GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 7 भाषा एवं प्रत्यायन

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 7 भाषा एवं प्रत्यायन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 7 भाषा एवं प्रत्यायन

GSEB Class 11 Psychology भाषा एवं प्रत्यायन Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. निम्न प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से योग्य विकल्प पसंद करके लिखिये ।

प्रश्न 1.
निम्न में से भाषा का लक्षण कौन-सा नहीं है ?
(अ) भावनाओं का तंत्र
(ब) प्रतीकों की उपस्थिति
(क) नियमों का समूह
(ड) प्रत्यायन
उत्तर :
(अ) भावनाओं का तंत्र

प्रश्न 2.
हम भाषा की अभिव्यक्ति किस तरह करते है ?
(अ) बोलकर
(ब) लिखकर
(क) संकेत द्वारा
(ड) अ, ब, क तीनों ही
उत्तर :
(ड) अ, ब, क तीनों ही

प्रश्न 3.
वाणी के लघुतम एकम को क्या कहते हैं ?
(अ) ध्वनि एकम
(ब) अर्थपूर्ण एकम
(क) संयोजन एकम
(ड) शब्दार्थ एकम
उत्तर :
(अ) ध्वनि एकम

प्रश्न 4.
भाषा के छोटे से छोटे अर्थपूर्ण एकम को क्या कहते हैं ?
(अ) फोनेम
(ब) मोर्फिम
(क) सिन्टेक्ष
(ड) सिमेन्टिक्स
उत्तर :
(ब) मोर्फिम

प्रश्न 5.
बड़े व्यक्तियों को विनती कर सकते हैं आदेश नहीं । यह भाषा का कौन-सा पहलु है ?
(अ) ध्वनिशास्त्रीय
(ब) शब्दार्थ शास्त्रीय
(क) सामाजिक शास्त्र, संदर्भलक्षी
(ड) वय सन्दर्भलक्षी
उत्तर :
(क) सामाजिक शास्त्र, संदर्भलक्षी

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प्रश्न 6.
वाणी विकास का पर्यावरण का सिद्धान्त किसने दिया ?
(अ) वी. एफ. स्कीनर
(ब) नोआम चोमस्की
(क) जीन पियांजे
(ड) बेन्जामिन ली व्होर्फ
उत्तर :
(अ) वी. एफ. स्कीनर

प्रश्न 7.
विचार भाषा की रचना करता है । किस मनोवैज्ञानिक का विचार है ?
(अ) लेव बायोगोत्सकी
(ब) नोआम चोमास्की
(क) जीन पियांजे
(ड) बेन्जामीन ली व्होर्फ
उत्तर :
(क) जीन पियांजे

प्रश्न 8.
संकेत या संदेश भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया अर्थात् ?
(अ) वाणी
(ब) भाषा
(क) प्रतिपुष्टि
(ड) प्रत्यायन
उत्तर :
(क) प्रतिपुष्टि

प्रश्न 9.
किस प्रत्यायन में भाषा का नहीं अन्य संकेतों का उपयोग होता है ?
(अ) अशाब्दिक प्रत्यायन
(ब) सरल प्रत्यायन
(क) शाब्दिक प्रत्यायन
(ड) जटिल प्रत्यायन
उत्तर :
(अ) अशाब्दिक प्रत्यायन

प्रश्न 10.
अशाब्दिक प्रत्यायन का अन्य किस विषय के रूप में अध्ययन होता है ?
(अ) मन की भाषा
(ब) मन की बात
(क) शरीर की भाषा
(ड) व्यवहार की भाषा ।
उत्तर :
(क) शरीर की भाषा

प्रश्न 11.
हाव-भाव के द्वारा किये गये प्रत्यायन को क्या कहेंगे ?
(अ) संकेत
(ब) विसंकेत
(क) बिनशाब्दिक
(ड) शाब्दिक
उत्तर :
(क) बिनशाब्दिक

प्रश्न 12.
भारतीय भाषा में मूलभूत कितने स्वर आते हैं ?
(अ) 21
(ब) 12
(क) 34
(ड) 43
उत्तर :
(ब) 12

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प्रश्न 13.
प्रत्यायन प्रतिमान (मोडेल) में कितनी अवस्थाएँ होती है ?
(अ) 8
(ब) 7
(क) 5
(ड) 6
उत्तर :
(ब) 7

प्रश्न 14.
संदेश वहन के माध्यम को क्या कहते हैं ?
(अ) प्रणाली
(ब) अभिव्यक्ति
(क) प्रत्यायन
(ड) मोर्फिम
उत्तर :
(अ) प्रणाली

