GSEB Solutions Class 11 Economics Chapter 9 राष्ट्रीय आय

GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 9 राष्ट्रीय आय Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 9 राष्ट्रीय आय

GSEB Class 11 Economics राष्ट्रीय आय Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए :

1. उत्पादन पद्धति से राष्ट्रीय आय की परिभाषा किसने दी ?
(A) मार्शल
(B) फिशर
(C) पिगु
(D) सेम्युलसन
उत्तर :
(A) मार्शल

2. निम्न में से किस बात को GNP की गणना में ले सकते हैं ?
(A) होस्पीटल में किया जानेवाला ऑपरेशन
(B) गृहिणी का गृहकार्य
(C) शिक्षक अपनी संतान को पढ़ाये
(D) बाथरूम में गाया जानेवाला गीत
उत्तर :
(A) होस्पीटल में किया जानेवाला ऑपरेशन

3. अलिप्त अर्थतंत्र में निम्न में से कौन-सा क्षेत्र नहीं है ?
(A) परिवार
(B) इकाईयाँ
(C) उद्योग
(D) विदेश-व्यापार
उत्तर :
(D) विदेश-व्यापार

4. राष्ट्रीय आय की गणना में सरकार के किस खर्च का समावेश नहीं होता है ?
(A) उत्पादक
(B) प्रतिफल भुगतान (परिवर्तन)
(C) श्रमिकों का वेतन
(D) संरक्षण खर्च
उत्तर :
(B) प्रतिफल भुगतान (परिवर्तन)

5. मद्राकीय खर्च के घटकों की संख्या है ?
(A) 4
(B) 2
(C) 1
(D) 10
उत्तर :
(A) 4

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6. उपयोग (उपभोग) पर आधारित राष्ट्रीय आय की परिभाषा देनेवाले अर्थशास्त्री …………………..
(A) मार्शल
(B) पिगु
(C) फिशर
(D) एडम स्मिथ
उत्तर :
(C) फिशर

7. ऐ. सी. पिगु की राष्ट्रीय आय की परिभाषा किस पर आधारित थी ?
(A) मुद्रा पर
(B) उत्पादन पर
(C) उपभोग पर
(D) वास्तव
उत्तर :
(A) मुद्रा पर

8. अर्थतंत्र के मुख्य प्रकार कितने हैं ?
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार
उत्तर :
(B) दो

9. किराया + वेतन + ब्याज + लाभ = ……………………..
(A) राष्ट्रीय उत्पाद
(B) शुद्ध आय
(C) राष्ट्रीय आय
(D) विदेशी आय
उत्तर :
(C) राष्ट्रीय आय

10. राष्ट्रीय आय को मापने की पद्धतियाँ कितनी हैं ?
(A) एक
(B) तीन
(C) चार
(D) दो
उत्तर :
(B) तीन

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11. अपना मकान दूसरे को किराये पर दिया होता तो किराया मिल सकता उसे कौन-सा भाड़ा (किराया) कहते हैं ?
(A) किराया
(B) मुद्राकीय किराया
(C) वास्तविक किराया
(D) आरोपित किराया
उत्तर :
(D) आरोपित किराया

12. राष्ट्रीय आय की गणना करनेवाली संस्था ……………………………
(A) IIM
(B) SIB
(C) NSS
(D) CSO
उत्तर :
(D) CSO

13. अलिप्त अर्थतंत्र एक …………………………
(A) कल्पना है ।
(B) वास्तविकता है ।
(C) अनुमान है ।
(D) मान्यता है ।
उत्तर :
(A) कल्पना है ।

14. सकल घरेलू उत्पाद में ………………………….. से प्राप्त आय का समावेश नहीं होता है ।
(A) देश
(B) विदेशों
(C) सरकार
(D) राज्य
उत्तर :
(B) विदेशों

15. कुल राष्ट्रीय आय में से घिसाई खर्च निकाल देने से कौन-सी आय प्राप्त होती है ?
(A) GNP
(B) NDP
(C) NNP
(D) GDP
उत्तर :
(B) NDP

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16. राष्ट्रीय आय का प्रवाह कैसा होता है ? ।
(A) रैखीय
(B) आयताकार
(C) चक्रीय
(D) समांतर
उत्तर :
(C) चक्रीय

17. स्थिर भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना करने पर कौन-सी आय प्राप्त होती है ?
(A) मुद्राकीय आय
(B) काल्पनिक आय
(C) उत्पादन आय
(D) वास्तविक आय
उत्तर :
(D) वास्तविक आय

18. राष्ट्रीय आय की गणना करने में सबसे बड़ी कठिनाई …………….. गणना की है ।
(A) दोहरी
(B) एकहरी
(C) अदृश्य
(D) भौतिक
उत्तर :
(A) दोहरी

19. …………………… अर्थतंत्र में विदेशी व्यापार में सरकार की भूमिका होती है ।
(A) अलिप्त
(B) मुक्त
(C) समाजवादी
(D) साम्यवादी
उत्तर :
(B) मुक्त

20. राष्ट्रीय आय के तीन पहलू आय, खर्च एवं ………………………. है ।
(A) श्रम
(B) जमीन
(C) नियोजन
(D) उत्पादन
उत्तर :
(D) उत्पादन

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :

1. राष्ट्रीय आय अर्थात् क्या ?
उत्तर :
वर्ष के दौरान देश में कृषि, उद्योग और सेवा के क्षेत्र में कुल जो उत्पादन होता है उसके मुद्राकीय को उस देश की राष्ट्रीय आय कहते हैं ।

2. अलिप्त अर्थतंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस अर्थतंत्र में विदेश व्यापार अनुपस्थित हो तो उसे अलिप्त अर्थतंत्र कहते हैं । (आयात-निर्यात का समावेश नहीं होता है ।)

3. प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात करने का सूत्र लिखो ।
उत्तर :
प्रतिव्यक्ति आय का सूत्र :
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4. शुद्ध आंतरिक उत्पादन का अर्थ लिखो ।
उत्तर :
उत्पादन-प्रक्रिया के दरम्यान साधनों से सम्बन्धित घिसाई (घिसावट, घिसारा) को आंतरिक उत्पादन में से घटाने पर प्राप्त आय को शुद्ध आंतरिक उत्पादक कहते हैं ।

5. प्रतिफल भुगतान अर्थात् क्या ?
उत्तर :
उत्पादन के साधनों को उसके बदले में चुकाये गये प्रतिफल को प्रतिफल भुगतान कहते हैं । जैसे : जमीन को किराया, पूँजी को ब्याज, श्रम को वेतन तथा नियोजन को लाभ प्रतिफल के रुप में प्राप्त होता है ।

6. पुराने मकान की खरीदी राष्ट्रीय आय में गिनी जाएगी कि नहीं ? क्यों ?
उत्तर :
पुराने मकान की खरीदी राष्ट्रीय आय में नहीं गिनी जाएगी क्योंकि नए मकान की कीमत को राष्ट्रीय आय में गिन लिया गया होगा । पुनः गिनेंगे तो दोहरी गणना होगी जिससे राष्ट्रीय आय का वास्तविक ख्याल नहीं आयेगा ।

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7. गृहिणी के गृहकार्य की सेवा का समावेश राष्ट्रीय आय में क्यों नहीं होता है ?
उत्तर :
गृहिणी के गृहकार्य की सेवा के बदले (प्रतिफल) के स्वरूप में कुछ भी प्राप्त नहीं होता है (आय-खर्च शून्य होती है) इसलिए गृहिणी के गृहकार्य की सेवा का समावेश राष्ट्रीय आय में नहीं होता है ।

