Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 2 ईदगाह Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 2 ईदगाह
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर :
हामिद को लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर ख्याल आया कि दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय उसकी उँगलियाँ जल जाती हैं। चिमटा ले जाने पर वे जरूर प्रसन्न होंगी। चिमटा होने पर उसकी उँगलियाँ नहीं जलेंगी और घर में एक काम की चीज भी हो जाएगी। खिलौने और मिठाइयाँ खरीदने में तो पैसों की बरबादी ही है। ऐसा सोचकर हामिद ने और कोई चीज न खरीदकर चिमटा ही खरीदा।
प्रश्न 2.
चिमटा खरीदने के लिए हामिद कौन-से कारण बताता है?
अथवा
हामिद ने चिमटे की सर्वोपरिता कैसे सिद्ध की?
उत्तर :
हामिद ने बड़े गर्व के साथ अपने साथियों को बताया कि चिमटा सबसे बड़ा खिलौना है। इसे कंधे पर रखें तो यह बंदूक हो जाएगा। हाथ में लेने पर फकीरों का चिमटा हो जाएगा। चिमटे से मंजीरे का काम भी लिया जा सकता है। यदि वह एक चिमटा जमा दे तो सभी के खिलौनों की जान निकल जाए। उसका चिमटा तो बहादुर शेर है। वह आग-पानी में, आँधी-तूफान में बराबर डटा रहेगा। इस प्रकार हामिद ने चिमटा खरीदने के पीछे कई कारण बताए और उसकी सर्वोपरिता सिद्ध की।
प्रश्न 3.
बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में क्यों बदल गया?
उत्तर :
हामिद के चिमटा लाने पर अम्मा को दुःख हुआ। उसे हामिद की नासमझी पर क्रोध भी आया। हामिद ने दादी से कहा कि रोटियाँ पकाते समय तुम्हारी उँगलियाँ जल जाती थी, इसलिए मैं चिमटा लाया हूँ। यह सुनकर बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में बदल गया। हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर वह न्यौछावर हो गई।
प्रश्न 4.
अमीना ईद के दिन निराशा में क्यों डूबी हई थी?
अथवा
बूढ़ी अमीना ईद को क्यों कोस रही थी?
उत्तर :
बूढ़ी अमीना बहुत दुःखी थी। एक ही वर्ष में उसका जवान बेटा और बह दोनों चल बसे थे। अब सिर्फ छोटा पोता हामिद ही बचा था। हामिद के पास न जूते थे, न ढंग के कपड़े। ईद के दिन भी अमीना के घर अनाज का दाना नहीं था। धन के नाम पर उसके बटुए में पाँच पैसे और हामिद के पास तीन पैसे थे। इसी बदहाली के कारण अमीना ईद के दिन निराशा में डूबी हुई थी और ईद को कोस रही थी।
प्रश्न 5.
हामिद मेले में जाने लगा तो अमीना उसके लिए क्यों चिंतित थी?
उत्तर :
गाँव के दूसरे लड़के अपने-अपने बाप के साथ मेले में जा रहे थे। हामिद के तो माँ-बाप मर चुके थे। अमीना उसे अकेले कैसे भेजती? उसे डर था कि कहीं भीड़ में हामिद खो न जाए। तीन कोस का सफर था और हामिद के पाँवों में जूते भी नहीं थे। अमीना को लगा कि हामिद जाएगा तो उसके पाँवों में छाले पड़ जाएँगे। उसकी जेब में केवल तीन पैसे थे। इन्हीं कारणों से हामिद मेले में जाने लगा तो उसके लिए अमीना चिंतित थी।
प्रश्न 6.
ईदगाह के मार्ग का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
गाँव से निकलकर लोग ईदगाह की ओर जा रहे थे। कभी सब बच्चे दौड़कर आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर साथवालों का इंतजार करते थे। ईदगाह जाने के मार्ग में बड़ी-बड़ी इमारतें थीं। अदालत, कालेज, कलाघर आदि उसी रास्ते पर थे। हलवाइयों की दुकानें खूब सजी हुई थीं। एक-एक दुकान पर ढेरों मिठाइयाँ थीं।
प्रश्न 7.
हामिद के साथियों ने कौन-कौन-से खिलौने खरीदे?
उत्तर :
मेले की दुकानों में तरह-तरह के खिलौने थे। महमूद ने खाकी वर्दी और लाल पगड़ीवाला एक सिपाही खरीदा। मोहसिन ने एक भिश्ती लिया। भिश्ती अपनी झुकी हुई कमर पर मशक रखे हुए था। नूरे ने एक वकील पसंद किया। सम्मी ने एक खंजरी खरीदी। इस प्रकार हामिद के साथियों ने अपनी-अपनी पसंद के खिलौने खरीदे।
प्रश्न 8.
खिलौने और मिठाइयाँ खरीदनेवाले साथियों के बारे में हामिद के मन में क्या विचार आए?
उत्तर :
मिठाइयाँ खानेवाले साथियों के बारे में हामिद ने सोचा कि सचमुच ये लोग बड़े लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लीं, पर मुझे एक भी न दी। इतनी मिठाइयाँ खाने से इनका मुंह सड़ेगा, फोड़े-फुसियाँ निकलेंगी और जबान चटोरी हो जाएगी। तब मिठाइयों के लिए ये लोग घर से पैसे चुराएँगे और मार खाएँगे। अम्मा चिमटा देखकर मुझे दुआएँ देंगी। इन लोगों के खिलौने पर कौन इन्हें दुआएँ देगा? इस प्रकार हामिद के मन में खिलौने और मिठाइयाँ खरीदनेवाले साथियों के बारे में तरह-तरह के विचार आए।
प्रश्न 9.
चिमटे पर मोहित होकर हामिद के साथी क्या सोचने लगे?
