GSEB Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या

GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या

GSEB Class 12 Economics जनसंख्या Text Book Questions and Answers

स्वाध्याय
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :

1. भारत में सर्वप्रथम जनगणना किसके द्वारा की गयी ?
(A) जमशेदजी टाटा
(B) स्वामीनाथन
(C) दीनदयाल उपाध्याय
(D) दादाभाई नवरोजी
उत्तर :
(A) जमशेदजी टाटा

2. ई.स. 2021 से 2025 के वर्ष तक भारत में जनसंख्या कितने करोड़ होने का अनुमान है ?
(A) 155 करोड़
(B) 130 करोड़
(C) 139.98 करोड़
(D) 180 करोड़े
उत्तर :
(C) 139.98 करोड़

3. भारत में सर्वप्रथम जनगणना किस वर्ष में की गयी ?
(A) ई.स. 1901
(B) ई.स. 1951
(C) ई.स. 1891
(D) ई.स. 1921
उत्तर :
(C) ई.स. 1891

4. ई.स. 1901 में भारत की कुल जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 22.2 करोड़
(B) 25.2 करोड़
(C) 102.7 करोड़
(D) 23.8 करोड़
उत्तर :
(D) 23.8 करोड़

5. भारत में आयोजन का आरम्भ किस वर्ष में हुआ ?
(A) ई.स. 1901
(B) ई.स. 1951
(C) ई.स. 1950
(D) ई.स. 2000
उत्तर :
(B) ई.स. 1951

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6. ई.स. 2011 में भारत की कुल जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 36.1 करोड़
(B) 54.8 करोड़
(C) 121.02 करोड़
(D) 23.8 करोड़
उत्तर :
(C) 121.02 करोड़

7. विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या रखनेवाला देश ………………………
(A) चीन
(B) भारत
(C) ऑस्ट्रेलिया
(D) अमेरिका
उत्तर :
(A) चीन

8. भारत के किस राज्य में प्रति 1000 पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का प्रमाण अधिक है ?
(A) गुजरात
(B) महाराष्ट्र
(C) केरल
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर :
(C) केरल

9. ई.स. 2011 में भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण कितना था ?
(A) 930
(B) 950
(C) 940
(D) 970
उत्तर :
(C) 940

10. ई.स. 2011 में भारत में जन्मदर का प्रमाण कितना था ?
(A) 21.8
(B) 36.8
(C) 72.0
(D) 23.8
उत्तर :
(A) 21.8

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11. वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या कितने अरब है ?
(A) 7
(B) 6
(C) 5
(D) 4
उत्तर :
(A) 7

12. 1951 में भारत की जनसंख्या कितने करोड़ थी ?
(A) 102.7 करोड़
(B) 36.1 करोड़
(C) 121.02 करोड़
(D) 21.1 करोड़
उत्तर :
(B) 36.1 करोड़

13. भारत में औसत जनसंख्या वृद्धिदर कितने प्रतिशत के आसपास रही है ?
(A) 2 प्रतिशत
(B) 1 प्रतिशत
(C) 2.5 प्रतिशत
(D) 1.5 प्रतिशत
उत्तर :
(C) 2.5 प्रतिशत

14. किस वर्ष के बाद शीघ्रता से वृद्धि हुयी जिसे जनसंख्या विस्फोट कहते हैं ?
(A) 1960
(B) 1950
(C) 1930
(D) 1970
उत्तर :
(D) 1970

15. भारत में सर्वप्रथम जनगणना की शुरुआत जमशेदजी टाटा ने किस वर्ष में की ?
(A) 1871
(B) 1981
(C) 1891
(D) 2001
उत्तर :
(A) 1871

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16. भारत में कितने वर्षों के बाद जनगणना की जाती है ?
(A) 5 वर्ष
(B) 10 वर्ष
(C) 15 वर्ष
(D) 20 वर्ष
उत्तर :
(B) 10 वर्ष

17. 1901 से 1911 तक समय दरम्यान जनसंख्या में कितने प्रतिशत वृद्धि हुयी ?
(A) 5%
(B) -5.7%
(C) 5.7%
(D) -0.3%
उत्तर :
(C) 5.7%

18. 1911 से 1921 के दशक में जनसंख्या में कितने प्रतिशत की कमी आयी ?
(A) 5%
(B) -5.7%
(C) 5.7%
(D) -0.3%
उत्तर :
(D) -0.3%

19. किस वर्ष को महान विभाजक वर्ष कहते हैं ?
(A) 1921
(B) 1951
(C) 2001
(D) 1991
उत्तर :
(A) 1921

20. 1951 से 2001 के समय दरम्यान जनसंख्या में कितने करोड़ की वृद्धि हुयी है ?
(A) 7.7 करोड़
(B) 66.6 करोड़
(C) 10 करोड़
(D) 19.7 करोड़
उत्तर :
(B) 66.6 करोड़

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21. प्रवर्तमान समय में भारत में वार्षिक जनसंख्या वृद्धि लगभग कितने लाख जितनी है ?
(A) 110 लाख
(B) 180 लाख
(C) 170 लाख
(D) 160 लाख
उत्तर :
(C) 170 लाख

22. जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर कौन-सा देश है ?
(A) चीन
(B) यू.एस.
(C) पाकिस्तान
(D) भारत
उत्तर :
(D) भारत

23. 2011 में केरल में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण कितना था ?
(A) 1081
(B) 1050
(C) 1080
(D) 1011
उत्तर :
(A) 1081

24. भारत में सबसे कम जाति-प्रमाण किस राज्य में है ?
(A) केरल
(B) मध्य प्रदेश
(C) अरुणाचल प्रदेश
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर :
(C) अरुणाचल प्रदेश

25. 1901 में ग्रामीण जनसंख्या कितने करोड थी ?
(A) 21.4 करोड़
(B) 21.2 करोड़
(C) 20.2 करोड़
(D) 19.2 करोड़
उत्तर :
(B) 21.2 करोड़

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26. 2011 में ग्रामीण जनसंख्या कितने करोड़ थी ?
(A) 21.2 करोड़
(B) 68 करोड़
(C) 70 करोड़
(D) 83.02 करोड़
उत्तर :
(D) 83.02 करोड़

27. 2011 में शहरी जनसंख्या कितने करोड़ थी ?
(A) 38.0 करोड़
(B) 2.6 करोड़
(C) 21.2 करोड़
(D) 83.02 करोड़
उत्तर :
(A) 38.0 करोड़

28. 1951 में भारत में जन्मदर का प्रमाण कितना था ?
(A) 21.8
(B) 39.9
(C) 25.0
(D) 25.1
उत्तर :
(B) 39.9

29. 2011 में भारत की मृत्युदर कितनी थी ?
(A) 8.9
(B) 8.1
(C) 7.1
(D) 7.8
उत्तर :
(C) 7.1

30. 1951 में भारत की मृत्युदर कितनी थी ?
(A) 25.8
(B) 40.8
(C) 26.1
(D) 27.4
उत्तर :
(D) 27.4

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31. स्त्री शिक्षण और बालकों की संख्या के बीच सम्बन्ध कैसा होता है ?
(A) व्यस्त
(B) सीधा
(C) स्थिर
(D) तटस्थ
उत्तर :
(A) व्यस्त

32. 1951 में भारत में बालमृत्युदर का प्रमाण कितना था ?
(A) 40.8
(B) 146
(C) 150
(D) 110
उत्तर :
(B) 146

33. 2011 में बालमृत्युदर का प्रमाण कितना है ?
(A) 146
(B) 41.40
(C) 140
(D) 14
उत्तर :
(B) 41.40

34. किस वर्ष की नीति में महिला विकास पर अधिक ध्यान दिया गया ?
(A) 1951
(B) 1991
(C) 2000
(D) 2011
उत्तर :
(C) 2000

35. 2000 की जनसंख्या नीति में महिलाओं के विवाह की उम्र कितने वर्ष सूचित किया है ?
(A) 16 वर्ष
(B) 18 वर्ष
(C) 17 वर्ष
(D) 20 वर्ष
उत्तर :
(D) 20 वर्ष

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।

1. सभी समस्याओं के मूल में कौन-सी समस्या है ?
उत्तर :
सभी समस्याओं के मूल में जनसंख्या वृद्धि हैं ।

2. क्रियाशील और अक्रियाशील जनसंख्या अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जो जनसंख्या उत्पादन में योगदान दे उसे काम करने वाली जनसंख्या (15 से 64 वर्ष) कहते हैं ।
जो जनसंख्या उत्पादन में योगदान न दे तो उसे काम न करनेवाली जनसंख्या (0-14 वर्ष एवं 64 वर्ष से अधिक) कहते हैं ।

3. ई.स. 2011 में जनसंख्या वृद्धि दर कितनी थी ?
उत्तर :
ई.स. 2011 में जनसंख्या वृद्धि दर 1.64% थी ।

4. विश्व जनसंख्या में भारत का क्रम कौन-सा है ?
उत्तर :
विश्व जनसंख्या में भारत का क्रम दूसरा है ।

5. ई.स. 2011 में गुजरात में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
ई.स. 2011 में गुजरात में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण 918 था ।

