GSEB Solutions Class 11 Economics Chapter 10 अंदाजपत्र

GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 10 अंदाजपत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 10 अंदाजपत्र

GSEB Class 11 Economics अंदाजपत्र Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :

1. भारत में संविधान में कितने स्तर की सरकार का उल्लेख है ?
(A) एक स्तरीय
(B) द्विस्तरीय
(C) त्रिस्तरीय
(D) शून्य स्तरीय
उत्तर :
(C) त्रिस्तरीय

2. शिक्षण यह किसकी जवाबदारी है ?
(A) केन्द्र सरकार की
(B) राज्य सरकार की
(C) स्थानिक स्वराज्य की संस्थाओं की
(D) संयुक्त जवाबदारी
उत्तर :
(B) राज्य सरकार की

3. मुद्रास्फीति के समय सरकार अपना खर्च कैसा रखती है ?
(A) स्थिर रखती है ।
(B) घटाती है ।
(C) बढ़ाती है ।
(D) शून्य कर देती है ।
उत्तर :
(B) घटाती है ।

4. संतुलित अंदाजपत्र की सिफारिश किसने की ?
(A) एडम स्मिथ
(B) मार्शल
(C) केईन्स
(D) हिक्स
उत्तर :
(A) एडम स्मिथ

5. किसकी सिफारिश के आधार पर राज्यों को केन्द्र की कर आय का हिस्सा मिलता है ?
(A) आयोजन पंच
(B) मुद्रा आयोग
(C) नीति आयोग
(D) केन्द्र सरकार
उत्तर :
(C) नीति आयोग

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6. सरकार के लिए अंदाजपत्र का कौन-सा घाटा सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है ?
(A) महसूली घाटा
(B) अंदाजपत्रीय घाटा
(C) राजकोषीय घाटा
(D) प्राथमिक घाटा
उत्तर :
(B) अंदाजपत्रीय घाटा

7. पंचायत अर्थात् …………………………
(A) पाँच व्यक्तियों की सभा
(B) पचास व्यक्तियों की सभा
(C) पाँचसौ व्यक्तियों की सभा
(D) पाँच गाँव की सभा असंतुलित
उत्तर :
(A) पाँच व्यक्तियों की सभा

8. अंदाजपत्र की सिफारिश किसने की ?
(A) एडम स्मिथ
(B) मार्शल
(C) केईन्स
(D) हिक्स
उत्तर :
(C) केईन्स

9. लोकसभा में अंदाजपत्र कौन प्रस्तुत करता है ?
(A) प्रधानमंत्री
(B) राष्ट्रपति
(C) वित्त मंत्री
(D) संरक्षण मंत्री
उत्तर :
(C) वित्त मंत्री

10. अंदाजपत्र किस महीने की अंतिम तारीख को प्रस्तुत किया जाता है ?
(A) जनवरी
(B) फरवरी
(C) मार्च
(D) अप्रैल
उत्तर :
(B) फरवरी

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11. संरक्षण के पीछे खर्च करने की जवाबदारी किसकी है ?
(A) राज्य सरकार
(B) केन्द्र सरकार
(C) स्थानीय सरकार
(D) पंचायत
उत्तर :
(B) केन्द्र सरकार

12. अंदाजपत्र के मुख्य कितने प्रकार है ?
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार
उत्तर :
(B) दो

13. अंदाजपत्र का अमल कब से होता है ?
(A) 1 अप्रैल से
(B) 1 फरवरी से
(C) 1 मार्च से
(D) 1 जनवरी से
उत्तर :
(A) 1 अप्रैल से

14. अंदाजपत्र के घाटे के कितने प्रकार हैं ?
(A) एक
(B) चार
(C) तीन
(D) दो
उत्तर :
(B) चार

15. नीति आयोग का अध्यक्ष कौन होता है ?
(A) राष्ट्रपति
(B) वित्तमंत्री
(C) ग्रहमंत्री
(D) प्रधानमंत्री
उत्तर :
(D) प्रधानमंत्री

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16. कौन-सा अंदाजपत्र एक आदर्श अंदाजपत्र है ?
(A) घाटे का अंदाजपत्र
(B) लाभ का अंदाजपत्र
(C) संतुलित अंदाजपत्र
(D) असंतुलित अंदाजपत्र
उत्तर :
(C) संतुलित अंदाजपत्र

17. मध्यस्थ बैंक में से प्राप्त ऋण कौन-सी आय है ?
(A) पूँजी आय
(B) महसूली आय
(C) घाटे की आय
(D) लाभ की आय
उत्तर :
(A) पूँजी आय

18. कुल खर्च और कुल आय के बीच का अंतर कौन-सा घाटा कहलाता है ?
(A) महसूली घाटा
(B) अंदाजपत्रीय घाटा
(C) राजकोषीय घाटा
(D) प्राथमिक घाटा
उत्तर :
(B) अंदाजपत्रीय घाटा

19. महसूली आय और खर्च के अंतर को कौन-सा घाटा कहते हैं ?
(A) अंदाजपत्रीय घाटा
(B) प्राथमिक घाटा
(C) राजकोषीय घाटा
(D) महसूली घाटा
उत्तर :
(D) महसूली घाटा

20. ………………… = राजकोषीय घाटा – ब्याज का भुगतान
(A) प्राथमिक घाटा
(B) अंदाजपत्री घाटा
(C) राजकोषीय घाटा
(D) महसूली घाटा
उत्तर :
(A) प्राथमिक घाटा

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21. निम्नलिखित में से किस कर का समावेश GST में होता है ?
(A) आयकर
(B) भेंट कर
(C) संपत्ति कर
(D) सेवाकर
उत्तर :
(D) सेवाकर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।

1. अंदाजपत्र अर्थात् क्या ? ।
उत्तर :
सरकार द्वारा आनेवाले वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तुत किये जानेवाले खर्च और आय के अंदाज को अंदाजपत्र कहते हैं ।

2. अंदाजपत्र के कितने पहलू होते हैं ? कौन-कौन से ?
उत्तर :
अंदाजपत्र के दो पहलू होते हैं :

  1. आयवाला पहलू
  2. खर्चवाला पहलू

3. केन्द्र और राज्य की संयुक्त जवाबदारी के कार्यों की सूचि दीजिए ।
उत्तर :
केन्द्र और राज्य की संयुक्त जवाबदारी देश और राज्य की विकासलक्षी होती है ।

4. सामान्य रूप से संसद में अंदाजपत्र कौन प्रस्तुत करता है ?
उत्तर :
सामान्य रूप से. संसद में अंदाजपत्र वित्तमंत्री प्रस्तुत करता है ।

5. सामान्य रूप से अंदाजपत्र का अमल का समयांतराल कौन-सा होता है ?
उत्तर :
सामान्य रूप से अंदाजपत्र का अमल का समयांतराल 1 April से 31 March तक होता है ।

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6. महसूली आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो आय विभिन्न करों, जकात के द्वारा आय प्राप्त करते हैं उसे महसूली आय कहते हैं ।

