GSEB Solutions Class 11 Hindi Chapter 1 साधो, देखो जग बौराना

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 1 साधो, देखो जग बौराना Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 1 साधो, देखो जग बौराना

GSEB Std 11 Hindi Digest साधो, देखो जग बौराना Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए :

प्रश्न 1.
कबीर के मतानुसार सच कहने पर जगत के लोग क्या करते हैं ?
(क) विश्वास करते हैं।
(ख) तमाशा खड़ा करते हैं।
(ग) मारने दौड़ते हैं.
(घ) विश्वास नहीं करते हैं।
उत्तर :
(ग) मारने दौड़ते हैं.

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प्रश्न 2.
इनमें से किन लोगों का ज्ञान व्यर्थ हैं ?
(क) जो आत्मज्ञान को छोड़ पत्थर की पूजा करते हैं।
(ख) जो नियमित भगवान की पूजा करते हैं।
(ग) जो ईश्वर को नहीं मानते हैं।
(घ) जो प्रात:काल स्नान नहीं करते हैं।
उत्तर :
(क) जो आत्मज्ञान को छोड़ पत्थर की पूजा करते हैं।

प्रश्न 3.
तुर्कों की क्या पहचान है ?
(क) दया
(ख) धर्म
(ग) मेहर
(घ) नफरत
उत्तर :
(ग) मेहर

2. एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए:

प्रश्न 1.
जगत के लोग किस पर जल्दी विश्वास करते हैं ?
उत्तर :
जगत के लोग झूठी बातें करनेवालों पर जल्दी विश्वास करते हैं।

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प्रश्न 2.
हिन्दू और मुस्लिम आपस में क्यों लड़ते हैं ?
उत्तर :
हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़ते हैं, क्योंकि वे ईश्वर के बारे में सच्चाई जानने की कोशिश नहीं करते।

प्रश्न 3.
अंतकाल में कौन लोग पछतावा करते हैं ?
उत्तर :
माया में लिप्त गुरु से मंत्र लेनेवाले शिष्य स्वयं तो डूबते ही हैं, गुरु को भी ले डूबते हैं और अंत में पछतावा करते हैं।

प्रश्न 4.
हिन्दू लोगों की क्या पहचान है ?
उत्तर :
मूर्तिपूजा, माला, छापा और तिलक ये हिन्दू लोगों की पहचान है।

3. दो-तीन वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न क.
कौन-से लोग ईश्वर से दूर हैं ?
उत्तर :
हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के ठेकेदार धर्म के नाम पर बाह्याडंबरों में लिप्त हैं। वे लोग इसी को ही ईश्वरप्राप्ति का मार्ग मान बैठे हैं। ऐसे लोग ईश्वर से दूर हैं।

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प्रश्न ख.
पीर-औलिया खुदा को क्यों नहीं जान पाये ?
उत्तर :
पीर और औलिया बाहरी दिखावों को ही खुदा की प्राप्ति का मार्ग मान बैठे हैं। वे कुरान पढ़ते हैं और शिष्य बनाते हैं। ये लोग लोगों को मज़ारों पर इकट्ठा करते हैं। पर खुदा को ये लोग नहीं पहचान पाए हैं।

प्रश्न ग.
बाह्याडंबर, मूर्तिपूजा के बारे में कबीर क्या कहते हैं ?
उत्तर :
कबीर कहते हैं कि बाह्य दिखावों में विश्वास करनेवाले लोग पीपल के वृक्ष और पत्थर (मूर्ति) की पूजा करते हैं। वे तीर्थ, व्रत में अपना समय बरबाद करते हैं। पर आत्मज्ञान के बारे में इन्हें कोई जानकारी नहीं है।

4. पाँच से छ : पंक्तियों में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
हिन्दू व मुस्लिम धर्म की क्या स्थिति है ? पद के आधार पर बताइए।
उत्तर :
कबीर न हिन्दुओं से प्रसन्न हैं, न मुसलमानों से। वे कहते हैं कि हिन्दू राम को अपना मानकर उन्हें भगवान मानते हैं। मुसलमान रहमान को अपना सर्वस्व मानते हैं। इस बात को लेकर वे आपस में झगड़ते हैं। यहाँ तक कि मरने-कटने को तैयार हो जाते हैं। वे यह नहीं समझते कि राम और रहमान दोनों एक ही हैं। परन्तु सच्चाई जानने की कोई कोशिश नहीं करता। इस प्रकार हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों में अज्ञान की स्थिति है।

