GSEB Solutions Class 11 Commercial Correspondence Chapter 7 दावों/शिकायतों और उनके निबटारों (समाधान) के पत्र

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence and Secretarial Practice Chapter 7 दावों/शिकायतों और उनके निबटारों (समाधान) के पत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Commercial Correspondence Chapter 7 दावों/शिकायतों और उनके निबटारों (समाधान) के पत्र

GSEB Class 11 Commercial Correspondence दावों/शिकायतों और उनके निबटारों (समाधान) के पत्र Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प पसन्द करके पुन: लिखिए ।

प्रश्न 1.
शिकायतों का निबटारा ………………………. से होता है ।
(a) कम समय
(b) लम्बा समय
(c) तीव्रता
(d) देरी
उत्तर :
(c) तीव्रता

प्रश्न 2.
शिकायत पत्रों का निबटारा ………………………… की तरफ में होना चाहिए ।
(a) क्रेता
(b) विक्रेता
(c) ग्राहक
(d) पड़ौसी
उत्तर :
(c) ग्राहक

प्रश्न 3.
ग्राहकलक्षी बाजार में शिकायत पत्र ……………….. परिणाम लाने में सहायभूत होते है ।
(a) हकारात्मक
(b) नकारात्मक
(c) उचित
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(a) हकारात्मक

प्रश्न 4.
शिकायत पत्र ……………….. भाषा में लिखा जाना चाहिए ।
(a) कठोर
(b) विवेकपूर्ण
(c) अविवेकपूर्ण
(d) टूटी-फूटी
उत्तर :
(b) विवेकपूर्ण

प्रश्न 5.
इनमें से किस प्रकार की नीति व्यापार जगत के लिए खतरारूपी सिद्ध हो सकती है ?
(a) ‘उचित शिकायत के बारे उचित निबटारा करना’
(b) ‘ग्राहक हमेशा सच है’
(c) ‘ग्राहक सावधान’
(d) ‘ग्राहक की समस्त शिकायतों में से अमुक को स्वीकारना’
उत्तर :
(c) ‘ग्राहक सावधान’

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प्रश्न 6.
शिकायत के पत्र में निबटारे के लिए ………………………… समय दर्शाना चाहिए ।
(a) कम
(b) लम्बा
(c) मध्यम
(d) निश्चित
उत्तर :
(d) निश्चित

प्रश्न 7.
दावा / शिकायत से सम्बन्धित पत्र कितने हिस्सों में बाँटा जा सकता है ?
(a) 3
(b) 2
(c) 5
(d) 4
उत्तर :
(a) 3

प्रश्न 8.
व्यापार की प्रवृत्ति मानव द्वारा ……………………………. के लिए होती है ।
(a) समाज
(b) पशु
(c) मानव
(d) सरकार
उत्तर :
(c) मानव

प्रश्न 9.
दावा / शिकायत के समाधान के पत्र वर्तमान के व्यापारी किस तरह से देखते है ?
(a) नकारात्मक
(b) सकारात्मक
(c) पेढ़ी की प्रशंसा
(d) भविष्य में ऑर्डर की सम्भावना
उत्तर :
(b) सकारात्मक

प्रश्न 10.
ग्राहक के साथ खराब वर्तन किया जाए अथवा उनका मान-सम्मान भंग होता हो तब ग्राहक को सर्व प्रथम कौन-सा कदम उठाना चाहिए ?
(a) पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए ।
(b) व्यापारी के साथ सम्बन्ध तोड़ देना चाहिए ।
(c) शिकायत-पत्र लिखना चाहिए ।
(d) मौन रहना चाहिए ।
उत्तर :
(c) शिकायत-पत्र लिखना चाहिए ।

प्रश्न 11.
शिकायत-पत्र की भाषा कैसी नहीं होनी चाहिए ?
(a) सरल
(b) गुस्सेवाली
(c) विवेकपूर्ण
(d) स्पष्ट
उत्तर :
(b) गुस्सेवाली

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प्रश्न 12.
व्यापारी कौन से सिद्धान्त के अनुसार दावा-शिकायत का समाधान करना नहीं चाहते ?
(a) ग्राहक सावधान
(b) ग्राहक हमेशा सत्य होता है
(c) योग्यता व उचितता जाँच करके समाधान
(d) एकाधिकारशाही
उत्तर :
(a) ग्राहक सावधान

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए ।

प्रश्न 1.
माल-सामान के क्रय-विक्रय में भूल की सम्भावना कौन से पक्षे/कारण हो सकती है ?
उत्तर :
विक्रेता पक्ष, क्रेता पक्ष और मालसामान के वहन की प्रक्रिया में लापरवाही के कारण हो सकती है ।

प्रश्न 2.
बाजार में ग्राहकलक्षी शिकायत पत्र कैसा परिणाम लाने में मददरूप होते है ?
उत्तर :
सकारात्मक परिणाम लाने में मददरूप होते है ।

प्रश्न 3.
मालसामान की गुणवत्ता ऑर्डर के अनुसार न हो तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
दावा/शिकायत पत्र लिखा जाना चाहिए ।

