GSEB Solutions Class 11 Accounts Part 2 Chapter 4 हुंडीयाँ

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commerce Accounts Part 2 Chapter 4 हुंडीयाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Accounts Part 2 Chapter 4 हुंडीयाँ

स्वाध्याय – अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रत्येक प्रश्न के लिये योग्य विकल्प पसंद कीजिए :

1. सामान्य रूप से हुंड़ी कौन लिखता है ?
(अ) देनदार
(ब) लेनदार
(क) सरकार
(ड) बैंक
उत्तर :
(ब) लेनदार

2. सामान्य रूप से हुंड़ी कौन स्वीकार करता है ?
(अ) देनदार
(ब) सरकार
(क) लेनदार
(ड) बैंक
उत्तर :
(अ) देनदार

3. वचनचिट्ठी कौन लिखता है ?
(अ) बीमा कंपनी
(ब) लेनदार
(क) देनदार
(ड) सरकार
उत्तर :
(क) देनदार

4. हुंडी के व्यवहार में रकम भुगतान की सुविधा के लिये ……………………….. दिन की छूट दी जाती है ।
(अ) चार
(ब) एक
(क) तीन
(ड) दो
उत्तर :
(क) तीन

5. हुंडी पकने की तारीख से पहले हुंडी लिखनेवाले के द्वारा किसके पास भुनाई जाती है ?
(अ) देनदार
(ब) राज्य सरकार
(क) मध्यस्थ सरकार
(ड) बैंक
उत्तर :
(ड) बैंक

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6. हुंडी भारत में किस एक्ट (कानून) के तहत का दस्तावेज है ?
(अ) भारतीय कंपनी एक्ट, 2013
(ब) साझेदारी कानून, 1932
(क) भारतीय करार का कानून, 1872
(ड) नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट, 1881
उत्तर :
(ड) नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट, 1881

7. जब अदालत (कोर्ट) किसी व्यक्ति को दिवालिया घोषित करे तब उसके संपत्ति का बँटवारा और देनदारों के भुगतान के लिये जिस व्यक्ति की नियुक्ति करती है उसे …………………………. से जाना जाता है ।
(अ) रिसीवर
(ब) सरकारी वकील
(क) नामदार वकील
(ड) नोटरी
उत्तर :
(अ) रिसीवर

8. हुंडी का नवीनीकरण अर्थात् –
(अ) पुरानी हुंडी को पुनः अछे अक्षर से लिखा जाता है ।
(ब) पुरानी हुंडी पर नया रेवन्यु स्टेम्प लगाया जाता है ।
(क) पुरानी हुंड़ी के बदले नयी हुंडी नये समय के साथ लिखी जाती है ।
(ड) पुरानी हुंडी के बदले ई-मेल द्वारा हुंडी भिजवायी जाती है ।
उत्तर :
(क) पुरानी हुंड़ी के बदले नयी हुंडी नये समय के साथ लिखी जाती है ।

प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए ।

1. हुंडी की व्याख्या दीजिए ।
उत्तर :
हुंडी की व्याख्या (Definition of Bill of Exchange) :
भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट के अनुसार हुंडी की व्याख्या निम्न है :
‘हुंड़ी अर्थात् ऐसा लिखित दस्तावेज जिसके द्वारा किसी निश्चित व्यक्ति पर, अमुक निश्चित व्यक्ति को अथवा वह व्यक्ति सूचित करे उसे अथवा जो व्यक्ति दस्तावेज धारण करता हो उसे अमुक निश्चित राशि अमुक निश्चित समय पर चुकाने का बिनशरती आदेश है ।’

2. वचनचिट्ठी की व्याख्या दीजिए ।
उत्तर :
वचनचिट्ठी की व्याख्या (Definition of Promissory Note) :
भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट के तहत् वचनचिट्ठी की व्याख्या निम्न अनुसार है : ‘वचनचिट्ठी यह ऐसा लिखित दस्तावेज है कि जिसमें लिखनेवाला खुद की सही के साथ उसमें बताये गये निश्चित व्यक्ति को या वह व्यक्ति जिसे सूचित करे उसे अथवा दस्तावेज धारण करनेवाले व्यक्ति को अमुक निश्चित राशि अमुक निश्चित समय पर चुकाने का बिनशर्ती वचन देता है ।

3. हुंडी में कितने पक्षकार होते है ?
उत्तर :
हुंड़ी के विविध पक्षकार (Different Parties in a Bill of Exchange) :
हुंड़ी में तीन पक्षकार होते है :

  1. हुंडी लिखनेवाला : जो व्यक्ति हुंड़ी लिखता है वह हुंडी लिखनेवाले के रूप में जाना जाता है । सामान्यतः वह लेनदार या माल बेचनेवाला व्यापारी होता है ।
  2. हुंडी स्वीकार करनेवाला : जिस व्यक्ति को राशि चुकानी है, उसे संबोधित कर हुंड़ी लिखी जाती है, जिसे हुंडी स्वीकर्ता के रूप में जाना जाता है । माल खरीदनेवाला ग्राहक या व्यापारी या देनदार हुंडी स्वीकार करनेवाला होता है ।
  3. रकम प्राप्त करनेवाला : हुंडी लिखनेवाला खुद अथवा रकम प्राप्तकर्ता के रूप में जिसका नाम हो वह अथवा जो हुंडी धारण करनेवाला हो वह व्यक्ति रकम प्राप्त करनेवाला होता है ।

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4. वचनचिट्ठी में कितने पक्षकार होते है ?
उत्तर :
वचनचिट्टी के विविध पक्षकार (Different Parties of Promissory Note) :
वचनचिट्ठी में सामान्यत: दो पक्षकार होते है :

