Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 7 नियंत्रण Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 12 Organization of Commerce and Management Chapter 7 नियंत्रण
GSEB Class 12 Organization of Commerce and Management नियंत्रण Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प पसंद करके लिखिए :
प्रश्न 1.
आयोजन के अनुसार कार्य हो रहे है या नहीं यह देखने का कार्य संचालन का कौन-सा कार्य करता है ?
(A) व्यवस्थातंत्र
(B) प्रशिक्षण
(C) मार्गदर्शन
(D) नियंत्रण
उत्तर :
(D) नियंत्रण
प्रश्न 2.
नियंत्रण यह कैसी प्रक्रिया नहीं है ?
(A) सतत
(B) आन्तरिक
(C) जड/कठोर
(D) गतिशील
उत्तर :
(C) जड/कठोर
प्रश्न 3.
प्रयत्न, परिणाम तथा साधन व उद्देश्य के मध्य संतुलन स्थापित करने का कार्य अर्थात् ………………………..
(A) मार्गदर्शन
(B) कर्मचारी व्यवस्था
(C) संकलन
(D) नियंत्रण
उत्तर :
(D) नियंत्रण
प्रश्न 4.
नियंत्रण का कार्य संचालन के कौन से स्तर पर होता है ?
(A) प्रत्येक स्तर पर
(B) उच्च स्तर पर
(C) मध्य स्तर पर
(D) निम्न स्तर पर
उत्तर :
(A) प्रत्येक स्तर पर
प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सा कार्य नियंत्रण का नहीं है ?
(A) कार्यों की प्रगति
(B) मापदण्डों के साथ तुलना
(C) उद्देश्य निश्चित करना
(D) विचलनों की जानकारी
उत्तर :
(C) उद्देश्य निश्चित करना
प्रश्न 6.
संचालन का कौनसा कार्य नियंत्रण के जन्मदाता के रूप में पहचाना जाता है ?
(A) व्यवस्थातंत्र
(B) कर्मचारी व्यवस्था
(C) मार्गदर्शन
(D) आयोजन
उत्तर :
(D) आयोजन
प्रश्न 7.
संचालन का अन्तिम कार्य कौन-सा है ?
(A) आयोजन
(B) व्यवस्थातंत्र
(C) कर्मचारी व्यवस्था
(D) नियंत्रण
उत्तर :
(D) नियंत्रण
प्रश्न 8.
नियंत्रण प्रक्रिया की प्रथम अवस्था इनमें से कौन सी है ?
(A) कार्य का मापन
(B) किये गये कार्यों की स्थापित मापदण्डो के साथ तुलना
(C) सुधारात्मक उपाय
(D) मापदण्डों की स्थापना
उत्तर :
(D) मापदण्डों की स्थापना
प्रश्न 9.
विचलन को खोजने के बाद संचालक उन्हें दूर करने के लिये कौन-से उपाय करता है ?
(A) प्रशिक्षण देना
(B) कर्मचारियों की छटनी करना
(C) सुधारात्मक कदम उठाना
(D) निष्णांतों की नियुक्ति करना
उत्तर :
(C) सुधारात्मक कदम उठाना
प्रश्न 10.
इकाई में स्थापित मापदण्डों की अपेक्षाकृत अधिक उत्तम परिणाम मिलने पर क्या किया जाता है ?
(A) मापदण्ड सुधारकर निम्न करना
(B) मापदण्ड सुधारकर उच्च करना
(C) मापदण्ड में परिवर्तन न करना
(D) मापदण्ड दूर करना
उत्तर :
(B) मापदण्ड सुधारकर उच्च करना
प्रश्न 11.
आयोजन और नियंत्रण के मध्य सम्बन्ध कैसे होते है ?
(A) घनिष्ठ
(B) नहींवत
(C) सामान्य
(D) विरोधी
उत्तर :
(A) घनिष्ठ
प्रश्न 12.
प्राचीन सामान्य अर्थ में नियंत्रण अर्थात् …………………..
(A) रचनात्मक प्रवृत्ति
(B) नकारात्मक प्रवृत्ति
(C) सुधारात्मक प्रवृत्ति
(D) स्वतंत्रता में अवरोधक
उत्तर :
(A) रचनात्मक प्रवृत्ति
प्रश्न 13.
नियंत्रण की प्रक्रिया की अन्तिम अवस्था कौन-सी है ?
(A) मापदण्डों की स्थापना
(B) सुधारात्मक कदम
(C) क्रिया का मापन
(D) माहिती संपादन
उत्तर :
(B) सुधारात्मक कदम
प्रश्न 14.
संचालन के समस्त कार्य किसके पहले होना आवश्यक होता है ?
(A) आयोजन
(B) मार्गदर्शन
(C) सूचनासंचार
(D) नियंत्रण
उत्तर :
(D) नियंत्रण
प्रश्न 15.
कार्यक्षमता का मापदण्ड और सुधारलक्षी साधन इनमें से क्या है ?
(A) सूचनासंचार
(B) कर्मचारी व्यवस्था
(C) नियंत्रण
(D) आयोजन
उत्तर :
(C) नियंत्रण
प्रश्न 16.
