Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 मीरा के पद Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 मीरा के पद
GSEB Class 10 Hindi Solutions मीरा के पद Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
मीराबाई किसकी भक्ति करती थी ?
प्रश्न 2.
मीराबाई को कौन-सा धन मिल गया है ?
प्रश्न 3.
पैरों मे धुंघरू देखकर मीरा की सास ने उन्हें क्या कहा ?
प्रश्न 4.
मीरा को विष का प्याला किसने भेजा ?
प्रश्न 5.
किसकी कृपा से मीरा ने ‘राम रतन धन पाया है ?
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
गिरधर गोपाल की भक्ति करते हुए मीराबाई ने किस-किसका त्याग किया ?
उत्तर :
मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपने जीवन का एकमात्र आधार बना लिया था। इसके लिए उन्होंने अपना सर्वस्व त्याग दिया था। उन्होंने : अपने भाई, बंधु, परिवार तथा नाते-रिश्ते के सभी लोगों का त्याग कर – दिया था।
प्रश्न 2.
मीरा के ‘राम रतन धन’ की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
मीराबाई ने अपने सद्गुरु की कृपा से ‘रामरतन धन’ नामक अमूल्य वस्तु प्राप्त की थी। मीराबाई उसे अपने जन्म-जन्मांतर की पूंजी मानती हैं। इस धन की ये विशेषताएँ हैं कि यह न तो खर्च होता है और न कोई चोर इसे चुरा सकता है। इसमें रोज-रोज सवाई वृद्धि होती है।
प्रश्न 3.
मीरा इस भवसागर को किस प्रकार पार करना चाहती हैं ?
उत्तर :
मीराबाई को अपने सदगुरु पर अपार श्रद्धा है। वे उन्हें ही भगवद्भक्ति प्राप्त कराने का आधार मानती हैं। वे सत्य (सच्चाई) की उस नाव पर बैठकर भवसागर पार करना चाहती हैं, जिसके खेवनहार उनके सद्गुरु होंगे।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
भक्ति के मार्ग में कौन-सा संकट आया? उससे मीरां कैसे पार हुई?
उत्तर :
मीरा कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। कृष्ण के प्रेम में डूबकर उन्होंने सारी दुनियादारी भुला दी थी। मीरां कृष्ण की भक्ति में दीवानी हो गई थीं। यह सब राणाजी को पसंद नहीं आया। उन्होंने मीरां को जान से मारने के लिए जहर से भरा हुआ प्याला उनके पास भेजा। मीरां इससे विचलित नहीं हुई। उन्होंने यह जहर हंसते-हंसते पी लिया। पर इस जहर का मीरां पर कोई असर नहीं हुआ।
प्रश्न 2.
मीरा के पदों के आधार पर सत्गुरु की महिमा का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
कहावत है ‘बिनु गुरु ज्ञान न होइ’। गुरु का महत्व सभी ने माना है। मीराबाई ने सदगुरु को बहुत महत्त्व दिया है। मीरां सांसारिक जीवन को त्यागकर अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की भक्ति पाकर मगन हैं। वे इसे रत्न की उपमा देती हैं। वे इस अनमोल वस्तु को प्राप्त कराने का श्रेय अपने सदगुरु को ही देती हैं और कहती हैं कि ‘रामरतनरूपी धन’ उन्हें उनके सदगुरु की कृपा से प्राप्त हुआ है। सदगुरु की कृपा इस संसाररूपी सागर में नाव के समान है। इस नाव में बैठकर मीरा सुरक्षित रूप से इस भवसागर को पार करने के प्रति निश्चिंत हैं, क्योंकि इस नाव के खेवनहार उनके सदगुरु होंगे। इस प्रकार मीरा के पद में सदगुरु को बहुत महत्त्व दिया गया है।
प्रश्न 3.