  1. वचनचिट्ठी लिखनेवाला : वचनचिट्ठी लिखनेवाला सामान्य संयोगों में देनदार होता है ।
  2. रकम प्राप्त करनेवाला : वचनचिट्ठी की राशि प्राप्त करनेवाला सामान्यतः लेनदार अथवा वचनचिट्ठी धारण करनेवाला होता है ।

5. हंडी का समय अर्थात् क्या ?
उत्तर :
हुंडी लिखनेवाले के द्वारा हुंडी स्वीकार करनेवाले को राशि चुकाने के लिये अमुक समय दिया जाता है, उसे हुंडी का समय कहते हैं । जैसे : तीन मास की हुंडी, दो मास की हुंडी वगैरह ।

6. हुंड़ी पकने की तारीख अर्थात् क्या ?
उत्तर :
हुंडी पकने की तारीख अर्थात् हुंडी का समय पूरा होने के बाद हुंड़ी स्वीकार करनेवाले के द्वारा हुंडी लिखनेवाले को हुंड़ी में दर्शायी गयी राशि चुकानी होती है । हुंड़ी लिखने की तारीख में हुंडी का समय जोड़ने पर जो तारीख आती है उसे हुंडी की पकने की तारीख कहते हैं ।
जैसे :
हुंडी लिखने की तारीख : 13.08.2016
हुंडी का समय : 3 मास
हुंडी पकने की तारीख : 13.11.2016 (छूट के दिन सिवाय)

7. छूट के दिन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
हुंडी के व्यवहार में रकम चुकाने की सुविधा के लिये तीन दिन की छूट दी जाती है । अर्थात् हुंड़ी लिखने की तारीख में समय जोड़ने के बाद जो तारीख आये उसमें तीन दिन छूट के जोड़ दिये जाते है । इस अतिरिक्त तीन दिन को छूट के दिन कहे जाते है । हुंडी की पकने की तारीख में छूट के दिन जोड़ने के बाद जो तारीख आये उसे छूट के दिन सहित की पकने की तारीख कही जाती है ।
जैसे : हुंडी लिखने की तारीख : 21.03.2016
हुंडी का समय : 3 मास
हुंडी पकने की तारीख : 21.06.2016
छूट के दिन सहित की पकने की तारीख : 24.06.2016 (21.06.2016 + 3 दिन छूट के)

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8. दर्शनी हुंडी अर्थात् क्या ?
उत्तर :
दर्शनी हुंडी (Bill at Sight) अर्थात् जिस हुंड़ी पर हुंडी स्वीकार करनेवाले को जब हुंडी धारण करनेवाला व्यक्ति भुगतान की माँग करे तब तुरंत ही हुंडी की रकम भुगतान करनी पड़ती है । इस प्रकार की हुंडी को दर्शनी हुंडी या माँग पर तुरंत भुगतान पात्र हुंडी के रूप में जाना जाता है । कारण कि हुंडी दिखाने पर हुंडी स्वीकारकर्ता को तुरंत ही राशि का भुगतान करना होता है । इसके अलावा जिस हुंडी में भुगतान का समय या अवधि नहीं लिखी जाती उस हुंडी को भी दर्शनी हुंड़ी कहते हैं ।

9. अवधि हुंड़ी अर्थात् क्या ?
उत्तर :
अवधि हुंडी (Bill after dated) अर्थात् हुंडी को स्वीकार करनेवाले को जब हुंडी राशि अमुक निश्चित समय के बाद भुगतान करनी पड़ती है ।

जैसे : हुंड़ी लिखने के 90 दिन बाद । सामान्य रूप से यह हुंडी निम्न बताये किसी एक प्रकार से भुगतानपात्र बनती है :

  1. हुंडी में लिखी तारीख के बाद अमुक निश्चित समय पर
  2. प्रस्तुति के बाद अमुक निश्चित समय पर
  3. कोई निश्चित घटना हो उसके बाद अमुक निश्चित समय पर ।
    इसमें हुंड़ी की रकम चुकाने के लिये अमुक निश्चित अवधि दी जाने के कारण इसे अवधि हुंडी कहते हैं ।

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक लिखिए :

1. हुंडी की व्याख्या देकर उसके लक्षण बताइए ।
उत्तर :
उधार व्यवहार के भुगतान के लिए सामान्य रूप से हुंड़ी का उपयोग किया जाता है । भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रमेन्ट एक्ट के अनुसार हुंडी की निम्न व्याख्या दी गई हैं –
‘हुंडी एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसके द्वारा कोई निश्चित व्यक्ति अमुक निश्चित व्यक्ति को अथवा वह व्यक्ति जिसको बताये उसे अथवा जो व्यक्ति दस्तावेज धारण करता हो उसे अमुक निश्चित रकम अमुक निश्चित समय में भुगतान करने का शर्तरहित आदेश है ।’

हुंड़ी के लक्षण (Characteristics of Bill of Exchange) :
कोई भी हंडी मान्य है या नहीं यह उसके लक्षणों पर आधारित रहता है ।

