GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Economics Chapter 5 गरीबी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Economics Chapter 5 गरीबी
GSEB Class 12 Economics गरीबी Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :
1. इन्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ग्रामीण क्षेत्र में व्यक्ति के भोजन में न्यूनतम दैनिक कितनी कैलोरी निश्चित किया है ?
(A) 2400
(B) 2300
(C) 2200
(D) 2100
उत्तर :
(A) 2400
2. तेंदुलकर समिति की सिफारिश के अनुसार वर्ष 2011-12 के लिए शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा निश्चित करने के लिए कितने रूपये निश्चित किये हैं ? (A) 816
(B) 916
(C) 1000
(D) 2000
उत्तर :
(C) 1000
3. वर्ष 2013 में भारत में सबसे कम गरीबी किस राज्य में देखने को मिलती है ?
(A) गुजरात
(B) राजस्थान
(C) गोवा
(D) बिहार
उत्तर :
(C) गोवा
4. वर्ष 2011-12 के अनुमान के अनुसार 30 से 40 प्रतिशत गरीबी की श्रेणी में से निम्नलिखित में से किस राज्य का समावेश होता है ?
(A) पंजाब
(B) जम्मू-कश्मीर
(C) कर्णाटक
(D) ओडीसा
उत्तर :
(D) ओडीसा
5. भारत में वर्ष 2014-16 के समयांतराल कुपोषित व्यक्तियों का प्रतिशत प्रमाण कितना था ?
(A) 23.7
(B) 15.2
(C) 11.2
(D) 20.5
उत्तर :
(B) 15.2
6. भारत में सबसे अधिक शौचालय की सुविधा किस राज्य में है ?
(A) गुजरात
(B) पंजाब
(C) बिहार
(D) केरल
उत्तर :
(A) गुजरात
7. किस योजना में गरीबी को दूर करने का मुख्य लक्ष्य रखा गया था ?
(A) दूसरी
(B) पाँचवी
(C) तीसरी
(D) सातवीं
उत्तर :
(B) पाँचवी
8. गरीबी के मुख्य कितने विभाग है ?
(A) एक
(B) तीन
(C) दो
(D) चार
उत्तर :
(C) दो
9. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के मानवविकास की रिपोर्ट में मानवविकास अंक (HDI) और मानव गरीबी अंक (HPI) की गणना में मुख्य तीन बातें साक्षरता, स्वास्थ्य और अच्छे ……………………. का समावेश होता है ।
(A) आवास
(B) वस्त्र
(C) उपभोग
(D) जीवनस्तर
उत्तर :
(D) जीवनस्तर
10. इन्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा शहरी क्षेत्रों के लिए प्रतिव्यक्ति कैलोरी निश्चित किया गया है ?
(A) 2100
(B) 2400
(C) 2300
(D) 2600
उत्तर :
(A) 2100
11. योजना आयोग द्वारा 1969 में स्वीकृत और 1960-’61 की कीमत के आधार वर्ष को लेकर मासिक रु. ………………………… निश्चित
किया गया ।
(A) 30
(B) 20
(C) 10
(D) 50
उत्तर :
(B) 20
12. दांडेकर और रथ ने ग्राम्य क्षेत्रों के लिए 1960-’61 के आधार कीमत पर कितने रूपये निश्चित किया गया ?
(A) 5
(B) 10
(C) 15
(D) 20
उत्तर :
(C) 15
13. दांडेकर और रथने शहरी क्षेत्रों के लिए 1960-61 के आधार कीमत पर कितने रूपये निश्चित किया गया ?
(A) 20
(B) 21.5
(C) 20.5
(D) 22.5
उत्तर :
(D) 22.5
14. प्रो. डी. टी. लाकडावाला की अध्यक्षता में 1993 के लिए 1973-74 की आधार कीमत पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रु. 49 और शहरी क्षेत्रों के लिए कितने रूपये निश्चित किया गया है ?
(A) 57
(B) 59
(C) 61
(D) 63
उत्तर :
(A) 57
15. गरीबी रेखा मात्र कौन-सी रेखा बनकर रह जाती है ?
(A) बिंदु रेखा
(B) भुखमरी रेखा
(C) सापेक्ष रेखा
(D) निरपेक्ष रेखा
उत्तर :
(B) भुखमरी रेखा
16. तेंदुलकर समिति के सिफारिश के अनुसार वर्ष 2011-12 के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी रेखा निश्चित करने के लिए कितने
रूपये निश्चित किये है ?
(A) 916
(B) 1000
(C) 816
(D) 2000
उत्तर :
(C) 816
17. वर्ष 2005 में समखरीद शक्ति (ppp) के आधार दैनिक कितने डॉलर निश्चित की ?
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 1.25
उत्तर :
(D) 1.25
18. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 1990 में गरीबी का न्यूनतम मापदण्ड दैनिक कितना था ?
(A) 1 डॉलर
(B) 2 डॉलर
(C) 3 डॉलर
(D) 4 डॉलर
उत्तर :
(A) 1 डॉलर
19. समखरीद शक्ति के आधार वर्ष 2015 में दैनिक कितने डॉलर गरीबी का मापदण्ड निश्चित किया गया है ?
(A) 1.25
(B) 1.90
(C) 2
(D) 1.57
उत्तर :
(B) 1.90
20. तेंदुलकर समिति के अनुमान के अनुसार भारत में वर्ष 2004-05 में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण कितने प्रतिशत था ?
(A) 21.9
(B) 19.1
(C) 37.2
(D) 41.2
उत्तर :
(C) 37.2
21. वर्ष 2011-12 में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण कितने प्रतिशत था ?
(A) 10%
(B) 20%
(C) 20.5%
(D) 21.9%
उत्तर :
(D) 21.9%
22. वर्ष 2011-12 के अनुमान के अनुसार 10 प्रतिशत से कम गरीबी की श्रेणी में निम्न में से किस राज्य का समावेश होता है ?
(A) मध्य प्रदेश
(B) पश्चिम बंगाल
(C) हरियाणा
(D) पंजाब
उत्तर :
(D) पंजाब
23. वर्ष 2011-12 के अनुमान के अनुसार 10 से 20 प्रतिशत की गरीबी की श्रेणी में निम्न में से किस राज्य का समावेश होता है ?
(A) गुजरात
(B) उत्तर प्रदेश
(C) गोवा
(D) मध्य प्रदेश
उत्तर :
(A) गुजरात
24. वर्ष 2013 में गरीबी का सबसे अधिक प्रमाण किस राज्य में है ?
(A) ओडिसा
(B) छत्तीसगढ़
(C) झारखंड
(D) असम
उत्तर :
(B) छत्तीसगढ़
25. वर्ष 2014 में US में प्रतिव्यक्ति खर्च कितने डॉलर था ?
(A) 22149
(B) 25828
(C) 31469
(D) 1420
उत्तर :
(C) 31469
26. वर्ष 2014 में भारत में प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च कितने डॉलर था ?
(A) 1420
(B) 603
(C) 22149
(D) 725
उत्तर :
(D) 725
27. वर्ष 2014-’16 में भारत में कुपोषण का प्रमाण कितना था ?
(A) 15.2 प्रतिशत
(B) 15.6 प्रतिशत
(C) 20.5 प्रतिशत
(D) 17.5 प्रतिशत
उत्तर :
(A) 15.2 प्रतिशत
28. विश्व में खाद्य सुरक्षा की परिस्थिति, 2015 पर FAO के रिपोर्ट के अनुसार भारत कुपोषण की दृष्टि से कौन-से स्थान पर था ?
(A) प्रथम
(B) दूसरे
(C) तीसरे
(D) अंतिम
उत्तर :
(B) दूसरे
29. वर्ष 2014 में भारत में अपेक्षित आयुष्य कितने वर्ष था ?
(A) 75.8 वर्ष
(B) 74.9 वर्ष
(C) 68 वर्ष
(D) 81.6 वर्ष
उत्तर :
(C) 68 वर्ष
30. वर्ष 2014 में भारत में बालमृत्युदर का प्रमाण कितना था ?
(A) 02
(B) 06
(C) 09
(D) 39
उत्तर :
(D) 39
31. विकासशील देशों में प्रति छ हजार की जनसंख्या एक डॉक्टर था, तो विकसित देशो में यह प्रमाण कितना है ?
(A) 350
(B) 450
(C) 550
(D) 750
उत्तर :
(A) 350
32. जनगणना 2011 के अनुसार भारत में कितनी प्रतिशत जनता को नल के शुद्धीकरण के द्वारा पानी मिलता है ?
(A) 73.3%
(B) 63.3%
(C) 83.3%
(D) 93.3%
उत्तर :
(B) 63.3%
33. भारत में जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या के कितने प्रतिशत लोग ग्राम्य विस्तारों में रहते हैं ?
(A) 90%
(B) 80%
(C) 70%
(D) 60%
उत्तर :
(C) 70%
34. भारत में कितने प्रतिशत परिवारों को मकान में ही शौचालय की सुविधा प्राप्त हो जाती है ?