भक्ति में लीन मीरा को लोग क्या-क्या कहते थे ? और क्यों ?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण के प्रेम में रंगते-रंगते संसार के प्रति विरक्त हो गई थीं। उन्होंने सांसारिकता को बिलकुल भुला दिया था। मीरां श्रीकृष्ण के प्रेम में पैरों में घुघरू बाँधकर नाचती थीं। यह देखकर लोग उन्हें ‘पागल’ कहने लगे थे। वे साधुओं की संगति में बैठती थीं। यह देखकर लोग उनकी खिल्ली उड़ाया करते थे। उनकी सास और राणा को मीरां का भक्तिभाव बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। इसलिए सास उन्हें ‘कुलनाशिनी’ कहती थी और राणा को लगता था कि ऐसे प्राणी को जीवित ही नहीं रहना चाहिए। इसलिए उन्होंने मीरा को जान से मारने के लिए विष का प्याला ही भेज दिया था। इस प्रकार भक्तिभाव में लीन मीरां को लोग तरह-तरह से संबोधित करते थे।
4. उचित जोड़े बनाइए :
‘अ’ | ‘ब’ |
1. भगत देख राजी हुई | 1. किरपा कर अपणायो । |
2. मीरा के प्रभु गिरधरनागर | 2. जगत देखि रोई । |
3. वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु | 3. हरखि हरखि जस गायो । |
4. भवसागर तरि आयो । |
5. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
जनम-जनम की पूँजी पाई जग में सबै खोवायौ ।
उत्तर :
मीराबाई अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण के प्रेम की दीवानी हैं। उन्हें प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने भाई, बंधु, परिवारजनों और सभी सगे-संबंधियों से रिश्ता तोड़ लिया है। उन्होंने तरह-तरह की बदनामिया सही हैं और लाज-शर्म सबको तिलांजलि दे दी है। कहने का अर्थ यह है कि उन्होंने अपना सर्वस्व गवाकर अपने जन्म-जन्मांतर की राम नामरूपी अमूल्य पूंजी प्राप्त की है। यह ऐसी पूंजी है जिसका कोई जोड़ नहीं है।
प्रश्न 2.
सत् की नाव खेवटिया सत्गुरु भवसागर तरि आयौं ।
उत्तर :
सच्चाई मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से अपने आराध्य देव का ध्यान करे और उसे सद्गुरु का सहयोग प्राप्त हो, तो व्यक्ति को भवसागर से मुक्ति पाना कठिन नहीं है। मोरांबाई को अपने सदगुरु पर अटूट विश्वास है। उनके लिए सदगुरु की कृपा इस संसाररूपी महासागर में नाव के समान है। इस नाव के सहारे वे सुरक्षितरूप से इस भवसागर को पार कर लेगी, इस बात का उन्हें पूरा विश्वास है।
Hindi Digest Std 10 GSEB मीरा के पद Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पांच वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
कृष्ण की भक्ति में डूबने से मौरां को कौन-से दुःख उठाने पड़े?
उत्तर :
मीरा कृष्ण के प्रेम में पड़कर संसार से विरक्त हो गई थीं। उन्होंने संसार के नियमों और मर्यादाओं की भी परवाह नहीं की। उन्हें पैरों में धुंधरू बांधकर नाचते देख लोगों ने उन्हें पागल कहा। साधु-संतों के साथ बैठी देखकर लोगों ने उनकी हंसी उड़ाई। सास को उनकी भक्ति भावना बिलकुल अच्छी नहीं लगी। उन्होंने उनका ‘कुलनाशिनी’ कहकर तिरस्कार किया। राजा को मीरां का रंग-ढंग राज परिवार के खिलाफ लगा और उन्होंने मौरां को जहर देकर मारने की कोशिश की। इस प्रकार कृष्णभक्ति में डूबने पर मीरां को तरह-तरह के दुःख उठाने पड़े।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
मीरां ने किनके साथ बैठकर लोक-लाज खोई?
उत्तर :
मीरा ने साधुसंतों के साथ बैठकर लोक-लाज खोई।
प्रश्न 2.
राणाजी को क्या पसंद नहीं था?
उत्तर :
श्रीकृष्ण के प्रेम में लीन होकर मीरां पैरों में घुघरू बाँधकर १ नाचती थी, राणाजी को यह पसंद नहीं था।
प्रश्न 3.