प्रश्न 4.
वर्तमान में कई व्यापारी ‘ग्राहक का संतोष यही हमारा लाभ’ के अलावा कौन से अन्य सूत्र द्वारा ग्राहकों का विश्वास जीतने का प्रयत्न करते हैं ?
उत्तर :
‘संतुष्ट हो तो सभी को कहिए, न हो तो हमे कहिए ।’

प्रश्न 5.
दावा-शिकायत के पत्रों में किसका संदर्भ दिया जाना चाहिए ?
उत्तर :
दावा-शिकायत के पत्रों में जिस बात की शिकायत की जाए उसके बारे में ऑर्डर पत्र का संदर्भ दिया जाना चाहिए ।

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प्रश्न 6.
प्रत्येक दावों-शिकायतों में क्या जाँच करने अवसर प्रदान करते है ?
उत्तर :
प्रत्येक दावों-शिकायतों, विक्रयकर्ता को उनके माल-सामान में स्थित खराबी तथा तंत्र की व्यवस्था में रही कमजोरी को दूर करने का अवसर प्रदान करते है ।

प्रश्न 7.
व्यापारी की सफलता किस पर निर्भर है ?
उत्तर :
व्यापार की सफलता ग्राहकों के संतोष पर है ।

प्रश्न 8.
दावा-शिकायत के पत्रों की महत्त्वपूर्ण लाक्षणिकता कौन-सी है ?
उत्तर :
दावा-शिकायत के पत्रों में स्पष्टता, सौजन्य और सामनेवाले पक्षकार को खराब न लगे ऐसा अभिगम इस प्रकार की पत्रों की महत्त्वपूर्ण लाक्षणिकता है ।

प्रश्न 9.
दावा-शिकायतों का महत्त्व किन संयोगों में सविशेष होता है ? ।
उत्तर :
ग्राहक बाजार का राजा हो ऐसे संयोगों में उनके दावा-शिकायत का महत्त्व सविशेष होता है ।

प्रश्न 10.
व्यापार जगत के लिए किस प्रकार की नीति जोखिमरूप सिद्ध हो सकती है ?
उत्तर :
ग्राहक सावधान की नीति अर्थात् मालसामान की बिक्री के बाद विक्रयकर्ता की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी इसके लिए ग्राहक को सम्पूर्ण जाँच कर माल खरीदना चाहिए । इसके पश्चात् किसी भी प्रकार के दावे/शिकायतें सुनी नहीं जायेगी । ऐसी नीति कई व्यापारियों ने अपनाई हैं, जो कि व्यापार जगत के लिए जोखिम स्वरूप हो सकती हैं ।

प्रश्न 11.
पूर्व के समय में दावों व शिकायतों को कैसा माना जाता था ?
उत्तर :
पूर्व के समय दावों व शिकायतों को तुच्छ, अनावश्यक एवं निकम्मी बातें माना जाता था ।

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प्रश्न 12.
शिकायत-पत्र लिखते समय मुख्य रूप से किन बातों को दर्शाना अथवा स्पष्टता करनी चाहिए ?
उत्तर :
शिकायत-पत्र लिखते समय मुद्रा, बिक्री, सेवा व प्रतिष्ठा, इन चारों में से किसको व किससे नुकसान सहन करना पड़ा है इसकी स्पष्टता कर लेनी चाहिए ।

प्रश्न 13.
यदि कोई ग्राहक शिकायत/दावा करता हो तो किस सिद्धान्त का पालन किया जाना चाहिए ?
उत्तर :
यदि कोई ग्राहक शिकायत/दावा करता हो तो ‘सत्य अथवा असत्य, तब ग्राहक हमेशा सच है’ ऐसा मानकर समाधानिक व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए ।

प्रश्न 14.
शिकायतों व दावों के पत्र की सम्भावना कब उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
माल-सामग्री के क्रय-विक्रय में त्रुटि होने की सम्भावना विक्रेता पक्ष की ओर से, क्रेता की ओर से माल-सामग्री वहन की प्रक्रिया में लापरवाही के कारण हो सकती है, जिससे शिकायतों व दावों के पत्र की सम्भावना उत्पन्न होती है ।

प्रश्न 15.
व्यापारी ग्राहकों के विश्वास का सम्पादन किस सूत्र द्वारा जीत सकते हैं ?
उत्तर :
‘आपको संतुष्टी हो तो सभी को कहिए, न हो तो हमे कहिए’ इस सूत्र द्वारा व्यापारी ग्राहकों के विश्वास का सम्पादन कर सकते हैं ।

प्रश्न 16.
शिकायत/दावा के पत्र की विशेष विशेषता क्या हैं ?
उत्तर :
स्पष्टता, सौजन्य और सामनेवाले पक्ष को बुरा न लगे ऐसा अभिगम पत्र की विशेष विशेषता है ।

