Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 5 दोहे Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 5 दोहे
दोहे अभ्यास
1. शिक्षक की सहायता से ‘दोहों’ का भावपूर्ण गान कीजिए।
उत्तर :
टेपरिकार्डर या कैसेट पर दोहे सुनिए। दोहों के अर्थ समझकर भावपूर्ण गान कीजिए।
2. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
- उद्यम,
- प्रकृति,
- खैर,
- कुसंग,
- कंचन,
- जपमाला,
- दु:ख,
- भुजंग,
- हरषै
उत्तर :
- उद्यम – परिश्रम वाक्य : उद्यम से ही सफलता मिलती है।
- प्रकृति – स्वभाव वाक्य : वह सरल प्रकृति का व्यक्ति है।
- खैर – कुशलता वाक्य : मैं आप सबकी खैर चाहता हूँ।
- कुसंग – बुरी संगति वाक्य : कुसंग करने से हमारा पतन होता है।
- कंचन – सोना वाक्य : सास ने बहू को कंचन के कंगन दिए।
- जपमाला – जप करने की माला वाक्य : दादीजी जपमाला लेकर मंदिर जाती है।
- दुःख – गम, खेद वाक्य : किसी स्पर्धा में हारने पर दुःख होता है।
- भुजंग – साँप वाक्य : भुजंग को देखकर ही लोग डर जाते हैं।
- हरषै – (हर्ष) खुशी वाक्य : हमें देखकर जिनका मन हरषै उसीके घर जाना चाहिए।
3. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
यदि भगवान आपको कुछ माँगने के लिए कहे, तो आप क्या माँगना चाहेंगे?
उत्तर :
यदि भगवान मुझे कुछ माँगने के लिए कहे तो मैं उनसे कहूँगा – प्रभु, मेरी बुद्धि इतनी तीव्र हो जाए कि कठिन विषय भी मुझे सरल लगे। आपकी कृपा से स्वस्थ शरीर और ऐसी तीक्ष्ण बुद्धि पाकर मैं व्यापार के क्षेत्र में अच्छा यश पाऊँ और अपने माता – पिता तथा अन्य स्वजनों को किसी तरह का दुःख न पहुँचने दूं। इतना ही नहीं, मैं समाज की सेवा करने में भी समर्थ बन सकूँ और अपने देश को भी कुछ लाभ पहुँचा सकूँ।
इस प्रकार मैं भगवान से अपने परिवार, समाज और देश को सुखी बनाने की शक्ति और सामर्थ्य माँगूंगा।
प्रश्न 2.
अच्छे व्यक्ति की संगति से आपको क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर :
अच्छे व्यक्ति की संगति से मैं अपनी बुरी आदतें छोड़ सकूँगा। मेरा चरित्र अच्छा बनेगा। मेरे विचार अच्छे बनेंगे। मेरी बुद्धि अच्छी बनेगी। मैं समय का सदुपयोग करूँगा। दुर्व्यसनों में धन और शरीर की बरबादी होती है। अच्छे व्यक्ति की संगति मुझे इस बरबादी से बचाएगी।
उससे मुझे अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी, सभी बाधाओं को दूर करने के उपाय मिलेंगे। जीवन में सुख – शांति से रहने का तरीका मिलेगा। इस प्रकार अच्छे व्यक्ति की संगति हर तरह से मेरे लिए वरदान सिद्ध होगी।
प्रश्न 3.
लोग धर्म के नाम पर कौन – से आडम्बर करते हैं?
उत्तर :
लोग धर्म के नाम पर दाढ़ी बढ़ाते हैं। सिर पर जटा – जूट रखते हैं। तरह – तरह के तिलक करते हैं। अलग – अलग तरह की मालाओं से जप करते हैं। गले में तरह – तरह की मालाएँ धारण करते हैं।
धर्म के नाम पर लोग देव – देवियों के भोग के नाम पर तरह – तरह के व्यंजन बनाकर उनके सामने रखते हैं। भगवान पर सोने – चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं। धर्म के नाम पर कहीं – कहीं पशुओं की बलि भी दी जाती है।
इस प्रकार धर्म के नाम पर लोग अनेक प्रकार के आडम्बर करते हैं।
प्रश्न 4.
लोग किन – किन कारणों से भीख माँगते हैं ?
