GSEB Solutions Class 11 Economics Chapter 7 भारतीय अर्थतंत्र

GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 7 भारतीय अर्थतंत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 7 भारतीय अर्थतंत्र

GSEB Class 11 Economics भारतीय अर्थतंत्र Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए :

1. भारत में रेलवे की शुरूआत किस वर्ष में हुयी ?
(A) 1847
(B) 1853
(C) 1901
(D) 1947
उत्तर :
(B) 1853

2. भारत में मध्यस्थ बैंक (RBI) की रचना किस वर्ष में हुयी ?
(A) 1847
(B) 1857
(C) 1935
(D) 1947
उत्तर :
(C) 1935

3. भारत की कौन-सी बैंक मध्यस्थ बैंक है ?
(A) RBI
(B) SBI
(C) DBI
(D) IDBI
उत्तर :
(A) RBI

4. भारत की प्रतिव्यक्ति आय कितने UDS है ?
(A) 5150
(B) 9250
(C) 43049
(D) 52308
उत्तर :
(A) 5150

5. भारत की राष्ट्रीय आय में सबसे अधिक योगदान किस क्षेत्र का है ?
(A) कृषि
(B) उद्योग
(C) सेवा
(D) विदेश व्यापार
उत्तर :
(C) सेवा

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6. भारत में किस प्रकार की बेकारी देखने को मिलती है ?
(A) चक्रीय
(B) ढाँचागत
(C) निरपेक्ष
(D) सापेक्ष
उत्तर :
(C) निरपेक्ष

7. भारत का कृषि क्षेत्र वर्तमान समय में कितने प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है ?
(A) 49%
(B) 55%
(C) 72%
(D) 27%
उत्तर :
(A) 49%

8. भारतीय रेलवे विश्व में किस नंबर का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चौथा
उत्तर :
(D) चौथा

9. ई.स. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत लोग शिक्षित थे ?
(A) 55%
(B) 62%
(C) 73%
(D) 88%
उत्तर :
(C) 73%

10. भारत के कितने प्रतिशत गरीब है ?
(A) 80%
(B) 55%
(C) 37%
(D) 22%
उत्तर :
(D) 22%

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11. औरंगजेब के शासनकाल में भारत की राष्ट्रीय आय कितने करोड़ पाउण्ड थी ?
(A) 10
(B) 20
(C) 30
(D) 40
उत्तर :
(A) 10

12. ई.स. 1946 तक भारत में बैंकों की संख्या कितनी थी ?
(A) 600
(B) 700
(C) 800
(D) 900
उत्तर :
(B) 700

13. अधिक आयवाले लोग ब्रिटेन में कर द्वारा राष्ट्रीय आय का कितने प्रतिशत हिस्सा देते थे ?
(A) 15%
(B) 14%
(C) 8%
(D) 16%
उत्तर :
(C) 8%

14. भारत के सूती कपड़े के निर्यात पर कितने प्रतिशत जकात दर थी ?
(A) 8%
(B) 9%
(C) 11%
(D) 7.15%
उत्तर :
(D) 7.15%

15. 1945 में भारत कितने लाख पाउण्ड ‘होम चार्जिस’ के रूप में भरता था ?
(A) 1350
(B) 1450
(C) 1550
(D) 1650
उत्तर :
(A) 1350

16. भारत की प्रतिव्यक्ति आय 2014-15 में स्थिर कीमत पर कितने रु. थी ?
(A) 69959
(B) 74193
(C) 66344
(D) 64316
उत्तर :
(B) 74193

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17. वर्ष 2011-12 में भारत की राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का हिस्सा कितने प्रतिशत था ?
(A) 23%
(B) 25%
(C) 27%
(D) 29%
उत्तर :
(C) 27%

18. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितने करोड़ हो गई ?
(A) 23.84
(B) 36.1
(C) 102.7
(D) 121.02
उत्तर :
(D) 121.02

19. 2011-12 में भारत की जनसंख्या की कितने प्रतिशत जनसंख्या गरीब थी ?
(A) 21.9%
(B) 25%
(C) 29%
(D) 18%
उत्तर :
(A) 21.9%

20. 2013 में भारत का कितना मानव विकास अंक था ?
(A) 0.554
(B) 0.586
(C) 0.463
(D) 0.547
उत्तर :
(B) 0.586

21. 1990-91 के बाद भारत की राष्ट्रीय आय लगभग कितने प्रतिशत की दर से बढ़ी है ?
(A) 3.5%
(B) 4.5%
(C) 5.5%
(D) 6.5%
उत्तर :
(C) 5.5%

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22. भारत में लगभग सड़कों की लम्बाई कितने किलोमीटर लंबी थी ?
(A) 45.6 लाख
(B) 38.6 लाख
(C) 40.6 लाख
(D) 48.6 लाख
उत्तर :
(D) 48.6 लाख

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :

1. ब्रिटिश शासन के सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन बताइए ।
उत्तर :
ब्रिटिश शासन में लड़की दूध पीती का रिवाज समाप्त, लुटेरों की समाप्ती, सतीप्रथा पर रोक, आदि सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन हुआ ।

2. विकासशील देश के रूप में भारत में सिंचाई की सुविधाओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
वर्ष 1950-51 में 22.6 मिलियन हेक्टर में सिंचाई की सुविधा थी जो वर्ष 2012-13 में 63 मिलियन हेक्टर तक हो गयी । इस प्रकार सिंचाई की सुविधावाली जमीन 45% हो गयी है ।

3. वर्ष 1526 से 1858 तक भारत पर किसका साम्राज्य था ?
उत्तर :
वर्ष 1526 से 1858 तक भारत पर मुगलों का शासन था ।

4. वर्ष 1757 से 1947 तक भारत में किसका आधिपत्य था ?
उत्तर :
वर्ष 1757 से 1947 तक भारत में अंग्रेजों का आधिपत्य था ।

