Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions पूरक वाचन Chapter 3 कुण्डलियाँ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 3 कुण्डलियाँ
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :
प्रश्न 1.
कवि गिरिधर छोटों को महत्त्व देने के लिए क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
कवि गिरिधर कहते हैं कि परिवार में छोटों को भी बड़ों जैसा ही महत्त्व देना चाहिए। छोटों को छोटा मानकर उनकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। कुल्हाड़ी छोटी होने पर भी विशाल वृक्ष को काटकर धराशायी कर देती है। इतना ही नहीं उसके टुकड़े-टुकड़े कर उसे समुद्र में बहाने लायक बना देती है। परिवार में छोटों की उपेक्षा से घर में फूट पैदा होती है और वह विनाश का कारण बनती है। हिरण्यकशिपु, कंस, राजा बलि और रावण छोटों को महत्त्व न देने से ही नष्ट हुए। इसलिए परिवार में छोटों को महत्त्व देना चाहिए।
प्रश्न 2.
कवि गिरिधर बीती हुई बातों को भूल जाने की सलाह क्यों देते हैं?
उत्तर :
गिरिधर कवि कहते हैं कि बीती हुई बातों को याद करने से कोई लाभ नहीं है। उन्हें भूल जाना ही अच्छा है। उन्हें भूलने के
लिए हमें किसी सरल और रोचक काम में मन लगाना चाहिए। ऐसा करने से कोई नई बात बनेगी, मन अपराध भाव से बचा रहेगा और मन को शांति मिलेगी। किसी दुर्जन को भी हँसने का मौका नहीं मिलेगा। इसलिए समझदारी इसीमें है कि जो बीत गया उसे भूलकर भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 3.
कवि गिरिधर अपने मन की बात मन में ही रखने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर :
कवि गिरिधर कहते हैं कि समझदार आदमी को अपने मन की बात या अपनी कोई योजना अपने तक ही सीमित रखना चाहिए। भूलकर भी उसे तब तक किसीको नहीं बतानी चाहिए जब तक कार्य पूरा न हो जाए। ऐसा करने से दुर्जनों को हंसी उड़ाने का मौका नहीं मिलेगा और अपना मन भी शांत रहेगा। अपना कार्य बन जाने पर उसे देखकर लोग अपने आप समझ जाएंगे और हमें किसीको कुछ भी बताने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी।
कुण्डलियाँ Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
कवि गिरिधर अपने समय के लोकप्रिय कवि थे। उनकी कुण्डलियाँ जीवन के व्यापक अनुभवों पर आधारित है। इन कुण्डलियों में कोई-न-कोई बोध या संदेश छिपा रहता है।
कुण्डलियों का अर्थ :
साई ये ने ……. रावण साँई।
कवि गिरिधर कहते हैं कि परिवार में कोई छोटा हो या बड़ा, किसी से विरोध मत कीजिए, सबको महत्त्व दीजिए। वक्ष कितना बड़ा और भारी होता है, फिर भी छोटी कुल्हाड़ी उसे जमीन पर गिरा देती है। उसके टुकड़े-टुकड़े कर उसे समुद्र में बहा देने लायक बना देती है। कवि कहते हैं कि जिसके भी घर में फूट पैदा होती है, उस घर का यही हाल होता है। हिरण्यकशिपु, कंस, राजा बलि और रावण के परिवार आपसी फूट (बैर) के कारण ही नष्ट हुए।
बीती ताहि …….. बीती सौ बीती।
कवि गिरिधर कहते हैं कि जो बात बौत गई उसे भूल जाओ और भविष्य के बारे में सोचो। जो काम आसानी से बन सकता हो, उसमें मन लगाओ। ऐसा करने से कोई नई बात बनेगी। इस तरह किसी दुष्ट को हंसी उड़ाने का अवसर नहीं मिलेगा और तुम्हारे मन में कोई अपराधी भाव भी पैदा न होगा। गिरिधर कविराय कहते हैं कि विश्वास करने योग्य यही बात है कि जो बीत गया उसे भूल जाओ और भविष्य पर ध्यान दो।
“साई अपने ……. नहिं साईं।”
कवि गिरिधर कहते हैं कि आपके मन में जो विचार या योजना हो, उसे भूलकर भी किसीके सामने प्रकट मत कीजिए। उसे तब तक अपने मन में ही रखिए जब तक वह पूरा न हो जाए। उसे छिपाने से किसी दुष्ट को आपकी हंसी उड़ाने का मौका न मिलेगा और आप भी शांत रह सकेंगे। गिरिधर कविराय कहते हैं कि समझदारों के लिए आपकी करतूत (किया हुआ काम) ही बहुत है। वही उन्हें सबकुछ बता देगी। आपको कुछ बताने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।