8. आरोपित किराया’ (भाड़ा) अर्थात् क्या ?
उत्तर :
हम जिस मकान में रहते हैं, उसका इतना किराया मिलता ऐसा मानकर जो किराया गिन लेते हैं उसे आरोपित किराया भाड़ा. कहते हैं ।

9. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करनेवाली संस्था का नाम लिखो ।
उत्तर :
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करनेवाली संस्था का नाम – CSO – Central Statistical Organization (केन्द्रीय सांख्यिकीय
संगठन) है ।

10. मुद्राकीय राष्ट्रीय आय की किस भाव पर गणना की जाती है ?
उत्तर :
मुद्राकीय राष्ट्रीय आय चालू भाव अर्थात् अस्थिर भाव अर्थात् बाजार मूल्य पर गणना की जाती है ।

11. प्रतिव्यक्ति आय यह देश के प्रत्येक नागरिक की आय नहीं है ? किस प्रकार से ?
उत्तर :
प्रतिव्यक्ति आय देश की कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या के भाग देने से प्राप्त होती है । यदि राष्ट्रीय आय का वितरण असमान होगा तो कुछ लोगों की आय बढ़ जायेगी कुछ लोगों तक नहीं पहुंच पाएगी इसलिए प्रतिव्यक्ति आय देश के प्रत्येक नागरिक की आय नहीं है ।

12. उत्पादन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
निश्चित समय दरम्यान उपलब्ध साधनों द्वारा जितने प्रमाण में वस्तुएँ उत्पन्न हों तो उसे उत्पादन कहते हैं ।

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13. राष्ट्रीय उत्पाद किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वर्ष के दरम्यान उत्पादन के साधनों से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अंतिम स्वरूप की वस्तुएँ और सेवाओं के कुल उत्पादनमूल्य के योग को राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं ।

14. मुक्त (खुला) अर्थतंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस अर्थतंत्र में सरकार और विदेश व्यापार की भूमिका हो, सरकार अनेक कार्य करती है । देश में आयात-निर्यात भी होता है उसे खुला (मुक्त) अर्थतंत्र कहते हैं ।

15. दोहरी गणना किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब राष्ट्रीय आय की गणना में किसी वस्तु या सेवा का मूल्य एक की अपेक्षा अनेक बार गणना की जाये तो उसे दोहरी गणना कहते हैं ।

16. घिसाई अर्थात क्या ?
उत्तर :
घिसाई अर्थात् उपभोग (उपयोग) के कारण पूँजी साधन की कीमत में क्रमशः और स्थायी कमी यह घिसाई है ।

17. शुद्ध आय अर्थात् क्या ?
उत्तर :
विदेश में से होनेवाली कुल आय और विदेश में होनेवाले कुल भुगतान के बीच के अन्तर को शुद्ध आय कहते हैं ।

18. करचोरी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
करदाता जब कर भरने के दायित्व से चूके तो उसे करचोरी कहते हैं । करचोरी गैरकानूनी है ।

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19. अर्थतंत्र के कितने प्रकार हैं ? कौन-कौन से ?
उत्तर :
अर्थतंत्र के दो प्रकार हैं :

  1. अलिप्त अर्थतंत्र
  2. मुक्त (खुला) अर्थतंत्र

20. राष्ट्रीय आय को मापने की कितनी पद्धतियाँ हैं ? कौन-कौन सी है ?
उत्तर :
राष्ट्रीय आय मापने की तीन पद्धतियाँ है :

  1. उत्पादन
  2. आय और
  3. खर्च ।

21. GDP का पूरा नाम लिखो ।
उत्तर :
GDP का पूरा नाम : Gross Domestic Product है ।

22. NDP का पूरा नाम लिखो ।
उत्तर :
NDP का पूरा नाम – Net Domestic Product है ।

23. GNP का पूरा नाम लिखो ।
उत्तर :
GNP का पूरा नाम – Gross National Product है ।

24. NNP का पूरा नाम लिखो ।
उत्तर :
NNP का पूरा नाम – Net National Product है ।

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25. C.S.O. का पूरा नाम लिखिए ।
उत्तर :
C.S.O. का पूरा नाम – Central Statistical Organization है ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए :

1. राष्ट्रीय आय की मार्शल और फिशर की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय की अलग-अलग अर्थशास्त्रीयों ने अलग-अलग परिभाषा दी हैं ।
मार्शल के अनुसार : “वर्ष दरम्यान देश के श्रम और पूँजी का प्राकृतिक संपत्ति (जमीन) के संयोग होने से जो भौतिक (दृश्य) और अभौतिक (अदृश्य-सेवाएँ) वस्तुओं का शुद्ध उत्पादन होता है तो उसे देश की राष्ट्रीय आय कहते हैं ।” इस प्रकार मार्शल की परिभाषा उत्पादनलक्षी परिभाषा है ।

फिशर के अनुसार : “वर्ष दरम्यान देश के नागरिकों ने जितने प्रमाण में वस्तुओं और सेवाओं का प्रत्यक्ष उपयोग किया हो उसके प्रमाण को राष्ट्रीय आय कहते हैं । इस प्रकार फिशर की परिभाषा भौतिक और अभौतिक वस्तुओं-सेवाओं के उपयोग पर अधिक भार दिया है इसलिए परिभाषा उपभोगलक्षी है ।

2. प्रो. पिगु किसे राष्ट्रीय आय कहते हैं ?
उत्तर :
अर्थशास्त्री ऐ. सी. पिगु के अनुसार : राष्ट्रीय आय वस्तुओं और सेवाओं का ऐसा प्रवाह है कि जिसका भुगतान मुद्रा द्वारा किया जाता है । अथवा उसे मुद्रा में सरलता से प्रस्तुत कर सकते है । दूसरे शब्दों में कहे तो विदेशी आय सहित समाज की कुल आय जो मुद्रा के द्वारा सरलता से माप सकते हैं उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं । इस प्रकार पिगु की परिभाषा मुद्रालक्षी है ।

3. राष्ट्रीय आय की खर्च की पद्धति में किस खर्च का समावेश नहीं होता है ?
उत्तर :
खर्च की दृष्टि से राष्ट्रीय आय की गणना में अमुक खर्चों का समावेश नहीं होता है जिसमें सेकेन्ड हेन्ड वस्तुओं की खरीदी के पीछे खर्च, परिवर्तनलक्षी खर्च, पेन्शन, बेकारी भत्था, विधवाओं को दी जानेवाली सहायता आदि का समावेश होता है । पुराने शेयर खरीदी के पीछे का खर्च, मध्य उपयोगी वस्तुओं के पीछे खर्च आदि का भी खर्च राष्ट्रीय आय में नहीं गिना जाता है । उन सभी वर्गों . का समावेश नहीं होता है जिसमें वस्तुओं-सेवाओं का उत्पादन हुए बिना खर्च होता है । मात्र मुद्रा का ही परिवर्तन होता है । जैसे सबसिडी जैसे खर्च ।

4. अंतर दीजिए :

(i) GDP और NDP

GDP NDP
1. देश की सीमा के अंदर ही समस्त देशवासियों द्वारा उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं । 1. देश की सीमा के अंदर ही समस्त देशवासियों द्वारा उत्पन्न की गई सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में लगे यंत्रों के घिसावट होता है उसे आंतरिक उत्पादन में से घटाने पर प्राप्त आय को शुद्ध आंतरिक आय (NDP) कहते हैं ।
2. इसमें विदेशों से प्राप्त आय का समावेश नहीं होता है । 2. इसमें शुद्ध विदेशी आय का समावेश होता है ।
3. इसमें विदेशी साधनों को जोड़ा या घटाया नहीं जाता मात्र स्वदेशी साधनों का ही समावेश होता है । 3. इसमें स्वदेशी साधनों के साथ-साथ विदेशी साधनों से प्राप्त शुद्ध आय को जोड़ा जाता है ।
4. GDPMP = GNPMP – विदेशों में से प्राप्त शुद्ध साधन आय । 4. NDP = GDP – घिसाई

