Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 3 मत बाँटो इन्सान को Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 3 मत बाँटो इन्सान को
मत बाँटो इन्सान को अभ्यास
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
इंसान को बाँटने का क्या अर्थ है?
उत्तर :
इंसान को बाँटने का अर्थ है – सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से न देखना। आज ऊँच-नीच, जाति-पाँति, गोरा-काला आदि भेद कर लोगों में अलगाव की भावना पैदा कर दी गई है। सभी मनुष्यों के रक्त में एक जैसी लालिमा तथा उनमें एक जैसी भावनाओं की अनदेखी कर केवल उनके बाहरी स्वरूप पर ध्यान दिया गया है। इस प्रकार इंसान का बँटवारा किया गया है।
प्रश्न 2.
लोगों ने भगवान को किस प्रकार बाँट लिया है ?
उत्तर :
कुछ लोगों के भगवान मंदिर में तो कुछ लोगों के भगवान मस्जिद में रहते हैं। कुछ लोगों ने अपने भगवान के लिए गिरजाघर बनाए हैं। एक ही भगवान को लोगों ने अलग-अलग ढंग से देखा है। वे उनकी अलग-अलग तरीके से पूजा करते हैं। इस तरह लोगों ने भगवान को बाँट लिया है।
प्रश्न 3.
चट्टानों की प्यास कैसे बुझाई जा सकती है?
उत्तर :
चट्टान का अर्थ है वे लोग जो भेदभावों के जुल्म सहते-सहते पत्थर जैसे कठोर हो गए हैं। हमें उन लोगों के साथ समानता का व्यवहार करना है। उन्हें भी अपनत्व प्रदान करना है। इस प्रकार प्यार का शीतल जल देकर चट्टानों की प्यास बुझाई जा सकती है।
2. इस काव्य को आरोह-अवरोह के साथ गाइए तथा समूहगान कीजिए।
टिप्पणी : टेपरिकार्ड या सीडी पर इस काव्य को सुनाइए। फिर लय-ताल का ध्यान रखते हुए इसे गाइए। कक्षा में सभी छात्र मिलकर इसका समूहगान करें।
3. निम्नलिखित काव्यपंक्ति का भावार्थ बताइए :
अभी राह तो शुरू हुई है मंज़िल बैठी दूर है। उजियाला महलों में बंदी हर दीपक मजबूर है॥
उत्तर :
दुनिया में समानता की भावना फैलने की अभी तो शुरुआत हुई है। समानता का भाव पूरी तरह फैलने में अभी देर है – उसके लिए अभी बहुत प्रयत्न करने पड़ेंगे। बिजली की रोशनी अभी केवल महलों – धनी लोगों के घरों में ही है। गरीबों के घरों में अब भी दीपक ही जल रहे हैं।
मत बाँटो इन्सान को स्वाध्याय
1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कविता के अनुसार अब तक किन चीजों का बँटवारा हो चुका है?
उत्तर :
कविता के अनुसार अब तक मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर आदि के रूप में भगवान का बँटवारा हो चुका है। इसी तरह भिन्न-भिन्न देशों के रूप में धरती और सागर भी बाँट लिए गए हैं।
प्रश्न 2.
किसकी मुसकान को कोई रौंद नहीं पाएगा?
उत्तर :
सर्वत्र समानता का भाव फैलने पर लोगों में परस्पर अपनत्व की खुशी होगी। तब कोई किसी पर जुल्म कर उसकी मुस्कान को रौंद नहीं पाएगा अर्थात् नष्ट नहीं कर सकेगा।
प्रश्न 3.
हरी-भरी धरती को कौन-सी परिस्थितियाँ रेगिस्तान में बदल सकती है?
उत्तर :
वर्षा के लगातार अभाव और भूकंप के तेज झटके धरती की हरियाली नष्ट कर सकते हैं। प्रकृति के ये रौद्र रूप हरी-भरी धरती को रेगिस्तान में बदल सकते हैं।
प्रश्न 4.
उजाले को बंदी बनाने का क्या अर्थ है?
उत्तर :
उजाले को बंदी बनाने का अर्थ है- उसे अपने अधिकार में रखना। इसीलिए बिजली की रोशनी अभी धनवानों के घरों में ही दिखाई देती है, गरीबों की झोंपड़ियों में नहीं।
प्रश्न 5.
यह कविता हमें क्या संदेश देती है?
