GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

GSEB Class 11 Psychology प्रेरणा और आवेग Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
1. नीचे दिये गये प्रश्नों के विकल्पों में से योग्य विकल्प पसंद करके लिखिये ।

प्रश्न 1.
प्रेरणा नहीं तो वर्तन (व्यवहार) नहीं ऐसा किसने कहा ?
(अ) गेरेट
(ब) वुडवर्थ
(क) सी. टी. मोर्गन
(ड) जे. पी. गिल्फर्ड
उत्तर :
(अ) गेरेट

प्रश्न 2.
‘ईरण’ शब्द का उपयोग किसने किया ?
(अ) वुडवर्थ
(ब) गेरेट
(क) जे. पी. गिल्फर्ड
(ड) मेकडूगल
उत्तर :
(अ) वुडवर्थ

प्रश्न 3.
प्रेरणा को सी. टी. मोर्गन क्या मानते है ?
(अ) संतुलित
(ब) चक्रिय
(क) जटिल
(ड) परावलम्बी
उत्तर :
(ब) चक्रिय

प्रश्न 4.
समूह में रहने की सहज प्रवृत्ति किसके मतानुसार है ?
(अ) मेकडूगल
(ब) सी. टी. मोर्गन
(क) वुडवर्थ
(ड) स्कीनर
उत्तर :
(अ) मेकडूगल

प्रश्न 5.
प्रेरणा को चक्रीय कौन मानते है ?
(अ) लिपिड
(ब) लेविन
(क) मोर्गन
(ड) ऐमिली कुआ
उत्तर :
(क) मोर्गन

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 6.
आवेग के लिए अंग्रेजी शब्द (Emotion) किस भाषा का है ?
(अ) ग्रीक
(ब) लेटिन
(क) अंग्रेजी
(ड) रोमन
उत्तर :
(ब) लेटिन

प्रश्न 7.
आवेग याने समग्र चेतातंत्र की क्षुब्धावस्था परिभाषा किसने प्रस्तुत की है ?
(अ) वुडवर्थ एवं मार्कवीस
(ब) लेविन
(क) जे. सी. कोलमेन
(ड) गेरेट
उत्तर :
(अ) वुडवर्थ एवं मार्कवीस

प्रश्न 8.
आवेग का द्विघटक सिद्धांत किसने दिया ?
(अ) विलियम जेम्स
(ब) शाक्टर एवं सिंगर
(क) केनन वार्ड
(ड) जेम्स लेंग
उत्तर :
(ब) शाक्टर एवं सिंगर

प्रश्न 9.
प्लुटचिक के मतानुसार प्रमुख आवेग कितने है ?
(अ) 8
(ब) 10
(क) 6
(ड) 3
उत्तर :
(अ) 8

प्रश्न 10.
‘आवेगिक आंक’ की स्पष्टता किसने की है ?
(अ) डेनियल गोलमेन
(ब) प्लुटचिक
(क) सी. टी. मोर्गन
(ड) जे. पी. गिल्फर्ड
उत्तर :
(अ) डेनियल गोलमेन

प्रश्न 11.
आवेग (भावना) के दस प्रकार किस मनोवैज्ञानिक ने बताये है ?
(अ) ईझार्डे
(ब) केनन
(क) वुडवर्थ
(ड) फ्राईड
उत्तर :
(अ) ईझार्डे

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 12.
सत्ता की प्रेरणा जन्म से किसमें आती है ?
(अ) दर्जा (प्रतिष्ठा)
(ब) स्व
(क) व्यक्तित्व
(ड) आत्मविश्वास
उत्तर :
(अ) दर्जा (प्रतिष्ठा)

प्रश्न 13.
बालक में सिद्धि की प्रेरणा आकार कब लेती है ?
(अ) सामाजिक विकास
(ब) संस्कृति
(क) नैतिक विकास
(ड) धार्मिक विकास
उत्तर :
(अ) सामाजिक विकास

प्रश्न 14.
सिद्धि की प्रेरणा कैसे बढ़ाई जा सकती है ?
(अ) संगोपन
(ब) प्रशिक्षण
(क) सामाजीकरण
(ड) अध्यात्म
उत्तर :
(ब) प्रशिक्षण

प्रश्न 15.
कठिन कार्य करने की प्रेरणा रखनेवाले व्यक्ति के अन्दर कौन-सी प्रेरणा होती है ?
(अ) लैंगिक
(ब) संलग्नता
(क) स्नेह
(ड) सिद्धि की प्रेरणा
उत्तर :
(ड) सिद्धि की प्रेरणा