(ii) GNP और NNP

GNP NNP
1. किसी भी देश में एक वर्ष की समयावधि में उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के कुल बाजारमूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कहते हैं । 1. कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसाई की रकम घटाने के बाद जो शेष आय बचती है तो उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) कहते हैं ।
2. इसमें विदेशों से भी प्राप्त आय का समावेश होता है । 2. इसमें शुद्ध विदेशी आय का समावेश होता है ।
3. इसमें देश के अन्दर विदेशी साधनों के बदले में जो आय होती है उसे राष्ट्रीय आय में घटा दिया जाता है और विदेशों में देशी साधनों के बदले में प्राप्त आय को जोड़ दिया जाता है । 3. इसमें उत्पादन प्रक्रिया के दरम्यान साधनों, यंत्रों, मकान आदि की घिसावट होती है । मूल्य घटता है उसे कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घटा दिया जाता है ।
4. GNP = GDP + विदेशों में से प्राप्त शुद्ध आय 4. NNP = GNP – घिसाई

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(iii) GDP और GNP

GDP GNP
1. देश की सीमा के अंदर ही समस्त देशवासियों द्वारा उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते है । 1. किसी भी देश में एक वर्ष की समयावधि में उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के कुल बाजार मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं ।
2. इसमें विदेशों से प्राप्त आय का समावेश नहीं किया जाता । 2. इसमें विदेशों से भी प्राप्त आय का समावेश होता है ।
3. इसमें विदेशी साधनों को जोड़ा या घटाया नहीं जाता, मात्र स्वदेशी साधनों का ही उपयोग किया जाता है । 3. इसमें देश के अन्दर विदेशी साधनों के बदले में जो आय होती है उसे राष्ट्रीय आय में घटा दिया जाता है और विदेशों में देशी साधनों के बदले में प्राप्त आय को जोड़ दिया जाता है ।
4. G.D.P.M.P. = G.N.P.M.P. – विदेशों में से प्राप्त शुद्ध साधन आय । 4. G.N.P.M.P. = G.D.R.M.P. + विदेशों में से प्राप्त शुद्ध साधन आय ।

(iv) मुद्राकीय आय – वास्तविक आय

मुद्राकीय आय वास्तविक आय
1. चालू भाव अर्थात् वर्तमान भाव स्तर पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे मुद्राकीय आय कहते हैं । 1. आधार वर्ष के भाव अर्थात स्थिर भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे वास्तविक राष्ट्रीय आय कहते हैं ।
2. वर्ष दरम्यान हुए तमाम वस्तुओं के उत्पादन को वस्तु के बाजार भाव के साथ गुणा करके मुद्राकीय आय प्राप्त होती है । 2. वर्ष दरम्यान उत्पन्न हए वस्तुओं के उत्पादन को वस्तु के स्थिर भाव के साथ गुणा करके वास्तविक आय प्राप्त की जाती है ।
3. इससे देश की वास्तविक स्थिति का ख्याल नहीं आता है । 3. इससे देश की वास्तविक स्थिति का ख्याल आता है ।
4. मुद्राकीय आय बढ़ने जीवनस्तर में सुधार हुआ है या नहीं इसका ख्याल नहीं आता है । 4. वास्तविक आय बढ़ने से जीवनस्तर में सुधार आता ही है ऐसा निश्चित ख्याल होता है ।

(v) अलिप्त अर्थतंत्र और मुक्त अर्थतंत्र

अलिप्त अर्थतंत्र मुक्त अर्थतंत्र
1. अलिप्त अर्थतंत्र अर्थात् विदेशों के साथ हुए आर्थिक व्यवहार बिना का अर्थतंत्र । 1. मुक्त अर्थतंत्र में सरकार की विदेशी भूमिका के अतिरिक्त मुद्रा बाजार, परिवार एवं व्यावसायिक इकाईयाँ शामिल होती है ।
2. व्यावसायिक इकाईयाँ एवं परिवार अलिप्त अर्थतंत्र के कर्ता है । 2. इसमें परिवारों, व्यावसायिक इकाईयों, सरकार एवं मुद्रा बाजार, स्वतंत्र अर्थतंत्र के घटक है ।
3. अलिप्त अर्थतंत्र एक कल्पना है । 3. स्वतंत्र अर्थतंत्र एक वास्तविकता है ।
4. अलिप्त अर्थतंत्र में राष्ट्रीय आय तीन पहलूवाला हीरा है – उत्पादन, आय एवं खर्च । 4. मुक्त अर्थतंत्र में राष्ट्रीय आय = निवेश खर्च + उपभोग खर्च + सरकारी खर्च + शुद्ध निर्यात ।

5. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :

(1) मुक्त अर्थतंत्र या स्वतंत्र अर्थतंत्र
(2) राष्ट्रीय आय और राष्ट्रीय उत्पाद
(3) GNP
(4) GDP
(5) साधन खर्च पर राष्ट्रीय आय

(1) मुक्त अर्थतंत्र या स्वतंत्र अर्थतंत्र :

स्वतंत्र अर्थतंत्र में सरकार की विदेशी व्यापार की भूमिका के अतिरिक्त मुद्रा बाजार, परिवारों और व्यावसायिक इकाईयों को भी स्वतंत्रतापूर्वक भूमिका अदा करने का अवसर प्राप्त होता है । स्वतंत्र अर्थतंत्र एक वास्तविकता है । सामान्य रीति से किसी भी अर्थतंत्र में आय का चक्रीय प्रवाह बचत एवं निवेश जिसमें सरकार और विदेशी भूमिका से प्रभावित होता हो, तो ऐसे अर्थतंत्र को मुक्त अर्थतंत्र कहते हैं । परिवार, व्यावसायिक इकाईयाँ, मुद्रा बाजार और सरकार स्वतंत्र अर्थतंत्र के घटक है । स्वतंत्र अर्थतंत्र इन्हीं कर्ताओं के द्वारा आय का चक्रीय प्रवाह चलाता रहता है ।

(2) राष्ट्रीय आय और राष्ट्रीय उत्पाद :
देश की प्रजा की सभी प्रकार की आयों का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है । यह राष्ट्रीय आय अधिकांशत: राष्ट्रीय उत्पाद से सम्बन्धित होती है । देश की प्रजा जमीन, श्रम, पूँजी और नियोजकीय सेवाओं के रूप में राष्ट्रीय उत्पादन में अपना योगदान देते है और इस योगदान के बदले में प्रजा को भाड़ा, वेतन, व्याज और नफा के रुप में प्राप्त कुल आय को राष्ट्रीय आय कहते हैं ।
राष्ट्रीय आय = [भाड़ा + वेतन + व्याज + लाभ] = राष्ट्रीय उत्पाद

(3) कुल राष्ट्रीय उत्पाद – Gross National Product (G.N.P.) :
किसी भी देश में एक वर्ष के दौरान पूँजी और श्रम द्वारा प्राकृतिक साधनों की मदद से उत्पादित तैयार वस्तुओं और सेवाओं के कुल बाजार मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद या कुल राष्ट्रीय आय कहते हैं ।

GNP एक मौद्रिक माप है, वह तो वार्षिक उत्पादन का बाजार है । क्योंकि बाजार कीमतों के अतिरिक्त राष्ट्रीय आय में समाविष्ट विविध वस्तुओं और सेवाओं का योग नहीं किया जा सकता ।

