Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 1 पत्र एवं डायरी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 1 पत्र एवं डायरी
पत्र एवं डायरी (पत्र) अभ्यास
1. निर्देशित विषय के बारे में पत्र लिखिए :
प्रश्न 1.
आपने की हुई अपनी यात्रा/प्रवास का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर :
रमेश पुरोहित
4/आकाशगंगा,
डेरी रोड, राजकोट।
27-12-2013
प्रिय मित्र हितेश,
जयहिंद।
तुम्हारा पत्र तीन दिन पहले आया था, लेकिन मैं कन्याकुमारी के प्रवास में था और कल ही लौटा हूँ।
कन्याकुमारी भारत का प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह तमिलनाडु राज्य में भारत के एकदम दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
हम दादर-मद्रास एक्सप्रेस ट्रेन से चेन्नई पहुँचे। हम वहाँ के ‘मीनाक्षी’ हॉटल में ठहरे। वहाँ दिसंबर महीने से ही काफी ठंड पड़ने लगती है।
दूसरे दिन हम एस. टी. बस द्वारा कन्याकुमारी की ओर चल पड़े। सारा मार्ग नारियल के वृक्षों से भरा हुआ है। हरियाली देखकर मन झूम उठता है।
कन्याकुमारी एक छोटा-सा कस्बा है। हमने शाम के समय समुद्र-तट पर भारी भीड़ देखी। लोग वहाँ का सूर्यास्त देखने के लिए एकत्र हुए थे। सूर्य का वैसा भव्य रूप मैंने पहले कहीं नहीं देखा।
अगले दिन कन्याकुमारी का प्राचीन मंदिर और विवेकानंद शिलास्मारक देखा। विवेकानंद की सुंदर मूर्ति दर्शनीय है।
हमने कन्याकुमारी के बाजार से शंख और सीपों से बनी हुई कुछ वस्तुएँ और अलबम खरीदे। कुछ चित्र मैं तुम्हें भेज रहा हूँ। शेष कुशल है। अपने माता-पिता से मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
विनय।
प्रश्न 2.
बीमारी के अवकाश के लिए कक्षा-शिक्षक को पत्र लिखिए।
उत्तर :
25, आशासदन,
महात्मा गाँधी मार्ग,
राजकोट।
28 – 11 – 2013
आदरणीय गुरुवर,
कक्षा 8 (ब)
कल शाम मुझे जोर की ठंड लगकर बुखार आ गया। डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने बताया कि यह मलेरिया बुखार है और इसका कुछ दिन तक ठीक ढंग से उपचार करना होगा। स्वस्थ होने में कम-से-कम एक सप्ताह तो लग ही जाएगा।
अतएव आपसे प्रार्थना है कि मुझे एक सप्ताह का अवकाश प्रदान करें। इस बीच मेरी पढ़ाई का जो नुकसान होगा, मैं स्वस्थ होते ही उसकी पूर्ति कर लूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महिपाल रांदेरिया।
कक्षा 8 (ब)
प्रश्न 3.
अपने स्कूल की किसी समस्या के बारे में प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
उत्तर :
श्रीमान प्रधानाचार्य
सरदार विद्यामंदिर,
नडियाद।
15-10-2013
विषय – विद्यालय के पुस्तकालय में विज्ञान और वैज्ञानिकों से संबंधी पुस्तकें न होना।
आदरणीय गुरुजी,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में साहित्य की पुस्तकों की भरमार है। एक-एक लेखक की कई-कई पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों में कविता, कहानी और उपन्यास आदि रचनाएँ हैं। परंतु विज्ञान से संबंधित पुस्तकें नहीं हैं।
वैज्ञानिकों की जीवनी संबंधी पुस्तक तो एक भी नहीं है। ऐसी पुस्तकें पढ़ने से बहुत प्रेरणा मिलती है। वैज्ञानिकों के अनुभव विज्ञान के प्रति रुचि जगाते हैं। पुस्तकालय में इनका अभाव बहुत खटकता है।
आशा है आप इस अभाव की पूर्ति पर ध्यान देंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुधीर कापडिया।
कक्षा 8 (अ)
2. सोचिए और लिखिए :
प्रश्न 1.
अगर तुम्हें मोबाइल फोन पर अपने मित्र को एस.एम.एस. द्वारा बधाई संदेश भेजना है, तो क्या लिखोगे?