प्रश्न 16.
शारीरिक प्रेरणा के मुख्य कितने प्रकार है ?
(अ) दो
(ब) चार
(क) तीन
(ड) पाँच
उत्तर :
(ब) चार

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 17.
भारतीय संस्कृति में कामकला शिक्षण किसने लिखा ?
(अ) गौतम बुद्ध
(ब) महावीर स्वामी
(क) वात्सायन
(ड) स्वामी विवेकानंद
उत्तर :
(क) वात्सायन

प्रश्न 18.
स्त्री के अण्डाशय में से कौन-सा स्राव झरता है ?
(अ) ऐस्ट्रोजीन्स
(ब) टेस्टोस्टेरोन
(क) रक्तस्राव
(ड) O.R.S.
उत्तर :
(अ) ऐस्ट्रोजीन्स

प्रश्न 19.
आवेग नियमन की बात किस भारतीय ग्रन्थ में कही गयी है ? .
(अ) रामायण
(ब) भगवद् गीता
(क) बुद्धचरित
(ड) वेदों में
उत्तर :
(ब) भगवद् गीता

प्रश्न 20.
स्व जाग्रति से किसका विकास संभव है ?
(अ) देश का
(ब) समाज का
(क) स्व का
(ड) विश्व का
उत्तर :
(क) स्व का

2. निम्न प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिये ।

प्रश्न 1.
‘प्रेरणा’ की कोई एक परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
‘प्रेरणा प्रवृत्ति को उद्दीप्त करनेवाली एवं पोषित करनेवाली विशिष्ट आंतरिक तत्त्व या परिस्थिति है ।’ – (जे. पी. गिल्फर्ड)

प्रश्न 2.
ईरण किसका सूचित करता है ?
उत्तर :
ईरण आंतरिक आवेग, उत्तेजित बल या दबाव को सूचित करता है ।

प्रश्न 3.
शारीरिक प्रेरणा को किस तरह की प्रेरणा के रूप में पहचाना जाता है ?
उत्तर :
शारीरिक प्रेरणा को जैविक प्रेरणा के रूप में पहचाना जाता है ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 4.
स्त्री के अण्डाशय में कौन-सा स्राव झरता है ?
उत्तर :
स्त्री के अण्डाशय में ऐस्ट्रजीन्स नामक स्राव झरता है ।

प्रश्न 5.
सिद्धि की प्रेरणा का मापन किस कसौटी में होता है ?
उत्तर :
सिद्धि की प्रेरणा का मापन ‘प्रत्यक्ष अधिज्ञान कसौटी’ (TAT) में होता है ।

प्रश्न 6.
TAT का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
‘TAT’ का पूरा नाम (Thematic Apperception Test) अर्थात् प्रत्यक्ष अधिज्ञान कसौटी है ।

प्रश्न 7.
आवेग के सिद्धांत किस-किसने दिये ?
उत्तर :
आवेग के सिद्धांत जेम्सलेंग एवं केनन बार्ड ने दिये हैं ।

प्रश्न 8.
आवेग के शारीरिक आधार अर्थात् क्या ?
उत्तर :
आवेग के अनुभव के समय शरीर में होनेवाले परिवर्तन को आवेग के शारीरिक आधार कहते हैं ।

प्रश्न 9.
ईझार्ड ने आवेग को कितने प्रकार बताये है ?
उत्तर :
1979 में ईझार्ड ने आवेग के दस प्रकार बताये हैं ।

प्रश्न 10.
अन्तर्रात्मा या हृदय का सीधा सम्बन्ध किसके साथ है ?
उत्तर :
श्री अरविंद के सर्वांगी शिक्षण के ख्याल के अनुसार हृदय का शिक्षण या अन्तर्रात्मा का सीधा सम्बन्ध आवेग नियमन के साथ जुड़ा हुआ है।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 11.
‘प्रेरणा नहीं तो वर्तन नहीं’ यह विधान किसका है ?
उत्तर :
उपरोक्त विधान मनोवैज्ञानिक ‘गेरेट’ का है ।

प्रश्न 12.
मेकडूगल ने प्रेरणा की मूल वृत्तियाँ कितनी दर्शायी है ?
उत्तर :
मेकडूगल ने कुल 18 मूल वृत्तियाँ दर्शायी हैं ।

प्रश्न 13.
प्रेरणा के लिए ईरण शब्द किस मनोवैज्ञानिक ने दिया है ?
उत्तर :
प्रेरणा के लिए ईरण शब्द वुडवर्थ ने दिया है ।

प्रश्न 14.
कौन-सी प्रेरणा जन्मजात है ?
उत्तर :
भूख एवं प्यास की प्रेरणा जन्मजात हैं ।