GNP की निश्चित गणना करते समय वर्ष दौरान उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं की सिर्फ एक ही बार गणना करनी चाहिए | GNP की गणना करते समय सिर्फ अन्तिम उपभोग की वस्तुओं को ही ध्यान में लिया जाता है । मध्यवर्ती वस्तुओं को ध्यान में नहीं रखा जाता । जैसे : चीनी के मूल्य को ध्यान में रखा जायेगा, गन्ने के मूल्य को नहीं क्योंकि चीनी के मूल्य में गन्ने का मूल्य समाया हुआ है । अलिप्त अर्थतंत्र में –
GNP = C + I + G (C = उपभोग खर्च, I = निवेश खर्च, G = सरकारी खर्च)
स्वतंत्र अर्थतंत्र में –
GNP = C + I + G + (x – M)
(x – M) = शुद्ध निर्यात (निर्यात x और आयात M का अंतर)

(4) सकल घरेलू उत्पाद – Gross Domestic Product (G.D.P.) :
जो उत्पादन देश के अंदर ही किया जाता हो उसे आंतरिक उत्पादन कहते हैं । इसमें विदेशों से प्राप्त आय का समावेश नहीं होता । किसी भी अर्थतंत्र में एक वर्ष के दौरान देशवासियों द्वारा देश की सीमा के अंदर उत्पन्न की गई सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं । इसमें मध्यवर्ती वस्तुओं को ध्यान में नहीं रखा जाता । पूँजी माल की घिसाई का समावेश इसमें किया जाता है ।
G.D.P.M.P. = G.N.P.M.P. – [विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय]
G.D.P.M.P. = Gross Domestic Product at Market Price.
G.N.P.M.P. = Gross National Product at Market Price.

(5) साधन खर्च पर राष्ट्रीय आय :
साधन खर्च पर राष्ट्रीय आय को शुद्ध राष्ट्रीय आय भी कहा जाता है । एक वर्ष की समयावधि में कुल राष्ट्रीय उत्पादन करने हेतु यंत्रों, यंत्रसामग्री इत्यादि जैसी अचल पूँजी (Fixed Capital) का उपयोग किया जाता है । उत्पादन की प्रक्रिया दौरान यंत्रों या यंत्रसामग्री में टूट-फूट या घिसाई होने से उसका मूल्य ह्रास होता है । यदि कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसाई खर्च निकाल दिया जाये, तो शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है, जिसे हम साधन खर्च पर राष्ट्रीय आय कहते हैं ।
N.N.P. = G.N.P. – घिसाई खर्च (यंत्रों या यंत्रसामग्री इत्यादि)
उदाहरणस्वरूप : मान लो कपड़े की मिल में तैयार सूती कपड़े की कीमत रु. 200 है । इसी कीमत में विक्रय कर और आबकारी कर के लिए 25 रु. चुकाये जाते हैं । तो सूती कपड़े की कीमत 200 रु. होने के बावजूद भी उसकी शुद्ध कीमत सिर्फ 175 रु. ही होगी । साधन खर्च पर कपड़े का मूल्य = कपड़े की बाजार कीमत – कपड़े पर लिए गए परोक्ष कर
175 रु. = रु. 200 – 25 रु.

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए :

1. राष्ट्रीय आय की गणना में उत्पन्न समस्याओं की समझ संक्षिप्त में कीजिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित समस्याएँ – कठिनाईयाँ हैं :

  1. दोहरी गणना की समस्या
  2. स्वउपयोग की कठिनाईयाँ
  3. घिसाई जाने की कठिनाई
  4. करचोरी की वृत्ति
  5. गैरकानूनी आय
  6. शुद्ध विदेशी आय की समस्या
  7. गणना-हिसाब रखने की समस्याएँ, जो निम्नानुसार हैं – अशिक्षा, छोटे पैमाने पर उत्पादन – विक्रय, साटा पद्धति, एक की अपेक्षा अधिक व्यवसाय में रुके हुए लोग ।

2. मुद्राकीय आय यह वास्तविक आय है समझाइए ।
उत्तर :
चालू भाव अर्थात् कि वर्तमान भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे मुद्राकीय आय कहते हैं । वर्ष दरम्यान जिस वस्तु का उत्पादन हुआ हो तो उसे बाजारभाव गुणा करके राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है उसे मुद्राकीय आय कहते हैं । यदि भाव बढ़े-घटे तो राष्ट्रीय आय भी बढ़ती-घटती है । इसलिए राष्ट्रीय आय का सही ख्याल नहीं आता है । जैसे भाव बढ़ने पर भी उत्पादन न बढ़ने पर भी राष्ट्रीय आय बढ़ती हुयी दिखायी देती है, जो वास्तविक नहीं है ।

जब आधारभूत वर्ष पर अर्थात् स्थिर भाव पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाये तो उसे वास्तविक आय कहते हैं । वर्ष दरम्यान हुए तमाम वस्तुओं के उत्पादन को उस वस्तु के स्थिर भाव के साथ गुणा करके राष्ट्रीय आय प्राप्त की जाती है उसे वास्तविक राष्ट्रीय आय कहते हैं । वास्तविक राष्ट्रीय आय यह देश की सही आर्थिक स्थिति दर्शाता है । इस प्रकार मुद्राकीय आय पर वास्तविक आय है, पर हमेशा सही नहीं है ।

3. प्रतिव्यक्ति आय का अर्थ बताकर उसका महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
किसी देश की राष्ट्रीय आय को उस वर्ष की जनसंख्या द्वारा भाग देने पर उसे उस वर्ष की प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं । प्रतिव्यक्ति औसत आय ही प्रतिव्यक्ति आय है ।
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महत्त्व :

  1. राष्ट्रीय आय की वृद्धिदर की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धिदर अधिक हो तो प्रतिव्यक्ति आय कम होती है ।
  2. प्रतिव्यक्ति आय यह औसत माप है ।
  3. देश की प्रगति का सही मापदंड राष्ट्रीय आय नहीं, प्रतिव्यक्ति आय है ।
  4. UNO भी दो देशों की प्रगति की तुलना करने के लिए राष्ट्रीय आय के साथ प्रतिव्यक्ति आय के अंकों का उपयोग होता है ।
  5. प्रतिव्यक्ति आय से दो देशों की तुलना कर सकते हैं ।
  6. प्रतिव्यक्ति आय से देश के नागरिकों के जीवनस्तर का अनुमान लगा सकते हैं ।

4. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :

(1) सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) :
उत्तर : राष्ट्रीय आय के अनेक ख्याल है । उसमें कुल सकल घरेलू उत्पाद का महत्त्वपूर्ण ख्याल है । वर्ष दरम्यान देश की सीमा में देश और विदेश के नागरिकों द्वारा जो अंतिम स्वरूप की चीजवस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उसके बाजार-मूल्य को कुल आंतरिक उत्पाद या सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं ।

  • कुल आंतरिक उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) में देश और विदेश के नागरिकों द्वारा अथवा प्रकृति द्वारा (क्रूड ऑयल) अपने देश की सीमा में हुये अंतिम स्वरूप की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन गिना जाता है ।
  • कुल आंतरिक उत्पाद का ख्याल देश की सीमा के साथ जुड़ा हुआ है । इसमें देश के नागरिकों द्वारा विदेश में किये गये उत्पादन अथवा देश के नागरिकों ने विदेश में से प्राप्त आय का समावेश नहीं किया जाता है ।
  • देश की आर्थिक तुलना करने के लिए अर्थतंत्र की प्रगति बताने के GDP के अंकों का उपयोग किया जाता है ।