उत्तर :
मेरे प्यारे रामू, आंतर विद्यालयीन वक्तृत्व स्पर्धा में प्रथम आने पर ढेर सारी बधाइयाँ। अपनी ओर से मैं टाइटन घड़ी भेज रहा हूँ।
अब तो पार्टी में ही मिलेंगे। अभिनंदन।
तुम्हारा ही,
निखिल।
प्रश्न 2.
तुमने इस बार छुट्टियों में क्या-क्या किया, यह अपने मित्र को कम्प्यूटर पर ई-मेल द्वारा बताना हो, तो क्या लिखोगे?
उत्तर :
प्रेमकुंज,
स्टेशन रोड,
अहमदाबाद।
20 नवम्बर, 2013
प्रिय अविनाश,
इस बार हमने छुट्टियाँ अहमदाबाद में ही बिताने का निर्णय किया था। इसलिए मुझे इस अवकाश का उचित ढंग से उपयोग करना था।
मैं नित्य प्रातःकाल व्यायाम शाला जाता था। वहाँ तरह-तरह के व्यायाम के साथ-साथ योग का भी अभ्यास करता था।
दोपहर को भोजन के बाद कुछ समय दूरदर्शन देखता था। अपराहन में साइकिल पर बैठकर मैं कम्प्यूटर क्लास में जाता था।
शाम को वहीं से हमारी दुकान पर जाता था और आठ बजे पिताजी के साथ घर लौटता था।
रात को दूरदर्शन देखता था या बहन के साथ कैरम या चैस खेलता था। इस तरह छुट्टी के दिन कब बीत गए, इसका पता ही न चला।
तुम्हारा मित्र,
सौरभ।
3. दिए गए प्रशासकीय शब्दों के आधार पर वाक्य बनाइए :
- अधीक्षक
- प्रभारी
- आयकर
- प्रशासन
उत्तर :
- अधीक्षक – शर्माजी कई वर्षों तक रेडियो के समाचार विभाग के अधीक्षक रहे।
- प्रभारी – उसने सूचना-विभाग के प्रभारी का पद संभाला।
- आयकर – आयकर छिपाना अपराध है।
- प्रशासन – पूर्व सूचना मिलने पर भी प्रशासन ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई।
4. डायरी के रूप में लिखिए :
प्रश्न 1.
किसी एक पूरे दिन के अपने अनुभव का विवरण।
उत्तर :
अहमदाबाद।
16 अक्तूबर, 2013
कल 16 अक्तूबर थी – नवरात्रि का पहला दिन। एक तरफ मन में उमंग और दूसरी तरफ चिंता थी। उमंग इस बात की थी कि डांडियारास देखने-खेलने को मिलेगा। वाद्यों की मधुर धुनें कानों में रस घोलेंगी। चिंता इस बात की थी कि कुछ ही दिनों में प्रथम सत्र की परीक्षाएँ होनेवाली थीं।
पहला प्रश्नपत्र अंग्रेजी का था। पता नहीं, इस विषय के प्रति मुझे क्यों अरुचि थी। थोड़ी तैयारी की थी, पर बहुत काम बाकी था। चिंता न कर क्या सब कुछ अंबा मैया पर छोड़कर निश्चिंत हो गया?
प्रश्न 2.
वार्षिकोत्सव में सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार मिलने का आपका अनुभव।
उत्तर :
मुंबई।
12 जनवरी, 2014
हमारे विद्यालय का इस वर्ष का वार्षिकोत्सव मेरे लिए एक सुनहरी यादगार घटना बन गया है। उत्सव में वक्तृत्व स्पर्धा का भी आयोजन था। विषय था “विज्ञान – शाप या वरदान?’
स्पर्धा का अंतिम वक्ता मैं था, लेकिन मुझे प्रथम पुरस्कार मिला। मित्र हैरान थे कि यह बहुत कम बोलनेवाला आज इतना धड़ाधड़ कैसे बोल रहा है। सचमुच, उस समय मेरी वाणी पर सरस्वती विराजमान हो गई थीं। शाम को पिताजी घर लौटे तो बहुत खुश थे।
उन्होंने अदालत में प्रतिवादी के वकील को अपनी दलीलों से परास्त कर दिया था। सचमुच, आज का दिन तो हमारे लिए सरस्वती का दिन ही था।
प्रश्न 3.