(A) 34%
(B) 74%
(C) 26%
(D) 66%
उत्तर :
(D) 66%
35. भारत में कितने करोड़ लोग हानिकारक और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचे ऐसे मकानों में निवास करते हैं ?
(A) 60 करोड़
(B) 50 करोड़
(C) 70 करोड़
(D) 40 करोड़
उत्तर :
(A) 60 करोड़
36. वर्ष 2011 में भारत में साक्षरता दर कितने प्रतिशत थी ?
(A) 91%
(B) 74.04%
(C) 63.3%
(D) 78%
उत्तर :
(B) 74.04%
37. वर्ष 2012 में भारत में एक प्रतिशत धनवानों के पास राष्ट्रीय आय का कितने प्रतिशत हिस्सा था ?
(A) 18.9%
(B) 12.7%
(C) 12.6%
(D) 12.8%
उत्तर :
(C) 12.6%
38. भारत में वर्ष 2011 तक बेरोजगारी की दर कितनी थी ?
(A) 12%
(B) 13%
(C) 10%
(D) 9%
उत्तर :
(D) 9%
39. भाववृद्धि से कम आयवालों की खरीदशक्ति ……………………….. है ।
(A) घटती
(B) बढ़ती
(C) स्थिर रहती
(D) अस्थिर
उत्तर :
(A) घटती
40. किस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों स्व-रोजगारी को प्रोत्साहन देना है ?
(A) SGSY
(B) IRDP
(C) TRYSEM
(D) DWCRA
उत्तर :
(B) IRDP
41. NAREGA की शुरूआत किस वर्ष में हुयी ?
(A) 2009
(B) 2006
(C) 2005
(D) 2008
उत्तर :
(C) 2005
42. जनधन योजना की शुरूआत किस वर्ष में हुयी ?
(A) 2011
(B) 2012
(C) 2013
(D) 2014
उत्तर :
(D) 2014
43. जनधन योजना में प्रथम दिन में कितने खाते खुल गये ?
(A) 1.5 करोड़
(B) 1 करोड़
(C) 2.5 करोड़
(D) 50 लाख
उत्तर :
(A) 1.5 करोड़
प्रश्न 2.
निम्नलिखितं प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :
1. गरीबी रेखा अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए आवश्यक चीजवस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए निश्चित किया गया आय और खर्च का न्यूनतम स्तर अर्थात् गरीबी रेखा ।
2. सापेक्ष गरीबी का अर्थ लिखो ।
उत्तर :
एक वर्ग या व्यक्ति की अपेक्षा दूसरे व्यक्ति या वर्ग को कम आय या कम सुविधाएँ प्राप्त हों तो उसे सापेक्ष गरीबी कहते हैं।
अथवा
कम आय वाला वर्ग अधिक आयवाले वर्ग की अपेक्षा सापेक्ष गरीब है, ऐसा कहते हैं ।
3. तेंदुलकर समिति ने गरीबी रेखा निश्चित करने के लिए किस प्रकार के खर्च का समावेश किया है ?
उत्तर :
तेंदुलकर समिति ने गरीबी रेखा निश्चित करने के लिए केलरी के उपभोग के लिए आवश्यक खर्च के उपरांत शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए खर्च का भी समावेश किया गया ।
4. सापेक्ष गरीबी को मापने के लिए किस पद्धति का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर :
सापेक्ष गरीबी को मापने के लिए सामान्य रूप से आय समूह की रचना, लोरेन्ज वक्र, गीनी अनुपात जैसी पद्धतियों का उपयोग किया जाता है ।
5. सही अर्थ में आर्थिक विकास क्या है ? ।
उत्तर :
आर्थिक विकास के साथ गरीबी और आय की असमानता में कमी आना चाहिए । तभी आर्थिक विकास सही है ।
6. विशेष रूप से किस योजना में गरीबी को दूर करने का लक्ष्य रखा गया था ?
उत्तर :
विशेष रूप से पाँचवी योजना में गरीबी को दूर करने का लक्ष्य रखा गया था ।
7. गरीबी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
समाज का जो वर्ग अपनी आधारभूत न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट नहीं कर सके तो उसे गरीबी कहते हैं ।
8. गरीबी कैसा ख्याल है ?
उत्तर :
गरीबी सापेक्ष ख्याल है ।
9. गरीबी कैसी स्थिति है ?
उत्तर :
गरीबी एक अभाव की स्थिति है ।
10. कार्य करने की स्वतंत्रता किसके पास होती है ?
उत्तर :
कार्य करने की स्वतंत्रता धनवानों के पास होती है ।
11. मानव गरीबी अंक में किन मापदण्डों का समावेश किया जाता है ?
उत्तर :
मानव गरीबी अंक में ज्ञान, आरोग्य और जीवनस्तर का समावेश किया जाता है ।
12. कौन-सी गरीबी संपूर्ण गरीबी कहलाती है ?
उत्तर :
निरपेक्ष गरीबी संपूर्ण गरीबी कहलाती है ।
13. निरपेक्ष गरीबी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
आय या खर्च का आधार पर निश्चित किया गया न्यूनतम स्तर को ही निरपेक्ष गरीबी कहते हैं ।
14. तेंदुलकर समिति के अनुसार 2004-’05 में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
तेंदुलकर समिति के अनुसार 2004-’05 में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण 37.2% था ।
15. ग्रामीण क्षेत्र में 2011-’12 में गरीबी का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
ग्रामीण क्षेत्र में 2011-’12 में गरीबी का प्रमाण 41.8% था ।
16. वर्ष 2011-’12 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
वर्ष 2011-’12 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का प्रमाण 25.7 प्रतिशत था ।
17. 2004-’05 तथा 2011-’12 में शहरी क्षेत्र में गरीबी का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
2004-’05 तथा 2011-’12 में शहरी क्षेत्र में गरीबी का प्रमाण क्रमश: 25.7 प्रतिशत तथा 13.7 प्रतिशत था ।
18. वर्ष 2011-’12 में भारत के किन राज्यों में गरीबी का प्रमाण 10 प्रतिशत से कम था ?
उत्तर :
वर्ष 2011-’12 में भारत के गोवा, केरल, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में गरीबी का प्रमाण 10 प्रतिशत से कम था ।
19. वर्ष 2011-’12 में भारत के किन राज्यों में गरीबी का प्रमाण 10 से 20 प्रतिशत बीच थी ?
उत्तर :
वर्ष 2011-’12 में भारत के जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, नागालैण्ड और मेघालय जैसे राज्यों में 10 से 20% के बीच गरीबी का प्रमाण था ।
20. वर्ष 2011-’12 में 20 से 30 प्रतिशत के बीच गरीबी के प्रमाणवाले राज्यों के नाम बताइए ।
उत्तर :
वर्ष 2011-’12 में 20 से 30 प्रतिशत के बीच गरीबी के प्रमाणवाले राज्यों में पश्चिम बंगाल, मिजोरम, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि का समावेश किया जाता है ।
21. प्रतिव्यक्ति गृह उपभोग खर्च किस प्रकार ज्ञात करते हैं ?
उत्तर :
किसी एक वर्ष दरम्यान परिवारों द्वारा खरीदी हुयी वस्तुओं और सेवाओं, टिकाऊ वस्तुएँ आदि के बाज़ार मूल्य को उस वर्ष की जनसंख्या का भाग देने से प्रतिव्यक्ति गृह उपभोग खर्च प्राप्त होता है ।
22. टिकाऊ वस्तुएँ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिन वस्तुओं का उपयोग दीर्घकालीन समय तक किया जाये तो उसे टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं । जैसे – कार, वॉशिंग मशीन, कम्प्यूटर आदि ।
23. US और UK में वर्ष 2014 में प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च कितना था ?
उत्तर :
US और UK में वर्ष 2014 में प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च क्रमश: 31469 और 25828 अमेरिकी डॉलर है ।
24. कुपोषण की परिस्थिति किसे कहते है ?
उत्तर :
व्यक्ति द्वारा लिये जानेवाले भोजन में पर्याप्त प्रमाण में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स प्राप्त नहीं होता है । इस स्थिति को कुपोषण की परिस्थिति कहते हैं ।
25. वर्ष 2014-’16 में भारत में कुपोषित व्यक्तियों का प्रमाण कितने प्रतिशत था ?
उत्तर :
वर्ष 2014-’16 में भारत में कुपोषित व्यक्तियों का प्रमाण 15.2 प्रतिशत था ।
26. कुपोषण के प्रमाण में भारत का स्थान कौन-सा है ?
उत्तर :
FAO के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित जनसंख्या का प्रमाण विश्व में भारत का स्थान दूसरा है ।
27. अपेक्षित औसत आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
बालक जन्म के समय को कितने वर्ष की आयु जियेगा उसकी अपेक्षा को अपेक्षित औसत आयु कहते हैं ।
28. बालमृत्युदर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रति 1000 जीवित जन्म लेनेवाले बालकों में से एक वर्ष से कम समय में मृत्यु पानेवाले बालकों की संख्या को बालमृत्युदर कहते हैं ।
29. वर्ष 2014 में भारत में अपेक्षित औसत आयु कितने वर्ष थी ?