मीरां की सास मीरां को क्या कहती थी?
उत्तर :
मीरां की सास मीरां को कुलनाशिनी कहती थी।
प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए मीरां ने किन-किन ३ से रिश्ता तोड़ लिया?
उत्तर :
श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए मौरां ने अपने भाई, बंधु, । परिवारजनों और सगे-संबंधियों से रिश्ता तोड़ लिया।
प्रश्न 5.
मीरां के लिए सद्गुरु किसके समान है?
उत्तर :
मीरां के लिए सद्गुरु खेवनहार के समान है।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 1.
मौराबाई ने अपने सदगुरु की कृपा से …
(अ) बहुत बड़ा महल पाया।
(ब) रामरतन धन पाया।
(क) लोक-लाज खोई।
उत्तर :
मीराबाई ने अपने सदगुरु की कृपा से रामरतन धन पाया।
प्रश्न 2.
मीरां को अपने सदगुरु पर अपार श्रद्धा है और …
(अ) वे उन्हीं के साथ रहना चाहती है।
(ब) वे उनकी ही दासी बनना चाहती है।
(क) वे उन्हें ही भगवदभक्ति प्राप्त करने का आधार मानती है।
उत्तर :
मौरा को अपने सदगुरु पर अपार श्रद्धा है और वे उन्हें ही भगवद्भक्ति प्राप्त करने का आधार मानती हैं।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- मीरां ने ………… के साथ बैठकर लोक-लाज खोई। (सज्जनों, साधु-संतों)
- मीरां ………….. को देखकर राजी होती थी। (भगत, पंडित)
- ………. को देखकर मीरां को रोना आता था। (जगत, राजा)
- मीरां अपने …………. प्रेमबेलि सींचती थी। (नयनों से, आंसुओं से)
- ………. मीरां के जन्म-जन्म की पूंजी थी। (प्रेमरतन धन, रामरतन धन)
- सद् की नांव के खेनहार ………….. है। (महाराज, सद्गुरु)
- मीरां ………… की दासी बन गई। (नारायण, राणा)
- मीरा ……….. की भक्ति करती थी। (श्रीकृष्ण, शंकर भगवान)
- मीराबाई को ……….. मिल गया था। (प्रेमरतन धन, रामरतन धन)
- पैरों में धुंधरू देखकर मौर्रा की सास ने मौरां को ……….. कहा। (नृत्यांगना, कुलनाशिनी)
- ……….. ने मीरां को विष का प्याला भेजा। (राणा, सास)
उत्तर :
- साधु-संतों
- भगत
- जगत
- आंसुओं से
- रामरतन धन
- सदगुरु
- नारायण
- श्रीकृष्ण
- रामरतन धन
- कुलनाशिनी
- राणा
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
किसकी कृपा से मीरा ने रामरतन धन पाया?
A. पिता
B. सास
C. सद्गुरु
D. राणा
उत्तर :
C. सद्गुरु
प्रश्न 2.
मीरा की सास मीरा को क्या कहती थी?
A. दासी
B. कुलनाशिनी
C. कुलवर्धिनी
D. जोगण
उत्तर :
B. कुलनाशिनी
प्रश्न 3.
राणा ने मीरां के लिए क्या भेजा?
A. गंगाजल
B. गीता
C. सत्संगी
D. विष का प्याला
उत्तर :
D. विष का प्याला
प्रश्न 4.
किनके साथ बैठकर मोरां ने लोक-लाज खोई?
A. भक्त
B. राणा
C. साधु-संत
D. दुर्जनों
उत्तर :
C. साधु-संत
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दो क पयायवाचा शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- बंधु – …………..
- जगत – …………..
- जल – …………..
- अमोलक – …………..
- दासी – …………..
- दूसरा – …………..
- संग – …………..
- अल – …………..
- पूँजी – …………..
- दिन – …………..
- खेवटिया – …………..