7. विकासलक्षी खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विकासलक्षी खर्च अर्थात् ऐसा खर्च जिसके द्वारा आर्थिक विकास को प्रत्यक्ष और सीधी गति मिलती हो । जैसे : सिंचाई की सुविधा ।

8. घाटेवाला अंदाजपत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब अंदाजित आय की अपेक्षा अंदाजित खर्च अधिक हो तो उसे घाटेवाला अंदाजपत्र कहते हैं ।

9. बिन विकासलक्षी खर्च में किन खर्चों का समावेश होता है ?
उत्तर :
बिन विकासलक्षी खर्च का सीधे विकासलक्षी बातों के लिए नहीं होता है परंतु परोक्ष रूप से दीर्घकालीन विकास को असर करता ।

10. केन्द्र सरकार का खर्च का वर्गीकरण किस रूप में होता है ?
उत्तर :
केन्द्र सरकार का खर्च का वर्गीकरण आयोजित और बिन-आयोजित खर्च के रूप में किया जाता है ।

11. समवाय व्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भारत के संविधान में केन्द्र और राज्य के बीच उनके द्वारा किये गये कार्य तथा प्राप्त करने के आय के साधनों का वितरण किया जाता है जिसे समवाय व्यवस्था कहते हैं ।

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12. भारत की सत्ता का वितरण किस प्रकार किया गया है ?
उत्तर :
भारत की सत्ता का वितरण त्रिस्तरीय होता है :

  1. केन्द्र सरकार
  2. राज्य सरकार तथा
  3. स्थानीय स्वराज्य की संस्थाएँ ।

13. अंदाजपत्र के प्रकार कितने हैं ? कौन-कौन से ?
उत्तर :
अंदाजपत्र के दो प्रकार हैं :

  1. संतुलित अंदाजपत्र
  2. असंतुलित अंदाजपत्र

14. केन्द्र सरकार किन कार्यों के लिए खर्च करती है ?
उत्तर :
केन्द्र सरकार अत्यंत महत्त्वपूर्ण और व्यापक असर करनेवाले कार्य जैसे : संरक्षण, रेलवे, जनगणना के पीछे खर्च करती है ।

15. राज्य सरकार किन कार्यों के लिए खर्च करती है ?
उत्तर :
राज्य सरकार जनता को सीधे असर करनेवाले कार्य जैसे : शिक्षण, कानून व्यवस्था के लिए खर्च करता है ।

16. किस अर्थशास्त्री ने संतुलित अंदाजपत्र की सिफारिश की ?
उत्तर :
एडम स्मिथ नामक अर्थशास्त्री ने संतुलित अंदाजपत्र की सिफारिश की ।

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17. जे. एम. केइन्स ने किस अंदाजपत्र की सिफारिश की थी ?
उत्तर :
जे. एम. केइन्स ने असंतुलित अंदाजपत्र की सिफारिश की थी ।

18. असंतुलित अंदाजपत्र के प्रकार कितने और कौन-कौन से है ?
उत्तर :
असंतुलित अंदाजपत्र के दो प्रकार हैं :

  1. घाटेवाला अंदाजपत्र
  2. लाभवाला अंदाजपत्र

19. अंदाजपत्र संसद में कब प्रस्तुत किया जाता है ?
उत्तर :
देश का अंदाजपत्र संसद में फरवरी महीने की अंतिम तारीख को प्रस्तुत किया जाता है ।

20. आर्थिक विकास की सिद्धि के लिए कौन-सा बजट अनिवार्य है ?
उत्तर :
आर्थिक विकास की सिद्धि के लिए घाटेवाला बजट अनिवार्य है ।

21. आर्थिक विकास में क्या बढ़ता है ?
उत्तर :
आर्थिक विकास में राष्ट्रीय आय और रोजगार बढ़ता है ।।

22. किस खर्च में महसूली खर्च और पूँजी खर्च दोनों का समावेश होता है ?
उत्तर :
संरक्षण खर्च में महसूली खर्च और पँजी खर्च दोनों का समावेश होता है ।

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23. आर्थिक समानता के लिए सरकार कौन-सा कर लगाती है ?
उत्तर :
आर्थिक समानता के लिए सरकार प्रगतिशील कर लगाती है ।

24. नीति आयोग का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर :
नीति आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है ।

25. पंचायत अर्थात् क्या ?
उत्तर :
पंचायत अर्थात् पाँच व्यक्तियों की सभा ।

26. भारत में वस्तु सेवाकर (GST) का अमल कब से किया गया है ?
उत्तर :
भारत में वस्तु सेवा कर (GST) का अमल 1 जुलाई, 2017 से किया गया है ।

27. GST काउन्सिल का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर :
GST काउन्सिल का अध्यक्ष वित्तमंत्री होता है ।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए :

1. अंदाजपत्र द्वारा संपत्ति का पुन: वितरण किस प्रकार से कर सकते हैं ? समझाइए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकारें अपना-अपना अंदाजपत्र तैयार करती है । जिससे केन्द्र से पंचायत तक पैसा पहुँचता है तथा उपयोग और खर्च होता है । इस प्रकार अंदाजपत्र द्वारा संपत्ति का पुनः वितरपा किया जाता है ।

2. अंदाजपत्र के प्रकारों को संक्षिप्त में समझाइए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं :
(1) संतुलित अंदाजपत्र

(2) असंतुलित अंदाजपत्र :
(i) घाटेवाले अंदाजपत्र
(ii) लाभवाला अंदाजपत्र

(1) संतुलित अंदाजपत्र : कुल आय और कुल खर्च समान हो तो उसे संतुलित अंदाजपत्र कहते हैं । ऐसा अंदाजपत्र व्यवहारिक नहीं है ।

(2) असंतुलित अंदाजपत्र : जब अंदाजित आय और अंदाजित खर्च समान न हो तब असंतुलित अंदाजपत्र का जन्म होता है । यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है ।
(i) घाटेवाला अंदाजपत्र : सरकार का अंदाजित खर्च जब सरकार की अंदाजित आय से अधिक हो तो उसे घाटेवाला अंदाजपत्र कहते हैं ।
(ii) लाभवाला अंदाजपत्र : अंदाजित खर्च की अपेक्षा आय अधिक हो तो उसे लाभवाला अंदाजपत्र कहते हैं ।

3. लाभवाले अंदाजपत्र के लाभ बताइए ।
उत्तर :
लाभवाले अंदाजपत्र के लाभ निम्नानुसार है :

  1. लाभवाले अंदाजपत्र में सरकार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रख सकते हैं ।
  2. लाभवाले अंदाजपत्र में खर्च के लिए कर्ज नहीं करना पड़ता है ।
  3. प्रजा पर भविष्य में टेक्स का बोझ नहीं बढ़ता है ।

4. संतुलित बजट पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए :
उत्तर :
जब सरकार को प्राप्त आय सरकार द्वारा किए जानेवाले कुल खर्च के बराबर हो, अथवा जिस अंदाजपत्र में तमाम सरकारी खर्च उस वर्ष की प्राप्त महसूली आय से पूरा (बराबर) किया जाता हो, तो उस बजट को संतुलित बजट कहा जाता है ।

