल्पिक रोजगारी के अवसरों का अभाव ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य रोजगारी का आवश्यक ज्ञान, शिक्षण, कौशल्य के प्रशिक्षण का अभाव कारण है ।
- जातिप्रथा तथा रुढ़ियों, परंपराओं के कारण रीतरिवाजों के उपरांत अति खर्च के कारण कर्ज में डूबते है । इस प्रकार गैर उत्पादकीय खर्च में वृद्धि से गरीबी बढ़ती है । निरक्षरता की अधिक होने से शोषण और अन्याय का भोग बने है तथा सरकारी योजनाओं की जानकारी के अभाव में लाभ नहीं उठा सकते । आर्थिक नीतियों के निर्माण में मानवीय आवश्यकताओं और उनके आर्थिक हितों की उपेक्षा हुई है ।
- व्यापारिक फसलों को प्रोत्साहन मिला और खाद्य पदार्थों का उत्पादन घटा । अनाज, दलहनों आदि की कमी सर्जित हुई और । भाव बढ़े, जिससे दो समय का पर्याप्त भोजन प्राप्त न होने से गरीबी सर्जित हुई ।
- आर्थिक सुधारों के अमल होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था टूट गयी, कुटिर और लघु उद्योगों को नुकसान हुआ, स्थलांतर बढ़ा, कृषि की आय घटी ।
- गरीब कुपोषण और विविध रोगों के शिकार बने है, स्वास्थ्य विषयक खर्च बढ़ा है । आय स्थिर रही है, चिकित्सा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ा है ।
- टेक्नोलॉजी में परिवर्तन आये है । परंपरागत व्यवसाय, कुटिर उद्योग नष्ट हो गये और बेकारी बढ़ी है ।
- जनसंख्या दर बढ़ी, मृत्युदर घटा, औसत आय बढ़ी, श्रम की माँग से पूर्ति अधिक होने से बेरोजगारी बढ़ी । दूसरी तरफ उनके जीवन की आवश्यक वस्तुओं की माँग के सामने उत्पादन घटा और मूल्य बढ़ा । क्रय शक्ति घटी, जीवन स्तर गिरा और अंत
में गरीबी बढ़ी ।
प्रश्न 4.
सामाजिक सुरक्षा और अन्न सुरक्षा के सरकार के कार्यक्रम बताइए ।
उत्तर:
सामाजिक सुरक्षा और अन्न सुरक्षा के सरकार ने निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए :
- ग्रामोदय से भारत उदय ।
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामज्योति योजना ।
- आदिवासी महिलाओं के लिए पशुपालन हेतु ‘संकलित डेरी विकास योजना’ ।
- सेन्द्रिय खेती को प्रोत्साहन की योजना ।
- मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना ।
- माँ अन्नपूर्णा योजना ।
- सांसद आदर्श ग्राम योजना ।
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना ।
- मिशन मंगलम्
- दंतोपत कारीगर ब्याज सहायता योजना ।
- ज्योति ग्रामोद्योग विकास योजना ।
- वाजपेयी बेंकेबल योजना ।
प्रश्न 5.
धनिक भारत में गरीब रहते है । समझाइए ।
उत्तर:
भारत में विपुल प्रमाण में प्राकृतिक संसाधनों और अपार प्राकृतिक उपहार से समृद्ध है ।
- परंतु इन विपुल संसाधनों का सुयोग्य लाभ उठाने की क्षमताओं का अभाव, शिक्षण, प्रशिक्षण और कौशल्य के अभाव, वर्षों के कमीयुक्त आयोजन के कारण इन प्राकृतिक संसाधनों का लोगों के कल्याण और सुख के लिए देखें तो इतना उपयोग नहीं हो
सका जिससे लोगों में गरीबी की मात्रा नहीं घटी है । - इसलिए कहा जाता है कि ‘धनिक भारत में गरीब बसते है ।
प्रश्न 6.