प्रश्न 17.
दावों/शिकायतों को कैसी प्रस्तुतीवाले पत्र के प्रति सन्मान व ध्यान केन्द्रित किया जा सकता है ?
उत्तर :
शान्ति, आत्म-विश्वास एवं सबलता से पूर्ण प्रस्तुतीकरणवाले दावा/शिकायतों के प्रति सन्मान व ध्यान केन्द्रित किया जा सकता है।

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प्रश्न 18.
शिकायतों को ग्राहकों के पक्ष में निबटाने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर :
ग्राहकों के पक्ष में शिकायतों को निबटाने से ग्राहकों को संतोष मिलता है । वे व्यापारी के स्थायी ग्राहक बनते है तथा संस्था के विज्ञापन
के माध्यम के रुप में कार्य करते हैं ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
व्यापार में शिकायत या दावे की सम्भावना किन-किन स्थितियों में उपस्थित होती हैं ?
उत्तर :
व्यापार में शिकायता या स्थितियों में दावा/शिकायत के पत्र की आवश्यकता पड़ती है ।

  1. मूल्य में परिवर्तन आया हो तब ।
  2. ऑर्डर देने के बाद माल-सामग्री भेजने में देरी हुई हो तब ।
  3. निम्न गुणवत्तावाली माल-सामग्री भेजी गई हो तब ।
  4. जो वस्तु या माल भेजा गया हो उसका उल्लेख ऑर्डर में न हो तब ।
  5. माल-सामग्री की मात्रा या वजन में कमी आये तब ।
  6. माल-सामग्री में गम्भीर नुकसान हुआ हो तब ।
  7. ग्राहक के साथ अभद्र व्यवहार अथवा मान-सम्मान को ठेस पहँचे ऐसा व्यवहार किया हो तब ।

प्रश्न 2.
दावा या शिकायत के पत्रों का सुर किस प्रकार का होना चाहिए ?
उत्तर :
माल-सामग्री के क्रय-विक्रय में त्रुटि होने की सम्भावना विक्रेता की ओर से, क्रेता की ओर से और माल-सामग्री वहन की प्रक्रिया में लापरवाही के कारण हो सकती है । अतः शिकायतों व दावों के पत्र की सम्भावना उपस्थित होती है । संस्था में सम्पूर्ण ध्यान व योग्य संचालन किया गया हो फिर भी आयोजन के अनुसार अथवा समयानुसार सभी कार्य हो ही ऐसा आवश्यक नहीं है । कुछ वर्षों पूर्व दावों व शिकायतों के प्रति ध्यान नहीं दिया जाता था । उसे तुच्छ, अनावश्यक व निकम्मी बातें मानते थे, लेकिन वर्तमान समय में दावों व शिकायतों के प्रति विचार बदले हैं । अब उसे व्यापार का अनिवार्य अंग माना जाने लगा है । पर्याप्त ध्यान देने के साथ कुछ आधुनिक, उदारमतवादी व्यापारी दावों, शिकायतों व आलोचनाओं का स्वागत करते हैं । ग्राहकलक्षी बाज़ार में ये पत्र सकारात्मक परिणाम लाने में सहायभूत होते हैं तथा व्यवसाय के विकास में मददरुप बनता है ।

प्रश्न 3.
ग्राहक द्वारा दावा व शिकायत के प्रति विक्रेता का स्वाभाविक स्वभाव कैसा होना चाहिए ?
उत्तर :
विक्रेता को जब शिकायत पत्र मिलता है, चाहे वह सत्य हो या असत्य अथवा अविवेकपूर्ण भाषा में या अपमानजनक रूपी लिखा हुआ हो तो भी विक्रेता अपनी स्वस्थता नहीं खोता । शिकायत का प्रत्युत्तर शान्त दिमाग से स्वस्थतापूर्वक काम लेता है व लिखता है व विशेष सावधानी बरतता है । शिकायतकर्ता पर विपरीत असर न पड़े व भविष्य में भी वह अपना ग्राहक बना रहे । इसके उपरोक्त विक्रेता को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि शिकायतकर्ता से डरकर अधिक मुआवजा दे दिया है ऐसी छाप भी नहीं पड़नी चाहिए । विक्रेता को सदैव, ग्राहकों को सत्य मानकर उनकी शिकायत सही है ऐसा स्वीकारते हुए योग्य मुआवजा दिया जाना चाहिए ।

प्रश्न 4.
दावा-शिकायत समाधान के पत्र के मुख्य तीन भाग बताइये ।
उत्तर :
निम्न तीन भाग है :

  1. ग्राहक सत्य होगा ऐसा मानकर दाग/शिकायत को स्वीकारना ।
  2. शिकायत/घटना की हकीकत यदि उचित और न्यायी हो तो प्रतिफल/मुआवजा देना ।
  3. शिकायत को महत्त्व न देना ।

प्रश्न 5.
दावा या शिकायतों के सम्बन्ध वर्तमान परिस्थिति में किस प्रकार की रूझान (झकाव) है ?
उत्तर :
उत्पादनकर्ता अथवा विक्रेता को कोई शिकायत करे तो यह अच्छा नहीं लगता । कुछ वर्षों पूर्व दावा व शिकायतों के प्रति दुर्लक्ष का सेवन होता था । उसे तुच्छ, अनावश्यक एवं निकम्मी बातें गिनते थे ।