6. आयु-वर्ग के अनुसार जनसंख्या का बंटवारा अर्थात् क्या ?
उत्तर :
भारत की जनसंख्या में आयु वर्ग के अनुसार वितरण अर्थात् देश की जनसंख्या का विविध आयु-समूह में विभाजन ।

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7. किस आयु-वर्ग में भारत में सबसे अधिक जनसंख्या देखने को मिलती है ?
उत्तर :
15 से 64 वर्ष के आयु वर्ग में भारत में सबसे अधिक जनसंख्या 64.3 प्रतिशत है ।

8. भारत में 2011 में ग्रामीण और शहरी जनसंख्या का प्रतिशत कितना था ?
उत्तर :
भारत में 2011 में ग्रामीण और शहरी जनसंख्या का प्रतिशत प्रमाण क्रमश: 68.0% और 32% था ।

9. बालमृत्युदर अर्थात् क्या ? ।
उत्तर :
जीवित जन्मे प्रति हजार बालकों में से एक वर्ष की आयु पूरी किये बिना मृत्यु पानेवाले बालकों की संख्या को बालमृत्युदर कहते हैं ।

10. जनसंख्या रुझान अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जनसंख्या रुझान अर्थात् जनसंख्या का कद, जनसंख्या वृद्धिदर, जन्मदर, मृत्युदर, शहरी जनसंख्या, ग्रामीण जनसंख्या और स्त्री पुरुष के प्रमाण से सम्बन्धित सांख्यकीय जानकारी प्राप्त करके उसका अर्थघटन करना ।

11. स्वतंत्रता के बाद प्रथम जनगणना का पत्रक किस वर्ष में तैयार हुआ ?
उत्तर :
स्वतंत्रता के बाद प्रथम जनगणना का पत्रक 1951 में तैयार हुआ ।

12. जनसंख्या का कद अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जनसंख्या का कद अर्थात् अलग-अलग वर्षों के दरम्यान भारत की कुल जनसंख्या अथवा प्रमाण ।

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13. जनसंख्या वृद्धिदर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जनसंख्या में होनेवाली वृद्धि के प्रतिशत प्रमाण को जनसंख्या वृद्धि दर कहते हैं ।

14. ऊँची मृत्युदर के कारण क्या है ?
उत्तर :
अकाल, जान लेवा विविध रोगों के कारण मृत्युदर ऊँची रहती है ।

15. किस वर्ष को महान विभाजक वर्ष कहते हैं ?
उत्तर :
1921 के वर्ष को महान विभाजक वर्ष कहते हैं ।

16. चीन की कुल जनसंख्या कितने करोड़ है ?
उत्तर :
चीन की कुल जनसंख्या 134.10 करोड़ के साथ विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है ।

17. स्त्री-पुरुष का प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को स्त्री-पुरुष का प्रमाण या जाति प्रमाण या लिंग अनुपात कहते हैं ।

18. वर्ष 2011 में भारत में स्त्री और पुरुषों का प्रमाण कितना था ।
उत्तर :
वर्ष 2011 में भारत में स्त्रियाँ 58.65 करोड़ (48.46%) और पुरुषों का प्रमाण 62.37 करोड़ (51.54%) था ।

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19. स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण कौन-से प्रश्न खड़े होते हैं ?
उत्तर :
स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण विवाह, परिवार, प्रजनन अर्थव्यवस्था आदि में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं ।

20. 0 से 14 वर्ष के आयु-वर्ग में वर्ष 2014 में लोगों का प्रमाण कितना था ?
उत्तर :
0 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में वर्ष 2014 में लोगों का प्रमाण 29.21% है ।

21. सबसे कम जनसंख्या किस आयु वर्ग में है ?
उत्तर :
सबसे कम जनसंख्या 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में वर्ष 2011 में 5.2% है ।

22. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर रोजगार तथा आधारभूत सुविधाओं से प्रभावित होकर आते हैं ?
उत्तर :
ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर रोजगार तथा आधारभूत सुविधाओं से प्रभावित होकर आते हैं ।

23. जन्मदर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वर्ष दरम्यान प्रतिहजार की जनसंख्या पर जन्म लेनेवाले बालकों की संख्या को जन्मदर कहते हैं ।
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24. ऊँचे जन्मदर के कारण बताइए ।
उत्तर :
ऊँचे जन्मदर के मुख्य कारणों में शिक्षा का नीचा स्तर, पुत्र प्राप्ति की इच्छा, आयु का नीचा स्तर आदि जवाबदार हैं ।

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25. मृत्युदर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वर्ष दरम्यान प्रतिहजार की जनसंख्या पर मृत्यु पानेवाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं । __
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26. पु-नाम के नर्क से तारे उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर :
पु-नाम के नर्क से तारे उसे पुत्र कहते हैं ।

27. प्रजनन दर किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वर्ष दरम्यान 15 से 49 वर्ष की आयु रखनेवाली प्रति 1000 स्त्रियों की कोख से जीवित जन्म लेनेवाले बालकों की संख्या को प्रजननदर कहते हैं ।

28. भारत में किस उम्र की महिलाएँ मातृत्व को धारण कर सकती हैं ?
उत्तर :
भारत में 15 से 49 वर्ष की महिलाएँ मातृत्व धारण कर सकती हैं ।

29. परिवार नियोजन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
‘परिवार नियोजन अर्थात् आयोजित मातृत्व और पितृत्व द्वारा परिवार को समझपूर्वक मर्यादित रखना और दो बच्चों के बीच उचित अंतर (समयमर्यादा) निश्चित करना ।’

30. 2000 की जनसंख्या नीति के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर :
2000 की जनसंख्या नीति के अध्यक्ष डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन थे ।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए :

1. ई.स. 1921 के वर्ष को महान विभाजक वर्ष के रूप में क्यों जाना जाता है ?
उत्तर :
1921 के वर्ष से पूर्व जनसंख्या धीमी और अनियमित थी । तथा 1921 के वर्ष के बाद जनसंख्या वृद्धिदर ऊँची रही है । इसलिए 1921 वर्ष को महान विभाजक वर्ष के रूप जाना जाता है ।

जैसे : 1901 में जनसंख्या 23.8 करोड़ और 1911 में 25.2 करोड़ थी । 1911 से 1921 के दशक में जनसंख्या में -0.3 प्रतिशत की कमी हुयी । 1951 में जनसंख्या 36.1 करोड़ तथा 2011 में 121.02 करोड़ हो गयी है । इस प्रकार हम देख रहे हैं कि 1921 से पूर्व जनसंख्या वृद्धिदर धीमी है । उसके बाद उत्तरोत्तर वृद्धि हुयी है ।

2. उत्पादक और अनुत्पादक जनसंख्या अर्थात् क्या ? ।
उत्तर :
उत्पादक जनसंख्या – जो जनसंख्या उत्पादन में योगदान देती हो उसे उत्पादक वर्ग या सक्रीय जनसंख्या कहते हैं । जैसे – 15 से 64 वर्ष के लोगों को उत्पादक आयुवर्ग के नाम से जानते हैं ।

अनुत्पादक जनसंख्या : जो व्यक्ति उत्पादन में योगदान न देता हो उसे अनुत्पादक आयु वर्ग कहते हैं । जिसमें 0 से 14 वर्ष एवं 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का समावेश होता है । इनके अलावा अपंग, अपाहिज, गृहिणी आदि का समावेश होता है ।

3. जन्मदर का अर्थ बताकर जन्मदर मापने का सूत्र बताइए ।
त्तर :
एक वर्ष के दरम्यान प्रतिहजार की मानव जनसंख्या पर जन्म लेनेवाले बालकों की संख्या को जन्मदर कहते हैं ।
GSEB Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या 3
जन्मदर को प्रतिशत में नहीं दर्शाते है परंतु प्रत्येक 1000 की जनसंख्या पर कितनी वृद्धि हुयी है इसके आधार पर जन्मदर का ख्याल आता है ।

4. मृत्युदर का अर्थ बताकर मृत्युदर मापने का सूत्र दर्शाइए । ,
उत्तर :
वर्ष दरम्यान प्रतिहजार की जनसंख्या पर मृत्यु पानेवाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं ।
GSEB Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या 4
मृत्युदर को भी प्रतिशत में नहीं दर्शाते है । परंतु प्रति 1000 की जनसंख्या पर कितनी मृत्यु हुयी है । इसके आधार पर मृत्युदर का ख्याल आता है ।

5. जनसंख्या नीति का अर्थ बताइए ।
उत्तर :
भारत में स्वतंत्रता के बाद जनसंख्या विस्फोट हुआ है, जिससे जनसंख्या में अनेक गुना अधिक वृद्धि हुयी है । 1951 में भारत की जनसंख्य 36.1 करोड़ थी 2011 में बढ़कर 121.02 करोड़ हो गयी । इस बढ़ती जनसंख्या के कारण मुद्रास्फीति, गरीबी, बेरोजगारी, शहरीकरण, पर्यावरण, असंतुलन जैसी विकट परिस्थितियों का सर्जन हुआ है । देश में प्रतिव्यक्ति आय तथा प्रतिव्यक्ति अनाज की उपलब्धता में कमी आयी है । भारत में आर्थिक विकास की दर ऊँची प्राप्त करना तथा लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना हो तो जनसंख्या नियमन करना अनिवार्य है । 1951 से जनसंख्या नियमित के लिए सरकार ने जनसंख्या नीति की रचना की अंतिम 2000 की जनसंख्या नीति डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बनी । जनसंख्या नीति अर्थात् जनसंख्या नियमन के कार्यक्रम, उद्देश्य, अमल निर्धारित करना ।