उत्तर :
वर्ष 2014 में भारत में अपेक्षित औसत आयु 68 वर्ष थी ।
30. वर्ष 2014 में भारत में बालमृत्युदर का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
वर्ष 2014 में भारत में बालमृत्युदर का प्रमाण 39 था ।
31. विकासशील देशों में प्रतिवर्ष डायरिया, मलेरिया, क्षय जैसे रोगों से कितने करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाती है ?
उत्तर :
विकासशील देशों में प्रतिवर्ष डायरिया, मलेरिया, क्षय जैसे रोगों से 1.7 करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाती है ।
32. विश्व में एड्स के रोग से कितने लोग मर जाते हैं ? ।
उत्तर :
विश्व में एड्स के रोग से 2.3 करोड़ लोग मर जाते हैं ।
33. भारत में कितने प्रतिशत लोगों को शौचालय की सुविधा नहीं प्राप्त होती है ?
उत्तर :
भारत में 34 प्रतिशत लोगों को शौचालय की सुविधा नहीं प्राप्त होती है ।
34. भारत में कितने करोड़ लोगों को स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचे ऐसे जोखमरूप मकानों में रहते हैं ।
उत्तर :
भारत में 60 करोड़ लोग स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचे तथा जोखमरूप मकानों में रहते हैं ।
35. वर्ष 2011 में ब्राजिल में साक्षरता दर कितनी है ?
उत्तर :
वर्ष 2011 में ब्राजिल में साक्षरता दर 91 प्रतिशत है ।
36. भारत में वर्ष 2011 में साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर :
भारत में वर्ष 2011 में साक्षरता दर 74.04% है ।
37. वर्ष 2012 में भारत में एक प्रतिशत के पास कुल राष्ट्रीय आय का कितना हिस्सा है ?
उत्तर :
वर्ष 2012 में भारत में एक प्रतिशत के पास कुल राष्ट्रीय आय का 12.6 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त होता है ।
38. बेकारी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रवर्तमान वेतन दर पर काम करने की इच्छा, शक्ति और योग्यता रखनेवाले व्यक्ति को काम न मिले तो उसे बेकारी कहते हैं ।
39. 17वीं सदी में भारत किस प्रकार का राष्ट्र था ?
उत्तर :
17वीं सदी में भारत शहरीकृत और व्यावसायिक राष्ट्र था ।
40. 17वीं सदी में भारत किन-किन वस्तुओं का निर्यात करता था ?
उत्तर :
17वीं सदी में भारत में से सिल्क, गर्म मसाला, चावल आदि का निर्यात करता था ।
41. संकलित ग्रामविकास योजना की शुरूआत कब से हयी ?
उत्तर :
संकलित ग्रामविकास योजना की शुरूआत 2 अक्टूबर 1980 से हुयी ।
42. IRDP का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
IRDP का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को स्वरोजगारी को प्रोत्साहन देना है ।
43. जनधन योजना का आरम्भ कब से हुआ था ?
उत्तर :
जनधन योजना का आरम्भ 28 अगस्त 2014 से आरम्भ हुयी ।
44. जनधन योजना के एक दिन में कितने खाते खुल चूके थे ?
उत्तर :
जनधन योजना में एक दिन में 1.5 करोड़ खाते खुल चूके थे ।
45. TRYSEM का पूरा नाम बताइए ।
उत्तर :
TRYSEM का पूरा नाम Training of Rural Youth for Self Employment है ।
46. फुल फोर्म :
(i) IRD – Integrated Rural Development
(ii) TRYSEM – Training of Rural Youth for Self Employment
(iii) SITRA – Supply of Improval Tool-kits of Rural Artisans.
(iv) GKY – Ganga Kalyan Yojna
(v) DWCRA – Development of Women and Children in Rural Areas.
(vi) MWS – Millenium Well Scheme
(vii) SJGRY – Suvarna Jayanti Gram Rojgar Yojna
(viii) JRY – Jawahar Rojgar Yojna
(ix) ICDS – Integrated Child Development Scheme
(x) NRY – Nehru Rojgar Yojna
(xi) EAS – Employment Assurance Scheme
(xii) NAREGA – National Rojgar Employment Garanti Act
(xiii) FAO – Food and Agricultural Organization
47. वर्ष 2009 में NREGA का नाम सुधारकर क्या रख दिया है ?
उत्तर :
वर्ष 2009 में NREGA का नाम सुधारकर MGNREGA कर दिया है ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए ।
1. गरीबी के आय के अभिगम (विचार) को समझाइए ।
उत्तर :
गरीबी के आय के अभिगम के अनुसार जीवनजरूरी चीजवस्तुएँ और सेवाओं को खरीदने के लिए न्यूनतम आय निश्चित की जाती है । जिसे गरीबी रेखा कहते हैं । इस न्यूनतम आय से कम आय प्राप्त करनेवाला व्यक्ति गरीब कहलाता है । भारत में न्यूनतम केलरी प्राप्त करने के लिए न्यूनतम खर्च को भी ध्यान में लिया जाता है ।
2. गरीबी का आधुनिक अभिगम समझाइए ।
उत्तर :
गरीबी के आधुनिक अभिगम में मात्र आय को ही ध्यान में नहीं लेते हैं क्योंकि काम करने की पसंदगी और स्वतंत्रता मात्र धनवानों के पास ही होती है । गरीबों के पास नहीं होती है । इसलिए आधुनिक विचारधारा के अनुसार आय के साथ साक्षरता, दीर्घकालीन स्वस्थ जीवन, अच्छा जीवनस्तर, व्यक्ति स्वातंत्र्य, अवसर प्राप्त हो और चयन तथा स्वाभिमान के साथ गौरवपूर्ण जीवन पर विचार किया गया है ।
3. गरीबी रेखा की मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
गरीबी रेखा की सबसे बड़ी मर्यादा यह है कि इसमें मात्र केलरी के उपयोग ही आधार लिया जाता है । परंतु गरीबी एक आर्थिक परिस्थिति है और भूख एक शारीरिक परिस्थिति है । इसलिए ‘गरीबी रेखा मात्र भुखमरी की रेखा’ बन के रह जाती है ।
4. भारत में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण कितना है ?