भूल, त्रुटि, कठिनाई और विचलन को खोजकर उन्हें दूर करने का कार्य अर्थात् ………………………
(A) आयोजन
(B) मार्गदर्शन
(C) नेतृत्त्व
(D) नियंत्रण
उत्तर :
(D) नियंत्रण
प्रश्न 17.
नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थायें कितनी हैं ?
(A) तीन
(B) चार
(C) दस
(D) पाँच
उत्तर :
(D) पाँच
प्रश्न 18.
कार्य (कामगीरी) का मापन कितने प्रकार से हो सकता है ?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) असंख्य
उत्तर :
(A) दो
प्रश्न 19.
‘नियंत्रण अर्थात् प्रयत्न और परिणाम, साधन और उद्देश्य के मध्य संतुलन स्थापित करने का कार्य ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?
(A) हेनरी फेयोल
(B) पीटर एफ. ड्रकर
(C) ल्यूथर ग्युलिक
(D) कून्ट्ज व ओडोनेल
उत्तर :
(B) पीटर एफ. ड्रकर
प्रश्न 20.
आयोजन का किसके साथ जुडवा बालक जैसे सम्बन्ध होते है ?
(A) व्यवस्थातंत्र
(B) संकलन
(C) नियंत्रण
(D) सूचनाप्रेषण
उत्तर :
(C) नियंत्रण
प्रश्न 21.
यदि स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलता हो तब …………………….
(A) मापदण्ड निम्न रखा गया
(B) यंत्र कारणभूत होते हैं ।
(C) कर्मचारी का सम्मान होता है ।
(D) प्रशिक्षण बहुत ही अच्छा है ।
उत्तर :
(A) मापदण्ड निम्न रखा गया
प्रश्न 22.
इनमें से किसके माध्यम से इकाई की समस्त प्रवृत्तियों के बीच संकलन स्थापित किया जा सकता है ।
(A) आयोजन
(B) अन्दाज-पत्र
(C) नियंत्रण
(D) मार्गदर्शन
उत्तर :
(C) नियंत्रण
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
आयोजन का संचालन के कौन से कार्य के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है ?
उत्तर :
आयोजन का संचालन के नियंत्रण कार्य के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है ।
प्रश्न 2.
नियंत्रण का कार्य संचालन के कौन से स्तर पर होता है ?
उत्तर :
नियंत्रण का कार्य संचालन के तीनों स्तर अर्थात् प्रत्येक स्तर पर होता है ।
प्रश्न 3.
संचालन के समस्त कार्य कौन से कार्य के पहले करना आवश्यक होता है ?
उत्तर :
संचालन के समस्त कार्य नियंत्रण के पहले करना आवश्यक होता है ।
प्रश्न 4.
कार्य का मापन किसलिए आवश्यक है ?
उत्तर :
कार्य अथवा कामगीरी का मापन पूर्वनिर्धारित स्तरों के अनुरूप ही कार्य हो रहे हैं या नहीं यह जानने के लिए किये गये कार्यों का मापन आवश्यक है।
प्रश्न 5.
विचलन (variance) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
धंधाकीय इकाई में स्थापित मापदण्डों का वास्तविक परिणामों से तुलना करने पर जो अन्तर पाया जाये उसे विचलन कहते हैं ।
प्रश्न 6.
धन्धा के अस्तित्व को जोखिम पहुँचानेवाले बाह्य परिबल कौन-कौन से है ?
उत्तर :
धन्धा के अस्तित्व को जोखिम पहुँचानेवाले बाह्य परिबल जैसे कि सरकार की नीति, प्रतिस्पर्धा, तेजी, मन्दी, कच्चे माल की कमी, लोगों की अभिरुचि, फैशन में परिवर्तन इत्यादि होते है ।
प्रश्न 7.
नियंत्रण को संचालन की कार्यक्षमता मापने का बेरोमीटर क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
धंधाकीय इकाई में नियंत्रण का कार्य जितना निश्चित होता है उतनी ही संचालन की कार्यक्षमता अधिक । इसलिए नियंत्रण को संचालन की कार्यक्षमता मापने का बेरोमीटर कहा जाता है ।
प्रश्न 8.
आयोजन में जो कार्यक्रम निर्मित किये जाते हैं, उनका अमल कितने व कौन-से परिबलों पर आधारित होता है ?
उत्तर :
आयोजन में जो कार्यक्रम निर्मित किये जाते हैं, उनका अमल दो परिबलो पर आधारित होता है । जो कि
- आन्तरिक परिबल
- बाह्य परिबल ।
प्रश्न 9.
आयोजन यह किसका जन्मदाता है ?
उत्तर :
आयोजन यह नियंत्रण का जन्मदाता है ।
प्रश्न 10.
संचालन का प्रथम व अन्तिम कार्य बताइए ।
उत्तर :
संचालन का प्रथम कार्य आयोजन है व अन्तिम कार्य नियंत्रण होता है ।
प्रश्न 11.
क्रिया/कामगीरी का मापन (Measure work) कौन-कौन से प्रकार से हो सकता है ?
उत्तर :
क्रिया का मापन निम्न प्रकार से हो सकता है । जिसमें
- संख्यात्मक
- गुणात्मक
- अथवा इन दोनों प्रकार से ।
प्रश्न 12.
नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थाएँ कितनी है ? व कौन-कौन से ?
उत्तर :
नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थाएँ पाँच है, जो कि निम्न है :
- मापदण्डों की स्थापना
- सूचना का संग्रह
- कार्य का मापन
- किये गये कार्यों की स्थापित मापदण्डों के साथ तुलना
- सुधारात्मक उपाय
प्रश्न 13.
सुधारात्मक उपाय कब नहीं किये जाते ? अथवा परिस्थिति में परिवर्तन कब नहीं किया जाता ?
उत्तर :
स्थापित मापदण्डों के साथ तुलना करने के पश्चात्, प्राप्त हुये विचलन यदि सामान्य व स्वीकार्य हो तो सुधारात्मक उपाय नहीं किये जाते । अर्थात् परिस्थिति में परिवर्तन नहीं किया जाता ।
प्रश्न 14.
सुधारात्मक उपाय कब किये जाते है ? ।
उत्तर :
जब स्थापित मापदण्डों और वास्तविक परिणामों के बीच यदि अधिक अन्तर या विचलन हो तो उत्पन्न कारणो की जाँच करके इनको दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जाते हैं ।
प्रश्न 15.
स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलने पर क्या किया जाता है ?
उत्तर :
स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलने पर मापदण्डो को सुधारकर उच्च मापदण्डों की स्थापना की जाती है ।
प्रश्न 16.
पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार नियंत्रण की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर :
पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार, ‘नियंत्रण अर्थात् प्रयत्न और परिणाम, साधन और उद्देश्य के बीच सन्तुलन स्थापित करने का कार्य ।’
प्रश्न 17.
नियंत्रण/अंकुश यह नकारात्मक कार्य नहीं है ।
उत्तर :
अंकुश यह सुधारात्मक कार्य है । अंकुश के द्वारा कार्य में आनेवाली कठिनाईयों को दूर करने का तथा कार्य सरल बनाने का मुख्य हेतु अंकुश का है, न कि कार्य की परेशानियों का सामना करते हुए करना ।
प्रश्न 18.
अंकुश कार्य का मूलभूत हेतु क्या है ?
उत्तर :
निर्धारित आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं इसकी देखरेख रखना तथा भविष्य में कार्य करते समय आनेवाली गलतियों को दूर करना ।
प्रश्न 19.
अंकुश अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कर्मचारियों के द्वारा दिए गए आदेश के मतानुसार कार्य का निरीक्षण करना अंकुश कहलाता है ।
प्रश्न 20.
अंकुश यह व्यक्तिलक्षी क्यों है ?
उत्तर :
अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर कार्य की देखरेख रखने का कार्य अंकुश का है । मानव के द्वारा गलतियाँ होती है । तथा मानव के द्वारा ही गलतियों को सुधारा जाता है । अतः यह व्यक्तिलक्षी प्रवृत्ति है ।
प्रश्न 21.
इकाई पर प्रभाव डालनेवाले बाहरीय परिबल कौन-कौन से है ?
उत्तर :
कार्य पर प्रभाव डालनेवाले बाहरीय परिबलो में स्पर्धा, तूफान, जातिवाद के झगड़े, सरकार की नीति, ग्राहको की बदलती हुई फेशन इत्यादि ।
प्रश्न 22.
अंकुश के लिए आधार कैसा होना चाहिए ?
उत्तर :
अंकुश के लिए आधार स्पष्ट एवं सरलता से समझा जा सके ऐसा होना चाहिए, दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन समय के लिए तथा भविष्य में सिद्ध हो सके ऐसा होना चाहिए ।
प्रश्न 23.
कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य के मूल्यांकन का आधार किस स्वरूप का होना चाहिए ?
उत्तर :
कार्य के मूल्यांकन का आधार संख्यात्मक एवं गुणात्मक होना चाहिए ।
प्रश्न 24.
अंकुश के लिए प्राचीन विचार क्या थे ?
उत्तर :
अंकुश का कार्य करते समय कर्मचारियों के वेतन में कटौती, मानसिक त्रास, स्वतंत्रता पर अंकुश आवश्यकता से अधिक नियंत्रण इत्यादि विचार थे।
प्रश्न 25.
सुधारात्मक पहलू अपनाते समय किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है ?
उत्तर :
सुधारात्मक पहलू अपनाते समय गलतियों के कारण का निरीक्षण गहराई से करना चाहिए कि जिससे भविष्य में इस तरह की गलती न हो न कि दिखावटी पहलू अपना चाहिए ।
प्रश्न 26.
कार्य के मूल्यांकन की संख्यात्मक पद्धति अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कार्य का मूल्यांकन करते समय संख्यात्मक आधार लिया जाता हो जैसे फुट में कार्य को मापना । इसी प्रकार ईंच, लीटर, किला तथा मीटर में मापना ।
प्रश्न 27.
कार्य के मूल्यांकन की गुणात्मक पद्धति अर्थात् क्या ?
उत्तर :
कर्मचारी के द्वारा किए जानेवाले कार्य को भाव, या गुण द्वारा मूल्यांकन किया जाता हो उसे गुणात्मक पद्धति कहते हैं । जैन वफादारी एवं प्रमाणिकता ।
प्रश्न 28.