परन्तु वर्तमान समय में व्यापारी उचित शिकायतों का महत्त्व समझ गए है, अर्थात् अपने माल के विषय में, अपनी सेवा व प्रशासन के बारे में अवहेलना व सूचन को स्वीकारते है । विक्रेता शिकायतकर्ता ग्राहक को अपना मित्र व उपकारकर्ता मानकर उनका स्वागत करते है । शिकायत व सूचन व्यापार-धन्धे को विकसित करने में मददरूप बनते है । तथा शिकायतों को समाधान द्वारा सुखाकारी हल निकालने का सुनहरा अवसर मिलता है ।

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प्रश्न 6.
मालसामग्री के क्रय-विक्रय एवं वहन की प्रक्रिया में दावे या शिकायतों के सम्बन्ध में उपस्थित होनेवाली संभावनाओं में से किसी तीन संभावनाओं को बताइए ।
उत्तर :
निम्नलिखित प्रसंगों या स्थितियों दावा/शिकायत के पत्र की आवश्यकता पड़ती है :

  1. माल निम्न कोटि का भेजा गया हो तब ।
  2. माल-सामग्री का ऑर्डर देने के बाद माल भेजने में देरी हुई हो तब ।
  3. मूल्य में परिवर्तन हुआ हो तब ।

4. निम्नलिखित माहिती को ध्यान में रखकर पत्र लिखिए ।

प्रश्न 1.
गुजरात ट्रेडर्स द्वारा दिए गए चद्दर के ऑर्डर में 20 चद्दर कम निकलने पर इसके बारे में हरियाणा वुलन कम्पनी, चण्डीगड को शिकायत पत्र लिखिए ।
उत्तर:

गुजरात ट्रेडर्स
रेवडी बाजार,
अहमदाबाद-1

15 जून, 2016

फोन नं. 9595678
हरियाणा वुलन कम्पनी,
स्टेशन रोड,
चण्डीगड-1

श्रीमान,
हमने आपको टाईगर मार्का की 1000 नंग चद्दरों का ऑर्डर 20 मार्च, 2016 को दिया था । आपके द्वारा भेजी गई चद्दर के पार्सल में से 20 चद्दर कम निकली है, अर्थात् 980 नंग चद्दरे निकली है ।

आपकी ओर से भेजे गए पार्सल के वजन की कम्प्यूटर स्लीप की झेरोक्स कोपी इस पत्र के साथ भेज रहे है । आपकी उपरोक्त भूल होने से हम नुकसान नहीं सहन कर सकते । आप जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी द्वारा ऐसी भूल करेगी तो आपकी कम्पनी को बाजार में प्रतिष्ठा कम हो सकती है ।

आप इसके बारे में कौन-सा कदम उठाना चाहते हैं, कृपया हमें सूचित करें । आपके प्रत्युत्तर की आशा में ।

आपका विश्वसनीय
मनोज त्यागी
साझेदार

प्रश्न 2.
व्यापारी की तरफ़ से भेजे गए शक्कर के जत्थे में से 3 कि.ग्रा. कम निकलने पर शिकायत करता हुआ पत्र लिखिए ।
उत्तर :

अजय ट्रेडर्स
स्टेशन रोड,
अंकलेश्वर

दिनांक – 20 जून, 2016

फोन नं. 2277502
गजानन्द ट्रेडर्स,
कालुपुर,
अहमदाबाद-1

श्रीमान,
हमने आपको 50 बोरी शक्कर का ऑर्डर दिया था, इस ऑर्डर के अनुसार आपने माल भी भेज दिया है, लेकिन इनमें से एक बोरी में 97 Kg. शक्कर निकली है, अर्थात् 3 Kg. कम निकली है ।

हमने आपको जब ऑर्डर दिया तब स्पष्ट रूप से कहा था कि ऑर्डर के अनुसार माल समय पर व पूरा मिलना चाहिए । आपकी ख्याति प्राप्त संस्था इस तरह की गलती करेगी तो आपकी संस्था के लिए योग्य नहीं है ।

आपकी इस भूल के कारण आगामी भुगतान के दौरान 3 Kg. का कम भुगतान कर सके इस तरह का बीजक बनाकर भेजें । व भविष्य में ऐसी भूल न हो इस बात का भी ख्याल रखावें ।

आपका विश्वसनीय
Miedon T Vaishnan
मदनजी टी. वैष्णव
मालिक

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प्रश्न 3.
ट्रक हड़ताल के कारण आपके द्वारा भेजा गया मालसामान देरी से मिलने से उनकी तरफ से आया हुआ अधिक प्रतिफल के दावे को अस्वीकार करता हुआ पत्र बालाजी इन्डस्ट्रीज, तमिलनाडु की ओर से लिखिए ।
उत्तर :