उत्तर :
भारत में NSSO (National Sample Survey Organisation) के 68वें 213.5 (2011-’12) में संयुक्त प्रति परिवार खर्च के आधार पर तेंदुलकर समिति के अनुमान के अनुसार भारत में वर्ष 2004-05 में निरपेक्ष गरीबी का प्रमाण 37.2 प्रतिशत था जो वर्ष 2011-12 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गया है ।
5. पीने के स्वच्छ पानी और मकान की उपलब्धता का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर :
दूषित और अशुद्ध पानी अनेक रोगों का कारण है । वर्ष 2011 में 63.3 प्रतिशत परिवारों को ही नल द्वारा शुद्ध पानी प्राप्त होता था । 8.67% परिवारों को नल द्वारा शुद्धीकरण न किया पानी, 26% लोगों को कुआ, हेन्डपंप, ट्यूबवेल, झरने, नदी आदि से पानी प्राप्त होता है । इस प्रकार शुद्ध पानी के अभाव में गंदा प्रदूषणयुक्त पानी से देश में अनेक पानीजन्य रोगों में वृद्धि होती है । जिसे गरीबी और अधिक गंभीर बनती है ।
आवास जीवन की प्राथमिक आवश्यकता है । किस प्रकार का आवास है इस पर गरीबी का मापदण्ड है । रहने का मकान, कमरे, रहनेवालों की संख्या, नल, ड्रेनज, बिजली जैसी सुविधा रखनेवाले मकान गरीबी के प्रतिशत को दर्शाते हैं । भारत में अभी भी 60 करोड़ लोग असुविधा और खतरनाक (जोखमी) मकानो में रहते हैं । जो गरीबी के निर्देश को दर्शाते हैं ।
6. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निरपेक्ष गरीबी को समझाइए ।
उत्तर :
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निरपेक्ष गरीबी निश्चित करने के लिए गरीबी रेखा सामान्य रूप से किसी एक वर्ष के दरम्यान औसत युवा उम्र व्यक्ति द्वारा उपयोग में लिये जानेवाले संसाधनों के खर्च द्वारा निश्चित किया जाता है । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी रेखा निश्चित करने के लिए विश्व बैंक द्वारा वर्ष 2005 में समखरीद शक्ति के आधार पर दैनिक आय 1.25 डॉलर निश्चित की । जो 1990 के वर्ष में 1 डॉलर और 2015 में 1.90 डॉलर निश्चित किया गया है ।
इस प्रकार जिस व्यक्ति की दैनिक आय 1.90 डॉलर से कम हो वह निरपेक्ष गरीब कहलाता है ।
7. भारत में अभी भी लोग कुपोषण के शिकार है’ विधान की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में अभी अधिकांशतः 21.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं । भारत में अभी भी नीची प्रतिव्यक्ति आय और आय की असमानता अधिक देखने को मिलती है । नीची आय के कारण लोगों को कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त प्रमाण में नहीं मिलता है । इसके कारण अभी भी 15.2% लोग कुपोषण के शिकार है ।
8. युद्ध और असुरक्षा जैसे परिबल भी गरीबी के लिए जवाबदार है, समझाइए ।
उत्तर :
भारत देश चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ौसी देशों के साथ युद्ध का सामना कर चुका है । साथ ही सरहद पर तनाव और संघर्ष चलता रहता है । तथा भारत सतत असुरक्षा महसूस कर रहा है । असुरक्षा का सामना कर रहा है । निरंतर युद्ध का सामने करने के लिए संरक्षण के पीछे अधिक खर्च करना पड़ता है । देश की संरक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए आधुनिक मिसाइल, युद्ध विमानो, टेन्को, सबमरीन के पीछे अधिक खर्च करना पड़ता है । इस प्रकार का खर्च बिनविकासशील खर्च है । यह खर्च अधिक होने से विकासशील खर्च में कमी होती है । आर्थिक विकास धीमा पड़ जाता है और गरीबी का प्रमाण बढ़ जाता है ।
9. गरीबी एक गुणात्मक ख्याल है । समझाइए ।
उत्तर :
गुणात्मक ख्याल आंतरिक विशेषता (गुण) से सम्बन्ध रखता है । प्रत्येक वस्तु या सेवा अपनी-अपनी अलग-अलग विशेषता होती है । उसे लोग अपने मानदण्डों से निश्चित करते हैं । अर्थात् परिमाणात्मक पहलू की तरह नहीं है । परिमाणात्मक पहलू को मापा जा सकता है ।
इसे एक उदाहरण से समझें । गुड़ कितना मीठा है इसका जवाब देना मुश्किल है लेकिन कितने किलो हैं ? इसे माप सकते है । इस प्रकार मीठापन गुणात्मक पहलू है जबकि वजन परिमाणात्मक पहलू है ।
इसी प्रकार गरीबी गुणात्मक पहलू है क्योंकि गरीबी का मापदण्ड भी अलग-अलग ढंग से निश्चित किया जाता है ।
10. साक्षरता-दर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भारत में 1991 की जनगणना के अनुसार सात वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति समझ के साथ पढ़ सके और लिन सके उसे कुल जनसंख्या के प्रतिशत प्रमाण को साक्षरता दर कहते हैं ।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए :
1. गरीबी के लिए आर्थिक कारण समझाइए ।
उत्तर :
गरीबी के आर्थिक कारण निम्नानुसार हैं :
(1) नीची श्रम की कृषि उत्पादकता : भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में श्रमिक की नीची उत्पादकता है । कृषि क्षेत्र में सिंचाई का अभाव, अपर्याप्त टेक्नोलोजी, शिक्षा का अभाव, पूँजीनिवेश की नीची दर, जनसंख्या के अधिक भार के कारण प्रति श्रमिक कृषि उत्पादकता नीची होने से आय भी कम होती है और गरीबी का प्रमाण अधिक देखने को मिलता है ।
(2) जमीन और संपत्ति का असमान वितरण : भारत में ब्रिटिश शासनकाल से ही जमीन और संपत्ति का असमान वितरण हुआ है । अंग्रेजो की नीति के कारण जमीन, जमीनदारों और बड़े किसानों के कुछ लोगों के हाथ में थी । जिन्हें कृषि में कोई रूचि नहीं थी दूसरी ओर-कृषि मजदूर, काश्तकार या बटाईदारों की भी जमीन मालिकी न होने से उन्हें पूँजीनिवेश में कोई रूचि नहीं थी । परिणाम स्वरूप कृषि क्षेत्र में नीची उत्पादकता के कारण गरीबी का प्रमाण अधिक था ।
(3) छोटे और गृह उद्योगों का अल्पविकास : दूसरी पंचवर्षीय योजना से आधारभूत एवं बड़े उद्योगों को अधिक महत्त्व दिया गया । परंतु छोटे और गृह उद्योगों की अवहेलना की गई । इसके साथ कृषि से सम्बन्धित उद्योग जैसे कि पशुपालन, डेरी उद्योग, मत्स्यपालन आदि के कम विकास के कारण मौसमी बेकारी भी अधिक देखने को मिलती है । परिणाम स्वरूप गरीबी अधिक देखने को मिलती है ।
(4) भाववृद्धि : भाववृद्धि गरीबी का मुख्य कारण है । युद्ध, अकाल, कम राष्ट्रीय उत्पादन, मांग में वृद्धि, उत्पादन खर्च में वृद्धि आदि के कारण वस्तुओं और सेवाओं तथा खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि होती है । जिससे कम आयवालों की क्रयशक्ति में कमी आती है जिससे नीचा जीवनस्तर होता है । गरीबी में वृद्धि होती है ।
(5) बेकारी का अधिक प्रमाण : भारत में अधिकांशतः जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर निर्भर होती है । परंतु भारत की अभी भी बरसाद पर निर्भर होती है । इसलिए वर्ष में एक या दो फसल लेते हैं । इसलिए कृषि क्षेत्र में मौसमी बैकारी अधिक देखने को मिलती है । साथ ही कृषि क्षेत्र पर अधिक भार होने से प्रच्छन्न बेकारी अधिक देखने को मिलती है । ग्रामीण क्षेत्रों में पूरक उद्योगों का कम विकास, अशिक्षा, श्रम की अल्प गतिशीलता आदि के कारण बेकारी का प्रमाण अधिक होने से गरीबी भी खड़ी होती है ।
2. गरीबी निवारण के लिए स्व-रोजगारलक्षी कार्यक्रमों को समझाइये ।
उत्तर :
भारत में गरीबी एक मुख्य समस्या है । इसलिए आयोजन काल के आरम्भ से ही गरीबी दूर करने के लिए सरकार प्रयत्नशील है । सरकार वैतनिक, स्व-रोजगारलक्षी, सामाजिक सुरक्षा जैसे अनेक कार्यक्रम चलाकर गरीबी दूर करने का प्रयत्न करती है । हम यहाँ स्व-रोजगारलक्षी कार्यक्रमों की चर्चा करेंगे :
* संकलित ग्रामविकास कार्यक्रम (IRDP) :
- इस योजना की शुरूआत 2 अक्टूबर 1980 से हुयी ।
- छठवीं योजना से पूर्व ग्रामीण गरीबी को दूर करने के लिए चलाये जानेवाले सभी कार्यक्रमों को इसमें समाविष्ट कर दिया ।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को स्वरोजगारी को प्रोत्साहन देना है ।
- इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले छोटे किसान, सीमांत किसान, कृषि मजदूर और ग्रामीण गरीबों को अग्रिमता दी गयी ।
* स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY):
- इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 1999 से हुयी ।