उत्तर :
हामिद के चिमटे ने अपना खूब रंग जमाया। उससे प्रभावित होकर दूसरे लड़के सोचने लगे – काश, हमने भी चिमटा लिया होता। अब तो पैसे भी नहीं बचे और सब मेले से बहुत दूर निकल आए हैं। बड़ों से जिद करें तो भी चिमटा नहीं मिल सकता। सचमुच, टूट-फूट जानेवाले इन खिलौनों का क्या भरोसा? हामिद का चिमटा तो बरसों बना रहेगा। चिमटे पर मोहित होकर हामिद के साथी खिलौने खरीदने पर पछताने लगे।
प्रश्न 10.
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर अमीना पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर अमीना चौंक उठी। उसकी समझ में नहीं आया कि इतने बड़े मेले में हामिद को और कोई चीज नहीं मिली जो यह चिमटा उठा लाया! उसे बड़ा दुःख हुआ। उसने सोचा कि यह कितना बेसमझ लड़का है! दोपहर होने आई और इसने न कुछ खाया, न पिया। इस प्रकार हामिद को चिमटा लाया देखकर अमीना को बहुत दुःख हुआ।
प्रश्न 11.
अमीना ने दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ क्यों दी?
उत्तर :
हामिद ने अपनी दादी अमीना से कहा कि रोटियाँ पकाते समय तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैं चिमटा लाया हूँ। यह सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया। बच्चे का इतना त्याग, सद्भाव और विवेक देखकर वह चकित रह गई। उसे यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि दूसरे बच्चों को खिलौने खरीदते और मिठाइयाँ खाते देखकर भी यह अपने मन पर काबू कैसे रख सका? अपने प्रति पोते का यह स्नेह देखकर वह गद्गद हो उठी। वात्सल्य के उसी आवेश में अमीना ने दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ दीं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
गाँव के लोग अपने-अपने काम ईदगाह जाने से पहले ही क्यों कर लेना चाहते थे?
उत्तर :
गाँव के लोगों ने सोचा कि ईदगाह पहुँचने और वहाँ लोगों से मिलजुलकर घर लौटने में दोपहर हो जाएगी। इसलिए वे ईदगाह जाने से पहले ही अपने-अपने काम कर लेना चाहते थे।
प्रश्न 2.
किन अभावों के बावजूद हामिद प्रसन्न था?
उत्तर :
हामिद के माँ-बाप नहीं थे। उसके घर में अनाज नहीं था, पाँवों में जूते नहीं थे और जेब में सिर्फ तीन पैसे थे, फिर भी हामिद प्रसन्न था।
प्रश्न 3.
अमीना ईद को क्यों कोस रही थी?
उत्तर :
ईद के दिन अमीना के घर में अनाज का दाना तक नहीं था और उसके बटुए में सिर्फ पाँच पैसे थे। इतने बड़े त्यौहार पर घर में अन्न और धन का अभाव होने से अमीना ईद को कोस रही थी।
प्रश्न 4.
हामिद चरखी पर क्यों नहीं बैठा? ।
उत्तर :
हामिद जरा-सां चक्कर खाने के लिए अपने तीन पैसों में से एक पैसा खर्च करना नहीं चाहता था। इस प्रकार पैसों की कमी के कारण हामिद चरखी पर नहीं बैठा।
प्रश्न 5.
दुकानों में कैसे-कैसे खिलौने थे?
उत्तर :
दुकानों में सिपाही और गुजरिया, राजा और वकील, भिश्ती और धोबिन आदि तरह-तरह के खिलौने थे। ये खिलौने इतने सजीव थे कि लगता था, जैसे अब बोलने ही वाले हों।
प्रश्न 6.
हामिद लोहे की दुकान पर क्यों रुक गया?
उत्तर :
लोहे की दुकान पर कई चिमटे रखे हुए थे, जिन्हें देखकर हामिद को अपनी दादी के पास चिमटा न होने का ख्याल आया। चिमटा खरीदने के विचार से हामिद लोहे की दुकान पर रुक गया।
प्रश्न 7.
हामिद को चिमटा बड़े काम की चीज क्यों लगता है?
उत्तर :
हामिद को चिमटा बड़े काम की चीज लगता है, क्योंकि उससे रोटियाँ तवे पर से उतारकर चूल्हें में सेंक सकते हैं। इसके अलावा कोई आग माँगने आए तो चिमटे द्वारा चूल्हें से आग निकालकर उसे दे सकते हैं।
प्रश्न 8.
हामिद के अनुसार ज्यादा मिठाइयाँ खाना उचित क्यों नहीं है?
उत्तर :
हामिद के अनुसार ज्यादा मिठाइयाँ खाना उचित नहीं, क्योंकि इससे मुँह सड़ता है, फोड़े-फुसियाँ निकलती हैं और जबान चटोरी हो जाती है। फिर पैसे चुराने की आदत पड़ जाने पर मार खानी पड़ती है।
प्रश्न 9.
बड़ों की दुआओं के बारे में हामिद क्या मानता है?
उत्तर :
हामिद मानता है कि अच्छा काम करने पर बड़े लोग दुआ देते हैं। बड़ों की दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं और तुरंत सुनी जाती हैं।
प्रश्न 10
अमीना ने अपनी छाती क्यों पीट ली?
उत्तर :
अमीना ने अपनी छाती पीट ली, क्योंकि हामिद ने सुबह से कुछ खायापिया नहीं था। मेले में खाने-पीने की कोई चीज न लेकर वह लोहे का चिमटा खरीद लाया था!
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग कहाँ जाते हैं?
उत्तर :
रमजान ईद के दिन मुसलमान नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाते हैं।
प्रश्न 2.
दुकानों में कौन-कौन-से खिलौने मिल रहे थे?
उत्तर :
दुकानों में सिपाही, गुजरिया, राजा, वकील, भिश्ती, धोबिन आदि मिट्टी के खिलौने मिल रहे थे।
प्रश्न 3.