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6. जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों के बीच कौन-सी दो बातें महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर :
जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनो के बीच दो महत्त्वपूर्ण बाते हैं :

  1. जनसंख्या बढ़ने से सीमित प्राकृतिक संसाधनों का नाश शीघ्रता से होगा जो दीर्घकालीन समय के बाद भविष्य पीढी के लिए खतरा बनेगा ।
  2. कम पढ़ी लिखी जनसंख्या बढ़ने से प्राकृतिक संपत्ति का ईष्टतम उपयोग नहीं होगा जो किसी भी देश में आर्थिक विकास के लिए अवरोधक होगी ।

7. भारत में जन्मदर के प्रमाण की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में जनसंख्या नीति निश्चित करने में जन्मदर के अंक खूब उपयोगी सिद्ध होते हैं ।
भारत में जन्मदर का प्रमाण

वर्ष जन्मदर (प्रति 1000 व्यक्तियों दर)
1951 39.9
2011 21.8

निष्कर्ष : भारत में 1951 में जन्मदर का प्रभाव 39.9 था जो 2011 में 21.8 हो गया है । जो जन्मदर में धीमी गति से कमी आयी है । जिसका मुख्य कारण शिक्षा का नीचा प्रमाण, पुत्र प्राप्ति की इच्छा, आय का नीचा स्तर आदि जवाबदार है ।

8. भारत में मृत्युदर के प्रमाण की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में मृत्युदर का प्रमाण निम्नानुसार है :

वर्ष मृत्युदर (प्रति 1000 व्यक्तियों पर)।
1951 27.4
2011 7.1

निष्कर्ष : भारत में 1951 में मृत्युदर का प्रमाण 27.4 था जो 2011 में घटकर 7.1 रह गया । इस प्रकार जन्मदर की तुलना में मृत्युदर में अधिक कमी आयी है । जिसके मुख्य कारण अकाल पर नियंत्रण, जीवनस्तर में सुधार, पौष्टिक आहार, चिकित्सा में सुधार, शिक्षा में वृद्धि, चिकित्सा विज्ञान और ऑपरेशन क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय संशोधनो से चेपी रोग पर नियंत्रण आदि
परिबल जवाबदार है ।

9. भारत में ऊँची जन्मदर का एक कारण पुत्र प्राप्ति की इच्छा है ? समझाइए ।
उत्तर :
भारतीय समाज पुरुष प्रधान है । यहाँ पुत्री की अपेक्षा पुत्र निम्नलिखित कारणों से महत्त्व दिया जाता है :

  1. पु-नाम के नर्क से तारे उसे पुत्र कहते हैं । ऐसी मान्यता है ।
  2. वंश को आगे बढ़ाने के लिए ।
  3. बुढ़ापे में आर्थिक सहारा खड़ा करने के लिए ।
    इन कारणों से पुत्र की इच्छा में ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।

10. स्त्री शिक्षा और बालकों की संख्या के बीच व्यस्त सम्बन्ध है । चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
शिक्षा और जनसंख्या वृद्धि के बीच गहरा सम्बन्ध है । इसमें विशेष स्त्रीशिक्षण विशेष है । अपर्याप्त शिक्षा कारण छोटे परिवार का महत्त्व नहीं समझते हैं । परिणाम स्वरूप परिवार का कद बड़ा होता है । स्त्रियों में जैसे-जैसे शिक्षा का प्रमाण बढ़ता है वैसे-वैसे बालकों की संख्या घटती हैं, अशिक्षित स्त्रियों की तुलना में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त स्त्रियों कम बालकों को जन्म देती है । इसी प्रकार प्राथमिक शिक्षा की तुलना में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्रियाँ कम बच्चों को जन्म देती है । इस प्रकार स्त्रियों में जैसे जैसे शिक्षा का प्रमाण बढ़ता है । वैसे-वैसे बालको की संख्या कम होती है । इसलिए हम कह सकते हैं कि स्त्री शिक्षा और बालकों की संख्या के बीच व्यस्त सम्बन्ध है ।

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11. गरीब परिवार बालकों को जवाबदारी नहीं संपत्ति समझते हैं । विधान की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
गरीब परिवारों में बालक बचपन से ही छोटा-मोटा काम करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता करते है । जैसे.- चाय की लारी पर कप-प्लेट धोता है । होटलों में बर्तन साफ करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता करते हैं । गरीब परिवारों में कहावत है कि ‘अधिक हाथ समृद्धि का सस्थ’ गरीब परिवार ऐसा मानते हैं अधिक बालक होंगे तो परिवार की आय में वृद्धि करेंगे । इसलिए गरीब परिवार बालक को जवाबदारी नहीं संपत्ति समझते हैं ।

12. ऊँची जन्मदर के लिए प्रजनन की ऊँची दर भी जवाबदार है । समझाइए ।
उत्तर :
भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देश में स्त्रियाँ कम उम्र में ही मातृत्व धारण करने की क्षमता रखती हैं । भारत में 15 से 49 वर्ष की स्त्रियाँ मातृत्व धारण करने की क्षमता रखती हैं । यदि स्त्रियों का कम उम्र में विवाह कर दिया जाये तो प्रजनन दर लंबी होती है । इसलिए जन्मदर भी ऊँची रहती है ।

13. बचत पर की असर पर विवाद है । समझाइए ।
उत्तर :
सत्य है । कारण कि जनसंख्या वृद्धिदर का बचत पर विपरीत असर पड़ता है । यह सर्वमान्य ख्याल है । इस पक्ष के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जनसंख्या बढ़ने से उपभोग खर्च में वृद्धि होती है । परिणामस्वरूप बचत में कमी आती है । साथ ही जनसंख्या वृद्धि से अनुत्पादकीय वर्ग में वृद्धि होती है जिससे जो उत्पादकीय वर्ग की आय पर यह असर करते हैं । राष्ट्रीय आय भी अधिकांश खर्च लोगों के उपभोग के खर्च के पीछे हो जाता है परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय की बचतदर भी कम होती है । परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धिदर बचत पर विपरीत असर डालती है ।

विरोधी विचारवाले अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बचत अधिकांशत: धनिक लोग ही करते हैं और धनवानों में जन्मदर नीची होती है । कम आयवाले परिवारों में तो अतिरिक्त बालक का खर्च कम होता है । बचत का तो प्रश्न ही खड़ा नहीं होता है ।

14. भारत में जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में अवरोध सिद्ध हुई है ।
उत्तर :
सत्य है । भारत में जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में अवरोध सिद्ध हुई है, जिसके लिए जवाबदार कारण निम्नानुसार हैं :

  1. आयोजन के वर्षों में राष्ट्रीय आय में 4% तथा जनसंख्या में 2.5% की दर से वृद्धि हुई है । जिससे प्रतिव्यक्ति आय में 1.5% की दर से वृद्धि हुई है ।
  2. आयोजनकाल के दरम्यान अनाज के उत्पादन में तीन गुना वृद्धि हुई है लेकिन प्रतिव्यक्ति अनाज की उपलब्धता में बढ़ने की बजाय घटी है ।
  3. देश में बालक एवं बूढ़ों की संख्या बढ़ने से अनुत्पादक आयु वर्ग में वृद्धि हुई है ।
  4. भारत में जनसंख्या वृद्धि होने से रोजगारी मांगनेवालों की संख्या बढ़ती है । लेकिन रोजगार के अवसरों में वृद्धि नहीं होती है । परिणामस्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि होती है ।
  5. कृषि पर जनसंख्या का बोझ बढ़ने से कृषि क्षेत्र में अनार्थिक जोत के तत्त्व का निर्माण हुआ है, जिसके कारण कृषि उत्पादकता में कमी आई है।
  6. कृषि उत्पादन एवं औद्योगिक उत्पादन में हुए मंद विकास के कारण मुद्रास्फीति का प्रमाण बढ़ा है ।
  7. धनिकों की अपेक्षा गरीब परिवारों में जनसंख्या अधिक होने के कारण समाज में आय की तीव्र पैदा हुई है ।
    इस प्रकार भारत में जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में अवरोध सिद्ध हुई है ।

15. भारत में ऊँचे जन्मदर के लिए गरीबी विशेष रूप से जवाबदार है । समझाइए ।
उत्तर :
सत्य है । गरीब परिवारों में बालक के पालनपोषण शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सामाजिक खर्च नहिंवत् होता है । दूसरी ओर गरीब परिवारों में बालक बचपन से ही काम करने लगता है । चाय के गल्ले पर, बूट पॉलिश, खेती में आदि में बालक काम करते हैं, जिससे गरीब परिवार बालक को आय का साधन मानते हैं । परिणामस्वरूप भारत में ऊँचे जन्मदर के लिए गरीबी विशेषरूप से जवाबदार हैं ।