उत्तर :
यह कविता विश्व के लोगों को सभी तरह के भेदभाव भूलकर मेलमिलाप से रहने की सीख देती है। इस प्रकार यह हमें विश्वबंधुत्व का संदेश देती है।
2. निम्नलिखित शब्दों को शब्दकोश के क्रम में लिखिए :
प्यासी, आँगन, सागर, इंसान, वितान, ऊपर, रेगिस्तान, मंज़िल, घाटी, गिरजाघर, मुसकान, चट्टान, उदास, बंदी
उत्तर :
आँगन, इंसान, उदास, ऊपर, गिरजाघर, घाटी, चट्टान, प्यासी, बंदी, मंजिल, मुस्कान, रेगिस्तान, वितान, सागर।
3. आज के इस आधुनिक परिवेश में संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवारों ने ले ली है।
एकल परिवार के पक्ष-विपक्ष पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
शिक्षक : आज संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवारों की हवा चल रही है। सुभाष, तुम इस बारे में क्या सोचते हो?
सुभाष : गुरुजी, समय के अनुसार जो परिवर्तन होते हैं, वे अच्छे ही होते हैं। आज संयुक्त परिवार बूढ़े व्यक्ति की तरह ही बूढ़े और अनुपयोगी हो गए हैं।
प्रशांत : गुरुजी, संयुक्त परिवार बरगद के वृक्ष की तरह होते हैं। उनका महत्त्व न समझनेवाले ही उनकी बुराई करते हैं।
सुरेश : गुरुजी, हमारा परिवार एकल परिवार है। पिताजी, माँ, दीदी और मैं – बस ये चार जन ही हमारे परिवार के सदस्य हैं। घर में बड़ी शांति रहती है। जब हम संयुक्त परिवार में थे, तब रोज आपस में झगड़े होते थे। पुरुष खर्च के बारे में और महिलाएँ काम के बारे में झगड़ती थीं। हम शांति से पढ़ भी नहीं सकते थे। इसलिए मैं तो एकल परिवार ही पसंद करता हूँ।
कमल : गुरुजी, मैं भी प्रशांत की बात का समर्थन करता हूँ। जब मेरी माँ बीमार हो जाती है, तब मुझे बहुत काम करना पड़ता है। ब्रेड खाकर ही काम चलाना पड़ता है। पिताजी शाम को आते हैं, तब खिचड़ी बनती है। यदि संयुक्त परिवार होता, तो दादी या चाची के हाथ का खाना हमें मिल सकता था।
सुमन : गुरुजी, एकल परिवार में बच्चे बिगड़ जाते हैं। हमारे पड़ोस का लड़का माँ-बाप के न रहने पर इंटरनेट पर वह सब कुछ देखता है, जो उसे नहीं देखना चाहिए। बच्चों के चरित्र को बिगाड़ने में एकल परिवार जिम्मेदार है।
राजेश : गुरुजी, हमारे पड़ोस में संयुक्त परिवार है। कोई बीमार होकर अस्पताल जाता है तो बारी-बारी से घर के सदस्य उसकी देखभाल करते हैं। क्या एकल परिवार में यह संभव है?
शिक्षक : हाँ, तुम्हारी बात ठीक है। संयुक्त परिवार में सहयोग की जो सुविधा होती है, वह एकल परिवार में संभव नहीं है। परंतु परिवार की शांति और आर्थिक दृष्टि से समय की माँग एकल परिवार हैं।
4. अपूर्ण काव्य को पूर्ण कीजिए :
रात होने पर मैं निकलता सबको देता हूँ शीतलता।
उत्तर :
रात होने पर मैं निकलता
सबको देता हूँ शीतलता।
मुझे देख सबके दिल बहलते।
बच्चे मुझे पाने को मचलते।
सब कहते हैं मुझको ‘मामा’।
हर बालक है मेरा भाँजा।
यों तो मैं तारों का राजा।
Hindi Digest Std 8 GSEB मत बाँटो इन्सान को Important Questions and Answers
मत बाँटो इन्सान को प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
इंसान को बाँटने’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
‘इंसान को बाँटने’ से यह तात्पर्य है कि उसे छोटे-बड़े, ऊँच-नीच, जाति-पाँति और गोरे-काले आदि समूहों में विभाजित करना।
प्रश्न 2.
कवि के अनुसार कौन-सी मंजिल बहुत दूर है?
उत्तर :
कवि के अनुसार पूर्ण मानव-समानता की मंजिल बहुत दूर है।
प्रश्न 3.
उजियाला कहाँ बंदी है?