बालाजी इन्डस्ट्रीज
जी.आई.डी.सी., सरदार चॉक
तमिलनाडु-25

27 मई, 2016

फोन नं. 6597271
विकास स्टोर्स,
नटराज मार्केट, राणीप,
अहमदाबाद-380007

श्रीमान,
आपका 10 मई, 2016 का पत्र हमें प्राप्त हुआ । सूती, सिन्थेटिक व सिल्क विविध प्रकार के कपड़ों के दिये गये बड़ी मात्रा में ऑर्डर हमें 20 अप्रैल, 2016 को मिला था । आपके बताये हुए अनुसार हमने 10 दिनों में आढत द्वारा 22 अप्रैल, 2016 को राजधानी ट्रान्सपोर्ट को ट्रक द्वारा भेजने के लिए दे दिया था ।

लेकिन ऑल इण्डिया ट्रान्सपोर्ट फेडरेशन की ओर से घोषित ट्रक ओपरेटरों की हड़ताल के कारण 10 दिन देरी से माल पहुँचा । यह स्थिति हमारे अंकुश के बाहर थी इसलिए आपके द्वारा मांगी गई विशेष छूट का दावा योग्य नहीं है । इस संदर्भ में हम आपका दावा स्वीकार करने में असमर्थ है एवं विशेष छूट हम आपको नहीं दे पाएँगे यह आपको विदित हो ।

हमें हमारी माल-सामग्री की उत्कृष्टता के लिए गर्व है एवं ग्राहक की ओर से मिलते सहकार का हमें आनन्द है । आपको हुई कठिनाई के लिए हम दुःखी है ।
आभार ।

आपका विश्वसनीय
Aravind
अरविन्द अग्रवाल
अधिक्षक विक्रय विभाग
बालाजी इन्डस्ट्रीज

प्रश्न 4.
बताये गये नमूने की अपेक्षाकृत हल्की गुणवत्तावाले खेलकूद के साधन भेजे गए है ऐसे न्यू ब्राइट हाईस्कूल, महेसाणा के दावे के समाधान के रूप में माल-सामान को बदलने का प्रस्ताव रखता पत्र लिखिए ।
उत्तर :

बनारस स्पोर्ट्स स्टोर्स
स्टेशन रोड, बनारस-1

5 जून, 2016

न्यु ब्राईट हाईस्कूल
स्टेशन रोड,
महेसाणा (उ. गु.)

श्रीमान,
आपके पत्र के लिए आभार । आपके द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार आपकी शिकायत है कि जो साधन भेजा गया है वो साधन नमूने की अपेक्षाकृत निम्न कक्षा/स्तर की है । इसके बदले में हम खेद व्यक्त करते हैं ।

हमने उपरोक्त समस्या के बारे में जाँच की है तब हमको यह जानकारी मिली है कि हमारे नये गुमास्ता/कर्मचारी को समस्त साधनों के बारे में जानकारी न होने से उपरोक्त भूल हुई है ।

यदि आपको उपरोक्त साधनों की आवश्यकता न हो तो वापस कीजिएगा व जरूरी खर्च हम अदा कर देंगे । हमने आपको नमूने के अनुसार साधनों का पार्सल सिल्वर गोल्डन ट्रान्सपोर्ट के माध्यम से आज भेज दिया है । जो कि आपको दो-तीन दिन में मिल जायेगा ।

हमारे कर्मचारी द्वारा जो भूल हुई व आपको जो तकलीफ पड़ी इसके बदले में हम क्षमा माँगते हैं ।
आभार ।

आपका विश्वसनीय,
DnSingh
(डी. एन. सिंह)
बनारस स्पोर्ट्स स्टोर्स

प्रश्न 5.
कामा केमिस्ट एण्ड ड्रगीस्ट की ओर से बड़ी मात्रा में भेजी गई दवाइयों में दो प्रकार की दवाइयों का उपयोग अवधि पूर्ण (Expiry date) होने में दो मास बाकी होने से उन दवाइयों को बदलने का सूचन करता पत्रलेखन कीजिए ।
उत्तर :

जैन मेडीकल एण्ड प्रोविजन स्टोर्स
विराट नगर
अहमदाबाद

2 जून, 2016

कामा केमिस्ट एण्ड ड्रगीस्ट,
स्टेशन रोड,
आणन्द-1

हमारे द्वारा दिए गए ऑर्डर का आपने शीघ्र अमल किया इसके बदले में आभार व्यक्त करता हूँ । आपके द्वारा भेजी गई दवाइयों में दो प्रकार की दवाइयों का उपयोग अवधि पूर्ण होने में दो मास ही बाकी है ऐसी दवाइयाँ आपने किसलिए भेजी है समझ में नहीं आता । अतः आप इसका स्पष्टीकरण करावें ।

इससे पूर्व भी कई बार व्यापारिक सौदे हुए थे कभी भी ऐसी समस्या नहीं आई थी । हम आपको यह सूचित करना चाहते हैं कि जिन दवाइयों की अवधि पूर्ण होने में दो महिने ही बाकी है, इस दवाइयों को आपसे बदलने की अपेक्षा रखते है । आपकी तरफ से शीघ्र प्रत्युत्तर की आशा रखते है ।

आपका विश्वसनीय,
Hotlin
एच. डी. जैन

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प्रश्न 6.
मालिक प्रख्यात जूतों-चम्पलों के उत्पादक के शो-रूम में ग्राहक के रूप में तुम्हारा मान भंग होने से मुम्बई की मुख्य ऑफिस के अधिकारी को सम्बोधित करते शिकायतपत्र का आलेखन कीजिए ।
उत्तर :

दिनेश परीख
रामेश्वर एस्टेट,
विराटनगर, अहमदाबाद-15.

