Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 7 हार की जीत Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 7 हार की जीत
हार की जीत अभ्यास
1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
खड़गसिंह का हृदय परिवर्तन क्यों हुआ?
उत्तर :
बाबा भारती ने खड्गसिंह से प्रार्थना की थी कि वह घोड़ा भले ही ले जाए, पर घोड़ा हथियाने की यह घटना किसीके सामने प्रकट न करे। जिस तरह छल-कपट करके उसने घोड़ा बाबा से छीना, उसे सुनकर लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।
बाबा भारती के ये शब्द डाकू खड्गसिंह के कानों में गूंजते रहे। उसे लगा कि बाबा आदमी नहीं, देवता हैं। उन्हें अपनी हानि की नहीं, गरीबों के नुकसान की चिंता है। ऐसे ऊँचे विचारोंवाले पुरुष को धोखा देकर उसने अच्छा नहीं किया। उसे उनका घोड़ा लौटा देना चाहिए। इस प्रकार खड्गसिंह का हृदय-परिवर्तन हुआ।
प्रश्न 2.
“अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।” बाबा भारती ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
खड्गसिंह ने गरीब और अपाहिज बनकर बाबा भारती को धोखा दिया था। उन्हें डर था कि इस घटना का पता चलने पर लोग गरीबों, दीन-दःखियों और अपाहिजों पर विश्वास नहीं करेंगे।
लेकिन खड़गसिंह जिस शाम को बाबा भारती का घोड़ा ले गया, उसी रात को वह उसे बाबा के अस्तबल में बाँध गया था। अब खड्गसिंह की धोखेबाजी की बात फैलने का डर नहीं था। इसलिए बाबा भारती ने कहा कि अब गरीबों की सहायता से कोई मुँह नहीं मोड़ेगा।
प्रश्न 3.
यदि बाबा भारती की जगह आप होते तो क्या करते?
उत्तर :
यदि बाबा भारती की जगह मैं होता तो थाने में जाकर यह शिकायत दर्ज कराता की डाकू खड्गसिंह से मुझे खतरा है। वह मुझे, धमकी दे गया है कि वह मेरा घोड़ा मुझसे छीन ले जाएगा। उसकी धमकी के कारण मैं चौबीसों घंटे भयभीत रहता हूँ। पूरी रात घोड़े की रखवाली में बीत जाती है।
अपने बचाव का मेरे पास कोई उपाय नहीं है। वह किसी भी समय मेरे घोड़ा उठा ले सकता है।
मैं थानेदार साहब से प्रार्थना करता कि वह इस संबंध में ठोस कारवाई कर मुझे उस खतरनाक डाकू के भय से मुक्त करें।
प्रश्न 4.
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।” ऐसा बाबा भारती ने क्यों कहा?
उत्तर :
बाबा भारती संत पुरुष थे। दीन-दुखियों के प्रति उनके हृदय में अपार करुणा थी। किसी अपाहिज की करुण पुकार सुनकर उनका हृदय पिघल जाता था। उनकी इसी दयालुता का लाभ उठाकर खड़गसिंह ने उन्हें धोखा दिया था।
बाबा भारती को लगा कि अगर खड्गसिंह की इस धोखेबाजी का पता लोगों को लग जाएगा, तो वे किसी गरीब या दीन-दुःखी पर विश्वास नहीं करेंगे। फिर कोई किसी अपाहिज की मदद नहीं करेगा। यही सोचकर उन्होंने खड्गसिंह से उसकी धोखेबाजी से घोड़ा लेने की बात किसीके सामने प्रकट न करने के लिए कहा।
2. मान लो आपके गाँव की बैंक में लूट हुई। लूट किस गलती के कारण हुई होगी? लुटेरे कौन हो सकते हैं? इस घटना का अनुमान लगाइए और लूट या चोरी से बचने के लिए क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए? अपने दोस्तों के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर:
रोहित – अरे मयंक, कल रात अपने गाँव की अभ्युदय बैंक में लूट की खबर तूने सुनी?
मयंक – हाँ सुनी।
दमन – बैंक में दो चौकीदार हैं, पर अक्सर इधर-उधर घूमते रहते हैं या अन्य काम करते रहते हैं! फिर लूट होना स्वाभाविक है।
रोहित – तुमने बिलकुल सच कहा।
मयंक – पर ये लुटेरे कौन हो सकते हैं?
दमन – वे ही होंगे जिन्होंने नगर के मंदिर से मूर्तियाँ चुराई थीं।
रोहित – सेठ करोड़ीमल के घर में डाका डालनेवाले लोग भी हो सकते हैं।
मयंक – कोई भी हो, है बड़े शातिर और हिम्मतवाले।
दमन – चोर, डाकू, लुटेरे हिम्मतवाले तो होते ही हैं।
रोहित – पुलिस पिछले महीनों में हुई एक भी चोरी का पता नहीं लगा सकी।
मयंक – ऐसी घटनाओं से बचाव कैसे हो?