- इस योजना में IRDP (संकलित ग्रामविकास कार्यक्रम), TRYSEM (स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवकों को प्रशिक्षण), DWCRA (ग्रामीण विस्तारों में स्त्रियों और बालकों के विकास कार्यक्रम), MWS (10 लाख कुओं की योजना), SITRA (ग्रामीण कारीगरों के लिए सुधरी हुयी टूलकिट्स उपलब्ध करवाना), GKY (गंगा कल्याण योजना) को सामिल कर दिया गया ।
- इस योजना में गाँव में छोटे उद्योगों के विकास के साथ स्वसहाय समूह की रचना की जाती थी ।
- इस योजना में ढाँचाकीय सुविधा, टेक्नोलोजी, ऋण, उत्पादित वस्तुओं को बाज़ार की सुविधा ग्रामीण गरीबों को उपलब्ध करवायी जाती थी ।
3. गरीबी दूर करने के लिए वैतनिक रोजगार कार्यक्रमों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
गरीबी दूर करने के लिए वैतनिक रोजगार कार्यक्रम एक व्यूहरचना का हिस्सा है । जिन बेरोजगारों के पास भौतिक श्रम के अतिरिक्त आय का साधन न हो उनके लिए वैतनिक कार्यक्रम शुरू किये जाते हैं । इन कार्यक्रमों मात्र कृषि के सिवाय मौसम में स्वरोजगार न दे सकते हों उनके लिए ही मात्र नहीं परंतु अकाल, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में भी रोजगार उपलब्ध करवाता है । इन कार्यक्रमों में गाँव में ढाँचाकीय सेवाओं का विकास किया जाता है । और श्रमिको उचित वेतन प्राप्त हो ऐसा प्रयास किया जाता है ।
वेतनयुक्त रोजगारी कार्यक्रम में –
- जवाहर रोजगार योजना (JRY)
- रोजगार गारंटी योजना (EAS) का समावेश किया गया है ।
4. प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMKY) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
1990 के दशक में संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर स्थगित हो गये थे । सार्वजनिक क्षेत्र की वृद्धि नकारात्मक थी । दूसरी ओर बेकारी की दर में तीव्रता से वृद्धि हो रही थी । इस परिस्थिति में स्वरोजगार के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना शुरू की गयी । इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षित बेकारों की सहायता करके स्वरोजगार के लिए साहस स्थापित करना है ।
5. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (NREGA) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
राष्ट्रीय रोजगार मारंटी कानून वर्ष 2005 में स्वीकार किया गया । जिसका उद्देश्य सार्वजनिक निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत संपत्ति खड़ी करके ग्रामीण, शहरी, गरीब और निचले मध्यम वर्ग के परिवार में से एक व्यक्ति को वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार दिया जाता है । वर्ष 2009 से इस योजना का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) कर दिया है ।
6. आवास योजनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले परिवार अर्धस्थायी या कामचलाऊ मकानों में आवास करते हैं । गरीबों को उचित आवास उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्ष 1985-86 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग को मकान की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए इन्दिरा आवास योजना (IAY) शुरू की गयी ।
वर्ष 2013-14 में राजीव आवास योजना अमल में रखी गयी ।
शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवार गंदी झोपड़पट्टी में रहते हैं । इस शहरी आवास की समस्या को ध्यान में रखकर 25 जून, 2015 से शहरी गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) शुरू की गयी ।
आवास योजनाएँ गरीब परिवारों को आवास की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी सर्जित होते हैं। जिससे बेकारी में कमी आती है ।
7. गरीबी निवारण के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को संक्षिप्त में समझाइए ।
उत्तर :
भारत में गरीबी दूर करने की व्यूहरचना के रूप में विविध प्रकार की सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं शुरू की गयी है ।
- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 9 मई 2015 से अटल पेन्शन योजना (PPY) अमल में आयी है ।
- प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 18 से 70 वर्ष के उम्र के व्यक्ति रु. 12 के प्रीमियम पर रु. 2 लाख का दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जाता है ।
- रु. 330 के वार्षिक प्रीमियम पर रु. 2 लाख का जीवन बीमा देनेवाला जीवन ज्योति बीमा योजना शुरू की गयी है ।
- कृषि क्षेत्र में किसानों को फसल निष्फलता के जोनम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMCIS) शुरू की गयी है ।
इस प्रकार. इन सामाजिक सुरक्षा के कल्याणकारी कार्यक्रमों द्वारा गरीबी को दूर करने का प्रयास किया जाता है ।
8. जनधन योजना को समझाइए ।
उत्तर :
मुद्राकीय समावेशीकरण द्वारा गरीबी के मूल में चोट करने के लिए महत्त्वाकांक्षी योजना अर्थात् प्रधानमंत्री जनधन योजना ।
- जनधन योजना 28 अगस्त 2014 से आरम्भ हुयी ।।
- इस योजना में पहले दिन ही 1.5 करोड़ खाते खुल गये ।
- 8 जनवरी, 2015 तक 12.58 करोड़ खातों की संख्या जिसमें 10,590 करोड़ जमाराशि हो गयी है ।
- जनधन योजना का उद्देश्य प्रति जनसंख्या बैंकिंग सेवा का प्रमाण बढ़े और प्रादेशिक असमानता को कम करना है ।
- इस योजना का मूल उद्देश्य सरकार द्वारा गरीब परिवारों को दी जानेवाली सहायता सीधी बैंक खाते में जमा करना है ।
- इस योजना की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें शून्य सिलक के साथ खाता खुलवा सकते हैं । खाता खुलवाने के 5 महीनों के बाद रु. 5,000 का ऑवरड्राफ्ट प्राप्त कर सकते हैं ।
- इस योजना में 26 जनवरी से पहले खाते खुलवाने वाले को जीवन बीमा का लाभ भी दिया जाता है ।
- प्रधानमंत्री जनधन योजना मूलभूत रूप से मुद्राकीय समावेशीकरण के लिए सर्वग्राही योजना गिनी जाती है । जो दूसरी ओर से (माइक्रो फाइनान्स) सूक्ष्म ऋण और बैंकिंग सुविधा द्वारा गरीबी को दूर करनेवाली योजना है ।
9. गरीबी के स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशकों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
गरीबी के स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशक निम्नानुसार हैं :
(1) कुपोषण का प्रमाण : गरीबी का महत्त्वपूर्ण निर्देशक कुपोषण का प्रमाण है । भारत में अभी भी वर्ष 2014-15 में 15.2 प्रतिशत : लोगों को पर्याप्त प्रमाण में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन आदि प्राप्त नहीं होते है ।
(2) अपेक्षित औसत आयु : बालक जन्म के समय से कितने वर्ष की आयु जियेगा उसकी अपेक्षा को अपेक्षित औसत आयु कहते हैं । औसत आयु पोषणयुक्त आहार, स्वच्छता, पीने का शुद्ध पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि पर निर्भर होती है । गरीबों में इस प्रकार की सेवाएँ कम प्राप्त होती हैं इसलिए औसत आयुष्य नीचा रहता है । नोर्वे की अपेक्षित औसत आयु 81.6 वर्ष है । जबकि भारत की अपेक्षित औसत आयु 68 वर्ष है । इस प्रकार नोर्वे से भारत में गरीबी का प्रमाण अधिक है ।
(3) बालमृत्युदर : एक वर्ष में प्रतिहजार की जनसंख्या पर जन्म लेनेवाले जीवित बालकों में से मृत्यु प्राप्त होनेवाले बालकों की संख्या बालमृत्युदर कहलाती है । बालमृत्युदर का ऊँचा प्रमाण गरीबी का निर्देशक है । नोर्वे में बालमृत्युदर 2 है । भारत में यह प्रमाण 39 है । जो गरीबी का निर्देशक है ।
(4) चिकित्सा सेवा : स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो यह जरूरी है । विकसित देशों में छ हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है । जबकि विकासशील देशों में 350 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है । विकासशील देशों में प्रतिवर्ष लगभग 1.7 करोड़ लोग डायेरिया, मलेरिया, क्षय जैसे रोगों से मृत्यु होती है । विश्व के 2.3 करोड़ लोग एड्स के शिकार हैं। जिनमें 90% विकासशील देशों में है ।