  • लिखित स्वरूप में : हुंडी हमेशा लिखित स्वरूप में होनी चाहिए । मौखिक रूप से अगर कोई आदेश या हुकम दिया गया हो तो वह हुंड़ी नहीं कहला सकता ।
  • बिनशर्ती हुकम : हुंड़ी हमेशा विनंती के स्वरूप में होनी चाहिए । हुंडी में हुकम बिनशर्ती होना चाहिए । अर्थात् रकम चुकाने के आदेश के सामने कोई शर्त नहीं होनी चाहिए ।
  • निश्चित व्यक्ति : हुंडी किसी निश्चित व्यक्ति पर लिखी हुई होनी चाहिए ।
  • रकम चुकाने का आदेश : हुंड़ी में आदेश केवल भारतीय द्रव्य का भुगतान करने का होना चाहिए; किसी रकम या वस्तु के बदले का नहीं ।
  • हुंडी स्वीकर्ता या राशि प्राप्त करनेवाला : हुंड़ी में हुंडी का स्वीकार करनेवाला या राशि प्राप्त करनेवाला दोनों अलग व्यक्ति होते है इसलिये दोनों का नाम स्पष्ट होना चाहिए और वह निश्चित व्यक्ति होने चाहिए ।
  • निश्चित राशि : हुंड़ी में दर्शायी गयी राशि निश्चित और स्पष्ट होनी चाहिए । जैसे रु. 10,000
  • स्पष्ट तारीख : हुंड़ी में दर्शायी गयी तारीख स्पष्ट होनी चाहिए ।
  • निश्चित अवधि : हुंडी में अवधि निश्चित होनी चाहिए ।
    जैसे : 3 मास । 3 मास के अंदर कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए ।
  • लिखनेवाले की सही : हुंड़ी जिसने लिखी हो उसके हस्ताक्षर उसमें होना चाहिए ।
  • रेवन्यु स्टेम्प : हुंड़ी पर हुंडी की राशि के प्रमाण में रेवन्यु स्टेम्प लगा होना चाहिए ।
  • माँग होने पर तुरंत या निश्चित अवधि के बाद : हुंडी का भुगतान हुंड़ी लिखनेवाला माँग करे तब अथवा निश्चित समय के बाद करना होता है ।
  • हुंडी का स्वीकार : हुंड़ी जिस व्यक्ति पर लिखी गई हो वह उस पर सही कर उसका स्वीकार करे उसके बाद ही हुंडी अस्तित्व में आती है ।

2. हुंडी का नमूना देकर उसका विवरण समझाइए ।
उत्तर :
हुंडी का नमूना (Specimen of bill of Exchange)
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हुंडी का विवरण : उपरोक्त दिये गये नमूने में श्री सुधीरकुमार हुंडी का लेखक है । श्री सुनिलकुमार हुंडी स्वीकर्ता है और राशि पानेवाला श्री सुशीलकुमार है ।

  1. निश्चित व्यक्ति : हुंड़ी में दर्शाया गया प्रत्येक व्यक्ति निश्चित होना चाहिए । उपरोक्त नमूने में हुंड़ी लिखनेवाला सुधीर कुमार, हुंडी स्वीकार करनेवाला सुनीलकुमार तथा रकम पानेवाला सुशीलकुमार है ।
  2. रकम : हुंड़ी में जो राशि स्वीकर्ता चुकानेवाला हो वह स्पष्ट होनी चाहिए । रकम सामान्य रूप से अंकों और शब्दों दोनों में स्पष्ट रुप से लिखी होनी चाहिए ।
    जैसे : उपरोक्त नमूने में रु. 20,000 और रुपये बीस हजार पूरे ।
  3. तारीख : हुंड़ी जिस दिन लिखी गयी हो उस दिन की तारीख दर्शायी जाती है । तारीख हुंडी का एक महत्त्वपूर्ण भाग है । उपरोक्त नमूने में हुंडी की तारीख 11.11.2016 है ।
  4. अवधि : हुंडी में अवधि स्पष्ट होनी चाहिए । सामान्य रूप से हुंडी की अवधि पूर्ण होने के बाद छूट के तीन दिन दिये जाते है । उपरोक्त नमूना में अवधि 3 मास है ।
  5. हस्ताक्षर : हुंड़ी में हुंडी लिखनेवाला और स्वीकार करनेवाला दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए । यदि हंडी में स्वीकर्ता के हस्ताक्षर न हो तो वह मान्य नहीं गिनी जाती । उपरोक्त नमूना में लिखनेवाले के रूप में सुधीरकुमार और स्वीकार करनेवाले के रूप में सुनिलकुमार की सही है ।
  6. रेवन्यु स्टेम्प : हुंडी को कानून के अनुसार मान्यता प्रदान करने के लिये उस पर हुंडी की रकम के प्रमाण में रेवन्यु स्टेम्प लगाना अनिवार्य है । रेवन्यु स्टेम्प बिना का दस्तावेज वैधानिक नहीं माना जायेगा ।

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3. वचनचिट्ठी की व्याख्या देकर उसके लक्षण बताइए ।
उत्तर :
वचनचिट्ठी की व्याख्या (Definition of Promissory Note) :
हिसाबी भुगतान की एक अन्य रीति वचनचिट्ठी के द्वारा भुगतान करना है । वचनचिट्ठी एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें जिस व्यक्ति को राशि अन्य किसी व्यक्ति को चुकानी है वह खुद ही लिखित में राशि चुकाने का वचन देता है । अर्थात् देनदार खुद राशि चुकाने का लेनदार को वचन देता है ।

भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रमेन्ट एक्ट के तहत् वचनचिट्ठी की व्याख्या निम्न है :
‘वचनचिट्ठी यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर के साथ इसमें लिख्ने निश्चित व्यक्ति को या व्यक्ति कहे उसको अथवा दस्तावेज धारण करनेवाले को अमुक निश्चित रकम निश्चित समय पर भुगतान करने का शर्तरहित वचन देता है ।’

वचनचिट्ठी के लक्षण (Characteristics of Promissory Note) :