संतुलित बजट एक आदर्श बजट होता है । संतुलित बजट का अर्थतंत्र में हुए कुल खर्च पर कोई असर नहीं पड़ता है । इसलिए आर्थिक प्रवृत्ति पर भी उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता । प्रति वर्ष आय-खर्च को बराबर रखनेवाला बजट आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने की बजाए तटस्थ रहता है । इस प्रकार यदि सरकार खर्च न भी करती हो और कर न भी वसूल करती हो, तो उस स्थिति में समाज का कुल खर्च जितना हो सकता है उतना ही खर्च चालू रहता है । क्योंकि संतुलित बजट उसे प्रभावित नहीं करता ।

5. ‘आर्थिक विकास प्राप्ति हेतु घाटे का अंदाजपत्र एक अनिवार्यता है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
घाटे के अंदाजपत्र को सरकार अर्थतंत्र के विस्तरण हेतु और आर्थिक स्थिति को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए, बढ़ती दर से आर्थिक विकास की दर प्राप्त करने के लिए करों को कम करने हेतु सार्वजनिक ऋण बढ़ाने और ऋण देने के आशय से इस्तेमात्न करती है । इस प्रकार के बजट से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है और राष्ट्रीय आय बढ़ती है, जिससे आर्थिक विकास में अनुकूलता रहती है । विकासशील देशों में घाटे का बजट आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य है । क्योंकि इसमें सरकार कर की दरों को घटासी है और सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करती है । लोग बैंकों के पास से ऋण लेते है, जिससे राष्ट्रीय आय बढ़ती है ।

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6. ‘लाभ का बजट आर्थिक विकास के सामने अवरोधक है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
लाभ के बजट में चालू खर्च की तुलना में चालू आय अधिक होती है । जिसकी वजह से आर्थिक प्रवृत्ति का स्तर नीचे ले जाने के लिए कर-दरों को बढ़ाने के साथ साथ सार्वजनिक खर्च और ऋण में कमी की जाती है । इस प्रकार लाभ के बजट द्वारा आर्थिक प्रवृत्ति के स्तर को नीचे ले जाया जाता है । जिसके परिणामस्वरूप राजकोषीय आय घटती है और बेरोजगारी बढ़ती है । बेरोजगारी बढ़ने से उसका प्रभाव देश के आर्थिक विकास पर होता है । इसलिए लाभ का बजट आर्थिक विकास के लिए एक अवरोधक है ।

7. ‘अंदाजपत्र को अर्थतंत्र का दर्पण कहा जाता है ।’ विधान की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
बजट को अर्थतंत्र का दर्पण इसलिए कहा जाता है, यह दर्पण की भाँति ही वास्तविक प्रतिबिम्ब (यथार्थ स्थिति) को प्रस्तुत करता है । किसी भी तरह का पक्षपात नहीं करता, जिस प्रकार दर्पण के सामने आते ही वह आपके वास्तविक प्रतिबिम्ब को दिखा देता है । बजट में गत वर्ष और आगामी वर्ष में होनेवाले परिवर्तनों का चित्र प्रस्तुत किया जाता है । सरकार की नीतियों की पारदर्शकता बजट में साफ दिखाई देती है । लाभ का बजट एक मजबूत अर्थव्यवस्था को और घाटे का बजट कमजोर अर्थव्यवस्था को प्रस्तुत करता है । इसलिए बजट को अर्थतंत्र का दर्पण कहा जाता है ।

8. ‘संतुलित बजट एक आदर्श है, वास्तविकता नहीं ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
संतुलित बजट का अर्थतंत्र में हुए कुल खर्च पर कोई असर नहीं पड़ता । इसलिए आर्थिक प्रवृत्ति पर भी उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता । प्रतिवर्ष आय खर्च को बराबर रखनेवाला बजट आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने की बजाय तटस्थ रहता है । यदि सरकार विकास के लिए आर्थिक असमानता घटाने के लिए खर्च न करती हो और कर भी न वसूल करती हो, तो ऐसी परिस्थिति में समाज का कुल खर्च स्थिर रहता है । इससे सरकार का कार्यक्षेत्र सीमित बनता है और सरकार की जिम्मेदारियाँ कम हो, इस प्रकार का अर्थतंत्र में संतुलन एक आदर्श हो सकता है, वास्तविकता नहीं । इस प्रकार संतुलित बजट एक आदर्श स्थिति को प्रस्तुत करता है, वास्तविकता को नहीं ।

9. GST का अर्थ दीजिए ।
उत्तर :
वस्तु या सेवा की पूर्ति (supply) पर लगाये जानेवाला कर अर्थात् वस्तु और सेवा का कर जिसे संक्षिप्त में जीएसटी (GST) कहते हैं ।

10. GST के भाग कितने होते हैं ? कौन-कौन से ?
उत्तर :
GST के भाग दो हैं :
(1) CGST BiT SGST/UTGST (Central Goods and Services Tax zit State Goods and Services Tax/Union
Tarritory Goods and Services Tax]
(2) IGST [Integreted Goods and Services Tax]

11. GST, CGST, SGST, UTGST और IGST का संपूर्ण नाम दीजिए ।
उत्तर :
GST = Goods and Services Tax
CGST = Central Goods and Services Tax
SGST = State Goods and Services Tax
UTGST = Union Tarritory Goods and Services Tax
IGST = Integreted Goods and Services Tax

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए :

1. संकल्पनाएँ समझाइए :
(A) महसूली आय
(B) पूँजी खर्च
(C) महसूली खर्च
उत्तर :
(A) महसूली आय : महसूली आय में अधिकतर करवाली आय का समावेश होता है । कुछ अंशों में बिना करवाली आय का समावेश भी होता है । कर से प्राप्त आय में, आयकर, सम्पत्तिकर, उपहारकर, बिक्रीकर, चुंगी इत्यादि प्रत्यक्ष और पराक्ष करों से प्राप्त आय का समावेश होता है । बिना करवाली आय में चलन मुद्रा, व्याज, सार्वजनिक सेवाओं (पुलिस, जेल, आपूर्ति और विक्रय, सार्वजनिक कार्य) डिविडण्ड (लाभ) से होनेवाली आय तथा सामाजिक और सामूहिक सेवाओं जैसे : शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, संचार आदि से प्राप्त आय शामिल की जाती है ।

(B) पूँजी खर्च : इस विभाग में संरक्षण खर्च, टंकशालों का खर्च, जमीन, मकान, यंत्र, यंत्रसामग्री, सार्वजनिक क्षेत्र के शेयर और डिबेन्चरों में किया गया निवेश, राज्य और अन्य संस्थाओं को दिया गया ऋण जैसी भौतिक और मौद्रिक सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए किए गए खर्च का समावेश होता है । पूँजी बजट में सरकारी और सार्वजनिक खातों के व्यवहारों को भी शामिल किया जाता है ।

