Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Chapter 19 कैलेंडर Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 19 कैलेंडर
GSEB Std 12 Hindi Digest कैलेंडर Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके नीचे दिए गये विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
कैलेंडर कहाँ लगा है?
(क) घर और दफ्तर में
(ख) घर और दुकान में
(ग) घर और विद्यालय में
(घ) विद्यालय और दुकान में
उत्तर :
(क) घर और दफ्तर में
प्रश्न 2.
कैलेंडर को देखकर कवि को क्या याद आता है?
(क) मीठी यादें
(ख) बुरे दिन
(ग) रोज की दिनचर्या
(घ) पुराने मित्र
उत्तर :
(ग) रोज की दिनचर्या
प्रश्न 3.
कवि घर से निकल कर कहाँ जाता है?
(क) दफ़्तर
(ख) दुकान
(ग) कॉलेज
(घ) विद्यालय
उत्तर :
(क) दफ़्तर
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
घर और दफ्तर में क्या टँगा है?
उत्तर :
घर और दफ्तर में कैलेंडर टंगा है।
प्रश्न 2.
कवि रोज किसे बदलता है?
उत्तर :
कवि रोज अपने आप को बदलता है।
प्रश्न 3.
कवि ने किस पेड़ का जिक्र किया है?
उत्तर :
कवि ने बरगद के पेड़ का ज़िक्र किया है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
दिन छिपने पर कवि किसका इंतजार करता है? क्यों?
उत्तर :
दिन छिपने पर कवि अपने जीवन में नयापन आने का इंतजार करता है। इसलिए कि कवि को अपना जीवन यांत्रिक लगने लगा है।
प्रश्न 2.
कवि की दिनचर्या क्या है?
उत्तर :
कवि रोज घर से निकलकर ऑफिस जाता है। फिर वह ऑफिस से घर आता है। सूर्योदय के साथ कवि का फिर वही क्रम शुरू हो जाता है।
प्रश्न 3.
कवि के जीवन में नयेपन का एहसास क्यों नहीं है?
उत्तर :
कवि के जीवन में करने के लिए केवल दो ही काम रह गए हैं- घर से निकलकर ऑफिस जाना और ऑफिस से घर आना। एक प्रकार से उसका जीवन यांत्रिक बन गया है। कवि को अपना जीवन उस सूखे बरगद के पेड़ की तरह लगता है, जिसका फिर से हरा-भरा होना असंभव है। इसलिए कवि को अपने जीवन में नयेपन का एहसास नहीं होता।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच पंक्तियों में लिखिए :
प्रश्न 1.
‘कैलेंडर’ कविता का केंद्रीय भाव लिखिए।
उत्तर :
कैलेंडर’ कविता में कवि ने चेतनाहीन जीवन और जीवन में नएपन के अभाव का चित्रण किया है। कविता का यही केंद्रीय भाव है।
प्रश्न 2.
‘तुम कभी भी नहीं आओगे सूखे बरगद को हरीतिमा देने’ का भावार्थ समझाइए।
उत्तर :
कवि का जीवन सूखे बरगद की भाँति चेतना – शून्य हो गया है। फिर भी वह अपने जीवन में नएपन की उम्मीद लगाए बैठा है। जबकि उसे मालूम है कि उसके शुष्क जीवन में नयापन कभी नहीं आनेवाला है।
GSEB Solutions Class 12 Hindi कैलेंडर Important Questions and Answers
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :
- याद = स्मृति
- रोज = हमेशा
- दफ्तर = ऑफिस, कार्यालय
- दिन = दिवस
- पुराना = प्राचीन
- एहसास = अनुभूति
- इंतजार = प्रतीक्षा
- रोशनी = प्रकाश
- हरीतिमा = हरियाली
- घर = गृह
- समुदाय = समूह
- अनुवाद = भाषान्तर
निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :
- आशा × निराशा
- हरियाली × सूखा
- उम्मीद × नाउम्मीद
- आरंभ × पूर्णाहुति
- स्मृति × विस्मृति
- उदय × अस्त
- शिक्षित × अशिक्षित
- मुख्य × गौण
- सूखा × गीला
- सुबह × शाम
निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए :
- गुजरात – गुंजरी
- सभी – सर्व
- ऊँट – ऊष्ट्र
- माता – मातर
- पिता – पितर
- भाई – भ्रातर
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- सहायक = सहाय + क (प्रत्यय)
- शिक्षक = शिक्षा + क (प्रत्यय)
- राष्ट्रीय = राष्ट्र + ईय (प्रत्यय)
- प्रकाशित = प्रकाश + इत (प्रत्यय)
- नीरसता = नीरस + ता (प्रत्यय)
- नयापन = नया + पन (प्रत्यय)
- दैनिक = दिन + इक (प्रत्यय)
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- नीरसता = निः (उपसर्ग) + रसता
- दुर्दिन = दुः (उपसर्ग) + दिन
- खुशबू = खुश (उपसर्ग) + बू
- उपन्यास = उप (उपसर्ग) + न्यास
- उत्कर्ष = उत् (उपसर्ग) + कर्ष
- अभिन्न = अ (उपसर्ग) + भिन्न
- विशुद्ध = वि (उपसर्ग) + शुद्ध
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :
प्रश्न 1.