  1. लिखित स्वरूप में : वचनचिट्ठी हमेशा लिखित स्वरूप में होनी चाहिए । मौखिक दिया वचन वचनचिट्टी नहीं कहलायेगा ।
  2. निश्चित और स्पष्ट : वचनचिट्ठी की राशि निश्चित और स्पष्ट होना चाहिए ।
  3. निश्चित राशि : वचनचिट्ठी में निश्चित राशि चुकाने का वचन होना चाहिए ।
  4. रकम का ही वचन : वचनचिट्ठी में केवल रकम चुकाने का ही वचन होना चाहिए, किसी वस्तु या अन्य प्रतिफल का नहीं ।
  5. बिनशर्ती वचन : वचनचिट्ठी में रकम चुकाने का वचन बिनशर्ती होना चाहिए ।
  6. लिखनेवाले व्यक्ति की सही : वचनचिट्ठी किसी निश्चित व्यक्ति द्वारा लिखी हुई होनी चाहिए और लिखनेवाले व्यक्ति के द्वारा उस पर सही करना चाहिए ।
  7. समय और तारीख : वचनचिट्ठी में समय और लिखने की तारीख स्पष्ट होनी चाहिए ।
  8. रेवन्यु स्टेम्प : वचनचिट्ठी पर आवश्यक राशि की. रेवन्यु स्टेम्प लगी हुई होनी चाहिए ।
  9. संयुक्त व्यक्तियों के द्वारा : अमुक परिस्थितियों में एक से अधिक व्यक्ति संयुक्त रूप से वचनचिट्ठी लिख सकते है, और उस परिस्थिति में प्रत्येक व्यक्ति संयुक्त और व्यक्तिगत रूप से राशि चुकाने के लिये जिम्मेदार बनते है ।

4. वचनचिट्ठी का नमूना देकर उसका विवरण समझाइए ।
उत्तर :
वचनचिट्ठी का नमूना (Specimen of Promissory Note):
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उपरोक्त वचनचिट्ठी के नमूना पर से वचनचिट्ठी का विवरण समझेंगे :

  • निश्चित व्यक्ति : उपरोक्त नमूने में कहा जा सकता है कि अनुज झा वचनचिट्ठी लिखनेवाला है और अनुशील झा रकम प्राप्त करनेवाला है । इस प्रकार वचनचिट्ठी लिखनेवाला और रकम प्राप्त करनेवाला निश्चित व्यक्ति होना चाहिए ।
  • रकम : वचनचिट्ठी लिखनेवाले के द्वारा जो रकम चुकानी है वह स्पष्ट होनी चाहिए । रकम अंकों और शब्दों में दोनों रूप से स्पष्ट होनी चाहिए । उपरोक्त नमूने में रु. 8,000 और रुपया आठ हजार पूरा ।
  • तारीख : वचनचिट्ठी जिस दिन लिखी जाती हो उस दिन की तारीख इसमें दर्शायी जाती है । उपरोक्त नमूने में ता. 26.07.2016 दर्शायी गयी है ।
  • अवधि : कितने समय में राशि चुकानी है यह स्पष्ट रूप से वचनचिट्ठी में होना चाहिए । उपरोक्त नमूना में वचनचिट्ठी का समय दो मास है ।
  • हस्ताक्षर : वचनचिट्ठी को कानूनी दस्तावेज बनाने के लिये जिस व्यक्ति ने यह लिखी है उस व्यक्ति के हस्ताक्षर होने चाहिए । बिना हस्ताक्षर का दस्तावेज वचनचिट्ठी नहीं कहलायेगा । उपरोक्त नमूना में अनुज झा वचनचिट्ठी लिखनेवाला है । इसलिये वचनचिट्ठी पर उसका हस्ताक्षर आवश्यक है ।
  • रेवन्यु स्टेम्प : वचनचिट्ठी को कानूनी दृष्टि से मान्य बनाने के लिये आवश्यक राशि की रेवन्यु स्टेम्प लगानी पड़ती है । रेवन्यु स्टेम्प के बिना का दस्तावेज वैधानिक नहीं माना जाता ।

5. हुंडी और वचनचिट्ठी के बीच अंतर समझाइए ।
उत्तर :
हंडी और वचनचिट्ठी के बीच अंतर (Difference Between Bill of Exchange and Promissory Note):
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6. लेनी हुंड़ी और देनी हुंडी अर्थात् क्या ?
उत्तर :
लेनी हंडी और देनी हंडी (Bills Receivable and Bills Payable):
हुंडी को मुख्यतः दो रूप में पहचाना जाता है :

  1. लेनी हुंडी (लेय विपत्र)
  2. देनी हुंड़ी (देय विपत्र)

जिस व्यक्ति या व्यापारी को अन्य व्यक्ति या ग्राहक के पास से रकम वसूल करनी हो तब व्यक्ति सामनेवाली व्यक्ति या ग्राहक पर हुंडी लिखता है । सामनेवाला व्यक्ति या ग्राहक उस हुंडी का स्वीकार करता है । यहाँ जो व्यक्ति हुंड़ी लिखता है उसके लिये यह लेनी हुंडी और जो व्यक्ति हुंडी स्वीकार करता है उसके लिये वह देनी हुंडी कहलाती है । अर्थात् लेनदार के लिये लेनी हंडी और देनदार के लिये वह देनी हुंड़ी कहलायेगी ।

उदाहरण के लिये – आकांक्षा को अदिति के पास से 15,000 रु. लेना है । यहाँ आकांक्षा 15,000 रु. की हुंड़ी अदिति पर लिखेगी और अदिति उसे स्वीकार करेगी । यह हुंडी आकांक्षा के लिये लेनी हुंडी और अदिति के लिये देनी हुंड़ी कहलायेगी।