(2) शुद्ध आंतरिक उत्पाद (Net Domestic Product – NDP) :
उत्तर :
उत्पादन की प्रक्रिया दरम्यान उपयोग के कारण यंत्र, मकान, साधनों की पूँजी साधनों की घिसावट होती है । अमुक समय के बाद यह साधनों उत्पादन के लिए अनुपयोगी बन जाती हैं । तब ऐसे साधनों को बदलने की आवश्यकता होती है । तो कितनी ही बार टेक्नोलॉजी बदलने पर पूँजी साधनों को परिवर्तित किया जाता है । इस प्रकार उत्पादन प्रक्रिया दरम्यान साधनों से सम्बन्धित घिसावट को कुल आंतरिक उत्पाद में से घटाने पर अपने को शुद्ध आंतरिक उत्पाद प्राप्त होता है उसे संक्षिप्त में NDP कहते हैं ।
सूत्र : NDP = GDP – घिसाई

(3) कुल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product – GNP) :
उत्तर :
कोई भी देश एक वर्ष की समयावधि में जितनी वस्तुएँ और सेवाओं का उत्पादन करता है उसके बाजार मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं । इस संदर्भ में दो बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  • GNP एक मौद्रिक माप है और वह वार्षिक उत्पादन का बाजार मूल्य है । क्योंकि बाजार कीमतों के बिना राष्ट्रीय आय में समाविष्ट विविध वस्तुओं और सेवाओं का योग नहीं किया जा सकता ।
  • GNP की निश्चित गणना करने के लिए वर्ष दौरान उत्पन्न की गई तमाम वस्तुओं और सेवाओं की सिर्फ एक बार गणना करनी चाहिए । GNP की गणना करते समय मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को ध्यान में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे दोहरी गणना होने की सम्भावना रहती है । इसलिए अंतिम उपभोग की वस्तु का मूल्य ही गिनना चाहिए । जैसे : चीनी के मूल्य में गन्ना के मूल्य का समावेश हो जाता है ।

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(4) शुद्ध राष्ट्रीय आय : (Net National Product – NNP) :
उत्तर :
उत्पादन की प्रक्रिया दरम्यान उत्पादन के साधनों, यंत्रों, कारखाने का मकान, यंत्र आदि की घिसावट होती है । उसका मूल्य कम होता है । उसे पूँजी घिसावट Capital Depreciation कहते हैं । शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद जानने के लिए कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसाई की रकम कम की जाती है और उसके बाद जो शेष बचती है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं । वर्ष दरम्यान देश के नागरिकों ने उत्पन्न की गयी वस्तुओं और सेवाओं के मुद्राकीय मूल्य में घिसाई को घटाने पर जो शेष बचती है उसे शुद्ध राष्ट्रीय आय कहते हैं ।

(1) GNP में से घिसाई घटाने के बाद चालू वर्ष का उत्पादन मूल्य NNP
(2) GNP – घिसाई = NNP

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक लिखिए :

1. राष्ट्रीय आय मापने की उत्पादन की पद्धति की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय मापने की उत्पादन की पद्धति प्रो. मार्शल की परिभाषा पर से विकसित किया गया है । वर्ष के दरम्यान देश में कृषि उद्योग और सेवाक्षेत्र में अंतिम स्वरूप की वस्तुओं और सेवाओं का जो उत्पादन हुआ हो उसके मुद्राकीय मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय गिना जाता है । कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र के उत्पादन का जत्था जानकर उसे बाजार कीमत से गुणा करके मुद्राकीय मूल्य ज्ञात किया जाता है । वस्तु और सेवाओं के इस मुद्राकीय मूल्य का योग देश की राष्ट्रीय आय की गणना है ।

उत्पादन की पद्धति में गणना करते समय निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
(1) अर्थतंत्र का अलग-अलग क्षेत्रों में वर्गीकरण : राष्ट्रीय आय की गणना के लिए अर्थतंत्र को कृषि, उद्योग, खान, निर्माण कार्य, मेन्युफेकचरिंग, व्यापार-वाणिज्य, परिवहन, संचार, बैंक, शिक्षा आदि अनेक क्षेत्रों का वर्गीकरण किया गया है ।

(2) वस्तु या सेवा की पसंदगी : अर्थतंत्र में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्पन्न होनेवाली मात्र अंतिम उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं को गिना जाता है । अर्थात् बीच की उपयोग की वस्तुओं की गणना नहीं करते हैं ।

(3) गृहिणी के गृहकार्य की सेवा : राष्ट्रीय आय में उत्पादन पद्धति में गृहिणी के गृहकार्य की सेवा बाजार में बिकती नहीं है । इसलिए उसे मुद्राकीय मूल्य से माप नहीं सकते हैं । इसलिए उसे राष्ट्रीय आय में नहीं गिना जाता है ।

(4) स्व-उपयोग : स्व-उपयोग के लिए उत्पन्न वस्तुओं को बाजार में विक्रय नहीं होती है । उसका मुद्राकीय मूल्य में माप नहीं सकते हैं । इसलिए उसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है । भारत में किसान द्वारा स्व-उपयोग के लिए रख्ने हुए अनाज को अपवाद के रूप में राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ।

(5) संरक्षण-पुलिस : संरक्षण-पुलिस का बाजार मूल्य न होने पर भी भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में उसे ध्यान में लिया जाता है ।

(6) आरोपित भाड़ा (किराया) : अपना मकान किराये पर दिया हो तो उसका किराया मिलता उसे आरोपित किराया (Imputed Rent) कहते हैं । उसका मूल्य राष्ट्रीय आय में गिना जाता है ।

(7) दोहरी गणना : दोहरी गणना टालना चाहिए । राष्ट्रीय उत्पाद में किसी एक वस्तु का मूल्य एक की अपेक्षा अधिक बार गिना जाये तो उसे दोहरी गणना कहते हैं । दोहरी गणना में राष्ट्रीय आय कृत्रिम रूप से अधिक होती है । वास्तव में नहीं । इसलिए हमें

  • वस्तु की अंतिम स्वरूप की वस्तु की गणना करनी चाहिए । जैसे : हम लोहे और उससे बने यंत्र दोनों की बजाय मात्र यंत्र की गणना करनी चाहिए ।
  • दूसरी पद्धति में मूल्यवृद्धि की पद्धति में उत्पादन प्रक्रिया में मात्र मूल्यवृद्धि का अलग से गिनकर उसका योग करके राष्ट्रीय उत्पाद में गिना जाये तो दोहरी गणना से बच सकते हैं ।

(8) परोक्ष कर और सबसिडी : वस्तु की बाजार कीमत में परोक्ष टेक्स समाविष्ट होने से राष्ट्रीय उत्पाद को जानने के लिए उस परोक्ष कर को घटाया जाता है और सरकार द्वारा जो सबसिडी दी जाती उसे जोड़ा जाता है ।

(9) पुन: विक्रय : भूतकाल में उत्पन्न हुयी वस्तु का जब उत्पादन हुआ तब उसका राष्ट्रीय उत्पाद में उसका मूल्य गिन लिया गया हो, उसे फिर से विक्रय किया जाय तो उसे दुबारा राष्ट्रीय आय में नहीं गिना जाता । यदि गिनेंगे तो उसे दोहरी गणना कहेंगे ।

(10) घिसावट को कम करना : उत्पादन प्रक्रिया दरम्यान पूँजी साधन से सम्बन्धित घिसावट को घटाकर राष्ट्रीय उत्पाद में गिना जाता है ।

(11) निर्यात मूल्य : भारत में से निर्यात किये गये मूल्य को राष्ट्रीय आय में गिना जाता है ।

(12) कालाबाजारी या गैरकानूनी वस्तु : कालाबाजारी या गैरकानूनी रूप से कमाये गये मूल्य को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।