उत्तर :
- बंधु – भाई
- जगत – दुनिया
- जल – पानी
- अमोलक – अमूल्य
- दासी – सेविका
- दूसरा – अन्य
- संग – साथ
- बेल – लता
- पूंजी – दौलत
- दिन – दिवस
- खेवटिया – नाविक
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- साधु × ………..
- आँसू × ………..
- प्रेम × ………..
- विष × ………..
- चोर × ………..
- तैरना × ………..
- दासी × ………..
उत्तर :
- साधु × असाधु
- आँसू × मुस्कान
- प्रेम × घृणा
- विष × अमृत
- चोर × साहूकार
- तैरना × डूबना
- दासी × स्वामिनी
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अच्छा-सच्चा व्यक्ति
- भक्ति करनेवाला
- नाव चलानेवाला
- पाँवों में पहनने का एक गहना
- गिरि को धारण करनेवाला
- गायों को पालनेवाला
- जिसका कोई मूल्य न हो
- नदी पार कराने का साधन
उत्तर :
- साधु
- भक्त
- खेवटिया
- पुंषरू
- गिरिधर
- गोपाल
- अमोलक
- नाव
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
- पूंजी पाना – धन कमाना वाक्य : पूंजी पाते ही राजेश के तेवर बदल गये।
- भवसागर तरना – जीवन-मृत्यु के फेरे से मुक्त होना वाक्य : यदि भवसागर तरना हो तो माता-पिता की सेवा करो।
- यश गाना – किसी की बड़ाई करना वाक्य : विजया पूरा दिन अपने पति के यश गाती रहती है।
- सवाया बढ़ाना – बहुत अच्छा लाभ होना वाक्य : विद्यारूपी धन सवाया बढ़ता रहता है।
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- साधु – …………..
- बंधु – …………..
- भक्त – …………..
- सींचना – …………..
- मग्न – …………..
- फैलना – …………..
- खरचना – …………..
- प्रभु – …………..
- दास – …………..
- मिलना – …………..
उत्तर :
- साधु – साधुता
- बंधु – बंधुत्व
- भक्त – भक्ति
- सींचना – सिंचाई
- मग्न – मग्नता
- फैलना – फैलाव
- खरचना – खर्च
- प्रभु – प्रभुता
- दास – दासता
- मिलना – मिलन
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- चोरी – …………..
- खेना – …………..
- देना – …………..
- गोपालन – …………..
- गाना – …………..
- नाच – …………..
- तैरना – …………..
उत्तर :
- चोरी – चोर
- खेना – खेवटिया
- देना – दाता
- गोपालन – गोपालक
- गाना – गायक
- नाच – नववैया
- तैरना – तैराक
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- गिरिधर
- साधुसंग
- प्रेमबेलि
- अमोलक
- भवसागर
- गोपाल
- रामरतन
- लोक-लाज
- कुलनाशिनी
- अविनाशी
उत्तर :
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- बहुवीहि
- कर्मधारय
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- बहुव्रीहि
मीरा के पद Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
मीराबाई का भगवान कृष्ण के प्रति बचपन से ही लगाव रहा है। वे श्रीकृष्ण की एक निष्ठ भक्त थी। यहां उनके तीन पद दिए गए हैं, जिनमें गिरिधर गोपाल के प्रति उनकी अनन्य भक्ति के दर्शन होते हैं। पहले पद में श्रीकृष्ण के प्रति मीरां की समर्पित भक्ति भावना परिलक्षित हुई है। दूसरे पद में उन्होंने कृष्णभक्ति को अमूल्य मानकर अपने सद्गुरु का महत्त्व बताया है। तीसरे पद में मीरा का दासत्व भाव व्यक्त हुआ है।