दमन – तीन तरीके हैं। बैंक अपने यहाँ सशस्त्र चौकीदार रखे। बैंक में एक-दो जासूस मौजूद रहें। बैंक में सी.सी.टीवी कैमरे लगाए जाएँ।
रोहित – हाँ, अब ऐसे उपाय किए बिना काम न चलेगा।
3. परिच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
सोना अचानक आई थी, परंतु वह अब तक अपनी शैशवावस्था भी पार नहीं कर सकी थी। सुनहरे रंग का, रेशमी लच्छों की गाँठ के समान उसका कोमल लघु शरीर था, छोटा-सा मुँह और बड़ी-बड़ी पानीदार आँखें। देखती तो लगता था कि अभी छलक पडेंगी। लंबे कान, पतली सुडौल टाँगें, जिन्हें देखते ही प्रसुप्त गति की बिजली की लहर देखनेवालों की आँखों में कौंध जाती थी। सब उसके सरल, शिशु रूप से इतने प्रभावित हुए कि किसी चंपकवर्णा रूपसी के लिए उपयुक्त सोना, सुवर्णा आदि नाम उसका परिचय बन गए।
परंतु उस बेचारे हरिण-शावक की कथा तो मिट्टी की ऐसी व्यथा-कथा है, जिससे मनुष्य निष्ठुरता गढ़ती है। बेचारी सोना भी मनुष्य की इसी निष्ठुर मनोरंजनप्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव-समाज में आ पड़ी थी। प्रशांत वनस्थली में जब अलस भाव से मंथन करता हुआ मृग-समूह शिकारियों की आहट से चौंककर भागा, तब सोना की माँ सद्यः प्रसूता होने के कारण भागने में असमर्थ रही। सदयः जात मग शिश तो भाग नहीं सकता था। अतः मुगी माँ ने अपनी संतान को अपने शरीर की ओट में सुरक्षित रखने के प्रयास में अपने प्राण दिए।
प्रश्न 1.
सही उत्तर पर ✓ का निशान लगाइए :
(क) सोनाहिरन का रंग कैसा था?
लाल [ ]
पीला [ ]
सुनहरा [ ✓ ]
(ख) मृग-समूह किसकी आहट से चौंक कर भागा?
पटाखे की [ ]
शिकारियों की [ ✓ ]
बादल की [ ]
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरिए :
(क) सोना अब तक अपनी ……………………………….. भी पार नहीं कर सकी थी।
(ख) हरिण-शावक की कथा तो मिट्टी की ऐसी ……………………………….. है, जिसे मनुष्य की निष्ठुरता गढ़ती है।
उत्तर:
(क) सोना अब तक अपनी शैशवावस्था भी पार नहीं कर सकी थी।
(ख) हरिण-शावक की कथा तो मिट्टी की ऐसी व्यथा-कथा है, जिसे मनुष्य की निष्ठुरता गढ़ती है।
प्रश्न 3.
इन शब्दों के अर्थ लिखिए :
आहट ………………………………..
शैशवावस्था ………………………………..
उत्तर:
चाप
शिशु की अवस्था, बचपन
प्रश्न 4.
इन शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
लघु ………………………………..
मानव ………………………………..
उत्तर:
विशाल, विराट
हैवान
प्रश्न 5.
हरिण-शावक सोना की शारीरिक बनावट कैसी थी?
उत्तर:
हरिण-शावक सोना की शारीरिक बनावट रेशमी लच्छों की गाँठ के समान थी। उसका कोमल शरीर लघु था, मुँह छोटा-सा था और बड़ी-बड़ी आँखें पानीदार थीं।
4. एक दिन बादशाह अकबर ने अपने दरबारियों से पूछा, “बताओ दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है?” दरबारियों का जवाब क्या होगा और बीरबल ने क्या कहा होगा? कहानी आगे बढ़ाइए।
उत्तर :
दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है? – अकबर के इस प्रश्न के उत्तर में किसी दरबारी ने हाथी को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया तो किसीने सिंह को। इस तरह दरबारियों ने अपने-अपने ढंग से जवाब दिए।
जब इसका उत्तर देने के लिए बीरबल से कहा गया, तब उन्होंने सूरज को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया। अकबर ने पूछा, “कैसे?” तब बीरबल ने यह कहानी सुनाई –
एक बार हवा, पानी और सूरज में बहस छिड़ी। तीनों स्वयं को सबसे अधिक शक्तिशाली बता रहे थे। एक देवदूत ने उन तीनों की बातें सुनीं। उसने कहा, “देखो, वह यात्री कोट पहने जा रहा है। जो उसका कोट उतरवा दे, वही सबसे अधिक शक्तिशाली है।”
सबसे पहले हवा आगे बढ़ी और तेज चलने लगी। उसने तूफानी रूप ले लिया। यात्री का कोट फड़फड़ाने लगा। उसने हाथ से कसकर कोट को पकड़ रखा। आखिर हवा ने हार मान ली। अब पानी ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी। जोर की बारिश होने लगी।
यात्री पूरी तरह भीग गया, पर उसने कोट न निकाला। अंत में सूरज की बारी आई। इतनी तेज धूप निकली कि यात्री गर्मी सहन न कर सका। वह पसीना-पसीना हो गया। परेशान होकर उसने कोट उतार दिया। सबने सूरज की शक्ति का लोहा मान लिया।
बादशाह ने भी बीरबल की बात का समर्थन किया।
हार की जीत स्वाध्याय
1. दिए गए शब्दों की सहायता से रिक्त स्थान भरिए :
(1) खड़गसिह उस इलाके का ……………………………….. डाकू था। (प्रसिद्ध, कुख्यात)
(2) अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरों के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय का हृदय ……………………………….. हो गया था। (धीर, अधीर)
(3) “बाबा जी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका ……………………………….. हूँ, केवल यह घोड़ा न दूंगा।” (दास, स्वामी)
उत्तर :
(1) खड्गसिंह उस इलाके का कुख्यात डाकू था।
(2) अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरों के मुख से सुनने के लिए उनका – हृदय अधीर हो गया था।
(3) “बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल यह घोड़ा न दूंगा।”
2. किसने, किससे कहा ?
प्रश्न 1.
“दुर्गादत्त वैद्य का नाम सुना होगा। उनका सौतेला भाई हूँ।”
अपाहिज ने बाबा भारती से
बाबा भारती ने अपाहिज से
उत्तर :
अपाहिज ने बाबा भारती से [ ✓ ]
बाबा भारती ने अपाहिज से [ ]
प्रश्न 2.
“लोगों को अगर इस घटना का पता लग गया, तो वे किसी गरीब का विश्वास न करेंगे।”
बाबा भारती ने खड़गसिंह से
खडगसिंह ने बाबा भारती से
उत्तर :
बाबा भारती ने खड़गसिंह से [ ✓ ]
खडगसिंह ने बाबा भारती से [ ]
3. प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
खड़गसिंह बाबा भारती के पास क्यों आया?