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5. प्राचीन समय में भारत मुख्य रूप से कैसा अर्थतंत्र था ?
उत्तर :
प्राचीन समय में भारत मुख्य रूप से ग्राम अर्थतंत्र आधारित था ।

6. भारत की किन वस्तुओं की विश्व में माँग थी ? ।
उत्तर :
भारत की सूती कपड़ा, मलमल का कपड़ा, ताँबे-पीतल के बर्तन, गरम कपड़ा, गर्म मसाला, तेजपत्ता, लोहे के यंत्र आदि की विश्व के बाजार में माँग थी ।

7. भारत में विदेशों से कौन-सी जातियाँ आयीं ?
उत्तर :
भारत में विदेशों से फ्रांसीसी, डच, पुर्तगाली और अंग्रेज आदि जातियाँ आयीं ।

8. रास्तों के निर्माण के लिए किस विभाग की रचना कब की गयी ?
उत्तर :
रास्तों के निर्माण के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की रचना 1855 में की गयी ।

9. भारत में बैंकों की शुरुआत कब से हुयी ?
उत्तर :
भारत में बैंकों की शुरूआत 1770 से हुयी ।

10. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना कब हुयी ?
उत्तर :
भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना 1935 में हुयी ।

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11. ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति कब आयी ?
उत्तर :
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति ई.स. 1750 से 1830 के बीच आयी ।

12. भारत में अंतिम जनगणना कब की गयी और जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर :
भारत में अंतिम जनगणना 2011 में की गयी और जनसंख्या 121.02 करोड़ थी ।

13. भारत में स्वतंत्रता के बाद जनसंख्या वृद्धिदर कितनी थी ?
उत्तर :
भारत में स्वतंत्रता के बाद जनसंख्या वृद्धिदर 1.5% थी ।

14. भारत की मुख्य चिंता क्या है ?
उत्तर :
भारत की मुख्य चिंता जनसंख्या विस्फोट है ।

15. 2013 में मानव विकास अंक की दृष्टि से किस स्थान पर था ?
उत्तर :
2013 में मानव विकास अंक की दृष्टि से 136 वें क्रम पर था ।

16. 63 वर्षों में भारत की शुद्ध राष्ट्रीय आय कितने गुना बढ़ी है ?
उत्तर :
63 वर्षों में भारत की शुद्ध राष्ट्रीय आय 18 गुना बढ़ी है ।

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17. भारत की राष्ट्रीय आय में किस क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है ?
उत्तर :
भारत की राष्ट्रीय आय में सेवाक्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है ।

18. भारत विश्व अर्थतंत्र की दृष्टि से किस स्थान पर है ?
उत्तर :
भारत विश्व अर्थतंत्र की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है ।

19. सेवा क्षेत्र में किसका समावेश होता है ?
उत्तर :
सेवा क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, खान, संचार, बैंक आदि बातों का समावेश होता है ।

20. भारत में रोजगारी के कितने क्षेत्र है ? कौन-कौन से ?
उत्तर :
भारत में रोजगारी के तीन क्षेत्र है :

  1. कृषि
  2. उद्योग
  3. सेवा क्षेत्र

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :

1. ‘होम चार्जिस’ अर्थात् क्या ?
उत्तर :
भारत को ब्रिटिश सरकार को प्रशासन का चार्ज भी चुकाना पड़ता था जिसे ‘होम चार्जिस’ कहते हैं । जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों को वेतन तथा पेन्शन, भत्था, सेना का खर्च, ऋण पर ब्याज का भुगतान आदि का समावेश होता था ।

2. ‘भारत कृषिप्रधान देश है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 17.6% है । कृषि क्षेत्र में 48.9% रोजगार प्राप्त करते है । तथा कृषि उत्पाद निर्यात करके विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं । उद्योगों के लिए कृषि क्षेत्र कच्चा माल तथा उपयोग की वस्तुएँ हमें कृषि क्षेत्र में से प्राप्त होती है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है ।

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3. भारत की प्राचीन निर्यात बताइए ।
उत्तर :
भारत प्राचीन समय में मुख्य रूप से सूती और मलमल का कपड़ा निर्यात करता था । इसके उपरांत कच्चा रेशम, गरम मसाला, गरम कपड़े, शाल, ताडपत्री, मूर्तियाँ आदि का निर्यात किया जाता था ।

4. भारत प्राचीन संस्कृति रखनेवाला देश है ।’ विधान की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
प्राचीन भारत अर्थात् हिन्दुस्तान में विश्व की दो महान प्राचीन संस्कृतियाँ – सिंधु घाटी की संस्कृति और आर्य संस्कृति का समन्वय था । ‘भारत देश विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति रखनेवाले देशों में से एक देश है’ ऐसा हडप्पा और मोहें-जो-दड़ो नाम के स्थान से मिली संस्कृति के अवशेषों पर सिद्ध होता है ।

5. प्राचीन समय में भारत ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से पहचाना जाता था । क्यों ?
उत्तर :
भारत देश प्राचीन समय में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में सक्षम होने के कारण धनिक देश था इसलिए भूतकाल में भारत ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से जाना जाता था ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए ।

1. ‘प्राचीन भारत’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
प्राचीन भारत अर्थात् हिन्दुस्तान । हिन्दुस्तान में विश्व की दो महान प्राचीन संस्कृतियाँ – सिंधु घाटी की संस्कृति और आर्य संस्कृति का समन्वय था । यह देश विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति रखनेवाले देशों में से एक है, जो हड़प्पा और मोहें-जो-दड़ो नाम के स्थान से मिली संस्कृति से सिद्ध होता है ।