10 मई, 2016

प्रबन्धक,
एक्सेस बूट हाउस नेरुल,
न्यू मुम्बई

श्रीमान,
मैं आपके व्यापारतंत्र की कमियों की ओर आपका ध्यान केन्द्रीत करना चाहता हूँ इसलिए मैं आपको पत्र लिखना नहीं चाहता था फिर भी व्यथित होते हुए लिख रहा हूँ ।

मैंने लगभग 15 दिन पूर्व आपकी दूकान से जूते-चप्पल खरीदने के लिए परिवार सहित आपके स्टोर्स की मुलाकात ली थी ।
मैं आपको विश्वासपूर्वक – हृदयपूर्वक याद दिलाना चाहता हूँ कि काउन्टर पर जो सेल्समेन था उसने हमारी आवश्यकता पर ध्यान देने के बदले में अन्य कर्मचारियों के साथ हँसी-मजाक ज्यादा कर रहा था । उस समय हमने कई जूते व चप्पल के मूल्य व गुणवत्ता व प्रकार के बारे में पूछताछ की तब योग्य उत्तर नहीं दिया था । उपरोक्त घटना घटित होने के बाद हमने उनको कहा कि मैं आपकी शिकायत आपके मालिक व अधिकारी से करूँगा ऐसा कहने पर उसने फिर से असभ्य व्यवहार किया व हमको हमारे परिवार का मान-सम्मान को ठेस पहुँचाई, जिससे हम किसी भी प्रकार की खरीदी किये बिना वापस हम चले गए थे ।

मैं इस सन्दर्भ में आपका ध्यान केन्द्रीत करना चाहूँगा कि यदि आपके कर्मचारी ग्राहक के साथ इस तरह वर्तन/व्यवहार करेंगे तो आपके ग्राहक कम हो जायेंगे तथा आपकी व्यापारिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचेगा । इसके बारे में जाँच करके योग्य कदम उठाना जरूरी है ।

आपका विश्वसनीय,
Dinesh Puth
दिनेश परीख

प्रश्न 7.
लापरवाही युक्त पैकिंग से 70 पुस्तकों की मात्रा में 6 पुस्तकें बुरी हालत में प्राप्त हुई । योग्य निबटारे के सूचन का शिकायत पत्र-लेखन कीजिए ।
उत्तर :

सुनिल बुक स्टॉल
वराछा रोड, सुरत-395002

10 मई, 2016

पेवार पुस्तक भण्डार,
चाँदनी चॉक,
नई दिल्ली-2

श्रीमान,
हमारे द्वारा दिये गए ऑर्डर के अनुसार व आपके द्वारा भेजा गया पुस्तकों का पार्सल मिला । पार्सल खोलने पर उसमें 70 . में से 6 पुस्तकें एकदम बुरी हालत में है । आपके जैसी प्रतिष्ठित पेढ़ी इस तरह से लापरवाही युक्त पैकिंग करे उपरोक्त बात मानने जैसी नहीं है फिर भी यह हकीकत है ।

उपरोक्त कारण से हम हमारे नियमित ग्राहकों को निश्चित समय पर पुस्तके नहीं दे सके । जिससे हमको काफी नुकसान सहन करना पड़ा है, क्योंकि बुरी-हालत की पुस्तकें लेने को कोई तैयार नहीं होता ।
इस तथ्य के सम्बन्ध में आप त्वरित योग्य कदम उठायेंगे ऐसी आशा है ।

आपका विश्वसनीय,
भरत पंचाल
भरत पंचाल
सुनिल बुक स्टॉल

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए ।

प्रश्न 1.
शिकायतों का सदैव स्वागत किस लिए किया जाना चाहिए ?
उत्तर :
शिकायतों का सदैव स्वागत इसलिए किया जाना चाहिए कि जिससे व्यापारी अपनी त्रुटियों को तथा प्रशासकीय कमजोरी में सुधार ला सकते हैं।

प्रश्न 2.
दावा/शिकायतों से सम्बन्धित पत्र को कितने व कौन-से हिस्सों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर :
दावा/शिकायतों से सम्बन्धित पत्र को तीन हिस्सों में बाँटा गया है :

  1. ग्राहक सच्चे है ऐसा मानकर दावा/शिकायत को स्वीकारना ।
  2. घटना व हकीकत सम्बन्धी विवरण करना ।
  3. निबटारे की स्वीकार्य विधि दर्शाना ।

प्रश्न 3.
दावा/शिकायतों के निबटारे (हल) के लिए कौन-से लाक्षणिक सिद्धान्त होते हैं ?
उत्तर :
दावा/शिकायतों के निबटारे के लिए निम्न लाक्षणिक सिद्धान्त होते हैं :