प्रश्न 15.
भाषा के प्रथम लक्षण में किसका उपयोग होता है ?
(अ) मोर्फिम
(ब) प्रतीक
(क) प्रत्यायन
(ड) संकेत
उत्तर :
(ब) प्रतीक

प्रश्न 16.
भाषा एक ……………………………… तंत्र है ।
(अ) सरल
(ब) जटिल
(क) स्पष्ट
(ड) सांकेतिक
उत्तर :
(ब) जटिल

प्रश्न 17.
बालक 18-20 महिने में कितने शब्द जोड़कर कहते हैं ?
(अ) पाँच
(ब) तीन
(क) दो
(ड) सात
उत्तर :
(क) दो

प्रश्न 18.
‘बड़बड़ाहट’ की अवस्था कितने महीने आती है ?
(अ) 6
(ब) 7
(क) 13
(ड) 16
उत्तर :
(अ) 6

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प्रश्न 19.
शिक्षण का सिद्धांत किस मनोवैज्ञानिक ने दिया है ?
(अ) गेरेट
(ब) जीन पियांजे
(क) वुडवर्थ
(ड) स्कीनर
उत्तर :
(ड) स्कीनर

प्रश्न 20.
भाषा एवं विचार के उद्गम अलग-अलग है यह किसका मत है ?
(अ) लेव बायोगोत्सकी
(ब) जीन पियांजे
(क) चोमोस्की
(ड) स्कीनर
उत्तर :
(अ) लेव बायोगोत्सकी

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिये ।

प्रश्न 1.
भाषा के लक्षणों के नाम लिखिये ।
उत्तर :
भाषा के प्रमुख तीन लक्षण हैं :

  1. प्रतीकों की उपस्थिति
  2. नियमों का समूह
  3. प्रत्यायन

प्रश्न 2.
भाषा की परिभाषा लिजिये ।
उत्तर :
भाषा प्रतीकों के तंत्र के आधार पर मौखिक, लिखित संकेतों में रचा हुआ प्रत्यायन का स्वरूप है । – सेन्ट्रोक (2005)

प्रश्न 3.
बालक कौन-सी आयु में ‘बडबड़ाहट’ की अवस्था में आता है ?
उत्तर :
छः मास की उम्र में बालक उपरोक्त अवस्था में आता है ।

प्रश्न 4.
‘अल्प संदेश’ की वाणी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
18 से 20 मास के दौरान बालक जब दो शब्दों को जोड़कर बोलता है उसे अल्प संदेश की वाणी कहते हैं ।

प्रश्न 5.
ध्वनि एकम अर्थात् क्या ?
उत्तर :
वाणी का लघुतम एकम (मूलभूत उच्चार) ही ध्वनि का एकम है ।

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प्रश्न 6.
संदेशा वहन के माध्यम को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
संदेशा वहन के माध्यम को ‘प्रणाली’ (Channel) कहते हैं ।

प्रश्न 7.
‘प्रत्यायन कारणरूप तथा परिणामरूप है’ का उदाहरण दीजिये ।
उत्तर :
उदा. एक युवक पिता को कहता है कि ‘मुझे नौकरी पर जाना नहीं है’ यह संदेश का कारण है । बॉस ने सभी की उपस्थिति में मेरा अपमान किया है । यह जानकर पिता पर असर होने से युवक को समझाते हैं ‘प्रारंभ में सभी डाँटते हैं ।’ ‘इसीसे सीखने को प्राप्त होना है ।’ प्रत्यायन में कारण परिणाम का चक्र चलता रहता है ।

प्रश्न 8.
प्रभावशाली प्रत्यायन के लिए कौशल्यों का विकास किस-किस को करने पड़ते हैं ?
उत्तर :
प्रभावशाली प्रत्यायन के लिए प्रेषक एवं संदेश प्राप्त करनेवाले दोनों को विकसित करने पड़ते हैं ।

प्रश्न 9.
वाणी विकास का पर्यावरण का सिद्धांत किसने दिया ?
उत्तर :
वाणी विकास का पर्यावरण का सिद्धांत वी. एफ. स्कीनर ने दिया है ।

प्रश्न 10.
वाणी विकास का ‘जन्मजात’ का सिद्धांत किसने दिया है ?
उत्तर :
वाणी विकास का ‘जन्मजात’ का सिद्धांत ‘नोआम चोमस्की’ ने दिया है ।