लेनी हुंड़ी यह हुंड़ी लिखनेवाली की संपत्ति गिनी जायेगी, जबकि देनी हुंड़ी यह हुंडी स्वीकार करनेवाली की जिम्मेदारी गिनी जायेगी । अगर हुंड़ी लिखनेवाला और राशि प्राप्त करनेवाला व्यक्ति एक ही हो तब हुंडी लिखनेवाले के लिये लेनी हुंडी और स्वीकार करनेवाले . के लिये देनी हुंडी कहलाती है । परंतु हुंडी लिखनेवाला और प्राप्त करनेवाला व्यक्ति अलग हो तब जो व्यक्ति हंडी धारण करता है उस व्यक्ति के लिये भी वह लेनी हंडी गिनी जाती है । आर्थिक चिट्ठा में लेनी हंडी को चालू संपत्ति के रूप में जबकि देनी हंडी चालू दायित्व के रूप में दर्शायी जाती है ।

7. हंडी के निकाल या उपयोग संबंधी मुख्य चार पद्धतियाँ संक्षेप में समझाइए ।
उत्तर :
हुंडी का निकाल या उपयोग (Disposal or Uses of a Bill) :
हुंडी के तीनों पक्षकार में से ज्यादातर हुंड़ी लिखनेवाला और रकम प्राप्त करनेवाला एक ही व्यक्ति होता है । हुंडी की मालिकी हुंडी लिखनेवाले या हुंडी धारण करनेवाले के पास होती है । जिस व्यक्ति के पास हुंडी का अधिकार हो उसके निकाल या उपयोग के लिये निम्न विकल्प दिये गये है :
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(अ) हुंडी पकने की तारीख तक अपने पास रखना और हुंडी की रकम वसूल करना : हुंडी लिखनेवाले या धारण करनेवाले व्यक्ति को अगर हुंडी की राशि पहले प्राप्त करना न हो अथवा हुंडी की समय मर्यादा बहुत कम हो, तब वह व्यक्ति हुंड़ी को पकने की तारीख तक अपने पास रखता है और पकने की तारीख पर हुंडी की राशि स्वयं वसूल करता है ।

(ब) हुंडी को पकने की तारीख से पहले बैंक या शराफ के पास भुनाना : जब हुंडी धारण करनेवाले को हुंडी की पकने की तारीख से पहले रकम की आवश्यकता हो तब वह इस हुंडी को उसकी पकने की तारीख से पहले बैंक या शराफ के पास प्रस्तुत करके तुरंत . राशि प्राप्त कर सकता है । बैंक या शराफ हुंडी की पूरी राशि नहीं चुकाते, परंतु हुंडी की कुल राशि में से बट्टा की पूरी राशि चुकाते है । यह बट्टा हुंड़ी पर का बट्टा है, जो बैंक के लिये आय तथा हुंडी धारण करनेवाले के लिये खर्च है ।

(क) हुंडी को पकने की तारीख से पहले बिक्री पृष्ठांकन करके देना : भारत के 1881 नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट हुंडी को परक्राम्य
हस्तांतरित दस्तावेज के रूप में बताता है, अर्थात् हंडी एक परिवर्तनशील दस्तावेज है । हंडी धारण करनेवाला व्यक्ति अपना दायित्व चुकाने के लिये खुद की लेनी हंडी लेनदार को बिक्री-पृष्ठांकन करके दे सकता है । इसके लिये लेनदार की सहमति आवश्यक है । हुंड़ी हस्तांतरण की प्रक्रिया में हुंडी के पिछले भाग में आवश्यक विवरण लिखकर सही की जाती है । इस प्रक्रिया के पश्चात् हुंडी लेनदार को दी जाये तब लेनदार हुंडी का धारक बनता है और हुंड़ी पकने की तारीख पर रकम वसूल कर सकता है ।

(ड) हुंडी वसूल करने के लिये बैंक या शराफ को भेजना : व्यापारी वर्ग अपनी व्यस्त प्रवृत्तियों के बीच समय की बचत और सुविधा के लिये लेनी हुंडी की राशि खुद वसूल करने के बजाय बैंक या शराफ को सौंपता है । हंडी पकने की तारीख से पहले बैंक या शराफ के पास भिजवा दी जाती है । पकने की तारीख पर बैंक या शराफ हुंडी की राशि वसूल करके व्यापारी को भिजवा दी जाती है, अथवा बैंक उसकी राशि खाते में जमा कर देती है । इसके बदले में बैंक या शराफ कमीशन वसूल करते है ।

8. हुंड़ी का अप्रतिष्ठित (अस्वीकार) होना अर्थात् क्या ? हुंडी अप्रतिष्ठित होने पर आलोकन खर्च के बारे में समझाइए ।
उत्तर :
हुंडी का अस्वीकार होना (Dishonour of a Bill) :
सामान्य परिस्थितियों में यह माना जाता है कि पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि चुका दी जाती है, परंतु किसी कारणवश पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि न चुकाई जाये तब हुंड़ी अप्रतिष्ठित (अस्वीकृत) होती है । हुंडी अस्वीकृत होने पर हुंड़ी लिखनेवाले तथा अन्य पक्षकारों के लिये रकम वसूल करने का प्रश्न उपस्थित होता है ।

आलोकन तथा आलोकन खर्च : जब हुंडी अस्वीकृत हो जाये तब उसका आलोकन (Noting) करवाना यह एक कानूनी विधि है । यह विधि अनिवार्य नहीं है, परंतु आवश्यक और हितकारी है । जब कोई हुंडी अस्वीकृत हो तब हुंडी धारण करनेवाला व्यक्ति उसकी अस्वीकृति का लेखा नोटरी के पास करवा सकता है । विदेश व्यापार में विदेशी हंडी के लिये अस्वीकार का आलोकन कराना अनिवार्य है ।