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प्रश्न 2.
दोनों धर्मों में से कौन दिवाना है. ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर :
कबीर कहते हैं कि पीर और औलिया कुरान तथा धर्म की दूसरी किताबें पढ़ते हैं। वे दूसरों को अपने अनुयायी बनाते हैं पर वे खुदा के बारे में कुछ नहीं जानते। हिन्दू भी ढोंग और पाखंड को ही धर्म समझते हैं, पर आत्मज्ञान के बारे में अज्ञानी हैं। सच तो यह है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों अपनी नैतिकता भूल गए हैं। हिन्दुओं की दया, मानवता, मुसलमानों की कृपादृष्टि दोनों के हृदय से गायब हो गई है। सचमुच ये अपने-अपने अज्ञान में दीवाने हो गए हैं।

प्रश्न 3.
कबीर ने हिन्दू-इस्लाम धर्म में व्याप्त बाह्याडम्बर का खुलकर विरोध किया है, समझाइए।
उत्तर :
कबीर ने हिन्दू और इस्लाम धर्म में फैली बुराइयों को बहुत निकट से देखा था। वे कहते हैं कि हिन्दू धर्म बाहरी दिखावों में विश्वास करता है। उसमें पत्थर (मूर्ति) की और पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। छापा और तिलक जैसे आडंबर किए जाते हैं। इसी तरह इस्लाम धर्म में पीर और औलिया लोगों को अपना अनुयायी बनाते हैं और उन्हें मज़ार पर बुलाते हैं। असल में ईश्वर के सच्चे रूप को न हिन्दू जानते हैं और न मुसलमान। वे दिखावों को ही धर्म समझते हैं। इस प्रकार कबीर ने हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों का खुलकर विरोध किया है।

5.
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द लिखिए :

  1. बौराना
  2. थोथा
  3. अभिमान
  4. अनुमान

उत्तर :

  1. बौराना = दीवाना
  2. थोथा = खोखला
  3. अभिमान = अहंकार
  4. अनुमान = अंदाज

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प्रश्न 2.
मानक शब्द रूप लिखिए :

  1. आतम
  2. असनाना
  3. सिष्य
  4. मरम
  5. पाथर
  6. कबर

उत्तर :

  1. आतम – आत्मा
  2. असनाना – स्नान
  3. सिष्य – शिष्य
  4. मरम – मर्म
  5. पाथर – पत्थर
  6. कबर – कब्र

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व्याकरण

समानार्थी शब्द लिखिए :

  • मेहर = कृपा
  • मुरीद = शिष्य
  • दीवाना = पागल

शब्दों के मानक शब्द रूप लिखिए :

स्याना- सयाना

शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :

  • दीवानापन – पन
  • अंतिम – इम
  • धार्मिक – इक
  • झूठी – ई
  • नैतिकता – ता

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शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :

  • कुरीति – कु
  • विराग – वि
  • अज्ञान – अ

योग्यता-विस्तार

बाह्याडंबरों पर व्यंग्य करती हुई कबीर की अन्य साखियां एकत्र करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर :
कबीर की कुछ साखियाँ यहाँ दी जा रही हैं। इन्हें पढ़िए और कक्षा में सुनाइए।
1. ना जाने तेरा साहब कैसा है मुल्ला होकर बांग’ जो देवै, क्या तेरा साहब बहरा है। कीड़ी के पग नेवर बाजे
बाह्याडंबर
सो भी साहब सुनता है। माला फेरी तिलक लगाया लंबी जटा बढ़ाता है अंतर तेरे कुफर-कटारी यों नहिं साहब मिलता है।

  1. आवाज़ लगाना (वह ऊँचा शब्द जो मौलवी मस्जिद में बोलते हैं।)
  2. चींटी
  3. धुंघरू
  4. द्वेष, छल।

2. सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार
अरे इन दोहुन राह न पाई।
हिन्दू आपन करें बड़ाई गागर छुअन न देई।
बेस्या के पाइन1 तर सोवै यह देखो हिन्दुआई।
मुसलमान के पीर-औलिया मुर्गी-मुर्गा खाई।
खाला’ केरी बेटी ब्याहें घरहि में करें सगाई।
बाहर से इक मुर्दा लाये धोय-धाय चढ़वाई
सब सखिया मिलि जेवन बैठी, घर भर करें बड़ाई।
हिन्दुन की हिन्दुआई देखी, तुरकन की तुरकाई।
कहैं कबीर सुनो भई साधो कौन राह है जाई।

  1. पांवों के नीचे
  2. मौसी (माँ की बहन)

3. धार्मिक पाखंड
मन न रंगाए रंगाए जोगी कपरा।
आसन मारि मंदिर में बैठे,
ब्रह्म छाड़ि पूजन लागे पथरा।।
1कनवा फड़ाय2 जटवा3 बढ़ौले4
दाढ़ी बढ़ाय जोगी होइ गैले बकरा।
जंगल जाय जोगी धुनिया5 रमौले6
काम7 जराय8 जोगी होय गैले हिजरा9
10मथवा मुंडाय11 जोगी कपड़ा रंगौले
गीता बाँच के हो गले लबरा12
कहहि कबीर सुनो भाई साधो,
जम दरवाजा जैबे पकड़ा।।

  1. कान
  2. छिदवाकर
  3. जटा
  4. बढ़ाया
  5. धूनी
  6. रमाया (धूनी रमाना – साधुओं का आग जलाकर उसके सामने बैठना)
  7. वासना
  8. जलाकर
  9. नपुंसक
  10. सिर
  11. मुंडन करवाकर
  12. झूठा, लबार

4. अज्ञान
यह जग अंधा मैं केहि समझावों।
इक, दुइ हों उन्हें समझावों, सबही भुलाना पेट के धंधा
पानी के घोड़ा पथन1 ‘असवरता ढरिक2 परै जस ओस3 के बुंदा।
गहरी नदिया अगम बहे धरवा खेवनहार4 पड़िगा5 फंदा6
घर की वस्तु निकट नहिं आवत दियना बारि के ढूंढ़त अंधा।
लागी आग सकल जग बरिगा, बिनु गुरु ज्ञान भटकिया7 बंदा।
‘कहै कबीर सुनो भाई साधो एक दिन जाय लंगोटी झार8 बंदा।

  1. सवार
  2. गिर पड़ना
  3. ओस
  4. पार लगानेवाला
  5. पड़ गया
  6. जाल
  7. भटकना, भ्रमित होना
  8. झाडकर (सब कुछ छोड़कर)

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साधो, देखो जग बौराना Summary in Gujarati

ભાવાત્મક અનુવાદ :

કબીર કહે છે કે ભાઈઓ, આ સંસારના લોકો પાગલ થઈ ગયા छ.

કોઈ તેમને સાચી વાત કહે છે તો તેઓ તેની વાત સાંભળવા તૈયાર થતા નથી. તેની વાત સાંભળી તેમને ગુસ્સો ચઢે છે અને તેઓ તેને મારવા દોડે છે, પરંતુ કોઈ ખોટી વાત કહે છે તો તેઓ તેને ખુબ પ્રેમથી સાંભળે છે અને તેની વાત પર વિશ્વાસ મૂકે છે, અર્થાત્ તેમનામાં સાચા અને ખોટાની સમજ રહી નથી.

(જુઓને) હિન્દુ કહે છે કે રામ તેમના છે અથાત્ તેઓ રામને પોતાના ભગવાન માને છે. મુસલમાન રહેમાનને પોતાનું સર્વસ્વ માને છે. આ વાતને અનુલક્ષીને તેઓ પરસ્પર ઝઘડે છે અને કપાઈ મરે છે, પરંતુ સત્ય જાણવાની કોશિશ કોઈ કરતું નથી. – કબીર કહે છે કે નિયમ, ધર્મનું પાલન કરવાની વાતો કરનારા અનેક લોકોને મેં જોયા છે. તેઓ સવારમાં ઊઠતાં જ ગંગાસ્નાન કરવાનો ઢોંગ કરે છે તેમનું જ્ઞાન પોકળ હોય છે. આવા લોકો આત્મજ્ઞાનને મહત્ત્વ આપતા નથી અને પથ્થર(મૂર્તિ)ની પૂજા કરે છે.