प्रश्न 15.
भूख की प्रेरणा के लिए मस्तिष्क का कौन-सा भाग जिम्मेदार है ?
उत्तर :
भूख के लिए मस्तिष्क का हाईपोथेलेन्स में एक्सट्रीम लेटरल भाग जिम्मेदार है ।

प्रश्न 16.
मनुष्य के शरीर में पानी का प्रमाण कितना होता है ?
उत्तर :
मनुष्य के शरीर में पानी की मात्रा 78% होती है ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 17.
पुरुष की लैंगिक ग्रन्थि में कौन-सा स्राव झरता है ?
उत्तर :
पुरुष की लैंगिक ग्रन्थि में एन्ड्रोजीन्स एवं टेस्टोस्टेरोन स्राव झरता है ।

प्रश्न 18.
लैंगिक प्रेरणा का स्थान मस्तिष्क में कहाँ है ?
उत्तर :
लैंगिक प्रेरणा का सम्बन्ध एवं स्थान हाईपोथेलेम्स एवं मस्तिष्क की छाल में है ।

प्रश्न 19.
आवेग भावना का द्विघट सिद्धांत किसका है ?
उत्तर :
आवेग भावना का द्विघट सिद्धांत शाक्टर एवं सिंगर का है ।

प्रश्न 20.
विधायक आवेग की तीव्रता क्या कर सकती है ?
उत्तर :
विधायक आवेग की तीव्रता व्यक्ति में उन्माद का सर्जन कर सकती है ।

3. निम्न प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में दीजिये ।

प्रश्न 1.
सत्ता की प्रेरणा का अर्थ ?
उत्तर :
मरे के मतानुसार सत्ता की प्रेरणा में अपने आसपास के सामाजिक पर्यावरण को काबू में रखने की इच्छा महत्त्वपूर्ण भाग भजती है, जो हौदे (भूमिका) एवं प्रतिष्ठा से जुड़ी है ।

प्रश्न 2.
शारीरिक प्रेरणा में किन-किन प्रेरणाओं का समावेश होता है ?
उत्तर :
शारीरिक प्रेरणा में भूख, प्यास, निंद एवं जातीयता (Sex) का समावेश होता है ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 3.
भूख के उदभव के लिए कौन-सा केन्द्र जिम्मेदार है ?
उत्तर :
भूख के लिए मस्तिष्क में हाईपोथेलेम्स के भाग में ‘एक्स्ट्रीम लेटरल’ जिम्मेदार है ।

प्रश्न 4.
जातीयता के विषय में कौन-सा भारतीय ग्रन्थ प्रसिद्ध है ?
उत्तर :
जातीयता के विषय में वात्स्यायन नाम के ऋषि का लिखित ग्रन्थ ‘वात्स्यायन कामसूत्र’ प्रसिद्ध है ।

प्रश्न 5.
संलग्नता की प्रेरणा के बारे में मेकड़गल क्या कहते हैं ?
उत्तर :
मेकडूगल के मतानुसार संलग्नता की प्रेरणा समूह या अन्य सहवास में रहने की प्रवृत्ति प्राणी में साहजिक होती है । उसे सीखाने की जरूरत नहीं पड़ती है । मनुष्य भी इसी प्रवृत्ति से प्रेरित है ।

प्रश्न 6.
सत्ता के शासकों का नाम लिखिये ।
उत्तर :
सत्ता के शासकों में समग्र विश्व में हिरण्यकश्यप, रावण, हिटलर, मुसोलिनी एवं सद्दाम हुसेन जैसे उदाहरण है ।

प्रश्न 7.
आवेग की परिभाषा लिखिये ।
उत्तर :
‘आवेग एक तीव्र भावना है जो सभान अनुभवों, आंतरिक एवं बाह्य प्रतिक्रियाओं तथा विविध क्रियाओं को करने के लिए प्राणी या मनुष्य को शक्ति प्रदान करता है ।’ (जे. सी. कोलमेन)

प्रश्न 8.
आवेग का द्विघटक सिद्धांत किसने दिया ?
उत्तर :
‘शाक्टर एवं सिंगर’ ने आवेग का द्विघटक सिद्धांत दिया ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 9.
विधायक आवेगों को स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
सकारात्मक भावनाओं एवं स्वस्थ मनोशारीरिक स्थिति से जुड़े आवेगों को विधायक आवेग कहते हैं । उदा. सुख, आनंद एवं प्रेम ।