संरक्षण खर्च में महसूली खर्च और पूँजी खर्च दोनों का समावेश होता है । जबकि बजट में दोनों को अलग-अलग दर्शाया जाता. है । संरक्षण महसूली खर्च में देश के सुरक्षा कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, पेन्शन एवं खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के लिए किए गए खर्च को दर्शाया जाता है । जबकि सुरक्षा के लिए शस्त्र-सामग्री बनानेवाले कारखानों की स्थापना के लिए किया गया निवेश पूँजी खाते में दर्शाया जाता है ।

(C) महसूली खर्च : महसूली खर्च में उपभोग खर्च उसमें बदले के भुगतानों का समावेश किया जाता है । उपभोग खर्च में वेतन और मजदूरी का खर्च तथा वस्तुओं और सेवाओं पर किया गया खर्च । उसी प्रकार बदले के रूप में चुकाये जानेवाले खर्च अर्थात् व्याज, केन्द्रशासित प्रदेशों और स्थानीय संस्थाओं को दिया गया अनुदान एवं आर्थिक सहायता, पेन्शन आदि के लिए किया गया भुगतान । अमक संरक्षण खर्च महसुली खर्च में गिना जाता है । जैसे : सैनिकों को दिया जानेवाला वेतन एवं पेन्शन आदि । भारत के अंदाजपत्र में महसूली खर्च के दो विभाग किए गए हैं : (1) योजनाकीय खर्च
(2) गैरयोजनाकीय खर्च ।

2. अंदाजपत्र के पूँजी खाते के आय और खर्च के पहलू को समझाइए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र के मुख्य दो विभाग
(1) महसूली विभाग
(2) पूँजी विभाग

पूँजी विभाग :

पूँजी विभाग में बजट में प्रस्तुत किए जानेवाले वित्तीय वर्ष और बजट का अमल करनेवाले वर्ष के अनुमानों को प्रस्तुत किया जाता है । पूँजी विभाग को निवेश खाता या पूँजीगत हिसाब का खाता के नाम से भी जाना जाता है । उसमें पूँजी की आय और खर्च के सुधेरे हुए अंदाजपत्रीय अनुमानों को उल्लेखित किया जाता है ।

(1) पूँजी आय : पूँजी आय में सार्वजनिक साहसों से प्राप्त आय, बाजार में से प्राप्त ऋण, मध्यस्थ बैंक से प्राप्त कर्ज, विदेशों से लिया गया ऋण, सरकारी प्रतिभूतिओं के विक्रय से प्राप्त आय इत्यादि का समावेश होता है ।

(2) पूँजी खर्च : इस विभाग में संरक्षण खर्च, जमीन, मकान, यंत्र-सामग्री, सार्वजनिक क्षेत्र के शेयर और डिबेन्चरों में किया गया निवेश राज्य और अन्य संस्थाओं को दिया गया ऋण जैसी भौतिक और मौद्रिक सम्पति प्राप्त करने के लिए किए गए खर्च का समावेश होता है । पूँजी बजट में सरकारी और सार्वजनिक खातों के व्यवहारों को भी शामिल किया जाता है ।

संरक्षण खर्च में महसूली खर्च और पूँजी खर्च दोनों का समावेश होता है । जबकि बजट में दोनों को अलग-अलग दर्शाया जाता है । संरक्षण महसूली खर्च में देश के सुरक्षा कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, पेन्शन एवं खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के लिए किए गए खर्च को दर्शाया जाता है । जबकि सुरक्षा के लिए शस्त्र-सामग्री बनानेवाले कारखानों की स्थापना के लिए किया गया निवेश पूँजी खाते में दर्शाया जाता है ।

3. पंचायत के कार्य और आय के स्रोत बताइए ।
उत्तर :
पंचायत के कार्य – खर्च के स्थान निम्न हैं : पंचायतें मूलभूत रूप से सार्वजनिक सफाई, सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रार्थामक शिक्षा, पानी की सुविधा और रास्ते जैसी सुविधाओं के लिए कार्य करती है ।

पंचायत के आय के साधन :’

  1. पंचायत संविधान मान्य और राज्य सरकार ने स्वीकृति दी हो ऐसे स्थानीय कर तथा दण्ड की रकम
  2. केन्द्र सरकार द्वारा मिलनेवाला सीधा-सीधा अनुदान
  3. राज्य की विविध योजनाओं के अमल के लिए पंचायत के लिए वितरण की गयी मुद्रा ।
  4. इन सभी स्रोतों से पंचायत आय प्राप्त करती है ।

4. अर्थ दीजिए :
(1) महसूली घाटा : महसूली घाटा अर्थात् महसूली आय की अपेक्षा महसूली खर्च अधिक हो । दूसरे शब्दों में कहें तो महसूली आय और महसूली खर्च के बीच का अंतर ही महसूली घाटा कहलाता है ।

(2) अंदाजपत्रीय घाटा : कुल आय और कुल खर्च के अंतर को अंदाजपत्रीय घाटा कहते हैं । इसमें महसूली आय और पूँजीगत आय तथा दोनों खर्चों का समावेश किया जाता है ।

(3) राजकोषीय घाटा : राज्य (सरकार) बाजार में से जो मुद्रा ऋण के रूप में प्राप्त करता है उसे पूँजी खाते की आय कहते हैं । परंतु वास्तव में व्यवहार में वह कर्जा है । सरकार का अंदाजपत्रीय घाटा और सरकार के बाजार में से प्राप्त ऋण इन दोनों के योग को राजकोषीय घाटा कहते हैं ।

(4) प्राथमिक घाटा : राजकोषीय घाटे में से ब्याज के भुगतान के बीच के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं । राज्य को कर्ज के ब्याज का भुगतान बोझ सर्जित करता है । परंतु यह बोझ वर्तमान कार्य के कारण नहीं । कर्ज भूतकाल में हुआ है और उसका ब्याज वर्तमान में है इसलिए ब्याज को घटाकर प्राथमिक घाटा ज्ञात किया जाता है, जो चालू वर्ष के आय और खर्च का अंदाज देते हैं । ऐसा ख्याल इस प्रकार का घाटा व्यक्त करता है । परंतु भारत में इस प्रकार के घाटे के नीतिविषयक महत्त्व गिना नहीं जाता है ।

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5. अंदाजपत्र की असरों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र अर्थतंत्र और समाज को सामान्य रूप से निम्नानुसार प्रभावित करता हैं :

  1. आय को ध्यान में रखकर खर्च करने का प्रयास करने के लिए सरकार का दायित्व बनता है और सरकार में राजकोषीय अनुशासन लाती है ।
  2. विविध क्षेत्रों में मुद्रा का वितरण, आर्थिक और सामाजिक महत्त्वपूर्ण स्तर पर होता है और इस प्रकार साधनों का न्यायी वितरण होता है ।
  3. विविध क्षेत्रों में मुद्राकीय वितरण द्वारा क्षेत्रों में पूंजीनिवेश की दिशा देता है और कर द्वारा लोगों के उपयोग उचित आय (Disposable Income) को असर करके माँग को नियंत्रित करती है ।
  4. कर और खर्च का संचालन करके अर्थतंत्र में मंदी और मुद्रास्फीति का नियंत्रण करती है जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहती है ।
  5. अंदाजपत्र द्वारा राज्य की योजना के हेतुओं के संदर्भ में वृद्धि और विकास को दिशा मिलती है ।