प्रश्न 11.
भाषा का सामर्थ्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भाषा सीखकर उसका उपयोग करने की व्यक्ति की सुषुप्त शक्ति को भाषा का सामर्थ्य कहते हैं ।

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प्रश्न 12.
भाषा की अभिव्यक्ति किस तरह से करते हैं ?
उत्तर :
भाषा की अभिव्यक्ति बोलकर, लिखकर एवं संकेत (हावभाव) के द्वारा करते हैं ।

प्रश्न 13.
प्रत्यायन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
एक स्थान से दूसरे स्थान तक विचार एवं अर्थ का संक्रमण करने में साधनरुप बनती क्रिया को प्रत्यायन कहते हैं ।

प्रश्न 14.
भाषा की विविध अवस्थाओं के नाम लिखिये ।
उत्तर :

  1. ध्वनिशास्त्रीय अवस्था
  2. अर्थपूर्ण एकम अवस्था
  3. शब्द संयोजन
  4. शब्दार्थ शास्त्रीय अवस्था एवं
  5. सामाजिक सन्दर्भलक्षी अवस्था ।

प्रश्न 15.
मनोभाषाशास्त्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भाषा के उपयोग में मानसिक मूलभूत प्राथमिक अध्ययन को मनोभाषा शास्त्र कहते हैं ।

प्रश्न 16.
संदेश भेजनेवाले एवं संदेश प्राप्त करनेवाले को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
संदेश भेजनेवाले को प्रेषक एवं स्वीकार करनेवाले को यो प्राप्त करनेवाले को ग्राहक कहते हैं ।

प्रश्न 17.
प्रभावशाली प्रत्यायन में क्षति कब आती है ?
उत्तर :
भाषा में मूल एवं वाणी में भूल होने से प्रत्यायन में क्षति आ जाती है ।

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प्रश्न 18.
शब्दार्थ शास्त्र अर्थात् क्या ?
उत्तर :
शब्द एवं वाक्य के परिच्छेद के अर्थ का अध्ययन करनेवाले विज्ञान को शब्दार्थशास्त्र कहते हैं ।

प्रश्न 19.
विसंकेतन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
संदेश के प्रतीकों का रूपांतर पुनः मूल अर्थ में करने की क्रिया को विसंकेतन कहते हैं ।

प्रश्न 20.
मनोवैज्ञानिकों ने कौन से प्राणियों एवं पशुओं की सांकेतिक भाषा सीखने का प्रयास किया ?
उत्तर :
चिपांजी, डॉल्फिन, तोता आदि प्राणियों के संकेत तथा चित्र द्वारा मनोवैज्ञानिकों ने भाषा सीखने का प्रयास किया ।

प्रश्न 21.
प्रत्यायन के लक्षणों के नाम लिखिये ।
उत्तर :

  1. गतिशीलता
  2. जटिलता
  3. तंत्र का स्वरूप
  4. कारण-कार्य स्वरूप ।

3. निम्न प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिये ।

प्रश्न 1.
बोलने की क्रिया में कौन-कौन से कौशल्यों का समावेश होता है ?
उत्तर :
बोलने की क्रिया के कौशल्य निम्नलिखित है :

  1. जो बोलना हो उसका स्पष्ट विचार करना
  2. विचार व्यक्त करने के लिए योग्य शब्दों की पसंद
  3. व्याकरण की दृष्टि से शब्दों की क्रमिक योग्यता
  4. वाक्य का उचित उच्चारण, योग्य शब्द पर जोर देना, योग्य आरोह-अवरोह योग्य गति
  5. शब्द-समूह के विराम, श्रोता समझ सके, वक्ता के बाद विचारने का समय

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प्रश्न 2.
प्रत्यायन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
‘प्रत्यायन अर्थात् संकेतों या संदेशों को भेजने एवं स्वीकारने की प्रक्रिया ।’
‘प्रत्यायन एक स्थान से दूसरे स्थान तक, विचार का या अर्थ संक्रमण करने में साधनरुप क्रिया ।’

प्रश्न 3.
शाब्दिक प्रत्यायन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस प्रत्यायन में भाषा में मौखिक या लिखित संकेतों का उपयोग किया जाता है ।

प्रश्न 4.
अशाब्दिक प्रत्यायन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस प्रत्यायन में भाषा के संकेत नहीं परन्तु अन्य संकेतों का उपयोग होता है, चेहरे के हाव-भाव, (कपाल, आँख, नाक, गाल आदि) उसे अशाब्दिक प्रत्यायन कहते हैं ।

