Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 6 तूफ़ानों की ओर Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 6 तूफ़ानों की ओर
1. शुद्ध उच्चारण कीजिए :
तूफ़ान, सिंधु, यौवन, हृदय, अंधड़, मिट्टी, स्पंदन
2. ‘तूफ़ानों की ओर…’ इस काव्य का समूहगान कीजिए।
3. प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
“तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार” ऐसा कवि ने क्यों कहा है?
उत्तर :
तूफान कठिनाइयों का प्रतीक है। कठिनाइयों से घबराकर भागना कायरता है। कठिनाइयों का डटकर सामना करने में ही बहादुरी है। जीवन में आनेवाली कठिनाइयाँ मनुष्य को बहुत कुछ सिखा देती हैं। उनसे हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए कवि ने नाविक से कहा है कि तुम अपनी नाव तूफानों की ओर घुमा दो।
प्रश्न 2.
“सागर भी तो यह पहचाने” में क्या पहचान ने की बात कही गई है?
उत्तर :
‘सागर भी तो यह पहचाने’ इस वाक्य में मनुष्य के साहस और शक्ति की बात कही गई है। कवि कहना चाहता है कि ऐसी कोई कठिनाई नहीं है जिसका हल मनुष्य के पास न हो।
प्रश्न 3.
समस्या आने पर हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
समस्या आने पर हमें भयभीत नहीं होना चाहिए। शांति और धीरज से समस्या का उचित उपाय खोजना चाहिए।
प्रश्न 4.
“इस अंधड़ में साहस तोलो” का क्या अर्थ है?
उत्तर :
‘इस अंधड़ में साहस तोलो’ का अर्थ है कि यह तुम्हारे साहस की परीक्षा का समय है। ऐसे कठिन समय में ही मनुष्य को अपने आपको परखने का मौका मिलता है।
4. कविता को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
किताबें कुछ कहना चाहती हैं…
किताबों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं।
किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं।
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं।
परियों के किस्से सुनाती हैं।
किताबों में रॉकेट का राज़ है।
किताबों में साइंस की आवाज़ है।
किताबों का कितना बड़ा संसार है।
किताबों में ज्ञान की भरमार है।
क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोगे?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं।
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।
प्रश्न 1.
प्रश्न के उचित विकल्प पर ✓ का निशान लगाइए :
(क) किताबों में कौन चहचहाता है ?
तोता [ ]
मोर [ ]
चिड़ियाँ [ ✓ ]
(ख) किताबें किसके किस्से सुनाती हैं?
राजा के [ ]
परियों के [ ✓ ]
किसान के [ ]
(ग) किताबों में किसके लहलहाने की बात है?
खेतियों के [ ✓ ]
झरनों के [ ]
बाग के [ ]
प्रश्न 2.
नीचे दिए हुए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए :
- परियाँ,
- किस्सा,
- संसार,
- भरमार
उत्तर :
- परियाँ स्वर्ग में रहती हैं।
- राम ने मुझे एक किस्सा सुनाया।
- उद्यम से आपके संसार में चार चाँद लग जाएँगे।
- मेले में खिलौनों की भरमार थी।
प्रश्न 3.
प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क) किताबों में क्या-क्या है?
उत्तर :
किताबों में चिड़ियों की चहचहाहट, खेतों का लहलहाना, झरनों का गुनगुनाना, परियों के किस्से, रॉकेट का राज़, साइंस की आवाज़ और ज्ञान का भंडार है।
(ख) हमें किताबें क्यों पढ़नी चाहिए?
उत्तर :
किताबों से हमें तरह – तरह की जानकारी मिलती है। किताबें हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं। वे हमारा मनोरंजन करती हैं। इसलिए हमें किताबें पढ़नी चाहिए।
(ग) “किताबों में ज्ञान की भरमार है।” ऐसा कवि ने क्यों कहा है?