6. घाटेवाले अंदाजपत्र का अर्थ बताकर उसके लाभ-हानि की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
सरकार का अंदाजित खर्च जब सरकार की अंदाजित आय की अपेक्षा अधिक हो तो उसे घाटेवाला अंदाजपत्र कहते हैं । घाटेवाला अंदाजपत्र = अंदाजित खर्च > अंदाजित आय

विकासशील देशों में सरकारें आर्थिक विकास के लिए खूब सार्वजनिक खर्च करती हैं । संरक्षण, शिक्षण, सामाजिक सेवाओं के खर्च करती हैं । इसके लिए सरकार के पास आय के साधन कम होते है । कर भरने की क्षमता लोगों में नहीं होती है । इसलिए आय की अपेक्षा खर्च अधिक होता है और घाटेवाला अंदाजपत्र बनता है ।

घाटेवाले अंदाजपत्र के लाभ :

  1. ऐसा अंदाजपत्र विकासलक्षी और कल्याणलक्षी गिना जाता है ।
  2. मंदी के अर्थतंत्र में घाटेवाला अंदाजपत्र से खर्च द्वारा रोजगारी सर्जित कर सकते हैं ।
  3. घाटेवाले अंदाजपत्र में जनता पर कर का प्रमाण कम होता हैं ।

घाटेवाले अंदाजपत्र की हानियाँ :

  1. कितनी बार सरकार अधिक मात्रा में खर्च करके उसे पूरा करने के लिए कर्ज करता है और कर्ज का भार बढ़ता है ।
  2. सरकार का खर्च पर नियंत्रण नहीं रहता है ।
  3. प्रजा द्वारा चुकाये गये टेक्स की रकम का उपयोग अकार्यक्षम होता है ।

7. लाभवाले अंदाजपत्र का अर्थ समझाकर लाभ-हानि की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
अंदाजित खर्च की अपेक्षा अंदाजित आय अधिक हो ऐसे अंदाजपत्र को लाभवाला अंदाजपत्र कहते हैं । ऐसा अंदाजपत्र विशेष करके विकसित देशों में देखने को मिलता है । यहाँ सरकार का खर्च कम और आय अधिक होती है ।

लाभवाले अंदाजपत्र के लाभ :

  1. लाभवाले अंदाजपत्र से सरकार मुद्रास्फीति के समय सरकार प्रजा के पास से अधिक टेक्स लेकर अधिक धन खींचकर मुद्रास्फीति को नियंत्रण रखती है ।
  2. लाभवाले अंदाजपत्र में सरकार खर्च तक पहुँचने के लिए कर्ज नहीं करना पड़ता है ।
  3. प्रजा पर भविष्य में टेक्स का बोझ भी नहीं पड़ता है ।

लाभवाले अंदाजपत्र की हानियाँ :

  1. लाभवाले अंदाजपत्र के लिए सरकार यदि सामाजिक कल्याण और विकास कार्यों के लिए आवश्यक खर्च भी नहीं करे तो विकास पर विपरीत असर पड़ती है ।
  2. मंदी के समय में सरकार लाभवाले अंदाजपत्र के लिए मुद्रा को पकड़ रखे तो अर्थतंत्र में पूँजीनिवेश, रोजगार, उत्पादन पर असर पड़ती है ।
  3. यदि हर वर्ष लाभ बढ़ता जाये तो सरकार फिर उसका क्या करेगी यह बड़ा प्रश्न खड़ा होता है ।

8. वस्तुओं और सेवाओं कर लाने के कारण बताइए ।
उत्तर :
भारत के संघीय तंत्र में अधिकांश प्रत्यक्ष कर केन्द्र सरकार वसूल करती है । जबकि परोक्ष कर राज्य और केन्द्र सरकार दोनों वसूल करती है ।

राज्य अपने वित्तीय साधन एकत्रित करने के लिए परोक्ष कर वसूल करती है । प्रत्येक राज्य अलग-अलग कर तथा कभी कभी एक ही वस्तु पर केन्द्र और राज्य सरकार दोनों कर लगाती थीं और अलग-अलग राज्यों पर विक्रय होनेवाली वस्तुओं पर दोनों राज्य कर वसूल करते थे । इस प्रकार कर व्यवस्था और बोझ बढ़ते थे । इन विसंगतियों को दूर करने के लिए एक टेक्स की आवश्यकता पड़ी ।

GST लाने के लिए निम्नलिखित कारण है :

  1. एक ही वस्तु पर लगते विविध करों को हटाकर एक ही कर करने के लिए ।
  2. राज्यों के बीच उत्पन्न होनेवाले कर के अंतर को खत्म करने के लिए ।
  3. प्रबंधकीय सरलता और मितव्यता के लिए ।
  4. प्रशासन में डिजिटलाइजेशन सरलता से हो सके इसके लिए ।
  5. कर चोरी रोकने और परोक्ष कर अधिक उत्पादक बनाने के लिए ।
  6. प्रजा पर पड़नेवाले परोक्ष कर के बोझ कम करने के लिए GST लाना आवश्यक हुआ ।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :

1. संतुलित और असंतुलित अंदाजपत्र के लाभ और हानियाँ बताइए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं :
(1) संतुलित अंदाजपत्र
(2) असंतुलित अंदाजपत्र

(1) संतुलित अंदाजपत्र : हिसाबी पद्धति के अनुसार सभी अंदाजपत्र संतुलित ही होते हैं । कारण कि उनकी दोनों ओर मुद्राकीय मूल्य दर्शाया जाता है । परंतु आय और खर्च के वास्तविक अंदाज के अनुसार संतुलित अंदाजपत्र अर्थात् ऐसा अंदाजपत्र जहाँ सरकार का अंदाजित खर्च उसकी अंदाजित आय जितना ही होता है । यह आदर्श स्थिति जहाँ सरकार खर्च और आय का अंदाज समान होता है । विकासशील देशों के लिए ऐसा अंदाजपत्र बिनव्यवहारिक होता है । संतुलित अंदाजपत्र के लाभ-हानि निम्नानुसार हैं :

लाभ :

  • संतुलित अंदाजपत्र से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है ।
  • संतुलित अंदाजपत्र आय और खर्च का अंदाज समान रहे इसलिए सरकार अनावश्यक खर्च तथा अनावश्यक कर घटाती
  • संतुलित अंदाजपत्र प्रजा पर बोझ बढ़ता नहीं है ।

हानियाँ :

  • सरकार संतुलित अंदाजपत्र टिकाए रखने के लिए आवश्यक खर्च कम करे तो आर्थिक कल्याण पर प्रभावित होती है ।
  • सरकार खर्च कम न करे और संतुलित अंदाजपत्र बनाये रखने के लिए कर बढ़ाये तो प्रजा पर बोझ बढ़ेगा, तो वह आर्थिक
    विकास के लिए अवरोध स्वरूप है ।