उत्तर :
खड्गसिंह बाबा भारती के घोड़े को देखने की इच्छा से उनके पास आया।
प्रश्न 2.
बाबा भारती किस बात से डर गए थे?
उत्तर :
खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा था कि वह सुलतान को उनके पास नहीं रहने देगा। खड्गसिंह की इसी धमकी से बाबा भारती डर गए थे।
प्रश्न 3.
सुलतान पर सवार खड़गसिंह ने बाबा भारती से क्या कहा?
उत्तर :
सुलतान पर सवार खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा कि अब यह घोड़ा मैं आपको न दूंगा।
4. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बाबा भारती अपना समय कैसे बिताते थे?
उत्तर :
बाबा भारती गाँव के बाहर एक छोटे-से मंदिर में रहते थे और भगवान का भजन करते थे। उन्होंने एक घोड़ा पाल रखा था जिसे वे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। भगवान के भजन से जो समय बचता, उसे वे घोड़े की सेवा में लगाते थे।
वे अपने हाथ से उसका खरहरा करते और उसे दाना खिलाते थे। संध्या समय वे सुलतान पर सवार होकर आठ-दस मील का चक्कर काटते थे। इस प्रकार बाबा भारती अपना समय बिताते थे।
प्रश्न 2.
बाबा भारती को किसका डर लगने लगा? क्यों?
उत्तर :
खड्गसिंह बाबा भारती के पास आकर उनके घोड़े सुलतान को देख गया था। ऐसा बाँका घोड़ा उसने आज तक नहीं देखा था। वह उसकी चाल पर मुग्ध हो गया था। जाते-जाते वह बाबा भारती से कह गया था कि वह सुलतान को उनके पास न रहने देगा।
वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए, उस पर अपना अधिकार समझता था। उसके पास बाहुबल था। इसलिए बाबा भारती को खड्गसिंह का डर लगने लगा।
प्रश्न 3.
खड़गसिंह ने सुलतान को कैसे प्राप्त किया?
उत्तर :
एक दिन संध्या समय बाबा भारती सुलतान पर सवार होकर घूमने निकले। रास्ते में उन्होंने एक अपाहिज की करुणाभरी आवाज सुनी। उसने बाबा से घोड़े पर रामावाला गाँव पहुँचाने की प्रार्थना की। बाबा ने तरस खाकर उस अपाहिज को घोड़े पर बिठा लिया और स्वयं लगाम पकड़कर चलने लगे।
सहसा उस अपाहिज ने झटका देकर बाबा भारती के हाथ से लगाम छीन ली और वह घोड़े को ले भागा। वह अपाहिज और कोई नहीं, डाकू खड्गसिंह ही था। इस प्रकार खड्गसिंह ने सुलतान को प्राप्त किया।
प्रश्न 4.
घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती ने घोड़े से कैसा वर्ताव किया?
उत्तर :
घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती के खुशी का ठिकाना न रहा। वे उसके गले से लिपटकर रोने लगे। वे बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगें और उसके मुँह पर थपकियाँ देने लगे।
घोड़े की वापसी पर संतोष प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुंह नहीं मोड़ेगा। इस प्रकार घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती ने उससे वही बर्ताव किया जो एक पिता बहुत दिन से बिछुड़े हुए पुत्र के मिलने पर करता है।
5. टिप्पणी लिखिए :
बाबा भारती की महानता
उत्तर :
बाबा भारती एक सदाचारी संत थे। उनका हृदय विशाल था और उनके विचार ऊँचे थे। उनके हृदय में दीन-दुःखियों के प्रति अपार करुणा थी। दीनदुखियों की सेवा करना वे अपना कर्तव्य समझते थे। उन्हें अपनी हानि की अपेक्षा गरीबों और दीन-दुखियों की हानि की अधिक चिंता थी।
इसीलिए उन्होंने खड्गसिंह से घोड़े को छलपूर्वक लेने की बात किसीके सामने प्रकट न करने की प्रार्थना की। बाबा भारती के ऊँचे विचारों ने खड्गसिंह जैसे कुख्यात डाकू का हृदय-परिवर्तन कर दिया। अपनी हार को भी जीत में बदल लेनेवाले बाबा भारती सचमुच एक ऊँचे दर्जे के इंसान थे।
6. दिए गए शब्दों के अर्थ से शब्द-पहेली पूर्ण कीजिए :
नीचे↓ – सीधे →
(1) इच्छा – (1) बेचैन
(2) उद्देश्य – (2) बड़ाई
(3) अचानक – (3) सत्य
(4) दया – (4) नभ
(5) नफरत
उत्तर :
(1) अभिलाषा – (1) अधीर
(2) प्रयोजन – (2) प्रशंसा
(3) सहसा – (3) सच
(4) करुणा – (4) गगन
(5) घृणा
7. दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
- सुंदर,
- जमीन,
- संध्या,
- गरीब,
- विश्वास
उत्तर :
- सुंदर – असुंदर, कुरूप
वाक्य : उनके नौकर का चेहरा असुंदर (कुरूप) था। - जमीन – आसमान
वाक्य : नीला आसमान देखकर यात्री खुश हो गए। - संध्या – उषा
वाक्य : उषा की लालिमा दर्शनीय थी। - गरीब – अमीर
वाक्य : वह जमींदार बहुत अमीर था। - विश्वास – अविश्वास
वाक्य : सेठानी को नौकर पर अविश्वास था।
8. दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाइए : (प्रति, निर्)
(1) ……………………………. + दिन = …………………………….
(2) ……………………………. + आधार = …………………………….
(3) ……………………………. + मूल = …………………………….