अपने जीवन का कोई सुखद अनुभव।
उत्तर :
सुरत।
17 नवंबर, 2013
आज का दिन तो सचमुच अविस्मरणीय रहा। दीवाली के मेले में जाने के लिए माँ ने बीस रुपए दिए थे। अब इस छोटी-सी रकम में क्या मेले का आनंद लिया जा सकता है? इसमें पाँच रुपए तो बस के किराये के लिए ही थे।
मैं मेले में जाने के लिए निकल ही रहा था कि मेरे मामाजी आ गए। वे बोले, “मेला देखे तो मुझे भी बरसों हो गए। चलो, मैं भी आज मेले का आनंद ले लूँ।”
मैं मामाजी की बाइक पर सवार हुआ और फट-फट करती हुई उनकी बाइक सड़क पर हवा से बातें करने लगी। मेले में हमने खूब आनंद लिया। समोसे खाए, लस्सी पी, गुलाबजामुन का स्वाद लिया। फोटो खिंचवाए, निशानेबाजी में इनाम जीता और चरखी पर बैठे।
हाथी की सवारी का भी आनंद लिया। इतना सब आनंद लेने के बावजूद मेरे बीस रुपये जैसे के तैसे जेब में पड़े रहे। मेले में घूमने का वह सुखद अनुभव शायद ही कभी भूल पाऊँ। इसका श्रेय मामाजी को है।
पत्र एवं डायरी (पत्र) स्वाध्याय
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए डायरी के अंश का अपनी मातृभाषा में अनुवाद कीजिए :
आज दिनाक 10 अगस्त, 2011 रात को नीद नही आ रही थी। खुशी का ठिकाना न था। कब सुबह हो जाए इसका इंतजार था। स्कूल से सैर जाने के आनंद में कल्पना करते-करते मुझे नींद आ गई। बड़े सबेरे 4:00 बजे अलार्म बजा और मम्मी की आवाज़ आई, “राकेश उठो, चार बज गए।” मैं आनंद तथा उत्साह से उठा। मन में डर भी था की मास्टरजी डाँटे नहीं। स्नानादि संपन्न करके स्कूल पहुँचा। सब साथी आ पहुँचे थे। मास्टरजी ने सबको बस में बैठाया और हम सैर के लिए निकल पड़े।
उत्तर :
Today is August 10, 2011. I had no sleep at night. I had boundless joy. I was waiting for the morning. While I was thinking about the joy of school picnic, I slept. The alarm rang at 4:00 early in the morning and I heard mother’s voice, “Rakesh, get up. It is four o’clock.” I got up with joy and enthusiasm. I had also fear if the teacher might scold me. After taking bath, etc. I reached school. All my classmates had already arrived. The teacher told us to take our seats in the bus and we set out for picnic.
આજ તારીખ 10 ઑગસ્ટ, 2011. રાત્રે ઊંઘ આવતી નહોતી. આનંદનો પાર નહોતો. ક્યારે સવાર પડે તેની રાહ જોતો હતો. સ્કૂલમાંથી પર્યટનમાં જવાના આનંદની કલ્પના કરતાં-કરતાં મને ઊંઘ આવી ગઈ. વહેલી સવારે 4:00 વાગ્યે ઍલાર્મ વાગ્યું અને મમ્મીનો અવાજ સંભળાયો, “રાકેશ ઊઠ, ચાર વાગી ગયા.” હું આનંદ અને ઉત્સાહથી ઊઠ્યો. મનમાં ડર પણ હતો કે ગુરુજી ધમકાવે નહિ. સ્નાન વગેરે પતાવીને સ્કૂલે પહોંચ્યો. બધા સાથીઓ આવી પહોંચ્યા હતા. ગુરુજીએ સૌને બસમાં બેસાડ્યા અને અમે પર્યટન માટે નીકળી પડ્યા.
Hindi Digest Std 8 GSEB पत्र एवं डायरी Important Questions and Answers
पत्र एवं डायरी (पत्र) प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बड़ों से पूछकर पता करो : हम जो पत्र लिखते हैं, वे दूसरों तक कैसे पहुंचते हैं? कौन ले जाता है? हम तक कौन पहुंचाता है, पत्र कहाँ इकट्ठे होते हैं?