उत्तर :
किताबों से हमें इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र आदि का ज्ञान होता है। विज्ञान का ज्ञान भी हमें किताबें देती हैं। धर्म और अध्यात्म का ज्ञान भी पुस्तकों से मिलता है। हमें पुस्तकों से विविध विषयों का ज्ञान मिलने से हम कह सकते हैं कि कितावों में ज्ञान की भरमार है।
(घ) इस काव्य का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
उचित शीर्षक : किताबें।
5. चित्र देखकर नीचे दिए गए शब्दों की मदद से छोटी-सी कहानी बनाकर अपने वर्ग में सुनाइए :
सुबह, घर, मेला, खिलौनेवाला, ढेर सारे, बच्चे, जगाना, खरीदा, खुश, मुर्गा, रात, बक्सा, बाँग
उत्तर :
भोलू नाम का एक लड़का था। नाम के अनुसार ही वह स्वभाव से बहुत भोला था। एक दिन वह माँ से पैसे लेकर पास के गाँव में लगे मेले में गया। साथ में उसका बड़ा भाई भी था। मेले में भोलू ने एक खिलौनेवाले के पास ढेर सारे खिलौने देखे। कई बच्चे उससे खिलौने खरीद रहे थे।
भोलू ने दो रुपये में एक मुर्गा खरीदा। उसे सुरक्षित रखने के लिए उसने मेले से एक बक्सा खरीदा। बक्से में मुर्गा रखकर दोनों भाई घर लौटे।
मुर्गे के खिलौने के कारण भोलू बहुत खुश था। रात में उसने माँ से कहा, “माँ, तू सबेरा होने पर मुझे मत जगाना। मुर्गा बाँग देगा तो मैं आप ही उठ जाऊँगा।” माँ मुस्कराई और चुप रही।
सबेरा हुआ। सूरज भी निकल आया। भोलू बहुत देर से उठा। उसने माँ से पूछा, “क्या मुर्गे ने सुबह बाँग नहीं दी?” माँ बोली, “अरे भोलू! तू सचमुच बहुत भोला है। भला, मिट्टी का मुर्गा कहीं बाँग दे सकता है?”
यह सुनकर भोलू की सारी खुशी छूमंतर हो गई।
6. आपके गाँव में बाढ़ आए तब उस समय आप क्या करेंगे? गाँव छोड़कर चले जायेंगे या गाँववालों की मदद करेंगे? अपने विचार कारण सहित बताइए।
उत्तर :
मेरे गाँव में बाढ़ आ जाए तो मैं अपने गाँव में ही रहूँगा और अपनी यथाशक्ति गाँव के लोगों की मदद करूँगा।
गाँव पर आपत्ति आने पर गाँव छोड़कर भागना तो कायरता है। आपत्ति के समय अपने गाँववालों की मदद करना हमारा कर्तव्य है। मैं अपने पड़ोसियों और मित्रों के परिवारों की हर तरह से सहायता करूँगा। मैं यथाशक्ति उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयत्न करूँगा।
उस समय यही मेरा धर्म होगा और मैं साहसपूर्वक इस धर्म का पूरी तरह पालन करूँगा।
7. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के विशेषण बनाइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) उनकी ईमानदारी से सारा नगर परिचित है।
(2) हमारी अमीरी लोगों को उपयोगी होगी ।
(3) हिमालय पर्वत की ऊँचाई देखने लायक है।
(4) लक्ष्मीबाई वीरता पूर्ण लड़ी।
(5) दूसरों की बुराई करना पाप है।
उत्तर :
(1) ईमानदारी – ईमानदार
वाक्य : यह ईमानदार व्यक्ति है।
(2) अमीरी – अमीर
वाक्य : इस होटल में अमीर लोग ही आते हैं।
(3) ऊँचाई – ऊँचा
वाक्य : योग्यता से ही ऊंचा पद मिलता है।
(4) वीरता – वीर
वाक्य : शिवाजी वीर पुरुष थे।
(5) बुराई – बुरा
वाक्य : हमें बुरे लोगों से दूर रहना चाहिए।
8. कहावतों का वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।
(2) न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
(3) चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
(4) अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
उत्तर :
(1) उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।
वाक्य : गलती तुम्हारी है और दोष तुम मुझे दे रहे हो? अरे वाह, उलटा चोर कोतवाल को डाँटे!