कावता का सार :
पद 1 : मीराबाई ने गिरिधर गोपाल को ही अपने जीवन का आधार बना लिया है। वे अपने भाई-बंधु, सगे-संबंधियों को त्यागकर ईश्वर की शरण में आ गई हैं। उन्हें साधु-संतों की संगति में बैठने में कोई लाज-शर्म नहीं है। उन्हें ईश्वर से लगन लग गई है। वे कहती हैं कि अब जो होना हो, वह हो।
पद 2 : मीराबाई के लिए ईश्वर की भक्ति किसी अमूल्य रत्न की भाँति है। इस रत्न को पाकर वे अत्यंत प्रसन्न हैं। वे ईश्वर की भक्ति को जन्म-जन्मांतर की ऐसी पूंजी मानती हैं, जो निरंतर अधिकसे-अधिक बढ़ती ही जाती है। सदगुरु की कृपा से वे भवसागर पार कर आई हैं और ईश्वर का गुणगान करते नहीं थकती।
पद 3 : मीराबाई भगवान कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो गई हैं। वे अपना सबकुछ त्याग कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो गई हैं। उन्होंने अपने आपको ईश्वर को समर्पित कर दिया है और वे उनकी दासी बन गई हैं।
टिप्पणी :
गिरिधर : भगवान कृष्ण का एक नाम गिरधर या गिरिधारी भी है।
वंदावन में गोवर्धन नाम का एक पर्वत है। पुराणों के अनुसार कृष्ण ने एक बार इंद्र के कोप से ब्रजभूमि की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उँगली पर उठा लिया था। इसलिए उनका ‘गिरधर’ या ‘गिरिधारी’ नाम पड़ा।
कविता का सरल अर्थ :
मेरे तो गिरधर ……… होइ सो होई।
मीरांबाई कहती हैं कि जिसने गिरि यानी पर्वत को उठा लिया था, वही श्रीकृष्ण मेरे जीवन के एकमात्र आधार हैं। हे महानुभावो, मैंने सारा संसार छान मारा, श्रीकृष्ण के अतिरिक्त मेरा कोई दूसरा नहीं है। वे कहती हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के लिए मैंने अपने भाई, बंधु तथा सभी सगे-रिश्तेदारों को छोड़ दिया है और साधु-संतों के पास बैठबैठकर लोक-लाज खो दी है। सांसारिक व्यक्तियों को देखकर मुझे रोना आता है और भगवान के भक्तों को देखकर मुझे आनंद होता है।
गिरिधर गोपाल के विरह में निरंतर बहते हुए आँसुओं के जल से मैंने इस प्रेमरूपी लता को रोपा है और सींचा है। वे कहती हैं कि जैसे दही को मथकर घी निकाल लेने के बाद मथानी को एक ओर रख दिया जाता है, वैसे ही मैंने इस भवसागर का मंथनकर श्रीकृष्ण के प्रेमरूपी सार तत्त्व को एकत्र कर लिया है और सांसारिकता को किनारे रख दिया है। मीराबाई कहती हैं कि राणा ने जहर का प्याला भेजा था, पर उसे मैंने खुशी-खुशी पी लिया। वे कहती हैं कि अब तो (श्रीकृष्ण से उनके प्रेम की) बात चारों ओर फैल चुकी है और इस बात की सबको जानकारी हो गई है। मीराबाई कहती हैं कि अब तो भगवान से उनकी लगन लग गई है। जो होना होगा, वही होगा।
पायोजी ……….. हरखि-हरखि जस गायो।