(4) ……………………………. + कूल = …………………………….
(5) ……………………………. + जल = …………………………….
(6) ……………………………. + दोष = …………………………….
उत्तर :
(1) प्रति + दिन = प्रतिदिन
(2) निर् + आधार = निराधार
(3) निर् + मूल = निर्मूल
(4) प्रति + कूल = प्रतिकूल
(5) निर् + जल = निर्जल
(6) निर् + दोष = निर्दोष
9. दिए गए शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए : (इक, त्व)
(1) मुख + ……………………………. = …………………………….
(2) मनुष्य + ……………………………. = …………………………….
(3) भूत + ……………………………. = …………………………….
(4) मम + ……………………………. = …………………………….
(5) समाज + ……………………………. = …………………………….
(6) सम + ……………………………. = …………………………….
उत्तर :
(1) मुख + इक = मौखिक
(2) मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व
(3) भूत + इक = भौतिक
(4) मम + त्व = ममत्व
(5) समाज + इक = सामाजिक
(6) सम + त्व = समत्व
10. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानकर उनका अन्य वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
जैसे- खड़गसिंह इस इलाके का कुख्यात डाकू था।
विशेषण : कुख्यात
वाक्य : कुख्यात आदमी से लोग डरते हैं।
(1) कहते हैं, देखने में भी बड़ा सुंदर है।
(2) परंतु ऐसा बाँका घोड़ा उसकी आँखों से कभी न गुज़रा था।
(3) बाबा भारती ने ठंड़े जल से स्नान किया।
(4) अपने प्यारे घोड़े से लिपटकर रोने लगे।
(5) बाबा भारती प्रसिद्ध साधु थे।
उत्तर :
विशेषण – वाक्य
सुंदर – मुंबई सुंदर शहर है।
बाँका – ऐसा बाँका जवान मैंने कभी नहीं देखा।
ठंड़े – हमने गंगा नदी के ठंड़े जल में स्नान किया।
प्यारे – पिताजी अपने प्यारे बेटे से लिपटकर रोने लगे।
प्रसिद्ध – सचिन तेंदुलकर प्रसिद्ध खिलाड़ी है।
Hindi Digest Std 8 GSEB हार की जीत Important Questions and Answers
हार की जीत प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
इस कहानी का शीर्षक ‘हार की जीत’ क्यों रखा गया है?
अथवा
बाबा भारती की हार जीत में कैसे बदल गई?
उत्तर :
डाकू खड्गसिंह अपाहिज के रूप में था, इसलिए बाबा उसे पहचान नहीं सके और वह उनसे घोड़ा छीन ले गया। इस तरह बाबा भारती खड्गसिंह से हार गए थे। परंतु गरीबों के प्रति बाबा की चिंता का डाकू के दिल पर गहरा असर पड़ा।
अपने किए पर उसे बहुत पछतावा हुआ। रात के अंधेरे में वह सुलतान को फिर बाबा भारती के अस्तबल में बाँध गया। इस प्रकार बाबा की हार जीत में बदल गई। इसलिए कहानी का शीर्षक ‘हार की जीत’ रखा गया है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
बाबा भारती के घोड़े की क्या विशेषता थी?
उत्तर :
बाबा भारती का घोड़ा बहुत ही सुंदर और बलवान था। वह वायुवेग से दौड़ता था तो जैसे हवा में उड़ रहा हो।
प्रश्न 2.
खड्गसिंह का हृदय किसके लिए अधीर हो उठा?
उत्तर :
खड्गसिंह ने बाबा भारती के घोड़े सुलतान की कीर्ति सुनी तब उसका हृदय घोड़ो को देखने के लिए अधीर हो उठा।
प्रश्न 3.
घोड़ा देखकर खड्गसिंह के मन में क्या विचार आया?
उत्तर :
घोड़ा देखकर खड्गसिंह के मन में यह विचार आया कि ऐसा घोड़ा तो मेरे पास होना चाहिए। एक साधु को ऐसी चीजों से क्या मतलब?
प्रश्न 4.
बाबा भारती घोड़े को खोलकर बाहर क्यों लाए?
उत्तर :
खड्गसिंह ने सुलतान की चाल देखने की इच्छा प्रकट की थी। उसके मुँह से अपने घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए बाबा भारती घोड़े को अस्तबल से खोलकर बाहर लाए।
प्रश्न 5.
मनुष्य होने के नाते बाबा भारती में कौन-सी दुर्बलता थी?
उत्तर :
मनुष्य का यह स्वभाव है कि वह अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरों के मुख से सुनना चाहता है। बाबा भारती में भी यह दुर्बलता थी कि वे लोगों से अपने घोड़ों की प्रशंसा सुने।
प्रश्न 6.
बाबा भारती घोड़े के बारे में असावधान क्यों हो गए?
उत्तर :
कई महीने बीत गए पर खड्गसिंह अपनी धमकी के अनुसार घोड़ा लेने नहीं आया। इसलिए बाबा भारती घोड़े के बारे में असावधान हो गए।
प्रश्न 7.
हृदय-परिवर्तन के बाद खड्गसिंह ने क्या किया?
उत्तर :
हृदय-परिवर्तन के बाद खड्गसिंह रात के अंधेरे में बाबा भारती के मंदिर गया। उसने चुपचाप घोड़े को उसके अस्तबल में बाँध दिया और वह चला गया।
प्रश्न 8.
घोड़े को अस्तबल में देखकर बाबा भारती ने क्या किया?
उत्तर :
घोड़े को अस्तबल में देखकर बाबा भारती दौड़े और उसके गले से लिपटकर रोने लगे। वे बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फेरने और मुँह पर थपकियाँ देने लगे।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
बाबा भारती कौन थे?
उत्तर :
बाबा भारती भगवद्भजन करनेवाले एक संत पुरुष थे।
प्रश्न 2.
बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर किस प्रकार का आनंद मिलता था?