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16. भारत में ऊँचे जन्मदर के लिए बालमृत्यु का ऊँचा प्रमाण विशेष रूप से जवाबदार है ।
उत्तर :
सत्य है । भारत में अब भी बालमृत्यु का प्रमाण ऊँचा है तथा जिससे परिवार में एक या दो बालकों के मृत्यु होने से ऐसे परिवार अधिक भयभीत होते हैं तथा निसंतान के डर से दो या दो से अधिक बालक रखने की इच्छा रखते हैं । परिणामस्वरूप भारत में ऊँचे जन्मदर के लिए बालमृत्यु का ऊँचा प्रमाण विशेष रूप से जवाबदार है ।

17. शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने से भारत में मृत्युदर में कमी हुई है।
उत्तर :
सत्य है । भारत में 2010-11 की जनगणना के दौरान देश में साक्षरता का प्रमाण 75.06% था । शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने से लोगों में आरोग्य सम्बन्धी विचारधारा में बदलाव आता है । पौष्टिक खुराक लेने तथा स्वास्थ्यविषयक जानकारी प्राप्त होने से लोगों में रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है । शिक्षित परिवारों में बच्चों के आरोग्य सम्बन्धी कदम अत्यंत सावधानीपूर्वक उठाये जाते हैं । महिलाओं में शिक्षा का प्रचार होने से जन्मदर को नियंत्रित करने सम्बन्धी परिवार नियोजन के साधन तथा उनके उपयोग सम्बन्धी ज्ञान में वृद्धि हुई है, जिससे उनमें छोटा परिवार सुखी परिवार की भावना का विकास हुआ है । प्रौढ़ शिक्षण के माध्यम से भी शिक्षा का प्रचार होने से जन्मदर को नियंत्रित करने में सहायता प्राप्त हुई है, शिक्षित माता-पिता अधिक जागरूक होते हैं तथा अंधविश्वास, रुढ़िवादिता समाप्त होती है । शिक्षित परिवारों में रोगों के लक्षण, कारण तथा दूर करने के उपाय, प्राथमिक उपचार संबंधी ज्ञान का विकास हुआ है, जो मृत्युदर को कम रखने में सहायक सिद्ध हुआ है ।

18. भारत में जनसंख्या नियमन अनिवार्य है ।
उत्तर :
सत्य है । भारत में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करना अनिवार्य है । बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश में कई ज्वलंत प्रश्नों को जन्म दिया है । गरीबी, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, शहरीकरण, पर्यावरण का असंतुलन इत्यादि । इन आधारभूत प्रश्नों को हल करने के लिए जनसंख्या नियमन अनिवार्य हैं । जनसंख्या को नियंत्रित करके आर्थिक विकास का ऊँचा दर प्राप्त करते हुए समतोल आर्थिक विकास का उद्देश्य सिद्ध किया जा सकता है । भारत के आर्थिक-सामाजिक प्रश्नों के मूल में बढ़ती हुई जनसंख्या है । जनसंख्या नियमन द्वारा ही इन प्रश्नों को हल किया जा सकता है । इसलिए भारत में जनसंख्या नियमन अनिवार्य है ।

19. जनसंख्या वृद्धिदर के लिए पुत्र प्राप्ति की इच्छा भी विशेषरूप से जवाबदार है ।
उत्तर :
सत्य है । भारतीय समाज पुरुषप्रधान समाज है । भारत में एक ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पिता की मृत्यु के बाद पुत्र द्वारा उत्तरक्रिया (पिण्डदान) करने से मोक्ष प्राप्त होता है । पुं नाम के नर्क से निकाले वह पुत्र । इस प्रकार भारतीय दंपति एक पुत्र की इच्छा रखते है । इसलिए पुत्र की लालसा में कई पुत्रियों का जन्म हो जाता है । भारतीय प्रजा अति धार्मिक तथा रूढ़िगत होने से परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग नहीं करते हैं । परिणामस्वरुप जन्मदर ऊँची होती है ।

20. भारत में जनसंख्या जवाबदारी रूप में बढ़ रही है ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । कारण कि भारतीय अर्थतंत्र में चीजवस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन देश की जनसंख्या की तुलना में कम है । परिणामस्वरुप देश की जनसंख्या की आवश्यकतायें पूरी नहीं हो पाती । देश में प्रत्येक वर्ष जनसंख्या बढ़ती जाती है । जिसके कारण आवश्यक चीजवस्तुओं की कमी सर्जित हो रही है । जिसकी वजह से देश में गरीबी और बेकारी बढ़ रही है । शिक्षा, चिकित्सा, आवास, परिवहन आदि की समस्या विकट बनती जा रही है ।

21. संयुक्त परिवार प्रथा जन्मदर को प्रभावित करती है ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । कारण कि जिम्मेदारी का बोझ नहीं रहता । बच्चे की जिम्मेदारी परिवार के अनेक सदस्यों के बीच वितरित हो जाती है । जिसके परिणामस्वरूप नवदंपति बच्चों की संख्या सीमित रखने के विषय में गम्भीरतापूर्वक नहीं सोचते, जिसके कारण जन्मदर बढ़ती है।

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22. जनसंख्या विस्फोट के कारण बेकारी की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।
उत्तर :
यह विधान असत्य है । क्योंकि जब जनसंख्या विस्फोटक रूप में बढ़ रही हो और आर्थिक विकास उस अनुपात में न हो पा रहा हो तो रोजगार के अवसर धीमी गति से बढ़ती है । परिणामस्वरूप जब श्रम का आपूर्ति बहुत तेजी से बढ़ रही हो और रोजगार सभी के लिए उपलब्ध न हो पाते हो तो बेकारों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है । भारत में सन् 1981 में बेकारों की संख्या 178 लाख थी, जो कि बढ़कर 1998 में 402 लाख हो गई ।

23. भारत में गरीबी और बेकारी का प्रमाण घटाना हो तो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना चाहिए ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । कारण कि गरीबी और बेकारी का प्रमाण घटाने में जनसंख्या वृद्धि एक बड़ा अवरोध बनती है । देश का धीमा आर्थिक विकास जनसंख्या वृद्धि के कारण उसी में शोषित हो जाता है । लोगों की प्रतिव्यक्ति आय घटती है; जिसके कारण लोगों के जीवनस्तर में कोई खास परिवर्तन नहीं होता । बढ़ती हुई आबादी के प्रमाण में रोजगार के साधन नहीं उपलब्ध हो पाते । जिसके कारण बेकारी में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है । बेकारी के कारण ही गरीबी का प्रमाण भी बढ़ता है । इसलिए गरीबी और बेकारी घटाने के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना पड़ेगा ।

24. जनसंख्या विस्फोट देश के कृषि क्षेत्र को प्रभावित करता है ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । क्योंकि जनसंख्या तेजगति से बढ़ती है, तो कृषि क्षेत्र पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता है । जैसे-1901 में भारत में प्रतिव्यक्ति खेती योग्य जमीन का औसत प्रमाण 0.43 हेक्टर जितना था, जो कि घटकर सन् 1994-1996 के दौरान 0.17 हेक्टर जितना रह गया । परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता की वृद्धिदर घटी है जबकि प्रति श्रमिक कृषि उत्पादकता का प्रमाण भी घटा है । परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेकारी और अर्धबेकारी का प्रमाण बढ़ा है ।

25. शहरी दंपति बच्चों की संख्या सीमित रख्नने को प्रेरित होते हैं ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । क्योंकि शहरों में औद्योगिकीकरण के कारण गाँवों की तुलना में विकास अधिक होता है और रोजगार के अवसर अधिक होते हैं । शहरों में सामान्य शिक्षा और स्त्रीशिक्षा अधिक होती है । पढ़ी-लिखी और व्यवसायिक महिलायें छोटा परिवार पसंद करती हैं । गाँवों की तुलना में शहरों में जीवन-निर्वाह का खर्च अधिक होता है । बच्चे के पालन-पोषण का खर्च अधिक रहने के कारण शहरी दंपत्ति छोटा परिवार पसंद करते हैं । वैसे भी शहरों में साक्षरता का अनुपात अधिक होता है और शिक्षा मनुष्य की समझशक्ति को विकसित करती है ।

26. जीवनस्तर में सुधार होने से जन्मदर बढ़ती है ।
उत्तर :
यह विधान असत्य है । क्योंकि जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास होता जाता है, वैसे-वैसे निम्नस्तर के करोड़ों लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार होता जाता है । आर्थिक विकास तेज होने से उत्पादकता बढ़ती है, प्रतिव्यक्ति आय भी बढ़ती है । औसत जीवनस्तर में सुधार होता है । गरीबों की आय बढ़ने पर वे अधिक पौष्टिक भोजन ले पाते है, जिससे उनकी रोगप्रतिकारक क्षमता बढ़ती है । जिससे मृत्युदर घटती है । और जीवनस्तर सुधरने से जन्मदर नहीं बढ़ती है ।