बेरोजगारी के कारण बताइए ।
उत्तर:
बेरोजगारी का सबसे मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है ।
मात्र सैद्धांतिक ज्ञान, प्रायोगिक ज्ञान का अभाव, टेकनिकल ज्ञान और कौशल्यों का अभाव, पूर्णस्तरीय रोजगारी उत्पन्न करने में निष्फलता, कृषि क्षेत्र में वर्षा की अनियमितता और जोखिम अधिक, कृषि व्यवसाय में रुचि घटना, कृषि में सिंचाई की अपर्याप्त सुविधा, कृषि के अतिरिक्त समय में वैकल्पिक रोजगारी का अभाव, कुटिर उद्योग, गृहउद्योग और लघुउद्योग की कमजोर स्थिति, जातिप्रथा, संयुक्त परिवार व्यवस्था, परंपरागत व्यवसाय और पारिवारिक धंधों में ही लगे रहना अन्य नये कार्य करने के साहस का अभाव, ज्ञान, कौशल्य, प्रशिक्षण और अनुभव की कमी, श्रम की अगतिशीलता, मानव श्रम का कमियुक्त आयोजन, औद्योगिक विकास की धीमी दर, बचतवृत्ति की नीची दर जिससे पूँजी सर्जन दर में कमी आदि बेरोजगारी के कारण है ।
प्रश्न 7.
बेरोजगारी के प्रभाव बताइए ।
उत्तर:
बेरोजगारी के कारण गरीबी की मात्रा बढ़ रही है ।
- लोगों का जीवन स्तर नीचा जा रहा है ।
- शिक्षा, स्वास्थ्य की समस्याएँ उत्पन्न हो रही है ।
- आर्थिक विकास प्रभावित होता है ।
- प्रति व्यक्ति और राष्ट्रीय आय कम हो रही है ।
- बचत वृत्ति की निम्न दर, पूँजी निर्माण की निम्न दर होती है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए:
प्रश्न 1.
सापेक्ष गरीबी और निरपेक्ष गरीबी – समझाइए ।
उत्तर:
- निरपेक्ष गरीबी : समाज के लोग अनाज, दलहन, दूध, सब्जी-भाजी, कपड़े, जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं, लघुत्तम बाजार भाव पर प्राप्त करने में समर्थ न हो तो उसे निरपेक्ष गरीबी कहते हैं ।
- सापेक्ष गरीबी : समाज के भिन्न-भिन्न आयवाले वर्गों में से यदि कोई समूह अन्य से कम आय प्राप्त करता हो तो उसे सापेक्ष गरीबी कहते हैं। (A) रु. 10,000 (B) रु. 20,000 (C) रु. 30,000 ऐसे तीन व्यक्तियों की आय भिन्न-भिन्न है । A व्यक्ति की आय B व्यक्ति की आय से कम होने से A व्यक्ति गरीब माना जाता है, इसी तरह C. व्यक्ति के सापेक्ष A और B व्यक्ति की आय कम होने से वह गरीब माना जाता है।
प्रश्न 2.
एग्रो बिजनेस पोलिसी तथा ‘ई-नाम योजना’ की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
एग्रो बिजनेस पोलिसी 2016 द्वारा राज्य सरकार प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट के निर्यात में सहायक, एग्रो फूड प्रोसेसिंग युनिटों को स्थापित करके 10 लाख लोगों को रोजगारी प्रदान करने की योजना रखी है जिसके द्वारा गरीबी कम कर सकते है । ई-नाम योजना के अधिन किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार खड़ा किया जिसमें किसान ऑनलाईन अपनी उत्पादकों को सूचीबद्ध करवा सकते है । व्यापारी किसी भी स्थान से उन उत्पादनों की बोली लगा सकते है । बिचोलियों, दलालों से होनेवाले नुकसान से किसानों को बचाकर, अधिक भाव प्राप्त हो और प्रतिस्पर्धा से अधिक लाभ प्राप्त हो यह इस योजना का उद्देश्य है ।
प्रश्न 3.