प्राचीन भारत की आर्थिक समृद्धि विश्व की आँखें चौंधा दे ऐसी थी । भारत प्राचीन समय से कृषि की वैविध्यता और आधुनिकता रखनेवाला देश था । भारत के किसान साहसी थे । भारत उद्योगों में भी महत्त्वपूर्ण था । भारत के उद्योगों का विश्व में डंका बजता था । भारत का कपड़ा उद्योग, सन उद्योग, कागज उद्योग, कोयला उद्योग, चाय, कॉफी, रबर आदि उद्योगों के विविध औद्योगिक क्षेत्र में विकसित था । सूती कपड़े के निर्यात में भारत अग्रगण्य था । भारत कृषि, उद्योग और व्यापार क्षेत्र में विकसित था ।

(1) रोजगारी का ढाँचा : प्राचीन भारत कृषि प्रधान था, फिर भी भारत में कृषि के उपरांत उद्योगिक दृष्टि से समृद्ध था । भारत के लोग अधिकतर कृषि पर निर्भर थे । मुख्य रूप से ग्राम अर्थतंत्र आधारित था ।

  • कृषि : भारत की कृषि खूब वैविध्यपूर्ण थी । ग्रामीण प्रजा अपनी जीवनजरूरी वस्तु जैसे अनाज, सब्जी, फल, कपड़ा, जूता, पशुपालन और कृषिजन्य वस्तुओं का उत्पादन करती थी । लोग सुखी संपन्न थे ।
  • उद्योग : भारत मुख्य रूप से सूती कपड़ा, मलमल के कपड़े का निर्यात करता था । इसके उपरांत गरम मसाला, शाल, ताड़पत्री, मूर्ति आदि का भी निर्यात करता था ।
  • सेवा : भारत में ई.स. पूर्व.600 में विविध चिन्होंवाले सिक्के बनाये गये । इस समय में व्यापारिक गतिविधियाँ और शहरी विकास सीमा चिन्हरूप थी ।

(2) राष्ट्रीय आय : अंगुस मेडीसन के अनुसार भारतीय अर्थतंत्र विश्व के बड़े अर्थतंत्रों में से एक था । मुगलों के समय में 16वीं सदी में विश्व की आय का 25% आय भारत की थी । औरंगजेब के शासन में भारत की राष्ट्रीय आय 10 करोड़ पाउण्ड हो गयी थी ।

2. संक्षिप्त टिप्पणी लिखो : रेलवे का विकास
उत्तर :
भारत में रेलवे की शुरूआत 16 अप्रैल, 1853 से हुयी ।

  1. भारत में सर्वप्रथम रेलवे लाईन मुम्बई से थाना के बीच डाली गयी थी ।
  2. 1947 में भारतीय रेलवे लाइन की लंबाई 53000 कि.मी. थी ।
  3. 1947 में 68 लाख यात्रियों को रेलवे के द्वारा लाभ दिया जाता था ।
  4. अब रेलवे लाइन की लम्बाई 65,000 कि.मी. के आसपास हो गयी ।
  5. भारतीय रेलवे विश्व के चौथे स्थान पर है ।
  6. रेलवे के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का खूब विकास हुआ है ।
  7. भारतीय परिवहन को तीव्रगामी और सुदृढ़ बनाने में रेलवे का खूब सुंदर योगदान है ।

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3. ब्रिटिश शासन की कर (टेक्स) नीति पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
आयात और निर्यात होनेवाली वस्तुओं पर कर डाला जाता है उसे जकात (चुंगी) कहते हैं । ईस्ट इण्डिया कंपनी ने मुगल बादशाह के पास से 1716 में सनद (अनुमती, लाइसंस) प्राप्त करके प्रदेश पूर्ति जकात में माफी प्राप्त कर ली । उसके विरुद्ध भारतीय व्यापारियों को विविध प्रदेशों में जकात भरनी पड़ती थी । जैसे भारत के सूती कपड़े की निर्यात पर 15% जकात (चुंगी) और ब्रिटेन से आनेवाले सूती कपड़े पर मात्र 2.5% जकात (चुंगी) थी । इस भेदभावपूर्ण जकात नीति के कारण भारत का सूती कपड़े का उद्योग नष्ट हो गया । इस नीति से भारतीय उद्योगों की अवन्नति हुयी ।

ब्रिटिश शासन के दरम्यान कर या टेक्स की दर भी ऊँची थी । दादाभाई नवरोजी की गणना के अनुसार 1876 में अधिक आयवाले ब्रिटेन में कर द्वारा राष्ट्रीय आय का 8% जितना हिस्सा देते थे । जबकि बिटिश सरकार भारत में नीची आयवालों से 15% जितनी राष्ट्रीय आय प्राप्त करती थी । परिणामस्वरूप भारतीय लोगों की स्थिति दयनीय बनी ।

4. भारत की आधारभूत सुविधाओं की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
किसी भी देश का विकास उस देश की आधारभूत सुविधाओं पर निर्भर होता है । स्वतंत्रता के बाद आधारभूत सुविधाओं ___ का विकास हुआ है जैसे :

  1. सिंचाई की सुविधा : वर्ष 1950-51 में 22.6 मिलियन हेक्टर जमीन को सिंचाई की सुविधा थी जो वर्ष 2012-13 में 63 मिलियन हेक्टर जितनी हो गयी । इस प्रकार कुल 45% बुवाईवाला विस्तार सिंचाई की सुविधा के अन्तर्गत आ गया था ।
  2. शिक्षा की सुविधा : भारत में स्वतंत्र के समय 20 युनिवर्सिटी और 500 कॉलेजें थी । जो अब बढ़कर 719 युनिवर्सिटी और 35000 कॉलेजे हो गयी । साक्षरता का प्रमाण 1951 में 18.33% था जो 2011 में 73% जितना हो गया है ।
  3. बिजली की सुविधा : स्वतंत्रता के बाद भारत में बिजली का उत्पादन बढ़ा है । जैसे 1950-51 में बिजली का उत्पादन 2300 mw (मेगावॉट) से बढ़कर 2011-12 में 243,000 mw हो गया है ।
  4. मार्ग (सड़क) की सुविधा : भारत में लगभग 48.6 लाख किलोमीटर लंबी सड़के थी जो सिद्ध करती हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क रखनेवाले देशों में से एक है ।
  5. रेलवे : भारत में रेलवे लाइन की लंबाई लगभग 65,000 किलोमीटर है । भारतीय रेलवे विश्व में चौथे नंबर का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है ।