તેઓ આસન અને ધ્યાનની વાતો કરે છે અને આ વાત પર તેમને ખૂબ અભિમાન હોય છે.

બાહ્ય દેખાવોમાં વિશ્વાસ કરનારા આવા લોકો પીપળાના વૃક્ષ અને પથર(મૃતિ)ની પૂજા કરે છે. તીર્થ અને વ્રતોમાં પોતાનો સમય બરબાદ કરે છે, માળા ધારણ કરે છે અને વેપી પહેરે છે, છાપ અને તિલક લગાડે છે. આ લોકો જ્ઞાન-વૈરાગ્યના નિયમવાળાં સૂત્રો અને પરમાત્માના સૂક્ષ્મનામ નામાવલિનો પ્રચાર કરતા ફરે છે; પરંતુ આત્મજ્ઞાન વિશે કશું જાણતા નથી.

માયામાં લીને આ લોકો ઘેર ઘેર ફરીને લોકોને મંત્ર આપે છે. આવા શિષ્યો સ્વયં તો ડૂબે જ છે, ગુરુને પણ ડુબાડે છે અને અંતિમ સમયે તેમની પાસે પસ્તાવા સિવાય કાંઈ રહેતું નથી.

કબીર કહે છે મેં અનેક પીર અને ઓલિયા જોયા છે. તેઓ ગ્રંથો અને કુરાન’ વાંચે છે. તેઓ લોકોને પોતાના અનુયાયી બનાવે છે અને તેઓ મોતનો ભય દેખાડે છે, પરંતુ તેઓ પરમેશ્વર વિશે કશું જાણતા નથી. તે લોકોને દરગાહ પર બોલાવે છે.

કબીર કહે છે હિન્દુઓની દયાભાવના તથા મુસલમાનોની કૃપાદૃષ્ટિ આ બર્નહૃદયમાંથી અદશ્ય થઈ ગઈ છે. મુસલમાને જાનવરને) હલાલ કરે છે અને હિન્દુ ઝાટકો મારીને એક જ વારે માથું ધડથી અલગ કરીને મારી નાખે છે. બંને પોતપોતાની નૈતિકતા ભૂલી ગયા છે.

આ લોકો મારી વાત પર હસે છે અને પોતાને બુદ્ધિમાન કહે છે. કબીર કહે છે કે હે ભાઈઓ, આપ જ કહો કે આમાં કોણ પાગલ છે.

साधो, देखो जग बौराना Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

कबीर भक्त कवि थे। वे समाज में व्याप्त धार्मिक बाह्याडंबरों को पसंद नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने हिन्दुओं और मुसलमानों – दोनों के धर्मों में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों और दिखावों का खुलकर विरोध किया और बताया कि धर्म के ठेकेदारों को आत्मज्ञान नहीं है और वे अनावश्यक ढोंगों के चक्कर में पड़कर ईश्वर से दूर हो गए हैं। उनमें सद-असद का विवेक नहीं रह गया है।

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कविता का सरल अर्थ :

कबीर कहते हैं कि हे भाइयो, इस संसार के लोग पगला गए हैं।

कोई उन्हें सच्ची बात बताता है, तो वे उसकी बात सुनने को तैयार नहीं होते। उसकी बात पर उन्हें गुस्सा आता है और वे उसे मारने दौड़ते हैं। पर कोई झूठी बातें कहता है, तो वे उसे बड़े चाव से सुनते हैं और उसकी बात पर विश्वास कर लेते हैं। यानी उनमें सच और झूठ की पहचान नहीं रह गई है।