निम्नलिखित संज्ञा समझाइये ।
उत्तर :
- विचलन : अंकुश के लिए निश्चित आधार के कर्ता वास्तविक प्रवृत्तियों से क्या परिणाम प्राप्त हुआ इनके बीच के अंतर को विचलन कहते हैं । विचलन होने से ही सुधारात्मक प्रवृत्ति की जाती है ।
- गुणात्मक पद्धति : कार्य के मूल्यांकन की पद्धतियों में गुणात्मक कार्य के मूल्यांकन की एक श्रेष्ठ पद्धति है । कर्मचारियों को अधिकारी द्वारा सौंपे गए कार्य का मूल्यांकन गुणात्मक स्वरूप से मूल्यांकित किया जाता है उसे गुणात्मक पद्धति कहते हैं । जैसे कार्य का मूल्यांकन, वफादारी, ईमानदारी एवं नियमितता एवं प्रमाणिकता द्वारा मूल्यांकन होता है ।
- संख्यात्मक पद्धति : कर्मचारियों के द्वारा किए जानेवाले कार्य का मूल्यांकन संख्या के स्वरूप में किया जाता हो जैसे कार्य को फुट, लीटर, किलोमीटर, घंटो इत्यादि में लाया जाता हो उसे संख्यात्मक पद्धति के नाम से जाना जाता है ।
- सुधारात्मक हेतु : कर्मचारियों के द्वारा किए जानेवाले कार्य में गलतियाँ, भूले, कमियाँ इत्यादि अन्य विशेष अपवाद देखने को मिलते है । यदि उच्च अधिकारियों द्वारा वैज्ञानिक ढंग से या प्रशिक्षण द्वारा एवं निर्देशन द्वारा भूलों को दूर करना गलतियों पर प्रतिबंद लगाना इत्यादि कदम उठाए जाए उसे सुधारात्मक पहेलु के नाम से जाना जाता है ।
- अंकुश : आयोजन पर अंकुश का आधार है । संचालन का अंतिम कार्य अंकुश है । अंकुश अर्थात् अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को गलत काम करने से रोकना, भूलों के पुनरावर्तन को रोकना, आलस्य दूर करना तथा कार्य के प्रति संतोष एवं उत्साह बढ़ाने के लिए कि जानेचाली प्रवृत्ति अंकुश कहलाती है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए :
प्रश्न 1.
नियंत्रण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
नियंत्रण अर्थात् इकाई में कौन-से कार्य हो रहे यह निश्चित करना, जो कार्य हो रहे हैं, उनका मूल्यांकन करना और आवश्यक लगे तो सुधारात्मक उपाय करना जिससे योजना के अनुसार कार्य हो सके ।
प्रश्न 2.
अंकुश यह आंतरिक प्रक्रिया है । किस तरह ?
उत्तर :
यह विधान सत्य है । इकाई में आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तन असर करते है । जैसे कर्मचारी द्वारा अनियमित कार्य करना, आदेश के अनुसार कार्य के वितरण में विलंब इत्यादि परिवर्तन आंतरिक परिवर्तन कहलाते है । संचालन के द्वारा आंतरिक परिवर्तनों में योग्य सुधारात्मक कदम अंकुश द्वारा उठाए जाते है । आंतरिक प्रवृत्तियों पर अंकुश देखने को मिलता है । कारण कि आंतरिक पहलूओं पर ही संचालन का नियंत्रण होता है । उत्पादन, विक्रय, क्रय, वित्तीय मामले, वित्त, हिसाब व कर्मचारियों की कार्यपद्धति पर नियंत्रण रखा जा सकता है ।
प्रश्न 3.
अंकुश यह नियमित की जानेवाली प्रक्रिया है । समझाइए ।
उत्तर :
जिस प्रकार संचालन की प्रवृत्ति सतत एवं नियमित की जाती है । उसी प्रकार अंकश की नियमित प्रक्रिया है । आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नही इसका निरीक्षण मात्र एक ही बार नहीं परन्तु नियमित निरीक्षण किया जाता है । तथा अंकुश के द्वारा कार्य, करते समय आनेवाली बाधाओं (परेशानियों) को दूर किया जाता है । क्या फिर भविष्य में गलतियाँ नहीं होती ऐसा नही है । कार्य होगा तो परेशानियों का सामना करना होगा हमेशा सुधारात्मक कार्य किया जायेगा अत: अंकुश यह सतत की जानेवाली प्रक्रिया है ।
प्रश्न 4.
नियंत्रण यह गतिशील प्रक्रिया है । किस तरह ?
उत्तर :
नियंत्रण का कार्य आयोजन के साथ जुड़ा हुआ है । आयोजन व अंदाज पर आधारित सूचित बौद्धिक प्रक्रिया है । अलग-अलग परिबलो के अन्दाज बदले उनके अनुसार आयोजन के लक्ष्यांको में परिवर्तन होते हैं और उनके अनुसार नियंत्रण प्रक्रिया में शीघ्र परिवर्तन किया जाता है । अतः कहा जाता है कि नियंत्रण यह एक गतिशील प्रक्रिया है ।
प्रश्न 5.