5. ब्रिटिश शासनकाल के दरम्यान भारतीय उद्योगों की अवनति हुयी ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
ब्रिटिश शासनकाल के दरम्यान इस्ट इण्डिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार ने ऐसी नीतियाँ बनाई जिससे ब्रिटेन का विकास अत्यधिक हो और भारतीय उद्योगों का लाभ भारत को कम ब्रिटेन को अधिक प्राप्त हो । अन्य पूर्ण जकात नीति थी । जैसे भारत के सूती कपड़े पर 15% जकात (चुंगी) थी । जब कि ब्रिटेन के सूती कपड़े पर मात्र 2.5% थी । जिससे भारत के सूती कपड़े के उद्योग नष्ट हुये । हस्तकला के कारीगरों को अपना माल बेचने के लिए दबाव डाला जाता था । जो तैयार नहीं होता था उन पर तरह-तरह के शारीरिक अत्याचार किये जाते थे और उनके बाजारकीमत की अपेक्षा 15 से 40% कम कीमत पर खरीदते थे । इस प्रकार हस्तकला उद्योग नष्ट हुए । इसी प्रकार भारतीय अनेक उद्योगों पर ऊँचा कर वसूल करके भारतीय उद्योगों को नष्ट किया, इस प्रकार ब्रिटिश शासनकाल . के दरम्यान भारत भारतीय उद्योगों की अवनति हुयी है ।

6. ‘व्यावसायिक ढाँचे के आधार पर समझाइए कि भारत विकासशील देश है ।’
उत्तर :
अर्थतंत्र में अनंत असंख्य आर्थिक प्रवृत्तियाँ होती हैं । इनके अध्ययन को सरल बनाने के लिए उन्हें अलग-अलग विभागों में विभाजित करते हैं । इस विभाजन को व्यावसायिक ढाँचा कहते हैं ।

व्यावसायिक ढाँचे को तीन विभागों में विभाजित किया गया है :
(i) कृषि क्षेत्र
(ii) उद्योग क्षेत्र
(iii) सेवा क्षेत्र

(i) कृषि क्षेत्र : कृषिक्षेत्र में कृषि और कृषि से सम्बन्धित उत्पाद जैसे : पशुपालन, डेरी उद्योग, मुर्गापालन आदि का समावेश किया जाता है । स्वतंत्रता के बाद भारत की राष्ट्रीय आय और रोजगार में हिस्सा घटा है :
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(ii) उद्योग क्षेत्र : उद्योग क्षेत्र में मानवसर्जित तत्त्वों का समावेश होता है । जैसे : छोटे उद्योग, बड़े उद्योग, निर्माण उद्योग आदि । का समावेश होता है । स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय आय और रोजगार में हिस्सा बढ़ा है ।
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(iii) सेवा क्षेत्र : सेवा क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, खान, संचार, बैन्किंग जैसी सेवाओं का समावेश होता है । सेवा का योगदान बढ़ा है ।
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इस प्रकार भारत की राष्ट्रीय आय और रोजगार में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घटा है और उद्योग और सेवा का योगदान बढ़ा है । इस पर से कह सकते हैं कि भारत आर्थिक विकास के पथ पर है । भारत विकासशील देश है ।

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7. ‘स्वतंत्रता के बाद भारत के मानवविकास में सुधार हुआ है ।’ विधान की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
मानव विकास की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है । मानव विकास अंक . की रचना के लिए तीन मापदण्ड हैं –

  1. साक्षरता
  2. अपेक्षित औसत आयु
  3. जीवनस्तर ।

इन तीनों के आधार पर मानव विकास अंक की रचना की जाती है । जिसके अनुसार भारत के मानव विकास अंक में सुधार हुआ है । वर्ष 2000 के मानव विकास अहवाल के अनुसार भारत का मानवविकास अंक 0.463 थी वह सुधरकर 2010 में 0.547 और 2012 में 0.554 और 2013 में 0.586 अंक के साथ 187 देशों में 136 क्रम पर था । इस प्रकार मानव मानवविकास में सुधार हुआ है । परंतु विकसित देशों की तुलना में अभी भी कम है ।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :

1. विकासशील भारतीय अर्थतंत्र के लक्षणों को समझाइए ।
उत्तर :
कौन-सा देश विकसित है या विकासशील है यह उस देश के अर्थतंत्र के लक्षणों से जान सकते हैं । भारतीय अर्थतंत्र भी स्वतंत्रता के बाद विकास के रास्ते पर अग्रसर है इसलिए भारतीय अर्थतंत्र के रूप में विकासशील देश के लक्षण निम्नानुसार हैं :

(1) आर्थिक वृद्धि : भारतीय अर्थतंत्र में 1970 के बाद आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाई है । जैसे 1950-51 से 1990-91 तक आर्थिक वृद्धिदर 3.5% वार्षिक स्तर पर बढ़ रही थी । वह बढ़कर 1990-91 की आर्थिक नीति में परिवर्तन के बाद आर्थिक वृद्धि दर 6.8% वार्षिक स्तर वृद्धि हुयी है । 2012-13 के बाद 2014-15 में वृद्धिदर मंद पड़ी हैं और वह वार्षिक 5% से नीची दर से बढ़ी है । आर्थिक वृद्धि दर फिर से ऊँची होगी ऐसी आशा है ।