प्रश्न 5.
प्रत्यायन के सोपानों का प्रतिमान (मोडेल) लिखिये ।
उत्तर :
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प्रश्न 6.
मोर्फीम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भाषा के छोटे से छोटे अर्थपूर्ण एकम को मोर्फीम (Morpheme) कहते हैं । हरेक भाषा में मोर्फीम की रचना और संयोजन के विषय में नियम होते हैं । इन नियमों को अर्थपूर्ण एकमों के नियम (Morphological Rules) कहते हैं ।

प्रश्न 7.
शब्द संयोजन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
व्याकरण की दृष्टि से स्वीकार किया जा सके ऐसा शब्द-समूह, वाक्य रचना के लिए शब्दों को किस तरह से जोड़ना चाहिए ऐसे नियमों को शब्द संयोजन कहते हैं ।

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प्रश्न 8.
भाषाकीय सापेक्षता की उत्कल्पना किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भाषाकीय सापेक्षता की उत्कल्पना (Liguistic-Relativety Hypothesis) बेन्जामिन ली व्होर्फ के मतानुसार ‘भाषा विचारों के विषयवस्तु को निश्चित करती है । अर्थात् व्यक्ति क्या विचार करेगा, किस तरह विचार करेगा सामान्य रीति से उसके द्वारा उपयोग में ली जानेवाली भाषा पर निर्भर है’ इसे भाषा की सापेक्षता की उत्कल्पना कहते हैं ।

प्रश्न 9.
भाषा का शब्दार्थ शास्त्रीय (Semonties) पहलु क्या है ?
उत्तर :
यह विज्ञान शब्दों, वाक्यों तथा परिच्छेदों का अर्थों का अध्ययन करता है । यह अलग-अलग शब्दों का नहीं परंतु शब्दों को वाक्य में जोड़कर उत्पन्न सम्पूर्ण अर्थ का निरीक्षण करता है ।

प्रश्न 10.
प्रत्यायन में कम से कम कितने व्यक्ति होते है ?
उत्तर :
प्रत्यायन में कम से कम दो व्यक्ति

  1. संदेश देनेवाला (प्रेषक)
  2. संदेश को स्वीकार करनेवाला व्यक्ति (ग्राहक) होते है ।

प्रश्न 11.
प्रेषक के कौशल्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :

  1. संदेश का ध्येय
  2. संदेश की स्पष्टता
  3. संदेश ग्राहक की पहचान एवं अनुरुप संदेश
  4. संदेश के क्रमिक सोपान
  5. आत्म विश्वास
  6. साधन निरीक्षण एवं समयमर्यादा

प्रश्न 12.
उत्तर :
संदेश (ग्राहक) के कौशल्य कौन-कौन है ?

  1. पूर्वग्रह से दूर रहें ।
  2. प्रत्यायन की जानकारी एवं वक्ता से चर्चा करना
  3. विक्षेपों से बचें
  4. वक्ता का अर्थ समझना
  5. संदेश का सारांश ग्रहण करना

4. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।

1. वाणी विकास की प्रक्रिया :
उत्तर :
भाषा विकास एक जटिल तंत्र है । मनोवैज्ञानिकों ने चिपांजी, डॉल्फीन, तोता आदि के संकेतों, चित्रों का उपयोग करके सांकेतिक भाषा सीखने का प्रयास किया है । मानवीय भाषा का तंत्र अधिक जटिल, सर्जनात्मक एवं सहज है । बालक का किसी भी भाषा के सम्पर्क में रहकर वाणी का विकास होता है । जिसके क्रमिक सोपान निम्न हैं :

  1. नवजात शिशु की विविध आवाज धीमे-धीमे शब्दों में रूपांतरित होती है ।
  2. प्रथम ध्वनि की शुरूआत रोने से भूख, पीड़ा, अकेलापन अलग-अलग रोना । आनंद के लिए अ… अ… अ… किलकारी – किलकिलाट ।
  3. छः मास में बड़बड़ाहट (babbling stage) स्वर-व्यंजन हा, आ, बा, मा…
  4. बड़ों का अनुकरण
  5. एकाक्षरी शब्द प्रारंभ । मा, दा, बा, पा
  6. 18, 20 महीने में दो शब्दों को जोड़ना ।
  7. गुड मोर्निंग ।
  8. ढ़ाई वर्ष में लम्बे अर्थपूर्ण वाक्य बोलना
  9. तीन वर्ष तक बड़ों के पास से सुनकर भाषा ग्रहण करना सीखता है ।