आयोजन नियंत्रण का जन्मदाता है । समझाइए ।
उत्तर :
आयोजन के कारण ही नियंत्रण का जन्म होता है । आयोजन में निर्धारित की गई प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखा जाता है । जिससे । आयोजन के बिना नियंत्रण का कार्य अस्तित्व में नहीं आ सकता । इस वास्तविकता को ध्यान में रखकर ही आयोजन को नियंत्रण का जन्मदाता कहा जाता है ।
प्रश्न 6.
नियंत्रण यह संचालन का अन्तिम कार्य है । किसलिये ?
उत्तर :
संचालन में आयोजन द्वारा इकाई के उद्देश्य निश्चित होते हैं, व्यवस्थातंत्र के द्वारा इनका अमल होता है । कर्मचारी व्यवस्था के द्वारा उनको मार्गदर्शन दिया जाता है उनके पश्चात नियंत्रण की कार्यवाही आरम्भ होती है । अर्थात् संचालन के सभी कार्य नियंत्रण के पहले किये जाते हैं । नियंत्रण का कार्य नियमन का है । जो कि इकाई की प्रवृत्तियाँ कार्यरत होने के पश्चात ही आरम्भ होती है अर्थात् नियंत्रण यह संचालन का अन्तिम कार्य है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर लिखिए :
प्रश्न 1.
अंकुश एवं आयोजन के बीच सम्बन्ध समझाइये ।
उत्तर :
आयोजन एवं अंकुश एक सिक्के के दो पहलू के समान है । आयोजन के बिना अंकुश और अंकुश के बिना आयोजन अधूरा है । संचालन के कार्यों में जहाँ आयोजन होगा वहाँ अंकुश अवश्य ही होगा । इसके विपरीत जहाँ अंकुश होगा वहाँ पहले से ही आयोजन होगा ही । आयोजन तैयार करते समय इकाई के आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनो को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ तैयार की जाती है । तैयार की गई योजनाओं में भविष्य दरमियान आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तन हो तो उसे अंकुश द्वारा सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है । आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं इसके निरीक्षण का कार्य अंकुश का है । अंकुश रखने का आधार आयोजन है । अतः आयोजन एवं अंकुश परस्पर पूरक हैं । आयोजन के बिना अंकुश के बारे में सोचना व्यर्थ हैं । आयोजन हो तो अंकुश है । अर्थात् आयोजन को अंकुश का जन्मदाता कहा जाता है । आयोजन एवं अंकुश एक दूसरे पर निर्भर हैं । तथा संचालन को कार्यक्षम बनाने के लिए भी आवश्यक है ।
प्रश्न 2.
‘आयोजन और नियंत्रण एक सिक्के दो पहलू है ।’ समझाइए ।
उत्तर :
आयोजन और नियंत्रण दोनों ही संचालन के बहुत ही महत्त्व के परस्पर आधारित कार्य हैं । आयोजन की सफलता का आधार नियंत्रण पर है । नियंत्रण द्वारा प्रवृत्तियों में विचलन रह गये हैं, उन्हें खोजकर सुधारात्मक उपाय किये जाते है । जबकि दूसरी ओर नियंत्रण कार्य का अस्तित्व आयोजन के बिना सम्भव नहीं । क्योंकि नियंत्रण के कार्य में आयोजन के लक्ष्य सिद्ध हुये है नहीं इसकी जाँच की जाती है, अर्थात् यदि आयोजन न बनाया हो तो नियंत्रण कार्य की कोई आवश्यकता नहीं होती । (Planning and Controlling are two side of a same coin.)
प्रश्न 3.
आयोजन एवं नियंत्रण परस्पर पूरक है । कथन समझाइए ।
उत्तर :
इकाई में निश्चित उद्देश्य को समयानुसार सफल बनाने के हेतु से भूतकाल के अनुभव एवं भविष्य के अनुमानों के आधार पर वर्तमान में निश्चित की जानेवाली योजनाएँ आयोजन कहलाती है । संचालन के कार्यों में से सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य आयोजन है । परन्तु यदि अंकुश की प्रवृत्ति न की जाए अर्थात् देखरेख या निरीक्षण न किया जाए तो आयोजन के अनुसार कार्य निर्धारित समय में आदेशानुसार नही हो सकता अतः किसके उपर अंकुश रखना, कौन-सा कार्य, कितने समय में होना चाहिए, इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होने के पश्चात् ही अंकुश की प्रक्रिया की जाती है । इन सभी प्रश्नों की सूची आयोजन में तैयार की जाती है । इसलिए अंकुश के लिए आयोजन आवश्यक है ।
प्रश्न 4.