भारत की राष्ट्रीय आय स्थिर भाव पर 1950-51 में रु. 2,69,724 करोड़ थी जो बढ़कर 2013-14 में रु. 87,51,834 करोड़ हो गयी है । इस प्रकार 63 वर्षों में राष्ट्रीय आय में 18 गुनी वृद्धि हुयी है ।

(2) राष्ट्रीय आय में विविध क्षेत्रों का योगदान है : भारत की आर्थिक वृद्धि मापने का महत्त्वपूर्ण मापदण्ड कृषिक्षेत्र है । भारत की राष्ट्रीय आय में कृषिक्षेत्र का हिस्सा 1950-51 में 53.1% था वह घटकर 2014-15 में 17.6% रह गया है । जबकि उद्योग और सेवा का हिस्सा बढ़ा है । 1950-51 में उद्योग और सेवा का हिस्सा क्रमश: 16.6% और 30.3% था वह बढ़कर 2014-15 में 29.7% और 52.7% हो गया है, जो विकासशील देशों का लक्षण है ।

(3) प्रतिव्यक्ति आय : स्वतंत्रता के बाद भारत की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हुयी है । 1950-51 में स्थिर भाव पर भारत की प्रति व्यक्ति आय रु. 7114 थी जो बढ़कर 2013-14 में रु. 39,904 हो गयी इस प्रकार 63 वर्षों में साढ़े चार गुनी बढ़ी है ।

वृद्धि दर की दृष्टि से देखें तो 1950-51 से 1990-91 तक प्रतिव्यक्ति आय की वृद्धिदर 1.6% थी जो बढ़कर 1990-91 से 5.5% वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है ।

(4) रोजगारी का स्तर : भारत में रोजगारी के लिए तीन क्षेत्र है :

  • प्राथमिक क्षेत्र : इस क्षेत्र में कृषि तथा कृषि से सम्बन्धित प्रवृत्तियाँ जैसे पशुपालन, जंगल, मुरगा पालन आदि का समावेश होता है । 1951 में इस क्षेत्र का रोजगार का हिस्सा 72.1% था जो घटकर 2011-12 में 48.9% रह गया है ।
  • औद्योगिक क्षेत्र : उद्योग क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन प्रवृत्तियों का समावेश होता है जैसे छोटे-बड़े उद्योग, निर्माण उद्योग, जहाजरानी आदि । उद्योगों का भारतीय रोजगार में 1950-51 में योगदान 10.6% था जो बढ़कर 2011-12 में 24.3% हो गया ।
  • सेवा क्षेत्र : सेवा क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, खान, संचार, बैंक जैसी अनेक प्रवृत्तियों का समावेश होता है । सेवा क्षेत्र का योगदान 1950-51 में 17.3% था वह बढ़कर 2011-12 में 26.9% हो गया है । इस प्रकार रोजगार में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घटा है और उद्योग और सेवा क्षेत्र का हिस्सा बढ़ा है ।

(5) आधारभूत सुविधाओं में वृद्धि : देश की आर्थिक वृद्धि दर आधारभूत सुविधाओं पर होती है । जिसमें सिंचाई, शिक्षा, बिजली, सड़क, रेलवे आदि सुविधाओं का समावेश किया जाता है । स्वतंत्रता के बाद भारत में आधारभूत सुविधा का विकास हुआ है ।

  • सिंचाई की सुविधा : 1950-51 में सिंचाईवाली जमीन 22.6 मिलियन हेक्टर थी वह बढ़कर 2012-13 में 63 मिलियन हेक्टर हो गयी है । इस प्रकार 45% जमीन सिंचाई युक्त हो गयी है ।
  • शिक्षा की सुविधा : भारत में स्वतंत्रता के समय मात्र 20 युनिवर्सिटीयाँ और 500 कॉलेजे थी जो आज बढ़कर 719 युनिवर्सिटी और 35000 कॉलेजे हो गई है । उसी प्रकार भारत में साक्षरता की दर 1951 में 18.33% थी जो बढ़कर 2011 में 73% तक हो गयी है।
  • बिजली की सुविधा : 1950-51 में बिजली का उत्पादन 2300 mw (मेगावॉट) था वह बढ़कर 2011-12 में 2,43,000 mw हो गया है । इस प्रकार बिजली के उत्पादन में सिद्धि हासिल की है ।
  • मार्ग परिवहन की सुविधा : भारत सड़क मार्ग में सबसे बड़ा नेटवर्क रखनेवाला देश है, जो लगभग 48.6 लाख किलोमीटर लम्बी सड़कों पर से सिद्ध होता है ।
  • रेलवे की सुविधा : भारतीय रेलवे विश्व में चौथे नंबर का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है जो लगभग 65,000 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग रखता है ।

आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व बैंक की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार समखरीद शक्ति के आधार पर अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है और जापान की अर्थव्यवस्था चौथे स्थान पर है । 2005 में भारतीय अर्थव्यवस्था दसवें क्रम पर थी । इस प्रकार भारत ने विश्व के देशों की तुलना में अभूतपूर्व विकास किया है ।

2. प्राचीन भारत के उद्योगों की स्थिति स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
प्राचीन भारत की आर्थिक समृद्धि विश्व के देशों की आँखों में भी चकाचौंध जाती थी । उसके कारण विश्व में भारत प्राचीन समय से कृषि की वैविध्यता और आधुनिकता रखनेवाला देश है । भारत के किसान साहसी और समृद्ध थे । जब भारत के उद्योग भी किसी भी दृष्टि से कम नहीं है । एक समय में भारत के उद्योगों का विश्व में डंका बजता था । भारत का कपड़ा उद्योग, सन उद्योग, कागज उद्योग, कोयला उद्योग, चाय उद्योग, कॉफी उद्योग, रबर उद्योग इस प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में विकसित था । जिसमें भारत सूती कपड़े का उत्पादन और निर्यात क्षेत्र में अग्रसर था । जबकि तीसरे पक्ष में भारत का व्यापार विश्व प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका था । प्राचीन समय में विदेश जाने के लिए खूब ही अवरोधक थे फिर भी भारतीय व्यापारी जलमार्ग से विश्व के देशों में भारत से गर्म मसाला, तेज पता, सूती कपड़ा, मलमल का कपड़ा और गरम कपड़ा आदि का विक्रय करता था और बड़े पैमाने पर मुद्रा का सर्जन करता था ।