  1. ‘ग्राहक हमेशा सच है’ ऐसा मानना चाहिए ।
  2. योग्य शिकायतों का उचित निबटारा करना चाहिए ।
  3. ‘ग्राहक सावधान’ की नीति अनुसार सम्पूर्ण जाँच करके माल-सामग्री खरीदना चाहिए । इसके बाद किसी भी प्रकार के दावों/
    शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जायेगा । इस तरह की नीति व्यापार जगत के लिए खतरारूप सिद्ध हो सकती है ।

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प्रश्न 4.
‘अच्छे विक्रेता वो होते हैं जो ग्राहकों को सन्तुष्टि प्रदान करते है’ उपरोक्त कथन समझाइए ।
उत्तर :
उपरोक्त कथन सत्य है क्योंकि संतोष प्राप्त ग्राहक ही विक्रेता की वस्तुओं का प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से विज्ञापन करते है व ग्राहक अपने मित्रों, सगे-सम्बन्धियों व जान-पहचानवालों को अमुक निश्चित स्थान से ही वस्तु क्रय करने की सलाह देते हैं जिससे विक्रेता व्यापारी का व्यापार बढ़ता है । इस तरह कहा जा सकता है कि अच्छे विक्रेता वो होते हैं जो ग्राहकों को सन्तुष्टि प्रदान करते हैं ।

प्रश्न 5.
‘शिकायतों का निबटारा शीघ्र किया जाना चाहिए’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
यह विधान सही है । जब कोई ग्राहक विक्रेता व्यापारी को शिकायत पत्र लिखता है तब उनको जो कठिनाई आई है व नुकसान हुआ है उनका ख्याल बताता है । इसलिए ग्राहक अतिशीघ्र शिकायत का निबटारा शीघ्र न करे तो ग्राहक असमंजस में पड़ जाता है व ग्राहक व्यापारी के इरादे पर शंका व्यक्त करता है । इसके अलावा ग्राहक अपने कड़वे अनुभव की बात अन्य ग्राहकों को बताता है जिससे व्यापारी की प्रतिष्ठा को धक्का पहुँचता है । ऐसा न बने व व्यापारी की प्रतिष्ठा बनी रहे इसलिए व्यापारी को ग्राहकों की शिकायतों का निबटारा शीघ्र किया जाना चाहिए ।

प्रश्न 6.
‘ग्राहकों के पक्ष में शिकायत-पत्रों का निबटारा होना चाहिए’ कथन समझाइए ।
उत्तर :
यह कथन सही है । व्यापारी को सदैव ग्राहक सच होते है ऐसा मानकर ही ग्राहक की शिकायतों को ध्यान में लिया जाना चाहिए । व्यापारी हमेशा यह ध्यान रखने की कोशिश करता है कि किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो, फिर भी भूल हो सकती है, ‘मानव मात्र भूल का पात्र’ कथन प्रचलित है । भूल हो जाने की स्थिति में व्यापारी द्वारा शिकायत का निबटारा की मनोवृत्ति रखनी चाहिए । सामान्यत: यदि माल देरी से भेजा गया हो अथवा देरी से मिला हो तो मुद्रा के भुगतान में समय में छूट दी जानी चाहिए । माल योग्य स्थिति में न मिला हो, माल नमूने के अनुसार न हो, तो वह बदल देना चाहिए । सारांश में हम यह कह सकते हैं कि भूल चाहे किसी भी पक्षकार की क्यों न
हो, फिर भी ग्राहक के पक्ष में ही विचारणा की जानी चाहिए जो कि व्यवसायी के हित में माना जाता है ।

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए ।

प्रश्न 1.
दावा/शिकायत के पत्र लिखते समय ध्यान में रखने योग्य सावधानियाँ बताइए ।
उत्तर :
दावा/शिकायत के पत्र लिखते समय ध्यान में रखने योग्य सावधानियाँ निम्नलिखित हैं :

  1. विक्रेता का स्वाभिमान और उसकी न्यायप्रियता को उद्देशित करके विनयपूर्वक दृढतापूर्वक ध्यान का निर्देश करना चाहिए ।
  2. संभवत: नुकसान का प्रतिशत या समाधान का निश्चित समयावधि दर्शाना चाहिए ।
  3. शिकायत-पत्र में विवेकबुद्धि या प्रमाणिकता का अभाव नहीं होना चाहिए ।
  4. दावों/शिकायत के सम्बन्ध में गम्भीर दोषारोपण करने के बदले में परिस्थिति में सुधार लाया जा सक ऐसा समाधान या क्षतिपूर्ति सम्भव है बताना चाहिए ।
  5. नुकसान किस कारण से सहन करना पड़ा है ? (मुद्रा से, बिक्री का, सेवा व प्रतिष्ठा का) वह स्पष्ट करना चाहिए ।
  6. ग्राहक को जिस बात से सन्तुष्टि न हो उस सम्बन्धी समग्र तथ्य एवं आंकड़े प्रस्तुत करने चाहिए । तदुपरान्त पुष्टि के लिए ऑर्डर की तारीख, पत्र क्रमांक, माल-सामग्री का प्रकार, गुणवत्ता, मात्रा आदि बातों का उल्लेख किया जाना चाहिए ।
  7. शिकायत सम्बन्धी दावा स्पष्ट होना चाहिए । भेजने योग्य माल में लापरवाहीपूर्ण पैकिंग के कारण या मालवहन दौरान सावधानी के अभाव के कारण असुविधा हुई है या गलत हुआ है उसका वर्णन करना चाहिए ।