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2. वाणी विकास के सिद्धांत :
उत्तर :
मनोवैज्ञानिक वाणी या भाषा विकास अनुवंश एवं पर्यावरण दोनों परिबलों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं । यहाँ पर स्कीनर एवं चोमस्की के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है ।

पर्यावरण का सिद्धांत : वर्तनवादी बी. एफ. स्कीनर के मतानुसार जिस प्रकार चुहा दोनों पंजों से भोजन प्राप्त करना सीखता है, उसी प्रकार भाषा विकास शिक्षण के सिद्धांतों पर आधारित है । जैसे बालक बोतल देखकर बोतल शब्द को जोडता है (साहचर्य) बड़ों का अनुकरण करता है । बोतल बोलने पर बड़े – माता-पिता हंसते हैं । (प्रबलन) हम जानते है कि बालक की बोलने की छटा (स्टाईल) घर के सदस्यों जैसे ही होती है, जो कि घर के पर्यावरण और प्रोत्साहन पर निर्भर करता है । इसीलिए भाषा के उच्चारण भाषाशैली में प्रदेश अनुसार भिन्नता दिखाई देती है ।

जन्मजात (सहज) सिद्धांत : भाषाशास्त्री नोआम चोमस्की के मतानुसार मनुष्य में भाषा सीखने की असाधारण शक्ति जन्म से प्राप्त होती है । कोई भी स्कूल की शिक्षा बिना बालक जिस तरह शब्द और व्याकरण सीखता है उसे शिक्षण के सिद्धांतों पर आधारित नहीं कह सकते हैं । उनके अनुसार समग्र दुनिया के बालकों में भाषा विकास का एक विशिष्ट ‘संक्रांतिकाल’ होता है । समयानुसार भाषा सीखकर वाणी विकास होगा ही । भाषा विकास शारीरिक परिपक्वता जैसा ही है । योग्य देख-भाल से बालक में स्वयं संचालित रीति से भाषा विकास होता है तथा उनके विचार से बालक ‘सर्वभाषा व्याकरण’ सीखने की क्षमता से जन्म लेता है ।

3. वाणी की भूलें :
उत्तर :
भाषा की एवं वाणी की भूलों से प्रभावशाली प्रत्यायन में क्षति उत्पन्न होती हैं । प्रभावशाली भाषा के सर्जन में वाणी की भूलें अवरोध उत्पन्न करती है, जो निम्नलिखित हैं :

  1. अयोग्य शब्द की पसंदगी : निश्चित शब्द के बदले मिलता-जुलता शब्द का उपयोग
    उदा. गाँधी साहब अपने समय बिगाड़कर यहाँ आये है । उनका आभार । (सही शब्द – समय निकालकर)
  2. मिश्रण : दो वाक्यों के शब्दों को एक वाक्य में जोड़ना ।
    उदा. हाथी डोलता है और कोयल कूँजती है । इसके बदले हाथी कूँजता (कुहकना) ऐसा बोलना ।
  3. शब्द की अदला-बदली : उदा. एक नूर आदमी हजार नूर कपड़ा के बदले हजार नूर आदमी एक नूर कपड़ा ।
  4. मोर्फीम स्थलांतर : ‘राजदूत विवेकशील हैं’ के बदले ‘विवेकदूत राजशील हैं’ ऐसा कहना ।
  5. स्पूनरीजम : शब्दों के प्रारंभ में एक दो अक्षरों की अदलाबदली ।
    उदा. ‘प्रभुजी तुम राखो लाज हमारी’ के बदले ‘प्रभुजी तुम लाखो राज हमारी’ ऐसा कहना ।

4. प्रत्यायन प्रक्रिया का मोडेल :
उत्तर :
GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 7 भाषा एवं प्रत्यायन 2

5. प्रत्यायन प्रक्रिया के लक्षण :
उत्तर :
प्रत्यायन प्रक्रिया के मुख्य चार लक्षण हैं :
(1) गतिशीलता : प्रत्यायन गतिशील (प्रवाही) होते हैं ।
संदेशा का अर्थ लगातार बदलता रहता है । समाचार, प्रचार, विज्ञापनों में नया-नया दिखाई देता है । नये श्रोताओं को अलग ढंग से लागू पड़ता है । बालकों को दौडादौड़ी मत करो दुर्घटना से बचने के लिए तथा प्रौढ व्यक्ति को यही वाक्य तनाव से बचने के लिए कहते हैं ।