इस प्रकार कह सकते हैं कि भारत कृषि, उद्योग और व्यापार क्षेत्र में विकसित था जो आर्थिक संपन्नता का प्रतीक था ।

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3. स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय अर्थतंत्र की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में जब अंग्रेज आये तब भारतीय कृषि, उद्योग और व्यापार में समृद्ध था । भारत का विश्व में नाम था । भारत के सूती कपड़े, मलमल का कपड़ा, ताँबे-पीतल के बर्तन, गरम कपड़े, गर्म मसाला, तेजपता, लोहे के साधनों की विश्व बाजार में माँग थी । भारत के ग्राम्य विस्तार सुखी और संपन्नता के साथ स्वावलंबी थे । इस समृद्धता को देखकर विदेशी प्रजा का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा और प्रथम व्यापार के अर्थ से भारत में आगमन हुआ । अंग्रेजों ने व्यापार के साथ सत्ता हांसिल की और वर्ष 1757 से 1947 तक भारत अंग्रेज शासन का शिकार था ।

ब्रिटिश शासन दरम्यान भारत ने कुछ कम प्रमाण में अच्छे परिणाम और अधिक प्रमाण में खराब परिणामों का सामना करना पड़ा, जो निम्नानुसार है :

(1) रेलवे : ब्रिटिश शासन दरम्यान भारत को मिला रेलवे लाभ देनेवाली व्यवस्था बनी । भारत के परिवहन को तीव्र और मजबूत . बनाने में रेलवे का महत्त्वपूर्ण योगदान है । 16 अप्रैल, 1853 में मुम्बई से थाना के बीच प्रथम रेलवे लाइन शुरू हुयी । 1947 तक 53000 किमी लम्बाई थी और 68 लाख यात्रियों की लाभ देनेवाली निजी संस्था थी ।

(2) मार्ग परिवहन : ब्रिटिश शासन के दरम्यान 1855 में सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की रचना की गयी थी । भारत में सड़क-रास्तों के निर्माण की जवाबदारी ब्रिटिश शासन ने ले ली । 19वीं सदी के अंत तक रास्तों की लम्बाई कुल 2,78,420 कि.मी. थी वह बढ़कर 1943 में 4,47,105 कि.मी. हो गई । जिससे 32.% पक्की सडके और 68% कच्ची सडके थी ।

(3) बैंक : भारत में निजी क्षेत्र में बैंक की शुरुआत 1750 में हुयी । जो 1946 तक 700 से अधिक थी । 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया (RBI) की रचना उल्लेखनीय थी ।

(4) सामाजिक ढाँचा : अंग्रेज शासन दरम्यान अन्य उल्लेखनीय कार्यों में लड़की का दूध-पीती का रिवाज को समाप्त करना, लुटेरों का नाश, सतीप्रथा पर रोकने में भारतीयों ने दिये साथ-सहकार उल्लेखनीय थे ।

(5) कृषि : ब्रिटिश शासन दरम्यान भारतीय किसानों के पास ऊँचा महसूल वसूल करते थे, जमीनदारी प्रथा को प्रोत्साहन, जोत के अधिकार असुरक्षित आदि से किसानों का शोषण हुआ । जिससे भारतीय किसान गरीब बने और कृषि मजदूर बन गये । इस प्रकार ब्रिटिश शासन के दरम्यान भारतीय किसान दयनीय बने ।

(6) महेसूल दर : ईस्ट इण्डिया कंपनी विभिन्न राजाओं के पास महेसूल वसूल करने की सत्ता प्राप्त करके जमीन मालिकों के पास ऊँची दर से महसूल प्राप्त करने की परवानगी ली, जो जमीनदारों के पास थी । ब्रिटिश सरकार किसानों से कृषि आय का आधा भाग हो इतना अधिक महसूल रकम वसूली की नीति अपनायी । ब्रिटिश सरकार अत्याचारी थी । किसानों पर दंड करती संपत्ति जप्त कर लेती, जमीन हड़प कर लेती, ऐसे मनमानी निर्णयों से भारतीय कृषि को बहुत नुकसान हुआ ।

(7) कर की ऊँची दर : ब्रिटिश शासन के दरम्यान टेक्स की आय के सम्बन्ध में दादाभाई नवरोजी के गणना के अनुसार 1876 में अधिक आयवालों से ब्रिटन में टेक्स द्वारा राष्ट्रीय आय का 8% जितना हिस्सा प्राप्त होता था जब कि भारत में ब्रिटिश सरकार नीची आयवालों के पास से 15% जितना राष्ट्रीय आय हिस्सा टेक्स द्वारा वसूल करते थे । जैसे नमक पर कर, भारत में नमक समुद्री किनारे से सरलता से मिल जाता था फिर भी अंग्रेज इंग्लैण्ड से जहाजों द्वारा नमक लाकर अधिक मात्रा में कर द्वारा आय प्राप्त करती थी । जिसके लिए गाँधीजी ने दांडीकुच करके सविनय नमक सत्याग्रह किया था ।

(8) टेक्स (कर) नीति : आयात और निर्यात होनेवाली वस्तुओं पर जो कर डाला जाता है उसे जकात (चंगी) कहते हैं । ईस्ट इण्डिया कंपनी ने मुगल बादशाह के पास से 1716 में सनद (लाइसन्स) प्राप्त करके प्रदेश मर्यादित जकात माफी ले ली थी । इसके विरुद्ध भारतीय व्यापारियों को विभिन्न प्रदेशों के कर भरने पड़ते थे । भारत के सूती कपड़े के निर्यात पर 15% जकात और ब्रिटेन से आनेवाले सूती कपड़े पर मात्र 2.5% जकात थी इस भेदभाव भरी नीति के कारण भारतीय उद्योग नष्ट हो गये ।