(2) असंतुलित अंदाजपत्र : असंतुलित अंदाजपत्र में अंदाजित समय और अंदाजित खर्च समान न हो तो असंतुलन स्थापित होता है । जिससे असंतुलन दो प्रकार की हो सकती है –

  • घाटेवाला अंदाजपत्र
  • लाभवाला अंदाजपत्र

लाभ :

  • घाटेवाला अंदाजपत्र विकासलक्षी और कल्याणलक्षी माना जाता है ।
  • मंदी के अर्थतंत्र में घाटेवाला अंदाजपत्र खर्च द्वारा रोजगार सर्जित कर सकता है ।
  • घाटेवाले अंदाजपत्र में कर का भार कम होता है ।
  • लाभवाले अंदाजपत्र सरकार मुद्रास्फीति के समय जनता पर अधिक टेक्स लगाकर मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखती है ।
  • लाभवाले अंदाजपत्र में कर्ज नहीं करना पड़ता है ।
  • प्रजा पर लाभवाले अंदाजपत्र से भविष्य में टेक्स का भार नहीं होता है ।

हानियाँ :

  • घाटेवाले अंदाजपत्र में कभी-कभी अधिक खर्च करके उसको पूरा करने के लिए कर्ज करना पड़ता है जिससे ऋण का भार बढ़ता है ।
  • घाटेवाले अंदाजपत्र से सरकार के खर्च पर नियंत्रण नहीं रहता है ।
  • प्रजा द्वारा भरे टेक्स का बिनकार्यक्षम खर्च होता है ।
  • लाभवाले अंदाजपत्र के लिए सरकार यदि सामाजिक कल्याण और विकास के कार्यों के लिए आवश्यक खर्च न करे तो विकास पर विपरीत असर पड़ती है ।
  • मंदी के समय में सरकार लाभवाला अंदाजपत्र के लिए मुद्रा को पकड़े रख्ने तो अर्थतंत्र में पूंजीनिवेश, रोजगार, उत्पादन प्रभावित होता है ।

2. अंदाजपत्र के हिसाबी खातों की विस्तार से चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
अंदाजपत्र की समझ प्राप्त करने के लिए विविध खातों को समझना चाहिए । एकाउन्ट की रीति से अंदाजपत्र के हिसावी खाते के दो भाग होते हैं :
(I) आय की तरफ, सरकार की आय लिखी जाती है ।
(II) खर्च की तरफ, सरकार का खर्च लिखा जाता है ।

आय और खर्च की दोनों पहलू निम्नानुसार हैं :
(1) आय का पहलू : अंदाजपत्र की आय के पहलू को दो भागों में बाँट सकते हैं : (1) महसूली आय (2) पूँजी आय

(i) महसूली आय : महसूली आय में अधिकतर करवाली आय का समावेश होता है । कुछ अंशों में बिना करवाली आय का समावेश भी होता है । कर से प्राप्त आय में आयकर, सम्पत्तिकर, उपहारकर, बिक्रीकर, चुंगी इत्यादि प्रत्यक्ष और परोक्ष करों से प्राप्त आय का समावेश होता है । बिना करवाली आय में चलन मुद्रा, व्याज, सार्वजनिक सेवाओं (पुलिस, जेल, आपूर्ति और विक्रय, सार्वजनिक कार्य) डिविडंड (लाभ) से होनेवाली आय तथा सामाजिक और सामूहिक सेवाओं जैसे : शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, संचार आदि से प्राप्त आय शामिल की जाती है ।

(ii) पूँजी आय : पूँजी आय में सार्वजनिक साहसों से प्राप्त आय, बाजार में से प्राप्त ऋण, मध्यस्थ बैंक से प्राप्त कर्ज, विदेशों से लिया गया ऋण, सरकारी प्रतिभूतियों के विक्रय से प्राप्त आय इत्यादि का समावेश होता है ।

(2) खर्च का पहलू : अंदाजपत्र के खर्च के पहलू को दो भागों में बाँट सकते हैं । (1) महसूल खर्च (2) पूँजी खर्च

(i) महसली खर्च : महसूली खर्च में उपभोग खर्च उसमें बदले के भुगतानों का समावेश किया जाता है । उपभोग खर्च में वेतन और मजदूरी का खर्च तथा वस्तुओं और सेवाओं पर किया गया खर्च । उसी प्रकार बदले के रूप में चुकाये जानेवाले खर्च अर्थात् व्याज, केन्द्रशासित प्रदेशों और स्थानीय संस्थाओं को दिया गया अनुदान एवं आर्थिक सहायता, पेन्शन आदि के लिए किया गया भुगतान । अमुक संरक्षण खर्च महसूली खर्च में गिना जाता है । जैसे – सैनिकों को दिया जानेवाला वेतन एवं पेन्शन आदि । भारत के अंदाजपत्र में महसूली खर्च के दो विभाग किए गए हैं : (1) योजनाकीय खर्च (2) गैरयोजनाकीय खर्च ।

(ii) पूँजी खर्च : इस विभाग में संरक्षण खर्च, टंकशालों का खर्च, जमीन, मकान, यंत्र, यंत्रसामग्री, सार्वजनिक क्षेत्र के शेयर और डिबेन्चरों में किया गया निवेश, राज्य और अन्य संस्थाओं को दिया गया ऋण जैसी भौतिक और मौद्रिक सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए किए गए खर्च का समावेश होता है । पूँजी बजट में सरकारी और सार्वजनिक खातों के व्यवहारों को भी शामिल किया जाता है ।

इस प्रकार अंदाजपत्र को दो विभागों में बाँटा गया है :
(A) महसूली विभाग जिसमें महसूली आय और महसूली खर्च का समावेश होता है ।
(B) पूँजी विभाग जिसमें पूँजी आय और पूँजी खर्च का समावेश होता है ।

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3. महसूली विभाग की आय और खर्च के पहलू में समाविष्ट होनेवाली बातों को समझाइए ।
उत्तर :
महसूली विभाग के दो भाग है – (1) आय और (2) खर्च का पहलू

1. आय (जमा) वाले विभाग में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है :
(1) कर आय :
(A) प्रत्यक्ष कर से प्राप्त होनेवाली आय
(B) परोक्ष कर से प्राप्त होनेवाली आय

इस कर द्वारा आय में आयकर, सम्पत्तिकर, उपहार कर, बिक्री कर, चुंगी आदि का समावेश होता है ।

(2) बिना करवाली :
(A) सरकार द्वारा दिये गए ऋण पर प्राप्त होनेवाली ब्याज की आय
(B) सार्वजनिक उद्योग में से प्राप्त लाभ और डिविडन्ड की आय
(C) सार्वजनिक सेवा-सुविधाओं में से प्राप्त फीस तथा दण्ड की आय
(D) विदेशों में से प्राप्त होनेवाला सहायक अनुदान