प्रश्न 10.
सिद्धि की प्रेरणा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
मेकलेलैण्ड के मतानुसार खतरा उठानेवाले आर्थिक क्षेत्रों की रचना करनेवाले, संचालक आदि सिद्धि की प्रेरणा के कारण ही कार्य करते हैं । ऐसे लोग धन या लाभ के स्थान पर सिद्धि एवं सफलता की इच्छा रखते हैं ।

प्रश्न 11.
सिद्धि की प्रेरणा के लक्षण क्या है ?
उत्तर :

  1. सरल नहीं कठिन कार्यों की पसंदगी
  2. बदला (Reward) की अपेक्षा के बिना कार्य पूर्णता की ओर ध्यान देना
  3. व्यक्तिगत जिम्मेदारी स्वीकार कर लक्ष्य की प्राप्ति

प्रश्न 12.
स्नेह एवं सम्पर्क (Love and Contact Motive) प्रेरणा ।
उत्तर :
मनुष्य के लिए स्नेह एवं सम्पर्क की आवश्यकता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । दूसरों को प्रेम करना एवं दूसरों का प्रेम पात्र बनना मनुष्य की आवश्यकता है । जन्म से मृत्यु तक व्यक्ति निकट सम्बन्धों के लिए तीव्र इच्छा रखता है ।

प्रश्न 13.
निषेधक आवेग क्या है ?
उत्तर :
नकारात्मक भावना एवं कमजोर मनोशारीरिक स्थिति के साथ जुड़े हुए आवेगों को निषेधक आवेग कहते हैं । क्रोध, भय, नफरत, ईर्षा के आवेग अनुभवों को निषेधक आवेग कहते हैं ।

प्रश्न 14.
घटना का बौद्धिक एवं विधायक मूल्यांकन क्या है ?
उत्तर :
जीवन में घटनेवाली घटनाओं का विधायक दृष्टिकोण एवं बौद्धिक रूप से मूल्यांकन करना चाहिए । निष्फलताओं से आवेगिक रूप से विचलित हुए बिना विधायक दृष्टि रखकर सफलता की चाबी बनाना चाहिए ।

प्रश्न 15.
अब्राहम मेरलो के जरूरियात के क्रम निम्न हैं । जिसे स्व आविष्कार की आवश्यकता माना जाता है ।
उत्तर :

  1. स्व आविष्कार की आवश्यकता
  2. आत्मगौरव की आवश्यकता
  3. आत्मीयता की आवश्यकता
  4. सुरक्षा की आवश्यकता
  5. शारीरिक आवश्यकता

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

4. संक्षिप्त टिप्पणी लिजिये ।

1. भूख की प्रेरणा :
उत्तर :
भूख एक जन्मजात प्रेरणा है । भूख लगने से प्राणी में आंतरिक एवं बाह्य परिवर्तन दिखाई देते हैं । भूख लगने पर प्राणी किसी भी कीमत पर भोजन प्राप्त करने की कोशिश करता है । हमारी लोकप्रिय कहानी ‘मानवी की भवाई’ छप्पनिया अकाल के वर्णन से ख्याल आता है कि मनुष्य को भोजन न मिलने पर वह अन्य व्यक्ति का कच्चा मांस खा जाता है । इस तरह भूख की प्रेरणा तीव्र प्रेरणा है । डबल्यु वी. केनन के अध्ययन से जानने को प्राप्त होता है कि जठर के संकुचन से भूख लगती है । लेकिन बाद के संशोधन से ज्ञात हुआ कि खून में रसायनिक परिवर्तन होने से जठर में संकुचन होता है । आधुनिक संशोधन में मस्तिष्क के हाईपोथेलेम्स नामके भाग में आया हुआ ‘एक्स्ट्रीम लेटरल’ नामक केन्द्र भूख्न के लिए जिम्मेदार है । भूख के संतोष के द्वारा ही व्यक्ति धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक बातों से जुड़ा हुआ है ।

2. जातीय प्रेरणा (Sex) :
उत्तर :
मानवी एवं प्राणी के जीवन में जातीय प्रेरणा का विशिष्ट स्थान है । यह एक तीव्र प्रेरणा होने के बावजूद भी भूख एवं प्यास की तरह तत्काल संतोष आवश्यक नहीं है । व्यक्ति अपनी प्रेरणा को उर्ध्व मार्ग की तरफ मोड़कर जातीय वृत्ति के संतोष के बिना भी जीवन पसार कर सकता है ।