उत्तर :
हम जो पत्र लिखते हैं, वे पत्र-पेटी में डालते हैं। डाकिया उन्हें डाकघर ले जाता है। डाकघर से उन पत्रों को पते के अनुसार रेल द्वारा वहाँ के डाकघरों में भेजा जाता है। वहाँ से फिर वे पत्र स्थानीय पते के अनुसार डाकिया द्वारा हम तक पहुँचाए जाते हैं।
प्रश्न 2.
आजकल पत्र किस-किस माध्यम से एकदूसरों तक पहुंचते हैं?
उत्तर :
आजकल पत्र डाक, कुरियर और ई-मेल के माध्यम से एकदूसरों तक पहुँचते हैं।
प्रश्न 3.
जिस क्षेत्र में आप रहते हैं, वहाँ का पिन (पोस्टल इन्डेक्स नंबर) कोड क्या है?
उत्तर :
मैं मकरपुरा, बड़ौदा में रहता हूँ। वहाँ का पिन (पोस्टल इन्डेक्स नंबर) कोड 390 018 है।
प्रश्न 4.
आपके घर डाक देने कौन आता है?
उत्तर :
हमारे घर डाक देने डाकिया या कुरियरवाला आता है।
प्रश्न 5.
डाकिये और कुरियरवाले की मुलाकात लेकर कोई तीन प्रश्न पूछिए। प्रश्न और उनके उत्तर लिखिए :
उत्तर :
डाकिये से बातचीत
(1) प्रश्न : आप डाकसेवा में कब-से हैं?
डाकिया – मुझे इस सेवा में पाँच वर्ष हो गए हैं।
(2) प्रश्न : इस सेवा में आपको क्या सुविधाएँ मिलती हैं?
डाकिया – इस सेवा में हमें वेतन के अलावा मुफ्त चिकित्सा-सुविधा मिलती है। हाईस्कूल तक दो बच्चों की फीस की रकम मिलती है। इसके अलावा हमें साइकिल भी मिलती है। नौकरी से अवकाश मिलने पर पेंशन मिलती है।
(3) प्रश्न : लोगों का व्यवहार आपके साथ कैसा है?
डाकिया – लोग हमारे आने का इंतजार करते हैं। हमारे प्रति उनका व्यवहार बहुत अच्छा होता है।
कुरियरवाले से बातचीत
- प्रश्न : (कुरियरवाले से) अंकल, आपको अपना काम कैसा लगता है?
कुरियरवाला – काम अच्छा है, पर मेहनत बहुत है। पत्रों और पार्सलों को उसी दिन पहुँचाना बड़ा कठिन काम है। बारिश के दिनों में बहुत तकलीफ होती है। - प्रश्न : क्या आप अपने काम से खुश हैं?
कुरियरवाला – हाँ खुश हूँ। मैं अपने काम को समाजसेवा मानता हूँ। - प्रश्न : आपको क्या सुविधाएँ मिलती हैं?
कुरियरवाला – हमें आने-जाने के लिए किराया मिलता है। कंपनी की ओर से रेलयात्रा के और बसयात्रा के लिए पास मिलता है।
प्रश्न 6.