उत्तर :
- कुछ लोग जीविका का कोई साधन न होने पर मजबूर होकर भीख माँगते हैं।
- कुछ लोग भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों में सब कुछ नष्ट हो जाने पर भीख माँगने लगते हैं।
- कुछ लोग अपाहिज हो जाने पर पेट भरने के लिए भीख माँगने लगते हैं।
- गुंडे – बदमाश लोग बच्चों का अपहरण कर उन्हें अपाहिज बना देते हैं, तब वे बच्चे उन दुष्टों के लिए भीख माँगते हैं।
- कुछ कामचोर और बेशर्म लोग मेहनत करने से बचने के लिए भीख को ही अपना व्यवसाय बना लेते हैं।
दोहे स्वाध्याय
1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कबीर साँई से कितना माँगते हैं?
उत्तर :
कबीर संग्रह करना उचित नहीं समझते। वे भगवान से उतना ही अन्न और धन माँगते हैं जितना उनके परिवार के निर्वाह के लिए आवश्यक है। उनके परिवार में कोई भूखा न रहे और दरवाजे पर आया हुआ कोई साधु – फकीर भी भूखा न जाए। कबीर इससे अधिक पाने की इच्छा नहीं करते।
प्रश्न 2.
बिना सोचे कार्य करने से क्या होता है?
उत्तर :
सोच – समझकर कार्य करना ही बुद्धिमानी है। बिना सोचे – समझे कार्य करने से कार्य बिगड़ जाता है। कार्य बिगड़ने से पछतावा होता है। इतना ही नहीं दुनिया में हँसी होती है। लोग तरह – तरह के ताने मारकर मजाक उड़ाते हैं। इस तरह बिना सोचे – समझे कार्य करनेवाले को उसका बुरा परिणाम भोगना पड़ता है।
प्रश्न 3.
चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम क्या कहते हैं ?
उत्तर :
रहीम मानते हैं कि उत्तम स्वभाववाला व्यक्ति बुरे लोगों के साथ रहे तो भी उनसे प्रभावित नहीं होता। चंदन के पेड़ पर साँप लिपटे रहते हैं, परंतु चंदन में उन साँपों का विष व्याप्त नहीं होता। साँपों के साथ रहकर भी चंदन उनके विष से अछूता ही रहता है।
इस प्रकार चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम कहते हैं कि अगर व्यक्ति उत्तम कोटि का है तो वह संसार में रहकर यहाँ की बुराइयों से अलिप्त रहता है।
प्रश्न 4.
रहीम बड़े लोगों की क्या विशेषता बताते हैं ?
उत्तर :
रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी अपने मुख से अपनी बड़ाई नहीं करते। वे कभी बड़े बोल नहीं बोलते। बड़ी – बड़ी बातें कर अपना बड़प्पन दिखाना उनके स्वभाव में नहीं होता। जैसे हीरा कीमती रत्न होता है, पर स्वयं अपनी कीमत नहीं बताता, उसी तरह बड़े लोग खुद कभी अपनी प्रशंसा नहीं करते।
प्रश्न 5.
तुलसीदास किसके घर नहीं जाना चाहते?
उत्तर :
तुलसीदास अपनेपन की भावना को बहुत महत्त्व देते हैं। वे कहते हैं कि जिस घर के लोग हमें आया हुआ देखकर हर्ष का अनुभव न करें, हमें देखकर जिनकी आँखों में स्नेह की चमक न पैदा हो, उस घर में भले सोना बरसता हो, फिर भी वे वहाँ जाना नहीं चाहते।
2. इस इकाई के दोहों में से आप कौन – से सद्गुण ग्रहण करेंगे?
उत्तर :
इस इकाई में संत कबीर, कवि रहीम और संत तुलसीदास के दोहे दिए गए हैं। कबीर की सीख है कि हम आवश्यकता से अधिक पाने की इच्छा न रखें। जो भी काम करें, सोच – समझकर करें। अपने मुख से अपनी प्रशंसा करने से बचें। बिना स्वार्थ के सबका भला चाहें।
रहीमजी सीख देते हैं कि हम दूसरों से कुछ भी न माँगें, अपने स्वभाव को हमेशा उत्तम बनाए रखें। तुलसीदासजी प्रेम को धन से अधिक महत्त्व देते हैं। वे विद्याधन पाने के लिए परिश्रम करना जरूरी समझते हैं।
इस प्रकार इस इकाई के दोहों से हम दानप्रियता, संतोष, समानता, सत्संगति, विनम्रता, परिश्रम, प्रेमपूर्ण आतिथ्य आदि सद्गुण सीखते हैं।
3. निम्नलिखित जवाब मिले ऐसी पहेलियों का निर्माण कीजिए :
(1) तोता
(2) पतंग
(3) चिड़िया
उत्तर :
(1) तन है हरा, मुँह है लाल, पिंजरे में रखकर लो मुझे पाल। सबेरे बोलता हूँ नित्य राम – राम, खाता हूँ हरी मिर्च, अमरूद, आम। (तोता)
(2) पंख नहीं हैं, फिर भी मैं उड़ती, बस एक धागे से जमीन से जुड़ती, बातें खूब हवा से करती, कट जाए धागा, जमीन पर गिरती। (पतंग)
(3) ची ची करके शोर मचाती, सुबह होते ही, सबको उठाती। चहक – चहककर गाती गाने, फूदक – फूदककर चुगती दाने। (चिड़िया)
Hindi Digest Std 8 GSEB दोहे Important Questions and Answers
दोहे प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो – दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
कबीर कितने धन से संतुष्ट रहनेवाले गृहस्थ हैं?