भारतीय संस्कृति में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चार पुरुषार्थ हैं । प्राचीन काल में काम कला का शिक्षण जीवन विज्ञान के रूप में दिया जाता था । वात्स्यायन नामके ऋषि ने जातीयता के विषय लिखा ग्रन्थ ‘वात्स्यायन कामसूत्र’ आज विश्व में प्रसिद्ध है । जातीयता के विषय में शर्म, संकोच एवं पाप की भावना छोडकर वैज्ञानिक दष्टि से एवं विधायक दष्टिकोण अपनाकर व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता के लिए आवश्यक है । जातीयता के बारे में व्यक्ति का व्यक्तिगत दृष्टिकोण एवं सामाजिक सांस्कृतिक घटक भी जातीय प्रेरणा से जुड़े हुए हैं ।

3. आवेग के शारीरिक आधार :
उत्तर :
हम जब भी आवेग का अनुभव करते हैं तब शरीर के अनेक परिवर्तनों का भी अनुभव करते हैं । आवेग अनुभव के समय अनुकम्पी एवं परानुकम्पी तंत्र, चेतातंत्र, थेलेमस, तथा हाईपोथेलेम्स तथा मस्तिष्क की छाल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है ।

आवेग अनुभव के समय शारीरिक परिवर्तनों को शारीरिक आधार कहते हैं । मनोवैज्ञानिकों के मतानुसार प्रथम शारीरिक परिवर्तन होता है बाद में आवेग का अनुभव होता है । कई मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रथम आवेग अनुभव और बाद में शारीरिक परिवर्तन होता है ।

जेम्स लेंग का सिद्धांत : विलियम जेम्स (1884) की स्पष्टता की थी जिसको डेनमार्क शरीरशास्त्री लैन्ग ने स्वीकार किया जिस उपरोक्त सिद्धांत के रूप में जाना जाता है । इनके अनुसार पर्यावरण में रहे हुए उद्दीपकों के प्रत्यक्षीकरण या ज्ञान के कारण शरीर में आंतरिक एवं बाह्य प्रक्रिया होने से आवेग का अनुभव होता है ।

उदा. रोड पर दुर्घटना को देखने से हृदय की धड़कन का बढ़ना तथा व्यक्ति में भय का आवेग उत्पन्न होना ।

केनन बार्ड का सिद्धांत : (1934) के इस सिद्धांत के अनुसार पर्यावरण में रहे उद्दीपक को देखने से संदेश मस्तिष्क में थेलेमस तक पहुँचकर मस्तिष्क की छाल की क्रिया के कारण अनुकम्पीतंत्र में परिवर्तन होता है । जिससे आंतरिक अवयवों के परिवर्तन एवं आवेग की अनुभूति साथ-साथ होती है ।

सामान्य समझ के अनुसार उद्दीपक परिस्थिति को देखने के बाद आवेग के मानसिक अनुभव से आंतर-बाह्य शारीरिक परिवर्तन से आवेग की अभिव्यक्ति होती है ।

4. आवेग के बोधात्मक आधार :
उत्तर :
आवेग के दौरान होनेवाले आवेग के बोधात्मक अनुभव को ‘आवेग का बोधात्मक आधार’ कहते हैं । वर्तमान समय में अधिकतर मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि हमारी बोधात्मक क्रियाएँ जैसे कि प्रत्यक्षीकरण, स्मृति एवं अर्थघटन ये आवेग के महत्त्वपूर्ण घटक हैं । इस संदर्भ में ‘शाक्टर एवं सिंगर’ द्वारा आवेग का द्विघटकीय सिद्धांत प्रस्तुत किया गया । उनके मतानुसार आवेग का अनुभव हमारी वर्तमान उत्तेजना विषय की सभानता से विकसित होती है । उदा. छोटे बच्चे को साँप के भयानकता के ख्याल न होने से भय उत्पन्न नहीं होता । लेकिन बड़ा व्यक्ति साँप के जहर के भयानकता से परिचित है ।

5. प्रेरणा एवं आवेग का सम्बन्ध :
उत्तर :
* प्रेरणा : ‘प्रेरणा व्यक्ति का आंतरिक बल है जो अमुक व्यवहार की ओर प्रेरित करता है ।’

  1. ‘सोरेन्सन एवं माम’
  2. मेकडूगल ने मूल वृत्ति, वुडवर्थ ने ईरण शब्द प्रेरणा के लिए प्रस्तुत किये हैं । प्रेरणा का कार्य निम्न रूप से प्रारंभ होता है ।
    उदा. प्रेरणा  → साधनरुप व्यवहार → लक्ष्यप्राप्ति → संतोष राहत
  3. प्रेरणा के द्वारा हमारी शारीरिक एवं मनोसामाजिक आवश्यकताएँ पूर्ण होती है । व्यक्ति उपरोक्त दोनों प्रकार की प्रेरणाओं का संतुलन बनाने में सफल होकर सामाजिक एवं व्यवहारिक तथा मानसिक रूप से परिपक्वता का परिचय देकर सफल व्यक्तित्व का यश प्राप्त करता है । सिद्धि की प्रेरणा के द्वारा असाधारण सिद्धि प्राप्त करता है ।