जब कोई अस्वीकृत हुंडी नोटरी के समक्ष आलोकन के लिये प्रस्तुत की जाये तब नोटरी हुंडी स्वीकर्ता के समक्ष फिर से भेजता है और रकम भुगतान का आदेश देता है । यदि तब भी हुंडी स्वीकर्ता रकम नहीं चुकाता तब हुंडी अस्वीकार हुई है ऐसा मानकर नोटरी अपने रजिस्टर में हुंडी के अस्वीकार का आलोकन करता है, उसके बदले अमुक निश्चित फीस लेता है जिसे Noting Charges या आलोकन खर्च कहा जाता है । आलोकन खर्च आलोकन करानेवाला व्यक्ति नोटरी को चुकाता है । परंतु वह इस रकम को हुंडी स्वीकर्ता के पास से वसूल करता है । आलोकन शुल्क के चुकाने की अंतिम जिम्मेदारी हुंडी स्वीकर्ता की होती है । कारण कि यह खर्च पकने की तारीख पर रकम नहीं चुकाने पर किया गया है ।

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9. हुंडी स्वीकर्ता के दिवालियापन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
हुंडी स्वीकर्ता का दिवाला (Insolvency of the Acceptor of the Bill) : हुंड़ी पकने की तारीख से पहले यदि हुंडी स्वीकार करनेवाले
व्यक्ति को अदालत दिवालिया घोषित कर दे तब जिस तारीख से व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये उस तारीख से उसने स्वीकार की हुंड़ी अप्रतिष्ठित होती है ऐसा मानकर लेखक के द्वारा बही में जरूरी हिसाबी लेखा करता है । जब कोर्ट के द्वारा किसी व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये तब उसकी संपत्तियों और दायित्वों के वितरण और भुगतान के लिये अधिकारी की नियुक्ति की जाती है जिसे रिसीवर कहते हैं । रिसीवर दिवालिया हुए व्यक्ति की संपत्तियों का कब्जा अपने अधिकार में लेकर उन्हें बेचकर दिवालिया व्यक्ति के दायित्व का वैधानिक अधिकार के प्रमाण में भुगतान करता है । इस प्रकार संपत्तियों की उपज के आधार पर दायित्व का प्रमाणसर भुगतान किया जाता है । इस प्रकार के प्राप्त भुगतान को कानूनी भाषा में डिविडेंड कहते हैं । लेनदार को जो राशि प्राप्त नहीं होती वह राशि लेनदार की बही में डूबत ऋण खाते उधार होती है ।

10. हुंडी का नवीनीकरण (अवधि परिवर्तन) अर्थात् क्या ? उसमें किन बातों को ध्यान में लिया जाता है ?
उत्तर :
हुंड़ी का नवीनीकरण (अवधि परिवर्तन) (Renewal of Bill) :
हुंडी पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकार करनेवाला व्यक्ति राशि चुका देता है । परंतु यदि पकने की तारीख तक उसके पास रकम की व्यवस्था न हो पाये तब उसे हंडी अस्वीकृत करनी पड़ सकती है । जिससे बाजार में उसके शान और प्रतिष्ठा पर खराब प्रभाव पड़ता है और हुंडी की राशि न चुकाने पर कानूनी कारवाई का भय रहता है । इस परिस्थिति में हुंडी स्वीकार करनेवाला व्यक्ति हुंडी की पकने की तारीख से पहले हुंडी लेखक से मिलकर पुरानी हुंडी के बदले नयी हुंडी नयी अवधि के लिये लिखने की विनंती करता है और यदि हुंड़ी लेखक उसकी विनंती मान्य रखता है तब पुरानी हुंड़ी रद्द होकर नयी हुंडी अस्तित्व में आती है । इस प्रक्रिया को . हुंड़ी की अवधि परिवर्तन या हुंड़ी का नवीनीकरण कहते हैं । जब पुरानी हुंडी के स्थान पर नयी हुंडी अस्तित्व में आती है तब निम्न तीन बातों को ध्यान में रखा जाता है :

  1. पुरानी हुंडी अस्वीकार हुई है ऐसा मानकर उसे रद्द करना और आवश्यक प्रविष्टी हिसाबी पुस्तकों में करना ।
  2. हंडी की अवधि बढ़ाये जाने से, अतिरिक्त अवधि का ब्याज गिनना और उसका लेखा करना ।
  3. नयी हंडी के स्वीकार का लेखा करना ।

11. सुविधाजनक या सहायतार्थ हुंड़ी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
सुविधाजनक या सहायतार्थ हुंड़ी (Accommodation Bill) :
इस प्रकार की हुंडी का मुख्य आशय लेनदेन का भुगतान पूरा करना नहीं परंतु एकदूसरे की मदद करना है इसलिये उसे सुविधाजनक या सहायतार्थ हंडी कहा जाता है । माल की खरीद-बिक्री से उत्पन्न लेनदार-देनदार के संबंधों का अंत लाने के लिये इस हंडी का. उपयोग किया जाता है । व्यापारियों के बीच लेनदार-देनदार के संबंध न हो परंतु थोड़े समय के लिये रकम की आवश्यकता हो तब बाजार में शाख और प्रतिष्ठा रखनेवाले व्यापारी एकदूसरे को रकम की सुविधा-मदद करने के लिये हुंड़ी एक पक्ष लिखकर दूसरा पक्ष उसे स्वीकार करता है । इस हुंडी को बैंक या शराफ के पास भुनवाकर राशि प्राप्त कर ली जाती है । पकने की तारीख के । पहले हुंडी भुनानेवाला हुंड़ी स्वीकर्ता को रकम भेजता है और हुंडी स्वीकर्ता बैंक या शराफ को रकम चुका देता है । इस प्रकार, कुछ समय के लिये व्यापारी अपने रकम का संकट को दूर करता है ।