(2) जटिलता : प्रत्यायन एक जटिल प्रक्रिया है । क्योंकि संदेश देनेवाला, भेजने की रीति, विषय, पर्यावरण, संदेश स्वीकारनेवाले के लक्षणों का संयुक्त प्रभाव पड़ता है । इसलिए उपरोक्त पाँचों घटकों के योग्य संकलन से ही सफल प्रत्यायन होता है ।

(3) तंत्र का स्वरूप : प्रत्यायन तंत्रलक्षी है । इसलिए प्रत्यायन पर विविध परिबलों का प्रभाव अलग-अलग न होकर परन्तु उसकी आंतरक्रिया पर प्रभाव पड़ने से ही आंतरक्रिया होती है ।

(4) कारण कार्य स्वरूप : प्रत्यायन कारण स्वरूप एवं परिणाम स्वरूप होता है । उदा. एक युवक नौकरी पर नहीं जाने के लिए कहता है यह संदेशा का कारण है । ‘बोस ने सबकी उपस्थिति में मुझे डाँटा है’ पिता पर इसके प्रभाव से युवक को पिता समझाता है कि शुरूआत में सभी को डाँट खानी पड़ती है । इस तरह प्रत्यायन कार्य-परिणाम का चक्र चलता रहता है ।

5. निम्न प्रश्नों को सविस्तृत रूप से समझाईये ।

प्रश्न 1.
भाषा की परिभाषा देकर उसके लक्षणों को समझाईये ।
उत्तर :
‘भाषा प्रतीकों के तंत्रों के आधार पर मौखिक, लिखित या संकेतों में रचित प्रत्यायन का एक स्वरूप है ।’
– सेन्ट्रोक (2005)

‘भाषा अमुक नियमों के द्वारा संगठित प्रतीकों का एक तंत्र है । जिसका उपयोग हम एक-दूसरे के साथ प्रत्यायन करने में करते
– NCERT (2006)

भाषा के लक्षण : भाषा के प्रमुख तीन लक्षण हैं :
(i) प्रतीकों की उपस्थिति ।
(ii) नियमों का समूह ।
(iii) प्रत्यायन ।

(1) प्रतीकों की उपस्थिति : यह भाषा का प्रथम लक्षण है । इसमें प्रतीकों का उपयोग होता है । प्रतीक वस्तु या व्यक्ति को दर्शाती है । उदा. हम जहाँ रहते हैं उसे ‘घर’ कहते हैं । जहाँ अध्ययन करने जाते हैं उसे हम ‘पाठशाला’ कहते हैं । जहाँ भोजन करते हैं उसे हम ‘भोजनालय’ कहते हैं । उपरोक्त शब्दों को घटना या वस्तुओं के साथ जोड़ने से तब अर्थ धारण करते हैं ।

(2) नियमों का समूह : भाषा का दूसरा लक्षण नियम है । जब हम प्रतीकों को संगठित करते है दो या उससे अधिक शब्दों को जोड़ते है तो एक निश्चित एवं स्वीकृत क्रम का अनुसरण करते हैं जिसके लिए नियमों का समूह होता है । उदा. मैं पाठशाला में जाता हूँ । इसकी जगह ऐसा नहीं कहेंगे कि ‘जाता हूँ पाठशाला में ।’

(3) प्रत्यायन : भाषा का यह तीसरा लक्षण है । हम अपने विचारों, भावनाओं, योजनाएँ, अभिप्राय दूसरों तक पहुँचाने के लिए प्रत्यायन करते हैं । उपरोक्त प्रत्यायन संदेश लिखकर, बोलकर, हाव-भाव के द्वारा करते हैं । जो शाब्दिक एवं बिनशाब्दिक दो प्रकार के होते हैं । हाव-भाव भी शारीरिक संकेत भाषा का ही एक स्वरूप है ।

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प्रश्न 2.
भाषा के विविध पहलओं को समझाईये ।
उत्तर :
भाषा के निम्नलिखित अनेक पहलु हैं, जिनकी क्रमानुसार चर्चा करेंगे ।
(1) ध्वनि शास्त्रीय पहलु
(2) अर्थपूर्ण एकम का पहलु
(3) शब्द संयोजन का पहलु
(4) शब्दार्थ शास्त्रीय पहलु
(5) सामाजिक
सन्दर्भलक्षी पहलु ।