2. राष्ट्रीय आय मापने की आय की पद्धति समझाइए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय मापने की आय की पद्धति प्रो. पिगु की परिभाषा पर से विकसित किया गया है । वर्ष दरम्यान देश की नागरिकों और सरकार यदि आय प्राप्त करती है । उसके योग करने से राष्ट्रीय आय जान सकते हैं । राष्ट्रीय आय मापने की इस पद्धति में उत्पादन के चार साधन जमीन, पूँजी, श्रम और नियोजन को मिलनेवाला किराया, ब्याज, वेतन और लाभ का योग किया जाता है । इस योग में से विदेशों में से प्राप्त आय को जोड़ते है तथा अपने देश में उपयोग के साधनों को जो भुगतान किया जाता है उसे घटाया जाता है ।

इसमें निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश किया जाता है :
(1) साधनों की आय : उत्पादन के साधनों को नीचे प्राप्त आय को गिना जाता है :

  • किराये की आय : जमीन-मकान से जो किराया प्राप्त होता है उसे आय कहते हैं । अपने रहनेवाले मकान का किराया गिना जाता है जिसे आरोपित किराया कहते हैं । पुस्तकों के कोपीराइट्स और पेटन्ट जैसे अधिकारों के कारण आय प्राप्त करती है ।
  • ब्याज की आय : लोगों को वर्ष दरम्यान पूँजी पर जो ब्याज मिलता है उसे राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं । परंतु सरकार की ओर से प्राप्त ब्याज को अलग रखा जाता है । कारण कि सरकार कर द्वारा जो आय प्राप्त करती है और ब्याज के रूप में मुद्रा चुकाई जाती है वह मात्रा मुद्रा की हेरफेर होती है ।
  • वेतन : श्रमिकों को वर्ष दरम्यान उनके कार्य के बदले में जो वेतन या पगार मिलती है उसे राष्ट्रीय आय की गणना में लिया जाता हैं।
  • लाभ की आय : निवेशकों – नियोजकों को जो लाभ और डिविडन्ड रूपी आय मिलती है उसे राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है । कंपनियों को आरक्षित लाभ और उसके उपर चुकाये जानेवाले टेक्स को समाविष्ट किया जाता है । आय की पद्धति में उपर्युक्त आय को शामिल किया जाता है ।

(2) न गिनी जानेवाली आय : राष्ट्रीय आय मापने की आय की पद्धति में बक्षीस, इनाम, भेट, लूट की आय, चोरी, बेकारी, . भत्था की आय या वृद्धावस्था में मिलनेवाली सरकार सहायता की आय, लोटरी की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ।

(3) सबसिडी : सरकार द्वारा दी जानेवाली सबसिडी को राष्ट्रीय आय में से घटाया जाता है ।

(4) शुद्ध विदेशी आय : निर्यात द्वारा प्राप्त आय में से आयात द्वारा भुगतान की गयी आय को घटाकर शुद्ध विदेशी आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ।

(5) कमीशन या दलाली : उपयोगी माल के सौदा में से प्राप्त कमीशन या दलाली से आय को गिना जाता है ।

(6) जिस आय में से अर्थतंत्र में वस्तु और सेवा के उत्पादन का चालू रहे जिससे अर्थतंत्र में वस्तुओं को मुद्राकीय मूल्य में वृद्धि होती है ऐसी आय को गिना जाता है ।

(7) सेकेन्ड हेन्ड वस्तु की आय का समावेश नहीं होता है । पुरानी वस्तु को बेचने से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाता है ।

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3. राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति को समझाइए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति प्रो. फिशर की परिभाषा पर विकसित की गयी है । एक वर्ष के दरम्यान व्यक्तियों, परिवारों, इकाईयों और सरकार चीजवस्तुओं और सेवाओं पर जो कुल मुद्राकीय खर्च किया जाता है उसके योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं । खर्च की पद्धति में एक वित्तीय वर्ष दरम्यान अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी के पीछे जो खर्च होता है उसका समावेश होता है । एक आर्थिक वर्ष दरम्यान कुल खर्च GDP जितना होता है ।

इस पद्धति में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होता है :

(1) मुद्राकीय खर्च के चार घटक हैं :

  • उपभोग खर्च : नागरिकों, परिवारों, व्यावसायिक इकाईयों द्वारा उपयोगी वस्तुओं के पीछे किया जानेवाला खर्च गिना जाता है । टी.वी., स्कूटर, कार जैसी टिकाऊ वस्तुएँ अनाज, फल, शाक-सब्जी जैसी नाशवंत वस्तुएँ तथा शिक्षा, डॉक्टरी सेवा, परिवहन, संचार जैसी सेवाओं के पीछे किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • पूँजी निवेश खर्च : नागरिक, परिवार, व्यावसायिक इकाईयाँ जो पूँजीनिवेश खर्च को गणना में लिया जाता है । जैसे : कारखाना, मकान, प्लान्ट, यंत्रसामग्री व्यवसाय के लिए किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • सरकारी खर्च : केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों द्वारा उपयोग खर्च, पूँजीनिवेश खर्च, प्रशासनिक खर्च आदि का समावेश किया जाता है ।
  • शुद्ध निर्यात खर्च : देश के नागरिकों का विदेशी वस्तुओं के आयात के पीछे का खर्च देश का खर्च है और अपनी निर्यातों में से विदेशी नागरिक अपनी वस्तुओं के पीछे खर्च करते हैं । अर्थात् अपने को आय प्राप्त होती है । इसके दोनों के पीछे अन्तर को शुद्ध निर्यात है जिसका समावेश राष्ट्रीय आय में करते हैं । कुल राष्ट्रीय आय = उपभोग खर्च + पूँजी निवेश खर्च + सरकारी खर्च + शुद्ध निर्यात खर्च ।

(2) राष्ट्रीय आय में न गिना जानेवाला खर्च : राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित खर्च का समावेश नहीं होता है :

  1. सेकन्ड हेन्ड वस्तुओं के पीछे किया गया खर्च
  2. स्थानांतरण का खर्च
  3. पेन्शन, बेकारी भत्था, विधवा सहाय आदि ।
  4. पुराने शेयर के पीछे किया गया खर्च
  5. बीच में ही उपयोग की गयी वस्तु के पीछे किया खर्च

(3) राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ : खर्च की पद्धति में व्यक्तियों द्वारा किये गए खर्च के आधारभूत आँकड़े मिलते नहीं है । जिससे राष्ट्रीय आय की गणना कठिन बन जाती है । जैसे अभय नाम का उद्योगपति उसके एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु को वेतन के 30,000 रु. चुकाता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है । एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु उसके घर में साफसफाई के लिए आनेवाली खुशबू को 3000 देता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है तो वास्तव में खर्च कितना 30000 या 30000 + 3000 = 33000 ? इस प्रकार खर्च में दोहरी गणना होती है।

4. दोहरी गणना का अर्थ समझाकर, दोहरी गणना को दूर करने के उपायों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय की गणना एक बार गिनने के बाद दूसरी बार गिना जाय तो उसे दोहरी गणना कहते हैं । दोहरी गणना से राष्ट्रीय आय का वास्तविक ख्याल नहीं आता है, जो राष्ट्रीय आय ऊँची दिखायी देती है । वास्तव में ऐसा नहीं होता है । इसलिए राष्ट्रीय आय की गणना करते समय दोहरी गणना से बचना चाहिए ।

दोहरी गणना से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :
(1) मात्र अंतिम वस्तु का मूल्य गणना में लेना चाहिए : इस पद्धति में अर्धतैयार मध्यांतराल में उपयोगिता रखनेवाली वस्तुओं का मूल्य गिनने के बदले, मात्र अंतिम वस्तु का मूल्य ही गणना चाहिए । जैसे लोहे से बना यंत्र ।

इसमें मात्र यंत्र के मूल्य की ही गणना चाहिए और उसमें लोहे का मूल्य समाया हुआ है । यदि लोहे का मूल्य गिना जायेगा तो दोहरी गणना की जायेगी । इससे मात्र ये गणना करके दोहरी गणना का प्रश्न हल हो जायेगा ।