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27. सन् 1931 का वर्ष महान विभाजक वर्ष के रूप में जाना जाता है ।
उत्तर :
यह विधान असत्य है । क्योंकि सन् 1921 का वर्ष महान विभाजक वर्ष के रूप में जाना जाता है । 1911 से 1921 के दशक में भारत की जनसंख्या में वृद्धि होने की बजाय 0.03% जितनी कमी हो गई । 1911 में भारत की जनसंख्या 25.2 करोड़ थी जो कि घटकर 1921 में 25.1 करोड़ रह गई । परन्तु 1921 के बाद भारत की जनसंख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई । इसलिए 1921 का वर्ष भारत में जनसंख्या के इतिहास में महान विभाजक वर्ष (The year of great divider) के रूप में जाना जाता है ।

28. जनसंख्या नियमन के लिए तेज औद्योगिकीकरण भी अधिकतर अनिवार्य माना जाता है ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । क्योंकि तेज औद्योगिकीकरण से देश के औद्योगिक विकास के साथ-साथ उससे संलग्न अनेक क्षेत्र जैसे – कृषि, परिवहन, पशुपालन आदि को भी बढ़ावा मिलता है । इसके साथ ही देश में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं । लोगों को रोजगार प्राप्त होता है, जिसके कारण उनके जीवनस्तर में सुधार होता है । औद्योगिकीकरण से शहरीकरण को बढ़ावा मिलता है । साक्षरता का अनुपात बढ़ता है । शिक्षित पुरुष और महिलाओं का परिवार के दृष्टिकोण बदलता है, और वे छोटा परिवार पसंद करते हैं । एक सर्वेक्षण द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि पढ़ी-लिखी और व्यवसायिक महिलायें सापेक्ष रूप से कम बच्चे पैदा करती हैं । इस प्रकार जनसंख्या नियमन हेतु तेज औद्योगिकीकरण अनिवार्य है । जैसे – यूरोप, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में जन्मदर कम है ।

29. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बड़ा परिवार पसंद करते हैं ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । कारण कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जनसंख्या विस्फोट के गंभीर परिणामों से अनभिज्ञ है । गाँवों में निरक्षरता का प्रमाण अधिक है, जिसके कारण जीवन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव है । गाँवों में बालमृत्यु की दर ऊँची होने के कारण माता-पिता को हमेशां इस बात की आशंका बनी रहती है कि बच्चा जीवित रहेगा या नहीं । साथ ही गाँवों में बड़े परिवार को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है । अशिक्षा के कारण संतान को ईश्वर की देन मानते हैं । जबकि – ‘Child by the choice not by chance’ (“बच्चे का जन्म कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि आयोजित घटना हैं”) ऐसी समझ का अभाव होने के कारण लोग बड़ा परिवार पसंद करते हैं ।

30. जनसंख्या नियंत्रण में शिक्षण की भूमिका समझाओ ।
उत्तर :
जनसंख्या नियंत्रण में शिक्षण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है । शिक्षित लोग छोटे परिवार के महत्त्व को समझते हैं। शिक्षित लोग उनमें भी खास शिक्षित महिलाएँ परिवार नियोजन साधनों का अधिक उपयोग करती हुई देखी गई है । शिक्षित समाज में जागृति उत्पन्न होती है । धार्मिक मान्यताएँ समाप्त होती है, अंधश्रद्धा समाप्त होती है, रूढ़िवादिता समाप्त होती है । शिक्षित परिवारों में बालकों की देखभाल उचित होती है जिससे बालमृत्युदर में कमी आती है तथा जीवनस्तर भी ऊँचा होता है ।

परिणामस्वरूप जनसंख्या नियंत्रण में शिक्षण की भूमिका महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ।

31. जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर :
सामान्य ख्याल है कि जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालती है । जनसंख्या वृद्धि से वायु, भूमि एवं जलप्रदूषण को बढ़ावा मिलता है । मानव साधनों का दुरूपयोग और शोषण से पर्यावरण पर संकट खड़ा हो जाता है । भूगर्भ में जल का प्रमाण कम हुआ है । एसिड़ वर्षा, ओजोन में छेद, जैविक विविधता का नाश जैसे वैश्विक प्रश्न अत्यंत गंभीर बने है ।

लेकिन कुछ विद्वानों का कहना है कि जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण पर विपरीत असर नहीं डालती है । वे तो जनसंख्या को महत्त्वपूर्ण संसाधन मानते हैं । उनके इस मत अनुसार संकट में ही मानव की सर्जनात्मक शक्ति खिल उठती है । आवश्यकता आविष्कार की जननी है । विकास की प्रक्रिया दौरान शोधखोज के कारण मानव संसाधन की गुणवत्ता भी बढ़ती है । सायमन क्रूजनेट नाम के अर्थशास्त्री के अनुसार विकास के प्रारंभिक अवस्था में प्रदूषण जरूर बढ़ता है लेकिन बाद में कमी आती है ।

इस प्रकार पर्यावरण पर जनसंख्या वृद्धि का अनुकूल एवं प्रतिकूल असर दोनों पड़ता है ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए ।

1. जनसंख्या विस्फोट को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर :
भारत में मृत्युदर में तीव्रता से घटी है । परंतु जन्मदर न कम होने से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होती है उसे जनसंख्या विस्फोट कहते हैं ।

विश्व की अनेक समस्याओं में से एक बड़ी और महत्त्वपूर्ण समस्या जनसंख्या वृद्धि की है । विश्व की जनसंख्या में वर्तमान समय में जो तीव्रता से हो रही है उतनी वृद्धि पहले कमी नहीं हुयी भारत भी उसमें से अपवाद नहीं है ।

भारत में 1931 से 2011 तक भारत की जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हो रही है । 1951 में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी जो बढ़कर 2011 में 121.02 करोड़ हो गई अर्थात् 60 वर्षों में 85.7 करोड़ की वृद्धि हुयी और भारत में औसत जनसंख्या . वृद्धिदर 2.5 प्रतिशत के आसपास रही है । इस प्रकार अधिक जनसंख्या और जनसंख्या वृद्धि की ऊँची दर के कारण जनसंख्या में विशेष करके 1970 के बाद तीव्रता में वृद्धि हुयी जिसे ‘जनसंख्या विस्फोट’ के नाम से जानते हैं ।

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2. नीची मृत्युदर के कारण बताइए ।
उत्तर :
एक वर्ष के दरम्यान प्रतिहजार की जनसंख्या पर मृत्यु पानेवाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं ।
1951 में भारत की मृत्युदर 27.4 थी जो घटकर 2011 में 7.1 रह गयी । मृत्युदर नीची होने के निम्नलिखित कारण हैं :

(1) जीवन स्तर में सुधार : आर्थिक विकास होने के कारण लोगों की आय में वृद्धि होने से जीवनस्तर में सुधार हुआ है । देश में लोगों को पहले की अपेक्षा गुणवत्तायुक्त अनाज, आवास की सुविधा, स्वास्थ्य की देखभाल और पर्याप्त शिक्षा प्राप्त हुयी है । परिणाम स्वरुप मृत्युदर में कमी आयी है ।

(2) संक्रामक रोगों पर नियंत्रण : 20वीं सदी के उत्तरार्ध में देश में प्लेग, शीतला, क्षय, मलेरिया जैसे जान लेवा रोगों के कारण मृत्युदर ऊँची थी परंतु बीसवीं सदी के अंत में विकास के कारण मेडिकल क्षेत्र अद्भुत प्रगति हुयी और रोग प्रतिकारक रसीओं की खोज होने से उपर्युक्त रोगों पर नियंत्रण रखने में सफलता प्राप्त हुयी जिसके परिणाम स्वरूप मृत्युदर में कमी आयी ।

(3) अकाल पर नियंत्रण : विज्ञान और टेक्नोलोजी के कारण अकाल पर अंकुश आया है । जिसे भुखमरी के कारण होनेवाली मृत्यु को रोका जा सका है । 1966 के बाद हरित क्रांति होने से देश में अनाज की पूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी है । परिणाम स्वरूप जहाँ अनाज की कमी हो वहाँ सरलता से अनाज पहुँचा सकते हैं । परिणाम स्वरूप, भुखमरी के कारण होनेवाली मृत्यु को रोक सके हैं ।

(4) प्राकृतिक आपदाओं के सामने रक्षण और वाहनव्यवहार की सुविधा : भारत में भूकंप, त्सुनामी, भूस्खलन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण मृत्युदर का आंक ऊँचा था । वर्तमान समय में देश के किसी भी हिस्से में इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ सर्जित हुयी हो तो तीव्र परिवहन और संचार के परिणाम स्वरूप तात्कालिक अनाज दवाएँ और अन्य प्राथमिक आवश्यकता को मानवीय मापदण्ड प्राप्त होने से मृत्युदर में कमी आयी है ।

3. भारत में स्त्री और पुरुषों की जनसंख्या की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत की कुल जनसंख्या में अलग-अलग वर्षों के दरम्यान स्त्रियों और पुरुषों की संख्या कितनी है इसे स्त्री-पुरुष के प्रमाण द्वारा जान सकते हैं ।
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विश्लेषण :