- जीवन में कोई नयापन नहीं लगता।
- सूखे बरगद को तुम हरीतिमा देने नहीं आओगे?
उत्तर :
- कोई
- सूखे
निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
- दिनभर करने की क्रिया – दिनचर्या
- खराब दिन – दुर्दिन।
- पेड, पौधे और घास से हरी जमीन का नजारा – हरियाली
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध रूप में फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
- किसी और दूसरे आदमी को भेजो।
- यह सरकारी मिट्टी के तेल की दुकान है।
- यहाँ ताजा भैंस का दूध मिलता है।
उत्तर :
- किसी और आदमी को भेजो।
- यह मिट्टी के तेल की सरकारी दुकान है।
- यहाँ भैंस का ताजा दूध मिलता है।
कैलेंडर Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
यंत्रवत् जीवन मनुष्य को नीरस बना देता है। प्रस्तुत कविता में एक ही प्रकार की दिनचर्या से त्रस्त नौकरीपेशा व्यक्ति के जीवन में व्याप्त नीरसता का वर्णन किया गया है। कैलेंडर की भाँति रोज अपने आप को बदलनेवाले कवि के जीवन में कोई नयापन, नई चेतना नहीं हैं, पर वह उसकी उम्मीद भी नहीं छोड़ता।
कविता का सरल अर्थ :
घर और दफ्तर ………… और ऑफिस से घर।
कवि जीवन में व्याप्त नीरसता से त्रस्त हैं। वे कहते हैं कि घर और दफ्तर दोनों जगह कैलेंडर टंगे हैं। उसे देखकर मुझे अपने दिनभर के कार्यों की याद आती है। मैं रोज घर से निकलकर ऑफिस जाता हूँ और आफिस से सीधे घर आ जाता है। मेरा सिर्फ इतना ही काम रह गया है।
दिन-महीना बदलता ……….. रोज बदलता हूँ।
कवि कहते हैं कि जीवन यंत्रवत् हो गया है। एक दिन जाता है, दूसरा दिन आ जाता है। एक महीना बीतता है और दूसरा महीना आरंभ हो जाता है। दिन-महीने बदलते जाते हैं। महीने के साथ कैलेंडर का पन्ना भी बदल जाता है। कवि कहते हैं कि वे भी प्रतिदिन कैलेंडर के पन्ने की भांति बदल जाते हैं।
पर कुछ भी …………. इंतजार करता हूँ।
कवि कहते हैं कि उनके जीवन में कुछ नयापन बिलकुल नहीं है। अपने पुराने एहसास के साथ रोज सूर्यास्त होने पर वे सुबह की उम्मीद में नएपन का इंतजार करते हैं।
पर क्या करू …….. हरीतिमा देने।
कवि अपनी मजबूरी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उनके सामने कोई चारा ही नहीं है। सूर्योदय होने पर फिर वही काम शुरू होना है। कवि कहते हैं कि उनके यंत्रवत् जीवन में शुष्कता आ गई है। उन्हें भलीभांति इस बात की जानकारी है कि उनके जीवन की यह शुष्कता दूर करने के लिए उनके जीवन में नयापन, नई चेतना बिलकुल नहीं आनेवाली है, तब भी उन्हें इसका फिर से इंतजार है।
कैलेंडर शब्दार्थ :
- कैलेंडर – दिनदर्शिका।
- ऑफिस – कार्यालय।
- बदलना – एक के बाद दूसरा आना।
- एहसास – अनुभूति।
- छिपना – (यहाँ अर्थ) अस्त होना।
- आस – आशा, उम्मीद।
- हरीतिमा – हरियाली, हरापन।