नियंत्रण यह निषेधात्मक प्रवृत्ति नहीं है । विधान की यथार्थता समझाइए ।
उत्तर :
यह विधान सत्य है । अंकुश यह सुधारात्मक प्रवृत्ति है, न कि निषेधात्मक कारण कि अंकुश द्वारा कर्मचारी के कार्य का निरीक्षण किया जाता है । कार्य में आनेवाली कठिनाईयों को दूर किया जाता है । कार्य को कार्यक्षम ढंग से करने के लिए योग्य पहलू अपनाए जाते है । अंकुश यह सुधारात्मक प्रवृत्ति है, न कि अंकुश से कर्मचारियों को मानसिक त्रास, आर्थिक दण्ड, डिमोशन, मेमो या नोटिस देना नही है । मात्र भविष्य में होने वाली भूलों का पुनरावर्तन न हो उसका विशेष ख्याल रखा जाता है । अत: अंकुश यह निषेधात्मक प्रवृत्ति नहीं है ।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक लिखिए :
प्रश्न 1.
नियंत्रण का अर्थ एवं इसके लक्षण समझाइए ।
उत्तर :
प्रस्तावना : संचालन के कार्यों में से अंकुश एक महत्त्वपूर्ण कार्य है । संचालन के द्वारा निर्धारित हेतु के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र एवं कर्मचारी व्यवस्था की नियुक्ति की जाती है । कर्मचारियों को तैयार किए गए आयोजन के अनुसार आदेश दिए जाते हैं । परन्तु दिए गए आदेश के अनुसार कार्य हुआ या नहीं, नहीं हुआ तो क्यों नहीं ? इसकी देखरेख्न रखना उच्चस्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है । अत: अंकुश रखना अनिवार्य बनता है । अंकुश से कार्य सरल एवं आनेवाली कठिनाईयों का निराकरण सरल बनता है ।
परिभाषा : अंकुश की अलग-अलग लेखकों के द्वारा परिभाषाएँ दी गई है । इनमें से महत्त्वपूर्ण लेखकों की परिभाषाएँ निम्नलिखित
(1) श्रीमती मेरी सी. नाइल्स के मतानुसार, ‘आयोजन के परिपालन में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने की प्रक्रिया अर्थात् अंकुश ।’
(2) श्री फिलिप कोटलर, ‘वास्तविक एवं निर्धारित परिणामों को एक दूसरे के समीप लाने के लिए उठाए गए कदमों की सूची ।’
(3) ‘प्रयत्न, परिणाम तथा साधनों एवं उद्देश्यो के बीच संतुलन बनाए रखने का कार्य अर्थात् अंकुश ।’
लक्षण : अंकुश के लक्षण निम्नलिखित है :
अंकुश के लक्षण संक्षिप्त में बतलाइये ।
लक्षण : अंकुश के लक्षण निम्नलिखित हैं :
(1) आयोजन के साथ सम्बंध (Related to Planning) : इकाई के निश्चित उद्देश्य के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन में निश्चित की गई योजनाओं के अनुसार कार्य करवाने का आधार अंकुश पर है । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है।
(2) संचालन का अंतिम कार्य (End Activity of Managment) : संचालकों के द्वारा संचालन की प्रवृत्ति करते समय सर्वप्रथम आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र की रचना, इसके बाद कर्मचारी व्यवस्था, दिशा-निर्देश इसके पश्चात का कार्य अंकुश का है । प्रवृत्तियों का प्रारम्भ होने के बाद ही अंकुश रखा जाता है ।
(3) सतत प्रक्रिया (Continuous Process) : अंकुश आयोजन की तरह सतत प्रक्रिया है । कर्मचारी साधनों एवं प्रवृत्तियों पर निरन्तर नियमित निरीक्षण रखना आवश्यक है तथा आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । जिससे आयोजन के अनुसार प्रवृत्ति की जाए ।
(4) रचनात्मक प्रवृत्ति (Positive Activity) : कर्मचारियों के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्तियों में रुकावट पैदा करना अंकुश कहलाता है । परन्तु ऐसा नहीं वास्तव में कर्मचारियों के द्वारा कार्य आयोजन के अनुसार हो इसका मार्गदर्शन प्रदान करना अंकुश है ।
(5) गतिशील प्रक्रिया (Dynamic Process) : अंकुश कोई स्थिर प्रक्रिया नहीं है । इकाई में होनेवाले आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनों के साथ-साथ अंकुश की प्रक्रिया में भी परिवर्तन किया जाता है ।
(6) व्यक्तिलक्षी (Personal Process) : संचालन यह मानवी प्रवृत्ति है । सम्पूर्ण प्रवृत्ति मानव के द्वारा की जाती है । मानव के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्ति पर अंकुश मानव के द्वारा ही रखा जाता है ।
(7) आंतरिक प्रक्रिया (Internal Process) : इकाई की सीमा में रहकर की जानेवाली प्रवृत्ति आंतरिक प्रवृत्ति कहलाती है । जैसे आयोजन तैयार करना, कर्मचारियों को कार्य सौंपना इत्यादि अन्य प्रवृत्तियों की देखरेख के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है । अत: यह आंतरिक प्रक्रिया है ।
(8) संचालन के प्रत्येक स्तर पर होनेवाला कार्य (Controlling at Every All Level of Management) : अंकुश का कार्य संचालन के प्रत्येक स्तर पर होता है, न कि किसी एक विभाग के लिए । प्रत्येक संचालक संचालन की प्रवृत्ति करते समय कम या ज्यादा योग्य प्रमाण में अपने सहायक कर्मचारियों पर देखरेख्न रखता ही है ।
(9) भविष्य के साथ सम्बंध (Related to Future) : अंकुश के द्वारा इकाई में की जानेवाली प्रवृत्ति का मूल्यांकन करके आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । अंकुश के द्वारा भूतकाल में हुई भूलों का पुनरावर्तन भविष्य में न हो उसका विशेष ध्यान रखा जाता है । अतः यह भविष्य के साथ संबंध रखती है ।
(10) विधेयात्मक प्रवृत्ति (Positive) : अंकुश विधेयात्मक प्रवृत्ति है । अंकुश द्वारा कर्मचारियों के कार्य में विलम्ब, मानसिक त्रास, आर्थिक दण्ड, डिमोशन नहीं किया जाता है । सिर्फ कर्मचारी द्वारा कार्य करते समय आनेवाली दुविधाओं को दूर करना, नुकसान को कम करना, भूतकाल की गलतियों के पुनरावर्तन को रोकना ही मुख्य हेतु है ।
(11) नियंत्रण औपचारिक या अनौपचारिक हो सकता है : इकाई में व्यवस्थातंत्र व उत्पादन प्रवृत्ति के संदर्भ में नियंत्रण की व्यवस्था औपचारिक स्वरूप में स्थापित की जाती है, परन्तु समयान्तर में अनौपचारिक स्वरूप की नियंत्रण व्यवस्था भी विकसित होती
है । ऐसी अनौपचारिक नियंत्रण व्यवस्था कई बार अधिक असरकारक सिद्ध होती है ।
प्रश्न 2.