(2) न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
वाक्य : टी.वी. के कारण तुम लोग पढ़ नहीं सकते। तुम्हारे लिए यही अच्छा रहेगा कि टी.वी. ही निकाल दिया जाए। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
(3) चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
वाक्य : रामू को सिर्फ दो महीने के लिए नौकरी मिली थी। दो महीने होने पर रामू ने कहा – चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।
(4) अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत?
वाक्य : राकेश परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया तो परीक्षा के लिए पर्याप्त परिश्रम न करने पर पछता रहा था। उस समय आलसी बेटे से पिता ने कहा – अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत?
तूफ़ानों की ओर स्वाध्याय
1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कवि ने मनुष्य की किस विशेषता की ओर इशारा किया है?
उत्तर :
कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कहते हैं कि मनुष्य सब कुछ कर सकता है। उसने कभी हार नहीं मानी। वह थकना नहीं जानता। जब तक उसमें साँस है, तब तक वह आगे – ही – आगे बढ़ता रहता है। न मनुष्य के साहस की सीमा है और न उसके आत्मविश्वास की।
अपने अदम्य साहस और अद्भुत आत्मविश्वास के बल पर ही उसने सात सागर पार किए हैं। इस प्रकार प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य के अपार साहस, अथक शक्ति और गजब के आत्मविश्वास की ओर इशारा किया है।
प्रश्न 2.
ज्वार कहाँ-कहाँ उठा है?
उत्तर :
एक ओर समुद्र में ज्वार उठा है तो दूसरी ओर कवि के हृदय में भावनाओं का ज्वार उठा है। इस प्रकार समुद्र और कवि – हृदय, इन दो स्थानों पर ज्वार उठा है।
प्रश्न 3.
समुद्र ने कैसा रूप धारण किया है?
उत्तर :
समुद्र में बड़े जोर का तूफान आया है। उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे वह जहर उगल रहा हो। समुद्र से लहरें इस प्रकार उठ रही हैं जैसे वे माँझी की नाव को निगल जाएँगी। तूफानी समुद्र ऐसा लग रहा है जैसे उसका सामना कोई नहीं कर सकता।
सागर के ज्वार ने बड़ी कठिन परिस्थितियाँ पैदा कर दी है। तूफानी समुद्र आज अपनी असीम शक्ति दिखाने पर तुला हुआ है। उसकी लहरों ने जैसे मनुष्य को पराजित करने की ठान ली है। इस प्रकार समुद्र ने बड़ा उग्र रूप धारण किया है।
प्रश्न 4.
कवि ने मनुष्य को मिट्टी का पुतला क्यों कहा है?
उत्तर :
मनुष्य धरती पर जन्म लेता है। वह मिट्टी में खेल – खेलकर बड़ा होता है। मिट्टी में उत्पन्न होनेवाले पदार्थों से ही मनुष्य का पालन – पोषण होता है। मिट्टी उसकी माँ है। मनुष्य के मर जाने पर उसका शरीर मिट्टी में ही मिल जाता है।
इस प्रकार मनुष्य अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक मिट्टी से जुड़ा रहता है। मिट्टी से मनुष्य की इसी अभिन्नता के कारण कवि ने मनुष्य को ‘मिट्टी का पुतला’ कहा है।
प्रश्न 5.
माँझी का हाथ कब तक नहीं रुकता है ?