रमजान के किस दिन ईद मनाई जाती है?
उत्तर :
रमजान महीने के तीस रोजों के बाद ईद मनाई जाती है।
प्रश्न 4.
रोजे के दिन मुसलमान क्या करते हैं?
उत्तर :
सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी न खाने-पीने को अर्थात् उपवास को ‘रोजा’ कहते हैं। ‘रोजा’ मुसलमानों का एक मजहबी फर्ज है।
प्रश्न 5.
रोजा किसके लिए है?
उत्तर :
रोजा बड़े-बूढ़ों के लिए है।
प्रश्न 6.
हामिद कैसा लड़का है?
उत्तर :
हामिद बिना माँ-बाप का, गरीब सूरत का दुबला-पतला लड़का है।
प्रश्न 7.
हामिद किसके साथ रहता था?
उत्तर :
हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना के साथ रहता था।
प्रश्न 8.
हामिद के पिता की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर :
हामिद के पिता की मृत्यु हैजे से हुई थी।
प्रश्न 9.
हामिद हिंडोले पर क्यों नहीं चढ़ा?
उत्तर :
हामिद हिंडोले पर नहीं चढ़ा, क्योंकि वह अपने तीन पैसों में से एक पैसा हिंडोले पर जरा-सा चक्कर खाने के लिए बरबाद नहीं करना चाहता था।
प्रश्न 10.
महमूद और मोहसिन ने कौन-से खिलौने खरीदे?
उत्तर :
महमूद ने खाकी वर्दी और लाल पगड़ीवाला सिपाही और मोहसिन ने झुकी हुई कमर पर मशक रखे हुए एक भिश्ती खरीदा।
प्रश्न 11.
नूरे ने मेले में क्या खरीदा?
उत्तर :
नूरे ने मेले में एक शानदार वकील का खिलौना खरीदा।
प्रश्न 12.
हामिद का चिमटा कौन-कौन-से काम कर सकता था?
उत्तर :
हामिद का चिमटा बंदूक, फकीरों के चिमटे और मंजीरे का काम कर सकता था।
प्रश्न 13.
महमूद ने हामिद को अपना साथी क्यों बनाया?
उत्तर :
महमूद ने हामिद को अपना साथी बनाया, क्योंकि हामिद के चिमटे ने उसे बहुत प्रभावित कर लिया था।
प्रश्न 14.
अमीना को क्रोध क्यों आया?
उत्तर :
अमीना को क्रोध आया, क्योंकि हामिद मेले से खाने-पीने की कोई किसी चीज न खरीदकर एक चिमटा ले आया था।
सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
(1) गाँव में बड़ी हलचल थी, क्योंकि …
(अ) अगले दिन ईद का त्यौहार था।
(ब) लोग ईदगाह से लौट आए थे।
(क) लोग ईदगाह जाने की तैयारियां कर रहे थे।
उत्तर :
गाँव में बड़ी हलचल थी, क्योंकि लोग ईदगाह जाने की तैयारियाँ कर रहे थे।
(2) अमीना का दिल कचोट रहा था, क्योंकि…
(अ) हामिद को मेले में अकेले भेजना उसे अच्छा नहीं लगता था।
(ब) अभी तक उसे रुपये नहीं मिले थे।
(क) उसके पास पहनने के लिए नए कपड़े नहीं थे।
उत्तर :
अमीना का दिल कचोट रहा था, क्योंकि हामिद को मेले में अकेले भेजना उसे अच्छा नहीं लगता था।
(3) चिमटे का दाम सुनकर हामिद का दिल बैठ गया, क्योंकि …
(अ) अन्य चीजें सस्ती थीं।
(ब) चिमटा ठीक नहीं था।
(क) उसके पास केवल तीन पैसे थे।
उत्तर :
चिमटे का दाम सुनकर हामिद का दिल बैठ गया, क्योंकि उसके पास केवल तीन पैसे थे।
(4) मोहसिन ने हामिद को बुद्धू कहा, क्योंकि …
(अ) वह सबके खिलौनों का मजाक उड़ा रहा था।
(ब) उसने चिमटा खरीदा था।
(क) उसने चिमटे को बंदूक की तरह कंधे पर रखा था।
उत्तर :
मोहसिन ने हामिद को बुद्धू कहा, क्योंकि उसने चिमटा खरीदा था।
(5) दूसरे लड़के भी चिमटा खरीदना चाहते थे, क्योंकि …
(अ) वह अच्छा और सस्ता था।
(ब) उन्हें चिमटा खरीदने के लिए अलग से पैसे दिए गए थे।
(क) हामिद के चिमटे ने सबको मोहित कर दिया था।
उत्तर :
दूसरे लड़के भी चिमटा खरीदना चाहते थे, क्योंकि हामिद के चिमटे ने सबको मोहित कर दिया था।
(6) अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया, क्योंकि …
(अ) हामिद ने उससे माफी माँगी।
(ब) उसने हामिद में त्याग, सद्भाव और विवेक जैसे गुण देखे।
(क) बच्चों ने अमीना को समझाया था।
उत्तर :
अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया, क्योंकि उसने हामिद में त्याग, सदभाव और विवेक जैसे गुण देखे।
कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(अम्मा, कुबेर, चिमटा, रमजान, हैज़े, ईद)
(1) रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आई है।
(2) रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे, बच्चों के लिए तो ईद है।
(3) उनकी अपनी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है।
(4) हामिद का बाप गत वर्ष हैज़े की भेंट हो गया।
(5) हामिद अमीना को अम्मा कहता है।
(6) हामिद को ख्याल आया, दादी के पास चिमटा नहीं है।
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
(1) रमजान के पूरे तीस ……………. के बाद ईद आती है।
A. विधानों
B. दानों
C. फेरों
D. रोजों
उत्तर :
D. रोजों
(2) ………….. अमीना का पोता था।
A. मोहसिन
B. महमूद
C. हामिद
D. नूरे
उत्तर :
C. हामिद
(3) अमीना अपने को क्या समझती है?