उत्तर :
माँ को अपना बेटा और किसान को अपना लहलहाता खेत देखकर जो आनंद मिलता है, वैसा ही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर मिलता था।
प्रश्न 3.
बाबा भारती सुलतान की चाल के बारे में क्या कहते थे?
उत्तर :
बाबा भारती सुलतान की चाल के बारे में कहते थे कि वह इस तरह चलता है जैसे मोर घटा को देखकर नाचता है।
प्रश्न 4.
खड्गसिंह कौन था?
उत्तर :
खड्गसिंह अपने इलाके का कुख्यात डाकू था।
प्रश्न 5.
बाबा भारती का हृदय किसके लिए अधीर हो उठा?
उत्तर :
बाबा भारती का हृदय खड्गसिंह के मुँह से अपने घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए अधीर हो उठा।
प्रश्न 6.
बाबा भारती को रात में नींद क्यों नहीं आती थी?
उत्तर :
बाबा भारती को रात में नींद नहीं आती थी, क्योंकि उन्हें खड्गसिंह द्वारा उनके घोड़े को चुरा ले जाने का डर था।
प्रश्न 7.
अपाहिज ने बाबा भारती से क्या विनती की?
उत्तर :
अपाहिज ने बाबा भारती से विनती की कि वे उसे अपने घोड़े पर बिठाकर तीन मील दूर रामवाला में उनके सौतेले भाई के यहाँ पहुँचा दें।
प्रश्न 8.
बाबा भारती के आश्चर्य का ठिकाना क्यों न रहा?
उत्तर :
बाबा भारती के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, क्योंकि जिस कंगले को उन्होंने घोड़े पर बिठाया था, वह डाकू खड्गसिंह था।
प्रश्न 9.
खड्गसिंह की धोखेबाजी से बाबा भारती को किस बात का डर था?
उत्तर :
खड्गसिंह की धोखेबाजी से बाबा भारती को इस बात का डर था कि लोगों को इस घटना का पता चलने पर वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।
प्रश्न 10.
खड्गसिंह को बाबा भारती देवता क्यों लगे?
उत्तर :
खड्गसिंह को बाबा भारती देवता लगे, क्योंकि उन्हें अपनी हानि की नहीं, गरीबों की हानि की चिंता थी।
4. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
बाबा भारती को ऐसा लगने लगा था कि …………………………………….
(अ) वे भगवान का भजन किए बिना नहीं रह सकते।
(ब) गाँव शहर से लाख गुने अच्छे हैं।
(क) वे सुलतान के बिना नहीं रह सकते।
उत्तर :
बाबा भारती को ऐसा लगने लगा था कि वे सुलतान के बिना नहीं रह सकते।
प्रश्न 2.
बाबा भारती की सारी रात अस्तबल में कटने लगी, क्योंकि ……………………………………………
(अ) उन्हें घोड़ा चुरा जाने का डर था।
(ब) वे अब वहीं सोने लगे थे।
(क) अब वहाँ कोई घोड़ा नहीं था।
उत्तर :
बाबा भारती की सारी रात अस्तबल में कटने लगी, क्योंकि उन्हें घोड़ा चुरा जाने का डर था।
प्रश्न 3.
बाबा भारती फूले नहीं समाते थे, क्योंकि ………………………………………….
(अ) कुख्यात डाकू ने उनके सामने सिर झुकाया था।
(ब) सुलतान के रूप-रंग और चाल पर वे मुग्ध थे।
(क) उन्हें एक अपाहिज की सेवा का अवसर मिला था।
उत्तर :
बाबा भारती फूले नहीं समाते थे, क्योंकि सुलतान के रूप-रंग और चाल पर वे मुग्ध थे।
प्रश्न 4.
बाबा भारती को अपाहिज पर शक नहीं हुआ, क्योंकि ………………………………………….
(अ) उसने अपने आपको वैद्य दुर्गादत्त का सौतेला भाई बताया था।
(ब) अँधेरे के कारण वे उसे ठीक से देख नहीं पाए ।
(क) उसकी आवाज़ में करुणा थी।
उत्तर :
बाबा भारती को अपाहिज पर शक नहीं हुआ, क्योंकि उसकी आवाज़ में करुणा थी।
प्रश्न 5.
सुलतान को वापस लौटाने के बाद …
(अ) खड्गसिंह मन-ही-मन पछताने लगा।
(ब) खड्गसिंह की आँखों में नेकी के आँसू थे।
(क) खड्गसिंह ने बाबा भारती से क्षमा माँगी।
उत्तर :
सुलतान को वापस लौटाने के बाद खड्गसिंह की आँखों में नेकी के आँसू थे।
5. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (चीख, अस्तबल, रेखा, चाल, छवि, घटा)
- बाबा भारती उसकी …………………………………………. पर लटू थे।
- ऐसे चलता है जैसे मोर …………………………………………. को देखकर नाच रहा हो।
- जो एक बार उसे देख लेता है, उसके हृदय पर उसकी अंकित हो जाती है।
- उनके मुख से भय, विस्मय और निराशा से मिली हुई …………………………………………. निकल गई।
- आज उनके मुख पर दुःख की …………………………………………. तक दिखाई न पड़ती थी।
- वह धीरे-धीरे …………………………………………. के फाटक पर पहुंचा।
उत्तर :
- बाबा भारती उसकी चाल पर लटू थे।
- ऐसे चलता है जैसे मोर घटा को देखकर नाच रहा हो।
- जो एक बार उसे देख लेता है, उसके हृदय पर उसकी छवि अंकित हो जाती है।
- उनके मुख से भय, विस्मय और निराशा से मिली हुई चीख निकल गई।
- आज उनके मुख पर दुःख की रेखा तक दिखाई न पड़ती थी।
- वह धीरे-धीरे अस्तबल के फाटक पर पहुंचा।
6. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
बाबा भारती के घोड़े का नाम क्या था?