उत्तर :
समुद्र अगर शक्तिशाली है तो मिट्टी का पुतला माँझी भी कम नहीं है। उसमें अद्भुत साहस और अनोखी शक्ति है। इसलिए वह कभी थकता नहीं है। जब तक उसके शरीर में प्राण हैं, जब तक उसकी साँसों में चेतना है, तब तक माँझी का हाथ रुकने का नाम नहीं लेता।
वह संघर्ष करना नहीं छोड़ता। इस प्रकार माँझी अपने अंतिम साँस तक कार्य करता है।
2. इस कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
‘तूफानों की ओर’ कविता में कवि ‘सुमन’ ने बताया है कि यह संसार एक सागर है और प्रत्येक मनुष्य अपने जीवनरूपी नाव का नाविक है। संसार में तूफानों – कठिनाइयों की कमी नहीं है। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह उन कठिनाइयों में अपना धैर्य न खोए और साहस से उनका सामना करे।
कठिनाइयों में ही मनुष्य के साहस, बल और बुद्धि की परीक्षा होती है। इसलिए वह कठिनाइयों का स्वागत करे और उन पर विजय प्राप्त करे।
Hindi Digest Std 8 GSEB तूफ़ानों की ओर Important Questions and Answers
तूफ़ानों की ओर प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
कवि नाविक से क्या कहता है?
उत्तर :
कवि नाविक से कहता है कि तुम तूफानों से मत घबराओ। तुम उनका सामना करने के लिए अपनी पतवार उन्हीं की दिशा में मोड़ दो। तुम आँधियों का सामना करके देखो कि तुममें कितनी ताकत है।
तुम असीम सागर को बता दो कि मानव मिट्टी का पुतला होने पर भी तूफानी सागर से कभी हार नहीं मान सकता। अपना साहस दिखाने के ऐसे मौके बड़े भाग्य से मिलते हैं। इसलिए आज तुम तूफानी सागर से लड़ने का अवसर मत गँवाओ।
प्रश्न 2.
कवि सागर को किस बात की अनुभूति करा देना चाहता है?
उत्तर :
कवि सागर के तूफानी स्वरूप से नहीं डरता। वह चाहता है कि नाविक भी तूफानी लहरों से भयभीत न हो। कवि नाविक के अदम्य साहस के माध्यम से सागर को बता देना चाहता है कि सागर असीम है तो मनुष्य का साहस भी असीम है।
माँझी में वह शक्ति है जो सागर की तूफानी लहरों का जवाब दे सकती है। समुद्री तूफानों से मानव ने कभी हार नहीं मानी। इस प्रकार कवि सागर को इस बात की अनुभूति करा देना चाहता है कि वह कितना भी रौद्र बने, मनुष्य उससे भयभीत होनेवाला और हार माननेवाला नहीं है।
प्रश्न 3.
सागर पार करने के लिए किस बात की आवश्यकता है?
उत्तर :
सागर पार करने के लिए तूफानों से न डरना जरूरी है। तूफानों से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। सागर कितना भी तूफानी बने, नाविक में आत्मविश्वास की कमी नहीं होनी चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि सागर की चुनौती भाग्यवानों को ही मिलती है।
इसलिए अपनी शक्ति को पहचानने के लिए सागर की चुनौती का स्वीकार करना चाहिए। इस प्रकार सागर पार करने के लिए शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की आवश्यकता है।
प्रश्न 4.
‘तूफानों की ओर’ कविता द्वारा कवि ‘सुमन’ क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर :
‘तूफानों की ओर’ एक प्रेरक कविता है। इसमें कवि ने बताया है कि जिस तरह समुद्र में तूफान आते हैं, उसी तरह जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं। साहसी नाविक ही तूफानों से टक्कर ले सकता है और उन्हें जीतकर सागर पार कर सकता है।
उसी तरह साहसी मनुष्य ही जीवन में आनेवाली कठिनाइयों का मुकाबला कर सकता है। उसका आत्मविश्वास कठिनाइयों का हल निकाल ही लेता है। इस प्रकार प्रस्तुत कविता द्वारा कवि सुमन जीवन में सफल होने के लिए मनुष्य को साहसी, शक्तिशाली और आत्मविश्वासी बनने के लिए कहना चाहते हैं।
तूफ़ानों की ओर योग्यता विस्तार
- इस कविता में कवि ने मनुष्य को जीवन में संघर्ष से विमुख न होने और सतत जीवन – संग्राम जारी रखने की प्रेरणा दी है। इस विचारधारा के आधार पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