A. भाग्यवान
B. भाग्यहीन
C. मूर्ख
D. लापरवाह
उत्तर :
B. भाग्यहीन
(4) खिलौने देखकर कोई क्या नहीं देगा?
A. शाबाशी
B. पैसे
C. दुआएँ
D. बधाई
उत्तर :
C. दुआएँ
(5) हामिद को किसने साथी बनाया?
A. नूरे ने
B. मोहसिन ने
C. महमूद ने
D. सम्मी ने
उत्तर :
C. महमूद ने
(6) ईद की नमाज पढ़ने की जगह को क्या कहते हैं?
A. ईदबाग
B. ईदमैदान
C. ईदघर
D. ईदगाह
उत्तर :
D. ईदगाह
प्रश्न 7.
अब आप चिमटे के प्रयोग की तरह रूमाल के विविध प्रयोग बताइए।
उत्तर :
रूमाल का उपयोग हाथ-मुँह और पसीना पोंछने में किया जाता है। उसके अन्य उपयोग भी हैं, जैसे तेज धूप में उसे सिर पर बाँध सकते हैं। हल्की । बारिश में भी वह कुछ हद तक सिर को भीगने से बचा सकता है। थैली न हो तो वह शाक-सब्जी आदि बाँधने के काम आ सकता है। रूमाल से जादू के कुछ प्रयोग भी किए जाते हैं।
प्रश्न 8.
इस कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ ही क्यों रखा गया? आप इसके अलावा कौन-सा शीर्षक देना चाहेंगे? क्यों?
उत्तर :
ईद की नमाज पढ़ने के लिए गाँव के लोग ईदगाह जाने की तैयारी करते हैं। ईदगाह जाने का सबसे अधिक उत्साह लड़कों में है। हामिद उन्हीं में से एक है। ईदगाह में नमाजियों का भ्रातृभाव देखते ही बनता है। नमाज के बाद लड़के ईदगाह के मेले में जाते हैं। मेले में बालकों की विविध मनोवृत्तियों के दर्शन होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र हामिद के चरित्र की अनेक विशेषताएँ ईदगाह के मेले में ही प्रकट होती हैं। इस प्रकार कहानी की मुख्य प्रवृत्तियों का केंद्र ईदगाह होने से इस कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ रखा गया है।
‘ईदगाह’ के अलावा मैं कहानी के ये अन्य शीर्षक देना चाहूँगा :
(1) ‘हामिद ईदगाह के मेले में’,
(2) ‘हामिद और उसका चिमटा’ आदि। कहानी का उद्देश्य और आदर्श इन शीर्षकों से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
उत्तर :
हमारे इतिहास और पुराणों में परोपकार के अनेक उदाहरण मिलते हैं। दधीचि ने मानवकल्याण तथा असुरों के संहार के लिए अपना शरीर त्याग दिया। राजा शिबि ने कबूतर के प्राण की रक्षा के लिए अंग दान किए। महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले अपने रसोइए जगन्नाथ के प्राणों की रक्षा धन देकर की। भारतीय समाज को दे रही हैं। भारतीय समाज में युगों से परोपकार की सुरसरिता प्रवाहित होती आई हैं। यहाँ ऋषि-मुनियों ने यही सीख दी है कि, निराश्रितों को आसरा दो। दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक और आर्थिक मदद करो। भूखों को भोजन करवाओ। विद्वान हो तो विद्या का प्रचार कर समाज का उद्धार करो। यहाँ सदा सबकी भलाई में ही अपनी भलाई मानी जाती रही है। संसार के सभी धर्मों का मूल परोपकार है। किसी भी संत-महात्मा ने इसके बिना मनुष्य जीवन को सार्थक नहीं माना। लोग परोपकार के लिए ही औषधालय, गौशालाएँ और धर्मशालाएँ बनवाते हैं। सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें तो समाज एवं देश की उन्नति होती रहेगी तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना फैलेगी।
(1) ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कौन-कौन-से उदाहरण मिलते हैं?
उत्तर :
ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कई उदाहरण मिलते हैं :
(1) महर्षि दधीचि ने मानवकल्याण तथा असुरों के विनाश के लिए अपना शरीर त्याग दिया था।
(2) राजा शिबि ने अपने अंग का दान देकर एक कबूतर के प्राण बचाए थे।
(3) महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले रसोइए जगन्नाथ की जान धन देकर बचाई थी।
(2) ऋषि-मुनियों ने हमें क्या सीख दी है?
उत्तर :
ऋषि-मुनियों ने हमें सीख दी है कि निराश्रितों (बेघरों) को आश्रय दो, दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक तथा आर्थिक मदद करो, भूखों को भोजन कराओ और यदि आप विद्वान हों तो विद्या का प्रचार करो।
(3) देश एवं समाज की उन्नति किस प्रकार होगी?
उत्तर :
यदि सभी लोग अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें, तो देश और समाज की उन्नति होगी।
(4) विलोम शब्द लिखिए : आश्रित, अवनति
उत्तर :
आश्रित x अनाश्रित,
अवनति x उन्नति ।
(5) परिच्छेद के आधार पर अपने साथियों से पूछने के लिए तीन प्रश्न बनाओ।
उत्तर :
(1) भारतीय समाज में युगों से क्या प्रवाहित होती रही है? (परोपकार की गंगा)
(2) सभी धर्मों का मूल क्या है?
(3) परोपकार के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
(6) इस परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
उचित शीर्षक : परोपकार की महिमा।
प्रश्न 10.
तुम भी हामिद की तरह किसी न किसी मेले में गए होगे। वहाँ तुमने क्या-क्या खरीदा और क्यों?