(2) मूल्यवृद्धि की पद्धति : दोहरी गणना को दूर करने के लिए दूसरा उपाय है मूल्यवृद्धि की पद्धति । उत्पादन प्रक्रिया में जब वस्तु एक सोपान में से दूसरे सोपान में जाती हैं तब उसका मुद्राकीय मूल्य बढ़ता है । इस बढ़े हुए मूल्य को अलग से करके उसका योग करके राष्ट्रीय उत्पाद की गणना की जाये तो दोहरी गणना नहीं होती । उसे एक उदाहरण से समझें :

उत्पादन के सोपान (रु. में) विक्रय आय (रु. में) साधन खर्च (रु. में) मूल्यवृद्धि (रु. में)
रुई (कपास) 100 0 100
सूत 200 100 100
कपड़ा 280 200 280
कुल 580 300 मूल्यवृद्धि (रु. में)

एक कारखाने में रु. 100 का कपास लाया जाये उसमें से 200 रुपये का सूत बनता है और 200 रुपये के सूत में से 280 रुपये का कपड़ा बनता है तो राष्ट्रीय उत्पाद में 100 + 200 + 280 = 580 का मुद्राकीय मूल्य गिना जाये तो दोहरी गणना होती है । कपास सूत और कपड़ा दोनों में समाविष्ट है । इसलिए कपास की गणना तीन बार होती है । यह दोहरी गणना है परंतु यदि 100 रुपये का कपास + 100 रुपये का सूत + 80 रुपया कपड़े का बढ़ा हुआ मूल्य गिना जाये अर्थात् 280 रुपये का मूल्य वृद्धि की गणना करना यह दोहरी गणना नहीं होती है । उपर के उदाहरण में कपड़े के उत्पादन में उपयोगी साधन-सामग्री का खर्च शून्य बताया है । कारण कि यहाँ मान लिया गया है कि कपास का उत्पादन बीते हुए वर्ष का है, जो भूतकाल के वर्ष की राष्ट्रीय आय में गिन लिया गया है ।

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5. अलिप्त अर्थतंत्र में राष्ट्रीय आय के चक्राकार प्रवाह को आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
प्रो. मार्शल के अनुसार : “देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम व पूँजी लगाकर प्रतिवर्ष सभी प्रकार की सेवाओं सहित भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं का शुद्ध योग उत्पन्न करते है उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं ।”

‘प्रो. फिशर के अनुसार : “राष्ट्रीय आय में प्रतिवर्ष अन्तिम उपभोक्ताओं को इनके भौतिक या इनके मानवीय वातावरण से प्राप्त होनेवाली सेवाएँ भी सम्मिलित की जाती है ।”

प्रो. पीगू के अनुसार : “राष्ट्रीय आय किसी समुदाय की वस्तुगत आय का वह भाग है, जिसे मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है, जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित है ।”

राष्ट्रीय आय की उपरोक्त परिभाषाएँ दो तत्त्वों को स्पष्ट करती है ।

  1. देश के वार्षिक उत्पादन को बाजार मूल्य द्वारा मापा जाता है । इस प्रकार राष्ट्रीय आय देश द्वारा उत्पन्न की गई वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है । क्योंकि सिर्फ मौद्रिक कीमतों द्वारा ही वस्तुओं और सेवाओं का योग कर सकते है ।
  2. राष्ट्रीय आय की शुद्ध माप निकालने के लिए किसी भी वर्ष दौरान देश में उत्पन्न की गई तमाम तैयार वस्तुओं, सेवाओं की गणना सिर्फ एक बार की जाती है ।

राष्ट्रीय आय की संकल्पना : अर्थशास्त्रीयों द्वारा राष्ट्रीय आय की परिभाषा तीन दृष्टिकोण से दी गई है । उत्पादन, उपभोग एवं मौद्रिक माप सम्बन्धी । इससे राष्ट्रीय आय की संकल्पना के तीन अर्थ होते है ।
(अ) राष्ट्रीय आय राष्ट्रीय उत्पादन का कुल मूल्य दर्शानेवाली संकल्पना है ।
(ब) राष्ट्रीय आय देश के नागरिकों द्वारा राष्ट्र के उत्पादन में उनके द्वारा दिये गये योगदान के बदले में प्राप्त कुल आय दर्शानेवाली संकल्पना है।
(क) राष्ट्रीय आय देश का कुल खर्च दर्शानेवाली संकल्पना है ।

दूसरे शब्दों में कहे तो –
राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पादन = राष्ट्रीय खर्च
इस दृष्टिकोण से राष्ट्रीय आय को मापने के तीन प्रकार है ।

  1. तमाम तैयार वस्तुओं के मूल्यों का योग (उत्पादन)
  2. वर्ष दौरान उत्पादन के साधनों द्वारा प्राप्त नकद आय का योग (आय)
  3. उपभोक्ताओं द्वारा किया गया कुल खर्च का योग (खर्च)

अलिप्त अर्थतंत्र में राष्ट्रीय आय का चक्रीय प्रवाह : अलिप्त अर्थतंत्र में राष्ट्रीय आय तीन पहलूवाला हीरा है ।
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अलिप्त अर्थतंत्र में आय का चक्रीय प्रवाह : आधुनिक अर्थतंत्र मौद्रिक अर्थतंत्र है । परिवारों और व्यावसायिक पीढ़ियों इसमें दो कर्ता है क्योंकि हमने अलिप्त अर्थतंत्र की धारणा की है ।

इकाईयों का काम उत्पादन करने का होता है जिसके लिए उसे उत्पादन की जरुरत पड़ती है । ये इकाईयाँ उत्पादन के साधनों को उसके उत्पादन के प्रमाण में किये गये योगदान के बदले भुगतान करती है । इस प्रकार उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान उत्पादन के साधन आय प्राप्त करते है । उत्पादन की विक्रय कीमत उत्पादन की प्रक्रिया दौरान उत्पादन के साधनों को किये गये कुल भुगतान के बराबर होता है । दूसरे शब्दों में कहे तो उत्पादन का विक्रय मूल्य भाड़ा, वेतन, व्याज और लाभ के योग के बराबर होता है ।

इस प्रकार इकाईयों में से उत्पादकीय सेवाओं के बदले में प्राप्त आय परिवारों के पास आती है । परिवार इस आय को इकाईयों द्वारा उत्पादित विभिन्न वस्तुओं पर खर्च करते है, जिससे आय वापस पीढ़ियों के पास आती है । इस प्रकार आय इकाईयों के पास से परिवारों के पास और परिवारों के पास से वापस इकाईयों के पास घूमती रहती है, जिससे आय का चक्रीय प्रवाह सर्जित होता है । यहाँ पर हमने आय के चक्रीय प्रवाह का विचार मौद्रिक अर्थतंत्र के संदर्भ में किया है । जिससे आय के इस चक्रीय प्रवाह को मौद्रिक आय का चक्रीय प्रवाह कह सकते है । इस प्रकार साधनों, वस्तुओं और सेवाओं के वास्तविक प्रवाहों के अनुरुप मुद्रा के प्रवाहों निम्न . आकृति में दर्शाया गया है ।
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6. राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण संकल्पनाएँ (ख्याल) की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण संकल्पनाएँ निम्नलिखित हैं :
(1) कुल आंतरिक उत्पाद / सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) : जो उत्पादन देश के अंदर ही किया जाता है, उसे आंतरिक उत्पादन कहते हैं । इसमें विदेशी साधन या विदेशों से प्राप्त आय की गणना नहीं की जाती । कल आंतरिक उत्पाद अथवा सफल घरेलू उत्पाद राष्ट्रीय आय के साथ जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण संकल्पना है । देश की सीमा के अंदर देश के साधनों द्वारा एवं समस्त देशवासियों द्वारा उत्पन्न की गई तमाम तैयार वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं ।