2. खर्च (उधार) वाले पहलू में निम्नलिखित बातों का समावेश होता है :
(1) बिन आयोजित खर्च :
(A) ब्याज का भुगतान (राज्य या सरकार ने भूतकाल में लिये गये ऋण पर भुगतान किया गया ब्याज)
(B) सामाजिक सेवाएँ जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य आधारभूत सुविधाओं के पीछे होनेवाला खर्च
(C) आर्थिक सेवाएँ जैसे कि कृषि, उद्योग, बिजली, परिवहन, टेक्नोलॉजी पीछे हुआ खर्च
(D) राज्य सरकार और केन्द्रशासित प्रदेशों को दिया जानेवाला (ग्रान्ट इन एड) अनुदान
(E) संरक्षण के पीछे का खर्च
(F) सबसिडी
आदि का समावेश होता है ।

(2) महसूली खर्च विभाग में जो केन्द्र की कानूनी योजनाओं में दर्शाई हो ऐसी आयोजित खर्च
कृषि, उद्योग, सिंचाई, सूचना, प्रसारण, ऊर्जा, खनिज, परिवहन अन्य क्षेत्रों के पीछे किया गया आयोजित खर्च इस प्रकार महसूली विभाग को दो भागों में बाँटकर अंदाजपत्र तैयार किया जाता है ।

4. राज्य सरकार के अंदाजपत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
केन्द्र सरकार के खर्च का वर्गीकरण आयोजित और बिनआयोजित खर्च के रूप में होता है । जबकि राज्य सरकार के खर्च का वर्गीकरण विकासलक्षी और बिनविकासलक्षी खर्च के रूप में होता है ।

विकासलक्षी खर्च अर्थात् ऐसा खर्च जिसके द्वारा आर्थिक विकास को प्रत्यक्ष और सीधा वेग मिलता है । जैसे सिंचाई की सुविधाएँ बिनविकासलक्षी खर्च का सीधे विकासलक्षी खर्च के पीछे नहीं होता । परंतु परोक्ष रूप से दीर्घकालीन विकास को प्रभावित करता है । जैसे : कर्मचारी वेतन का खर्च ।

भारत में राज्य सरकार के पास केन्द्र सरकार की अपेक्षा उत्पादक कर कम होते हैं और जवाबदारी अधिक होती है । उस संदर्भ में राज्य सरकार का बजट निम्नानुसार है :

राज्य सरकार का महसूली विभाग

आय (जमा) खर्च (उधार)
(1) केन्द्रीय करों में से प्राप्त हिस्सा (मुद्रा आयोग की सिफारिश के अनुसार) (1) सामाजिक सेवाएँ जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, माहिती-प्रसारण, पिछड़े वर्गों का कल्याण आदि के पीछे होनेवाला खर्च ।
(2) राज्य सरकार की कर द्वारा आय
1. खर्च कर2. जमीन महसूल3. स्टेम्प ड्युटी4. राज्य की आयकर जकात (चुंगी)

5. विक्रय कर / मूल्यवर्धित कर

6. वाहन कर

7. बिजली कर

8. मनोरंजन कर

9. अन्य कर अन्य

(2) आर्थिक सेवाएँ जैसे कि कृषि, ग्राम विकास, सिंचाई. उद्योग, परिवहन, संचार, विज्ञान, टेक्नोलॉजी आदि के पीछे किया गया खर्च ।
(3) अन्य आय : अनुदान, दान, भेट-सौगात (3) सामान्य सेवाएँ जैसे कि प्रशासनिक सेवा, पेन्शन और निवृत्ति का लाभ, मुद्राकीय सेवाएँ आदि के पीछे होनेवाला खर्च
(4) अन्य खर्च : स्थानिक स्वराज्य की संस्थाओं को दिया जानेवाला अनुदान

राज्य सरकार का पूँजी विभाग

आय (जमा) खर्च (उधार)
(1) सार्वजनिक ऋण (कर्ज)

(1) राज्य सरकार का आंतरिक खर्च

(2) केन्द्र की ओर से मिलनेवाली लोन और पेशगी (भुगतान)
(3) साधनों की अग्रम भुगतान

(1) सामाजिक सेवाओं के पीछे होनेवाला खर्च
(2) अन्य सरकारों ने दी गई लोन और अग्रम भुगतान की वसूली (2) आर्थिक सेवाओं के पीछे होनेवाला पूँजी खर्च
(3) अन्य पूँजी आय
जैसे : पूँजी विनिवेश में से प्राप्त होनेवाली आय
(3) सामान्य सेवाओं के पीछे होनेवाला पूँजी खर्च
(4) सार्वजनिक कर्ज का भुगतान
अन्य खर्च :

(5) राज्य द्वारा स्थानीय स्वराज्य की संस्थाओं को सरकार द्वारा दी जानेवाली लोन एवं अग्रम भुगतान ।

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5. अंदाजपत्र के घाटे के प्रकार समझाइए ।
उत्तर :
घाटे के बजट में चार प्रकार के घाटों का उल्लेख किया जाता है :
(1) महसूली घाटा
(2) अंदाजपत्रीय घाटा
(3) राजकोषीय घाटा
(4) प्राथमिक घाटा

(1) महसूली घाटा : महसूली घाटा अर्थात् महसूली आय की अपेक्षा महसूली खर्च में वृद्धि । दूसरे शब्दों में कहे तो महसूली आय और महसूली खर्च के बीच का अंतर ही महसूली घाटा कहलाता है ।

भारत सरकार ने 2001-02 के अंदाजपत्र में महसूली घाटे को निम्न सूत्र में प्रस्तुत किया है ।
कुल महसूली आय – कुल महसूली खर्च = महसूली घाटा
रु. 231750 करोड़ – रु. 310570 करोड़ = रु. 78820 करोड़
यहाँ पर महसूली घाटे की गणना करते समय महसूली आय में शुद्ध कर – आय और कर के अतिरिक्त कुल आय का समावेश होता है ।

(2) अंदाजपत्रीय घाटा : कुल आय और कुल खर्च के अंतर को अंदाजपत्रीय घाटा कहते हैं । यह घाटा 2001-02 के अंदाजपत्र में निम्न सूत्र द्वारा अनुमानों के रूप में दर्शाया गया है ।
अंदाजपत्रीय घाटा = कुल आय – कुल खर्च ।
0 = रु. 375220 करोड़ रु. -375220 करोड़

कुल खर्च में महसूली खर्च और पूँजी खर्च की गणना की जाती है । उसी प्रकार कुल आय में महसूली आय और पूंजी आय की गणना की जाती है । कुल आय की तुलना में भी महसूली आय और पूँजी आय की गणना की जाती है । कुल आय की तुलना में कुल खर्च में दिखनेवाली वृद्धि अंदाजपत्रीय घाटा या सम्पूर्ण रूप से कुल घाटे के रूप में जानी जाती है ।

केन्द्र सरकार इस घाटे को पूरा करने के लिए केन्द्रीय बैंक को बेचे गए ट्रेजरी बिल की शुद्ध विक्रय आय का उपयोग करनी है । सरकार का यह कदम केन्द्रीय बैंक को अधिक नोट छापने के लिए प्रेरित करता है । सरकार की इस नीति को घाटे की अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है ।