उत्तर :
दिसंबर के आखिरी हफ्ते में हमारे यहाँ से कुछ दूर ‘भवानी मंदिर’ के पास मेला लगता है। इसे ‘भवानी मेला’ कहते हैं। पिछली बार मैं भी अपने मित्र के साथ इस मेले में गया था। मेले में तरह-तरह की चीजों की दुकानें थीं। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या लूँ, क्या न लूँ। मेरे पास ज्यादा रुपये नहीं थे। इसलिए सोचा कि जरूरत की चीजें ही लूँ। मेरे पास लिखने के लिए अच्छा पेन नहीं था। दुकानदार के भरोसा दिलाने पर मैंने एक पेन खरीदा। ठंडी के दिनों में दादाजी के कानों में ठंडी हवा लगती थी। उनके लिए मैंने गुलूबंद खरीदा। छोटी बहन के लिए गुड़िया खरीदी। मेरे मित्र ने भी अपनी जरूरत की चीजें खरीदीं। शाम को हम घर लौटे। गुलूबंद पाकर दादाजी खुश हुए। गुड़िया पाकर छोटी बहन खुशी से उछल पड़ी। मेरा पेन देखकर पिताजी खुश हुए। बोले, “म की चीजें खरीदकर तुमने अपनी समझदारी बताई है।”
प्रश्न 11.
यदि तुम्हें मेले से अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो क्या खरीदोगे और क्यों?
उत्तर :
यदि मुझे मेले में अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो मैं चश्मा रखने का बॉक्स खरीदूंगा। दादी ने कुछ दिन पहले ही नया चश्मा बनवाया है। चश्मे के साथ बॉक्स मिला था, पर एक दिन बॉक्स दादी के हाथ से गिरकर टूट गया। अब दादी अपना चश्मा सुरक्षित रखने के लिए बहुत चिंतित रहती थी। पिताजी से कई बार बॉक्स लाने के लिए वे कह चुकी थी, पर वे भूल जाते या व्यस्तता के कारण नहीं ला पाते। इसलिए मेले में यदि अच्छा बॉक्स (चश्माघर) मिलेगा तो मैं सबसे पहले वही खरीदूंगा। अपनी जरूरत की चीज पाकर दादी बेहद खुश होंगी और मुझे दिल खोलकर आशीर्वाद देंगी।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी और विरोधी शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए :
प्रश्न 13.
रूपरेखा के आधार पर कहानी पूर्ण कीजिए :
एक नगर में दो स्त्रियाँ – एक ही बालक के लिए दावेदार – आपस में तकरार – मामला न्यायाधीश के समक्ष – दोनों की बातें सुनना – न्याय करना – बालक के दो टुकड़े करके बाँट लो – एक स्त्री मौन – दूसरी का रोकर कहना – बच्चे को न काटो – उसे ही दे दो – न्यायाधीश का फैसला – रोती हुई स्त्री को बालक सौंपना।
उत्तर :
सच्ची माँ अथवा न्यायाधीश का फैसला
किसी नगर में दो स्त्रियाँ पास-पड़ोस में रहती थी। उनमें एक स्त्री बड़ी चालाक और झगड़ालू थी। उसके कोई संतान नहीं थी। दूसरी स्त्री बड़ी सरल और मिलनसार थी। उसके एक बेटा था। प।जिए।
एक बार संतानवाली स्त्री अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर बाहर गई हुई थी। मौका पाकर निःसंतान स्त्री बच्चे को पालने से उठाकर ले गई। फिर वह फौरन, बाहर चली गई।
बच्चे के गुम हो जाने पर बच्चे की माँ बहुत दुःखी हुई। उसने किसी तरह अपनी चोर पड़ोसिन का पता लगाया और उसके पास जाकर अपना बच्चा माँगा। तब उसने कहा, “यह मेरा बेटा है। मैं न दूँगी, जो चाहे सो कर ले।” दोनों में खूब झगड़ा हुआ। तब लोगों ने उन्हें न्यायालय में जाकर झगड़े का निपटारा करने की सलाह दी।
आखिर दोनों स्त्रियाँ न्यायाधीश के पास पहुँचीं। बच्चे पर दोनों का एक-सा दावा देखकर न्यायाधीश ने अपने कर्मचारी को आदेश दिया, “इस बच्चे के दो बराबर टुकड़े करो और एक-एक दोनों स्त्रियों को दे दो।” न्यायाधीश का फैसला सुनकर नि:संतान स्त्री तो चुप रही, पर बच्चे की माँ रोकर कहने लगी, “हुजूर आप बच्चे को मारिए मत। चाहे तो उसे ही सोंप दीजिए। इस तरह मेरा बेटा जीवित तो रहेगा।”
चतुर न्यायाधीश फौरन समझ गया कि दोनों में सच्ची माँ कौन है। उसने सच्ची माता को उसका बच्चा सौंप देने और नि:संतान स्त्री को हिरासत में लेने का हुक्म दिया। सीख : आखिर सत्य की ही विजय होती है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित अपूर्ण कहानी को अपने शब्दों में पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
मौसम में ठंडक बढ़ने लगी थी। माँ सोचने लगी कि इस साल ढेर सारे स्वेटर बनाकर बेचने हैं, जिससे अंकित की दसवीं कक्षा की फीस और पढ़ाई का खर्च निकाला जा सके। अंकित के पापा नहीं थे। एक बड़ी बहन थी। अंकित अपने घर में समृद्धि लाने के लिए प्रतिदिन सोचता रहता है। गर्मी की छुट्टियाँ थीं। अंकित अपने मामा के घर मुंबई आया हुआ था। उन दिनों टीवी पर ‘कौन बनेगा करोडपति?’ कार्यक्रम चल रहा था। मामा के प्रोत्साहन और सहायता से अंकित ने ‘के. बी. सी’ के संचालकों से संपर्क किया। भाग्य ने उसका साथ दिया और एक दिन उसे कार्यक्रम की ‘होट सीट’ पर बैठने का मौका मिल गया! अंकित के सामने बैठे थे बोलीवूड के महानायक अमिताभ बच्चन! उन्होंने दर्शकों को अंकित का परिचय दिया। फिर शुरू हुई प्रश्नमालिका। अंकित खुश था और घबरा भी रहा था! लेकिन वह स्वस्थ रहा।