- कई कविताओं में जीवन में परिश्रम, धैर्य, सहयोग, प्रसन्नता आदि का महत्त्व व्यक्त किया जाता है। कक्षा में ऐसी कविताएँ साभिनय सुनाइए।
- जीवन में कई बार मुश्किल परिस्थितियाँ आ जाती हैं। ऐसी किसी परिस्थिति का सामना आपने कैसे किया, यह बताइए।
तूफ़ानों की ओर प्रवृत्तियाँ
(1) विविध रंगों का उपयोग करके तूफान – ग्रस्त समुद्र का चित्रांकन कीजिए।
(2) तूफानी लहरों को चीरती नाव और उसके नाविक का चित्रांकन कीजिए।
(3) तूफान – ग्रस्त पेड़ का चित्रांकन कीजिए।
(4) ऐसी चार चीजों के नाम लिखिए, जिन पर तूफान का प्रभाव पड़ता है।
उत्तर :
(1) पेड़
(2) नाव और नाविक
(3) कच्चे मकान – झोंपड़ियाँ
(4) फसलें।
(5) निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए :
तूफान, सिंधु, यौवन, हृदय, अंधड़, मिट्टी, स्पंदन
(6) ‘तूफानों की ओर’ इस काव्य का समूहगान कीजिए।
तूफ़ानों की ओर Summary in Hindi
शिवमंगल सिंह
कविता का सरल अर्थ
(1) “तूफानों की ओर ………………………………………. उठा है ज्वार।”
हे नाविक! तुम तूफानों का सामना करने के लिए अपनी पतवार तूफानों की दिशा में मोड़ दो। आज समुद्र ने जहर उगल दिया है – कठिन परिस्थितियाँ पैदा की हैं। लहरें भी उमड़कर तुम्हारी नाव को निगल जाना चाहती हैं, फिर भी परवाह नहीं। उधर समुद्र में ज्वार उठा है तो कवि के हृदय में भी भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा है।
(2) “लहरों के स्वर में ………………………………………. तूफानों का प्यार।”
जैसे लहरों का स्वर ऊँचा हो रहा है और उनका जोर बढ़ रहा है, वैसे ही तुम भी तैयार होकर आँधियों के सामने उठ जाओ और स्वयं आजमाकर देखो कि तुममें कितनी हिम्मत है। जीवन में तूफानों का प्यार कभी – कभी ही मिलता है – भाग्यशाली लोग ही जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं।
(3) “यह असीम, ………………………………………. न मानी हार।” यह समुद्र और वह तूफान आज असीम दिखाई देते हैं।
इनका सामना शायद ही कोई कर सके। लेकिन, मनुष्य सब कुछ कर सकता है। हे नाविक ! तुम अपनी नाव लेकर चलो और सागर को भी बता दो कि मानव मिट्टी का पुतला है, पर समुद्र के सामने हार नहीं मानेगा। मनुष्य ने कहीं भी अपनी हार नहीं मानी।
(4) “सागर की अपनी ………………………………………. सागर पार।”
समुद्र के पास उसकी अपनी लहरों की शक्ति है। पर, माझी के पास भी हिम्मत है, आत्मविश्वास है। वह थकना नहीं जानता। जब तक नाविक की साँसें चल रही हैं तब तक वह अपनी नाव आगे बढ़ाता ही जाएगा। हे नाविक! तुमने अपनी हिम्मत और ताकत के सहारे सात समुद्र पार कर डाले हैं। अपनी नाव के साथ इसी प्रकार आगे बढ़ते रहो। हे नाविक, तुम अपनी पतवार तूफानों की ओर घुमा दो।
तूफ़ानों की ओर Summary in English
Turn (Rudder) Towards The Storms
(1)boatman! Turn your rudder towards the direction of storms. Today the sea has vomitted poison – has created terrible conditions. The waves also want to swallow your boat. As there is tide in the sea, the poet also has a tide of feelings in his heart.
(2) As the sound and strength of waves increase, you also be ready to stand still against the storm and see how much courage you have. We rarely get love of storms in our life! Only lucky persons can face the storms.
(3) Today the sea and the storm are seen excessive – hardly a person can face them, but the man can do everything. O boatman! Set out with your boat and show the sea that though the man is a statue of soil, he cannot lose against the sea. The man has never accepted his defeat anywhere.