कितनी बार हंडी भुनवाकर दोनों पक्ष (भुनानेवाला और स्वीकार करनेवाला) रकम को बाँट लेते है । उसी प्रकार बट्टे का खर्च भी आपस में बाँट लेते है । इसमें दो पक्षकारों के बीच कोई लेनदार या देनदार का संबंध नहीं होता । यहाँ हुंडी किसी भी प्रकार के प्रतिफल के बगैर लिखी जाती है और स्वीकार की जाती है । सुविधाजनक हुंडी की पहचान बहुत कठिन हैं । इसमें लिखना, स्वीकार करना, अवधि, रकम चुकाने का आदेश आदि व्यापारी हुंड़ी जैसा ही होता है । यह हुंड़ी व्यापारी हुंड़ी है या सुविधाजनक उसकी जानकारी सामान्य रूप से केवल हुंडी के पक्षकारों को ही होती है ।

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प्रश्न 4.
सैद्धांतिक प्रश्न (सवाल):

1. हेतांश ने रु. 60,000 का माल दो मास के शाख पर हिरेन को तारीख 1.6.2016 के दिन बेचा । तारीख 2.6.2016 के दिन हेतांश ने हिरेन पर आवश्यक रकम की दो मास की हुंड़ी लिखी, जो हिरेन ने स्वीकार कर वापस की । पकने की तारीख पर हिरेन ने हुंड़ी की राशि चुका दी । दोनों पक्षकारों की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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2. सनी ने तारीख 16.6.2016 के दिन रु. 52,000 का माल विष्णुभाई को बेचा । जिसके सामने तारीख 20.6.2016 के दिन विष्णुभाई ने रु. 52,000 की तीन मास की हुंडी स्वीकार की । तारीख 2.7.2016 के दिन सनी ने यह हुंड़ी रु. 520 के बट्टे से बैंक में भुनवाई । पकने की तारीख पर विष्णुभाई ने हुंड़ी चुका दी । दोनों पक्षकारों की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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स्पष्टता : तारीख 23.9.2016 की हुंडी की पकने की तारीख का लेखा सनी के बही में नहीं किया जायेगा ।
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स्पष्टता : 02.07.16 के व्यवहार का रोजनामचा विष्णुभाई की बही में नहीं लिखा जायेगा ।

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3. पलक ने रु. 48,000 का माल अंश को तारीख 15.5.2016 के दिन उधार बेचा । उसी दिन 60 दिन के समय की हुंडी पलक ने अंश पर लिखी, जिसका अंश ने स्वीकार किया । तारीख 25.2.2016 के दिन पलक ने यह हंडी उसके लेनदार जिनल को बिक्री पृष्ठांकन करके दी । पकने की तारीख पर हुंडी की राशि चुका दी गई । पलक और अंश की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखो ।
उत्तर :
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स्पष्टता : पकने की तारीख 17.7.2016 के दिन पलक की बही में लेखा नहीं किया जायेगा ।
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स्पष्टता : तारीख 25/05/2016 के दिन पलक ने यह हुंडी जिनल को बिक्री पृष्ठांकन करके दी उसकी प्रविष्टी अंश की बही में नहीं होगी ।

4. साजिद ने रु. 28,000 की 2 मास के समय की हंडी तारीख 14.6.2016 के दिन आमिर पर लिखी । आमिर ने यह हंडी स्वीकार कर वापस किया । तारीख 06.08.16 के दिन साजिद ने यह हुंडी बैंक में वसूली के लिये भेज दिया । पकने की तारीख पर आमिर ने यह हुंड़ी चुका दिया । बैंक ने कमीशन पेटे रु. 120 साजिद खाते उधार किये है । दोनों पक्षकारों की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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स्पष्टता : तारीख 06.08.16 के दिन साजिद ने हुंड़ी की वसूली के लिये बैंक में भेज दिया जिसका लेखा आमिर की बही में नहीं किया जायेगा ।