A. सुलतान
B. चेतक
C. खड्गसिंह
D. शक्ति
उत्तर :
A. सुलतान
प्रश्न 2.
बाबा भारती कहाँ रहते थे?
A. घर में
B. झोंपड़ी में
C. धर्मशाला में
D. मंदिर में
उत्तर :
D. मंदिर में
प्रश्न 3.
इलाके के प्रसिद्ध डाकू का नाम था ……………………………………….
A. खंजरसिंह
B. गब्बरसिंह
C. खड्गसिंह
D. सुलतानसिंह
उत्तर :
A. खंजरसिंह
प्रश्न 4.
घोड़े की चाल देखकर डाकू के हृदय पर ……………………………………….
A. क्रोध के अंगारे सुलग उठे।
B. आश्चर्य ने काबू कर लिया।
C. न जाने क्या-क्या होने लगा।
D. साँप लोट गया।
उत्तर :
D. साँप लोट गया।
प्रश्न 5.
जहाँ घोड़ा बाँधा जाता है, उसे ………………………………………. कहते हैं।
A. अस्तबल
B. अस्तिबल
C. स्वस्तबल
D. अस्तवम
उत्तर :
A. अस्तबल
प्रश्न 6.
कँगले को देखकर बाबा ने घोड़ा रोक दिया, क्योंकि ……………………………………….
A. उसकी आवाज़ में करुणा थी।
B. वह बुरी तरह कराह रहा था।
C. उसके पाँवों पर पट्टियाँ बँधी थीं।
D. वह बहुत भूखा लग रहा था।
उत्तर :
A. उसकी आवाज़ में करुणा थी।
प्रश्न 7.
कँगले ने अपने को ………………………………………. का सौतेला भाई बताया।
A. भवानी शंकर वैद्य
B. उमादत्त वैद्य
C. चंडिकादत्त वैद्य
D. दुर्गादत्त वैद्य
उत्तर :
D. दुर्गादत्त वैद्य
प्रश्न 8.
बाबा भारती चाहते थे कि लोग गरीबों पर ……………………………………….
A. विश्वास न करें।
B. विश्वास करना न छोड़ दें।
C. तरस खाएँ।
D. कभी दया न करें।
उत्तर :
B. विश्वास करना न छोड़ दें।
प्रश्न 9.
बाबा भारती ने अपनी निज की हानि को ………………………………………. की हानि पर न्यौछावर कर दिया।
A. देवत्व
B. मनुष्यत्व
C. पशुत्व
D. बंधुत्व
उत्तर :
B. मनुष्यत्व
प्रश्न 10.
बाबा भारती सुलतान से लिपटकर ऐसे रोने लगे जैसे ……………………………………….
A. पिता बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो।
B. भाई बिछुड़े हुए भाई से मिल रहा हो।
C. माँ बिछुड़े हुए बेटे से मिल रही हो।
D. माँ बिछुड़ी हुई बेटी से मिल रही हो।
उत्तर :
A. पिता बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो।
हार की जीत Summary in Hindi
हार की जीत पाठ का सार
बाबा भारती और उनका घोड़ा : बाबा भारती एक साधु थे। वे एक मंदिर में रहते थे। उनके पास एक घोड़ा था। वह उन्हें प्राणों से भी अधिक प्यारा था। घोड़ा इतना सुंदर, सुडौल और आकर्षक था कि किसी का भी दिल जीत लेता था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहते थे।
डाकू खड्गसिंह बाबा भारती के पास आया : खड्गसिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था। उसने भी सुलतान की कीर्ति सुनी। एक दिन वह बाबा भारती के पास आया और उनके घोड़े को देखने की इच्छा प्रकट की। बाबा ने बड़े गर्व से उसे घोड़ा दिखाया।
खड्गसिंह ने उसे बड़े आश्चर्य से देखा और उसकी चाल भी देखी। वहाँ से लौटते हुए उसने बाबा से कहा – “यह घोड़ा मैं आपके पास न रहने दूंगा।”
डाकू का छल : कुछ समय तक बाबा भारती को खड्गसिंह का भय सताता रहा, परंतु कुछ दिनों के बाद उस भय को मिथ्या मानकर वे निश्चिंत हो गए। एक दिन बाबा भारती घोड़े पर बैठकर घूमने जा रहे थे। सहसा उन्होंने एक कँगले अपाहिज की दीनताभरी आवाज सुनी।
उसने बाबा से कहा कि वह तीन मील दूर रामवाला गाँव में अपने सौतेले भाई के यहाँ जाना चाहता है। बड़ी कृपा होगी यदि वे अपने घोड़े पर बिठाकर उसे वहाँ पहुँचा देंगे। बाबाजी को उस पर तरस आ गया।
उन्होंने उस अपाहिज को अपने घोड़े पर बिठा दिया और खुद हाथ में लगाम पकड़कर चलने लगे। अचानक उस अपाहिज ने झटककर लगाम ले ली और वह घोड़े को ले भागा। वह अपाहिज डाकू खड्गसिंह था।
डाकू से बाबा की प्रार्थना : बाबा भारती ने चिल्लाकर खड्गसिंह को रोका। डाकू ने आकर घोड़ा वापस देने से इन्कार कर दिया। बाबा ने कहा, “मैं तुमसे घोड़ा वापस करने के लिए नहीं कहूँगा, परंतु तुम यह घटना किसीके सामने प्रकट मत करना, क्योंकि फिर लोग किसी दीन – दुःखी पर विश्वास नहीं करेंगे।”
खड्गसिंह ने घोड़ा वापस किया : बाबा भारती के शब्दों ने डाकू खड्गसिंह पर गहरा असर डाला। बाबा की महानता ने उसका दिल छू लिया। उसे बाबा भारती मनुष्य नहीं, देवता लगे। वह रात के अंधेरे में बाबा के आश्रम में आया और सुलतान को चुपचाप बाबा भारती के अस्तबल में बाँधकर लौट गया।
बाबा भारती का संतोष : सुलतान को पाकर बाबा भारती की प्रसन्नता का पार न रहा। वे उसके गले से लिपटकर रोने लगे। फिर वे बड़े संतोष से बोले, “अब कोई दीन – दुखियों की सहायता से मुंह न मोड़ेगा।”
हार की जीत Summary in English
Baba Bharati and his horse : Baba Bharati was a sage. He lived in a temple. He had a horse. He loved his horse more than anyone. The horse was so beautiful, shapely and attractive that he had won the heart of all. Baba Bharati called him ‘Sultan’.