(4) The sea has strength of its waves, but the boatman has only courage and self – confidence. He never gets tired. The boatman will move his boat ahead till his last breath. O boatman! You have crossed all the seven oceans with the strength of your courage. So move ahead with your boat.
O boatman, turn your rudder towards the storms !
तूफ़ानों की ओर Summary in Gujarati
(સુકાનને) તોફાનોની તરફ ફેરવી દો (ભાવાત્મક અનુવાદ)
(1) હે નાવિક! તું તોફાનોનો સામનો કરવા માટે તારું સુકાન તોફાનોની દિશામાં ફેરવી દે. આજે સમુદ્ર ઝેર ઓક્યું છે – વિકટ પરિસ્થિતિઓ ઉત્પન્ન કરી છે. મોજાં પણ ઊછળીને તારી નૌકાને ગળી જવા માગે છે. સમુદ્રમાં ભરતી આવી છે તેમ કવિના હૃદયમાં પણ ભાવનાઓની ભરતી આવી છે.
(2) જેમ સમુદ્રનાં મોજાંનો અવાજ વધી રહ્યો છે અને એમનું જોર વધી રહ્યું છે તેમ તું પણ તૈયાર થઈને વાવાઝોડાની સામે અડીખમ ઊભો રહે અને તારામાં કેટલી હિંમત છે તે જોઈ લે. જીવનમાં તોફાનોનો પ્રેમ ભાગ્યે જ મળે છે! ભાગ્યશાળી લોકો જ તોફાનોનો સામનો કરી શકે છે.
(3) આ સમુદ્ર અને તે તોફાન આજે અસીમ દેખાય છે – તેમનો સામનો ભાગ્યે જ કોઈ કરી શકશે, પરંતુ મનુષ્ય બધું જ કરી શકે છે. હે નાવિક! તું તારી નાવ લઈને નીકળી પડે અને સાગરને દેખાડી દે કે માનવી માટીનું પૂતળું હોવા છતાં સમુદ્રની સામે હારી નહિ શકે. મનુષ્ય ક્યાંય પણ પોતાની હાર માની નથી.
(4) સમુદ્રની પાસે તેનાં મોજાંની તાકાત છે. પણ નાવિક પાસે તો હિંમત અને આત્મવિશ્વાસ છે. થાકને તે ગણકારતો નથી. જ્યાં સુધી નાવિકનો શ્વાસ ચાલી રહ્યો છે ત્યાં તે પોતાની નૌકા આગળ ધપાવતો જ રહેશે. હે નાવિક, તેં તારી હિંમત અને તાકાતના બળે સાતેય સમુદ્રો પાર કર્યા છે. માટે પોતાની નૌકા સાથે આગળ વધતો રહે.
હે નાવિક, તારું સુકાન તોફાનોની તરફ ફેરવી દે!
तूफ़ानों की ओर विषय – प्रवेश
हमारा जीवन संघर्षमय है। इस जीवन में कठिनाइयाँ आती ही रहती हैं। हमें उनसे घबराना नहीं चाहिए। पूरे आत्मविश्वास और साहस से उनका सामना करना चाहिए। इस संसार – सागर में अपने जीवन की नाव को पार लगाने का यही एक उपाय है। प्रस्तुत कविता में कवि ने यही सीख दी है।
तूफ़ानों की ओर शब्दार्द्ध (Meanings)
- नाविक – नाव चलानेवाला, मल्लाह, माँझी; boatman
- निज – अपनी; own
- पतवार – नाव चलानेवाली लकड़ी, चप्पू; rudder of a ship, helm
- सिंधुसमुद्र; sea, ocean
- ज्वार – समुद्र में पानी का बढ़ना, तूफान; (sea) tide
- अंधड़ – आँधी; storm असीम – सीमाहीन; excessive, limitless
- क्षमता – शक्ति, सामर्थ्य; capacity, strength
- माँझी – नाविक; boatman
- स्पंदन – चेतना, धड़कन; animation, throbbing
- बल पर – सहारे; with the help.