(3) राजकोषीय घाटा : राजकोषीय घाटा अर्थात् महसूली आय और कुछ पूँजी की आय एवं सरकार के कुल खर्च के बीच का अंतर । कुल खर्च में महसूली खर्च और पूँजी खर्च का समावेश होता है । दूसरी तरह से देखे तो अंदाजपत्रीय घाटा और सरकार द्वारा बाजार से लिए ऋण और जिम्मेदारियों के योग को राजकोपीय घाटे की तरह जाना जाता है । भारत सरकार के वर्ष 2001-02 के बजट में राजकोषीय घाटे की गणना निम्न प्रकार से की गई है ।
राजकोषीय घाटा = अंदाजपत्रीय घाटा + बाजार से प्राप्त ऋण और अन्य आय रु. 116320 करोड़

(4) प्राथमिक घाटा : राजकोषीय घाटा और व्याज के भुगतान के बीच के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं । भारत सरकार के वर्ष 2001-02 के बजट में प्राथमिक घाटे की गणना निम्न अनुसार की गई है ।

प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – व्याज का भुगतान
रु. 4020 करोड़ = रु. 116320 करोड़ – रु. 112300 करोड़
भारत सरकार ने वर्ष 2001-02 के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) का 5.3% या 135524 करोड़ रु. रहे ऐसा प्रयत्न किया है । इसके लिए दो सुझाव दिए गए –
(1) कर तंत्र में गणनापात्र सुधार करके कर-वसूली को बढ़ाना ।
(2) गैर उत्पादकीय खर्च को घटाना और खर्च संचालन पर ध्यान केन्द्रित करना ।

इन दोनों सुझावों के सन्दर्भ में उन्होंने आर्थिक सहायता और छोटी बचतों पर चुकाई जानेवाली व्याज की दरों में कमी करना । पेन्शन सुधार योजना द्वारा पेन्शन का भार कम करना तथा निजीकरण एवं पूँजीविनिवेश जैसे प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे । सरकार आजकल इन प्रस्तावों को अनुकूलतानुसार अमल में लाने का प्रयत्न कर रही है ।

6. अंदाजपत्र अर्थात् क्या ? अंदाजपत्र के उद्देश्यों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
सरकार द्वारा आनेवाली वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तुत करनेवाले खर्च और आय के अंदाज को अंदाजपत्र कहते हैं । . इस प्रकार अंदाजपत्र आनेवाले वर्ष का आय और खर्च का अंदाजित हिसाब दर्शाता है । अंदाजपत्र के उद्देश्य निम्नानुसार हैं :

  • सत्तामंडल की स्वीकृति प्राप्त करना : सरकार खर्च और आय प्राप्त करने के लिए लोकशाही सत्ता मंडल की स्वीकृति लेना जरूरी है । अंदाजपत्र यह सरकार का स्वीकृति प्राप्त करने के लिए अंदाजित आवेदन है । जैसे संसद में केन्द्रीय बजट द्वारा सरकार पहले संसद से स्वीकृति लेती है कि, आनेवाले वर्ष में सरकार कितना खर्च और कितनी आय प्राप्त करना चाहती है ।
  • संसाधनों और जवाबदारी का अंदाज लगाने के लिए : सार्वजनिक सत्ता द्वारा बजट प्रस्तुत करने का एक उद्देश्य यह है कि उसे आनेवाले वर्ष में काम करने की जवाबदारी का ख्याल आता हैं और आनेवाले वर्ष में कहाँ से आय प्राप्त करेंगे इसकी संभावनाओं की जाँच करते है ।
  • साधनों के वितरण को योग्य दिशा मिलती है : अंदाजपत्र तैयार करने का एक उद्देश्य साधनों का वितरण भी है । यदि बजट तैयार न किया जाय तो खर्च एक ही दिशा में हो जायेगा अन्य क्षेत्र शेष रह जाएँगे । ऐसा न हो, इसलिए खर्च से पहले वितरण निश्चित किया जाता है ।
  • प्रजा की जानकारी के लिए : सरकार बजट करने का एक उद्देश्य यह भी कि नागरिक को इस बात का ख्याल आता है कि अब अर्थतंत्र में क्या होगा ? किस क्षेत्र में निवेश होगा ? कौन-सी वस्तु महँगी होगी ? किस वस्तु पर टेक्स लगंगा ?
    इस प्रकार अंदाजपत्र आर्थिक आयोजन का एक भाग है । सरकार को नीति निश्चित करना तथा उसकी दिशा निश्चित करन में सहायक होता है ।

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7. वस्तुओं और सेवाओं कर के अमलीकरण को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर :
भारत में संवैधानिक सुधार के बाद 1 जुलाई, 2017 से राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा वसूले जानेवाले 17 जितने परोक्ष कर के स्थान पर वस्तु और सेवाकर वसूली शुरू हुई ।

GST के अमलीकरण को समझने के लिए निम्नलिखित बातें महत्त्वपूर्ण हैं :
(1) वस्तुओं और सेवाओं कर काउन्सिल की स्थापना : केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जानेवाले कर अलग-अलग परोक्ष कर अलग-अलग प्रकार से निश्चित किये जाते थे । इसलिए इस विसंगतता को दूर करने के लिए GST लागू किया गया । जिसका अध्यक्ष भारत के वित्तमंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री उसके सदस्य होते हैं । प्रति तीन महीने काउन्सिल की मीटिंग होती है । कर से सम्बन्धित यह काउन्सिल सुझाव देती है ।

(2) GST की दर : GST की दर आरम्भ के सोपान में पाँच प्रकार की दर निश्चित की गई है :

  • GST में से कुछ वस्तुओं को मुक्त कर दिया गया है जैसे – कृषि उत्पाद, शाक-सब्जी, फुटकर अनाज, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ । इन वस्तुओं पर 0% दर है ।
  • इन वस्तुओं को छोड़कर अन्य वस्तु और सेवा पर 5%, 12%, 18% और 28% की दर से GST वसूला जाता है । 28% की दर में अधिकांश वस्तुएँ मौजशौख और प्रतिष्ठा मूल्य रखनेवाली वस्तुओं का समावेश किया जाता है ।
  • वस्तुओं और सेवाओं के कर में राज्यों को मुआवजा :
    GST के अमल से कुछ राज्यों को आर्थिक लाभ तो कुछ राज्यों को आर्थिक नुकसान होता है । नुकसानवाले राज्यों का पाँच वर्ष तक मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है ।
  • GST से मुक्त रखी गई वस्तुएँ और सेवाएँ : GST के प्रारम्भिक अमल में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर GST नहीं लगता है । वर्तमान में उन पर पुराना ही परोक्ष कर लगता है । क्रमश: यह वस्तुएँ और सेवाएँ भी GST में आ सकती है । परंतु वर्तमान में इन पर GST नहीं है ।

इन वस्तुओं और सेवाओं में :
(a) मानव उपयोग के लिए अल्कोहोलिक लीकर और
(b) पेट्रोलियम उत्पाद जिसमें पेट्रोल, डीजल, क्रूड और प्राकृतिक गैस इन पर पुराने कर चालू हैं ।

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