(1) ध्वनि शास्त्रीय पहलु : वाणी के लघुतम एकम (मूलभूत उच्चारण) को ध्वनि एकम (Phoneme) कहते हैं । भाषा में 36 से 40 ध्वनि एकम होने का अन्दाज है । संस्कृत आधारित भारतीय भाषाओं में अ…इ… आदि 12 स्वर एवं क, ख, ग आदि 34 व्यंजन अलग-अलग ध्वनियाँ हैं । रात, बात शब्दों के प्रारंभ में ध्वनि (र एवं व) अलग है परन्तु मध्य में (आ) और अंत में (त एवं ध) अलग है । ध्वनि का अर्थ नहीं होता लेकिन उनको जोड़ने का नियम हरेक भाषा के अलग हैं ।

(2) अर्थपूर्ण एकम (Morphological) का पहलु : ध्वनि के कई जोड़ने से अर्थपूर्ण शब्द बनता है । उदा. ब… त… क… = बतक जबकि कई ध्वनि जुड़ने से अर्थहीन पद बनते हैं । उदा. व…फ…ज… = वफज अर्थहीन पद । भाषा के छोटे से छोटे अर्थपूर्ण एकम को मोर्फीम (Morpheme) कहते हैं । युवान एक मोर्फीम है । उसमें प्रत्यय लगाने से दूसरा शब्द बनता है । उदा. युवानों इसमें दो मोर्फीम हैं । (1) युवान (2) का की मात्रा ।’ युवानों एक से अधिक व्यक्ति (बहुवचन) इसी प्रकार अलग-अलग काल परिवर्तन भी होता है । हरेक भाषा में मोर्फीम की रचना एवं संयोजन का अपना नियम होता है । ऐसे नियमों को अर्थपूर्ण एकम के नियम को (Morphological Rules) कहते हैं ।

(3) शब्द संयोजन (Syntax) का पहलु : व्याकरण की दृष्टि से स्वीकार किये गये ऐसे शब्द-समूह, वाक्यरचना के लिए शब्दों को कैसे जोड़ना है इस नियम को शब्द संयोजन कहते हैं । इसमें वाक्य एवं वाक्य के अंगों पर ध्यान दिया जाता है । कितने शब्दों को स्वीकृत रूप से जोड़े जा सकते हैं लेकिन शब्दों के क्रम को बदला नहीं जा सकता । उदा. बारातियों के हाथ में पटाके है । पटाकों के हाथ में बाराती हैं । ऐसा नहीं । क्रम गलत होने से अनर्थ हो जाता है । शब्द संयोजन से वाक्य बनाने के नियमों के समूह को व्याकरण कहते हैं । भाषा के उपयोग के मानसिक पहलु का अध्ययन मनोभाषाशास्त्र (Psycholinguistics) में होता है ।

(4) शब्दार्थ शास्त्रीय (Semantics) पहलु : यह विज्ञान शब्द, वाक्य एवं परिच्छेदों का अध्ययन करता है । शब्दों को वाक्यों के साथ जोड़कर उत्पन्न सम्पूर्ण अर्थ का निरीक्षण करता है । उदा. कल्याण और केदार आये । इस वाक्य में दोनों को आना है । कल्याण अथवा केदार आये इन दोनों में से एक को आना ‘और’ एवं ‘अथवा’ अलग शब्द है बाकी शब्द समान है फिर भी वाक्यों का अर्थ बदल जाता है ।

(5) सामाजिक शास्त्र संदर्भलक्षी (Pragmatics) पहलु : इसमें अलग-अलग व्यक्तियों के साथ अलग-अलग संजोगों में भाषा का उपयोग
अलग-अलग रीति से होता है । बड़े, बुजुर्ग व्यक्तियों को विनति – प्रार्थना कर सकते है, आदेश नहीं दे सकते हैं । समझदार व्यक्ति को ईशारा, जिद्दी व्यक्ति को चेतावनी या धमकी देनी पड़ती है । मदद लेनेवाले को सूचना मदद देनेवाले का आभार मानना पड़ता है ।

प्रश्न 3.
प्रत्यायन के कौशल्यों को समझाईये ।
उत्तर :
प्रभावशाली प्रत्यायन के लिए कितने ही सामान्य कौशल्य प्रेषक एवं ग्राहक दोनों को विकसित करने पड़ते हैं ।