उत्तर :
उजियाला धन-संपन्न लोगों के घरों में बंदी है।
प्रश्न 4.
सूरज का संदेशा किसको नहीं मिला?
उत्तर :
सूरज का संदेशा हर घाटी और मैदान को नहीं मिला।
प्रश्न 5.
धरती के ऊपर किसका वितान है?
उत्तर :
धरती के ऊपर नीले गगन का वितान है।
प्रश्न 6.
प्यार के अभाव में जगत कैसा है?
उत्तर :
प्यार के अभाव में जगत जलते हुए रेगिस्तान जैसा है।
प्रश्न 7.
‘सबके साथ उठने’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
‘सबके साथ उठने’ का अर्थ है सब में समानता की भावना होना।
प्रश्न 8.
उदास आँगन का हक किस पर होना चाहिए?
उत्तर :
उदास आँगन का हक खिलती हुई बहार पर होना चाहिए।
2. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर बनाने का मतलब है ……………………………………..
(अ) पूजाघरों के स्वरूप बताना।
(ब) सच्ची भक्ति प्रकट करना।
(क) भगवान का बँटवारा करना।
उत्तर :
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर बनाने का मतलब है, भगवान का बँटवारा करना।
प्रश्न 2.
मंजिल बहुत दूर लगती हैं, क्योंकि ……………………………………………
(अ) अभी तो राह शुरू हुई है।
(ब) वह पहाड़ पर है।
(क) पैर थक गए हैं।
उत्तर :
मंजिल बहुत दूर लगती हैं, क्योंकि अभी तो राह शुरू हुई है।
प्रश्न 3.
जग सूना रेगिस्तान जैसा लगता हैं, क्योंकि ……………………………………
(अ) यहाँ असह्य गर्मी पड़ने लगी है।
(ब) यहाँ प्यार की बारिश नहीं हो रही है।
(क) यहाँ दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ गई है।
उत्तर :
जग सूना रेगिस्तान जैसा लगता हैं, क्योंकि यहाँ प्यार की बारिश नहीं हो रही है।
3. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (आँगन, वितान, रेगिस्तान, मंजिल, सूरज)।
(1) अभी राह तो शुरू हुई है ……………………………….. बैठी दूर है।
(2) मिला न ……………………………….. का संदेशा हर घाटी-मैदान को।
(3) अब भी हरी-भरी धरती है ऊपर नील ……………………………….. है।
(4) पर न प्यार हो तो जग सूना जलता ……………………………….. है।
(5) हर उदास ……………………………….. का हक हो खिलती हुई बहार पर।
उत्तर :
(1) अभी राह तो शुरू हुई है मंजिल बैठी दूर है।
(2) मिला न सूरज का संदेशा हर घाटी-मैदान को।
(3) अब भी हरी-भरी धरती है ऊपर नील वितान है।
(4) पर न प्यार हो तो जग सूना जलता रेगिस्तान है।
(5) हर उदास आँगन का हक हो खिलती हुई बहार पर।
4. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
मजबूर कौन हैं?
A. आदमी
B. रोशनी
C. बगिया
D. दीपक
उत्तर :
D. दीपक
प्रश्न 2.
कवि किसे न बाँटने के लिए कहता है?
A. भगवान को
B. इंसान को
C. धरती को
D. सागर को
उत्तर :
B. इंसान को
प्रश्न 3.
किसके बिना जग सूना रेगिस्तान है?
A. प्यार
B. बहार
C. पानी
D. मित्र
उत्तर :
A. प्यार
प्रश्न 4.
प्यासी कौन है?