The decoit Khadagsinh came to Baba Bharati : Khadagsinh was a famous decoit of that area. He had also heard about fame of Sultan. One day he came to Baba Bharati and told about his wish to see the horse. Baba showed him the horse with great pride and Khadagsinh saw him with astonishment. While departing he plainly said to Baba, “I will not let this horse be there with you.”
The decoit’s deceit : Baba Bharati remained frightened of Khadagsinh for some time. But when he didn’t come for months, he became free from worry. One day Baba Bharati was riding a horse. Suddenly he heard the voice of request of a wretched handicapped. – “I have to go to the village Ramvala three miles far to see my step brother.
If you let me ride your horse to reach there I will be very grateful to you.” Babaji pitied on him. He let the handicapped sit on the horse, held the reins in his hand and began to walk. Suddenly the handicapped snatched the reins and ran away with the horse. He was the decoit Khadagsinh.
Baba’s request to the decoit : Baba Bharati shouted him to stop. The decoit refused to give him the horse back. Baba said, “I will not tell you to return the horse, but don’t tell anybody anything about this incident because after knowing this, people will not trust any poor.”
Khadagsinh returned the horse : Baba Bharati’s words had a great effect on the decoit Khadagsinh’s heart. Baba’s greatness touched his heart. He felt that Baba was not a man but God. He came at night in the dark and tied Sultan silently in the stable and went away.
Baba Bharati’s satisfaction : Getting Sultan back Baba Bharati had boundless joy. He hugged him and began to cry. Then he spoke with great satisfaction, “Now, nobody will hesitate to help the poor.”
हार की जीत Summary in Gujarati
हार की जीत ગુજરાતી સારાંશ
બાબા ભારતી અને તેમનો ઘોડો બાબા ભારતી એક સાધુ હતા. તેઓ એક મંદિરમાં રહેતા હતા. તેમની પાસે એક ઘોડો હતો. તે તેમને જીવથીય વધારે પ્રિય હતો. ઘોડો એટલો સુંદર, સુડોળ અને આકર્ષક હતો કે કોઈનું પણ દિલ જીતી લે. બાબા ભારતી તેને ‘સુલતાન’ કહેતા હતા.
ડાકુ ખડગસિંહ બાબા ભારતી પાસે આવ્યોઃ ખડગસિંહ તે વિસ્તારનો પ્રસિદ્ધ ડાકુ હતો. તેણે પણ સુલતાનની કીર્તિ સાંભળી. એક દિવસ તે બાબા ભારતી પાસે આવ્યો અને તેણે તેમના ઘોડાને જોવાની ઇચ્છા વ્યક્ત કરી. બાબાએ ખૂબ ગર્વથી તેને ઘોડો બતાવ્યો અને ખડગસિંહે તેને ભારે આશ્ચર્યથી જોયો. ત્યાંથી જતી વખતે તેણે બાબાને સ્પષ્ટ કહી દીધું, “આ ઘોડો હું તમારી પાસે નહિ રહેવા દઉં.”
ડાકુનું છળ – કપટઃ કેટલાક સમય સુધી તો બાબા ભારતીને ખડગસિંહનો ભય સતાવતો રહ્યો, પરંતુ થોડા સમય પછી તે ભયને મિથ્યા માનીને તેઓ નિશ્ચિત થઈ ગયા. એક દિવસ બાબા ભારતી ઘોડા પર બેસીને ફરવા જઈ રહ્યા હતા. અચાનક તેમણે એક કંગાળ અપંગનો કાકલૂદીભર્યો અવાજ સાંભળ્યો – “મારે ત્રણેક માઈલ દૂર આવેલા રામવાલા ગામે મારા સાવકા ભાઈને ત્યાં જવું છે.
જો તમે મને ઘોડા પર બેસાડીને ત્યાં પહોંચાડી દેશો તો ખૂબ મહેરબાની થશે.” બાબાજીને તેના પર દયા આવી. તેમણે તે અપંગને ઘોડા પર બેસાડી દીધો અને પોતે હાથમાં લગામ પકડીને ચાલવા લાગ્યા. અચાનક તે અપંગ લગામ આંચકી, ઘોડાને લઈને ભાગ્યો. તે ડાકુ ખડગસિંહ હતો.
ડાકુને બાબાની વિનંતી: બાબા ભારતીએ બુમ પાડીને ખડગસિંહને રોક્યો. ડાકુએ ઘોડો પાછો આપવાની ના પાડી દીધી. બાબાએ કહ્યું, “હું તને આ ઘોડો પાછો આપવા માટે નહિ કહું, પરંતુ તું આ ઘટના વિશે કોઈને કશું કહીશ નહિ, કારણ કે તે જાણીને લોકો કોઈ દીન – દુખિયાનો વિશ્વાસ નહિ કરે.”
ખડગસિંહે ઘોડો પાછો આપી દીધોઃ બાબા ભારતીના શબ્દોએ ડાકુ ખડગસિંહના મન પર ભારે અસર કરી. બાબાની મહાનતા તેના હૃદયને સ્પર્શી ગઈ. તેને બાબા ભારતી મનુષ્ય નહિ, દેવતા લાગ્યા. તે રાતના અંધકારમાં આવ્યો અને સુલતાનને ચુપચાપ બાબા ભારતીના તબેલામાં બાંધીને જતો રહ્યો.