मीराबाई कहती हैं कि मैंने ईश्वररूपी रत्न प्राप्त कर लिया है। मेरे सद्गुरु ने मुझ पर कृपा करके यह अनमोल रत्न मुझे दिया है। मैंने यह अनमोल रल अपना लिया है। मैंने इस संसार में अपनी लाज त्याग दी है और अब जन्म-जन्मांतर की यह पूंजी पा ली है। यह ऐसी पूंजी है, जो न तो खर्च होती है और न कोई चोर इसे चुरा सकता है। इतना ही नहीं, इसमें रोज सवाई वृद्धि होती रहती है। मीरांबाई कहती हैं कि सच्चाई की इस नाव पर सवार होकर मैंने अपने सदगुरुरूपी खेवनहार के साथ संसाररूपी सागर पार कर लिया है। मौरां खुश होकर अपने भगवान कृष्ण का गुणगान करती हैं।
पग घुघरू ………. बेग मिलो अविनाशी रे।
मोरांबाई भगवान कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो गई हैं। वे अपना सब कुछ भूल गई हैं। वे अपने पैरों में धुंघरू बाँधकर भगवद्भक्ति में लीन होकर नाच रही हैं।
लोग मोरांबाई का यह रूप देखकर कहते हैं कि वह पागल हो गई है। मीरांबाई की सास कहती हैं कि वह उनके कुल का अस्तित्व समाप्त करनेवाली कुलनाशिनी है। यह सब देखकर राणा ने मीराबाई को मारने के लिए जहर से भरा हुआ प्याला उनको भेजा, पर मीराबाई निश्चिंत होकर वह जहर भी हँसते-हँसते पी गई। मीराबाई कहती है कि उन्होंने अपने आपको भगवान (श्रीकृष्ण) को समर्पित कर दिया है और वे उनकी दासी बन गई हैं। मीराबाई कहती हैं कि हे गिरिधारी भगवान कृष्ण, आप अजरअमर हैं। हे प्रभु, आप मुझे शीघ्र दर्शन दीजिए।
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
મીરાંબાઈ કહે છે કે જેણે ગિરિ અર્થાત્ પર્વતને ઊંચકી લીધો હતો તે જ શ્રીકૃષ્ણ મારા જીવનનો એકમાત્ર આધાર છે. હે મહાનુભાવો, મેં સમગ્ર સંસારમાં શોધખોળ કરી, પરંતુ શ્રીકૃષણ સિવાય મારું બીજું કોઈ નથી, મીરાંબાઈ કહે છે કે ભગવાન શ્રી કૃષ્ણને માટે મેં મારા ભાઈ-બંધુ અને બધાં સગાં-સંબંધીઓને છોડી દીધાં છે અને સાધુસંતો પાસે બેસી-બેસીને લોક્લાજ પણ ગુમાવી દીધી છે, સાંસારિક લોકોને જોઈને મને રડવું આવે છે અને ભગવાનના ભક્તોને જોઈને મને આનંદ થાય છે.
ગિરિધર ગોપાલને માટે સતત વહેતાં આંસુરૂપી જળથી મેં પ્રેમની વેલ ઉછેરી અને સીંચી છે. તેઓ કહે છે કે જેવી રીતે દહીંને મથીને ઘી કાઢ્યા પછી છાસના પાણીને એક બાજુ મૂકી દેવાય છે તેવી જ રીતે મેં આ ભવસાગરનું મંથન કરીને શ્રીકૃષ્ણરૂપી સાર-તત્ત્વ એકત્ર કર્યું અને સાંસારિકતાને બાજુએ મૂકી દીધી છે. મીરાંબાઈ કહે છે કે રાણાજીએ ઝેરનો પ્યાલો મોહ્યો હતો, પરંતુ મેં રાજીખુશીથી તે પી લીધો, મીરાંબાઈ કહે છે કે હવે તો શ્રીકૃષ્ણ સાથે તેમના પ્રેમની વાતો ચોમેર ફેલાઈ ચૂકી છે, સૌને તેની ખબર પડી ગઈ છે. મીરાંબાઈ કહે છે કે હવે તો ભગવાન સાથે તેમની પ્રીત બંધાઈ ગઈ છે, ભલે જે થવાનું હોય તે થાય!
મીરાંબાઈ કહે છે કે મેં ઈશ્વરરૂપી રત્ન પ્રાપ્ત કરી લીધું છે. મારા સદ્ગુરુએ મારા પર કૃપા કરીને આ અણમોલ રત્ન મને આપ્યું છે. મેં આ અણમોલ ૨ત્ન અપનાવી લીધું છે. મેં આ સંસારમાં પોતાની લાજ તજી દીધી છે અને હવે જન્મજન્માંતરની આ પૂંજી પ્રાપ્ત કરી છે. આ એવી પૂંજી છે, જે ખર્ચ થતી નથી અને જેને કોઈ ચોર ચોરી શકતો નથી. એટલું જ નહિ, એમાં દરરોજ સવાઈ વૃદ્ધિ થતી રહે છે. મીરાંબાઈ કહે છે કે સચ્ચાઈની આ નૌકા પર સવાર થઈને મેં મારા સદ્દગુરુરૂપી નાવિકની સાથે સંસારરૂપી સાગર પાર કરી લીધો છે. મીરાં પ્રસન્ન થઈને પોતાના ભગવાન શ્રીકૃષ્ણનાં ગુણગાન કરે છે.