(5) शुद्ध पानी : स्वास्थ्य के लिए शुद्ध पानी आवश्यक है । दूषित पानी से अनेक लोग रोगों का शिकार बनते हैं । वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 63.3 प्रतिशत परिवारों को नल द्वारा शुद्ध पानी, 8.67 प्रतिशत लोगों को नल बिना शुद्ध पानी, 26% लोगों को कुआ, हेन्डपंप, ट्यूबवेल, झरना, नदी, नहरों, तालाब से पीने का पानी प्राप्त होता है ।
(6) शौचालय की सुविधा : भारत में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या के लगभग 70% जनसंख्या ग्राम्य विस्तारों में रहते हैं । जिन्हें पानीजन्य और चेपीरोग होने की संभावना अधिक होती है । इससे बचने के लिए स्वच्छता जरूरी है और उसके लिए शौचालय की सुविधा महत्त्वपूर्ण है । भारत में अभी 34 प्रतिशत लोगों को शौचालय की सुविधा प्राप्त नहीं है. । जो गरीबी का निर्देशक है ।
10. गरीबी के स्वरूप को समझाइए ।
उत्तर :
गरीबी के मुख्य स्वरूप दो है :
(1) निरपेक्ष गरीबी
(2) सापेक्ष गरीबी
(1) निरपेक्ष गरीबी : जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए आवश्यक चीजवस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए निश्चित किये गये आय या खर्च के न्यूनतम स्तर को गरीबी रेखा कहते हैं । इस गरीबी रेखा से कम आय या खर्च रखनेवाले वर्ग को निरपेक्ष गरीब कहते हैं । निरपेक्ष गरीबी को संपूर्ण गरीबी के नाम से जानते हैं ।
निरपेक्ष गरीबी का निर्धारण : निरपेक्ष गरीबी का निर्धारण अलग-अलग मापदण्डों के आधार पर किया जाता है । आयोजन की शुरुआत में इण्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रतिव्यक्ति दैनिक 2400 केलरी और शहरी क्षेत्रों के लिए दैनिक 2100 केलरी निश्चित की गयी है । इस मापदण्ड को स्वीकार करके योजना आयोग ने 1960-’61 के कीमत के आधार वर्ष पर 20 रुपये महीने निश्चित किया गया । दांडेकर और रथ ने इस कार्यपद्धति के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 15 रुपये महीने और शहरों के लिए मासिक रु. 22.5 निश्चित किया गया ।
प्रो. डी. टी. लाकडावाला समिति ने 1973-’74 के आधार वर्ष पर 1993 के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मासिक रु. 49 और शहरी क्षेत्रों के लिए मासिक रु. 57 खर्च का अनुमान रखा ।
गरीबी रेखा में मात्र केलरी को समाविष्ट करने से मर्यादावाला बनी मात्र सुखकारी रेखा बनकर रह गयी । इसलिए गरीबी रेखा को अधिक गतिशील बनाने के लिए जीवन की गुणवत्ता का न्यूनतम स्तर निश्चित करना चाहिए और उसके लिए जीवन जरूरी सुविधाएँ जैसे कि पौष्टिक और संतुलित आहार, स्वास्थ्य, बिजली, वस्त्र, शिक्षण खर्च, आवास आदि बातों का समावेश होना चाहिए । इस संदर्भ में प्रो. सुरेश तेंदुलकर समिति ने 2011-12 के लिए मासिक प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रु. 816 और शहरी क्षेत्रों के लिए रु. 1,000 गरीबी रेखा के रूप में निश्चित किया गया है ।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 2005 में दैनिक 1.25 डॉलर, 1990 में 1 डॉलर तथा 2015 में दैनिक 1.90 डॉलर निश्चित किया गया है ।
(2) सापेक्ष गरीबी : निरपेक्ष गरीबी के ख्याल में लघुतम आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए आवश्यक न्यूनतम उपभोग खर्च को ध्यान में लिया जाता है । परंतु सापेक्ष गरीबी में आय के असमान वितरण को ध्यान में लिया जाता है ।
‘कम आय वाला वर्ग अधिक आयवाले वर्ग की तुलना में सापेक्ष गरीब कहलाता है ।’
सापेक्ष गरीबी के अध्ययन के लिए समाज के लोगों को अलग-अलग आय समूहों में विभाजित करके आय के वितरण की असमानता के संदर्भ में किया जाता है । भार का अर्थतंत्र भी शीघ्रता से विकसित हो रहा है । इसलिए भारत में निरपेक्ष गरीबी की अपेक्षा सापेक्ष गरीबी या आय के असमान वितरण के संदर्भ होना चाहिए ।
जिसे एक काल्पनिक उदाहरण से समझें :
समूह | आय समूह (रु. में) |
समूह-1 | शून्य से तीस हजार |
समूह-2 | तीस हजार से एक लाख |
समूह-3 | एक लाख से तीन लाख |
उपर के उदाहरण में समूह 2 से समूह 1 वर्ग की आय कम है इसलिए समूह-2 की अपेक्षा समूह-1 सापेक्ष गरीब है । समूह 3 से समूह-1, 2 की आय कम है । इसलिए समूह-3 की अपेक्षा समूह-1 और समूह-2 वर्ग सापेक्ष गरीब है ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक लिखिए :
1. गरीबी अर्थात् क्या ? गरीबी के निर्देशकों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
गरीबी एक अभाव की स्थिति है । गरीबी एक गुणात्मक ख्याल है । गरीबी की परिभाषा निम्नानुसार है –
जब समाज का एक वर्ग अपनी आधारभूत न्यूनतम जीवनजरूरी आवश्यकताओं को संतुष्ट नहीं कर सकता हो तो इस परिस्थिति को गरीबी कहते हैं । संक्षिप्त में – समाज का जो वर्ग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हो तो उसे गरीबी कहते हैं ।
गरीबी के निर्देशक निम्नानुसार है :
(1) नीची प्रतिव्यक्ति गृहउपयोगी खर्च :
प्रतिव्यक्ति गृहउपयोगी खर्च एक वर्ष के दरम्यान परिवार द्वारा खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं, टिकाऊ वस्तुओं के आदि के बाज़ार मूल्य को उस वर्ष की जनसंख्या का भाग देने पर प्राप्त होती है । विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों का प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च कम होता है ।
जैसे – यू.एस., U.K., जापान जैसे विकसित देशों का प्रतिव्यक्ति उपभोग क्रमश: 31469, 25828 और 22149 डॉलर है ।
जबकि पाकिस्तान, चीन और भारत जैसे विकासशील देशो का प्रतिव्यक्ति उपभोग खर्च 603, 1420 और 725 डॉलर है ।
(2) कुपोषण का प्रभाव : भारत में अधिकांशतः गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले लोग नीची प्रतिव्यक्ति आय के कारण पोषणयुक्त आहार के पीछे खर्च नहीं कर पाते हैं । इसलिए उन्हें पर्याप्त प्रमाण कैलोरी, प्रोटीन कार्बोहाईड्रेट, विटामिन नहीं मिलती है और कुपोषण के शिकार हैं ।
भारत में वर्ष 1990-’92 में 23.7 प्रतिशत कुपोषण का शिकार थे जो घटकर 2014-’16 में 15.2 प्रतिशत रह गये हैं । फिर भी यह प्रमाण अधिक है ।
(3) अपेक्षित औसत आयु : बालक जन्म के समय से कितने वर्ष की आयु जियेगा उसकी अपेक्षा को अपेक्षित औसत आयु कहते हैं । नीची अपेक्षित औसत आयु गरीबी का निर्देशक है । वर्ष 2014 में नोर्वे की अपेक्षित औसत आयु 81.6 वर्ष थी जबकि भारत की अपेक्षित औसत आयु 68 वर्ष है । जो भारत की गरीबी को निर्देशित करती है ।
(4) बालमृत्युदर : एक वर्ष में प्रतिहजार बालकों में से मृत्यु पाने बालकों की संख्या को बालमृत्युदर कहते हैं । बालमृत्युदर का ऊँचा प्रमाण गरीबी का निर्देशक है । वर्ष 2014 में नोर्वे की बालमृत्युदर 2 थी । जबकि भारत में 39 है । जो गरीबी का निर्देश है ।
(5) चिकित्सा सुविधाएँ : स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टर, नर्स, कंपाउन्डर आदि का समावेश होता है । इन सब का अभाव स्वास्थ्य पर विपरीत असर करता है । विकसित देशों में 350 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है । जबकि विकासशील देशों में छ हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है । जो गरीबी को निर्देशित करता है ।
(6) पीने का शुद्ध पानी : अशुद्ध पानी अनेक रोगों का कारण है । भारत में अभी बहुत सारी जनसंख्या शुद्ध पानी से वंचित है । मात्र 63.3% परिवारों को नल के द्वारा शुद्ध पानी, 8.67% लोगों को नल बिना का शुद्ध पानी तथा 26% लोगों को अन्य स्रोतों से शुद्ध पानी मिलता है । शेष अशुद्ध पानी के शिकार है । जो गरीबी का निर्देशक है ।
(7) शौचालय का अभाव : भारत में 70% जनसंख्या गाँव में निवास करती है । जिन्हें पानीजन्य और चेपीरोग की संभावना अधिक होती है । इससे बचने के लिए स्वच्छता महत्त्वपूर्ण है । और उसके लिए शौचालय महत्त्वपूर्ण हैं । भारत में 66% परिवारों को ही शौचालय की सुविधा प्राप्त हैं अर्थात् 34% शौचालय से अभी भी वंचित हैं ।