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5. दशरथभाई ने रु. 1,00,000 का माल आकाश को उधार बेचा । जिसके लिये दशरथभाई ने रु. 1,00,000 की तीन मास के समय की हुंडी आकाश पर लिखी, जिसे आकाश ने स्वीकार कर तुरंत ही वापस किया । पकने की तारीख पर आकाश राशि नहीं चुका पाया और आलोकन खर्च पेटे रु. 910 दशरथभाई ने नकद चुकाया । दोनों पक्षकारों की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखो ।
उत्तर :
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6. तारीख 1.8.16 के दिन जयेशभाई ने रु. 60,000 का माल धवल को शान पर बेचा । तारीख 3.8.16 के दिन जयेशभाई ने धवल पर दो मास के समय की हुंड़ी लिखी, जो धवल ने स्वीकार कर वापस की । तारीख 6.8.16 के दिन जयेशभाई ने यह हुंडी बैंक में 10% की दर से भुनवायी । पकने की तारीख पर धवल रकम नहीं चुका पाया । बैंक ने अस्वीकृति खर्च के साथ की । कुल रकम रु. 60,500 जयेशभाई के खाते उधार किया । जयेशभाई और धवल की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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7. तारीख 2.9.2016 के दिन राज ने रु. 89,000 का माल नम्रता को उधार बेचा । तारीख 4.9.2016 के दिन राज ने 3 मास की समय की रु. 89,000 की हुंडी नम्रता पर लिखी, जो नम्रता ने स्वीकार कर वापस किया । राज ने यह हुंडी तारीन 6.9.2016 के दिन उसके लेनदार अर्जुन को बिक्री पृष्ठांकन करके दी । पकने की तारीख पर हंडी अस्वीकृत हई और अर्जुन ने आलोकन खर्च (अस्वीकृति खर्च) के रु. 440 चुकाया । सभी पक्षकारों की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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स्पष्टता : तारीख 06.09.2016 के दिन अर्जुन को बिक्री पृष्ठांकन करके दिया उसका लेखा नम्रता की बही में नहीं होगा ।
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8. तारीख 1.8.16 के दिन धर्मेश ने रु. 75,000 की एक मास की हुंडी अवध पर लिखी, जो अवध ने स्वीकार कर वापस किया । तारीख 28.8.16 के दिन धर्मेश ने यह हंडी बैंक द्वारा वसूली के लिये भिजवायी, । पकने की तारीख पर यह हंडी अरवीकृत हुई। बैंक ने अस्वीकृति खर्च के रु. 375 और बैंक कमीशन के रु. 225 सहित की राशि धर्मेश खाते उधार की है । तारीख 25.9.16 . के दिन अवध ने सभी भुगतान योग्य राशि धर्मेश को चेक से चुका दिया । धर्मेश और अवध की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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9. तारीख 16.6.2016 के दिन संजय ने रु. 78,000 का माल हरनिश को बेचा । तारीख 20.6.2016 के दिन संजय ने हरनिश पर आवश्यक रकम की चार मास की अवधि की हुंड़ी लिखी, जो हरनिश ने स्वीकार कर वापस की । तारीख 15.10.16 के दिन हरनिश ने संजय की पुरानी हंडी रद्द की तथा रु. 1,600 के ब्याज के साथ की नयी हंडी दो मास की अवधि की लिखने की विनंती की । संजय ने हरनिश की विनंती को मान्य रखा और आवश्यक राशि की नयी. हुंड़ी लिख कर दी, जिसका हरनिश ने स्वीकार किया । पकने की तारीख को हरनिश ने रकम चुका दिया । संजय और हरनिश की बही में आवश्यक रोजनामचा लिखिए ।
उत्तर :
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10. तारीख 1.11.2016 के दिन कमलेशभाई ने रु. 2,50,000 का माल विशाल को बेचा । तारीख 03/11/16 के दिन कमलभाई ने. रु. 2,50,000 की 4 मास की अवधि की हुंडी विशाल पर लिखी, जिसका विशाल ने उसी दिन स्वीकार किया । तारीख 26.2.17 के दिन विशाल ने रु. 50,000 का चेक देकर पुरानी हुंडी रद्द करना और रु. 3,000 के ब्याज के साथ की 30 दिन के समय की नयी हंडी लिखने की विनंती की । कमलेशभाई ने विशाल की विनंती का स्वीकार करके आवश्यक रकम की व्याज के साथ की नयी हुंडी लिखी, जिसका विशाल ने स्वीकार किया । पकने की तारीख से पहले तारीख 24.3.17 के दिन विशाल दिवालिया घोषित हुआ और उसके रिसीवर के पास से 40 पैसे के हिसाब से अंतिम डिविडेंड ता. 15.4.17 के दिन प्राप्त हुआ । कमलेशभाई और विशाल की बही में आवश्यक रोजनामचा दीजिए ।
उत्तर :
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11. निम्न व्यवहारों का लेखा अब्राहम की बही में लिखिए :
2016
जुलाई 1 करीना पर रु. 24,000 की हुंड़ी लिखी जो उसने स्वीकार कर वापस की । हुंडी का समय 45 दिन का है ।
3 अभिषेक ने लिखी 1 मास के समय की रु. 28,000 की हुंडी स्वीकार कर वापस की ।
5 रणबीर के पास से रु. 32,500 लेनी हुंडी के प्राप्त हुए है, जिसे दिपिका को रु. 33,000 के हिसाब पेटे चुकते हिसाब में बिक्री पृष्ठांकन करके दिया ।
7 प्रियंका को रु. 48,000 का माल बेचा और उस पर रु. 40,000 की दो मास की अवधि की हुंड़ी लिखी, जिसका उसने स्वीकार किया । उन्होंने शेष राशि चेक से तुरंत चुका दी ।
10 हमारी लिखी और इमरान के द्वारा स्वीकृत रु. 55,000 की हुंडी तारीख 16.3.16 के दिन पकने के कारण यह हुंडी आज बैंक द्वारा वसूली के लिये भिजवायी ।
12 करीना दिवालिया घोषित हुई और उसके रिसीवर ने 40 पैसा अंतिम डिविडेंड चुकाया ।
16 इमरान ने हुंडी अस्वीकृत की और बैंक ने आलोकन खर्च के रु. 350 और हुंडी वसूली के रु. 250 के चार्जिस के साथ की कुल । राशि हमारे खाते उधार की ।
18 इमरान ने कुल भुगतान योग्य राशि में से 50% रकम का चेक हमें दिया और शेष राशि के लिये 2 मास की अवधि की हुंडी स्वीकार की । नयी हुंडी की रकम में ब्याज के रु. 1,200 का समावेश किया गया है ।
उत्तर :
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12. निम्न व्यवहारों का लेखा किरीटभाई की बही में करो ।
2016
दिसंबर 2 रु. 49,000 का माल पावन को 2 मास के शाख पर बेचा । .
4 पावन ने रु. 9,000 रोकड़ चुकाया और शेष रकम की 2 मास की अवधि की वचनचिट्ठी भिजवायी ।
6 रु. 28,000 का माल पावन को 10% नकद बट्टा से बेचा ।
8 पावन ने तारीख 6 के दिन खरीदे माल में से 50% माल वापस किया ।
10 पावन को रु. 90,000 का माल 3 मास के शान पर बेचा ।
12 पावन ने रु. 45,000 की खुद की लेनी हुंडी हमें बिक्री पृष्ठांकन करके दी ।”
14 पावन ने तारीख 10 के दिन खरीदे माल में से रु. 12,000 का माल हमें वापस किया ।
18 पार्वन ने हिसाब पेटे रु. 16,000 चेक से चुका दिया ।
20 पावन का हिसाब चुकता करने के लिये आवश्यक रकम की हुंडी हमने पावन पर लिखी, जो पावन ने स्वीकार कर वापस की ।
उत्तर :
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