A. फुलवारी
B. धरती
C. चट्टान
D. मंजिल
उत्तर :
C. चट्टान
योग्यता विस्तार
1. प्रकल्प (परियोजना) कार्य (Project Work) :
राष्ट्रीय एकता के गीतों का संग्रह कीजिए।
2. भारत के मानचित्र में निम्नलिखित स्थल खोजिए और उनके विषय में सचित्र जानकारी एकत्र कीजिए :
जामा मस्जिद, स्वर्णमंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, उदवाड़ा, माउन्टमेरी चर्च (मुंबई)
उत्तर:
- जामा मस्जिद : यह दिल्ली में है। ईद आदि त्योहार यहीं के निर्देश के अनुसार मनाए जाते हैं। यहाँ के इमाम का सभी आदर करते हैं।
- स्वर्णमंदिर : यहाँ पंजाब में शीख संप्रदाय का सबसे बड़ा और मुख्य गुरुद्वारा है। प्रतिदिन सैकड़ों देशीविदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं।
- तिरुपति बालाजी मंदिर : यह तमिलनाडु राज्य में हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहाँ भगवान वेंकटेश की मूर्ति है, इसके दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं।
- उदवाड़ा : उदवाड़ा गुजरात में संजान के निकट पारसियों का पवित्र स्थान हैं।
- माउन्टमेरी चर्च (मुंबई) : यह चर्च मुंबई के बांदरा उपनगर में हैं। यहाँ प्रति वर्ष भव्य मेला लगता है।
मत बाँटो इन्सान को Summary in Hindi
मत बाँटो इन्सान को कविता का सरल अर्थ
(1) मंदिर-मस्जिद …………………………………….. इंसान को।
कवि दुनिया के लोगों से कहते हैं कि भगवान तो सबका एक ही है, परंतु तुमने मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर आदि अलग-अलग पूजाघर बनाकर भगवान का बँटवारा कर लिया है। इसी तरह अलग-अलग देश बनाकर धरती भी बाँट ली है। सागर के भी अलग-अलग हिस्सों पर अधिकार कर उसे भी बाँट लिया है। अब कम-से-कम इंसान का बँटवारा तो मत करो।
(2) अभी राह …………………………………….. मजबूर है।
दुनिया में समानता की भावना फैलने की अभी तो शुरुआत हुई है। समानता का भाव पूरी तरह फैलने में अभी देर है – उसके लिए अभी बहुत प्रयत्न करने पड़ेंगे। बिजली की रोशनी अभी केवल धनी लोगों के घरों में ही है। गरीबों के झोंपड़ों में अब भी दीपक ही जल रहे हैं।
(3) मिला न …………………………………….. मैदान को।
अभी सूर्य का संदेश प्रत्येक घाटी और मैदान को नहीं मिल पाया है – मानवसमानता का विचार अभी दुनिया के बहुत-से भागों तक नहीं पहुंचा है।
(4-5) अब भी हरी-भरी …………………………………….. चट्टान को।।
धरती अब भी पहले की तरह हरी-भरी है। ऊपर नीले रंग का विस्तृत आकाश भी पहले जैसा ही है, लेकिन दुनिया में प्रेम की भावना नहीं है। प्यार के बिना हरी-भरी धरतीवाला यह संसार भी जलते हुए रेगिस्तान जैसा है।
हमें हर प्यासी चट्टान को – प्यार के लिए तरसते हृदयों को प्यार का शीतल जल देकर उसकी प्यास बुझानी है।
(6-7) साथ उठे …………………………………….. मुस्कान को।
समानता के सूरज का प्रकाश तभी सबको मिल सकता है जब सब लोग एक साथ जग जाएँ और अपना दरवाजा खोल लें। सबके घरों के आँगन में तभी समानता का प्रकाश – समानता की भावना फैलेगी। हर आँगन में उसी तरह खुशी छा जाएगी जैसे बाग में बहार आती है। विश्व में समानता का भाव फैलने पर कोई किसी पर जुल्म नहीं कर पाएगा।
मत बाँटो इन्सान को Summary in English
Don’t Divide Human Being
(1) The poet tells the people of the world that God of all is same, but you have divided the God by building the places of worship like a temple, a mosque, a church, etc. In the same way you have divided the world by making different countries. The oceans have also been divided by claiming right. Now, please don’t divide human beings.
(2) The spirit of equality has begun just now in the world. It will take time to spread the spirit of equality completely. For that we will have to work hard. The light of electricity is in the houses of the rich only. A lamp is burning in the houses of the poor yet.
(3) The message of the sun has not reached to a valley and a plain yet. The thought of equality of human being has not reached to many parts of the world.
(4-5) The earth is green still as it was before. The sky is blue as it was before, but there is no love (feeling) in the world as it was before. Without love the green world has become like a scorching desert.
We have to satisfy thirsty stones – the hearts, wishing love — by giving them cool water of love.
(6-7) When all awake together and open their doors, they will get the sunlight of equality. Light of equality will be spread in their courtyard. Every sad courtyard has the right of happiness, just as the beauty has been spread in the garden.
When the spirit of equality is spread in the world, nobody will be cruel to anybody.