(8) आवास का अभाव : आवास की मूलभूत आवश्यकता है । भारत जैसे विकासशील देशों में मकानों की अभी तंगी है । जो गरीबी का निर्देशक है । 60 करोड़ लोग भारत में अभी भी खतरनाक मकानों में रहते हैं ।
(9) बिजली का उपयोग : देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए तथा लोगों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए बिजली की सुविधा महत्त्वपूर्ण है । भारत में बिजली का उपयोग करनेवाला बड़ा वर्ग है । फिर भी बहुत लोग कम प्रतिव्यक्ति आय होने से प्रतिव्यक्ति बिजली का उपयोग बहुत कम है । इस प्रकार बिजली का अभाव गरीबी का निर्देशक है ।
(10) साक्षरता का अभाव : विश्व बैंक के अनुसार 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र व्यक्ति पढ़ और लिख सके तो उसे साक्षरता कहते हैं । साक्षरता के अभाव में अकुशल श्रमिकों का प्रमाण बढ़ता है । जिससे उत्पादकता नीची होती है । वेतन कम होता है । जिससे गरीबी का प्रमाण बढ़ता है ।
वर्ष 2011 में ब्राजिल में साक्षरता 91% थी । जबकि भारत में 74.04%, नेपाल 60% और पाकिस्तान 55% साक्षरता है ।
(11) आय का असमान वितरण : गरीबी का मुख्य कारण आय की असमानता है । वर्ष 2012 में भारत में एक प्रतिशत जनसंख्या के पास 12.6 प्रतिशत राष्ट्रीय आय का हिस्सा प्राप्त होता है । जो गरीबी का निर्देशक है ।
(12) बेरोजगारी की ऊँची दर : प्रवर्तमान वेतन दरों पर काम करने की शक्ति और इच्छा होने के बावजूद काम न मिले तो उसे बेकारी कहते हैं । भारत में वर्ष 2011 में 9 प्रतिशत बेरोजगारी की दर है । जो गरीबी को निर्देशित करती है ।
2. गरीबी का स्वरूप बताकर गरीबी के कारणों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
गरीबी के ख्याल को समझने के लिए अर्थशास्त्रियों ने गरीबी के स्वरूप के आधार पर गरीबी को दो भागों में विभाजित किया गया है :
(1) सापेक्ष गरीबी
(2) निरपेक्ष
* गरीबी गरीबी के कारण : गरीबी के अनेक कारणों में एतिहासिक सामाजिक, आर्थिक कारण जैसे अनेक कारण जवाबदार होते हैं ।
(1) ऐतिहासिक कारण : भारत 17वीं सदी में शहरीकृत और व्यवसायिक राष्ट्र था । भारत में गर्म मसाला, सूती कपड़े, सिल्क आदि का निर्यात किया जाता था । परंतु अंग्रेजो, फ्रेंच, डच जैसी प्रजा के आगमन के बाद उनकी संस्थान और स्वार्थवादी नीति के कारण भारत में कृषि और उद्योगों की परिस्थिति बिगड़ती चली गयी ।
ब्रिटिश शासनकाल के दरम्यान कृषि क्षेत्र की स्थिति नाजुक बनी । एक ओर भारत की कृषि वर्षा पर आधारित थी और दूसरी ओर अंग्रेजो ने सिंचाई के लिए पूँजी निवेश नहीं किया। बार-बार अकाल, जमीनदारी प्रथा, बढ़ती हुयी महसूल की रकम आदि के कारण किसान की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी । किसान ऋण के नीचे डूबता चला गया, किसान बदहाल हो गया और गरीबी में वृद्धि हुयी ।
उद्योगों और व्यापार के सम्बन्ध में अंग्रेजो ने ऐसी व्यापार-नीति, कर-नीति और औद्योगिक नीति अपनायी जिसे अंग्रेज व्यापारियों का भारत में लाभ हो । भारतीय निर्यात के लिए यूरोप के बाजारों में प्रतिबंध लगा दिया । इंग्लैण्ड में उत्पादित वस्तुओं के लिए भारतीय बाज़ार में अनेक प्रकार के टेक्स में छूट-छाट दी भारत के कोने-कोने में मालसामान पहुँचाने के लिए रेलवे का उपयोग किया । भारत में ही भारत के उद्योग इंग्लैण्ड के उद्योगों की स्पर्धा में टिक नहीं सके जिससे भारतीय उद्योगों का पतन हुआ और गरीबी में वृद्धि हुयी ।
2. ग्रामीण गरीबी के कारण : ग्रामीण गरीबी के कारण निम्नानुसार हैं :
(1) प्राकृतिक परिबल : भारत आरम्भ से ही कृषि प्रधान देश है । देश का बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है । भारत की कृषि प्राकृतिक परिबल जैसे बरसाद, जलवायु तत्त्वों पर निर्भर है । बार-बार अकाल, वर्षा की अनियमितता के कारण कृषि क्षेत्र का उत्पादन और आय कम होने से गरीबी के प्रमाण में वृद्धि हुयी ।
(2) जनसंख्या सम्बन्धी परिबल : भारत में स्वतंत्रता के बाद आर्थिक विकास हुआ, स्वास्थ्य में सुधार के कारण मृत्युदर में कमी आयी । परंतु जन्मदर ऊँची रही । जिससे जनसंख्या वृद्धिदर बढ़ी । बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण प्रतिव्यक्ति आय में विशेष वृद्धि नहीं हुयी । जिससे जीवनस्तर नीचा था । बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण श्रम पूर्ति में वृद्धि हुयी परंतु रोजगार के अवसर न बढ़ने से बेकारी सर्जित हुयी परिणाम स्वरूप गरीबी में वृद्धि हुयी ।
(3) आर्थिक कारण : गरीबी के आर्थिक कारण निम्नानुसार हैं :
(1) प्रति श्रमिक कृषि की नीची उत्पादकता : भारत में कृषि क्षेत्र पर जनसंख्या का अधिक भार है । दूसरी और कृषि क्षेत्र । में सिंचाई का अभाव, अपर्याप्त टेक्नोलोजी, शिक्षा और प्रशिक्षण का अभाव, अल्प पूँजीनिवेश आदि कारण उत्पादकता नीची होती है । परिणाम स्वरूप श्रमिक की नीची उत्पादकता रहती है । जिससे गरीबी में वृद्धि होती है ।
(2) जमीन और संपत्ति का असमान वितरण : भारत में अंग्रेजों के शासनकाल से ही जमीनदारी प्रथा के कारण जमीन मुट्ठीभर जमीनदारों के पास थी । जिनका कृषि से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं था परिणाम स्वरूप उन्हें कृषि विकास के लिए पूँजीनिवेश. में रूचि नहीं थी । दूसरी ओर कारकारों, बटाईदारों या कृषि मजदूरों की जमीन मालिकी न होने से उन्हें कृषि उत्पादन में रूचि नहीं थी । परिणाम स्वरूप कृषि क्षेत्र में कृषि उत्पादन और कृषि उत्पादकता नीची होने से गरीबी में वृद्धि हुयी ।
(3) छोटे और गृह उद्योगों का अल्पविकास : भारत में दूसरी पंचवर्षीय योजना से आर्थिक विकास की व्यूहरचना के भाग के रूप में आधारभूत और बड़े उद्योगों को महत्त्व दिया गया । परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और गृह उद्योगों की उपेक्षा की गयी । साथ में कृषि से सम्बन्धित उद्योग जैसे पशुपालन, डेरी उद्योग, मत्स्यपालन आदि के कम विकास के कारण मौसमी बेकारी में वृद्धि हुयी जो गरीबी का कारण बना ।
(4) भाववृद्धि : युद्ध, अकाल, कम राष्ट्रीय उत्पादन, मांग वृद्धि, उत्पादन खर्च में वृद्धि के कारण चीजवस्तुओं और सेवाओं तथा खाद्य वस्तुओं के भाव में तीव्रता से वृद्धि हुयी, जिससे नीची आयवालों की खरीदशक्ति घटी । नीचा जीवनस्तर बना । जिससे गरीबी में वृद्धि हुयी । दूसरी ओर भाववृद्धि के कारण उद्योगपतियों, व्यापारियों और बड़े किसानों को लाभ हुआ आय बढ़ी । जिससे समाज में आय की असमानता में भी वृद्धि होती है ।
(5) बेरोजगारी का ऊँचा प्रमाण : ‘भारत में अधिकांशतः ग्रामीण जनसंख्या कृषि पर निर्भर है । कृषि वर्षा पर निर्भर होने से एक-दो ही फसल ले सकते है । इसलिए कृषि क्षेत्र में मौसमी बेकारी देखने को मिलती है । दूसरी ओर संयुक्त कुटुम्ब प्रथा और रोजगार के अन्य विकल्प न होने से परिवार के सभी सदस्य आवश्यकता न होने पर कृषि क्षेत्र में ही काम करते हैं । परिणाम स्वरूप प्रच्छन्न बेकारी बढ़ती है । परिणाम स्वरूप गरीबी में वृद्धि होती है ।
(4) सामाजिक कारण : भारत में गरीबी के लिए सामाजिक कारण भी जवाबदार हैं :
(1) शिक्षा का नीचा स्तर : गरीबी का एक महत्त्वपूर्ण कारण शिक्षण, प्रशिक्षण और कौशल्य का अभाव है । शिक्षा के नीचे स्तर के कारण कृषि क्षेत्र में नयी टेक्नोलोजी, नयी कृषि पद्धतियाँ, संशोधनों, कृषि उत्पादनों के विक्रय के लिए बाज़ारों का लाभ प्राप्त नहीं होता । परिणाम स्वरूप नीची कृषि उत्पादकता के कारण किसानों की आय कम रहती है । परिणाम स्वरूप गरीबी में वृद्धि होती है ।
(2) लैंगिक असमानता : भारत में स्त्री-पुरुष का कम प्रमाण देखने को मिलता है । समाज में स्त्रियों के स्वास्थ्य पर कम ध्यान देते हैं । जिससे स्त्रियों में कुपोषण, कम वजन, कमजोरी का प्रमाण बढ़ता है । प्रसूति में माता मृत्युदर अधिक होती है । नवजात शिशु का स्वास्थ्य अच्छा नहीं होता है । स्त्रियाँ गृहिणी होने से घर का ही काम करती है । काम के अवसर स्त्रियों को कम मिलते हैं । काम के अवसरों में भी भेदभाव देखने को मिलता है । स्त्रियों में शिक्षा का प्रमाण भी कम होता है । अर्थतंत्र में स्त्रियों की हिस्सेदारी आधे से भी कम है । जिससे परिवार की आय कम होती है और गरीबी में वृद्धि होती है ।