मनरेगा कार्यक्रम स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
मनरेगा रोजगारलक्षी कार्यक्रम ‘अपने गाँव में अपना काम, साथ में मिलता है उचित दाम’ के नारे के साथ खूब ही उपयोगी योजना, जिसमें राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों जो वयस्क उम्र के है, शारीरिक श्रम कर सकते है ऐसे बिनकुशल काम करने के इच्छुक ऐसे प्रत्येक परिवार की जीवन निर्वाह के अवसर में वृद्धि करने के लिए प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वित्तीय वर्ष में 100 दिन (रोजाना सात घण्टे) वेतनयुक्त रोजगार देने का उद्देश्य है ।
सरकार द्वारा निर्धारित दर पर दैनिक वेतन चुकाया जाता है । यदि काम माँगने पर सरकार काम देने में असफल हो तो नियम के अनुसार उसे ‘बेकारी भत्त्था’ चुकाया जायेगा । ग्रामीण विकास कार्य, व्यक्तिगत शौचालय बनाना, व्यक्तिगत कुएँ, जमीन समतल करना, बागायती कार्य, इन्दिरा आवास योजना के मजदूरी कार्य, पशुओं के छप्पर, जैविक खाद बनाना, मुर्गी-बतख के लिए सेड, मछली सुकाने के यार्ड, केनाल की सफाई, जलसंग्रह के कार्य, मार्गों के पास वनीकरण जैसे अनेक कार्य करवाकर प्रत्येक परिवार को निश्चित वेतनयुक्त रोजगार देने की गारंटी देकर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाने और जीवनस्तर सुधारने का कार्य करती है ।
प्रश्न 4.
औद्योगिक बेरोजगारी अर्थात् क्या ?
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों के कारण यदि व्यक्ति को अल्प या लंबे समय के लिए बेरोजगार रहना पड़ता है तो ऐसी स्थिति को औद्योगिक बेरोजगारी के रूप में पहचाना जाता है ।
प्रश्न 5.
विश्व श्रम बाजार की संकल्पना स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
विश्व के देश अपने श्रमिकों का आदान-प्रदान करते है उसे विश्व श्रम बाजार कहते हैं । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों का एक देश से दूसरे देश में स्थलांतरण रोजगारी, व्यापार धंधे, ट्रेनिंग या उच्च शिक्षण के लिए हो तो इसे श्रम की अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता कहते हैं । शैक्षणिक ज्ञान, उच्च तकनीकि ज्ञान कौशल्य की प्राप्ति, विदेशों में अधिक आय, अधिक सुविधा और अधिक अच्छी नौकरी की खोज बुद्धि धन का बहिर्गमन ब्रेन-ड्रेन (Brain Drain) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का स्थलांतरण है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए:
प्रश्न 1.
भारत में गरीबी की सबसे अधिक मात्रा किस राज्य में है ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) उड़ीसा
(C) छत्तीसगढ़
(D) बिहार
उत्तर:
(C) छत्तीसगढ़
प्रश्न 2.
भारत में 2011-12 में गरीबी कितनी थी ?
(करोड़ में)
(A) 21.65
(B) 26.93
(C) 36.93
(D) 21.92
उत्तर:
(D) 21.92
प्रश्न 3.
महिला सशक्तिकरण, कौशल्यवर्धक प्रशिक्षण, स्वरोजगारी और बाजार के साथ जोड़ने के लिए कौन-सी सरकारी योजना में रखा गया है ?
(A) प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना
(B) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
(C) मिशन मंगलम् योजना
(D) एग्रो बिजनेश पोलिसी-
उत्तर:
(C) मिशन मंगलम् योजना
प्रश्न 4.
2016 भारत के किस राज्य में बेरोजगारी सबसे अधिक पायी जाती है ?
(A) बिहार
(B) झारखंड
(C) केरल
(D) छत्तीसगढ़
उत्तर:
(D) छत्तीसगढ़
प्रश्न 5.
अन्न सुरक्षा एक्ट के अधीन गुजरात में कौन-सी योजना अमल में रखी गयी ?
(A) माँ अन्नपूर्णा योजना
(B) मनरेगा
(C) अंत्योदय योजना
(D) सुकन्या समृद्धि योजना
उत्तर:
(A) माँ अन्नपूर्णा योजना
प्रश्न 6.
युवा बेरोजगारों को नये विचारों के साथ उद्योग साहसी बनकर स्वरोजगार की तरफ कौन-सी योजना प्रेरित करती है ?
(A) मेक इन इण्डिया
(B) स्टार्टअप इण्डिया
(C) डिजिटल इण्डिया
(D) स्वच्छ भारत अभियान
उत्तर:
(B) स्टार्टअप इण्डिया
प्रश्न 7.
बेरोजगारी निवारण के लिए कौन-सी संस्था नोकरीदाताओं को मदद करती है ?
(A) रोजगार विनिमय केन्द्र
(B) श्रम मंत्रालय
(C) मॉडल केरियर सेन्टर
(D) ग्रामपंचायत
उत्तर:
(A) रोजगार विनिमय केन्द्र