  1. 1951 से 2011 के समय दरम्यान पुरुषों और स्त्रियों की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुयी है । जो ऊँची जनसंख्या वृद्धि का परिणाम है।
  2. 1951 में कुल जनसंख्या में पुरुष 18.55 करोड़ (51.37%) थे जो बढ़कर 1991 में 43.92 करोड़ (51.90%) हो गयी है ।
  3. 1951 में स्त्रियों का प्रमाण 17.56 करोड़ (48.63%) वह बढ़कर 1991 में 40.71 (48.10%) हो गयी है ।
  4. 2001 में कुल जनसंख्या (121.02 करोड़) में पुरुष 62.37 करोड़ (51.54%) और स्त्रियों का प्रमाण 58.65 (48.46%) है ।
  5. उपर्युक्त विश्लेषण में देख रहे हैं पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का प्रमाण हमेशां कम है । जो आनेवाले समय में भारत के लिए एक चुनौती है ।

4. उम्र समूह (आयु-वर्ग) के अनुसार भारत की जनसंख्या को कितने समूह में बाँटा है ? कौन-कौन से ? विस्तार से चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में आयु-वर्ग के अनुसार जनसंख्या का वितरण अर्थात् देश की जनसंख्या का विविध उम्र-समूह में विभाजन । इससे काम करनेवाली जनसंख्या और काम न करने की काम न करनेवाली जनसंख्या का ख्याल आता है । आयु-वर्ग के आधार पर भारत की जनसंख्या को तीन भागों में बाँटा गया है जो निम्नानुसार है :
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विश्लेषण :

  1. 0 से 14 वर्ष के उम्र समूह में 2005 में 32.78% लोग थे जो 2010 और 2011 में क्रमश: 30.89% और 30.5 हैं । तथा 2014 में 29.21% होंगे ऐसा अनुमान है । जो भारत में जन्मदर में कमी आयी है । इसका निर्देश देता है ।
  2. 15 से 64 वर्ष के उम्र समूह में 2005, 2010 और 2011 में क्रमश: 64.44%, 63.99% और 64.3% तथा 2011 में 65.30% होने का अनुमान है । जो काम करनेवाली जनसंख्या में हुयी वृद्धि का परिणाम है । जो आर्थिक विकास के लिए अच्छी बात कही जा सकती है ।
  3. 65 वर्ष से अधिक उम्र के समूह में 2005 में 4.78%, 2010 में 5.11% और 2011 में 5.2% तथा 2014 में 5.49% होने का अनुमान है जो नीची मृत्युदर का निर्देशक है ।

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5. ऊँची जन्मदर के लिए सामाजिक कारणों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
भारत में जन्मदर को घटाने के प्रयत्न किये है । फिर भी जन्मदर अभी भी ऊँची है । जिसके लिए आर्थिक, सामाजिक तथा अन्य परिबल जवाबदार है । यहाँ हम सामाजिक परिबलों (कारणों) की चर्चा करेंगे :

(1) सार्वत्रिक विवाह प्रथा : भारत में विवाह एक धार्मिक संस्कार है । अविवाहित व्यक्ति को समाज संदेह की नजर से देखता है । जिससे बचने के लिए तथा सामाजिक दबाव के कारण सभी विवाह बंधन से जुड़ते हैं । विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रत्येक स्त्री विवाह करती है । इस प्रकार सार्वत्रिक विवाह प्रथा के कारण जन्मदर ऊँची होती है ।

(2) कम उम्र में विवाह और विधवा पुनःविवाह : देश में बाललग्न रोकने का कानून है फिर भी अनेक विस्तारों में छोटी उम्र में विवाह होते हैं । उसमें भी विशेष करके स्त्रियों का कम उम्र में विवाह होने से प्रजननकाल लंबा होता है । और जन्मदर ऊँची होती है ।

विधवा पुनःविवाह कानून द्वारा अमल होने से उसे व्यापक समर्थन मिला है । जिससे विधवा पुनःविवाह सामान्य होने से जन्मदर ऊँची होती है । पुत्र प्राप्ति की इच्छा : भारत में पुरुष प्रधान समाज है ।

(3) पुत्री की अपेक्षा पुत्र को अधिक महत्त्व देने के तीन कारण है :

  1. भारत में ऐसी मान्यता है कि पु-नाम के नर्क में तारे उसे पुत्र कहते हैं ।
  2. वंश को पुत्र ही आगे बढ़ायेगा ।
  3. बुढापे में आर्थिक सहारा बनेगा । इन कारणों से दम्पति पुत्र की तीव्र इच्छा रखते हैं । पुत्र की चाहना में जन्मदर ऊँची होती है ।

(4) संयुक्त परिवार प्रथा : भारत में ग्रामीण विस्तारो में संयुक्त कुटुंब प्रथा व्यापक प्रमाण में है । परिणाम स्वरूप यहाँ बालक के पालन-पोषण की जवाबदारी परिवार के सभी सदस्यों में बट जाती है । बालक बोझारुप नहीं बनता है । इससे भी जन्मदर ऊँची होती है ।

6. ऊँची जन्मदर के लिए जवाबदार आर्थिक परिबलों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
ऊँची जन्मदर के लिए आर्थिक कारण निम्नलिखित हैं :
(1) शिक्षा का नीचा स्तर : अशिक्षित लोग छोटे परिवार का महत्त्व नहीं समझते हैं । परिणाम स्वरूप परिवार का कद बड़ा देखने को मिलता है । इसमें विशेष रूप से स्त्रियों में शिक्षा का नीचा प्रमाण अधिक जवाबदार है । विश्व में स्त्रीशिक्षा और बालकों की संख्या के बीच व्यस्त सम्बन्ध है । अशिक्षित स्त्री की अपेक्षा प्राथमिक शिक्षा प्राप्त स्त्री कम बालकों को जन्म देती है । प्राथमिक शिक्षा प्राप्त स्त्री से माध्यमिक और उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्री उससे भी कम बालकों को जन्म देती है । इस प्रकार अशिक्षा और अल्प शिक्षा ऊँची जन्मदर का कारण है ।

(2) आय का नीचा स्तर (गरीबी): परिवार की आय कम हो तो अतिरिक्त बालक का आगमन जवाबदारी नहीं परंतु संपत्ति है । ‘अधिक हाथ समृद्धि का साथ’ इस कहावत के आधार पर बालक भविष्य में परिवार की आय में वृद्धि करेगा ऐसी आशा रखते हैं । हम देखते हैं कि चाय की किटली पर कप-प्लेट धोकर या होटलों में बर्तन साफ करके परिवार की आय में वृद्धि करते हैं । इस प्रकार गरीब परिवार यह नहीं देखते हैं कि उनके पालनपोषण के पीछे खर्च होगा वे तो आय को देखते हैं । परिणाम स्वरूप ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।

(3) बालमृत्युदर का ऊँचा प्रमाण : भारत में विकसित देशों की तुलना में बालमृत्युदर का प्रमाण ऊँचा है । भारत में 1951 में बालमृत्युदर 146 थी वह घटकर 2011 में 41.40 रह गयी है । फिर भी अधिक है । ऊँची जन्मदर के लिए कुपोषण, पुत्री की । उपेक्षा, गरीबी, गर्भपात में वृद्धि अपर्याप्त स्वास्थ्य परिबल जवाबदार है । ऊँची बालमृत्युदर के भय से माता-पिता अधिक बालकों को जन्म देना पसंद करते हैं । परिणाम स्वरूप ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।

7. ऊँची जन्मदर के लिए अन्य परिबलों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
ऊँची जन्मदर के लिए आर्थिक परिबल और सामाजिक परिबलों के अतिरिक्त अन्य परिबल भी जवाबदार हैं । जिनकी चर्चा हम नीचे करेंगे :
(1) ऊँची प्रजनन दर : भारत में 15 से 49 वर्ष की स्त्रियों मातृत्व को धारण करने की क्षमता रखती है । परिणामस्वरूप यदि कम उम्र में ही विवाह कर दिया जाये तो प्रजननकाल लंबा हो जाता है और जन्मदर ऊंची होती है । 1961 में इस उम्र-समूह में रही महिलाओं पर प्रति बालकों की संख्या 6 थी जो अब घटकर 3 रह गयी है । फिर भी अधिक है । मातृत्व धारण करनेवाली अविवाहित महिलाओं का प्रमाण भी कम है ।

(2) परिवार नियोजन की जानकारी का अभाव : परिवार नियोजन अर्थात् ‘आयोजित मातृत्व और पितृत्व द्वारा परिवार को समझपूर्वक मर्यादित रखना और दो बालकों के बीच उचित अंतर रखना’ भारतीय समाज में गरीबी, सामाजिक रीति-रिवाज तथा धार्मिक मान्यताओं के साथ शिक्षा का नीचा प्रमाण आदि परिवार नियोजन में अवरोध खड़ा करते हैं । इसके उपरांत परिवार नियोजन के लिए विविध साधनों की जानकारी और साधनो का अपर्याप्त प्रमाण भी ऊँची जन्मदर का कारण बनते हैं ।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक दीजिए :