उत्तर :
कबीर उतने ही अन्न और धन से संतुष्ट रहनेवाले गृहस्थ हैं जिसमें उनके कुटुंब का गुजारा हो। न वह भूखा रहे और न कोई साधु – फकीर उसके दरवाजे से भूखा जाए।
प्रश्न 2.
कबीर सोच – समझकर कार्य करने की सीख क्यों देते हैं?
उत्तर :
कबीर सोच – समझकर कार्य करने की सीख देते हैं, क्योंकि सोच – समझकर किया गया काम ही सफल होता है। काम सफल होने पर किसीको हमारी हँसी उडाने का मौका नहीं मिलता।
प्रश्न 3.
उत्तम प्रकृति के लोगों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
उत्तम प्रकृति के लोग बुरे लोगों के साथ रहकर भी उनके दुर्गुण ग्रहण नहीं करते। कुसंगति उनके स्वभाव को प्रभावित नहीं कर पाती।
प्रश्न 4.
रहीम किनको बड़ा मानते हैं?
उत्तर :
रहीम नम्रता का महत्त्व जानते हैं। इसलिए वे उसे बड़ा मानते हैं जो बड़ा होकर भी कभी अपनी बड़ाई नहीं करता।
प्रश्न 5.
तुलसीदासजी सच्चा स्वागत किसे मानते हैं?
उत्तर :
तुलसीदासजी बिना प्रेम के आतिथ्य को सच्चा स्वागत नहीं मानते। वे सच्चा स्वागत उसीको मानते हैं जिसमें मेहमान को देखकर यजमान हर्षविभोर हो उठे और उसकी आँखों में स्नेह उमड़ आए।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक – एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
कबीर अपने द्वार से किसे भूखा नहीं जाने देना चाहते?
उत्तर :
कबीर किसी साधु या फकीर को अपने द्वार से भूखा नहीं जाने देना चाहते।
प्रश्न 2.
जग में किसकी हँसी होती है?।
उत्तर :
जग में उसकी हँसी होती है जो बिना विचारे काम करता है और असफल होता है।
प्रश्न 3.
कबीर किस तरह के व्यक्ति हैं?
उत्तर :
कबीर इस तरह के व्यक्ति हैं जिसकी न किसीसे दोस्ती है और न किसीसे दुश्मनी।
प्रश्न 4.
कुसंग किनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता?
उत्तर :
कुसंग उत्तम प्रकृतिवालों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।
प्रश्न 5.
हीरा बड़ा क्यों है?
उत्तर :
हीरा बड़ा है, क्योंकि वह अपनी कीमत स्वयं नहीं बताता।
प्रश्न 6.
तुलसीदास प्रेम और धन में से किसे महत्त्व देते हैं?
उत्तर :
तुलसीदास प्रेम और धन में से प्रेम को महत्त्व देते हैं।
प्रश्न 7.
विद्या – धन किसे मिलता है?
उत्तर :
विद्या – धन उसीको मिलता है जो उसे पाने के लिए उद्यम (परिश्रम) करता है।
3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
उसे पछताना पड़ता है जो –
(अ) काम से जी चुराता है।
(ब) दूसरों से पूछे बिना काम करता है।
(क) बिना सोचे काम करता है।
उत्तर :
उसे पछताना पड़ता है जो – बिना सोचे काम करता है।
प्रश्न 2.