* आवेग : आवेग के लिए (Emotion) अर्थात् लेटिन भाषा में खलवलाहट प्रयोग किया गया ।
‘समग्र चेतातंत्र की क्षुब्धावस्था है ।’ – वुडवर्थ एण्ड मार्कवीस इसके तीन पहलु हैं ।
(i) अभिव्यक्ति के आधार
(ii) शारीरिक आधार एवं
(iii) बोधात्मक आधार ।

  1. अभिव्यक्ति के हाव-भाव में आवेग चेष्टाएँ शाब्दिक एवं अशाब्दिक तमाम अभिव्यक्ति देखी जा सकती है ।
  2. शारीरिक आधार में चेतातंत्र, थिलेमस, हाईपोथेलेम्स, मस्तिष्क की छाल की भूमिका दिखाई देती है ।
  3. बोधात्मक आधार में प्रत्यक्षीकरण स्मृति एवं अर्थघटन महत्त्वपूर्ण आवेग के घटक हैं ।

आवेग के प्रकार (स्वरूप) : (i) विधायक आवेग (ii) निधेषक आवेग । उपरोक्त दोनों प्रकारों में विधायक आवेग व्यक्ति के विकास एवं व्यवहार में उत्कृष्ट कार्य करते है । मनोवैज्ञानिकों के अनुसार निषेधक आवेगों का नियमन आवश्यक है ।

प्रेरणा एवं आवेग एकदूसरे से अलग होने के बाद भी एकदूसरे के पूरक है । दोनों के कार्य अलग-अलग है लेकिन व्यवहार में
एवं जीवन को सुखद एवं संतुलित बनाने में दोनों का अलग-अलग एवं विशिष्ट योगदान है ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

5. निम्न प्रश्नों को सविस्तृत समझाईये ।

प्रश्न 1.
प्रेरणा अर्थात् क्या ? प्रेरणा चक्र को समझाईये ।
उत्तर :
GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग 1
‘प्रेरणा व्यक्ति का एक आंतरिक परिबल है जो उसे अमुक व्यवहार (वर्तन) की ओर प्रेरित करता है ।’
– सोरेन्सन एवं माम

प्रेरणा को समझने के लिए मेकडूगल ने मूलवृत्ति (Instinet) अन्य मनोवैज्ञानिकों ने (Need) का उपयोग किया । वुडवर्थ ने ईरण (Drive) शब्द का प्रयोग किया । ईरण आंतरिक आवेग, उत्तेजित बल या दबाव का सूचन किया है ।

* प्रेरणा चक्र – सी. टी. मोर्गन के अनुसार आवश्यकता का उद्भव प्रेरणा चक्र से प्रारंभ होता है । जिस से व्यक्ति में आंतरिक बल, दबाव का प्रारंभ होता है । उत्तेजना में कमी उत्तेजना से व्यक्ति लक्ष्य प्राप्ति के लिए आवश्यक व्यवहार करता है । परिणामस्वरूप लक्ष्यप्राप्ति से राहत या संतोष प्राप्त करता है । मनुष्य का यह संतोष अंतिम नहीं है आवश्यकता फिर से उत्पन्न होती है और पुनः चक्र भी शुरू होता है ।
संक्षिप्त में प्रेरणा → साधनरूप व्यवहार → लक्ष्यप्राप्ति → राहत एवं संतोष निम्नलिखित है ।

लक्ष्य – उदा. भूख की इच्छा से व्यक्ति में आंतरिक परिवर्तन होता है । आंतरिक बल धक्का मारता है । उत्तेजना का जन्म भोजन के लिए साधनरूप या लक्ष्य प्राप्ति व्यवहार करना । भोजन प्राप्ति के बाद राहत या संतोष । शारीरिक उत्तेजना का कम होना । चक्र कुछ समय के लिए विश्राम पुनः अन्य आवश्यकता जैसे प्यास एवं पुनः प्रेरणा चक्र इसी प्रकार चलता रहता है ।

प्रश्न 2.
शारीरिक प्रेरणा के सन्दर्भ में किन्हीं दो को समझाईये ।
उत्तर :
(1) प्यास
(2) निंद