नियंत्रण की उपयोगिता, महत्त्व, लाभ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
संचालन के प्रत्येक कार्य की सफलता का आधार अंकुश ही है । इकाई में आयोजन के अनुसार निश्चित की गई योजनाओं के अनुसार कार्य का निरीक्षण अंकुश द्वारा सरल बनता है । अंकुश के द्वारा कर्मचारियों को कार्य सौंपने में सरलता रहती है । अंकुश से कर्मचारी आयोजन या आदेश के अनुसार कार्य कर रहा है या नहीं इसके निरीक्षण का कार्य सरल बनता है । कर्मचारियों के द्वारा कार्य करते समय आनेवाली बाधायें, कठिनाईयों को अंकुश द्वारा दूर कर सकते हैं । अत: जिन इकाईयों में अंकुश का कार्य सक्रिय या नियमित नहीं किया जाता वह इकाई बिना चालक के वाहन समान है ।
महत्त्व :
- उद्देश्य की सफलता में सहायक : इकाई की स्थापना के समय निश्चित किए गए उद्देश्यों के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार कार्य करवाने की जिम्मेदारी अंकुश की है ।
- प्रभावपूर्ण आयोजन : आयोजन भूतकाल के अनुभव एवं भविष्य के अनुमानों के आधार पर वर्तमान में निश्चित उद्देश्य को पूर्ण करवाने के लिए तैयार की गई योजनाएँ आयोजन में दर्शाई जाती हैं । आयोजन के अनुसार आदेश कर्मचारियों को दिए जाते है । कर्मचारी के द्वारा आयोजन के अनुसार हो रहा है । यह अंकुश का कार्य है ।
- रूकावटों को दूर करता है : अंकुश भविष्य के लिए की जाने वाली प्रक्रिया है । कर्मचारियों को भविष्य में कार्य करते समय आनेवाली आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनो से कार्य में होने वाली स्थगितता को अंकुश दूर करता है । तथा सुधारात्मक कार्य करता है । जिससे भविष्य में कार्य के विलम्बों को दूर करने वाली प्रक्रिया है ।
- दिशा-निर्देश कार्य में सरलता : अंकुश द्वारा मूल्यांकन का कार्य सरल बनता है । कर्मचारियों के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्तियों में आनेवाली कठिनाईयों को दूर करने के लिए योग्य दिशा-निर्देश दिए जाते हैं । जिससे दिशा-निर्देश कार्य सरल बनता है ।
- विविध खर्च पर अंकुश : इकाई के अलग-अलग विभागो में की जानेवाली प्रवृत्तियों में होने वाले खर्च पर अंकुश रखा जा सकता है । जिससे इकाई की प्रति इकाई के लाभ में वृद्धि सम्भव बनती है ।
- लाभ में वृद्धि : अंकुश के द्वारा अनावश्यक खर्च पर अंकुश रखा जाता है । जिससे साधनों के उपयोग में योग्य खर्च किया जाता है । जिससे इकाई के लाभ में वृद्धि सम्भव बनती है ।
- मालसामग्री के नुकसान में कमी : अंकुश के द्वारा इकाई के विभागों में की जानेवाली प्रवृत्तियों में उपयोगी मालसामग्री में अनावश्यक खर्च एवं नुकसान में कमी देखने को मिलती है ।
- संकलन में सहायक : इकाई के अलग-अलग विभागो की प्रवृत्तियों में अंकुश रखने से संकलन का कार्य सरल बनता है । सभी विभाग की प्रवृत्तियों में सातत्य बना रहता है ।
- कार्य का मूल्यांकन : इकाई में पूर्व निर्धारित मापदण्डो अथवा प्रमाणों द्वारा वास्तविक परिणामों को मापा जा सकता है तथा कार्यों का मूल्यांकन किया जा सकता है ।
- अधिकार सौंपने के लिये जरूरी : अधिकार सौंपने हेतु नियंत्रण जरूरी है । कर्मचारी को कार्य सौंपने के बाद उन पर देखरेख रखने का दायित्व उनके अधिकारी पर आता है । उच्च अधिकारी अधिकार को सौंप सकता है परन्तु उत्तरदायित्व को सौंप नहीं सकता ।