(5) अन्य कारण : इन कारणों के अतिरिक्त अन्य कारण भी गरीबी के लिए जवाबदार हैं :
(1) युद्ध : भारत से पाकिस्तान और चीन की सीमायें जुड़ी है । भारतने इन दोनों से युद्ध का सामना किया है । परिणाम स्वरूप संरक्षण खर्च में वृद्धि होती है । और आर्थिक विकास के पीछे खर्च में कटौती करनी पड़ती है । परिणाम स्वरूप . विकास की दर कम होती है और गरीबी में वृद्धि होती है ।
(2) संरक्षण खर्च में वृद्धि : वारंवार युद्ध के कारण देश की संरक्षण की बात गंभीर बनी है । जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए आधुनिक मिसाइल, लड़ाकू विमान, टेन्क, सबमरीन के पीछे अधिक खर्च करना पड़ता है ।
आतंकवाद का सामना करने के लिए भी सुरक्षा खर्च बढ़ाना पड़ता है । संरक्षण खर्च बिन विकासलक्षी खर्च है । इस खर्च में जितनी वृद्धि होती है उतना ही आर्थिक विकास खर्च कम होता है । आर्थिक विकास धीमा होता है और गरीबी का प्रमाण बढ़ता है ।
(3) खामीयुक्त नीतियों : भारत में आर्थिक विकास के लिए दूसरी पंचवर्षीय योजना से आधारभूत और बड़े उद्योगों को प्राथमिकता दी गयी । परंतु इस नीति में कृषि पर आधारित जनसंख्या की उपेक्षा की गयी । देश की अधिकांशत: जनसंख्या को रोजगार और आय उपलब्ध करानेवाले कृषि क्षेत्र और छोटे और गृह उद्योगों के कम विकास के कारण आय नीची रही । गरीबी और बेकारी को दूर करने के लिए विविध योजनाएं शुरू की गयी । परंतु बार-बार बदलती सरकारों के कारण सातत्य और संकलन का अभाव देखा गया । परिणाम स्वरूप इन खामीयुक्त नीतियों के कारण योजनाओं में लक्ष्यांक के अनुसार गरीबी में कमी नहीं आ सकी ।
3. भारत में गरीबी घटाने के उपायों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में गरीबी घटाने के उपाय निम्नानुसार है :
(1) कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की उत्पादकता में वृद्धि : कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाकर गरीबी को कम कर सकते हैं ।
इसके लिए किसानों को सार्वजनिक कार्यक्रमों द्वारा सुधरी हुयी टेक्नोलोजी, पर्याप्त प्रमाण में और सस्ते दर पर कृषि निक्षेपों, सुधरी हुयी ढाँचाकीय सेवाएँ, उत्पादन के लिए पर्याप्त कीमत और बाज़ार, कृषि संशोधनों की जानकारी पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए ।
(2) छोटे उद्योगों का विकास : भारत में कुल राष्ट्रीय उत्पादन और कुल रोजगारी में छोटे और गृह उद्योगों का योगदान अधिक होता है । इसलिए छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण, उपलब्ध करवाना, उन पर से नियंत्रण कम करना, कच्चा माल, लोन, टेक्नोलोजी उपलब्ध करवाना तथा उत्पादित वस्तु के विक्रय के लिए बाज़ार उपलब्ध करवाना चाहिए । इस प्रकार इन उद्योगों के विकास से गरीबी को दूर कर सकते हैं ।
(3) असंगठित क्षेत्र का विकास : भारत में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है । जिनमें सब्जी विक्रेता, निर्माण क्षेत्र के मजदूर, कृषि मजदूर, हाथलारी चलानेवाले आदि असंगठित क्षेत्र के लोग अधिक हैं । इसलिए ऐसे मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए राष्ट्रीय आयोग ने काम की परिस्थिति निश्चित करना, जीवन बीमा, स्वास्थ्य तथा वृद्धावस्था पेन्शन जैसे सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करवाने की सिफारिश की है ।
(4) उचित कर नीति का उपयोग : भारत में आय की असमानता कम करने के लिए तथा गरीबी घटाने के लिए आय के पुनः वितरण के लिए सरकार द्वारा उचित करनीति का उपयोग किया जाता है । जिसमें धनवानों पर अधिक टेक्स, गरीबों पर कम टेक्स लगाकर कर राहत देनी चाहिए । धनवानों से प्राप्त आय को गरीबों लाभ हो ऐसे कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू करना चाहिए । जिससे गरीबी में कमी आती है ।
(5) मानव पूंजीनिवेश में वृद्धि : गरीबी घटाने के लिए मानव पूंजीनिवेश में वृद्धि आवश्यक है । मानवपूँजी निवेश के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल्यवर्धन में निवेश बढ़ाना चाहिए । जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है आय बढ़ती है । जिससे गरीबी का प्रमाण कम होता है ।
(6) उचित कीमत पर वस्तुएँ और सेवाएँ : अधिक कीमत पर कम आय वाले वस्तु और सेवाएँ न खरीद सकने के कारण गरीबी में वृद्धि होती है । इसलिए गरीबी कम करने के लिए गरीबों को पर्याप्त पोषणयुक्त आहार या खाद्य सुरक्षा (Food Security) प्राप्त हो इस हेतु राहतदर खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाना चाहिए । जिससे प्रत्यक्ष रूप से गरीबी घटा सकते हैं । इस संदर्भ में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के अन्तरगत सस्ते अनाज की दुकानों द्वारा ग्रामीण और शहरी गरीब खरीद सकें उस कीमत पर आधारभूत सुविधाएँ चीजवस्तुएँ उपलब्ध करवायी जाती हैं ।
4. भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गरीबी निम्नानुसार है । जिस पर से पास-पास की स्तंभाकृति बनाकर विश्लेषण कीजिए ।
उत्तर :
विश्लेषण :
- तुलनात्मक अध्ययन के लिए पास-पास की स्तंभाकृति अधिक अनुकूल है ।
- x-अक्ष पर वर्ष और y-अक्ष पर गरीबी प्रतिशत में दर्शायी गयी है ।
- वर्ष 2004-05 में ग्रामीण क्षेत्रों में 41.8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 25.7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे थे।
- 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का प्रमाण घटकर 25.7 प्रतिशत और शहरों में 13.7 प्रतिशत रह गया है ।
- उपरोक्त विश्लेषण पर से कह सकते हैं कि शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की समस्या अधिक है ।
- भारत में से गरीबी दूर करनी हो तो हमें ग्रामीण क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्यक्रमों पर अधिक विचार करना पड़ेगा ।
5. भारत में नीचे कुपोषण का प्रमाण दर्शाया गया है । जिस पर से सामयिक श्रेणी बनाकर विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :
विश्लेषण :
- एक ही प्रकार की जानकारी के लिए सामयिक श्रेणी का उपयोग किया जाता है ।
- x-अक्ष पर वर्ष और y-अक्ष पर कुपोषित व्यक्तियों के प्रमाण को प्रतिशत में दर्शाया गया है ।
- वर्ष 1990-’92 के समय दरम्यान भारत में कुपोषण का प्रमाण 23.7 प्रतिशत था । जो 2000-’02 में घटकर 17.5 प्रतिशत रह गया ।
- वर्ष 2005-’07 में कुपोषित व्यक्तियों का प्रमाण बढ़कर 20.5 प्रतिशत हो गया ।
- वर्ष 2010-’12 में कुपोषित व्यक्तियों का प्रमाण घटकर 15.6% रह गया है ।
- वर्ष 2014-’16 में कुपोषण का प्रमाण 15.2 प्रतिशत है जो 2010-’12 की तुलना में मामूली गिरावट है ।
- इस प्रकार कुपोषण के संदर्भ में ऐसा कह सकते हैं कि भारत में कुपोषित व्यक्तियों का प्रमाण अधिक है । जो नीचे स्वास्थ्य का निर्देश है ।
6. विभिन्न देशों की शीर्ष 1% जनसंख्या के पास वास्तविक राष्ट्रीय आय का हिस्सा दर्शाया गया है । उस पर से पास-पास की स्तंभाकृति बनाकर विश्लेषण कीजिए :
शीर्ष की 1% जनसंख्या के पास वास्तविक रा. आ. का हिस्सा
देश | वर्ष 1998 | वर्ष 2012 |
USA | 15.2 | 18.9 |
UK | 12.5 | 12.7 |
भारत | 9.0 | 12.6 |
उत्तर :
विश्लेषण :
- दो या दो से अधिक सांख्यकीय जानकारी को दर्शाने के लिए पास-पास की स्तंभाकृति अधिक अनुकूल है ।
- वर्ष 1998 में एक प्रतिशत शीर्ष (धनिक) लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का USA में 15.2%, UK में 12.5% और भारत में यह प्रमाण 9 प्रतिशत था ।
- वर्ष 2012 में एक प्रतिशत शीर्ष (धनिक) लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का USA में बढ़कर 18.9%, UK में 12.7 प्रतिशत और भारत में 12.6 प्रतिशत हो गया है ।
- इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत में असमानता का प्रमाण बढ़ रहा है । जिस पर भारत सरकार को विचार करना चाहिए ।