(i) प्यास (Thirst) : प्यास की प्रेरणा भूख से भी तीव्र प्रेरणा है । यह भी जन्मजात प्रेरणा है । भूख के बिना व्यक्ति कुछ दिनों तक चल सकता है लेकिन पानी बिना कुछ घण्टे निकालने भी मुश्किल है । प्यास लगने से गला सूख जाता है । गले को भिगाने से पानी की आवश्यकता पूर्ण नहीं होती है । शरीर के पानी के प्रमाण को बनाये रखने के लिए बाहर से पानी पीना पड़ता है ।

हमारे शरीर में 78% पानी की मात्रा होती है । यदि दस्त हो जाय तथा शरीर में पानी घटने से डिहाईड्रेशन होता है जिससे व्यक्ति कमजोरी महसूस करता है इसलिए उसे ओ.आर.एस. (O.R.S.) का घोल पिलाया जाता है । जिससे स्वास्थ्य बना रहे तथा शरीर की कमजोरी दूर हो ।

(ii) निंद (Sleep) : निंद के साथ मानसिक स्वास्थ्य का गहरा सम्बन्ध है । भूख एवं प्यास से निंद्रा की प्रेरणा प्रबल है । भूख लगने
पर व्यक्ति भूखा सो जाता है । निंद के निश्चित समय पर निंद का अनुभव करते हैं ।

प्रायोगिक संशोधनों के आधार पर आठ से दस दिन जागनेवाला व्यक्ति भ्रम एवं विभ्रम का शिकार हो जाता है । 1964 में 70 वर्ष का रेन्डीगार्डनर व्यक्ति गिनीजबुक रेकोर्ड के लिए 264 घंटे तक जगता रहा । उसका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य खराब होने लगा । जिसके निरीक्षण से ज्ञात हुआ कि हाई-वे पर अधिकतर एक्सीडेन्ट ड्राईवर की कम निंद के कारण होते हैं । दिन से रात में दस गुना एक्सीडेंट अधिक होते हैं । इस तरह मनुष्य या प्राणियों को योग्य भोजन के साथ निंद भी
अति आवश्यक है ।

प्रश्न 3.
कोई दो मनोसामाजिक प्रेरणाओं को समझाईये ।
उत्तर :
मानवी के विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक प्रेरणा की तरह मनोसामाजिक प्रेरणा भी आवश्यक है । इन प्रेरणाओं
के असंतोष के कारण व्यक्ति में निषेधक मानसिक प्रभाव उत्पन्न होता है ।

(i) सिद्धि की प्रेरणा : मेकलेलैण्ड के अनुसार खतरों से खेलनेवाले, आर्थिक रचना करनेवाले लोग सिद्धि की प्रेरणा के कारण ही उपरोक्त कार्य करते हैं । वे धन एवं लाभ के बिना सफलता की इच्छा से कार्य करते हैं । सिद्धि की प्रेरणा का मानव विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है । व्यवसाय में सिद्धि प्राप्त करनेवाले खिलाड़ी वैज्ञानिक, कलाकार, उद्योगपतियों में उपरोक्त प्रेरणा देखने को मिलती है । उदा. धीरूभाई अम्बाणी, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे सामान्य परिवार से आनेवाले व्यक्तियों ने अपने क्षेत्र में असाधारण सिद्धि प्राप्त की है ।

* लक्षण : सिद्धि की प्रेरणावाले व्यक्ति सरल नहीं कठिन कार्य पसंद करते हैं ।

  1. बदले (Reward) अपेक्षा के बिना कार्य पूर्णता के प्रति ध्यान
  2. व्यक्तिगत जिम्मेदारी स्वीकारकर लक्ष्य के रूप में प्रगति ।
  3. तालीम से उपरोक्त प्रेरणा को विकसित कर सकते हैं ।
  4. इसका मापन (TAT) कसौटी से संभव है ।

संलग्नता की प्रेरणा : (Affiliation Motive) : मेकडूगल के अनुसार समूह या सहवास में रहने की प्रवृत्ति सहज है । इसे सीखना नहीं पड़ता है । मनुष्य भी संलग्नता की झंखना करता है ।

संलग्नता के कारण ही परिवार एवं समाज की रचना हुई है । बालक स्वयं की सुरक्षा, सुख, सुविधा के लिए माता-पिता एवं परिवार के सभ्यों के साथ रहता है । इसीलिए अपराधियों को एकान्त में रहने के लिए जेलवास दिया जाता है । उच्च कक्षा के योगियों के अलावा किसी को एकान्त में रहना पसंद नहीं है । इस वर्तमान समय में फेसबुक, ट्विटर, वोट्सएप का बढ़ता उपयोग संलग्नता की प्रेरणा का ही परिणाम है । ‘प्रत्यक्ष अधिज्ञान कसौटी’ (TAT) के द्वारा संलग्नता की प्रेरणा का मापन हो सकता है ।