(देखो न) हिन्दू कहते हैं कि राम उनके हैं अर्थात् वे राम को अपना भगवान मानते हैं, मुसलमान रहमान को अपना सर्वस्व मानते हैं। इस बात को लेकर वे आपस में झगड़ते और कट-मरते हैं, पर सच्चाई जानने की कोशिश कोई नहीं करता।

कबीर कहते हैं कि नियम, धर्म का पालन करने की बात करनेवाले अनेक लोगों को मैंने देखा है। वे सुबह उठते ही (गंगा) स्नान का ढोंग करते हैं। उनका ज्ञान खोखला है। ऐसे लोग आत्मज्ञान को महत्त्व नहीं देते और पत्थर (मूर्ति) की पूजा करते हैं।

वे आसन और ध्यान की बातें करते हैं और इस पर उन्हें बहुत अभिमान है।

बाह्य दिखावों में विश्वास करनेवाले ऐसे लोग पीपल के वृक्ष और पत्थर (मूर्ति) की पूजा करते हैं, तीर्थ-व्रत में अपना समय बरबाद करते हैं, माला धारण करते और टोपी पहनते हैं, छाप और तिलक लगाते हैं। ये लोग ज्ञान, वैराग्य के नियमवाली साखी और परमात्मा के सूक्ष्म नाम तथा सबद का प्रचार करते घूमते हैं, पर आत्मज्ञान के बारे में कुछ भी नहीं जानते।

माया में लिप्त ये लोग घर-घर घूमकर लोगों को मंत्र देते हैं। ऐसे शिष्य स्वयं तो डूबते ही हैं, गुरु को भी ले डूबते है और अंत समय में उनके पास पछताने के सिवा कुछ नहीं होता।

कबीर कहते हैं, मैंने अनेक पीर और औलिया देखे हैं। ये किताबें और ‘कुरान’ पढ़ते हैं। ये लोगों को अपना अनुयायी बनाते हैं और उन्हें मृत्यु का भय दिखाते हैं। लेकिन वे खुदा के बारे में कुछ नहीं जानते। वे लोगों को मज़ार में बुलाते हैं।

कबीर कहते हैं कि हिन्दुओं की दया की भावना तथा मुसलमानों की कृपा की दृष्टि इन दोनों के हृदय से गायब हो गई है। मुसलमान (जानवरों को) हलाल करते हैं और हिन्दू झटका (एक बार में सिर धड़ से अलग कर देना) मारते हैं। दोनों अपनी-अपनी नैतिकता भूल गए हैं।

ये लोग मेरी बातों पर हँसते हैं और अपने आप को बुद्धिमान कहते हैं। कबीर कहते हैं कि हे भाइयो, आप ही बताइए कि इनमें कौन पागल है।

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साधो, देखो जग बौराना शब्दार्थ :

  • बौराना – पागल हो गया।
  • सांची – सच्ची बात।
  • मारन – मारने।
  • पतियाना – विश्वास करना।
  • दोऊ – दोनों।
  • मरतु – मरते।
  • मरम – मर्म, रहस्य।
  • मोहिं – मुझे।
  • नेमी-धर्मी – नियम, धर्म का पालन करनेवाले।
  • असनाना – स्नान।
  • आतम – आत्मज्ञान।
  • पषानै – पाषाण, पत्थर (मूर्ति)।
  • थोथा – खोखला।
  • गुमाना – गर्व, घमंड।
  • डिंभ – दंभ।
  • पीपर – पीपल का पेड़।
  • पाथर – पत्थर।
  • पूजन लागे – पूजने लगे।
  • भलाना – व्यस्त होना।
  • साखी – ज्ञान, वैराग।
  • सबद – परमात्मा का सूक्ष्म नाम।
  • गावत – (यहाँ) प्रचार करते हैं।
  • मंत्र देना – कान फूंक कर शिष्य बनाना।
  • अंतकाल – अंतिम समय।
  • बहुतक – बहुत।
  • मुरीद – अनुयायी, शिष्य।
  • कबर – मज़ार।
  • उनहूँ – वे भी।
  • मेहर – कृपा।
  • भागी – गायब हो गई।
  • जिबह – हलाल।
  • झटका – एक ही बार में झटके से मार डालना।
  • स्याना – चतुर।
  • दीवाना – पागल।

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