  1. प्रत्येक प्रत्यायन के हेतु संप्रेषक एवं ग्राहक को ध्येयलक्षी प्रत्यायन बनाने की कुशलता प्राप्त करनी चाहिए ।
  2. प्रत्यायन में विचारों की स्पष्टता होनी चाहिए अन्यथा विचारों का अस्पष्टता से वक्ता कई बार अपने ही विचारों के विरुद्ध में बोल जाता है।
  3. प्रत्यायन की पद्धति एवं माध्यम प्रेषक एवं ग्राहक दोनों के अनुकूल हो ।
  4. एक से अधिक माध्यमों का उपयोग कर प्रत्यायन को प्रभावशाली बनाना । ग्राहक के अनुसार माध्यम का कौशल्य तथा जटिल
    वैज्ञानिक जानकारी लिखित एवं पारिवारिक जानकारी मौखिक रीति से प्रस्तुत करना ।
  5. प्रेषक संदेश को रुचिकारक बनाकर ग्राहक को आकर्षित कर ग्राहक वस्तुलक्षी मूल्यांकन का कौशल्य प्राप्त करें ।
  6. वक्ता प्रभावशाली आवाज से प्रत्यायन प्रस्तुत करें । ग्राहक पूर्वग्रह बिना, रसपूर्वक ध्यान दें ।
  7. श्रोता अपना प्रतिभाव प्रकट करें । सतर्क रहे, अपने विचार भी प्रस्तुत करें ।

प्रेषक के कौशल्य :

  1. ध्येय निश्चितता
  2. स्पष्ट संदेश
  3. ग्राहक की उम्र, जाति, शिक्षा ध्यान में रख्ने
  4. पूर्ण मुद्दे रख्ने
  5. आत्मविश्वास रखें
  6. बोलने का अभ्यास पूर्व करके जाये
  7. प्रत्यायन के साधन निरीक्षण करें
  8. समय मर्यादा बनाये रखें

ग्राहक के कौशल्य :

  1. संदेश यथार्थ रूप से प्राप्त करें
  2. समझ, सूचनाओं का पालन करें
  3. पूर्वग्रह दूर करे
  4. प्रत्यायन विषय की जानकारी लें ।
  5. विक्षेप से दूर रहें
  6. वक्ता के अर्थ को समझें
  7. संदेश का सारांश निकालें ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 7 भाषा एवं प्रत्यायन

प्रश्न 4.
भाषा एवं विचार के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
भाषा विचारों को रचती है या विचार भाषा की रचना करते है या दोनों स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं ।

(1) भाषा विचारों की रचना करती है : बेन्जामिन ली. व्होर्फ के मतानुसार भाषा विचार की विषयवस्तु को निश्चित करती है । व्यक्ति क्या सोचता है, कैसे सोचता है ये उसकी भाषा पर निर्भर है । इस दृष्टिकोण को ‘भाषाकीय सापेक्षता की उत्कल्पना’ (Linguistic Relativity Hypothesis) कहते हैं । व्यक्ति की भाषा के वर्गीकरण व्यक्ति के विचार के विषय एवं विचारणा पद्धति को प्रभावित करते है । उदा. भारतीय भाषा में नजदीक के सम्बन्धियों में विविधता दर्शाता है । चाचा, मामा, बुआ, मौशी जबकि अंग्रेजी में केवल अंकल एवं आण्टी ही है।

(2) विचार भाषा की रचना करते हैं : स्वीस के मनोवैज्ञानिक जीन पियांजे के अनुसार विचार भाषा से पहले उद्भव होते हैं तथा भाषा के शब्दों को प्रभावित करते है । विचारों के उद्भव के लिए भाषा आवश्यक नहीं है । शब्दों का अर्थ समझने के लिए विचार जरूरी है । बालक दूसरों का अनुकरण या नकल करता है । अनुकरण करने में विचार जरूरी है, भाषा नहीं । विचार के साधनों में भाषा एक साधन मात्र है । पियांजे के अनुसार बालकों को भाषा सीखायी जाती है परन्तु शब्दों को समझने के लिए विचार जरूरी है ।

(3) भाषा एवं विचार के उद्गम अलग है : मनोवैज्ञानिक वायोगोत्सकी का विचार है कि बालक में भाषा एवं विचार का उद्भव एवं विकास स्वतंत्र रूप से होता है । दो वर्ष की उम्र में दोनों एकदूसरे में मिल जाते हैं । दो वर्ष से पूर्व विचार पूर्व शाब्दिक है । विचारों का अनुभव एवं अभिव्यक्ति शब्दों से क्रिया में होता है । जैसे बालक दुःख रोकर व्यक्त करता है । दो वर्ष तक बालक विचार शब्दों से व्यक्त करता है । वाणी में तर्क दिखाई देता है । मनोवैज्ञानिक का मानना है कि दो वर्ष के बाद भाषा एवं विचार का विकास स्वतंत्र न रहकर एकदूसरे पर आधारित हो जाते हैं ।

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