चंदन – वृक्ष में साँपों का विष नहीं फैलता, क्योंकि …
(अ) वह उत्तम प्रकृति का है।
(ब) वह ठोस होता है।
(क) पेड़ की छाल मोटी होती है।
उत्तर :
चंदन – वृक्ष में साँपों का विष नहीं फैलता, क्योंकि वह उत्तम प्रकृति का है।
प्रश्न 3.
विद्या भी एक धन है, क्योंकि …
(अ) उसे पुस्तकें खरीदकर ही पाया जाता है।
(ब) वह उद्यम करने पर ही प्राप्त होती है।
(क) उसे पाने के लिए धन जरूरी है।
उत्तर :
विद्या भी एक धन है, क्योंकि वह उद्यम करने पर ही प्राप्त होती है।
4. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (कंचन, पंखा, कुटुम, जग, नर)
- साँई इतना दीजिए, जामें ……………………………….. समाय।
- काम बिगाड़े आपनो, ……………………………….. में होत हँसाय।
- रहिमन वे ……………………………….. मर चुके, जे कहूँ माँगन जाहिं।
- तुलसी वहाँ न जाइये, ……………………………….. बरसे मेघ।
- बिना डुलाए न मिले, ज्यौं ……………………………….. को पौन।
उत्तर :
- साँई इतना दीजिए, जामें कुटुम समाय।
- काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हँसाय।
- रहिमन वे नर मर चुके, जे कहूँ माँगन जाहिं।
- तुलसी वहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेघ।
- बिना डुलाए न मिले, ज्यौं पंखा को पौन।
5. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
कबीर ने ‘साँई’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?
A. भगवान
B. गुरु
C. साधु
D. मालिक
उत्तर :
A. भगवान
प्रश्न 2.
कबीर सबकी ……………………………………….. चाहते हैं।
A. दोस्ती
B. मुहब्बत
C. खैर
D. इज्जत
उत्तर :
C. खैर
प्रश्न 3.
रहीम माँगनेवाले मनुष्यों को कैसा समझते हैं?
A. जीवित
B. नासमझ
C. पागल
D. मरा हुआ
उत्तर :
D. मरा हुआ
प्रश्न 4.
‘कंचन’ का अर्थ है – …………………………….
A. हीरा
B. सोना
C. चाँदी
D. मोती
उत्तर :
B. सोना
दोहे योग्यता विस्तार
प्रश्न:
(1) विद्यालय की बालसभा में कबीर, रहीम और तुलसीदासजी के दोहों पर आधारित ‘बाल कवि दरबार’ प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
(2) कबीर, रहीम और तुलसीदासजी के जीवन से संबंधित एक – एक प्रेरक प्रसंग कक्षा में सुनाइए।
(3) कबीर, रहीम और तुलसीदासजी के तीन – तीन दोहे लिखिए।
उत्तर :
कबीर
- गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ि – गढ़ि काढ़े खोट।
भीतर हाथि सहार दै, बाहर बाहै चोट।। - सतगुर साँचा सूरिवाँ, तातै लोहिं लुहार।
कसणी दे कंचन किया, ताइ लिया ततसार। - कबिरा बादल प्रेम का, हम परि बरष्या आइ।
अंतरि भीगी आतमाँ, हरि भई वनराइ।।
रहीम
- टूटे सुजन मनाइए, जो टूटै सौ बार।
‘रहिमन’ फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।। - ‘रहिमन’ विपदा हूँ भली, जो थोरे दिन होय।
हित – अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।। - छिमा बड़न को चाहिए, छोटन कहँ उतपात।
का ‘रहीम’ हरि कर घटेउ, जो मृगु मारी लात।।
तुलसीदास
- तुलसी साथी विपत के, विद्या विनय विवेक।
साहत सुकृत, सत्यव्रत, राम भरोसो एक।। - तुलसी पावस के समै, धरी कोकिला मौन।
अब तो दादुर बोले हैं, हमें पूछि है कौन।। - तुलसी राम सनेहु करु, त्यागी सफल उपचारु।
जैसे घटत न अंक नव, नव के लिखत पहारु।।
प्रश्न 4.