अंकित ने उनके प्रश्नों के सही उत्तर दिए। भाग्य ने उसका साथ दिया। वह पच्चीस लाख रुपये तक पहुँच गया। अगले प्रश्न का उत्तर उसे न सूझा। उसकी चारों लाइफ लाइनें खत्म हो चुकी थीं। अंकित ने गेम से ‘क्वीट’ करने का निश्चय किया। अमिताभ बच्चन के हाथों पच्चीस लाख का चेक पाकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। अब अंकित की माँ को ढेर सारे स्वेटर बनाने और अंकित की पढ़ाई का खर्च निकालने की चिंता नहीं करनी पड़ी।
ईदगाह Summary in Hindi
पाठ का सार ईदगाह जाने की तैयारी : महीनाभर रोजा रखने के बाद ईद आई है। सब में उत्साह और उमंग है। गाँव के लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं। ज्यादा उत्साह बच्चों में है। महमूद, मोहसिन, हामिद, नूरे और सम्मी आदि सभी बालक खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। बड़ों को नमाज में शरीक होना है और बच्चों को मेले का मजा लूटना है।
दुःखी अमीना : हामिद की दादी अमीना के दुःख का पार नहीं है। हामिद के न माँ है, न बाप। आज ईद के दिन उसके घर में दाना नहीं है। हामिद ईदगाह जाने के लिए तैयार है। सिर्फ तीन पैसे उसकी जेब में हैं। उसके पास जूते भी नहीं हैं।
डरना नहीं अम्मा : अमीना को डर है कि अकेला हामिद कहीं खो न जाए। परंतु हामिद दादी से कहता है – तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा। ईदगाह पर : ईदगाह पहुँचकर सभी गाँववालों ने वजू की और सबके साथ नमाज पढ़ी। नमाज खत्म होने पर सब लोग एक-दूसरे से गले मिले। ”
ईद के मेले में : ईद के मेले में तरह-तरह की चीजों की दुकानें और मनबहलाव के साधन थे। सभी बच्चों ने हिंडोले और चरखी पर बैठने का आनंद लिया। फिर उन्होंने खिलौने खरीदे और मिठाइयाँ खाईं।
हामिद : हामिद सबसे अलग है। उसके पास कुल तीन पैसे हैं। इतने महँगे खिलौने वह कैसे खरीदे? ये खिलौने भी ऐसे कि हाथ से छूटे, तो चूर-चूर हो जाएँ ! ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा? वह मिठाई भी नहीं खरीद सकता। उसे चटोरा भी नहीं बनना है।
दादी का ख्याल आया : हामिद को एकाएक अपनी दादी का ख्याल आया। दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटी उतारते समय उनका हाथ जल जाता है। अगर वह चिमटा लेता है, तो दादी की उँगलियाँ कभी न जलेंगी। ऐसा सोचकर हामिद ने तीन पैसे में चिमटा खरीद लिया।
चिमटे का प्रभाव : हामिद के हाथ में चिमटा देखकर सभी उसकी हँसी उड़ाने लगे, पर हामिद ने अपने चिमटे की ऐसी बड़ाई की कि सब दंग रह गए। दूसरे लड़कों ने मिट्टी के खिलौने खरीदे थे। चिमटा ऐसा बहादुर शेर था कि उन खिलौनों में से कोई भी उसे जीत नहीं सकता था! मोहसिन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह हामिद को चिमटे के बदले अपना भिश्ती देने को तैयार हो गया। महमूद ने हामिद को दोस्त बनाकर उसे केला खिलाया।
दादी अमीना चौंक उठी : हामिद सबके साथ घर लौट आया। उसके हाथ में चिमटा देखकर वह चौंक उठी। उसने सोचा कि हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे थे। उनका तो हामीद ने चिमटा ले लिया। यह दिनभर भूखा-प्यासा रहा होगा। वह बोली – “सारे मेले में तुझे और कोई चीज न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया?”
तुम्हारी उँगलियाँ जल जाती थीं न ! : हामिद ने अपराधी भाव से कहा – “तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थी, इसलिए मैंने चिमटा लिया।”
क्रोध स्नेह में बदल गया : हामिद का उत्तर सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया! उसका मन गद्गद हो गया। उसके मुँह से हामिद के लिए दुआएँ निकलने लगीं और आँखों से आँसू बहने लगे!
ईदगाह Summary in English
Preparation for going to Idgah : For the whole month, Rozas were observed; and today is the festival of Id. The hearts of people are filled with joy and delight. The people of the village are preparing to go to Idgah. Children are particularly very happy. Mehmud, Mohsin, Hamid, Noor, Sammi and other children are extremely delighted. The elders are to attend the Namaaz and the children are to enjoy the fun in the fair.
Unhappy Amina : Hamid’s grandmother Amina’s agony knows no bound today. The parents of Hamid are dead. Even today, on the day of Id, they do not have food to eat. Hamid is ready to go to Idgah, but he has only three paise in his pocket and no shoes to wear.
Don’t worry, Grandma! : Amina is worried about Hamid. If he goes to the fair alone, she fears, he may be lost in the crowd ! But Hamid says to his grandmother, “Grandma, don’t worry, I shall be the first to return.”
At the Idgah : On reaching the Idgah, the village people did their ‘Vajoo’. Then they did their Namaaz together. After the Namaaz was over, they embraced one another warmly.
At the fair : There were many shops in the fair and a variety of articles and entertainment items were sold there. Children enjoyed rides of the swings and merry-go-round. Then they bought toys and ate sweets.