प्रश्न 4.
आवेग की परिभाषा एवं उसके प्रकारों को स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
आवेग – के लिए अंग्रेजी में (Emotion) लेटिन शब्द (Emovere) से लिया गया है । जिसका अर्थ है ‘खलबलाहट’ या ‘क्षुब्धता’ ।
शांत पानी में पत्थर फेंकने पर जो लहर उत्पन्न होती है ऐसे ही आवेग का उद्भव भी है । ‘समग्र चेतातंत्र की क्षुब्धावस्था को आवेग कहते हैं।’
– ‘वुडवर्थ एवं मार्कवीस’

* आवेग के प्रकार :
ईझार्ड ने 1977 में आवेग के दस प्रकार बताये है । 1984 में प्लुटचिक ने आठ प्रकार बताये । इस तरह आवेग के प्रमुख दो
प्रकार है ।
(i) विधायक आवेग : सकारात्मक भावनाएँ एवं स्वस्थ मनोशारीरिक स्थिति के साथ जुड़े हुए आवेगों को विधायक आवेग कहते हैं । उदा. सुख, आनंद एवं प्रेम ।

(ii) निषेधक आवेग : नकारात्मक भावनाएँ एवं कमजोर मनोशारीरिक स्थिति के साथ जुड़े हुए आवेगों को निषेधक आवेग कहते हैं । उदा. क्रोध, भय, नफरत, ईर्षा आदि निषेधक आवेग हैं ।

GSEB Solutions Class 11 Psychology Chapter 9 प्रेरणा और आवेग

प्रश्न 5.
आवेग नियमन की पद्धतियों को स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर :
विविध मनोवैज्ञानिकों के आधार पर आवेग नियमन की निम्नलिखित पद्धतियाँ हैं :
(1) स्व जाग्रति में बढ़ौतरी
(2) आत्म निरीक्षण करना
(3) समय दर्शन – सम्यक व्यवहार
(4) स्वयं का आदर्श बनना
(5) घटनाओं का बौद्धिक एवं विधायक मूल्यांकन
(6) सर्जनात्मक बनना
(7) सुखद सामाजिक सम्बन्ध बनाना
(8) परानुभूति समझना
(9) सामाजिक सेवा में भागीदार बनना ।

(1) स्व जाग्रति बढ़ाना : अपने विचार, भावना एवं शक्तियों और मर्यादाओं को जानना । स्व जाग्रति से स्व विकास एवं स्व नियमन सरल बनता है ।

(2) आत्मनिरीक्षण करना : जीवन की घटनाओं का तटस्थ रूप से निरीक्षण एवं हम अलग-अलग परिस्थिति एवं प्रसंग में कैसा वर्तन करते हैं उसका आत्मनिरीक्षण करना ।

(3) समय दर्शन – सम्यक व्यवहार – शांत चित्त से विचार कर व्यवहार करने से आवेग नियमन सरल बनता है ।

(4) स्वयं का आदर्श बनना – स्वयं का दीपक स्वयं बनना अपना आदर्श स्वयं बनना ।

(5) घटनाओं का बौद्धिक एवं विधायक मूल्यांकन – घटनाओं का बौद्धिक मूल्यांकन करना निष्फलताओं से आवेगिक रूप से विचलित हुए बिना सफलता की चाबी बनाना ।

(6) सर्जनात्मक बनना – जीवन से रूचियुक्त कार्य में प्रवृत्त होकर सर्जनात्मक बन सकते हैं । मानसिक शांति से स्व-नियमन सरल बनता है।

(7) सुखद सामाजिक सम्बन्ध विकसित करना – सच्चे एवं अच्छे मित्रों को अपना कर सुखद सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने से आवेग नियमन सहज बनता है ।

(8) परानुभूति महसूस करना – वृक्षों एवं बादलों की तरह परोपकारी बनना मानसिक शांति एवं आवेग नियमन अपने आप होता है ।

(9) सामाजिक सेवा में भागीदारी – व्यक्तिगत जीवन में भलाई एवं सामाजिक सेवा को आदर्श मानकर सतत प्रवृत्तिशील रहना एवं फुरसद का समय निकालकर कार्यरत रहने से सुख, शांति एवं संतोष तथा आत्मगौरव की भावना जाग्रत होती है ।

Leave a Comment

Your email address will not be published.