कबीर, रहीम और तुलसीदासजी की अन्य रचनाओं के बारे में जानिए।
उत्तर :
कबीर : कबीरवाणी’, ‘कबीर के पद’, ‘कबीर ग्रंथावलि’।
रहीम : रहीम के दोहे’, ‘रहीम के पद’, ‘रहीम सतसई’।
तुलसीदास : ‘विनय पत्रिका’, ‘रामचरितमानस’, ‘रामलला नहूछू’।
दोहे Summary in Hindi
कबीर
(1) साँई इतना ………………………………………….. भूखा जाय।।
हे प्रभु, मुझे बस इतना ही अन्न और धन दीजिए, जिससे मेरे परिवार का निर्वाह हो जाए। न मैं भूखा रहूँ और न कोई साधु – फकीर मेरे दरवाजे से भूखा लौटे।
(2) बिना विचारे ………………………………………….. हँसाय।
जो व्यक्ति बिना सोचे – समझे काम करता है, वह बाद में पछताता है। वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है, दुनिया में उसकी हँसी उड़ाई जाती है।
(3) कबीर खड़ा ………………………………………….. बैर।।
कबीर कहते हैं कि मैं बाजार में (सबके सामने) खड़ा होकर भगवान से सबकी कुशलता माँगता हूँ – सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करता हूँ। मेरी न किसीसे दोस्ती है और न किसीसे दुश्मनी।
रहीम
(1) रहिमन वे नर ………………………………………….. निकसत नाहिं॥
रहीम कहते हैं कि वे मनुष्य मरे हुए हैं जो कहीं (दूसरों के पास) माँगने जाते हैं। परंतु उनसे पहले वे लोग मर चुके हैं जो माँगनेवालों को देने से इनकार करते हैं।
(2) जो रहीम ………………………………………….. भुजंग।
रहीम कहते हैं कि उत्तम स्वभाव के व्यक्ति पर बुरे लोगों की संगति का बुरा असर नहीं पड़ता। चंदन के वृक्ष पर साँप लिपटे रहते हैं, फिर भी चंदन में साँपों का विष नहीं फैलता।
(3) बड़े बड़ाई ………………………………………….. मेरो मोल ॥
रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी (अपने मुख से) अपनी प्रशंसा नहीं करते। जो सचमुच बड़ा है, वह कभी बड़े बोल नहीं बोलता – बड़ी – बड़ी बातें नहीं करता। हीरा कभी नहीं कहता कि उसका मूल्य लाख रुपये हैं।
तुलसीदास
(1) आवत हिय ………………………………………….. मेघ।
तुलसीदासजी कहते हैं कि जिस घर के लोगों का हृदय तुम्हें आया हुआ देखकर हर्षित न हो जाए और जिनकी आँखों में स्नेह की भावना न हो, उस घर में कभी मत जाओ, फिर भले ही वहाँ सोना ही क्यों न बरसता हो!
(2) विधा धन ………………………………………….. पौन.
बिना परिश्रम किए विद्या – धन किसने पाया हो? (हाथ से) हिलाए बिना तो पंखे की हवा भी नहीं मिलती।
दोहे Summary in English
Kabir
(1) O God, give me enough corn and wealth, so that I can maintain my family. I may not remain hungry and no saint – sage go back hungry from my door.
(2) The person who works without thinking, repents later. He spoils his work and besides becomes a laughing stock in the world.
(3) Kabir says, “I stand in the bazaar and ask happiness of all from God. I pray for welfare of all. I have neither friendship nor enmity with anybody.”
Rahim
(1) Rahim says that who go to beg are dead. But the people who refuse to give anything to the beggars are dead prior to them.
(2) Rahim says that the person whose nature is best has never bad effect of the bad company. Though the snakes are coiled on the sandle trees, poison is not spread in sandle.
(3) Rahim says that great people never praise themselves. People who are really great, never speak about their greatness. Diamond never says that its value is lakh rupees.
Tulsidas
(1) Tulsidasji says, “Don’t go to the house of the people who have no delight in their heart seeing you and no love in their eyes for you, eventhough there may be raining of gold.”
(2) Who can gain wealth of learning without hard work? We do not get even air without moving (hands).
दोहे Summary in Gujarati
દોહા (ભાવાત્મક અનુવાદ)
કબીર
(1) હે પ્રભુ, મને ફક્ત એટલું જ અન્ન અને ધન આપજો, જેનાથી મારા કુટુંબનો નિર્વાહ થઈ શકે. હું ભૂખ્યો ન રહું અને કોઈ સાધુ-ફકીર મારા દરવાજેથી ભૂખ્યો પાછો ન ફરે.
(2) જે વ્યક્તિ વિચાર્યા વગર કામ કરે છે, તે પાછળથી પસ્તાય છે. તે પોતાનું કામ તો બગાડે જ છે, દુનિયામાં તેની મજાક ઉડાવાય છે.