The lonely Hamid : Hamid is different from all others. He has only three paise. How can he buy such costly toys ? And how brittle are the toys! If slipped from the hand, they would break into pieces soon. Why should he buy such toys ? He cannot buy sweets also. He does not want to be a glutton.
A thought for his grandmother: Suddenly Hamid thinks for his grandmother. His grandmother has no pair of tongs with her. When she prepars chapatis on Tavi, her fingers get burnt sometimes. If he buys a pair of tongs, his grandmother’s fingers will never be burnt. So Hamid bought a pair of tongs for three paise! His grandmother will be very happy and bless him. I am poor but atleast I don’t ask anything from anyone.
Reaction to the pair of tongs : When children saw a pair of tongs in Hamid’s hands, they made fun of him. But Hamid praised his tongs so much that all were amazed. Other children had bought the earthen toys. But the pair of tongs was such a lion that no other toy could defeat it! Mohsin was even ready to exchange his toy waterman (Bhisti) for the pair of tongs. Mehmud made Hamid his friend and gave him a banana to eat. All this was the effect of tongs.
Grandmother surprised : Hamid returned home in the company of all others. When his grandmother saw a pair of tongs in Hamid’s hand, she was amazed. She thought, Hamid had only three paise and he bought a pair of tongs for those three paise. That means he must have been hungry for the whole day! She asked Hamid, “Didn’t you find anything else in the fair that you bought only a pair of tongs ?”
ईदगाह Summary in Gujarati
ઈદગાહ પર : ઈદગાહ પહોંચીને બધા ગામલોકોએ ‘વજૂ કરી. સૌએ સાથે નમાજ પઢી. નમાજ પૂરી થતાં સૌ એકબીજાને ભેટ્યા.
ઈદના મેળામાં : ઈદના મેળામાં જાતજાતની વસ્તુઓની દુકાનો હતી. મનોરંજનનાં અનેક સાધનો હતાં. બધાં બાળકોએ ઝૂલા અને ચકડોળમાં બેસવાનો આનંદ લીધો. પછી તેઓએ રમકડાં ખરીદ્યાં અને મીઠાઈઓ ખાધી.
હામિદ : હામિદ બધાથી જુદો છે. તેની પાસે કુલ ત્રણ પૈસા છે. આટલાં મોંઘાં રમકડાં તે કેવી રીતે ખરીદે? આ રમકડાં પણ કેવાં? હાથમાંથી છૂટતાંવેંત ચૂર-ચૂર થઈ જાય! આવાં રમકડાં લઈને તે શું કરશે? તે મીઠાઈ પણ ખરીદી શકતો નથી. તેને ખાવાની લાલચુ પણ બનવું નથી.
તેને દાદીનો વિચાર આવે છે : હામિદને પોતાની દાદીનો વિચાર આવે છે. દાદી પાસે ચીપિયો નથી. તવા પરથી રોટલી ઉતારતી વખતે તેનો હાથ દાઝી જાય છે. જો તે ચીપિયો ખરીદી લે, તો દાદીની આંગળીઓ દાઝશે નહિ. આમ વિચારીને હામિદે ત્રણ પૈસામાં ચીપિયો ખરીદી લીધો!
ચીપિયાનો પ્રભાવ : હામિદના હાથમાં ચીપિયો જોઈને સૌ બાળકો તેની મજાક કરવા લાગ્યાં, પરંતુ હામિદે પોતાના ચીપિયાનાં એવાં વખાણ કર્યા કે સૌ ચકિત થઈ ગયા. બીજાં બાળકોએ માટીનાં રમકડાં ખરીદ્યાં હતાં. ચીપિયો તો એવો બહાદુર સિંહ હતો કે કોઈ રમકડું તેને જીતી શકે તેમ નહોતું! મોહસિન તો હામિદના ચીપિયાના બદલામાં પોતાનો રમકડાનો ભિસ્તી આપવા તૈયાર થઈ ગયો. મહમૂદે હામિદને પોતાનો દોસ્ત બનાવીને તેને કેળું ખવડાવ્યું.
દાદી અમીના ચમકી ગયાં : હામિદ બધાની સાથે ઘેર પાછો ફર્યો. તેના હાથમાં ચીપિયો જોઈને તે ચમકી ગયાં. તેમણે વિચાર્યું કે હામિદની પાસે ત્રણ પૈસા જ હતા. તેણે એ ત્રણ પૈસાનો ચીપિયો ખરીદ્યો, એટલે તે આખો દિવસ ભૂખ્યો રહ્યો હશે! તેમણે હામિદને કહ્યું કે તને આખા મેળામાં બીજું કાંઈ ન મળ્યું? આ લોઢાનો ચીપિયો કેમ ઉપાડી લાવ્યો?
તમારી આંગળીઓ દાઝી જતી હતી ને! : હામિદ અપરાધી ભાવે કહ્યું – તમારી આંગળીઓ તવાથી દાઝી જતી હતી, એટલે હું ચીપિયો ખરીદી લાવ્યો છું.
ક્રોધ સ્નેહમાં બદલાઈ ગયો : હામિદનો જવાબ સાંભળીને દાદીનો ક્રોધ સ્નેહમાં બદલાઈ ગયો. તેનું હૃદય ભરાઈ આવ્યું. તેના મુખેથી હામિદને માટે દુવાઓ નીકળવા લાગી. આંખોમાંથી આંસુ વહેવા લાગ્યાં!