(9) उद्योग नीति : ब्रिटेन में ई.स. 1750 से 1830 के बीच औद्योगिक क्रांति हुयी । इसी समय दरम्यान ईस्ट इण्डिया कंपनी ने व्यापार के साथ सत्ता स्थापित करने की शुरूआत कर दी थी । 1858 तक भारत का बड़ा भाग अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत आ गया था । जिससे ब्रिटिश सरकार ने ऐसी नीति अपनायी जिससे ब्रिटेन की उत्पादित वस्तुओं का अधिक से अधिक विक्रय हो, जिससे भारतीय उद्योग नष्ट हुए ।

(10) आर्थिक शोषण : ब्रिटिश अर्थतंत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कंपनी और ब्रिटिश सरकार ने इस प्रकार की व्यूहरचना अपनायी की जिसके द्वारा मात्र ब्रिटिश सरकार को लाभ हो । उन्होंने विशेष कर के ऐसी व्यापार नीति अपनायी, जिसके द्वारा भारतीय साधनों का महत्तम उपयोग करके ब्रिटेन के उद्योगों का विकास हो ।

(11) हस्तकला कारीगरों का शोषण : ईस्ट इण्डिया कंपनी हस्तकला कारीगरों के पास से बाजार कीमत से 15 से 40% कम कीमत पर वस्तु खरीद लेती । जो कारीगर तैयार नहीं होता उस पर अंग्रेजों द्वारा शारीरिक अत्याचार किये जाते थे । इस प्रकार हस्तकला कारीगरों का शोषण किया ।

(12) पूँजी निवेश का प्रवाह : ब्रिटिश शासन द्वारा भारत और ब्रिटेन की जो पूँजी निवेश किया गया उसकी दिशा ब्रिटेन के पक्ष में तथा भारत विरोधी रखी गयी थी । अर्थात् कि पूँजी निवेश से भारत पर अंग्रेजों का साम्राज्य कायम रहे और ब्रिटिश अर्थतंत्र को उसका पूरा लाभ मिले ऐसा आयोजन किया गया ।

(13) विविध भरण का भार : भारत को ब्रिटिश सरकार को प्रशासन का चार्ज भरना पड़ता था जिसे ‘होमचार्जिस’ अर्थात् भरण के नाम से जानते है । भारत को अनेक ब्रिटिशों को कितना ही भुगतान करना पड़ता था । जैसे ब्रिटिश अधिकारियों को वेतन, पेन्शन तथा भथ्था, सेना का खर्च, ऋण पर ब्याज भुगतान आदि का समावेश होता था । ई.स. 1924-25 के वर्ष में 300 लाख्न पाउण्ड जितनी रकम भरनी पड़ी थी जो बढ़कर 1945 में 1350 लाख पाउण्ड हो गयी थी । जिसके कारण भारत अधिक गरीब और ब्रिटेन अधिक धनवान बनता चला गया ।

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4. स्वतंत्रता के पश्चात् के भारतीय अर्थतंत्र की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय अर्थतंत्र का विकास हो इसलिए भारत सरकार ने योजना आयोग (अब नीति आयोग) की रचना की, परिणामस्वरूप भारतीय अर्थतंत्र का उल्लेखनीय विकास हुआ जो नीचे के मद्दों से फलित होता है :

(1) प्रति व्यक्ति आय : स्वतंत्रता के बाद भारत की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हुयी है । जैसे 2013 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय 5150 डॉलर थी जबकि चीन की प्रतिव्यक्ति आय 11477 डॉलर, श्रीलंका की 9250 डॉलर, अमेरिका 52,308 डॉलर और नोर्वे 63,909 डॉलर की अपेक्षा बहुत कम है । विकसित देशों की तुलना में भारत की प्रतिव्यक्ति आय लगभग 10 गुना कम है । पिछड़े देशों की अपेक्षा विशेष वृद्धि नहीं है । भारतीय चलन में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2014-15 में स्थिर कीमत 74,193 रु. है ।

(2) कृषि : भारत एक कृषि प्रधान देश है । स्वतंत्रता के समय भारत के लगभग 72% और 2001-02 में 58% लोग कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करते थे । जो अब 2013-14 में घटकर 49% रह गया है । राष्ट्रीय आय में 1950-51 में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 55% था वह घटकर अब 14% रह गया है । इस प्रकार भारतीय अर्थतंत्र में कृषि क्षेत्र का हिस्सा या महत्त्व कम हुआ है ।

(3) उद्योग : स्वतंत्रता के बाद भारत में औद्योगिक झुकाव बढ़ा है । 1950-51 में रोजगार में उद्योगों का हिस्सा 10.6% था वह बढ़कर 2011-12 में 24.3% हो गया । उसी प्रकार राष्ट्रीय आय में उद्योगों का हिस्सा 1950-51 में 16.6% था वह बढ़कर 2013-14 में 26% हो गया है । 2/3 निर्यात कमाई उद्योग क्षेत्र से होती है ।

(4) सेवा क्षेत्र : भारत में उद्योगों के साथ-साथ सेवा क्षेत्र का भी विकास हुआ है । जैसे 1951 में भारत की रोजगारी में सेवाक्षेत्र का हिस्सा 17.3% था जो बढ़कर 2011-12 में 27% हो गया है । राष्ट्रीय आय में सेवाक्षेत्र का योगदान 30.3% था जो बढ़कर 201415 में 52.7% हो गया है । इस प्रकार भारत में सेवाक्षेत्र का अभूतपूर्व विकास हुआ है ।