प्रश्न 2.
दावा/शिकायतों के निबटारे के पत्रों के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य सावधानियाँ बताइए ।
उत्तर :
दावा/शिकायतों के निबटारे के पत्रों के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य सावधानियाँ निम्नलिखित है :

  1. दावा/शिकायत के निबटारे से सम्बन्धित पत्र शीघ्र लिखना चाहिए । इसमें देरी ग्राहकों में अधिक असन्तोष या क्रोध उत्पन्न कर सकता है ।
  2. व्यापारी द्वारा ग्राहक के नाम से व्यक्तिगत सम्बोधन से प्रत्युत्तर भेजा जाय तब व्यक्तिगत मान-सम्मान बना रहे इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।
  3. ग्राहक को जो असुविधा अथवा कठिनाई हुई है उसके बदले क्षमायाचना करनी चाहिए ।
  4. योग्य दावा/शिकायतों का मान-सम्मानपूर्वक योग्य निबटारा किया जाना चाहिए ।
  5. दावा/शिकायतों के लिए केवल क्षमायाचना ही पर्याप्त नहीं होती है । इसके उपरान्त माल-सामग्री वापस लेना, जाँच-पड़ताल हेतु कर्मचारी भेजना, ज्यादा बट्टा (Discount) चुकाना या बदले के स्वरूप में अनुकूलता करना जैसी बात स्वीकार कर लेनी चाहिए ।
  6. निबटारों में विक्रेता पक्ष द्वारा पत्र में उदारता दर्शायी है ऐसा फलित होना चाहिए ।
  7. स्थायी व बड़े ग्राहकों को छोटी-सी रकम के लिए खोने की जोखिम कभी भी नहीं उठानी चाहिए । बुद्धिपूर्वक कौशल्यता द्वारा मार्ग निकालना चाहिए । आवश्यकता पड़ने पर माफी भी मांग लेनी चाहिए ।
  8. विक्रेता द्वारा शिकायतों का निवारण करके, असुविधा के लिए क्षमा मांगकर भविष्य में ऐसी बातों का पुनरावर्तन नहीं होगा ऐसा विश्वास दिलाना चाहिए ।
  9. समाधान का हल नहीं हो सकता ऐसी परिस्थिति में किस कारण से यह सम्भव नहीं है, यह ग्राहक को व्यवस्थित रूप से समझाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।

GSEB Solutions Class 11 Commercial Correspondence Chapter 7 दावों/शिकायतों और उनके निबटारों (समाधान) के पत्र

प्रश्न 3.
‘ग्राहक हमेशा सच है’ – ऐसा मानना चाहिए । उपरोक्त कथन विस्तार से समझाइए ।
उत्तर :
‘ग्राहक हमेशा सच है’ – ऐसा माना जाना चाहिए । पर्याप्त कारण बिना कोई भी ग्राहक कभी दावा/शिकायतें नहीं करेगा । इसलिए ग्राहक के दावे को योग्य मानकर समानाधिक व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए । दावा अथवा शिकायत के बारे में सकारात्मक रूप से पेश आना चाहिए । व्यवस्थातंत्र और संचालन के रूप में कितनी भी सावधानी क्यों न बरती गई हो फिर भी भूल हो सकती है । यदि भूल हो गई हो तो ग्राहक के दावा/शिकायत का निबटारा किया जाना चाहिए । कठोर नहीं बल्कि नरम रूप से पेश आते हुए योग्य निबटारा किया जाना चाहिए ।

यदि किसी ग्राहक द्वारा गलत शिकायत/दावा किया हो तो भी ग्राहक को योग्य तरीके से संतोष प्रदान करना चाहिए । यदि ग्राहक द्वारा थोड़ी-सी वस्तु या रकम के लिए गलत शिकायत कर भी दी गई हो तो, थोड़ी वस्तु या रकम अदा करने से ग्राहक सन्तुष्ट होता हो तो समाधान कर लेना चाहिए । जिससे उपरोक्त ग्राहक स्थायी बना रहेगा व विक्रेता व ग्राहक के मध्य व्यापारिक सम्बन्ध बने रहेंगे, जो कि व्यवसाय के हित में ही होता है ।

इस प्रकार शिकायत का प्रत्युत्तर देते समय ‘ग्राहक हमेशा सच है’ ऐसा मानकर निबटारा किया जाना चाहिए । इस प्रकार की नीति दोनों पक्षों के लिए लाभदायी होती है ।

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