(3) કબીર કહે છે કે હું બજારમાં ઊભો રહીને ભગવાન પાસે સૌની કુશળતા ઇચ્છું છું – સૌની ભલાઈ માટે પ્રાર્થના કરું છું. મારે કોઈની સાથે મિત્રતા નથી કે કોઈની સાથે શત્રુતા નથી.
રહીમ
(1) રહીમ કહે છે કે જે ક્યાંય (બીજા પાસે) માગવા જાય છે, તે માણસો મરેલા છે. પરંતુ તેમનાથીય પહેલાં તે લોકો મૃત્યુ પામેલા છે, જેઓ માગનારને (કંઈ) આપવાની ના પાડે છે.
(2) રહીમ કહે છે કે ઉત્તમ સ્વભાવની વ્યક્તિ પર ખરાબ માણસોની સોબતની ખરાબ અસર પડતી નથી. ચંદનનાં વૃક્ષો પર સાપ વીંટળાયેલા રહે છે, છતાં પણ ચંદનમાં સાપોનું ઝેર ફેલાતું નથી.
(3) રહીમ કહે છે કે મોટા માણસો કદી (પોતાના મુખે) પોતાની પ્રશંસા કરતા નથી. જેઓ ખરેખર મોટા છે તેઓ કદી મોટાઈના બોલ બોલતા નથી. હીરો ક્યારેય કહેતો નથી કે તેનું મૂલ્ય લાખ રૂપિયા છે.
તુલસીદાસ
(1) તુલસીદાસજી કહે છે કે તમને આવેલા જોઈને જે ઘરના લોકોના હૃદયમાં આનંદ ન થાય અને જેમની આંખોમાં સ્નેહની ભાવના ન ઝળકે તેમના ઘેર કદી જશો નહિ, પછી ભલે ત્યાં સોનાનો વરસાદ વરસતો હોય!
(2) પરિશ્રમ કર્યા વિના વિદ્યારૂપી ધન કોણ પ્રાપ્ત કરી શકે છે? (હાથ) હલાવ્યા વગર તો પંખાની હવા પણ મળતી નથી.
कबीर, रहीम, तुलसीदास विषय – प्रवेश
संतों की वाणी सभी भारतीय भाषाओं में मिलती है। हिन्दी में भी अनेक संतों की रचनाएँ आज भी लोकप्रिय हैं। इस पाठ में कबीर, रहीम और तुलसीदास के दोहे दिए गए हैं। ये सभी दोहे सरल और शिक्षाप्रद हैं। इनमें दानप्रियता, संतोष, समानता, सत्संग, विनम्रता, परिश्रम, प्रेम आदि जीवनमूल्यों का महत्त्व बताया गया है।
दोहे शब्दार्थ (Meanings)
- कबीर – Kabir
- साँई – भगवान, ईश्वर; God
- जामें – जिसमें; in which
- कुटुम – कुटुंब, परिवार; family
- समाय – पालनपोषण हो सके; maintain
- पाछे – बाद में; after
- जग – संसार; world
- हँसाय – हँसी, मजाक; jest, fun
- खैर – कुशलता; happiness, well – being
- बैर – दुश्मनी, शत्रुता; enmity
- रहीम – Rahim
- नर – मनुष्य; person, man
- जे – जो; who
- कहुँ – कहीं; somewhere
- जाहिं – जाते हैं; goes
- उनते – उनसे; his
- मुए – मर गए; die
- जिन – जिनके; whose
- निकसत – निकलता है; speaks
- नाहिं – नहीं; not, no
- उत्तम – श्रेष्ठ, अच्छा; the best
- प्रकृति – स्वभाव; nature
- का – क्या; what
- कुसंग – बुरी संगति; bad or evil company
- विष – जहर; poison
- व्यापत – फैलता है; spread
- भुजंग – साँप; snake
- बड़ाई – प्रशंसा, तारीफ; boast, renown, praise
- टका – रुपया; rupees
- मोल – मूल्य, कीमत; value
- तुलसीदास – Tulsidas
- आवत – आने पर; on coming
- हिय – हृदय; heart
- हरषै – प्रसन्न होता है; to be delighted
- नैनन – नयन, नेत्र, आँखें; eyes
- सनेह – स्नेह, प्रेम; love, affection
- तहाँ – वहाँ; there
- कंचन – सोना; gold
- मेह – मेघ, बादलं; rain, cloud
- उद्यम – परिश्रम; hard work
- कहो – कहिए, बताइए; tell, show
- पावै – पाता है; gain
- ज्यों – जैसे; as
- पौन – पवन, हवा; air spread for evil company