(5) जनसंख्या : स्वतंत्रता के बाद भारत में आरोग्य सुविधाएँ बढ़ने से मृत्युदर में कमी आई है परिणामस्वरूप जनसंख्या तीव्रता से बढ़ी है जैसे 1901 में भारत की जनसंख्या 23.84 करोड़, 1951 में 36.1 करोड़, 2001 में 102.7 करोड़ और अंत में 2011 की जनगणना के अनुसार 121.02 करोड़ थी । इस प्रकार भारत में स्वतंत्रता के बाद जनसंख्या विस्फोट हुआ है जो चिंता का विषय है ।

(6) गरीबी : भारत निरपेक्ष गरीबी की समस्या रखनेवाला देश है । भारत में 1973-74 में 54.9% लोग गरीब थे । यह प्रमाण 1993-94 में घटकर 45.3% रह गया । वर्ष 2004-05 में 37.2% तथा 2011-12 में यह प्रमाण घटकर 21.9% रह गया है । इस प्रकार भारत की गरीबी में कमी आयी है । परंतु गरीबी का प्रमाण अभी भी चिंताजनक है ।

(7) बेरोजगारी : भारत में बेरोजगारी की समस्या अभी भी देखने को मिलती है । 1951 में 33 लाख लोग बेरोजगार थे । 19992000 में भारत में 7.31% लोग बेरोजगार थे । यह प्रमाण बढ़कर 2004-05 में 8.2% हो गया । परंतु 2009-10 में घटकर 6.6% और 2011-12 में 5.6% रह गया है । भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेकारी का प्रमाण विशेष है, जो छिपी या अदृश्य होने से मापना कठिन है ।

(8) मानव विकास : मानव विकास अंक की रचना संयुक्त राष्ट्र संघ ने की । औसत आयु, साक्षरता और जीवन स्तर जैसे मापदण्डों के आधार पर मानव विकास अंक की रचना की जाती है । वर्ष 2000 में मानव विकास की रिपोर्ट के अनुसार भारत का मानव विकास अंक 0.463 था जो सुधरकर 2010 में 0.547, 2012 में 0.554 और 2013 में 0.586 अंक हो गया । भारत विश्व के 187 देशों में मानव विकास अंक की दृष्टि से 136 वे क्रम पर था ।

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5. प्राचीन भारत के अर्थतंत्र की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
प्राचीन भारत अर्थात् हिन्दुस्तान । हिन्दुस्तान में विश्व की दो महान प्राचीन संस्कृतियाँ – सिंधु घाटी की संस्कृति और आर्य संस्कृति का समन्वय था । भारत देश विश्व की सबसे अधिक प्राचीन संस्कृति रखनेवाला एक देश है, ऐसा हड़प्पा और मोहेंजो-दड़ो से प्राप्त संस्कृति से सिद्ध होता है ।
प्राचीन भारत आर्थिक रूप से समृद्ध था जो निम्नलिखित मुद्दों से जान सकते हैं :

(1) रोजगारी का ढाँचा : प्राचीन भारत कृषिप्रधान था । फिर भी भारत कृषि के उपरांत उद्योगों की दृष्टि से समृद्ध था । भारत की अधिकतर जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी और देश मुख्य रूप से ग्राम अर्थतंत्र पर आधारित था ।

(2) कृषि : भारत की कृषि खूब वैविध्यपूर्ण और समृद्ध थी जिसके कारण ग्राम्य विस्तार स्वावलंबी थे । ग्राम्य जनसंख्या अपनी आवश्यकताएँ जैसे अनाज, सब्जीयाँ, फल, कपड़ा, जूते, पशुपालन और कृषिजन्य वस्तुओं का उत्पादन करते थे । जिसके कारण उनका जीवन खूब सुख-समृद्धिवाला था ।

(3) उद्योग : प्राचीन भारत उद्योगिक दृष्टि से भी अग्रण्य था । प्रसिद्ध इतिहासकार टी. राय चौधरी के अनुसार ’19वीं सदी से पूर्व भारत औद्योगिक उत्पादन करनेवाला अग्रगण्य देश था ।’ भारत मुख्य रूप से सूती, मलमल के कपड़े का निर्यात करता था ।
इसके उपरांत कच्चा रेशम, गर्म कपड़े, शाल, ताडपत्री, मूर्ति, सन आदि का निर्यात करता था ।

(4) सेवा : लगभग ई.स. पूर्व 600 में प्राचीन भारत में विविध चिन्होंवाले सिक्के बनाये जाते थे । विशेष रूप से इस समय में विविध व्यापारिक गतिविधियाँ और शहरी विकास के लिए सीमाचिन्ह रूप में कामकाज किया गया । राजकीय एकता, सामर्थ्य और सैन्य सुरक्षा के कारण कृषि उत्पादकता और व्यापार में असाधारण वृद्धि उल्लेखनीय बनी ।

(5) राष्ट्रीय आय : किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि राष्ट्रीय आय से जान सकते हैं । आर्थिक इतिहासकार अंगुस मेडीसन के अनुसार भारत विश्व का सबसे बड़ा अर्थतंत्र था । मौर्य राजा के समयांतराल में भारतीय अर्थतंत्र में बहुत से महत्त्वपूर्ण और विकासलक्षी निर्णय लिये गये और एक समय ऐसा था कि पूरा भारत एक ही राजा के अन्तर्गत था । 16वीं सदी के मुगल शासन के दौरान भारतीय अर्थतंत्र विश्व की आय में 25% आय रखता है । 17वी सदी के अंत तक मुगल शासन का विकास हुआ और दक्षिण एशिया का 90% शासन उनकी सत्ता में था, जिसके कारण एकसमान कर और जकात (चुंगी) डाली गयी । वर्ष 1700 में औरंगजेब के शासनकाल में भारत की राष्ट्रीय आय 10 करोड़ पाउण्ड थी और उसके बाद भारत में विदेशी प्रजा का आगमन हुआ ।

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