संदेशव्यवहार के चित्र देखिए और समझिए।
उत्तर :
संदेशव्यवहार की परंपरा बहुत पुरानी है। पुराने जमाने में प्रशिक्षित कबूतरों द्वारा पत्राचार होता था। फिर यह काम संदेशवाहकों द्वारा होने लगा। राजामहाराजाओं के जमाने में पैदल या घुड़सवार संदेशवाहक संदेश पहुँचाने का काम करते थे।
आधुनिक युग में डाकघर पत्राचार का दायित्व सँभालते हैं। पहले केवल पोस्टकार्ड का उपयोग किया जाता था। फिर निजी पत्रों की गोपनीयता के लिए लिफाफे का उपयोग होने लगा। फिर अंतर्देशीयपत्र का भी उपयोग शुरू हुआ।
आजकल टेलीफोन संदेशव्यवहार का श्रेष्ठ साधन है। अब तो मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा भी हो गई है। इनसे संदेशव्यवहार के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति आ गई है।
पत्र एवं डायरी पत्रलेखन
टेलीफोन, मोबाइल, ई-मेल जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं के बावजूद पत्रलेखन का आज भी अपना महत्त्व है। मित्रों, परिवारजनों तथा संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखने के अवसर आते ही हैं। अतः पत्रलेखन की कला का ज्ञान होना आवश्यक है।
पत्रलेखन के निम्नलिखित रूप हैं –
- व्यक्तिगत पत्र : इस प्रकार के पत्र अपने परिवारजनों और मित्रों को लिखे जाते हैं। निमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, आश्वासन पत्र, अनुमति पत्र और प्रार्थना पत्र इसी श्रेणी में आते हैं।
- कार्यालयीन पत्र : ये पत्र अधिकारियों को उनसे संबंधित मामलों में शिकायत करने के लिए लिखे जाते हैं।
- व्यावसायिक पत्र : ये पत्र किसी व्यापारी से उससे संबंधित वस्तु मँगाने के लिए लिखे जाते हैं।
योग्यता विस्तार
पत्रलेखन के लिए ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- पत्र में सबसे ऊपर बायीं ओर अपना पूरा पता और दिनांक लिखें।
- जिसे पत्र लिखना हो उसके लिए बायीं ओर शिष्ट भाषा में संबोधन लिखें।
- इसके बाद पत्र के मुख्य कलेवर में विषय-वस्तु प्रस्तुत करें।
- पत्र के अंत में नीचे बायीं ओर पत्र लिखनेवाला अपना संबंध और नाम लिखें।
- पत्र में मित्र या सखी या अपने से छोटों के लिए ‘तुम’ सर्वनाम तथा अपने से बड़ों के लिए ‘आप’ सर्वनाम का प्रयोग करें।
- पत्र अधिक लंबा न हो और उसमें आवश्यक बातें ही लिखी जाएँ।
- पत्र में बोलचाल की सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
संबोधन, अभिवादन आदि की तालिका
इस प्रकरण में विभिन्न प्रकार के पत्रों के नमूने दिए गए हैं। उनको ध्यानपूर्वक पढ़िए। प्रत्येक पत्र की विशेषताओं को समझिए। यह ध्यान में रखिए कि प्रकार के अनुसार पत्र में खास तौर पर कौन-सी बातें लिखी जाती हैं।
डायरी-लेखन
प्रतिदिन की घटनाओं और अनुभवों को लिखना ‘डायरी-लेखन’ कहलाता है। डायरी में जो लिखा जाए वह संक्षिप्त और क्रमबद्ध हो। तिथि के साथ किया हुआ घटना का विवरण डायरी-लेखन को विश्वसनीय बना देता है। डायरी-लेखन में किसी की निंदा या टीका-टिप्पणी से दूर रहना चाहिए।
डायरी-लेखन से लेखक के व्यक्तिगत जीवन की ही नहीं, बल्कि उसके जीवनकाल से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी मिलती है। ‘डायरी’ के लिए हिंदी में ‘दैनंदिनी’, ‘दैनिकी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। डायरी प्रतिदिन लिखी जाती है। अथवा साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक भी हो सकती है।
डायरी-लेखन की विशेषताएँ :
डायरी-लेखन में निम्नलिखित गुण होना आवश्यक हैं –
- डायरी-लेखन में क्रमबद्धता हो।
- इसमें लिखा गया विवरण संक्षिप्त, सारगर्भित तथा वास्तविक हो।
- डायरी-लेखन में स्थान, तिथि, घटना या तथ्य का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना आवश्यक है।
- डायरी लिखते समय आलोचना, टीका-टिप्पणी, बनावटीपन, काल्पनिकता, चित्रात्मकता, अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
डायरी-लेखन के लाभ :
डायरी-लेखन के अनेक लाभ हैं –
- इससे जीवन में घटी घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
- डायरी में तथ्यों का उल्लेख रहता है। उसमें व्यक्ति दिनभर जो अच्छे बुरे काम करता है, उसका उल्लेख भी रहता है। इससे शनैः-शनैः बुराइयों से बचा जा सकता है।
- डायरी ही ऐसा दस्तावेज है जिसे पढ़कर किसी व्यक्ति के जीवन के पिछले अनुभवों तथा घटनाओं की जानकारी और वह भी संबंधित व्यक्ति के शब्दों में प्राप्त की जा सकती है।