कुल आंतरिक उत्पाद में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातें :

  • कुल आंतरिक उत्पाद में देश और विदेशी नागरिकों द्वारा अथवा प्रकृति द्वारा (क्रूड ऑयल) अपने देश की सीमा हुयी अंतिम स्वरूप की वस्तु और सेवाओं का उत्पादन गिना जाता है ।
  • कुल आंतरिक उत्पाद का ख्याल देश की सीमा से जुड़ा है । इसलिए इसमें देश के नागरिकों का विदेश में किया हुआ उत्पादन अथवा देश के नागरिकों द्वारा विदेशों से प्राप्त आय को शामिल नहीं करते है ।
  • देश की आर्थिक तुलना करने के लिए अर्थतंत्र की प्रगति दर्शाने के लिए GDP के अंकों का उपयोग व्यवहार में किया जाता है।

(2) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – Net National Product (N.N.P.) : राष्ट्रीय आय से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण ख्याल ‘शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद’ (N.N.P.) है । एक वर्ष की समयावधि में कुल राष्ट्रीय उत्पाद करते समय हम कई अचल पूँजी (Fixed Capital) का उपयोग करते है जैसे यंत्र सामाग्री इत्यादि । इस में यंत्रों की टूट फूट या घिसाई होती है, यदि कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसाई खर्च निकाल दे तो शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है ।
N.N.P. = G.N.P. – पूँजी की घिसाई
इस प्रकार पूँजी के मूल्य हास को घटाने के बाद तमाम तैयार वस्तुओं और सेवाओं के बाजारमूल्य को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते ।

(3) कुल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product – GNP) : देश और नागरिकों और विदेश के नागरिकों द्वारा देश की सीमा में जो उत्पादन करते है उसे सकल घटते उत्पादक कहते हैं । जब देश के नागरिक वर्ष दरम्यान जो उत्पादन करता है उसके मूल्य के योग को वह कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं । देश के नागरिकों ने देश की सीमा में उत्पादन किया है या सीमा के बाहर विदेशी धरती . पर उत्पादन किया है यह महत्त्वपूर्ण बात नहीं है, परंतु अपने देश के नागरिकों द्वारा हुआ उत्पादन होना चाहिए । वर्ष दरम्यान देश के नागरिकों द्वारा उत्पन्न हुयी वस्तुओं और सेवाओं का मुद्राकीय मूल्य को देश की कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं ।

कुल राष्ट्रीय उत्पाद में महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होता है :

  • GNP में चालू वर्ष का उत्पादन मूल्य गिना जाता है । पहले वर्ष का उत्पादन मूल्य गिना नहीं जाता है ।
  • कुल आंतरिक उत्पाद (GDP) में विदेश में रहनेवाले नागरिकों की आय को जोड़ा जाता है तथा अपने देश में रहकर कमानेवाले विदेशी नागरिकों की आय को घटाया जाता है तब GNP मिलती है । संक्षिप्त में GNP = GDP + विदेश में से प्राप्त शुद्ध आय है ।
  • सामान्य व्यवहार में अधिकांशत: GNP के अंकों का उपयोग किया जाता है ।

(4) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – Net National Product (N.N.P.) : राष्ट्रीय आय से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण ख्याल ‘शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद’ (N.N.P.) है । एक वर्ष की समयावधि में कुल राष्ट्रीय उत्पाद करते समय हम कई अचल पूँजी (Fixed Capital) का उपयोग करते है जैसे यंत्र सामाग्री इत्यादि । इस में यंत्रों की टूट फूट या घिसाई होती है, यदि कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसाई खर्च निकाल दे तो शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है ।
N.N.P. = G.N.P. – पूँजी की घिसाई
इस प्रकार पूँजी के मूल्य ह्रास को घटाने के बाद तमाम तैयार वस्तुओं और सेवाओं के बाजारमूल्य को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (N.N.P.) कहते हैं ।

(5) प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income) : जैसे राष्ट्रीय आय आर्थिक वृद्धि का एक मापदण्ड है उसी प्रकार प्रतिव्यक्ति आय आर्थिक विकास का एक मापदंड है । सामान्य रूप से किसी एक देश की राष्ट्रीय आय को उस देश की जनसंख्या से भाग देने पर उस वर्ष की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात होती है । प्रतिव्यक्ति औसत आय यह प्रतिव्यक्ति आय है । प्रतिव्यक्ति आय का सूत्र निम्नानुसार है :
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माना एक देश की राष्ट्रीय आय रु. 60,000 करोड़ है और उस वर्ष देश की जनसंख्या 2 करोड़ व्यक्ति है । तो देश की प्रतिव्यक्ति आय :
GSEB Solutions Class 11 Economics Chapter 9 राष्ट्रीय आय 6
= रु. 30,000 होगी ।
यदि प्रति व्यक्ति आय अधिक होगी तो उस देश के लोगों का जीवन स्तर ऊँचा होगा ।

प्रतिव्यक्ति आय की महत्त्वपूर्ण बातें :

  1. राष्ट्रीय आय की वृद्धिदर की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धिदर अधिक हो तो प्रतिव्यक्ति आय कम होती है ।
  2. प्रतिव्यक्ति आय यह औसत माप है ।
  3. देश में आय के वितरण बदलने पर प्रतिव्यक्ति आय में परिवर्तन नहीं होता है ।
  4. यदि प्रतिव्यक्ति आय के वितरण में असमानता अधिक तो प्रतिव्यक्ति आय विकास का सही मापदंड नहीं है ।
  5. देश की प्रगति का सही मापदंड राष्ट्रीय आय नहीं प्रतिव्यक्ति आय है ।
  6. UNO की दो देशों की प्रतिव्यक्ति आय की तुलना राष्ट्रीय आय के साथ प्रतिव्यक्ति आय के अंकों का उपयोग करता है ।
  7. प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर दो देशों की तुलना कर सकते है ।
  8. प्रतिव्यक्ति आय से देश के नागरिकों का जीवनस्तर का अनुमान लगा सकते हैं ।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित विधानों को समझाइए :

(1) राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पाद बराबर होता है ।
राष्ट्रीय आय यह देश के उत्पादन के साधनों द्वारा उत्पन्न हुई चीजवस्तुओं और सेवाओं का विशाल प्रवाह है । उत्पादन प्रवृत्ति के बदले में उत्पादन के साधनों को भाड़ा, वेतन, व्याज और लाभ के रूप में राष्ट्रीय आय का वितरण होता है । राष्ट्रीय आय बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय उत्पाद के साथ जुड़ी होती है । देश की प्रजा की सभी प्रकार की आयों का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है ।
राष्ट्रीय आय = [भाड़ा + वेतन + व्याज + लाभ] = राष्ट्रीय उत्पाद

(2) बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद के बराबर नहीं होता ।
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद अर्थात् किसी भी देश में एक वर्ष के दौरान देश की सीमा के अन्दर समस्त देशवासियों द्वारा उत्पादित की गई सभी चीजवस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य । इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का समावेश नहीं होता । जबकि कुल राष्ट्रीय उत्पाद अर्थात् किसी भी देश में एक वर्ष की समयावधि में उत्पन्न की गई चीजवस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य । इसमें विदेशों से प्राप्त आय का समावेश होता है । इसलिए बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद और कुल राष्ट्रीय उत्पाद बराबर नहीं होता ।
G.D.P.M.P. = G.N.P.M.P. – [विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय]
G.D.P.M.P. → Gross Domestic Product at Market Price.
G.N.P.M.P. → Gross National Product at Market Price.

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