मत बाँटो इन्सान को Summary in Gujarati
મનુષ્યને વહેંચશો નહિ (ભાવાત્મક અનુવાદ)
(1) કવિ દુનિયાના લોકોને કહે છે ભગવાન તો સૌનો એક જ છે, પરંતુ તમે મંદિર, મસ્જિદ, ચર્ચ વગેરે ભિન્ન-ભિન્ન પૂજાઘર બનાવીને ભગવાનને વહેંચી દીધા છે. એવી જ રીતે જુદા જુદા દેશ બનાવીને ધરતીને પણ વહેંચી દીધી છે. સાગરના પણ જુદા જુદા ભાગ પર અધિકાર કરીને તેને પણ વહેંચી દીધો છે. હવે મનુષ્યને ન વહેંચશો.
(2) દુનિયામાં સમાનતાની ભાવના ફેલાવાની તો હજુ શરૂઆત થઈ છે. સમાનતાનો ભાવ પૂરેપૂરો ફેલાવાની હજી વાર છે – તેને માટે ખૂબ પ્રયત્નો કરવા પડશે. વીજળીનો પ્રકાશ હજી ફક્ત ધનવાનોના ઘરમાં જ છે. ગરીબોનાં ઘરોમાં તો હજી દીવો જ બળી રહ્યો છે.
(3) હજી સૂર્યનો સંદેશ દરેક ખીણ અને મેદાનને મળ્યો નથી. માનવસમાનતાનો વિચાર હજી દુનિયાના ઘણા બધા હિસ્સાઓ સુધી પહોંચ્યો નથી.
(4-5) ધરતી હજી પણ પહેલાં જેવી લીલીછમ છે. નીલા રંગનું વિશાળ આકાશ પણ પહેલાં જેવું જ છે, પરંતુ દુનિયામાં પ્રેમભાવના પહેલાં જેવી રહી નથી. પ્રેમ વગર લીલીછમ ધરતીવાળો આ સંસાર પણ બળબળતા રણ જેવો બની ગયો છે.
આપણે દરેક તરસ્યા શિલાખંડને – પ્રેમને માટે તરસતાં હૃદયને પ્રેમનું શીતળ જળ આપીને તેમની તરસ છિપાવવાની છે.
(6-7) જ્યારે સૌ એકસાથે જાગી જશે અને પોતાનાં દ્વાર ઉઘાડી દેશે તો સમાનતાના સૂર્યનો પ્રકાશ સૌને મળી શકે એમ છે. સૌના ઘરના આંગણામાં સમાનતાનો પ્રકાશ ફેલાશે. દરેક ઉદાસ આંગણાને, બગીચામાં ફેલાયેલા સૌંદર્યની જેમ ખુશીનો અધિકાર છે.
વિશ્વમાં સમાનતાનો ભાવ ફેલાતાં, કોઈ કોઈના પર અત્યાચાર નહિ કરી શકે.
विषय-प्रवेश
संपूर्ण मानवजाति एक विशाल मानव-परिवार है। सभी मनुष्य समान हैं। प्रकृति ने सबको एक जैसा बनाया है। वह सबके साथ एक जैसा व्यवहार करती है। परंतु यह बड़े दुःख की बात है कि लोगों ने आपस में भेदभाव की दीवारें खड़ी कर ली हैं। इन्हीं भेदभावों के कारण दुनिया में अनेक प्रकार के संघर्ष होते हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने हमें सभी भेदभाव भूलकर मिलजुलकर रहने की सीख दी है।
शब्दार्द्ध (Meanings)
- इंसान – मनुष्य; human being
- गिरजाघर – चर्च, ईसाइयों का पूजास्थल; church, holy place of Christians
- बाँटना – विभाजित करना; to divide
- राह- रास्ता; way, path
- मंजिल – लक्ष्य, गंतव्य स्थान; aim, goal
- उजियाला – उजाला, प्रकाश; light
- बंदी कैदी; prisoner
- दीपक – चिराग; lamp
- मजबूर – लाचार, विवश; helpless
- घाटी – दो पहाड़ों के बीच का समतल स्थान; mountain-pass
- नील – नीले रंग का; blue
- वितान – विस्तार; area
- जग – संसार, दुनिया; universe, world
- सूना – निर्जन, खामोश; deserted
- रेगिस्तान – मरुभूमि, रेतीला प्रदेश; desert
- चट्टान – शिलाखंड, बड़ा पत्थर; stone
- पहरा – रखवाली, सुरक्षा; protection
- द्वार – दरवाजा; gate, door
- उदास – दुःखी; sad
- बहार – शोभा, वसंत; spring
- आँगन – घर के भीतर का खुला भाग; courtyard
- रौंदना – कुचलना; to trample, to crush