Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions पूरक वाचन Chapter 2 जलियाँवाला बाग में बसंत Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 2 जलियाँवाला बाग में बसंत
विषय-प्रवेश :
जलियांवाला बाग में भारत की निहत्थी जनता पर अंग्रेजों द्वारा की गई गोली-बारी में अनेक लोग मारे गए थे। इसमें बच्चों, युवा, वृद्ध सभी का समावेश है। यहाँ की धरती इन लोगों के खून से सन गई थी। कवयित्री ने जलियांवाला बाग की गोली चालन का मार्मिक वर्णन किया है। उन्होंने ऋतुराज वसंत से इस शोक- स्थान में शांतिपूर्ण ढंग से आने और अमर शहीदों को यथोचित ढंग से श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के लिए कहा है।
कविता का सरल अर्थ :
यहाँ कोकिला ………. अथवा झुलसे।
कवयित्री जलियांवाला बाग का मार्मिक वर्णन करती हुई कहती हैं कि (हे ऋतुराज वसंत) यहाँ कोयल नहीं कूकती है, बल्कि कौए शोर मचाते हैं। यहाँ काले रंग के अनेक कीड़े-मकोड़े हैं, जिनसे यहाँ भौंरों के होने का भ्रम होता है। यहाँ जो अधखिली कलियाँ भी दिखाई देती हैं, वे काँटों की जातिवाली झाड़ियों पर हैं। वे पौधे और वे फूल सूख गए हैं या झुलस गए हैं।
परिमलहीन ………. शोर मचाना।
कवयित्री कहती हैं कि फूलों के अंदर सुगंधहीन पराग मानो उसमें दाग की तरह दिखाई देता है। हाय! यह सुंदर बगीचा खून से सना हुआ है। हे ऋतुराज वसंत! आइए! पर बहुत धीरे आना; क्योंकि यह शोक मनाने का स्थल है। यहाँ आकर शोर मत मचाना।
वायु चले …… कथा सुनावे।
कवयित्री कहती हैं कि हे ऋतुराज! वायु चल सकती है, पर उसे बहुत धीमी गति से चलाना। यहाँ दुःखभरी आहे सुनाई देती हैं, पर तुम इन आहों को अपने संग उड़ाकर मत ले जाना। ध्यान रखना, कोयल गा सकती है, किंतु उसकी गाने की राग रोनेवाली हो। भौंरे भी गुंजार कर सकते हैं, पर इस गुंजार में कष्ट की झलक होनी चाहिए।
लाना संग में ……. यहाँ थोड़े बिखराना।
तुम अपने साथ फूल ले आना, पर वे ज्यादा आकर्षक न हों। वे फूल कम सुगंधवाले होने चाहिए और ओस से कुछ-कुछ भीगे-भीगे होने चाहिए। लेकिन इन फूलों को अर्पित करते समय मन में यह भावना मत लाना कि तुम इन्हें उपहार के रूप में दे रहे हो। तुम अमर शहीदों की याद में पूजा के लिए थोड़े फूल यहाँ इधर-उधर बिखेर देना।
कोमल बालक ……………. भिन्न हुए हैं।
हे ऋतुराज! यहाँ (अंग्रेजों की) गोलियों से अनेक नाजुक बच्चों की हत्या की गई है। तुम उन बच्चों (को श्रद्धांजलि देने) के लिए कुछ कलियाँ लाकर यहाँ गिरा देना। यहाँ कई ऐसे लोग मारे गए हैं, जिनके हृदय में अनेक आशाएं-आकांक्षाएं निहित थीं। वे सभी खंडित हो गई। अनेक लोग अपने परिवार और देश से बिछड़ गए थे।
कुछ कलियों ………… देना तुम जाकर।
इसलिए हे ऋतुराज! यहाँ पर फूलों की कुछ अधखिली कलियाँ अर्पित कर देना। मारे गए इन लोगों को याद करके कुछ ओस-रूपी अनु यहाँ टपका देना। हे ऋतुराज! अनेक वृद्धजनों को यहाँ गोलियों से छलनी किया गया था और इन बूढ़े लोगों ने तड़पते हुए अपने प्राण त्यागे थे। इन वृद्धों के लिए तुम कुछ सूखे हुए श्रद्धा-सुमन वहाँ गिरा देना।
यह सब करना …………. शोर मचाना।
हे ऋतुराज! तुम यह सब करना, पर आना बहुत धीरे से। क्योंकि यह स्थल शोक-स्थान है। यहाँ शोर बिलकुल मत मचाना।
शब्दार्थ :
- कोकिला – कोयल।
- काक – कौआ।
- कीट – कीड़ेमकोड़े।
- भ्रमर – भौरा।
- भ्रम – शंका, संदेह।
- उपजाना – पैदा करना।
- अधखिली – आधी विकसित।
- कंटक – काँटा।
- शुष्क – सूखा, जो गीला न हो।
- परिमलहीन – सुगंधरहित।
- पराग – फूल के भीतरी भाग का धूलकण।
- दाग – धब्बा।
- प्रशुराज – वसंत।
- शोक-स्थान – जहाँ गम मनाया जाता हो।
- मंद – सौम्य, नरम।
- आह – दुःख या क्लेष सूचक शब्द।
- गुंजार – भौरों की गंज।
- सजीले – सजावटी।
- ओस – तुषार (शीत हवा में मिली हुई भाप, जो रात्रि के समय ठंडक से जमकर जलकण बन जाती है।)
- स्मृति – याद में।
- बिखराना – इधर-उधर फैलाना।
- कोमल – बहुत कम आयुवाले बच्चे।
- छिन्न – खंडित, टूटे हुए।
- भिन्न – अलग।
- वृद्ध – बूढ़े।
- तड़पना – अधिक पीड़ा के कारण छटपटाना।