विषय-प्रवेश
प्रेमचंद एक महान लेखक थे। साधारण आदमी के सुख-दुःख का उन्हें गहरा अनुभव था। वे मानव-मन के कुशल चितेरे थे। ‘ईदगाह’ उनकी श्रेष्ठ कहानियों में से एक है। इस कहानी में एक गरीब बालक की प्रतिभा, उसके त्याग और उसकी व्यावहारिक बुद्धि का परिचय मिलता है।
शब्दार्थ (Meanings)
ईदगाह – ईद की नमाज पढ़ने की जगह; the place of worship, Idgah रमजान – मुसलमानी वर्ष का नौवाँ महीना; Ninth month of Muslim calendar, Ramjan रोजा – उपवास, मुसलमानों का एक मजहबी फर्ज, जिसमें सुबह के पहले एक घड़ी रात से शाम को एक घड़ी बाद तक वे कुछ नहीं खातेपीते; a fast, Roja मनोहर – सुंदर; beautiful, lovely सुहावना – रमणीय; beautiful, charming प्रभात – प्रात:काल, सबेरा; morning सानी – चारे की सामग्री, जो पानी में सानकर पशुओं को खिलाई जाती है; one kind of food for cattle कुबेर – धन का देवता; God of treasure अनगिनत – जिसे गिना न जा सके; innumerable सूरत – चेहरा; a face हैजा – एक भयंकर संक्रामक रोग (असे): cholera गोटा-सुनहले या रूपहले तारों से गूंथी हई डिज़ाइन; a design निगोड़ी- दुष्ट; wicked छाला – फफोला; burn बटुआ – पैसे रखने की छोटी थैली; a purse बिसात – औकात, हैसियत; capacity सिजदा – एक विशेष प्रकार की मुद्रा, सिर से जमीन को छूना; upside down लड़ी- माला, क्रम; a string कोष – खजाना; a treasure कतार – पंक्ति; a queue भिश्ती – मशक में पानी ढ़ोनेवाला; a man who fetches water in a leather bag, Bhisti कवायत – परेड़, दैनिक व्यायाम; a parade मशक – चमड़े का थैला, जिसमें पानी भरकर भिश्ती ले जाता है; a leather bag for fetching water, Mashak जंजीर – साँकल, चेइन; a chain जिरह – (अदालत में वकील की) बहस; argumentation बिरादरी – जमात (बच्चों की); organization of children पृथक् – अलग; separate तवा – रोटी बनाने का लोहे का एक गोल साधन; a flat plate for baking breads, cakes, etc. Tavo सबील – वह स्थान, जहाँ लोगों को पानी, शर्बत आदि पिलाया जाता है; a place where people get water, sherbet etc free of charge चटोरी- स्वादिष्ट वस्तु खाने की इच्छावाली; glutton दुआएँ – आशीर्वाद; blessings घुड़की – डाँट; a browbeating संगी – साथी, मित्र; a companion झिल्ली – चमड़े की पतली तह; pellicle, membrane पेश करना – प्रस्तुत करना; to present चोला – शरीर; body सुरलोक- स्वर्ग; heaven मातम – शोक; mourning अस्थियाँ – हड्डियाँ; bones धूरा – कूड़े-करकट का ढेर; a pile of garbage कै- कितने; many बेसमझ – मूर्ख; stupid जब्त – संयम, धीरज; patience दामन – आँचल; border, end of ladies’ cloth
मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग
प्रश्न 1.
बेड़ा पार लगाना – संकट से बचाना
वाक्य :
भगवान ही गरीबों का बेड़ा पार लगाता है।
प्रश्न 2.
बाल बाँका न होना – जरा भी नुकसान न होना
वाक्य :
डाकुओं ने गोलियां चलाई थीं पर किसी का बाल बाँका न हुआ।
प्रश्न 3.
छाती पीट लेना– दुःख प्रकट करना
वाक्य :
बेटा गुस्से में आकर चला गया तो माँ ने छाती पीट ली।
प्रश्न 4.
दिल चीरना – बहुत दुःख पहुँचना
वाक्य :
बेटे की बुरी करतूतों ने माँ का दिल चीर दिया।
प्रश्न 5.
हैजे की भेंट होना – हैजे की बीमारी से मर जाना
वाक्य :
हर साल हजारों लोग हैजे की भेंट हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
दिल कचोटना – दिल में दु:ख होना
वाक्य :
बेटे की बुरी हालत देखकर माँ का दिल कचोट रहा है।
प्रश्न 7.
गले मिलना – प्रेम से भेंटना
वाक्य :
नए वर्ष के पहले दिन सगे-संबंधी एक-दूसरे के गले मिलते हैं।
प्रश्न 8.
चूर-चूर होना – टुकड़े-टुकड़े हो जाना, पूरी तरह नष्ट हो जाना
वाक्य :
मिट्टी का घड़ा जमीन पर गिरकर चूर-चूर हो गया।
प्रश्न 9.
आँख उठाकर न देखना – उपेक्षा करना, बिलकुल न देखना
वाक्य :
सेठजी ने पुराने नौकर की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखा।
प्रश्न 10.
दिल बैठ जाना – हताश या निराश होना
वाक्य :
साड़ी की कीमत सुनकर राधा का दिल बैठ गया।
प्रश्न 11.
कलेजा मजबूत करना – हिम्मत जुटाना
वाक्य :
कलेजा मजबूत कर हमें आतंकवादियों का सामना करना पड़ेगा।
प्रश्न 12.
रंग जमाना – प्रभावित करना
वाक्य :
देखते-ही-देखते सुरेश चतुर्वेदी ने अपने कविता-पाठ से श्रोताओं पर रंग जमा लिया।
प्रश्न 13.
मुँह ताकते रह जाना – चकित हो जाना
वाक्य :
सेठजी की बात सुनकर गरीब मजदूर उनका मुँह ताकता रह गया।
प्रश्न 14.
सुरलोक सिधारना – मर जाना
वाक्य :
महात्मा दयानंदजी कल शाम को सुरलोक सिधार गए।
प्रश्न 15.
माटी का चोला माटी में मिलना – मर जाना, नष्ट हो जाना।
वाक्य :
एक दिन मनुष्य का माटी का चोला माटी में मिल जाता है।