બાબા ભારતીનો સંતોષઃ સુલતાન પાછો મળતાં બાબા ભારતીની ખુશીનો પાર રહ્યો નહિ. તેઓ તેને ગળે વળગીને રડવા લાગ્યા. પછી તેઓ ખૂબ સંતોષથી બોલ્યા, “હવે કોઈ દીન – દુખિયાની મદદ કરતાં અચકાશે નહિ.”
हार की जीत विषय-प्रवेश
बुरे से बुरे व्यक्ति में भी कुछ-न- कुछ अच्छाई जरूर होती है। इस आदर्शवादी कहानी से यही बात सिद्ध होती है। एक डाकू एक साधु को धोखा देता है, परंतु उस साधु की सज्जनता देखकर उसका हृदय – परिवर्तन हो जाता है। अपने किए पर उसे सिर्फ पश्चात्ताप ही नहीं होता, बल्कि वह अपनी भूल का सुधार भी करता है। इस तरह साधु हारकर भी जीत जाता है और डाकू की जीत हार में बदल जाती है।
हार की जीत मुहावरे – अर्थ और वाक्य – प्रयोग
- लटू होना – मुग्ध होना
वाक्य : लोग के. लाल के जादू पर लटू हो जाते थे। - चैन आना – मानसिक शांति मिलना
वाक्य : दंगे से बचकर बेटे के सही – सलामत घर आने पर माँ को चैन आया। - कानों तक पहुँचना – सुनना
वाक्य : सेनापति के अत्याचारों की खबरें बादशाह के कानों तक पहुँची। - हृदय में छवि अंकित होना – अच्छी तरह याद रह जाना
वाक्य : राधा के हृदय में कृष्ण की छवि अंकित हो गई थी। - आँखों से गुजरना – देखना
वाक्य : ऐसा भव्य दृश्य कभी मेरी आँखों से न गुजरा था। - हृदय पर साँप लोटना – ईर्ष्या पैदा होना
वाक्य : मेरी नई कार देखकर पड़ोसियों के हृदय पर साँप लोटने लगा। - आँखों में चमक होना – खुशी का भाव प्रकट होना
वाक्य : इनाम मिलने पर लड़के की आँखों में चमक थी। - फूला न समाना – बहुत प्रसन्न होना
वाक्य : लोगों के मुँह से बेटे की प्रशंसा सुनकर माँ फूली न समाई। - आश्चर्य का ठिकाना न रहना – बहुत आश्चर्य होना
वाक्य : अपने मित्र को दूरदर्शन पर देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा। - दिल टूटना – निराश हो जाना
वाक्य : मित्र के विश्वासघात करने पर युवक का दिल टूट गया। - मुँह आश्चर्य से खुला रह जाना – बहुत आश्चर्य होना
वाक्य : चौकीदार को चोरी करते देखकर मालिक का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। - सिर मारना – बहुत सोच – विचार करना
वाक्य : मैंने बहुत सिर मारा, पर यह प्रश्न हल न हो सका। - आँखें गड़ाना – ध्यान से देखना
वाक्य : आप खाना तो खा नहीं रहे, बस टीवी में आँखे गड़ाए बैठे हैं। - मँह मोड़ना – संबंध न रखना, विमुख होना
वाक्य : सच्चा नेता जन – सेवा के कामों से कभी मुँह नहीं मोड़ता। - मुख फूल की तरह खिलना – बहुत प्रसन्न होना
वाक्य : खोया हुआ पर्स मिल जाने पर यात्री का मुख फूल की तरह खिल उठा।
हार की जीत शब्दार्द्ध (Meanings)
- खरहरा – कंघी या ब्रुश से घोड़े का शरीर साफ करना; to clean the body of a horse with a comb or a brush
- असबाब – वस्तु, सामान; luggage
- घृणा – नफरत; hatred, strong dislike
- कीर्ति – यश; fame
- अधीर – उतावला, व्याकुल; impatient
- कुख्यात – बदनाम; wicked
- चाह – (देखने की) इच्छा, प्रेम; wish (to see)
- छवि – सुंदरता, आकृति; beauty, picture
- अभिलाषा – इच्छा; ambition, keen desire
- उपस्थित हाजिर; present
- सहस्र – हजार; thousand
- बाँका – निराला, शानदार; peculiar
- उचककर – उछलकर; by jumping
- बाहुबल – शारीरिक शक्ति; physical strength
- अस्तबल – घुड़साल, अश्वशाला; stable
- असावधान – लापरवाह; careless, carefree
- सहसा – अचानक; suddenly
- कंगला – गरीब व्यक्ति, कंगाल; poor, wretched
- करुणा – दुःख, दया; compassion, pity
- कराहना – मुँह से दर्दभरी आवाज निकालना; to mourn
- अपाहिज – अपंग, विकलांग; handicapped
- विस्मय – आश्चर्य; astonishment, wonder
- निकट – नजदीक, पास; near
- दास – सेवक; servant
- प्रयोजन – उद्देश्य, हेतु; purpose
- रेख – रेखा, चिह्न; line, sketch
- निज की – खुद की; own
- हानि – नुकसान; harm, loss
- मनुष्यत्व – इन्सानियत; humanity
- सन्नाटा – चुप्पी, खामोशी; forbearance, silence
- बाग – लगाम; the bit of a bridle, reins, control
- नेकी – भलाई; kindness, goodness
- प्रतीत होना – मालूम होना; to feel
- चाप – आहट; sound
- बिछुड़ना – जुदा होना; to separate
- लच्छा – गुच्छा; bunch
- शावक – हिरन का बच्चा; young one of a deer
- सद्यः प्रसूता – तुरंत जन्मा हुआ; recently born