1. भारत में जाति-प्रमाण (प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या) की विस्तार से चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
देश की जनसंख्या में प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या को स्त्री-पुरुष का प्रमाण अथवा लिंग अनुपात या जाति प्रमाण कहते हैं ।

जनसंख्या के अध्ययन में स्त्री-पुरुष का प्रमाण खूब महत्त्वपूर्ण है । स्त्रियों का कम प्रभाव विषमता सर्जित करता है । स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण विवाह, परिवार, प्रजनन, अर्थव्यवस्था आदि अनेक प्रश्न खड़े होते हैं । इसलिए जाति प्रमाण को जानकर उसके निवारण के उपाय ढूँढ़ने चाहिए । नीचे की तालिका में भारत के स्त्री-पुरुष का प्रमाण देखते हैं :

प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या

वर्ष भारत गुजरात
1901 972 954
1931 950 945
1961 941 940
1991 927 936
2001 933 921
2011 940 918

विश्लेषण :

  1. भारत में 1901 में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 972 है । जो 1931, 1961 और 1991 में घटकर क्रमश: 950, 941 और 927 रह गयी है ।
  2. 2001 में भारत में स्त्री-पुरुष का प्रमाण 933 था जो थोड़ा सा बढ़कर 2011 में 940 हो गया है । जो देश में ‘बेटी बचाओ’ एवं बेटी के जन्म को महत्त्व को प्रोत्साहन का आभारी है ।
  3. गुजरात में देखें तो 1901 में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण 954 है । जो 1931, 1961 और 1991 में क्रमशः घटकर 945, 940 और 936 रह गया है ।
  4. 2001 में गुजरात में स्त्री-पुरुष का प्रमाण 921 था जो ओर घटकर 2011 में 918 रह गया है । ‘जो हमारी चिंता में वृद्धि करता है ।
  5. भारत में मात्र केरल राज्य ऐसा है जहाँ प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण 2011 में 1084 था ।
  6. पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे आर्थिक रीति से समृद्ध राज्यों में स्त्री-पुरुष का प्रमाण अधिक असंतुलित है ।

* स्त्री-पुरुष के असंतुलन के कारण :

  1. पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को कम महत्त्व दिया जाता है ।
  2. लड़कियों के पोषणयुक्त आहार, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर अधिक स्थान नहीं देते है ।
  3. स्त्री-भ्रूणहत्या ।
  4. दहेज प्रथा ।
  5. स्त्री-मृत्युदर अधिक, कन्या बालमृत्युदर का अधिक प्रमाण ।
    उपर्युक्त कारणों से प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण कम होता चला जा रहा है ।

* स्त्री-पुरुष के संतुलन के उपाय :

  1. स्त्रियों को पोषणयुक्त आहार एवं स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए ।
  2. स्त्री शिक्षण पर अधिक भार देना चाहिए ।
  3. स्त्री-भ्रूणहत्या पर रोक लगाना चाहिए । स्त्री-भ्रूणहत्या प्रतिबंद कानून है । परंतु वह मात्र कागज पर ही । इसलिए उसे सामाजिक स्वीकृत मिले ऐसा प्रयास करना चाहिए ।

GSEB Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या

2. ऊँचे जन्मदर के महत्त्वपूर्ण कारणों की विस्तृत चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
‘एक वर्ष में प्रतिहजार की जनसंख्या पर जन्म लेनेवाले बालकों की संख्या को जन्मदर कहते हैं ।’
1951 में भारत में जन्मदर 39.9 थी जो घटकर 2011 में 21.8 रह गयी । घटने पर भी अधिक है । इस ऊँची जन्मदर के निम्नलिखित कारण हैं :

(1) सामाजिक परिबल : ऊँची जन्मदर के सामाजिक परिबल निम्नानुसार हैं :

(1) सार्वत्रिक विवाह प्रथा : भारत में विवाह एक धार्मिक संस्कार है । विवाह न करनेवाले व्यक्ति को समाज संदेह की दृष्टि से देखता है । जिससे बचने के लिए भारत में प्रत्येक स्त्री-पुरुष विवाह बंधन से जुड़ते हैं । दिव्यांग भी अपवाद नहीं हैं। परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची होती है ।

(2) कम उम्र में विवाह : भारत में बाललग्न प्रथा पर प्रतिबंध है । परंतु फिर भी बालविवाह देखने को मिलता है । विशेष रूप से स्त्री का कम उम्र में विवाह होने से प्रजननकाल लंबा होता है और प्रजनन दर ऊँची होती है । विधवा विवाह को भी प्रोत्साह दिया गया है । इसलिए भी जन्मदर ऊँची होती है ।

(3) पुत्र प्राप्ति की इच्छा : भारतीय समाज पुरुषप्रधान है । यहाँ पुत्री की अपेक्षा पुत्र को महत्त्व तीन कारणों से दिया जाता है –

  1. पु-नाम के नर् से तारे उसे पुत्र कहते हैं – ऐसी मान्यता है ।
  2. वंश को बढ़ाएगा
  3. बुढापे में आर्थिक सहारा बनेगा ।
    उपर्युक्त तीन कारणों से पुत्र की इच्छा में पुत्रियों को जन्म देते है । जिससे परिवार का कद बड़ा होता है ।

(4) संयुक्त परिवार प्रथा : भारत में संयुक्त परिवार प्रथा देखने को मिलती है । इसलिए परिवार का बोझ परिवार के सभी सदस्य उठाते हैं । इसलिए बालक बोझारूप नहीं बनता है । परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची रहती है ।

(2) आर्थिक परिबल : ऊँची जन्मदर के लिए सामाजिक कारण के साथ-साथ आर्थिक परिबल जवाबदार है :

(1) शिक्षा का नीचा स्तर : ऊँची जनसंख्या वृद्धि के लिए शिक्षा का नीचा स्तर जवाबदार है । जिसमें विशेष रूप स्त्री-शिक्षा का नीचा प्रमाण जवाबदार है । अशिक्षित स्त्रियों की अपेक्षा प्राथमिक शिक्षा स्त्री कम बालकों को जन्म देती है । यही बात माध्यमिक और उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्रियों पर भी लागु पड़ती है । इसलिए स्त्री शिक्षा और बालकों के बीच व्यस्त सम्बन्ध होता है । इस प्रकार शिक्षा का नीचा स्तर ऊँची जन्मदर के लिये जवाबदार है ।

(2) आय का नीचा स्तर : गरीब परिवारों में बालक बचपन से ही छोटा-मोटा काम करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता करता है । जैसे – चाय की दुकान पर कप-प्लेट धोता है । होटल में बर्तन साफ करके परिवार की आय में वृद्धि करता है । गरीब परिवारों में कहावत है जितने हाथ उतना ही समृद्धि का साथ । इस मान्यता के कारण भी जन्मदर ऊँची रहती है ।

(3) बालमृत्युदर की ऊँची दर : भारत में बालमृत्युदर कम हुयी है । परंतु विकसित देशों से अभी भी अधिक है । ऊँची बाल मृत्युदर के कारण भी माता-पिता भविष्य में निःसंतान के भय से अधिक बालकों को जन्म देने की इच्छा रखते हैं । इसलिए ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।

(3) अन्य कारण : आर्थिक, सामाजिक कारणों के साथ ऊँची जन्मदर के लिए अन्य परिबल भी जवाबदार हैं ।

(1) ऊँची प्रजनन दर : भारत जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में स्त्रियाँ कम उम्र से ही मातृत्व को धारण करने की क्षमता रखती है । एक अनुमान के अनुसार भारत में 15 से 49 वर्ष की स्त्रियाँ मातृत्व धारण करने की क्षमता रखती हैं । स्त्रियों का कम उम्र में विवाह होने से प्रजननकाल बढ़ जाता है । परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची देखने को मिलती है ।

(2) परिवार नियोजन से सम्बन्धित जानकारी का अभाव : परिवार नियोजन अर्थात् आयोजित मातृत्व और पितृत्व द्वारा परिवार को समझपूर्वक मर्यादित रखना और दो बच्चों के बीच उचित समयमर्यादा (अंतर) निश्चित करना ।’ भारतीय समाज में गरीबी, सामाजिक रीति-रिवाज, धार्मिक मान्यताएँ के साथ शिक्षा का नीचा प्रमाण परिवार नियोजन के उपयोग में अवरोधक हैं । परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी का अभाव एवं साधनों की अपर्याप्तता के कारण भी ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।

3. जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
बढ़ती हुयी जनसंख्या देश के विकास में अवरोधक है । गरीबी, बेकारी जैसी समस्या के मूल में जनसंख्या वृद्धि जवाबदार होती
है । इसलिए हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय करने चाहिए । इसलिए हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय करने चाहिए । 2000 की जनसंख्या नीति की डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में घोषणा की गयी । 2000 की जनसंख्या नीति के संदर्भ में जनसंख्या नियंत्रण के उपाय निम्नानुसार हैं :