મીરાંબાઈ ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના પ્રેમમાં દીવાની થઈ ગઈ છે. તેઓ પોતાનું બધું જ ભૂલી ગયાં છે. તેઓ પોતાના પગમાં ધૂઘરીઓ બાંધીને નૃત્ય કરી રહ્યાં છે. લોકો મીરાંબાઈનું આ રૂપ જોઈને કહે છે કે તેઓ બાવરાં થઈ ગયા છે. મીરાંબાઈની સાસુ કહે છે કે તે તેમના કુળનો નાશ કરનાર કુળનાશિની છે.
આ બધું જોઈને રાણાએ મીરાંબાઈને મારી નાખવા માટે ઝેરથી ભરેલો પ્યાલો મોકલ્યો, પરંતુ મીરાંબાઈ નિશ્ચિત થઈને તે ઝેર હસતાંહસતાં પી ગયાં. મીરાંબાઈ કહે છે તેમણે સ્વયંને ભગવાન શ્રી કૃષ્ણને સમર્પિત કરી દીધી છે અને તેઓ તેમની દાસી બની ગયાં છે, મીરાંબાઈ કહે છે કે ગિરધારી ભગવાન શ્રીકૃષ્ણ, આપ અજરઅમર છો ! હે પ્રભુ ! આપ મને શીધ્ર દર્શન આપો.
मीरा के पद शब्दार्थ :
- सकल – सभी।
- लोक – संसार।
- जोई – देख लिया।
- छोडया – त्याग दिया।
- सगा – सगे-रिश्तेदार।
- सोई – वह भी।
- साधु – संत महात्मा।
- लोक – लाज-सांसारिक लाज-शर्म।
- खोई – गवा दी।
- भगत – ईश्वर की भक्ति करनेवाले लोग।
- राजी – आनंद।
- जगत – (यहाँ अर्थ) सांसारिकता में लिप्त व्यक्ति।
- असुवन – आँसुओं के।
- प्रेम बेलि – प्रेमरूपी लता।
- बोई – बोना।
- दधि – दही।
- मथि – मथ कर।
- घृत – घी।
- कादि – निकाल कर।
- डार दई – फेंक दी, एक ओर रख दी।
- छोई – बिना रस की गडेरी।
- भेज्यो – भेजा।
- पीय – पी कर।
- मगन – मग्न।
- जाणे – जान गए।
- रामलगन लागी – भगवान से लगन लगना।
- होणी – होनी।
- होड़ सो होई – जो होना हो, हो।
- पायो – पाया।
- रतन – रत्न।
- अमोलक – अमूल्य।
- दी – दिया।
- किरपा – कृपा।
- अपणायो – अपना लिया, स्वीकार कर लिया।
- पूंजी – धन।
- सबै – सब।
- खोवायो – खो दिया।
- खरचै – खर्च होना।
- लेवै – ले।
- बढ़त – बढ़ती है।
- सवायो – सवाई।
- सत – सत्य।
- खेवटिया – नाव खेनेवाला।
- भव-सागर – संसाररूपी सागर।
- तरि आयो – पार कर लिया।
- नागर – चतुर।
- हरखि – हर्ष।
- जस – यश।
- पग – पैर।
- कहैं – कहते हैं।
- भई – हो गई।
- बावरी – दीवानी।
- कुलनासी – कुल, परिवार का विनाश करनेवाली।
- पीवत – पीते हुए।
- हाँसी – हंस पड़ी।
- नारायण – श्रीकृष्ण, भगवान।
- आपहि – स्वयं ही।
- दासी – सेविका।
- बेग – शीघ्र।
- अविनाशी – जिसका नाश न हो, ईश्वर।