- कार्यक्षमता का बेरोमीटर : धन्धाकीय इकाई में नियंत्रण का कार्य जितना निश्चित उतनी संचालन की कार्यक्षमता अधिक । इससे नियंत्रण को संचालन की कार्यक्षमता मापने का बेरोमीटर कहा जाता है ।
3. नियंत्रण प्रक्रिया की विविध अवस्थाओं की विस्तृत चर्चा कीजिए ।
उत्तर :
नियंत्रण की प्रक्रिया की कई अवस्थाये सामान्य रूप से प्रत्येक इकाई में दृष्टिगत होती है जो कि निम्नानुसार है ।
(1) मापदण्डों की स्थापना (Setting Standards) : नियंत्रण प्रक्रिया का आरम्भ मापदण्डों की स्थापना से ही होता है । मापदण्ड या प्रमाण का माप है । जिसके साथ वास्तविक परिणामों की तुलना करके उसका मूल्यांकन किया जाता है । इस तरह नियंत्रण का आधार पूर्व निर्धारित स्तर है व निर्धारित स्तरों के अनुसार कार्य हो रहा हैं या नहीं नियंत्रण द्वारा देखा जाता है । निर्धारित स्तर संख्यात्मक या गुणात्मक हो सकता है । यह स्तर सरल होने चाहिए । ऐसे स्तर में भौतिक, लागत, आय, पूँजी आदि प्रमाण का समावेश होता है । इसके अलावा लाभ का लक्ष्य, उत्पादन का लक्ष्य, खर्च आदि हो सकते है | ऐसे लक्ष्य दीर्घकालीन या अल्पकालीन के लिए तैयार किया जाता है ।
(2) सूचना का संग्रह (Gathering of Information) : इस अवस्था में किये गये कार्य और वास्तविक परिस्थिति के बारे में सूचना का संग्रह किया जाता है । सूचना संग्रह में व्यक्तिगत निरीक्षण मौखिक अहेवाल व लिखित अहेवाल द्वारा प्राप्त किया जाता है ।
(3) कार्य का मापन (Measure Work) : पूर्व निर्धारित स्तरों के अनुसार काम हो रहे है या नहीं यह जानने के लिए कार्यों का
मापन जरूरी है । इस प्रकार का मापन संख्यात्मक या गुणात्मक अथवा दोनों तरह से हो सकता है ।
(4) किये गये कार्यों की स्थापित मापदण्डो के साथ तुलना (Comparision of work done with set standard) : वास्तविक कामगीरी या कार्यों की माहिती एकत्र करने के पश्चात उन्हे स्थापित मापदण्डो के साथ तुलना की जाती है । ऐसी तुलना करने से कितने प्रमाण में सफलता मिली है अथवा नहीं यह जानकारी प्राप्त कर सकते है ।
(5) सुधारात्मक उपाय (Corrective Action) : यह नियंत्रण प्रक्रिया की अन्तिम अवस्था है । कार्य का मूल्यांकन करके स्थापित
मापदण्डों के साथ तुलना की जाती है और विचलन पाये जाये तो वह दूर करने के लिये सुधारात्मक उपाय किये जाते हैं । इस हेतु निम्नलिखित तीन कदमों में से योग्य कदम उठाये जाते हैं :
(1) परिस्थिति में परिवर्तन न करना : स्थापित मापदण्डों की तुलना करने के पश्चात्, प्राप्त विचलन यदि सामान्य व स्वीकार्य
हो तो वह स्वीकार किये जाते हैं । इस हेतु किसी भी तरह के सुधारात्मक उपाय नहीं किये जाते । अर्थात् ऐसी स्थिति में परिवर्तन नहीं किये जाते ।
2. परिस्थिति में परिवर्तन करके विचलन को दूर करना : स्थापित मापदण्ड और वास्तविक मापदण्डों के मध्य यदि अधिक अन्तर हो तो ऐसा अन्तर अथवा विचलन के कारण की जाँच करके उनको दूर करने के लिये आवश्यक सुधारात्मक उपाय किये जाते है ।
3. मापदण्डों में परिवर्तन करके नये मापदण्डों की स्थापना करना : इकाई में सतत स्थापित मापदण्ड सिद्ध न हो सके अर्थात् इसका अर्थ होता है कि स्थापित मापदण्ड उच्च है और इसमें परिवर्तन करना जरूरी होता है । ऐसी स्थिति में स्थापित मापदण्डों में आवश्यक परिवर्तन करके नये मापदण्ड की स्थापना की जाती है । कई बार स्थापित मापदण्डो से अधिक उत्तम परिणाम मिलने पर मापदण्ड में सुधार कर उच्च मापदण्ड की स्थापना की जाती है ।