(1) लोकशिक्षा और जागृति : जन्मदर को घटाना हो तो लोग छोटे परिवार का महत्त्व समझें यह जरूरी है । इसके लिए लोगों में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहिए । विशेष रूप से स्त्री शिक्षा के प्रति समाज जागृत बने यह जरूरी है । इसके लिए संदेशाव्यवहार के विविध माध्यमों द्वारा जनसंख्या शिक्षण पर विशेष कार्यक्रम प्रसारित करना चाहिए । स्कूल कॉलेजो में विद्वानों का व्याख्यान की व्यवस्था, नाटक, मूक अभिनय द्वारा लोगों में जागृति ला सकते हैं । वर्ष 2000 की जनसंख्या 8 नीति में महिला विकास अधिक भार दिया गया है । एक जनसंख्या शास्त्री ने कहा है – ‘शिक्षा यह संतति नियमन का सर्वश्रेष्ठ साधन है ।’

(2) परिवार नियोजन कार्यक्रम की असरकारकता : भारत में ऊँची जन्मदर का एक कारक परिवार नियोजन के साधनों का अभाव है । इसलिए परिवार नियोजन से सम्बन्धित कार्यक्रम अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए लोकशिक्षण के साथ-साथ परिवार नियोजन की सेवाओं और सुविधाओं में वृद्धि की है । संतति नियमन के साधन सरल, सस्ते और सुलभ बने यह आवश्यक है । 2000 की जनसंख्या नीति में परिवार नियोजन कार्यक्रम में परिवर्तन करके संतति नियमन के ओपरेशन के महत्त्व को कम करके र अनैच्छिक गर्भधारण रोकने के लिए अन्य सुरक्षित पद्धतियों पर भार दिया गया है ।

(3) महिलाओं की वैवाहिक उम्र और सामाजिक स्तर में सुधार : विवाह के लिये आयु में कानून द्वारा बढ़ाकर विशेष रुप से महिलाओं के विवाह की उम्र को बढ़ाकर जन्मदर को घटा सकते हैं । 2000 की जनसंख्या नीति में महिलाओं के लिए विवाह की 18 वर्ष की उम्र के स्थान पर संभव हो तो 20 वर्ष हो ऐसे प्रयत्नों के लिए प्रोत्साहन दिया है । समाज में स्त्रियों को भी पुरुषों के समान शिक्षा और रोजगार के समान अवसर उपलब्ध करवाये जायें तो स्त्रियों का जीवनस्तर सधरेगा और ऐसी स्त्रियाँ अपने परिवार के कद को सीमित रखती हैं ।

(4) प्रोत्साहन और बिनप्रोत्साहन : सरकार द्वारा प्रोत्साहन और बिनप्रोत्साहन परिवार नियोजन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं । जैसे परिवार नियोजन का ऑपरेशन करवाने वाले दम्पति को सरकार आर्थिक सहायता देती है ।

बढ़ते हुये जनसंख्या को रोकने के लिए चीन ने बिनप्रोत्साहन का उदाहरण विश्व के सामने प्रस्तुत किया है । जिसमें दो बच्चों वाले दम्पतियों को दिये जानेवाले लाभों को वापस ले लिया गया था । कुछ समय में छूट-छाट दी गयी है । इस संदर्भ में भारत को देखें तो स्थानिक स्वराज के चुनाव में दो से अधिक संतान हो ऐसे दंपति का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं ।

(5) चिकित्सा सुविधाओं का व्याप और असरकारकता में वृद्धि : भारत में मृत्यु की दर नीची होने पर भी विकसित राष्ट्रों की तुलना में अभी भी अधिक है । विज्ञान की सहायता द्वारा प्रजनन तथा बाल आरोग्य से सम्बन्धित सेवाएँ तथा सुविधा में वृद्धि करना । रसीकरण की प्रक्रिया को सार्वत्रिक तथा असरकारक बनाना ‘एड्स’ जैसी बातों से सम्बन्धित जानकारी बढ़ाना, अन्य चेपी तथा जातीय रोगों का प्रमाण में कमी करना, इस प्रकार के कदमों द्वारा मृत्युदर तथा बालमृत्युदर नीचे ले जा सकते हैं ।
इस प्रकार उपर्युक्त कदमों द्वारा जनसंख्या नियंत्रण बना सकते हैं ।

4. भारत में जनसंख्या के कद को समझाइए ।
उत्तर :
जनसंख्या का कद अर्थात् अलग – अलग वर्षों के दरम्यान भारत की कुल जनसंख्या अथवा उसका प्रमाण । भारत में जनसंख्या कद और वृद्धिदर निम्नानुसार है :

वर्ष जनसंख्या (करोड़ में) औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धिदर (प्रतिशत में)
1901 23.8 + 0.08
1911 25.2 + 0.57
1921 25.1 – 0.03
1931 27.9 + 1.04
1941 31.9 + 1.33
1951 36.1 + 1.25
1961 43.9 + 1.96
1971 54.8 + 2.20
1981 68.3 + 2.22
1991 84.6 + 2.16
2001 102.9 + 1.97

विश्लेषण :

  1. 1901 से 1921 तक समय दरम्यान जनसंख्या वृद्धिदर धीमी थी ।
  2. 1901 से 1911 के दशक में जनसंख्या में 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुयी थी, जबकि 1911 से 1921 के दशक में जनसंख्या में – 0.3 प्रतिशत की कमी हुयी थी । इस कमी का कारण मृत्युदर में वृद्धि थी ।
  3. 1921 के वर्ष के बाद प्रत्येक वर्ष में जनसंख्या वृद्धिदर ऊँची रही है । इसलिए जनसंख्या वृद्धि की दृष्टि से 1921 के वर्ष को महान विभाजक वर्ष के नाम से जानते है ।
  4. 1951 में भारत में आयोजन का आरम्भ हुआ । आयोजनकाल के दरम्यान अर्थात् कि 1951 में देश की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी जो पाँच दशक में अर्थात् कि 2001 में 102.9 करोड़ हो गयी, अर्थात् जनसंख्या में 66.6 करोड़ की वृद्धि हुयी ।
  5. प्रवर्तमान समय में भारत की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि लगभग 170 लाख जितनी थी जो ऑस्ट्रेलिया देश की जनसंख्या जितनी है।
  6. 2011 में भारत की जनसंख्या 121.02 करोड़ हो गयी है ।
  7. चीन के बाद भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है ।

5. निम्नलिखित जानकारी पर से स्तंभाकृति बनाकर विश्लेषण कीजिए ।
GSEB Solutions Class 12 Economics Chapter 7 जनसंख्या 8
उत्तर :
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वर्ष विश्लेषण :

  1. एक ही प्रकार की जानकारी के लिए सादा स्तंभाकृति अधिक अनुकूल है ।
  2. x-अक्ष पर वर्ष y-अक्ष पर कुल जनसंख्या करोड़ में दर्शायी है ।
  3. 1951 में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, 1961 में बढ़कर 43.9 करोड़ हो गयी इस दशक में जनसंख्या वृद्धि की वार्षिक वृद्धिदर 1.96% रही ।
  4. 1971 में जनसंख्या बढ़कर 54.8 करोड़ तथा वृद्धिदर 2.2% रही ।
  5. 1981 में जनसंख्या 68.3 करोड़ की जो 1991 में बढ़कर 84.6 करोड़ हो गयी ।
  6. 2001 में भारत की जनसंख्या 102.7 करोड़ थी । इस प्रकार 50 वर्षों में जनसंख्या में लगभग तीन गुना वृद्धि हुयी है ।
  7. 2011 में भारत की जनसंख्या 121.02 करोड़ थी ।
  8. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आयोजनकाल के दरम्यान भारत में जनसंख्या तीव्रता से बढ़ी है ।

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6. नीची भारत और गुजरात का जातिप्रभाव (लिंग अनुपात) दिया गया है । इस पर से पास-पास की स्तंभाकृति बनाकर विश्लेषण कीजिए।
प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण

वर्ष भारत गुजरात
1901 972 954
1931 950 945
1961 941 936
1991 927 940
2001 933 921
2011 940 918

उत्तर :

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विश्लेषण :

  1. तुलनात्मक अध्ययन के लिए पास-पास की स्तंभाकृति अधिक अनुकूल है ।
  2. x-अक्ष पर वर्ष और y-अक्ष पर जाति-प्रमाण को दर्शाया गया है ।
  3. 1901 में भारत और गुजरात में जाति-प्रमाण क्रमश: 972 और 954 है ।
  4. 1931 और 1961 में घटकर 950 और 945 रह गया है ।
  5. 1961 में भारत में प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों का प्रमाण 941 जबकि गुजरात में 940 है ।
  6. 1991 में भारत में 927 और गुजरात में 936 प्रतिहजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या थी ।
  7. 2001 से 2011 में भारत में स्त्री-पुरुष के प्रमाण में थोड़ा सा सुधार हुआ है अर्थात् 933 से बढ़कर 940 हो गया है ।
  8. 2001 से 2011 के बीच गुजरात में यह स्थिति और बिगड़ी है अर्थात् 921 से घटकर 918 रह गयी है । जो चिंताजनक है ।
  9. स्त्री-पुरुष का संतुलन अनेक आर्थिक, सामाजिक समस्याओं को सर्जित करता है ।

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